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Adultery गुजारिश 2 (Completed)

HalfbludPrince

मैं बादल हूं आवारा
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#49

मैं दौड़ कर मीता के पास गया और देखा की वो पानी की हौदी में खड़ी थी , पर हौदी में पानी की जगह रेत भरी हुई थी , और मीता के हाथ में एक छोटी हांडी थी जिस पर लाल कपडा बंधा हुआ था .

“रुक मैं मिटटी हटाता हूँ ” मैंने उस से कहा और कस्सी ले आया. पर ये रात आज न जाने हमें क्या क्या दिखाने वाली थी . जैसे ही मैं रेत को कस्सी में भर से बाहर फेंकता वो पानी बन जाती . न मुझे कुछ न मीता को सूझ रहा था , मैंने जैसे ही उसके हाथ से वो हांडी ली , हौदी की रेत पानी में बदल गयी . और मीता हौदी से बाहर आ गयी .

“क्या हो रहा है ये ” उखड़ी सांसो को दुरुर्स्त करते हुए उसने मुझसे पूछा .

मैं- तू ठीक है न

मीता- हाँ, जैसे ही मैंने हौदी में दुबकी लगाई मेरे हाथो से ये हांडी टकराई मैंने इसे ऊपर खींचा और पानी रेत बन गया .

दिमाग भन्ना गया था और कहने को कुछ नहीं था . पर फिर भी मैंने कहा.

“मीता ये जो कुछ भी हो रहा है , इसकी शुरुआत उस दिन से हुई जब मैं पहली बार शिवाले में गया था ,वहां के पानी का भी ऐसे ही रेत बनना ये सबूत है की इस जमीन और शिवाले का गहरा सम्बन्ध है और हमें हर हाल में ये मालूम करना होगा. ” मैंने कहा

मीता- सही कहा तुमने

मैं- बस एक बार इस उलझी डोर का किनारा मेरे हाथ में आ जाये. पर अगर ये घटना तेरे साथ हुई है तो तू भी इस डोर में उलझी है मीता ,चल खोल कर देखते है इस हांडी को .

मीता कुछ कहती उस से पहले मैंने हांडी का लाल कपडा खोल दिया.

“भक्क ” से हांडी से काला सा धुंआ निकला और हमने देखा की हांडी के अन्दर कुछ अस्थिया पड़ी थी, जिनकी हालत देख कर लगता था की वो बहुत ज्यादा ही पुरानी होंगी.

मीता- इसका क्या मतलब

मैं-कोई चाहता था की ये हमें मिले. एक मिनट वो आदमी , वो आदमी जो इधर था, वो आदमी जो इधर बैठा था शायद उसने ही ये माया रची हो. हमें तलाश करनी होगी उस आदमी की . वो हाथ लगा तो ये गुत्थी सुलझ जाएगी.

मीता- कहाँ तलाश करेंगे उसकी

मैं- यही, यही पर फिर आएगा वो . एक बार आया है तो बार बार आएगा हमें इंतजार करना होगा उसका.

मीता- मुझे लगता है की शिवाले में गहन तहकीकात करके देखे.

मैं- ये मुमकिन नहीं, मेरे रुद्रपुर जाते ही हंगामा हो जायेगा. और मैं कोई लफड़ा नहीं चाहता वहां पर

मीता- तू कहे तो रात को करे ये काम अस्थियो की हांडी अपशकुन है , मुझे कुछ ठीक नहीं लग रहा है

मैं- अपशकुन या फिर कुछ अधुरा

मीता- हम अभी के अभी शिवाले पर चलते है

मैं- अभी नहीं , मैं तेरे साथ वहां पर चलूँगा जरुर पर पहले मुझे एक जरुरी काम करना है . तू भी अब कपडे साफ़ कर ले, हौदी में फिर से पानी हो गया है, नहा ले .कब तक यूँ रेत में सनी रहेगी.

