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Fantasy कालदूत(पूर्ण)

Naik

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भाग २२



अरुण और नरेश तेजी से अपनी गाड़ी मैं पूरब दिशा की और बढ़ रहे थे, जिस तरफ वो लोग इस वक़्त जा रहे थे वो कुछ कुछ जंगली इलाका था, समय समय पर गीदड़ और भेडियो की मनहूसियत भरी आवाज से वातावरण गूंज रहा था लेकिन उनके पास इन सब बातो पर ध्यान देने का वक़्त नहीं था.

वो एक ऐसे इलाके मैं पहुचे जहा सड़क और संकरी हो गयी थी और चारो तरफ जमीन पर छोटी छोटी झाड उगी हुयी थी, दूर दूर तक एक भी स्ट्रीटलाइट नहीं थी, इंसान तो छोडो कोई जानवर भी नजर नहीं आ रहा था, ख़राब इंटरनेट की वज्र से नरेश के मोबाइल का जीपीएस ढंग से काल नहीं कर रहा था और इसी वजह से मजबूरन उन्हें कागज का नक्षा खोलकर देखना पड़ा..

नरेश-नक़्शे के हिसाब से तो यही वो जगह है जाया ये कालसैनिक एक बार नहीं बल्कि कई बार देखे जा चुके है, यहाँ से कई लोगो सारे को गायब किया है उन्होंने

अरुण-इसका मतलब हमें गाडी की गति धीमी कर लेनी चाहिए और सतर्क हो जाना चाहिए, इस प्रकार की अँधेरे और वीरान जगह पर वो लोग कही भी घात लगा कर बैठे हो सकते है हमें काफी सावधानी बरतनी होगी

नरेश-वो तो ठीक है अरुण पर तुम ज्यादा जोश मैं मत आ जाना, हमें पहले छिपकर चुपचाप चीजों का अवलोकन करना है उन्हें शक नहीं होना चाहिए

अरुण-मैं ये बात जानता हु नरेश भाई मुझे पता है की ये सब कितना जरुरी है

नरेश-और और बात है अरुण

अरुण-तो बोलिए न नरेश भाई

नरेश-अगर वो लोग मुझे पकड़ ले तो तुम तेजी से निकल जाना पहले अपनी जान बचाना समझे...

अरुण-पर आप ऐसा सोच ही क्यों करे है? हमारा प्लान जरूर कामयाब होगा और अगर उनलोगों ने आपको कुछ भी किया तो रूद्र हर एक के दस टुकड़े कर देगा.

नरेश-इसी बात का तो डर है

अरुण-मतलब?

नरेश-रूद्र कोई इंसान तो है नहीं न अरुण, मतलब मेरी या तुम्हारी तरह नहीं, वो बिना ज्यादा सोचे लोगो को निर्दयता से मार देता है, हालाँकि ये कालसैनिक जिन्दा छोड़े जाने के लायक भी नहीं है पर कभी कभी मैं सोचता हु के अगर रूद्र इंसानियत के विपक्ष मैं लड़ा तो क्या होगा? राघव ही केवल एकमात्र ऐसा इंसान है जो रूद्र की क्षमताओ पर काबू कर सकता है बस वो जल्द से अपने अप को जान ले

अरुण(मजाकिया अंदाज मे)-वो सब तो ठीक है नरेश भाई पर पहले फिलहाल तो हमें अपने लक्ष्य परे ध्यान देना चाहिए, वैसे भी आप इस तरह के काम के लिए बूढ़े हो चले है

नरेश(मुस्कुराकर)- हा हा और तुम तो अभी बच्चे हो न

तभी अचानक अरुण ओ गाड़ी के ब्रेक लगाने पड़े और नरेश को झटका महसूस हुआ, एक व्यक्ति सड़क पर बेहोश पडा हुआ था

नरेश-लगता है उनलोगों को उनका शिकार मिल गया, इसे किसी कारण उन्होंने यहा छोड़ दिया, तुम इसे उठा लो और एम्बुलेंस को फ़ोन कर दो

अरुण-रुको नरेश भाई! गाड़ी से उतरना ठीक नहीं होगा ये उनलोगों की कोई चाल भी हो सकती है

नरेश-और अगर चाल नहीं हुयी तो? एक जिर्दोश मारा जायेगा अरुण, अपनी बन्दूक उठाओ और सावधानी से जाकर चेक करो

बारिश और कदक्तो बिजली माहोल को और भिज्यदा भयानक बना रही थी, इस माहोल मैं अरुण गाडी से बाहर निकला, वातावरण मैं अब कुत्तो और बिल्लियों की मनहूस आवाजे भी शामिल हो गयी थी, अरुण धीरे धीरे बन्दूक लेकर बेहोश व्यक्ति की तरफ बढा, उसने धीरे से उस व्यक्ति को देखने के लिए उसे हाथ लगाया ही था के तभी अचानक उस बेहोश पड़े व्यक्ति ने अरुण के गर्दन को पकड़ लिया और एक ‘चटाक’ की आवाज़ हुयी और उसी के साथ ही अरुण की जान चली गयी, नरेश गाड़ी मैं बैठ ये नजारा देख चूका था और अब वो घबराने लगा था,

वो व्यक्ति उठा और उसने अपना काला चोगा और नकाब पहना और अरुण को वही सड़क पर मरा छोड़कर वो व्यक्ति गाडी की तरफ बढ़ा, अब तक नरेश गाडी का स्टीयरिंग संभाल चूका था, उसने तेजीसे गाडी को उस इंसान की तरफ बढाया लेकिन उस व्यक्ति ने केवल अपना हाथ हवा मैं उठाया और गाडी बंद पड गयी, नरेश ने कई बार चाबी घुमाकर गाडी दोबारा स्टार्ट करने की कोशिश की लेकिन कुछ नहीं हुआ,

उस व्यक्ति के हाथो मैं फिर से हरकत हुयी और अबकी बार गाडी का पूरा दरवाजा उखाड़कर निकल गया, उस इंसान ने कुछ देर नरेश को घुरा और फिर उसके करीब आया, नरेश अबतक उस आदमी का चेहरा ठीक ढंग से देख नहीं पाया था और उसने अरुण को मारते ही नकाब पहन लिया था और अब उस इंसान से नरेश को घूरते हुए फिर से अपना काला नकाब उतारा.....

वो कोई और नहीं सुशेन था और इस वक़्त उसके चेहरे पर अजीब सा वहशिपन था! उसने नरेश को गाडी से बाहर खिंच लिया, नरेश ने एक जोरदार मुक्का उसके चेहरे पर जड़ना चका लेकिन उसने नरेश का हाथ पकड़ कर जोर से भींच दिया जिससे नरेश की हथेली की हड्डियों का कचूमर बन गया जिससे नरेश की चींख निकल गयी, नरेश की चींख ने उस सुनसान माहोल को बुरी तरह देहला दिया, फिर सुशेन ने एक जोरदार घुसा नरेश के पेट मैं जादा जिससे उनके मुह से खून आने लगा, अब नरेश पूरी तरफ अशक्त होकर जमीन पर पड़ा हुआ था.....

सुशेन-तुम लोग मेरे भाई के मौत के जिम्मेदार हो.

सुशेन ने काफी क्रोध मैं कहा

नरेश-तुम...तुम्हे कैसे पता?

सुशेन-जब पुलिस स्टेशन मे रूद्र ने शक्ति को मारा और इस इंस्पेक्टर और उसके भाई को लेकर तुमसे मिलने आया तब भी मेरे लोग बेहद सावधानी से उनका पीछा कर रहे थे, उन्हें तुम्हारी लोकेशन मिल गयी, हम चाहते तो किसी भी वक़्त तुम्हारे घर पर हमला कर सकते थे लेकिन हमसे सही मौके का इंतजार किया और तुम तक हमारी खबर पहुचाई और हमें मौका मिल गया जब तुम लोग अलग अलग रस्ते हमारी तलाश मैं निकले

नरेश-म...मतलब तुम्हे पुरे समय हमपर नजर राखी?

सुशेन-हा हा हा, हमने इस मामले मैं तुमसे थोडा ज्यादा होशियारी से काम किया लेकिन चिंता मत करो, तुम्हारी मृत्यु को हम ऐतहासिक बनायेंगे, क्युकी तुमको हम मौका देंगे वो अंतिम कुर्बानी बनने का को कालदूत के लिए इस दुनिया का मार्ग प्रशस्त करेगी.....

