भाग:–115
“तुम्हारा तूफान उठाओ कार्यक्रम टीवी पर आ चुका है। आपदा प्रबंधन वाले पता लगाने में जुटे है कि भीषण पानी के बीच आखिर इतनी झुलसी लाश कैसे सुरक्षित बच गयी, जिसे छूने मात्र पर वह भरभरा कर गिर गया। यह समाचार मिलते ही बच्चों ने पता लगा लिया की यह कैसे हुआ और अब वो लोग मैसेज पर मैसेज भेज रहे।”
“लगता है एक्शन में न सामिल करने की वजह से दिल टूट गया होगा। पता ना अब कितना भड़के होंगे। चलो जल्दी”...
तीनो घूम फिर कर फिर से कॉटेज से कुछ दूर पहुंचे। अमेरिकन आपदा प्रबंधन के साथ–साथ कई सारे डिपार्टमेंट की गाड़ी वहां लगी हुई थी। वो लोग समुद्र में उठे तूफान की जांच तथा जान–माल की हानी को देख रहे थे। कॉटेज से काफी दूर आर्यमणि ने कार को पार्क किया था, लेकिन समुद्री तूफान ने तो कार को भी नही बक्शा। आस–पास बाढ़ की परिस्थिति उत्पन्न हो चुकी थी। कई मकानों में पानी घुसा था, लेकिन किसी भी इंसान को किसी तरह का नुकसान नही हुआ था।
थोड़ी सी मेहनत के बाद कार शुरू हुई और जैसे ही उस क्षेत्र को पार किये, रूही, आर्यमणि के सर पर ऐसा मारी की उसका सर स्टेयरिंग से जोरदार टकराया।
आर्यमणि, रूही पर गुर्राते.... “तुम्हे नही लगता की तुम्हारा हाथ आजकल काफी ज्यादा चलने लगा है।”
रूही:– अपनी बॉसगिड़ी कहीं और झाड़ना। एक पल के लिये भी ये ख्याल आया की तुम्हारी हरकत से किसी की जान जा सकती थी?
आर्यमणि:– हां पानी का जमावड़ा देखकर मुझे भी अफसोस हुआ। मुझे इस तूफान और समुद्री ज्वार भाटा पर काम करना होगा। ताकि पूर्ण नियंत्रण में नपा–तुला और सुनिश्चित परिणाम मिले।
रूही:– अच्छी बात है। हम कुछ दिन मियामी में ही ट्रेनिंग करेंगे और आगे की योजना में कुछ बदलाव लाने होंगे।
आर्यमणि:– जी बॉस समझ गया। वैसे बात क्या है, आज तुम भी कुछ ज्यादा ही बॉसगिड़ी दिखा रही।
रूही:– ऐसी कोई बात नही है आर्य। तुम्हारी होने वाली पत्नी हूं न, इसलिए तुम्हारा आधा बोझ खुद पर ले रही।
आर्यमणि:– मतलब..
रूही:– जब तुम्हारे सर पर आग लगी तब दिमाग में एक ही ख्याल आया, यदि हर योजना में रिस्क को मैं भी कैलकुलेट करूं तो शायद हम कई तरह के रिस्क पर बात कर सकते है। बस उसके बाद से ही मैने अपना एक कदम आगे बढ़ा दिया। अब सवाल–जवाब बंद, क्योंकि ये बच्चे मैसेज कर–कर के परेशान कर रहे। लो एक और मैसेज...
आर्यमणि:– क्या लिखा है?
