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Incest घर-पड़ोस की चूत और गांड़, घर के घोड़े देंगे फाड़

ajey11

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बहुत ही रोचक कहानी है और इसमें काफी संभावनाएं है, अब तक तो मैंने सिर्फ भोजपुरी किरदारों के मुँह से ही गालियां सुनी थी,
आज अवधी के माध्यम से एक नया अनुभव मिला, इस कहानी में बस एक ही कमी है,
वो है अपडेट्स की रफ़्तार की, पिछला अपडेट 2021 में प्रकाशित हुआ था और फिर आज! :sad:
इतना धीमे कछुआ भी नहीं चलता ।
 

rajeev13

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इतना धीमे कछुआ भी नहीं चलता ।
एक और है vyabhichari भाई लेकिन उनकी भोजपुरिया कहानी का बहुत लंबा सा अपडेट हर माह आ ही जाता है,
मगर आपका क्या ? क्या फिर अगले साल की तैयारी है ?
 

Ranjhnaa

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अपडेट 19

सजिया, हैदर और औषधि


साजिया, हैदर को बकरी के दूध के साथ चुपचाप औषधि का सेवन कराने लगी । साथ में सविता के घर से लाई घी का डोज भी बढ़ा दिया जिससे शरीर पर कोई गलत असर न पड़े।
हैदर, उम्र में राजू और अम्बर से छोटा था । परदेस में भी रहता था इसलिए गांव में ज्यादा घुल मिल नहीं पाया था ।
राजू और अम्बर, साजिया की बुर की फिराक में थे इसलिए वह हैदर के साथ बातचीत भी करते तो अश्लील बातें नहीं किया करते थे।
हैदर की कम उम्र और बकरी का दूध जो कि स्वास्थ्य के लिए उत्तम माना जाता है, के कारण उसके लन्ड में अपेक्षा से ज्यादा वृद्धि हुई । भोर में जब हैदर उठता तो उसका लन्ड 9 इंच तक खड़ा हो जाता था आगे की ओर एकदम बर्मा (लकड़ी में छेद करने का एक यंत्र) जैसा हो जाता था क्योंकि ऊपर की चमड़ी पहले से ही साफ थी । हैदर का शरीर भी पतला हो गया था ।
जब हैदर की साजिया ने निगरानी की तो उसे महसूस हुआ कि हैदर का लन्ड बढ़ रहा होगा लेकिन वीर्य संचय कम हो रहा होगा । इसके लिए चाहिए था वसायुक्त गाढ़ा दूध या घी। हैदर को दूध तो बकरी का मिल ही रहा था ।
इसलिए साजिया एक दिन प्रेमा के घर से भी घी मांगने गई ।
प्रेमा: आ साजिया बैठ! बहुत दिनों बाद घर आई।
साजिया: हां !
प्रेमा: अनवर के जाने के बाद फिर तेरे चेहरे की रौनक कम हो गई।
सविता : का करूं। मरद तो मरद ही होता है ।
प्रेमा: और तेरी उस औषधि का क्या हुआ । हैदरवा कच्ची उमर का है संभाल के देना ।
साजिया: उसी के लिए तो आई हूं । घी चाहिए था ।
प्रेमा: डिब्बा दे घी मैं दे देती हूं । लेकिन ध्यान रखना हैदर का, कच्ची उमर है और ये जो अनाप शनाप औषधि लाई हो । इसका जब पूरा असर होगा तो हैदर अनाड़ी सांड़ बन जाएगा । फिर किस पर चढ़ेगा दयिउ (दातार्थ/ऊपर वाला) जाने ।
साजिया: हलाल हुई मै, औषधि लाई मै, तुम दोनों सहेलियों को दिया मैने, और एक एक साँड़ तैयार हुआ तुम दोनों के घर। अब मै क्या अकेली बैठी रहूं । मेरे घर भी तक साँड़ तैयार होना चाहिए ।
प्रेमा: पगली साँड़ तो तैयार हो जाएगा लेकिन अनाड़ी साँड़ चढ़ेगा किस पर? तेरे घर में तुझपे चढ़ गया तो ठीक, कहीं फिजा पर चढ़ गया तो अनर्थ हो जाएगा ।
साजिया: मुंह बंद करो, कुछ भी बकती हो । तेरे घर का साँड़ किस बछिया पर चढ़ रहा है तेरे ऊपर या अंजलि के ऊपर ।
प्रेमा खिसिया गई, उसे कोई जवाब नहीं मिला ।
प्रेमा: ठीक है, तू भी अब बहुत बोलने लग गई है। रुक मै घी भर के लाती हूं।
प्रेमा: ले पकड़ डिब्बा, भर दिया । ले जा खिला हैदर को ।
(मन ही मन एक बार हैदर का औजार तैयार हो जाये फिर मै देखती हूं तू कैसे संभालती है)
साजिया: ठीक है लाओ चलती हूं कुछ घर के काम भी कर लूंगी ।

