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Adultery एक चौथाई इश्क एक तिहाई बदला

कहानी का पहला भाग खत्म हों गया तो पुराने पाठक अब ये बताइए , कहानी का कौन सा भाग शुरू करूं ?


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andyking302

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गातांक से आगे

part 4


अतीत


इधर अर्चित आज कॉलेज से जल्दी आ गया था । हॉस्टल पूरा खाली था शायद सारे लड़के कॉलेज में थे । और अभी तो सिर्फ १ ही बजे थे । अपने रूम के तरफ बढ़ ही रहा था कि किचन से कुछ आवाज़ आई तो अर्चित वही रुक गया । ( ये हॉस्टल एक बिल्डिंग का ऊपर का फ्लोर में बना हुआ था जिसमे ८ रूम थे और रसोई । रसोई में ही सुनीता बाई और उसका पति सोता था )आवाज से लग रहा था कि रसोई में कुछ कांड चल रहा था तो अर्चित को उत्सुकता हुई ।इधर उधर छेद तलाशने लगा तो पाया दरवाजे के नीचे के पल्ले में एक छेद हो रखा है । अर्चित वहीं राहदरी में लेट गया और साइड हो कर छेद में आंख टिका दिया ।छेद से अंदर देखते ही अर्चित की सांस अटक गई ,धड़कने बढ़ गई और पैंट के अंदर लंड टाइट होने लगा । अंदर सुनीता बाई लेटी हुई थी ,उसका ब्लाउज खुला हुआ था और सारी पेटीकोट कमर तक थी और दोनो पतली टांगो के बीच उसका पति का सर था । लग रहा था उसका पति चूत चाट रहा है । ये देखते ही अर्चित का लंड फुल टाइट हो गया ।लेकिन छेद से आंखे टिका कर ही रखा था ।

सुनीता बाई बहुत ही धीरे धीरे बोल रही थी पर सुनने में आ रहा था
" उम्मम्म हम्म्म अजी अच्छे से बुर चाटो ना "
ऐसा कहते हुए अपने पति का सर अपनी चूत पे दबा रही थी
कुछ देर तक उसका पति चूत चाटता रहा फिर वो उठ गया । उसके ऐसे उठने से सुनीता खीझ कर रह गई लेकिन कुछ कही नही ।उसका पति अपना लंड सीधे सुनीता के चूत के मुहाने पे टिकाया और डाल दिया ,पर सुनीता के मुंह से बस हल्की सी आवाज निकली । इधर उसका पति चूत में लंड डाल कर धक्के लगाने लगा लेकिन सुनीता के हाव भाव से लग रहा था जैसे उसे कोई फर्क नहीं पड़ रहा ।उसका पति बस १०–१५ सेकंड धक्के लगाया और अपना पानी चूत में गिरा कर सुनीता के ऊपर लेट कर हांफने लगा ।सुनीता बुरा सा मुंह बना कर अपने ऊपर से पति को झटके से धक्का दे कर हटाती है और खड़ी हो जाती है और गेट खोलने बढ़ जाती है ऐसा लग रहा था जैसे वो इस चुदाई से संतुष्ट नहीं थी । अर्चित भी सुनीता बाई को गेट के तरफ आते देख जल्दी से खड़ा होता है और अपने रूम की ओर चल देता है । सुनीता बाई गेट खोल कर बाहर निकली तो देखा अर्चित के रूम का गेट खुला है ।वो रूम के अंदर गई तो अर्चित को बैठा देख पूछती है

" कब आए अर्चित भैया "
अर्चित : बस २० मिनट हुए

सुनीता को लगा अर्चित ने कुछ सुना या देखा तो नही तो एक बार को पूछ लिया

" अरे मुझे पता नहीं चला कि आप आ गए ।

अर्चित कमीनेपन से मुस्कुराते हुए बोला
" कैसे पता चलेगा इतने मजे की आवाज जो आ रही थी आह उह की तो मेरे आने की आवाज नहीं सुनाई दी होगी "

सुनीता बुरा सा मुंह बनाते हुए बोली

" अरे काहे का मजा हुंह "

अर्चित मुस्कुराते हुए अपने लंड को पैंट के ऊपर से एडजस्ट करते हुए बोला " मेरे साथ आइए मजे ही मजे मिलेंगे "

सुनीता हंसते हुए जाते हुए बोली " कही ऐसा ना हो जाए अर्चित भैया "नाम बड़ा दर्शन छोटे "

और वो चली गई और अर्चित गेट लगा कर अपनी पेंट को उतार कर अपने लंड को हिलाते हुए आंखे बंद करके सुनीता के बारे में सोचने लगा। इधर अजिंक्य कॉलेज के बाहर टपरे पर आशी के साथ बैठा हुआ था चाय पीते हुए

आशी : तुम्हे पहले कभी नही देखा मैने कॉलेज में , आज पहली बार देख रही हूं

अजिंक्य : नही मै पिछले ६ दिनों से कॉलेज आ रहा हूं । पर दरअसल मैंने यहां ट्रांसफर लिया है । मै कुसुमनगर कॉलेज से ट्रांसफर लिया है ।