मीता नहाने लगी और मैं उस आदमी के बारे में सोचने लगा. और एक सवाल अब ये था की वो काली अस्थिया किसकी थी . उन्हें अब तक सुरक्षित रखने का क्या प्रयोजन था , और अगर वो सुरक्षित थी तो ऐसे हमें क्यों सौंपा गया .

मीता आकर चारपाई पर लेट गयी. मैं भी अपनी चारपाई पर लेट गया .



मैं- तेरे सितारे क्या कहते है

मीता- किस बारे में

मैं- हम दोनों के नसीब के बारे में

मीता- हम तीनो के बारे में क्यों नहीं पूछता तू , बात अब तेरी मेरी नहीं रही बात अब हम तीनो की है . इस उलझन को तू कैसे सुलझा पायेगा. क्या मालूम किसी दिन तू दोराहे पर खड़ा हो एक तरफ वो एक तरफ मैं हुई तो क्या करेगा तू . है कोई जवाब तेरे पास.

मैं-मेरे पास कोई जवाब नहीं है

मीता- तो मत कर ये सवाल. मैं तेरी दोस्त हूँ दोस्त ही रहने दे. दोस्ती उम्र भर रहेगी, मोहब्बत हुई तो दिल का दर्द सहना मुश्किल होगा.

मैं- बड़ी सायानी है तू तो .

मीता- क्या करे साहिब, ये फ़साने बड़े अजीब है जिन्दगी के , इन अंधेरो में न जाने कब तुमसे मुलाकात हो गयी , होते ही गयी.कुछ मेरी तन्हाई कुछ तेरी दोनों को इतने पास ले आई की अब मुड़ना मुश्किल है , तू तेरे सितारों से सवाल करता है , मैं मेरे सितारों से जवाब मांगती हूँ . वैसे तू बता तो सही किसी दिन रीना और मुझमे से एक को चुनेगा तो तेरी पसंद क्या होगी.

मैं- मेरे लिए तुम दोनों ही एक सामान हो . मेरा हिस्सा हो और अपने हिस्से से पसंद - नापसंद नहीं होती. एक मेरे दिन का उजाला है एक मेरी रातो का जलता दिया मैं चाहूँगा वो दिन कभी न आये.

मीता- ये तो अपने नसीब से भागना हुआ . और भागने वालो को दुनिया कायर कहती है

मैं- तू ऐसा ही समझ ले मेरी सरकार.

मीता- ठीक है सो जा फिर , रात बहुत हुई

मैं- सो जाऊंगा, पहले जरा ठीक से देख तो लू इस चाँद को जो मेरे सामने है .

मीता- ये किताबी बाते. ये तेरी मेरी मुलाकाते हाँ पर इतना जरुर है जब तू साथ नहीं होता , तेरी याद साथ होती है .

मैं- फिलहाल तो हम दोनों साथ है .

मीता- किस्मत की बात है वैसे तेरी दुश्मनी जब्बर से बढती जा रही है तू सावधान रहना और मुझे समझ नहीं आता की तेरी उस से दुश्मनी क्यों है आखिर जब की वो ...

मैं- जब की क्या

मीता- जब की , जब की वो चौधरी अर्जुन सिंह का दोस्त हुआ करता था किसी ज़माने में

मीता की बात ने जैसे विस्फोट सा कर दिया था .

मैं- तू जानती है क्या कह रही है तू , जब्बर और मेरे पिता की दोस्ती हो ही नहीं सकती,

मीता- क्यों नहीं हो सकता , इस दुनिया में सब कुछ हो सकता है

मैं- अगर ऐसा था भी तो जब्बर ने मुझसे ये क्यों कहा था की बाप का बदला वो बेटे से लेगा.

मीता- दोस्ती जब टूटती है तो ऐसे घाव देती है जो जिन्दगी भर नहीं भर पाते. तुझे मालूम करना होगा की आखिर वो कौन सी वजह रही होगी. और फिर तूने ही तो बताया था की तेरा चाचा इतना सब होने के बाद भी जब्बर से दबता है तो तू सोच आखिर क्या वजह रही होगी. दिलेर सिंह के मरने के बाद भी जब्बर चुप है वर्ना तू सोच वो क्या नहीं कर सकता . तेरा चाचा और जब्बर एक ही थाली के चट्टे बट्टे है .

