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Incest घर की जवान बूरें और मोटे लंड - [ Incest - घरेलू चुदाई की कहानी ]

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पायल किस से अपनी सील तुड़वाये ?

  • पापा

    Votes: 196 70.0%
  • सोनू

    Votes: 80 28.6%
  • शादी के बाद अपने पति से

    Votes: 4 1.4%

  • Total voters
    280
  • Poll closed .

Mastrani

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अपडेट ११:

सुबह के ६:३५ बज रहें है. उर्मिला गैस पर चाय चढ़ा के रोज की तरह रसोई का दूसरा काम कर रही है. तभी पायल वहां आती है. वही गुलाबी टॉप पहने, कन्धों पर दुपट्टा और निचे टाइट फिटिंग वाला पजामा.

पायल : गुड मोर्निंग भाभी...

उर्मिला : गुड मोर्निंग पायल... (ऊपर से निचे देखती है) कमाल की लग रही है पायल... लेकिन ये दुपट्टा क्यूँ डाल रखा है... निकाल इसे...

पायल दुपट्टा निकाल देती है और पास के टेबल पर रख देती है. उसकी नज़रे यहाँ वहां घूम रही है जैसे किसी को तलाश रहीं हो.

उर्मिला : पापा को ढूंड रही है?

पायल : (मुस्कुराते हुए बेहद धीमी आवाज़ में) हाँ...!! कहाँ है पापा...?

उर्मिला : आ जायेंगे...इतनी उतावली क्यूँ हो रही है...

तभी पायल और उर्मिला को कदमो की आहट सुनाई देती है. दोनों सतर्क हो जाती है. रमेश अपने सर को गर्दन से गोल गोल घुमाते, गर्दन की अकडन ठीक करते हुए रसोई में आते है.

रमेश : बहू.... (इतना कहते ही बाबूजी जी नज़र पायल पर पड़ती है और उनका घूमता सर वैसे ही थम जाता है. आज पायल ने दुपट्टा नहीं लिया है. पायल की बेहद टाइट टॉप उसके बड़े बड़े खरबूजों पर कसी हुई है. टॉप के बड़े गले से चुचियों के बीच की गहरी गली साफ़ दिखाई दे रही है. बाबूजी की नज़रे पायल के सीने के बीच की गहरी खाई पर आ कर रुक जाती है)

उर्मिला : क्या हुआ बाबूजी...??

रमेश : (उर्मिला की आवाज़ सुन के अपने आप को संभालता है) अ...कुछ नहीं बहु...ये..ये...पायल आज फिर से इतनी जल्दी उठ गई...? पायल बेटी...आज तू फिर से इतनी सुबह ?

पायल : हाँ पापा...कल मैंने कहा था ना की अब से मैं रोज जल्दी उठ जाया करुँगी और भाभी का काम में हाथ बटाया करुँगी...तो बस...उठ गई जल्दी...(पायल अपने चेहरे पर भोलापन लाते हुए कहती है)

रमेश : (पायल के सर पर हाथ रखते हुए) शाबाश बिटिया....!! बहुत अच्छा कर रही हो तुम... (एक नज़र टाइट टॉप में उठी हुई पायल की बड़ी बड़ी चुचियों पर डालने के बाद रमेश उर्मिला से कहता है) अच्छा बहु....वो ..चाय बन गई क्या?

उर्मिला : बस बाबूजी बनने ही वाली है. आप छत पर जाइये, मैं आपकी चाय ले कर ऊपर ही आ जाउंगी.

रमेश : (थोडा हिचकिचाते हुए) अरे नहीं नहीं बहु ..दिन में दस बार ऊपर निचे करती है, थक जाती होगी. अभी पायल तो ऊपर आएगी ही ना...(पायल की तरफ घूम कर) क्यूँ पायल ? तू तो कपडे डालने आएगी ना छत पर?

पायल : हाँ पापा...अभी वाशिंग मशीन से कपड़े निकाल के बाल्टी में डालूंगी उसके बाद आउंगी....

