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भाग २८
अविनाश-महेश जी हमारे पिता थे, उन्होंने हम तीनो अनाथ बच्चो को गोद लिया थ और जब कालसेना से उन्हें मारा था तभी से उसके बाद हमारा भरण पोषण आर्गेनाईजेशन ने किया, हमें बचपन से ऐसा कठोर प्रशिक्षण दिया गया जिसके कारण हम आज संस्था के काबिल लड़ाको मैं से एक बन गए है
रमण-बीच मैं रोकने के लिए माफ़ी चाहता हु पर ये ‘आर्गेनाईजेशन’ है क्या??.......
चेतन-हालाँकि हमारी संस्था के अस्तित्व से ये दुनिया अनभिज्ञ है पर आप लोग नरेश जी के साथ है इसीलिए मुझे नहीं लगता के आप लोगो को यह राज बताने मैं कोई बुरे है, ये बात तो बहुत छोटी है उनके सामने..हम लोग हिडन वारियर्स है, छिपे हुए योद्धा, हम अपनी आर्गेनाईजेशन मैं ऐसे लोगो का चुनाव करते है जिन्होंने युद्ध काला, हथियार और विज्ञान मे क्षेत्र मैं बहुत अधिक प्रशिक्षण हासिल किया हो, यह आर्गेनाईजेशन पिछली एक शताब्दी से अस्तित्व मैं है, हमारे पास दुनिया के बड़े बड़े वैज्ञानिक, वेपन एक्सपर्ट अलग अलग देशो की मिलिट्री इत्यादि से जुड़े लोग भी है, कालसेना की तरह ही हमारी भी पहुच रॉ इण्टरकॉम FBI जैसे संगठनो मैं है, हम लोग मुख्य रूप से पैरानोर्मल या कह लीजिये की ऐसी चीजों से लड़ने का प्रयास करते है जिनके अस्तित्व पर या तो दुनिया को यकीन नहीं होता या फिर बाकि नमी गिरामी संस्थाए इस लायक नहीं होती की उन असाधारण शक्तियों को रोक सके, पीछे १०० सालो मैं अगर हम किसी को रोक नहीं पाए है तो वो है कालसेना, इसके पीछे एक कारन यह भी था के इनके लोग भी हमारी तरफ कई पावरफुल पोजीशन पर थे, हमने समय समय पर इनसे भिड़ने की कोशिश भी की लेकिन कभी भी इनको पूरी तरह से नष्ट नहीं कर पाए ,कालसेना से लड़ने के दौरान हमारी आर्गेनाईजेशन को कालदूत नाम के प्राणी का पता कुछ सालो पहले ही चला और तब हमारी आर्गेनाईजेशन ने रूद्र को बनाने का निर्णय लिया क्युकी आम मनुष्य उनके आगे घुटने टेक सकता था पर कृत्रिम मानव नहीं, हमें तब राघव के बारे मैं पता नहीं था हमें तो राघव के बारे मैं महेश जी के गुरूजी ने बताया था जब वे रूद्र के शारीर मैं आत्मा डालने आये थे तभी से हमारी नजर राघव पर भी बनू हुयी थी अब रूद्र को बनाने के बाद कैसे कालसैनिको ने उसके निर्माता और हमारे पिता को मारा ये तो आप सब जानते ही होंगे
हमारी संस्था चौबीसों घंटे वातावरण मं फैली तामसिक उर्जाओ को ढूंढती रहती है और हम एजेंट्स का काम होता है उस उर्जा को कैद करना या नष्ट करना, कालदूत की स्वतंत्रता के बाद हमें वातावरण मैं बेहद भीषण तामसिक उर्जा के संकेत मिले है इतनी भरी मात्र मे ये उर्जा हमारे यंत्रो ने कभी महसूस नहीं की थी, जब हमें पता चला की नरेशजी यानि हमारे चाचा इनके भिड़ने मैं लगे है तब शिवानी ने उन्से संपर्क किया था और हम तो यहाँ उन्हें अपने साथ शामिल करने आये है
संजय-आपको कैसे पता चला के हमलोग और नरेशजी कालसेना को ढूंढ कर ख़तम कर रहे है?
शिवानी-हमारे संपर्क सूत्र कालसेना से बेहतर है दुनिया के किसी भी हिस्से की जानकारी हम तक पहुचने मैं समय नहीं लगता
रूद्र(दुखी होकर)- अफ़सोस लेकिन एक जानकारी तुम्तक समय रहते नहीं पहुची..
शिवानी-क्या?