रूही:– अगले १० मिनट में नही पहुंचे तो हम लोग उस जगह पहुंच जायेंगे जहां कांड हुआ है।
आर्यमणि:– हम तो अब 5 मिनट की दूरी पर है। चलो जल्दी से पहुंचा जाये।
5 मिनट में ही दोनो पहुंचे। घर के अंदर का माहोल थोड़ा गरम था। सभी लोग एक ही जगह मौजूद थे। दोनो के पहुंचते ही जो ही बरसे। अलबेली, इवान और ओजल तीनो एक सुर में कहते ही रह गये.... “जब एक्शन के वक्त साथ ले ही नही जाना, तो इतनी ट्रेनिंग करवाने का क्या फायदा।”... गुस्सा थे, रूठे थे, और दोनो (आर्यमणि और रूही) के किसी भी बात का कोई असर ही नही हो रहा था।
जबतक आर्यमणि और रूही ने यह कहा नही की अर्जेंटीना में केवल वही तीनो मिशन को लीड करेंगे, तब तक तीनो का गुस्सा शांत ही नही हुआ। और जब तीनो का गुस्सा शांत हुआ तब उनकी नजर घर आये एक नए मेहमान पर गयी, जिसे आर्यमणि और रूही लेकर पहुंचे थे।
अलबेली:– वैसे साथ में ये कौन है?
रूही:– ये जुल है। एक प्रहरी एलियन.....
जैसे ही रूही ने “एक प्रहरी एलियन” कहा, ठीक उसी वक्त कान फाड़ दहाड़ गूंज गयी। निशांत और संन्यासी शिवम् ने तो अपने कान बंद कर लिये।..... “दीदी इसके सामने से हटो। इसे फाड़कर मैं एलियन को मारने की प्रैक्टिस शुरू करूंगी”... ओजल चिंखती हुई कहने लगी।
ओजल के समर्थन में इवान और अलबेली भी खड़े हो गये। माहोल अब पहले से भी ज्यादा गरम था। आर्यमणि ने इशारा किया और रूही जुल के सामने से हट गयी।.... “हम्मम... तो ठीक है, तुम तीनो मिलकर इसे मार सकते हो तो मार दो।”
आगे फिर कौन बात करता है। तीनो के क्ला बाहर आ चुके थे। तीनो ही अपना शेप शिफ्ट कर चुके थे। जुल को अपने क्ला से फाड़ने के लिये तीनो एक बार में ही कूद गये। कूद तो गये लेकिन जब तीनो हवा में थे, तभी जुल ने बिजली का झटका दे दिया। बिजली का झटका खाकर अलबेली बेसुध नीचे गिरी जा रही थी। किंतु आज ओजल और इवान पर इस बिजली का कोई असर ही नही हुआ।
अलबेली के जमीन पर गिरने से पहले ही आर्यमणि उसे अपने हाथों में ले चुका था। चेहरे पर आये उसके बाल को हटा, प्यार से अलबेली के सर पर हाथ फेरकर हील करते हुये.... “तुम ठीक हो अलबेली”.... अलबेली सुकून से अपना सर आर्यमणि के सीने से लगाती.... “अच्छा लग रहा है दादा। सॉरी दादा आप यहां थे तब भी मैं गुस्से में आ गयी।” उधर इवान और ओजल जैसे ही जुल के सामने खड़े हुये, रूही उन्हे रोकती.... “बस बहुत हुआ। तुम दोनो शांत हो जाओ”...
रूही उन्हे शांत होने क्या कही, दोनो ही रूही को आंख गुर्राते तेज दहाड़े और अपने पंजे को जुल के सीने तक लेकर गये ही थे कि रूही ने वुल्फ कंट्रोल की वह दहाड़ निकाली, जिसे सुन ओजल और इवान सुन्न पड़ गये। दोनो अपना सर पकड़कर बैठते.... “हमे क्यों कंट्रोल कर रही हो। ये मेरे आई के कातिल है। हमे तहखाने पर जीने के लिये इन्होंने ही मजबूर किया था।”
रूही:– दोनो एक दम शांत हो जाओ। वो मेरी भी आई थी।
ओजल:– हां तो तुम इनके साथियों को मारकर अपना दिल हल्का कर आयी हो। मुझे इसे मारना है।
रूही:– ठीक है जाओ...