इधर राजू जानवरों को चारा देने के बहाने कभी कभार अपनी चाची को चूंची मसलता, दूध दुहता,और पीता था चाची को भी अपने लवड़े से वीर्य का पान कराता । लेकिन लंबी चुदाई का अवसर नहीं मिल रहा था । रात को राजू को घर में बुलाकर चुदाना भी जोखिम भरा था । इसलिए एक दिन राजू और सविता ने तय किया कि अरहर में मिलेंगे दोनों। पहले मैं कुछ घास छील लूंगी और जोंधरी काट लूंगी और तू कुछ देर बाद आना ।

राजू और सविता का अरहर में खेल
(आई ऐम गोइंग अरहरिया मा घास छोलय)


दूसरे दिन सविता तय समय पर पहुंच गई और राजू भी थोड़ी देर से पहुंचने के बदले सविता से कुछ ही देर बाद पहुंच गया ।
सजिया जो बकरियों के लिए बाग से छोटी टहनियां तोड़कर लौट रही थी उसने दोनों को देख लिया इतने कम समयांतराल में अरहर में जाते हुए ।
उसका माथा ठनक गया । जल्दी जल्दी घर गई आधी टहनियां बकरियों को डालकर घर से बाहर आ गई। अब बहाना ढूंढने लगी कैसे अरहर में जाये । क्योंकि उसके घर तो अनवर ने शौचालय भी बनवा दिया था सुबह शाम बाहर शौच के लिए जाती तो आम बात थी लेकिन दोपहर कोई देखता तो बातें ही बनाता ।
जब कोई बहाना नहीं मिला तो घास छीलने के बहाने निकल गई जबकि बकरियों को घास की जरूरत नहीं होती जब तक पेड़ पौधे की पत्ती मिलती रहे ।

इधर राजू, चाची सविता को एक ऐसे कोने में ले गया जहां अरहर विरल थी जिससे वहां बड़ी बड़ी घास उग आई थी । राजू ने सविता से कहकर कुछ दूर की घास छिलवाई और खुद जल्दी जल्दी एक गट्ठर जोंधरी काट के किनारे रख दिया । कुछ अरहर के पेड़ जमीन पर लिटा दिए जिससे पर्याप्त जगह हो गई ।

दूसरी तरफ साजिया शक दूर करने के लिए एक खुरपी और एक पलरा लेकर हलचल के आधार पर राजू और सविता से पर्याप्त दूरी पर चुपचाप बैठ गई । लेकिन साफ कुछ दिख नहीं रहा था सिर्फ बातचीत की धीमी आवाज आ रही थी

राजू ने अपनी जेब से दाढ़ी बनाने वाली मशीन निकाली
सविता: राजू तू मशीन क्यों ले आया, समय यहां वैसे ही कम है ।
राजू: चाची तुम कभी झांट के इस जंगल को साफ तो करती नहीं हो, पिछली बार भी मैने ही साफ की थी।
सविता: तुझे चोदने से मतलब है कि झांट का सफाईकर्मी है ।
राजू: तुम्हारी बुर भी तो पीनी है, झांटे रहती हैं तो मुंह में चली जाती हैं ।
सविता: चल फिर जल्दी कर ।
राजू : 😄😄 जल्दी तुम करो चाची साड़ी तो उतारो।
सविता ने साड़ी उतार के किनारे रख दी और पेटीकोट उतार कर बैठ गई ।
राजू ने आहिस्ते आहिस्ते झांटे बनानी शुरू की तो सविता की भी आहिस्ते आहिस्ते आह ऊह सी शुरू हुई ।
सिसकारी सुनकर साजिया से रहा नहीं गया और वह धीरे धीरे राजू और सविता के इतने करीब आ गई कि देख सके ये दोनों क्या कर रहे हैं।
जब उसने देखा कि राजू सविता की झांट बना रहा है तो उसके होश उड़ गए, सविता के शरीर के कंपन देखकर उसकी भी चूत में खुजली होने लगी ।

