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Adultery सपना या हकीकत [ INCEST + ADULT ]

DREAMBOY40

सपनों का सौदागर 😎
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कुछ मेडिकल इमर्जेंसी की वजह से इन दिनों व्यस्त हूं दोस्तो और परेशान भी 🥲
समय मिलने पर अपडेट दिया जायेगा और सभी को सूचित किया जाएगा ।
तब तक के लिए क्षमा प्रार्थी हूं
🙏

 
Last edited:

Sanju@

Well-Known Member
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UPDATE 181 A

लेखक की जुबानी

शाम के 5 बज गये थे , सारे लोग तैयार होकर नये नये ड्रेस मे तस्वीरें निकलवा रहे थे ।
रंगीलाल ने सभी gents के लिए आज मेहन्दी पर पहनने के लिए खास कुर्ता सेट मगवाया था और बारी बारी से सबको बाट रहा था

रंगीलाल उपर के कमरे मे राहुल और उसके पापा को उनका कपड़ा देके जीने की ओर लौट रहा था कि तभी उसकी नजर जीने से उपर आती शालिनी पर गयी ।

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शालिनी का पल्लू उसके सीने से हट चुका था , पिन की वजह से अटका हुआ था और ब्लाऊज मे कैद उसकी चुचिया उछल रही थी
रन्गीलाल शालिनी को ऐसे देखा वही रुक गया और शालिनी उसके पास आकर रुकी तो उसने रन्गीलाल की आंखो मे देखा जो उसको छातियों को निहार रहा था ।
शालिनी ने झट से अपना पल्लू खिंच कर सीने के उपर किया और मुस्कुरा कर रन्गीलाल को देखा । फिर अपनी जुल्फो को कानो मे फसाते हुए साइड से निकल कर शर्माती हुई सोनल के कमरे मे निकल गयी ।

वही रन्गीलाल ने गरदन घुमा कर उसको देखा फिर निचे जाने के बजाय वही हाल मे सोफे पर बैठ गया ।
जहाँ पहले से ही शाकुंतला , विमला रजनी बैठे थे और उनसे बाते करने लगा ।

वही राहुल अनुज और विमला का बेटा मनोज डीजे पर चलाने के लिए भोजपुरी गानो की लिस्ट खोज रहे थे ।

राज और कमलनाथ भी साथ मे तैयार होकर कमरे से बाहर निकल रहे थे कि सामने गेस्ट रूम से शिला एक स्लिवलेस प्लाजो सूट मे तैयार होकर बाहर निकली , उसने एक नेट वाला दुपट्टा साइड से ले रखा था और उसके मोटे मोटे चुचे कसे हुए उभरे थे ।
कुल्हे पर कुरती उठी हुई थि और पलाजो मे जान्घे कसी हुई थी ।

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शिला की नजरे जैसे ही कमलनाथ से टकराई वो थोडा शरमाई और फिर इतराती हुई आगे बढ़ती हुई अपने बालो को पीछे से आगे करते हुए अपनी डीप गले वाली बैकलेस कुरती से अपनी गोरी चिकनी पीठ कर दिदार कराते हुए एक शरारत भरी मुस्कराहट के साथ आगे बढ़ गयी ।

राज उन दोनो की आंखे चार होते देख कर मस्ती मे - अरे वाह बुआ आज तो आप बड़ी प्यारी लग रही हो , क्यू मौसा जी ।

राज की बात सुन कर शिला ने नजरे उठा कर कमलनाथ को देखा तो कमलनाथ अटकते हुए स्वर मे - अह हा हा , बहुत अच्छी लग रही है आप
शिला शर्म से लाल होती हुई मुस्कुराई और फिर कमलनाथ ने सबको उपर चलने के लिए बोला ।

कुछ ही देर मे मेहंदी का कार्यकर्म होने लगा , अब ये सब ले देके था औरतो वाला ही प्रोग्राम तो ऐसे मे मर्दो के लिए बोरियत ही था ।

वही जंगी-रंगी दोनो भाईयो मे अपनी प्लानिंग के लिए आंखो से इशारेबाजी चल रही थी ।
कि अभी यहा मेहंदी का प्रोग्राम हो रहा है घन्टे स्वा घन्टे का टाईम है थोडा मूड बना ही लिया जाये ।

रंगी अंगड़ाई लेते हुए उठा और जंगी से बोला - छोटे जरा आओ थोडा काम है तुम्से और फिर जंगी भी निकल गया उसके साथ निचे ,

हसी ठिठौलि मे वय्स्त महिलाए और उनको घुरते लौंडो के बीच एक अकेला मर्द कमलनाथ ।

निशा की गुपचुप निगाहे कमलनाथ को बिच बिच मे देख रही थी और वो ऐसे जगह बैठी थी कि उसकी गुदाज जांघ और आधा चुतड उसकी लेगी से साफ साफ झलके ।

मगर कमलनाथ और शिला की अपनी इशारेबाजी चल रही थी ,
वही राज और रीना
भी आपस मे मुस्कुराहटे पास किये जा रहे थे ।


रन्गी जंगी दोनो निचे के कमरे मे आये और फिर जो जो जरुरी समान था सब एक झोले मे लेके फटाफट घर बाहर निकल गये इस बात से बेखबर कि रज्जो उनका पीछा करते हुए जीने तक आई थी

जैसे ही उसने दोनो को घर से बाहर जाते देखा तो उसे अटपटा लगा कि इस वक़्त ये लोग कहा जा रहे है ।

फिर वो पीछे पीछे मेन गेट तक और देखा तो वो लोग बगल मे चंदू के घर मे घुसरहे थे ।

रज्जो को लगा कि शायद कुछ काम हो क्योकि उस घर मे भी दहेज एवं रसोई का काफी सारा रखा हुआ था तो वो वापस उपर चली गयी ।

वही रन्गी और जंगी दरवाजा भीड़का कर जीने की सबसे उपर वाली चौड़ी सीढि जो दरवाजे से लग कर थी वही आसान जमा लिये ।


अमन के घर

हाल मे सारे लोग एक साथ थे और कल हल्दी के प्रोग्राम पर चर्चा हो रही थी ।
शाम का समय हो गया था और ममता सबको चाय दे रही थी ।
जैसे ही वो भोला को चाय दी दोनो मुस्कुरा दिये ।

फिर वो किनारे खड़ी हो गयी और तभी भोला ने आंखो से इशारा किया और अपने जांघो पर उंगलियाँ पेन की तरह चलाते हुए ममता से इशारा किया कि डायरी लिख दिया है पढ लेना

ममता इतराते हुए मुस्कुराने लगी और उसकी बेचैनी बढने लगी कि क्या लिखा होगा उसके नंदोई ने ।
उसके पाव कांप रहे थे , रोम रोम सिहर रहा था , उसी सिहरन ने उसके चुचे उठाने शुरु कर दिये थे

आखिरकार ममता से रहा नही गया और वो चाय की ट्रे लेके किचन ने गयी और उसने गटागट एक गिलास पानी गले मे उतारा और अपनी उफनाती सासो को थामने लगी ।

एक घबराहट और उत्सुकता ने घर कर लिया था उसको , बेचैनी और उतावलापन उसके चेहरे से साफ पता चल रहे थे ।
कलेजे की धकधक उसके चेहरे पर मुस्कान ला रही थी और वो एक गहरी आह भरती हुई चुपचाप अपने कमरे मे चली गई

उसने आस पास देखा तो उसको तकिये के निचे वो डायरी मिली और उसने झटपट से दरवाजा भीड़काया फिर सर सर पन्ने उलटने शुरु किये ।

आखिर से दो पन्नो से पहले उसको कुछ लिखा मिला , उसने आंख बन्द कर अपने दिल को थामती हुई एक ठंडी सास ली और फिर डायरी मे देखा ।

कुछ शायरी से शुरुवात की थी भोला ने

कुछ आश रखने की हिम्मत कर रहा हु
बोलो पुरा करोगी क्या ?
कुछ कहने की चाहत रख रहा हु
बोलो सुनोगी क्या ?
आज रात मै इंतजार करूंगा बाल्किनी मे
बोलो आओगी क्या ?
शायरी पढ कर ममता हसने लगी और उसने आगे पढना शुरु किया

गर मंजूर हो दोस्ती का ये इकरार
तो पहन के आना सिर्फ़ सलवार
दोस्ती की कसम है तुम्हे , मत करना मुझे सैंटी
गुजारिश है तुमसे ना ब्रा पहनना और ना पैंटी


ममता इस कल्पना से कि बिना ब्रा पैंटी के सिर्फ सूट सलवार मे नंदोई के सामने जाऊंगी तो , हाय हाय ये मै क्या सोच रही हु धत्त ये नंदोई जी भी ना

फिर वो आगे पढती है

अब इस बात से इंकार ना करना कि तुम्हे भनक नही मेरे इरादो का
कितनी ठोकरे तो खा चुकी हो आज मेरे जज्बातों का


ये लाईन पढते ही ममता को वो पल याद आया जब भोला उसके उपर चढ कर उसकी चुत पर लण्ड से ठोकर मार रहा था , वो याद करते ही ममता की चुत पनियाने लगी ।

फिर उसने आखिर के दो लाईन पढे

कहने को बहुत कुछ है मगर ये कलम बहुत छोटी है
आपके दरखक्तों पर हम अपनी कलम चलायेंगे


ममता - धत्त ये जीजा भी ना , उफ्फ्फ गर्म कर दिया मुझे । क्या मुझे भी बदले मे कुछ लिखना चाहिये । अभी तो 5 बजे है और 11 बजने मे तो काफी वक़्त है ,क्यू ना इसी डायरी मे जवाब लिख कर उन्हे भी थोडा परेशान करू ।हिहिहिही

राज के घर

इधर मेहंदी के रस्म हो रही थी वही राज रिना को डांस करने के लिए आने को इशारा कर रहा था

बदले मे रीना मुस्कुरा कर हामी भर रही थी तो राज भागते हुए रिना के पास गया और उसको पकड कर खिंचते हुए हाल के बीच मे ले आया

रिना खिलखिलाकर हस रही थी और बाकी सारे लोग भी हस रहे थे फिर शुरु हुआई देवार भौजाई के ठूमके , आंखो से आंखे टकराई और होठ भी कुछ मनशा लिये मुस्करा रहे थे ।
वही बाकी की लौडो की गैंग ( अनुज , राहुल , मनोज , चंदू ) सिटिया बजा कर शोर कर रहे थे ।

रीना शर्मा कर हस्ती हुई वापस औरतो मे चली गयी ।
इधर निशा काफी देर से देख रही थी कि कमलनाथ का ध्यान उस्की ओर कम और शिला की ओर ज्यादा था ।
उसे भी भनक सी लग रही थी कि दोनो मे कुछ आंख मिचौली चल रही है ।

निशा ने रागिनी को पकड कर खींचा और हाल मे लेके आते हुए डांस करने लगी , रागिनी भी हस हस ठुमके लगा रही थी मगर जल्द ही वो हट गयी और

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निशा अकेले ही कमलनाथ की ओर खास करके अपनी गाड़ करके झटके लगाते हुए नाचने लगी , उसकी कुर्ती उठती तो कमलनाथ ने निशा के लेगी से झांकते उसकी पैंटी के भी दिदार हो जाते ।

कमलनाथ का ध्यान अब निशा ने खिच ही लिया और डांस खतम कर निशा बार बार बस कमलनाथ की ओर ही देखे जा रही थी ।
कमलनाथ को थोडा अजीब लगा कि वो उसे क्यू देख रही है , और कमलनाथ उस्से नजरे चुराने लगा । अब तो उसको ये दिक्कत होने लगी कि कही वो शिला को ताडे तो उसकी चोरी पकड़ी ना जाये क्योकि निशा तो लगातार नजर जमाए हुए थी ।
सारे लोग इन्जाय कर रहे थे तो रागिनी ने बातो ही बातो मे पुछा - ये राज के पापा कहा गये अभी आये नही

शालिनी - हा जीजी निशा के पापा भी गये है साथ मे

रज्जो को भी लगा कि अब तो समय काफी हो गया क्या करने गये ये लोग अभी आये नही इसीलिए रज्जो उठ कर निकल गयी दोनो को बुलाने के लिए

चंदू के घर का दरवाजा भिड्का हुआ ही था , हल्का सा जोर और खुल गया
रज्जो गलियारे से होकर कमरे दर कमरे पार करती हुई आगे बढ़ रही थी और उसको दोनो भाईयों की खिलखिलाहट भरी हसी और बातो की गूंज आ रही थी ।
रज्जो जैसे ही सबसे पीछे आंगन मे पहुची तो उपर के जीने से आवाज आई जो जंगी की थी ।

जंगी- भैया सच सच बताओ ना रज्जो भाभी आपको कैसी लगती है

जन्गी का अपने भाई से यू सवाल पुछना रज्जो को थोडा खटका

रंगी - एकदम रसदार है रज्जो भाभी यार , मै तो शादी के समय से ही दीवाना हु

रज्जो ने जीने की ओर झाक कर देखा तो समझ गयी
दोनो भाई सिर्फ बनियान पहने दरवाजे पर बाहर की ओर मुह किये बैठे थे , उनके कुरते जीने की रेलिंग पर रखे हुए थे ।
रज्जो उनकी बाते सुनते हुए धीरे धीरे सीढिया चढने लगी ।

जन्गी - सच भैया , ये कमलनाथ भाई ने क्या किसमत पाई है ना , क्या मस्स्स्त गाड़ है भाभी के उह्ह्ह्ह मन करता है कि झुका के

जन्गी की बाते सुन्कर रज्जो के कान खडे हो गये और वो समझ गयी कि दोनो ड्रिंक किये हुए है

रंगी - हेईई जन्गीईई नहीईई भाभी है ना वो ऐसा नही बोल्ते

जंगी - स्स्स्सोरीईई भैयआआह
रंगी - सोरीई क्यू सॉरी क्यू , अरे रन्डी है एक नं की रंडी देखा नही साली गाड़ कैसे फैली हुई है

"खुब पेलवाति होगी आह्ह" , रंगी ने ग्लास गटकते हुए कहा ।
जन्गी ने भी सिप लेते हुए - हा भैया पता है मैने तो कल रात को ....।

रज्जो को लगा कही उस्का भेद खुल ना जाये और जंगी नशे मे कुछ बोल ना दे
इसीलिए वो पीछे से बोल पड़ी- हम्म्म तो क्या बैठ कर आप लोग मेरे बारे मे ये सब बाते कर रहे है ।

रज्जो की तेज आवाज सुनते ही रंगी जंगी दोनो ने पलट कर देखा तो दोनो की आधी शराब वैसे ही गायब हो गयी और वो फौरान खडे हो गये - भाभीईई जिजीईई

जैसे ही वो खडे हुए उन्के पाजामे मे तना हुआ मुसल भी तम्बू बना कर रज्जो को निहार रहा था और रज्जो की नजर जैसे ही उन्पे गयी दोनो ने अपने पंजे से छिपाने लगे तो रज्जो की हसी छूट गयि ।

रज्जो - छीईई आप लोग मेरे बारे मे ऐसी बाते करते है क्या मै आपको सड़क छाप वो लगती हु , हुउह्ह

रंगी और जंगी दोनो सफाई देते हुए - नही नही जिजीई भाभीईई हमारा वो मतलब नही था , सॉरी ना प्लीज

रज्जो तुन्क कर - हुह , रहने दो सुन लिया मैने सब

ये बोल कर रज्जो निचे जाने लगी तो रंगी - ये भाई रोक रोक जिजीई को

जन्गीलाल सरपट रज्जो के पीछे भागा और आन्गन मे रज्जो की कलाई पकड ली तो रज्जो छुड़ाने की कोसिस करती है इतने मे रंगी भी आ जाता है

रंगी - सॉरी ना जीजी , मान जाओ ना प्लीज

जन्गी - हा भाभी प्लीज , देखीये ये सब शुरु भी इसीलिए हुआ कि आपकी गलती थी

रज्जो ठहर कर - अब मेरी क्या गलती
जंगी - आपको तो पता ही है ना कल रात मे जब मैने आपको खाना के लिए बुलाने आया था तो

इस्से पहले जन्गी अपनी बात पूरी करता उस्से पहले रज्जो ने अपनी आंख दिखाई उसको

जंगी हड़ब्डा कर बात घुमाता हुआ - और आज सुबह मे जब हम नासता कर रहे थे तो हमे आपकी वो दिख गयी और फिर

फिर जंगीलाल ने सारि बाते बताई कि कैसे दोनो भाई बीते लमहे ताज़ा करने के चक्कर मे थे
जंगी - मगर सुबह का वो झलक बार बार मेरे जहन में था और बस मन कर रहा था कि

रज्जो - क्या मन कर रहा था
जन्गी - नही भाभी आप बुरा मान जाओगे

रज्जो तेज अवाज मे - मैने कहा बताओ

रंगी ने इशारे से जंगी को बात रखने को कहा
जन्गी - वो भाभी जबसे सुबह से आपकी चिकनी बुर देखी थी उसको चाटने का इतना मन हो रहा था , ऐसी फूली हुई लम्बी लकीरो वाली चुत मैने आज तक नही देखी थी और देखो ना तबसे मेरा मुसल भी नही बैठ रहा है ।

जन्गीलाल ने अपनी तारिफ सुनकर रज्जो मुस्कुराई जिसे रंगी ने पल भर की नजर मे भाप लिया और वो समझ गया कि रज्जो को इससे कोई फर्क नही पड रहा है क्योकि वो रज्जो के रग रग से वाक़िफ़ था ।

रज्जो - अब छोड़ो मुझे और ये सब क्या बाते कर रहे हो आप लोग । शर्म नही आती एक पराई औरत के साथ ये सब छीई

रन्गी मुस्कुरा कर - जीजी आप पराई कहा हो आप तो अपने हो और जमाई की तो सारी गल्तियां माफ की जाती है ना

रज्जो रंगी की आंख मे झाक चुकी थी और वो मुस्कुरा कर - ऐसे कैसे माफी मिल जायेगी , आप दोनो को सजा मिलेगी ।

जंगी - क्या सजा !!
रज्जो - हम्म्म्म और क्या ,
मुझे भी हिसाब बराबर करना है

जंगी - वो कैसे ?