फिर सुशेन ने एक जोरदार घुसा नरेश को जड़ा जिससे उसका दिमाग बेहोशी के अँधेरे मैं डूबता चला गया, फिर उसके बेहोश शारीर को अपने कंधे पर डालकर सुशेन एक और बढ़ता चला गया

दूसरी तरफ राघव जो रमण और संजय के साथ निकला था उसे किसी अनहोनी घटना का आभास होने लगा, उन्हें अब तक अपने मार्ग मैं कोई भी ऐसी चीज़ या हरकत नहीं दिखी थी जो इस और इशारा करे करे की यहाँ कालसेना की मौजूदगी होसकती है

राघव ने अरुण और नरेश ने संपर्क बनाने की कोशिश की लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ उनका फ़ोन नहीं लग रहा था और जब राघव की कई कोशिशो ने बाद भी नरेश का फ़ोन नहीं लगा तो उसे चिंता होने लगी और उसने रूद्र को फ़ोन लगाया

रूद्र बाइक से तेजी से बढ़ रहा था तभी उसका फ़ोन बजा और उसने फ़ोन उठाकर कान को लगाया

राघव-रूद्र! मैं राघव बात कर रहा हु

रूद्र-हा! क्या हुआ है सब ठीक है न?

राघव-हमारे पास सब ठीक है लेकिन अरुण और नरेश जी से हमारा संपर्क टूट गया है

रूद्र-शायद बारिश की वजह से ऐसा हो..!

राघव-काश ऐसा ही हो वैसे हमें यहाँ किसी भी कालसैनिक का नामोनिशान नहीं मिला है तुम कहो

रूद्र-अभी तक तो नहीं...

राघव-तो क्या नरेश जी और अरुण......रूद्र मेरे मन को किसी अनहोनी का आभास हो रहा है

राघव की बात सुनकर रूद्र भी बुरी तरह आशंकित हो गया उसे अचानक कुछ याद आया और उसने राघव की बात को बीच मैं काटकर पूछा

रूद्र-रमण ने किसी कब्रिस्तान के बारे मैं बताया था कुछ!

राघव-हा एक पुराना कब्रिस्तान है जहा भाई को रोहित नाम के एक इंसान की जली हुयी लाश मिली थी मैं जानता हु उस जगह के बारे मैं

रूद्र-तुम सबको लेकर तुरंत वहा पहुचो मैं भी पहुच रहा हु बस एक बात का ध्यान रखना राघव मेरे आये तक प्लीज कोई एक्शन मत लेना मेरा इंतजार करना

राघव-ठीक है...

उसके बाद राघव ने रमण और संजय को ये बात बताई और वो लोग उस कब्रिस्तान की और निकल गए और रूद्र ने भी अपनी बाइक उस कब्रिस्तान की और मोड़ ली.....




To Be Continue......
Bahot shaandaar lajawab update bhai
 

Naik

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भाग २३



राघव संजय और रमण अपनी जीप से कुछ ही समय मैं कब्रिस्तान पहुच गए थे और उन्होंने अपनी जीप कब्रिस्तान से कुछ दूर पहले ही कड़ी कर दी थी ताकि उसकी आवाज से कही कालसैनिक सतर्क नहो जाए फिर जीप की पिछली सीट से एक एक रायफल उठाकर वो सावधानी से कब्रिस्तान की और बढे, कब्रिस्तान के बाहर लोहे के गेट के बगल मैं एक बरगद का पेड़ था वो लोग उसकी ओट मैं छिप गए,

वहा से कब्रिस्तान के अंदर का दृश्य देख पाना इतना आसन नहीं था क्युकी अँधेरा होने के कारण दूर तक ठीक से दिखाई नहीं दे रहा था लेकिन कब्रिस्तान के अंदर से आ रही आवाजो को सुना जा सकता था, ये आवाजे उनलोगों को दूर से ही सुने दे रही थी जिससे इतना तो तय हो चूका था के ये लोग अंदर की है और कुछ भरी गड़बड़ कर रहे है

रमण(फुसफुसाकर)- ये क्या! ये लोग तो अंदर कोई मंत्र वगैरा पढ़ रहे है

राघव-इन्हें अंतिम कुर्बानी मिल गयी है भैया ये वही मंत्र है जो मैंने उस किताब मैं देखे थे, इनकी तो....! मैं इन्हें अभी ख़त्म कर दूंगा..!

संजय-रुको राघव! गुस्से मैं बेवकूफी के कदम नहीं उठाया करते, तुम पूरी तरह टायर नही हो, हमें रूद्र का इंतजार करना है, देखो वो भी आ गया है

संजय को रूद्र दूर से आता हुआ दिखाई दिया, रूद्र ने अपनी बाइक उनकी जीप के पास कड़ी कर दी और तेजी से उनलोगों के पास पंहुचा

रूद्र-क्या चल रहा है?

राघव-उन लोगो को अंतिम कुर्बानी मिल गयी है

रूद्र-अच्छा है ये सब एक जगह है, मैं उन कमीनो को छोडूंगा नहीं तुम लोग यही रुको

राघव-तुम नहीं हम मैं भी तुम्हारे साथ चलूँगा

रूद्र-तुम तयार हो

राघव-बिलकुल ज्यादा नहीं तो उनके दिमाग मैं घुस के उनकी नसे तो फाड़ ही सकता हु

रूद्र-ठीक है तो फिर चलो आज इनका काम ही ख़तम कर दे

रमण-रुको हम भी चलते है

रूद्र-क्या आप मेरी तरह कृत्रिम मानव है या आपके पास राघव के जैसी शक्तिया है

रमण-आ....नहीं

रूद्र-तो फिर अप दोनों यही रुके, मेरा तो यर लोग वैसे भी जादू टोने से कुछ बिगाड़ नहीं सकते और राघव अपनी शक्तियों से इन्हें मसल देगा बस अगर कोई कालसैनिक हमसे बचकर बाहर भागने का प्रयास करे तो उसे गोली मारने मैं देर मत कीजियेगा, अपने हथियार तयार रखिये

राघव-रूद्र सही कह रहा है भाई....

फिर कुछ पल के लिए राघव ने वही आसन लगा कर अपनी आँखें बंद की और ध्यान की मुद्रा मैं बैठ गया मनो अपनी शक्तियों का आकलन कर रहा हो और जब उसने अपनी आँखें खोली तो उसकी आँखें हलके हरे रंग मैं चमक रही थी और उसके होठो पर एक मुस्कान थी और मस्तिक्ष एकदम शांत, अब राघव जानता था की उसे क्या करना है

वही रूद्र धडधडाते हुए कब्रिस्तान मैं घुस गया लेकिन वहा का दृश्य देख कर उसका खून खुल उठा, कालसैनिक गोल घेरा बनाकर मंत्रोच्चारण कर रहे थे और उनके घेरे के ठीक बीच मैं बुरी तरह से घायल नरेश अर्धबेहोशी की अवस्था मैं दिवार मे के एक बड़े से टुकड़े मैं गडी हुयी लोहे की जंजीरों से बंधा हुआ था

रूद्र को देखते ही मंत्र का उच्चारण करते कालसैनिक एकदम से रुक गए और रूद्र ने गुस्से मैं अपनी मुट्ठिया भींच ली

यहाँ राघव ने जैसे ही आंखन खोली तब तक रूद्र कब्रिस्तान मैं जा चूका था तो राघव ने भी उसके पीछे दौड़ लगा दी पर इस बार उसकी गति अकल्पनीय रूप से बढ़ी हुयी थी वो पलक झपकते ही रूद्र के पास खड़ा था मनो उसने एक जगह से दूसरी जगह टेलिपोर्ट किया हो, राघव खुद अपनी गति से चौक गया था पर ये समय इन सब के बारे मैं सोचने का नहीं था सामने का नजारा देख कर राघव भी गुस्से से उबलने लगा तभी रूद्र क्रोध मैं आकर बोला

रूद्र-तुम लोगो की यह हिम्मत जो नरेशजी को कैद करो!! मैं तुममे से किसी एक भी जिन्दा छोड़ने वाला नहीं हु