मीता की बात में दम था मुझे तस्दीक करनी चाहिए थी .

मैं- तेरी बात सही है मीता, और मैं इस बारे में विचार करूँगा पर कल सुबह होते ही सबसे पहले इस पुरे इलाके की तार बंदी करनी है मुझे, ताकि आज जो हुई, ऐसी हरकत फिर न हो पाए.

मीता- अगर कोई हमें नुकसान पहुँचाना चाहता है तो वो नुकसान करके रहेगा, तार क्या रोक पाएंगे उसे.

मैं- तो क्या करू. मैं किसी को खोना नहीं चाहता, मेरे किसी अपने को कुछ हुआ तो मैं सह नहीं पाऊंगा.

मीता - अब सो भी जा,

मीता सो गयी पर मेरी आँखों में नींद नहीं थी , लेटे लेटे मैंने सोच लिया था की इस बात को कैसे सुलझाना है मुझे और अगले दिन मैं सीधा सुनार के घर गया , क्योंकि सुनार ही वो चाबी था जो उस धागे के रहस्य को खोल सकता था , जब मैं सुनार के घर पहुंचा तो मैंने जो देखा ,,,,,,, ...............
 

ASR

I don't just read books, wanna to climb & live in
Divine
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मुसाफिर - रहस्य पर रहस्य, मन से इसे जानने की कोशिश कर रहे हैं पर आप उसे और उलझा देते हैं, अति रोमांचकारी
 

sunoanuj

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Fir viram ek rahshaymay mode par … itna suspense ki jaan bhi naa nikal paye bina jaane ki aagey kya hoga …
 

Ouseph

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अत्यंत रोचक अपडेट। कहानी जिस प्रकार उतार चढ़ाव ले रही है और जिस प्रकार के रहस्य उत्पन्न हो रहे हैं और चौंकाने वाली बातें सामने आ रही हैं, वो अद्भुत है। कहानी का ranch एवं उत्सुकता अपने चरम पर है और कहानी अपनी गति में ले बद्ध तरीके से आगे बढ़ रही है। इस अपडेट में प्यार की जो पराकाष्ठा, मजबूरियां और संवेदनशीलता।प्रदर्शित हुई है वो लेखनी का एक अप्रतिम जादू है जो हमे अपने बीते दिनों में ले जाकर यह एहसास दिलाता है कि जैसे यह खुद की ही कहानी हो।

अगले भाग की बेसब्री से प्रतीक्षा रहेगी।
 

Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
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मैं दौड़ कर मीता के पास गया और देखा की वो पानी की हौदी में खड़ी थी , पर हौदी में पानी की जगह रेत भरी हुई थी , और मीता के हाथ में एक छोटी हांडी थी जिस पर लाल कपडा बंधा हुआ था .

“रुक मैं मिटटी हटाता हूँ ” मैंने उस से कहा और कस्सी ले आया. पर ये रात आज न जाने हमें क्या क्या दिखाने वाली थी . जैसे ही मैं रेत को कस्सी में भर से बाहर फेंकता वो पानी बन जाती . न मुझे कुछ न मीता को सूझ रहा था , मैंने जैसे ही उसके हाथ से वो हांडी ली , हौदी की रेत पानी में बदल गयी . और मीता हौदी से बाहर आ गयी .

“क्या हो रहा है ये ” उखड़ी सांसो को दुरुर्स्त करते हुए उसने मुझसे पूछा .

मैं- तू ठीक है न

मीता- हाँ, जैसे ही मैंने हौदी में दुबकी लगाई मेरे हाथो से ये हांडी टकराई मैंने इसे ऊपर खींचा और पानी रेत बन गया .

दिमाग भन्ना गया था और कहने को कुछ नहीं था . पर फिर भी मैंने कहा.

