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नेहा ने राघव के आँसू पोंछे और उसका चेहरा अपने दोनों हाथों मे थामा और उसे अपनी ओर देखने कहा
नेहा- मेरी बात आप ध्यान से सुनिए राघव, मैं जानती हु आपने बहुत कुछ खोया है, आपने उस इंसान को खोया है जो आपके दिल के बहुत करीब था, मैंने भी खोया है लेकिन इसका ये मतलब नहीं है के आप उसका दोष अपने आप को दोगे, आपसे जो कुछ भी हो सकता था उसे बचाने आपने वो सब कुछ किया है, लेकिन कभी कभी कुछ चीज़े हमारे बस मे नहीं होती है, आपने निशा को न्याय दिलाया है राघव उस राक्षस को सजा दिलवा कर आपने निशा को न्याय दिलाया है और ना सिर्फ निशा को बल्कि उन तमाम लड़कियों को जिनके साथ उसने गलत किया था, साथ ही आपने उन लड़कियों को बचाया है जिन्हे वो आगे फसाता, अगर आप उसे पुलिस से नही पकड़वाते तो वो आज भी वही कर रहा होता, रही बात उन लोगों की जो आपको जज कर रहे थे वो इंसान नहीं बल्कि इंसान का शरीर लिए जानवर है जिन्होंने बगैर किसी बात को जाने के आपको ब्लेम किया, ऐसे लोगों को बस एक टॉपिक चाहिए होता है जिसपर जब वो बोर हो जाए तो बात कर सके और कुछ दिनों बाद भूल जाए आपको अपने आपको ऐसे लोगों को प्रूव करने की जरूरत नहीं है जो कोई मायने नहीं रखते है
नेहा- और आप किलर नही है!! ये बात आप अपने दिमाग मे फिट कर लीजिए, आपके दिमाग मे बसी ये बात आपके नही बल्कि उन लोगों के दिमाग की उपज है जिन्हे अपनी रोजमर्रा की जिंदगी मे कुछ मसाला चाहिए होता है, ऐसे लोगों की सोच को अपने आप पर हावी मत होने दीजिए
नेहा- और जब आप किसी से इस बारे मे बात ही नहीं करेंगे तो आपकी मेंटल हेल्थ कैसे ठीक होगी! आपको अपने अंदर से इस सब को बाहर लाना होगा राघव, आपको अपने इस डर को फेस करना होगा, जब आपने किसी का बुरा नहीं किया तो कोई आपका बुरा कैसे कर सकता है, निशा आपको अपनी मौत का जिम्मेदार मानते देख रही होगी तो उसे भी बुरा लग रहा होगा क्युकी आपकी इसमे कोई गलती नहीं है
नेहा- और मेरा राघव न तो सेल्फिश है न ही हार्ट्लेस, आप बहुत अच्छे हो और मै अपने आप को खुशनसीब समझती हु जो आप मेरी जिंदगी मे आए, जो हुआ सो हुआ वो सब बीती बाते है आपको उन्हे भूलना होगा और साथ ही अपने अतीत से लड़ना भी होगा, उन लोगों को उनके शब्दों को भूल जाइए लेकिन उनका सामना कीजिए, आपने ऐसा कुछ नहीं किया जो आपको ऐसे लोगों से बचना पड़े
नेहा ने राघव की आँखों मे देखते हुए उसे अच्छे से समझाया वही राघव बड़े ध्यान से उसकी बात सुन रहा था
नेहा- मुझसे वादा कीजिए के अगली बार आप जब भी उनसे किसी से मिले, उनका सामना करे ना की उनसे दूर भागे और आप मुझसे कोई बात नहीं छुपाएंगे
नेहा ने अपना हाथ राघव के आगे किया, राघव ने कुछ समय तक नेहा के हाथ को देखा और फिर मुंडी हिला कर उसे वादा किया जिससे नेहा के चेहरे पर मुस्कान आ गई
राघव- मैं उस वक्त हमेशा इस शादी से भागता रहा, सबको लगा शायद मैं तुम्हें पसंद नहीं करता इसीलिए मैं दूर दूर रहता हु पर किसी ने कभी रीज़न पूछा ही नहीं, किसी ने मुझसे नहीं पूछा के मेरे ऐसे बर्ताव का रीज़न क्या है
राघव- सबको लगा मैं कितना गलत हु जो तुम्हारे साथ सही बर्ताव नहीं करता तुमसे दूर भागता हु लेकिन कोई इसके पीछे की वजह नहीं जानता था, हा जो जानते थे उन्होंने मुझे बहुत समझाया, विशाल तो लिटेरली मुझसे लड़ लिया था जब मैं शादी के अगले दिन उसके पास पहुचा था, मेरे अतीत मे जो कुछ भी हुआ उसकी वजह से मैं किसी रिश्ते हो अपनाने, किसी पर पूरी तरह भरोसा करने तयार ही नहीं था, वो तो किस्मत से मुझे तुम मिल गई, मैं बहुत ज्यादा डरपोक हु नेहा, और मैं थक चुका हु भागते हुए
राघव- लोगों ने मुझे बिना जानते हुए जज किया, और मैं अपने आपको बदल तो नहीं सकता था, एकदम से तो नहीं और मैं तुमसे भी यही चाहता हु, तुम जैसी हो एकदम पएफ़ेक्ट हो, कभी भी किसी के लिए भी अपने आपको मत बदलना
राघव आज नेहा से अपने दिल की बात कर रहा था
नेहा- आप बहुत अच्छे है राघव भले कोई कुछ भी कहे सोचे मुझे फरक नहीं पड़ता और जब आप मुझसे ना बदलने के लिए कह रहे है तो आप अपने आप को क्यू बदल रहे है? आप जैसे हो मुझे आपसे वैसे ही प्यार है और मैं इस राघव देशपांडे के साथ अपनी पूरी जिंदगी बिताना चाहती हु
अब तक राघव का रोना रुक गया था और वो ध्यान से नेहा की बात सुन रहा था और उसके हर के शब्द के साथ उसका मूड और अच्छा हो रहा था, उसके मन से एक बोझ सा हल्का हो गया था और अब नेहा को सब कुछ बताने के बाद राघव अच्छा महसूस कर रहा था
नेहा- मैंने डेविल.... मतलब सीरीअस राघव को देखा है, बेबी राघव को भी देखा है और ईमोशनल राघव को भी बट अभी मुझे मेरा बेबी राघव चाहिए क्युकी वही सबसे ज्यादा क्यूट है
नेहा ने राघव का मूड अच्छा करने कहा और राघव के चेहरे पर स्माइल आ गई, नेहा को अपने साथ पाकर इस वक्त राघव दुनिया का सबसे खुश आदमी था, जिस गिल्ट मी वो जी रहा था वो पूरी तरह नही पर कुछ हद्द तक काम जरूर हो गया था, दोनों एकदूसरे के बाजू मे बैठे थे एकदूसरे की आँखों मे देखते हुए, नेहा ने राघव की आँखों मे देखा जो उसकी आँखों से उसके होंठों के बीच घूम रही थी और उसने अपने निचले होंठ को दातों से दबाया, धीरे धीरे राघव के होंठ नेहा के होंठों के करीब बढ़ रहे थे
राघव की गरम साँसे नेहा अपने चेहरे पर महसूस कर रही थी जो उसकी साँसे बढ़ा रही थी, धीमे से राघव ने अपने होंठ नेहा ने होंठों से टिकाए, और हल्के हल्के उसे किस करने लगा... वो दोनों अपने मे खोए हुए थे के तभी उन्हे नीचे से किसी के आने का आवाज आया
उन्होंने अपना किस तोड़ा तो नेहा ने शर्मा के अपनी पलके झुका ली
राघव- मैं देख के आता हु कौन आया है!!
राघव ने उठते हुए कहा औ जल्दी से वहा से निकला ताकि नेहा उसके लाल होते गाल ना देखे और नेहा भी मुस्कुरा कर उसके पीछे नीचे आई तो घर वाले सब गणपती दर्शन से लौट चुके थे और लिविंग रूम मे थे, सभी लोग काफी थक चुके थे और विवेक और रिद्धि तो अपने अपने कमरों मे जा चुके थे
जानकी- राघव तुम कब आए??
जानकी जी ने जब अपने बेटे को वहा देखा तो पुछ लिया
राघव- अभी बस 1 घंटे पहले ही आया हु मा
शेखर- यस! यस!
शेखर ने हसते हुए कहा
धनंजय- तुम्हें पता था राघव आज आ रहा है? तुमने बताया नहीं?
शेखर- सप्राइज़! वो डैड भाई सप्राइज़ देना चाहता था बस इसीलिए, हैना भाई?
शेखर ने राघव को देखते हुए कहा और राघव को फसा दिया क्युकी इसपर राघव के पास बोलने को कुछ नहीं था
गायत्री- सच मे??
दादी ने राघव और नेहा को देखते हुए पूछा क्युकी उनका पोता ऐसे सप्राइज़ देगा इसकी उनको कम ही उम्मीद थी
राघव- वो... दादी...
शिवशंकर- अरे ठीक है राघव! हम समझते है
मीनाक्षी- मुझे लगता है हमे सोना चाहिए अब बहुत लेट ही चुका है
मीनाक्षी जी ने कहा जिसके बाद सब अपने अपने कमरों मे चले गए और जब राघव और नेहा अपने कमरे मे जा रहे थे तो नेहा रुक गई
राघव- क्या हुआ??
नेहा- आप चलो मैं अभी आई
इतना बोल के नेहा वहा से जाने ही वाली थी के राघव ने उसकी कलाई पकड़ ली
राघव- अरे लेकिन जा कहा रही हो
नेहा- बाद मे बताऊँगी मैं बस 1 मिनट मे आई आप तब तक जाकर चेंज कर लीजिए
इतना बोल के नेहा वहा से चली गई और राघव अपने कमरे मे आया
नेहा ने जाकर सीधा शेखर और श्वेता के कमरे का दरवाजा खटखटाया और श्वेता ने दरवाजा खोला
श्वेता- भाभी आप यहा??
नेहा- शेखर कहा है श्वेता?
तभी शेखर बाथरूम से बाहर आया
शेखर- क्या हुआ भाभी मैं यहा हु
नेहा- तुम्हारे पास वो गेस्ट्स की लिस्ट है वो पहले दिन की पूजा मे आए थे?
शेखर- हा! क्यू क्या हुआ??
नेहा- उस दिन तुम्हारे लंदन यूनिवर्सिटी से कौन आया था पूजा मे??
शेखर- भाभी वो...
नेहा- बताओ शेखर
शेखर- भाभी उसका नाम निखिल है
निखिल का नाम आते ही नेहा सब समझ गई के क्यू राघव उस दिन वैसे चला गया था, उसने उस इंसान को देखा था जिसने उसे सबसे ज्यादा तकलीफ दी थी उसका एकमात्र डर
नेहा- मैं चाहती हु तुम उसे विसर्जन पर भी बुलाओ, बुलाओगे??
शेखर- भाभी लेकिन भाई?? मैं तो उसे पहले दिन भी नहीं बुलाना चाहता था लेकिन बड़े पापा ने उसे बुलाया
नेहा- मुझे सब पता है शेखर बस उसे बुला लो बाकी तुम्हारे भाई देख लेंगे
शेखर- ठीक है आप कहती है तो बुला लेता हु बट प्लीज ऐसा कुछ मत करो जिससे भाई को तकलीफ हो
नेहा- अब सब सही होगा शेखर
इतना बोल के नेहा वहा से चली गई और अपने रूम मे आई तो उसने देखा के राघव चुप चाप बेड पर बैठा था नेहा उसके बाजू मे जाकर बैठ गई लेकिन राघव का उसपर ध्यान ही नहीं था इसीलिए उसने अपना गला खखारा जिससे राघव अपने खयालों से बाहर आया
राघव- तुम कब आई??
नेहा- बस अभी अभी। आप क्या सोच रहे थे?
राघव- कुछ नहीं सोच रहा हु इस बार विसर्जन पर अपने इस गिल्ट का भी विसर्जन कर दु
राघव की बात सुन नेहा की आँखों मे भी चमक आ गई उसके बगैर कुछ कहे ही राघव इस बारे मे सोच चुका था
राघव- छोड़ो अभी ये सब
राघव ने अपना सर झटका और नेहा को अपने करीब खिचा और बेड पर लेटा
राघव- मैंने ऐसे चिपक के सोने को बहुत मिस किया है
राघव ने कहा जिसपर नेहा हस दी
राघव- वैसे गई कहा थी तुम??
नेहा- आपको मुझपर भरोसा है??
राघव- खुद से भी ज्यादा
नेहा- बस तो आपको जल्दी पता चल जाएगा
नेहा ने उसके बालों मे हाथ घुमा दिया और राघव ने उसकी तरफ देखा और देखता ही रहा.....
विशाल ने राघव से कहा जो इस वक्त राघव के ऑफिस मे बैठा हुआ था
राघव- उससे बात करके अब सही लग रहा है, अब लग रहा है के मैं गलत नहीं था, मैंने कुछ नहीं किया था
विशाल- मैं ये सब हुआ था तब से यही तो समझा रहा था तुझे खैर अब भाभी बोली तो समझ आया है
राघव- भाई विसर्जन पे सब खतम करना है, मुझे लग रहा है नेहा ने भी उस दिन के लिए कुछ सोच रखा है अब क्या ये नहीं पता लेकिन तू बस उस दिन मेरे साथ रहना
विशाल- तू चिंता मत कर मैं हमेशा तेरे साथ हु
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आज विसर्जन का दिन था उस दिन के बाद से ना तो नेहा ने और ना ही राघव ने राघव के अतीत के बारे मे कोई बात की थी, राघव इतना तो जानता था के नेहा के दिमाग मे कुछ तो चल रहा था लेकिन क्या ये उसे नहीं पता था और उसने पूछा भी नहीं क्युकी वो उसपर यकीन करता था और जानता था के वो उसका कभी बुरा नहीं चाहेगी
सब कुछ एकदम नॉर्मल था बस शेखर थोड़ा नर्वस था क्युकी नेहा के बोले बोले उसने निखिल को बुला तो लिया था लेकिन उसको देख राघव कैसे रिएक्ट करेगा नहीं जानता था बस उसे इतना पता था के नेहा राघव का बुरा नहीं चाहेगी
राघव इस वक्त अपने ऑफिस मे था और नेहा पिछले कुछ दिनों से ऑफिस नहीं गई थी क्युकी वो घर के कामों मे बिजी थी और वैसे भी उसने कई सारी छुट्टिया ले ली थी तो राघव ने उसे साफ कह दिया था के अगले 2 महीने उसे कोई छुट्टी नहीं मिलने वाली यहा तक के संडे को भी नहीं जिसपर नेहा ने भी उसे चैलेंज कर दिया था के वो छुट्टी ले लेगी और राघव उसे रोक भी नहीं पाएगा
देशपांडे वाडे मे बप्पा के विसर्जन की तयारिया हो रही थी नेहा इस वक्त कुछ काम मे लगी हुई थी, वाडे मे ही एक साइड मे पानी का बड़ा टँक बनाया हुआ था जहा विसर्जन होना था,
नेहा इस वक्त कुछ काम कर रही थी तभी श्वेता उसके पास आई
श्वेता- भाभी!!