रमेश : हाँ तो बहु...पायल मेरी चाय लेते आ जाएगी...अब ये उठी ही है तेरी मदद करने तो फिर करने दे इसे...

उर्मिला : हाँ बाबूजी...सही कहा आपने....येही आपकी चाय ले कर छत पर आ जाएगी. और जब ये काम ही करने के लिए जल्दी उठी है तो छत वाले सारे काम मैं पायल को ही दे देती हूँ....

रमेश : (अपनी ख़ुशी को किसी तरह से छुपाते हुए) हाँ हाँ बहु....!! छत के सारे काम करवाओ इस से....और मैं तो कहता हूँ की अभी सुबह सुबह ही सारे काम करवालो पायल से...एक बार इसकी माँ उठ गई तो पता नहीं इसे किस काम पर लगा दे...

उर्मिला : हाँ बाबूजी आपने बिलकुल सही कहा...छत के सारे काम मैं इस से अभी ही करवा लेती हूँ...

रमेश : हाँ बहू...छत के सारे काम करवा लो पायल से अभी...अच्छा अब मैं चलता हूँ...कसरत की तैयारी कर लूँ छत पर....

बाबूजी छत की सीढ़ियों की तरफ जाने लगते है. रसोई में पायल और उर्मिला एक दुसरे की तरफ देख के मुस्कुरा रहीं है.

उर्मिला : पायल..! तेरा काम तो बन गया....

पायल : हाँ भाभी...! (फिर चेहरे पर डर का भाव लाते हुए) लेकिन भाभी...अगर कोई छत पर अचानक से आ गया तो?

उर्मिला आँखे गोल गोल घुमाते हुए कुछ क्षण सोचती है फिर अचानक बाबूजी को आवाज़ देती है.

उर्मिला : बाबूजी...!!!!

रमेश चलते चलते उर्मिला की आवाज़ सुन कर रुक जाता हैं और पीछे मुड़ के उर्मिला को देखते है.

रमेश :क्या बात है बहु?

उर्मिला : (मुस्कुराते हुए) देखिये ना बाबूजी.....पायल क्या कह रही है....

उर्मिला ना जाने क्या कहने वाली है ये सोच कर पायल की सिट्टी-पिट्टी गम हो जाती है. वो भाभी का हाथकस के पकड़ लेती है.

रमेश : (दूर से ही पायल की तरफ देखते हुए) क्या कह रही है मेरी बिटिया रानी?

उर्मिला : बाबूजी ये कह रही है की अगर इसका दिल काम में ना लगा तो ये निचे आ जाएगी. कॉलेज बंद हुए १ दिन हुआ है और देखिये कैसे अभी से रंग दिखाना शुरू कर दिया है इसने...(उर्मिला पायल की नाक पकड़ के धीरे से दबाते हुए) एक दम नटखट हो रही है आपकी बिटिया रानी...

उर्मिला की इस बात से पायल की जान में जान आती है.

रमेश : (हँसते हुए) क्यूँ पायल? बहु सही कह रही है?

उर्मिला पीछे से पायल की चुतड पर चुटकी काट लेती है तो पायल, जो अब तक खामोश थी, झट से बोल पड़ती है.

पायल : (बचपना दिखाते हुए) हाँ पापा...!! मेरा दिल नहीं लगेगा काम में तो मैं भाग कर निचे आ जाउंगी....

उर्मिला : देखा बाबूजी आपने...? कितनी नटखट होती जा रही है आपकी लाड़ली...आप एक काम करियेगा बाबूजी. जब पायल छत पर आएगी तो ऊपर से दरवाज़ा बंद कर लीजियेगा ताकि ये भाग कर निचे ना आ सके. और बाबूजी अब ये आपकी जिम्मेदारी है की पायल ठीक तरह से छत के सारे काम करे. फिर बाद में मुझे ही करना पड़े तो क्या फायदा.