जैसे ही रूही ने अपना कंट्रोल हटाया वैसे ही ओजल और इवान जुल पर झपट पड़े। आश्चर्य तो तब हो गया जब दोनो अपना पंजा तो जुल पर चलाते, लेकिन वह जुल को न लगकर खाली वार हवा में हो रहा था। दोनो को समझते देर न लगी की यह करस्तानी किसकी है। दोनो तेज गुर्राते हुये निशांत को देखने लगे... “अपना भ्रम जाल हटाओ निशांत”
निशांत:– शिवम् भैया दोनो को शांत तो करो...
जैसे ही ओजल के कान तक यह बात पहुंची ओजल अपनी कलाई की नब्ज को दंश के मणि से काटकर माहोल को फ्रिज करने वाला जादुई मंत्र जोड़ से पढ़ने लगी। अगले ही पल वहां का पूरा माहोल ही फ्रिज हो चुका था। बस जागते हुये वहां 3 लोग ही थे.... ओजल, संन्यासी शिवम् और निशांत...
ओजल:– तुम दोनो जमे क्यों नही...
निशांत:–तुम मंत्रों को बिना सिद्ध किये हुये बलि के माध्यम से खेल रही हो और हमने सारे मंत्र सिद्ध किये है। तुम्हे क्या लगता है तुम्हारा जादू हम पर असर करेगा?
“तुम्हारा तरीका गलत है।” कहते हुये संन्यासी शिवम् ने वहां जल का छिड़काव किया और पूरा माहोल फिर से जीवंत हो गया। बहस का लंबा दौड़ चला। ओजल और इवान का मन जब शांत हुआ, तब अपने किये पर पछताने लगे। लेकिन अभी हुई घटनाओं में ओजल और इवान के हाव–भाव देखते संन्यासी शिवम्...
“गुरुदेव, दोनो का प्रशिक्षण तो आपने किया, लेकिन दोनो में बहुत ज्यादा विलक्षण दिख रहा है। दोनो ही शक्तियों के अधीन होकर शक्ति को खुद पर हावी हो जाने दे रहे है, जबकि आपको इन्हे शक्ति को अपने अधीन कर उस पर काबू रखना सीखाना चाहिए था।”
आर्यमणि:– माफ करना मुझे। आज इनके वजह से मैं वाकई ही शर्मिंदा हूं... आप ओजल और इवान दोनो को अपने साथ लेते जाएं...
इवान:– नही बॉस ऐसा मत कहो... आज ही हमने बस आपा खोया था। वो भी पहली बार जब एलियन को अपने सामने देखा तो काबू न रख पाया..... दिमाग मे बस मां का कातिल ही घूम रहा था।
आर्यमणि:– कुछ इंसान वेयरवोल्फ का शिकर करते है, इसका मतलब जो भी इंसान दिखे उसे मार दो....
कुछ वक्त तक आर्यमणि दोनो को देखता रहा और दोनो अपनी नजरे नीची कर आंख चुराते रहे। कुछ पल की खामोशी के बाद..... “सीधा किसी को भी मारने के नतीजे पर पहुंचना। पैक में से कोई रोके तो उन्हे घूरना और बाली प्रथा से जादू करना.... ऐसा तो मैंने नही सिखाया था।”
जुल:– क्या मुझे कुछ कहने की अनुमति है।
आर्यमणि:– हां बोलो...
जुल:– आप सब में से कभी किसी ने खुद में मेहसूस किया है, या किसी ऐसी घटना को सुना है कि... यदि शक्तियां पास में हो और उसे नियंत्रित करना नही सिख पाये, तो वह शक्तियां दिमाग पर ऐसे हावी हो जाती है कि फिर उस मनुष्य के विलक्षण की गणना भी नही कर सकते। वह अपने आप में एक बॉम्ब की तरह होते है, जो कहां और किस पर फट जाये किसी को भी पता नहीं होता।
संन्यासी शिवम्:– हां मैं इस से भली भांति परिचित हूं। ऐसे मनुष्य जो शक्तियों के साथ जन्म ले, किंतु उन्हे कभी भी न तो अपनी शक्तियों का ज्ञान हो और न ही प्रशिक्षण मिला हो, वह अपनी मृत्यु अपने साथ लिये घूमते है। ये बात हमारे गुरुदेव आर्यमणि भी भली भांति जानते है। वह स्वयं भी इस दौड़ से गुजर चुके थे, जब वो वुल्फ में तब्दील नही हो पा रहे थे। गुरुदेव आपको कुछ कहना है?
आर्यमणि:– हम्मम!!! मैं ये बात क्यों नही समझ पाया। मुझे एहसास था कि शुकेश के अनुवांशिक गुण ओजल और इवान में है। मुझे लगा जब खुद से ये लोग अपनी शक्ति दिखाएंगे, तब उनके प्रशिक्षण के बारे में सोचूंगा लेकिन यहां तो कुछ और ही परिणाम सामने आ गया। दोषी मैं ही हूं।
ओजल:– बॉस आप ऐसे दुखी न हो। दोषी कोई भी नही। हमे अब उपाय पर काम करना है। लेकिन अभी पहले हमे अपने योजना पर ध्यान देना चाहिए। एलियन का कम्युनिकेशन सिस्टम में हमे घुसना है।
रूही:– ओजल सही कह रही है आर्य... हम आज का काम पूरा खत्म करने के बाद ओजल और इवान के बारे में आराम से सोचेंगे।
आर्यमणि, संन्यासी शिवम् के ओर देखने लगा। संन्यासी शिवम मुस्कुराते... “यहां मुझसे भी गलती हुई है। बिना कारण जाने मैं गलत नतीजे पर पहुंचा था। अंदर के अनियंत्रित शक्ति के साथ भी दोनो इतने संयम में थे, यह सिर्फ आपके ही प्रशिक्षण का नतीजा है गुरुदेव। ओजल सही कह रही है, हमे पहले अपने योजना अनुसार आगे बढ़ना चाहिए।”
सहमति होते ही सभी लोगों ने जाल बिछा दिया। करना यह था कि सभी इंसानी शिकारी को उनके किराये के घर से बाहर बुलाना था। जब वो लोग बाहर आते तब निशांत उस से टकरा जाता। वो लोग बाहर जब तक निशांत के विषय कुछ भी राय बनाकर वापस घर में अपने आला अधिकारियों से संपर्क करने जाते, इस बीच ओजल और इवान, संन्यासी शिवम् के साथ टेलीपोर्ट होकर सीधा उनके घर में होते और उनके कम्युनिकेशन सिस्टम को हैक कर लेते।
उन इंसानी शिकारी के घर के बाहर जाल तो बिछ चुका था, लेकिन कोई भी सदस्य बाहर नही निकला था। अलबेली जब ध्यान लगाकर उनके घर के अंदर हो रही बातों को सुनी तब पता चला की 4 शिकारी जयदेव से बात कर रहे थे और बचे 4 शिकारी कॉटेज के पास छानबीन के लिये गये थे।
अलबेली ने जैसे ही पूरा ब्योरा दिया, आर्यमणि... “ठीक है ये ऐसे तो बाहर नही आयेंगे। मैं उन्हे बाहर बुलाने की कोशिश करता हूं, और तुम अलबेली कान लगाकर रखो। देखो क्या बातचीत हो रही।