राजू ने सविता की झांटे बना कर, अरहर की पत्तियों से बाल के कतरन झाड़ दिए। राजू का लन्ड चड्डी में फन फुलाये बैठा था। राजू खड़ा हुआ और अपनी चड्डी उतार कर फेंक दी । सविता तो आकार से पहले ही वाकिफ थी लेकिन शाजिया ने जब राजू का इतना बड़ा लन्ड झूलता हुआ देखा दो उसकी चूत मचल उठी । पहले वह उकडू बैठी थी अब उसने नाड़ा खोलकर सलवार को चूतड़ के नीचे से निकाल कर ऊपर कर लिया और चूतड़ के बल बैठ गई ।
राजू भी दोनों पैर फैलाकर चूतड़ के बल बैठ गया और चाची तो पहले से ही बुर फैलाए बैठी थी लेकिन अरहर में कोई आ न जाए भांति भांति के प्रश्न के कारण उत्तेजना चरम पर नहीं थी ।
राजू नीचे बैठकर सविता चाची को पास खींचकर पैर आरपार कर लिया जिससे सविता की चूत और राजू का लन्ड पास पास आ गए । लेकिन राजू ने चूत में लन्ड डालने के बजाय होंठ से होंठ मिलाकर चुम्मा शुरू कर दिया। इधर राजू और सविता एक दूसरे के होंठ पीते नीचे लन्ड और बुर एक दूसरे का होंठ पीते।
दूसरी तरफ शाजिया मन ही मन बड़बड़ाए जा रही थी ये सविता बुरचोदी बहुत चतुर निकली भतीजे से मजा ले रही है मुझे कानोंकान खबर नहीं वो प्रेम गांड़चोदी भी कहीं न कहीं बुर मरवाती होगी यही सब बुदबुदाते हुए अपनी चूत रगड़े जा रही थी
राजू चुम्मा छोड़कर चूचियां मिंजनें लगा तो गरमाई सविता लन्ड हाथ से पकड़कर चूत में सटाने लगी तो राजू ने मना किया ।
राजू: आज लन्ड खुद ही चूत का रास्ता ढूंढेगा
राजू चूंची पी रहा था और नीचे लन्ड चूत में फुच फुच कर रहा था कभी इधर सटक जाता कभी उधर सटक जाता।
सविता से रहा नहीं गया तो एक बार जैसे ही लन्ड ने चूत में थोड़ा सा घुसने का प्रयास किया वैसे ही राजू की पीठ पकड़कर कसने लगी और चूत आगे खिसकाकर लन्ड को चूत में लीलने लगी । तभी राजू भी कसकर आगे खिसका और पूरा लन्ड चूत में उतार कर अचानक रुक गया । सविता भी रुकी । लेकिन राजू ने तो तेज झटके लगाकर अचानक लन्ड निकालकर खड़ा हो गया । सविता तड़फड़ाने लगी ।
सविता:आह आह आह, हरामजादे! ये क्या कर रहा है ।
इतना बोलने में सविता का मुंह खुलते ही राजू ने लन्ड सविता के मुंह में डाल दिया । सविता गुटर गूं गुटर गूं करने लगी लेकिन राजू का चूत से निकाला हुआ लन्ड बौराया हुआ था । दोनों हाथों से सिर पकड़कर मुंह को ही बुर की तरह चोदने लगा । नीचे सविता की बुर तड़फड़ा रही थी इसलिए सविता जोर जोर से रगड़ रही थी । रगड़ते रगड़ते जब लन्ड नहीं मिला तो सविता ने रजोरस के मिश्रण से भरा हुआ मूत मूत दिया, मूतते समय हर धार के साथ सविता की पूरी गांड़ उठ जाती थी और पेशाब बहुत ही जलन भरी थी। राजू के लगातार मुंह चोदने के कारण लन्ड ने भी वीर्य उगल दिया जो सविता के हलक को सींच गया । सविता भी पेशाब के बाद थोड़ा होश में आई और बड़े ही प्रेम से राजू का लन्ड पीने लगी। दूसरी तरफ साजिया अचंभित थी सविता के मुख चोदन से और चूत से तो धाह निकल रही थी।
सविता के चूसने से राजू का लन्ड दोबारा खड़ा होने लगा । धीरे धीरे पूरा फनफनाने लगा लेकिन सविता की चूत में बड़ी जलन हो रही थी । और राजू भी जानता था दूसरी बार का खड़ा हुआ लन्ड जल्दी बैठेगा नहीं और सविता के मुंह को घायल भी कर देगा । इसलिए लन्ड मुंह से बाहर निकाल लिया।
सविता: अब तू बुर चूस इस तरह अचानक लन्ड को जड़ तक डालकर नहीं निकाला जाता, बहुत जलन हो रही है।
राजू ने सविता की बुर पर मुंह रखा और लगा चूसने क्लीटोरिस को, सविता की सारी जलन दूर हो गई।
सविता: आह आह आह, चूस और तेज चूस, इसमें से भी दूध निकाल आह आह आह
राजू: हां चाची मैने भी सुना है चुम्मा के थूक से लौंडों की तबियत हरी होती है, चूंची के दूध से शरीर हरा होता है और चूत में दूध से तबियत, शरीर, दिमाग लन्ड सब हरा हो जाता है।