राघव वहा मौजूद सभी कालसैनिको की मानसिक स्तिथि का अंदाजा लगा सकता था उसने जैसे ही कब्रिस्तान के मैंदान मैं चारो तरफ नजर दौडाई उसी के साथ वो अपनी शक्तियों से वहा मौजूद सभी के दिमाग से मानसिक रूप से जुड़ चूका था पर वो एकसाथ सब पर हमला नहीं कर पा रहा था पर उनके दिमाग को भाप रहा था ,रूद्र की गुस्से भरी गर्जना सुन कर कालसैनिक कुछ समय के लिए घबराये जरूर थे पर उनमे डर का नामोनिशान नहीं था

रूद्र तेज कदमो से उस घेरे की तरफ आगे बढ़ने लगा तभी अचानक किसी ने उसे एक जोरदार लात मार कर दूर फेक दिया,, रूद्र के जीवन मैं ये पहली बार था के वो किसी के प्रहार से इतनी दूर जाकर गिरा था वही इस बात ने राघव को भी चौका दिया था क्युकी जो रूद्र की क्षमता को जनता था और अगर किसी ने रूद्र को एक लात मैं इतनी दूर फेका है तो वो कोई मामूली इंसान नहीं हो सकता, राघव और रूद्र दोनों ने रूद्र पर हमला करने वाले को देखा तो सामने चेहरे पर राक्षसी भाव लिए सुशेन खड़ा था, उसकी आँखों की पुतलिया पूरी तरह लाल हो चुकी थी जिसके कारण वो बेहद भयानक लग रहा था

सुशेन(कुटिलता से मुस्कुराते हुए)- तो अब हम दोबारा मिल गए! और तुम अपने साथ इस बच्चे को भी ले आये, अगर मुझे पहले पता होता की तुम इस तुच्छ इंसान को अपने साथ लाने वाले हो तो अंतिम कुर्बानी के लिए इस बुड्ढे को नहीं चुनता मैं

राघव-अभी तुम्हे पता चल जायेगा की तुच्छ कौन है

और राघव ने सुशेन की तरफ दौड़ लगा दी और पलक झपकने भर मणि राघव ने सुशेन को पूरी ताकत से एक मुक्का जड़ दिया पर उसका सुशेन पर इतना खास प्रभाव नहीं परा पर इतना उसे समझ आ गया था के राघव कोई मामूली इंसान नहीं है, सुशेन राघव ने मुक्के से बस एक फूट दूर सरका था और फिर जब उसने राघव पर telekinesis करने का सोचा तो वो उसका दिमाग भेद नहीं आया, सुशेन ने इतना प्रबल मस्तिक्ष पहले कभी महसूस नहीं किया था

सुशेन(हैरानी से )-कौन हो तुम??

राघव-इतनी जल्दी क्या है जान जाओगे

तभी रूद्र अपनी जगह से उठ आया और उसने सुशेन पर वार करने की कोशिश की लेकिन सुशेन ने इस बार भी उसका हमला नाकाम कर दिया

सुशेन-तुम आज मुझसे नहीं बचोगे रूद्र

रूद्र-तुममे इतनी जबरदस्त शक्ति कहा से आ गयी?? क्या किया है तुमने?

सुशेन-हमारे प्रभु कालदूत का शारीर भले ही समुद्र की गहराइयों मैं दफ़न है लेकिन वे मंसिर रूप से हरदम हम लोगो के रूप मैं सक्रिय है इसीलिए उनको ये बात ज्ञात है की उनको स्वतंत्र करने से हम लोग केवल १ कुर्बानी दूर है इसीलिए उन्होंने अपनी शक्ति का एक बड़ा हिस्सा मुझे दे दिया है तकी इस कार्य मैं कोई बाधा न आये मेरे शारीर मैं इस वक़्त ऐसी शक्ति है की मैं तुझे चींटी की तरह अभी मसल दू

वहा मौजूद सारे कालसैनिक इस वाकये को अपने सामने होता देख रहे थे मगर कोई भी एक वक़्त सुशेन के बीच मैं नहीं आ रहा था या राघव और रूद्र को रोकने की कोशिश नहीं कर रहा था

राघव-मेरे होते हुए ये इतना भी आसन नहीं है

राघव ने सुशेन से कहा औरपने दोनों हाथ हवा मैं एक विशिष्ट मुद्रा मैं लहराए और उन्हें सुशेन की तरफ किया जिससे एक तेज हवा का झोका धुल को अपने मैं समेटे सुशेन की तरफ बढ़ा और उसी हवा की रफ्तारसे राघव ने सुशेन पर हमला किया लेकिन सुशेन ने अपने एक हाथ राघव का वार खली कर दिया और उसे दूर फेक दिया

रूद्र गुस्से से चिल्लाते हुए सुशेन की तरफ भगा लेकिन सुशेन ने फिर एक जोरदार घुसा रूद्र के मुह पर रसीद किया जिससे वो वही गिर५ पड़ा, उसके कृत्रिम शारीर ने जीवन मैं पहली बार खून दर्द और बेबसी का अनुभव किया था, रूद्र और राघव दोनों ही इस वक़्त अपने आप को सुशेन के सामने बेबस महसूस कर रहे थे, सुशेन रूद्र को घसीटते हुए राघव के पास ले गया, राघव इस वक़्त जमीन पर पड़ा करह रहा था, क्या करे उसे कुछ सूझ नहीं रहा था, सुशेन ने उन दोनों को गर्दन से पकड़कर उठा लिया, राघव और रूद्र दोनों अपनी पूरी ताकत के लगाकर भी सुशेन की पकड़ से छुट नहीं पा रहे थे, राघव तो दर्द मैं अपनी शक्तिया भी भुला बैठा था

सुशेन(क्रोध से)- तुम लोगो ने मेरे भाई को मार डाला! पता है कितना दर्द होता है जब हम किसी अपने को खोते है? मैं बताता हु,

सुशेन ने दोनों को गर्दन से पकड़ कर उठाकर रखा था फिर उसने एक कालसैनिक को इशारा किया और उसने राघव और रूद्र के सामने telekinesis द्वारा नरेश को यातना देना शुरू किया, नरेश दर्द के कारण बुरी तरह चीख रहा था क्युकी धीरे धीरे उसके पेट का उपरी आवरण हट रहा था और त्वचा से फटकार बाहर आती अंतड़िया दिखने लगी थी

राघव और रूद्र काफी कोशिशो के बाद भी खुद को छुड़ा नहीं पा रहे थे

सुशेन- हा हा हा! अब वक़्त है आखरी कुर्बानी देने का, इस कुर्बानी के कारण हजार वर्षो से चला आ रहा कुर्बानी का चक्र समाप्त हो जायेगा और महान कालदूत का आगन इस धरती पर होगा, फिर वे देवताओ की इस सृष्टि को अपनी सृष्टि बनायेंगे और मैं बनूँगा इस नई दुनिया के सृजन मैं उनका सहयाक, उनका परम अनुयायी!


सुशेन ने दुसरे कालसैनिक को इशारा किया उर उसने पास ही पड़ा एक केरोसिन का डब्बा telekinesis द्वारा नरेश के पिरे शारीर पर छिड़क दिया और माचिस से आग लगा दी, इस दौरान बाकि कालसैनिको का मंत्रोच्चारण काफी तेज हो गया था और नरेश को अत्याधिक्क पीड़ा का अनुभव हो रहा था, उसका शारीर जल उठा था वो चीख रहा था लेकिन उससे भी बुरी तरह रूद्र चीख रहा था वही राघव अपने पुरे प्रयास के बाद भी सुशेन की मजबूत पकड़ से नहीं निकल पा रहा था और नरेश को जलता देखने के अलावा कुछ नहीं कर पा रहा था.......
Bahot behtareen update bhai shaandaar
 

Naik

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भाग २४



सुशेन ने दुसरे कालसैनिक को इशारा किया उर उसने पास ही पड़ा एक केरोसिन का डब्बा telekinesis द्वारा नरेश के पिरे शारीर पर छिड़क दिया और माचिस से आग लगा दी, इस दौरान बाकि कालसैनिको का मंत्रोच्चारण काफी तेज हो गया था और नरेश को अत्याधिक्क पीड़ा का अनुभव हो रहा था, उसका शारीर जल उठा था वो चीख रहा था लेकिन उससे भी बुरी तरह रूद्र चीख रहा था वही राघव अपने पुरे प्रयास के बाद भी सुशेन की मजबूत पकड़ से नहीं निकल पा रहा था और नरेश को जलता देखने के अलावा कुछ नहीं कर पा रहा था.......

