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Incest इंस्पेक्टर की बेटी

Ashokafun30

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अरे वाह!!! खुले में सलोनी की chudayi ... 2 जवान लड़कियां देख कर मन लालच में कर रहीं हैं...



अब देखो


कैसे surprise करती हैं सलोनी अपने पापा को.... जो जबरदस्त chudayi के मजे लेके aa रहें हैं......


हमेशा की तरह ही शानदार अपडेट......


मजा आ गया....


अगले अपडेट का बहुत बेताबी से इंतज़ार रहेगा
Thanks for your comments dear
surprise to dena hi padega varna ye papa uske hath se nikal jayega
aur wo kaisa surprise hoga, ye to agle update me hi bataunga
Stay tuned
 

Pitaji

घर में मस्ती
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आख़िर में हम तीनो हाँफते हुए एक दूसरे के नंगे जिस्मों से लिपटकर काफ़ी देर तक लेटे रहे, नंगी लड़कियों को देखकर उसके लॅंड ने फिर से अंगड़ाई लेनी शुरू कर दी थी यानी अब वो चुदाई के लिए तैयार था,
पर मैं नही
एक तो मैं अभी अपनी फर्स्ट चुदाई के लिए तैयार नही थी, उपर से टाइम भी काफ़ी हो चूका था, मैं पापा को बिना किसी बात के नाराज़ भी नही करना चाहती थी, इसलिए उन दोनो को एंजाय करने के लिए छोड़कर मैं वहां से निकल आई, पर आज एक नया जोश भर चूका था मुझमें , सैक्स के पहले एनकाउंटर को महसूस करके मेरा शरीर फूला नही समा रहा था, जगह - 2 से रिस रहा था वो, उसे कुछ और भी चाहिए था
और मुझे पता था की वो कहाँ और कैसे मिलेगा

***********
अब आगे
************

जब मैं घर पहुँची तो रात के 9.30 बज रहे थे
ये तो अच्छा हुआ की मैने पापा से पहले ही परमिशन ले ली थी वरना इस वक़्त बिना बताए मैं घर से बाहर रहती तो अंदर जाने से पहले मेरी फट्ट कर हाथ में आ रही होती

माँ ने दरवाजा खोला और मुझे सवालिया नज़रों से देखा की आज एकदम से कैसे प्रोग्राम बन गया
पर उन्होने कुछ कहा नही क्योंकि माँ को पापा आने के बाद बता ही चुके थे की मैं आज देर से आने वाली हूँ

पापा रोज की तरह ड्रॉयिंग रूम में बैठकर पेग मार रहे थे
मैने उन्हे हाय हेलो किया और अपने रूम की तरफ चल दी

अंदर जाते हुए मैं उनकी नज़रें अपने कुल्हो पर महसूस कर पा रही थी
इसलिए मेरी चाल भी अपने आप थोड़ी नशीली हो गयी

रूम में जाकर मैने कमरा बंद किया और अपने सारे कपड़े निकाल डाले
माँ घर पर ना होती तो शायद दरवाजा अंदर से बंद भी ना करती
पापा को तो मैं दिखाना चाहती थी अपने जिस्म का हर हिस्सा
ताकि वो समझ सके की उनकी लड़की अब पूरी तरह से जवान हो गयी है
पर अपने रूम में नंगी होकर रहने में मुझे रोमांच बहुत मिलता है
अपने जिस्म पर ठंडी हवा का एहसास मुझमें एक गुदगुदी सी भर देता है

मैं बेड पर लेट गयी और अपने अंगो को सहलाते हुए आज शाम को श्रुति के घर पर हुई सारी बाते याद करके मज़े लेने लगी



उन लम्हो को याद करते-2 मैं फिर से उत्तेजित होने लगी
मेरी चूत से फिर से वही गाड़े रस की बूंदे रिसने लगी

मैने आज तक अपनी चूत का रस चखा नही था
और वो मैं आज करने वाली थी
ताकि जान सकूँ की मेरी दुकान की मिठाई कितनी मीठी है
और सामने वाले को कितनी पसंद आएगी वो