सविता: तू बकवास बंद करके चूस या तो लन्ड को डाल दे ओखली में भगशिषनिका कूटने के लिए। आइ आई आह
राजू ने अपना मुंह हटा लिया और लन्ड को चाची के हाथ में थमा दिया
राजू: लो चाची जो करना है करो।
सविता: मैं झुक रही हूं पीछे से डाल
राजू: ठीक है झुक जाओ लेकिन लन्ड तो तुम्हे ही डालना पड़ेगा।
और राजू पीछे सटकर खड़ा हो गया।
चूत की आग में बौराई सविता झुककर नीचे से एक हाथ से लन्ड को चूत पर सटा कर पीछे की ओर खिसक गईं ।
सविता: बेटा अब चक्की चालू कर दे।
राजू ने झुककर सविता की दोनों चूंची पकड़कर एक्सीलेटर दिया और मारा धक्का घचघच घचघच ।
सविता: आहि रे आह आह ई ऊ मार धक्का मादरचोद दम लगा के
राजू: गरिया काहे रही हो चाची ।
सविता: लगा जोर से फाड़ दे इसको रोज खुजलाती रहती है । आअआअ आह
राजू:आह चाची, ये ले
लगा राजू धक्का पेलने 10 इंच लंबा और मोटा लन्ड वीर्य और सफेद पानी से सन गया था लेकिन मोटाई ज्यादा होने के कारण गाढ़ा धक्का लग रहा था जिससे सविता बौरा रही थी और अनाप शनाप बक रही थी ।
सविता: प्रेमा ने बचपन में दूध नहीं पिलाया क्या या य ..... और तेज कर आह आह आ अआआह...
राजू ने सविता की चूंचियों को दो बार ऐंठा और पूरा जोर लगाके धक्के मारने लगा और चूंचियां मसलता रहा । करीब दस मिनट की चुदाई के बाद सविता आअआआअह आअआआ ह......... आईईईआईईई......करके झड़ गई । तब जाकर चूंचियों के मसलने से हो रहा दर्द महसूस हुआ। लेकिन राजू धक्के लगाए जा रहा था । सविता के झड़ने के बाद उसकी बुर लन्ड को पकड़ने लगी जिससे राजू का लन्ड चूत में रगड़ते हुए झड़ने लगा। और लन्ड निकालकर सविता के मुंह में डाल दिया
राजू : ये लो चाची विटामिन पियो ....आह..
सविता भी चुभला चुभला कर पूरा वीर्य निचोड़ लिया ।
दोनों चूतड़ के बल नीचे बैठ गए ।
फिर राजू ने सविता को गोद में बिठाकर चूंची से एक बार फिर दूध पिया चुम्मा लिया और बैठकर बातें करने लगे ।
सविता: मजा आया !
राजू: बहुत ! ऐसी चाची आस परोस के पुरवा में नहीं मिलेंगी ।
सविता: मेरा भतीजा भी तो घोड़ा है, ऐसे घोड़े के आगे तो कोई भी घोड़ी हिनहिनाने लगेगी ।
दूसरी तरफ साजिया, सविता और राजू की चुदाई देखकर दहक रही थी, चूत में लगातार उंगली कर रही थी लेकिन मोटी होने की वजह से पूर्ण चरम प्राप्त न कर सकी बल्कि कई बार पेशाब के साथ छर्र छर्र करके कई बार झड़ने के कगार पर पहुंची ।
जब सविता, राजू की चुदाई बंद हुई और दोनों बाहर निकलने की बात करने लगे तो सविता भी नाड़ा बंद करके चुपके से बाहर निकली। सविता और राजू दोनों शांत पड़ गए थे इसी वजह से अरहर के खेत में प्रशांत वातावरण बन गया था । शाजिया शुरूआत में बहुत ही सम्भल के अपने स्थान से हटी किंतु बाहर निकलते समय जल्दी कर दी । शांत वातावरण में राजू और सविता को खरखराने की आवाज आई । दोनों ने नजर गड़ा के देखी लेकिन सिर्फ इतना पता चल सका कोई गुलाबी सूट सलवार पहने हुई है और गांड़ मोटी है । और अरहर से भाग कर गई है ।
सविता और राजू के कान खड़े हो गए ।
ज्यादा चिंतित सविता थी । क्योंकि किसी को पता चला तो सारी गलती सविता की मानी जाएगी ।
सविता: चल तू जल्दी जल्दी निकल । मैं घास और जोंधरी लेकर आती हूं ।
राजू: मुझे तो लग रहा है शाजिया है उसी की इतनी मोटी गांड़ है।
सविता:मुझे भी उसी पर शक है, लेकिन जब तक पक्का पता न कर लूं कुछ नहीं कह सकती, कभी कभार गांव की दूसरी औरतें भी सलवार सूट पहन लेती हैं खेत या जानवर का काम करने के लिए। और तू अब तक क्या कर रहा है जा यहां से।
दोनों अलग अलग समय पर अरहर से बाहर आ गए । साजिया पहले ही घर पहुंच चुकी थी ।
Mast update h mja AA gya👅👅👅
 