जल्द ही नरेश ने रहा सहा प्रतिरोध करना भी बंद कर दिया, उसके शारीर की सारी हरकते और तड़प शांत हो चुकी थी, अब तक हलकी पड़ चुकी बारिश अब एकबार फिर तेज हो गयी थी और अब तक बुरी तरह गल चुके उनके शारीर को जलाती आग भी धीरे धीरे बारिश से बुझने लगी थी लेकिन आग बुझने तक वो शारीर शारीर नहीं रहा बल्कि जंजीरों मैं लटका मांस का एक लोथड़ा बन चूका था, आखरी कुर्बानी की प्रक्रिया संपन्न हो चुकी थी, रूद्र बस एकटक उस जगह की तरफ देखे जा रहा था जहा कुछ समय पहले नरेश जी जीवित मौजूद थे,

सुशेन ने उन दोनों की गर्दन छोड़ दी, रूद्र घुटनों के बल जमीन पर बैठ गया वही राघव अर्धबेहोशी की हालत मैं पहुच चूका था और जमीन पर लेट रहा था और अपनी सास नोर्मल कर रहा था,

रूद्र जमीन पर बैठा नरेश को लाश को एकटक देख रहा था, पहले इनलोगों ने उसके निर्माता को मारा था फिर जिस व्यक्ति ने उसे पिता की तरह पाला उसे इन कालसैनिको ने इतनी भयानक मौत दी थी, रूद्र की पूरी दुनिया ही उजाड़ गयी थी और जब किसी के साथ ऐसा होता है तो उसे दुःख नहीं होता बल्कि उसका पूरा दिमाग ही कुछ समय के लिए शुन्य मैं चला जाता है, रूद्र के साथ ऐसा ही हुआ था उसके रोना नहीं आ रहा था, सही कहा जाये तो उसे कुछ भी महसूस होना बंद हो चूका था,

नरेश की मौत से वो भी इतनी भयानक मौत से राघव भी शोक मैं डूबा हुआ था कही न कही उसे ऐसा लग रहा था के ये सब उसी के कारण हुआ है क्यों वो अपनी शक्तिया सही से इस्तमाल नहीं कर पाया, उसने मान ही लिया थाए ये जंग वो हार चुके थे और अब कुछ नहीं बचा था और धीरे धीरे राघव की ऑंखें बंद होने लगी

वही सुशेन कुटिल और विजयी मुस्कान लेकर खड़ा था, गोले मैं खड़े कालसैनिको के मंत्रोच्चारण बंद हो चुके थे, कालदूत के जागने की प्रक्रिया पूर्ण होने की आपर ख़ुशी उन सबके चेहरे पर देखी जा सकती थी

सुशेन- हा हा हा...प्रक्रिय पूरी हुयी, अब १००० साल का इंतज़ार ख़त्म! हमारे देवता अब इस नापाक धरती पर अपना कदम रखेंगे, सभी धर्मो के लोग अब सिर्फ कालदूत की पूजा करेंगे और को विरोध करेगा उसे ऐसी ही भयानक मौत दी जाएगी और सबसे पहले इन्ही लोगो की बारी है जिन्होंने कालदूत के माहन कार्य मैं बाधा बनने की कोशिश की है

रूद्र के मुह से खून रिस रहा था और उसके कपडे जगह जगह से फटे हुए थे पर अब भी वो शुन्य मैं था, उसकी तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई थी वही राघव ने जैसे ही अपनी आंखे बंद की उसे उसके मस्तिष्क मैं उसके दादा की छवि उभर्तोई दिखी मनो वो उससे कह रहे हो की ये अंत नहीं है अभी तो और भी काम करने बाकि है, अब राघव की चेतना लौटने लगी थी और उसमे एक नई हिम्मत का संचार हुआ था, राघव की हालत भी रूद्र से अलग नहीं थी चोटे उसे भी आयी थी लेकिन वो दोबारा उठ खड़ा हुआ, अब उसे दर्द महसूस नहि हो रहा था और शारीर मैं ये नई उर्जा न मनो प्रवाह बह रहा हो, इस बार राघव के चेहरे पर कोई भाव नहीं थे न डर न गुस्सा न दुःख, उसकी हिम्मत देख कर रूद्र भी अपनी चेतना मैं वापिस आया और एक बार फिर वो कालसैनिको से लड़ने के लिए उठ खड़ा हुआ

अभी तक सुशेन और कालसैनिको का ध्यान इनपर नहीं गया था सुशेन कालदूत की आज़ादी की ख़ुशी मन रहा था

सुशेन-हा हा, कालसैनिको कुछ ही समय मैं हमारे भगवान हमारे बीच होंगे उसके पहले हमें इन बद्जतो को इनके किये की सजा देनी है सबसे पहले तो ये मरेगा जिसपर telekinesis असर नहीं करती, इसे मैं अपने हाथो से मारूंगा और उसके बाद इसके साथ आया हुआ लड़का

तभी पीछे से राघव से सुशेन को आवाज दी जिससे सुशेन का ध्यान उन दोनों पर गया

राघव-ओ.....तट्टो के सौदागर, ये लडाई अभी ख़त्म नहीं हुयी है और भेंचोद अगर मरना ही है तो कमसे कम तुमको मार के मरेंगे मादरजात.....

राघव की बात और उसके मुह से अपने लिए गाली सुनके सुशेन का गुस्सा भड़क रहा था मगर जब तक वो कुछ करता राघव ने उसकी तरफ दौड़ लगा दी और राघव इतनी तेजी से सुशेन की और लपका की किसी को समझ ही नहीं आया और राघव मे सुशेन पर अपने मुक्को की बारिश कर दी पर कालदूत की दी हुयी शक्तियों की वजह से सुशेन राघव के हमले को भाप गया और उसने भी अब राघव का प्रतिरोध करना शुरू कर दिया अब लग रहा था की दो टक्कर के प्रतिद्वंदी लड़ रहे है वही जब इनदोनो के बीच कालसैनिको ने हस्तक्षेप करने ने कोशिश की तो उनके बीच रूद्र खड़ा था

लड़ते लड़ते सुशेन ने एक जोरदार प्रहार राघव पर किया जिससे वो कुछ फूट पीछे सरक गया मगर इतने मैं रूद्र सुशेन से लड़ने उसके सामने थे, सुशेन ने फिर रूद्र को घुसा मारने की कोशिश की लेकिन इस बार रूद्र ने सुशेन के वार को अपने हाथ से रोक लिया, ये देख कर सुशेन को बेहद हैरानी हुयी, उसे कुछ देर पहले अपने शारीर मैं जो असीम शक्ति थी वो अब कम होती महसूस हो रही थी, उसकी आँखों की पुतलिया जो अब तक लाल थी वो सामान्य हो रही थी, अपने अंदर इतने शारीरिक परिवर्तन देख कर अब सुशेन घबराने लगा था

सुशेन-ये...ये क्या हो रहा है? मेरी शक्तिया कहा चली गयी?

रूद्र-तुम्हारा इश्वर तो स्वार्थी निकला रे...जबतक तुमसे काम था तबतक तुम्हे उसने शक्तिया दी और जैसे ही प्रक्रिया पूर्ण हुयी शक्ति वापिस ले ली?