रज्जो - मै भी आप दोनो को गाली दूँगी और आपके प्राइवेट पार्ट देखूँगी । तब ना होग हिसाब बराबर


रज्जो की बात सुनते ही जन्गी खिल उठा और अपने पजामे का नाड़ा खोलते हुए अपना मुसल बाहर निकाल कर - बस इतनी सी बात , ये लो

जन्गी ने बड़ी बेशर्मी से अपना तनतनाया हुआ लण्ड बाहर निकाल दिया

रज्जो - साले भडवे रंडीबाज , बहिनचोद

जंगी चौक कर रज्जो को देखा
रज्जो - अरे हिसाब बराबर कर रही हु ना
जन्गी - ओह्ह

फिर रज्जो रंगी की ओर घूमी तो वो भी फटाक से अपना मुसल निकाल कर खड़ा हुआ और रज्जो ने वही गाली दुहराई

रज्जो - चलो हो गया अब चलते है , सार लोग खोज रहे है आपको

रंगी - अरे अभी कहा हुआ
रज्जो - तो अब क्या बाकी है ?

रन्गी - क्या जीजी हमने तो उसकी तारिफ भी की थी ना ...तो

रज्जो रंगी की बात सुनकर हस दी - धत्त , ये भी बोलना पडेगा

जंगी हस्ते हुए - हिसाब तभी ना बराबर होगा भाभी

रज्जो ने बड़े गौर से दोनो के लाल सुपाडे वाले लण्ड को निहार रही थी जो दोनो के हाथो मे कैद थे ।

रज्जो कुछ बोलने को हुई मगर उसकी हसी छूट गयी

रंगी - अरे बोलो ना जीजी

रज्जो नजरे गडाये तेज धडकते दिल के साथ - उफ्फ्फ क्या मसत मस्त लण्ड है जी कर रहा है कि अभी चुस चुस कर लाल कर दू और

रज्जो की बातें सुनते हुए दोनो भाईयो के जिस्म मे सुरसूरी सी हुई और दोनो के लण्ड पुरे फौलादी हो गये ।

दोनो अपना मुसल सहलाते हुए - सीईई और क्या भाभीई/जिजीई

रज्जो अपने बेकाबू होते दिल को मह्सूस करती हुई अपनी उफ्नाती सासो के साथ एक आह भरती हुई - और इनको उसी रसिले चुत मे भर लू जिसको आप दोनो चुसना चाहते थे

रज्जो की बाते सुन्कर दोनो भाई के दिल की धड़कने तेज हो गयी और दोनो सिस्कते हुए तेजी से अपना मुसल मसल रहे थे और रज्जो की निगाहे वही अटकी थी

दोनो भाईयो ने एक दुसरे को खुमारी भरे नजरो से देखा और रज्जो के करिब आ गये

रज्जो की सासे और चढने लगी , वो नजरे घुमा कर दोनो तरफ खडे दोनो भाईयो की आंखो मे मदहोश नजरो से देख रही थी ।
" भाभीईई ",जन्गी की गरम सासों से भरी आवाज रज्जो के गरदन से टकराई और वो आंखे बन्द कर सिहर उठी ।

वही रंगी ने रज्जो का एक हाथ पकड़ा और अपने मुसल पर रख दिया , जिससे रज्जो ने अपनी आंखे भीच कर सीने मे सासो को भर लिया ।

जन्गी ने वही किया और इस बार रज्जो ने अपने होठ भी दबा लिये ।
दोनो भाईयो ने एक साथ उसके गरदन को चूमा और दोनो के एक एक हाथ उसकी उभरी हुई चरबीदार गाड़ पर फिराने लगे ।

रज्जो ने दोनो के लण्ड को मुठ्ठि मे भर लिया दोनो भाई भी सिहर उठे ।

रज्जो ने उनकी लिंग की चमडीया खिस्कानी शुरु की और रज्जो के गर्म हाथो की मुलायम हथेली ने उन्हे मदहोश कर दिया ।

रज्जो अब आंखे खोल के दोनो भाईयो के चेहरे पढते हुए उन्के लण्ड को भीच रही थी और दोनो को भनक भी नही लगी कि कब रज्जो निचे बैठ गयी , सबसे पहले जंगी का कालेज ध्क्क हुआ जब उसको अपने लण्ड की सतह पर नरम ठंडे होठो का स्पर्श मिला

वो एडिया उचका कर सिहरा - उह्ह्ह भाभीईई उम्म्ंम्ं सीईई अह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह

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रज्जो ने कुछ देर बाद रंगी का लण्ड मुह मे लेके चूसने लगी ।तो रंगी ने भी आहे भरनी शुरु कर दी ।
जंगी - ऊहह भाभीईई क्या मस्त चुस्ती हो जब आपके उपर के होठ ऐसे है तो निचे के होठ कितने नरम होंगे

रज्जो मुह से लण्ड निकालती हुई - वो आप खुद चुस के देख लो ना भाई साहब

ये बोल के रज्जो उठकर अपना साड़ी पेतिकोट एक साथ उठाते हुए आंगन की एक चौकी पर लेट कर जान्घे खोल दी - आह्ह आओ ना भाई साहब चुस के देखो ना

जन्गी मुस्कुरा कर रंगी की ओर इजाजत भरी नजरो से देखता है तो रंगी भी उसको हामी भर कर अपना मुसल मसलने लगता है ।

जन्गी फौरन घूटने के बल होकर अपना मुह रज्जो की बुर मे दे देता है और रज्जो आहे भरने लगती है - उह्ह्ह माह्ह्ह सीईई ऐसे हीई उह्ह्ह्ह उम्म्ं और चुसो भाईसाहब उह्ह्म्ंं

जंगी अपने होठो से रज्जो के बुर के फाके निचोडते हुए जीभ से लकीर चाट रहा था और रज्जो उसकी थूथ को अपने फुले हुए भोस्ड़े पर रगड़ रही थी - उह्ह्ह और चुसो उह्ह्ह ऊहह सीईई ऐसे ही उम्म्ंम माह्ह्ह

रंगी वही खड़ा खड़ा मुसल मसल रहा था और उससे रहा नही गया वो अपना लण्ड थामे चौकी पर चढ गया ।

रज्जो ने देर ना करते हुए उस्का लण्ड मुह मे भर लिया और रंगीलाल उसके ब्लाउज खोलकर उसकी चुचिया आजाद करके उन्हे मसलने लगा

रंगी- भाई सारा माल तू ही खा जायेगा क्याह्ह उह्ह्ब
जंगी मुह हटा कर देखा कि उसके भैया ने रज्जो के मुह मे लण्ड पेल रखा और चुचिया नंगी खुली हिल रही है ।

जंगी खड़ा होकर अपना मुसल मसलते हुए - आह्ह भैया इस रंडी की बुर बहुत रस है उह्ह्ह सच मे बहुत गर्म माल है

जंगी की बात सुनकर रज्जो मुह से लण्ड निकालती हुई - तो चोद ना साले रन्डीबाज पेल दे ना मुझे उह्ह्ह बहिन ंचोद

जन्गी अपना लण्ड उसके चुत पर रगड़ता हुआ - क्या बोली मादरचोद हाह

रज्जो उसकी आंखो मे देखते हुए साफ साफ लहजे मे झल्ला कर बोली - मैने कहा पेल ना बहिनचोद

बहिनचोद शब्द सुनते ही जंगी को सुरुर सा छा गया और वो कस के एक ही झटके आधे ए ज्यादा लण्ड घुसा दिया और और रज्जो के गले मे आवाज घूंट कर रह गयी क्योकि रंगि ने पहले ही उसका मुह भर दिया

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जंगी हच्क ह्च्क कर रज्जो की रस फेकती चुत मे लण्ड पुरा जोर देके जड़ तक घुसाये हुए था - लेझ्ह साली रन्डी अह्ह्ह चुदक्क्ड उह्ह्ह लेह्ह्ह क्या मस्त बुर है तेरी उह्ह्ह
इधर जंगी कस कस के पेल रहा था वही रंगी का मुसल पूरी तरह फौलादी हुआ जा रहा था और वो रज्जो के मुह से लण्ड निकाल कर जंगी की ओर लाचारी भरी नजरो से देख कर हिला रहा था कि एक बार उसका छोटा भाई उसे भी मौका देदे

जंगी की नजर जब अपने भैया पर गयी तो उसने मुस्कराते हुए अपनी पोस्ट खाली कर दी फिर क्या रंगी ने
खडे होकर वही पास रखे सोफे पर अपना आसान टिका लिया और रज्जो भी खडी होकर अपना साड़ी पेतिकोट निकाल कर रन्गीलाल पर सवार हो गयी ।

लण्ड को चुत मे लगाते ही वो सरक कर भीतर घुस गया और बाकी का काम रज्जो ने खुद करने लगी ।

रन्गीलाल उसके नरम चुतडो को सहलाते हुए उसके चुचो को मुह मे भर कर चुसने लगा और रज्जो सिसकिया लेते हुए उसके लण्ड को अपनी बुर मे भरे हुए गाड़ घिसने लगी

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रज्जो की चिकनी फैली हुई गाड़ को बड़ी अदा से लण्ड पर आगे पीछे होते हुए देख जंगीलाल वही चौकी पर बैठा हुआ अपना मुसल मसलने लगा ।

रज्जो जब भी पीछे होती उसकी गाड के पाटे खुल जाते और उसके गाड़ की भरी सुराख ही हल्की झलक उसे मिलती और उसका मुह लार छोडता ।

वही रंगीलाल निचे से झटके लगाता हुआ अब गति और बढा चुका था जिससे रज्जो की चिखे कमरे मे गूंज रही थी ।
रज्जो की कामुक चिख और सिसकियाँ जंगीलाल को अब और बेसबर किये जा रही थी वो उसकी चिखो को और बढ़ाना चाह रहा था और वो अपनी जगह से उठकर रज्जो के पास पहुचा ।

उस्ने रज्जो की चर्बीदार गाड़ की लकीरो मे हाथ लगाया तो रज्जो सिसकी और गरदन घुमा कर मुस्कुराते हुए जन्गीलाल को देखा ,वो समझ रही थी कि बस जंगी को उकसाने की देर है और वो अपना लण्ड उसकी गाड़ मे घुसाने से बाज नही आयेगा ।

रज्जो - क्या हुआ बहिनचोद ऊहह सीईई अह्ह्ह ऐसे क्या देख रहा है कभी गाड़ नही देखी क्या उम्म्ंम सुईई आअहह

जंगी मे चट्ट से उसके गाड़ पर चपत लगाई और उसके नरम नरम पाटो को फैलाते हुए - बहुत देखी है साली लेकिन तेरी जैसी चुद्क्क्ड की गाड़ पहली बार देखी है , उह्ह्ह कितना नरम है उह्ह्ह

रज्जो - कभी अपने दीदी का भी छू लेना , मुझसे भी नरम है अह्ह्ज साले क्या कर रहा है बहिनचौद उह्ह्ज

जंगीलाल सुखा सुखा ही लण्ड उसके गाड़ के मुहाने लगा कर धकेलने लगा

जंगी उसके गाद के सुराख पर थुक कर अपने सुपाड़े से उसको छेद पर फैलाते हुए हल्का सा जोर देके पचकक्क से लण्ड को भीतर घुसेडा - अह्ह्ह क्या कसी हुईई गाड़ है भाभी उह्ह्ह्ह उम्म्ंम कितनी गर्मी है भीतर है उह्ह्ह ओह्ह्ह्ह

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रज्जो की तो आंखे उलटने लगी , उपर निचे दोनो तरफ दोनो भाइयो ने अप्ने मुस्तैद मसलो को उसके दोनो छेड़ो मे भर दिया था ,

जन्गीलाल हल्का हल्का झटका देता हुआ - आह्ह लेह्ह पुरा लेह्ह्ह ऊहह भैया आअप भी पेलो ऊहह मस्त चुदाई होगी

रंगीलाल - हा भाई घुसा घुसा और कस कस फ़ाड इसकी गाड़ उह्ह्ह क्या मस्त चुदवाती है आज तो दिन ही बन गया उह्ह्ह जिजीईई उम्म्ं

रज्जो - ह्म्म्ं और पेलो और घुसाआअऊओ उह्ह्ह माह्ह दिखाओ ना कितना जोर है तू भोसडीवालो मे उह्ह्ह पेलो ना सालो बहिन चोदो


रंगीलाल ने उसके कमर को थाम कर तड़तड़ कमर उठा कर लण्ड उसकी चुत मे डालने लगा और जंगी भी उसके कन्धे पकड कर गाड़ मे पुरा लण्ड भर भर के पेले जा रहा था ।

रज्जो भर भर दोनो को गालिया बकते हुए उन्हे चढा रही थी और दोनो भाई बस गालीया सुनकर बहुत ऊततेजित होकर रज्जो को पेले जा रहे थे ।

रज्जो की चुत हलाहल तीसरी बार रस छोड चुकी थी मगर दोनो भाई अभी तक लगे हुए थे ,
रज्जो - अरे कम होगा तुम्हारा उह्ह्ज माह्ह फाड़ कर रख दिये हो उह्ह्ह

जन्गिलाल उसके लाल हो चुके गाड़ के पाटो को मसलता हुआ
जंगीलाल - क्यू भाभीई अभी से थक गयी ,देख लिया हमारे खुन का जोर उम्म्ंम

रज्जो ने अपनी आन्खे महिन की और अपने दोनो छेदो के छल्ले सिकोड़कर टाइट कर - अच्छा ऐसी बात है अब पेलो देखू तो

एक बार फिर दोनो छेद पूरी तरह कस चुके थे और दोनो घिसावट मे तंगी होने लगी , दोनो के सुपाड़े पर जोर पड़ने लगा और जंगी की नसे अब ये रगड़ बर्दाश्त ना कर सकी और उसने कुछ ही झटको मे अपना फव्वारे को छोड़ दिया ,

रज्जो ने गाड़ की जड़ मे जन्गी के झड़ते लण्ड के फुलते सुपाड़े की मोटाई महसूस की और एक बार फिर से वो झड़ने लगी और वही नीचे गर्म लावे का स्पर्श पाते ही रंगीलाल भी भलभला कर झटके खाने लगा

रज्जो ने दोनो के लण्ड को भर पुर निचोड़ा और फिर अलग होकर उन्हे साफ भी किया ।

रज्जो - आप लोगो का तो हो गया अब ये साफ कहा करू ,

रंगी अपना जांघिया चढाता हुआ - आयिए जीजी मै साफ करवा देता हू

ये बोल कर वो रज्जो को वही जीने के निचे लगे पानी के मोटर के पास ले जाता है

रंगी - जीजी आप झुक कर खडे हो जाओ , मै पानी डालता हु

रज्जो हस कर झुक कर खडी हो गयी और रंगी ने मोटर चालू कर पानी की पाइप की तेज धार के उसके चुतडो पर मारी की रज्जो गनगना गयी - आह्ह आऊच ऊहह आराम से ना

रंगी - अरे जीजी वो आप अपना फैलाओ ना तब तो धुलेगा

रज्जो - क्या फैलाऊ
जंगी - अपनी गाड़ फैलाओ ना भाभीईई

रज्जो शर्मा कर हस्ते हुए - धत्त

फिर उसने झुक कर वैसे अपने गाड़ के पाटे फैलाये और रंगी को उसके भूरे गाड़ से रिसता हुआ सफेद वीर्य दिखा ।

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कुछ पल को रंगी कोअजीब सा लगा मगर जैसे पानी की मोटी धार उसपर गयी वो एक ही पल मे साफ हो गया और रंगी सीधा रज्जो की गाड के सुराख पर धार मारने लगा , फिर उपर निचे करते हुए उसके चुत के फाको को भी धूलने लगा

ये सब देख कर जंगी का लण्ड एक बार फिर से कसने लगा ।
उससे रहा नही गया और वो आगे बढ़ते हुए अपना सुपाडा खोलकर एक बार फिर से अपना लण्ड रज्जो की गाड़ मे भर दिया

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रज्जो अपने हाथ घुटने पर रख कर झुकी हुई थी , गाड़ मे लण्ड जाते ही उसकी सिकुडी हुई गाड़ के सुराख फैलने लगे और लण्ड पुरे तेजी से भीतर घुसता चला गया ।

रज्जो - उह्ह्ह भाईसाहब अभी तो किया था नाअह्ह उह्ह्ह माअह्ह

जन्गी कस कस के गाड़ मे झटके लगाता हुआ - ओह्ह भाभीईई आपकी गाड़ इत्नी मस्त है किहहह ऊहह मजा आ रहा है कितनी गर्मी है भीतर उह्ह्ह लग रहा है पिघल ही जायेगा

ये सब देख कर रंगी का लण्ड भी फौलादी होने लगा और वो भी अपना मुसल निकाल कर हिलाने लगा

रज्जो उसको देख कर चेहरे भिच्कर आहे भरते हुए - मै नही लेने वाली ,अह्ह्ह माअह्ह्ह जाओ अपनी बहिन के भोसड़े मे घुसाओ ओह्ह्ह मह्ह्ह सीईई उह्ह्ह उह्ह्ह जल्दी करो भाई साहब
रंगी का मुह उतर गया और
जन्गीलाल रज्जो की कसी हुई गाड मे जल्दी जल्दी पेलने लगा और कुछ ही मिनटो मे एक बार फिर से उसकी गाड़ को अपने वीर्य से भर दिया ।

रज्जो पास के दिवाल से सहारा लेते हुए अपनी कमर और पैर सीधा करती है - आह्ह माह्ह्ह तोड कर रख दिया तुम दोनो ने ऊहह सीईईई

रज्जो की बाते सुनकर दोनो भाई हस दिये
रज्जो - अरे अब धुला दो ना , हो गया काम तो सरक रहे हो

जन्गी आगे बढ कर - अरे आओ भाभी धुला देता हु

इस बार जंगी ने खुद पाइप से पानी डाल कर हाथ लगा कर रज्जो की गाड़ साफ की और फिर तैयार होने लगा ।

रंगी - भाभी हम लोग निकल रहे है आप तैयार होकर आईये ऐसे साथ मे निकलना उचित नही है

रज्जो कराह भरी आवाज मे अपने खुले हुए चुतड को चौकी पर टिकाते हुए - आप लोग चलो मै आती हु

फिर दोनो भाई बाहर निकल गये ।


जारी रहेगी
बहुत ही शानदार और लाज़वाब अपडेट है
 
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Sanju@

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UPDATE 181 A

लेखक की जुबानी

शाम के 5 बज गये थे , सारे लोग तैयार होकर नये नये ड्रेस मे तस्वीरें निकलवा रहे थे ।
रंगीलाल ने सभी gents के लिए आज मेहन्दी पर पहनने के लिए खास कुर्ता सेट मगवाया था और बारी बारी से सबको बाट रहा था