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rajeev13

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Sorry! शुरुआत में व्यस्तता के कारण अपडेट नहीं दिए बाद में भूल गया । इसी मंथ में लॉगिन किया तो कहानी को आगे बढ़ाने के बारे में सोचा । कहानी का कौन सा अपडेट कहां पर है सब भूल गया था । पूरी कहानी एक बार पढ़ी उसके बाद लिखना शुरू किया । अगला अपडेट एक सप्ताह बाद देने की कोशिश करूंगा ।
चलिए कोई नहीं.. देर आये दुरुस्त आये, अगले अपडेट की प्रतीक्षा करूँगा... :happy:
 
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urc4me

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Yahan tak ki kahani Romanchak hai. Risto ka kamuk sangam ki tarah ki hi kahani hai. . Pratiksha agle rasprad update ki
 
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sunoanuj

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बहुत ही कामुक अपडेट दिया है अब शाजिया को भी पिलवा दो!

कहानी को दुबारा से शुरू करने की बहुत बहुत शुभकामनाएँ !
 

Dirty_mind

No nude av allowed. Edited
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दोपहर हुई दोनो निकल पड़ी बाबा की कुटिया की ओर। सविता तो मन ही मन मुस्कुरा रही थी यह सोचकर की बाबाजी आज प्रेमा की कसके बजाएंगे और मै जैसे गाय के ऊपर सांड चढ़वाते हैं वैसे ही प्रेमा के ऊपर बाबाजी चढ़ेंगे। लेकिन प्रेमा ऊहापोह की स्थिति में थी उसे शर्म आ रही थी बदन में झुरझरी। भी छूट रही थी क्योंकि बाबाजी का ऊपर बदन तो लगभग नंगा ही रहता था जिसे प्रेमा ने आते जाते देखा था। बाबाजी का बदन कसरत करने की वजह से बिलकुल ठोस और चिकना था लेकिन सीने पर घने बाल थे झांट में तो एक दम जंगल लगा हुआ था।
प्रेमा और सविता बाबाजी की सुनसान कुटिया पर पहुंच गई, बाबाजी वहीं अपना लंगोट ढीला करके विश्राम कर रहे थे।
सविता: बाबाजी! मै प्रेमा को लेकर आ गई।
बाबाजी ने चालाकी से लंड को पीछे खींच लिया, लंगोट सही किया और बोले आ जाओ सविता आई प्रेमा।
सविता: चल प्रेमा अंदर
प्रेमा: मुझे असहज लग रहा है।
सविता: चल मै भी तो चाल रही हूं।
दोनो अंदर गईं, बाबाजी ने एक बार फिर से पूरा वाकया प्रेमा को सुनाया तो उसे भी अब ये काम उसकी जिम्मेदारी लगने लगी । उसने कहा ठीक है बाबाजी । हालांकि इतनी दोपहर में कोई वहां नही जाता था लेकिन फिर भी बाबाजी ने कुटिया के गेट पर बांस की फट्टी से बनाया हुआ गेट रख दिया।