सुशेन से चेहरे पर डर साफ़ देखा जा सकता था रूद्र ने उसके हाथ को जोर से भींच दिया जिससे उसके हाथ की हड्डीया टूट हाई और सुशेन अपना हाथ लेकर वही बैठ गया, ये घटना देख कर बाकि कालसैनिको ने वह से भागने की कोशिश की लेकिन रूद्र और राघव अब उन्हें छोड़ने के मूड मैं बिलकुल नहीं थे

राघव ने अपनी मानसिक शक्तियों के उपयोग से कालसैनिको के सोचने और भागने की गतिको धीमा कर दिया था और जल्द ही पुरे वातावरण कालसैनिको की चीख पुकार से दहल रहा था, रूद्र और राघव एक एक कालसैनिक को तेजी से मार रहे थे

रूद्र ने एक कालसैनिक की छाती के आरपार अपना हाथ ऐसे निकाल दिया मनो उसका शारीर हाड मांस का नहीं बल्कि कागज का बना हो, राघव कालसैनिको के telekinesis से ही उन्हें मात दे रहा था उस कब्रिस्तान मैं मनो इस समय प्रलय नाच रहा था

कुछ सौभाग्यशाली कालसैनिक को दरवाजे से बाहर भागने का मौका मिला भी लेकिन बाहर कदम रखते ही रमण और संजय ने अपनी भरी बन्दूको से उन्हें मारना शुरू कर दिया, कालसैनिक telekinesis के प्रयोग से पहले ही मौत के घाट उतर रहे थे वही कुछ कालसैनिक छिप कर वहा से भाग चुके थे


काफी सारे कालसैनिक अब लाश बन चुके थे और जो दो चार बचे थे उनसे राघव निपट रहा था और रूद्र सुशेन की तरफ बढ़ा तभी एक काला चोगा पहने स्त्री उसके और सुशेन के बीच आ गयी......
Bahot zaberdast shaandaar lajawab update bhai
 

Naik

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258
भाग २५



काफी सारे कालसैनिक अब लाश बन चुके थे और जो दो चार बचे थे उनसे राघव निपट रहा था और रूद्र सुशेन की तरफ बढ़ा तभी एक काला चोगा पहने स्त्री उसके और सुशेन के बीच आ गयी.....

रूद(क्रोध से)- सामने से हट जाओ लड़की!

सुशेन बैठा बैठा की अपनी भयानक पीड़ा भूलकर जोर से चिल्लाया

सुषाओं-हट जाओ सारा! ये तुम्हे भी मार डालेगा!

सारा(सुशेन को प्यार से देख कर)- तो मैं ख़ुशी ख़ुशी से तुम्हारे लिए जान दे दूंगी मेरी जान

इतना कहकर सारा ने telekinesis द्वारा वहा मौजूद एक भरी पत्थर उठाया और उसे रूद्र की तरफ फेका अब तक राघव का ध्यान भी इस लडाई की तरफ हो चूका था और वो भरी पत्थर जब तक रूद्र के करीब पहुच कर उसे हानी पहुचता तब तक रूद्र ने एक जोरदार प्रहार उस पत्थर पर किया और उसके टुकड़े हो गए, रूद्र की आँखों मैं अब और क्रोध उतर आया था

रूद्र-मेरा शारीर कोई आम मानव शारीर नहीं है बल्कि तरह तरहके धातुओ से बना है देखना चाह्तिहो मेरी ताकत

सुशेन(घबराकर)-न...नहीं..रूद्र! मुझे मार डालो जितनी बुरी मौत देनी हो दे दो लेकिन इसे छोड़ दो

रूद्र(सुशेन की तरफ देखकर)- तू हमें अपनों की मौत से होने वाले दर्द के बारे मैं बता रहा था न?तुम कालसैनिको ने मेरा निर्माता महेश को मारा और उनके भाई मेरे पिता सामान नरेशजी और उनकी बीवी को मारा तब मैं कुछ नहीं पर सका मगर आज मैं हैवानियत दिखाऊंगा और तुम लोग कुछ नहीं कर सकोगे, कोई एक भी यहाँ से बचकर जिन्दा नहीं जायेगा, तुम लोग हमारे समाज मैं कैंसर की तरफ हो जो हमारे बीच सामान्य लोगो की तरफ रहकर हमें ही नुक्सान पहुचाएंगे

तभी सारा ने एक बार फिर रूद्र पर हमला करने का सोचा वही राघव को मनो आगे होने वाली घटना का पूर्वानुमान हो गया था उसने रूद्र को आवाज़ लगायी “रूद्र रुको!!” पर रूद्र भी सारा की मंशा समझ चूका था और राघव रूद्र को रोक पता या सारा रूद्र पर हमला करती इससे पहले ही रूद्र ने उसे एक जोरदार थप्पड़ रसीद किया जिससे सारा की नाजुक गर्दन की हड्डिया कडकड़ा उठी, रूद्र तो ये अंदाजा भी नहीं लगा पाया था के क्रोध के वश मैं आकर उसने क्या कर दिया है वही राघव भी अफ़सोस मैं था की वो सही समय पर रूद्र को रोक नहीं पाया था, सारा की सासे थम चुकी थी और उसका निर्जीव शारीर धरती पर पड़ा था, धरती पर गिरने के बाद भी उसकी आँखें खुली हुयी थी जो एकटक सुशेन को प्यार से निहार रही थी

सुशेन-नहीं..! तुमने...तुमने उसे मार डाला! अब तुमलोगों मैं और मुझमे क्या अंतर रह गया है, जरा अपने आस पास देखो तुम दोनों की वजह से कब्रिस्तान मौत का कितना भयानक मंजर फैला हुआ है! तुम लोग हमें राक्षस बताते हो और खुद क्या हो, आज तुमने भी तो लोगो की जान ली है

राघव ने अपने चारो तरफ फैली लाशो को देखा, कुछ दिन पहले अगर उससे कोई कहता की वो क्रूर है तो वो नहीं मानता पर आज उसने कब्रिस्तान मैं जिस क्रूरता का प्रदर्शन किया था उससे वो खुद चकित था, उसे अपने और कालसैनिको मैं कोई अन्तेर नजर नहीं आ रहा था फिर भी उसने अपने बचाव मैं कह

राघव-तुम सब खुनी हत्यारे थे मौत तो तुम्हारा मुकद्दर थी

सुशेन-मान लिया की यहाँ सभी खुनी हत्यारे थे जिन्हें तुम लोगो ने मारा लेकिन हम सबके बीच ऐसा कोई था जो बिलकुल निर्दोष था, जिसने एक भी जान नहीं ली थी जिसे इस रूद्र ने मार डाला

रूद्र का कृत्रिम दिल जोरो से धड़क रहा था

रूद्र-तू किसकी बात कर रहा है??

सुशेन-मेरी बीवी सारा, वह १ महीने की गर्भवती थी और तुमने उसके साथ साथ उसके बच्चे की भी जान ले ली

रूद्र-या ये कहो की एक कालसैनिक को इस दुनिया मैं आने से रोक दिया जो किसी शैतान की भक्ति के नाम पर अपने पिता की तरफ तमाम निर्दोशो का खून बहाता

सुशेन-या फिर मुझ से बगावत करा अरुण की तरह बनता जो अपने की पिता के खिलाफ लड़ा था, तुमने पहले ही सोच लिया था के मेरा बच्चा मेरे जैसा बनेगा? अब तो स्वीकार कर लो की तुम्हारे हाथो एक मासूम का खून चढ़ गया है और तुम लोगो के हाथ भी किसी मासूम के खून से लाल हो चुके है

सुशेन की बातो से राघव और रूद्र बुरी तरफ हिल चुके थे और अब सुशेन इनकी बेबसी पर हस रहा था, काफी देर से बाहर खड़े रमण और संजय भी अंदर आ गए और उन्होंने बाकि बचे कालसैनिको को अपनी बन्दूको से मार डाला और राघव और रूद्र के करीब आये को बुत बने खड़े थे और सामने सुशेन जोर से हस रहा था जिसके बाद उन्होंने सुशेन को भी अपनी बन्दूक से छलनी कर दिया अब अब सुशेन भी उस कब्रिस्तान मैं पड़ी लासको मैं शामिल हो गया था और उन लाशो के बीच संजय राघव रमण और रूद्र खड़े थे, भीषण गोलीबारी चीखपुकार और भयानक रक्तपात के बाद कब्रिस्तान एक बार फिर शांत हो गया था

रमण ने पीछे से जाकर राघव के कंधे पर हाथ रखा और अपने भाई का स्पर्श समझते ही राघव उससे लिपट गया

संजय-मुझे नहीं पता था की तुम लोगो इतन क्रूरता से मार सकते हो

रूद्र-अब कोई फर्क नहीं पड़ता हम उन्हें आखरी कुर्बनि देने से नहीं रोक पाए, अब कात्दूत को जागने से कोई नहीं रोक सकता

संजय-क्या? हम तो बाहर थे अंदर का कुछ पता नहीं लगा यहाँ क्या हुआ था रूद्र?

