Riky007
उड़ते पंछी का ठिकाना, मेरा न कोई जहां...
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बढ़िया भाई, धांसू कहानी लग रही है।
पत्नी के धोखे के अलावा बुआ फूफा का भी कोई धोखा लगता है। वैसे निधि को भाई को दे दो, और भाई का करियर बरबाद कर दो। साले न घर के रहे ना घाट के,बाप वैसे ही कर्जदार है।
पत्नी के धोखे के अलावा बुआ फूफा का भी कोई धोखा लगता है। वैसे निधि को भाई को दे दो, और भाई का करियर बरबाद कर दो। साले न घर के रहे ना घाट के,बाप वैसे ही कर्जदार है।