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Incest घर की जवान बूरें और मोटे लंड - [ Incest - घरेलू चुदाई की कहानी ]

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पायल किस से अपनी सील तुड़वाये ?

  • पापा

    Votes: 196 70.0%
  • सोनू

    Votes: 80 28.6%
  • शादी के बाद अपने पति से

    Votes: 4 1.4%

  • Total voters
    280
  • Poll closed .

Innocent_devil

Evil by heart angel by mind 🖤
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अपडेट १४.५ :

ये सुनते हे रमेश के चेहरे पर बड़ी सी मुस्कान छा जाती है. वो एक बार अपने लंड को धोती पर से जोर से मसलता है और यहाँ-वहां देखकर किसी के ना होने की पुष्टि कर धीरे से पायल के पास जाता है.

रमेश : पायल बेटी..!! तेरा लहंगा तो सच में पीछे से ज़मीन पर लग रहा है.

पायल : हाँ पापा...तभी तो आपको बुलाया है. इस पीछे से उठा दिजियेना प्लीज....

रमेश कांपते हुए हाथों से पायल का लहंगा पीछे से उठाते हैं. लहंगा उठते ही पायल की गोरी और चौड़ी चुतड की झलक उन्हें दिख जाती है. लहंगा उठा के पायल के पीछे ही रमेश भी बैठ जाता है. गोरी गोरी चुतड उसकी आँखों के सामने है और कानो में पेशाब की सुर्र्र्रर्ररसुर्र्र्रर की आवाज़ से उसका लंड अकड़ने लगता है. वो एक हाथ से अपना लंड बाहर निकालता है और लंड पकड़े हुए हुए धीरे से निचे झुकता है. निचे झुकते ही रमेश को पायल की गोल गोल चूतड़ों के बीच घने बाल दिखाई देते है. फैली हुई चुतड और बालो के बीच पायल के गांड का छेद बेहद कसा हुआ दिख रहा है. पायल जब पेशाब करने में जोर लगाती वो उसकी गांड का छेद अन्दर की तरफ सिकुड़ जाता और फिर वापस अपने आकर में आ जाता. ये नज़ारा देख कर रमेश अपनी जुबान ओठों पर फेरने लगता है. उसका दिल करता है की अपनी मोटी जीभ उसी वक़्त पायल की गांड के उस कसे हुए छेद में पेल दे. रमेश थोडा और निचे झुकता है तो उसे पायल की बालों से घिरी बूर दिखाई देती है जिसमे से पेशाब की एक मोटी धार सुर्र्र्ररसुर्र्र की आवाज़ करती हुई ज़मीन पर गिर रही है. रमेश को पायल के बूर से निकल कर ज़मीन पर गिरती वो पेशाब की मोटी धार किसी झरने सी दिखाई देती है. उसका दिल करता है की पायल की टांगों के बीच अपना मुहँ ले जा कर वो उस झरने का पानी पी ले. तभी उसके कानो में पायल की मीठी आवाज़ आती है.

पायल : पापा...मेरा लहंगा भीग तो नहीं रहा है ना?

रमेश : (सपनो की दुनिया से बाहर आता हुआ) नहीं नहीं बिटिया रानी. तेरे पापा लहंगे को ऊपर उठा के है.

पायल : थैंक्यू पापा...आप नहीं होते तो मेरी ड्रेस ख़राब हो जाती.

रमेश : कोई बात नहीं बिटिया...(फिर उसके बहते पेशाब को देख कर) पायल...आज तो तू बहुत पेशाब कर रही है बिटिया...

पायल : अभी तो और वक़्त लगेगा पापा...जब तक मैं अच्छे से पेशाब नहीं कर लेती तब तक मैं ऐसे ही बैठी रहती हूँ.

पायल बीच बीच में अपनी चुतड पीछे से उठा देती तो रमेश को उसकी चुतड, गांड का छेद और बालों से घिरी बूर के दर्शन हो जाते. अब रमेश से रहा नहीं जाता. उसका दिल करता है की पायल को वहीँ पटक के उसकी बूर में लंड ठूँस दे लेकिन वो ऐसा नहीं करना चाहता. वो चाहता है की पायल खुद ही अपने मुहँ से कहे की "पापा ...मेरी चुदाई कर दीजिये". तभी पायल कहती है.

पायल : पापा ...वो सामने खेत देख रहे हो आप?

रमेश देखता है तो उसे कुछ दिखाई नहीं देता..

रमेश : नहीं बेटी...सामने तो कोई खेत दिखाई नहीं दे रहा...

पायल अपना लहंगा पकड़े, पीछे से चुतड उठा देती है. ज़मीन पर घुटने मोड़ के बैठे रमेश के सामने उसकी चुतड खुल के दिखने लगती है. पायल की बूर अब बालों के बीच से दिखाई देने लगी है. डबल रोटी की तरह फूली हुई बूर देख कर रमेश के होश उड़ जाते है.

पायल : ध्यान से देखिये ना पापा...खेत तो आपके सामने ही है.

रमेश समझ जाता है की वो खेत कहीं और नहीं, पायल की जांघो के बीच ही है.

रमेश : ह...हाँ ...हाँ पायल...अब दिखाई दे रहा है खेत..

पायल : कैसा लगा आपको खेत पापा?

रमेश : छोटा सा है बेटी...खेत पर तो घांस भी काफी उग आई है...

पायल : आपको खेत पर घांस पसंद है पापा?

रमेश : हाँ बेटी...बहुत पसंद है...घासं से तो खेत हरा-भरा दीखता है....

पायल : और क्या दिख रहा है पापा खेत में?

रमेश : बेटी ये खेत तो त्रिकोने आकार का है. खेत के उपरी हिस्से में घनी घासं उगी हुई है और दोनों तरफ हलकी. और बिटिया, खेत के बीच में एक लम्बी फैली हुई नहर दिख रही है जिसमे से पानी बह रहा है. खेत के ठीक निचे एक छोटा सा कुआं भी है जो लगता है बंद पड़ा है. कुएं को खोलने के लिए बड़ी मेहनत करनी पड़ेगी....

पापा के मुहँ से अपनी हे बूर और गांड के छेद की बात सुन कर पायल की बूर पानी छोड़ने लगती है.

पायल : पापा ये खेत जुताई के लिए तैयार हो गया है क्या?

रमेश : हाँ बिटिया...पूरी तरह से तैयार....तेरे पापा ने बड़े-बड़े खेत जोते है लेकिन ऐसा प्यारा खेत कभी नहीं जोता. इसकी ज़मीन भी बहुत टाइट दिखाई पड़ रही है. पापा को अपने मोटे हल से इसे जोतने में बड़ा मजा आएगा.

ये सुनकर पायल की साँसे तेज़ हो जाती है और बूर फुदकने लगती है.

पायल : बहुत जोर-जोर से जोतियेगा क्या पापा इस खेत को?

रमेश : (जोश में) हाँ बेटी....इस खेत में तो पापा अपना मोटा हल उठा-उठा के डालेंगे. घंटो इस खेत की जुताई करेंगे. जब पूरा खेत अच्छे से जुत जायेगा तो इसकी गहराई में बीज बो देंगे.

पायल : उफ़ पापा...आप बीज भी बो दोगे क्या?

रमेश : हाँ पायल...बिना बीज बोये खेत की जुताई कभी पूरी नहीं होती....

दोनों बाप-बेटी की हालत खराब हो जाती है. पायल की बूर फ़ैल गई है और रमेश के लंड ने विकराल रूप ले लिया है. तभी जेब में रखा रमेश का फ़ोन बजने लगता है. रमेश अपने लंड को छोड़ फ़ोन कपड़ों में ढूढ़ने लगता है. पायल का लहंगा उसके हाथ से छुट जाता है और वो सीधे कड़ी हो जाती है. अपना फ़ोन निकाल के रमेश कान में लगता है.

रमेश : हे..हे..हेलो ...!!

उधर से उमा की आवाज़ आती है.

उमा : कहाँ हो जी आप? दोस्तों के साथ शराब पीने तो नहीं बैठ गए?

रमेश : (हिचकिचाता हुए) अ..अ..अरे नहीं उमा. मैं तो बस....

उमा : बस-वस छोड़िये...आप पहले जल्दी आईये यहाँ...और जरा पायल को भी देखिये...पता नहीं कौनसे गोलगप्पे खा रही है...

रमेश : हाँ..हाँ..मैं देखता हूँ अभी...तुम फ़ोन रखो...

रमेश फ़ोन रखता है और पायल को देखता है. उसके चेहरे पर उदासी छाई है और चेहरा उतर गया है. रमेश भी निराशा भरी नज़रों से उसे देखता है. दोनों समझ जाते है की अब यहाँ काम नहीं बनेगा. पायल उतरा हुआ चेहरा ले कर पंडाल की तरफ जाने लगती है. पीछे-पीछे रमेश भी उमा को मन हही मन गालियाँ देता चलने लगता है.

[यहाँ पर अपडेट १४ समाप्त होता है]

(कहानी जारी है. अब तक कैसी लगी कृपया कर के बतायें )
Ye kahani shayad maine kisi aur website par bhi padhi thi kaafi waqt pehle . Un dino bhi kaafi tempting aur har ek update ek do baar hilane ke liye capable tha aur aaj bhi . Keep it up . Mujhe lag raha hai ye kahani adhoori hai
 

gya

New Member
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अपडेट २१:

सुबह के ७ बज रहे है. पायल बिस्तर में अंगडाई लेते हुए ऑंखें खोलती है. कल सोनू के साथ हुई घटना ने उसके बदन में एक अजीब सी मस्ती भर दी थी. अपने ही परिवार के दो मोटे-मोटे लंड को याद कर पायल मुस्कुरा देती है. ये मुस्कराहट लंड से ज्यादा उन रिश्तों की वजह से थी जो पायल और दोनों लंड के मालिकों के बीच था. एक बाप तो दूसरा भाई. बिस्तर से उतर कर पायल आईने के सामने खड़ी हो जाती है और अपनी स्कर्ट उठा के अपनी बालोवाली बूर को धीरे-धीरे सहलाने लगती है. बूर के गुलाबी ओंठों को अपनी दो उँगलियों से खोलते हुए पायल कहती है, "किसका पहले लेगी, बोल..? पापा का या सोनू का?". अपनी बूर से बातें करते हुए पायल को हंसी आ जाती है. दोनों हाथों को उठा के अपने बाल बनाते हुए वो धीरे से अपनी बगल को सूंघती है. अपने बगल की तेज़ गंद पर गर्व महसूस करते हुए पायल बाथरूम जाती है और फिर धीरे-धीरे रसोई की तरफ बढ़ने लगती है.

रसोई में उर्मिला हमेशा की तरह अपना काम कर रही है. पायल उर्मिला को देखती है तो पीछे से लिपट जाती है.

पायल : ह्म्म्म...!! भाभी...!!

उर्मिला : अरे पायल..!! उठा गई तू? और सुबह सुबह तू भाभी के पीठ पर अपनी भरी-भरी चुचिया क्यूँ दबा रही है?

पायल : (उर्मिला से वैसे ही लिपटे हुए) उम्म..भाभी...!! जी कर रहा है ऐसे ही आपकी पीठ पर फिर से सो जाऊ...

उर्मिला : मेरी पीठ पर क्यूँ सोएगी? जा...अपने पापा के पास जा और उनके निचे टाँगे खोल के सोजा...

पायल : (उर्मिला से लिपटे और आँखे बंद किये हुए) उम्म्म....!! मम्मी नहीं होती तो चली जाती...

उर्मिला : नहीं है तेरी मम्मी....!! भूल गई? आज शनिवार है. मंदिर गई है...सोनू के साथ.

उर्मिला की बात सुनते ही पायल की आँखे खुल जाती है. वो कूद कर भाभी के सामने पहुँच जाती है.

पायल : सच भाभी? मम्मी मंदिर गई है सोनू के साथ?

उर्मिला : तो क्या मैं झूठ बोल रही हूँ?

पायल : अरे नहीं भाभी वो बात नहीं है....मतलब अभी घर में पापा अकेले है? मेरा मतलब है की पापा, मैं और आप?

उर्मिला : हाँ मेरी लाडो...पापा, तू और मैं...बस्स....!!

पायल : बापरे भाभी....!! आज कहीं पापा जोश में आ गए तो?

उर्मिला : तो तेरी बूर अच्छे से पेली जाएगी और क्या?

पायल : धत भाभी...आप भी ना...

तभी वहां रमेश टहलते हुए पहुँच जाते है...

रमेश : अरे भाई क्या बाते हो रही है भाभी और ननद में?

उर्मिला : कुछ नहीं बाबूजी...वो मम्मी जी सोनू के साथ मंदिर गई है ना तो पायल पूछ रही थी की वो लोग कब तक घर आयेंगे...

रमेश पायल के पास जाते है. पायल उसके बड़े-बड़े दूध पर नज़र डालते हुए पाया से बालों में हाथ घुमाते हुए कहते है.

रमेश : १:३० - २ घंटे तो लगेगे ही बेटी. मंदिर भी दूर है और तेरी मम्मी आज भजन-कीर्तन में भी भाग लेती है. तुझे तो कही नहीं जाना है ना आज?

पायल : (शर्माते हुए) नहीं पापा...मैं तो घर पर ही हूँ....

पायल को देख कर रमेश मुस्कुरा देते है. फिर उर्मिला को देख कर धीरे से इशारा करते हुए कहते है.

रमेश : अरे बहु....जरा छत से मेरा टॉवेल ले आना तो. अब लगे हाथ नहा भी लूँगा.

उर्मिला : जी बाबूजी....

उर्मिला मुस्कुराते हुए छत की सीढ़ियों की तरफ बढ़ जाती है. उसके जाते ही बाबूजी पायल की चूतड़ों को दबोच के उसे अपने बदन से चिपका लेते है.

रमेश : आह... मेरी गुडिया रानी...अब कहाँ जाएगी अपने पापा से बच के...

पायल : (हँसते हुए) उम्म्म...!! पापा...छोड़िये ना....

रमेश : (धोती पर से अपना लंड पायल की पैन्टी पर दबाते हुए) ऐसी जवान बेटी को कौनसा बाप छोड़ता है पायल...बोल ना? देगी अपनी बूर पापा को?

पायल : (शर्माते हुए) आप बड़े गंदे हो पापा....

रमेश : इसमें गन्दा क्या है बेटी? बेटी अपने पापा से बूर नहीं खुलवाएगी तो फिर शादी के बाद पहली ही रात में पति का कैसे लेगी? बोल ?

पायल : (शर्माते हुए) आपका बहुत मोटा है पापा. आप मेरी बूर खोलोगे थोड़ी ना...आप तो मेरी बूर पूरी फैला दोगे.....

पायल की बात सुन के रमेश पायल के दोनों चुचियों को दबोच लेते है.

रमेश : पापा अपनी बिटिया रानी को पटक-पटक के चोदेंगे तो बूर तो फैलेगी ही ना....बोल ना पायल...चुदवायेगी ना अपने पापा से?

पायल नखरे करते हुए पापा से दूर हो जाती है और सामने खड़े हो कर एक ऊँगली दाँतों के बीच दबाते हुए कहती है.

पायल : नहीं पापा...आपको मेरी बूर नहीं मिलेगी....

पायल की बात सुन कर रमेश धोती से अपना लंड बाहर निकाल लेते है और उसकी चमड़ी पूरी पीछे खींच कर मोटा टोपा पायल को दिखाते हुए कहते है.

रमेश : देख पायल....कैसे तड़प रहा है पापा का अपनी बेटी की बूर के लिए...देगी ना अपने पापा को?

पायल रमेश के लंड को आँखे फाड़-फाड़ के देखने लगती है. उसके ओंठ अपने आप ही दांतों के निचे आ जाते है. फिर पापा को देख कर वो मुस्कुराते हुए मस्ती में कहती है.

पायल : नहीं दूंगी...नहीं दूंगी...नहीं दूंगी.....!!!

तभी उर्मिला अपनी चौड़ी चुतड मटकाते हुए वहां पहुँच जाती है. रमेश के पीछे खड़ी हो कर वो कहती है.

उर्मिला : क्या नहीं देगी मेरी ननद रानी?

रमेश उर्मिला को मुड़ के देखते है. रमेश के चेहरे पर वैसे ही भाव है जैसे किसी भिखारी के चेहरे पर भीख मांगते वक़्त होते है.

रमेश : देखो ना बहु...कैसे जिद कर रही है. मैं यहाँ अपना लंड खड़ा किये हूँ और ये बोल रही है की बूर नहीं दूंगी...

उर्मिला चलते हुए बाबूजी के पास आती है. ११ इंच का मोटा लंड देख कर उर्मिला के मुहँ और बूर, दोनों में पानी आ जाता है. वो पायल के पास जाती है और उसके सर पर प्यार से हाथ फेरने लगती है.

उर्मिला : क्यूँ रे पायल? अपने पापा को कोई बेटी ऐसे परेशान करती है क्या?

पायल : क्या करूँ भाभी? इतना मोटा लंड है पापा का...मेरी बूर पूरी फ़ैल गई तो?

उर्मिला : धत पगली..!! बूर क्या सिर्फ पेशाब करने के लिए होती है? बूर का तो काम ही है मोटे-मोटे लंड लेना और फ़ैल जाना....और बेटियां सबसे पहला लंड अपने पापा का ही तो लेती है. ठीक कहा ना बाबूजी?

रमेश : हाँ..हाँ.. बहु...बिलकुल ठीक कहा तुमने. बाप जिस लंड से बेटी को पैदा करता है, बड़ी हो कर वो बेटी उसी लंड से तो अपनी बूर खुलवाती है....

उर्मिला : और नहीं तो क्या? और इसे देखो...कैसे नखरे कर रही है. आप नहाने जाइये बाबूजी...इसे मैं समझाती हूँ....

बाबूजी टॉवेल ले कर धीरे-धीरे बाथरूम में चले जाते है. बाबूजी के जाते ही उर्मिला हँसते हुए पायल से कहती है.

उर्मिला : क्यूँ री? इतने नखरे क्यूँ कर रही थी?

पायल : (हँसते हुए) भाभी आपको पापा का चेहरा देखना था...जब मैंने मना किया तो कितना छोटा सा हो गया था....

उर्मिला : हाँ ...तुने छोटा मुहँ तो देख लिया लेकिन उनका बड़ा लंड नहीं देखा क्या? अगर मैं ना आती तो बाबूजी तुझे पटक के तेरी बूर फाड़ ही देते....अभी दांत दिखा के जो हँस रही है ना फिर रोती फिरती सारे घर में अपनी फटी बूर ले कर ....

पायल : सच भाभी? बहुत दर्द होता है क्या?

उर्मिला : हाँ पायल...पहली बार तो होता ही है. और बाबूजी का तो बहुत लम्बा और मोटा है. दर्द तो होगा. १-२ बार ले लेगी ना फिर देख कैसे मजा आता है. फिर तो मेरी पायल रानी उच्छल-उच्छल के पापा का लंड अपनी बूर में लेगी.

पायल : (खुश हो कर) सच भाभी?

उर्मिला : हाँ मेरी बन्नो...!! अच्छा अब सुन. मेरे पास कुछ शोर्ट बिना बाहं की नाईटी है जो मैंने अपने हनीमून के वक़्त खरीदी थी. बाबूजी नाहा के आयेंगे तो तू उसे पहन के बाबूजी के पास चली जाना...

पायल : मैं अकेले नहीं जाउंगी भाभी...आप भी साथ चलियेगा ना....

उर्मिला : अरे पागल...बूर तुझे खुलवानी है, मुझे नहीं....

पायल : भाभी प्लीज...आप ही तो कहती थी ना की बाबूजी आपकी भी लेना चाहते है. और आप भी तो इतने दिनों से लंड के लिए तरस रही हो ना? प्लीज भाभी...आप भी चलिए ना...

उर्मिला : अच्छा बाबा ठीक है. हम दोनों चलेंगे...अब ठीक?

पायल : (खुश होते हुए) हाँ भाभी....

उर्मिला : अच्छा अब चल...मैं वो शोर्ट नाईटी निकाल लूँ हम दोनों के लिए...

पायल : हाँ भाभी....

उर्मिला पायल के साथ अपने कमरे में चली जाती है और शोर्ट नाईटी के इंतज़ाम में लग जाती है. इधर बाबूजी कुछ देर बाद नाहा के निकलते है. सिर्फ टॉवेल कमर पर लपेटे हुए बाबूजी रसोई में नज़र डालते है तो वहां कोई नहीं है. वो धेरे धीरे अपने कमरे में चले जाते है. कमरे में बैठ कर वो कुछ सोचते है फिर पायल को आवाज़ लगते है.

रमेश : पायल...!! पायल बेटी..!!

तभी दरवाज़े पर पायल नज़रे झुकाए खड़ी हो जाती है. पायल ने बिना बाहं वाली एक लाल रंग की शोर्ट नाईटी पहनी हुई है जो पारदर्शी है. देखने मैं साफ़ पता चल रहा है की पायल ने अन्दर ब्रा नहीं पहनी है. रमेश पायल को आँखे फाड़े ऊपर से निचे देखने लगते है. पारदर्शी नाईटी में उठे हुए गोल गोल दूध जिसपर हलके से निप्प्लेस भी प्रतीत हो रहे है. पायल के शरीर की वो रेत घड़ी (hourglass) सी बनावट उस पारदर्शी नाईटी में साफ़ दिखाई पड़ रही थी. नाईटी जांघो तक थी और पायल की जांघो के बीच का हिस्सा अन्दर था. लेकिन नाईटी के पारदर्शी होने की वजह से पायल की जांघो के बीच घने बाल नाईटी में बाहर से भी प्रतीत हो रहे थे. पायल का वो संगेमरमर सा बदन और वो रूप देख कर रमेश के टॉवेल में बड़ा सा उभार आ जाता है.

तभी पायल के कन्धों पर हाथ रखे, उर्मिला उसे धीरे धीरे अन्दर लाने लगती है. रमेश की नज़र उर्मिला पर पड़ती है तो उर्मिला ने भी वैसी ही नाईटी पहनी हुई थी. उर्मिला के भी बड़ेबड़े दूध और निप्प्लेस पारदर्शी नाईटी से साफ़ दिखाई दे रहे थे. जांघो के बीच घने बाल भी प्रतीत हो रहे थे. दोनों को इस हाल में देख रमेश के होश उड़ जाते है.

उर्मिला : लीजिये बाबूजी...आ गई आपकी लाड़ली बेटी....

उर्मिला पायल को बाबूजी के सामने खड़ा कर देती है. पायल अब भी नज़रे झुकाए खड़ी है और धीरे-धीरे मुस्कुरा रही है. रमेश भी पायल को मुस्कुरा कर देखते है फिर अपने हाथ से उसकी ठोड़ी पकड़ के ऊपर करते हुए कहते है.

रमेश : इधर देख बेटी....(पायल पापा की आँखों में देखती है)....बहुत खूबसूरत लग रही है मेरी पायल इस कपडे में.

पायल एक बार पापा की आँखों में देखती है फिर ओठों को दाँतों टेल दबाते हुए नज़रे झुका लेती है. उर्मिला रमेश से कहती है.

उर्मिला : बाबूजी ये आपके सामने इतना शर्मा रही है. अभी कुछ देर पहले मुझ से कह रही थी की आज पापा को पूरा मजा दूंगी...

उर्मिला की बात सुन के पायल बड़ी-बड़ी आँखों से भाभी को देखते हुए कहती है....

पायल : धत भाभी...चुप रहिये ना....!!

रमेश : (मुस्कुराते हुए) सच पायल? जरा बता तो...कैसे मजा देगी पापा को...

पायल फिर से शर्मा जाती है. उर्मिला उसके पास आती है और कहती है.

उर्मिला : अब भी शर्मा रही है. मम्मी के आने तक शर्माती ही रहेगी क्या?. (फिर रमेश को देखते हुए) बाबूजी आप अपना लंड दिखाइए तो इसे. तभी इसकी शर्म दूर होगी...

रमेश अपना टॉवेल आगे से खोल देते है तो उनका ११ इंच का लम्बा मोटा लंड पायल के सामने लहराने लगता है. पायल की नज़र पापा के लंड पर पड़ती है तो उसके बदन में मस्ती चड़ने लगती है. वो एक बार पापा को देखती है और फिर उर्मिला को. उर्मिला उसे आँख मार देती है. पायल पापा को देखती है और पापा की नजरो से नज़रे मिलाते हुए एक जोर का झटका दे कर अपने बड़े-बड़े दूध उच्छाल देती है. रमेश की आँखों के सामने पायल के दूध उच्छल जाते है. अपनी बेटी के उच्छालते दूध को देख कर रमेश का लंड भी एक झटका मार देता है. पायल ३-४ बार ऐसे ही झटके दे कर अपने दूध उच्छल देती है और हर बार रमेश का लंड भी झटके खता है. फिर पायल उर्मिला को देखती है तो उर्मिला आँखों के इशारे से उसे बेशर्मी दिखाने कहती है. पायल फिर से पापा को देखते हुए अपनी नाईटी ऊपर से खोल कर कमर तक उतार देती है. उसके बड़े-बड़े नंगे दूध पापा के सामने खुले हुए है. पायल पापा को देखते हुए फिर से झटके देते हुए ३-४ बार अपने दूध उच्छाल देती है. रमेश से अब रहा नहीं जा रहा है. वो पायल से कहता है.

रमेश : पायल बेटी...इधर आ...बैठ अपने पापा की गोद में...

पायल धीरे-धीरे पापा के पास जाती है. पापा का ११ इंच का लंड खड़े हो कर हिचकोले ले रहा है. पायल पापा के पास जा कर, पीठ उनके तरफ करते हुए, अपनी चौड़ी चूतड़ों को पापा की गोद में रखने जाती है तभी उर्मिला झट से आ कर पीछे से पायल की नाईटी ऊपर कर देती है.

उर्मिला : (पीछे से पायल की नाईटी ऊपर करते हुए) अरे अरे पायल....!! नाईटी निचे कर के बैठेगी अपने पापा की गोद में? बेटी अपने पापा की गोद में हमेशा कपडे उठा कर बैठती है....

पायल उर्मिला को देख कर मुस्कुराते हुए अपनी भरी हुई चुतड पापा की गोद में जैसे ही रखती है, पापा का मोटा लंड उसके गांड के छेद पर टकरा कर फिसलता हुए बूर पर आता है और बूर से फिसलता हुआ पायल के नंगे पेट पर रगड़ता हुआ आगे से उसकी नाईटी उठा देता है. उर्मिला झुक कर देखती है तो बाबूजी का मोटा लंड पायल की बूर पर चिपका हुआ है और लंड का टोपा नाईटी को अपने सर पर लिए उसकी नाभि के पास खड़ा है. पायल की बालोवाली बूर के ओंठ फैलकर पापा के मोटे लंड पर चिपके हुए है. रमेश एक बार धीरे से अपनी कमर ऊपर निचे करते है तो लंड पायल के बूर के दाने पर रगड़ खा जाता है. पायल के मुहँ से सिस्कारियां निकलने लगती है.

पायल : सीईईईईईईईई.....!! पापा......!!!

पायल की सिसकारी सुनते ही रमेश अपने दोनों हाथो से पायल के दोनों दूध दबोच लेते है और मसलने लगते है. पायल मस्ती में अपना सर पीछे कर के पापा के कन्धों पर रख लेती है और आँखे बंद किये सिस्कारिया लेने लगती है. रमेश भी धीरे-धीरे अपना लंड पायल के बूर के दाने पर रगड़ने लगते है. रमेश को अपनी बेटी के बूर पर लंड रगड़ते हुए देख उर्मिला भी एक हाथ से अपनी बूर रगड़ने लगती है.

उर्मिला : बाबूजी...बहुत गरम है आपकी बेटी. इसके बदन में बहुत गर्मी है....

रमेश : हाँ बहु...बहुत गर्मी है इसके बदन में... इसकी गर्मी तो आज...(जोर से दूध मसल देते है और लंड बूर के दाने पर रगड़ देते है)...इसके पापा उतरेंगे.....

पायल : सीईईईईइ....पापा...!!!

रमेश : (दूध मसलते हुए अपने लंड को जोर से पायल की बूर पर रगड़ देते है) पापा...पापा....हाँ...?? जब घर में पापा के सामने बड़े-बड़े दूध उठा कर घुमती थी, तब पापा की याद नहीं आई? आज जब नंगी हो कर पापा के लंड पर बैठी है तो पापा की याद आ रही है? ...क्यूँ पायल? ...बोल?

पायल : (आँखें बंद और तेज़ साँसे लेते हुए) आह...!! पापा...!! आपके मोटे लंड पर नंगी हो कर बैठना चाहती थी, तभी तो आपके सामने बड़े-बड़े दूध लिए घुमती थी....आह...!!

रमेश : हाय मेरी बिटिया रानी..!! इतना तड़पती थी अपने पापा के लंड के लिए....उफ्फ्फ....!!!

क्रमश :

(अब और लिखना मुश्किल हो रहा है. आगे का भाग जल्दी के लिख कर पोस्ट कर दूंगी)

(कहानी जारी है. अब तक कैसी लगी कृपया कर के बतायें )
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R.kumar

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Itni mast chut Ko chhodkar Kisi Aur ki Kalpana kaise kar sakte hain
 

Rudra chawla

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भाई कहानी में gif और xxx फोटो लगाओ कहानी के हिसाब से कहानी अच्छी लगेगी
 

Satyaultime123

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अपडेट २५:

सोनू सोफे पर लेटे हुए अपने फ़ोन में नज़रे गड़ाये हुए है. सामने उमा चिंतित अवस्था में टहले जा रही है. रात के १०:३० हो चुके हैं और रमेश, पायल और उर्मिला का कोई अता-पता नहीं था. बार-बार घड़ी पर नज़र डालते हुए उमा दरवाज़े से बाहर गेट पर भी नज़र रखे हुए थी.

उमा : लल्ला...एक बार फिर से फ़ोन लगा कर देख.

सोनू : १० बार लगा चूका हूँ मम्मी...सबका फ़ोन नेटवर्क से बाहर बता रहा था. पता नहीं कहाँ हैं सब.

उमा : वो लोग जरुर जंगल के पास से गुज़र रहे होंगे. वहां तो बिलकुल भी नेटवर्क नहीं होता है. लल्ला...एक बार फिर से लगा के तो देख. हो सकता है उनकी गाड़ी अब जंगल से पार आ गई हो?

सोनू : ठीक है मम्मी.....

सोनू उर्मिला भाभी को फ़ोन लगता है और रिंग जाने लगती है.

सोनू : (उत्साह में) लग गया मम्मी.....हेलो...!!

उर्मिला : (दुसरे छोर से) हाँ हेलो...!!

सोनू : भाभी कहाँ हो आप लोग? कब से आप सब का फ़ोन लगा रहा हूँ, लग ही नहीं रहा था.

उर्मिला : अरे सोनू...हमारी गाड़ी खराब हो गई है. बड़ी मुश्किल से ऑटोरिक्शा मिला है. रास्ते में ही है.

सोनू : क्या? गाड़ी ख़राब हो गई? कब ? कैसे?

उर्मिला : बाप रे...!! एक साथ इतने सवाल? आ कर अराम से सब बताउंगी. मम्मी जी को बोल दे की चिंता न करें. हम लोग ४०-४५ मिनट में पहुँच जायेंगे. ठीक है?

सोनू : ठीक है भाभी...आप लोग जल्दी आईये....रखता हूँ...

सोनू के फ़ोन रखते ही उमा बोल पड़ती है.

उमा : क्या बोल रहा था तू? गाड़ी खराब हो गई? कैसे हो गई? कहाँ है वो सब?

सोनू : अरे मम्मी... भाभी ने कहा है की चिंता मत करिए सब ठीक है. गाड़ी ख़राब हो गई थी तो वो सब ऑटोरिक्शा में आ रहे है. घर आकर सब पता चल जायेगा. सब ठीक है. चिंता की कोई बात नहीं है.

उमा : (आँखें बंद कर सीने पर हाथ रखते हुए) हे भगवान...!! तेरा लाख-लाख शुकर है. मैं तो डर ही गई थी.

सोनू : आप तो ऐसे ही डर रही थी मम्मी.

सोनू फिर से सोफे पर लेटे हुए अपने फ़ोन में लग जाता है. उर्मिला जो अब तक डरी हुई थी, सब के ठीक होने की खबर से बहुत खुश है. कहते है की जब इंसान खुश होता है तो वो उसे अपने पसंद का काम करने में बड़ा मजा आता है. उमा की ज़िन्दगी में वैसे तो बहुत ही कम ऐसे काम थे जो उसे करने में मजा आता था. लेकिन कुछ दिनों से उसे एक काम में मजा आने लगा था. अभी वो खुश थी और ख़ुशी में अपने बेटे सोनू को निहार रही थी. उमा के बदन में अजीब से सिरहन हो रही थी. वो कुछ देर वैसे ही सोनू को देखती है फिर अपनी कमर पर हाथ रखते हुए कहती है.

उमा : हाय राम...!!

सोनू : (उमा की तरफ देखते हुए) क्या हुआ मम्मी?

उमा : कुछ नहीं रे... वही दिन वाला कमर का दर्द. कमबख्त जा ही नहीं रहा है. तेरी मालिश से थोड़ा अराम भी मिला था और नींद भी अच्छी आ गई थी.

सोनू : (कुछ सोच कर) मम्मी आप कहो तो मैं फिर से मालिश कर दूँ आपके कमर की?

सोनू की बात सुन कर उमा के चेहरे पर हलकी सी मुस्कान आ जाती है. फिर अपनी भावनाओं पर काबू पाते हुए वो जवाब देती है.

उमा : अब क्या मालिश करवाऊ तुझसे. कुछ ही देर में तो सब आ ही जायेंगे. रहने दे...

सोनू : मम्मी उन्हें तो अभी आने में और ४०-४५ मिनट लगेंगे....

सोनू की बात सुन कर उमा के दिल में ख़ुशी की लहर दौड़ जाती है. लेकिन वो आस्वस्थ हो जाना चाहती है की सोनू जो कह रहा है वो सही है. वो सोनू से पूछती है.

उमा : ४०-४५ मिनट ? ये किसने कह दिया तुझे?

सोनू : भाभी कह रही थी मम्मी की उन्हें ४०-४५ मिनट और लगेंगे. तब तक तो मैं आपकी मालिश कर ही दूंगा ना?

उमा के चेहरे पर अब मुस्कान आ जाती है. वो ख़ुशी के साथ सोनू को देखती है. धीरे से अपने कमरे की तरफ मुड़ कर जाते हुए सोनू से कहती है.

उमा : ठीक है लल्ला..कर दे मेरी मालिश. मैं कमरे में जा रही हूँ, तू रसोई से सरसों का तेल एक कटोरी में ले कर आ जा.

उमा के कमरे में जाते ही सोनू उच्छल के सोफे से निचे उतरता है और रसोई में जा कर सरसों का तेल एक छोटी सी कटोरी में डाल लेता है. कटोरी हाथ में लिए वो मम्मी के कमरे के दरवाज़े पर जाता है तो उमा बिस्तर पर उल्टा लेटी हुई है. बदन पर पेटीकोट और ब्लाउज है. उमा की बड़ी और चौड़ी चुतड उठी हुई दिख रही है. सोनू कुछ क्षण वैसे ही अपनी मम्मी की चुतड को निहारता है फिर धीरे से अन्दर चला जाता है.

सोनू : मम्मी मैं तेल ले कर आ गया.

उमा : हुम्म...!! कटोरी मेरे सिरहाने के पास टेबल पर रख दे और बिस्तर पर आ जा.

सोनू कटोरी मम्मी के सिरहाने के पास रखे टेबल पर रख देता है और बिस्तर पर चढ़ कर मम्मी के पास बैठ जाता है. अपनी ३ उँगलियाँ तेल में डुबो कर वो मम्मी की कमर पर रख देता है और धीरे से तेल लगाने लगता है.

सोनू : कैसा लग रहा है मम्मी?

उमा : उम्म..!! अच्छा लग रहा है बेटा. पर ध्यान से तेल लगाना. मेरे पेटीकोट में तेल मत लगा देना नहीं तो मैं धोते-धोते परेशान हो जाउंगी.

सोनू : पर मम्मी आपकी पेटीकोट में तेल तो लग ही जायेगा. आपने इतनी ऊपर जो पहन रखी है.

उमा : अच्छा..?? हुम्म..!! तो एक काम कर लल्ला. मेरी पेटीकोट का नाड़ा ढीला कर और पेटीकोट थोड़ी निचे कर दे.

ये कह कर उमा थोड़ी से एक तरफ घूम जाती है. उसके पेट के एक तरफ पेटीकोट का नाड़ा दिखने लगता है. सोनू झट से उमा के पेटीकोट के नाड़े को खोलने लगता है. जल्दबाजी में नाड़े में गाँठ पड़ जाती है.

सोनू : ओह मम्मी....नाड़े में तो गाँठ पड़ गई.

उमा सर निचे कर नाड़े पर पड़ी गाँठ को देखती है और फिर सोनू की तरफ देख कर मुस्कुराते हुए कहती है.

उमा : क्या लल्ला..?? अपनी माँ का पेटीकोट भी ठीक से नहीं उतार सकता ? अब गाँठ खोलने में वक़्त ज़ाया मत कर. टेबल पर कैंची रखी है, ला और नाड़ा काट दे.

सोनू झट से उठ कर टेबल पर रखी कैंची उठता है और उमा के पास बैठ कर पेटीकोट का नाड़ा काट देता है. कैंची टेबल पर रख कर वो फिर से मम्मी के पास बैठ जाता है. उमा फिर से पेट के बल लेट जाती है. दूसरी तरफ अपना मुहँ किये हुए वो सोनू से कहती है.

उमा : अब तू देख ले पेटीकोट कितनी निचे करनी है. अपने हिसाब से जितनी निचे करनी है कर ले, बस तेल मत लगने देना.

उमा की बात सुन कर सोनू के चेहरे पर ख़ुशी की लहर दौड़ जाती है. अब तो मम्मी ने भी कह दिया है की पेटीकोट जितनी निचे करनी है कर लो. वो अपने हाथ पेटीकोट के दोनों तरफ रखता है और धीरे-धीरे उसे निचे करने लगता है. सोनू को पेटीकोट निचे करता देख उमा भी अपनी कमर थोड़ी ऊपर कर देती है ताकि सोनू को पेटीकोट निचे करने में कोई तकलीफ न हो. धीरे-धीरे पेटीकोट पहले कमर से निचे आती है, फिर चूतड़ों के ऊपर और फिर चूतड़ों से थोड़ी निचे. सोनू देखता है तो उसे उमा के चूतड़ों की हलकी सी झलक दिख रही है. थोड़ी सी दिख रही चूतड़ों के बीच एक गहरी लकीर पेटीकोट के अन्दर जा रही है. अपनी मम्मी की चूतड़ों के बीच की गहराई की झलक पाते ही सोनू का लंड शॉर्ट्स में उच्छलने लगता है. मम्मी की चूतड़ों को देखते हुए सोनू एक बार जोर से अपना लंड दबा देता है. तभी उमा बोल पड़ती है.

उमा : अब लगा भी दे मम्मी को तेल....

उमा की बात सुन कर सोनू फिर से अपनी ३ उँगलियाँ तेल में डुबोता है और उमा की कमर पर लगाने लगता है. अपने हाथों को धीरे-धीरे उमा की कमर पर फेरता हुआ सोनू बीच-बीच में चूतड़ों की गहराई पर भी फेर देता है. चूतड़ों की गहराई को देख कर सोनू का दिल करता है की एक ऊँगली गहराई में डाल कर पेटीकोट के अन्दर तक घुसा दे, पर उसके अन्दर का डर उसे इस बात की इज़ाज़त नहीं दे रहा था. कुछ देर वैसे ही मालिश करने के बार उसे उमा की आवाज़ सुनाई देती है.

उमा : ठीक से नहीं कर रहा है लल्ला. मेरी कमर के एक तरफ बैठ के करेगा तो ठीक से कैसे कर पायेगा. चल उठ वहां से और मेरी टांगो के बीच आ कर बैठ.

ये कहते ही उमा अपनी टाँगे उल्टा लेटे हुए थोड़ी फैला देती है और पेटीकोट खींच कर जांघो तक चढ़ा लेती है. सोनू झट से उठ कर उमा की टांगो के बीच बैठ जाता है. सामने मम्मी की मोटी-मोटी मांसल जांघे और ऊपर उभरी हुई बड़ी चुतड देख कर सोनू का लंड शॉर्ट्स में झटके मारने लगता है. वो एक बार निचे झुक कर टांगो के बीच देखता है तो पेटीकोट की वजह से अँधेरा सा दिखाई पड़ता है. वो वैसे ही बैठे हुए आगे झुक कर तेल की कटोरी तक पहुँचने की कोशिश करता है पर उसका हाथ वहां तक नहीं पहुँच पाता है. निचे लेटी उमा समझ जाती है की सोनू को क्या दिक्कत हो रही है.

उमा : क्या हुआ लल्ला?

सोनू : मम्मी यहाँ से मेरा हाथ कटोरी तक नहीं पहुँच रहा है. रुकिए ...मैं कटोरी बिस्तर पर ही रख लेता हूँ...

उमा : चुप कर...वहीँ रहने दे कटोरी. बिस्तर पर रखेगा और सारा तेल गिरा देगा. थोडा सामने झुक कर नहीं ले सकता क्या तेल?

सोनू : झुका तो हूँ मम्मी पर फिर भी हाथ नहीं पहुँच रहा है.

उमा : तो और झुक जा न लल्ला...किसने रोका है तुझे?

सोनू : और ज्यादा झुक गया तो मैं आप पर लेट ही जाऊंगा मम्मी....

उमा : तो क्या हुआ? बेटा अपनी माँ पर लेट जायेगा तो कौनसा पहाड़ टूट पड़ेगा? और मैं इतनी भी कमजोर नहीं हूँ की अपने लल्ला का वजन भी ना सह सकूँ. एक काम कर तू घुटनों पर बैठ जा और जब तेल लेना हो तो आगे झुक कर अराम से ले लेना. एक हाथ बिस्तर पर रख के सहारा ले लेना और थोडा सहारा मेरे बदन का, हो गया तेरा काम.

उमा की बात सुन कर सोनू गले में अटका हुआ थूक किसी तरह से गुटकता है.

सोनू : ठी..ठीक है मम्मी....

सोनू उमा के पैरों के बीच घुटनों पर बैठ जाता है. फिर वो आगे झुकने लगता है. अपना एक हाथ बिस्तर पर रख के सहारा लेता है फिर थोडा और आगे झुकता है. सोनू के शॉर्ट्स में लंड का उभार उमा के चूतड़ों के बीच धीरे-धीरे दबने लगता है. उमा अपनी आँखे बंद किये हुए है जैसे इस बात से वो पूरी तरह से अनजान है. सोनू आगे झुक कर ऊँगली तेल में डुबोता है और फिर से घुटनों पर बैठ के उमा की कमर और दिख रही चूतड़ों पर तेल लगाने लगता है. उसके हाथ फिसलते हुए कमर और चूतड़ों पर तेल लागने लगते है. सोनू अपनी ऊँगली को चूतड़ों की दिख रही गहराई के ऊपर रख कर १-२ तेल की बूंदे गिरा देता है जो धीरे-धीरे फिसलते हुए चूतड़ों की गहराई में जाने लगती है. कुछ वक़्त वैसे ही कमर और चूतड़ों की मालिश करने के बाद सोनू फिर एक बार आगे झुकता है. एक हाथ बिस्तर पर रख कर वो अपने शॉर्ट्स में बने उभार को मम्मी के चूतड़ों पर दबा देता है. झुके हुए वो मम्मी के चेहरे को ध्यान से देखता है. उमा की आँखे बंद है और वो सो रही है. सोनू धीरे से अपना सर निचे कर मम्मी के कान के पास ले जाता है और कहता है.

सोनू : मम्मी...!! मम्मी ...!! सो गई क्या?

