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Update 21
जैसे ही एकांश को अक्षिता के बारे मे पता चला वो एकदम से सुन्न हो गया था मानो उसके आजू बाजू का सबकुछ सभी लोग उसके लिए एकदम साइलन्ट मोड मे चले गए हो, उसका दिमाग इस बात को प्रोसेस ही नहीं कर पा रहा था, वो जानता था के कुछ तो गलत है उसका दिल उससे कह रहा था के कुछ बुरा होने वाला है लेकिन अब जब सच सामने था तो उसे पचा पान एकांश के लिए आसान नहीं था, एकांश को अब भी अपने कानों पर यकीन नहीं हो रहा था उसका गला सुख सा गया था
“नहीं ये सच नहीं है... ये सच नहीं है” एकांश ने ना मे गर्दन हिलाने हुए अपने आप से कहा
वहा मौजूद सभी की निगहे बस एकांश की तरफ थी
“नहीं ये नहीं हो सकता...” एकांश ने फिर एक बार जोर से अपनी गर्दन ना मे हिलाते हुए कहा
“एकांश...” अमर उसे संभालने उसकी ओर बढ़ा
“नहीं! आप अभी भी झूठ बोल रही हो वो नहीं........” एकांश चिल्लाया “मॉम प्लीज सच बताइए” एकांश के लिए यकीन करना मुश्किल था उसने हाथ जोड़े वापिस पूछा
“यही सच बेटा”
“नहीं!! आप झूठ बोल रही है... आपने.... आपने कहा था ना आप सच नहीं बता सकती? इसीलिए झूठ बोल रही हो ना?”
साधना जी ने अपने बेटे को देखा और ना मे गर्दन हिला दी
“नहीं!! नहीं नहीं नहीं.... ये नहीं हो सकता... वो नहीं मर सकती... वो मुझे छोड़ के नहीं जा सकती...”
एकांश ने रोहन और स्वरा को देखा जो वही था जहा रोहन अपनी भावनाओ को कंट्रोल करने की कोशिश कर रहा था और नीचे की ओर देख रहा था वही स्वरा अपने आँसुओ को नहीं रोक पाई थी
“रोहन, स्वरा ये सब झूठ है ना?”
उन दोनों ने एकांश की ओर देखा और फिर रोहन वापिस नीचे देखने लगा वही स्वरा ने अपने नजरे फेर ली
“बोलो ये सब झूठ है ना!!!” एकांश ने वापिस चीख कर पूछा
“ये सच है” रोहन ने कांपती आवाज मे कहा, एकांश ने स्वरा की ओर देखा तो उसने भी अपनी मुंडी हा मे हिला दी और अपने हाथों से अपना चेहरा ढके जोर से रोने लगी
“नहीं!!” एकांश चिल्लाया
“एकांश भाई संभाल अपने आप को” अमर ने उसे शांत कराने की कोशिश की
एकांश एकदम से चुप हो गया था उसे कुछ फ़ील नहीं हो रहा था, वो बस सुन्न हो गया था दिमाग ने शरीर से मानो रीऐक्टोर करना ही बंद कर दिया था
उसका दिमाग अब भी इस सच को प्रोसेस करने की कोशिश कर रहा था.. सच सामने था लेकिन एकांश उसे मानना नहीं चाहता था
एकांश जहा था वही सुन्न सा खड़ा था और उसकी हालत ठीक नहीं लग रही है, काफी बड़ा झटका था ये उसके लिए खास तौर पर तब जब उसे ये लगने लगा था के अक्षिता उसकी जिंदगी मे वापिस आ रही है वही अब वहा मौजूद सबको उसकी चिंता होने लगी थी
“एकांश”
“बेटा”
“भाई”
“सर”
“एकांश”
एकांश कीसी को भी रीस्पान्स नहीं दे रहा था
“एकांश!!” अमर ने एकांश को कंधे से पकड़ कर हिलाया
अब जाकर एकांश की तंद्री टूटी उसने अपने सामने अमर को देखा जो चिंतित नजरों से उसे ही देख रहा था फिर उसने अपनी मा को देखा और उनके पास गया
“क्या हुआ है उसे?” एकांश ने बगैर कीसी ईमोशन के सपाट आवाज मे पूछा
“पता नहीं”
“वापिस झूठ बोल रही हो ना मॉम?”
