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Adultery गुजारिश 2 (Completed)

HalfbludPrince

मैं बादल हूं आवारा
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अर्जुन सिंह चौधरी के बारे में अभी तक जितना भी पढ़ा हमने उससे कहीं भी नहीं लगा कि वो एक हिंसक प्रवृत्ति के या क्रूर व्यक्ति थे । गांव वालों की इतनी परवाह करने वाला.... एक गलत परम्परा ( मानव की बलि देने की ) को पुरी तरह बंद करवाना.... प्रकृति से प्रेम करने वाला , कभी गलत नहीं हो सकता ।
ग्यारह लोगों का कत्ल करने और उनकी बलि चढ़ाने के पीछे जरूर कोई बड़ी वजह होगी । जिन चीजों से उन्हें नफरत थी , उसी को अपनाया । यह बेवजह हो ही नहीं सकता ।
शायद उन ग्यारह लोगों को जान से मारना , रूद्रपुर और उनके खुद के गांव के लिए अवश्यंभावी बन गया था ।

लेकिन जिन लोगों की मृत्यु हुई थी , उनके परिवार वाले भी बदले की फिराक में जरूर रहे होंगे । गांवों के बीच दुश्मनी ..... उपर से ग्यारह लोगों को एकसाथ ही परम्परा के खिलाफ जान से मार देना..... शांति का संदेश दे ही नहीं सकता ।

मनीष के लिए आने वाले दिन बहुत ही खतरे से भरे होने वाले हैं । क्योंकि खतरा सिर्फ रूद्रपुर में ही नहीं बल्कि उसके अपने गांव के लोगों से भी है ।

जिस अलख को अर्जुन सिंह ने बुझाया उसे जलाने का वक्त आ गया है । उसी तरह जैसे अर्जुन सिंह द्वारा बंद किया गया शिवाला का कपाट उनके पुत्र मनीष ने खोला था । शायद इतिहास पुनरावृत्ति करे !

बहुत खुबसूरत अपडेट था फौजी भाई ।
आउटस्टैंडिंग एंड अमेजिंग एंड
ब्रिलिएंट ।
अर्जुन क्या था क्या नहीं इसके बारे मे अभी कुछ भी नहीं कहना मुझे, पर मनीष की जिंदगी को जरूर लिखना है कहते है कि बाप का कर्ज बेटे को चुकाना पड़ता है मनीष की किस्मत ऐसी ही है, पर इतना जरूर कहूँगा की मेले वाला अपडेट कहानी को घुमा देगा
 

HalfbludPrince

मैं बादल हूं आवारा
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बेसब्री से इंतज़ार है भाई अपडेट का वैसे तो इस कहानी में सेक्स की कमी नहीं खल रही पर फिर भी इंसानियत के तोर पर एक बार आगे चल कर चाची का भी काम कर देना भाई
सेक्स बस सपोर्ट मे है भाई
 

HalfbludPrince

मैं बादल हूं आवारा
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Amazing update Fauzi Bhai, Arjun Singh ka character ab kuch kuch saaf hua he, lekin 16 saal pehle mele me kya hua tha, Alakh kyo bujha di gayi in sabka abhi pata chalna baaki he.

