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Incest घर की जवान बूरें और मोटे लंड - [ Incest - घरेलू चुदाई की कहानी ]

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पायल किस से अपनी सील तुड़वाये ?

  • पापा

    Votes: 196 70.0%
  • सोनू

    Votes: 80 28.6%
  • शादी के बाद अपने पति से

    Votes: 4 1.4%

  • Total voters
    280
  • Poll closed .

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Well-Known Member
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अपडेट ९:

पायल बाथरूम से बाहर आती है. एक बार फिर वो अपने आप को आईने के सामने खड़े हो कर निहारती है. अपनी बड़ी बड़ी चुचियाँ देख कर मुस्कुराते हुए वो एक दुपट्टा लेती है और अपने कंधो पर डाल लेती है. तेज़ क़दमों से चलते हुए वो ड्राइंग रूम के पास आती है. सामने सोफे पर उमा देवी, सोनू और उर्मिला अपनी अपनी जगह पर बैठे है और चाय पी रहे है. पापा को वहां ना पाकर पायल की नज़रें उन्हें ढूंढने लगती है. नज़रे चारों तरफ घुमाते हुए पायल सोफे के पास जाती है और धीरे से बैठ जाती है.

उर्मिला : क्या देख रही हो पायल?

पायल : कुछ नहीं भाभी. वो पापा कहीं दिखाई नहीं दे रहे?

उमा :लो आ गई अपने पापा की लाड़ली..... बाथरूम गए हैं. अभी आ जायेंगे.

पायल मम्मी की तरफ देख के मुहँ बना देती है. उर्मिला किसी तरह अपनी हँसी को रोकती है. तभी उसकी नज़र सोनू पर जाती है. सोनू तिरछी नज़रों से दुपट्टे के निचे से पायल का उभरा हुआ सीना देखने की कोशिश कर रहा था. "शुरू हो गया बहनचोद , उर्मिला मन में सोचती है. तभी बाबूजी बाथरूम से बाहर आते है. उर्मिला उन्हें देख कर रसोई से उनके लिए चाय लेने के लिए उठने लगती है. तभी पायल उर्मिला का हाथ पकड़ के निचे बिठा देती है.

पायल : भाभी आप चाय पीजिये. पापा के लिए मैं चाय ले कर आती हूँ. (पायल रसोई में चली जाती है).

बाबूजी सोफे पर अपनी जगह आकर बैठ जाते है. उन्हें देख के उमा कहती है.

उमा : अरे ...!! आप यहाँ क्यूँ बैठ रहें हैं? जाईये...अपनी पहलवानी कीजिये..

रमेश: देखो उमा..!! तुम मेरी कसरत पर नज़र मत लगाया करो मैं बोले दे रहा हूँ...

उमा : अजी मैं कहाँ नज़र लगा रही हूँ? मैं तो बस ये कह रहीं हूँ की सर के सारे बाल सफ़ेद होने को आ गए हैं, (सोनू के सर पर हाथ फेरते हुए) एक घोड़े और (रसोई की तरफ मुहँ बना के देखते हुए) एक गधी के बाप हो फिर भी आपकी जवानी ख़तम नहीं होती.

रमेश : (थोड़ी ऊँची आवाज़ में) गधा होगा तुम्हारा ये लाड़ला .... मेरी पायल बिटिया के बारें में कुछ मत बोलना....

उर्मिला : (हँसते हुए) बात तो बाबूजी की सही है मम्मी जी. पायल बेहद समझदार और सायानी लड़की है.

उमा : (हँसते हुए) ठीक है, फिर गधी नहीं तो घोड़ी हे सही...

उमा की इस बात पे सब हँस पड़ते है. उर्मिला रसोई में देखती है तो पायल चुप चाप एक कोने में खड़ी है.

उर्मिला : मम्मी जी main २ मिनट में आयी...

उर्मिला रसोई में पायल के पास आती है. उसके कंधे पर हाँथ रखते हुए कहती है.

उर्मिला : पायल...!! क्या हुआ? तू तो बाबूजी के लिए चाय लेने आई थी? यहाँ ऐसे सर झुकाए क्यूँ खड़ी है?

पायल का सर झुका है और नज़रें निचे रखे चाय के प्याले पर. वो कुछ क्षण वैसे ही प्याले को देखती है और कहती है...

पायल : कहानी और रियल लाइफ में बहुत फर्क होता है भाभी....

इतना कहते ही पायल की आँखे बड़ी हो जाती है. वो झट से बड़ी आँखों से उर्मिला की ओर देखने लगती है. उर्मिला पायल को देख मुस्कुरा रही है. पायल को अपनी गलती का एहसास होता है. उसने अनजाने में ही शायद पापा के लिए अपने जज़्बात को भाभी के सामने ज़ाहीर कर दिया था. वो जानती थी की जिस कहानी की किताब को पढ़ के उसके दिल में पापा के लिए भावनायें जागी थीं, वो किताब उसे उर्मिला ने ही दी थीं. पायल बड़ी बड़ी आँखों से उर्मिला को देख रहीं थीं. उर्मिला ने भी उसकी हालत समझते हुए उसे अपने सीने से लगा लिया. पायल भी भाभी के सीने में मुहँ छुपा लेती है. वो जानती है की इस वक़्त उसके मन में जो उथल पुथल हो रही है वो सिर्फ उर्मिला ही समझ सकती है.

उर्मिला : (पायल को अपने सीने से लगा लेती है) कोई बात नहीं पायल. ऐसा होता है. हर बात का एक समय होता है. शायद जो तू अभी चाह रही हो, उसका अभी ना तो समय हो और ना ही जगह.

पायल : (उर्मिला की बात सुन कर भाभी को देखते हुए) मैं कुछ समझी नहीं भाभी...

उर्मिला पायल को देख के मुस्कुराती है. फिर उर्मिला पायल को उस दिशा में घुमा देती है जहाँ सोफे पर रमेश, उमा और सोनू बैठे हैं. पायल उन्हें देखने लगती है. उर्मिला अपना चेहरा पायल की कंधे पर लाती है और धीरे से उसके कान में कहती है.

उर्मिला : देख पायल, बहादुरी दिखाना अच्छी बात है लेकिन ये जरुरी नहीं की बहादुरी सबके सामने दिखाई जाए...(उर्मिला पायल की ठोड़ी पकड़ के सोनू और उमा की तरफ उसका चेहरा घुमाते हुए कहती है. फिर वो उसका चेहरा बाबूजी की तरफ घुमा कर कहती है) अगर अपनी मंजिल को पाना हो तो तू बहादुरी अकेले में दिखा, चालाकी के साथ.

पायल के लिए उर्मिला की वो बात किसी ब्र्हम्ज्ञान से कम ना थीं. बात समझते ही पायल के उदास चेहरे पर एक मुस्कराहट आ जाती है. वो शर्माते हुए फिर से अपना चेहरा उर्मिला के सीने में घुसा देती है.

पायल : भाभी....!!!

उर्मिला : (उर्मिला पायल का चेहरा हाथों से उठा के कहती है) समझ गई ना बन्नों?

पायल नज़रें झुकाये अपना सर हिला कर हामी भर देती है. उर्मिला उसका दुपट्टा ठीक करते हुए कहती है.

उर्मिला : अब जा और बाबूजी को चाय दे दे. और हाँ... बहादुरी अकेले में. सबके सामने वाला मोर्चा तेरी भाभी संभाल लेगी.

पायल भाभी को देख के हँस देती है और चाय का प्याला ले कर बाबूजी के पास जाती है. वो अब दुपट्टे को बिना गिराए बाबूजी को चाय देती है.

पायल : पापा... आपकी चाय...

रमेश : थैंक्यू बिटिया....क्या बात है? बड़ी देर लगा दी चाय लाने में?

पायल : वो पापा...वो...वो...

पायल समझ नहीं पा रही थीं की वो क्या जवाब दे. तभी उर्मिला पायल का हाथ पकड़ कर उसे अपनी गोद में बिठा लेती है.

उर्मिला : वो वो क्या कर रही है? बता दे ना.... वो क्या है बाबूजी...पायल ने आपकी चाय में थोड़ा दूध डाल दिया था (उर्मिला दुपट्टे के निचे से पायल की चूची दबा देती है), इसलिए चाय गरम करने में देरी हो गई...

उर्मिला की इस हरकत से पायल के चेहरे का रंग उड़ जाता है. पर सबके सामने वो बेचारी करती भी क्या?

रमेश : (हँसते हुए) ओह अच्छा....

उर्मिला :चाय पी कर बताइए बाबूजी, दूध सही मात्रा में डाला हैं ना पायल ने?

रमेश : (चाय की एक चुस्की ले कर) वाह...!! मज़ा आ गया. दूध की मात्र बिलकुल सही है और स्वाद भी बहुत अच्छा है.

उर्मिला : देखा पायल..! दूध की मात्र भी सही है और स्वाद भी (उर्मिला एक बार फिर दुपट्टे के निचे से पायल की चूची दबा देती है. बेचारी पायल चुप चाप कसमसा के रह जाती है) बाबूजी, पायल अब बड़ी और सायानी हो गई है. कल मुझसे कह रही थी की, भाभी अब मैं पापा को भी बोझ उठा सकती हूँ...

ये सुन कर पायल हक्कि-बक्की रह जाती है. वो समझ नहीं पाती की क्या बोले और क्या करे. तभी उमा बोल पड़ती है.

उमा : बड़ी और सायानी नहीं, बड़ी घोड़ी कह उर्मिला. बड़ी घोड़ी है ये....

उर्मिला : तो ठीक है मम्मी जी... पायल घोड़ी बन के बाबूजी का बोझ उठा लेगी (उर्मिला धीरे से पायल की चुतड पर चुटकी काट लेती है)

इस बात पर सभी हँसने लगते है और पायल का बुरा हाल हो जाता है. उर्मिला के बात की गहराई और असली मतलब वो अच्छी तरह से समझ रही थी. वो चेहरे पर बनावटी हँसी ला कर सबका साथ देती है.

रमेश : देखो भाई..!! पायल घोड़ी बन के बोझ उठाये या कुछ और... मैं तो बस इतना जानता हूँ की मेरी पायल मेरा बोझ उठाने लायक हो गई हैं...

उर्मिला : (पायल के सर पर हाथ फेरते हुए) क्यूँ पायल? उठा लेगी ना पापा का बोझ?

पायल : जी ..जी भाभी...!! (पायल झट से खड़ी हो जाती है). अच्छा भाभी मुझे कॉलेज का कुछ काम याद आ गया. अब मैं चलती हूँ...(और पायल नज़रें झुका के तेज़ क़दमों से अपने कमरे की तरफ बढ़ने लगती है)

पायल के जाने के बाद सभी चाय पीते हुए हँसी मजाक करने लगते हैं. इधर पायल अपने कमरे में आती है. दरवाज़ा बंद करके वो बिस्तर के पास आती है. साँसे तेज़ है, चेहरे पर थोड़ी शर्म और मुस्कराहट. भाभी की दूध वाली बात याद कर के एक हाथ से अपनी चूची दबाते हुए वो हँस देती है. बिस्तर पर बैठते हे उसे भाभी की घोड़ी वाली बात याद आती है. वो धीरे से बिस्तर पर चढ़ती है और घोड़ी के अंदाज़ में बैठ जाती है. दिवार पर टंगे बड़े से आईने में वो अपने आप को देखती है. आईने में देखते हुए धीरे से वो अपनी चुतड को थोड़ा ऊँचा करती है. "हाँ पापा... मैं घोड़ी बन के आपका बोझ उठा सकती हूँ", और वो शर्मा के बिस्तर पर गिर जाती है और अपना चेहरा तकिये में छुपा लेती है. कुछ देर वैसे ही वो बिस्तर पर पड़ी रहती है फिर तकिये के निचे से किताब निकाल के पन्ने पलटने लगती है. "पापा के लंड की सवारी" - पायल के चेहरे पर मुस्कान छा जाती है. धीरे धीरे समय के साथ पायल की टॉप उसकी बड़ी बड़ी चुचियों के ऊपर उठ जाती है और हाथ उन्हें मसलने लगते हैं और पायल उस कहानी की रंगीन दुनिया में खो जाती है.

(कहानी जारी है. अब तक कैसी लगी कृपया कर के बतायें )
Bhout hi behtreen update❤❤
 

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अपडेट १२:

छत पर रमेश तेज़ क़दमों से यहाँ वहां घूमते हुए टहल रहें है. उनकी नज़रें बार बार छत के दरवाज़े की तरफ जा रहीं है. थोड़ी सी भी आहट होती तो उन्हें लगता की पायल आ रही है. पायल के बारें में सोच कर ही उनका लंड बेचैन हो रहा है. तभी सीढ़ियों पर क़दमों की आहट सुनाई देती है. रमेश दरवाज़े पर नज़रे गड़ाये खड़े हो जाता है. तभी पायल एक हाथ में चाय का प्याला और दुसरे हाथ में कपड़ो से भरी बाल्टी ले कर दरवाज़े से छत पर आती है. रमेश की नज़र सीधे पायल की बड़ी बड़ी चुचियों पर जाती है जो टाइट टॉप में कसी हुई है. पायल पापा की नज़र को भांप लेती है और अपना सीने हल्का सा उठा देती है. ये देखकर रमेश का लंड धोती में एक झटका खाता है.