मैने अपनी दो उंगलियाँ चूत में डुबोई और उसमें ढेर सारा शहद इकट्ठा करके उन्हे धीरे से चूस लिया

उम्म्म्मममममममम….
ये तो सच में काफ़ी मजेदार है
एकदम फ्रेशनेस के साथ
अन्नानास के जूस जैसा
जिसमें मीठापन और खट्टापन एकसाथ होता है
शायद इसलिए ऐसा स्वाद था क्योंकि मुझे फ्रूट्स बहुत पसंद थे
ख़ासकर संतरा , अमरूद और सेब
इन सबका स्वाद मैं महसूस कर पा रही थी अपनी चूत के रस में
शून्य से दस के पैमाने पर मैं इसे 9.5 अंक दूँगी



तभी माँ ने दरवाजा खटकाया

“सलोनी…..ओ बेटा…..चल खाना खा ले, फिर मुझे सोना भी है, इस वक़्त तक तो मुझे नींद के झोंके आने लगते है….जल्दी आजा मेरी बच्ची ”

माँ भी अपनी जगह सही थी
बेचारी सुबह 7 बजे से जाग कर सारा खाना बनाती है और फिर पूरा दिन साफ़ सफाई, धुलाई और खाना बनाने में निकल जाता है
ऐसे में तो 10 बजने तक नींद आना स्वाभाविक है

मैं नमने मन से उठी और बाथरूम में जाकर शावर ऑन करके खड़ी हो गयी और रगड़ -2 कर नहाने लगी
और नहाते हुए मुझे अपनी पुस्सी को साबुन लगाकर रगड़ने का बहुत शौंक है



घर आकर ये मेरा रोज का नीयम था
इसी बहाने मास्टरबेट भी कर लिया करती थी
पर आज उसका टाइम नही था
आज लेट भी तो आई थी घर पर

मैने जल्दी-2 नहाकर एक टी शर्ट और शॉर्ट्स पहन ली और रोज की तरह अंदर कुछ भी नही
शीशे में मैं अपनी टी शर्ट के अंदर खड़े निप्पल्स सॉफ देख पा रही थी
माँ हमेशा मुझे डाँट्ती थी ऐसे घर पर बिना ब्रा के रहने के
पर अभी वो शायद देख नही पाएगी
मैं सीधा जाकर बाहर डाइनिंग टेबल पर बैठ गयी
सामने पापा बैठे थे
जो मुझे अपने नन्हे स्तनो को हिलाकर चलते देखकर लार टपका रहे थे

उनकी पुलिसिआ नज़रों ने मेरे बिन ब्रा के निप्पलों को दूर से ही ताड़ लिया था
इसलिए उन्हे देखकर वो एक ही बार में मोटा घूंठ पीकर अपने होंठो को दांतो तले रगड़ने लगे

माँ जब खाना लेकर आई तो मैं नीचे झुक गयी ताकि वो मेरी छाती की तरफ ना देख सके
थाली रखकर वो हम दोनो बाप बेटी को गुड नाइट बोलकर सोने चली गयी
और मुझे हिदायत देकर गयी की पापा को खाना गर्म करके देने के लिए
मैने हां में सिर हिला दिया और पापा को देखने लगी
उनके चेहरे पर भी मेरी तरह एक स्माइल थी
दोनो माँ के जाने से खुश थे

उनके जाते ही मैं छाती चौड़ी करके बैठ गयी
अपनी छातियाँ निकालकर
अब मुझे कोई डर नही था
बल्कि उन्हे तो मैं दिखाना चाहती थी



पापा भी मेरी रस भरी थैलियों को देखकर अपनी लार टपकाने लगे
मैं मंद-2 मुस्कुरा रही थी और आराम से खाना खा रही थी
बीच-2 में पापा मुझसे इधर उधर की बाते करते जा रहे थे
पर उनका ध्यान सिर्फ़ और सिर्फ़ मेरी छातियों पर ही था

