• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Rajesh Sarhadi

Well-Known Member
3,363
7,275
159
प्रिय पाठक,

मैं बताना चाहूँगा की शायद मैं एक हफ्ता कहानी को आगे ना बढ़ा पाउ, मैं थोड़े पारिवारिक काम मे बिजी हो जाऊंगा, पर कोशिश रहेगी की बीच मे अपडेट दे दु, पर अगर ऐसा ना हो पाए तो मैं आप सबको पहले ही इत्तिला कर देना चाहता था।
पर आपका लेखक आपसे जुड़ा रहेगा, कहानी पढ़ते रहिए।

आपका लेखक,
Rockyknows
take your time
 
  • Like
Reactions: Gokb and Batman

Batman

Its not who i am underneath
Staff member
Moderator
19,483
14,242
214
bas issi baat ka bhut besabri se intazaar hai.....aur ramlal ke sath Kanchan aur Kanchan ki bhen maa aur bhi naa jane kitni chute aur gand uska lund lene ke intazaar kar rahi hai.....

curvyfashionable-20201130-1
जी बस कुछ ही पोस्ट्स में कंचन रामलाल एक हो जाएँगे
 

Batman

Its not who i am underneath
Staff member
Moderator
19,483
14,242
214
अपडेट- 27…………

पिछले भाग मे।।


कंचन अब पूरी तरह आसवास्त थी, उसको रात मे रामलाल का साथ मिलने वाला था कितने दिनों बाद वो रात एक मर्द के साथ गुजारेगी, और कुछ ही दिनों मे उसका पति भी आ जाएगा, पर उसके मन मे था जैसे रामलाल ने उनके मिलन के लिए इतना कुछ किया है वो भी आज रात रामलाल को अच्छे से खुश कर दे, बस इसी सोच के साथ कंचन रात की तैयारी करनी शुरू कर देती है।

इधर रामलाल भीमसिंगह से मिलने गया था, भीमसिंगह के साथ रामलाल की क्या बातचीत होती है………….जानिए अगले अपडेट मे


अब आगे।।


सीन- श्याम नवाबी और रात गुलाबी जारी रखते हुए…….॥



रात गुलाबी…….


रामलाल माया और कंचन की सोचते हुए, दोनो सांस बहू आपस के बतला लेंगी, घर से बाहर निकल गया।

रामलाल पुड़िया का जुगाड़ भीमसिंग़ से करता था, भीमसिंग़ एक सेनानिवृत फ़ौजी था, उसे कैंटीन से सब सामान सस्ते में मिलता था, और वो फ़ौज में ऊँची पोस्ट पर भी था, तो इसकी वजह से उसे मनमाँगि सारी चीज़ मिल जाती थी, और वो अपने माँ पसंद की महँगी शराब पीता था। कभी कभी रामलाल भी भीमसिंग़ के साथ बैठ कर शराब पी पिया करता था, कुछ रातों में जब रामलाल माया से परेशान होता था तो वो भीमसिंग़ के साथ दारू पीकर अपना मन शांत करता था।

पर आज रामलाल पुड़िया लेने भीमसिंग़ के पास आया था, क्यू अगर आज कंचन ने उसे रात गुज़ारने के लिए बोला है, तो वो आगे भी बाप सकती है, और वो बहू को नाराज़ नहीं करना चाहता था, रामलाल ने अपना कुर्ता ठीक किया और धोती ठीक करके वो भीमसिंग़ की घर की तरफ़ निकल पड़ा।

भीमसिंग़ का घर रामलाल के घर के पास १६-२० मीटर की दूरी पर था, भीमसिंग़ हमेशा घर के पिछवाड़े में खुले में बैठ कर दारू पीता था, घर के पीछे खेत और खुला होने की वजह से रात में हमेशा वातावरण ठंडा रहता था, और भीमसिंग़ ने घर के पीछे कुछ पेड़ पोधे भी लगा रखे थे, एक छोटा सा बाग़ीचा, जिसे वो रोज़ सुबह पानी देता था, घर के पिछवाड़े में जाने का रास्ता घर के अंदर घुसते ही बायीं और की तरफ़ से होकर जाता था, और जिसकी रखवाली दो बड़े कुत्ते rotweelear करते थे, जो रात में भीमसिंग़ के साथ बैठकर उसको शराब पीते वक्त साथ देते थे, भीमसिंग़ दारू पीता था साथ में पका हुआ गोश्त खाता था और कुछ अपने कुत्ते “शेरू” और “राजा” को देता था, शेरू और राजा को भीमसिंग़ ने फ़ौजी traninng दे रखी थी, दोनो कुत्ते शांत और वफ़ादार थे, वो दिन में पीछे खेतों में खुले घूमते थे और घर की रखवाली करते थे, जब भी कोई गेट पर आता था उन्हें पता लग जाता था, दोनो कुत्ते ५०-५५ किलो के थे, जो कि इंसान को मारने की ताक़त रखते थे, दोनो बहुत वफ़ादार थे और रामलाल और माया का बरसो से आना जाना था तो वो उनको भी अच्छे से जानते पहचानते थे।
दोनो कुत्तों के साथ वीर और भीमसिंघ का बहुत लगाव था, दोनो कुत्ते अभी ३ साल के हुए थे, दोनो का ख़्याल ज़्यादातर वीर और भीमसिंघ ही रखते थे। चंदा और रूप (घर की बेटी, जो वीर से बड़ी थी और रामू के कॉलेज में पढ़ती थी) घर के कामों और अपने जीवन में ही व्यस्त रहती थी उन्हें दोनो कुत्तों से ज़्यादा लगाव नहीं था।

