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Romance Love in College. दोस्ती प्यार में बदल गई❣️ (completed)

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Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
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Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
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Ky bat khe hai bhai
WAh
आदत हो गई भाई अब तो👍 दुनिया पता नही क्या समझती है अपने को? जितने सीधे है उतने ही उनको टेढे नजर आते है हम :yo:
 
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Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
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DEVIL MAXIMUM

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Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
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Bhai aap jaise ho waise rho
Duniya ka ky hai
Unko whe dikhta hai
Jo wo khud dekhna chahte hai bhai🙂
बिल्कुल ठीक कहा भाई👍 वैसे अभी तक जाग रहे हो??
 
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Rekha rani

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नोट: ईस कहानी के पात्रों के नाम काल्पनिक है.

कहानियां बहुत बनती हैं, लेकिन आज मै आपको एक सच्ची कहानी सुनाना चाहता हूँ। कहानी रघुवीर ओर सुप्रिया की .
एक शहर में दो दोस्त रहते थे । उनका नाम रघुवीर और सुप्रिया था। यह दोनों बहुत अच्छे दोस्त होते है। बचपन से एक दूसरे के साथ रहते थे। दोनो के घर पास में ही थे ।
रघुवीर बहुत आलसी होता है। रघुवीर कभी अपना काम टाइम पर नहीं करता, सारे काम सुप्रिया से करवाता था। सुप्रिया कर भी देती थी। रघुवीर को गाने सुनना और गेम खेलना, ओर शायरी करना बहुत पसंद था। और सुप्रिया पढाई में बहुत होशियार होती है। रघुवीर प्यार से सुप्रिया को प्रिया और सुप्रिया रघुवीर को प्यार से वीर बुलाती थी.
सुप्रिया को पढ़ाई करना और रघुवीर से बातें करना पसंद था। इन दोनों के बीच कोई नहीं आता था सब रघुवीर से डरते थे । ऐसे ही समय बीतता है और दोनों बड़े हो जाते हैं। रघुवीर के अंदर कोई सुधार न होता देख के रघुवीर के मम्मी पापा को बहुत चिंता रहती थी। डांटने पर सुप्रिया हर बार रघुवीर को बचा लेती थी। पर यह कब तक चलता दोनों कॉलेज आ गए थे। रघुवीर एक क्लास पीछे था सुप्रिया से क्युंकि रघुवीर फ़ैल हो गया था। रघुवीर के पापा ने रघुवीर को बहुत सुनाया और रघुवीर कुछ नहीं बोलता चुप-चाप अपने रूम में चला जाता था। उतने में सुप्रिया आ जाती है। और रघुवीर के पापा सुप्रिया से कहते है बेटा अब तू ही इसे समझा। तब सुप्रिया रघुवीर के पास जाती है और रघुवीर को पढाई करने के लिए बोलती है। सुप्रिया रघुवीर को कहती है आगे तुमने पढ़ाई नहीं की तो मैं तेरी कोई हेल्प नहीं कर सकती। रघुवीर बहुत सीरियस हो गया था पापा ने बहुत गुस्सा किया आज रघुवीर पर। रघुवीर ने सुप्रिया से कहा यार मुझसे नहीं होती पढ़ाई, सुप्रिया कहती है मैं तेरी हेल्प करुगी हम दोनों साथ में पढ़ाई करेंगे। तो रघुवीर मान जाता है। और हर रोज दोनों पढ़ाई करते। सुप्रिया रघुवीर को पढ़ाई में पूरी मदद करती।
जारी है...✍️
Awesome update,
Bachpan wala payar soniyo
 