रंगीलाल उपर के कमरे मे राहुल और उसके पापा को उनका कपड़ा देके जीने की ओर लौट रहा था कि तभी उसकी नजर जीने से उपर आती शालिनी पर गयी ।

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शालिनी का पल्लू उसके सीने से हट चुका था , पिन की वजह से अटका हुआ था और ब्लाऊज मे कैद उसकी चुचिया उछल रही थी
रन्गीलाल शालिनी को ऐसे देखा वही रुक गया और शालिनी उसके पास आकर रुकी तो उसने रन्गीलाल की आंखो मे देखा जो उसको छातियों को निहार रहा था ।
शालिनी ने झट से अपना पल्लू खिंच कर सीने के उपर किया और मुस्कुरा कर रन्गीलाल को देखा । फिर अपनी जुल्फो को कानो मे फसाते हुए साइड से निकल कर शर्माती हुई सोनल के कमरे मे निकल गयी ।

वही रन्गीलाल ने गरदन घुमा कर उसको देखा फिर निचे जाने के बजाय वही हाल मे सोफे पर बैठ गया ।
जहाँ पहले से ही शाकुंतला , विमला रजनी बैठे थे और उनसे बाते करने लगा ।

वही राहुल अनुज और विमला का बेटा मनोज डीजे पर चलाने के लिए भोजपुरी गानो की लिस्ट खोज रहे थे ।

राज और कमलनाथ भी साथ मे तैयार होकर कमरे से बाहर निकल रहे थे कि सामने गेस्ट रूम से शिला एक स्लिवलेस प्लाजो सूट मे तैयार होकर बाहर निकली , उसने एक नेट वाला दुपट्टा साइड से ले रखा था और उसके मोटे मोटे चुचे कसे हुए उभरे थे ।
कुल्हे पर कुरती उठी हुई थि और पलाजो मे जान्घे कसी हुई थी ।

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शिला की नजरे जैसे ही कमलनाथ से टकराई वो थोडा शरमाई और फिर इतराती हुई आगे बढ़ती हुई अपने बालो को पीछे से आगे करते हुए अपनी डीप गले वाली बैकलेस कुरती से अपनी गोरी चिकनी पीठ कर दिदार कराते हुए एक शरारत भरी मुस्कराहट के साथ आगे बढ़ गयी ।

राज उन दोनो की आंखे चार होते देख कर मस्ती मे - अरे वाह बुआ आज तो आप बड़ी प्यारी लग रही हो , क्यू मौसा जी ।

राज की बात सुन कर शिला ने नजरे उठा कर कमलनाथ को देखा तो कमलनाथ अटकते हुए स्वर मे - अह हा हा , बहुत अच्छी लग रही है आप
शिला शर्म से लाल होती हुई मुस्कुराई और फिर कमलनाथ ने सबको उपर चलने के लिए बोला ।

कुछ ही देर मे मेहंदी का कार्यकर्म होने लगा , अब ये सब ले देके था औरतो वाला ही प्रोग्राम तो ऐसे मे मर्दो के लिए बोरियत ही था ।

वही जंगी-रंगी दोनो भाईयो मे अपनी प्लानिंग के लिए आंखो से इशारेबाजी चल रही थी ।
कि अभी यहा मेहंदी का प्रोग्राम हो रहा है घन्टे स्वा घन्टे का टाईम है थोडा मूड बना ही लिया जाये ।

रंगी अंगड़ाई लेते हुए उठा और जंगी से बोला - छोटे जरा आओ थोडा काम है तुम्से और फिर जंगी भी निकल गया उसके साथ निचे ,

हसी ठिठौलि मे वय्स्त महिलाए और उनको घुरते लौंडो के बीच एक अकेला मर्द कमलनाथ ।

निशा की गुपचुप निगाहे कमलनाथ को बिच बिच मे देख रही थी और वो ऐसे जगह बैठी थी कि उसकी गुदाज जांघ और आधा चुतड उसकी लेगी से साफ साफ झलके ।

मगर कमलनाथ और शिला की अपनी इशारेबाजी चल रही थी ,
वही राज और रीना
भी आपस मे मुस्कुराहटे पास किये जा रहे थे ।


रन्गी जंगी दोनो निचे के कमरे मे आये और फिर जो जो जरुरी समान था सब एक झोले मे लेके फटाफट घर बाहर निकल गये इस बात से बेखबर कि रज्जो उनका पीछा करते हुए जीने तक आई थी

जैसे ही उसने दोनो को घर से बाहर जाते देखा तो उसे अटपटा लगा कि इस वक़्त ये लोग कहा जा रहे है ।

फिर वो पीछे पीछे मेन गेट तक और देखा तो वो लोग बगल मे चंदू के घर मे घुसरहे थे ।

रज्जो को लगा कि शायद कुछ काम हो क्योकि उस घर मे भी दहेज एवं रसोई का काफी सारा रखा हुआ था तो वो वापस उपर चली गयी ।

वही रन्गी और जंगी दरवाजा भीड़का कर जीने की सबसे उपर वाली चौड़ी सीढि जो दरवाजे से लग कर थी वही आसान जमा लिये ।


अमन के घर

हाल मे सारे लोग एक साथ थे और कल हल्दी के प्रोग्राम पर चर्चा हो रही थी ।
शाम का समय हो गया था और ममता सबको चाय दे रही थी ।
जैसे ही वो भोला को चाय दी दोनो मुस्कुरा दिये ।

फिर वो किनारे खड़ी हो गयी और तभी भोला ने आंखो से इशारा किया और अपने जांघो पर उंगलियाँ पेन की तरह चलाते हुए ममता से इशारा किया कि डायरी लिख दिया है पढ लेना

ममता इतराते हुए मुस्कुराने लगी और उसकी बेचैनी बढने लगी कि क्या लिखा होगा उसके नंदोई ने ।
उसके पाव कांप रहे थे , रोम रोम सिहर रहा था , उसी सिहरन ने उसके चुचे उठाने शुरु कर दिये थे

आखिरकार ममता से रहा नही गया और वो चाय की ट्रे लेके किचन ने गयी और उसने गटागट एक गिलास पानी गले मे उतारा और अपनी उफनाती सासो को थामने लगी ।

एक घबराहट और उत्सुकता ने घर कर लिया था उसको , बेचैनी और उतावलापन उसके चेहरे से साफ पता चल रहे थे ।
कलेजे की धकधक उसके चेहरे पर मुस्कान ला रही थी और वो एक गहरी आह भरती हुई चुपचाप अपने कमरे मे चली गई

उसने आस पास देखा तो उसको तकिये के निचे वो डायरी मिली और उसने झटपट से दरवाजा भीड़काया फिर सर सर पन्ने उलटने शुरु किये ।

आखिर से दो पन्नो से पहले उसको कुछ लिखा मिला , उसने आंख बन्द कर अपने दिल को थामती हुई एक ठंडी सास ली और फिर डायरी मे देखा ।

कुछ शायरी से शुरुवात की थी भोला ने

कुछ आश रखने की हिम्मत कर रहा हु
बोलो पुरा करोगी क्या ?
कुछ कहने की चाहत रख रहा हु
बोलो सुनोगी क्या ?
आज रात मै इंतजार करूंगा बाल्किनी मे
बोलो आओगी क्या ?
शायरी पढ कर ममता हसने लगी और उसने आगे पढना शुरु किया

गर मंजूर हो दोस्ती का ये इकरार
तो पहन के आना सिर्फ़ सलवार
दोस्ती की कसम है तुम्हे , मत करना मुझे सैंटी
गुजारिश है तुमसे ना ब्रा पहनना और ना पैंटी


ममता इस कल्पना से कि बिना ब्रा पैंटी के सिर्फ सूट सलवार मे नंदोई के सामने जाऊंगी तो , हाय हाय ये मै क्या सोच रही हु धत्त ये नंदोई जी भी ना

फिर वो आगे पढती है

अब इस बात से इंकार ना करना कि तुम्हे भनक नही मेरे इरादो का
कितनी ठोकरे तो खा चुकी हो आज मेरे जज्बातों का


ये लाईन पढते ही ममता को वो पल याद आया जब भोला उसके उपर चढ कर उसकी चुत पर लण्ड से ठोकर मार रहा था , वो याद करते ही ममता की चुत पनियाने लगी ।

फिर उसने आखिर के दो लाईन पढे

कहने को बहुत कुछ है मगर ये कलम बहुत छोटी है
आपके दरखक्तों पर हम अपनी कलम चलायेंगे


ममता - धत्त ये जीजा भी ना , उफ्फ्फ गर्म कर दिया मुझे । क्या मुझे भी बदले मे कुछ लिखना चाहिये । अभी तो 5 बजे है और 11 बजने मे तो काफी वक़्त है ,क्यू ना इसी डायरी मे जवाब लिख कर उन्हे भी थोडा परेशान करू ।हिहिहिही

राज के घर

इधर मेहंदी के रस्म हो रही थी वही राज रिना को डांस करने के लिए आने को इशारा कर रहा था

बदले मे रीना मुस्कुरा कर हामी भर रही थी तो राज भागते हुए रिना के पास गया और उसको पकड कर खिंचते हुए हाल के बीच मे ले आया

रिना खिलखिलाकर हस रही थी और बाकी सारे लोग भी हस रहे थे फिर शुरु हुआई देवार भौजाई के ठूमके , आंखो से आंखे टकराई और होठ भी कुछ मनशा लिये मुस्करा रहे थे ।
वही बाकी की लौडो की गैंग ( अनुज , राहुल , मनोज , चंदू ) सिटिया बजा कर शोर कर रहे थे ।

रीना शर्मा कर हस्ती हुई वापस औरतो मे चली गयी ।
इधर निशा काफी देर से देख रही थी कि कमलनाथ का ध्यान उस्की ओर कम और शिला की ओर ज्यादा था ।
उसे भी भनक सी लग रही थी कि दोनो मे कुछ आंख मिचौली चल रही है ।

निशा ने रागिनी को पकड कर खींचा और हाल मे लेके आते हुए डांस करने लगी , रागिनी भी हस हस ठुमके लगा रही थी मगर जल्द ही वो हट गयी और

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निशा अकेले ही कमलनाथ की ओर खास करके अपनी गाड़ करके झटके लगाते हुए नाचने लगी , उसकी कुर्ती उठती तो कमलनाथ ने निशा के लेगी से झांकते उसकी पैंटी के भी दिदार हो जाते ।

कमलनाथ का ध्यान अब निशा ने खिच ही लिया और डांस खतम कर निशा बार बार बस कमलनाथ की ओर ही देखे जा रही थी ।
कमलनाथ को थोडा अजीब लगा कि वो उसे क्यू देख रही है , और कमलनाथ उस्से नजरे चुराने लगा । अब तो उसको ये दिक्कत होने लगी कि कही वो शिला को ताडे तो उसकी चोरी पकड़ी ना जाये क्योकि निशा तो लगातार नजर जमाए हुए थी ।
सारे लोग इन्जाय कर रहे थे तो रागिनी ने बातो ही बातो मे पुछा - ये राज के पापा कहा गये अभी आये नही

शालिनी - हा जीजी निशा के पापा भी गये है साथ मे

रज्जो को भी लगा कि अब तो समय काफी हो गया क्या करने गये ये लोग अभी आये नही इसीलिए रज्जो उठ कर निकल गयी दोनो को बुलाने के लिए

चंदू के घर का दरवाजा भिड्का हुआ ही था , हल्का सा जोर और खुल गया
रज्जो गलियारे से होकर कमरे दर कमरे पार करती हुई आगे बढ़ रही थी और उसको दोनो भाईयों की खिलखिलाहट भरी हसी और बातो की गूंज आ रही थी ।
रज्जो जैसे ही सबसे पीछे आंगन मे पहुची तो उपर के जीने से आवाज आई जो जंगी की थी ।

जंगी- भैया सच सच बताओ ना रज्जो भाभी आपको कैसी लगती है

जन्गी का अपने भाई से यू सवाल पुछना रज्जो को थोडा खटका

रंगी - एकदम रसदार है रज्जो भाभी यार , मै तो शादी के समय से ही दीवाना हु

रज्जो ने जीने की ओर झाक कर देखा तो समझ गयी
दोनो भाई सिर्फ बनियान पहने दरवाजे पर बाहर की ओर मुह किये बैठे थे , उनके कुरते जीने की रेलिंग पर रखे हुए थे ।
रज्जो उनकी बाते सुनते हुए धीरे धीरे सीढिया चढने लगी ।

जन्गी - सच भैया , ये कमलनाथ भाई ने क्या किसमत पाई है ना , क्या मस्स्स्त गाड़ है भाभी के उह्ह्ह्ह मन करता है कि झुका के

जन्गी की बाते सुन्कर रज्जो के कान खडे हो गये और वो समझ गयी कि दोनो ड्रिंक किये हुए है

रंगी - हेईई जन्गीईई नहीईई भाभी है ना वो ऐसा नही बोल्ते

जंगी - स्स्स्सोरीईई भैयआआह
रंगी - सोरीई क्यू सॉरी क्यू , अरे रन्डी है एक नं की रंडी देखा नही साली गाड़ कैसे फैली हुई है

"खुब पेलवाति होगी आह्ह" , रंगी ने ग्लास गटकते हुए कहा ।
जन्गी ने भी सिप लेते हुए - हा भैया पता है मैने तो कल रात को ....।

रज्जो को लगा कही उस्का भेद खुल ना जाये और जंगी नशे मे कुछ बोल ना दे
इसीलिए वो पीछे से बोल पड़ी- हम्म्म तो क्या बैठ कर आप लोग मेरे बारे मे ये सब बाते कर रहे है ।

रज्जो की तेज आवाज सुनते ही रंगी जंगी दोनो ने पलट कर देखा तो दोनो की आधी शराब वैसे ही गायब हो गयी और वो फौरान खडे हो गये - भाभीईई जिजीईई

जैसे ही वो खडे हुए उन्के पाजामे मे तना हुआ मुसल भी तम्बू बना कर रज्जो को निहार रहा था और रज्जो की नजर जैसे ही उन्पे गयी दोनो ने अपने पंजे से छिपाने लगे तो रज्जो की हसी छूट गयि ।

रज्जो - छीईई आप लोग मेरे बारे मे ऐसी बाते करते है क्या मै आपको सड़क छाप वो लगती हु , हुउह्ह

रंगी और जंगी दोनो सफाई देते हुए - नही नही जिजीई भाभीईई हमारा वो मतलब नही था , सॉरी ना प्लीज

रज्जो तुन्क कर - हुह , रहने दो सुन लिया मैने सब

ये बोल कर रज्जो निचे जाने लगी तो रंगी - ये भाई रोक रोक जिजीई को

जन्गीलाल सरपट रज्जो के पीछे भागा और आन्गन मे रज्जो की कलाई पकड ली तो रज्जो छुड़ाने की कोसिस करती है इतने मे रंगी भी आ जाता है

रंगी - सॉरी ना जीजी , मान जाओ ना प्लीज

जन्गी - हा भाभी प्लीज , देखीये ये सब शुरु भी इसीलिए हुआ कि आपकी गलती थी

रज्जो ठहर कर - अब मेरी क्या गलती
जंगी - आपको तो पता ही है ना कल रात मे जब मैने आपको खाना के लिए बुलाने आया था तो

इस्से पहले जन्गी अपनी बात पूरी करता उस्से पहले रज्जो ने अपनी आंख दिखाई उसको

जंगी हड़ब्डा कर बात घुमाता हुआ - और आज सुबह मे जब हम नासता कर रहे थे तो हमे आपकी वो दिख गयी और फिर

फिर जंगीलाल ने सारि बाते बताई कि कैसे दोनो भाई बीते लमहे ताज़ा करने के चक्कर मे थे
जंगी - मगर सुबह का वो झलक बार बार मेरे जहन में था और बस मन कर रहा था कि

रज्जो - क्या मन कर रहा था
जन्गी - नही भाभी आप बुरा मान जाओगे

रज्जो तेज अवाज मे - मैने कहा बताओ

रंगी ने इशारे से जंगी को बात रखने को कहा
जन्गी - वो भाभी जबसे सुबह से आपकी चिकनी बुर देखी थी उसको चाटने का इतना मन हो रहा था , ऐसी फूली हुई लम्बी लकीरो वाली चुत मैने आज तक नही देखी थी और देखो ना तबसे मेरा मुसल भी नही बैठ रहा है ।

जन्गीलाल ने अपनी तारिफ सुनकर रज्जो मुस्कुराई जिसे रंगी ने पल भर की नजर मे भाप लिया और वो समझ गया कि रज्जो को इससे कोई फर्क नही पड रहा है क्योकि वो रज्जो के रग रग से वाक़िफ़ था ।

रज्जो - अब छोड़ो मुझे और ये सब क्या बाते कर रहे हो आप लोग । शर्म नही आती एक पराई औरत के साथ ये सब छीई

रन्गी मुस्कुरा कर - जीजी आप पराई कहा हो आप तो अपने हो और जमाई की तो सारी गल्तियां माफ की जाती है ना

रज्जो रंगी की आंख मे झाक चुकी थी और वो मुस्कुरा कर - ऐसे कैसे माफी मिल जायेगी , आप दोनो को सजा मिलेगी ।

जंगी - क्या सजा !!
रज्जो - हम्म्म्म और क्या ,
मुझे भी हिसाब बराबर करना है

जंगी - वो कैसे ?

रज्जो - मै भी आप दोनो को गाली दूँगी और आपके प्राइवेट पार्ट देखूँगी । तब ना होग हिसाब बराबर


रज्जो की बात सुनते ही जन्गी खिल उठा और अपने पजामे का नाड़ा खोलते हुए अपना मुसल बाहर निकाल कर - बस इतनी सी बात , ये लो

जन्गी ने बड़ी बेशर्मी से अपना तनतनाया हुआ लण्ड बाहर निकाल दिया

रज्जो - साले भडवे रंडीबाज , बहिनचोद

जंगी चौक कर रज्जो को देखा
रज्जो - अरे हिसाब बराबर कर रही हु ना
जन्गी - ओह्ह

फिर रज्जो रंगी की ओर घूमी तो वो भी फटाक से अपना मुसल निकाल कर खड़ा हुआ और रज्जो ने वही गाली दुहराई

रज्जो - चलो हो गया अब चलते है , सार लोग खोज रहे है आपको

रंगी - अरे अभी कहा हुआ
रज्जो - तो अब क्या बाकी है ?