आशी हैरान होते हुए : क्यों । ट्रांसफर क्यू लिया । वहां क्या हो गया था ।

अजिंक्य मुस्कुराते हुए : वहां मेरा झगड़ा हो गया था सीनियर से इसलिए

आशी हंसते हुए : तो मार पड़ने के डर से भाग आए । वाह साहब

अजिंक्य : नही मार पड़ने के डर से नही

आशी : तो किस डर से छोड़ आए वहां से

अजिंक्य नजर झुका कर : वो दरअसल मैंने गुस्से में सीनियर्स पे गोली चला दी थी और एक hod को थप्पड़ मार दिया था । लेकिन मेरे दादाजी वहां रसूख वाले हैंतो मुझे सिर्फ ट्रांसफर किया गया ।

आशी हंसते हुए : यार तुम तो गुंडे बदमाश निकले । शकल से घोंचू दिखते हो ।

ऐसा कह कर दोनो हंसने लगे । टपरे वाले को चाय के पैसे दे कर दोनो पैदल पैदल बस स्टॉप तक आए और विदा ले कर अपने अपने गंतव्य के लिए चल पड़े ।



वर्तमान

इधर दरवाजे पे लगातार घंटी बज रही थी जिससे अजिंक्य की तंद्रा टूटी तो पता चला बाहर गेट की डोरबेल बज रही है । वो उठा और दरवाजा खोला तो वही मैसेज करने वाली लड़की खड़ी थी । वो देखता ही रहा ,आज भी वही मासूमियत , आंखो में मोटा काजल , हॉफ टाई बाल ,और आंखो में गुस्सा ।गेट से अंदर घुसते हुए अजिंक्य के गाल पे थप्पड़ पड़ा ।लड़की को हतप्रभ देखता ही रह गया और बस मुंह से निकला

" अबे आशी ये क्या "


To be continued
शानदार जबरदस्त भाई
 

andyking302

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गतांक से आगे

PART 5

वर्तमान


" ये थप्पड़ क्यू मारा तुमने "
अजिंक्य लगभग गुस्से से खीझते हुए अपने गाल को सहलाते हुए बोला

"ये थप्पड़ तो उसी समय मारना था जब तुम मुझे छोड़ गए थे " इतना कह कर लगभग अजिंक्य को धक्का दे कर अंदर करके आशी कमरे के दरवाजे को बंद की और अपने साथ लाई झोले को किचन की स्लैब पर रख दी । और सर घुमा कर पूछी

" चाय पियोगे ? "

अजिंक्य अपने जबड़े को हाथ से उधर उधर करते हुए बोला
" पीना तो है पर दूध नही है "
" मैने सिर्फ पूछा है चाय पियोगे या नही , ये नही पूछा के दूध है या नही "

" जी समझ गया मालकिन " कह कर अजिंक्य गया अंदर कमरे में और अपना फोन ले कर उसमे fm शुरू कर दिया ।

" हम तुम कितने पास हैं
कितने दूर हैं चाँद सितारे

सच पूछो तो मन को झूठे
लगते हैं ये सारे "

गाने की यही पंक्ति सबसे पहले सुनाई दी । और इधर आशी किचन में काम करते हुए ये गाने की लाइन सुनी और सर घुमा कर अजिंक्य की तरफ घूर कर देखी और वापस अपने काम पर लग गई । चाय बनाने में लगी हुई थी वो और इधर अजिंक्य का लंड तन रहा था आशी की गोल मटोल गांड देख कर । अजिंक्य ने गौर किया कि आशी का शरीर इन २ ३ सालों में और भर गया है और वो और सेक्सी हो गई है ।
अचानक ही आशी की आवाज ने अजिंक्य को उसकी सोचो से बाहर खींच लाई
" ज्यादा घूरो मत वरना मुंह तोड़ दूंगी "
ये सुन कर अजिंक्य फिर सोचने लग गया कि भेमचोद इस लड़की हर बार बिना देखे कैसे पता लग जाता है कि मैं इसे घूर रहा हूं ।

इतने में आशी चाय ले आती है और एक प्याला इसको थमा कर दूसरा प्याला ले कर बालकनी में खड़ी हो जाती है । हल्के बादल वाला आसमान था ।लग रहा था आज फिर बारिश होगी ।रात होते होते बारिश शुरू हो जाएगी । इतने में अजिंक्य भी उसके बगल में आ खड़ा हुआ । अपना प्याला बालकनी के दीवार पर रखा और सिगरेट सुलगाने लगा ये देख कर आशी सिगरेट अजिंक्य के मुंह से छिनती है और फेंक देती है बालकनी से नीचे । अजिंक्य कुछ न कह कर एक दूसरी सिगरेट जलाता है और आशी फिर उसे फेंक देती है । अजिंक्य फिर से एक सिगरेट सुलगाने की कोशिश करता है आशी चीख पड़ती है

" मना किया था सिगरेट मत पियो , तुम मानते क्यू नही आखिर "

