शादी की 25वीं सालगिरह पर पत्नी अपने कवि पति से पुलकित होकर बोली:
"आप बिलकुल भी नहीं बदले। वैसे के वैसे ही भोले-भाले, वैसे ही शांत, एकदम पहले जैसे ही हैं।"
कवि पति भी भावुक होकर बोल उठा:-
"जो रहीम उत्तम प्रकृति, का करि सकत कुसंग।
चन्दन विष व्यापत नहीं, लिपटे रहत भुजंग।।" (साँप )
(कवि जी का इलाज़ चल रहा है। देखने जा रहा हूं)