रन्गी - क्या जीजी हमने तो उसकी तारिफ भी की थी ना ...तो

रज्जो रंगी की बात सुनकर हस दी - धत्त , ये भी बोलना पडेगा

जंगी हस्ते हुए - हिसाब तभी ना बराबर होगा भाभी

रज्जो ने बड़े गौर से दोनो के लाल सुपाडे वाले लण्ड को निहार रही थी जो दोनो के हाथो मे कैद थे ।

रज्जो कुछ बोलने को हुई मगर उसकी हसी छूट गयी

रंगी - अरे बोलो ना जीजी

रज्जो नजरे गडाये तेज धडकते दिल के साथ - उफ्फ्फ क्या मसत मस्त लण्ड है जी कर रहा है कि अभी चुस चुस कर लाल कर दू और

रज्जो की बातें सुनते हुए दोनो भाईयो के जिस्म मे सुरसूरी सी हुई और दोनो के लण्ड पुरे फौलादी हो गये ।

दोनो अपना मुसल सहलाते हुए - सीईई और क्या भाभीई/जिजीई

रज्जो अपने बेकाबू होते दिल को मह्सूस करती हुई अपनी उफ्नाती सासो के साथ एक आह भरती हुई - और इनको उसी रसिले चुत मे भर लू जिसको आप दोनो चुसना चाहते थे

रज्जो की बाते सुन्कर दोनो भाई के दिल की धड़कने तेज हो गयी और दोनो सिस्कते हुए तेजी से अपना मुसल मसल रहे थे और रज्जो की निगाहे वही अटकी थी

दोनो भाईयो ने एक दुसरे को खुमारी भरे नजरो से देखा और रज्जो के करिब आ गये

रज्जो की सासे और चढने लगी , वो नजरे घुमा कर दोनो तरफ खडे दोनो भाईयो की आंखो मे मदहोश नजरो से देख रही थी ।
" भाभीईई ",जन्गी की गरम सासों से भरी आवाज रज्जो के गरदन से टकराई और वो आंखे बन्द कर सिहर उठी ।

वही रंगी ने रज्जो का एक हाथ पकड़ा और अपने मुसल पर रख दिया , जिससे रज्जो ने अपनी आंखे भीच कर सीने मे सासो को भर लिया ।

जन्गी ने वही किया और इस बार रज्जो ने अपने होठ भी दबा लिये ।
दोनो भाईयो ने एक साथ उसके गरदन को चूमा और दोनो के एक एक हाथ उसकी उभरी हुई चरबीदार गाड़ पर फिराने लगे ।

रज्जो ने दोनो के लण्ड को मुठ्ठि मे भर लिया दोनो भाई भी सिहर उठे ।

रज्जो ने उनकी लिंग की चमडीया खिस्कानी शुरु की और रज्जो के गर्म हाथो की मुलायम हथेली ने उन्हे मदहोश कर दिया ।

रज्जो अब आंखे खोल के दोनो भाईयो के चेहरे पढते हुए उन्के लण्ड को भीच रही थी और दोनो को भनक भी नही लगी कि कब रज्जो निचे बैठ गयी , सबसे पहले जंगी का कालेज ध्क्क हुआ जब उसको अपने लण्ड की सतह पर नरम ठंडे होठो का स्पर्श मिला

वो एडिया उचका कर सिहरा - उह्ह्ह भाभीईई उम्म्ंम्ं सीईई अह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह

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रज्जो ने कुछ देर बाद रंगी का लण्ड मुह मे लेके चूसने लगी ।तो रंगी ने भी आहे भरनी शुरु कर दी ।
जंगी - ऊहह भाभीईई क्या मस्त चुस्ती हो जब आपके उपर के होठ ऐसे है तो निचे के होठ कितने नरम होंगे

रज्जो मुह से लण्ड निकालती हुई - वो आप खुद चुस के देख लो ना भाई साहब

ये बोल के रज्जो उठकर अपना साड़ी पेतिकोट एक साथ उठाते हुए आंगन की एक चौकी पर लेट कर जान्घे खोल दी - आह्ह आओ ना भाई साहब चुस के देखो ना

जन्गी मुस्कुरा कर रंगी की ओर इजाजत भरी नजरो से देखता है तो रंगी भी उसको हामी भर कर अपना मुसल मसलने लगता है ।

जन्गी फौरन घूटने के बल होकर अपना मुह रज्जो की बुर मे दे देता है और रज्जो आहे भरने लगती है - उह्ह्ह माह्ह्ह सीईई ऐसे हीई उह्ह्ह्ह उम्म्ं और चुसो भाईसाहब उह्ह्म्ंं

जंगी अपने होठो से रज्जो के बुर के फाके निचोडते हुए जीभ से लकीर चाट रहा था और रज्जो उसकी थूथ को अपने फुले हुए भोस्ड़े पर रगड़ रही थी - उह्ह्ह और चुसो उह्ह्ह ऊहह सीईई ऐसे ही उम्म्ंम माह्ह्ह

रंगी वही खड़ा खड़ा मुसल मसल रहा था और उससे रहा नही गया वो अपना लण्ड थामे चौकी पर चढ गया ।

रज्जो ने देर ना करते हुए उस्का लण्ड मुह मे भर लिया और रंगीलाल उसके ब्लाउज खोलकर उसकी चुचिया आजाद करके उन्हे मसलने लगा

रंगी- भाई सारा माल तू ही खा जायेगा क्याह्ह उह्ह्ब
जंगी मुह हटा कर देखा कि उसके भैया ने रज्जो के मुह मे लण्ड पेल रखा और चुचिया नंगी खुली हिल रही है ।

जंगी खड़ा होकर अपना मुसल मसलते हुए - आह्ह भैया इस रंडी की बुर बहुत रस है उह्ह्ह सच मे बहुत गर्म माल है

जंगी की बात सुनकर रज्जो मुह से लण्ड निकालती हुई - तो चोद ना साले रन्डीबाज पेल दे ना मुझे उह्ह्ह बहिन ंचोद

जन्गी अपना लण्ड उसके चुत पर रगड़ता हुआ - क्या बोली मादरचोद हाह

रज्जो उसकी आंखो मे देखते हुए साफ साफ लहजे मे झल्ला कर बोली - मैने कहा पेल ना बहिनचोद

बहिनचोद शब्द सुनते ही जंगी को सुरुर सा छा गया और वो कस के एक ही झटके आधे ए ज्यादा लण्ड घुसा दिया और और रज्जो के गले मे आवाज घूंट कर रह गयी क्योकि रंगि ने पहले ही उसका मुह भर दिया

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जंगी हच्क ह्च्क कर रज्जो की रस फेकती चुत मे लण्ड पुरा जोर देके जड़ तक घुसाये हुए था - लेझ्ह साली रन्डी अह्ह्ह चुदक्क्ड उह्ह्ह लेह्ह्ह क्या मस्त बुर है तेरी उह्ह्ह
इधर जंगी कस कस के पेल रहा था वही रंगी का मुसल पूरी तरह फौलादी हुआ जा रहा था और वो रज्जो के मुह से लण्ड निकाल कर जंगी की ओर लाचारी भरी नजरो से देख कर हिला रहा था कि एक बार उसका छोटा भाई उसे भी मौका देदे

जंगी की नजर जब अपने भैया पर गयी तो उसने मुस्कराते हुए अपनी पोस्ट खाली कर दी फिर क्या रंगी ने
खडे होकर वही पास रखे सोफे पर अपना आसान टिका लिया और रज्जो भी खडी होकर अपना साड़ी पेतिकोट निकाल कर रन्गीलाल पर सवार हो गयी ।

लण्ड को चुत मे लगाते ही वो सरक कर भीतर घुस गया और बाकी का काम रज्जो ने खुद करने लगी ।

रन्गीलाल उसके नरम चुतडो को सहलाते हुए उसके चुचो को मुह मे भर कर चुसने लगा और रज्जो सिसकिया लेते हुए उसके लण्ड को अपनी बुर मे भरे हुए गाड़ घिसने लगी

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रज्जो की चिकनी फैली हुई गाड़ को बड़ी अदा से लण्ड पर आगे पीछे होते हुए देख जंगीलाल वही चौकी पर बैठा हुआ अपना मुसल मसलने लगा ।

रज्जो जब भी पीछे होती उसकी गाड के पाटे खुल जाते और उसके गाड़ की भरी सुराख ही हल्की झलक उसे मिलती और उसका मुह लार छोडता ।

वही रंगीलाल निचे से झटके लगाता हुआ अब गति और बढा चुका था जिससे रज्जो की चिखे कमरे मे गूंज रही थी ।
रज्जो की कामुक चिख और सिसकियाँ जंगीलाल को अब और बेसबर किये जा रही थी वो उसकी चिखो को और बढ़ाना चाह रहा था और वो अपनी जगह से उठकर रज्जो के पास पहुचा ।

उस्ने रज्जो की चर्बीदार गाड़ की लकीरो मे हाथ लगाया तो रज्जो सिसकी और गरदन घुमा कर मुस्कुराते हुए जन्गीलाल को देखा ,वो समझ रही थी कि बस जंगी को उकसाने की देर है और वो अपना लण्ड उसकी गाड़ मे घुसाने से बाज नही आयेगा ।

रज्जो - क्या हुआ बहिनचोद ऊहह सीईई अह्ह्ह ऐसे क्या देख रहा है कभी गाड़ नही देखी क्या उम्म्ंम सुईई आअहह

जंगी मे चट्ट से उसके गाड़ पर चपत लगाई और उसके नरम नरम पाटो को फैलाते हुए - बहुत देखी है साली लेकिन तेरी जैसी चुद्क्क्ड की गाड़ पहली बार देखी है , उह्ह्ह कितना नरम है उह्ह्ह

रज्जो - कभी अपने दीदी का भी छू लेना , मुझसे भी नरम है अह्ह्ज साले क्या कर रहा है बहिनचौद उह्ह्ज

जंगीलाल सुखा सुखा ही लण्ड उसके गाड़ के मुहाने लगा कर धकेलने लगा

जंगी उसके गाद के सुराख पर थुक कर अपने सुपाड़े से उसको छेद पर फैलाते हुए हल्का सा जोर देके पचकक्क से लण्ड को भीतर घुसेडा - अह्ह्ह क्या कसी हुईई गाड़ है भाभी उह्ह्ह्ह उम्म्ंम कितनी गर्मी है भीतर है उह्ह्ह ओह्ह्ह्ह

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रज्जो की तो आंखे उलटने लगी , उपर निचे दोनो तरफ दोनो भाइयो ने अप्ने मुस्तैद मसलो को उसके दोनो छेड़ो मे भर दिया था ,

जन्गीलाल हल्का हल्का झटका देता हुआ - आह्ह लेह्ह पुरा लेह्ह्ह ऊहह भैया आअप भी पेलो ऊहह मस्त चुदाई होगी

रंगीलाल - हा भाई घुसा घुसा और कस कस फ़ाड इसकी गाड़ उह्ह्ह क्या मस्त चुदवाती है आज तो दिन ही बन गया उह्ह्ह जिजीईई उम्म्ं

रज्जो - ह्म्म्ं और पेलो और घुसाआअऊओ उह्ह्ह माह्ह दिखाओ ना कितना जोर है तू भोसडीवालो मे उह्ह्ह पेलो ना सालो बहिन चोदो


रंगीलाल ने उसके कमर को थाम कर तड़तड़ कमर उठा कर लण्ड उसकी चुत मे डालने लगा और जंगी भी उसके कन्धे पकड कर गाड़ मे पुरा लण्ड भर भर के पेले जा रहा था ।

रज्जो भर भर दोनो को गालिया बकते हुए उन्हे चढा रही थी और दोनो भाई बस गालीया सुनकर बहुत ऊततेजित होकर रज्जो को पेले जा रहे थे ।

रज्जो की चुत हलाहल तीसरी बार रस छोड चुकी थी मगर दोनो भाई अभी तक लगे हुए थे ,
रज्जो - अरे कम होगा तुम्हारा उह्ह्ज माह्ह फाड़ कर रख दिये हो उह्ह्ह

जन्गिलाल उसके लाल हो चुके गाड़ के पाटो को मसलता हुआ
जंगीलाल - क्यू भाभीई अभी से थक गयी ,देख लिया हमारे खुन का जोर उम्म्ंम

रज्जो ने अपनी आन्खे महिन की और अपने दोनो छेदो के छल्ले सिकोड़कर टाइट कर - अच्छा ऐसी बात है अब पेलो देखू तो

एक बार फिर दोनो छेद पूरी तरह कस चुके थे और दोनो घिसावट मे तंगी होने लगी , दोनो के सुपाड़े पर जोर पड़ने लगा और जंगी की नसे अब ये रगड़ बर्दाश्त ना कर सकी और उसने कुछ ही झटको मे अपना फव्वारे को छोड़ दिया ,

रज्जो ने गाड़ की जड़ मे जन्गी के झड़ते लण्ड के फुलते सुपाड़े की मोटाई महसूस की और एक बार फिर से वो झड़ने लगी और वही नीचे गर्म लावे का स्पर्श पाते ही रंगीलाल भी भलभला कर झटके खाने लगा

रज्जो ने दोनो के लण्ड को भर पुर निचोड़ा और फिर अलग होकर उन्हे साफ भी किया ।

रज्जो - आप लोगो का तो हो गया अब ये साफ कहा करू ,

रंगी अपना जांघिया चढाता हुआ - आयिए जीजी मै साफ करवा देता हू

ये बोल कर वो रज्जो को वही जीने के निचे लगे पानी के मोटर के पास ले जाता है

रंगी - जीजी आप झुक कर खडे हो जाओ , मै पानी डालता हु

रज्जो हस कर झुक कर खडी हो गयी और रंगी ने मोटर चालू कर पानी की पाइप की तेज धार के उसके चुतडो पर मारी की रज्जो गनगना गयी - आह्ह आऊच ऊहह आराम से ना

रंगी - अरे जीजी वो आप अपना फैलाओ ना तब तो धुलेगा

रज्जो - क्या फैलाऊ
जंगी - अपनी गाड़ फैलाओ ना भाभीईई

रज्जो शर्मा कर हस्ते हुए - धत्त

फिर उसने झुक कर वैसे अपने गाड़ के पाटे फैलाये और रंगी को उसके भूरे गाड़ से रिसता हुआ सफेद वीर्य दिखा ।

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कुछ पल को रंगी कोअजीब सा लगा मगर जैसे पानी की मोटी धार उसपर गयी वो एक ही पल मे साफ हो गया और रंगी सीधा रज्जो की गाड के सुराख पर धार मारने लगा , फिर उपर निचे करते हुए उसके चुत के फाको को भी धूलने लगा

ये सब देख कर जंगी का लण्ड एक बार फिर से कसने लगा ।
उससे रहा नही गया और वो आगे बढ़ते हुए अपना सुपाडा खोलकर एक बार फिर से अपना लण्ड रज्जो की गाड़ मे भर दिया

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रज्जो अपने हाथ घुटने पर रख कर झुकी हुई थी , गाड़ मे लण्ड जाते ही उसकी सिकुडी हुई गाड़ के सुराख फैलने लगे और लण्ड पुरे तेजी से भीतर घुसता चला गया ।

रज्जो - उह्ह्ह भाईसाहब अभी तो किया था नाअह्ह उह्ह्ह माअह्ह

जन्गी कस कस के गाड़ मे झटके लगाता हुआ - ओह्ह भाभीईई आपकी गाड़ इत्नी मस्त है किहहह ऊहह मजा आ रहा है कितनी गर्मी है भीतर उह्ह्ह लग रहा है पिघल ही जायेगा

ये सब देख कर रंगी का लण्ड भी फौलादी होने लगा और वो भी अपना मुसल निकाल कर हिलाने लगा

रज्जो उसको देख कर चेहरे भिच्कर आहे भरते हुए - मै नही लेने वाली ,अह्ह्ह माअह्ह्ह जाओ अपनी बहिन के भोसड़े मे घुसाओ ओह्ह्ह मह्ह्ह सीईई उह्ह्ह उह्ह्ह जल्दी करो भाई साहब
रंगी का मुह उतर गया और
जन्गीलाल रज्जो की कसी हुई गाड मे जल्दी जल्दी पेलने लगा और कुछ ही मिनटो मे एक बार फिर से उसकी गाड़ को अपने वीर्य से भर दिया ।

रज्जो पास के दिवाल से सहारा लेते हुए अपनी कमर और पैर सीधा करती है - आह्ह माह्ह्ह तोड कर रख दिया तुम दोनो ने ऊहह सीईईई

रज्जो की बाते सुनकर दोनो भाई हस दिये
रज्जो - अरे अब धुला दो ना , हो गया काम तो सरक रहे हो

जन्गी आगे बढ कर - अरे आओ भाभी धुला देता हु

इस बार जंगी ने खुद पाइप से पानी डाल कर हाथ लगा कर रज्जो की गाड़ साफ की और फिर तैयार होने लगा ।

रंगी - भाभी हम लोग निकल रहे है आप तैयार होकर आईये ऐसे साथ मे निकलना उचित नही है

रज्जो कराह भरी आवाज मे अपने खुले हुए चुतड को चौकी पर टिकाते हुए - आप लोग चलो मै आती हु

फिर दोनो भाई बाहर निकल गये ।


जारी रहेगी
बहुत ही शानदार और लाज़वाब अपडेट है
 

Sanju@

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UPDATE 181 B

राज की जुबानी

घर का माहौल चहल पहल भरा हुआ था और दीदी के हाथों पर मेहंदी लगाई जा रही थी ।

लगाने वाली भी कौन "काजल" भाभी ?
एक सर्वगुण संपन्न वही बहु , छरहरी सी पिला ब्लाउज और हरि सिफान की साडी, चिकनी गुदाज कमर और पेट दिख रहे थे ।
मेरा भी मन ललचाया और लपक कर थोडा समय उनके पास बैठ गया ।

गजब की कलाकारी चल रही थी दीदी के पैरो मे

उसके तुरंत बगल मे रीना भाभी भी बैठी थी जो मम्मी के हाथ पर मेहंदी लगा रही थी ।

मै - भाभीईई
काजल और रीना दोनो ने एक साथ हम्म्म किया और सब हस दिये

काजल - हेई बाबू जरा हटियेगा यहा से मेहँदी खराब हो जायेगी बहिनी की

मै कुछ नहीं बोला बस

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धीरे से उनकी चिकनी कमर पर एक ऊँगली रेंगा कर उठ गया और काजल सिस्क कर मुह बनाते हुए मुझे देखी और मै हस्ता हुआ रीना भाभी के बगल मे गया ।

रीना भाभी ने मेरी शरारत समझ गयी लेकिन मम्मी के नाते चुप रही ।

मै - अरे भाभी हमे भी लगाओ ना मेहंदी
रीना तुनक कर - जाओ अपने भौजी से लगववाओ

रीना की बात सुनके मम्मी भी हस दी
मै हौले से मम्मी से छिप कर रीना के कमर पर भी उंगली घुमाई और धीरे से उसके कान मे - आपको पसंद नही आया ना जब मैने उनको ऐसे छुआ तो
रीना अगले ही हस पड़ी और लाज के मारे मुह फेर ली ।

मम्मी - क्या तु परेशान कर रहा है , बैठ जा किनारे अभी बहु भी ल्गा देगी तुझे

मै वहा से खसकता हुआ बाकी महिला मंडली की ओर घूम गया जहा चाची , विमला , रजनी और शकुन्तला की मंडली जमी थी ।

वहा चाची रजनी दीदी के हाथो पर मेहंदी रख रही थी और विमला शकुन्तला बस आपस मे बाते कर रहे थे ।
उन्हे मेहंदी नही रखवाणी थी ।

मै - अरे मौसी और ताई आप लोगो को मै लगा दू क्या मेहंदी

विमला - धत्त बदमाश , नही मै नही लगा सकती ना मेहंदी

मै समझ गया कि कोमल के पापा तो है नही तो उनकी बात जायज है मगर शकुन्तला ताई क्यू नही लगा रही है ।

मै - अरे ताई आप क्यू नही लगवा रही हो
शकुन्तला थोडा हिचक रही थी - वो बस ऐसे ही ,छोड़ ना तु

मै - ऐसे कैसे आपको भी लगवाना पड़ेगा आईये इधर मै लगा देता हु

शकुन्तला - अह बेटा रहने दे जिद नही करते ,
मै - अरे सारे लोग लगवा रहे है आप क्यू नही ?