ख़ैर आते है, रात गुलाबी की तरफ़,

रामलाल
भीमसिंग्ग के घर के बाहर था, और वो घर की घंटी बजाता है, और आवाज़ देता है, अरे ओ फ़ौजिसाब कहा हो आप ?
दोनो कुत्ते रामलाल की आवाज़ सुन लेते है, और सबसे पहले भोंकते हुए गेट पर पहुँच जाते है, पीछे से भीमसिंघ आवाज़ देता है, आया ठाकुर जी।

भीतर चंदा भी रामलाल की आवाज़ सुन लेती है, उसे भी पता लग जाता है की रामलाल आया है, वीर को भी रामलाल के आने का पता लग जाता है, दोनो कुत्तों की वजह से कोई भो आदमी चुपके से अंदर नहीं जा सकता था।

चंदा को लगा की रामलाल दारू पीने आया है, जो की वो करता था ही था, ऐसी ही वारदातों की वजह से रामलाल और चंदा का टाँका भीड़ गया था।

इधर वीर को पता लगता है कि अगर रामलाल यहाँ है तो इसका मतलब कंचन भाभी और ताई जी घर पर अकेली होंगी। पर उसने रामलाल और कंचन की बातें सुन ली थी उसे पता था आज क्या होना है, तो फिर वो आज क्यू आया था, उसके मन में ये सब बातें चल रही थी।

भीमसिंग- ठाकुर सांब आइए, सही मोके पर आए है, समान तैयार करा हुआ है पीछे सब।

यह दोनो कुत्ते रामलाल को देखकर अपनी दुम हिला रहे थे और इधर उधर उछाल रहे थे, भीमसिंघ ने उन्हें बैठने के लिए बोला, दोनो कुत्ते बैठ गये

जब से चंदा ने मायदेवी के साथ पूजा पाठ शुरू किया, तब से चंदा ने शराब और मांस से जुड़ी हुई सब चीज़ों से परहेज़ कर लिया था, पहले जो चंदा भीमसिंघ के लिए चिकन तैयार कर दिया करती, अब वो काम भीमसिंघ को खुद करना पड़ता था, भीमसिंघ ने घर के पीछे बगीचे के साथ एक छोटा सा कमरा खुद के लिए बनवा लिया था, जिसमें रसोई के समान के साथ साथ, शराब की बोतलें रखी रहती थी, जिसकी वजह से वीर और उसके दोस्त शराब के लिए वीर को उकसाते रहते थे, पर वीर ने अभी तक शराब नहीं पी थी पर वो दिन ज़्यादा दूर नहीं था जब वो शराब की बोतल को अपने होंठों से लगा लेगा।

रामलाल- अरे नहीं नहीं फ़ौजिसाब आज नहीं, आज तो हम आपके वैसे ही मिलने आ गये, बहुत दिन हो गये थे ( जबसे कंचन आयी थी, रामलाल ने शराब नहीं पी थी, और आज रात तो वैसे भी चुदाई की रात थी, तो उसका शराब पीना वैसे भी नहीं बनता था, वो बहू की जमकर चुदाई करना चाहता था)

भीमसिंग- ठीक है आप अंदर तो आइए
रामलाल- हाँजि।


रामलाल घर के अंदर घुस जाता है, और अभी वो आँगन me ही होता है की, इतनी ही देर में वीर वहाँ आ जाता है।

वीर- नमस्ते ताऊ जी, कैसे है आप (मन में- होंगे तो बढ़िया ही भाभी को खूब लण्ड चुसाया है आज आपने)

रामलाल- ठीक हूँ बेटा, तुम कैसे हो, पढ़ाई कैसी चल रही है, स्कूल कैसा चल रहा है (रामलाल मन में- ये लड़का तो बहुत बलवान लग रहा है, कितनी जल्दी बड़ा हो ज्ञ उइ लड़का, १७ साल की उमर में ही कितना चोडा और भरा शरीर है इसका)

वीर- पढ़ाई ठीक चल रही है ताऊ जी, अभी कुछ ही दिनो में बैस्कट्बॉल की प्रतियोगिता है, उसमें जीतना है।

रामलाल- बहुत बढ़िया बेटे ऐसे ही पढ़ाई के साथ खेलकूद में भी ध्यान दो। और फ़ौजिसाब रूप बेटी भी आयी हुई है क्या

भीमसिंग- नहीं वो तो इस हफ़्ते शहर में ही अपनी सहेली के यहाँ रुकेगी, बोल रही है किसी प्रोजेक्ट की तैयारी करनी है, बाक़ी वीर को पता होगा हमें आजकल की पढ़ाई समझ नहीं आती

रामलाल- हाँ आपने सही कहा, आजकल की पढ़ाई एक दम अलग हो गयी है, रामू भी कॉलेज में व्यस्त रहता है, पता नहीं क्या क्या करता है। क्यू बेटे वीर ऐसा ही है क्या स्कूल में ?