बाबाजी ने पेट अंदर खींचकर लंड को पीछे खींच रखा था लेकिन लंड से वीर्यरस लगातार इस रहा था । बाबाजी ने सविता को इशारा किया उसने प्रेमा को घोड़ी बनने के लिए कहा। प्रेमा सविता से कहने लगी मुझे डर लग रहा है पहले मै देखूंगी कितना बड़ा है तो बाबाजी ने वही मुरझाया हुआ लंड दिखा दिया बाबाजी का बिना खड़ा हुआ आठ इंच लंबा और साढ़े तीन इंच मोटे लंड को प्रेमा झांटों के जंगल के कारण साढ़े छः इंच का समझ बैठी और घोड़ी बन गई । सविता ने प्रेमा की साड़ी और पेटीकोट एक साथ पकड़कर ऊपर खींच दिया । बाबाजी को चुदाई का कोई खास ज्ञान नहीं था लेकिन हथियार तगड़ा था और उन्हें तो सिर्फ लंड की आग बुझाने थी । बाबाजी प्रेमा के पीछे आकर खड़े हुए । बाबा ने प्रेमा की चूत हाथ से ढूंढना चाही लेकिन उन्हें गांड़ का छेद हाथ लगा क्योंकि प्रेमा ठीक से झुकी नही थी प्रेमा की गांड़ गरम गरम महसूस हुई । बाबाजी ने छेद ढूंढने के चक्कर में गांड़ में ही उंगली डाल दी। प्रेमा कसमसाने लगी। बाबाजी ने प्रेमा की रीढ़ पकड़ कर दबाई जिससे उसकी चूत थोड़ा और ऊपर आई और सविता से कहकर प्रेमा के बिलाउज का बटन खुलवा दिया क्यूंकि बाबाजी को पकड़ने के लिए कुछ नही मिल रहा था। आखिरकार बाबाजी के हाथ ने चूत का छेद ढूंढ ही लिया लेकिन बाबाजी के हाथ की दो उंगलियां प्रेमा की चूत में फिसल कर घुस गईं प्रेमा छटपटाकर मूतने लगी। बाबाजी ने उसके मूतने का इंतजार किया और सोचने लगे ये मां बेटियां दोनो मूतने में बड़ी तेज हैं और ध्वनि गजब निकलती है। प्रेमा से अब बर्दाशप्रे से बाहर हो रहा था और उसने सविता से कहा अब खड़ी क्या है जल्दी डलवा दे रे । प्रेमा की चूत का आकार बड़ा था क्यूंकि वो दो बच्चों की मां थी लेकिन बाबाजी जी को पता था कि उनका खड़ा लंड प्रेमा की चूत में नही जाएगा। तो उन्होंने एक बार फिर अपने पेट को अंदर खींचा और आधे लंड को हाथ से धकेलकर अंदर कर दिया प्रेमा बोली आह! बाबाजी ऐसे ही। प्रेमा की चूत में जाते ही बाबाजी का लंड कंट्रोल से बाहर हो गया बाबाजी जी का पेट बाहर आया और लंड फूलने लगा बाबाजी ने तुरंत पूरे लंड को अंदर कर दिया अब लंड फूलकर चार इंच का हो गया । अब प्रेमा की चूत की दीवारें चरचराने लगी जब लंड ने पूरा 12 x 4.5 इंच का आकार लिया तो प्रेमा के मुंह से तेज आवाज निकली अरे माई रे जिससे बाहर नीम के पेड़ पर बैठे पंछी भी उड़ गए । बाबा जी ने लंड को बाहर निकालना चाहा लेकिन उनका लंड प्रेमा की बुर में फंस गया था और बुर के आस पास खून रिस रहा था। प्रेमा को चक्कर आ गया। सविता और बाबा दोनो डर गए। फिर सविता ने प्रेमा की ब्लाउज और साड़ी उतार फेंकी पेटीकोट को भी सिर के रास्ते निकाल लिया। उसके बाद किसी गाय की तरह उसके सिर को सहलाने लगी और बाबाजी को उसकी दोनो चूंचियां पकड़ाई और मसलने के लिए कहा। बाबाजी ने दोनो चुचियों को पकड़कर मसला और सविता ने प्रेमा की चूत के पास सहलाना शुरू कर दिया। अब जाकर प्रेमा को थोड़ा होश आया ।