शकुन्तला- जाने दे ना बेटा तु नही सम्झेगा

मै - कोई एलर्जी है क्या आपको मेहंदी से , लेकिन ये तो नेचुरल होता है ना

शकुन्तला खीझ कर - तु नही समझेगा छोड जाने दे । मै घर जा रही हु

ये बोल कर शकुन्तला घर के लिए निकल गयी और मै विमला, चाची और रजनी दीदी सब एक दूसरे का मुह ताकते रह गये ।
मुझे कुछ सही नही लगा , बहुत कुछ पता तो नही था शकुन्तला के बारे मे मगर हा यहा चौराहे वाले घर पर पडोसीयो मे सबसे खास वही थी हमारे लिये ।
बात जो भी थी मगर उन्हे मनाना मेरी जिम्मेदारी थी ।

मगर पहले कभी भी मैने शकुन्तला का ऐसा व्यव्हार नही देखा था , शुरु से ही वो काफी मिलनसार महिला रही है हमारे यहा ।
मम्मी से उसकी बहुत जमती थी और ऐसे मे मुझे मम्मी की सलाह की जरूरत थी तो मैने इंतजार किया कि मम्मी की मेहंदी पूरी हो जाये ।

इधर मेरी खास सहेली मेरी रज्जो मौसी कही गायब थी , मैने मौसा से भी पूछा तो बोले निचे गयी होगी काम से
मगर वो कही नही दिखी ।
दिल बेचैन था मेरा और फिर मैने मम्मी के पास जाके साफ दिल से उनको बताया ।

वो थोड़ा चुप रही - और बोली तु जा और उनको बोल मैने बुलाया ।

मै उनकी बात सूनके सरपट भाग कर उनके घर गया ।

दो बार दरवाजा खटखटाया तब जाके शकुन्तला ने दरवाजा खोला और उसके सुजे हुए गाल और लाल हुई आंखे बयां कर रही थी कि वो कितना रोई थी ।

मै आवाक होकर - अरे ताई क्या हुआ ? आप ऐसे क्यू ? मेरी वजह से तो !!

शकुन्तला अपनी छलकती आंखे पोछती हुई - अरे नही बेटा ऐसी कोई बात नही है , आजा अन्दर आजा ।

मै उनके पीछे पीछे उनके कमरे मे गया - तो फिर आप ऐसे क्यू चली आई

शकुन्तला - कुछ नहि बेटा बस अच्छा नही लग रहा था

मै - अरे कितनी खुश तो थी आप , बस मेरी जिद की वजह से आप चली आई, आप मत लगवान मेहंदी लेकिन चलो आप मेरे साथ

शकुन्तला - नही बेटा मै नही जाउगी
मै - अरे आपकी बेस्ट फ्रेंड ने बोला है नही आयेगी तो उठा के लाना

शकुन्तला मेरी बात पर हस दी - तु उठाएगा मुझे

मै - हा तो कोसिस तो करूंगा ही , नही तो मौसी को बुला लाउन्गा वो उठा लेगी हिहिहिही देखा है ना मेरी पहलवान मौसी को

शकुन्त्ला हस कर बाहर निकली और बेसिन पर अपना मुह धूलने लगी

मै - अब मान भी जाओ ना ताई प्लीज

शकुंतला- अरे अब आ गयी हु घर और चलने के लिए फिर तैयार होना पड़ेगा कितना झंझट है

मै - अरे आप तो ऐसी ही हीरोइन लग रही हो , हिहिहीही चलो ना ताई प्लीज

शकुंतला हस कर - तु पिटेगा अब बहुत बोल रहा है

मै - आप मेरी मम्मी की बेस्ट फ्रेंड हो तो आप भी मेरी मम्मी जैसी हुई ना , हुई की नही

शकुन्तला मुस्कुरा कर - हम्म्म हुई

मै उनके पास जाकर उनका एक हाथ अपने हाथो मे लेके उनकी आंखो मे देख कर - और मुझसे यानी अपने बेटे से प्यार करती है ना

शकुन्तला - हम्म्म

"तो चलो ना प्लीज", मै जिद करते हुए उनके सीने से चिपक गया ।

पहले तो चौकी मगर मुझे बच्चो की तरह जिद करते देख कर हस कर जकड लिया ।

मै उनके सीने से चिपका हुआ - तो आप चल रहे हो ना

शकुन्तला हस कर - उठा कर ले चलेगा तब हिहिहिही

मै सीधा होकर - पक्का ना ?

शकुंतला को लगा मै मजाक कर रहा हु तो वो हस कर - हा पक्का ।

मै फौरन उनको बेड के पास लेके गया - आप इसके खडे हो जाओ और मेरी पीठ पर आजाना

शकुन्तला- धत्त नही , चल मै चल रही हु

मै - नही नही अब तो आपको आना ही पड़ेगा , एक बार ट्राई करते है ना प्लीज


शकुन्त्ला हस कर - अच्छा ठिक है लेकिन गिरायेगा नही ना

मै - पहले आओ तो
फिर शकुन्तला बेड पर खड़ा होकर पीछे से मेरे गले मे हाथ डाल कर मेरे उपर झोल गयी ।
उसके सुडौल कसे हुए चुचे मेरे पीठ पर चिपक गये और मै उसके मुलायम स्पर्श से ही हिल गया और हाथ पीछे ले जाकर उसकी जांघो को पकड कर अपने आगे करता हुआ झुक गया ।

फिर मैने अपने हाथ पीछे लेके उसके चुतडो को उठाते हुए - अरे ताई और उपर होवो ना सरक रही हो आप


शकुन्तला मेरे हाथो का स्पर्श अपने गाड़ पर पाकर थोडा सिहरि मगर वो चाह कर भी उपर नही जा पा रही थी , नतीजा उसके हाथो की पकड ढीली होने लगी और वो सरकने लगी

इस बीच उसकी चुचिया बुरी तरह से मेरे पीठ मे दरी जा रहि थी जिसकी घिसट शकुन्तला को भी हो रही और उससे जलन बर्दाश्त ना हुआ वो झटके से नीचे उतर कर अपनी चुचिया पकड कर उन्हे दबाते हुए घूम गयि ।

मैने उन्हे देखा तो वो मानो किसी तेज दर्द मे हो
मै उनकी ओर लपका - क्या हुआ ताई

शकुन्तला - अह्ह्ह वो पीठ पर दरकचा लग गया है जलन हो रहा है उह्ह्ह

मै हड़बड़ाता हुआ - अच्छा आप बैठो ये बताओ फ्रिज कहा है , मै बर्फ लाता हु

शकुन्तला - वोह्ह बहु के कमरे मे है , उपर जीने के बगल मे

मै - फ्रिज किचन मे रखना चाहिए ना
शकुन्तला - अरे किचन भी उपर ही है उसके कमरे के सामने

मै - अच्छा आप बैठो मै आता हु
फिर मै लपक कर उपर गया और जीने से सटा हुआ एक कमरा दिखा मैने फौरन अन्दर घुस कर फ्रिज खोला और फ्रिजर ने आइस क्यूब निकालने लगा कि मेरी नजर फ्रिजर मे रखे एक पिंक के बॉक्स पर गयी , जो थोड़ी मोटी और चौकोर थी

फ्रिजर मे प्लास्टिक बॉक्स रखने का मतलब मुझे समझ नही आया और चुकि ये काजल भाभी का कमरा था तो चुल और भी उठने लगी

मैने हाल डाल कर वो बॉक्स निकाल और खोल कर देखा तो - अरे बहिनचोद बवाल हिहिहिही

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समाने उस प्लास्टिक डिब्बा मे एक कन्डोम मे पानी भर कर एक लण्ड की शेप मे बर्फ जमाया हुआ था और मुझे समझते देर नही लगी कि इतनी खतरनाक फैंटेसी इस घर मे किसकी है , वही जिसका कमरा था ।

मै मन मे बड़बड़ा- बहिनचोद ये औरत चीज क्या है बे , साला कैसी कैसी फैंटेसी । बर्फ का लण्ड लेती है , साला कितनी गर्मी है इसमे । वैसे तो बड़ी संस्कारी है । बेटा राज इसको तो नही छोड़ना है ।

मै अभी अपने ख्यालो मे गुम था कि निचे से ताई की आवाज आई और मै फटाक से आ गया ।

वही निचे का नजारा अलग ही था
शकुन्तला ताई तो अपना ब्लाऊज उतार चुकी थि और अपनी नंगी चुचियो के बाई निप्प्ल के पर ठंडी फुक मार रही थी ।

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अभी उपर काजल भाभी के फैंटसी के बारे मे सोच कर लण्ड सुरसुरा रहा था कि ताई के खुले पपीते जैसे चुचे देख कर लण्ड पजामे मे तम्बू बना लिया , वो तो सुकर था कि कुर्ता ढीला और लम्बा था नही तो मेरी जवानी और नियत को ताई अच्छे से भाप लेती।

अब ताई ने थोडा अपना लिबरलपना दिखाया था तो मेरी भी बारी थी उनके विचारो को सम्मान दू और फिर सम्स्या पर ध्यान दू ।
मगर ये मै खुद को समझा सकता था मेरे बिना दिमाग वाले लौडे को थोड़ी

शकुन्तला सिस्कर कर - देख तेरी जिद की वजह से लाल हो गया ,
मै - सॉरी ताई , लाओ मै लगाता हु बर्फ

फिर मैने हौले से ताई के निप्प्ल पर फुक मारी जिससे वो सिहर गयि और पहली बार उन्हे अह्सास हुआ
कि वो किसी जवाँ मर्द के आगे अपने जोबन खोल चुकी थी , मगर मैने अपने चेहरे पर भीतर अठखेलियां खाते हवस को हावी नही होने दिया और सच मे मुझे भी थोड़ी फ़िकर सी हो रही थी ।

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मैने हौले से उनके बाये चुचे को निचे से हथेली मे भरा और मेरे नरम हथेली के स्पर्श से वो सिसक पड़ी

मै उनके भिचे हुए चेहरे को देखा - क्या हुआ ताई दर्द हो रहा है ज्यादा ?

शकुन्तला ने फूलती सांसो से लाल हुए नथुनो मे अपनी सिहरन को दबाती हुई ना मे सर हिलाई , मगर उसके चेहरे पर कुछ अलग ही भाव थे । ठिक वैसे ही जैसे सुहागरात पर जब बीवी के स्तन को जब पति हाथो मे भरता और वो उसके जिस्म मे एक कपकपी सी होने लगती है वही हाल ताई का था ।

वो बुरी तरह से हिल रही थी , उनकी नाभि पैर चुचे सब काप रहे थे ।
मैने बिना कोई खास प्रतिक्रिया के निरापराध भाव से एक आईस क्यूब उठाया और उसको ताई के तने हुए निप्प्ल के काले घेरो पर हल्का सा स्पर्श कराया और वो चिहुक उठी

शकुन्तला हस कर - सीईईई अह्ह्ह बहुत ठंडा है

मै उनकी अवस्था पर मुस्कुराकर - अरे उसी के लिये लाया हु ना जलन सही कर देगा
फिर मैने वापस से ताई के निप्प्ल कर वो बर्फ का टुकडा रखा और उसे निप्प्ल के चारो को घुमाने लगा

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ताई के भिगते निप्प्ल को देख कर मेरा लण्ड फौलादी हुआ जा रहा थ और मेरे मुह मे पानी भर रहा था

वही ताई आंखे बन्द कर अपना सिन उठाये गहरी आह भर रही थी ।

धीरे धीरे उनकी सासे मादक हुई जा रही थी और ऐसे मे मैने हौले से एक दुसरि आईस क्यूब को सीधा उन्के निप्प्ल के नोक पर रख दिया और वो एक गहरी सिसकी लेते हुए थरथराकर मेरे कन्धे को कस कर जकड ली ।

मै मुस्कुराया और उसी आइस क्यूब को ताई के निप्प्ल पर दबाया तो वो अपने होठ भीचने लगी , जान्घे आपस मे कसने लगी , साफ पता चल रहा था कि निप्प्ल की नसो से भीतर जा रही थी ठंडक कैसे उनकी चुत की गर्मी भडका रही थी ।

धीरे धीरे 5 मिंट के करीब हो गये और उन्होंने एक बार भी नही रोक मुझे और ना ही कोई अलग प्रतिक्रिया दी ।
मै समझ गया कि उन्हे मजा रहा है और मैने अब वो क्यूब उन्के गोरे चुचो पर रेंगाने लगा जिससे उनकी शारिर फिर से सिहरने लगा ।


मैने एक बार उनका मन परखना चाहा और बोला - ताई हो गया आराम

और उन्होने पहली बार अपनी मदहोश आंखे खोली और उन्के चेहरे पर एक मादक मुस्कान थी - उह्ह्ह क्या कह रहा है बेटा

मै मुस्कुरा कर - वो मै कह रहा था कि अगर बर्फ से ना ठिक हो तो एक और इलाज है मेरे पास , उससे पक्का सही हो जायेगा

बहती चुत और रोम रोम इस नये कामुक अहसास से रंगी हुई ताई ने मादकता भरी सास लेके मेरे नये करतब के लिए और भी उत्साही हो गयी - क्याअह्ह्ह बेटाअह्ह्ह बोल नाआ

मै थोडा हिचका और बोला - वो जब मै छोटा था तो अगर हाथ मे खरोच या ऐसे रगड़ हो जाती थी तो मम्मी वहा पर थुक लगाने के लिए बोलती थी और उससे तुरंत ही आराम मिल जाता था

जैसी ही मेरी बात खतम हुई मैने देखा कि ताई के चेहरे पर लाली और बढ गयी , उनकी जान्घे और कस्ने लगी और सीने मे सासे चढनी शुरु हो गयी ।

मै - तो लगा दू ताई
शकुन्तला ने मदहोशि मे मुस्करा कर हा मे गरदन हिलाया

मै समझ गया कि ताई पूरी तरह से गर्म हो चुकी है और मैने मुस्कुराकर अपने होठ सिकोड़ कर ढेर सारा थुक मुह मे बटोरा और फिर अपने उंगलियो पर लेके दो उंगलियो से ताई के निप्प्ल पर घुमाने लगा

ताई ने मजबूती से मेरे कंधो को जक्डा और मेरि रेंगती हुई गीली उंगलियो ने उनकी सिसकिया तेज कर दी - अह्ह्ह बेटाहहह उउह्ह्ह उम्म्ंम्ं

मैने उनके चेहरे के भाव पढता हुआ उन्के निप्प्ल पर उंगलियाँ रेगाता रहा
ताई अपनी आंखे बंद कर अपनी जान्घे कस्ती रही और सिसकिया लेती मैने सोचा क्यू ना इस मौके का फायदा लिया जाए और मैने वापस से एक आइस क्यूब उठाया और उसको निप्प्ल पर लगाया ।

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ताई ने एक बार फिर से जोर की सिस्की लेके अपनी चुचिया उठाई और मैने जीभ निकालते हुए उनके निप्प्ल को मुह मे भर लिया ।

मेरे नरम होठो का स्पर्श पाते ही ताई पागल हो गयी और उम्होने मेरे सर को अपने सीने से दबाने लगी - अह्ह्ह बेटा उह्ह्ह सीईई उह्ह्ह

मैने मुह भर कर उन्के निप्प्ल चुबलाने लगा और ताई को मेरे नरम और गीले होठो का स्पर्श उत्तेजित कर गया और वो बैठे बैठे ही अपनी गाड़ उचकाने लगी फिर अपना हाथ तेजी से अपनी साडी के उपर रखकर जोर से अपनी चुत भीचती हुई झड़ने लगी - अह्ह्ह्ह माह्ह्ह्ह उह्ह्ह्ह सीईईई अह्ह्ह आह्ह उह्हुंंंंं उम्म्ंम्ं


मै समझ गया कि ताई झड़ रही है और उनकी पकड मुझपे ढीली होने लगी थी फिर मै खुद से ही हट गया

सामने ताई मेरे सामने अपनी जांघो के बीच हाथ डाले हुए कस कर अपनी चुत दबाए हुए थी और झटके खा रही थी , उनकी आंखे उलट रही थी ।

मैने भी हौले से अपना मुसल मसल दिया और ताई के मजे लेता हुआ - क्या हुआ ताई आपको क्या हुआ

ताई की रस छोडती बुर की नसे जब थमी तो ताई की चेतना वापस आई और उन्होने पुरे होश मे मुझे सामने खड़ा पाया और अभी भी उनका हाथ चुत पर था ।