रूद्र-कालदूत की जागने की प्रक्रिया मैं जो आखरी कुर्बानी थी को नरेशजी की ही थी, वो अब इस दुनिया मैं नहीं रहे हम अभी उनका अंतिम संस्कार करके लौटे है
रूद्र की बात सुनकर शिवानी अविनाश और चेतन एकदम सन्न रह गए थे, उन्हें समझ नहीं आ रहा था की इस बात पर कैसे प्रतिक्रिया दे, शिवानी के चेहरे पर दुःख साफ़ झलक रहा था, वो अपनी भावनाओ को काबू मैं नहीं रख पाई और उसकी आँखों से आसू निकलने लगे, उसके दोनों भाई उसे सँभालने की कोशिश कर रहे थे पर आँखें उनकी भी नाम थी, शिवानी कोरोता देख कर राघव का भी मन भरी होने लगा था परिस्तिथि सो सँभालने के लिए रमण बोला
रमण-चलिए अब जब साडी बाते स्पष्ट हो गयी है तो निचे चलकर बात कर लेते है
वो सब लोग निचे सोफे पर आकर बैठ गए रूद्र उनसब के पिए पानी ले आया था पानी पीकर शिवानी थोड़ी शांत हुयी
शिवानी-हिडन वारियर्स मैं शामिल होने के बाद हम कभी नरेश चाचा से नहीं मिल पाए थे बस एक सुचना मिली थी के चाचाजी रूद्र के साथ राजनगर मे है, मुझे लगा था कोई तो है जो पिताजी के रिक्त स्थान को भर सकता है लेकिन कालसेना से हमारी वो उम्मीद भी छीन ली
रूद्र भी शिवानी के आक्रोश को महसूस कर सकता था उसी आक्रोश के चलते उसने और राघव ने कब्रिस्तान मैं एक भी कालसैनिक को जिन्दा नहीं छोड़ा था
रमण से उनतीनो को विस्तार से एक एक घटना बताई जो कल रात हुयी थी
अविनाश-आप लोगो के साथ एक और इंसान भी था जिसका नाम हमारे रिकार्ड्स मैं है जिसके पिता कालसैनिक थे
रमण-आप शायद अरुण की बात कर रहे है पर अफ़सोस वो भी अब नहीं रहा
अविनाश-उफ्फ...अगर वो होते तो उनसे काले जादू की किताब के बारे मैं पता चल सकता था
राघव-कही आप इस किताब की बात तो नहीं कर रहे
राघव ने अरुण की दी हुयी किताब अविनाश को दखाई
अविनाश-हा यही तो है वो
रमण-पर ये तो सिर्फ एक कॉपी है ऐसी और कई होंगी
अविनाश-कॉपी...नहीं ये कॉपी नहीं है..एक किताब कालदूत ने बिरजू को दी थी जिसने कालसेना की स्थापना की थी १००० साल पहले फिर उई ने बस ४-५ किताबे लिखी थी बिलुल ऐसी ही
रमण-ओह....
चेतन-ये किताब सिर्फ कालदूत के बारे मैं नहीं है ये वो ज्ञान है को कालदूत ने अर्जित किया है अपने जीवन के अनुभवों से, जो बाते और रहस्य हम इस ब्रह्माण्ड के बारे मैं नहीं जानते वो सब इसी किताब मैं है बस एक एक बेहद प्राचीन भाषा मैं है जिसे डिकोड करना इस दुनिया मैं किसी के बस की बात नहीं है, साथ ही काले जादू और telekinesis के बारे मैं भी बहुत कुछ है जो भी इसे सीखता है वो कालदूत से मानसिक संपर्क मैं आ जाता है
संजय-ये बाते तो हमने कभी सोची भी नहीं थी
अविनाश-हम यहाँ जल्दी आ जाये लेकिन नहीं आ सके क्युकी कल रात दुनिया भर के हमारे गुप्त अड्डो पर कालसेना से धावा बोला था, कालसेना से अपने कुछ लोग हिडन वारियर्स मैं भी छोड़ रखते थे शाय, उनसे निपटने मैं समय लग गया अब समझ आ रहा है की उनलोगों ने हमारा वक़्त क्यों नष्ट करवाया ताकि हम यहाँ समय से न पहुच पाए और जैसा उन्होंने सोचा था वैसा ही हुआ हम नरेश चाचा को नही बचा पाए और न ही कालदूत को आजाद होने से रोक पाए
रमण-देखो जो होना था हो गया उसे हम बदल नहीं सकते लेकिन जो सामने है उससे निपटने का प्रयास जरुर कर सकते है क्या तुम लोगो के पास कोई प्लान है कालदूत को रोकने का
अविनाश-फिलहाल हमारे पास कोई प्लान नहीं है कल रात हमारे ठिकाने पर हुए हमले मैं हमारे काफी सारे यन्त्र नष्ट हो गए है वरना हम उनकी मदद से कालदूत की लोकेशन का पता लगा सकते थे हमारे काफी हथीयार भी नष्ट हो गए है हमारा एक साथी बची हुयी चीजों को सँभालने मैं लगा हुआ है उससे बात करके देखता हु यदि को कोई मदद कर दे
रमण-तुम लोग तांत्रिको की तरह भुत पकड़ते ही क्या अगर कालदूत का पता भी चला तो उसका सामना कैसे करोगे
चेतन-हमारा सामना कई तरह ही चीजों से होता है दोस्त हमारी संस्था के पास कई ऐसे गुप्त हथियार है जिसके सामने अमेरिका रूस या जापान के सबसे विध्वंसक हथीयार भी खिलौने लगेंगे, अभी तक ऐसी नौबत नहीं आयी के उन्हें इस्तमाल करना पड़े पर अब लगता है उनके इस्तमाल का समय आ गया है पर अफ़सोस अभी वो हथियार हमारे पास नहीं है राहुल उन्हें सुरक्षित करने मैं लगा है और न ही हमारे पास कालदूत का पता है
राघव-तुमने कहा था इस किताब को पढ़ कर समझने वाला कालदूत के दिमाग से जुड़ सकता है
चेतन-हा
राघव-मैं इस किताब को पढ़ सकता हु मैं इसे जरिये कोशिश कर सकता हु के कालदूत के दिमाग मैं झांक कर उसकी लोकेशन पता कर सकू पर इसमें कितना समय लगेगा पता नहीं
अविनाश-यदि तुम सच मैं ऐसा कर सकते हो तो ये बहुत बढ़िया बात है मैं राहुल के बात करके उसे हमारे यन्त्र ठीक करने कहता हु एक बार हमें पता चल जाये कालदूत कहा है तो उससे लड़ा जा सकता है
इसके बाद राघव ने उस किताब को उठाया और पढने लगा और कोशिश करने लगा की वो कालदूत के दिमाग से संपर्क बना सके वही बाकि लोग भी आगे की रणनीति पर चर्चा करने लगे.......
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