Rekha rani

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सुप्रिया को आज भी कॉलेज का पहला दिन याद है उसकी रेगिंग हो रही थी (फ्लैश बैक): सुप्रिया आज वीर के साथ ना जा कर अपनी सहेली के साथ गई थी,
कॉलेज का पहला दिन और पहले दिन क्या हो सकता है कॉलेज में आप सब जानते हो। रेगिंग. कॉलेज के गेट के अंदर घुसते ही तीन लड़के ओर 2 सीनियर लड़किया खड़ी थी.. महेश, सुभाष, मोहित, मीनू, काव्या.
मोहित पास के ही गांव के सरपंच का नेता था। अपने बाप के पैसे का उपयोग करेंके गुंडागर्दी करता रहता था. कुछ ज्यादा ही घमंड था उसे अपने बाप के पैसे का। उसने घुसते ही सुप्रिया ओर उसकी सहेली को रोक लिया।
मोहित: "वाह आज से पहले ऐसा सुंदर और कसा हुआ माल पहले कभी नहीं देखा"सुप्रिया से ए-लड़की इधर आ! क्या नाम है तेरा?
सुप्रिया: (हाथ जोड़ के नमस्ते) जी मै सुप्रीया और ये मेरी दोस्त कंचन है भैया जी.
मोहित: (हँसते हुए) अबे बाहर गाँव से आई है क्या सैंया को भैया बुला रही है?
सुप्रिया: ये क्या बदतमीजी है? मैं तुम्हारी शिकायत करूंगी।
मोहित: जा कर दे. या चाहे तो अपने बाप को भी बुला ले तेरा उद्धार तो मैं ही करुंगा छमिया। हाये क्या चीज़ है... साला हाथ लगाओ तो हाथ जले या मुँह लगाओ तो मुँह जले ऐसा गरम माल। चल एक डील करते हैं तू मेरी गर्लफ्रेंड बन जा,
दोनों मिल के मजे करेंगे!! और फिर वैसे भी तू इतनी सुंदर है अच्छी लगी तो सादी भी कर लेंगे।
सुप्रिया: बदतमीज.. थप्पड़ मारने को आगे बड़ी..
मोहित: हाथ पकड़ते हुए अरे मेरी रानी इतनी गरमी।
तुझे छेड़ने में मजा आएगा। ये बोलके उसके दोनो हाथ पकड़ लेता है.
तभी वहा उनका एक टीचर आता है त्रिपाठी सर
त्रिपाठी सर : ये क्या हो रहा है? छोड़ो उस लड़की को.
मोहित: निकल ले बहनचोद. भूल गया क्या सेकंड ईयर में मेरे बाप ने क्या हाल किया था तेरा?
त्रिपाठी मुँह झुकाए चुप-चाप निकल जाता है।
मोहित: अब तुझे मुझसे कौन बचाएगा? एक काम करो दोनों लड़की अपना दुपट्टा उतारो या सामने वाली बेंच पर रख दो।
सुप्रिया: और उसकी सहेली दोनों रोने लगती है..
और मोहित उसको चुप कराने के बहाने उसके कंधे पर जबरदस्ती हाथ रखता है।
तभी उसके पीछे... से आवाज आती है.
हाथ हटा ले खजूर वरना उसी हाथ से धोयेगा और उसी हाथ से खाना पड़ेगा।
मोहित
...?????जारी है :writing:
Bachapan wala payar jawani ki dehlij par pahuch gya, lagta hai villen ki entry ho gai hai, college me kya kya kand hote hai interesting rhega
 

Rekha rani

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Update 3
अब आगे:
मोहित घूम के देखा तो सामने एक 6 फिट 2 इंच का हट्टा कट्टा लड़का खड़ा था।
मोहित: कौन है बे तू?

रघुवीर: वैसे तो मेरा नाम रघुवीर है पर तू मुझे अपना बाप भी समझ सकता है।
मोहित: अबे साले जनता भी है किस से बात कर रहा है? ऐसा गायब कर दूंगा जैसे गधे के सिर से सीग.