शकुन्तला मारे शर्म के हस दी और बिना कुछ बोले खडी होकर ब्लाऊज चढाने लगी ।

मै उनसे पुछता रहा है - आपको क्या हुआ था ताई

वो बस मुस्कुराती हुई बाथरूम मे घुस गयी ।
फिर जब वो बाहर आई तो आईने के सामने अपने बाल सवार रही थी । चुत बहाने के बाद से उनका चेहरा अब खिला खिला दिख रहा था ।

चेहरे पर मुस्कान भी थी मै पीछे गया और बोला - क्या हुआ ताई ठिक हो गया आपका

शकुन्तला इतराते हुए मुस्कुराकर आईने मे देखती हुई - क्यू तुझे नही पता , सारी डाक्टरि तो तू ही कर रहा था ना

उनकी बात सुनते ही मैने जितनी भी कोसिस करके खुद को सिरिअस दिखाने मे लगा था उसपे पानी फिर गया और मै शर्मा कर हस पड़ा ।

शकुन्तला - तु बस दिखाता है खुद को कि मासूम है लेकिन तु एक नम्बर का चालू है

मै हस कर - अच्छा मैने क्या चालाकी की अब ह्म्म्ं
शकुन्तला तैयार होकर - चल रहने दे , खुब समझती हु मै , ये बता कैसी लग रही हु मै



मैने उनको उपर से निचे निहारा - हम्म्म।
फिर आगे बढ़ कर उनका खुले हुए सिफान साडी के पल्लू के समेट कर उपर कर दिया जिससे उनकी गुदाज नाभि दिखने लगी ।

ताई मेरी हरकते निहार कर मुस्कुराये जा रही थी और मै उनकी साडी सेट करने के बाद थोडा पिछे होकर उनकी गहरी गुदाज नाभि को देखता हुआ - हम्म्म सेक्सी ।

ताई हस पड़ी और वापस से अपनी साडी फैला दी - धत्त बदमाश कही का ।

मै - अरे रहने दो ना सेक्सी लग रहा है
ताई मुस्कुरा कर - सेक्सी लग रहा है तो क्या सबको दिखाती फिरू

मै - सबको क्यू दिखाना है वो मै अपने लिये हिहिहिह्ही

ताई शर्मा कर - चुप कर शैतान कही का , चल अब ।

फिर मै और ताई वापस घर के लिए निकल गये ।


लेखक की जुबानी

अमन के घर

भोला की शायरी ने ममता के चुत को रसिला कर दिया था और वो अपने कमरे मे बैठी डायरी खोल कर सोच रही थी क्या लिखे ।

तभी उसकी नजर अपने पति के मोबाइल पर गयी जो कमरे मे बेड के पास ही चार्ज लगाई गयी थी ।
ममता मुस्कुराइ और उसने लपक कर मोबाइल उठाया और अपने नंदोई का नम्बर खोजने लगी

तभी उसको भोला जीजा के नाम से नम्बर सेव मिल गया और उसने एक मिसकाल मार कर हस दी ।

उधर हाल मे सब्के साथ बैठे भोला की मोबाइल रिंग हुई तो उसने जेब मे हाथ डाला और देखा कि उसके बड़े साले मुरारी ने मिसकाल किया था ।
मगर उसने जब मुरारी को देखा तो वो मदन से बातो मे व्यस्त था और उसके हाथ मे एक काफी थी जिसमे दोनो भाई कुछ हिसाब समझ रहे थे ।

तभी भोला का दिमाग ठनका कि कही ममता ने तो
और उसकी आंखे चमक उठी । उसने वापस से मिसकाल किया ।

ममता मिसकाल देख कर खुश हुई मगर काल उठाने से पहले से भोला ने काल काट दिया ।
ममता - लग रहा है मुझे ही करना पड़ेगा
ममता ने पूरी रिंग दी और भोला काल उठाने के लिए हाल से उठ कर कही सुरक्षीत जगह तालाशने लगा

वही हर रिंग के साथ ममता का बेताब दिल और परेशान होने लगा , उसे लगा कि कही भोला ये ना समझ रहा हो कि अमन के पापा उसे फोन कर रहे है ।

मगर आखिर की रिंग जाते ही भोला ने फोन पिक कर लिया

भोला - हा हैलो
ममता का कलेजा धक कर गया ,एक ही घर मे और सालो के रिश्ता होने बाद भी ममता की हिम्मत नही हो पा रही थी कि वो भोला से बात कर पाये ।

भोला हस कर - अरे भाभीजान बोलिए

ममता भोला की बात पर हस दी और बोली - क्या बोले जरा फिर से कहिएगा
भोला इस बार अपने उफानाते लण्ड को दबाते हुए - मैने कहा जानेमन बोलो ना

ममता हस कर - हां !! अभी तो भाभीजान बोले ना
भोला - मुझे लगा तुम्हे यही सूनना था
ममता शर्मा कर अपने धडकते कलेजे पर हाथ रख कर - मैने आपको क्या लिखने को बोला था और आप ये डायरी क्या लिखे हो उम्म्ंम

भोला - तुम्ही ने तो कहा था कि दिल की बात लिखने को
ममता - तो यही सब है आपके दिल मे उम्म्ं
भोला - अब क्या क्या बताऊ क्या क्या भरा है इस दिल मे सीईईई आह्ह

ममता ने भोला की सिस्क भरी आह सुनी तो उसकी चुचिया भी उठने लगी - अच्छा जी तो रात मे 11 बजे वही सब बताने वाले हो क्या ?

भोला ममता की शरारत भरे अंदाज से वाक़िफ़ था और ममता से बाते करते हुए उस्का मुसल पुरा तना हुआ था मगर कबतक वो घर के मेन गेट के पास खड़ा होकर बाते कर पाता

भोला - आह्ह जानू 2 मिंट रुको मै फोन कर रहा हु
ये बोल कर भोला ने फोन काट दिया और ममता के दिल मे उबलते अरमान गर्म तवे पर पड़े पानी की छीटें के जैसे छरछरा कर रह गये ।

ममता अभी सोच रही थी कि क्यू फोन कटा कि तभी वापस से मोबाईल बजने लगा और भोला का ही फोन आया देख ममता के गाल फिर से खिल गये ।

ममता - क्या हुआ काट क्यू दिये
भोला - अरे वो मै मेन गेट के पास खड़ा होकर बाते कर रहा था ना

ममता - तो क्या हुआ
भोला मुस्कुरा कर अपने तने हुए मुसल को पजामे के उपर से मसलते हुए - अरे तुम नही सम्झोगी जान

ममता - धत्त बोलो ना किस लिये बुला रहे है रात मे और वो भी ऐसे कपड़ो मे उम्म क्या इरादा है

भोला ममता ने दबी हुई मादक गर्म सांसो मे भीनी हुई आवाज से पुरा गनगना उठा और अपना मुसल जोर से भीच कर - साफ साफ बोल दू

ममता भी भोला के उफानाते जज्बातो से अपनी गीली बुर को सलवार के उपर से भिचे हुए - हम्म्म्म

भोला - मै तुम्हारे मोटे मोटे चूतड़ मे अपना 8 इंच का खीरे जैसा लण्ड घुसाना चाहता हु , बोलो लोगि ना

ममता को उम्मीद ही नही थी कि भोला ऐसे एकदम से खुलकर बोल देगा और ये सुनते ही उसका जिस्म थरथरा गया और निप्प्ल तन गये ।
पल भर के लिए सही उसे चांदनी रात मे बाल्किनी मे झुक कर अपने फैले हुए गाड़ के दरारो की फ़ाडता हुआ भोला का 8 इंच का मुसल छेद मे घुसने का सिन छाप गया और वो सिहर गयी ।

ममता की चुप्पी पर भोला ने फिर अपनी बात दूहराई- बोलो ना जान लोगि ना

ममता हस कर - धत्त ऐसे कोई बोलता है , शर्म नही आती है आपको

भोला - मै तो तुम्हे बेशर्मी की हदे पार कर चोदना चाहता हु मेरी जान
ममता का दिल कापने लगा उसके गला सुखने लगा

भोला अपना मुसल मुठीयाते हुए - देखो जान अब शर्माओ मत , और अगर सीधा सीधा नही हा कर सकती तो ....

भोला के अधूरे वाक़य को पुरा होने का ममता भी इन्तेजार कर रही थी

भोला - देखो मै तुम्हारे कमरे की ओर आ रहा हु और तुम बस दरवाजा हल्का सा खुला रखना और

ममता तेज धडकती सासो से - हम्म्म और

भोला - और अपनी सलवार खोलकर अपनी बड़ी सी गाड़ फैला कर रखना , मै उसी को हा समझूँगा

ममता शर्मातेहस कर - धत्त नही !!!

भोला - मै अभी उपर अपने कमरे मे हु फोन रख रहा हु और बस 2 मिंट बाद निचे आकर तुम्हारे कमरे के बाहर से गुजरता हुआ बाथरुम की ओर निकल जाऊंगा । अगर तुम्हे हा है तो प्लीज

इससे पहले ममता कुछ बोल बाती भोला ने फोन काट दिया और ममता की सासे चढ़ने लगी । भोला ने उसकी बेचैनी बढ़ा दी

ममता बड़बड़ाते हुए - ओहो नंदोई जी ने ये कैसी शर्त रख दी इससे अच्छा मै तभी हा बोल देती , अब मै कैसे खुले दरवाजे की ओर । और अगर इतना सब होने के बाद भी मैने ना कर दिया तो शायद हम दोनो ही जिंदगी भर असहज हो जाये एक दुसरे के सामने । नही नही ममता तुझे करना ही होगा , बस दो मिंट की ही तो बात है

ममता एक नये जोश के साथ खडी हुई और दरवाजा महज 5-6 इंच गैप के साथ खोल दिया फिर दरवाजे गैप के हिसाब से उसने बेड के एक ओर दिवाल से लगते हुए अपनी जगह चुन ली ।

फिर उसने बड़ी हिम्मत से अपने सलवार का नाड़ा खोलने लगी

इधर ये ननदोई सलहज की प्लानिंग चल रही थी मगर सिर्फ इन्सान के चाहे क्या ही हो सकता था ।

इसी बीच मुरारी को अपनी फोन की जरुरत मह्सूस हुई और अपना जेब टटोलने लगा ।
उसी समय भोला भी सीढियो से नीचे आ रहा था ।

**************************************************

ना जाने आगे क्या होने वाला है ? आप भी थोड़ी अपने कलपनाओ के घोड़े दौड़ाईए


मुरारी
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भोला
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ममता
20230827-180305

जारी रहेगी
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CHODAMPUR SPECIAL UPDATE

पिछले अपडेट मे आपने पढा कैसे एक ओर जहा चमनपुरा मे अपना राज काजल भाभी से नजदीकिया बढाने मे कामयाब हो रहा है वही जानीपुर मे रज्जो ममता और कमलनाथ का मिलन करवाने की कसीदे पढ रही है ।
अब आगे
ममता के दिल और चुत मे उसके भैया के लिए जगह बना कर रज्जो निचे किचन मे भिड़ गयी और इधर दोपहर तक राजन और कमलनाथ एक औटो मे वो सारे सामान लाद कर ले आये जिनकी पर्ची सुबह नास्ते के बाद रज्जो ने बनवाई थी ।
सारे समान को वही जीने के निचे रखवाया गया क्योकि खाने पीने की व्यस्था दो दिन बाद से बगल के किसी और के घर मे होनी थी ,,जो अभी हाल ही बना था। उसका बरामदा और एक कमरा कमलनाथ ने व्यहारिका मे ले लिया था । ताकी शादी निबकाई जा सके।

खैर इधर राजन और कमलनाथ ने सारे समान रखे और नहाने के लिए छत पर चले गये ।
इधर कमलनाथ जैसे ही अपने कमरे मे गया तो उसे ममता सोफे पर सोयी हुई दिखी ।
कमलनाथ का लण्ड देखते ही खड़ा हो गया और मगर फिल्हाल वो कड़ी धूप में थक कर आ रहा था तो उसे नहाना ही सही लगा तो इसिलिए वो अपने कपडे निकाल कर तौलिया लपेटे उपर छत पर चला गया ,,जहा राजन भी पहले से मौजुद था ।

फिर दोनो मिल कर नहाते हुए रज्जो के साथ फिर मस्ती करने की योजना बनाते है और वापस अपने कमरे मे आ जाते है ।
इधर रज्जो भी ममता को जगाने के लिए उपर कमरे मे आती है तो कमलनाथ सिर्फ तैलिया मे ही कमरे मे अपने जन्घिया और बनियान खोज रहा होता है । इधर खटरपटर से ममता की निद खुल जाती है और उसकी नजर कमलनाथ पर जाती तो उसे अभी थोडी देर पहले हुई रज्जो के साथ की हुई मस्ती याद आ जाती है ।

इतने रज्जो जो अभी अभी दरवाजे पर पहुची ही थी वो बोली - क्या ढूढ रहे है रमन के पापा

कमलनाथ खुश होता हुआ -अरे रज्जो तुम आ गयी ,,,वो मेरी बनियान और जांघिया नही मिल रही है

रज्जो मस्ती मे - तो ये है ना इस्से पूछिये ,,अपनी लाडो रानी से

रज्जो - क्यू ममता , बता कहा छिपा कर रखी है अपने भैया का जांघिया हिहिहिहिह

ममता उबासी लेते हुए रज्जो के दोहरे अर्थ वाले व्यंग पे मुस्कुराते हुए उठती है - क्याआआ भाआअभीईई ओफ्फ्फ ,,, छिपा के कहा रखी हू ,, वो आलमारि मे ही तो है

कमलनाथ- कहा है मुझे तो नही मिला
ममता चल कर कमलनाथ के बगल मे जाती है और आल्मारि मे से एक जांघिया और बनियान निकाल के देती है ।

जिसे देखते ही रज्जो भडकते हुए -क्या जी आप अभी भी ये पुराना वाला ही पहनेंगे क्या ,,,

कमलनाथ - अरे इसमे बुराई क्या है रज्जो ये अन्दर रहता है ,,, गर्मी मे तो बहुत आरामदायक है ये

रज्जो अपना माथा पीटते हुए - आप भी ना ,, अरे बेटे की शादी है दस लोग भिड़े रहेंगे तो आपको लगता है कि आप ऐसे ही अकेले नहा पायेगे रोज रोज ,,,और लोग देखेंगे तो क्या कहेंगे कि दूल्हे का बाप है और ढंग का अंडरवियर भी नही है ।

कमलनाथ - अरे तो अभी मेरे पास इसके अलावा और कोई नही है

रज्जो - मै रखी हू ना ,,ममता जरा निचे वाले ड्रा से वो अंडरवियर निकाल तो

ममता खिल्खिलाती हुई वही करती है और उसमे एक फ्रेंची अंडरवियर निकाल कर रज्जो को देती है ।

कमलनाथ उसे खोलता है तो हस पडता है - अरे रज्जो ये तो तेरी मालूम पड़ती है देख

कमलनाथ उस अंडरवियर को फैला कर रज्जो को दिखाता है तो ममता फुसफुसा कर हस पड़ती है ।
रज्जो भी थोडा तुनक कर मुस्कुराई और कमलनाथ के हाथ से अंडरवियर लेके - ये ये मेरा है हा ,,,, "ये इसका मेरे लिया क्या काम हमम बोलिए " , रज्जो अंडरबियर मे बनी पेसाब वाली जेब मे चार ऊँगली घुसा कर कमलनाथ को दिखाती हुई बोली ।

कमलनाथ हसते हुए वापस अंडरवियर को लेते हुए एक बार सामने से अपने जांघो पर डालते हुए देखता है - हा लेकिन ये थोडा छोटा नही है

रज्जो - अरे आप पहिनिये तो पहले ,,,नही अच्छा लगेगा तो मै शाम तक दुसरा ले आउन्गी
कमलनाथ बेबसी सा रुख देते हुए हस कर ममता को देखता है और फिर तौलिया के उपर से वो फ्रेंची पहनने लगता है ।

बडी मस्कत के बाद कमलनाथ किसी तरह खिचखाच कर उस तंग फ्रेची मे से तौलिया निकालता है ,,इस दौरान ममता की पूरी नजर कमलनाथ के फ्रेंची पर ही जमी थी ,,जिसे रज्जो देखकर मुस्कुरा रही थी ।

इधर जैसे ही कमलनाथ ने तौलिया खीचा उसका लण्ड और आड़ दोनो उस फ्रेंची मे कस गये ।
कमलनाथ का लण्ड पहले ही ममता को देख कर फुला हुआ था जिस्से उसके लण्ड का तनाव उस फ्रेंची मे साफ साफ दिख रहा था और निचे आड़ो के कुछ बाल साइड से दिख रहे थे । मानो कमलनाथ ने अपना मोटा लण्ड जबरजस्ती उस अंडरवियर मे ठूसा हो ।
कमलनाथ को अपने आड़ो पर जोर भी महसूस हो रहा था जिससे वो फ्रेंची की मियानी पकड कर उसे फैलाते हुए अपने आड़ो को एडजेस्ट कर रहा था ।

इतने मे रज्जो बोल पडी - क्यू ममता अच्छा लग रहा है ना
ममता चौकी और हस्ते हुए मुह फेर ली - हिहिहिही भाभी आप भी ना ,,कितना परेशान करती हो भैया को । देख नही रही कितना तंग है ये कच्छी उनके लिए

रज्जो हसी और बोली - अरे मैने तो जानबुझ कर ये वाला माडल मगाया है ताकी मेरे सईया का हथियार जो भी देखे लार टपका दे

रज्जो की इस बेशरमी पर कमलनाथ और ममता झेप गये और नजरे चराते हुए एक दुसरे को देखने लगे

रज्जो - अरे अब क्या ऐसे ही रहना है पुरे दिन जल्दी कपडे पहिनिये और निचे आईये ,,,चल ममता

ममता भी थोडी खिखीयायि और एक नजर अपने भैया के फ्रेची मे उभरे काले नाग के फन को निहार कर अपनी दिल की उफनती ज्वाला को तसल्ली दी की आज इसको लेके रहूँगी । फिर रज्जो के साथ निचे खाने के लिए चली गयी ।
इधर कमलनाथ थोडा उस फ्रेंची मे अटपटा मह्सूस कर रहा था ,,मगर उसकी सेक्सी बीवी का आदेश था तो पहनना ही पडेगा ।
वो भी कपडे पहन कर निचे चला गया ,जहा राजन पहले से ही आ गया था ।

खाना पीना हुआ और फिर कमलनाथ अनुज और रमन के लिए टिफ़िन लेके दुकान चला गया ।

खाने के बाद सबको सख्त दुपहर ने नीद के आगोश मे भेज दिया । सोनल और पल्ल्बी अपने कमरे मे ,,,ममता और राजन अपने कमरे मे जाते ही भिड़ गये क्योकि ममता कबसे लण्ड के लिए तरस रही थी ,,,और इधर जब कमलनाथ वापस आया तो उसे लेके रज्जो भी अपने कमरे मे सोने चली गयी ।

कमरे मे जाकर रज्जो और कमलनाथ ने आगे की योजना बनाई और फिर थोडा प्रेममिलाप कर वो भी सो गये ।
शाम 5 बजे तक रज्जो की आंख खुली तो वो फ्रेश होकर निचे किचन मे चाय नास्ते का प्रबंध करने लगी ।
थोडी देर बाद सब लोग चाय नासता करने के बाद सोनल और पल्लवि जैसे ही किचन ने सारा कप प्लेट लेके गयी

इसी दौरान कमलनाथ ने रज्जो को थोडा इशारा किया तो रज्जो ने कड़े शब्दो मे सबके सामने मना करते हुए - न्हीईई रमन के पापा मुझे अभी बहुत काम है ,,, बाजार से सब्जी लानी है और सुबह चादर विछौने सुखने के लिए डाली थी उन्हे प्रेस करना है और इनको ....