उर्मिला की बात सुन के रमेश किसी तरह से अपनी मुस्कान को चेहरे पर आने से रोकता है.

रमेश : अ..अ..हाँ बहु.. मैं ऊपर से दरवाज़ा बंद कर लूँगा. और तुम चिंता मत करो. मैं खुद खड़े हो कर इस से सारे काम करवाऊंगा....(फिर कुछ सोच कर) लेकिन बहु...अगर घर में किसी को छत पर कोई काम हुआ तो? मेरा मतलब है की मैं अपनी कसरत कर रहा हूँ और पायल अपने काम में वैस्थ है तो पता नहीं चल पायेगा ना की दरवाज़ा खोलना है.

उर्मिला : कोई नहीं आएगा बाबूजी...सोनू तो ९ बजे से पहले उठेगा नहीं. मम्मी जी ७ बजे उठेगी और चाय पीते हुए टीवी के सामने जम जायेंगी. प्रवचन १ - १:३० घंटे तो चलता ही है. और रही मैं, तो रसोई का काम करने में मुझे भी १ - १:३० घंटे लग ही जायेंगे. आप छत का दरवाज़ा लगा लीजियेगा, कोई नहीं आएगा..

रमेश : (अपनी ख़ुशी को छुपाते हुए) अच्छा..अच्छा ठीक है बहु...मैं ऊपर का दरवाज़ा लगा लूँगा...अब मैं चलता हूँ...

बाबूजी के जाते ही पायल ख़ुशी से भाभी से चिपक जाती है.

पायल : वाह भाभी...!! आपने तो कमाल कर दिया...

उर्मिला : तो तू क्या मुझे ऐसा-वैसा समझती है? अब ध्यान से सुन मेरी बात...बाबूजी के सामने झुक झुक के काम करना. जरुरत पड़े तो अपना सीना थोड़ा उठा भी देना. अगर बाबूजी कोई काम करने कहें तो चुप चाप कर देना. समझ गई ना?

पायल : (ख़ुशी के साथ) जी भाभी...समझ गई...

उर्मिला : अब ये चाय का प्याला ले और वो रही सामने बाल्टी, उठा और सीधा छत पर चली जा...

पायल : जी भाभी...

पायल घूम कर जाने लगती है. पीछे से उर्मिला आवाज़ देती है.

उर्मिला : आरी ओ पायल रानी...!!

पायल : (घूम कर) हाँ भाभी...

उर्मिला : वो तो मेरे पास छोड़ कर जा....

पायल : (भ्रमित हो कर) वो आपके पास छोड़ कर जाऊं? वो क्या भाभी?

उर्मिला : (मुस्कुराते हुए) अपनी 'लाज-शर्म' और क्या...

पायल को हँसी आ जाती है. फिर एक नज़र इधर-उधर डाल के उर्मिला की ओर देखती है . एक हाथ से चाय का प्याला पकड़े, दुसरे हाथ से टॉप उठा के अपनी नंगी चूची को मसलते हुए कहती है.

पायल : (चूची मसलते हुए) "उफ्फ पापा..!!"

और दोनों जोर से हँस देती हैं.

पायल : अच्छा भाभी अब मैं चलती हूँ....

पायल कपड़ों की बाल्टी उठाये दुसरे हाथ में चाय का प्याला लिए, सीढ़ियों पर धीरे धीरे चड़ने लगती है. पीछे से उर्मिला उसकी हिलती हुई चौड़ी चूतड़ों को देखती है. "लगता है आज पायल रानी बाबूजी की बड़ी पिचकारी से होली खेल के ही दम लेगी". और उर्मिला भी रसोई में अपने काम पर लग जाती है.

(कहानी जारी है. अब तक कैसी लगी कृपया कर के बतायें )
 

The_Punisher

Death is wisest of all in labyrinth of darkness
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सुबह के ६:३५ बज रहें है. उर्मिला गैस पर चाय चढ़ा के रोज की तरह रसोई का दूसरा काम कर रही है. तभी पायल वहां आती है. वही गुलाबी टॉप पहने, कन्धों पर दुपट्टा और निचे टाइट फिटिंग वाला पजामा.