" आखिर क्यों मानू तुम्हारी बात " अजिंक्य चीखते हुए गुस्से में कहा

आंखो में आंसू लिए आशी कही " क्यू कि मुझे तुम्हारी फिक्र है , क्यू कि मैं तुमसे प्या.... " आगे का वाक्य अधूरा छोड़ आशी अपना प्याला लिए अंदर चली गई किचन में और स्लैब में टिक कर रोने लगी ।
कुछ देर बाहर खड़ा रहा अजिंक्य और फिर अंदर गया और अपने हथेलियों में आशी का चेहरा ले कर बोलता है " सॉरी न , अब से गलती नही होगी "
" किस किस बात के लिए माफी मांगेंगे तुम अजिंक्य ,किस किस बात के लिए आखिर । पता है मैने तुम्हारा कितना इंतजार किया , हर रात मेरी तुम्हारे इंतजार में कटी है । हर रात मैं रोई। ,सिर्फ तुम्हारे लिए । और तुम पता नही कहां थे "
अजिंक्य आशी को अपने सीने से लगाते हुए उसके सर पे चूमते हुए बोला " बस ये समझो धोखा खाने और जिंदगी से लड़ने गया था । अब आ गया हूं , कही नही जाऊंगा "

आशी अजिंक्य की आंखो में देखते हुए बोली " तुम सच बोल रहे हो ना , वादा करो ,खाओ कसम मेरे मरे मुंह की "

" हां बाबा ,कसम खाता हूं अब कही नही जाऊंगा "

" अच्छा चलो अब मुझे देर हो गई है । अंधेरा हो रहा है , मुझे घर जाना है , तुम्हारे लिए खाना लाई थी , खा लेना , मै सुबह जल्दी आ जाऊंगी । "

इतना कह कर आशी निकल गई और पीछे छोड़ गई अजिंक्य के लिए ढेर सारी अतीत की यादें ।

बिस्तर पर लेटा हुआ था कुछ सोचते हुए । बाहर घनघोर बारिश हो रही थी । अजिंक्य बिस्तर से उठा ,अपना सिगरेट का पैकेट उठाया और चल दिया फिर से घाट पर । घाट पर पहुंच कर कुछ देर तो बारिश में बैठा भीगता रहा फिर पानी में उतर में तब तक खुद को डुबोए रखा जब उसकी सांसों ने टूटने का जोखिम न ले लिया । पानी से सर बाहर निकाल कर अजिंक्य बढ़ चला मंदिर की सीढ़ियों पर । वहा जा कर देखा तो वही बाबा बैठा हुआ था और अजिंक्य को ही घूर रहा था । बाबा को देख अजिंक्य ने मुस्कुरा दिया और अपने जेब से पन्नी में रखे पैकेट को निकाल उसमे से सिगरेट सुलगा लिया और एक सिगरेट बाबा को दी

" लो बाबा सिगरेट पियो "
बाबा को सिगरेट और लाइटर कर वही खुद सीढ़ियों पे बैठ कश खींचने लगा

" तुझे मना किया था न यहां मत आया कर , तेरा वक्त नही आया अभी "

बूढ़ा बड़ा आसमान की ओर एकटक देखता हु अजिंक्य को बोला

" बाबा ये जिंदगी भी किसी काम की है भला ,जिसमे घुट घुट कर जीना पड़ रहा है । बस अब तो सोच लिया है या तो मैं jiyunga बदला लेने के लिए या मर ही जाऊंगा। अगर न ले पाया था "
अजिंक्य सिगरेट के धुएं को आसमान में उड़ात हुआ बोला

एक बार फिर बूढ़ा अजिंक्य को देख कर मुस्कुराया और बोला
" बदला लेने से किसका भला हो पाया है "

" मुझे भला नही करना बस सुकून चाहिए । और सकूं तभी मिलेगा जब बदला लूंगा " इतना कह कर अजिंक्य खड़ा हो कर जाने लगा

इतने में बूढ़ा बाबा ने आवाज दे कर कहा

" मुझे कुसुमपुर ले चलेगा ? "
कुसुमपुर नाम सुनते ही अजिंक्य के पैर जहां थे वहीं रुक गए । एक जमाना हुआ इस जगह का नाम सुने हुए । पलट कर सिर्फ इतना ही बोल पाया " कुसुमपुर ? "

" हां कुसुमपुर तेरा तो रिश्ता है ना वहां से । वही जाना है वही मेरी साधना पूरी होगी । और मैं चाहता हूं तुम मुझे अपनी गाड़ी पर बैठ कर छोड़ दे "

इतना कह कर बाबा मुस्कुरा कर उठ खड़े हुए अपना झोला टांगने लगे

" चलो छोड़ देता हूं " अजिंक्य कुछ न कहते हुए बस अपनी बाइक की ओर चल दिया ।

कुसुमपुर एक ६ किलोमीटर की जद में फैला कस्बा । जहां अजिंक्य का बचपन गुजरा और कॉलेज के बीच ३ साल का वक्त गुजरा अपमान ,जिल्लत ,और मौत से सामना करने में । वही कुसुमपुर जहां अजिंक्य ने अपना सब कुछ खो दिया और अब इस अरमान में जिंदा है की बदला ले सके ।