रमेश : आ गई मेरी गुड़िया रानी....

पायल : जी पापा...!!

रमेश : ला ये बाल्टी मुझे दे...(पायल के हाथ से बाल्टी लेते हुए) कहाँ रखूँ इसे बेटी?

पायल : (पायल जानती है की पापा खटिया के पास हे कसरत करते है. वो झट से कहती है) यहाँ रख दीजिये पापा...खटिया के पास. मैं येही से कपडे निचोड़ के सूखने डाल दूंगी.

रमेश : ठीक है बेटी...

रमेश बाल्टी उठा के खटिया के पास रख देता है. पायल चाय का प्याला लिए खड़ी है. रमेश उसे देखते है और मुस्कुराते हुए खटिये पर बैठ जाते है.

रमेश : ला पायल...चाय दे दे....

पायल धीरे धीरे चल के पापा के पास आती है. हाथ बढ़ा के चाय का प्याला देते हुए वो आगे झुक जाती है.

पायल : लीजिये पापा....आपकी चाय...

पायल के झुकते ही रमेश की आँखों के सामने टॉप के बड़े गले से उसकी आधी चूचियां दिखने लगती है. बड़ी बड़ी चुचियों के बीच की गहराई देख कर रमेश की हालात ख़राब हो जाती है.वो एक तक उस गहराई को घूरे जा रहा है. तभी उसके कानों में पायल की आवाज़ पड़ती है.

पायल : कहाँ खो गए पापा? चाय लीजिये....

रमेश : (हडबडाते हुए) अ..आ.. कहीं नहीं बिटिया....ला चाय दे मुझे...

चाय दे कर पायल खड़ी हो जाती है. रमेश पायल के हाथ से चाय लेकर एक चुस्की लेते है.

रमेश : वाह पायल...!! चाय भले ही बहु ने बनाई हो, पर तेरे हाथ लगते ही इसका स्वाद और उम्दा हो गया...

पायल : (पायल अपने हाथ के रुमाल को नखरे के साथ घुमाते हुए कहती है) थैंक्यू पापा... अगली बार मैं आपको अपने हाथों से बनी चाय पिलाउंगी

रमेश : हाँ पायल...मेरा भी दिल करता है की कभी मैं तेरे हाथ की चाय पियूं....

तभी पायल जान बुझ के अपने हाथ का रुमाल गिरा देती है.

पायल : मैं आपको स्पेशल चाय पिलाउंगी पापा... (रुमाल उठाने के लिए झुकती है. उसकी आधी नंगी चूचियां पापा की आँखों के सामने आ जाती है)...डबल दूध वाली....

सामने का नज़ारा देख के रमेश का लंड धोती के अन्दर झटके लेते हुए लार की २-३ बूंदें टपका देता है. पायल की आधी नंगी चूचियां और उसके मुहँ से डबल दूध वाली चाय की बात सुन कर रमेश के होश उड़ जाते है. वो कुछ सोच कर कहते है.

रमेश : पायल...तुझे तो पता है बेटी...मैं बाज़ार के पैकेट वाला दूध नहीं पीता हूँ. मुझे तो घर की गाय का दूध ही पसंद है.

रमेश की बात सुन के पायल मन हे मन मुस्कुरा देती है फिर कुछ सोच के कहती है.

पायल : लेकिन पापा...घर की गाय तो अभी दूध नहीं देती है ना....

रमेश खड़े होते है और पायल के सर पर हाथ फेरते हुए कहते है.

रमेश : (पायल के सर पर हाथ फेरते हुए) जानता हूँ पायल बेटी...घर की गाय अभी दूध नहीं देती, लेकिन वो दूध देने लायक तो हो गई हैं ना ?...तुझे तो पता है की पापा ने उसकी कितनी देख-भाल की है. कुछ दिन पापा के हाथ का चारा खाएगी तो हो सकता है की दूध भी देने लग जाए.

रमेश की बातें सुन के पायल के जिस्म के आग लग जाती है. उसका रोम रोम उस आग में जलने लगता है. उर्मिला ने पहले ही पायल के लाज-शर्म के कपडे उतार दिए थे. पापा की इस बात ने उसकी थोड़ी बहुत बची हुई लाज-शर्म को जैसे छु-मंतर कर दिया. अब पायल पापा के सामने एक ऐसी लड़की की तरह थी जो कपड़े पहन के भी पूरी नंगी हो.

पायल और रमेश की नज़रें आपस में मिलती है. दोनों कुछ क्षण एक दुसरे की आँखों में देखते रहते है मानो एक दुसरे का हाल समझने की कोशिश कर रहे हो. तभी पायल अपने ओठ काटते हुए कहती है.

पायल : अच्छा पापा...अब मैं कपडे डालने जाती हूँ.

रमेश : हाँ बेटी..ठीक है...

पायल घूम कर अपनी चौड़ी चुतड हिलाते हुए जाने लगती है. रमेश हिलती चूतड़ों को देखते हुए अपने लंड को धोती के ऊपर से एक बार जोर से मसल देता है. पायल कपड़ो की बाल्टी के पास पेशाब करने के अंदाज़ में बैठ जाती है. रमेश ठीक उसके सामने खटिये पर बैठ जाता है. पायल बाल्टी से एक कपड़ा निकालती है और दोनों हाथों से जोर जोर से रगड़ने लगती है. पायल की बड़ी बड़ी चूचियां हिलने लगती है. चुचियों के बीच की खाई, चुचियों के हिलने से कभी छोटी तो कभी लम्बी होने लगती है. बीच बीच में पायल और रमेश की नज़रे मिलती है तो दोनों कुछ क्षण एक दुसरे की आँखों में घूरते ही रह जाते है. नज़रें हटते ही पायल की चुचियों का हिलना और तेज़ हो जाता है. पायल ३-४ कपड़ों को रगड़ के बाल्टी की दूसरी तरफ रख देती है. अब रमेश उठ के छत के दरवाज़े का पास जाता है और दरवाज़े को बंद करके बाहर से कुण्डी लगा देता है. फिर चलते हुए वो पायल के पास आता है और अपनी धोती को हाथों से जांघो तक चढ़ा के पायल के सामने पेशाब करने के अंदाज़ में बैठ जाता है. रमेश के निचे बैठते ही उसकी नज़रे पायल की नज़रों से मिलती है. रमेश की आँखों में देखते हुए पायल अपने ओठो को दाँतों से काट लेती है. पायल के हाथ में एक कपड़ा है. रमेश उस कपड़े की और ऊँगली से इशारा करते हुए कहता है.

रमेश : (पायल को देखते हुए) पायल बिटिया...लगता है इस कपड़े पर चाय गिर गई थी. ठीक से साफ़ नहीं हुआ....

पायल : (कपड़े पर उस धब्बे को देखती है) हाँ पापा....ये तो वाशिंग मशीन में भी साफ़ नहीं हुआ. लगता है मुझे ही इसे अच्छे से इसे साफ़ करना पड़ेगा.

ये कह कर पायल उस कपडे को ज़मीन पर फैला देती है और घोड़ी के अंदाज़ में एक हाथ से कपडे के एक कोने को दबा देती है. वो घोड़ी बन के सामने झुकती है तो पायल की बड़ी बड़ी चूचियां रमेश की नजरो के ठीक सामने आ जाती है. घोड़ी बन के झुकने से अब टॉप के बड़े गले से चूचियां आधे से ज्यादा दिखने लगी है. चुचियों के बीच की गहराई अब सीध में दिखने लगी है. पायल एक बार पापा की आँखों में देखती है और फिर नज़रे कपडे पर डाले जोर जोर से रगड़ने लगती है. रमेश पायल की जोर जोर से हिलती चूचियां दखते है. रमेश गौर करते है तो देखते है की पायल के हाथों की गति धीमी है और चुचियों के हिलने की गति ज्यादा. ये देख कर रमेश के चेहरे पर मुस्कान आ जाती है. वो कुछ देर वैसे ही पायल की हिलती बड़ी बड़ी चुचियों का मज़ा लेते है फिर पायल को देख कर कहते है.

रमेश : बेटी..लगता है ये दाग नहीं निकलेगा. देखो तो तुम्हें कितना पसीना आ गया है. पूरी टॉप भीग गई है.

पायल : हाँ पापा...लगता है ये दाग नहीं निकलेगा....

पायल खड़ी हो कर अपने माथे का पसीना पोंछती है. फिर दोनों हाथो को उठा के अपने बालों को पीछे ले जा कर बाँधने लगती है. रमेश की नज़र पायल की की बगलों पर पड़ती है. टॉप की छोटी बांहों से बगल के हलके काले रेशमी बाल दिख रहे है और निचे पसीने से गीला धब्बा. ये नज़ारा देख के रमेश का लंड और सक्त हो जाता है. वो पायल के पास जाता है. नज़रें पायल की बगलों पर है. पायल को समझने में देर नहीं लगती की पापा की नज़रें कहाँ है. वो वैसे ही हाथो से बालों को ठीक करते हुए खड़ी है.

रमेश : (पायल के पास जा कर एक लम्बी साँसे लेते हुए) पायल बेटी...ये खुशबू कहाँ से आ रही है? कौनसा परफ्यूम लगाया है?

पायल समझ जाती है की पापा किस खुशबू की बात कर रहे है. वो परफ्यूम सिर्फ कॉलेज जाते वक़्त लगाती थी. अब जब कॉलेज बंद हो गया था तो उसने दो दिनों से कोई परफ्यूम नहीं लगाया था.

पायल : (नखरा दिखाते हुए) हाँ पापा ....लगाया है. लेकिन मैं आपको उसका नाम नहीं बताउंगी. वो परफ्यूम तो आप भी इस्तेमाल करते हो. देखती हूँ की आप पहचान पाते हो या नहीं?

रमेश : (मुस्कुराते हुए) ये तो तुमने मुझे दुविधा में डाल दिया बिटिया. खैर...अब तुम मुझे परखना ही चाहती हो तो ठीक है, देखते है....

रमेश अपना सर पायल की टॉप के करीब ला कर जोर से सांस लेते है. २-३ बार साँसे लेने के बाद.

रमेश : यहाँ तो कुछ पता नहीं चल रहा पायल. तुम अपनी बगलों में ज्यादा परफ्यूम लगाती हो ना?

पायल : जी पापा....पसीने भी तो वही ज्यादा आता है ना....

रमेश : हाँ पायल बेटी...और तुझे तो और भी ज्यादा पसीने आता है. देख तो तेरी बगलों के निचे की टॉप कैसी भीगी पड़ी हैं. चलो...कोई बात नहीं. मैं अभी सूंघ के बताता हूँ की कौनसा परफ्यूम है.

रमेश अपनी नाक पायल की बाएं बगल की तरफ ले जाता है. पायल भी अपना हाथ और ऊपर उठा देती है.

रमेश : (जोर से सांस खींच कर) हम्म....!! खुशबू तो अच्छी है पायल लेकिन ये तेरे टॉप की बाहं सब खेल बिगाड़ रही है. इसकी वजह से मैं ठीक तरह से खुशबू नहीं ले पा रहा हूँ. तेरे पास कोई बिना बाहं वाली टॉप नहीं हैं क्या?

पायल : है तो पापा...लेकिन वो मैं सिर्फ सोते वक़्त ही पहनती हूँ...

रमेश : तो कोई बात नहीं बेटी...किसी दिन तेरे कमरें में आ कर उस खुशबू को पहचान ने की कोशिश कर लूँगा.

पायल : ठीक है पापा....

रमेश : अच्छा पायल तेरा काम हो गया हो तो अब तू जा. तेरी मम्मी का प्रवचन ना खत्म हो जाए.

पायल : हाँ पापा मैं चलती हूँ...नहीं तो टीवी का प्रवचन खत्म होगा और मम्मी का शुरू....

दोनों एक बार एक दुसरे को देख के मुस्कुरा देते है और पायल बाल्टी उठा के जाने लगती है. रमेश पीछे से उसकी चुतड को देखते हुए लंड मसलने लगता है.

(कहानी जारी है. अब तक कैसी लगी कृपया कर के बतायें )
Awesome update👌👌👌 kys mast dialogues hai
 

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अपडेट १३:

चहरे पर मुस्कराहट लिए पायल उच्चलती हुई सीढ़ियों से निचे उतर रही है. पापा के साथ हुई हर एक घटना को याद करके उसका दिल धड़क रहा है और एक मीठा सा दर्द उसके तन-बदन में एक अजीब सी प्यास जगा रहा है. कभी शर्माती तो कभी हँसती हुई वो निचे आती है. सामने सोफे पर बैठी उमा उसे देखती है.

उमा : अरी ओ, बेलगाम घोड़ी....!! संभल के. गिर गई और हड्डियाँ टूट गई तो हो गया सत्यानाश....

पायल ड्राइंग रूम में आती है और मुहँ बना कर उमा को लम्बी सी जीभ दिखा देती है.