रघुवीर: “लहजे में बत्तमीजी और चेहरे पर नकाब लिए फिरते है, जिनके खुद के खाते ख़राब हैवो मेरा हिसाब लिए फिरते है”
और सुन: “हाथ में खंजर ही नहीं आँखों में पानी भी चाहिए हमें दुश्मन भी थोड़ा खानदानी चाहिए”

क्यू बे चमन साफ-सफाई का काम करता है क्या? अबे झाड़ू तो साथ में रखा कर ताकि पता रहे सबको। मोहित: साले शिवचरण चौधरी का नाम सुना है क्या? उनका लड़का हू मै रातो रात गायब हो जाएगा और किसी को पता भी नहीं चलेगा। और जिसके लिए तू मुझसे जुबान जोरी कर रहा है उसको तो मैं ही भोगूंगा।

इतना सुनते ही रघुवीर अपना आपा खोने लगता है और गुस्से से उसका आखे लाल हो जाती है।
वो धीरे-धीरे मोहित की तरफ बढ़ने लगता है।
रघुवीर: बस कुत्ते, बहुत बोल लीया तूने, अगर तू मुझे कुछ कहता तो मैं तुझे माफ कर देता लेकिन तुमने जिसे बोला है उसके लिए तुम जैसे 100 को भी मार सकतऻ हू मैं.
इतना बोलके रघुवीर ने मोहित की गर्दन पकड़ के उसे हवा में उठा दिया ओर सामने की दीवार पर जोर से दे मारा. उसने जैसे ही उसने उठने की कोसिस की तभी उसके पेट में जोर की लात पड़ी और मुंह से खून की उल्टी निकली।
मोहित की हालत खराब होने लगी थी या रघुवीर उसे किसी की भी परवाह किए बिना मारे जा रहा था।
तभी किसी ने उसका हाथ पकड़ा! जब रघुवीर ने पलट के देखा तो वो कोई नहीं बल्कि सुप्रिया थी.
सुप्रिया: छोड़ उसे वीर, वो मर जायेगा! दिख नहीं रहा क्या कितना खून बह रहा है उसका?
रघुवीर: ऐसे कैसे छोड़ दु प्रिया? जब तक इसकी गांड नहीं तोड़ता ठीक से तब तक नहीं छोडूंगा आज।
सुप्रिया: छोड़ उसे वीर तुझे मेरी कसम है!!
(वीर गुस्से में) बस प्रिया बस कुछ भी करती पर अपनी कसम तो ना देती। रघुवीर गुस्से से: तुमने मुझे रोक के अच्छा नहीं किया प्रिया। और तू सुन बे लपरझंडिस. आज के बाद अगर इसके आस-पास भी नजर आया तो वो दिन तेरा अंतिम दिन होगा। ये कह के उसकी तरफ़ थूकता हुआ वीर वहाँ से चला जाता है। सुप्रिया और कंचन दोनो भी उसके पीछे क्लास की और निकल जाती है।
क्लास शुरू हुई पहला पीरियड शुरू हुआ टीचर ने सबका इंट्रो लिया।

इसी तरह क्रम से सब शिक्षक आते गए सबका एक दूसरे से परिचय होता रहा ज्यादा कुछ पढ़ाई तो नहीं हुई पर पहला दिन ऐसे ही बीत गया।
अगले दिन जब कॉलेज में गए तो सब शांत थे जब सब वीर को अलग नजर से देख रहे थे कुछ लड़कियां थी जो उसे देख कर मुस्कुरा सकती थी और आपस में खुसर-फुसर कर रही थी।
जो कि सुप्रिया के मन को नहीं भा रहा था। 😀
मोहित कल सुबह की घटना के बाद से कहीं दिखाई नहीं दिया था।
हम लोग क्लास की तरफ जा रहे थे तो रास्ते में त्रिपाठी सर मिले वो रघुवीर को अपनी तरफ आने का इशारा किया और एक और चल दिये।
त्रिपाठी कैंटीन के बाहर बेंच पर बैठ कर: आओ रघुवीर यहां बैठो मेरे पास। रघुवीर: सर, कुछ जरूरी काम था क्या?
त्रिपाठी: कुछ खास नहीं, बस तुमसे कुछ बातें करने का मन किया तो यहां ले आया। रघुवीर: कहिये सर, मैं क्या सेवा कर सकता हूँ आपकी?
त्रिपाठी: देखो रघुवीर सेवा कुछ नहीं है, मैं तो कल की हुई घटना के बारे में बात करना चाहता था। देखो कल जो भी हुआ, वो नहीं होना चाहिए था इसमे कोई शक नहीं, और मेरी व्यक्तिगत राय है कि उसे (मोहित) को जो तुमने पीटा है वो उसको सबक सिखाने के लिए अच्छा भी है।
लेकिन मैं तुमसे ये कहूंगा कि तुम जरा सावधान रहना! वो किसी भी हद तक नीचे गिर सकता है !!