“नहीं बेटा, मुझे सच मे नहीं पता, जब मैं उससे मिली थी तब उसने ऐसे जताया था जैसे तुम दोनों के बीच कभी कुछ था ही नहीं, मुझे काफी गुस्सा आया था और तुम्हारी फीलिंगस से खेलने के लिए मैंने उसे काफी कुछ सुना दिया था.. मुझे मेरा बेटा पहले जैसा चाहिए था.. यहा तक के मैंने उसे बर्बाद करने की धमकी तक दे दी थी लेकिन वो बगैर कुछ बोले वही खड़ी रही थी, मैंने उसे तुम्हारे बारे मे बताया था तुम्हारी जिंदगी मे उसे वापिस लाने उसके सामने हाथ भी जोड़े थे” साधनाजी सब रोते हुए बोल रही रही, “उसने बस एक ही बात कही जिसने मुझे हिला कर रख दिया, उसके कहा के उसके पास वक्त नहीं है she is dying और वो नहीं चाहती थी के ये बात तुम्हें पता चले क्युकी वो जानती थी के तुम ये बात बर्दाश्त नहीं कर पाओगे और उसके साथ साथ तुम्हारी जिंदगी भी बर्बाद होगी... उसने मुझसे तुम्हें कुछ ना बताने का वादा लिया और जब मैंने उससे उसकी बीमारी के बारे मे पूछा तो वो बगैर कुछ बोले बस मुस्कुरा कर चली गई और जाते जाते इतना बोल गई के मैं तुम्हारा खयाल रखू, मैंने उसके बाद उससे मिलने की बहुत कोशिश की लेकिन कभी उससे नहीं मिल पाई” साधनाजी ने रोते हुए कहा वही एकांश ने अपनी आंखे बंद कर रखी थी
“हमे भी उसकी बीमारी के बारे मे कुछ समय पहले ही पता चला आपके ऑफिस टेकओवर करने के बाद हमने जब भी उससे इस बारे मे बात करने की कोशिश की उसने हमेशा बात टाल दी बस कहती थी वो जल्द ही ठीक होने वाली है” रोहन ने एकांश के कंधे पर हाथ रखते हुए कहा
“मैंने उससे कई बार उसकी तबीयत के बारे मे पूछने की कोशिश की, उसकी बीमारी, उसकी ट्रीट्मन्ट लेकिन उसने हमेशा ये बाते टाल दी, उसकी ममी पापा से भी पूछा लेकिन वो अलग ही परिवार है कोई कुछ नहीं बोला बस अपने मे ही सिमटे रहे, और जब वो मेरे सवालों से परेशान हो गई तो उसने मुझे कसम दे दी की मैं इस बारे मे उससे कोई बात ना करू, कहती थी ट्रीट्मन्ट चल रहा है वो ठीक है”
उन लोगों ने जो जो कहा एकांश ने सबकुछ सुना और उसे ये तो समझ आ गया के अक्षिता अपनी तकलीफ मे कीसी को भागीदार नहीं बनाना चाहती थी, उसे अक्षिता को देखना था, अपनी बाहों मे लेकर आश्वस्त करना था के वो सब ठीक कर देगा, वो उससे पूछना चाहता था के वो ठीक है ना, उसे सपोर्ट करना था, उसे बचाने के लिए कीसी भी हद तक जाने को तयार था, लेकिन सब मे से वो अभी कुछ नहीं कर सकता था, उसने उसे दोबारा खो दिया था और उससे भी ज्यादा तकलीफ देने वाला खयाल ये था के उसका प्यार उससे कही दूर मौत से जूझ रहा था और वो कुछ नहीं कर पा रहा था
अक्षिता के मरने का खयाल ही एकांश के दिल के टुकड़े करने काफी था, एकांश हार गया था, उससे खड़ा भी नहीं रहा जा रहा था पैरो मे जैसे जान ही नहीं थी और वो अपने घुटनों के बल नीचे बैठा या यू कहो के गिर बैठा, निराश, हेल्पलेस, रोते हुए, और यही कुछ ना कर पाने की भावना उसे और फ्रस्ट्रैट कर रही थी...