उमा : बताऊँ तुझे मैं...? अपनी माँ को जीभ दिखाती है ? और....और ये क्या कपड़े पहन रखे हैं तुने ? घर में दो-दो मर्द है और इस लड़की को देखो... अभी बदल के आ ये टॉप...जा...

पायल : नहीं बदलूंगी...!! फैशन है ये आजकल... और मुझे गर्मी भी होती है....

उमा : फैशन गया तेल लेने...और गर्मी होगी तो क्या घर में नंगी घूमेगी तू?

पायल : हाँ ..! घुमुंगी नंगी... आपको क्या?

उमा गुस्से में सोफे पर से उठ के खड़ी हो जाती है और अपना हाथ उठा के....

उमा : चुप कर बदमाश..!! अभी एक तमाचा लगा दूंगी तुझे....

रसोई में खड़ी उर्मिला माँ-बेटी को नोक-झोंक बहुत देर से देख रही थीं. उमा का पारा चढ़ते ही वो वहां पहुँच जाती है.

उर्मिला : अरे अरे मम्मी जी...!! इतना गुस्सा क्यूँ कर रही है ? (पायल को अपने सीने से लगा कर) इतनी प्यारी बच्ची है...(पायल के सर पर हाथ फेरना लगती है).

उमा : २१ साल की घोड़ी हो गई है और अक्कल नहीं है इस लड़की को जरा भी...देख तो उर्मिला इस लड़की को...अब तू ही समझा इसे..

उर्मिला : मम्मी जी..आप ऐसे ही गुस्सा कर रही है. (उर्मिला चुपके से अपनी ऊँगली पजामे के ऊपर से पायल की बूर पर रगड़ देती है और कहती है) बहुत गर्मी होती है बेचारी को...

उर्मिला की इस हरकत पर पायल भाभी को देखती है और अपने ओंठ काट लेती है.

उमा : बहु...गर्मी तक तो ठीक है...लेकिन इसे कुछ तो शर्म होनी चाहिए ना...?

उर्मिला : (पायल को देखते हुए) मम्मी जी की ये बात बिलकुल सही है पायल...थोड़ा ध्यान तो तुझे भी रखना होगा...(धीरे से पायल को आँख मारते हुए) अब चल...मम्मी जी को सॉरी बोल....

पायल : (धीरे से) आइ एम सॉरी मम्मी....

उमा : हाँ ठीक है...चल अब जा और पहले ये कपड़े बदल.... (अपने कमरे की तरफ जाते हुए) पता नहीं ये लड़की बाहर क्या कांड करेगी....

उमा के जाते ही पायल और उर्मिला धीरे धीरे हँसने लगते है.

उर्मिला : (धीरे से पायल से कहती है) ये लड़की बाहर नहीं मम्मी जी, घर में कांड करेगी....बोल करेगी ना पायल ?

पायल : (मुस्कुराते हुए) हाँ भाभी...करुँगी...!

उर्मिला : अब जल्दी से अपने कमरे में जा, मैं २ मिनट में आती हूँ.

पायल दौड़ती हुए अपने कमरे में चली जाती है. रसोई में बचा हुआ काम जल्दी जल्दी खत्म करके उर्मिला पायल के रूम में जाती है. दरवाज़े से अन्दर देखती है तो पायल आईने के सामने खड़ी हो कर टॉप पर से अपनी बड़ी बड़ी चूचियां पकडे हुए है. उर्मिला झट से दरवाज़ा अन्दर से बंद कर के पायल के पास पहुँच जाती है.

उर्मिला : (पीछे से उसकी बड़ी बड़ी चूचियां पकड़ के) और मेरी पायल रानी..!! बड़ी खुश लग रही है...पापा का लंड अपनी बूर में ठूंसवा के आ रही है क्या?

पायल : (मस्ती में) भाभी काश...!! पापा मेरी बूर में अपना मोटा लंड ठूँस देते...

उर्मिला : (पायल को अपनी तरफ घुमाते हुए) तो नहीं ठूँसा क्या?

पायल : (उदास होते हुए) नहीं भाभी....

उर्मिला : (पायल को सीने से लगाते हुए) कोई बात नहीं मेरी बन्नो...!! सब्र कर...फल जल्द ही मिलेगा...अच्छा ये तो बता क्या क्या हुआ छत पर..?

पायल की आँखों में चमक आ जाती है. वो भाभी का हाथ पकड़ कर बिस्तर पर ले जाती है और दोनों बैठ जाते है.

पायल : (उत्सुकता के साथ) क्या बताऊँ भाभी....आज मैंने पापा को अपनी आधी चूचियां दिखा दी...

उर्मिला : सच..!! फिर तो पापा का बुरा हाल हो गया होगा ना?

पायल : हाँ भाभी... इधर मैं अपनी चूचियां जोर जोर से हिला रही थी और उधर पापा का लंड धोती में झटके ले ले कर उच्छल रहा था...

उर्मिला : हाय...!! बाबूजी तेरी चुचियों को घुर रहे थे क्या?

पायल : हाँ भाभी...खा जाने वाली नज़रों से....मेरा तो दिल किया की अभी पापा के पास जाऊं और टॉप उठा के अपनी बड़ी बड़ी चूचियां उनके मुहँ में दे दूँ...

उर्मिला : तो दे देती ना...किसने रोका था....

उर्मिला : (पायल मुहँ बना कर) हाँ भाभी...अगली बार पापा ऐसे देखेंगे तो सच में दे दूंगी....

उर्मिला : (हँसते हुए) अच्छा...और बता ना क्या हुआ...?

पायल : पापा ने मेरी पसीने से भरी बगलें सूंघ ली भाभी...कह रहे थे की टॉप की बांहे खेल बिगाड़ रही है. वो पूछ रहे थे की कोई बिना बांह वाली टॉप नहीं है क्या मेरे पास...

पायल की बात सुन के उर्मिला की आँखे बड़ी बड़ी हो जाती है. वो धीरे से गहरी सांस लेती है तो पायल के बदन से निकलती हलकी पसीने की खुशबू सीधे उसकी नाक में घुस जाती है. "उफ़"...उर्मिला के मुहँ से निकल जाता है.

पायल : क्या हुआ भाभी..?

उर्मिला : तेरे बदन की खुशबू ही इतनी मदहोश कर देने वाली है पायल, तो तेरी बगलों की महक तो सच में किसी को भी पागल कर देगी...एक बार अपना हाथ तो उठाना...

पायल एक हाथ ऊपर उठा देती है. उर्मिला गौर से देखती है. उसकी छोटी बांह से हलके रेशमी बाल दिख रहे है और निचे का टॉप भीगा हुआ है. उर्मिला अपनी नाक पायल की बगल के पास ले जाती है और एक जोरो की सांस लेती है....

उर्मिला : आह्ह्हह्ह्ह्ह.....!! तेरी बगल की गंध से मेरा ये हाल हो रहा है तो बाकी मर्दों का क्या हाल होगा. पता नहीं इसे सूंघने के बाद तेरे पापा ने अपने आप पर कैसे काबू रखा होगा...

पायल : सच भाभी..? मेरी बगल की गंद इतनी अच्छी है?

उर्मिला : अच्छी ? बहुत अच्छी है पायल.. तू एक बार किसी को सुंघा दे तो वो अपना लंड थामे तेरे पीछे पीछे चला आये...

इस बात पर दोनों हँस पड़ते है...

उर्मिला : अच्छा अब आगे का कुछ सोचा है?

पायल : पता नहीं भाभी...आप ही कुछ बताइए ना...

उर्मिला : अच्छा...करती हूँ मैं कुछ....(कुछ सोच कर) अच्छा पायल एक बात तो बता...

पायल : जी भाभी..

उर्मिला : सोनू से तेरी कभी क्यूँ नहीं बनती? हमेशा दोनों झगड़ते रहते हो?

सोनू का नाम सुनते ही पायल को गुस्सा आ जाता है.

पायल : मेरे सामने उसका नाम भी मत लीजिये भाभी... एक नंबर का गधा है वो...

उर्मिला : (हँसते हुए) हाँ बाबा ठीक है...गधा है वो लेकिन फिर भी तेरा सगा भाई है...

पायल : भाई है तो क्या हुआ? उस गधे से तो मैं बात भी ना करूँ...

उर्मिला : पगली...भाई बहन में तो नोक-झोंक चलती ही रहती है...अब जैसे देख, मैं और मेरा चचेरा भाई....

पायल मुस्कुराते हुए बीच में उर्मिला की बात काट देती है.

पायल : वही ना भाभी...जिसने आपकी सबसे पहले बूर खोली थी..

उर्मिला : (हँसते हुए) हाँ बाबा...वही...!! तो हम दोनों भी पहले बहुत झगडा करते थे लेकिन सबसे पहले मेरी बूर में उसी का लंड गया ना?

पायल : लेकिन भाभी...मैं और सोनू तो एक दुसरे को फूटीं आँख नहीं भाते...

उर्मिला : तुझे कैसे पता? हो सकता है की सोनू तेरे लिए अपना लंड थामने खड़ा हो?

पायल : धत्त भाभी...वो तो मुझसे हमेशा लड़ते रहता है...

उर्मिला : इसी लड़ाई के पीछे तो भाई का असली प्यार छुपा होता है पायल...

पायल : (कुछ सोचती है फिर कहती है) अच्छा भाभी...एक बात बताइए....आप अपने भाई के साथ बहुत चुदाई करती होगी ना?

उर्मिला : पूछ मत पायल...! स्कूल में, स्कूल से घर आते वक़्त पास के जंगल में, घर की छत पर और ना जाने कहाँ कहाँ ... जब भी जहाँ भी मौका मिलता वो मुझ पर चढ़ाई कर देता था...

पायल : उफ़ भाभी...!! (वो फिर से कुछ सोचती है) पर भाभी..! रक्षाबंधन के दिन जब आप उसकी कलाई पर राखी बांधती होगी तब तो आपको थोडा अजीब लगता होगा ना?

उर्मिल : (मुस्कुराते हुए) अजीब? पगली...!! असली मज़ा तो उसी दिन आता था...

ये सुन कर पायल की आँखे बड़ी बड़ी हो जाती है.

पायल : हाय राम भाभी..!! रक्षाबंधन के दिन भी, आप दोनों...

उर्मिला : हाँ पायल..रक्षाबंधन के दिन भी...और उस दिन का तो हम दोनों बेसब्री से इंतज़ार करते थे...उस दिन मैं राखी की थाली ले कर आती थी. वो निचे बैठा रहता था. घरवालों के सामने मैं उसके माथे पर टिका लगाती थी, उसकी आरती उतरती थी. फिर हम एक दुसरे को मिठाई खिलाते. मैं उसकी कलाई पर राखी बांधती और वो मेरे हाथ में ५०/- रूपए का नोट थमा देता.

ये सब पायल बड़े गौर से सुन रही थी. उसकी आँखे बड़ी और मुहँ खुला हुआ था. साँसे धीरे धीरे तेज़ हो रही थी.

पायल : और फिर भाभी....?

उर्मिला : फिर क्या ?... हम दोनों किसी बहाने से घर से निकलते. वो मुझे अपनी साइकल पर बिठा के पास के जंगल ले जाता. जंगल में वो अपनी पैंट उतरता और मैं उसके मोटे लंड पर राखी बाँध देती. फिर वो मुझ पर चढ़ाई कर देता. वो 'बहना' 'बहना' कहते हुए मेरी बूर में लंड पेलता और मैं 'भैया' भैया' कहते हुए उसका लंड बूर में लेती.

अब पायल की हालत बुरी तरह से खराब हो चुकी थी. उसकी साँसे मानो किसी तूफ़ान सी आवाजें करती हुई बाहर आ रही थी. उर्मिला उसे गौर से देखती है. उसके मन में हो रही उथल पुथल को वो अच्छी तरह से समझ रही है.

उर्मिला : क्या हुआ पायल? कहाँ खो गई?

पायल : (झेंपते हुए) कु..कु..कुछ नहीं भाभी....पर क्या सच में रक्षाबंधन के दिन भाई का लंड लेने में इतना मज़ा आता है?

उर्मिला : हाँ पायल..!! बहुत मज़ा आता है. रक्षाबंधन के दिन तो बहुत से भाई-बहन चुदाई का मज़ा लेते है. और उस दिन उनके लंड और बुरे सबसे ज्यादा पानी छोड़ते है. वैसे पायल...रक्षाबंधन तो अभी आने ही वाला है ना?

पायल : (थोड़ी शर्माते हुए) हाँ भाभी... क्यूँ ?? आपको भाई की याद आ रही है क्या?

उर्मिला : अरे उसे तो मैं रोज ही याद करती हूँ. मैं तो ये सोच रही थी की अपने भाई से एक बार मिल ही आऊ. इसी बहाने रक्षाबंधन भी मना लुंगी.

उर्मिला की बात सुन के पायल पहले खुश हो जाती है फिर कुछ कर उदास हो जाती है.

पायल : मतलब भाभी आप इस बार रक्षाबंधन पर यहाँ नहीं रहोगे?