श्वेता ने एकदम एक्साइटमेंट मे कहा
नेहा- हा..
श्वेता- आप प्रेग्नेंट हो??
श्वेता ने अचानक से सवाल किया और ये सवाल आते ही नेहा एकदम से अपनी जगह जम गई, उसने बड़ी आँखों और खुले मुह से श्वेता को देखा
नेहा- ये सब बाते तुम्हारे कान मे कौन भर रहा है श्वेता??
श्वेता- नहीं कोई नहीं वो मैं अभी अभी विसर्जन के टँक का काम देख रही थी तो वो वर्क इन प्रोग्रेस है तो मुझे अचानक भईया की उस दिन की लाइन याद आ गई तो.....
नेहा- श्वेता!! वो बस मज़ाक था
श्वेता- तो क्या हुआ, आप उसे सच कर दो उसे
नेहा- एक्चुअल्ली तुम क्यू नहीं करती ऐसा?
नेहा ने अपने हाथ बांधे श्वेता से कहा और अब श्वेता की बोलती बंद
नेहा- मैं ऐसा करती हु शेखर से कहती हु के तुम्हें....
श्वेता- वो भाभी.... भाभी मुझे कोई बुला रहा है, बाय
नेहा की बात पूरी होने के पहले ही श्वेता वहा से निकल गई और नेहा बस उसे जाते देख मुस्कुराने लगी और बाद मे नेहा वापिस अपने काम मे बिजी हो गई, कुछ समय बाद उसने राघव को कॉल किया ताकि उसे घर जल्दी आने को याद दिलाए और जैसे ही उसने राघव को कॉल लगाया बस 2 रिंग मे राघव ने कॉल उठाया
राघव- हैलो
नेहा- आज बप्पा का विसर्जन है
राघव- पता है
नेहा- तो क्या आप भूल गए है आज छुट्टी का दिन है और आप ऑफिस चले गए
राघव- पता है बस कुछ जरूरी काम था
नेहा- एक दिन की छुट्टी से कुछ नहीं होता
राघव- होता है भई पहले ही मैं कुछ दिन बाहर था और काम बढ़ जाता
नेहा- ठीक है ठीक है बस विसर्जन के पहले आप मुझे घर पर चाहिए
राघव- आ रहा हु बाबा बस निकल ही रहा हु
नेहा- अगर आप आधे घंटे मे घर नहीं आए तो फिर अंदर एंट्री नहीं मिलेगी
राघव को धमका कर नेहा ने फोन रख दिया और उससे बात करके राघव ने विशाल को फोन लगा
विशाल- हा भाई
राघव- कहा है?
विशाल- बस तेरे घर के लिए निकल ही रहा हु
राघव- ठीक है मैं भी पहुच रहा हु,
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शेखर- भाभी आप श्योर हो ना
शेखर ने अपने नाखून चबाते हुए पूछा
नेहा- हा बाबा, तुमने देखा न वो आ गया है ना
श्वेता- हा वो आ गया है
नेहा- गुड विसर्जन मे अब भी थोड़ा सा वक्त बाकी है हमे उससे पहले इन दोनों को आमने सामने लाना होगा
शेखर- ठीक है आप भाई को लिविंग रूम मे ले आइए मैं निखिल को यहा लाता हु
इतना बोल के शेखर वहा से चला गया
‘हे बप्पा आज इनकी सारी प्रॉब्लेम्स का विसर्जन हो जाए’ नेहा ने मन ही मन प्रार्थना की और राघव को बुलाने गई तो उसने देखा के वो किसी से बात कर रहा था जो और कोई नहीं बड़ी दादी थी
नेहा- दादीजी आप इतना देरी से क्यू आए
नेहा ने बड़ी दादी का आशीर्वाद लेते हुए पूछा
कुमुद- अरे बेटे मैं तो नहीं आने वाली थी फिर सोचा चलो चल ही आते ही तो शुभंकर के साथ आ गई वो छोड़ो ये बताओ ये नालायक तुम्हें तंग तो नहीं करता ना
राघव- दादी ऐसे पार्टी बदलोगे अब आप मैं किसी को तंग वंग नहीं करता
कुमुद- अरे तुम बहुत तंग करते हो मैं जानती हु
राघव- बताओ दादी को
राघव ने नेहा से थोड़ा धमकाने वाली टोन मे कहा
कुमुद- राघव उसे बोलने दो
नेहा- नहीं दादीजी ज्यादा तंग नहीं करते है
कुमुद- अच्छा है अगर करे तो मुझे बताना मैं सीधा कर दूँगी उसे, अब तुम लोग अपना रोमांस शुरू रखो मैं चली बकियों से मिलने
जिसके बाद बड़ी दादी वहा से चली गई और राघव नेहा की ओर मुड़ा
राघव- तो मैं तंग करता हु तुम्हें ?
नेहा- हा
राघव- रुको अभी बताता हु के तंग करना कीसे कहते है
राघव अपने कुर्ते ही सलीव्स ऊपर चढ़ाते हुए नेहा की ओर बढ़ा और नेहा हस कर वहा से भाग गई और राघव उसके पीछे पीछे गया और इस तरह नेहा राघव को लिविंग रूम मे लाकर रुक गई
राघव- अब कहा जाओगी चिक्की? देखो यहा कोई नहीं है और अब तुम्हें पता चलेगा तंग करना कीसे कहते है
नेहा- ही ही
नेहा उधर उधर देखने लगी और राघव उसके करीब बढ़ने लगा और राघव एक और कदम आगे बढ़ता इससे पहले ही उसे एक आवाज सुनाई दी और वो रुक गया
“ओ सॉरी सॉरी! मैं जाता हु” उस बंदे ने कहा और जाने ही वाला था के रुक गया
राघव ने मूड के उस इंसान को देखा तो उसके जबड़ा कस गया
“रा.. राघव!!”
राघव- नेहा चलो यहा से
राघव ने नेहा का हाथ पकडा और वहा से जाने लगा लेकिन नेहा ने उसे रोक दिया, राघव को अब वहा अनीज़ी फ़ील हो रहा था
नेहा- बात कीजिए राघव, कब तक ऐसे ही गिल्ट मे रहेंगे, मैं चाहती हु आपका ये गिल्ट हमेशा के लिए खतम हो
नेहा ने धीमे से कहा जिसे बस राघव सुन पाए बदले मे राघव ने ना मे अपनी मुंडी हिलाई
राघव- मैं नहीं कर पाऊँगा, अभी तो नहीं
नेहा- आप मुझपर भरोसा करते है ना? यही सही वक्त है, या तो अभी या कभी नहीं
“राघव!!” निखिल ने एक और बार राघव को पुकारा
और तभी विशाल की वहा एंट्री हुई
विशाल- ये हरामजादा यहा क्या कर रहा है
विशाल के आते ही सबका ध्यान उसकी ओर गया और नेहा को अपना प्लान फेल होता हुआ दिखा लेकिन इससे पहले विशाल कुछ बोलता नेहा उसकी ओर बढ़ी और जाते जाते राघव से बोल गई के वो बाहर है
नेहा विशाल को अपने साथ ले आई थी
विशाल- भाभी आप मुझे यहा क्यू लाई है?? वो पहले ही मेरे भाई को बहुत तकलीफ दे चुका है इस बार उसका मुह नहीं तोड़ूँगा बल्कि सीधा सर फोड़ूँगा मैं
नेहा- विशाल भईया शांत, कुछ नहीं होगा
विशाल- भाभी आपको नहीं पता ये
नेहा- सब पता है मुझे बस मुझपर थोड़ा भरोसा तो रखिए
विशाल राघव के पास जाना चाहता था और निखिल को तो बहूत कुछ सुनाना चाहता था लेकिन नेहा की वजह से वो वही रुक गया और इधर अंदर राघव ने अपनी मुट्ठियां भींची और निखिल की ओर मुडा लेकिन वो उसकी ओर देख नहीं रहा था
निखिल- राघव!
राघव- यस मिस्टर चोपड़ा बोलिए मैं सुन रहा
राघव ने एकदम सपाट आवाज मे कहा
निखिल राघव को देख उसकी आवाज सुन थोड़ा चौका, जिस राघव को वो जानता था ये वो नही था बदली हुई आवाज बदले हुए लुक्स राघव की पर्सनैलिटी सब बदल चुका था, ये वो राघव नहीं था जो उसके साथ कॉलेज मे पढ़ता था
निखिल- काफी बदल गए हो तुम
निखिल मे मुस्कुरा कर राघव को देखते हुए कहा और इस बार उसे देख राघव जरा भी अनकंफर्टेबल नहीं हुआ
राघव- हा बदलाव अच्छा होता है
इतना बोल के राघव वहा से जा ही रहा था के निखिल ने उसे रोक दिया
निखिल- राघव रुको मुझे बात करनी है तुमसे
राघव- तो बोलिए मिस्टर चोपड़ा मेरे पास आपकी बकवास सुनने का वक्त बहुत कम है
राघव ने हार्शली कहा जिसका निखिल को बुरा भी लगा, राघव बाहर से जितना कॉन्फिडेंट बन रहा था उतना ही वो डरा हुआ था उसने अपने आप को टफ दिखाना सीख लिया था
निखिल- राघव.... मैं.. मैं जानता हु मैंने बहुत गलत किया है लेकिन....
राघव- मैं बीती बातों को डिस्कस करने मे बिल्कुल भी इंटरेस्टेड नहीं हु मिस्टर चोपड़ा तो मैं चलता हु
राघव ने निखिल की बात को बीच मे काटते हुए कहा और वहा से जाने लगा लेकिन निखिल ने उसे रोक दिया
निखिल- पहले मेरी बात सुन लो! वादा करता हु मैं यहा से चला जाऊंगा और दोबारा अपनी शक्ल भी नहीं दिखाऊँगा लेकिन बस एक बार मेरी बात सुन लो
‘यही सही वक्त है’ राघव के दिमाग मे नेहा के शब्द घूमे
राघव- ठीक है 15 मिनट बस।
राघव ने अपने हाथ बांधे कहा और निखिल की आँखों मे देखने लगा
निखिल- राघव मुझे माफ कर दो! आई एम सॉरी फॉर एव्रीथिंग! मैंने जो कुछ भी किया उसके लिए मैं बस तुमसे माफी मांगना चाहता हु, मैं जानता हु के मेरे आज ऐसे माफी मांगने से कुछ नहीं बदलेगा लेकिन मैं गलत था ये बात सच है, मुझे जब ये बात समझ आई तब तक बहुत देर हो चुकी थी और तुम वापिस भारत आ चुके थे, तुम सोचते होंगे मैं तुमसे नफरत करता था लेकिन ये सच नहीं है राघव तुम मेरे दोस्त थे। तुमसे आज मैं झूठ नहीं कहूँगा मुझे तुम्हारी और निशा की दोस्ती तुम्हारी नजदीकिया कभी पसंद नहीं थी मुझे जलन होती थी उससे मैं पसंद करता था उसे और जब तुम दोनों की लड़ाई हुई और मैंने उसे रोते हुए वहा से जाते देखा मेरा मेरे गुस्से पर काबू ही नहीं था और फिर उसकी मौत! मैं अपना आपा खो चुका था और अपने गुस्से मे मैंने तुम्हें बहुत कुछ कह दिया, मैं इतना ज्यादा गुस्से मे था के मैं सोचने समझने की शक्ति खो चुका था और मुझे बस निशा की मौत की वजह तुम्हारा उससे झगड़ा दिख रहा था, मैं जानता हु मेरे शब्दों ने तुम्हें बहुत तकलीफ पहुचाई है आई एम सॉरी! लेकिन ऐसा कभी मत सोचना के मैंने तुम्हें अपना दोस्त नहीं माना मैं तुम्हें अब भी मेरा दोस्त मानता हु और मैं तुम्हारी दोस्ती खो चुका हु ये भी जानता हु, तुम हमेशा के मेरे दोस्त रहे हो लेकिन उस वक्त उस एकतरफा मोहब्बत का जुनून इस दोस्ती पर भारी पड गया, मैं जानता हु मैंने बहुत गलतियां की है और अब चाहू भी तो उसे बदल नहीं सकता
निखिल- राघव रियली रियली सॉरी, मैं मानता हु के मेरी माफी मेरी गलती के लिए काफी नहीं है लेकिन अब मैं इस गिल्ट को और बर्दाश्त नहीं कर सकता तुम कोई किलर नहीं हो तुम उसके सच्चे दोस्त थे जो मैं कभी बन नहीं पाया और जब इसका एहसास हुआ वक्त बीत चुका था, तुम बहुत बहादुर हो मेरे भाई, मैं ये नहीं कह रहा के मुझे माफ कर दो मैं तो तुम्हारी माफी के भी काबिल नहीं इतनी जल्दी तो नहीं लेकिन तुम मेरे शब्दों को अपने दिमाग से निकाल दो यही मैं चाहता हु, ट्राय टु मूव ऑन यू डिजर्व तो बी हैप्पी
निखिल- आई एम रियली रियली सॉरी मैंने बहुत तकलीफ दी है तुम्हें और मैं दिल से तुमसे माफी माँगता हु
निखिल ने राघव के सामने अपने हाथ जोड़ लिए, बोलते बोलते उसकी आंखे नाम हो गई थी राघव ने निखिल के हाथ नीचे किए और एक लंबी सास छोड़ी
राघव- अच्छा है तुम्हे इस बात का एहसास हुआ है निखिल, मैंने ये सुनने के लिए बहुत इंतजार किया है के मैं कोई किलर नहीं हु, अब थोड़ा हल्का महसूस हो रहा है, तुम्हारे शब्दों ने मुझे उस वक्त बहुत आहत किया था और अब जब तुमने सब क्लियर किया है थोड़ा सही लग रहा है, शब्द अगर घायल कर सकते है तो मरहम भी लगा सकते है
राघव की बात सुन निखिल थोड़ा मुस्कुराया
राघव- लेकिन मैं वो पहले वाला राघव नहीं रहा, तुमने भले वो सब गुस्से मे कहा हो लेकिन मैंने उसकी वजह से बहुत कुछ सहा है, मैं नहीं जानता मैं तुम्हें कभी माफ कर भी पाऊँगा या नहीं लेकिन कोशिश करूंगा और मैं अब जिंदगी मे आगे बढ़ चुका हु, अब चुकी तुम माफी मांग चुके हो तुम अपने गिल्ट से फ्री हो और मैं भी लेकिन मैं वापिस पहले वाला राघव नहीं बन सकता और मिस्टर चोपड़ा हम अब दोस्त नहीं है, मैं उस इंसान से दोस्ती नहीं रख सकता जिसकी वजह से मैंने इतना कुछ सहा है लेकिन तुम्हें थैंक यू जरूर कहना चाहूँगा के भले मुझे तकलीफ हुई लेकिन ये बदलाव भी आया
राघव ने सपाट चेहरे के साथ कहा
निखिल- मैं समझ सकता हु, मैंने तुमसे मिलने की बहुत कोशिश की लंदन मे मुझे देखते ही तुम चले गए थे यहा आकार पोलिटिकल इनफ्लुएंस से तुमहारे डैड से पहचान की ताकि बस तुमसे मिल सकु उस दिन भी गणेश चतुर्थी को तुमसे मिलने आया था लेकिन तुम नहीं मिले और जब शेखर ने मुझे आज बुलाया है उसके लिए मैं हमेशा उसका एहसानमंद रहूँगा
‘तो सब मिले हुए है’ राघव ने मन मे सोचा
निखिल- मुझे खुशी है के तुमने मेरी बात सुनी, मैं तुम्हारी वाइफ से मिला हु और आई मस्ट से के यू आर लकी टू हैव नेहा जी एज योर वाइफ, अगर वो मुझसे बात नहीं करती तो शायद मैं तुमसे बात करने की हिम्मत ही नहीं जुटा पाता, तुम दोनों एकदूसरे के लिए एकदम परफेक्ट हो
निखिल ने मुस्कुरा कर कहा वही राघव भी मुस्कुरा दिया
राघव की नेहा के लिए फीलिंग दिन ब दिन बढ़ती ही जा रही थी, वो ऐसा फ़ील कर रहा था जैसा उसने पहले कभी नहीं किया था और अब वो उसके बिना एक पल भी नहीं रह सकता था.....