To be continued in next part
शानदार जबरदस्त भाई
 

andyking302

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अतीत
Part 6 A


धीरे धीरे दिन यूं ही गुजरते गए ,आशी और अजिंक्य के मुलाकातों में इजाफा होने लगा और वो दोनो दोस्त से अच्छे दोस्त में बदल गए । इधर अर्चित की सुनीता बाई को चोदने की प्यास बढ़ते बढ़ते अपने चरम पर आ गई थी । और वो सुनीता को पटाने की हर संभव कोशिश में लगा ही हुआ था कि मौका हाथ लग ही गया।
" सुनीता बाई ,o सुनीता बाई ,कहां रह गई तुम "
हॉस्टल के गेट में घुसते ही अर्चित आवाज लगाने लगा । आज वो कॉलेज से जल्दी बहुत ही जल्दी वापस आ गया था । और वजह ये थी कि सुनीता बाई का पति आज ही ३ दिनों के लिए गांव गया था ।

कमर से अपनी निकली हुई साड़ी को वापस खोंसते हुए बाहर आई । सीने से पल्लू हट कर साइड में हो गया था। और छोटे कच्चे आम के आकार के बराबर उसकी चूंचियां नुमाया होने लगी पतले कपड़े के ब्लाउज में ।

" का हुआब,काहे ऐसा चिल्ला रहे हो । "

"अरे सुनीता बाई आओ तो सही "
और ऐसा कह कर अर्चित सुनीता का हाथ कलाई से पकड़ कर अपने रूम में ले गया और बिस्तर पर बैठा दिया और अपनी जेब से एक पैकेट निकाल कर उसके हाथो में रख दिया
" ई का है भैया "
सुनीता चौंक कर पूछी

अजिंक्य मुस्कुराते हुए खुश हो कर बोला
" आपके लिए गिफ्ट । खोल कर तो देखिए "

सुनीता ने डिब्बी खोली तो उसमे बहुत सुंदर मोर के डिजाइन वाले कान के बूंदे थे । वो एक पल आश्चर्य से अर्चित को देखती और फिर उन बुंदो को देखती ।
" बहुत महंगे है अर्चित भैया हम न ले पाएंगे ,ये जो वापस कर दो "
" नही सुनीता ये आपके लिए ही है , नही पहनना है तो फेंक दीजिए बाहर कचरे में पर वापस न ले पाऊंगा मैं "

अर्चित मुंह फूला कर एक साइड में होते हुए बोला ।

" पर काहे ले कर आए ये हमारे लिए ये बताओ बस "

सुनीता बस एकटक अर्चित की ओर देख कर पूछ रही थी क्यू कि उसे विश्वास नहीं हो रहा था । आज तक उसके पति ने भी उसके लिए एक साड़ी भी ली थी । बस एकटक अर्चित को देख कर उसके जवाब की राह देख रही थी।
और अर्चित कुछ देर जाने कहां देखता रहा फिर बोलना शुरू किया

वो बात ये है कि जब से मैं यहां आया हूं मुझे तुम पसंद आ गई सुनीता बाई । पसंद नही बहुत पसंद आ गई । तुम्हारे अलावा कुछ दिखता भी नही मुझे । और तुम्हारे ये सुन कान बहुत खलते थे मुझे , टीस उठती थी । इसलिए आज ये ले लिए ।

ये सुनते ही सुनीता के कजरारी आंखो से मोटे मोटे आंसू छलक उठे ।


To be continued

Raat me karta hun aage ka update
शानदार
 

andyking302

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गतांक से आगे

PART 6 B

क्रमशः


सुनीता की कजरारी आंखों से मोटे मोटे आंसू ढल पड़ते है ।और देख कर अर्चित बेचैन हो जाता है और आगे बढ़ कर सुनीता के पास जमीन पर बैठ जाता है और उसके आंसू पोंछ कर रुआंसे ढंग से बोलता है
" प्लीज मत रो न। ,वरना देखो मेरे भी आंसू निकल आएंगे । और मैं एक बार रोना शुरू कर देता हू तो बिना चॉकलेट लिए चुप नही होता "

अर्चित की ऐसी बचपने वाली बात सुन कर सुनीता बाई के होंठो पे मुस्कुराहट फैल जाती हैं। अपनी भीगी पलकें पोंछ कर वो अर्चित के बालों पर हाथ फेरती है और पूछती है

" सच में तुम मुझे इतना चाहते हो ? पर तुम्हे पता है ना मैं तुमसे बड़ी हू और जात में तुमसे नीची हूं "

अर्चित उसके घुटनो पर सर रख कर आंख मूंद लेता है और बोलता है

" मुझे उम्र और जात का क्या पता सुनीता , बस मुझे इतना पता है की मैं तुम्हे चाहता बहुत हू ।और कितना चाहता हू वो साथ रह कर देख लेना मेरे पागलपन को "