उर्मिला : अब भाई के घर रक्षाबंधन मनाने जाउंगी तो यहाँ कैसे रहूंगी....

पायल : (उदास सा चेहरा बनाते हुए)...उम्म्म्म भाभी...!! मैं अकेली पड़ जाउंगी यहाँ...

उर्मिला : हम्म...!! एक रास्ता है...लेकिन पता नहीं तुझे अच्छा लगेगा या नहीं...

पायल : (खुश होते हुए) हाँ भाभी.. बोलिए ना...

उर्मिला : तू भी मेरे साथ चल...मेरे भाई के घर....

पायल : हाँ भाभी ...मैं भी चलूंगी आपके साथ...

उर्मिला : लेकिन पायल... रक्षाबंधन का दिन होगा तो सोनू को भी साथ ले कर चलना पड़ेगा...(पायल की आँखों में देखते हुए) और तुझे भी तो उसे राखी बांधनी होगी ना..?

उर्मिला की बात सुन कर पायल शर्मा के नज़रे झुका लेती है है. फिर मुहँ बनाते हुए कहती है.

पायल : (मुहँ बना के) ठीक है भाभी...सोनू को भी साथ ले चलेंगे...

उर्मिला : फिर ठीक है...मेरे भाई के घर में बहुत से कमरे है. तू सोनू के साथ जहाँ चाहे वहां रक्षाबंधन मना लेना...

पायल : धत्त भाभी...!! (और अपना सर उर्मिला के सीने में छुपा लेती है)

उर्मिला : (पायल की ठोड़ी उठा के आँखों में देखते हुए) बोल पायल...!! सोनू के साथ रक्षाबंधन मनाएगी?

पायल : (धीरे से ) हाँ...मनाउंगी...

उर्मिला : और राखी कहाँ बांधेगी ?

पायल : (अपने ओंठ काट लेती है).... उसके लंड पर...!!

ये कहते ही पायल दौड़ के बाथरूम में घुस जाती है और दरवाज़ा बंद कर लेती है. उर्मिला हंसने लगती है. "उस बेहनचोद सोनू का भी काम बन गया. साला चूतिया कहीं रक्षाबंधन के दिन अपनी दीदी को देखते ही पानी ना छोड़ दे". मन में सोचते हुए पायल वहां से चली जाती है.

(कहानी जारी है. अब तक कैसी लगी कृपया कर के बतायें )
Gajab
 

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अपडेट १४:

शाम का समय है. घड़ी में ५ बज रहे है. ड्राइंग रूम में उर्मिला, पायल, उमा और सोनू बैठे है. ठहाकों की आवाज़ से कमरा गूँज रहा है. उमा सोनू का सर अपने सीने में छुपा कर है.

उमा : (कड़ी आवाज़ में) चुप रहो तुम दोनों..!! मेरे लल्ला को ऐसे ही परेशान करते रहते हो. इतना प्यारा बच्चा है मेरा...

पायल : बच्चा नहीं मम्मी, गधा बोलिए...

उमा : चुप कर घोड़ी...गधा मत बोल मेरे लल्ला को...अपने छोटे भाई को कोई ऐसा कहता है क्या?

उर्मिला : हाँ पायल...अपने छोटे भाई को ऐसा नहीं कहते....

सोनू : दीदी हमेशा मुझे चिढ़ाती रहती है. मैं कुछ बोलता हूँ तो गुस्सा हो जाती है...

पायल : अच्छा बाबा नहीं चिढ़ाउंगी तुझे...अब ठीक है..?

सोनू पायल को उमा के सीने से सटे हुए जीभ दिखा देता है. पायल एक बार मम्मी की तरफ देखती है. मम्मी की नज़र बाहर दरवाज़े पर है. पायल झट से सोनू की तरफ देखते हुए अपनी नज़रे उसकी टांगो के बीच ले जाती है और जीभ निकाल के चाटने के अंदाज़ में एक दो बार निचे से ऊपर कर देती है. पायल की इस हरकत से सोनू का थूक गले में ही अटक जाता है. किसी तरह वो थूक को गले से निचे उतारता है. शॉर्ट्स में उसका लंड फूलने लगता है. वो झट से सोफे पर पड़ा एक कुशन उठा के अपनी गोद में रख लेता है. सोनू को इस हाल में देख कर पायल और उर्मिला दोनों हँसने लगती है. तभी दरवाज़े से रमेश अन्दर आते है. शाम को वो पास की सड़क पर रोज़ टहलने जाते हैं. रमेश को देख कर पायल चुप हो जाती है. उर्मिला पीछे से पायल की चुतड दबा देती है.

उर्मिला : (धीरे से पायल के कान में) जा पायल...दौड़ के पापा का लंड मुहँ में ले ले....

पायल : (बेहद धीरे से) भाभी...प्लीज....

रमेश : ननद-भाभी में क्या खुसुर-फुसुर हो रही है?

उर्मिला : कुछ नहीं बाबूजी...पायल पूछ रही थी की पापा शाम में बाहर टहलने क्यूँ जाते है, छत पर क्यूँ नहीं टहलते ?

रमेश : (हँसते हुए) छत पर तो मैं रोज सुबह कसरत करता ही हूँ, ये बात तो पायल भी जानती है. (फिर पायल को देख कर मुस्कुराते हुए) जानती हैं ना पायल?

पायल : (सुबह की बात सोच कर गालों पर लाली छा जाती है. धीरे से कहती है) हाँ पापा...जानती हूँ...

रमेश : वैसे उर्मिला... बात तो सही है पायल की. मैं भही सोच रहा हूँ की कल से शाम में छत पर ही टहल लिया करूँ...(पायल को देख कर) क्यूँ पायल बेटी? ठीक रहेगा ना?

उर्मिला : हाँ बाबूजी...छत पर टहलना ही ठीक रहेगा. टहलते हुए आप आस-पास के नज़ारें भी देख सकते हैं (उर्मिला फिर से पायल की चुतड पीछे से दबा देती है). क्यूँ पायल सही रहेगा ना?

पायल : (चेहरा लाल हो चूका है) जी भाभी....सही रहेगा....

तभी उमा सक्त आवाज़ में कहती है.

उमा : तुम लोगों का हंसी-मजाक हो गया हो तो कुछ काम की बात कर लें?

रमेश : अब ऐसा कौनसा काम आ गया?

उमा : (रमेश को घूरते हुए) आपको कसरत से फुर्सत मिले तो कुछ याद रहे ना....पिछले हफ्ते ही चंद्रपाल जी का लड़का शादी का कार्ड दे कर गया था...भूल गए?

रमेश : (सर पर हाथ मारते हुए) हे भगवान...!! मुझे तो याद ही नहीं रहा. कब की शादी है उमा?

उमा : कल ही है शादी. इस घर में मैं और बहु ना हो तो पता नहीं तुम लोगों का क्या होगा?

रमेश : अच्छा बाबा ठीक हैं...मान ली तुम्हारी बात. अब ये बताओ की कल निकलना कब है.

उर्मिला : कल शाम में ही निकलना होगा बाबूजी, ७ बजे के करीब. १ घंटा तो लग ही जायेगा पहुँचने में. सब से मिलकर, खाना-वाना खा कर हम सब १० बजे तक निकल आयेंगे...

उमा : हाँ येही ठीक रहेगा. (रमेश को देखते हुए) और आप मेरी बात ध्यान से सुनिए. कल सुबह आप कोई कसरत-वसरत नहीं करेंगे.

रमेश : उमा ...तुम हमेशा मेरी कसरत के पीछे क्यूँ पड़ी रहती हो?

उमा : कह दिया ना एक बार... कल कोई कसरत नहीं होगी. कल सुबह आप गाड़ी की सफाई करोगे. गराज में पड़े-पड़े पता नहीं कितनी धुल-मिटटी जम गई होगी.

रमेश : (एक बार उदास नज़रों से पायल की तरफ देखता है) ठीक है. जैसी तुम्हारी इच्छा...

उमा : और तुम सभी मेरी बात ध्यान से सुन लो. सोनू और उसके पापा गाड़ी की साफ़-सफाई करेंगे. मैं, उर्मिला और पायल कल बाज़ार जायेंगे और शादी में देने के लिए गिफ्ट और कुछ शौपिंग करेंगे. समझ गए सब लोग?

सभी सर हिला के हामी भर देते है. रमेश उठ के अपने कमरे में चले जाते है. सोनू भी अपने फ़ोन में कुछ करता हुआ निकल लेता है. पायल उतरे हुए चेहरे से उर्मिला की तरफ देखती है.

पायल : भाभी....मम्मी ने तो सारा काम बिगाड़ दिया.

उर्मिला : शादी में जाना भी तो जरुर है ना पायल. और एक रास्ता बंद होता है तो दूसरा अपने आप खुल जाता है. क्या पता की की कुछ अच्छा हे होने वाला हो? तू दिल छोटा मत कर.

पायल छोटा मुहँ लिए धीरे धीरे अपने कमरें में चली जाती है और उर्मिला रसोई में.

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अगला दिन :
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अगली सुबह रमेश और सोनू घर के आँगन में गाड़ी को साफ़ कर रहे है. रमेश ये काम जल्दी खत्म करना चाहते है ताकि कुछ वक़्त पायल के साथ बिता सके. वो सोनू को बार बार जल्दी करने कह रहे हैं. किसी तरह से गाड़ी साफ़ कर के रमेश घर में आते है. घड़ी में ११ बज रही है. रमेश का दिमाग घूम जाता है. गाड़ी साफ़ करते हुए समय का पता ही नहीं चला. तभी सामने से पायल, उर्मिला और उमा आते हैं. तीनो बाज़ार जाने के लिए तैयार है.

उमा : हो गई गाड़ी साफ़.

रमेश : (गुस्से से) हाँ हो गई और चमक रही है....जा कर अपना चेहरा देख लो...

बाबूजी की बात सुन के उर्मिला को हंसी आ जाती है. उमा मुहँ बनाते हुए आगे बढ़ जाती है. जाते-जाते रमेश पायल को देखता है. पायल भी उदास चेहरे से पापा को देखती है. दोनों के अन्दर दबी ख्वाइशें दब कर ही रह जाती है. आज के लिए जो सपने संजोय थे वो बिखर के चकनाचूर हो जाते है. धीरे धीरे वो तीनो बहार चली जाती है और रमेश माथा पकड़ के सोफे पर बैठ जाता है.

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शाम के ७ बज रहे है. रमेश कुरता और धोती पहन के सोफे पर सबके आने का इंतज़ार कर रहा है. सोनू भी शर्ट और पैंट में पास हे बैठा है और अपने फ़ोन में गेम खेल रहा है. तभी उर्मिला और उमा वहां आते हैं. उमा और उर्मिला ने साड़ी पहनी हुई है. रमेश की नज़र उर्मिला पर पड़ती है. उर्मिला बहुत ही सुन्दर दिख रही है. उस साड़ी में उसके बदन की बनावट उभर के दिख रही है. कुछ पलों के लिए रमेश उसे देखता ही रह जाता है. तभी पायल वहां आती है. रमेश का ध्यान पायल पर जाता है तो उसकी आँखे फटी की फटी रह जाती है. पायल ने हरे रंग की बिना बाहं वाली चोली पहनी है और हलके पीले क्रीम रंग का लहंगा. कंधे पर चुनरी लटक रही है और पायल धीरे धीरे बलखाती हुई चल रही है. आते ही पायल की नज़र रमेश पर पड़ती है. रमेश पायल को बड़ी-बड़ी आँखों से ऊपर से निचे देख रहा है. पायल शर्माती हुई उर्मिला के पास आ कर खड़ी हो जाती है.

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उधर पायल को देख कर सोनू का और भी बुरा हाल है. उसका लंड पैंट में बेचैन हो रहा है जैसे मानो अभी फाड़ के बाहर आ जायेगा. तभी उमा की नज़र पायल पर पड़ती है. वो चल के पायल के पास आती है. वहां मौजूद सभी को येही लगता है की अब पायल को कपड़े बदलने पडेंगे. रमेश का तो मानो मन के खराब हो जाता है. वो चुपचाप मुहँ बना के दरवाज़े के पास चला जाता है.

उमा : (पायल के गाल पर हाथ रखते हुए) कितनी प्यारी लग रही है मेरी बेटी...

ये सुनकर पायल और उर्मिला के चेहरे पर मुस्कान आ जाती है. सोनू भी खुश हो जाता है की अब दीदी की बदन को अच्छे से देख पायेगा.

उर्मिला : देख क्या रही है पायल? मम्मी जी के पैर पढ़ ...

पायल उमा के पैर पढ़ती है और उमा उसके सर पर हाथ रखती है.

उमा : जुग-जुग जियो बेटी...

उर्मिला : अब चलिए भी....नहीं तो खाना ख़तम हो जायेगा...

सभी लोग हँसते हुए बहार आते है. बाबूजी दरवाज़े के बाहर खड़े है. उर्मिला बाबूजी को देखती है और धीरे से पायल को बाबूजी के पैर पढ़ने का इशारा करती है. पायल बाबूजी के पास जाती है.

रमेश : बहुत प्यारी लग रही हैं मेरी बिटिया रानी. एकदम परी जैसी.