( प्रेमा: बहुत धीमी आवाज में) सविता तूने आज मुझे मरवा दिया आज मै पता नही घर जा पाऊंगी या नहीं। सविता के सहलाने की वजह से प्रेमा की चूत थोड़ी ढीली हुई और प्रेमा ने इतना भावुक हो कर चार शब्द बोले थे तो उसने प्रेमा की पीठ पकड़कर उसे आगे खींच लिया बाबाजी का लंड टप्प की आवाज के साथ निकल गया । प्रेमा वहीं गिर गई। कुछ देर में उसे फिर होश आया और उसने बाबाजी का लंड देख लिया । प्रेमा डर के मारे सविता के पीछे छुप गई। बाबाजी का लंड फूलकर दर्द कर रहा था। बाबाजी ने अपने संदूक से एक लेप निकाला और सविता को दे दिया उसने प्रेमा की चूत कर लगाया प्रेमा की चूत का दर्द गायब हो गया । दोनो ने पकड़कर प्रेमा को फिर से खड़ा किया रीढ़ दबाई और लंड अंदर तक डाल दिया प्रेमा फिर बेहोश हो गई लेप ने दर्द तो गायब कर दिया लेकिन घाव को तुरंत नही ठीक कर सकता था। सविता के पास दो जिम्मेदारी थी गाय को भी घर भी ले जाना था और सांड को भी चढ़वाना था। सविता ने रिस्क लिया और प्रेमा की बेहोशी में ही बाबाजी को लंड चलाने के लिए कहा ताकि रास्ता बन जाए। बाबाजी ने लंड चलाना शुरू किया तो बिलकुल जाम था।
सविता: बाबाजी लंड को एक बार बाहर निकालो इस पर ढेर सारा थूक लगाकर प्रेमा के उठने से पहले पेल दो।
बाबाजी ने लंड निकाला देर सारा थूक लगाया और दोबारा लंड प्रेमा की चूत में पेल दिया।
सविता: धक्के लगाओ बाबाजी नही तो गड़बड़ हो जाएगी।
बाबाजी ने धक्के लगाने शुरू किए धीरे धीरे रास्ता बनना शुरू हुआ, दर्द खत्म करने वाला लेप तो लगा ही हुआ था। सविता ने बाबाजी को लंड चूत में ही डालकर चुपचाप खड़ा रहने की सलाह दी और दोनो प्रेमा के होश आने का इंतजार करती रहे। इस बीच बाबा प्रेमा की दोनो चूंचियों को मसलते रहे और सविता प्रेमा की चूत और गांड़ के इलाके को सहलाकर नरम करती रही । आखिरकार प्रेमा को होश आया उसकी चूत कई जगह छिल गई थी लेकिन दर्द गायब था। लंड अंदर बाहर होने से प्रेमा की चूत से भी काम रस बह रहा था अब उसे भी लंड का अंदर होना अच्छा लग रहा था लेकिन घोड़ी बनने के कारण वो कुछ कर नही सकती थी। उसने खुद को आगे बढ़ाया और बाबा का लंड टप्प से कर के फिर बाहर आ गया। इस बार प्रेमा ने आगे से लंड लेने के लिए मुड़ी तो सविता ने उसकी आंखे ढंक दी। बाबाजी ने दोनो हाथों से प्रेम को पकड़ा और लंड को नीचे से घुसेड़ते हुए ताबड़तोड़ धक्कों की बौछार कर दी इस बार प्रेमा को चक्कर नही आया इसलिए वो छटपटाने चिल्लाने लगी।
प्रेमा: अअ अ रे मा आ आ आ ईईई रे कंचअ अ नवा के माई आज मरवावे ले आई है।
आह आ ईई ईई ऊऊह आ आ आ सी ईई आह
जब उसकी चूत चर्राने लगी तो उसने बाबाजी को नोचना शुरू कर दिया तो सविता ने उसका दोनो हाथ पकड़ रस्सी से बांध दिया । सविता ने बाबाजी को बताया और वो चोदते चोदते प्रेमा का दूध पीने लगे अब प्रेमा भी धक्के में साथ देने लगी और अब विरोध करना बंद कर दिया।
बाबा का पूरे जीवन का वीर्य इकट्ठा था । आधे घंटे चली चुदाई में दो बार झड़ने के बावजूद बैठा नही इतने में प्रेमा पांच बार झड़ चुकी थी और वहीं गिर के सोने लगी चूत पूरी जलते वीर्य से भर गई थी। अब क्या किया जा सकता था । एक ही विकल्प था सविता की चूत मारी जाए लेकिन समस्या ये थी उसे कौन पकड़ता । फिर दोनो वापिस कैसे जाएंगी।