एकांश को इस कदर टूट कर बिखरते हुए उसके दोस्त उसके घरवाले देख रहे थे, उसे ऐसे देख उन्हे भी अच्छा नहीं लग रहा था लेकिन वो कुछ नहीं कर पा रहे थे, एकांश इस वक्त जिस मानस्तिथि मे था वो सोच भी नहीं पा रहे थे
एकांश अक्षिता के बारे मे उसकी कन्डिशन के बारे मे सोचते हुए रोए जा रहा था, उसे खोने का डर उसके मरने की खबर का दुख एकांश के रोने को और बढ़ा रहा था वो अक्षिता का नाम चिल्ला कर रो रहा था वही बाकी सभी लोग उसे शांत कराने मे लगे हुए थे
एकांश इस वक्त जिस दर्द मे था वो कोई नहीं समझ सकता था और उसका ये दर्द अब दिन बा दिन बढ़ने वाला था,
एकांश को आज सच जानना था अक्षिता के साथ एक नया सफर शुरू करना था लेकिन उसे ये नहीं पता था के वो सच उसे इतनी तकलीफ देगा, ऐसे सच का सामना तो एकांश ने अपने बुरे से बुरे सपने मे भी नहीं सोचा था
उसकी मा उसके पास बैठ कर उसकी पीठ सहला रही थी, वो भी जानती थी के इस दर्द से इतनी जल्दी राहत नहीं मिलने वाली थी, वो जानती थी के सच एकांश नहीं सह पाएगा इसीलिए उनको वो बात छिपानी पड़ी थी और आज उनके लिए अपने बेटे को इस हाल मे देखना मुश्किल हो रहा था
दूसरी तरफ अमर के दिमाग मे ये चल रहा था के सच का पीछा कर उसने ठीक किया या गलत, एकांश को सच जाने मजबूर करना क्या सही था क्युकी उसका दोस्त भले ही दिल टूटा आशिक था लेकिन ठीक था और उसकी हालत अमर से नहीं देखि जा रही थी
रोहन और स्वरा एकदूसरे को देख रहे थे, पार्टी के बाद जब स्वरा के सवालों मे जवाब मे अक्षिता ने उन्हे अपने और एकांश के बारे मे सब बताया था और ये भी के एकांश सच बर्दाश्त नहीं कर पाएगा, वो टूट जाएगा और इसीलिए अक्षिता उसे कुछ नहीं बताना चाहती थी
श्रेया को तो समझ नहीं आ रहा था के क्या हुआ है, उसने कभी एकांश को ऐसे नहीं देखा और वो एकदूसरे को इतना चाहते है के उसने प्यार प्यार कुरवां किया और ये उसके लिए रो रहा था
एकांश के अंदर इस वक्त कई फीलिंगस थी, डर था गुस्सा था निराशा थी, प्यार था... आसू रुक नहीं रहे थे दिमाग मे बस ये बात चल रही थी के इतने दिनों से वो उसके सामने थी फिर भी वो ये बात नहीं समझ पाया था
उसकी सास फूलने लगी थी, अक्षिता की बीमारी के बारे मे उसकी तबीयत के बारे मे सोच कर दिल मे टीस उठ रही थी, एकांश का शरीर कपकपा रहा था, मुह से शब्द नहीं निकल रहे थे और वो अचानक उठ खड़ा हुआ और सीधा अपने रूम की ओर भागा और थड़ की आवाज के साथ दरवाजा बंद कर दिया
उसके मा बाप को ये डर सताने लगा था के एकांश अपने साथ कुछ गलत ना कर ले लेकिन अमर जानता था के उसका दोस्त टूटा जरूर है लेकिन इतना कमजोर नहीं के खुद के साथ कुछ कर ले
“उसे अकेला रहने दो कुछ वक्त लगेगा अंकल” अमर ने एकांश के पिताजी से कहा
एकांश के चीखने की अवजे रूम के बाहर आ रही थी चीज़े के टूटने की आवाज भी आ रही थी, जोर जोर से दिमार पर कुछ मारने का आवाज आ रहा था लेकिन कीसी ने एकांश को अभी नहीं रोका, ये दर्द बाहर आना जरूरी था
एक एक कर मेहता फॅमिली, अमर वहा से चले गए, रोहन और स्वरा भी निकल गए थे लेकिन सब के मन मे एक डर था के कही एकांश अपने आप को चोट ना पहुचा ले... एकांश के मा बाप कुछ वक्त तक एकांश के कमरे के बाहर उसके बाहर आने का इंतजार करते रहे फिर वो भी अपने कमरे मे चले गए....
क्रमश: