बहुत ही कामुक गरमागरम और उत्तेजना से भरपूर अपडेट हैUPDATE 156
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लेखक की जुबानी
चमनपुरा मे शाम ढलने लगी थी और सूरज की लाली अब फीकी होती मालूम पड़ रही थी ।
कभी ढलती शाम तो कभी घड़ी की टिकटिक बस किसी तरह अनुज 7 बजने के इन्तजार मे था । क्योकि दोपहर मे आज जो कुछ भी अपने मा जिस्मो से मह्सूस किया था वो बुरी तरह से बेचैन हुआ जा रहा था और मन ही मन में उसे एक ही धुन लगी हुई थी कि कब उसे अपनी मा की झलक मिल जाये ।
वो मन ही मन में कयी काल्पनिक संयोग गढ़े जा रहा था ।
क्या आज भी उसकी मा हर रोज की तरह मैक्सि मे होगी ? उसेक कसे हुए चुतड कैसे लगते होगे छूने मे ,,,,आह्ह्ह ये सोच कर अनुज का लण्ड ठुमका ।
अनुज अपने लोवर के उपर से लण्ड के तनाव को दबाता हुआ एक गहरी सास लेता हुआ मन मे - आह्ह मन तो कर रहा है कि अभी जाके मम्मी को पीछे से हग कर लु और ये लण्ड उनके गुदाज गाड़ मे फसा लू ओह्ह मम्मी उम्म्ंम
एक ओर जहा अनुज अपनी मा के लिए तडप रहा था वही उसका चचेरा और छिछोरा भाई राहुल तो अपनी मा शालिनी के कमरे मे उसकी मदद करने मे लगा था ।
दरअसल मदद तो एक बहाना था वो बस शालिनी के झुलते चुचो पर निगाहे जमाए हुए था ।
अपनी मा की कसी जवानी निहारता हुआ राहुल का लण्ड लोवर मे तम्बू बना चुका था और राहुल ने उसे बिल्कुल भी छिपाने की कोसिस नही की ।
तभी कपड़ो की आलमारी से राहुल को उसकी मा की एक छिनी सी पिंक नाइटी मिली ,,जो मुस्किल से उसके मा के चुतडो को ढक पाती ।
राहुल उसे खोल्कर अपनी मा को दिखाता हुआ - मम्मी ये आपके बचपन वाली फ्राक है क्या
राहुल की बात सुन कर शालिनी जोर से खिलखिला पडती है लेकिन अगले ही पल शर्म से लाल हो कर मुस्क्राने लगती है कि अब वो इस्का क्या ज्वाब दे ।
क्योकि कुछ साल पहले उसके पति जन्गीलाल ने उसके लिए बडे शहर से लेके आये थे लेकिन उसने बस अपने पति का दिल रखने के लिए एक बार पहना था और जब उस्का पति उसे एक रन्डी के जैसे ट्रीट किया तो उस रात गुस्से मे उसमे सेक्स भी नही किया ।
लेकिन अब तो शालिनी अपने पति की रखैल बनने मे बहुत खुश रहने लगी है ।
शालिनी अपने ख्यालो मे गुम थी कि राहुल ने एक बार पुछा और अनजाने मे ही शालिनी के मुह से निकल गया - नही बेटा वो तो तेरे पापा लाये थे मेरे लिए
राहुल चहक कर - क्या सच मे ,,लेकिन आप इसे कभी पहनते क्यू नही ?
राहुल के चहकपने पर शालिनी अपने ख्यालो से बाहर आई और उसे अपने गलती का अह्सास हुआ और वो फिर से शर्म से लाल होकर मुस्कुराने लगी ।
शालिनी - धत्त पागल वो छोटी है इसिलिए तो नही पहनती
राहुल उस नाइटी को अपने उपर साधता हुआ - देखो ना मम्मी इतना बड़ा तो है
शालिनी मे हस्ते हुए राहुल की ओर देखा और उसकी नजर तभी राहुल के लोवर मे उठे हुए तम्बू पर गयी जो उसकी नाइटी के निचले हिस्से पर भी उभरा हुआ था और हल्की हल्की सासे लेते हुए हिल रहा था
शालिनी एक पल को सकपका गयी कि राहुल का वो क्यू खड़ा है और फौरन एक नजर अपने जिस्म पर मारते हुए अपने साडी के पल्लू से पुरा जिस्म ढकने लगी ।
उसके दिल की धडकनें तेज हो गयी थी और वो जल्दी जल्दी सारे कपडे आलमारि मे रखने लगी ।
राहुल अपनी मा को गुमगुम और जल्दबाजी मे देख कर - क्या हुआ मा बताओ ना ?
शालिनी चौक कर - अह अच्छा ठिक है बाद मे कभी ,,, अभी मुझे खाना बनाना है बेटा तु इसे रख दे ।
ये बोल कर शालिनी बडी हडबडी में अपने कमरे से निकलते हुए किचन मे चली गयी और राहुल वही उस नाइटी को पकड कर खड़ा खड़ा सोचता रहा कि उसकी मा को अचानक से क्या हुआ ?
किचन मे निशा पहले से ही रात के खाने की तैयारी मे लगी हुई थी ।
वही बाहर दुकान मे बैठे हुए जंगीलाल का लण्ड फिर से तनाव मे आने लगा था क्योकि उन्होंने घन्टे भर से अपनी लाडो के मखमली चुतडो पर हाथ नही फेरा था ।
काफी समय तक राह तकने पर जब राहुल बाहर नही आया तो जन्गीलाल खुद उठकर अंदर आकर राहुल को आवाज दिया और उसे बाहर जाने का बोल कर खुद किचन मे घुस गया ।
फिर मौका देख कर निशा के चुतडो को स्कर्ट के उपर से मसल्ते हुए - आह लाडो कब से तेरे इन मुलायम चुतडो को मसलना चाह रहा था ।
शालिनी जो अभी राहुल को लेके परेशान थी कि उसे अपने पति की हरकत से चिढ़ हुई
शालिनी - ओहो आपको तो बस वही लगा रहता है,,अभी कही राहुल आ गया तो
जंगीलाल हस कर अपनी बीवी के गुस्से से लाल गालो को दुलारता हुआ - ओहो मेरी जान वो दुकान मे है ,,अगर मै मेरी लाडो को यही खडे खडे चोद दू तो भी कोई दिक्कत नही होगी क्यू बेटा
निशा चहक कर - हा पापा क्यू नही हिहिहिही
शालिनी चिढ़ते हुए - धत्त आप जाओ यहा से मुझे डर लग रहा है और अगर ज्यादा मन है तो इसे भी ले जाओ
जंगीलाल खुशी से चहका और वो इशारे से कमरे मे चलने को बोला और निशा भी खिलखिला कर उसके साथ कमरे मे चली गयी ।
वही शालिनी उन दोनो को देख कर राहुल के बारे मे सोचने लगी कि जब एक बाप अपनी बेटी के लिए ऐसे दिवाना हो सकता है तो इसमे बिल्कुल भी अजीब नही होना चाहिए कि राहुल भी मेरे प्रति आकर्षित हुआ हो । आखिर इतने सालो से मैने खुद को जिस शलिखे से रखा हुआ कि बाहर के लोग मेरी जवानी के लिए हाथ मले ,,, शायद मेरी यही आदत मे मेरे बेटे को भी इस जाल मे फास लिया हो ।
शालिनी के मन मे अभी भी उधेड़बुन चल रही थी वो कोई नतिजे तक नही आ पा रही थी - लेकिन क्या सच मे राहुल ऐसा सोच रहा होगा या बस ये मेरा भ्रम है ,,आखिर ये पहली बार ही तो हुआ है कि उसका उभरा हुआ लण्ड मैने देखा है । हो सकता हो ये बस एक सन्योग रहा हो ।
काफी जद्दो-जहद के बाद आखिर शालिनी ने तय किया कि वो राहुल पर अब निगरानी करेगी और उसे परखेगी ?
कुछ ही समय बाद ......
रात के 8 बज चुके थे और अनुज तेज कदमो से घर की ओर जा रहा था क्योकि वो तो 7 बजे की ही तैयारी मे था लेकिन ऐन मौके पर एक ग्राहक ने आकर उसके इन्तजार को और बढा दिया था ।
कुछ ही छड़ो मे अनुज अपने घर के हाल मे था ,, हाल मे पापा को बैठे देख उसके सारे जज्बात कुछ पल के लिए ठहर से गये और उसने चोर नजरो से मा को हर ओर निहारा और फिर किचन मे देखा तो वहा उसे बस सोनल दिखी ।
अनुज - पापा मा कहा है ?
रंगीलाल - वो नहा रही है बेटा,,,आज तुझे लेट क्यू हुआ ?
अनुज - वो एक ग्राहक आ गया था इसी वजह से ।
ये बोल्कर अनुज अपनी मा के कमरे के हल्के खुले दरवाजे मे अन्दर देखने की कोसिस करता है मगर कोई लाभ नही हुआ
रन्गीलाल - अच्छा जाओ फ्रेश हो लो और फिर खाना खाते है सब लोग
अनुज हा मे सर हिला कर अपनी मा के दरवाजे पर नजरे जमाये हुए सीढी से उपर अपने कमरे के लिए जाने लगता है और जल्दी से फ्रेश होकर फटाफट निचे आता है तो रागिनी किचन मे खाना लगा रही थी
अपनी मा को नहाया हुआ देख कर अनुज के आंखो की चमक बढ गयी और लण्ड ये देख कर तन गया कि उसकी मा सिर्फ पेतिकोट ब्लाऊज मे थी
उपर से एक चुन्नी भी नही
हालाकी रागिनी पहले भी कयी बार घर मे ऐसे रह चुकी है और बचपन से कई बार अनुज अपनी मा के इस रूप को देख चुका था लेकिन आज बात कुछ और थी
अनुज की निगाहे अपनी मा को एक भरे जिस्मो की औरत के रूप मे देख रही थी ,, जिसकी मोटी मोटी चुचिया बडी बेरहमी से बिना ब्रा के उस ब्लाऊज मे ठूसी हुई थी और वो नरम नरम पेट जहा आज दोपहर मे अनुज ने अपने चेहरे को मह्सुस किया था
फिर पेतिकोट का कूल्हो पर कसावट आह्ह अनुज पूरी तरह से उत्तेजना से भर गया था और लण्ड की नसे जैसे फ़ट ही जाये ।
अनुज बडी मुस्किल से अपने लण्ड के तम्बू को छिपाते हुए जल्दी से बैठ गया और अपनी मा के छातियो को निहारते हुए खाना खाने लगा ।
फिर उसने कुछ पल हाल मे बैठ कर बिताये जब तक रागिनी किचन मे उसकी ओर अपने कुल्हे किये हुए बर्तन धुल रही थी तब तक
फिर जब उसके पापा ने सोने के लिए टोका तो मन मारकर अनुज को उपर अपने कमरे मे जाना पडा ।
वही राहुल के यहा माहौल कुछ अलग था ,,, बाप अपनी बेटी और बीवी के साथ फिर से थ्रीसम की तैयारी कर रहा था तो बेटा अपनी मा को लपेटने के नुस्खे निकाल रहा था । वही मा भी अपने बेटे की हरकतों पर नजरे जमाए हुए थी और इन्सब से अलग निशा के लिए धर्म संकट खड़ी हो गयी थी कि ना वो राहुल को मना कर सकती थी ना ही अपने पापा को
तो करे तो क्या करे ?
इसी उधेड़बुन मे उसने तय किया कि आज वो पापा से थकान का बहाना बना लेगी और राहुल से चुद लेगी ।
फिर सब लोग खाने के लिए इकठ्ठा हुए एक ओर जहा बाप बेटी मे इशारेबाजी हो रही थी वही शालीनी राहुल के प्रति पूरी सजग थी ।
राहुल ने भी नोटिस किया कि उसकी मा उसे बार बार निहार रही है और आखिर उसने जब बेशरमी दिखाते हुए आखो से इशारा किया कि क्या हुआ तो शालिनी थोडी सकपका सी गयी ।
फिर खाना खतम हुआ और निशा अपने कमरे मे चली गयी । जन्गीलाल अपने कमरे मे चला गया ,,, शालिनी किचन के कुछ काम निपटा रही थी और राहुल वही उसके साथ खड़ा था ।
राहुल -क्या हुआ मा कोई बात है क्या ?
शालिनी थोडा रुक कर - नही तो !
राहुल अपनी मा के मन को छूता हुआ - कही आपको बुरा तो नही लगा ना कि मैने आपको वो नाइटी पहनने को बोला ,,, माना कि वो दिखने मे छोटी थी लेकिन मुझे लगा की आपको उसको घर मे पहनना चाहिये ,,,
शालिनी हस कर - धत नही ,,, वो बहुत छोटी है
राहुल - अरे तो रात मे पहन लिया करो आखिर रखा हुआ है तो पैसे बेकार ही हो रहे है ना
शालिनी अभी भी अपने बेटे के मनसुबे भाप नही पा रही थी क्योकि जिस सादगी से वो ज्वाब दे रहा था उससे शालिनी को जरा भी अपने बेटे पर शक नही हो रहा था क्योकि उसकी बात जायज थी कि इतना महगा नाइटी पडा हुआ है और वो पहन नही रही है ।
शालिनी ने तय किया कि क्यू ना एक बार वो ये नाइटी पहन कर अपने बेटे को दिखाये और शायद तब वो कही खुल कर अपनी बात रखे ।
राहुल - क्या हुआ मा बोलो ना
शालिनी - ओहो तु ज़िद मत कर , उसे पहनूँगी तो छोटी बच्ची लगुन्गी और फिर तू हसेगा
राहुल को अपनी मा से ऐसे जवाब की उम्मीद नही थी और अपनी मा के इस जवाब से राहुल की उत्सुकता और बढने लगी
राहुल हस कर अपनी मा के करीब होता हुआ - तो क्या हुआ इसी बहाने मै देख तो लूंगा की मेरी मम्मी बचपन मे कैसे दिखती थी ?
शालिनी का ध्यान राहुल की बातो से ज्यादा उसकी हरकतो पर था और उसने कनअखियो से फिर से राहुल के उभरे हुए तम्बू को देखा और उसके दिल की धड़कन तेज होने लगी ।
शालिनी मन मे - कही राहुल सच मे तो ,,,, नही नही मुझे यकीन नही लेकिन राज वो भी तो जवाँ और कम उम्र का है ,,और मै तो उसके साथ वो भी कर चुकी हू । हम्म्म इस सब एक ही उपाय है मुझे अब राहुल को अच्छे से परखना होगा ।
शालिनी हस कर - पागल कही का ,,,बचपन मे तो मै बिना कपड़ो के ....
ये बोल के शालिनी रुक गयी और हसने लगी । वो इस बात पर अब राहुल का रियेक्शन देखना चाह रही थी और उसके शरिर का भी
राहुल थोडा ठहरा और चुपके से अपना लण्ड मसल कर - क्या सच मे मम्मी हिहिहिही मुझे लगा बस लडके ही बिना कुछ पहने घूमते होगे
शालिनी एक कदम आगे बढते हुए - मुझे तो कभी भी ज्यादा कपडे पसंद ही नही थे ,,वो तो घर वालो की वजह से
राहुल को जैसे मौका मिल गया और वो चहकके - अरे तो अब पहनो ना मम्मी अपने मर्जी का ,,, अब तो आप अपने घर मे हो ना
शालिनी अपनी चाल पे जीत पाने पर मुस्कुराते हुए - हा फिर भी शादीशुदा औरत के लिए ये सब आसान नही है बेटा ,,, घर मे कब कौन मेहमान आ जाये ?
