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thanks a lotNice update
keep reading
thanks a lotNice update
thanks bro
regular aaya karo, I miss your comments.
thanks a lot for your lovely commentसुधीर सर को अपने किस्मत पर गरूर करना चाहिए । प्रौढ़ा अवस्था मे एक खुबसूरत गृहिणी के साथ विवाह करने का मौका मिल ही रहा है और साथ मे कुंवारी कली भी बोनस के रूप मे प्राप्त हो रही है।
वैसे अनु ने सुधीर सर के दिमाग को हाइजैक तो कर ही लिया है। कोई महात्मा या संत ही होगा जो इस मौके को अपने हाथ से जाने देगा।
मर्दों के नेचर के बारे मे इसी फोरम पर एक कमेन्ट किया था -- बीबी तो बीबी है। वह तो आपको हमेशा हासिल है। उससे जिन्सी रिश्तेदारी कायम करके आपको उस फतह का एहसास नही होता जो आपको किसी पड़ोस की औरत का मानमर्दन करके , यहां तक कि घर मे आने वाली धोबीन या , बर्तन मांजने वाली तक से हमबिस्तर होकर होता है।
सेक्स के मामले मे मर्द सरासर कुते की जात होता है ।
अब इतना बढ़िया प्रपोजल अनु ने दे दिया कि सुधीर सर इन्कार कर ही नही सकते। कम से कम वो जिस उम्र और पेशे मे है , ऐसा तो हर किसी को अवसर मिलता नही। उनके लिए हर लिहाज से ' वाह वाह ' वाली स्थिति है।
बहुत ही जबरदस्त अपडेट अशोक भाई। आउटस्टैंडिंग।
thanks a lot for your lovely comment
hona bhi aisa hi chahiye aur aisa hi hota hai
real life me bhi aur stories me bhi
apne hisaab se chalti hui life aur story dono hi acchi lagti hai
ab life ka control to hai nahi apne haath, isliye kahani ko apne hisaab se chala lete hai
enjoy karte raho
next update tayyar ho raha hai
aaj ya kal tak aa jayega
शेफाली अंदर आई और बोली : “अनु….ये आवाज़ें कैसी थी…”
अनु : “मॉम …वो बाहर बच्चे खेल रहे है गली में …मैने अभी खिड़की बंद की है, मुझे भी डिस्टर्बेन्स हो रही थी…”
शेफाली ने ओके कहा और एक हवस भरी नज़र सुधीर सर पर डालकर अपने रूम में वापिस आ गयी
उसे तो बस उनके फ्री होने का इंतजार था, उसके बाद वो अनु को बाहर भेजकर सुधीर सर के साथ कुछ क़्वालिटी टाइम बिताना चाहती थी
शेफाली के बाहर जाते ही सुधीर सर ने अनु से कहा : “बाल-2 बच गये अनु…अब तुम जाओ अपनी मॉम के पास और शुरू हो जाओ, मुझसे और इंतजार नही हो रहा…ऐसा ना हो की इस आग में तुम ही झुलस जाओ आज….”
उन्होने अपने खड़े हुए लॅंड को सहलाते हुए अनु को चोदने की धमकी दे डाली
अनु भी चहकति हुई बोली : “फ़िक्र ना करो पापा….ये टाइम भी जल्दी आएगा, जब आपका ये तोता मेरे छोटे से पिंजरे में क़ैद होगा…”
सुधीर : “कौनसे पिंजरे में …आगे वाला या पीछे वाला ..”
अनु : “दोनो में ….बारी बारी से…”
ये कहते हुए उसने सैक्सी तरीके से अपने होंठ दाँत तले दबाए और एक आँख भी मार दी
सुधीर को चारा फेंकने में वो कोई कसर नही रख रही थी
आज तक उसने किसी की गांड नही मारी थी
सोचा तो उसने शेफाली के बारे में था की उसकी मारेगा पर यहाँ तो उसकी कुँवारी बेटी उसे अपना सब कुछ सोंपने को तैयार बैठी थी
ऐसा ऑफर कोई पागल ही ठुकराएगा
पर अभी के लिए तो उसे वो बम्पर ऑफर देखना था जिसके लिए वो यहाँ आया था
उसने अनु को इशारा किया और वो अपनी कमर मटकाती हुई चल दी मॉम के कमरे की तरफ
और सुधीर सर ने थोड़ा सा दरवाजा खोलकर बाहर झाँकना शुरू कर दिया
जहाँ से शेफाली अपने बेड पर बैठी सॉफ दिखाई दे रही थी
अब असली खेल शुरू होने वाला था
अनु अपनी मॉम के पास गयी और उनकी गोद में बैठ कर उनके गले लग गयी
शेफाली : “अर्रे ….ये क्या कर रही है पागल…पीछे हट, सुधीर अभी यहीं हैं, वो देख लेंगे तो क्या सोचेंगे…”
अनु : “कुछ नही सोचेंगे मॉम, वो अभी अपनी केल्कुलेशन में बिज़ी है, मैने उनसे 2-3 बार चाय के लिए पूछा तो हूँ हाँ करके बस इशारे से जवाब दे रहे है, मैं उन्हे जानती हूँ , अभी आधा घंटा लगेगा उन्हे, बुत्त बनकर ऐसे ही काम करते रहेंगे, कोई होश नही है उन्हे….मेरा काम तो ख़त्म हो गया, अब बस फाइनल रिपोर्ट बनाने का काम बचा है उनका, ऐसे मे मैं क्या करती, मुझे आपकी याद आ गयी और मैं आ गयी…”
इतना कहते हुए उसने अपनी मॉम के होंठों को चूम लिया
पहले तो चूम कर अलग हो गयी, पर जब उन्होने कुछ नही बोला तो उनसे चिपक कर उन्हे चूसने लगी
शेफाली भी एकदम से खुल्ले में इस तरह से अनु की किस्स पाकर पहले थोड़ी हैरान हुई
पर पिछले आधे घंटे से जो उसके अंदर और जाँघो के बीच हलचल हो रही थी, उसके लिए इस किस्स ने आग में घी का काम किया
वो भी सुधीर सर की परवाह किए बिना अपनी फूल सी बेटी के गुलाब की पंखुड़ियों जैसे होंठो का रस पीने लगी
रह रहकर शेफाली अनु के रूम की तरफ देख रही थी की कही उसमे से निकल कर सुधीर सर बाहर ना आ जाए
अनु : “डोंट वरी मॉम , वो नही आएँगे, आपको उनका डर है तो दरवाजा बंद कर दूँ क्या ? ”
शेफाली ने जल्दी से हाँ में सिर हिलाया
अनु उठी और उसने मॉम के रूम का दरवाजा बंद कर दिया
वो जानती थी की उसके कमरे में सर उसी तरफ देख रहे है दरवाजे की दरार से
इसलिए उसने इशारा करके उन्हे बाहर आकर मॉम के दरवाजे के बाहर खड़े होने को कहा.