ये सुन कर सुनीता को मानो चैन पड़ गया कि कोई तो है जो उसको भी प्यार करता है । उसने दोनो हाथो से अर्चित के चेहरे को उठाया और उसके होंठो से अपने नर्म होंठ चिपका दिए । एक पल तक तो दोनो के होंठ जुड़े रहे और दूसरे ही पल अर्चित ने सुनीता के निचले होंठ को चूसने लगे हौले हौले और सुनीता अर्चित के ऊपर के होंठ को चूसने लगी । सुनीता की सांसों में इलायची की खुशबू थी जो अर्चित के रगों में खून के उबाल को बढ़ा रही थी । ये किस सिर्फ कुछ ही सेकंड्स का था। । किस को तोड़ कर सुनीता उठी और अर्चित के रूम का दरवाजा बंद कर दिया और वही दरवाजे के पास खड़ी रही । अर्चित खड़ा हुआ और धीमे धीमे उसके पास गया । कापते हाथ उसके नंगी कमर पे रखे और उसको अपनी तरफ घुमा लिया । उसके माथे पर चूमा और अपने सीने में छुपा लिया ।अर्चित के पसीने को मर्दाना गंध सुनीता के नथुने में घुस उसके ऊपर नशा सा काम कर रही थी । सुनीता अलग हुई और अपने एड़ी पर खड़े हो कर अर्चित के होंठो पे किस की और उसके होंठो कोंचूसने लगी । अर्चित भी कनोटे होंठो से उसका साथ देने लगा और किस करते हुए ही सुनीता को ऊपर उठा लिया और दोनो हाथ उसके छोटे छोटे कूल्हों पर रख उन्हें मजबूती से थाम कर अपने बेड पर आया और सुनीता को बेड पर लिटा कर उसके ऊपर झुकता चला गया । और पागलों जैसे किस करने लगा । धीरे से किस तोड़ सुनीता के गर्दन के पास अपनी नाक ला कर पहले तो उसके जिस्म की खुशबू को लंबी सांस ले कर अपने अंदर घुलने दिया । और फिर उसके गले को अपनी जीभ की आगे की नोक से चाटने लगा और गर्दन के पास जा कर अपने दांतो से उसके गर्दन को काट लिया। जिसके फलस्वरूप सुनीता के जिस्म में झुरझुरी सी दौड़ गई और उसके मुंहासे कमीज चीत्कार निकलने लगी
" हम्मम , आह , हम्मम ऐसे ही करते रहो उम्मम्म्म "

और इन आवाज से अर्चित को मानो शक्ति मिल रही थी ।वो गर्दन से चूमते चूमते सुनीता के सीने तक आया और उसके छोटे चूंचे वाली गहरी खाई को जीभ निकाल कर चाट लिया । और दोनो हाथो को उसके ब्लाउज पर रखा और एक पल को सुनीता की आंखो में देखा । सुनीता की नजर अर्चित की नजर से मिली और अपनी आंखे बंद करके रजामंदी दे दी अर्चित को आगे बढ़ने के लिए । अर्चित जल्दी जल्दी ब्लाउज के हुक ऐसे खोल रहा था जैसे कोई खजाना अंदर छुपा हुआ था । ब्लाउज को उतार कर साइड पर रख दिया और अब उसके सामने सुनीता के हल्के सांवले रंग के संतरे के आकार के मगर टाइट चूंचे थे जिनके लग किटकैट चॉकलेट जैसा था । एक निप्पल को मुंह में भर दूसरे चूंचे को हाथ से दबाने लगा , अंगूठे और उंगली के बीच निप्पल को पकड़ मसलने लगा । और दूसरे निप्पल को तेजी भभोड़ने लगा मानो आज खा ही जायेगा । और उधर सुनीता बस अर्चित के बालों पर हाथ फेरते हुए मुंहासे आवाज निकाल रही थी

" हम्म् ऐसे ही ।। आह और जोर से अर्चित भैया उम्मम खा जाओ इन्हें "

फिर एक निप्पल को छोड़ कर दूसरे निप्पल को चूसने काटने लगा । और सुनीता बस आनंद से दोहरी हुई जा रही थी और मुंह से उसके सिर्फ आह हम्मम उम्म्म ही निकल रहा था जिससे अर्चित को आगे बढ़ने की शक्ति मिल रही थी । धीरे धीरे अर्चित का एक हाथ चूत को तरफ बढ़ने लगा । साड़ी को ऊपर कर सीधे सुनीता के चूत पर हाथ रख दिया । अंदर पैंटी नहीं पहनी थी । घना बालों का जंगल था । अर्चित निप्पल छोड़ सीधे चूत पर आ गया । लंबी सांस ले कर खुशबू सूंघा । पसीने पेशाब और चूत के पानी की मिली जुली खुशबू सीधे दिमाग तक घर कर गई । दोनो हाथो से बालों के बीच चूत के होंठो को फैला कर अंदर गुलाबी छेद को जीभ लंबी कर के अंदर तक चाट लिया जिससे सुनीता मानो अकड़ सी गई । जांघो को समेट लिया । सीना लेकर ऊपर उठती गई और एक पल थाम कर बिस्तर पर गिर कर लंबी लंबी सांसे लेने लगी । कुछ पल आराम करने के बाद अर्चित को अपने ऊपर खींच कर बोली
" अर्चित भैया ये पहला मौका है जब जीभ लगते ही मैं झड़ गई । वरना वो तो मेरी बुर चाटते ही जाते है पर मैं झड़ी नहीं कभी "