Aur aapka last movement par suspense......uffff

Waiting for the next update
मुझे भी इंतजार है ये जानने का कि उस दिन क्या हुआ था
 

HalfbludPrince

मैं बादल हूं आवारा
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Manish ke tewar to sach me asmaan chhu rahe hain aaj kal. Aakhir achanak se uske bartaav me itna badlaav kaise ho gaya hai jabki shuruaat me uska swabhaav aisa nahi tha. Inspector se seedhe muh baat na karna maujooda waqt me uchit nahi tha, tab to shayad bilkul bhi nahi jab ye pata chal gaya ho ki Jabbar aur inspector ka aapas me gahra rishta ho. Ek tarah se Manish ne us police wale se bhi bair mol le liya hai :dazed:
Manish ko meeta ki zarurat hai lekin har baar ki tarah wo kahi gayab hai. Yu to uska kirdaar shuruaat se hi rahasyamayi tha kintu maujooda waqt me uska is tarah gayab hona yakeenan kisi khaas sabab se hoga. Udhar mele ki taiyariya ho rahi hain. Us buddhe se Manish ko itna to pata chala ki uska baap Arjun Singh ne ateet me kya kiya tha aur log uske bare kya kahte the. Sawal hai ki agar Arjun Singh itna hi achha tha ki usne manav Bali dena band karwa diya tha to
usi raat usne 11 logo ki berahmi se hatya kyo ki thi? :hmm2:

Raaz gahre hain aur sawaal bhi kayi saare hain. Well dekhte hain aage kya hota hai :waiting:
चढती उम्र के जोश मे कि गई ये गलतिया जिनका प्रभाव कहीं ना कहीं तो पड़ेगा ही, पर यकीनन प्राथमिकता मेला है,
मेले वाले भाग को कुछ ऐसे लिखना चाहता हूँ कि वो बरसों बरसों याद किया जाये
 

HalfbludPrince

मैं बादल हूं आवारा
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शानदार एवं रोमांस से परिपूर्ण अपडेट। मीता और मनीष की ये रहस्यमय बातें दिल में एक अलग ही गुदगुदी पीड़ा करती हैं। ये मुझे व्यक्तिगत रूप से बहुत पसंद है। इस प्रकार की प्रस्तुति के लिए बहुत धन्यवाद।
Thanks bhai
 

HalfbludPrince

मैं बादल हूं आवारा
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आज तो फौजी भाई दिल खुश हो गया मीता व् मनीष की खट्टी मिट्ठी दिल लगी भरी गुफ्तगू पढ़ कर ऐसी ज़िंदगी के रंगों से भरपूर लेखनी ऐसा अहसास बिरला ही पढ़ने को मिलता है

अब आखिर में किस की गांड फ़टी जो चीखने की आवाज़ आयी कहीं कोई ताज़ी चुदी ताई को तो नहीं टपका गया ?
Thanks bhai मीता, मनीष और रीना की कहानी अगर आसान हो जाएगी तो मेरी तौहीन होगी ये
 

TheBlackBlood

αlѵíժα
Supreme
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“मैं उसी अर्जुन का बेटा हूँ बाबा ” मैंने कहा

उस बुजुर्ग ने कुछ नहीं कहा पर उसकी आँखों के चमक बहुत कुछ कह रही थी. रुद्रपुर से मैं सीधा अपनी बंजर जमीन पर आया, बावड़ी की सीढियों की मरम्मत हो चुकी थी , अन्दर से सफाई हो चुकी थी बस अब इसे पानी से भरना था . बरसात गिर पड़ती तो मैं उसके बाद इस जमीन पर ट्रक्टर चलाना चाहता था . दिमाग में लाखो ख्याल थे,पर मैं थका था मैंने पेड़ो के निचे चारपाई लगाई और कुछ देर के लिए सो गया.



मेरी नींद टूटी तो हल्का हल्का अँधेरा हुआ पड़ा था . टूटे बदन को सँभालते मैंने आँखे खोली की सामने देख कर आँखों को एक बार जैसे यकीन ही नहीं हुआ. मेरे सामने मिटटी के डोले पर मीता बैठी हुई थी.



“कहाँ थी तू, कहाँ कहाँ नहीं ढूंढा तुझे और वहां मिटटी में क्यों बैठी है ” मैंने कहा

मीता- अब तूने याद ही इतनी शिद्दत से किया की मुझे आना पड़ा और ये मिटटी , जो सुख इसकी पनाह में है वो और कहाँ भला.