उर्मिला : बाबूजी...ये तो पापा की परी है...हैं ना पायल ?

पायल भाभी की बात सुन के शर्मा जाती है और नज़रें नीची कर लेती है. उर्मिला सोनू और उमा के पास जा कर बातें करनी लगती है ताकि उनकी नज़र बाबूजी और पायल पर ना पड़े. पायल झुक के बाबूजी के पैर पढ़ती है.

रमेश : हमेश खुश रहो बिटिया...अपने पापा का नाम रोशन करो...

रमेश पायल के कंधो को पकड़ के उसे उठाने लगते है. थोडा ऊपर आते ही पायल की लो कट चोली से उसकी गहराई दिखने लगती है. रमेश के हाथ वहीँ रुक जाते है. पायल भी समझ जाती है की पापा को बहुत समय बाद ये नज़ारा देखने मिल रहा है तो वो भी वैसे ही झुकी रहती है. रमेश उसके कंधो को पकडे, धीरे से एक ऊँगली उसकी बगल में घुसा देता है. ऊँगली घुसाते ही रमेश को अपनी ऊँगली गीले महसूस होती है. वो एक दो बार अपनी ऊँगली पायल की बगल में अन्दर बहार करते है और फिर पायल का कन्धा पकड़ के उसे खड़ा कर देते है.

रमेश : अच्छा बेटी...चलो अब चलते है. गाड़ी में बैठो...

पायल खुश हो कर गाड़ी की तरफ जाने लगती है. रमेश झट से अपनी ऊँगली जो उसने पायल की बगल में डाली थी उसे अपनी नाक के पास ला कर एक जोर की साँसे लेता है. पायल के बगल की पसीने और परफ्यूम की मिश्रित खुशबू उसकी प्यास और बढ़ा देती है.उर्मिला बाबूजी की ये हरकत देखती है और समझ जाती है की बाबूजी की प्यास अपनी चरम सीमा पर है.
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१ घंटे बाद:

रमेश गाड़ी चला रहें है और उनके साथ सामने सोनू बैठा है. उमा और उर्मिला पीछे बैठे है और उन दोनों के बीच पायल. गाड़ी के अन्दर माहौल बड़ा ही हास्यपूर्ण हैं. ठहाके गूंज रहे है, और चुटकुलों की बौछार हो रही है. इस माहौल से रमेश का मूड भी ताज़ा हो जाता है. गाड़ी एक बड़े से पंडाल के पास आ कर रूकती है.

रमेश : लो जी.... आ गया हमारा ठीकाना...तुम सब रुको मई गाड़ी आगे लगा कर आता हूँ.

सभी लोग गाड़ी से उतर जाते हैं. पायल उर्मिला भाभी के साथ खड़ी हो जाती है. वहां खड़े और आते जाते सभी मर्द, बूढ़े और लड़के पायल को घुरें जा रहे है.

उर्मिला : (धीरे से ) देख पायल...तेरी जवानी कैसे कहर ढा रही है. एक बार अपना लहंगा उठा दे तो लंडों का बाज़ार लग जायेगा.

पायल : (मुहँ बनाते हुए, धीरे से) मुझे कोई लंड-वंड नहीं लेना किसी भी लंड के बाज़ार से....

उर्मिला : हाँ हाँ...मेरी चुदासन ननद....तुझे जो लंड चाहिए वो तो अभी आ रहा है ना....

तभी गाड़ी पार्किंग में लगा कर रमेश सामने से आते दिखाई देते है.

उर्मिला : ले...आ गया तेरा लंड...

रमेश वहां आते है और सभी पंडाल के अन्दर चले जाते है. पंडाल काफी बड़ा है और शहर से बाहर एक बड़े से मैदान में लगाया गया है. मैदान के सामने चालू सड़क है और पीछे बहुत से पेड़ लगे है, १-२ की.मी. का छोटा सा जंगल ही समझो. अन्दर जाते ही रमेश को कुछ पुराने दोस्त मिल जाते है और वो उनके साथ लग जाते हैं.

उमा : ये शादी में आयें हैं या अपने दोस्तों से मिलने.

उर्मिला : छोड़िये ना मम्मी जी...दूल्हा-दुल्हन से हम ही मिल लेते है. बाबूजी बाद में मिल लेंगे...

उमा मुहँ बनाते हुए उर्मिला, पायल और सोनू के साथ दूल्हा-दुल्हन से मिलने जाती है. माता-पिता और सभी रिश्तेदारों से मिलते मिलाते वो सभी दूल्हा-दुल्हन के पास पहुँचते है. दोनों उमा को देखते ही उनके पैर पड़ने लगते है.

उमा : हमेशा खुश रहो, सदा सुहागन रहो. भगवान तुम दोनों की जोड़ी हमेशा ऐसी हे बनाये रखे....(अपने परिवार की तरफ इशारा करते हुए)...ये मेरी बहु है उर्मिला, ये मेरा बेटा सोनू और ये मेरी बेटी पायल...

तीनो दूल्हा-दुल्हन को बधाई देते है. दुल्हे की नज़र पायल पर टिक जाती है. वो खड़े-खड़े पायल की चोली में झांकने की कोशिश कर रहा है. दुल्हन की नज़र उस पर पड़ती है वो वो उसे आँख दिखा देती है. ये नज़ारा उर्मिला और पायल देख लेती है. दोनों अपने मुहँ पर हाथ रख कर हँसते हुए वहां से निकल लेती है.

उर्मिला : पायल तू तो शादी से पहले ही इनका तलाक करवा देगी.

पायल : मैं क्या करूँ भाभी? वो मुझे देख ही ऐसे रहा था. अब किसी को देखने से तो मैं रोक नहीं सकती ना?

दोनों में हंसी मजाक का दौर चल रहा है और वहां बाबूजी अपने दोस्तों से विदा ले कर दूल्हा-दुल्हन से मिलते है. उनसे मिलने के बाद वो सभी को ढूंढते हुए यहाँ-वहां देखने लगते है. यहाँ उमा सभी के साथ अपने रिश्तेदारों में व्यस्थ है. बातों में पता चलता है की खाने में अभी देर लगेगी. कुछ देर पहले तेज़ हवा चली थी तो खाने में धुल मिटटी चली गई. ये सुन कर सभी का मूड खराब हो जाता है. सभी इस बात से निराश है की अभी और रुकना पड़ेगा. तभी बाबूजी भी वहां आ जाते है.

उमा : आ गए आप? मिल गई फुर्सत?

रमेश : हाँ मिल गई...अब क्या करना है वो बताओ...

उमा : करना क्या है...खाने हवा से धुल-मिटटी चली गई थी. अब तो देर लगेगी....

उर्मिला : रुकना तो पड़ेगा हे मम्मी जी...घर जा कर कौन खाना बनाये?

उमा : हाँ बहु...रुक ही जाते है. चलो .... मैं तुम लोगों को बाकी रिश्तेदारों से मिलवाती हूँ...

पायल उर्मिला का हाथ पकड़ के मुहँ बनाते हुए सर हिलाती है और 'ना' का इशारा करती है. उर्मिला समझ जाती है की पायल का मम्मी जी के साथ जाने का दिल नहीं है.

उर्मिला : चलिए मम्मी जी....अरे पायल...तुझे गोलगप्पे खाने थे ना? जा खा ले....

उमा : अरे बहु ...इसे कहाँ गोलगप्पे खाने भेज रही है? इसे भी साथ चलने दे...

उर्मिला : मम्मी जी...भूकी होगी ना ये बेचारी...घर में हे कह रही थी की भाभी कुछ खाने दे दीजिये ...बड़ी भूक लगी है.

उमा : अच्छा ठीक है...लेकिन ज्यादा इधर-उधर मत घूमना...गोलगप्पे खा कर सीधे आ जाना.

पायल : जी मम्मी जी.... (पायल वहां से चल देती है)

रमेश : उमा...मैं भी अपने दोस्तों के पास हे चला जाता हूँ. तुम औरतों के बीच मैं क्या करूँगा?

उमा : हाँ जी आप भी जाईये .... सबके सामने उतरे हुए मुहँ से तो अच्छा है की आप अपने दोस्तों के साथ ही रहें....

उमा उर्मिला और सोनू के साथ चली जाती है. रमेश भी धीरे धीरे टहलता हुआ सजावट देखते हुए आगे बढ़ता है. उसकी नज़र सजावट को देखते हुए पानी की बड़े से ड्रम की तरफ जाती है. वो पानी पीने के लिए आगे बढ़ता है तभी उसे पायल दिखाई देती है. पायल पंडाल के एक कोने पर कड़ी है. पंडाल का कपड़ा वहां से थोड़ा खुला हुआ है. पायल बाबूजी को देख रही है. बाबूजी यहाँ-वहां देखते है और फिर पायल को देखने लगते है. कुछ क्षण पायल बाबूजी को वैसे ही देखती है फिर अपने दोनों हाथों को उठा कर एक अंगडाई लेती है. बिना बाहं की चोली होने से पायल की बगल दिखने लगती है जिसमे हलके रेशमी बाल दूर से ही दिखाई दे रही है. ये देख कर बाबूजी के मुह में पानी आ जाता है. पायल अंगडाई ले कर बाबूजी को देखते हुए धीरे से पंडाल के उस खुले हुए हिस्से से बहार निकल जाती है. रमेश पानी का गिलास उठा के गटागट पानी पी जाता है और यहाँ-वहां देखता है. जब वो देख लेता है की किसी की नज़र उस पर नहीं है तो वो भी धीरे से उसी जगह से बाहर निकल जाता है. बाहर जाते ही उसकी नज़रें पायल को ढूंढने लगती है. पायल पास ही खड़ी ऊँगली मुहँ में ले कर नाख़ून काट ते हुए कुछ सोच रही है. रमेश की नज़र पायल पर पड़ती है तो वो पायल के पास जाता है.

रमेश : अरे पायल...तू अकेले यहाँ क्या कर रही है बेटी?

पायल : कुछ नहीं पापा....ऐसे ही...

रमेश : (पायल के सर पर हाथ फेरते हुए) ऐसे ही क्या बेटी? कुछ तो बात है. बताएगी नहीं अपने पापा को?

पायल : (पापा की तरफ घुमती है और उतरे हुए चेहरे से कहती है) पापा ...मुझे जोरो की पेशाब लगी है. यहाँ का बाथरूम बहुत गन्दा है. मैं निचे बैठूंगी तो मेरा लहंगा ख़राब हो जायेगा...सोच रहीं हूँ की क्या करूँ..

पायल की बात सुन कर रमेश खुश हो जाता है. वो धीरे-धीरे उसके सर पर हाथ फेरने लगता है.

रमेश : इसमें इतना परेशान होने की क्या बात है पायल? यहीं-कहीं कर ले....यहाँ कौन आ रहा है?

पायल : नहीं पापा...कोई आ गया तो? यहाँ मुझे शर्म आ रही है....

रमेश ख़ुशी के मारे पागल सा हो जाता है. उसकी नज़रें किसी सुनसान ठीकाने को ढूढ़ते हुए यहाँ-वहां दौड़ने लगती है. तभी उसकी नज़र सामने बड़े-बड़े पेड़ो पर पड़ती है. पेड़ों के पीछे अन्धीरा भी है और वो पंडाल से दूर भी है. रमेश की ख़ुशी का ठीकाना नहीं रहता.

रमेश : एक काम कर पायल...वो दूर सामने पेड़ दिखाई पड़ रहे हैं ना...तू वहीँ जा कर पेशाब कर ले. वहां तो ना कोई आएगा और ना ही किसी की नज़र पड़ेगी.

पायल : हाँ पापा....पर वहां तो बहुत अँधेरा है. और मुझे अँधेरे से बहुत डर लगता है.

रमेश : (अपनी मुस्कान पर काबू पाते हुए) कोई बात नहीं बिटिया....मैं चलता हूँ ना तेरे साथ...तू अराम से पेशाब करना और मैं वहीँ तेरे साथ रहूँगा.

पायल : (ख़ुशी से) ठीक है पापा...लेकिन आप ध्यान देना की कोई आने ना पाए....

रमेश : तू चिंता ना कर बेटी...मेरे सिवा और कोई नहीं आएगा...

दोनों बाप बेटी पेड़ों की तरफ बढ़ने लगते है. पायल आगे अपनी चुतड हिलाते हुए चल रही है और पीछे रमेश अपना लंड मसलते. तभी पंडाल के अन्दर डी.जे पर गाना बजने लगता है, "कमरिया ssss, कमरिया ssss, कमरिया कोरे लपालप ...लोलीपोप लागेलु......". गाना सुनते ही पायल को मस्ती सूझती है. वो गाने पर अपनी कमर और ज्यादा दायें-बाएं हिलाते हुए चलने लगती है. उसके पीछे चलते बाबूजी का ये देख कर बुरा हाल हो जाता है. गाने के बोल पर पायल की कमर और चुतड दोनों बराबर से हिल रही है. बाबूजी को पायल की चुतड किसी दो बड़े गोल गोल लोलीपोप की तरह दिख रही है जो आपस में चिपकी हुई है और उनका मन उसके बीच जीभ डाल कर चाटने का कर रहा है. दोनों चलते हुए पेड़ों के पास पहुँच जाते है. रमेश एक बार पेड़ के पीछे जा कर देखते है की वहां से कुछ दीखता है या नहीं. कुछ दिखाई नहीं दे रहा इस बात को सुनिश्चित कर वो पायल से कहते है.