निखिल से बात करके उसकी बात सुनके अब राघव को थोड़ा हल्का महसूस हो रहा था, जब वो निखिल से मिल के बाहर आया तो उसके चेहरे पर एक मुस्कान थी, एक सेन्स ऑफ रीलीफ था मानो उसके कंधे से कोई बहुत बाद बोझ हट गया हो, वो अपने अतीत की यादों को भूल तो नहीं सकता था लेकिन अब वो इतना तो समझ गया था के अब उनके नीचे दब कर उन्हीं बातों मे उलझने का कोई मतलब नहीं था, उसे आगे बढ़ना था और यही एक रास्ता था उसे अपने आज और आने वाले भविष्य को गले लगाना था।
राघव का दिमाग अब एकदम शांत था क्लियर था, उसने अपने आप को जिन शब्दों के बोझ तले दबा रखा था अब वो सब छट गया था और अब वो अपने दिल मे बगैर कोई मलाल लिए अपनी आगे की जिंदगी जी सकता था और उसकी के खुशी उसे बस नेहा की वजह से मिली थी, अगर वो आज उसे सच का सामना करने मजबूर ना करती तो शायद राघव कभी निखिल से ऐसे बात ही नहीं करता, अब वो अपनी जिंदगी अपनी शर्तों पे जी सकता था किसी के शब्दों तले दब कर नहीं या किसी गिल्ट मे नहीं
उसने देखा के नेहा उसकी मा के साथ यानि जानकी जी के साथ बात कर रही थी तो वो एक स्माइल लिए उनके पास चला गया
जानकी- नेहा...... तुम यहां क्या कर रहे हो?
जानकी जी नेहा से कुछ बात कर रही थी तभी उन्होंने राघव को वहा मुस्कुराते हुए आते देखा तो पूछा और ये सुन नेहा ने भी पलट कर देखा
राघव- क्यू? अब क्या मैं मेरी मा के पास भी नहीं आ सकता
जानकी- बेटा जी शादी के बाद आपको याद भी है के आपने बैठ कर अपनी मां से कुछ बात की हो, बीवी जो आ गई है
जानकी जी ने सार्केस्टिकली कहा जिसपर नेहा को लगा राघव कुछ बोलेगा बट राघव कुछ नहीं बोला क्युकी जानकी जी ने बात एकदम सच बोली थी
राघव- ऐसा नहीं है मा, आप तो जानती है मैं बिजी था
जानकी- हा हा सब पता है मुझे कहा और कितने बिजी थे
जानकी जी ने नेहा को देखते हुए कहा
राघव- अरे ऐसा नहीं है... खैर मेरा पूरा वीकेंड आपका पक्का बट प्लीज भी के लिए थोड़ी प्राइवसी मिलेगी?
राघव धीमे से अपनी मा के कान मे बोला और उनसे रीक्वेस्ट की
जानकी- हे भगवान नेहा ये तुमने क्या कर दिया है मेरे बेटे को? अपनी सगी मा से प्राइवसी मांग रहा है!!
और यहां राघव ने अपना माथा पीट लिया
राघव- मा यार!! जाने दो मैं ही जाता हु
जानकी- इतना ड्रामा करने की जरूरत नहीं है जा रही हु मैं
और जानकी जी हसते हुए वहा से चली गई
राघव- ये मा भी ना
नेहा- आपने बात की?
जिसपर राघव ने मुसकुराते हुए हा मे गर्दन हिला दी
राघव- हम्म! अब सब क्लियर है और बहुत अच्छा लग रहा है। थैंक यू
राघव ने नेहा का हाथ पकड़ के उसे पास खिचते हुए कहा
नेहा- क्या कर रहे है सब है यहां
नेहा ने इधर उधर देखते हुए राघव से कहा और अपना हाथ उसके हाथ से छुड़ाने लगी
राघव- तुम्हें नहीं लगता तुम्हें एक गिफ्ट मिलना चाहिए?
राघव ने नेहा की आँखों मे देखते हुए कहा और नेहा उसका मतलब समझ कर शर्मा दी
राघव- मेरे पास.....
लेकिन राघव की बात पूरी होती उससे पहले ही रिद्धि और विवेक वहा टपक पड़े और राघव को नेहा से दूर हटना पड़ा
राघव- लगता है एक हनीमून पैकेज बुक करना ही पड़ेगा
राघव मुह ही मुह मे पुटपुटाया, वो जब भी नेहा के पास जाता कोई न कोई टपक ही पड़ता था
रिद्धि- मून? भाई क्या बोल रहे हो?
रिद्धि ने पूछा और राघव ने उसकी तरफ देखा तो पाया के सब उसे ही देख रहे थे
राघव- कुछ न ही वो चंद्रयान क्या बढ़िया सक्सेसफुल रहा न बस वही
विवेक- भाई आपने कुछ भांग वगैर ली है क्या??
लेकिन इससे आगे कोई कुछ बोलता नेहा बोल पड़ी
नेहा- अब बाते बंद करो और चलो विसर्जन का टाइम हो गया है
और नेहा के बोलते ही रिद्धि और विवेक टॉपिक भूल के उस ओर चले गए और राघव की जान छूटी तभी नेहा की नजर पीछे से आती हुई श्वेता पर पड़ी,
नेहा- श्वेता क्या हुआ है?? इतनी लाल क्यू हो रखी हो? और तुम्हारी लिप्स्टिक भी खराब हो रखी है?
नेहा ने उसे कन्फ़्युशन मे देखा
श्वेता- हूह... कुछ कुछ नहीं भाभी वो गर्मी कुछ ज्यादा है ना तो... शायद इसीलिए पसीने से...
श्वेता ने इधर उधर देखते हुए कहा और जब नेहा कन्फ़्युशन मे श्वेता को देख रही थी उसकी नजर शेखर पर पड़ी और शेखर को देख नेहा के चेहरे पर स्माइल आ गई
नेहा- मुझे नहीं पता था पसीना पोंछने मे शेखर तुम्हारी मदद कर रहा था
नेहा ने श्वेता के कान मे कहा और श्वेता ने चौक के उसे देखा
श्वेता- भा....
नेहा- पहले थोड़े मजे तो ले लू
इतना बोल के नेहा शेखर के पास आई जो राघव के बाजू मे खड़ा था
नेहा- शेखर...
नेहा ने गाने वाली टोन मे कहा जिसने राघव का भी ध्यान उस ओर खिचा
शेखर- हा भाभी
शेखर ने कैजुअली बोतल से पानी पिते हुए कहा
नेहा- तुम कौनसा लिप्स्टिक का शेड यूज करते हो?
नेहा अब शेखर की फिरकी लेने के मूड मे थी वही नेहा की बात सुन शेखर के गले मे पनि अटक गया और उसे ठसका लगा
नेहा- अरे आराम से !
नेहा ने शेखर की पिठ सहलायी
शेखर- भाभी!!
शेखर ने घबरा के नेहा को देखा
नेहा- नहीं तुमने लिप्स्टिक लगाई हुई है ना तो बस इसीलिए...
नेहा ने अपनी हसी कंट्रोल करते हुए कहा
शेखर- क्या??
नेहा- तुम श्वेता की पसीना पोंछने मे मदद कर रहे थे??
और इसपे शेखर से कुछ नहीं बोला गया वो अपना मुह छुपाते हुए वहा से भाग लिया और इधर उसे जाता देख नेहा की हसी छूट गई और तभी राघव ने उसकी कमर पर चिमटी काटी
नेहा- आउच!!
नेहा ने उस हिस्से को सहलाया और राघव को झूठे गुस्से के साथ घूरा
राघव- डॉन्ट वरी मैं भी ऐसे ही तुम्हारी मदद करूंगा
राघव ने नेहा के कान मे कहा और अब नेहा की सारी हसी गायब, वो राघव की ओर देख भी नहीं थी थी भले दोनों आजू बाजू खड़े थे विसर्जन का समय हो गया था।
दादू के हाथों बप्पा की पूजा और आरती के बाद ढोल ताशे की आवाज मे देशपांडे वाडे मे बने हुए उस टँक मे ही बप्पा की मूर्ति का विसर्जन किया गया, बप्पा जाते जाते अपने साथ आज राघव की सारी समस्या लेकर गए थे और अब जो बचा था वो बस प्यार था....
विसर्जन के बाद सभी आए हुए मेहमानों को विदा कर सब लोग घर मे आ चुके थे...
नेहा इस वक्त अपने कमरे मे अपनी साड़ी बदल रही थी, वो इस वक्त आईने के सामने खड़ी थी और अपने गहने बक्से मे रख रही थी और उसे खबर भी नहीं थी के कोई उसके पीछे खड़ा था, उसे किसी ने पीछे से गले लगाया लेकिन नेहा ये स्पर्श जानती थी इसीलिए वो हिली नहीं, उसने आईने मे देखा तो पाया के राघव उसे ही निहार रहा था, नेहा मुस्कुराई और अपनी चूड़िया उतार के रखना जारी रखा और राघव उसके दाए कंधे पे अपनी थुड़ी टिकाए प्यार से उसे देख रहा था
नेहा अपने बालों मे लगी पिन निकालने ही वाली थी के राघव ने उसे रोक दिया
राघव- रुको मैं कर देता हु,
और राघव पीन्स उतारने लगा
नेहा- आज इतनी केयर कैसे?
नेहा ने उसे छेड़ते हुए पूछा
राघव- अब मैं इसमे क्या करू? मेरी बीवी बनी ही प्यार और केयर के लिए है
राघव ने कैजुअली नेहा के गाल को चूमते हुए कहा और अपना काम जारी रखा वही नेहा के चेहरे पर लाली आ गयी और वो सप्राइज़ होके राघव को देखने लगी
नेहा ने अपनी चूड़िया जुलेरी बॉक्स मे रखी और रखते हुए पूछा
नेहा- मैंने आपसे आज सब सॉर्ट करने कहा इनकरेज किया ये सब इसीलिए?
राघव- ना, उसके लिए तो मेरे पास कुछ और है
राघव ने नेहा के बाल खोलते हुए कहा और उसके सर को सहलाने लगा और नेहा ने भी हल्के के अपनी आंखे बंद की और राघव की ओर झुकी और वो उसके सर की मसाज करने लगा
नेहा- और वो क्या है?
नेहा ने सेम पोजिशन मे पूछा
राघव- तुम्हें जल्द ही पता चल जाएगा
नेहा- प्लीज बताइए ना
राघव- मुझपे भरोसा करती हो? तो थोड़ा सब्र करो
नेहा- आप बहुत बुरे हो
राघव- ओके। अब चलो सो जो अब से नो हॉलिडे
राघव ने नेहा को गोद मे उठाया और बेड के पास आया
नेहा- ये मेरे रावण मे अचानक इतना बदलाव
नेहा ने राघव के गले मे अपनी बाहे डालते हुए पूछा
राघव- इस रावण को कुछ और बनने मे भी देर नहीं लगेगी इसीलिए बेहतर होगा अब सो जो
राघव नेहा के ऊपर राजाई डालने लगा
नेहा- मुझे नींद नहीं आ रही है
राघव- आंखे बंद करो आ जाएगी
राघव ने नेहा के चेहरे पर बिखरी उसके बालों की लटों को हटाते हुए कहा
राघव- सुबह जल्दी उठना है अब चुप चाप सो जाओ
अगली सुबह नेहा खुर्ची पर गुस्से मे बैठी राघव पर नजरों के बाण चला रही थी वही राघव उसके लेसन पर कान्सन्ट्रैट कर रहा था वो लोग इस वक्त ऑफिस मे थे और नेहा राघव से बहुत ज्यादा गुस्सा थी
लेकिन क्यू??
क्युकी ये उसे सुबह जबरदस्ती घर से ऑफिस लाया था जबकि नेहा को आज घर पे रुकना था बड़ी दादी वापिस जा रही थी तो उन्हे बाय करना था लेकिन राघव ने उसकी एक नहीं सुनी थी और बच्चों जैसे उसे उठाके लाया था और अब उसे मार्केटिंग सीखा रहा था लेकिन नेहा उसकी किसी बात पर ध्यान नहीं दे रही थी
राघव – चिक्की कान्सन्ट्रैट!
राघव ने कहा क्युकी नेहा की नजरे उसे डिस्टर्ब कर रही थी और उसे नेहा का ये गुस्से वाला लुक बड़ा सेक्सी लग रहा था
और तभी नेहा अपनी जगह से उठी और सोफ़े के पास गई और वहा रखे जग से पानी लेके पीने लगी, राघव उसकी हर एक ऐक्टिविटी को देख रहा था वही नेहा उससे बात भी नहीं कर रही थी और आखिर राघव ने हार मान ली वही नेहा के उसे आँखों के कोने से देखा उसे उसके चेहरे पर स्माइल आ गई
राघव- कम से कम मेरी बात तो सुन लो, इधर आओ
राघव ने प्यार से आराम से कहा और नेहा ने भी एक पल सोचा और उसके पास गई और उसके सामने जाकर खड़ी हो गई और राघव आणि खुर्ची पर बैठा हुआ था
राघव ने नेहा का हाथ पकड़ और उसे अपने करीब खिचा और आराम से उसे अपनी गोद मे बिठाया, राघव की हरकत पर नेहा थोड़ा चौकी वो वहा से उठना चाहती थी लेकिन राघव ने उसे अच्छे से पकडा हुआ था जिसपे नेहा ने अपनी नजरे दूसरी तरफ घुमा दी
राघव- ऑ मेरा बेबी गुस्सा है?
राघव ने क्यूट टोन मे पूछा जिससे नेहा के मन मे तितलिया उड़ने लगी राघव जब भी उससे ऐसा बेबी कहके बुलाया करता उसे बड़ा अच्छा लगता था लेकिन फिर भी उसने राघव की तरफ नहीं देखा और अपना साइलन्ट मोड बनाए रखा
राघव- अच्छा ठीक है सॉरी लेकिन ये भी तो इम्पॉर्टन्ट है ना
नेहा- आप बहुत बुरे हो
नेहा ने राघव के कंधे पर मारते हुए कहा
राघव- हा जानता हु!
नेहा- आइ हेट यू
राघव- नो यू डोन्ट!
राघव ने नेहा को देखते हुए कहा और नेहा ने अपना चेहरा दूसरी ओर घुमा लिया
राघव- अच्छा ठीक है आज घर जल्दी चलेंगे ताकि तुम बड़ी दादी से मिल पाओ, खुश! लेकिन मैं वापिस आ जाऊंगा मुझे कुछ काम है
राघव ने आखिर हार मानते हुए कहा क्युकी नेहा की जिद्द से वो इतने मे अच्छे से वाकिफ हो चुका था और जैसे ही नेहा ने ये सुना उसकी आंखे चमक गई और उसने एक्साइटमेंट मे राघव को देखा
नेहा- सच मे! आप बेस्ट हो!!
और बोलते ही नेहा ने राघव के गाल को चूम लिया और जैसे ही उसके ध्यान मे आया के उसने क्या किया है वो पलट गई और राघव के चेहरे पर स्माइल आ गई
नेहा- ओके, मुझे लगता है अब हमे अपना काम कन्टिन्यू करना चाहिए ताकि घर जल्दी जा सके
नेहा ने बगैर राघव की ओर देखते हुए कहा और बस उठने ही वाली थी के राघव ने उसे रोक दिया
राघव- ऐसी ही बैठी रहो ना
राघव ने नेहा के कान मे कहा और नेहा भी वही बैठी रही राघव ने नेहा को मार्केटिंग पढ़ाना जारी रखा लेकिन नेहा के कुछ पल्ले नहीं पड़ा क्युकी राघव ने सबकुछ नेहा के कान मे बड़े ही सेन्शूअल वे मे कहा था और नेहा बस राघव के एहसास के अलावा कुछ और समझ ही नहीं पा रही थी उसमे राघव की उँगलिया हल्के हल्के से नेहा की कमर पर घूम रही थी और अब नेहा को ऐसा लग रहा था के उसे साड़ी मे ऑफिस नहीं आना चाहिए था
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कुमुद- अरे राघव, नेहा इतनी जल्दी आ गए तुम लोग?
बड़ी दादी ने जब इन्हे अपने रूम के दरवाजे पर देखा तो पूछ लिया
राघव- हा दादी ये आपकी बहु को आपसे मिलना था इसीलिए आज ऑफिस मे इनके नखरे चल रहे थे तो जल्दी वापिस लाना पड़ा
राघव ने रूम मे घुसते हुए कहा
कुमुद- हा तो वही तो है जो मुझसे प्यार करती है वरना तुम तो मुझे कब का भूल चुके हो
जैसे ही राघव दादी के पास बैठा दादी ने उसका कान खिचते हुए कहा
राघव- आउच दादी!!
कुमुद- अच्छा छोड़ो मुझे तुम दोनों से कुछ बात करनी है, नेहा तुम भी बैठो पहले
दादी ने कहा और नेहा राघव के बाजू मे जाके बैठी
राघव- क्या बात है दादी
कुमुद- नेहा ये लो बेटा
बड़ी दादी ने अपने बाजू मे रखा रक बॉक्स नेहा की ओर बढ़ाया
नेहा- ये क्या है दादीजी
कुमुद- खोल कर देखो समझ जाओगी
और जैसे ही नेहा ने उस बॉक्स को खोला उसके अंदर रखी चीज को देख कर नेहा की आंखे नम हो गई, उसकी आँख से आँसू बहने लगे, वो इस वक्त कैसा महसूस कर रही थी वो बता नहीं सकती थी राघव ने उसका हाथ पकडा हुआ था, कांपते हाथों से नेहा ने उस चीज को बाहर निकाला, उसका दिल इस वक्त जोर से धडक रहा था उस बॉक्स के अंदर रखी चीज उसके लिए बहुत ही ज्यादा मायने रखती थी, नेहा अपनी भावनाओ पर काबू नहीं रख पा रही थी, उस बॉक्स मे रखी हर चीज की नेहा के लिए एक अलग ही अहमियत थी उनसे उसकी याडे जुड़ी हुई थी और तब नेहा ने बड़ी दादी को देखा वो दादी के दिए इस तोहफे से बहुत बहुत ज्यादा खुश थी, इस चीज ने उसके दिल को छुआ था....
कुमुद- ये मेरे पास बची कुछ आखरी चीजे है जो मैं तुम्हें दे रही हु क्युकी इनपे तुम्हारा सबसे ज्यादा हक है क्युकी आखिर ये चीजे तुम्हारे पेरेंट्स की है! इस बॉक्स मे कुछ वो चीजे है वो तुम्हारे मम्मी पापा वहा छोड़ आए थे और ये घुँघरू तुम्हारी मा ने मुझे वहा से जाने से पहले दिए थे क्युकी मुझे घुँघरू की आवाज अच्छी लगती थी और अब ये तुम्हारे है
बड़ी दादी ने हसते हुए कहा
नेहा- लेकिन आपके पास?? मतलब?? कैसे??
कुमुद- क्युकी मैं तुम्हारे पेरेंट्स को जानती थी।
बड़ी दादी के शब्दों ने दोनों नेहा और राघव को कन्फ्यूज़ कर दिया
कुमुद- राघव तुम्हें राजीव अंकल याद है? राजीव कुलकर्णी?
बड़ी दादी ने राघव से पूछा और राघव याद करने लगा
राघव- हा! वो शायद गाँव मे हमारे पड़ोस मे रहते थे बस इतना ही याद है
कुमुद- नेहा अब कुछ याद आया? तुम तब बहुत छोटी थी जब अपने मम्मी पापा के साथ वहा रहती थी, राजीव और साधना!
दादी की बात सुन राघव ने एकदम से नेहा को देखा और उनकी बात सुन नेहा भी चौकी
नेहा- मुझे कुछ सही से याद नहीं है दादी, मैं बहुत छोटी थी बस कुछ धुंधली सी यादे है जो जेहन मे है
कुमुद- तुम्हारे दादी दादी गाँव मे हमारे पड़ोस मे ही रहते थे और तुम अपने मम्मी पापा के साथ वहा आती थी बहुत छोटी थी तुम तो शायद तुम्हें याद न हो तुम्हारे चाचा तो शहर के काम करते थे और उनका हमारे घर के काफी अच्छे संबंध थे खास कर शिवशंकर के
कुमुद- जानते हो राघव तुम्हारे दादू ने तुम्हें नेहा से शादी करने फोर्स क्यू किया? क्युकी उसे नेहा कौन है पता था और जब शिव ने देखा के तुम शादी के लिए तयार ही नहीं हो तो उसने तुम्हारा और नेहा का रिश्ता जोड़ने का फैसला लिया, याद है नेहा मैंने कहा था के मैंने तुमने देखा है, मैंने उस बचपन वाली नेहा को देखा था तुम्हारे चेहरे मे तुम्हारी मा की झलक है, अब ऐसा नहीं है के शिव ने तुमसे झूठ बोला है या ये बात छिपाई है बस वो चाहते थे के तुम पहले एकदूसरे को अपनाओ और अब ये हो रहा है मैं देख रही हु
कुमुद- तुम्हें तो याद ही होगा राघव हैं ना? मैं अच्छे से जानती हु तुम गाँव क्यू आते थे
दादी की बात सुन राघव ने अपना चेहरा घुमा लिया
कुमुद- तुम दोनों एकदूसरे को छिप छिप कर देखा करते थे टेरस से बगैर बात किए अब शायद तुम दोनों को ये बात याद न हो पर मुझे सब याद है, तुम दोनों ने बचपन मे आँखों आँखों मे बहुत बात करी है।
कुमुद- अच्छा अब चलो बाते बहुत हो गई अब मेरा चलने का टाइम हो गया है, हमेशा साथ रहना चाहे कोई भी परेशानी आए एकदूसरे पर हमेशा भरोसा करना
बड़ी दादी ने मुस्कुराकर दोनों के सर पर हाथ रखे कहा जिसके बाद वो और शुभंकर जी वहा से अपने घर के लिए निकल गए और राघव भी वापिस ऑफिस के लिए निकल गया
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मीनाक्षी- श्वेता किसी से चाय चढाने कहो माजी पापाजी मंदिर से आते ही होंगे
मीनाक्षी जी ने श्वेता ने कहा और जानकी जी से बातों मे लग गई और श्वेता वहा से चली गई
रिद्धि- अब तो त्योहार ही त्योहार है ना मा यानि छुट्टिया ही छुट्टिया अब नवरात्रि फिर दिवाली
रिद्धि ने अपनी मा और चाची के पास आते कहा
जानकी- हा न कितने जल्दी जल्दी समय बीत रहा है ना नवरात्रि के बाद दिवाली की तयारिया शुरू हो जाएंगी
रिद्धि- और इस बार तो और भी ज्यादा मजा आएगा मेरी भाभियों का तो घर मे पहला त्योहार है
अब तक नेहा और श्वेता भी वहा पहुच गई थी
जानकी- बिल्कुल
मीनाक्षी- वैसे श्वेता नेहा तुम न अपने अपने बुद्धू पतियों से कह के शॉपिंग कर आओ नवरात्रि आने वाली है, उनके दिमाग मे तो ये कुछ आने से रहा
जानकी- मुझे तो राघव की बहुत चिंता थी के वो शादी करेगा भी या नहीं अब नेहा उसके साथ है तो मेरी चिंता खतम
रिद्धि- ये बढ़िया है भाभियों को मस्त गिफ्ट्स मिलेंगे
नेहा- तो तुम भी कर लो शादी फिर लेती रहना गिफ्ट्स
नेहा ने हस कर रहा और रिद्धि की स्माइल गायब
रिद्धि- नो वे भाभी मैं ऐसे ही ठीक हु
रिद्धि ने ना मे गर्दन हिलाते हुए कहा
श्वेता- नहीं नहीं ऐसे कैसे, अगर तुमने किसी को पसंद किया होगा तो हमे बात दो हम उससे शादी करवा देंगे
रिद्धि- वो... भाभी मेरे एग्जाम्स आ रहे है तो मुझे पढ़ना है बाय!
इतना बोलके रिद्धि वहा से निकल ली और बाकी लोग हसने
लगे इतने मे दादू दादी वहा आ गए
शिवशंकर- अरे क्या चल रहा है भई
जानकी- कुछ नहीं बस नवरात्रि फिर दिवाली आने वाली है तो बाते कर रहे थे
गायत्री- हा ये तो नेहा और श्वेता का पहला त्योहार है हमारे घर मे, अब बस विवेक बचा है फिर मेरी जिम्मादारी खतम,
3शिवशंकर- अरे अभी तो विवेक की शादी मे टाइम है छोटा है वो
गायत्री- जी उसका बस चले तो वो आज ही ले आए
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रात को नेहा अपने कमरे मे गई तो उसने देखा के राघव उस बॉक्स को देख रहा था जिसे बड़ी दादी ने दिया था तो नेहा भी उसके बाजू मे जाकर बैठ गई
राघव- ये मा पापा है, हैना?
राघव ने एक फॅमिली फोटो को देखते हुए कहा
नेहा- हा मेरे मा पापा
नेहा ने भी फोटो को मुस्कुराकर देखते हुए कहा
राघव- ये घुँघरू! तुम इन्हे अपने अगले डांस विडिओ शूट मे पहनोगी।
राघव ने करीब करीब नेहा को ऑर्डर देते हुए कहा और बाकी चीजों को देखने लगा और उसकी नजरे एक फोटो पर पड़ी
राघव- ये फोटो? इसमे ये तो मैं हु लेकिन ये दूसरा कौन है who is he?
राघव ने कन्फ़्युशन मे पूछा, उस फोटो मे दो बच्चे थे जो दूर से एकदूसरे को देख रहे थे और नेहा ने हल्के से उसके कंधे पर मारा
नेहा- ही नहीं शी वो मैं हु! मुझे जीन्स शर्ट फ्रॉक से ज्यादा कंफर्टेबल लगते थे तो मैं वही पहनती थी
नेहा ने राघव के हाथ से वो फोटो लिया और देखने लगी कुछ पल दोनों मे से कोई कुछ नहीं बोला
राघव- मैंने कभी सोचा ही नहीं था के जीसे बचपन मे देखता था वही मेरी जीवनसाथी बनेगी
राघव ने अचानक से कहा
नेहा- हूह?
राघव – मैं छुट्टियों मे गाँव जाता ही इसीलिए था के तुम्हें देख पाउ लेकिन तुमने दिल तोड़ दिया मेरा
नेहा- ऐसा कुछ नहीं है
राघव – मैं भले छोटा था बट मेरी मेमोरी स्ट्रॉंग है नेहा, मैं हमेशा सोचता के ये कभी तो बात करेगी लेकिन तुमने कभी बात ही नहीं की है, खैर अभी अगर ये बाते बताने बैठ तो सुबह हो जाएगी
नेहा- आपको मेरे बारे मे इतना पता है?
राघव- जितना तुम्हें भी नही पता उतना
नेहा- क्यू? आपको ये सब कैसे पता है? क्यू आप मुझे मुझसे भी बेहतर जानते है? ये तो हमारे बचपन की बात है फिर भी आपको इतनी अच्छी तरह क्यू याद है?
नेहा ने अपनी मुस्कान छुपाते हुए राघव से पूछा और इन सवालों की राघव को उम्मीद नहीं थी, कम से कम अभी तो नहीं, प्यार था तो दोनों को पर दोनों मे से किसी ने कबुल नहीं किया था अपने प्यार जा इजहार नहीं किया था
राघव- उम्म... नेहा मुझे लगता है सोने का वक्त हो गया है लेट हो रहा है कल ऑफिस भी है
राघव ने सब चीजे वापिस बॉक्स मे रखते हुए नेहा के सवाल को इग्नोर करते हुए कहा वो उसकी तरफ देख भी नहीं रहा था
नेहा- ओ हा याद आया मैं और श्वेता कल बाहर जाने वाले है
राघव- किस खुशी मे??
नेहा- अरे नवरात्रि आ रही है और हमे शॉपिंग करनी है
नेहा ने इन्फॉर्म करते हुए कहा
राघव- ना, मैंने पहले ही कहा था अब नो छुट्टी
नेहा- आप इतने सडू क्यू हो त्योहार है अब तयारी भी न करे
राघव- अच्छा ठीक है मुह मत सड़ाओ चली जाना अब मुझे सोने दो
इतना बोलके वो राघव करवट बदल कर सो गया वही नेहा मुस्कुराने लगी आजकल ये बदलाव तो आया था, वो जरा कुछ बोलती राघव उसकी हर बात मान लेता था..
श्वेता- भाभी मैं ऑफिस आजाऊंगी दोपहर मे और फिर आपके लेक्चर के बाद शॉपिंग चलेंगे
श्वेता ने नेहा से कहा जो किचन मे थी
नेहा- ठीक है डन
नेहा ने श्वेता को बाय करते हुए कहा जिसके बाद वो बाहर कार मे आकार बैठी जहा राघव उसका इंतजार कर रहा था, राघव इस वक्त कार मे बैठा अपना फोन चला रहा था और नेहा को उसका साइड प्रोफाइल इतना हॉट लग रहा था के नेहा की नजरे उसपर से हट ही नहीं रही थी और राघव को अब्ज़र्व करते हुए उसके चेहरे पर एक मुस्कान बनी हुई थी, राघव फिजिकलि तो दिखने मे अच्छा था ही साथ मे दिल से भी हीरा था।
राघव- कुछ कहना है क्या चिक्की?
राघव ने अपने फोन में नजरे गड़ाए ही नेहा से पूछा
नेहा- नहीं!
नेहा ने ना ने गर्दन हिलाई और खिड़की से बाहर देखने लगी और ड्राइवर ने गाड़ी शुरू की और जैसे ही गाड़ी शुरू हुई राघव ने एक बटन दबाया जिससे फ्रन्ट सीट और बैक सीट के बीच एक पार्टिशन बन गया और वो आवाज सुन नेहा ने मूड कर राघव को देखा और राघव ने उसे अपने करीब खिचा, राघव का एक साथ नेहा की कमर पर था वही दूसरे हाथ से उसने नेहा का हाथ पकडा हुआ था
राघव- बोलो!
नेहा- क्या? मुझे कुछ नहीं कहना है!
राघव- मुझे पता है तुम्हें कुछ कहना है हा अब अगर अभी नहीं बताना तो कोई बात नहीं बाद मे कह देना मैं इंतजार करूंगा
राघव ने नेहा के माथे को चूमते हुए कहा
जब वो लोग ऑफिस मे पहुचे तो नेहा को शुभम दिखाई दिया जिससे वो ऑफिस मे मिली थी और उसे देख नेहा रुक गई और अब चुकी नेहा रुकी थी तो राघव को भी रुकना पड़ा जिससे वो जरा सा भी खुश नहीं था
नेहा- हे शुभम
नेहा ने ब्राइट स्माइल के साथ कहा जो राघव को पसंद नहीं आया
‘इतना हसके मुझसे तो कभी बात नहीं करती’ राघव ने सोचा
शुभम – गुड मॉर्निंग मैडम , सर
शुभम ने उन्हे विश किया लेकिन बदले मे राघव ने बस अपनी गर्दन हिला दी
नेहा- कितनी बार बताऊं मुझे मैडम मत कहो तुम मुझे नेहा बुला सकते हो
नेहा ने शुभम से कहा लेकिन इसके जवाब मे शुभम कुछ कहता उससे पहले ही राघव बोल पड़ा
राघव- वो ऐसे कैसे कर सकता है बेबी! मैं यहा का बॉस हु और तुम भी हैना मिस्टर शर्मा
राघव ने आँखों ही आँखों मे शुभम को धमकाते हुए पूछा जिसपर उसने भी हा मे गर्दन हिला दी और इससे पहले नेहा कुछ बोलती राघव उसे वहा से अपने केबिन मे ले आया
नेहा- मैं बात कर रही थी ना
जैसे ही वो केबिन में पहुंचे नेहा ने हल्के से चिल्लाते हुए कहा
राघव- वो यहा काम करने आता है दोस्त बनाने नहीं उसे उसका काम करने दो
नेहा- कम ऑन ही इज अ नाइस मॅन
राघव- बट योर हसबैंड इस अन ऑसम मॅन, अब बाते बहुत हो गई कल जहा छोड़ा था वही से काम शुरू करना है
राघव ने कहा और नेहा को कल वाला सीन याद आ गया जब वो राघव की गोद मे बैठी थी और वो सब कुछ उसके कान मे कह रहा था लेकिन राघव का इस ओर ध्यान ही नहीं था वो कोई फाइल पढ़ रहा था
‘नेहा वो काम की बात कर रहे है तुम जो सोच रही हो वो नहीं’ नेहा ने अपने आप को समझाया
नेहा ने अपना ध्यान लैपटॉप पर लगाया और फिर उसकी नजरे उस खुर्ची की ओर गई जिसपर राघव बैठा था
राघव- चिक्की, तुम चाहती हो मैं कल की तरह आज भी तुम्हें गोद मे बीठा कर पढ़ाऊ??
राघव ने फाइल मे देखते हुए ही एक स्माइल के साथ कहा जिसने नेहा को अपने खयालों से बाहर लाया
नेहा- ह? न.. नहीं! मैं तो वो.. लेट्स कन्टिन्यू
नेहा ने अपनी खुर्ची की ओर बढ़ते हुए कहा
राघव- क्या? पढ़ाई या...
नेहा- पढ़ाई!!!
नेहा ने एकदम से कहा, विसर्जन के बाद से नेहा को एक अलग ही राघव दिख रहा था, नेहा को ये बदलब अच्छा लग रहा था, मौसम गुलाबी हो रहा था
इतने पूरे समय मे राघव के चेहरे पे मुस्कान बनी हुई थी, राघव नेहा को मार्केटिंग पढ़ा रहा था वही बीच बीच मे डबल मीनिंग बातों से उसे छेड भी रहा था, जैसे वो नेहा को इन्वेस्टमेंट के बारे मे बता रहा था जिसमे उसने कहा के स्टॉक का प्राइस ऊपर नीचे होता है और जब आप नीचे फोकस करो तो और बढ़िया होता है और जब तो आप नीचे छु लेते तो तब तो....
नेहा- आप ये क्या कह रहे है???
राघव- मैं तो स्टॉक ऑप्शन को छूने की बात कर रहा हु खरीदने के लिए आजकल तो और भी ईजी है आप मोबाईल से स्टॉक्स खरीद सकते है और लो प्राइस मे खरीदना बहुत satisfying है
राघव ने कहा लेकिन नेहा को समझ आ रहा था के वो क्या कह रहा था और जब तक वो एक्चुअल काम शुरू करते 12 बज चुके थे और नेहा का फोन बजने लगा उसने देखा तो श्वेता का कॉल था
नेहा- आज के लिए इतना काफी है अब बाकी कल
नेहा ने एक्सईट होकर अपनी जगह से उठते हुए कहा
राघव- इतनी एक्साइटमेंट?
राघव ने अपनी एक भौ उठाते हुए पूछा
नेहा – मैं श्वेता के साथ शॉपिंग करने जा रही हु
राघव- तो मानोगी नहीं हैना
नेहा- उमहू
नेहा ने ना मे गर्दन हिलाते हुए कहा वही राघव उसके करीब आया और उसे कमर से पकड़ कर अपने पास खिचा
राघव- किस चीज की शॉपिंग करने वाली हो
नेहा- कुछ नहीं मैं बस श्वेता की मदद करने जा रही हु
राघव- जब कुछ लेना ही नहीं है तो जाने का क्या फायदा
नेहा- क्युकी मुझे मेरी शॉपिंग आपके साथ करनी है
नेहा ने राघव की शर्ट की बटन से खेलते हुए कहा
राघव- तो तुम्हें मुझसे कुछ चाहिए?
नेहा- मैंने ऐसा थोड़ी कहा, मुझे बस आप मेरे साथ चाहिए
राघव – ठीक है फिर ऐसा करते है मैं तुम्हारे साथ चलता हु और शेखर श्वेता के साथ चला जाएगा
राघव की बात सुन नेहा की आँखों मे चमक आ गई
नेहा- पर आपकी तो मीटिंग है ना भूल गए?
राघव- है तो पर मेरी बीवी की इच्छा से ज्यादा जरूरी नहीं है, मैं मीटिंग बाद मे अरेंज करा लूँगा
राघव ने नेहा के गालों को चूमते हुए कहा और नेहा के गालों पर लाली छ गई
नेहा- परफेक्ट श्वेता आ गई होगी मैं अभी उसे जाकर ये बात बताती हु
जिसके बाद नेहा वहा से चली गई और राघव उसे जाते देख मुस्कुराने लगा
‘तुम्हे सबसे बेस्ट गिफ्ट मिलने वाला है चिक्की’ नेहा के केबिन से बाहर जाते ही राघव ने अपने आप से कहा
--x--
श्वेता- भाभी ये देखो कितना सुंदर है ना
श्वेता ने नेहा को लाल रंग का एक लहंगा दिखते हुए पूछा
नेहा- हा ये बहुत सुंदर है, इसे ले लो ये अच्छा लगेगा तुमपर
नेहा ने उस लहंगे को देखते हुए कहा
श्वेता- हैना! शेरी कैसा है ये? मैं ले रही हु इसे
श्वेता ने वो ड्रेस शेखर को दिखाया जिसने उदासीनता से उबासी लेते हुए हा मे गर्दन हिला दी
श्वेता- क्या यार शेरी तुम कितने बोरिंग हो भईया को देखो वो कैसे भाभी की मदद कर रहे है कितना इंटेरेस्ट है उनको और तुम देखो
श्वेता ने शेखर को घूरते हुए उसके कंधे पे हल्के से मारते हुए कहा और शेखर ने वापिस हा मे गर्दन हिला दी, वो पहले ही मन ही मन अपने भाई को गालियां दे चुका था क्युकी उसे ये शॉपिंग वह सीन बिल्कुल पसंद नहीं था फिर भी वो यहा था
वही दूसरी तरफ नेहा कन्फ्यूज़ थी के वो क्या ले जैसा उसे चाहिए था वैसा उसे कुछ मिल ही नहीं रहा था और उसकी तरफ से उसके लिए राघव कपड़े सिलेक्ट कर रहा था
नेहा- मुझे कुछ पसंद ही नहीं आ रहा
नेहा ने निराश होते हुए कहा
“मैडम हमारे पास और भी ड्रेसेस है आप देख लीजिए पसंद आए तो वो ट्राइ करके देखिए” वहा के सैल्ज़्मन ने कहा
नेहा- ठीक है!
जिसके बाद नेहा ने दो ड्रेस पसंद किए और एक ड्रेस लेकर चेंजिंग रूम मे चली गई और दूसरा ड्रेस राघव को पकड़ा गई वो बहुत ज्यादा पैशन्स के साथ जो उसके पास नहीं था चेंजिंग रूम के बाहर नेहा की राह देखते खड़ा था
कुछ ही पलों मे नेहा चेंजिंग रूम के बाहर वो ड्रेस पहने आई
नेहा- कैसा है?
नेहा ने गोल घूमते हुए राघव ने पूछा और उसने ना मे गर्दन हिला दी
नेहा- कुछ नहीं चाहिए मुझे, ये सब कितना कन्फ्यूज़िंग है
नेहा अब चिढ़ रही थी तभी राघव की नजर एक ड्रेस पर पड़ी जिसने उसका ध्यान खिचा
राघव- रुको!!
जिसके बाद राघव ने एक सेल्समैन से कहकर वो ड्रेस निकलवाया और नेहा के पास आया
राघव- इसको ट्राय करो
उसने वो नेहा को पकड़वाया और नेहा बस उस ड्रेस को ही देख रही थी ये बिल्कुल वैसा था जैसा उसे चाहिए था
नेहा- ये.. ये परफेक्ट है ऐसा ही चाहिए था मुझे
नेहा ने खुश होते हुए कहा और झटके के साथ राघव के हाथ से वो ड्रेस लिया और वापिस चेंजिंग रूम के अंदर चली गई
कुछ समय बाद श्वेता भी वहा आ पहुची
श्वेता- भईया भाभी कहा है
जन श्वेता ने नेहा को नहीं देखा तो पूछा
राघव – वो अंदर....
और राघव की बात पूरी होती इससे पहले ही चेंजिंग रूम का दरवाजा खुला और नेहा उस ड्रेस को पहने बाहर आई
श्वेता- भाभी ये बहुत सुंदर है
श्वेता ने नेहा के ड्रेस को देखते हुए कहा
राघव- परफेक्ट!!
राघव ने नेहा को देखते हुए कहा और नेहा मुस्कुरा दी
नेहा- मुझे यही चाहिए
राघव- ठीक है, अब हो गया तो तुम लोग शेखर के साथ घर जाओ फिर
नेहा- क्यू? आप नहीं आ रहे?
राघव- न, मुझे कुछ काम है थोड़ी देर से आऊँगा!
श्वेता- ठीक है फिर भाभी आप चेंज कर लो मैं और शेरी कार के पास वेट करते है
इतना बोल ले श्वेता वहा से चली गई
नेहा ड्रेस चेंज करके जब बाहर आई तो उसका चेहरा थोड़ा उतरा हुआ था और आकार नेहा ने अपनी सारी शॉपिंग बैग्स उठाई और जाने ही वाली थी के राघव ने उसे रोका और उसके हाथ से सारी बैग्स ली
राघव- मैं जल्दी आ जाऊंगा बहुत जरूरी काम है
राघव ने नेहा के गाल को चूमते हुए कहा जिससे नेहा के चेहरे पर थोड़ी मुस्कान आई
नेहा- क्या काम है?
नेहा के पूछा और अब राघव के चेहरे का रंग उड गया
राघव- वो.. उम्म... कुछ बिजनस वाला स्टफ है जल्दी आता हु मैं
राघव ने नर्वसली कहा और नेहा के साथ कार तक आया कहा शेखर और श्वेता उनकी राह देख रहे थे और नेहा राघव के जवाब पर अभी भी कन्फ्यूज़ थी
‘सॉरी चिक्की बेबी अभी नहीं बता सकता’ राघव ने नेहा को देखते हुए मन ही मन कहा
हर बीतते दिन के साथ सब कुछ और भी बेहतर हो रहा था और जबसे बड़ी दादी ने उन दोनों को उनके बचपन के बारे मे बताया था तब से तो वो किसी बिछड़े प्रेमी की तरह हो गए थे, आजकल राघव के दिन की शुरुवात नेहा के किस के साथ होती और और उसका दिन खत्म भी किस के साथ ही होता था और अगर नेहा उसे किस करना भूल जाए तो वो खुद नेहा के पास पहुच जाता अब तो ये जैसे उनका नॉर्मल रूटीन बन गया था किसिंग फ्लर्टिंग पर असल बेस पर दोनों अब भी नहीं पहुचे थे
इतना सब होने के बाद भी ना ही राघव और ना ही नेहा दोनों ने अपने प्यार का इजहार नहीं किया था अब बातों बातों मे दोनों ने अपने की दिल की बाते बात दी थी लेकिन डायरेक्टली वो 3 शब्द नहीं बोले थे, राघव परफेक्ट वक्त के इंतजार मे था वही नेहा राघव के साथ जितनी बड़बड़ कर ले उसमे उन 3 शब्दों को बोलने की हिम्मत नहीं थी।
शाम का वक्त था कल से नवरात्रि शुरू होने वाली थी अगली सुबह देशपांडे वाडे मे घटस्थापना होनी थी, ज्यादा बड़ा आयोजन नहीं था, शाम से ही कल की तयारिया चल रही थी महिलाये अपने अपने हाथों मे मेहंदी लगवा रही थी, सब लोग घर मे थे सिवाय राघव के जो आज भी रोज जैसा लेट आया था, राघव जब घर पहुचा तो नेहा रूम मे नहीं थी उसने सोचा के कुछ काम में होगी, लेकिन जब खाने का वक्त हो गया और राघव डायनिंग टेबल पर आया जहा सब थे तब वहा भी उसे नेहा कही नहीं दिखी,
राघव ने देखा के शेखर श्वेता को खाना खिला रहा था क्युकी श्वेता के हाथों मे मेहंदी लगी हुई थी और अब उसे भी नेहा को ऐसे ही खाना खिलाना था वो अपनी खुर्ची पर जाकर बैठ गया तो उसकी नजर उसकी मा और चाची पर पड़ी
राघव- मा, चाची आप लोग खाना नहीं खाओगे?
जानकी- हमने तो खा लिया है, वो मेहंदी लगानी थी तो, बस तुम लोग बचे हो
जानकी जी ने बताया जिसपर राघव ने हा मे गर्दन हिला दी और फिर नेहा को वहा ना पाते हुए बोला
राघव- यहा कुछ तो मिसिंग है, हैना?
राघव ने एकदम नॉर्मल साउन्ड करते हुए कहा
मीनाक्षी- अरे हा
मीनाक्षी जी की बात सुन के राघव के चेहरे पर मुस्कान आ गई के चलो अब ये नेहा को बुलाएगी
मीनाक्षी- सलाद! सलाद मिसिंग है, अभी किसी से कहती हु लाने रुको!
और ये बात सुन के राघव बाबू की मुस्कान गायब
राघव- अरे मतलब जीतने हम लोग है उस हिसाब से खुर्चीया कम नहीं लग रही?
गायत्री- हा वो इसीलिए क्युकी विवेक ने फुटबॉल खेलते हुए एक खुर्ची तोड़ दी है
दादी ने कहा
राघव- नहीं मतलब कोई तो यहा मिसिंग है
राघव ने वापिस हिंट डाली
शिवशंकर- हा विवेक नहीं है, वो अपने रूम मे उस टूटी हुई खुर्ची को जोड़ने की कोशिश कर रहा है
दादू ने कहा, हालांकि सब बराबर समझ रहे थे राघव किसकी बात कर रहा है और अब इन सब के ऐसे जवाबों से राघव बाबू परेशान हो गए और सीधा पूछ डाला फिर
राघव- नेहा कहा है??
“अच्छा....... नेहा..... कहा.... है....?” डायनिंग टेबल पर बैठे सभी ने कोरस मे कहा ताकि इस परेशान आत्मा को और परेशान कर सके वैसे भी ऐसे मौके घरवालों को कम ही मिलते थे और इसीलिए राघव डायरेक्टली ये बात नहीं पूछ रहा था
रमाकांत- क्यू बेटे? नेहा यहा नहीं होगी तो तुम्हें खाना हजम नहीं होगा क्या?
राघव- ऐसा नहीं है डैड, वो तो मैंने उसे देखा नहीं तो पुछ लिया बस
शेखर- पर भाई भाभी तो गई।
शेखर ने मासूम बनते हुए कहा और राघव के झटके से उसे देखा
राघव- गई? कहा?
अब इसको हल्का हल्का गुस्सा आ रहा था के नेहा ने उसे बताया भी नहीं
धनंजय- तुम्हें नहीं पता? हमे लगा नेहा ने तुम्हें बताया होगा, मैं ही उसे उसके चाचा के यहा छोड़ के आया हु
और इसी के साथ राघव के चाचा के उसे हल्का स हार्ट अटैक दे डाला
राघव- क्या?? कब??
राघव एकदम से अपनी जगह पर से उठ गया वही बाकी लोग उसको ऐसा देख उसके चेहरे को देख अपनी हसी कंट्रोल कर रहे थे लेकिन राघव को अभी इसकी कहा परवाह थी उसके दिमाग मे अभी बस एक बात घूम रही थी के नेहा उसके चाचा के यहा गई थी वो भी उसे बगैर बताए, बताके जाती तो भाई थोड़ा रिलॅक्स रहता
उसने कल के लिए बहुत कुछ प्लान करके रखा था बहुत कुछ सोच के रखा था और सबसे इम्पॉर्टन्ट बात ये थी के ऑफिस से आने के बाद न तो बेचारे को किस मिला था न ही वो अपनी बीवी के प्यार भारी बाते कर पाया था ऑफिस मे बिजी होने की वजह से सुबह से उससे ढंग से बात भी नहीं हुई थी
राघव- मैं आता हु थोड़ी देर मे
इतना बोल के राघव वहा से जाने ही वाला था के सबने उसे रोक लिया
जानकी- अरे पर जा कहा रहे हो खाना तो खा लो पहले
लेकिन राघव ने ना मे मुंडी हिला दी
राघव- कुछ जरूरी काम याद आ गया है मा पहले वो खतम करता हु फिर आता हु
जानकी- लेकिन खाना?
राघव- आके खा लूँगा और वैसे भी अभी इतनी भूख नहीं है
रमाकांत- नहीं नहीं नहीं ऐसे नहीं चलेगा, राघव पहले खाना खा लो तबीयत वगैरा खराब हो जाएगी, काम इंतजार कर लेगा
राघव- लेकिन डैड मुझे सच मे भूख नहीं है
रिद्धि- भाई इतना अर्जन्ट काम है क्या जो खाना भी नहीं खा सकते?
राघव – हा बहुत अर्जन्ट है
तभी
शेखर- अरे भाभी आ गई आप
शेखर ने राघव के पीछे देखते हुए कहा जिसपर राघव ने भी मूड कर देखा तो नेहा वहा आ रही थी और उसके हाथों पर मेहंदी लगी हुई थी
राघव ने पहले नेहा को देखा फिर अपने पूरे परिवार को देखा, उन्होंने इसे छेड़ा और ये छिड़ गए
धनंजय- राघव, तुम जा रहे थे ना कही? तो जाओ फिर
अब इसका राघव के पास कोई जवाब नहीं था
राघव- वो... चाचू...
ऐसे टाइम इसका दिमाग काम करना बंद कर देता था फिर बहाना कैसे मिलता
राघव- हो गया मेरा काम
इतना बोल के राघव वापिस आकार अपनी खुर्ची पर बैठ गया और बाकी सब हसने लगे वही नेहा ये क्या हो रहा है देख के कन्फ्यूज़ थी
गायत्री- अगली बार से उसके बारे मे पूछना हो तो डायरेक्ट पूछना घुमा के नहीं
घरवालों ने राघव को ऐसे जॉली मूड मे बहुत समय बाद देखा था वो बदल रहा था और इस बदलाव से सभी खुश थे
जानकी- नेहा तुम भी बैठो खाना खा लो तुमने भी नहीं खाया है
जिसके बाद नेहा जाके राघव के बाजू मे बैठ गई
मीनाक्षी- हा वरना किसी को वापिस यहा कुछ मिसिंग लगने लगेगा
जिसपर सब वापिस हस दिए बस नेहा को छोड़ के
पहले तो नेहा ने राघव की थाली मे खाना परोसने का सोचा क्युकी ये तो राजाजी है लेकिन आज उसके हाथ मे मेहंदी होने की वजह से वो ये नहीं कर सकती थी वो उसने राघव को देखा
राघव- मैं भी ले सकता हु
राघव ने नेहा से कहा और अपनी प्लेट मे खाना परोसने लगा और तभी पीछे से विवेक आया
विवेक- ओ हो हो राजाजी, आज क्या सूरज पश्चिम से निकला है क्या जो आप स्वयं अपने हाथों से खुद की प्लेट मे खाना ले रहे हो
विवेक ने अपने दोनों हाथ राघव ने दोनों कंधों पर जोर के रखते हुए कहा जिससे राघव थोड़ा आगे सरका
राघव- बस इसी की कमी थी
राघव धीमे से पुटपुटाया
श्वेता- अरे विवेक भईया को परेशान मत करो वो अर्जन्ट काम पर फोकस कर रहे है
विवेक- अर्जन्ट काम?
रिद्धि- विवेक!!!
रिद्धि ने विवेक को आखों से इशारा किया और इस मंदबुद्धि की ट्यूबलाइट जली
विवेक- ओ अच्छा! हटाओ यार खाना दो भूख लगी है
जिसके बाद विवेक जाके अपनी जगह पर बैठ गया
इधर नेहा ने राघव को कोहनी मारी और जब राघव ने उसकी ओर देखा तो इशारे से पूछा के क्या चल रहा है तो राघव ने इशारों मे ही ध्यान मत दो बोल दिया जिसके बाद राघव नेहा को अपने हाथ से खाना खिलाने लगा
शिवशंकर- विवेक खुर्ची ठीक हो गई?
विवेक- कम ऑन दादू मैं कोई कारपेंटर थोड़ी हु और वैसे भी उस खुर्ची का अंतिम वक्त आ गया था, वो अब हमारे बीच नहीं है, खुरचियों के देवता उसकी आत्मा को शांति दे
विवेक ने नौटंकी करते हुए अपने नकली आँसू पोंछते हुए कहा
धनंजय- तो इतनी देर से क्या रिपेयर करने की कोशिश कर रहे थे
विवेक- वो डैड, क्या हुआ ना उसे रिपेर करने के चक्कर मे मैं उसके और ज्यादा टुकड़े कर बैठा
विवेक ने नर्वसली कहा वही बकियों को तो इसकी ही उम्मीद थी
गायत्री- अच्छा अच्छा अब जल्दी से खाना खतम करो कल सुबह वापिस जल्दी उठना है पूजा की तयारिया करनी है
दादी ने कहा और जल्दी उठने के नाम पे राघव के नेहा को देखा क्युकी ये उसकी नींद के साथ खिलवाड़ था
खाना खाने के बाद सब अपने अपने कमरों मे चले गए
जानकी- नेहा!
नेहा बस अपने कमरे मे जा ही रही थी के जानकी जी ने उसे बुलाया
नेहा- हा मा
जानकी- देखो वैसे तो जरूरी नहीं है पर कल तुम और राघव मंदिर हो आना
नेहा- ठीक है मा हम चले जाएंगे
जानकी- बढ़िया और थैंक यू
नेहा- क्यू?
जानकी- मेरे बेटे को बदलने के लिए, आज मैंने वो पुराना वाला राघव देखा है इसीलिए थैंक यू, अब जाओ जाकर आराम करो कल सुबह बहुत काम है
जिसपर नेहा ने हा मे गर्दन हिलाई और अपने रूम मे आई
रूम मे आते ही नेहा ने देखा के राघव अपना लैपटॉप लिए बैठा था
नेहा- आप न अपने इस लपटॉप को ऑफिस मे ही छोड़ कर आया कीजिए, वहा तो काम करते ही है और घर आने पर भी
नेहा ने बेड पर बैठते हुए राघव को डाटना शुरू किया और राघव ने झट से अपना लैपटॉप बंद किया और नेहा के पास पहुचा
राघव- जो हुकूम सरकार,
राघव ने नेहा का हाथ पकड़ और उसकी मेहंदी को गौर से देखने लगा
नेहा- आप क्या ढूंढ रहे है?
राघव- मेरा नाम? कहा है इसमे
नेहा- आप से किसने कह दिया के मैंने इसमे आपका नाम लिखा है
राघव- तो क्या तुमने नहीं लिखा??
नेहा के जवाब से राघव थोड़ा disappoint हुया लेकिन फिर नेहा ने उसे अपनी मेहंदी मे उसका नाम दिखाया
नेहा- मैंने तो लिखा है लेकिन आपने मेरे लिए क्या किया? कुछ नहीं।
राघव- ऐसे कैसे कुछ नहीं और ये किसने बोल दिया
फिर राघव ने नेहा को अपना हाथ दिखाया जिसमे एक साइड मे बहुत छोटे अक्षरों मे चिक्की लिखा हुआ था, अब राघव देशपांडे ये करेगा ये नेहा ने सोचा भी नहीं था उसने राघव को कस के गले लगा लिया
राघव- वैसे एक बात पता है?
नेहा- क्या?
राघव- तुम्हारा ये मेहंदी लगाना मेरे लिए फायदेमंद है
नेहा- कैसे?
नेहा ने उससे थोड़ा अलग होते हुए पूछा और फिर उसके ध्यान मे आया
नेहा- नहीं!
राघव- हा
नेहा – नहीं!!
राघव- हा!
राघव नेहा के करीब जा रहा था और अब नेहा नीचे थी और राघव उसके ऊपर और वो उसे हटा भी नहीं सकती थी क्युकी उसके हाथों मे मेहंदी लगी हुई थी और राघव ने नेहा को किस करना शुरू किया और नेहा ने भी अपनी हार मानते हुए उस किस का रीस्पान्स देने लगी, राघव ने फिर नाइट स्टैन्ड लैम्प को बंद कर दिया और वापिस नेहा पर फोकस करने लगा...
अगले दिन नवरात्रि का पहला दिन था, नेहा आज पहली बार अपनी नींद को ताक पर रख कर सुबह जल्दी उठी थी, सुबह जल्द ही सारी पूजा हो चुकी थी और अब चुकी नवरात्रि थी तो नेहा ने भी राघव को छुट्टी के लिए मना लिया था हालांकि वो इससे जरा सा भी खुश नहीं था लेकिन आजकल नेहा के आगे उसकी एक नहीं चलती थी
राघव बस ऑफिस के लिए निकलने ही वाला था के उसने जाकर नेहा को बुलाया
राघव- नेहा...!
नेहा- हा
राघव- फटाफट रेडी हो जाओ हमे चलना है,
नेहा- लेकिन मैं तो ऑफिस नहीं आने वाली
राघव- हा तो मत आना लेकिन अभी चलो ना यार कुछ दिखाना है तुम्हें
नेहा- आप पहले मुझे बताएंगे बात क्या है
राघव- चिक्की आजकल ना तुम एक बात नहीं सुनती मेरी बस चलो ना यार
नेहा- अच्छा अच्छा बाबा ठीक है आती हु
जिसके बाद राघव और नेहा कार से निकले
नेहा- आपको बताना भूल गई थी मा ने कहा था आज मंदिर हो आना है
राघव- ठीक
जिसके बाद राघव ने गाड़ी पहले मंदिर की ओर ली, आज नवरात्रि का पहला दिन होने की वजह से वहा भीड़ कुछ ज्यादा ही थी इसिलए वहा इन्हे बहुत समय लग गया और वहा से जब वो निकले तो नेहा ने देखा के राघव ने गाड़ी एक अलग ही रास्ते पर ली है, ये ना तो ऑफिस का रास्ता था ना ही उनके घर का
नेहा- हम कहा जा रहे है?
राघव- कोई सवाल मत करो चिक्की जस्ट वेट एण्ड वाच
राघव के चेहरे पर एक स्माइल थी वही नेहा उसे देख कन्फ्यूज़ थी के वो कहा जा रहे है।
कुछ समय बाद जब वो पहुच गए तो राघव ने गाड़ी रोकी, वो एक बिल्डिंग के सामने आकार रुके थे, राघव ने बाहर आकार नेहा के लिए दरवाजा खोला नेहा अब भी कन्फ्यूज़ थी और राघव उसे लेकर बिल्डिंग के अंदर गया
बिल्डिंग का काम अभी पूरा नहीं हुआ था अन्डर कन्स्ट्रक्शन था लेकिन बहुत सी चीजे पूरी हो चुकी थी
नेहा- आप मुझे कहा लेकर आए है?
नेहा ने वहा के खाली हॉल की दीवारों को देखते हुए पूछा
राघव- ये आपका सपना मिसेस देशपांडे!
राघव ने धीमे से नेहा से कहा और उसकी आंखे सप्राइज़ मे बड़ी हो गई
राघव- हा मतलब अभी पूरा नहीं हुआ है थोड़ा काम बचा हुआ है लेकिन काफी कुछ हो चुका है!
उस जगह को देख नेहा अपनी भावनाओ पर काबू नहीं कर पाई और उसने राघव को गले लगा लिया और राघव ने भी उसे अपनी बाहों मे भर लिया
नेहा- थैंक यू थैंक यू, थैंक यू सो मच!
बोलते बोलते नेहा का गला भर आया था और राघव उसकी पीठ सहला रहा था
राघव- ओये चिक्की ऐसे रो मत यार ये तो खुश होने का वक्त है ना, रोने का नहीं बेबी
राघव ने नेहा के बालों मे उँगलिया घुमाते हुए कहा
नेहा- इस जगह के मेरे लिए क्या मायने है मैं आपको बता नहीं सकती राघव, ये ना सिर्फ मेरी मम्मा से रेलेटेड है बल्कि मेरे पापा से भी, वो हमेशा चाहते थे के मैं वो करू जो मुझे पसंद हो और आप उन्ही की बात को आगे बढ़ा कर मेरा सपना पूरा कर रहे हो, इस जगह मे 3 लोगों को सपने बसे है
नेहा से राघव से अलग हटते हुए कहा, राघव ने उसके आँसू पोंछे और उसके माथे को चूम लिया
राघव- तुम खुश तो मैं खुश! बस तुम मुसकुराते रहा करो और मैं वादा करता हु के मैं तुम्हारे चेहरे से इस मुस्कान को हटने नहीं दूंगा
बोलते हुए राघव ने नेहा को वापिस अपनी बाहों मे भर लिया
राघव- चलो तुमको इस जगह का प्रापर टूर दे देता हु
जिसके साथ ही राघव ने नेहा को बिल्डिंग का टूर देना शुरू किया उसे सब बताने लगा के कहा कहा क्या क्या होगा कैसे क्लासेस होंगी वगैरा
राघव- आइ एम सॉरी के मैंने तुम्हें डिजाइनस् के बारे मे नहीं पूछा लेकिन मैं तुम्हें सप्राइज़ देना चाहता था
नेहा- ये सब परफेक्ट है!
नेहा ने स्माइल के साथ कहा और राघव ये देख के खुश हो गया के उसे सब पसंद आ गया था।
कुछ समय वहा बिताने के बाद राघव ने नेहा को कुछ और बाते बताई जिसके बाद वो नेहा को घर ड्रॉप करता हुआ ऑफिस के लिए निकल गया।
नवरात्रि के अगले 10 दिन देशपांडे वाडे मे चहल पहल बनी रही, और इसमे एक बात अलग थी के राघव सभी दिन अपने काम से फुरसत निकाल कर घर पर बराबर समय दे रहा था जो उसने पिछले कई सालों से नहीं किया था, ये नेहा से किए उस वादे की भरपाई थी वो उसके अतीत के चलते गणेशोंत्सव मे वो पूरा नहीं कर पाया था, और घरवाले भी इससे खुश थे।
इन 10 दिनों मे एक और बात हुई थी, विशाल ने अपना बिजनस मे भारत मे सेट कर लिया था और साथ ही उसका और रितु का रिश्ता पक्का हो चुका था और वो अब ऑफिशियल कपल बन गए थे।
भारत की सबसे खास बात ये है के यहा त्योहारों के हिसाब से आप साल भर की प्लैनिंग कर सकते हो, और सब एक के बाद एक आते है। श्रवण महीने से जो त्योहारों की लाइन शुरू होती है तो सीधा फागुन मे होली पर उसे विराम लगता है, बाकी साल मे उतने स्पीड से त्योहार नहीं आते जीतने श्रवण से फागुन के बीच आते है और देशपांडे परिवार का बिजनस के दुनिया मे जितना बड़ा नाम था उतना ही वो लोग अपनी संस्कृति के जतन के लिए जाने जाते थे, हर चीज का उत्साह देखने मिलता था, हा अब इसमे कभी कबार उनके काम बीच के आ जाता थे जैसे कि रमाकांत जी इस पूरे नवरात्रि मे घर से दूर थे, वो अपने एरिया के एमपी थे और इस वक्त दिल्ली मे थे।
इस नवरात्रि की शुरुवात मे ही राघव ने नेहा को उसके सपने को पूरा करने का उपहार दिया था जिससे वो काफी ज्यादा खुश थी अब अब चुकी नवरात्रि खतम हो चुकी थी तो उसे वापिस ऑफिस जॉइन करना था जिससे राघव सबसे ज्यादा खुश था लेकिन क्या नेहा रेगुलर ऑफिस जॉइन करेगी ये वो अब वक्त ही बताएगा
आज संडे का दिन था, नवरात्रि का पर्व खतम हो चुका था और दिवाली की तयारिया चल रही थी। पिछले कुछ दिनों से महोल एकदम शांत था, रीज़न ये था के दशहरे के अगले दिन ही राघव को बिजनस ट्रिप कर जाना पड़ा था और वो अभी तक लौटा नहीं था जिसके चलते नेहा की नवरात्रि की जो छुट्टी थी वो बढ़ गई थी लेकिन साथ ही उसकी और राघव की दूरी भी जो दोनों को ही बर्दाश्त नहीं हो रहा था। इस वक्त घर का सारा महिला मण्डल बातचित मे लगा हुआ था
रिद्धि- इस बार तो भाभियों का पहला करवा चौथ भी है हैना?
जानकी- हा लेकिन ये टोटली उनपर निर्भर करता है के उन्हे ये करना है या नहीं
मीनाक्षी- बिल्कुल, माजी ने हमे भी इसके लिए फोर्स नहीं किया था तो हम कैसे हमारी बहुओ से कहे हा अब ये दोनों करना चाहे तो हमारा काम बढ़ जाएगा
रिद्धि- कैसे?
मीनाक्षी- वो ऐसे के बहु को उसकी सास ही सरगी देती है
रिद्धि- लेकिन फिल्मों मे तो अलग ही बताते है
जानकी- फिल्मों मे जो भी दिखाया जाए वो हमेशा सही नहीं होता है
नेहा- मा हमे ये करवा चौथ का उपवास करना है
श्वेता- हा
मीनाक्षी- पक्का?
नेहा- हा चाची जी एकदम पक्का
मीनाक्षी- ठीक है फिर
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आज करवा चौथ का दिन था, इस वक्त सुबह के 3 बज रहे थे और नेहा ने आज दूसरी बार अपनी नींद की कुर्बानी दी थी और इस बार राघव के लिए, उसने जाग कर देखा तो राघव उसके बगल मे उससे चिपक कर सो रहा था, वो कल ही अपनी ट्रिप से लौटा था, जब नेहा ने उसे अपने करवा चौथ के बारे मे बताया था तब उसने नेहा से साफ कहा था के उसे ये किसी के कहने पर करने की बिल्कुल जरूरत नहीं है लेकिन नेहा ने उसे ये कह कर चुप करा दिया के वो ये उसके लिए कर रहे है।
अपने सारे खयालों को बाजू करके नेहा उठी और अपना मॉर्निंग रूटीन निपटा कर वो लाल साड़ी पहने बाहर आई, आज नेहा के चेहरे पर एक अलग ही चमक थी, उसने एक बार सो रहे राघव को देखा और मुसकुराते हुए रूम से बाहर गई,
नीचे आकार नेहा ने देखा के दादी जानकी और मीनाक्षी जी तीनों वहा डायनिंग टेबल पर थी
गायत्री- चलो नेहा आ गई, जानकी उसे वो प्लेट दे दो जो तुमने उसके लिए बनाई थी
जिसपर जानकी जी ने हा मे गर्दन हिला दी, कुछ समय बाद श्वेता भी वहा पहुची फिर मीनाक्षी जी ने भी वही किया, अब वहा मीनाक्षी जी जानकी जी, नेहा और श्वेता चारों सरगी खा रही थी वही दादी उन्हे परोस रही थी, उनसे अब उपवास नहीं होता था और समय समय पर दवा लेने के लिए उनका खाना जरूरी था, वो अभी अपनी बहुओ को खिला ही रही थी के धनंजय और रमाकांत भी वहा पहुचे
गायत्री- तुम लोग लेट हो
धनंजय- मा 3.30 हो रहे है अभी
धनंजय जी ने मीनाक्षी के बगल मे बैठते हुए कहा और रमाकांत जी जाकर जानकी जी के पास बैठे
श्वेता- वॉव! पापा और बड़े पापा भी मा और बड़ी मा के लिए व्रत रखते है और यहा हमारे पतियों को देखो !
रमाकांत- ऐसा नहीं है बेटा हम हमारे बच्चों को जानते है उन्हे भी तुम्हारी बहुत फिक्र है
रमाकांत जी ने को कॉन्फिडेंस के साथ कहा
धनंजय- हा वो देखो एक तो आ गया
धनंजय जी ने सीढ़ियों की ओर इशारा किया जहा राघव अपने लोअर की जेब मे हाथ डाले नीचे आ रहा था
जानकी- और देखो उसके पीछे कौन है!
राघव के पीछे पीछे शेखर भी अपनी आंखे मलते हुए आ रहा था वो अभी अभी नींद से जागा था
रमाकांत- मैंने कहा था ना
शेखर और राघव भी अपनी अपनी बीवियों के पास जाकर बैठे
जानकी- राघव तुमसे भूख सहन नहीं होती है व्रत करोगे तो उसे कैसे कंट्रोल करोगे?
राघव- मैं बस नेहा के साथ आया हु मा और मुझे भूख लगी थी तो बाकी कुछ नही....
राघव ने थोड़े उखड़े स्वर मे कहा, लेकिन इसपर नेहा कुछ नहीं बोली इसीलिए बड़ों ने भी कुछ नहीं कहा लेकिन शेखर को ये पसंद नहीं आया, उसे लगा था के राघव भी नेहा के लिए व्रत रख रहा होगा लेकिन ऐसा नहीं था, उसने नेहा को देखा जो नॉर्मल लग रही थी लेकिन बकियों को देख कर वो भी चाहती थी के राघव उसके लिए व्रत रखे।
खाना खत्म करके वो अपने अपने रूम मे पहुचे, रूम मे जाने के पहले राघव ने अपने साथ कुछ फल ले लिए थे और जैसे ही वो कमरे मे पहुचे नेहा ने उसे देखा
नेहा- अभी अभी इतना खा कर भी आपको ये फल खाने है, उपवास मेरा है आपका नहीं!
राघव- मेरे नहीं तुम्हारे लिए है ये, भूख लगे तो खा लेना
राघव ने फलों को टेबल पे रखते हुए कहा
नेहा- आपको ट्रिप पे भूलने की बीमारी नहीं हुई ना मैंने कहा मेरा उपवास है
एक तो वो बेचारी इसके लिए व्रत रख रही थी और ये उसी के सामने फल रख रहा था तो इससे नेहा थोड़ा चिढ़ रही थी
राघव- कोई जरूरत नहीं है, मन करे तो खा लेना भूखे मत रहना कमजोर हो जाओगी
नेहा- आप को चोट वगैरा लगी है क्या, मैंने कहा ना मेरा व्रत है आपको अच्छा लगे या नहीं अब इन फ्रूट्स को ले जाइए यहा से
नेहा ने थोड़ा चिढ़ कर कहा और राघव इससे टेंशन मे था के जब भरे पेट के साथ ये इतनी हाइपर है तो दिनभर भूखे रहने के बाद क्या होगा
राघव- हा हा ठीक है नाराज मत हो जो ठीक लगे करो,
इतना बोल के राघव वापिस जाकर सो गया,
---
गायत्री- राघव आज तुम्हें ऑफिस नहीं जाना क्या
दादी ने जब राघव को कैजुअल कपड़ों मे घर मे देखा तो पुछ लिया
राघव- नहीं दादी वो मुझे कही और जाना है आज तो
जिसपर दादी कुछ कहती इससे पहले ही दादू ने उन्हे बुला लिया
जानकी- राघव जाने से पहले नाश्ता कर लो आओ!
राघव- नहीं मा भूख नहीं है मुझे मैं बाहर खा लूंगा कुछ
विवेक- क्यू भाई आप भी उपवास कर रहे हो क्या
रिद्धि- क्या विकी ये पूछने ही बात थोड़ी है हैना भाई
राघव- नहीं मैं नहीं कर रहा कोई उपवास वगैरा
विवेक- तो फिर कुछ खा क्यू नहीं रहे
राघव- नहीं बताऊँगा
विवेक- साफ साफ बोलो ने उपवास रख रखे हो शर्मा कहे रहे हो
राघव- मैं नहीं शर्मा रहा
विवेक- तो सच बोलो
राघव- अब तो तू गया
विवेक- अबे चल चल आप मेरा बाल भी बांका नहीं कर सकते
राघव- विवेक आज तू नहीं बचेगा
विवेक- पहले पकड़ के तो दिखाओ
बस फिर क्या विवेक आगे और उसके पीछे राघव....
कुछ समय बाद राघव कार मे बैठा था, वो डांस अकादेमी के काम को देखने जा रहा था जिसके बाद उसे कही और जाना था
नेहा- छोटा है वो
नेहा ने कार मे राघव के बाजू मे बैठते हुए विवेक की पैरवी की
राघव- छोटा नहीं है, कॉलेज खतम हो जाएगा उसका कुछ दिनों मे
राघव ने अपने होंठ के कॉर्नर को रीयर व्यू मिरर मे चेक करते हुए कहा जहा हल्का सा कट लगा हुआ था जो दूर से नहीं दिखता था
नेहा- हा तो इसका ये मतलब थोड़ी है के आप उसके साथ ऐसा करोगे बेचारे का दांत तोड़ दिया आपने
राघव- तो उसे किसने कहा था मुझसे छेड़ने शुरुवात उसने की थी
राघव अपनी गलती मानने को तयार ही नहीं था ये देख नेहा ने अपना माथा पीट लिया
और अब मैं बताता हु हुआ क्या था
तो राघव विवेक के पीछे भाग रहा था और भागते हुए विवेक एक रूम मे घुसा ajr दौड़ते हुए वो बेड पर चढ़ा और उसे पकड़ने के लिए राघव बाबू भी बेड पर कूदे लेकिन तभी राघव का बैलन्स बिगड़ गया और उसने गिरने से बचने के लिए विवेक का हाथ पकड़ा जिसका नतीजा ये हुआ के दोनों भाई मुह के बल गिरे जिसमे विवेक को ज्यादा चोट आई क्युकी वो रेडी नहीं था और अब उन दोनों का ही मेल इगो ये मानने को तयार नहीं था के गिरने से चोट लगी है इसीलिए हाथापाई वाली कहानी ज्यादा बेटर थी जो दोनों ने सबको बताई थी,
दोपहर मे राघव और नेहा दोनों अकादेमी का काम देख के लौट आए थे और जब वो घर पहुचे तो जानकी जी ने नेहा को कुछ समय आराम करने कहा क्युकी कुछ समय बाद पूजा की तयारिया करनी थी और राघव अपने दूसरे काम से निकल गया
शाम मे
रिद्धि- विवेक क्या कर रहा है?
रिद्धि ने धीमे आवाज मे विवेक से पूछा जो उसे खिच कर मंदिर की ओर लेकर जा रहा था सबकी नजरों से बचते हुए
विवेक- तुझे दिख नहीं रहा क्या मेरे फेवरिट लड्डू बने है
रिद्धि- पागल है क्या, पूजा के लिए है वो अगर दादी या किसी और ने देख लिया तो गए हम
विवेक- डर मत लॉर्ड विवेक के साथ है तू कुछ नही होगा
और विवेक ने लड्डू उठा लिया और इससे पहले की वो लड्डू खा पाता
मीनाक्षी- विवेक!! रिद्धि! क्या कर रहे हो दोनों छोटे बच्चे हो क्या
विवेक- मॉम जैसा आप सोच रही है वैसा कुछ नहीं है ये.. ये रिद्धि को देखना था सब हो गया हा न मैं तो बस उसके साथ आया था
रिद्धि- हा हा चाची हम तो बस देख रहे है
मीनाक्षी- बोल तो ऐसे रहे हो जैसे मैं तुम्हें जानती ही नहीं चलो दोनों निकलो यहा से
गायत्री- ये सब ये अपने दादा से सीख रहे है
दादी ने वहा आते हुए कहा
विवेक- हा हा करेक्ट दादी दादू ही हमारे लीडर है
विवेक ने अपनी दादी की बात सुन एकदम से कहा वही शिवशंकर जी जो पीछे से मुसकुराते हुए आ रहे थे ये सुन उनकी स्माइल गायब हो गई और वो विवेक को देखने लगे जिसने अभी अभी सारा ब्लैम उनपर डाल दिया था वो भी तब जब वो अपने आप को कंट्रोल करके मीठे से परहेज कर रहे थे
शिवशंकर- ये ये झूठ बोल रहा है गायत्री मैंने तो मीठा खाना ही बंद कर दिया है
गायत्री- बस बहुत हो गया जो आपलोग जाकर सोफ़े पर बैठो और रिद्धि तुम जाकर नेहा और श्वेता को बुला लाओ।
सारी पूजा वगैरा होने के बाद सब लोग हॉल मे बैठे चाँद का इंतजार कर रहे थे जो आज दर्शन देने के जरा भी मूड मे नहीं था, राघव को चाँद का सबसे ज्यादा इंतजार था क्युकी अब उससे भूख बर्दाश्त नहीं हो रही थी ऊपर से सबको वो ऐसे जता रहा था के उसका पेट भरा हुआ है क्युकी ये बात बता कर वो वापिस इनलोगों को खुद को चिढ़ाने का मौका नहीं देना चाहता था।
जानकी- राघव अगर खाना हो तो खा लो
राघव- नहीं नहीं मा इतनी भूख नही लगी है सबके साथ ही खाऊंगा
विवेक- मॉम! चाँद निकल आया
विवेक ने सीढ़ियों से नीचे आते हुए कहा और वापिस ऊपर चला गया और ये सुन कर सब लोग टेरस पर पहुचे
शेखर- चलो अब सारी प्रोसेस जल्दी करो यार बहुत भूख लगी है
शेखर ने पूजा की थाली श्वेता को पकड़ाते हुए कहा
जिसके बाद जैसे जैसे जानकी और मीनाक्षी जी ने किया वैसा ही नेहा और श्वेता ने किया, सारी प्रोसेस होने के बाद राघव ने नेहा को पानी पिलाया और मीठा खिलाया और नेहा ने भी
नेहा- मुझे पता है आपने सुबह से कुछ नहीं खाया है
राघव- तुम्हें कैसे पता?
नेहा- क्युकी मैं आपको अच्छे से जानती हु, लेकिन जब आपसे भूख सहन नहीं होती तो आपको ये करने की जरूरत नहीं है
राघव- जब तुम मेरे लिए व्रत रख सकती हो तो मैं भी एक दिन भूखा रह सकता हु
राघव ने नेहा की आँखों मे देखते हुए कहा वो एकदूसरे मे इतना खोए हुए थे के उन्हे ध्यान ही नहीं था के वहा और भी लोग है
शेखर- ओ भाई अपना रोमांस अपने रूम मे कन्टिन्यू करना अब चलो यार यहा भूख के मारे हालत खराब हो रही
खाना खाने के बाद रात के करीब 11 बजे गायत्री जी ने नेहा को अपने कमरे मे बुलाया ये कहकर के बहुत अर्जन्ट काम है जब नेहा वहा पहुची तो दादी ने उसे एक जूलरी बॉक्स दिया
नेहा- दादी ये??
गायत्री- तुम्हारे लिए है, खोलो इसे
नेहा ने जब वो बॉक्स खोल तो उसके आंखे बड़ी हो गई
नेहा- दादीजी मैं ये कैसे ले सकती हु ये तो आपका है ना
नेहा ने वो बॉक्स दादी को वापिस करना चाहा
गायत्री- नहीं बेटा ये तुम्हारा ही है, मैंने इसे राघव की पत्नी के लिए रखा था और बस सही वक्त के इंतजार मे थी! हा मैंने तुम्हारे साथ शुरू ने थोड़ा रुड बिहैव किया है लेकिन मैं राघव को लेके बहुत चिंतित थी वो मेरा सबसे ज्यादा लाड़ला है, और तुम उसकी जीवनसांगिनी के रूप से एकदम परफेक्ट हो तो अब वो भी तुम्हारा है और ये नेकलेस भी, मेरा आशीर्वाद समझ के रख लो
दादी ने नेहा के सर पर हाथ घुमाते हुए कहा
नेहा- थैंक यू दादी जी
गायत्री- थैंक्स टु यू बेटा, मुझे बहुत खुशी है के तुम राघव की पत्नी हो और हमारे परिवार की बहु हो और अब बड़ी बहु होने के नाते सबको जोड़े रखना तुम्हारा काम है
जिसपर नेहा ने हा मे गर्दन हिला दी
जिसके बाद नेहा अपने चेहरे पर मुस्कान लिए अपने रूम मे आई, आज उसके पास सब कुछ था, प्यार करने वाला साथी, एक बढ़िया परिवार सबकुछ और बहुत हिम्मत करने के बाद आज नेहा ने फैसला कर लिया था के वो राघव से वो 3 शब्द कह के रहेगी, हालांकि अंदर ही अंदर वो ये चाहती थी के ये बात पहले राघव बोले लेकिन सबकुछ शब्दों से ही बयां हो जरूरी तो नहीं, और यही सब सोचते हुए नेहा रूम मे घुसी जहा बस अंधेरा था और गहरी शांति थी, उसने लाइट्स शुरू की, राघव रूम मे नहीं था तभी नेहा की नजर बेड पर पड़ी जहा कुछ रखा हुआ था.....