सविता ने कहा प्रेमा की गांऽऽऽऽऽऽड और चुप हो गई। जब दो बच्चे निकालने वाली चूत न सह पाई बाबाजी के खूंटे तो गांड़ कैसे सह सकती थी तो यह विकल्प भी नहीं था।
फिर सविता ने बाबाजी को प्रेमा को फिर से तैयार करने की सलाह दी । बाबाजी ने प्रेमा की दोनो चूंचियों से जबरदस्ती 200-200 ml दूध खींचा, उसके बाद सविता की सलाह पर चूत को चाटना शुरू किया। बाबाजी ने चूत को चाटने की बजाय चूसना शुरू कर दिया जिससे अंदर की कोशिकाएं बाहर की ओर खिंचने लगीं और प्रेमा को तेज गुदगुदी लगी वह आह आह आह बाबाजी अपना मूसल डाल दो आह बाबाजी इस बार अपने आसन पर बैठकर प्रेमा को अपनी गोद में बिठा लिया और उसके होंठों को चूसने लगे ।बाबाजी का लंड प्रेमा की गांड़ की दरार में घुस रहा था। प्रेमा ने मदहोशी में बाबाजी जी का लंड चूत पर लगाकर धीरे बैठ गई। इस बार बाबाजी होंठ और चूंची चाटते रहे प्रेमा ने खुद ही उछल उछलकर चुदाई की और झड़ गई । बाबाजी प्रेमा की चूत में लंड डाले हुए ही उठे साथ में ही प्रेमा को भी दोनों हाथों से उठाया और सविता को प्रेमा के दोनो हाथ पकड़ने को कहा जो इन दोनो की चुदाई देखकर अपनी चूत में उंगली कर रही थी। बाबाजी ने रफ्तार पकड़ी और सटा सट सटा सट चोदना शुरू कर दिया प्रेमा आह आह करती रही उसके आंख से आंसू भी ढुलकते रहे। करीब 35 मिनट चोदने के बाद बाबाजी का लंड झुक गया। उन्होंने तुरंत ही अपना लंगोट बांध लिया। प्रेमा निढाल हो गई । बाबाजी ने एक कपड़े से प्रेमा की बुर पोंछी और लेप लगाया, चुंचियो पर भी लेप लगाया। उसे सविता से कपड़ा पहनवाया और अपने बिस्तर पर लिटा दिया माथे पर थोड़ा पानी छिड़क दिया।
सविता की चूत बेचारी तड़पती रही।
सविता ने बीस मिनट बाद प्रेमा को उठाया वह उठ गई बाबा जी ने दोनो को हल्का भोजन करवाया, शरबत पिलाया तब जाकर प्रेमा का चित सही हुआ।
बाबाजी: ठीक है फिर तुम लोग जाओ अब फिर मिलेंगे।
प्रेमा: नही ऐसे कैसे चली जाऊंगी।
सविता की चूत में तो आग लगी ही थी वह बोल पड़ी।
सविता: तो क्या अपनी गांड़ फी फड़वाएगी।
प्रेमा: नही सविता बुरचोदी... तुमने मुझे लाकर फंसा दिया ... जान तेरी चूत बाबाजी नही फाड़ेंगे तब तक नहीं जाऊंगी। प्रेमा हाथ धोने के लिए बाहर जाने को उठी लेकिन लठखड़ाकर गिर पड़ी।
सविता: प्रेमा गांड़चोदव तुम्हे घर तक कौन छोड़ेगा।
बाबाजी: प्रेमा! सविता सही कह रही है।
प्रेमा: ठीक है लेकिन बाबाजी वादा करो कि एकदिन इसकी भी चूत के साथ ही गांड़ भी फाड़ोगे।
बाबाजी: इसके बारे में सविता से पूछो।
प्रेमा: क्यों रे सविता रण्डी मुझे क्यों बहलाकर ले आई ।
सविता: ठीक है मै तैयार हूं जब तू कहे प्रेमा बुरचोदी ।
प्रेमा: अब बताओ बाबाजी! जब इसे लाऊंगी तो इसकी चूत फाड़ोगे की नही?
बाबाजी: (मन में सोचते हुए सविता ने आज मेरी बहुत मदद की है) ठीक है सविता तैयार हो तभी लाना।
सविता सहारा देते हुए प्रेमा को घर लाई। और चंद्रभान को कमर में मोच का बहाना बता दिया ।


बाबा जी का लंङ

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