और अनु जब तक अंदर आई, शेफाली अपनी टांगे फेला कर लेट गयी
शॉर्ट ड्रेस को और उपर खींच कर कर कमर तक कर लिया ताकि उसकी फ्रूट से सजी प्लेट में से फल चुनकर अनु आराम से खा सके..
तब तक दबे पाँव सुधीर भी दरवाजे के बाहर आकर खड़ा हो गया
दरवाजे की दरार से अंदर झाँका तो शेफाली को टांगे चौड़ी करके लेटे देखा
अनु भी अब देर नही करना चाहती थी, उसने भी अपनी टी शर्ट निकाल फेंकी और फिर से टॉपलेस हो गयी
कहाँ तो कुछ देर पहले तक शेफ़ाली सुधीर सर के लंड का सपना देख रही थी, पर इस ठरक के आगे उस सपने को पूरा करने में अभी टाइम लगने वाला था , ठरक ऐसी थी की बेटी के इस प्रपोजल को वो मना नहीं कर पायी और रिस्क होने के बावजूद वो सब करने लगी जिसकी इस वक़्त उसकी चूत को जरुरत थी
अनु ने एक नज़र दरवाजे की तरफ देखा और फिर आराम से शेफाली की दोनो जांघे पकड़ कर अपनी जीभ अपनी माँ की चूत में गाड़ दी
“आआआआआआआआअहह…..मेरी बच्चीचीsssss …………………….उम्म्म्ममममममममममम……चाट ले…..जब से तूने बोला है, तब से टपक रही है ये…….इतना ना तरसाया कर…….खा जा मुझे………चूस डाल सारा रस……”
सुधीर तो शेफाली की ये हरकत देखकर बौरा सा गया…
उसका लॅंड पेंट से बाहर झूल रहा था, जिसे वो बुरी तरह से पीटने में लगा था
जैसा उसने सोचा था उससे लाख गुना ज़्यादा सैक्सी नज़ारा था ये
एक माँ बेटी को ऐसी हालत में चूत चटाई करते देखने का सोभाग्या किसी -2 को ही मिलता है
वो सपने देखने लगा की वो भी बगल में लेटा है और उसके सामने ये दोनो माँ बेटियाँ उसकी बात मानकर ऐसे ही चूसम चुसाई कर रही है
शेफाली की चूत इतनी गीली थी की अनु का मासूम सा चेहरा उसमें डूबकर ऐसा लग रहा था जैसे मक्खन से भरी कटोरी में मुँह दे मारा हो उसने
वो काफ़ी देर से अपनी चूत में एक तूफान समेट कर बैठी थी
इसलिए ज़्यादा टाइम नही लगा उसे ओर्गास्म के करीब पहुँचने में
वो खुद ही अपनी बेटी के चेहरे को अपनी चूत पर रगड़ती हुई जोरों से सिसकारी मारकर झड़ने के करीब पहुँच गयी
“उम्म्म्ममममममममममममम….आआआआआआआआअहह अनुउउउ…….माय डार्लिंग……..सक इत्त्त्टटतत्त……..ज़ोर से……………..आई एम् कमिंग माय लव….आई एम् कमिंग…….”
इतना कहते हुए उसने जोरदार पिचकारी मारनी शुरू कर दी अपनी बेटी के चेहरे पर, जिसे वो नींबू पानी समझ कर पीती चली गयी
और बाहर खड़े सुधीर सर के लिए इतना काफ़ी था
झड़ने के करीब तो वो भी कब से थे
पर अनु को अपनी माँ की चूत की मलाई चाटते देख, वो भी एक हल्की और दबी हुई हुंकार के साथ झड़ते चले गये….
वहीं दीवार पर उन्होने सारा माल दे मारा
और आख़िरी बूँद को भी निचोड़कर वो कांपती हुई सी आवाज़ में बोले : “मंजूर है मुझे ये शादी….मेरी बच्ची अनु……मैं करूँगा तेरी माँ से शादी….और उसके बाद ये सब मज़े लूँगा…तुम दोनो के साथ, जो तुम दोनो अकेले ले रहे हो….बीच में लेटकर”
अंदर और बाहर का तूफान समाप्त हो चुका था
उन्होने लॅंड को अंदर धकेला और अपना हुलिया ठीक किया, पास पड़े एक कपड़े से उन्होने दीवार को सॉफ किया ताकि कोई देख ना ले
और फिर अनु के रूम में जाकर बैठ गये पहले की तरह