वीर स्कूल के वातावरण से तो वक़िफ़्फ़ था, पर शहर के कॉलेज के जो चुदाई और नशे के काम होते है उनका नहीं मालूम था, हालाँकि वीर की क्लास में कुछ लड़के लड़कियों की चूत और गाँड की बातें करते थे और कभी कभी शराब के लिए भी वीर से पूछते थे पर वो हमेशा मना लार देता था। और अब रामलाल का ऐसा सवाल पूछने के बाद एक पल के लिए उसके मन में ये सब बातें आ गयी, पर फिर वो संभलते हुए बोला।

वीर- हा ताऊ जी आजकल की पढ़ाई अलग रहती है, तरह तरह के प्राजेक्ट्स और पढ़ाई करनी पड़ती है आगे बने रहने के लिए

रामलाल- साबाश बेटा, ऐसे ही मन लगा कर लगे रहो।

भीमसिंग- आइए जी आप अंदर आइए, कब तक आँगन में खड़े रहेंगे, वीर तुम जाओ और अपनी माँ को बता दो ताऊ जी आए है

वीर- जी पापा
रामलाल और भीमसिंग दोनो पीछे बाग़ीचे की तरफ़ चले गये, उनके साथ दोनो कुत्ते शेरू और राजा भी चले गये।

अंदर से चंदा सब कुछ सुन रही थी, वो श्याम की घटनाओं को याद कर रही थी, श्याम में घर आने के बाद उसकी चूत कैसे चुलबुला रही थी, पंडित की अधूरी चुदाई से उसकी चूत को लंड की भूख थी, और जब वो घर आयी थी, उस वक्त उसे भीमसिंघ अकेला मिल ज्ञ था, मानो उसकी मुराद पूरी हो गयी थी, उसने इसी मोके का फ़ाएदा उठाया था, और अपनी चूत को शांत कर लिया था, ख़ैर उसे कल पंडित के पास दुबारा जाना था, उसने पंडित को वादा किया था कि उसके लंड को शांत करने वो ज़रूर आएगी, और अपनी चूत का भोसड़ा बनवाएगी।

चंदा, आँगन के पास जो गेट था, उसके पास खड़ी होकर सब सुन रही थी। जब उसे पता चला कि वीर आ रहा है, वो वापिस रसोई की तरफ़ चली गयी।

वीर- माँ पड़ोस से ताऊ जी आए है, आप कुछ बना रही हो क्या।
चंदा- हा मैं तो खाना ही बना रही थी रात के लिए, आज देरी हो गयी थी पूजा की वजह से

वीर मन में- पूजा की वजह से नहीं ये तो चुदाई के वजह से हुई है, इतना मोटा लंड जब चूत में से सटा सट जा रहा था तब खाने की बात याद नहीं आयी

वीर-हा माँ, कोई नहीं मैं ताऊ जी से खाने के लिए पूछ आता हूँ
चंदा- अरे रुक मैं जाती है, पानी भी नहीं पूछा तूने उसने, किसी काम का नहीं है
चंदा फटाफट दो गिलास पानी, ट्रे में रख लेती है और पीछे आँगन में अपने मोटे मोटे चूतड़ो को हिलाते हुए चली जाती है

पीछे से वीर वही खड़ा अपनी माँ की भारी मांसल गाँड को दाये बायें हिलते हुए देख रहा था, आज श्याम से पहले उसने अपनी माँ को ऐसी नज़रों से नहीं देखा था पर श्याम के बाद उसका नज़रिया अपनी माँ के लिए बदल गया था।
सच तो ये था की ये सब लिंगदेव की वजह से हुआ था, बरसो से चंदा चुप चुप कर अपना रंडीपना करती थी और लोगों से चुदवाती थी, पर आज लिंगदेव की वजह से वीर ने उसको देख लिया और उसकी भावना अपनी माँ के लिए बदल गयी, उसके अंदर की कामवासना कोजगाने में बहुत बड़ा योगदान था लिंगदेव का। क्यू की उन्हें भी अंदेशा था की वीर का वीर्य बहुत प्रबल है, अगर कंचन को इसका वीर्यमिल जाएगा तो उसकी शक्ति बहुत ज़्यादा प्रबल हो जाएगी
वीर मन में - कपड़ों में कसी हुई ये वही गाँड है जो गपागप थोड़ी देर पहले मोटा लंड अपने अंदर निगल रही थी।

ऐसा क्या हुआ था श्याम में, जाने के लिए जुड़े रहिए।


बाकी अगले अपडेट मे॥ मिलते है कुछ वक्त बाद।।
 
Last edited:
Top