आर्यमणि अपनी बात समाप्त कर “वूऊऊऊ, वूऊऊऊ, वूऊऊऊ, वूऊऊऊ, वूऊऊऊ” करके भेड़ियों वाला दहाड़ लगाया। पीछे से अल्फा पैक ने भी एक साथ सुर मिला दिये। अंदर उन चार शिकारियों की जयदेव से बात चल रही थी। इसी बीच वुल्फ कॉलिंग साउंड सुनकर जयदेव के भी कान खड़े हो गये.... “ये तो पूरा एक वुल्फ पैक लगता है। जाकर देखो कौन है और कॉटेज की घटना में कहीं इनका हाथ तो नही।”
जयदेव के आदेश मिलते ही सभी शिकारी अपने घर से बाहर निकले। इधर अलबेली सबको अलर्ट भेज चुकी थी। सब काफी दूर जाकर फैल गये। शिकारियों के बाहर निकलते ही योजना अनुसार संन्यासी शिवम् के साथ ओजल और इवान अंतर्ध्यान होकर सीधा उस जगह पहुंचे जहां से उस घर का करंट सप्लाई था। पूरे घर के करेंट सप्लाई को जैसे ही बंद किया गया, अंदर पूरा अंधेरा।
इवान:– नाइट विजन सीसी टीवी कैमरा लगा है। हमे सीधा इनके काम करने वाली जगह तक लेकर चलिए शिवम् सर।
शिवम्:– वहां भी तो सीसी टीवी कैमरा कवर कर रहा होगा। मुंह ढक लो। हम लोग चोर बनकर घुसेंगे। घर की सारी चीजें गायब कर देंगे। इसी दौरान तुम उनके सिस्टम को हैक भी कर लेना।
ओजल:– अच्छा आइडिया है...
तीनो किसी चोर की तरह ही सामने से घुसे। तीनो पूरे घर में तूफान मचाए थे। घर में जितनी भी उठाने वाली चीजें थी वो सब एक साथ गायब कर चुके थे। वुल्फ कॉलिंग साउंड सुनकर सभी शिकारी हड़बड़ी में निकले थे, और उनका मोबाइल भी घर में ही रह गया था, वह भी गायब।
तीनो अपना काम खत्म करके वहां से सीधा गायब। ओजल और इवान ने मिलकर तुरंत लैपटॉप से काम की चीजों का डेटा बैकअप लिया और सारा सामान किसी चोर को बेचकर निकल गये। वहीं जब वह शिकारी आवाज की दिशा में आगे बढ़ते, घर से कुछ दूर आगे निकले, तभी उनसे निशांत टकरा गया।
निशांत को देखकर वो सभी थोड़े हैरान हुये और निशांत अपने पहचान के एक शिकारी को टोकते.... “अरे जितेंद्र, क्या बात है, इतने बड़े देश में हम टकरा गये? कहीं मेरा पीछा तो नही कर रहे?”
जितेंद्र:– ठीक यही सवाल तो मेरे मन में भी चल रहा है। कहीं तुम तो मेरा पीछा नहीं कर रहे?
निशांत:– तुम क्या हॉट बिकनी गर्ल हो जो मैं तुम्हारा पीछा करूंगा।
जितेंद्र:– तो तुम यहां क्या कर रहे?
निशांत:– मियामी के जन्नत का मजा ले रहे है। और तुम???
जितेंद्र:– कोई चुतिया, प्रहरी का कीमती सामान चोरी कर यहां बेचने की कोशिश कर रहा था, उसी को ढूंढने आये है। तुम यहां हो, चोर यहां है, तो क्या तुम्हारा दोस्त आर्यमणि भी यहां है?
निशांत:– क्या बकवास कर रहे हो बे... ज्यादा होशियार हो गये हो तो बताओ, सारी होशियारी तुम्हारी गांड़ में घुसेड़ दूंगा। मदरचोद कुछ भी कह रहा...
जितेंद्र गुस्से से आगे बढ़ा ही था कि उसके साथी रोकते हुये.... “तुम जाओ निशांत। आज एक लड़की इसका चुटिया काट गयी इसलिए पागल बना है।”
“तो दिमाग ठिकाने लाओ इसके। ज्यादा बोलेगा तो गांड़ में सरिया डालकर मुंह से निकाल दूंगा।”... निशांत चलते–चलते अपनी बात कहा और चलता बना... उसके जाते ही वह जितेंद्र.... “तूने रोक क्यों लिया?”