रूद्र ने लोने की जंजीरों की तरफ इशारा करते हुए कहा “ये थी आखरी कुर्बानी”

रमण-उफ्फ, कितनी भयानक मौत दी है बिचारे को कौन था वो व्यक्ति?

राघव-नरेश जी

नरेश का नाम सुन कर संजय और रमण के पैरो तले जमीन खिसक गयी वो कभी उस लाश को देखते तो कभी रूद्र को जिसकी आँखों से अब आंसू बह रहे थे, किसी को कुछ समझ नहीं आ रहा था के रूद्र को सांत्वना कैसे दि जाये कुछ समय बाद वो लोग रूद्र को शांत करने मैं सफल हुए और वहा से नरेश की लाश लेकर अंतिम संस्कार करने निकल गए संजय रूद्र के साथ आगे चल रहा था वही राघव रमण के साथ था

राघव-भईया रूद्र ठीक होगा न?

रमण-हम उसकी हालत का अंदाजा नहीं लगा सकते राघव नरेश ने उसे अब तक पाला था, भले ही वो कृत्रिम मानव है पर है एक २२ साल का लड़का ही,उससे आज उसका सब छीन गया है हम उसकी मनोस्तिथि नै समझ सकते बस सांत्वना दे सकते है, अब पता नहीं इस दुनिया का क्या होगा अगर कालदूत सच मैं आ गया तो........

----------------------------

कही दूर हिन्द महासागर मैं दो मछुवारे मछली पकड़ने वाला जाल समुद्र मैं डाल रहे थे

रघु-आबे आज हम ज्यादा दूर निकल आये है चलो जल्दी से काम निपटाया जाए

हरिया-अबे रुक जा थोड़ी देर थोड़ी मछिलिया और हाथ लगने दे

रघु-अरे हाल देख मौसम का इतने आंधी तूफान मैं नव ज्यादा समय नहीं टिकेगी

तभी अचानक समुद्र मैं हलचल होने लगी, पानी का रंग भी धीरे धीरे बदलने लगा

हरिया- अरे! ये क्या हो रहा है

रघु-पता नहीं ऐसा लग रहा है मनो समुद्र से कोई चीज़ बाहर आ रही हो

हरिया-ये जरूर व्हेल जैसी कोई बडी मछली होगी वरना पानी मैं इतनी हलचल और कौन मचा सकता है?

रघु-पता नहीं! अरे देख! एक काला बड़ा शारीर पानी से बाहर आ रहा है

हरिया-हे भगवान! ये क्या है?

रघु(घबराते हुए)- ये.....ये कोई मछली नहीं है! ये तो शैतान का अवतार लगता है!

उसके बाद उन मछुवारो के सामने उनके जीवन का सबसे भयानक दृश्य उपस्तिथ हो चूका था, धीरे धीरे १०० फूट का एक प्राणी समुद्र से बाहर निकला जिसका सर एक नाग की भांति था शारीर मानव की तरह और पीठ पर ड्रैगन जिसे विशालकाय पंख लगे थे, इतने विशाल शारीर वाले प्राणी को देख कर वो नाविक बुरी तरह आतंकित हो चुके थे....


कालदूत अपनी कैद से आजाद हो चूका था..........
Bahot khaternaak update bhai
Kaal doot apni qaid se aazad ho chuka h
Dekhte h ab aage kia kia hota h
 

mashish

BHARAT
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भाग २५



काफी सारे कालसैनिक अब लाश बन चुके थे और जो दो चार बचे थे उनसे राघव निपट रहा था और रूद्र सुशेन की तरफ बढ़ा तभी एक काला चोगा पहने स्त्री उसके और सुशेन के बीच आ गयी.....

रूद(क्रोध से)- सामने से हट जाओ लड़की!

सुशेन बैठा बैठा की अपनी भयानक पीड़ा भूलकर जोर से चिल्लाया

सुषाओं-हट जाओ सारा! ये तुम्हे भी मार डालेगा!

सारा(सुशेन को प्यार से देख कर)- तो मैं ख़ुशी ख़ुशी से तुम्हारे लिए जान दे दूंगी मेरी जान

इतना कहकर सारा ने telekinesis द्वारा वहा मौजूद एक भरी पत्थर उठाया और उसे रूद्र की तरफ फेका अब तक राघव का ध्यान भी इस लडाई की तरफ हो चूका था और वो भरी पत्थर जब तक रूद्र के करीब पहुच कर उसे हानी पहुचता तब तक रूद्र ने एक जोरदार प्रहार उस पत्थर पर किया और उसके टुकड़े हो गए, रूद्र की आँखों मैं अब और क्रोध उतर आया था

रूद्र-मेरा शारीर कोई आम मानव शारीर नहीं है बल्कि तरह तरहके धातुओ से बना है देखना चाह्तिहो मेरी ताकत

सुशेन(घबराकर)-न...नहीं..रूद्र! मुझे मार डालो जितनी बुरी मौत देनी हो दे दो लेकिन इसे छोड़ दो

रूद्र(सुशेन की तरफ देखकर)- तू हमें अपनों की मौत से होने वाले दर्द के बारे मैं बता रहा था न?तुम कालसैनिको ने मेरा निर्माता महेश को मारा और उनके भाई मेरे पिता सामान नरेशजी और उनकी बीवी को मारा तब मैं कुछ नहीं पर सका मगर आज मैं हैवानियत दिखाऊंगा और तुम लोग कुछ नहीं कर सकोगे, कोई एक भी यहाँ से बचकर जिन्दा नहीं जायेगा, तुम लोग हमारे समाज मैं कैंसर की तरफ हो जो हमारे बीच सामान्य लोगो की तरफ रहकर हमें ही नुक्सान पहुचाएंगे

तभी सारा ने एक बार फिर रूद्र पर हमला करने का सोचा वही राघव को मनो आगे होने वाली घटना का पूर्वानुमान हो गया था उसने रूद्र को आवाज़ लगायी “रूद्र रुको!!” पर रूद्र भी सारा की मंशा समझ चूका था और राघव रूद्र को रोक पता या सारा रूद्र पर हमला करती इससे पहले ही रूद्र ने उसे एक जोरदार थप्पड़ रसीद किया जिससे सारा की नाजुक गर्दन की हड्डिया कडकड़ा उठी, रूद्र तो ये अंदाजा भी नहीं लगा पाया था के क्रोध के वश मैं आकर उसने क्या कर दिया है वही राघव भी अफ़सोस मैं था की वो सही समय पर रूद्र को रोक नहीं पाया था, सारा की सासे थम चुकी थी और उसका निर्जीव शारीर धरती पर पड़ा था, धरती पर गिरने के बाद भी उसकी आँखें खुली हुयी थी जो एकटक सुशेन को प्यार से निहार रही थी

सुशेन-नहीं..! तुमने...तुमने उसे मार डाला! अब तुमलोगों मैं और मुझमे क्या अंतर रह गया है, जरा अपने आस पास देखो तुम दोनों की वजह से कब्रिस्तान मौत का कितना भयानक मंजर फैला हुआ है! तुम लोग हमें राक्षस बताते हो और खुद क्या हो, आज तुमने भी तो लोगो की जान ली है

राघव ने अपने चारो तरफ फैली लाशो को देखा, कुछ दिन पहले अगर उससे कोई कहता की वो क्रूर है तो वो नहीं मानता पर आज उसने कब्रिस्तान मैं जिस क्रूरता का प्रदर्शन किया था उससे वो खुद चकित था, उसे अपने और कालसैनिको मैं कोई अन्तेर नजर नहीं आ रहा था फिर भी उसने अपने बचाव मैं कह

राघव-तुम सब खुनी हत्यारे थे मौत तो तुम्हारा मुकद्दर थी

सुशेन-मान लिया की यहाँ सभी खुनी हत्यारे थे जिन्हें तुम लोगो ने मारा लेकिन हम सबके बीच ऐसा कोई था जो बिलकुल निर्दोष था, जिसने एक भी जान नहीं ली थी जिसे इस रूद्र ने मार डाला

रूद्र का कृत्रिम दिल जोरो से धड़क रहा था

रूद्र-तू किसकी बात कर रहा है??

