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जोरू का गुलाम भाग 246 ----तीज प्रिंसेज कांटेस्ट पृष्ठ १५३३
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बहुत ही अच्छी समीक्षा की आपने। आप ऐसे विज्ञ पाठको का होना किसी भी लेखिका के लिए सौभाग्य की बात है। आप के कमेंट्स पढ़ कर लगता है आप न सिर्फ कहानी के मर्म तक पहुँच गए बल्कि मेरी सारी मेहनत सार्थक हुयी।आपके द्वारा प्रस्तुत इन अध्यायों को पढ़कर ऐसा लगता है मानो कॉर्पोरेट जगत की उन अदृश्य लड़ाइयों के बीच खड़ा हो गया हूँ, जहाँ डेटा हथियार है और सच्चाई एक रणनीतिक मोहरा। मिस एक्स और उनकी रिपोर्ट्स सिर्फ एक कहानी नहीं, बल्कि वैश्विक वित्तीय युद्धक्षेत्र का एक यथार्थवादी चित्रण है, जहाँ शेयर बाजार की उठापटक, शेल कंपनियों का जाल, और पावर कॉरिडोर के छिपे खेल सब कुछ एक साथ गुथे हुए हैं।
आपने तीन प्रमुख पात्रों, मिस एक्स (फ्रेंच-अमेरिकन फॉरेंसिक एक्सपर्ट), एन (देसी लेकिन ग्लोबलाइज्ड महिला), और एम (मिश्रित राष्ट्रीयता का पुरुष), का परिचय बड़े ही सधे हुए अंदाज़ में दिया है। मिस एक्स की बैकग्राउंड, प्रिंसटन से डॉक्टरेट, FATF में भूमिका, और कॉर्पोरेट फ्रॉड उजागर करने का जुनून, उन्हें एक खलनायिका नहीं, बल्कि एक एंटी-हीरो बनाती है। वह इंटेग्रिटी और हिम्मत की प्रतीक हैं, जो ट्रिलियन-डॉलर कंपनियों को उनकी गलतियाँ गिनाती है। यहाँ आपका कौशल दिखता है: पात्रों को स्टीरियोटाइप से बचाकर उन्हें मानवीय बनाना।
कहानी का सबसे दिलचस्प पहलू वह पैराडॉक्स है जहाँ एक कंपनी खुद पर ही एक डैमिंग रिपोर्ट कमीशन करती है। यह सर्पगंधा जैसी स्थिति है, जहर को ही जहर से काटने की कोशिश। आपने इसे सिर्फ एक थ्रिलर तक सीमित नहीं रखा, बल्कि कॉर्पोरेट जगत के उन सवालों से जोड़ा है जो आज के दौर में प्रासंगिक हैं:
मिस एक्स की कंपनी का इन्वेस्टिगेटिव रिपोर्ट्स के साथ-साथ शॉर्ट सेलिंग में हिस्सेदारी होना, बताता है कि नैतिकता और मुनाफा अक्सर एक ही सिक्के के दो पहलू होते हैं।
नायक का हर कदम पर निगरानी में होना, फोन का कीड़ा-ग्रस्त होना, और प्लॉजिबल डिनायबिलिटी जैसे टर्म्स कॉर्पोरेट जासूसी की दुनिया की असली तस्वीर पेश करते हैं।
आपके लेखन में वित्तीय शब्दावली (राउंड ट्रिपिंग, ओवरइनवॉइसिंग, गोल्ड प्लेटिंग) का सटीक इस्तेमाल और स्विस बैंकिंग सिस्टम, साइप्रस पेपर्स, FATF जैसे रेफरेंस कहानी को प्रामाणिक बनाते हैं। यह साफ़ झलकता है कि आपने इस दुनिया को गहराई से समझा है या खूब रिसर्च की है।
एक सुझाव देने की जुर्रत करूंगा.. आपने फर्स्ट-पर्सन (कोमल) से थर्ड-पर्सन की ओर शिफ्ट करने की बात कही.. इस ट्रांज़िशन को यदि धीरे धीरे अमल में लाएँ तो बिना रस-क्षति के कहानी की पकड़ बनी रहेगी, ऐसा मेरा मानना है..
अगले अध्यायों का इंतज़ार रहेगा, खासकर यह जानने के लिए कि क्या मिस एक्स की रिपोर्ट वाकई उस दुश्मन को उजागर कर पाती है जो छाया में छिपा है..!! और हाँ, मिसेज मोइत्रा की कबूतरियों वाला संदर्भ बड़ा ही रहस्यमयी लगा, उम्मीद है, यह कोई मेटाफर तो नहीं!
शुभकामनाओं सहित,
वखारिया
Thanks so much, Phagun ke din chaar men update aaj de diya aur sunday ke aas paas yahan bhiBahut achhha likh rahi ho aap. Pease continue the good work.
एकदम सही कहा आपनेगुप्त सूचनाएं अगर दुश्मन के बारे में पता हो तो ..
बिना लड़ें हीं दुश्मन को पटखनी दी जा सकती है....
लेकिन इतने सारे आंकड़ों में से काम की सूचना निकालना...
कोई हँसी खेल नहीं... बल्कि किसी एक्सपर्ट का काम है...
नहीं नहीं, मिस एक्स की रिपोर्ट अभी आयी नहीं हैमिस एक्स की रिपोर्ट भी शेयर मार्केट के रोलर कोस्टर में सहायक रही...
Thanks so much for regular supportमस्ती मजा के साथ...
सूचना का आदान प्रदान...
और इन्फॉर्मेशन वारफेयर ...
तंत्र जाल काफी फैला है...
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