एक शिकारी:– चोरी का माल मियामी में बिकने के लिये आना, कॉटेज की घटना, वुल्फ पैक की दहाड़, और उसके बाद इसका (निशांत) मिलना। यह मात्र एक संयोग नही हो सकता। इसका दोस्त आर्यमणि जो वुल्फ का पैक बनाकर भागा था, वो यहीं है। और उसने न सिर्फ अनंत कीर्ति की किताब को चुराया था, बल्कि स्वामी के द्वारा चोरी किया हुआ सारा माल यही आर्यमणि लेकर उड़ा था। मदरचोद अकेला लड़का पूरे प्रहरी को पानी पिला दिया।
जितेंद्र:– बात में दम तो है। वर्धराज का पोता ही अलौकिक पत्थर से निकलने वाले संकेत को बंद कर सकता है, यह हमने पहले क्यों नहीं सोचा।
(सुकेश के घर से चोरी के समान में मिला पत्थर जो अपने पीछे निशानी छोड़ता था, जिस संकेत के जरिए प्रहरी वाले अपने पत्थर का पता लगा सकते थे। उसे अपस्यु और आचार्य जी ने निष्क्रिय किया था।)
दूसरा शिकारी:– इसका मतलब ये हुआ कि पिछले 7–8 दिन से ये लोग हम पर नजर रखे थे, और आज मौका मिलते ही हमारे 22 लोगों को जिंदा जला दिया। साले ने कौन सा मंत्र पढ़ा होगा जो समुद्र में तूफान उठा दिया?
(इन प्रहरी शिकारियों को एलियन के विषय में जरा भी ज्ञान नही था। उन्हे मारे गये सभी शिकारी अपनी तरह इंसान ही लगते थे)
तीसरा शिकारी:– जो 22 लोगों को मार सकता है वह हम 4 को क्यों नही मारा? हमे उनके विषय में नही पता था, लेकिन वो अपनी योजना अनुसार ही हमें यहां तक लेकर आये होंगे। जब उन्हे हमे मारना नही था, फिर योजनाबद्ध तरीके से हमे यहां तक लेकर क्यों आया?
जितेंद्र:– कहीं ये हमारे घर में तो नही घुसे?
एक शिकारी:– घर में क्या करने घुसेंगे...
जितेंद्र:– हां वहां तेरी बीवी भी तो नही जो ये डर रहता की उसे पेल देंगे। मदरचोद जब उन्हे हमे मारना नही था तो एक ही कारण बनता है ना, उन्हे हमसे कुछ चाहिए।
दूसरा शिकारी:– उन्होंने यहां न तो हमे मारा और न ही घेरकर कोई पूछताछ किया। मतलब साफ है, हमारे घर में घुसपैठ हुई है। सब घर चलो।
प्रहरी के खोजी शिकारी। अब तक कंटेनर के लोकेशन के हिसाब से छानबीन कर रहे थे। आज एक छोटा सा सुराग हाथ लगा और चोरी के समान की गुत्थी सुलझा चुके थे। अलबेली कान लगाकर सब सुन रही थी। खोजी शिकारियों की समीक्षा सुन वह दंग रह गयी। वहीं जब ये लोग अपने घर के पास पहुंचे और घर की बिजली गुल देखे, तभी पूरी समीक्षा पर आपरूपी सत्यापन का मोहर लग गया।
Yha Evan or Ojal ke aniyantrit power ko dikhane ki kosis ki hai jaha sanyashi shivam or Nishant ne Samjhaya ki kya fark hai bali method or siddhi method me, jaha shivam ji ne us mantra ko bhi kaat diya...
Kya Bob Jermany me milne vala hai ya Rani madhumakhi ke sath ilu ilu kr rha hai...
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