मैं- बात तो सही कही पर तू थी कहाँ कितने दिन हुए तुझे देखे हुए,

मीता- और भला कहाँ जाना , कभी इधर कभी उधर. चाचा की तबियत ख़राब थी उसे शहर में हॉस्पिटल में दाखिल करवाया था तो वहीँ रुकना पड़ा.

मैं- मुझे तो बता सकती थी न .

मीता- तुझे परेशानी होती.

मैं- परेशानी वो भी तुझसे , हद करती है तू भी .

मीता- और बता क्या चल रहा है

मैं- कुछ नहीं बस तेरी याद आ रही थी .

मीता- यादो का क्या है, यादे तो आणि जानी है

मैं- और तू

मीता- मैं भी यादो जैसी ही हूँ. मैंने तुझे मना किया था न रुद्रपुर में धक्के मत खाना

मैं- मेरी नियति मुझे वहां बार बार ले जाती है

वो- वहां तुझे कुछ नहीं मिलेगा.

मैं- तू तो मिली न

वो- मेरा मिलना न मिलना एक सा ही है

मैं- अभी तो मिली न मुझे तू

मीता ने झोले से एक डिब्बा निकाला और मुझे दिया.

मैं- क्या है इसमें

वो- शहर से लायी हूँ तेरे लिए.

मैने डिब्बा खोला उसमे जलेबिया थी .

“तुझे पसंद है न ” उसने कहा

मैं- तुझे कैसे मालूम

वो- उस दिन हलवाई की दूकान पर तूने जलेबी ही तो खिलाई थी .

मैं मुस्कुरा दिया और जलेबी खाने लगा.

“तेरे बिना सब सूना सूना सा लगता है ” मैंने कहा

वो- अभी तेरे साथ हूँ कौन सा बहारे आ गयी

मैं- काश तुझे बता सकता .

वो- बताने की जरुरत नहीं

मैं- तेरे गाँव में मेला लगने वाला है , मिलेगी न वहां पर

वो- तू आएगा वहां

मैं- मुझे तो आना ही है , इसी बहाने तेरे साथ वक्त गुजारने का मौका मिलेगा

वो- बड़ी हिम्मत है तुम्हारी, मेरे गाँव में मेरा हाथ पकड़ कर घूमना चाहता है

मैं- इतना तो हक़ है मेरा और फिर क्या तेरा क्या मेरा

मीता- इस दोस्ती की शर्ते भूल गया क्या तू

मैं- वो दोस्ती ही क्या जिसमे शर्ते हो

वो मुस्कुरा पड़ी. अँधेरा थोडा और घना होने लगा.

मैं- सावन शुरू हो जाए तो फिर कुछ करे इधर

मीता- दिन तो पुरे हो गए है , देखो कब झड़ी लगती है

मैं- दिल कहता है ये सावन अनोखा होगा. तू बता तेरे सितारे क्या कहते है

मीता- सितारों की क्या बात करनी, बात तो तेरी मेरी चल रही है .

मैं- तो ये बता हमारे सितारे क्या कहते है .

मीता- क्या ही कहना है कुछ दुःख तेरे, कुछ दर्द मेरे

मैं- किसी ने मुझसे कहा की दो बर्बाद मिलकर एक आबाद दुनिया बसा सकते है .

मीता- इतना आगे की क्या सोचना, आज की बात कर

मैं- मेरा आज मेरी आँखों के सामने बैठा है .

मीता- चल मैं चलती हूँ,

मैं- थोड़ी देर तो रुक , बड़े दिनों बाद तो मिली है

मीता- रात काली हो रही है

मैं- होने दे. या तो तू वादा कर की रोज मिलेगी या आज यही रुक जा

मीता-वादा तोड़ कर ही तो आई हूँ तेरे पास

मैं- रुक जा न , क्या मुझ पर भरोसा नहीं

मीता- भरोसा है तभी तो आई. खैर अब मैं जो बात पुछू तू सच बताना मुझे

मैं- तुझसे झूठ बोला क्या कभी

मीता- दादा ठाकुर से क्या पंगा हुआ तेरा

मैं- सच कहूँ तो कुछ नहीं , मतलब पंगा गाँव के लडको से हुआ था , दद्दा से एक दो बार मुलाकात हुई मेरी.