राहुल - अरे कोन सा रोज रोज कोई आ रहा है ,,, आप बताओ आपको क्या पहन्ना पसंद है
शालिनी हस कर - क्यू तु लाके देगा क्या हिहिहिही
राहुल - क्यू आपका बेटा आपके लिए कपडे नही ले सकता
शालिनी - अच्छा ,,लेकिन मुझे जो पहनना है वो मै तुझे नही बता सकती ना
राहुल - अरे जब आप मेरे सामने पहन सकती हो तो बताने मे क्या दिक्कत है
शालिनी हस कर - किसने बोला कि मै वो तेरे सामने पहनने वाली हू ,,,,हिहिही
राहुल का चेहरा एक ही पल मे उतर गया
शालिनी हस कर - अच्छा वो छोड तु बता तेरे हिसाब से मुझे कैसे कपडे पहनने चाहिये
राहुल के जहन मे तो अपनी मा को नंगा करने के ख्वाब ही चल रहे थे लेकिन फिर भी नैतिकता दिखाते हुए - आपको भी दीदी के जैसे मॉडर्न कपडे पहनने चाहिये ,, जैसे टॉप स्कर्ट जीन्स प्लाजो
शालिनी - हम्म्म और
राहुल हिचक कर अपनी मा के कुल्हे निहार के - और कुर्ती
लेगी
शालिनी मुस्कुरा के - हम्म्म और
राहुल थोडा हिम्मत करता हुआ - और नाइटी!!
शालिनी - हम्म्म ठिक है लेकिन इतना सब कहा से लाउन्गी
राहुल - अरे निशा दिदी का ट्राई करो ना और नाइटी तो है ही
शालिनी - तुझे लगता है निशा के कपडे मुझे होगे हिहिहिही
राहुल अपना लण्ड मसल कर निशा के टीशर्ट मे एक बार अपनी मा के कसे चुचो के उभरे हुए निप्प्ल का सोचते हुए - अरे एक बार ट्राई तो करो ना ,,, नही हुआ तो बाज़ार से ले लेंगे
शालिनी - अच्छा ठिक है बाबा बहुत हुआ क्प्डो पर बहस अब तु जा सो जा मै भी जा रही हू
ये बोल कर शालिनी मुस्कुराते हुए अपने कमरे मे चली गयी और राहुल अपनी मा के आज के व्यवहार को लेके थोडा उलझा हुआ थोडा उत्तेजित होता हुआ अपने कमरे मे चला गया ।
रात मे निशा उसके कमरे मे आई और दोनो भाई बहनो मे 2 दिनो की कसर पूरी की और सो गये ।
राज की जुबानी
कमरे का माहौल काफी रंगीन और उत्तेजक हो चुका था ।
मौसा ने टीवी चालू कर रखा था और अपने पैग का सिप लेते हुए अपने पजामे के उपर से लण्ड मसलते हुए सामने का नजारा ले रहे थे ।
सामने मौसी ने मेरे लोवर के उपर से मेरा खड़ा लण्ड सहला रही थी और मै उनके कन्धे पकड़ कर बहुत ही उत्तेजित हुआ जा रहा था । मन कर रहा था कि कब मौसी मेरा लण्ड खोल कर अपने मुह मे लेले और मेरे तपते सुपाडे को राहत मिले ।
मौसी ने मेरा टीशर्ट उपर किया और लोवर अंडरवियर को एक साथ निचे की ओर खीचा जिससे मेरा लण्ड उछल कर मौसी के मुह के पास उपर निचे होने लगा
मेरा लण्ड मोटा और तगडा हो चुका था ,,नसे फुली हुई थी और सुपाडे पर शुरुआती रसो से लिपटी हुई थी ।
मैने बडे गर्व से अपना तना हुआ लण्ड हाथ मे पकड कर मौसा की ओर देखा तो वो मुस्कुराने लगे ।