सुशेन-मेरी बीवी सारा, वह १ महीने की गर्भवती थी और तुमने उसके साथ साथ उसके बच्चे की भी जान ले ली

रूद्र-या ये कहो की एक कालसैनिक को इस दुनिया मैं आने से रोक दिया जो किसी शैतान की भक्ति के नाम पर अपने पिता की तरफ तमाम निर्दोशो का खून बहाता

सुशेन-या फिर मुझ से बगावत करा अरुण की तरह बनता जो अपने की पिता के खिलाफ लड़ा था, तुमने पहले ही सोच लिया था के मेरा बच्चा मेरे जैसा बनेगा? अब तो स्वीकार कर लो की तुम्हारे हाथो एक मासूम का खून चढ़ गया है और तुम लोगो के हाथ भी किसी मासूम के खून से लाल हो चुके है

सुशेन की बातो से राघव और रूद्र बुरी तरफ हिल चुके थे और अब सुशेन इनकी बेबसी पर हस रहा था, काफी देर से बाहर खड़े रमण और संजय भी अंदर आ गए और उन्होंने बाकि बचे कालसैनिको को अपनी बन्दूको से मार डाला और राघव और रूद्र के करीब आये को बुत बने खड़े थे और सामने सुशेन जोर से हस रहा था जिसके बाद उन्होंने सुशेन को भी अपनी बन्दूक से छलनी कर दिया अब अब सुशेन भी उस कब्रिस्तान मैं पड़ी लासको मैं शामिल हो गया था और उन लाशो के बीच संजय राघव रमण और रूद्र खड़े थे, भीषण गोलीबारी चीखपुकार और भयानक रक्तपात के बाद कब्रिस्तान एक बार फिर शांत हो गया था

रमण ने पीछे से जाकर राघव के कंधे पर हाथ रखा और अपने भाई का स्पर्श समझते ही राघव उससे लिपट गया

संजय-मुझे नहीं पता था की तुम लोगो इतन क्रूरता से मार सकते हो

रूद्र-अब कोई फर्क नहीं पड़ता हम उन्हें आखरी कुर्बनि देने से नहीं रोक पाए, अब कात्दूत को जागने से कोई नहीं रोक सकता

संजय-क्या? हम तो बाहर थे अंदर का कुछ पता नहीं लगा यहाँ क्या हुआ था रूद्र?

रूद्र ने लोने की जंजीरों की तरफ इशारा करते हुए कहा “ये थी आखरी कुर्बानी”

रमण-उफ्फ, कितनी भयानक मौत दी है बिचारे को कौन था वो व्यक्ति?

राघव-नरेश जी

नरेश का नाम सुन कर संजय और रमण के पैरो तले जमीन खिसक गयी वो कभी उस लाश को देखते तो कभी रूद्र को जिसकी आँखों से अब आंसू बह रहे थे, किसी को कुछ समझ नहीं आ रहा था के रूद्र को सांत्वना कैसे दि जाये कुछ समय बाद वो लोग रूद्र को शांत करने मैं सफल हुए और वहा से नरेश की लाश लेकर अंतिम संस्कार करने निकल गए संजय रूद्र के साथ आगे चल रहा था वही राघव रमण के साथ था

राघव-भईया रूद्र ठीक होगा न?

रमण-हम उसकी हालत का अंदाजा नहीं लगा सकते राघव नरेश ने उसे अब तक पाला था, भले ही वो कृत्रिम मानव है पर है एक २२ साल का लड़का ही,उससे आज उसका सब छीन गया है हम उसकी मनोस्तिथि नै समझ सकते बस सांत्वना दे सकते है, अब पता नहीं इस दुनिया का क्या होगा अगर कालदूत सच मैं आ गया तो........

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कही दूर हिन्द महासागर मैं दो मछुवारे मछली पकड़ने वाला जाल समुद्र मैं डाल रहे थे

रघु-आबे आज हम ज्यादा दूर निकल आये है चलो जल्दी से काम निपटाया जाए

हरिया-अबे रुक जा थोड़ी देर थोड़ी मछिलिया और हाथ लगने दे

रघु-अरे हाल देख मौसम का इतने आंधी तूफान मैं नव ज्यादा समय नहीं टिकेगी

तभी अचानक समुद्र मैं हलचल होने लगी, पानी का रंग भी धीरे धीरे बदलने लगा

हरिया- अरे! ये क्या हो रहा है

रघु-पता नहीं ऐसा लग रहा है मनो समुद्र से कोई चीज़ बाहर आ रही हो

हरिया-ये जरूर व्हेल जैसी कोई बडी मछली होगी वरना पानी मैं इतनी हलचल और कौन मचा सकता है?

रघु-पता नहीं! अरे देख! एक काला बड़ा शारीर पानी से बाहर आ रहा है

हरिया-हे भगवान! ये क्या है?

रघु(घबराते हुए)- ये.....ये कोई मछली नहीं है! ये तो शैतान का अवतार लगता है!

उसके बाद उन मछुवारो के सामने उनके जीवन का सबसे भयानक दृश्य उपस्तिथ हो चूका था, धीरे धीरे १०० फूट का एक प्राणी समुद्र से बाहर निकला जिसका सर एक नाग की भांति था शारीर मानव की तरह और पीठ पर ड्रैगन जिसे विशालकाय पंख लगे थे, इतने विशाल शारीर वाले प्राणी को देख कर वो नाविक बुरी तरह आतंकित हो चुके थे....


कालदूत अपनी कैद से आजाद हो चूका था..........
awesome update
 

Mahi Maurya

Dil Se Dil Tak
Supreme
23,338
49,594
259
चौदहवाँ भाग
राघव ने जब जंगल के बीच वो इमारत देखी तो उसे कुछ खटका हुआ और खटका होना स्वाभाविक भी है। जब उसने अपनी इंद्रियों को एकाग्र के अंदर की बात सुनी तो ये कालसैनिक ही थे जो कल कब्रिस्तान वाकई घटना के बारे में बात कर रहे थे।
कालसैनिक में फूट पड़ गई है और वो दो गुट में बंट गया है। ब्लू वुड और ब्लैक वुड, लेकिन काम दोनों का एक ही है बलि देना। राघव उनके ठिकाने के पता लगाने के लिए उनके कार की डिग्गी में बैठ जाता है।
क्या कालसैनिक के अड्डे के पता चलेगा राघव को।
बहुत बढ़िया सर जी।
 

Mahi Maurya

Dil Se Dil Tak
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पंद्रहवाँ भाग

जब दोनों भाई सुशेन और शक्ति मिलते हैं तो राघव को पता चलता है कि संतोष भी इन्हीं का आदमी और और ये भी पता चलता है कि नंदिनी और विक्रांत दोनों अलग अलग गुट से हैं कालदूत के सदस्य।

एक फोन आता है शक्ति को जिससे पता चलता है कि दो और आदमी मारे गए हैं कालसैनिक के। जब सुशेन वहां से जाने लगता है तो उसे संदेश प्राप्त होता है कि रेस्टोरेंट में मिलो अपने आदमियों के कातिल से।

कौन है ये इंसान जिसने कालदूत के आदमियों को मारा है।

बहुत ही मस्त भाग सर जी
 

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भाग ३

वर्तमान समय
छत्रपति शिवाजी इंटरनेशनल एयरपोर्ट, मुंबई

अभी अभी एयरपोर्ट के डोमेस्टिक टर्मिनल पर दिल्ली से आयी हुयी फ्लाइट लैंड हुयी थी जिसमे रोहित दिल्ली से मुंबई आया था, रोहित अपने सबसे खास दो दोस्तों से पुरे चार साल बाद मिलने वाला था जिसके लिए वो काफी खुश था. ये लोग मुंबई से २०० कम दूर बने राजनगर(काल्पनिक) जाने वाले थे जो की एक हिल स्टेशन था और यहाँ पर काफी ख्याति प्राप्त बोर्डिंग स्कूल भी थे, रोहित ने भी अपनी स्कूलिंग और ग्रेजुएशन यही से कम्पलीट की थी इस लिए उसे इस जगह से काफी लगाव था और अब वो वापिस राजनगर जा रहा था अपने सबसे खास दोस्तों से साथ जो उसे के साथ पढ़े थे फिर से अपनी उन्ही यादो को ताजा करने...