रमेश : पायल बेटी...इस पेड़ के पीछे बैठ कर अराम से पेशाब कर लो. यहाँ से तुम्हे कोई भी नहीं देख पायेगा...

पायल बाबूजी को मुस्कुराते हुए देखती है और अपनी चुतड हिलाते हुए पेड़ के पीछे चली जाती है. बाबूजी पास ही खड़े उसे देखने की कोशिश करते है लेकिन कुछ दिखाई नहीं देता. बाबूजी ने जहाँ सोचा था पायल उस जगह पर नहीं बैठी थी. बाबूजी को अपने आप को एक तमाचा जड़ने की इच्छा हुई. तभी बाबूजी के कानो में पायल की धीमी आवाज़ आती है, "पापा...इधर आएना प्लीज...". पायल की पुकार सुनते ही रमेश का लंड जोर का झटका लेता है. वो तेज़ क़दमों से पेड़ के पीछे जाता है. सामने का नज़ारा देख कर उसके दिल की धड़कन बढ़ जाती है. सामने पायल रमेश की तरफ पीठ कर के पेशाब कर रही है. वो दोनों हाथो से लहंगे को दोनों तरफ से थोडा उठा रखा है. रमेश के कानो में पायल के पेशाब की मोटी धार की "सुर्र्रर्र्र्रर्र्रसुर्र्र्रर्रर" की आवाज़ साफ़ पड़ रही है. कुछ पल वो पायल को देखते हुए पेशाब की उस सुरली आवाज़ को ध्यान से सुनता है, फिर पायल से कहता है.

रमेश : अ..आ...हाँ पायल...क्या हुआ बेटी?

पायल : (थोडा बचपना दिखाते हुए) देखिये ना पापा....मेरा लहंगा पीछे से ज़मीन पर लगा हुआ है...ऐसे तो ये मेरी पेशाब से भीग जायेगा...आप प्लीज इसे ऊपर उठा के रखिये ना....

ये सुनते हे रमेश के चेहरे पर बड़ी सी मुस्कान छा जाती है. वो एक बार अपने लंड को धोती पर से जोर से मसलता है और यहाँ-वहां देखकर किसी के ना होने की पुष्टि कर धीरे से पायल के पास जाता है.

[कहानी में कुछ शब्द गलत हो सकते है. उसके लिए मैं क्षमाप्रार्थी हूँ.]

(कहानी जारी है. अब तक कैसी लगी कृपया कर के बतायें )

[मानती हूँ की ये 'खड़े लंड पर धोखा' है लेकिन यकीन मानिए आज दिल्ली की गर्मी और बिजली, दोनों ने बुरा हाल कर रखा है]
[गाड़ी सवा घंटा लेट हो गई है इसलिए बीच में ही इसे स्टेशन पर खड़ी कर रही हूँ. यात्रा और लेखन जारी है. जल्द ही निर्धारित स्टेशन पर पहुँचने की आशा है]
Bhout hi mast kahani hai👍👍👍
 

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अपडेट १४.५ :

ये सुनते हे रमेश के चेहरे पर बड़ी सी मुस्कान छा जाती है. वो एक बार अपने लंड को धोती पर से जोर से मसलता है और यहाँ-वहां देखकर किसी के ना होने की पुष्टि कर धीरे से पायल के पास जाता है.

रमेश : पायल बेटी..!! तेरा लहंगा तो सच में पीछे से ज़मीन पर लग रहा है.

पायल : हाँ पापा...तभी तो आपको बुलाया है. इस पीछे से उठा दिजियेना प्लीज....

रमेश कांपते हुए हाथों से पायल का लहंगा पीछे से उठाते हैं. लहंगा उठते ही पायल की गोरी और चौड़ी चुतड की झलक उन्हें दिख जाती है. लहंगा उठा के पायल के पीछे ही रमेश भी बैठ जाता है. गोरी गोरी चुतड उसकी आँखों के सामने है और कानो में पेशाब की सुर्र्र्रर्ररसुर्र्र्रर की आवाज़ से उसका लंड अकड़ने लगता है. वो एक हाथ से अपना लंड बाहर निकालता है और लंड पकड़े हुए हुए धीरे से निचे झुकता है. निचे झुकते ही रमेश को पायल की गोल गोल चूतड़ों के बीच घने बाल दिखाई देते है. फैली हुई चुतड और बालो के बीच पायल के गांड का छेद बेहद कसा हुआ दिख रहा है. पायल जब पेशाब करने में जोर लगाती वो उसकी गांड का छेद अन्दर की तरफ सिकुड़ जाता और फिर वापस अपने आकर में आ जाता. ये नज़ारा देख कर रमेश अपनी जुबान ओठों पर फेरने लगता है. उसका दिल करता है की अपनी मोटी जीभ उसी वक़्त पायल की गांड के उस कसे हुए छेद में पेल दे. रमेश थोडा और निचे झुकता है तो उसे पायल की बालों से घिरी बूर दिखाई देती है जिसमे से पेशाब की एक मोटी धार सुर्र्र्ररसुर्र्र की आवाज़ करती हुई ज़मीन पर गिर रही है. रमेश को पायल के बूर से निकल कर ज़मीन पर गिरती वो पेशाब की मोटी धार किसी झरने सी दिखाई देती है. उसका दिल करता है की पायल की टांगों के बीच अपना मुहँ ले जा कर वो उस झरने का पानी पी ले. तभी उसके कानो में पायल की मीठी आवाज़ आती है.

पायल : पापा...मेरा लहंगा भीग तो नहीं रहा है ना?

रमेश : (सपनो की दुनिया से बाहर आता हुआ) नहीं नहीं बिटिया रानी. तेरे पापा लहंगे को ऊपर उठा के है.

पायल : थैंक्यू पापा...आप नहीं होते तो मेरी ड्रेस ख़राब हो जाती.

रमेश : कोई बात नहीं बिटिया...(फिर उसके बहते पेशाब को देख कर) पायल...आज तो तू बहुत पेशाब कर रही है बिटिया...

पायल : अभी तो और वक़्त लगेगा पापा...जब तक मैं अच्छे से पेशाब नहीं कर लेती तब तक मैं ऐसे ही बैठी रहती हूँ.

पायल बीच बीच में अपनी चुतड पीछे से उठा देती तो रमेश को उसकी चुतड, गांड का छेद और बालों से घिरी बूर के दर्शन हो जाते. अब रमेश से रहा नहीं जाता. उसका दिल करता है की पायल को वहीँ पटक के उसकी बूर में लंड ठूँस दे लेकिन वो ऐसा नहीं करना चाहता. वो चाहता है की पायल खुद ही अपने मुहँ से कहे की "पापा ...मेरी चुदाई कर दीजिये". तभी पायल कहती है.

पायल : पापा ...वो सामने खेत देख रहे हो आप?

रमेश देखता है तो उसे कुछ दिखाई नहीं देता..

रमेश : नहीं बेटी...सामने तो कोई खेत दिखाई नहीं दे रहा...

पायल अपना लहंगा पकड़े, पीछे से चुतड उठा देती है. ज़मीन पर घुटने मोड़ के बैठे रमेश के सामने उसकी चुतड खुल के दिखने लगती है. पायल की बूर अब बालों के बीच से दिखाई देने लगी है. डबल रोटी की तरह फूली हुई बूर देख कर रमेश के होश उड़ जाते है.

पायल : ध्यान से देखिये ना पापा...खेत तो आपके सामने ही है.

रमेश समझ जाता है की वो खेत कहीं और नहीं, पायल की जांघो के बीच ही है.

रमेश : ह...हाँ ...हाँ पायल...अब दिखाई दे रहा है खेत..

पायल : कैसा लगा आपको खेत पापा?

रमेश : छोटा सा है बेटी...खेत पर तो घांस भी काफी उग आई है...

पायल : आपको खेत पर घांस पसंद है पापा?

रमेश : हाँ बेटी...बहुत पसंद है...घासं से तो खेत हरा-भरा दीखता है....

पायल : और क्या दिख रहा है पापा खेत में?

रमेश : बेटी ये खेत तो त्रिकोने आकार का है. खेत के उपरी हिस्से में घनी घासं उगी हुई है और दोनों तरफ हलकी. और बिटिया, खेत के बीच में एक लम्बी फैली हुई नहर दिख रही है जिसमे से पानी बह रहा है. खेत के ठीक निचे एक छोटा सा कुआं भी है जो लगता है बंद पड़ा है. कुएं को खोलने के लिए बड़ी मेहनत करनी पड़ेगी....

पापा के मुहँ से अपनी हे बूर और गांड के छेद की बात सुन कर पायल की बूर पानी छोड़ने लगती है.

पायल : पापा ये खेत जुताई के लिए तैयार हो गया है क्या?

रमेश : हाँ बिटिया...पूरी तरह से तैयार....तेरे पापा ने बड़े-बड़े खेत जोते है लेकिन ऐसा प्यारा खेत कभी नहीं जोता. इसकी ज़मीन भी बहुत टाइट दिखाई पड़ रही है. पापा को अपने मोटे हल से इसे जोतने में बड़ा मजा आएगा.

ये सुनकर पायल की साँसे तेज़ हो जाती है और बूर फुदकने लगती है.

पायल : बहुत जोर-जोर से जोतियेगा क्या पापा इस खेत को?

रमेश : (जोश में) हाँ बेटी....इस खेत में तो पापा अपना मोटा हल उठा-उठा के डालेंगे. घंटो इस खेत की जुताई करेंगे. जब पूरा खेत अच्छे से जुत जायेगा तो इसकी गहराई में बीज बो देंगे.

पायल : उफ़ पापा...आप बीज भी बो दोगे क्या?

रमेश : हाँ पायल...बिना बीज बोये खेत की जुताई कभी पूरी नहीं होती....

दोनों बाप-बेटी की हालत खराब हो जाती है. पायल की बूर फ़ैल गई है और रमेश के लंड ने विकराल रूप ले लिया है. तभी जेब में रखा रमेश का फ़ोन बजने लगता है. रमेश अपने लंड को छोड़ फ़ोन कपड़ों में ढूढ़ने लगता है. पायल का लहंगा उसके हाथ से छुट जाता है और वो सीधे कड़ी हो जाती है. अपना फ़ोन निकाल के रमेश कान में लगता है.

रमेश : हे..हे..हेलो ...!!

उधर से उमा की आवाज़ आती है.

उमा : कहाँ हो जी आप? दोस्तों के साथ शराब पीने तो नहीं बैठ गए?

रमेश : (हिचकिचाता हुए) अ..अ..अरे नहीं उमा. मैं तो बस....

उमा : बस-वस छोड़िये...आप पहले जल्दी आईये यहाँ...और जरा पायल को भी देखिये...पता नहीं कौनसे गोलगप्पे खा रही है...

रमेश : हाँ..हाँ..मैं देखता हूँ अभी...तुम फ़ोन रखो...

रमेश फ़ोन रखता है और पायल को देखता है. उसके चेहरे पर उदासी छाई है और चेहरा उतर गया है. रमेश भी निराशा भरी नज़रों से उसे देखता है. दोनों समझ जाते है की अब यहाँ काम नहीं बनेगा. पायल उतरा हुआ चेहरा ले कर पंडाल की तरफ जाने लगती है. पीछे-पीछे रमेश भी उमा को मन हही मन गालियाँ देता चलने लगता है.

[यहाँ पर अपडेट १४ समाप्त होता है]

(कहानी जारी है. अब तक कैसी लगी कृपया कर के बतायें )
Mast Rani ji Kitni tarif karao ge aap. Kya kahani hai
 

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आपकी बात से मैं कुछ हद तक समत हूँ.
जहाँ तक उर्मिला का सवाल है, तो उसके किरदार का काम घर में सबकी प्यास एक दुसरे के लंड और बुरों से बूझवाना है.
पायल और सोनू हमेशा झगड़ते रहते थे. पायल का झुकाव सोनू की तरफ नहीं था इसलिए वो बाबूजी की तरफ ज्यादा आकर्षित हो गई.
अब जब उर्मिला ने अपनी रक्षाबंधन की कहानी से पायल के दिल में भाई-बहन का गन्दा बीज बो दिया है तो फल आने में थोडा वक़्त तो लगेगा.
आपको रक्षाबंधन तक सब्र करना पड़ेगा. लेकिन उस से पहले पायल और सोनू की मस्ती जरुर होगी.

सभी की इच्छा पूरी करना जरा मुश्किल है. जहाँ तक पायल की सील का सवाल है, तो एक पोल द्वारा पता कर लिया जायेगा.
देखते है की बाबूजी और सोनू में कौन होगा वो खुशनसीब.

आपकी प्यार और मार्गदर्शन हमेशा ऐसे ही मिलता रहे.