“मीता ये जो कुछ भी हो रहा है , इसकी शुरुआत उस दिन से हुई जब मैं पहली बार शिवाले में गया था ,वहां के पानी का भी ऐसे ही रेत बनना ये सबूत है की इस जमीन और शिवाले का गहरा सम्बन्ध है और हमें हर हाल में ये मालूम करना होगा. ” मैंने कहा

मीता- सही कहा तुमने

मैं- बस एक बार इस उलझी डोर का किनारा मेरे हाथ में आ जाये. पर अगर ये घटना तेरे साथ हुई है तो तू भी इस डोर में उलझी है मीता ,चल खोल कर देखते है इस हांडी को .

मीता कुछ कहती उस से पहले मैंने हांडी का लाल कपडा खोल दिया.

“भक्क ” से हांडी से काला सा धुंआ निकला और हमने देखा की हांडी के अन्दर कुछ अस्थिया पड़ी थी, जिनकी हालत देख कर लगता था की वो बहुत ज्यादा ही पुरानी होंगी.

मीता- इसका क्या मतलब

मैं-कोई चाहता था की ये हमें मिले. एक मिनट वो आदमी , वो आदमी जो इधर था, वो आदमी जो इधर बैठा था शायद उसने ही ये माया रची हो. हमें तलाश करनी होगी उस आदमी की . वो हाथ लगा तो ये गुत्थी सुलझ जाएगी.

मीता- कहाँ तलाश करेंगे उसकी

मैं- यही, यही पर फिर आएगा वो . एक बार आया है तो बार बार आएगा हमें इंतजार करना होगा उसका.

मीता- मुझे लगता है की शिवाले में गहन तहकीकात करके देखे.

मैं- ये मुमकिन नहीं, मेरे रुद्रपुर जाते ही हंगामा हो जायेगा. और मैं कोई लफड़ा नहीं चाहता वहां पर

मीता- तू कहे तो रात को करे ये काम अस्थियो की हांडी अपशकुन है , मुझे कुछ ठीक नहीं लग रहा है

मैं- अपशकुन या फिर कुछ अधुरा

मीता- हम अभी के अभी शिवाले पर चलते है

मैं- अभी नहीं , मैं तेरे साथ वहां पर चलूँगा जरुर पर पहले मुझे एक जरुरी काम करना है . तू भी अब कपडे साफ़ कर ले, हौदी में फिर से पानी हो गया है, नहा ले .कब तक यूँ रेत में सनी रहेगी.

मीता नहाने लगी और मैं उस आदमी के बारे में सोचने लगा. और एक सवाल अब ये था की वो काली अस्थिया किसकी थी . उन्हें अब तक सुरक्षित रखने का क्या प्रयोजन था , और अगर वो सुरक्षित थी तो ऐसे हमें क्यों सौंपा गया .

मीता आकर चारपाई पर लेट गयी. मैं भी अपनी चारपाई पर लेट गया .



मैं- तेरे सितारे क्या कहते है

मीता- किस बारे में

मैं- हम दोनों के नसीब के बारे में

मीता- हम तीनो के बारे में क्यों नहीं पूछता तू , बात अब तेरी मेरी नहीं रही बात अब हम तीनो की है . इस उलझन को तू कैसे सुलझा पायेगा. क्या मालूम किसी दिन तू दोराहे पर खड़ा हो एक तरफ वो एक तरफ मैं हुई तो क्या करेगा तू . है कोई जवाब तेरे पास.

मैं-मेरे पास कोई जवाब नहीं है

मीता- तो मत कर ये सवाल. मैं तेरी दोस्त हूँ दोस्त ही रहने दे. दोस्ती उम्र भर रहेगी, मोहब्बत हुई तो दिल का दर्द सहना मुश्किल होगा.

मैं- बड़ी सायानी है तू तो .