राजन रज्जो की बात पूरी होने से पहले ही - अरे भाभी जी क्या हुआ ,

रज्जो - इनको आज मालिश करवानी है ,,,मुझे वैसे ही काम है इतना
राजन थोडा हस कर - अरे भाभी आपका बाजार वाला जो काम है मुझे बता दीजिये मै लेते आ रहा हू ,,,,और आप भाईसाहब का ध्यान रखिये शायद आज बर्तन की उठापटक मे इनको थोडी समस्या हो गयी होगी ।

रज्जो यही तो चाहती थी सो हो गया ,,फिर क्या थोडी नानुकुर के बाद रज्जो ने हामी भरी और राजन को बाजार भेज दिया ।

इधर राजन के जाते ही कमलनाथ ने फिर से रज्जो से गुहार लगाई ।
रज्जो - ओह्ह हो , ऐसा करिये आप सो जाईये थोडी देर मै पहले अपना काम कर लूंगी फिर आपकी मालिश कर दूँगी

ममता को थोडा अटप्टा सा लगा कि उसके भैया दर्द से परेशान है और रज्जो उन्हे मना कर रही है ,,,
ममता - अगर ऐसी बात है तो चलिये भैया मै ही आपकी मालिश कर देती हू और भाभी आप अपना काम कर लिजिए

रज्जो ने एक नजर कमलनाथ को देखा और आंखे नचाते हुए ममता की ओर इशारा करके बोली - जाओ जी फिर आप ,,,ममता कर देगी आपकी मालिश

कमलनाथ थोडा असहज होने का भाव लाता हुआ - न न नहीं नही ,,,ममता तू रहने दे ,,मै तेरी भाभी से करवा लूंगा

ममता अब जिद करते हुए -क्या नही नही भैया ,,मै क्या कोई गैर हू जो आपकी मालिश नही कर सकती

कमलनाथ ममता के भावनात्मक व्यंग्य और उसके चंचल चित पर पिघलता हुआ - हा ममता ,,लेकिन तू कैसे?? मतलब

ममता उठ कर कमलनाथ के पास गयी - क्या भैया आप भी ,,चलिये ना

रज्जो ने भी मजे लेने के मूड मे मानो कमलनाथ को चिढाते हुए बोली - हा जाईये ना

फिर थोडी देर बाद रज्जो स्ब्से उपर की मंजिल से सारे चादर बिछावन लेके कमरे मे आती है जहा कमलनाथ सोफे पर बैठा होता है और ममता निचे से कटोरी मे हल्का गर्म सरसो का तेल लेके उपर आती है ।

इधर रज्जो बेड पर अपना प्रेस सेट करके पहले से ही अपना डेरा जमा लेती है ।

ममता चहकते हुए कमरे मे प्रवेश करती है - हा भैया बताओ कहा करनी है मालिश

रज्जो मुस्कुरा कर प्रेस चलाते हुए - हा जी बता दो ना ,,फटाफट कर देगी ममता हिहिहिही

कमलनाथ थोडा बेबस होता हुआ - रहने दे ना ममता अभी तेरी भाभी कर देगी ना

ममता बालहठता दिखाती हुई - मै कहा दिया ना कि मै ही करंगी तो मै ही करूंगी और अब तो भाभी चाहे तो भी मै उनको नही करने दूँगी ।

ममता - चलो बताओ कहा करना है मालिश
कमलनाथ एक नजर रज्जो को देखता है और इशारे से पहल करने को कहता है तो रज्जो प्रेस बन्द करके आती है ।

रज्जो कमरे का दरवाजा अंदर से बन्द कर देती है और कमलनाथ से - हम्म्म निकालियेगा अब कपडा की ऐसे ही करवायेन्गे

रज्जो के कहने के पर कमलनाथ जोकि बनियान और पजामे मे था वो अपना पाजामा निकालने लगता है तो ममता को थोडा असहज होने लगती है ।

फिर रज्जो कमलनाथ से कड़े शब्दो मे बोल्ती है -हा अब वो भी निकालिये

ममता की आंखे फैल गयी कि रज्जो उससे क्या करवाने वाली है ,,,कही वो जिद करके फस तो नही गयी

ममता थोडा झिझक भरी हसी मे- भाभी वैसे मालिश कहा करनी है

रज्जो - अरे आज इन्हीने ये पहली बार अंडरवियर पहना था तो वहा टाइट हो गया था और दर्द हो रहा है ,,वही पे करना है

ममता की सासे अटक गयी और वो मन मे बुदबुदाइ - मतल्ब मुझे भैया के लण्ड और वो आड़ो की मालिश करनी ,,, हे भगवान फसा ही दिया आखिर भाभी ने मुझे ,,अब क्या करु

कमलनाथ ममता को परेशान देख कर अपने फ्रेंची की लास्टीक को सही करता हुआ - अगर तेरी इच्छा नही है तो रहने दे ममता ,,,अभी तेरी भाभी कर देंगी

रज्जो - अरे ऐसे कैसे ,,ममता ने बोला है सिर्फ़ वही करेंगी और मै नही करने वाली मालिश आज

ममता थोडा झिझक के - कोई बात नही भैया मै कर दूँगी ,,, आप आराम से इसे निकाल कर बैठ जाओ

ममता के इस वक्तव्य से कमलनाथ और रज्जो दोनो की आंखे चमक उठी ।इधर रज्जो वापस बेड की ओर ऐसे मुड कर गयी ,,जैसे कुछ भी अजीब नही घटा हो और ना ही कमलनाथ ने ऐसा कोई प्रतिक्रिया दिया जिसकी ममता उम्मीद कर रही थी ।

रज्जो और कमलनाथ ने मिलकर माहौल ही ऐसा बना दिया कि ममता चाह कर भी अपनी कोई प्रतिक्रिया नही दे सकती थी और उसे एक उलझन होने लगी थी कि सब कुछ आखिर इतना सामान्य कैसे हो सकता है ।

उधर कमलनाथ ने अपनी फ्रेंची निकाल दी और जान्घे खोल कर सोफे पर बैठ गया ।
ममता की नजर जैसे अपने भैया के खुले काले लण्ड पर गयी ,,उसका दिल बेईमानी करने लगा और चुत कुलबुलानी शुरु हो गयी ।

उसे बडी शर्म सी मह्सुस हो रही थी कि रज्जो के सामने वो अपने भैया का लण्ड पकडने जा रही थी । ना जाने कितनी बार रज्जो ने उसे इसी लण्ड का ताना दिया और छेडा था ।
फिर इस वाक्ये के बाडे ना जाने और कित्ना ज्यादा रज्जो उसे छेड़ने वाली थी ।
कमलनाथ जान्बुझ कर थोडी असहजता और दर्द का मिश्रित भाव ममता के समक्ष ला रहा था ,,, इधर ममता वही अपने भैया के पैरो के बीच ने घुटने टेक कर बैठ गयी ।

कमलनाथ ने बहुत हौले के अपने कूल्हो को उचकाया और अपनी बनियान नाभि तक खिच ली ताकि तेल का दाग उसमे ना लग पाये।
अब कमलनाथ का लण्ड पुरा खुल कर ममता के सामने था जो होने वाले घटनाओ को सोच कर धीमे धीमे सासे ले रहा था और अपना फौलादी स्वरुप ग्रहण किये जा रहा था ।

ममता बेबसी सा मुस्कुरा कर एक बार पलट कर रज्जो को देखी तो वो उसने इशारे से आगे बढने को कहा ,,,जिसे ममता ने समझ लिया कि वो सुबह वाली बात को लेके कुछ इशारे कर रही होगी । मगर ममता का इरादा ऐसा कुछ करने का नही था और ना ही वो रज्जो को इस सब के लिए उसको छेडने का मौका देने का विचार ला रही थी ।

उसने कचौरी मे अपनी चार उंगलियाँ पिरोयि और उसे दोनो हथेलियो चपुड़ते धीरे से बिना कमलनाथ को देखे उसका फौलदी होता लण्ड थाम कर उसके उपरी भाग को दोनो हाथो से पकड कर हल्का हल्का तेल पिलाने लगी


ममता के स्पर्श मात्र से ही कमलनाथ की हालत खराब हो गयी और उसका लण्ड पलक झपकने की देरी मे ही पुरा फौलादी हो गया ।

। फिर वापस उसने उंगलियो मे तेल लेके कमलनाथ के आड़ो पर हथेली को घुमाया

कमलनाथ सिस्क उठा - अह्ह्ह छोटी सीई

ममता ने फौरन हाथ खीचते हुए और चिंता व्यक्त करते हुए- क्या हुआ भैया दर्द हो रहा क्या ज्यादा ???

कमलनाथ थोडा मुस्कुराया और ना मे सर हिला दिया ।
ममता समझ गयी कि ये उसके स्पर्श का नतिजा था कि उसके भैया सिस्क पड़ें ।

फिर उसने एक बार रज्जो पर नजर डाली जो बिना उसकी ओर देखे अपने काम मे ब्यस्त थी तो वो भी वापस तेल लेके अपने भैया के आड़ो की मालिश करने मे लग गयी ।
धिरे धीरे हर स्पर्श के साथ और ममता के हाथो के मुलायम मर्दन से कमलनाथ का लण्ड पूरी तरह तन गया ,,उसकी नसे पूरी तरह से उभरने लगी थी ।

ममता भी अब धीरे धीरे भटकने लगी थी ,,कभी कभी वो अपने भैया का सुपाडा देखने के लिए धीरे से मालिश के दौरान उसे खोल देती और अगले ही पल वापस चमडी छोड देती ।
इधर कमलनाथ जोकि उसे एक बार चोद चुका था वो इशारे से मुह मे लेने की बात करता है तो ममता ,,रज्जो की ओर इशारा करके मना कर देती थी ।मगर हर बार कमलनाथ के आग्रह पर वो बहकने लगी

उसने जब कयी बार देखा कि रज्जो की नजर अपने काम पर ही है तो उसमे मे थोडी हिम्मत जगी और उसने धीरे से अपना मुह आगे करके सुपाडा खोल्ते हुए लण्ड मुह मे ले लिया ।
वही कमलनाथ ने जैसे ही ममता के मुलायम ठन्डे होठो का स्पर्श अपने तपते लण्ड के सतहो पर मह्सूस किया उसकी एक मीठी दबी हुई अह्ह्ह निकल गयी।

जिसपर ममता ने तुरन्त उसके जांघो पर अपना पन्जा जमाते हुए उसे चुप रहने का इशारा किया ।
कमलनाथ चुप तो हो गया लेकिन रज्जो के तेज कानो में उसकी महीन सिसकिया पहुच गयी और उसने तुरंत नजरे उठा ली ।

वो चौक गयी कि इतनी जल्दी कैसे ममता ने अपने भैया का लण्ड मुह मे ले लिया ,,,, उसने सुबह मे जो ममता को परेशान किया था कही उसकी वजह से तो नही

रज्जो मुस्कुराई और एक नजर कमलनाथ से आंखे मिलाई तो कमलनाथ ने उसे आंखे मारते हुए एक फ़्लाइंग किस्स पास किया ।

रज्जो मुस्कुरा कर चुप रहने का बोलती है ।
इधर ममता सब कुछ भूल कर अपने भैया का मोटा लण्ड सुरकने मे व्यस्त थी ।
इधर कमलनाथ ही भी हालात कम खराब नही थी ,,,वो भी अपने हाथ आगे बढा कर ममता के चुचो को छूने लगा ।

ममता ने भी मना नही किया ,,उसका पल्लू निचे फर्श पर आ चुका था और कमलनाथ के हाथ उसके तंग ब्लाउज के हुक खोलने की कोसिस मे थे,,,इतने मे बिस्तर पर थोडी खटखट हुई तो दोनो ने सजग हुए और ममता ने फौरन मुह से लण्ड निकाल कर मुह पोछते हुए एक बार रज्जो की ओर देखा ,,,जो चादर को उठा कर आलमारी मे रख कर बाथरूम मे चली गयी ।

कमलनाथ - ममता ये खोल दे ना ,,इन्हे छूने का मन है

ममता कामुक भरी मुस्कान के साथ अपने भैया का लण्ड हिलाते हुए उसकी आंखो मे देख कर - और कही भाभी ने देख लिया तो

कमलनाथ - अरे बस उपर के खोल के एक बाहर निकाल दे और रज्जो आयेगी तो पल्लू कर लेना ना ,,,प्लीज ना

ममता अपने भैया का उतावलापन देख कर मुस्कुराइ - ठिक है लेकिन भाभी बाहर आये तो बताना हा

कमलनाथ ने हम्म्म बोला और ममता ने उपर के तिन हुक खोल्ते हुए एक ओर चुची निकाल दी ।
कमलनाथ की आंखो मे चमक और लण्ड मे कड़क दोनो बढ गयी ,,उसने फौरन हाथ बढा कर ममता के चुचियो को सहलाने लगा और ममता वापस से अपने भैया का लण्ड गपुचने लगी।

इधर बाथरूम मे जाते ही रज्जो ने अपनी साड़ी निकाल दी और सिर्फ़ ब्लाउज पेतिकोट मे धीरे से बिना कोई आहट के बाहर आयी ।

आल्मारि को बंद करते हुए बोली - ममता हो गया ना

ममता चौकी कि रज्जो ने कही उसे देख तो नही लिया ,,उसने फौरन अपना मुह खोला और पल्लू सीने पर कर लिया ।
जल्दीबाजी मे उसे अपने ब्लाऊज को बंद करने का मौका नही मिला ।

वो थोडी सहम सी गयी थी
इधर रज्जो को जवाब नही मिला तो वो चल कर सोफे तक गयी और उसकी योजना मुताबिक ममता ने उसके पति का लण्ड फौलादी बना दिया

रज्जो मुस्कुरा कर -
कमलनाथ के बगल मे बैठते हुए - हम्म्म तो आराम है ना अब

कमलनाथ थोडा रुखे मन से - हा है थोडा बहुत

रज्जो - थोडा बहुत,,,क्यू ममता ? तुने सही से मालिश नही की क्या

ममता आंखे बडी करके रज्जो को देखती और तभी कमलनाथ -अरे नही नही उसने तो अच्छे से किया लेकिन वो

रज्जो - अब वो वो क्या कर रहे है ,,साफ साफ बोलिए ना

कमलनाथ अपनी लण्ड की इशारा करते हुए - वो ये थोडा टाइट हो गया है तो दर्द बना हुआ है

रज्जो - अरे तो इसमे क्या है ,ममता से बोल देते ना वो इसे शांत कर देती

ममता चौकी - मै कैसे भाभी ? मतलब वो वो

रज्जो ममता की बात काटते हुए - अरे तू भी ना ,,ज्यादा कुछ नही करना है बस ये मुह से ,उउउउगऊऊऊगूग्गऊऊऊऊ उह्ह्गुउऊऊऊगग्ग्गूउऊऊऊ
अह्ह्ह स्प्प्प्प्र्र्रपपपप अह्ह्ह गुउउउऊऊगऊऊऊऊ

रज्जो कमलनाथ का लण्ड चुस कर लण्ड बाहर निकालते हुए - देखी!!! ऐसे ही कर दे मै आती हू बाकी का समान स्टोररूम से लेकर
ये बोल कर रज्जो उठी और कमरे से बाहर निकल गयी ।

ममता चौकने के भाव मे कमलनाथ को देखी जो बेशर्मो के जैसे मुस्कुरा रहा था ।
ममता अवाक होकर - भैया ये भाभी ऐसे कैसे बोल कर चली गयी

कमलनाथ हस कर - अरे जब उसे ऐतराज नही है तो तू क्यू परेशान हो रही है ,,अब चुस दे ना

ममता थोडा मुस्कुराते हुए वापस अपने भैया का लण्ड मुह मे लेना शुरु कर दिया
इधर रज्जो फटाफट स्टोर रूम से एक दो और समान लेके कमरे मे आती है तो ममता को बडे चाव से अपने भैया का लण्ड सुडुपते हुए देखती है ।
फिर वो मुस्कुरा कर सारा समान बेड पर रखते हुए

रज्जो - क्या जी कितना समय लगायेंगे ,,, अभी हमे खाना बनाना है

कमलनाथ कसमसा के - अब क्या कर ये शांत नही हो रहा है

रज्जो ममता को डाटती हूई- क्या ममता तुझे एक काम दिया था वो भी ढंग से नही कर पा रही है

ममता बेबसी दिखाते हुए - भाभी कर तो रही हू ,,अब पता नही भैया का कैसे नही हो पा...