अर्चित मुस्कुराते हुए उसके होंठो पे किस करते हुए
" जानेमन ये मेरा जादू है , साथ रहना। देखो तुम्हारे खोली में खुशियां डाल दूंगा "

सुनीता शरमाते हुए

" अच्छा अब बातें बंद करके आगे का काम निपटाओ जल्दी ,वरना कोई आ जायेगा "

" अभी ले मेरी जान "
के कर अर्चित उठा और अपनी पैंट अंडरवियर सहित उतार दिया । उसका लंड खड़ा था कुछ ७ इंच का था लेकिन मोटा था । दोनो हाथो से सुनीता की जांघो को पकड़ा । और उसके चूत पर लंड टिका कर एक ही झटके में गीली चूत में डाल दिया । बहुत कसी हुई चूत थी । सुनीता के मुंह से चिल्लाने की आवाज आई । पर सुनीता ने खुद अपनी हथेली से अपना मुंह बंद कर किया । अर्चित ने फिर एक करारा धक्का मार कर पूरा लंड डाल कर शांति से लेट गया ।सुनीता को फिर तकलीफ हुई और वो फिर चिल्लाई ।
" अर्चित आराम से ,बहुत मोटा है , बहुत दर्द हो रहा है "

"बस मेरी जान ,थोड़ी देर बस सह लो "
कह कर अर्चित उसके होंठो को चूसने लगा । कुछ ही पलों में सुनीता को थोड़ा आराम हुआ और वो इशारे से के di धक्का लगाने को । अपनी दोनो टांगे अर्चित के कमर पर लपेट दी और दोनो हाथो से अर्चित के दोनो चूतड़ पकड़ ली ।
अब अर्चित पूरे दम से धक्के मार रहा था और नीचे से सुनीता आहें निकल रही थी । थोड़ी देर में सुनीता का पानी निकल गया और वो निढाल हो गई । ऐसे ही अर्चित सुनीता के ऊपर लेटे लेटे धक्के लगाता रहा और थोड़े हिंदर में जब उसका पानी निकलने वाला था तो अपना लुंड बाहर निकाल कर सुनीता के पेट पर निकाल दिया । और फिर उसी के ऊपर लेट गया । पसीना ,और वीर्य की महक और चिपचिपाहट दोनो के जिस्म पर हो रही थी । कुछ देर ऐसे ही आराम करते रहे फिर अलग हो कर कपड़े पहनने लगे । सुनीता बोल गई रात में अजिंक्य के सोने के बाद रसोई में आ जाना ।


To be continued in next part
शानदार जबरदस्त भाई
 

parkas

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गतांक से आगे

PART 6 B

क्रमशः


सुनीता की कजरारी आंखों से मोटे मोटे आंसू ढल पड़ते है ।और देख कर अर्चित बेचैन हो जाता है और आगे बढ़ कर सुनीता के पास जमीन पर बैठ जाता है और उसके आंसू पोंछ कर रुआंसे ढंग से बोलता है
" प्लीज मत रो न। ,वरना देखो मेरे भी आंसू निकल आएंगे । और मैं एक बार रोना शुरू कर देता हू तो बिना चॉकलेट लिए चुप नही होता "

अर्चित की ऐसी बचपने वाली बात सुन कर सुनीता बाई के होंठो पे मुस्कुराहट फैल जाती हैं। अपनी भीगी पलकें पोंछ कर वो अर्चित के बालों पर हाथ फेरती है और पूछती है

" सच में तुम मुझे इतना चाहते हो ? पर तुम्हे पता है ना मैं तुमसे बड़ी हू और जात में तुमसे नीची हूं "

अर्चित उसके घुटनो पर सर रख कर आंख मूंद लेता है और बोलता है

" मुझे उम्र और जात का क्या पता सुनीता , बस मुझे इतना पता है की मैं तुम्हे चाहता बहुत हू ।और कितना चाहता हू वो साथ रह कर देख लेना मेरे पागलपन को "