-मस्तरानी
Aap ka kehna sahi hai, magar hitler (maa) ka kya hoga
 

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अपडेट १८:

घर में बिजली अब भी नहीं आई है. रसोई, ड्राइंग रूम और खाने की टेबल पर मोमबत्तियां जल रही है. रात के ८:३० बज चुके है. उमा, उर्मिला और पायल सोफे पर बैठे बातें कर रहे है. पास ही सोनू सोया हुआ है. आज पायल ने कुछ देर पहले जो उसका हाल किया था, बेचारा गर्मी में भी निढ़ाल हो कर सो रहा है. पापा खाने की टेबल पर पुरानी फाइल में बिजली के बिल देख रहे है.

रमेश : कोई मुझे एक कप चाय पिलाएगा?

उमा : हाँ भाई, कोई चाय पिला दो इन्हें. इतना बड़ा काम जो किया है...

रमेश : अरे उमा... हो गई गलती. अब क्या मैं बिजली के खम्बे पर चढ़ जाऊं?

उमा : ना..ना..जी. ऐसा मत करियेगा. अभी तो सिर्फ हमारे घर की बिजली गई है. आप खम्बे पर चढ़ गए तो पता चला की सारे शहर की बिजली चली गई.

उमा की इस बात पर उर्मिला और पायल मुहँ दबा के हंसने लगती है. उमा भी दोनों को देख कर पल्लू अपने मुहँ पर रख कर हँसने लगती है..

उमा : (मुस्कुराते हुए) अच्छा अच्छा...बना दो इनके लिए चाय...

उर्मिला उठने लगती है तो पायल कंधे पर हाथ रख के बिठा देती है.

पायल : आप रहने दीजिये भाभी...मैं बना देती हूँ..

उर्मिला पायल को देख कर मुस्कुरा देती है और पायल रसोई में चली जाती है. रसोई में गैस जला कर वो चाय का बर्तन चढ़ा देती है. तभी पायल की नज़र पापा पर पडती है. रमेश पायल को घूरते हुए देख रहे है. उनकी नज़र बार-बार पायल के चौड़े चूतड़ों पर जा कर टिक जा रही है. पायल भी मस्ती में अपनी चुतड उठा कर खड़ी हो जाती है. उसकी उभरी हुई चुतड देख के रमेश से रहा नहीं जाता.

रमेश : अरे उमा...मोमबत्तियाँ कहाँ रखी है? एक मोमबत्ती की रौशनी में पढ़ना मुश्किल हो रहा है..

उर्मिला : रसोई में रखी है बाबूजी. रुकिए मैं ला देती हूँ...

रमेश : नहीं नहीं बहु...मैं खुद ले लेता हूँ. तुम उमा के साथ बातें करो...

पायल समझ जाती है की अब पापा उसके पास आने वाले है. वो एक ऊँगली मुहँ में ले कर शर्माते हुए नाख़ून चबाने लगती है. रमेश उठ कर रसोई में आते है. एक नज़र उमा और उर्मिला पर डाल कर वो पायल की चूतड़ों को स्कर्ट के ऊपर से दबा देते है. पायल चुप-चाप मुस्कुराते हुए खड़ी रहती है. रमेश मोमबत्ती ढूंढने का नाटक करते हुए पायल की स्कर्ट में हाथ घुसा कर उसकी चुतड को पंजों में भर कर दबा देता है. पायल बिना कुछ कहे पापा को मुस्कुराते हुए देखती है और फिर नज़रे चाय के बर्तन पर जमा देती है. रमेश इस बार पायल के पीछे खड़े हो कर धोती के ऊपर से अपना लंड पायल की चूतड़ों के बीच सटा कर दबा देते है. पायल भी मस्ती में अपनी चुतड पीछे कर के पापा के लंड पर दबाव डाल देती है. रमेश झट से अपना लंड धोती से बहार निकालते है और पायल की स्कर्ट उठा के चूतड़ों के बीच ठेल देते है. पापा का लंड पैन्टी के ऊपर से उसके गांड के छेद से टकरा जाता है. पायल उच्छल जाती है और उसके मुहँ से आवाज़ निकल जाती है...

पायल : आह्ह्हह्ह.....!!!

उमा : (ड्राइंग रूम से) क्या हुआ पायल? चोट लग गई क्या?

पायल सँभलते हुए अपनी स्कर्ट ठीक करती है. रमेश भी झट से एक मोमबत्ती ले कर रसोई से बाहर जाने लगते है.

पायल : कुछ नहीं मम्मी. चाय के बर्तन से हाथ जल गया...

उमा : ध्यान से काम किया कर ना...जैसा बाप, वैसी बेटी...

उर्मिला इस बात पर मन ही मन मुस्कुरा देती है. रमेश फिर से खाने की टेबल पर दूसरी मोमबत्ती जलाकर बैठ जाते है. रसोई में पायल पापा के लिए कप में चल डाल देती है. पापा की नज़रे अब भी पायल पर ही है. पायल देखती है की पापा अब भी उसे घुर के देख रहे हैं तो उसके दिमाग में बदमाशी सूझती है. वो पापा को देखते हुए धीरे से अपनी टॉप ऊपर उठा देती है और अपने बड़े-बड़े दूध दोनों हाथों से पकड़ लेती है. पायल को अपने नंगे दूध इस तरह से पकडे देख, रमेश की हालत ख़राब हो जाती है. पायल अपने दोनों दूधों को पकडे चाय के प्याले के ठीक ऊपर ले जाती है और जोर से दबा देती है जैसे वो पापा की चाय में अपना दूध डाल रही हो. पायल की इस हरकत से पापा धोती में हाथ डाल कर लंड दबा देते है. फिर पायल अपनी टॉप निचे कर, चाय का प्याला लिए पापा के पास आती है.

पायल : पापा आपकी चाय...

रमेश : (पायल को देख, मुस्कुराते हुए चाय की एक चुस्की लेते है) हुम्म्मम्म...!! वाह..!! मज़ा आ गया पायल. ऐसी दुधिया चाय तो मुझे सिर्फ तू ही पिला सकती है. लगता है खुल के दूध डाला है चाय में.

पायल : (मुस्कुराते हुए) घर का ताज़ा-ताज़ा दूध है पापा, मज़ा तो आएगा ही.

दोनों बाप-बेटी एक दुसरे के बदन की आग भड़काने में लग जाते है. उर्मिला जब ये देखती है तो वो जान बुझ के उमा से कहती है.

उर्मिला : मम्मी जी...चलिए ना...छत पर चलते है. एक जगह बैठे-बैठे कमर दुःख रही है.

उमा : हाँ उर्मिला...छत पर ही चलते है. हवा भी अच्छी चल रही है. आप भी चलिए....

रमेश : अरे नहीं उमा...मैं ये कागज़ का काम पूरा कर लूँ...

उमा : पायल तू चल...

पायल : नहीं मम्मी...मैं अपने रूम में जा रही हूँ...थोडा अराम करती हूँ...

उमा : ठीक है. जैसी मर्ज़ी. चल उर्मिला...हम दोनों ही चलते है.

उर्मिला : मम्मी आप चलिए...मैं बस २ मिनट में आई.

उमा धीरे-धीरे सीढ़ियों से छत पर जाने लगती है. पायल अपने कमरे की तरफ जाती है तो उर्मिला उसके पीछे आ जाती है. पायल की चुतड पर एक चपत लगते हुए.

उर्मिला : हाय मेरी ननद रानी...आजकल तो पापा से खूब बातें हो रही है.

पायल : हाँ भाभी...पापा भी बदन में आग ही लगा देते है.

उर्मिला : देख पायल, तू तो जानती है ना की तेरे पापा तुझे नंगी करके खूब पटक-पटक के चुदाई करना चाहते है...

पायल : हाँ भाभी...जानती हूँ...

उर्मिला : तो मेरी प्यारी ननद जी...कुछ करिए...

पायल : आप बताईये ना भाभी...

उर्मिला : सब कुछ मैं ही बताउंगी तो मेरी पायल क्या करेगी? बाबूजी का लंड भी मैं अपनी ही बूर में डलवा लूँ?

पायल : (खुश होते हुए) हाँ भाभी....!! डलवा लो. दोनों ननद-भाभी नंगी हो कर पापा से खूब बूर चुदवाएंगे....

उर्मिला : (पायल के गाल पर धीरे से चपत लगते हुए) मेरी ननद रानी...पापा अपनी बहु-बेटी की एक साथ बूर चोदेंगे तो वो जोश में लंड का पानी हम दोनों की बुरों में गिरा देंगे.

पायल : (उर्मिला का हाथ ख़ुशी से पकड़ते हुए) तो हम दोनों अपनी बुरों में गिरवा लेंगे ना भाभी... ये भी तो सोचिये की मज़ा कितना आएगा....जरा सोचिये तो....आप और मैं एक साथ बिस्तर पर टाँगे खोले, अपनी फूली हुई बुरों को फैलाये लेटी हैं और बाबूजी बारी-बारी हम दोनों की बूर चोद रहे है.

उर्मिला : अच्छा ठीक है बाबा...हम दोनों बाबूजी का लंड साथ में ले लेंगी....लेकिन पहले तू तो कुछ कर...

पायल : (खुश होते हुए) हाँ भाभी...करती हूँ....

उर्मिला : अच्छा अब मैं चलती हूँ...सोनू अभी सो रहा है. मैं मम्मी जी को छत पर कुछ वक़्त तक रोके रखूंगी...ठीक है?

पायल : ठीक है भाभी....

उर्मिला वहां से चली जाती है. रमेश उर्मिला को छत पर जाते हुए देखते है तो वो धीरे से उठ कर पायल के कमरे की तरफ बढ़ने लगते है.

पायल अपने कमरे में बिस्तर पर टाँगे खोल कर लेती है. उसकी स्कर्ट जांघो तक है और पैन्टी दिख रही है. वो अपने फ़ोन में कुछ देख रही है और फ़ोन की रौशनी से उसका चेहरा चमक रहा है. तभी उसे पापा की आवाज़ आती है.

रमेश : क्या कर रही है मेरी पायल?

पापा की आवाज़ सुन कर पायल खुश हो जाती है. वो मुस्कुराते हुए जवाब देती है.

पायल : कुछ नहीं पापा...बस ऐसे ही लेट कर फ़ोन के साथ वक़्त बिता रही हूँ...

रमेश चलते हुए पायल के पास आते है और उसकी पास बैठ जाते है. अपने हाथों से वो पायल की जाँघों को सहलाने लगते है. धीरे-धीरे रमेश के हाथ पायल की जांघो पर फिसलते हुए जाँघों की जड़ों तक चले जाते है और पायल की पैन्टी को छूने लगते है.

रमेश : पायल...पापा का बड़ा मन करता है....

पायल : क्या मन करता है पापा?

रमेश : येही की अपनी पायल बिटिया को खूब प्यार करें....

पायल : मन तो मेरा भी बहुत करता है की आप मुझे दिन रात प्यार करें पापा....

रमेश : पापा का प्यार बहुत बड़ा है बेटी... और तुझे देख कर तो मेरा प्यार और भी बड़ा हो जाता है...

पायल : सच पापा?

रमेश : हाँ पायल...(रमेश पायल का हाथ पकड़ कर अपनी धोती में घुसा देते है और मोटा लंड उसके हाथ में दे देते है). देख ....कितना बड़ा है तेरे पापा का प्यार...

पायल बड़ी-बड़ी आँखों से पापा को देखने लगती है और पापा के लंड की मोटाई को हाथों से महसूस करने लगती है. पायल को ऐसा लगता है की किसीने उसके हाथों में लम्बा और मोटा लट्ठ पकड़ा दिया हो. वो सीसीयाते हुए पापा से कहती है.

पायल : सीईईईइ.....पापा..यह तो बहुत लम्बा और मोटा है.....

रमेश : हाँ बेटी...और जब मेरी बिटिया रानी घर में बिना ब्रा के टॉप में अपने बड़े-बड़े दूध उठा के घुमती है तो ये और भी बड़ा हो जाता है....

पायल : सच पापा? आपको मेरा घर में बिना ब्रा की टॉप पहन कर घूमना अच्छा लगता है?

रमेश : बहुत अच्छा लगता है बिटिया. पापा का दिल तो करता है की दौड़ कर अपनी बिटिया रानी की टॉप उठा दूँ और उसके बड़े-बड़े दूध मसल दूँ...

रमेश कहते ही पायल की टॉप में एक हाथ दाल देता है और पायल के दूध को मसलने लगता है. पापा की इस हरकत से पायल भी जोश में आ जाती है और लंड को जोर से दबा देती है. पापा का लंड फूल के और भी मोटा हो जाता है.

पायल : पापा आप मेरे दूध मसलते है तो मुझे बहुत अच्छा लगता है...

रमेश : जानता हूँ पायल. जवान लड़कियों को अपने दूध मसलवाना बहुत पसंद है, ख़ास कर अपने पापा से. बहुत सी लड़कियां घर में चोरी-छिपे अपने पापा से खूब दूध मसलवाती है. पापा से दूध मसलवाने से लड़कियों के दूध जल्दी बड़े हो जाते है.