अभी मै मौसा के सामने शेखी बघार ही रहा था कि मेरे चेहरे के भाव अजीब होने लगे और शरिर मे एक झनझनाहट सी होने लगी क्योकि मौसी ने अभी अभी मेरे सुपाडे की टिप को अपनी ठंडी जीभ से छुआ था और मै पूरी तरह से गनगना गया
मौसी ने लण्ड को थाम कर सुपाडे पर अप्नी गीली जीभ फिराई और अगले ही पल मेरी आंखे बन्द हुइ और मै एड़ियो के बल उठने लगा । मेरे हाथ मौसी के सर को पकड चुके थे और उन्के मुह मे मेरा लण्ड होठो से घिसता हुआ गले मे उतर रहा था ।
ऐसे मे मुझे एक पल को फिर से मौसा का ख्याल आया और मैने कनअखियो से देखा तो वो अपना मुसल पजामे के उपर से मस्लते हुए अपने चेहरे को भीच रहे थे जैसे उनहे ये सब देख कर बहुत ही उत्तेजना उठ रही हो
मै मुस्कुराया और मौसी के सर को पकड के उनको और उत्तेजित करने के लिए उन्के मुह मे पेलने लगा ।
तभी मौसा के मुह से हल्की सी भड़ास मुझे मेरे कानो तक मिली
मौसा अपने लण्ड को मसलते हुए मुह भीच कर - हा और पेल ऐसे ही ,,,साली कुतिया है
मै मुस्कुरा और मौसी के मुह से अपना लण्ड निकाल कर उन्के बालो को पकडते मुह पर लण्ड पटकते हुए अपना सुपाडा उनके होठो पर घिसने लगा । उन्के लार से लसराया हुआ मेरा लण्ड मुह पर पुरा घूम रहा था ,,,ये सब देख कर मौसा और भी उत्तेजित हो रहे थे और अब तो उन्होने अपना गिलास वही रख दिया और खडे होकर हमारी ओर आने लगे
मै यही तो चाहता था कि मौसा भी हमारे साथ आये और हुआ भी वही
मौसा हमारे पास आते आते अपना पाजामा निकाल चुके थे और अपना मोटा काला तना हुआ मुसल हाथ मे मसलते हुए मेरे करीब आकर मौसी के बाल खीचते हूए उनका मुह अपने ओर किया
मौसी को थोडा दर्द हुआ - सीई आह्ह क्या कर र...गुउउउऊह्ह उम्म्ंम
मौसी पुरा बोल पाती उस्से पहले ही मौसा ने अपना लण्ड उनके मुह मे ठूस दिया और लण्ड को पेलते हुए बोले - चुप साली रंडी चुस इसे भी अह्ह्ह ऐसे ही उम्म्ंम्ं अह्ह्ह
मौसा आहे भरते हुए मेरी ओर देखकर हसते हुए- आह्ह साली ने मूड बना दिया ,उह्ह्ह
मै मुस्कुरा कर - हा मौसा जी ,,मौसी है ही मजेदार ओह्ह मौसी थोडा मेरा भी ख्याल करो ना
मौसा ने अपना लण्ड खिच कर - हा जानू थोडा थोडा दोनो को प्यार दो ना हिहिहिही
मौसी नजरे उपर करके मुसकराते हुए इतराई और दोनो हाथो ने हम दोनो का लण्ड थाम कर हिलाने लगी और कभी मेरा तो कभो मौसा का लण्ड मुह मे लेने लगी
इतने पर भी मौसा जी का जोश जैसे कम होने का नाम ही नही ले रहा था और उन्होने मौसी को खड़ा करके वही सोफे पर घोडी बना दिया ।
मौसी बडी मुश्किल से सोफे को पकडे हुए खुद को टिका पा रही थी और वही मौसा अपना मुसल मसलते हुए मुह से अपने उंगलियो पर लार लेके उसी हाथ से मौसी को चुत टटोलने लगे ।