ये सुन कर सुनीता को मानो चैन पड़ गया कि कोई तो है जो उसको भी प्यार करता है । उसने दोनो हाथो से अर्चित के चेहरे को उठाया और उसके होंठो से अपने नर्म होंठ चिपका दिए । एक पल तक तो दोनो के होंठ जुड़े रहे और दूसरे ही पल अर्चित ने सुनीता के निचले होंठ को चूसने लगे हौले हौले और सुनीता अर्चित के ऊपर के होंठ को चूसने लगी । सुनीता की सांसों में इलायची की खुशबू थी जो अर्चित के रगों में खून के उबाल को बढ़ा रही थी । ये किस सिर्फ कुछ ही सेकंड्स का था। । किस को तोड़ कर सुनीता उठी और अर्चित के रूम का दरवाजा बंद कर दिया और वही दरवाजे के पास खड़ी रही । अर्चित खड़ा हुआ और धीमे धीमे उसके पास गया । कापते हाथ उसके नंगी कमर पे रखे और उसको अपनी तरफ घुमा लिया । उसके माथे पर चूमा और अपने सीने में छुपा लिया ।अर्चित के पसीने को मर्दाना गंध सुनीता के नथुने में घुस उसके ऊपर नशा सा काम कर रही थी । सुनीता अलग हुई और अपने एड़ी पर खड़े हो कर अर्चित के होंठो पे किस की और उसके होंठो कोंचूसने लगी । अर्चित भी कनोटे होंठो से उसका साथ देने लगा और किस करते हुए ही सुनीता को ऊपर उठा लिया और दोनो हाथ उसके छोटे छोटे कूल्हों पर रख उन्हें मजबूती से थाम कर अपने बेड पर आया और सुनीता को बेड पर लिटा कर उसके ऊपर झुकता चला गया । और पागलों जैसे किस करने लगा । धीरे से किस तोड़ सुनीता के गर्दन के पास अपनी नाक ला कर पहले तो उसके जिस्म की खुशबू को लंबी सांस ले कर अपने अंदर घुलने दिया । और फिर उसके गले को अपनी जीभ की आगे की नोक से चाटने लगा और गर्दन के पास जा कर अपने दांतो से उसके गर्दन को काट लिया। जिसके फलस्वरूप सुनीता के जिस्म में झुरझुरी सी दौड़ गई और उसके मुंहासे कमीज चीत्कार निकलने लगी
" हम्मम , आह , हम्मम ऐसे ही करते रहो उम्मम्म्म "

और इन आवाज से अर्चित को मानो शक्ति मिल रही थी ।वो गर्दन से चूमते चूमते सुनीता के सीने तक आया और उसके छोटे चूंचे वाली गहरी खाई को जीभ निकाल कर चाट लिया । और दोनो हाथो को उसके ब्लाउज पर रखा और एक पल को सुनीता की आंखो में देखा । सुनीता की नजर अर्चित की नजर से मिली और अपनी आंखे बंद करके रजामंदी दे दी अर्चित को आगे बढ़ने के लिए । अर्चित जल्दी जल्दी ब्लाउज के हुक ऐसे खोल रहा था जैसे कोई खजाना अंदर छुपा हुआ था । ब्लाउज को उतार कर साइड पर रख दिया और अब उसके सामने सुनीता के हल्के सांवले रंग के संतरे के आकार के मगर टाइट चूंचे थे जिनके लग किटकैट चॉकलेट जैसा था । एक निप्पल को मुंह में भर दूसरे चूंचे को हाथ से दबाने लगा , अंगूठे और उंगली के बीच निप्पल को पकड़ मसलने लगा । और दूसरे निप्पल को तेजी भभोड़ने लगा मानो आज खा ही जायेगा । और उधर सुनीता बस अर्चित के बालों पर हाथ फेरते हुए मुंहासे आवाज निकाल रही थी

" हम्म् ऐसे ही ।। आह और जोर से अर्चित भैया उम्मम खा जाओ इन्हें "

फिर एक निप्पल को छोड़ कर दूसरे निप्पल को चूसने काटने लगा । और सुनीता बस आनंद से दोहरी हुई जा रही थी और मुंह से उसके सिर्फ आह हम्मम उम्म्म ही निकल रहा था जिससे अर्चित को आगे बढ़ने की शक्ति मिल रही थी । धीरे धीरे अर्चित का एक हाथ चूत को तरफ बढ़ने लगा । साड़ी को ऊपर कर सीधे सुनीता के चूत पर हाथ रख दिया । अंदर पैंटी नहीं पहनी थी । घना बालों का जंगल था । अर्चित निप्पल छोड़ सीधे चूत पर आ गया । लंबी सांस ले कर खुशबू सूंघा । पसीने पेशाब और चूत के पानी की मिली जुली खुशबू सीधे दिमाग तक घर कर गई । दोनो हाथो से बालों के बीच चूत के होंठो को फैला कर अंदर गुलाबी छेद को जीभ लंबी कर के अंदर तक चाट लिया जिससे सुनीता मानो अकड़ सी गई । जांघो को समेट लिया । सीना लेकर ऊपर उठती गई और एक पल थाम कर बिस्तर पर गिर कर लंबी लंबी सांसे लेने लगी । कुछ पल आराम करने के बाद अर्चित को अपने ऊपर खींच कर बोली
" अर्चित भैया ये पहला मौका है जब जीभ लगते ही मैं झड़ गई । वरना वो तो मेरी बुर चाटते ही जाते है पर मैं झड़ी नहीं कभी "

अर्चित मुस्कुराते हुए उसके होंठो पे किस करते हुए
" जानेमन ये मेरा जादू है , साथ रहना। देखो तुम्हारे खोली में खुशियां डाल दूंगा "

सुनीता शरमाते हुए

" अच्छा अब बातें बंद करके आगे का काम निपटाओ जल्दी ,वरना कोई आ जायेगा "