इतने मे रज्जो चलकर ममता के पीछे गयी और उसका पल्लू हटाते हुए फटाफट उसके ब्लाउज के सारे हुक खोल दिये । हालांकि ममता ने थोडी जद्दो-जहद की मगर वो बेकार थी ।
रज्जो - जब सब कुछ ढक कर करेगी तो कैसे उनपे असर होगा ,,,देख माल खुलते ही कैसा तन गया

ममता ने भी अपनी मुथ्ठी मे अपने भैया का लण्ड कसता हुआ मह्सूस किया ।

ममता वापस से अपना मुह खोलके अपने भैया का लण्ड मुह मे लेने लगी और रज्जो भी वही उसके बगल मे घुटनो के बल होकर उसकी चुचियो को छुने लगी । जिस्से ममता थोडा छटकी मगर उसने मुह से लण्ड नही निकाला और गुउउगुऊऊ करते हुए रज्जो को हटाने की कोसिस करने लगी

लेकिन रज्जो कहा ये मौका छोडती वो तो मस्ती जारी रख्ते हुए ममता के चुचो की घुंडीया घुमाने लगी ,,जिससे ममता के चुत मे खुजली और बढने लगी
माहौल धीरे धीरे मादक हुआ जा रहा था और जैसा कि मानव प्रवृतियो का स्वभाव है वो अक्सर अति मात्रा मे हसी ठिठौली, गहरी रात और सघन भिड़ मे अपने प्रभाव दिखाने लगती है । ठिक आगे वही होने वाला था ।

सारे लोग मस्ती मे थे ,,सब्के हवस की आग बढ रही थी । हर अवसर पर अपनी नगनता को दिखाने मे आतुर हुए जा रहे थे । ऐसे मे बार बर रज्जो द्वारा ममता को छूने पर वो चिहुक उठती और इधर कमलनाथ भी उनमे शामिल हो चुका था
ममता मुह से लण्ड निकालते हुए थोडा खिलखिलाते हुए - भैयाआआ देखो ना भाभी परेशान कर रही है ,,,हा नही तो

कमलनाथ रज्जो को पकड कर अपनी ओर खिच लेता - क्या जान क्यू परेशान कर रही हो उसे ,,,यहा आओ ना

ये बोल के कमलनाथ रज्जो की चुचिया उसके ब्लाउज के उपर से मिज देता है और उसके होठ चूसने लगता है
रज्जो सिस्ककर - सीईई अह्ह्ह्ह वो अकेली मजा लेगी क्या
कमलनाथ मुस्कुरा कर - उसे करने दे ना ,,आ मै तुझे मजा कराता हू

ममता उन दोनो की बात सुन कर मुस्कुराई और वापस अपने काम मे लग गयी
इधर कमलनाथ ने रज्जो का ब्लाऊज खोल कर उसकी चुची को मसलना शुरु कर दिया । जिससे रज्जो कसमसाने लगी । कमलनाथ ने बारी बारी से उसकी चुचिया चूसना भी शुरु कर दी

रज्जो कसमसाते हुए - ओह्ह्ह मेरे राजा उह्ह्ह्ह मुझे भी चुसने दो ना उसको

कमलनाथ मादक होकर उसकी चुचिया मसलता हुआ - लेकिन मुझे तेरे दूध से खेलना है अभी अह्ह्ह उम्म्ंम्ं क्या मस्त मुलायम है

रज्जो मुस्कुरा कर - तो ममता को बुला लो ना उपर प्लीज उम्म्ंम्ं सीईई अह्ह्ह अराआअम्ं से उह्ह्ह्ह


ममता मुह मे लण्ड भरे भरे ही आंखे उपर करके देखती है तो रज्ज्जो सरकते हुर ममता के पास आ जाती है ।
रज्जो उसके सर पर हाथ घुमाते हुए - ममता ,,,जा तेरे भैया बुला रहे है

ममता शर्माती हुई - नहीईई मै कैसे ??? वो मेरे भैयाआआ है और कितना तेजजज नही नही मै नही

रज्जो ममता की बात पूरी होने से पहले ही उसकी कमर से उथाते हुए - लिजिए जी पकड़ीये ,,,बहुत नाटक कर रही है हिहिहिही ,

रज्जो - जा ना ममता , थोडा मेरा भी मन है ना प्लीज

ममता मुस्कुराइ और उठ कर अपने भैया के बगल मे बैठ गयी और बस नजरे निचे किये रज्जो को देखती रही ।

रज्जो ने अगले ही पल अपने पति का लण्ड मुह मे भर लिया और गले तक उतारने लगी
इधर कमलनाथ ने थोडा संकोच और हिम्मत दिखाते हुए ममता की नंगी कमर मे हाथ डाला जिस्से ममता की दिल की धड़कन तेज हो गयी और वो आंखे बंद करते हुए फौरन अपनी कमर को सीधी कर ली ।

कमलनाथ ने ममता की प्रतिक्रिया पर उसे अपने करीब खीचा और सीने से पल्लू हटाते हुए उसकी खुली झुल्ती चुचियो को दबोच लिया

ममता सिसकी - अह्ह्ह भैयाआअह्ह उम्म्ंम्ं

इधर रज्जो ने भी आंखे उपर कर ली तो देखी कि कमलनाथ अपनी बहन के गोरे गोरे मोटे मोटे चुचो को दुह रहा है और एक का निप्प्ल चाट रहा है ,,,प्रतिक्रिया स्वरूप ममता पागल हुई जा रही थी

रज्जो ने कुछ सोचा और धीरे से उसने कमलनाथ का लण्ड छोड कर ममता के बगल मे आगयी और उसने भी अपना मुह उसकी दुसरी चुची पर लगा दिया ।

ममता एक नयी बेकाबू उत्तेजना से भर गयी ,,, क्योकि अब उसके भैया भाभी दोनो मिल कर उसकी चुचिय चूसे जा रहे थे । एक मे मरदाना अहसास तो एक मे मुलायम होठो का स्पर्श

ममता - अह्ह्ह भाभीईई येहहहह अह्ह्ह उम्म्ंम ओह्ह्ह भैयाआह्ह आराम से उन्म्ंमम्मं सीई उह्ह्ह

रज्जो वही तक नही रुकी थी उसके हाथ ममता के साड़ी मे भी घुसे हुए थे और चुत की ओर बढे जा रहे थे ।
इधर ममता अपने भैया का लण्ड खुला पाकर अपने हाथ उस्पर ले गयी और उसे भीचना शुरु कर दिया ।

रज्जो की नजरे ममता की सारी क्रियाक्लापो पर जमी थी ,,, इधर जैसे ही उसने ममता को उसके भैया का लण्ड पकडते देखा फौरन एक ऊँगली को उस्क्की पिच्पीचाती चुत मे पेल दिया

ममता की आंखे फैल गयी और उसके चुचो मे फुलाव बढ गया । जिससे रज्जो और कमलनाथ की नजरे आपस मे टकराई । फिर रज्जो ने अपने पति को आगे बढ़ने के लिए बोल दिया ।

योजना के तहत कमलनाथ ने ममता की चुचियो को छोड दिया ,,लेकिन रज्जो ने बराबर ममता पर पकड बनाई रखी और धीरे धीरे उसने ममता को अपनी ओर खींचना शुरु कर दिया । फिर उसने ममता को अपनी गोद मे लिटा लिया

इधर कमलनाथ ने अपना पोजीशन तय किया और ममता के एक पैर को उठा कर सोफे पर रखा ।
रज्जो ने अब अपना हाथ ममता की साडी ने निकाल दिया लेकिन साथ ही उसकी साड़ी को जांघो तक ले आयी थी । वो ममता को अप्नी गोद मे लिताये उसकी दोनो चुचिया मिजे जा रही थी और उसे एक बहकावे मे रखे हुए थी ।

उधर कमलनाथ बडी चालाकी से अपनी बहन के जांघो को खोल चुका था ,,,इधर जब ममता को अपने पोजीशन का अहसास हुआ तब तक देर हो चुकी थी,,,क्योकि कमलनाथ का लण्ड उसकी चुत के मुहाने पर था

इधर उसकी आंखे खुली और कमलनाथ ने वही खचाक से लण्ड एक ही बार मे उसकी बुर मे उतार दियाआ

ममता चीखी - सीई अह्ह्ह भैयाआआ ऊहह ये क्याआ कर रहे अह्ह्ह अन्हीईई उह्ह्ह दर्द हो रहा है अह्ह्ह

रज्जो ने झुक कर उसके होथो से होठ जोड दिये और फिर धीमे से बोली - अब नाटक ना कर ,,,ये ही चाह रही थी ना

ममता शर्मायी और मुस्कुराते हुए रज्जो ने पेट मे सर छिपाने लगी

इधर कमलनाथ अपना लण्ड धीरे धीरे अंदर बाहर करने लगा

रज्जो बेशरमी से - क्या जी आप तो बडे वो हो ,,मेरे साथ करते हुए मुझे इतना दर्द देते है और अपनी बहन के लिए धीरे धीरे

ममता शर्माते हुए -क्या भाभी आप भी ना सीई अह्ह्ह धत्त देखा आपकी वजह से भैयाआह्ह्ह मुझेहह भीईई अह्ह्ह्ह सीई ओह्ह्ह्ह भैआआआ ओह्ह्ह माआ ओह्ह्ह्ह

रज्जो ह्स्ते हुए - हा ये हुई ना बात ,,अब बने हो पक्के वाले बहिनचोद हिहिहिही

कमलनाथ ने कोई प्रतिक्रिया नही दी बस अपने धक्के तेज करता हुआ मुस्कुरा रहा था ।

रज्जो उसे चढाये जा रही थी - हा ऐसे ही फाडो अपनी बहिन की चुत ,,ना जाने कितनो को दे चुकी है लेकिन अपने भैया को ही तरसा रखा था इसने। क्युउउऊ ममता बोल ,,,

ये बोल कर रज्जो ने वापस ममता ने निप्प्लो को मरोडा
रज्जो - क्यू मजा आ रहा है ,,बोल

ममता शर्माते हुए हा मे सर हिलाने लगी तो रज्जो हस कर - हे रुको जी ,,, इसे मजा नही आ रहा है रहने दो

ममता - अरे नही नही आ रहा है भाभी
रज्जो अपने हाथ आगे बढाते हुए उसकी चुत पर घुमाने लगी - तो बता ना अपने भैया को कि उनसे चुदवा कर मजा आ रहा है

एक तरफ कमलनाथ के ताबड़तोड़ धक्के और उपर से चुत के दाने पर रज्जो की ऊँगली
ममता - अह्ह्ह्ह हाआ हाआ भाभीई बहुउउऊत्त मजा आ रहा है अह्ह्ह भैययाआ उह्ह्ह्ह

रज्जो भी अपनी उन्गलीया तेजी से ममता के चुत पर घुमाते हुए -बोल ना अपने भैया से कि मुझे भी भाभी की तरह चोदो कस कस के

ममता सिस्क्ते हुए तेज आवाज मे - अह्ह्ह भैयाआआह्ह्ह मुझे भीईई भाआअभीईई कीई तरह कास्स्स कस्स्स के चोओओदोहह नाअह्ह उम्म्ं ओह्ह्ह मा मै आ रहा रही हुउऊ ओह्ह्ब अह्ह्ह ऐसे ही भैया ओह्ह्ह्ह मा

इधर ममता अपनी गाड फेकने लगी और तेजी से कमलनाथ ने लण्ड पर झड़ने लगी
अपनी बहन को झड़ता पाकर कमलनाथ भी अपने गति बढा दी

इधर ममता झड़ते हुए अपनी चुत के छल्ले को कसने लगी जिसका असर कमलनाथ पर हो रहा था और वो भी झड़ने के करीब था

कमलनाथ ने अपनी गति सामान्य की और फटाफट अपना लण्ड निकाल कर ममता और रज्जो के पास आया

वो तेजी से अपना लण्ड ममता के मुह के सामने करके हिलाने लगा और अगले ही पल पिचकारी छूटी

कमलनाथ अपने लण्ड का मुहाना ममता की ओर किया और कसमसाया - अह्ह्ह्ह ममताहहहह ले मेराआह्ह्ह सीई ओज्ज


ये बोलते हुए कमलनाथ ने 3 बार तेज मोटी गाढी पिच ममता के मुह पर मारी और तुरंत अपना लण्ड रज्जो के मुह मे पेल दिया
जिस्से रज्जो ने अच्छे से निचोड लिया वही ममता ने भी अपने हिस्से की मलाई साफ कर ली
थक कर कमलनाथ रज्जो एक पैर के पास सोफे से सट कर फर्श पर बैठ गया और ममता के सीने पर सर रख लिया


ममता थोडा हसी और अपने भैया के सर मे हाथ घुमाने लगी ।

रज्जो मजे लेते हुए -अरे आप तो अभी से थक गये ,,,मेरा तो बाकी है अभी
कमलनाथ रज्जो की जान्घे सहलाते हुए - अभी रात बाकी है मेरी जान ,पूरी रात तेरे साथ ही तो काटनी है

ममता इतने पर तुन्की- और मै ,,मुझे भूल गये क्या

कमलनाथ उसकी गोरी चुचिया पकड कर सहलाते हुए - तुझे कैसे भूल जाऊंगा मेरी लाडो रानी ,,, तेरे लिए ही तो ये सारा खेल हुआ है

ममता इतराते हुए - ह्न्म्म्ं मुझे लगा ही था कि इसने जरुर कोई योजना है हिहिही

कमलनाथ - तुझे पसंद आया
ममता शर्मा कर हा मे सर हिला दी ।

कमलनाथ - तो एक बार हो जाये
रज्जो इतने पर टोकते हुए - अच्छा मै बोली तब मना कर दी ,,और बहन को खुद की ओर से ऑफ़र दिया जा रहा है ,,, पक्का बहिनचोद ही हो गये हो आप तो हिहिहिही

ममता ह्सते हुए - नही नही भईया अभी वो आते होंगे बाजर से ,,,हम लोग रात मे करे और अभी तो मै हू ही यहा शादी तक हिहिही

ममता की बात पर दोनो मुस्कुराये और रात के लिए योजना बनाते हुए कपडे पहनने लगे ।
रात की योजना बनाने वाले सिर्फ यही नही थे ,,, पल्लवि अनुज के साथ साथ राजन ने भी रज्जो और कमलनाथ के साथ मस्ती करने की फिराक मे थे ।

थोड़ी देर बाद वो तीनो निचे आये जहा राजन बाजार से आ चुका और फिर दोनो लेडिस किचन मे बिजी हो गयी ।

राजन - अरे भाईसाहब आपका दर्द कैसा है अब ,, कुछ आराम हुआ
चुकी कमलनाथ को रात मे अपनी बहन और रज्जो दोनो को चोदना था तो उसने पहले से तय किया हुआ ही जवाब राजन को दिया
कमलनाथ - हा थोडा बहुत आराम तो है

राजन कमल्नाथ के करीब आ कर थोडा हस्ता हुआ - तो आज रात मे भाभी जी के साथ वाला प्रोग्राम रहने दिया हिहिहिही

कमलनाथ मुस्कुराया - अब मुझे तो यही उचित लग रहा है राजन ,,, क्योकि कल सुबह मंडी भी जाना और रज्जो भी बिजी है इस समय शादी भी नजदीक आ गयी है ना

राजन - कोई बात नही भाईसाहब,,ये सब तो चलता ही रहेगा । हा कोई काम हो मेरे लायाक तो जरुर बताये

कमलनाथ कसमसा कर - नही मुझे नही लेकिन वो रज्जो बोल रही थी उसे कुछ मिठाईया बनानी है प्रसाद के लिए तो उसमे ममता की मदद लगेगी

राजन - अरे भाईसाहब कैसी बात कर रहे है आप ,,वो आपकी बहन इसमे मुझसे पूछने वाली बात कैसी है और फिर यहा हम लोग काम के लिए आये है ना

कमलनाथ हस कर - अरे भई तुम तो रज्जो की चंचलता जानते ही हो ,,,कह रही थी कि नंदोई जी बोल देना कि अब से शादी तक अकेले ही सोने की आदत डाल ले हिहिहिही बस वही बात थी

राजन हस कर - हिहिही ये भाभी जी भी ना ,,अरे बस आज रात की बात है कल से वैसे भी हम मर्दो को ठिकाना यही निचे हो जायेगा हाहाहहा

कमलनाथ - हा भाइ वो तो है हिहिहिही
इधर इनकी बाते जारी रही लेकिन राजन को टीस सी हुई कि अब कुछ दिनो तक उसे बिना चुत के गुजारा करना पडेगा ,,फिर उसने ये सोच कर खुद को तसल्ली दी चलो जैसा भी हो एक हफ्ते जम कर मजे कर लिया वो थोडा दिन रूखा ही सही ।

खैर राजन ने तो संतोष कर लिया लेकिन उसका क्या जिसने पहली बार अपनी जवानी का अनुभव लिया था ,,,वो तो दुकान पे बैठा हुआ पल्लवि के ख्वाब में गुम था ।
मन ही मन रात के हसिन पलो को याद करके राज मे पल्लवि के साथ कुछ अपने पैतरे आजमाने की कोशिस मे था ।
खैर रात हुई और सारे लोगो खाने के बैठ गये

इधर खाने के दौरान मिठाईयों बनवाने पर चर्चा थी तो पल्ल्वी और अनुज भी सतर्क थे कि उन्हे कब अपने हिसाब से काम करना है ।

समय बिता इधर कमलनाथ थोडी देर तक राजन के साथ उसके कमरे मे ही बैठा और फिर सोने का बोल कर अपने कमरे मे चला गया ।
वही राजन भी क्या करता दिन भर की भाग दौड़ का थका था और आज ममता की चुत भी उसके नसीब मे नही थी इसिलिए कुछ समय मे वो भी सो गया ।

रात मे 10 बजे तक ममता और रज्जो ने अपना काम खतम करके उपर कमलनाथ के पास चली गयी ।

इधर 10 बजे तक पल्लवि ने कभी पानी के बहाने तो कभी बाथरूम के बहाने दो बार बाहर निकाली और जब उसने देखा कि रज्जो ममता उपर जा चुकी है त उसने साढ़े दस बजे तक पल्लवि ने सोनल के सोने का इन्तेजार किया और वो भी अनुज के पास चली गयी ।

रात मे अनुज ने दो बार पल्लवि को पेला और उसे वापस कमरे मे भेज दिया ।
वही उपर के कमरे मे कमलनाथ ने रज्जो के साथ मिल कर ममता को बहुत मजे से चोदा । और दोनो की गाड़ मे लण्ड भी डाला ।

सुबह होने से पहले ममता अपने कमरे मे चली गई और राजन से लिपट कर सो गयी ।

जारी रहेगी
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DREAMBOY40

सपनों का सौदागर 😎
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बहुत ही शानदार अपडेट दिए हैं भाई मजा आ गया एक के बाद अद्भुत संभोग समागम
आभार
 
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