मैंने उसे शिवाले वाली घटना बताई.

मीता- ददा ठाकुर बड़ा मीठा है , तू इसके झांसे में बिलकुल मत आना, कब तेरे साथ खेल कर जायेगा तुझे मालूम भी नहीं होगा.

मैं- पर कुछ तो ऐसा है जो वो अपने कलेजे में दबाये बैठा है

मीता- सब के मन में कुछ न कुछ राज़ तो होते ही है.

मैं-तू मेरी मदद करेगी क्या मेरे सवालो के जवाब तलाश करने में

मीता- मुझे कहाँ उलझा रहा है तू.

मैं- एक तू ही तो है जिससे अपने मन की बात कर सकता हूँ मैं

मीता- ये मन बावला होता है मनीष , मन की मत सुनियो

मैं- तो किसकी सुनु

मीता- छोड़ अब ये सब, यही रुकना है तो दो चार ईंटे उठा ले, और कुछ लकडिया मैं चूल्हा सुलगाती हूँ .

मैं- कमरे में कुछ रखा होगा खाने पिने का देखते है

मैंने कमरे का दरवाजा खोला वहां पर मजदूरो के खाना बना ने का सामान था , मैंने ईंटे उठाई तब तक मीता ने कुछ लकडिया तोड़ ली.

वो- वैसे तुझे खाने में क्या पसंद है

मैं- सच कहूँ तो मीट और उसकी तरी में भीगी हुई रोटिया , खाने पीने का बहुत शौक रहा पर हालात ऐसे थे की मन को समझाना पड़ा

मीता- कोई न अबकी बार तू घर आएगा तो तेरी ये इच्छा मैं पूरी करुँगी. अभी तो इन्ही आलू से काम चला ले.

मैं- चूल्हे की आंच में बड़ी खूबसूरत दिखती है , जी करता है उम्र भर तुझे यूँ देखता रहू. हौले से जुल्फों को संवारना गजब है तेरा.

मीता- ये तारीफों के डोरे तू मुझ पर नहीं डाल पायेगा

मैं- उसकी जरुरत नहीं मुझे

मीता- थाली आगे कर रोटी परोस दू तुझे

मैं- तू बना ले फिर साथ ही खायेंगे, ये मौके फिर मिले न मिले.

मीता- जब तेरा दिल करे , तू मेरे घर आजा खाने के लिए

मैं- मेरा दुश्मन वो ताला हुआ है जो दरवाजे पर लगा है

मीता- ठीक है बाबा , आगे से कहीं भी जाउंगी तो ताला नहीं लगा कर जाउंगी पर मेरा कुछ भी सामान चोरी हुआ तो तुझ से पैसे लुंगी उसके

मैं- मेरा तो सब कुछ तेरा ही है.

बाते करते हुए हम दोनों ने खाना खाया और फिर एक दुसरे के किनारे चारपाई लगा ली . अपनी अपनी चारपाई पर लेटे हुए सितारों को देखते हुए हम हसीं रात का लुत्फ़ ले रहे थे की अचानक आई उस चीख ने हम दोनों के रोंगटे खड़े कर दिए..............................
To meeta se mulakaat ho gayi Manish ki. Dono ke beech huyi conversation kafi dilchasp aur kafi ashikana thi. Meeta ke anusaar dadda thakur sahi aadmi nahi hai, yaani Manish se usne jis saadgi se baate ki thi uske peeche uska koi shadyantra ho sakta hai. Is baar mele me yakeenan bahut kuch dekhne ko milega is liye mele ka shiddat se intzaar hai :approve:
Ab ye cheekh kaha se aa gayi....kiska kalyaan ho gaya :hmm2:
Aage ka intzaar fauji bhai :waiting:
 
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