मीता- क्या करे साहिब, ये फ़साने बड़े अजीब है जिन्दगी के , इन अंधेरो में न जाने कब तुमसे मुलाकात हो गयी , होते ही गयी.कुछ मेरी तन्हाई कुछ तेरी दोनों को इतने पास ले आई की अब मुड़ना मुश्किल है , तू तेरे सितारों से सवाल करता है , मैं मेरे सितारों से जवाब मांगती हूँ . वैसे तू बता तो सही किसी दिन रीना और मुझमे से एक को चुनेगा तो तेरी पसंद क्या होगी.

मैं- मेरे लिए तुम दोनों ही एक सामान हो . मेरा हिस्सा हो और अपने हिस्से से पसंद - नापसंद नहीं होती. एक मेरे दिन का उजाला है एक मेरी रातो का जलता दिया मैं चाहूँगा वो दिन कभी न आये.

मीता- ये तो अपने नसीब से भागना हुआ . और भागने वालो को दुनिया कायर कहती है

मैं- तू ऐसा ही समझ ले मेरी सरकार.

मीता- ठीक है सो जा फिर , रात बहुत हुई

मैं- सो जाऊंगा, पहले जरा ठीक से देख तो लू इस चाँद को जो मेरे सामने है .

मीता- ये किताबी बाते. ये तेरी मेरी मुलाकाते हाँ पर इतना जरुर है जब तू साथ नहीं होता , तेरी याद साथ होती है .

मैं- फिलहाल तो हम दोनों साथ है .

मीता- किस्मत की बात है वैसे तेरी दुश्मनी जब्बर से बढती जा रही है तू सावधान रहना और मुझे समझ नहीं आता की तेरी उस से दुश्मनी क्यों है आखिर जब की वो ...

मैं- जब की क्या

मीता- जब की , जब की वो चौधरी अर्जुन सिंह का दोस्त हुआ करता था किसी ज़माने में

मीता की बात ने जैसे विस्फोट सा कर दिया था .

मैं- तू जानती है क्या कह रही है तू , जब्बर और मेरे पिता की दोस्ती हो ही नहीं सकती,

मीता- क्यों नहीं हो सकता , इस दुनिया में सब कुछ हो सकता है

मैं- अगर ऐसा था भी तो जब्बर ने मुझसे ये क्यों कहा था की बाप का बदला वो बेटे से लेगा.

मीता- दोस्ती जब टूटती है तो ऐसे घाव देती है जो जिन्दगी भर नहीं भर पाते. तुझे मालूम करना होगा की आखिर वो कौन सी वजह रही होगी. और फिर तूने ही तो बताया था की तेरा चाचा इतना सब होने के बाद भी जब्बर से दबता है तो तू सोच आखिर क्या वजह रही होगी. दिलेर सिंह के मरने के बाद भी जब्बर चुप है वर्ना तू सोच वो क्या नहीं कर सकता . तेरा चाचा और जब्बर एक ही थाली के चट्टे बट्टे है .

मीता की बात में दम था मुझे तस्दीक करनी चाहिए थी .

मैं- तेरी बात सही है मीता, और मैं इस बारे में विचार करूँगा पर कल सुबह होते ही सबसे पहले इस पुरे इलाके की तार बंदी करनी है मुझे, ताकि आज जो हुई, ऐसी हरकत फिर न हो पाए.

मीता- अगर कोई हमें नुकसान पहुँचाना चाहता है तो वो नुकसान करके रहेगा, तार क्या रोक पाएंगे उसे.

मैं- तो क्या करू. मैं किसी को खोना नहीं चाहता, मेरे किसी अपने को कुछ हुआ तो मैं सह नहीं पाऊंगा.

मीता - अब सो भी जा,


मीता सो गयी पर मेरी आँखों में नींद नहीं थी , लेटे लेटे मैंने सोच लिया था की इस बात को कैसे सुलझाना है मुझे और अगले दिन मैं सीधा सुनार के घर गया , क्योंकि सुनार ही वो चाबी था जो उस धागे के रहस्य को खोल सकता था , जब मैं सुनार के घर पहुंचा तो मैंने जो देखा ,,,,,,, ...............
nice update..!!
manish ke liye gutthi aur ulazti ja rahi hai..!!
 
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