रोहित जैसे ही डोमेस्टिक एयरपोर्ट टर्मिनल से बहार आया उसकी नजर अपने दोस्त संतोष पर पड़ी जो उसे वह रइवे करने आया था, और यहाँ से वो दोनों साथ मैं राजनगर के लिए निकलने वाले थे जहा अगले दिन शाम मैं उनका दोस्त विक्रम भी उनके पास पहुंचने वाला था

संतोष के पास पहुंच कर रोहित ने उसे गले लगा लिया, अपने दोस्त से काफी समय बाद मलने की बात ही कुछ और होती है

संतोष- साले इतना कस के गले लगाएगा तो लोग गलत समझेंगे अपने बारे मैं दूर हैट लवडे

रोहित- तुमको तो BC दोस्तों से मिलना भी नहीं आता हट !! चल सामान उठा अब

संतोष- कुली नहीं हु bsdk एक ही तो बैग है खुद उठा ले

रोहित- मैं खुद को संभाल रहा हु काफी नहीं है

संतोष- है और मेरे बाप ने तो कुली पैदा किया है न मुझे

रोहित- भाई संतो चार साल बाद मिलके भी लड़ाई करनी है क्या चल न यार भूख भी लगी है

संतोष- है भाई चल पहले मस्त तेरा मटका भरेंगे और फिर राज नगर के लिए निकलेंगे

रोहित- अरे गज़ब चलो तो फिर देर किस बात की

बात करते हुए कार तक पहुंच गए डिक्की में रोहित का सामान रख कर संतोष ने क्यार५ एक बढ़िया से रेस्टोरेंट की और बढ़ा दी....
कुछ ही देर मैं वो रेस्टॉरेंट के सामने थे

रोहित- तेरी बात हुयी विक्रम से कब तक पहुंचने वाला है वो

रोहित ने कहते टाइम संतोष से पूछा

संतोष- आज बात नहीं हुयी है वैसे भी अभी तो वो फ्लाइट मैं होगा उसकी कंपनी का मुंबई मैं कुछ काम है वो करके कल हमसे मिलेगा

रोहित- चलो अच्छा है वैसे मैं भी सोच के आया हु उसे सब बता के माफी मांग लूंगा

संतोष- किस बारे मैं कह रहा है तू...

संतोष ने सवालिया नजरो से रोहित को देखा

रोहित- तू जानता है संतो मैं नंदिनी और अपनी बात कर रहा हु विक्रम की शादी से पहले हम दोनों के बीच जो भी था....नहीं यार

संतोष- भाई वो सब पहले की बात है अब उस बारे मैं सोचने का कोई मतलब नहीं है नंदिनी और विक्रम खुश है अपनी जिंदगी मैं क्यों इस बारे मैं विक्रम को बताना चाहता है वैसे भी अब ऐसा कुछ नहीं हैतेरे और नंदिनी के बीच

रोहित- नहीं भाई, मेरे मन पे बोझ है यार अपने दोस्त को धोका देने का मैं उसे सब बता के माफ़ी मांगना चाहता हु फिर चाहे वो जो भी करे

संतोष- ठीक है जैसा तुझे सही लगे पर मैं इतना ही कहूंगा के एक बार और सोच लियो कही तेरा डिसिशन नंदिनी और विक्रम की जिंदगी ख़राब न करे.....अब चले

रोहित- है चलो चलते है

फिर अपना खाना ख़तम करके रोहित और संतोष अपनी मंजिल की तरफ रवाना हो गए ......

उसी सुबह ७ बजे
राजनगर

'राधे कृष्णा की ज्योत अलौकिक तीनो लोक मैं छाए रही है' ये भजन गाते हुए सुमित्रा देवी तुसली के पौधे को जल चढ़ा रही थी जो उनके घर के आँगन के बीचो बीच था घर की बनावट आलिया भट के घर के जैसी थी जो २ स्टेट्स मूवी मैं दिखाया गया था जिन्होंने को फिल्म देखि है वो समझ जायेंगे बाकि गूगल कर लेना तो सुमित्रा देवी के सुमधुर भजन की वजह से पुरे घर का वातावरण प्रफुल्लित हो रहा था तभी उस कर्णप्रिय आवाज के बीच एक दूसरी आवाज गुंजी

'ॐ भग भुगे भगनी भोगोदरी भगमासे ॐ फट स्वाहा......!!!
ॐ भग भुगे भगनी भोगोदरी भगमासे ॐ फट स्वाहा......!!! '

ये आवाज सुनके सुमित्रा देवी ने अपना भजन रोक दिया और उस आवाज की तरफ देखने लगी तो उनकी नजर वह पड़े एक खाट पे पड़ी जिसपर उनका छोटा बेटा राघव सोया हुआ था वैसे तो इसका और इसके बड़े भाई का एक कमरा था पर एक साल पहले भाई की शादी होने के बाद ये कमरे से बहार हो गए थे और ये आवाज़ उसके फ़ोन से आ रही थी...ये ॐ फट स्वाहा फ़ोन की रिंगटोन थी

फ़ोन की रिंगटोन की आवाज से राघव की आँख खुली और उसने फ़ोन उठाया
राघव-हेलो

"नींद से उठ जाओ महाराज यूनिवर्सिटी चलने का है "

राघव- सूरज तू नहीं होता तो मेरा क्या होता

फ़ोन राघव के दोस्त का था

सूरज- BC जल्दी आ गाड़ी का टायर पंक्चर है मेरे इसीलिए फ़ोन किया तुझे

राघव- रख फ़ोन आ रहा हु

राघव, उम्र २३ साल, अनिरुद्ध शास्त्री के छोटे बेटे बाप पेशे से पंडित है और बेटा पूरा नास्तिक, इनका मानना है के जो आँखों से दीखता ही नहीं है उसपे कोई विश्वास कैसे करे इसके हिसाब से भगवन केवल एक काल्पनिक किरदार है जिसे पुराने लोगो ने आम जानता को आदर्श जीवन सिखाने के लिए बनाया है और कुछ नहीं..... इसी वजह से इनकी पिता से थोड़ी काम बनती है

रिंगटोन से अब राघव की नींद खुल चुकी थी और कुछ समय बाद वो मस्त तैयार होक नाश्ते की टेबल पर आके बैठा जहा उसका भाई भी बैठा था

अनिरुद्ध- ये कैसी रिंगटोन लगा राखी है तुमने सुबह सुबह दिमाग भ्रष्ट कर दिया कोई अछि सी धुन नहीं रख सकते थे

राघव जैसे ही टेबल पर बैठने लगा उसके पिता अनिरुद्ध ने कहा

राघव- अब आपको इससे भी दिक्कत है

"राघव ये क्या तरीका हुआ बाबूजी से बात करने का " ये बोला राघव का बड़ा भाई रमन अपने ही शहर के पुलिस स्टेशन मैं सब इंस्पेक्टर है, वैसे इनको पूरा ईमानदार पुलिस वाला तो नहीं बोलूंगा बस दबंग के सलमान के जैसे है पैसा भी लेते है और काम भी पूरा करते है इसीलिए जल्द ही इनके प्रमोशन के आसार है पर फिलहाल एक केस मैं फसे हुए है

तो रमन के बोलने पे अनिरुद्ध और राघव चुप हो गए और चुप चाप नाश्ता करने लगे

रमन-तो राघव कुछ काम करना है या कोई और प्लानिंग है

राघव- फिलहाल कुछ सोचा नहीं है भैया अभी यूनिवर्सिटी जा रहा हु शाम को मिलता हु

और राघव उठ के चला है

रमन-ये क्या करता है कुछ समझ नहीं आता बाबूजी आप इससे काम ही बोला करिये अभी भी आपके बोलने पे वो कुछ बोलने वाला था पर मेरे बोलने पे रुक गया

अनिरुद्ध- मैंने तो उससे सारी उमीदे छोड़ दी है खैर मैं चलता हु एक यजमान के यहाँ पूजा करने जाना है

रमन- है मैं भी निकलता हु थाने के लिए इस मिसिंग केस ने परेशान किया हुआ है बाबूजी आप संभाल कर जाना जो लोग पूजा पाठ मैं ज्यादा है वही आजकल गायब हो रहे है

अनिरुद्ध- हम्म.....


और रमन भी अपनी बीवी और माँ से मिलके निकल गया....
shandar Update hai dost
 
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