फिर अपना मोटा खुन्टा लहराते हुए उनकी जांघो को खोलकर अपना लण्ड सेट करके एक जोर का धक्का मारा
मौसी - अह्ह्ह्ह्ह माअह्ह्ह्ह सीईईई आरामम्म से मेरे राआज्ज्जाआ उह्ह्ह्ह
मौसा मौसी के बाल पकड कर पीछे खिचते हुए अपना कमर च्लाने लगे और तेज तेज थपेडों से मौसी की थुलथुली गाड को लाल करने लगे
मै वही बगल मे खड़ा खड़ा अपना लण्ड मसल रहा था और मौसी रहम की भिख मागे जा रही थी
मौसी- ओह्ह्ह थोडाहहह आआअराआम्आह्ह माअह्ह्ह मारो मत उह्ह्ह्ह दर्द होहह उम्म्ंम्ं
मौसा मौसी के बालो को और तेज खिच कर सटासट पुरे जोश मे पेलते हुए - अह्ह्ह साली कुतिया क्यो मजा नही आ रहा है क्या उम्म्ंम बोल ना
मौसी दर्द से तडप कर - अह्ह्ह मजा आ रहा है लेकिन बाल छोड दे ना बहिन चोद अह्ह्ह माअह्ह
मौसा - साली रंडी बहुत बोल रही है ,,, बेटा इसके मुह मे अपना लण्ड घुसेड़ चोद साली को
मौसा की बात सुन कर मेरा चेहरा ही खिल गया और मै लपक कर सोफे पर टेक वाली जगह आ गया और अपना सुपाडा खोल कर मौसी के मुह पर लगा दिया
दो तीन झटको मे ही मौसी ने अपना मुह खोल कर मेरा लण्ड मुह मे ले लिया और वही मौसा जी ने अब उनके बाल छोड दिये थे लेकिन धक्को मे कोई कमी नही थी
वो मौसी को गले से पकड कर तेज और जोर से पेल रहे थे और हर धक्के से मौसी के मुह मे मेरा लण्ड चोक हो रहा था ।
जिसे देख कर मै और मौसा और भी उत्तेजित हो गये और मै ललचाई नजरो से मौसी की हिल्कोरे मारती भारी गाड़ को मौसा के जांघो से टकराते हुए देख रहा था
वही मौसा मौसी को गालिया बकते हुए ताबड़तोड़ चोदे जा रहे थे कि उन्की नजर मुझ पर गयी और वो मुझे देख कर मुस्करा दिये ।
फिर उन्होने अपने धक्को की गति हल्की की और इशारे मे पुछा आना है क्या ?
मै भी थोडा शर्माते हुए हा मे सर हिलाया और उन्होने फौरन जगहो की अदला बदली कर ली ।
मौसा मेरी जगह आ चुके थे और उन्होने पहले झुक कर मौसी के रसिली होठो को चुसा और मौसी खुश हो गयी और फिर अपना मुसल उन्के आगे परोस दिया
जिसे मौसी ने बडे प्यार से उनकी आंखो मे देखते हुए चुबलाने लगी वही मै मौसी के गाड़ के पाटो को फैलाते हुए अपना छेद खोजने लगा
और फिर लण्ड को सेट करते हुए सीधा मौसी की चुत मे घुस गया
मौसी - ओह्ह्ब लल्ला तेरा कितना गरम है आह्ह माह्ह
मै - आह्ह हा मौसी आपका भी अन्दर से बहुउउह्त्त अह्ह्ह गरम है
मौसा मुस्कुरा कर - अब रुका क्यू है बेटा,,, फाड़ अपनी इस चुदक्क्ड मौसी की चुत हा ऐसे ही और तेज लगा
मौसी - अह्ह्ह अह्ह्ह ओह्ह्ह उम्म्ंम बेटा ऐसे ही उह्ह्ह
मौसा - तु साली फिर से बोलने लगी ,,चल चुस इसे उम्म्म्ं आह्ह ऐसे ही हाआ
इधर मौसा मौसी का कामुक भरा कनवरजन जारी थ वही मै सटासट मौसी की चुत मे चढ़ कर पले जा रहा था