इन मर्दों को सिर्फ़ अपनी छातियाँ दिखाकर अपने इशारों पर नचाया जा सकता है इतना तो मैं जान ही चुकी थी
कल रात की ही तो बात है
कैसे मैने अपनी इन ब्रेस्ट्स को पापा की सख़्त छातियों से रगड़ाई करवाई थी
उम्म्म्मम
उन पलों को याद करके मेरे निप्पल्स फिर से सख़्त हो चुके थे
और पापा उन्हे आराम से देख पा रहे थे

आज पापा के पेग थोड़े मोटे बन रहे थे
शायद मेरे हुस्न का असर था
वो अपनी तरफ से पहल करना नही चाहते थे, बाप बेटी का जो रिश्ता था
और मैं चाहे पापा से ना डरने की लाख बाते कर लूँ , पर उनका पुराना डर अंदर से मुझे कुछ भी ग़लत करने से रोक रहा था

इसलिए मैने सब वक़्त पे छोड़ दिया था
और ये भी सोच लिया था की पापा ने अगर पहल की तो मैं भी पीछे नही रहूंगी
ये सोचकर ही मैं मुस्कुरा दी
Waaaaaah anand aa gaya
 

Pitaji

घर में मस्ती
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इसी बीच बातों -२ में पापा ने आधी से ज्यादा बोतल ख़त्म कर दी
अब वो पूरे टल्ली हो चुके थे
उनसे सही ढंग से बैठा भी नही जा रहा था
वो लड़खड़ाते हुए उठे और अपने रूम की तरफ चल दिए

मैं नही चाहती थी की वो अभी यहाँ से चले जाएं और मॉम के पास जाकर खर्राटे मारने लगे
इसलिए मैने उठकर उन्हे संभाला और स्टडी रूम की तरफ ले गयी और उन्हे वहां के सोफे पर लिटा दिया
और उनसे पूछा :”पापा, खाना ले आऊं क्या ? ”

अब तक पापा को दारू पूरी तरह से चढ़ चुकी थी
वो अपने आप कुछ बुदबुदा रहे थे

“सलोनी….भेंन की लोड़ी …..तेरी चूत इतनी गर्म है…आज तो मज़ा आ गया….और तेरे ये मुम्मे ….आ…..डा ….डाल दे इन्हे मेरे मुँह में ….”

ये सुनते ही मेरे तो कानो से धुंवा निकलने लगा
ये क्या बोल रहे है पापा मेरे बारे में

अब ये भला मुझे कैसे पता होता की आज पापा मेरी हमनाम सलोनी की चूत मारकर आए है और इस वक़्त नशे में वो उसे ही याद करके बड़बड़ा रहे थे
शुरूवात तो उन्होने मुझे देखकर ही की थी
मेरे मोटे मुम्मे और कड़क निप्पल देखकर जब वो दारू पी रहे थे तो उनकी सोच उन्हे फिर से एक बार शाम को हुई वो शानदार चुदाई की तरफ ले गयी

और पीते-2 कब वो नशे की हालत में उस सलोनी का नाम लेने लगे, ये शायद उन्हे भी पता नही होगा

पर मेरे लिए तो सलोनी मैं ही थी ना
इसलिए वो सब सुनकर मेरा दिल धाड़-2 करके बज रहा था
अच्छा भी लग रहा था और डर भी

अच्छा ये सुनकर की मेरे पापा मेरे बारे में ये सब सोच रहे थे
और डर इसलिए की कहीं मॉम ना सुन ले ये सब

इसलिए मैने स्टडी रूम का दरवाजा अंदर से बंद कर दिया ताकि आवाज़ बाहर ना जाए
और फिर उनके करीब आकर बैठ गयी

नशे में वो अब भी बड़बड़ा रहे थे
“चल साली…चूस मेरे लॅंड को….भेंन चोद …देख क्या रही है….चूस इसे….”