पायल : सच पापा?

रमेश : हाँ पायल...तुने देखा होगा की बहुत सी लड़कियों के छोटी उम्र में ही बड़े-बड़े दूध हो जाते है. ऐसी लडकियां अपने पापा से ही तो दबवा के अपने दूध बड़े करवाती है.

पायल : (बड़ी-बड़ी आँखों से) हाँ पापा...मेरी सहेली की दीदी के भी बहुत बड़े दूध है. मेरी सहेली बोल रही थी की जब उसकी मम्मी घर पर नहीं होती है तो पापा दीदी के रूम में चले जाते है और दरवाज़ा बंद करके घंटो तक रहते है.

रमेश : हाँ पायल...सही कहा बेटी...तेरी सहेली के पापा अपनी बड़ी बेटी के दूध को घंटो मसलते होंगे...और मुझे तो ये भी लगता है पायल की उसके पापा उसकी दीदी पर चढ़ के भी प्यार करते होंगे....

पापा की इस बात पर पायल शर्मा जाती है. फिर धीरे-धीरे पापा के लंड को सहलाते हुए कहती है.

पायल : पापा क्या सच में बाप अपनी बेटी पर चढ़ के प्यार करता है?

रमेश : (अब पायल की पैन्टी की साइड से अन्दर हाथ दाल कर उसके बूर के बालों से खेलने लगता है) हाँ पायल...बाप अपनी बेटियों पर चढ़ के खूब प्यार करते है.

पायल : (पूरी मस्ती में) ओह पापा....बहुत गर्मी लग रही है...

रमेश : मेरी बेटी तो पहले से ही बहुत गरम है. गर्मी तो लगेगी ही...

रमेश पायल के माथे, गले और पेट पर बहते पसीने को हाथ से पोंछता है.

रमेश : देखो तो..कितना पसीना आ रहा है मेरी बिटिया रानी को...और इतनी गर्मी में भी टॉप पहने हुए है...

पायल : (पापा के लंड को जोर जोर से मुठियाते हुए) तो ऊपर कर दीजिये ना पापा...

रमेश पायल की पैन्टी से हाथ निकाल कर, दोनों हाथों से उसकी टॉप उठा कर दोनों दूध के ऊपर कर देता है. पायल के बड़े-बड़े सक्त दूध पापा की आँखों के सामने आ जाते है. रमेश दोनों दूध को गौर से देखता है दोनों हाथों से पकड़ के आपस में मिला देता है.

रमेश : आह पायल...!! पापा का दूध पीने का बहुत दिल कर रहा है बेटी...

पायल : (पापा के लंड को मुथियते हुए आँखे बंद कर लेती है) ओह पापा...!! तो पी लीजिये ना...

रमेश अपना एक पैर बिस्तर पर रखता है और दुसरे पैर को घुटनों से मोड़ कर पायल पर झुक जाता है. रमेश का लंड पायल के हाथ में है और वो उसे जोर जोर से हिला रही है. रमेश झुक कर पायल का एक निप्पल मुह में ले लेता है. पायल लंड मुठियाते हुए मचल जाती है. रमेश पायल के निप्पल को मुहँ में भर के चूसने लगता है. पायल का दूसरा था पापा के सर पर आ जाता है और वो उनके बालों को पकड़ लेती है. रमेश निप्पल चूसते हुए बीच बीच में अपना बड़ा मुहँ पूरा खोल कर पायल के दूध को मुहँ में भर लेता है. कुछ देर चूसने के बाद रमेश पायल के दुसरे दूध पर धावा बोल देता है. दुसरे दूध के निप्पल को जोर जोर से चूसने से पायल सिस्कारियां लेने लगती है. फिर रमेश दोनों दूध को आपस में सटा कर बारी बारी दोनों को चूसने तो कभी मुहँ में भरने लगता है. पायल पूरी मस्ती में अपने होश खो बैठती है.

पायल : हाँ पापा.....ऐसे ही...ऐसे ही मेरा दूध पीजिये पापा....

पायल को ऐसे मस्ती में आता हुआ देख कर रमेश का जोश दुगना हो जाता है. वो उसके दूध को दबा-दबे के पीने लगता है और एक हाथ से अपने लंड की चमड़ी पूरी निचे कर देता है. तभी रमेश पायल के निप्पल को हलके से दांतों से काट लेता है तो पायल उच्छल कर रमेश से लिपट जाती है. रमेश पायल को उठा के अपने सीने से लगा लेता है तो पायल अपनी दोनों टाँगे उसकी कमर में लपेट देती है. अपने हाथो को पापा के गले में लपेट कर पायल सीने से चिपक जाती है. रमेश का लंड पायल की पैन्टी के ऊपर से उसकी बूर पर रगड़ खाने लगता है. वो पायल के बूर की गर्मी अपने लंड पर महसूस कर रहा है. पायल के बड़े बड़े दूध रमेश के सीना पर चिपके हुए है. रमेश हाथों से अपने कुरते को ऊपर कर लेता है तो पायल के नंगे दूध उसकी नंगी छाती पर दब जाते है. बेटी के बड़े और मुलायम दूध के स्पर्श से ही रमेश का लंड झटके खाते हुए पायल की बूर पर टकराने लगता है.

रमेश : अच्छा लगा रहा है बेटी?

पायल : (मदहोशी के साथ) हाँ पापा...बहुत अच्छा लग रहा है.

रमेश : जरा अपने दूध पापा के सीने पर रगडो बेटा...

पायल अपने सीने को ऊपर निचे करते हुए बड़े-बड़े दूध को पापा की छाती पर रगड़ने लगती है. रमेश का जोश अब और बढ़ जाता है. वो एक ऊँगली मुहँ में लेता है और पीछे से पायल की पैन्टी में दाल कर उसके गांड के छेद पर घुसाने लगता है. पायल उच्छल कर पापा से फिर से चिपक जाती है. रमेश ऊँगली निचे ले जा कर उसकी गीली बूर पर ४-५ बार रगड़ता है और फिर उसके गांड के छेद में घुसाने लगता है. बूर के रस से भीगी ऊँगली पायल के छेद में घुस जाती है. रमेश थोडा और जोर लगता है तो ऊँगली आधी अन्दर घुस जाती है. अपनी गांड में पापा की ऊँगली को महसूस कर के पायल मस्ती में आ जाती है. बूर से तो वो कई बार खेल चुकी थी लेकिन गांड के छेद में आज पहली बार कोई ऊँगली गई थी. पायल को अपने सीने से लगाये और गांड में ऊँगली डाले, रमेश कमरें में धेरे-धीरे टहलने लगते है. टहलते हुए वो कभी अपनी ऊँगली अन्दर-बाहर कर देते तो कभी लंड को पायल की बूर पर रगड़ देते. पायल तो अपना होश पहले ही खो बैठी थी. रमेश अब मौका देख कर अपने लंड को पैन्टी के साइड से अन्दर डाल के पायल की बूर पर रखता है और धीरे-धीरे टोपे को उसकी बूर पर रगड़ने लगता है. हर बार लंड रगड़ने पर पायल किसी बच्चे की तरह उच्छल जाती. तभी एक तेज़ रौशनी से सारा कमरा जगमगा उठता है. घर की बिजली आ चुकी थी. दोनों बाप-बेटी मिलन के बहुत करीब थे पर किस्मत को कुछ और मंजूर था.

कमरे की लाइट जलते ही पायल आँखे खोलती है तो कमरे का दरवाज़ा खुला है. वो झट से पापा की गोद से उतर जाती है और अपनी टॉप निचे कर लेती है. रमेश भी अपने कुरते और धोती को ठीक करता है. पायल अपने बाल ठीक करते हुए पापा को देखती है. पापा की आँखों में वो उसके लिए प्यार और हवस दोनों देख रही है. आज पापा के साथ जो कुछ ही हुआ उसने पायल की बूर की आग को कहीं ज्यादा भड़का दिया था. कुछ ही क्षण में दोनों होश में आते ही और एक दुसरे को देख मुस्कुराने लगते है.

रमेश : मजा आया मेरी बिटिया रानी को?

पायल : (नखरे दिखाते हुए) छी पापा...!! अपनी बेटी के साथ कोई ऐसा करता है क्या?

रमेश : (मुस्कुराते हुए पायल के गाल पर हाथ फेरते हुए) तो किसके साथ करता है?

पायल : (मुहँ बना के नखरे के साथ) क्यूँ? घर में सिर्फ मैं ही एक जवान हूँ क्या? उर्मिला भाभी भी तो है. और भाभी के दूध तो मुझसे भी बड़े है.

पायल की बात सुन कर रमेश का लंड फिर से झटके लेने लगता है. वो मुस्कुराते हुए पायल की ठोढ़ी की उठाते हुए कहता है.

रमेश : तो मेरी पायल बिटिया अपनी भाभी को भी छत पर ले आये. मैंने कब मन किया है. घर की बहु-बेटी का ख्याल रखना तो मेरा फ़र्ज़ है ना...?

पायल : (खुश हो कर) सच पापा? अगली बार उर्मिला भाभी को भी ले आऊ छत पर?

रमेश : हाँ पायल...ले आना बहु को भी.

पायल ख़ुशी से पापा से चिपक जाती है. रमेश उसकी पीठ पर हाथ रख के दबा देते है और अपनी छाती पर उसके दूध का एक बार फिर से मजा ले लेते है. पायल पापा को देख के मुस्कुराती है है दौड़ कर बाहर चली जाती है. रमेश मन ही मन अपने लंड के लिए घर में दो जवान बुरों का इंतज़ाम होता देख खुश हो जाता है और गाना गुनगुनाते हुए जाने लगते है..... "अरे चढ़ गयो ऊपर रे....अटरिया पे दो-दो कबूतर रे....."

(कहानी जारी है. अब तक कैसी लगी कृपया कर के बतायें )
Bhout hi Sexy👙👠💋👙👠💋👙👠💋 update.
 

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हमेशा की तरह लाजवाब अकल्पनीय अध्भुत,सारे पात्र एक दूसरे के करीब आ रहे हैं अच्छा लगा
जैसे पहले भी लिखा मेरे पास शब्द कम पड़ जाते हैं "मस्तरानी जी"
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Annual Story Contest - XForum
Hello everyone!
We are thrilled to present the annual story contest of XForum!
"The Ultimate Story Contest" (USC).

"Win cash prizes up to Rs 8500!"


Jaisa ki aap sabko maloom hai abhi pichhle hafte hi humne USC ki announcement ki hai or abhi kuch time pehle Rules and Queries thread bhi open kiya hai or Chit Chat thread toh pehle se hi Hindi section mein khula hai.

Well iske baare mein thoda aapko bata dun ye ek short story contest hai jisme aap kisi bhi prefix ki short story post kar sakte ho, jo minimum 700 words and maximum 8000 words ke bich honi chahiye (Story ke words count karne ke liye is tool ka use kare — Characters Tool) . Isliye main aapko invitation deta hun ki aap is contest mein apne khayaalon ko shabdon kaa roop dekar isme apni stories daalein jisko poora XForum dekhega, Ye ek bahot accha kadam hoga aapke or aapki stories ke liye kyunki USC ki stories ko poore XForum ke readers read karte hain.. Aap XForum ke sarvashreshth lekhakon mein se ek hain. aur aapki kahani bhi bahut acchi chal rahi hai. Isliye hum aapse USC ke liye ek chhoti kahani likhne ka anurodh karte hain. hum jaante hain ki aapke paas samay ki kami hai lekin iske bawajood hum ye bhi jaante hain ki aapke liye kuch bhi asambhav nahi hai.

Aur jo readers likhna nahi chahte woh bhi is contest mein participate kar sakte hain "Best Readers Award" ke liye. Aapko bas karna ye hoga ki contest mein posted stories ko read karke unke upar apne views dene honge.

Winning Writer's ko well deserved Cash Awards milenge, uske alawa aapko apna thread apne section mein sticky karne ka mouka bhi milega taaki aapka thread top par rahe uss dauraan. Isliye aapsab ke liye ye ek behtareen mouka hai XForum ke sabhi readers ke upar apni chhaap chhodne ka or apni reach badhaane kaa.. Ye aap sabhi ke liye ek bahut hi sunehra avsar hai apni kalpanao ko shabdon ka raasta dikha ke yahan pesh karne ka. Isliye aage badhe aur apni kalpanao ko shabdon mein likhkar duniya ko dikha de.

Entry thread 25th March ko open ho chuka matlab aap apni story daalna shuru kar sakte hain or woh thread 25th April 2025 tak open rahega is dauraan aap apni story post kar sakte hain. Isliye aap abhi se apni Kahaani likhna shuru kardein toh aapke liye better rahega.

Aur haan! Kahani ko sirf ek hi post mein post kiya jaana chahiye. Kyunki ye ek short story contest hai jiska matlab hai ki hum kewal chhoti kahaniyon ki ummeed kar rahe hain. Isliye apni kahani ko kayi post / bhaagon mein post karne ki anumati nahi hai. Agar koi bhi issue ho toh aap kisi bhi staff member ko Message kar sakte hain.

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