रघुवीर: सर मैं आपकी बात ध्यान रखूंगा, लेकिन एक बात जरूर पूछना चाहूंगा कि आप उससे डरते क्यों हैं? और कृपया मेरी बात का बुरा मत मानना।
त्रिपाठी: इसके पीछे मेरी मजबूरी है बेटे, अगर मैं तुझे बता दूं और तुमने किसी को बता दिया तो मेरी बदनामी हो जाएगी।

जारी है...✍️
Bahut achha sabak dikhaya Mohit ko veer ne lekin ek bat samjh nahi aayi veer fail hokr ek class pichhe ho gya tha to ab kaise dono ek sath college pahuche ,
Ab teacher ki aapbiti samne aayegi shayad,
Veer ke liye dusre ladkiyo ke reaction dekh kar Supriya jeleous feel kar rahi hai
 

Rekha rani

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Update 5
प्रिंसिपल: खामोश!! तुम क्या मुझे बेवकूफ समझते हो अगर मैं चाहूं तो अभी के अभी तुम्हें इस कॉलेज से निकाल सकता हूं, और तुम्हारे खिलाफ उत्पीड़न का मामला भी बन सकता है। पर मै ऐसा केवल इस लड़की के कारण से नहीं कर रहा हूँ! क्यू की इसने मुझे मना किया है या कहा है कि ये एक गरीब मजदूर की बेटी है या इज्जत ही इसके लिए सब कुछ है। ये नहीं चाहती कि इसका नाम किसी भी प्रकार के काम में आए जो अनुचित हो।
अब आगे:
इसके लिए मैंने तुमको 2000 रुपये का जुर्माना लगाया और 2 हफ्ते का बैन लगाया,
दो हफ्ते में अगर तुम कॉलेज में दिखते हो तो तुम्हें (डीसी) दे दूंगा !!और मैं ये भी देखूंगा कि तुम कहीं और न पढ़ सको।
अब निकल जाओ यहां से, और आइंदा कोई सिकायत नहीं मिलनी चाहिए।
मोहित प्रिंसिपल ओफिस से बाहर मुंह लटकाए और मन ही मन बढ़-बढ़ते हुए निकलता है, मन में सोचते हुए (तुझे देख लूंगा त्रिपाठी साले) और सीधा कॉलेज से बाहर निकल जाता है।
त्रिपाठी: 4 हफ्ते ऐसे ही शांति से गुजर गए कॉलेज में सब सही चल रहा था मोहित भी कॉलेज में आता था और अपनी क्लास लेता था और चला जाता था, ज्यादा किसी से बात नहीं करता था। ये सब हमने भी नोट किया कि वह चुप-चुप रहता था. ऐसी बात नहीं थी के वो केवल कॉलेज में ही चुप रहता था,
वह अपने घर पर भी गुमसुम रहता था। उसकी ये स्थिति उसके पिता से भी छुपी नहीं थी!!
एक दिन शिवचरण चौधरी: क्या बात है मोहित मुझे आजकल दिख रहा है तू कुछ-बुझा-बुझा सा रहता है? ना ढंग से खाता-पीता है ना किसी से ज्यादा बात करता है? पहले तो ऐसा नहीं था?
और तेरा वज़न भी कम दिख रहा है मुझ को। कोई समस्या है तो बताओ? अगर तबियत ठीक नहीं है तो डॉ. को दिखाओ!!