भले ही वो नशे में और अपने होशो हवास में नहीं थे
पर पापा का हुक्म तो पापा का ही होता है ना
मैं किसी आज्ञाकारी बेटी की तरह उनके पैरों की तरफ गयी और ज़मीन पर घुटने लगाकर बैठ गयी
धड़कते दिल से मैने उनकी पेंट की जीप खोली और अंदर हाथ डालकर बड़ी मुश्किल से उस फुफकारते हुए नाग को बाहर निकाला
उफफफफफ्फ़
इतना मोटा लॅंड

नितिन का तो इसके सामने कुछ भी नही था
मैने अपना मुँह गोल करके अंदर तीन उंगलियां डाली तो मेरा मुँह पूरा भर सा गया
और फिर उन तीन उंगलियों को लॅंड के सामने रखा तो पाया की वो लॅंड उनसे भी डबल था
ये मेरे खुले मुँह में नही आएगा तो भला नीचे मेरी तंग सी चूत में कैसे जाएगा
जहाँ एक उंगली जाने भर से मैं सीसीया उठती थी

पर वो जब होगा तब होगा
अभी के लिए तो पापा का हुक्म मानना था मुझे
इसलिए मैने गर्म साँसे उस लॅंड पर छोड़ते हुए उस मोटे लॅंड पर अपनी जीभ फिराई और उसे अपने मुँह में लेने का प्रयास किया
पर वो आया ही नही



आगे का सुपाड़ा मेरे मुँह में आकर फँस गया
उसपर लगी प्रीकम की बूँद जब मेरे मुँह में गयी तो एक अजीब सा नशा महसूस हुआ मुझे

ऐसा लगा जैसे शराब की बूँद चख ली हो मैने
उम्म्म्मममममम
ऐसी नशीली बूँद है तो पूरा माल निकलेगा तो बॉटल जितना नशा देगा
यही सोचकर मैने अपने बूब्स को खुद ही मसल दिया और खुद ही सिसकार उठी
“सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स……आह्हःहह……… ओह पापा……..”

मेरी इस सीत्कार को सुनकर पापा एकदम से चोंक गये
और मेरी तरफ देखने लगे
अभी कुछ देर पहले तक जो मुझे लॅंड चूसने के लिए बोल रहे थे वो मुझे लॅंड चूसता देखकर ऐसे हैरान हो रहे थे जैसे कोई भूत देख लिया हो

पर मैं रुकी नही
अपनी नन्ही जीभ और छोटे मुँह से उनके मोटे लॅंड को धीरे-2 चूसती और चाट्ती रही

अब शायद वो नशे से बाहर आ चुके थे
पर मैं वहां कैसे और क्यों उनका लॅंड चूस रही थी ये सवाल उनके चेहरे पर सॉफ दिखाई दे रहा था
हालाँकि चाहते तो शायद वो भी यही थे अंदर से पर ऐसे उनकी इच्छा पूरी हो जाएगी ये मैने सोचा भी नही था

इस से पहले की पापा मुझे डांटे या उनका इरादा बदले मैने अपना पूरा मुँह खोलकर जितना हो सकता था उतना लॅंड अपने मुँह में भरा और उसे चूसने लगी
अब धीरे-2 उनके मुँह से सिसकारियाँ निकलने लगी थी



मेरे बूब्स उनके घुटनों से टकरा रहे थे और उनका गुदाजपन वो सॉफ महसूस कर पा रहे थे
पर इस वक़्त मेरा पूरा ध्यान उनके लॅंड पर था
जैसे नितिन का लॅंड चूसकर उसे मज़ा दिया था
वैसे ही मैं आज पापा को मज़ा देना चाहती थी

ये सब इतना जल्दी हो जाएगा मुझे भी आशा नही थी
पर अच्छा हुआ जो ये हो गया
अब आगे के लिए हम दोनो के बीच सब खुल जाएगा