उमा की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिलने पर सोनू धीरे से अपनी कमर का दबाव उमा की चूतड़ों पर बढ़ा देता है और फिर से कहता है.

सोनू : मम्मी..!! सो रही हो क्या?

इस बार भी उमा के चेहरे पर कोई भाव दिखाई नहीं पड़ते है. उसकी आँखे बंद है. इस बात से सोनू की हिम्मत और बढ़ जाती है. अब उसक ध्यान तेल की कटोरी पर नहीं बल्कि अपनी माँ की चूतड़ों पर था. वो धीरे से पीछे होता है और फिर से घुटनों पर बैठ जाता है. उसके हाथ धीरे से उमा के पेटीकोट की तरफ बढ़ते है और पेटीकोट को दोनों तरफ से पकड़ लेते है. धीरे-धीरे उमा की चूतड़ों पर से पेटीकोट निचे खिसकने लगती है और एक जगह आ कर रुक जाती है. उमा के उल्टा लेतटे होने से पेटीकोट उसके अगले हिस्से के निचे दबी हुई है. सोनू कोई उपाए सोच ही रहा था की उमा की चुतड अपने आप ही हलकी सी ऊपर उठ जाती है. सोनू को यकीन नहीं हो रहा था जो उसके आँखों के सामने अभी-अभी हुआ था. वो कुछ क्षण वैसे ही अपनी मम्मी की उठी हुई चूतड़ों को देखता है फिर धीरे से पेटीकोट को निचे करता चला जाता है. पेटीकोट निचे होते हुए उमा की जांघो और घुटनों के बीच आ जाती है. अब उमा की उठी हुई चुतड भी धीरे से निचे हो जाती है. सोनू आगे हो कर उमा के चेहरे को गौर से देखता है तो उसकी आँखे अब भी बंद ही है. वो एक बार फिर से कहता है.

सोनू : मम्मी ...!! सो रही हो क्या?

इस बार भी उमा की तरफ से कोई जवाब नहीं आता है. अब सोनू समझ जाता है की उसका रास्ता एक दम साफ़ है. उसका डर तो मानो किसी पिंजरे से आजाद हुई चिड़ियाँ की भाँती उड़न-छु हो जाता है. अपनी माँ की नंगी चूतड़ों को निहारते हुए सोनू अपनी शॉर्ट्स को निचे कर घुटनों तक ले आता है. उसका ९ इंच लम्बा और २.५ इंच मोटा लंड अपनी मम्मी की नंगी चुतड देख कर हुंकार भरता है. आगे झुक कर, बिस्तर पर दोनों हाथो का सहारा लेते हुए सोनू अपने मोटे लंड को मम्मी की तेल से भरी चूतड़ों के बीच धीरे से रखता है. कमर का हल्का सा दबाव पड़ते ही सोनू का लंड फिसल कर उमा की कमर पर चला जाता है. सोनू अपने लंड को एक हाथ से पकड़ कर फिर से उमा की चूतड़ों के बीच रखता है और कमर का हल्का सा दबाव देता है. इस बार लंड चूतड़ों के बीच से फिसलता हुआ उमा की फैली हुई बुर पर रगड़ खाते हुए बिस्तर से जा टकराता है. बूर पर लंड के रगड़ खाने से उमा की बूर में हलकी सी हरकत होती है. ऊपर उमा भी अपने ओठों को दातों तले दबा देती है जिसे सोनू देख लेता है. तेज़ धडकनों के साथ सोनू बिना हिले उमा से कहता है.

सोनू : मम्मी...!! आप उठ गई क्या?

उमा वैसे ही बिना कुछ कहे आँखे बंद किये लेटी हुई है. सोनू की हिम्मत और भी बढ़ जाती है. वो इस बार अपने लंड को एक हाथ से पकड़ कर उमा की चूतड़ों के ठीक बीच में रखता है और धीरे-धीरे चूतड़ों की गहराई में फिसलाने लगता है. लंड फिसलते हुए एक जगह पर आ कर रुक सा जाता है. सोनू को समझने में देर नहीं लगती है की उसका लंड जिस जगह पर रुका है वो कुछ और नहीं बल्कि उसकी माँ की गांड का छेद है. अपना लंड हाथ में पकडे सोनू धीरे से लंड पर दबाव बढाता है तो लंड का मोटा टोपा फिसलता हुआ उमा की गांड के छेद में घुस जाता है. उमा के मुहँ से एक हलकी "इस्स..!!" की आवाज़ आती है जिसे सुन कर सोनू रुक जाता है. वो बड़े ही ध्यान से मम्मी के चेहरे को देखने लगता है. कुछ देर वैसे ही चेहरे को देखते हुए सोनू को निचे कुछ हरकत महसूस होती है. वो निचे देखता है तो मम्मी की चुतड ऊपर उठ रही है और गांड का छेद सोनू के लंड को जकड रहा है. वो आँखे फाडे ये नज़ारा देखने लगता है. उमा की चुतड सोनू के लंड को जकड़े हुए फिर से निचे होती है और दोबारा ऊपर हो कर फिर निचे हो जाती है. ऐसे हे ४-५ बार ऊपर निचे होने के बाद उमा की चुतड निचे जा कर रुक जाती है. सोनू अब अपने आप को रोक नहीं पाता है. उमा पर लेट कर सोनू अपने दोनों हाथों को उमा की बगलों के निचे डालकर ऊपर की तरफ उसके कंधो को जकड लेता है. उसकी कमर ऊपर उठती है और एक जोर की ठाप उमा की चूतड़ों पर दे मारता है. सोनू का लंड उमा की गांड के गहराई में समां जाता है. ठाप इतनी जोर की थी की उमा के मुह से "आह...!!" निकल जाती है. अपनी मम्मी के दर्द की परवाह न करते हुए सोनू अपनी कमर उठा-उठा के उमा की चूतड़ों पर पटकने लगता है. हर ठाप पर उमा के मुहँ से "आह...!!" और सोनू के मुहँ से "ओह मम्मी..!!" निकलने लगता है. सोनू पूरे जोश में उमा की चूतड़ों पर अपने मोटे लंड का प्रहार किये जा रहा था. सारा कमरा उमा की "आह..!!", सोनू की "ओह मम्मी...!!" और "ठप्प-ठप्प" की आवाजों से गूंजने लगा था. सोनू पूरे जोश में था. मम्मी के जिस छेद को वो कई बार छुप कर बाथरूम में देख चूका था, आज उसी छेद में वो अपना लंड ठूँस रहा था. अब उसे मम्मी की आँखे खुलने का भी डर नहीं था. वो इस पल को पूरी तरह से भोग लेना चाहता था.