पायल : गुड मोर्निंग भाभी...

उर्मिला : गुड मोर्निंग पायल... (ऊपर से निचे देखती है) कमाल की लग रही है पायल... लेकिन ये दुपट्टा क्यूँ डाल रखा है... निकाल इसे...

पायल दुपट्टा निकाल देती है और पास के टेबल पर रख देती है. उसकी नज़रे यहाँ वहां घूम रही है जैसे किसी को तलाश रहीं हो.

उर्मिला : पापा को ढूंड रही है?

पायल : (मुस्कुराते हुए बेहद धीमी आवाज़ में) हाँ...!! कहाँ है पापा...?

उर्मिला : आ जायेंगे...इतनी उतावली क्यूँ हो रही है...

तभी पायल और उर्मिला को कदमो की आहट सुनाई देती है. दोनों सतर्क हो जाती है. रमेश अपने सर को गर्दन से गोल गोल घुमाते, गर्दन की अकडन ठीक करते हुए रसोई में आते है.

रमेश : बहू.... (इतना कहते ही बाबूजी जी नज़र पायल पर पड़ती है और उनका घूमता सर वैसे ही थम जाता है. आज पायल ने दुपट्टा नहीं लिया है. पायल की बेहद टाइट टॉप उसके बड़े बड़े खरबूजों पर कसी हुई है. टॉप के बड़े गले से चुचियों के बीच की गहरी गली साफ़ दिखाई दे रही है. बाबूजी की नज़रे पायल के सीने के बीच की गहरी खाई पर आ कर रुक जाती है)

उर्मिला : क्या हुआ बाबूजी...??

रमेश : (उर्मिला की आवाज़ सुन के अपने आप को संभालता है) अ...कुछ नहीं बहु...ये..ये...पायल आज फिर से इतनी जल्दी उठ गई...? पायल बेटी...आज तू फिर से इतनी सुबह ?

पायल : हाँ पापा...कल मैंने कहा था ना की अब से मैं रोज जल्दी उठ जाया करुँगी और भाभी का काम में हाथ बटाया करुँगी...तो बस...उठ गई जल्दी...(पायल अपने चेहरे पर भोलापन लाते हुए कहती है)

रमेश : (पायल के सर पर हाथ रखते हुए) शाबाश बिटिया....!! बहुत अच्छा कर रही हो तुम... (एक नज़र टाइट टॉप में उठी हुई पायल की बड़ी बड़ी चुचियों पर डालने के बाद रमेश उर्मिला से कहता है) अच्छा बहु....वो ..चाय बन गई क्या?

उर्मिला : बस बाबूजी बनने ही वाली है. आप छत पर जाइये, मैं आपकी चाय ले कर ऊपर ही आ जाउंगी.

रमेश : (थोडा हिचकिचाते हुए) अरे नहीं नहीं बहु ..दिन में दस बार ऊपर निचे करती है, थक जाती होगी. अभी पायल तो ऊपर आएगी ही ना...(पायल की तरफ घूम कर) क्यूँ पायल ? तू तो कपडे डालने आएगी ना छत पर?

पायल : हाँ पापा...अभी वाशिंग मशीन से कपड़े निकाल के बाल्टी में डालूंगी उसके बाद आउंगी....

रमेश : हाँ तो बहु...पायल मेरी चाय लेते आ जाएगी...अब ये उठी ही है तेरी मदद करने तो फिर करने दे इसे...

उर्मिला : हाँ बाबूजी...सही कहा आपने....येही आपकी चाय ले कर छत पर आ जाएगी. और जब ये काम ही करने के लिए जल्दी उठी है तो छत वाले सारे काम मैं पायल को ही दे देती हूँ....