यही सोचकर मेरी चूसने की स्पीड और ज़्यादा तेज हो गयी
पापा के हाथ मेरे सिर के पीछे आ लगे और वो अपनी गांड उठाकर अपना लॅंड मेरे मुँह में डालने की कोशिश करने लगे
यानी पापा भी अब उस खेल में पूरी तरह से शामिल हो चुके थे जो उन्होने नशे की हालत में शुरू किया था

मज़ा तो उन्हे भी बहुत आ रहा था और मुझे भी
पर शायद पहली बार अपनी जवान बेटी से लॅंड चुसवाने का रोमांच था की उन्होने बिना किसी चेतावनी के अपना ढेर सारा कम मेरे मुँह में निकाल दिया



इतनी सारी शराब के नशे जैसा कम पीकर तो मैं भी मदहोश ही हो गयी
पापा तो हाँफते रह गये
और इस से पहले की वो कुछ और बोलते मैं भागकर अपने रूम की तरफ चल दी
आज के लिए इतना बहुत था
उपर से मुझे ये डर भी था की कहीं पापा अब नशे से निकलने के बाद मुझे ही ना डाँटने लग जाए

अंदर जाकर मैने दरवाजा बंद किया और अपने कपड़े एक बार फिर से निकाल फेंके
और वहीं ज़मीन पर लेटकर रगड़ -2 कर अपनी चूत का पानी निकालने लगी

“उफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ पापा……..कितना रस था आपके लॅंड में …….इतना मोटा था वो…….”



यार….ये कैसा ऑब्सेशन होता जा रहा है मुझे अपने पापा से
उनके लॅंड को याद करने मात्र से ही मेरी चूत बहे जा रही थी
ऐसा चलता रहा तो मेरा कमरे से निकलना मुश्किल हो जाएगा
या फिर पूरे दिन पेड लगाकर घूमना पड़ेगा

मेरी पिंक उंगलियां अपनी पिंक चूत में रेती की तरह रगड़ मार रही थी
और फिर वहां से भी एक जोरदार फव्वारा निकला
जिसे मैने अपनी उंगलियो में समेट कर पी लिया

पहले पापा का कम और बाद में मेरा
दोनो मेरे पेट में जा चुके थे

बचपना होता तो यही सोचती की अब मैं माँ बन जाउंगी
और ये सोचकर ही मैं मुस्कुरा दी

पर सच में , कितना मज़ा आएगा अगर किसी दिन मैं पापा के कम से प्रेगनेंट हो जाऊं
अपनी शादी के बाद एक बार कोशिश तो ज़रूर करूँगी इसके लिए..
ये सोचकर ही मेरे पूरे जिस्म में झुरझुरी सी दौड़ गयी

मैं उठी और अपने कपड़े पहन कर बेड पर लेट गयी
अगले दिन पापा मुझे किस नज़र से देखेंगे और क्या बोलेंगे ये तो सुबह ही पता चलेगा..
Sahi hai ab subah ka najara dekhne layak hoga .. 😍
 

Pitaji

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वहां काफ़ी अंधेरा था
दूर -2 तक कोई भी नही था
श्रुति ने अपनी स्कूटी एक बड़े से पेड़ के पीछे छुपा दी और हम भी वही छुपकर खड़े हो गये
करीब 10 मिनट बाद ही पापा की जीप वहां आती हुई दिखाई दी, वो आकर पुल के नीचे खड़े हो गये और उसका इंतजार करने लगे
अगले 5 मिनट में वो भी आ गयी
वो मुझसे सिर्फ़ 10 फीट की दूरी से निकली, मैने गोर से उसे देखा
उपर से नीचे तक
एक मैला सा सूट पहना हुआ था उसने, पर शरीर पूरा भरा हुआ था उसका
मोटे-2 बूब्स और बाहर निकली हुई गांड
पर ये तो किसी भी एंगल से मुझे रंडी नहीं लग रही थी, उम्र भी मेरे जितनी ही थी लगभग
पर उसके शरीर के उभार बता रहे थे की इतनी सी उम्र में उसने काफी एक्सपीरियंस ले लिया है
सॉफ पता चल रहा था की अपनी जवानी के पूरे मज़े ले चुकी है वो
अभी भी तो वही लेने आई है

पापा के करीब पहुँचते ही वो उनसे ऐसे लिपटी जैसे बरसो पुरानी प्रेमिका हो उनकी
मेरी तो झांटे सुलग उठी उसे अपने पापा से लिपटते देखकर

श्रुति भी मुझे देखकर समझ गयी थी की उस लड़की से मुझे कितनी जेलीसी हो रही है
पर हम कर भी क्या सकते थे

पापा ने भी उसे हवा मे उठाकर फिल्मी हीरो की तरहा घुमा दिया हवा में , उसके मोटे मुम्मे पापा की छाती से पीसकर रह गये

और हवा ही हवा में पापा ने उसके होंठो को चूसना शुरू कर दिया, वो भी अपनी पकड़ उनकी कमर पर बनाए हुए उन्हे पूरा सहयोग दे रही थी

उन दोनो को ही जल्दी थी इसलिए सिर्फ़ 1 मिनट की ही स्मूच ली उन्होने और फिर सीधा मुद्दे की बात पर आ गये

पापा ने धक्का देकर सलोनी को ज़मीन पर बिताया और अपनी पेंट की जीप खोलकर अपना फौलादी लॅंड बाहर निकाला और उसके चेहरे के सामने लहरा दिया
ये तो कल से भी ज़्यादा उत्तेजित था , कल से भी बड़ा और मोटा लग रहा था वो लॅंड
वो एक ही बार मे उसे मुँह में डालकर निगल गयी और जोरों से चूसने लगी



मैने तो कल ही उसे देख लिया था पर श्रुति के लिए तो ये पहला अवसर था
मेरे पापा का लॅंड देखने का
वो तो चिल्लाने ही वाली थी उसे देखकर
की हाय, इतना मोटा लॅंड …वाउssssssss

पर मैने उसके मुँह पर हाथ रखकर उसकी चीख अंदर ही दबा दी
पर उसकी आँखो की चमक और खड़े निप्पल बता रहे थे की वो कितनी इंप्रेस हुई है उस पुलिसिआ लॅंड से
शायद मन ही मन वो उसे लेने के ख्वाब भी देख रही थी
इसलिए वो अपनी चूत को जीन्स के उपर से ही सहला रही थी…रगड़ रही थी
अंदर से कुछ -2 तो मुझे भी हो रहा था
क्योंकि पापा का लॅंड लगातार दूसरे दिन देख रही थी मैं

कल रात मेरे हाथ में था
अब दूसरी सलोनी के हाथ में है वो
वैसे देखा जाए तो एक मर्द को और क्या चाहिए
हर दिन नया चेहरा, नयी चूत
पर कल रात की बात तो पापा याद भी नही रख पाए नशे में
अगर याद रहता तो शायद आज भी मेरे पास होते वो

ग़लती तो मेरी ही है ना
मैने ही उन्हे अपनी तरफ आकर्षित नही किया
पर अब करूँगी
इसी निश्चय के साथ मैने भी आँखे बंद करके कसम खाई और अपनी उंगली अपनी चूत पर दे मारी
उम्म्म्ममममममम
कितना सैक्सी एहसास था ये
मेरे आगे खड़ी श्रुति अलग ही सुर में सीसीया रही थी और पापा के सामने बैठी सलोनी उनकी बिन बजाती हुई अलग सुर मे
देखा जाए तो वहां 3-3 जवान लड़किया मोजूद थी
और मर्द सिर्फ़ एक
मेरे प्यारे पापा

अगर मैं इसी वक़्त श्रुति को लेकर उनके सामने पहुँच जाऊं तो क्या पापा हम तीनो को एकसाथ चोदेगे ?
ये वाइल्ड सा एहसास ही पूरे शरीर जो सुलगा सा गया मेरे



मैने श्रुति का दूसरा हाथ पकड़ा और उसे अपनी पायजामी के अंदर डलवा लिया
और मैने अपना हाथ आगे करके उसकी जीन्स के बटन खोले, उसे थोड़ा सा ढीला किया और उसकी कच्छी में उंगलिया घुसेड कर उसकी गीली चूत में अपनी उंगलियो की पतवार से नाव चलाने लगी



श्रुति मेरी तरफ घूम गयी और मेरे होंठो पर किस्स करते हुए मुझे घिस्से देने लगी
मैं भी अपनी उंगलिया उसकी चूत में जोरों से चला रही थी
इसी बीच पापा ने उस लड़की को खड़ा किया और उसे कार के बोनट पर झुका कर पीछे से उसकी चूत में अपना लॅंड घुसेड़ दिया

उस वीराने में उसकी कराहती हुई सी सिसकारी गूँज उठी

“ओह…………उम्म्म्मममममममममममम…….पपाााआआआआ……”

उसके मुँह से पापा शब्द सुनते ही मेरी आँखे हैरत से फेल गई
यानी उसे अपनी बेटी बनाकर चोद रहे थे पापा
और ये बात वो भी जानती थी
अब मुझे पता नही ये मेरे पापा से कब से चुदवा रही है
पर इतना तो मुझे पता चल गया था की पापा जो काम मेरे साथ करने में शरमा रहे थे वो उसके साथ मुझे सोचकर वो खुल्ले मे कर रहे थे



इतनी भी क्या नाराज़गी पापा
मैं भी तो रेडी हूँ ना
आपने कभी पूछा ही नही मुझसे
पर कोई ना पापा
अब देखना
ऐसे-2 काम करूँगी ना की आप खुद ही मुझे नंगा करके चोदोगे
ये वादा रहा आपकी बेटी का
एक इंस्पेक्टर की बेटी का वादा

इतना सोचते-2 मेरी उत्तेजना को ऐसे पर लगे की मैं हवा में उड़ने लगी
वो तो श्रुति ने मेरी चूत में उंगलिया फँसाकर मुझे पकड़ रखे था
वरना मैं तो उड़ गयी होती उस आनंदमयी एहसास को महसूस करते हुए

हम दोनो की चूत की खीर एक साथ निकली
जिसे हमने एक दूसरे की आँखो में देखते हुए खाया
मेरा पाईनएप्पल जूस उसने पिया और उसका नारंगी का पानी मैने

इसी बीच पापा ने उस सलोनी की चूत के सारे दरवाजे ढीले कर दिए थे अपने धक्को से
उसके बदन के सारे कपड़े कब निकल गये मैं देख ही नही पाई
अब पापा उसे नंगा करके चोद रहे थे
चाँद की रोशनी में उसका नंगा शरीर लश्कारे मार रहा था



और अंत में जब पापा हुंकारने लगे तो अपना लैंड उन्होंने बाहर निकाला
और उसमे से निकल रही बूंदों से उस रंडी सलोनी को नहला दिया
उसने नीचे बैठकर उस रसीले पानी को अपने चेहरे और छाती पर छीड़कवाया

पूरे समय उसके मुँह से सिर्फ़ ओह्ह्ह अह्ह्ह्ह पापाsssssss ही निकल रहा था

शायद उसके मुँह से ये पापा शब्द का एहसास ही था जो मेरे पापा को यहाँ तक ले आया था
यही सच मैने उन्हे घर पर ही दे दिया होता तो उन्हे ऐसे खुले मे चुदाई नही करनी पड़ रही होती
खैर
अब ये भूल मैं जल्द सुधारने वाली थी

कुछ देर बाद उन दोनो ने अपने -2 कपड़े पहने और वहां से निकल गये
मैने और श्रुति ने भी अपना हुलिया ठीक किया और वहां से निकलकर उसने मुझे मेरे घर छोड़ा ओर वो वापिस चली गयी
पापा अभी घर नही आए थे
पर जब आएगे तो उन्हे एक अच्छा सा सर्प्राइज़ देने का मन बना चुकी थी मैं
बटी के सरप्राइज का बेसब्री से इंंतजार रहेगा
 
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