मम्मी की गांड में लंड पलते हुए सोनू अपने एक हाथ को उमा के कंधे से हटा कर उसकी चुचियों को पकड़ना चाहा. उमा उलटी लेटी हुई थी और उसकी चुचियाँ बिस्तर पर पूरी तरह से दबी हुई थी. सोनू का हाथ वहां पहुंचना मुश्किल था. वो सोच ही रहा था की क्या किया जाए तभी उमा करवट लेती है. उमा के गांड में लंड डाले हुए सोनू एक तरफ बिस्तर पर गिर जाता है. अपने कंधे के बल पर बिस्तर पर लेटे हुए सोनू का लंड उमा की गांड में घुसा हुआ है. उमा भी ठीक उसी तरह से अपने कंधे पर बिस्तर पर लेटी हुई है और उसकी पीठ सोनू की तरफ है. सोनू के हाथ अब भी उमा की बगलों के नीचे ही थे. वो अपने दोनों हाथों से मम्मी के बड़े-बड़े दूधों को दबोच लेता है और मसलने लगता है. निचे कमर के झटके देते हुए सोनू अपना लंड मम्मी की गांड में पेले जा रहा है. सोनू के हाथ तेज़ी से मम्मी के ब्लाउज के सारे हुक खोल देते है. ब्रा के बिना उमा के दोनों दूध सोनू के हाथों में आ जाते है. माँ-बेटे बिस्तर पर कामसूत्र के एक बेहद ही मनमोहक और कामक्रीड़ा का भरपूर आनंद देने वाले आसन (spoon) में थे. सोनू का लंड अपनी गांड में लेते हुए उमा अपना ऊपर वाला पैर उठा के मोड़ लेती है. सोनू भी झट से अपने हाथ से मम्मी के उठे हुए पैर को सहारा देता है. पैर उठने से उमा की चुतड खुल गयी है और सोनू का लंड अच्छी तरह से अन्दर-बाहर होने लगा है. १५-२० ठाप मारने के बाद सोनू अपनी कमर उमा की चूतड़ों में दबा देता तो उसका लंड गांड के छेद में जड़ तक घुस जाता. सोनू पूरे जोश में ठाप पर ठाप मारे जा रहा था. अपनी मम्मी की गांड की चुदाई वो इतनी तेज़ी और जोश में कर रहा था की बिस्तर भी हिलने लगा था. देखने में ऐसा लग रहा था की कमरे में भूकंप आ गया हो.

उमा जो बहुत देर से अपने आप को रोके हुई थी, अब बोल पड़ती है.

उमा : आह...सोनू..!! धीरे मेरे लल्ला...मम्मी की फाड़ देगा क्या?

सोनू : (पूरे जोश में) ओह मम्मी ...!! मत रोकिये आज मुझे.

उमा : आह...!! रोक थोड़े न रही हूँ अपने लल्ला को. आह...!! जी भर के मार ले बेटा अपनी मम्मी की गांड....बस ज़रा प्यार से ले बेटा...

सोनू : ओह मम्मी...मेरी प्यारी मम्मी...कितना तडपाती थी मुझे आप. बाथरूम में आपके नंगे बदन को देख कर कितना तडपा हूँ मम्मी....

उमा : आह...!! जानती हूँ बेटा. तभी तो मैं भी तुझे बाथरूम से पूरा नज़ारा दिखाया करती थी. बोल...कोई कमी छोड़ी थी तेरी मम्मी ने....

उमा की इस बात पर सोनू अपना मोटा लंड मम्मी की गांड की गहराई में जड़ तक पेल देता है.

सोनू : आह्ह्हह्ह.... मम्मी...!! आपने कोई कमी नहीं छोड़ी थी. अपने बदन का हर हिस्सा आपने खोल-खोल कर दिखाया है मम्मी.

उमा : आह...मेरे लल्ले ने भी तो अपनी मम्मी के नंगे बदन को देख कर खूब मुठीआया है. है ना लल्ला..?

सोनू : हाँ मम्मी...आह...!! आपके नंगे बदन को देख खूब लंड मुठियाता था मम्मी.

उमा : अब मैं अपने लल्ला को कभी लंड मुठीयाने जैसा गन्दा काम नहीं करने दूंगी. मेरे लल्ला की मम्मी के पास दो-दो छेद है. जब भी लल्ला का दिल करे, भर दे किसी भी छेद में. बोल लल्ला अब कभी लंड नहीं मुठीआयेगा ना?

सोनू : कभी नहीं मुठीआऊंगा मम्मी...आपकी कसम. जब भी दिल करेगा अपना लंड पकडे आ जाऊंगा आपके पास.

उमा : हाँ मेरे राजा बेटा बेटा. अपना लंड खड़ा किये आ जाना मम्मी के पास. तेरी मम्मी टाँगे खोल के दोनों छेद दिखा देगी. लल्ला को जो छेद पसंद आये, घुसा देना अपना मोटा लंड.

उमा की इस बात पर सोनू पागलों की तरह मम्मी की गांड चोदने लगता है. एक हाथ से उमा का एक पीर उठाये हुए सोनू अपने मोटे लंड को सटा-सट मम्मी की गांड में ठूंसे जा रहा था. तभी सोनू को अपने अन्डकोशों में उबाल सा महसूस होता है.

सोनू : आह्ह्हह्ह...!! मम्मी मैं झड़ने वाला हूँ...

उमा : भर दे लल्ला...अपनी माँ के गांड के छेद को अपने पानी से भर दे.

सोनू दोनों हाथों से उमा के बड़े-बड़े दूधों को दबाये, अपनी कमर की गति बड़ा डेट है. १०-१५ जोरदार ठाप मारते ही सोनू के लंड से पिचकारिया उमा की गांड के छेद में उड़ने लगती है. उमा अपना एक हाथ निचे ले जा कर सोनू के अन्डकोशों को जकड के दबा देती है तो बचा हुआ पानी भी उमा के छेद में गिर जाता है. कुछ देर माँ-बेटा वैसे ही बिस्तर पर पड़े रहते है. सोनू का लंड अब भी मम्मी की गांड के छेद में ही फसा हुआ है. सोनू जैसे हे सीधा होता है, उसका लंड उमा के छेद से 'पॉप' की आवाज़ के साथ बाहर फिसल जाता है. उमा की गांड के छेद से सोनू का सफ़ेद गडा पानी बहने लगता है, जिसे उमा छेद को सिकोड़ के बाद कर लेती है.

सोनू की तरफ घूम के उमा उसके बालों में हाथ फेरते हुए कहती है.

उमा : थक गया न मेरा लल्ला..?

सोनू : हाँ मम्मी...बहुत थक गया हूँ...

उमा : मेरे लल्ला का लंड कितना बड़ा और मोटा हो गया है. मम्मी के छेद को बड़ा कर दिया है मेरे लल्ला के हथयार ने.

सोनू भी मम्मी की तरफ घूम जाता है. एक हाथ मम्मी की जांघो के बीच डाल कर बूर को सहलाते हुए कहता है.

सोनू : मम्मी...अपनी बूर कब दोगी ?

उमा : तेरी ही है लल्ला. जब दिल करे तब ले लेना. पर ध्यान रहे, इस बात का किसी को भी पता नहीं चलना चाहिए. ये बात मम्मी और लल्ला के बीच ही रहनी चाहिए...

सोनू : समझ गया मम्मी...आप चिंता मत करिए. किसी को कुछ पता नहीं चलेगा.

उमा : (सोनू के माथे पर चुम्मा लेते हुए) हम्म्म..! मेरा राजा बेटा. अच्छा अब जा जल्दी से लंड धो ले. मैं भी सब ठीक करती हूँ. वो लोग आते ही होंगे.

सोनू मम्मी की बात मानते हुए झट से बिस्तर से उतर कर अपना शॉर्ट्स पहनते हुए जाने लगता है. उमा बिस्तर पर लेते हुए अपने ब्लाउज के हुक लगते हुए सोनू को देखती है. अपने दोनों छेदों के लिए बेटे के लंड का इंतज़ाम होते देख उसकी बूर धीरे-धीरे बहने लगती है.

(समय की कमी का कारन मैं कुछ शब्धों को ठीक नहीं कर पाई. कोई गलती हो तो क्षमा करियेगा)

(कहानी जारी है. अब तक कैसी लगी कृपया कर के बतायें )
Ekdum gaand faadu story
 
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