रमेश : (अपनी ख़ुशी को किसी तरह से छुपाते हुए) हाँ हाँ बहु....!! छत के सारे काम करवाओ इस से....और मैं तो कहता हूँ की अभी सुबह सुबह ही सारे काम करवालो पायल से...एक बार इसकी माँ उठ गई तो पता नहीं इसे किस काम पर लगा दे...

उर्मिला : हाँ बाबूजी आपने बिलकुल सही कहा...छत के सारे काम मैं इस से अभी ही करवा लेती हूँ...

रमेश : हाँ बहू...छत के सारे काम करवा लो पायल से अभी...अच्छा अब मैं चलता हूँ...कसरत की तैयारी कर लूँ छत पर....

बाबूजी छत की सीढ़ियों की तरफ जाने लगते है. रसोई में पायल और उर्मिला एक दुसरे की तरफ देख के मुस्कुरा रहीं है.

उर्मिला : पायल..! तेरा काम तो बन गया....

पायल : हाँ भाभी...! (फिर चेहरे पर डर का भाव लाते हुए) लेकिन भाभी...अगर कोई छत पर अचानक से आ गया तो?

उर्मिला आँखे गोल गोल घुमाते हुए कुछ क्षण सोचती है फिर अचानक बाबूजी को आवाज़ देती है.

उर्मिला : बाबूजी...!!!!

रमेश चलते चलते उर्मिला की आवाज़ सुन कर रुक जाता हैं और पीछे मुड़ के उर्मिला को देखते है.

रमेश :क्या बात है बहु?

उर्मिला : (मुस्कुराते हुए) देखिये ना बाबूजी.....पायल क्या कह रही है....

उर्मिला ना जाने क्या कहने वाली है ये सोच कर पायल की सिट्टी-पिट्टी गम हो जाती है. वो भाभी का हाथकस के पकड़ लेती है.

रमेश : (दूर से ही पायल की तरफ देखते हुए) क्या कह रही है मेरी बिटिया रानी?

उर्मिला : बाबूजी ये कह रही है की अगर इसका दिल काम में ना लगा तो ये निचे आ जाएगी. कॉलेज बंद हुए १ दिन हुआ है और देखिये कैसे अभी से रंग दिखाना शुरू कर दिया है इसने...(उर्मिला पायल की नाक पकड़ के धीरे से दबाते हुए) एक दम नटखट हो रही है आपकी बिटिया रानी...

उर्मिला की इस बात से पायल की जान में जान आती है.

रमेश : (हँसते हुए) क्यूँ पायल? बहु सही कह रही है?

उर्मिला पीछे से पायल की चुतड पर चुटकी काट लेती है तो पायल, जो अब तक खामोश थी, झट से बोल पड़ती है.

पायल : (बचपना दिखाते हुए) हाँ पापा...!! मेरा दिल नहीं लगेगा काम में तो मैं भाग कर निचे आ जाउंगी....

उर्मिला : देखा बाबूजी आपने...? कितनी नटखट होती जा रही है आपकी लाड़ली...आप एक काम करियेगा बाबूजी. जब पायल छत पर आएगी तो ऊपर से दरवाज़ा बंद कर लीजियेगा ताकि ये भाग कर निचे ना आ सके. और बाबूजी अब ये आपकी जिम्मेदारी है की पायल ठीक तरह से छत के सारे काम करे. फिर बाद में मुझे ही करना पड़े तो क्या फायदा.

उर्मिला की बात सुन के रमेश किसी तरह से अपनी मुस्कान को चेहरे पर आने से रोकता है.

रमेश : अ..अ..हाँ बहु.. मैं ऊपर से दरवाज़ा बंद कर लूँगा. और तुम चिंता मत करो. मैं खुद खड़े हो कर इस से सारे काम करवाऊंगा....(फिर कुछ सोच कर) लेकिन बहु...अगर घर में किसी को छत पर कोई काम हुआ तो? मेरा मतलब है की मैं अपनी कसरत कर रहा हूँ और पायल अपने काम में वैस्थ है तो पता नहीं चल पायेगा ना की दरवाज़ा खोलना है.