मोहित: ऐसी कोई बात नहीं है पापा! शिवचरण चौधरी: तो फिर क्या बात है वो बता?
मोहित: कोई बात नहीं है, मैं ठीक हूं! बस आपको ऐसा ही लग रहा है। शिवचरण चौधरी: बाप हु मैं तेरा मुझ से तू कुछ भी छुपा नहीं सकता सच-सच बता क्या किसी ने कुछ कहा है? देख अगर मैंने अपने आप से पता लगाया तो बाद में... मोहित अपने पिता के गुस्से को जानता था! वो घबरा गया और उसने सच बताना ही मुनासिब समझा।
मोहित: देखिये पिता जी मुझ से एक गलती हो गयी और अब मैं क्या करू? ये समझ नहीं आ रहा मुझे! मुझे मालूम है मुझे ऐसा नहीं करना चाहिए था? मे उसके लिए आपसे भी माफ़ी माँगता हूँ।
शिवचरण चौधरी: जैसा कि मुझे पहले भी लग रहा था कि कोई बड़ी बात है! पूरी बात बता ओर कुछ भी छुपाने की ज़रूरत नहीं है !!
मोहित: पिता जी बात महीने भर पहले की है, एक दिन मैंने किसी लड़की को कॉलेज में...
शिवचरण चौधरी: कॉलेज में. क्या? ……छेड़ दिया क्या?
मोहित: जी पिता जी कुछ ऐसा ही समझ लीजिये.
शिवचरण चौधरी: हूं...ऐसा ही समझूं तो इसका मतलब मामला कुछ ज्यादा बड़ा है!!
मोहित: एक टीचर है त्रिपाठी.उसने और उस लड़की ने मिलके मेरी सिकायत प्रिंसिपल से कर दी और प्रिंसिपल ने मुझे 4 हफ्ते का बैन दिया और 2000 रुपये का जुर्मना लगाया था। बात जुर्मने की नहीं है पिताजी! बल्कि मेरे दोस्तों के सामने मेरी बेज्जति हुई उसके कारण से मैं अंदर से बहुत दुखी हूं!!
शिवचरण चौधरी: (बात सुनके जोर जोर से हंसने लगा।) फिर जोर से दहाड़ा, शिवचरण चौधरी का खून है तू लड़के इस भरी जवानी में लड़की नहीं छेड़ेगा तो कब छेड़ेगा!
बात ये नहीं कि प्रिंसिपल ने तुझे सजा दी!! बाल्की बात ये है कि उसके पास तेरी सिकायत करने की हिम्मत कैसे हुई किसी की?
क्या तूने बताया नहीं कि तू किसकी औलाद है?
मोहित: मैंने त्रिपाठी को बताया था कि मैं आपका बेटा हूं पर फिर भी उसने मेरी सिकायत कर दी और मुझे डांटा भी!
शिवचरण चौधरी: तू बिल्कुल चिंता मत कर, मैं सब ठीक कर दूंगा बेटा तु अपनी मौज-मस्ती कर, रही बात त्रिपाठी की तो उसको मैं वो सबक सिखाऊंगा कि वो जिंदगी भर याद रखेगा।
मोहित: मोहित खुश हो जाता है और अपने पिता के गले लग जाता है.. मोहित: धन्यवाद पापा.
शिवचरण चौधरी: तू बस खुश रहा करो! तेरे लिए तो मैं सब कुछ कर सकता हूँ बेटा !!
मोहित: पापा आपने मेरे मन से बहुत बड़ा बोझ उतार दिया है, मुझे पता है अब त्रिपाठी को उसकी सजा जरूर मिलेगी।