" अभी ले मेरी जान "
के कर अर्चित उठा और अपनी पैंट अंडरवियर सहित उतार दिया । उसका लंड खड़ा था कुछ ७ इंच का था लेकिन मोटा था । दोनो हाथो से सुनीता की जांघो को पकड़ा । और उसके चूत पर लंड टिका कर एक ही झटके में गीली चूत में डाल दिया । बहुत कसी हुई चूत थी । सुनीता के मुंह से चिल्लाने की आवाज आई । पर सुनीता ने खुद अपनी हथेली से अपना मुंह बंद कर किया । अर्चित ने फिर एक करारा धक्का मार कर पूरा लंड डाल कर शांति से लेट गया ।सुनीता को फिर तकलीफ हुई और वो फिर चिल्लाई ।
" अर्चित आराम से ,बहुत मोटा है , बहुत दर्द हो रहा है "

"बस मेरी जान ,थोड़ी देर बस सह लो "
कह कर अर्चित उसके होंठो को चूसने लगा । कुछ ही पलों में सुनीता को थोड़ा आराम हुआ और वो इशारे से के di धक्का लगाने को । अपनी दोनो टांगे अर्चित के कमर पर लपेट दी और दोनो हाथो से अर्चित के दोनो चूतड़ पकड़ ली ।
अब अर्चित पूरे दम से धक्के मार रहा था और नीचे से सुनीता आहें निकल रही थी । थोड़ी देर में सुनीता का पानी निकल गया और वो निढाल हो गई । ऐसे ही अर्चित सुनीता के ऊपर लेटे लेटे धक्के लगाता रहा और थोड़े हिंदर में जब उसका पानी निकलने वाला था तो अपना लुंड बाहर निकाल कर सुनीता के पेट पर निकाल दिया । और फिर उसी के ऊपर लेट गया । पसीना ,और वीर्य की महक और चिपचिपाहट दोनो के जिस्म पर हो रही थी । कुछ देर ऐसे ही आराम करते रहे फिर अलग हो कर कपड़े पहनने लगे । सुनीता बोल गई रात में अजिंक्य के सोने के बाद रसोई में आ जाना ।


To be continued in next part
Nice and lovely update....
 

Innocent_devil

Evil by heart angel by mind 🖤
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गताँक से आगे
part 7

वर्तमान


इधर अजिंक्य बाबा को बैठा कर बाइक से कुसुमपुर ले तो आया था पर कुसुमपुर की सीमा पर ही रुक आया और बाबा से कहा
" बाबा इससे आगे मैं नहीं जा सकता , आप यहां से पैदल चले जाओ । "

बाबा मुस्कुराते हुए बोले " अब इतने आगे आ ही गया है तो थोड़ा सा आगे भी चल ,क्यू मुझ बूढ़े से मेहनत करवा रहा है "
अजिंक्य कुछ सोचा और बाइक चलाने लगा पर उसके होंठो की मुस्कुराहट गायब हो चुकी थी और आंखो में गुस्से की लाली समा चुकी थी
पीछे बैठे बूढ़े बाबा अपने आप में ही मुस्कुरा रहे थे और बोल पड़े
" वक्त का सलीका सीख
वक्त से पहले कुछ नही होता
हो अगर पाने का लालसा कुछ
तो महादेव की शरण में आजा"

अजिंक्य सुना और कहा " बाबा चाहता तो यही हूं पर लगता है अभी मंजिल बहुत दूर है "
बात करते हुए कुसुमपुर के जंगल के समीप वाले महादेव के मंदिर में पहुंच चुके थे । दोनो गाड़ी से उतर कर मंदिर गए । अजिंक्य ने आसपास देखा तो मंदिर से ही जंगल शुरू होता है और पास में ही नदी बह रही है । ब्रह्म मुहूर्त शुरू हो चुका था ,पक्षी कलरव कर रहे थे । याद आया कि आशी आयेगी आज । वो बाबा से कहा
" बाबा मैं जा रहा अब वापस "

बाबा ने बंद आंखो से ही पूछा
" वापस आएगा न ? "

अजिंक्य बाइक में किक मारते हुए बोला
" नही बाबा वापस नहीं आऊंगा मैं "

और गाड़ी मोड़ कर वापस चला गया । बाबा मंद मंद मुस्कुराते हुए बोले
" आएगा तू मेरे पास । जो चीज तू चाहता है उसको पाने के लिए ताकत चाहिए , और वही इच्छा तुझे मेरे पास लाएगी "
इधर अजिंक्य बाइक चलाते हुए मन में दृण संकल्प कर रहा था कि जल्दी ही कुसुमपुर आऊंगा । और जिस दिन आऊंगा इस शहर में चिताएं जलेंगी। ,कपाल फूटेंगे ,रक्त बहेगा और मेरे दिल की आग बुझेगी ।

किस बात का बदला था जो अजिंक्य लेना चाहता था और ऐसा क्या हुआ कुसुमपुर में उसके साथ जो वो पूरे कुसुमपुर में आग लगाना चाहता है ।
 
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