उर्मिला : कोई नहीं आएगा बाबूजी...सोनू तो ९ बजे से पहले उठेगा नहीं. मम्मी जी ७ बजे उठेगी और चाय पीते हुए टीवी के सामने जम जायेंगी. प्रवचन १ - १:३० घंटे तो चलता ही है. और रही मैं, तो रसोई का काम करने में मुझे भी १ - १:३० घंटे लग ही जायेंगे. आप छत का दरवाज़ा लगा लीजियेगा, कोई नहीं आएगा..

रमेश : (अपनी ख़ुशी को छुपाते हुए) अच्छा..अच्छा ठीक है बहु...मैं ऊपर का दरवाज़ा लगा लूँगा...अब मैं चलता हूँ...

बाबूजी के जाते ही पायल ख़ुशी से भाभी से चिपक जाती है.

पायल : वाह भाभी...!! आपने तो कमाल कर दिया...

उर्मिला : तो तू क्या मुझे ऐसा-वैसा समझती है? अब ध्यान से सुन मेरी बात...बाबूजी के सामने झुक झुक के काम करना. जरुरत पड़े तो अपना सीना थोड़ा उठा भी देना. अगर बाबूजी कोई काम करने कहें तो चुप चाप कर देना. समझ गई ना?

पायल : (ख़ुशी के साथ) जी भाभी...समझ गई...

उर्मिला : अब ये चाय का प्याला ले और वो रही सामने बाल्टी, उठा और सीधा छत पर चली जा...

पायल : जी भाभी...

पायल घूम कर जाने लगती है. पीछे से उर्मिला आवाज़ देती है.

उर्मिला : आरी ओ पायल रानी...!!

पायल : (घूम कर) हाँ भाभी...

उर्मिला : वो तो मेरे पास छोड़ कर जा....

पायल : (भ्रमित हो कर) वो आपके पास छोड़ कर जाऊं? वो क्या भाभी?

उर्मिला : (मुस्कुराते हुए) अपनी 'लाज-शर्म' और क्या...

पायल को हँसी आ जाती है. फिर एक नज़र इधर-उधर डाल के उर्मिला की ओर देखती है . एक हाथ से चाय का प्याला पकड़े, दुसरे हाथ से टॉप उठा के अपनी नंगी चूची को मसलते हुए कहती है.

पायल : (चूची मसलते हुए) "उफ्फ पापा..!!"

और दोनों जोर से हँस देती हैं.

पायल : अच्छा भाभी अब मैं चलती हूँ....

पायल कपड़ों की बाल्टी उठाये दुसरे हाथ में चाय का प्याला लिए, सीढ़ियों पर धीरे धीरे चड़ने लगती है. पीछे से उर्मिला उसकी हिलती हुई चौड़ी चूतड़ों को देखती है. "लगता है आज पायल रानी बाबूजी की बड़ी पिचकारी से होली खेल के ही दम लेगी". और उर्मिला भी रसोई में अपने काम पर लग जाती है.

(कहानी जारी है. अब तक कैसी लगी कृपया कर के बतायें )
Bahut kamuk update hai......
 
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rajeev13

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आपने तो मस्तराम का नाम रौशन कर दिया मस्तरानी जी, अगर वो ये कहानी पढ़ते तो आपकी पीठ थपथपा कर शाबाशी जरूर देते।
इतनी कामुक और उत्तेजक कहानी लिखने में आपकी अद्भुत लेखनशैली का भी योगदान है, इस मंच पर वैसे भी आप जैसी लेखिका की कमी थी,
जो आपने पूर्ण कर दी, आशा करता हूँ की हम जैसे पाठकों को आपकी ओर से ऐसे ही नित-नयी कहानियां मिले और हम इसी प्रकार आपका उत्साहवर्धन करते रहे।

धन्यवाद।
 

Nasn

Well-Known Member
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एक और बेहतरीन
अपडेट से पूरी xforum को
आपने गरमा दिया है ।


:bored:
 
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