थैक यू ... मोहित ये कहते हुए अपनी बाइक की चाबी उठाता है और अपने बाप को घूमने का बोलके निकल जाता है बाहर की ओर।
उधर: त्रिपाठी: मैं अपने कॉलेज के रूटीन में व्यस्त था, वही रोज का काम, कॉलेज आना क्लास लेना कभी जरूरी हुआ तो लैब अटेंड करना, वगैरह-2. तभी एक दिन मैं घर पहुंच कर अपनी बेटी श्रुति जो की 12वीं कक्षा में पढ़ती थी उसका इंतजार कर रहा था क्योंकि आज मेरी पत्नी किसी काम से गांव गई थी तो मुझे ही सब संभालना था, त्रिपाठी: अपने मन में (आज काफी समय हो गया श्रुति को आने में) तभी टेबल पर पडा फोन बजने लगता है,...ट्रिंग-ट्रिंग....
मैंने जैसे ही फोन उठाया सामने से एक कर्कश आवाज सुनाई दी। आवाज़: कैसे हो त्रिपाठी?
त्रिपाठी: मैने पहचाना नहीं? आप कौन हैं श्रीमान!
फोन पर हंसी कि आवाज आती है....”अरे मान सम्मान हम खुद करवा लेते हैं त्रिपाठी”, और रही बात पहचान की तो हमारा नाम ही हमारी पहचान है!!
त्रिपाठी: अपना नाम बताने का कष्ट करें और फोन किस लिए किया? वह भी बताएं!!
हम बोल रहे हैं “शिवचरण चौधरी”….. फोन पर कुछ देर सन्नाटा छा जाता है.. जिसको भंग किया शिवचरण की आवाज ने,
क्या हुआ त्रिपाठी? लगता है जीभ तालु से चिपक गई है तेरी? हा हा हा.... तूने बिल्कुल अच्छा नहीं किया त्रिपाठी,
सब कुछ जानते हुए कि मोहित हमारा साहब-जादा है, फिर भी तुमने उसकी सिकायत की और उसे सरमिंदा किया!
त्रिपाठी: मैंने केवल अपना फर्ज निभाया है टीचर होने का, और कुछ नहीं, अगर अनुशासन नहीं होगा तो कैसे चलेगा चौधरी साहब?
शिवचरण चौधरी: अच्छी बात है त्रिपाठी, तुमने अपना टीचर का फर्ज निभाया, मैं अपने पिता होने का फर्ज निभाऊंगा हा हा हा..
रही बात अनुसासन की तो मुझे उसके बारे में कुछ नहीं पता! हां मुझे अनु के ऊपर सासन करना जरूर आता है, अगर तुम किसी अनु को जानते हो तो बताओ?
त्रिपाठी: छी.. कैसी उल-जलूल बातें कर रहे हैं आप? आपको ये शोभा नहीं देतीं है ठाकुर साहब!! कुछ काम है तो बताइये वरना फ़ोन रख रहा हूँ! शिवचरण चौधरी: ये तुमने सही कहा आजकल शोभा देती ही नहीं मुझे। हा हा हा... रही बात काम की तो बात ऐसी है कि सुनते ही तेरी गांड फट जाएगी त्रिपाठी.
त्रिपाठी: ये क्या बकवास है? शिवचरण चौधरी: बकवास नहीं ये सच है और तेरी बेटी श्रुति मेरे पास है!!
“कमीने झूठ बोल रहा है तू” ये बोलते हुए त्रिपाठी को पसीना आने लग गया और उसका दिल बेचैन होने लगा! शिवचरण: फोन पर ...उसको यहाँ लाओ!!! ले बात कर अपने बाप से. दूसरी तरफ से लड़की की रोते हुए आवाज आती है हेलो..पापा.. त्रिपाठी: श्रुति.. मेरी बच्ची तू ठीक तो है ना? तू वहां कैसे पहुच गई?
तभी दूसरी तरफ से शिवचरण की आवाज आती है!! अगर मेल मिलाप हो गया तो काम की बात करें!! (जोर से आवाज लगाते हुए: इसे सामने वाले कमरे में बंद कर दो रे)
त्रिपाठी: क्या चाहते हो तुम मुझसे?

जारी है...✍️
Ye ramsharan to sahi me ek bahut nich Banda hai isi ke sah par Mohit aise kand kar raha hai , tripathi ki beti ko uthva liya hai usne ab kya hoga dekhte hai
 
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