मौसी ने मौसा का लंड ग्पुच करते हुए गले मे उतारने लगी और मौसा के चेहरे के भाव पहले से ज्यादा बिगड़ने लगे कि अब झडे तब झडे
लेकिन उन्होने खुद को काबू किया और लंड मुह से बाहर खीचकर उसे मसलते हुए शराब के पैग की ओर बढ गये
मै वही हुमच हुम्च के मौसी की गाड़ थामे पेले जा रहा था
कि मौसी बोली - आह्ह बेटा थोडा रुक जा ,,,मेरे घुटने दुख रहे है
मेरी जगह अगर मौसा होते और आज वो जिस मूड मे दिख रहे थे वो तो उलटा मौसी को गाली देते हुए झड़ने तक चोदते रहते
मगर मुझे मौसी की स्थिति का अंदाजा था जिस तरह से मौसा और मैने पिछले आधे घंटे से घोडी बनाये हुए उनहे चोदे जा रहे थे ।
मैने ही धक्के धीमे करते हुए लण्ड को बाहर निकाला और वही सोफे पर बैठ गया और मौसी अपने कमर सीधी करती हुई सोफे पर लेट गयी
मै मेरे हाथ को मौसी के मोटे मोटे चुचो को मस्लते हुए मुस्कराया और धीमे से बोला - तो आपने अपने मन का करवा ही लिया
मौसी ने एक नजर मौसा की ओर देखा जो शराब का पैग बनाने मे व्यस्त थे और फिर मुस्कुरा कर बोली - अभी कहा ,,अभी तो मुझे दोनो लण्ड एक साथ चाहिये ,,,, मुझे लगा तु पीछे डालेगा
मै मुस्कुरा कर उनकी चुचिया मसल्ते हुए - हाय मेरी चुद्क्क्ड मौसी ,,, रुक अभी तेरी गाड़ भी फाडता हू अह्ह्ह
मौसी अपने निप्प्ल की मरोड से चिहुकी जिसको मौसा ने सुन लिया और अपना पैग खतम करते हुए बोले - ओहो बेटा तुने इसे आराम करने क्यू दिया ,,,
मौसा हस कर - रंडीया कभी आराम करती है क्या उम्म्ं
ये बोलते हुए मौसा फिर से मौसी की टांग को खिंच कर अपना लण्ड सेट करते हुए सीधा उनकी चुत मे उतर गये और पेलना शुरु कर दिया
इस बार मौसा का लण्ड और भी गहराई मे जा रहा था जिस्से मौसी की आंखे फटी जा रही थी
मै भी एक बार फिर से जोश मे आने लगा और सोफे पर घुटने के बल आकर अपना लण्ड मौसी ने मुह पर रगड़ने लगा
लेकिन मौसी सिसकिया लेते हुए चुदे जा रही थी और उन्होने मेरा लण्ड पकड लिया
बाकी का काम मौसा के तेज करारे ध्क्के कर रहे थे और मेरा लण्ड मौसी की हथेली मे खुद रगड़ खा रहा था
कुछ ही देर बाद मौसा ने जगह की अदला बदली की बात कही तो मौसी ने एक बार इशारा किया और मै समझ गया
फिर मैने मौसी को सोफे पर ही करवट करते हुए थुक लगा कर लण्ड को उनकी गाड़ के सुराख पर लगाया और स्टाक से एक करारा ध्क्का लगाते हुए पुरा लण्ड एक ही झटके मे मौसी के गाड़ मे पेल दिया
मौसी के आन्खे और मुह दोनो खुल गये
मौसी - अह्ह्ह माआह्ह्ह ओह्ह्ह आअराआम्ं ना लल्लाआ ओह्ह्ह
मौसा हस्ते हुए - हाह्हा लग रहा है बेटा तुने अपनी मौसी के पिछले दरवाजे पर दस्तक कर दी हाह्हा
मै थोडा शर्म से मुस्कुराया और बिना देर किये एक और करारा ध्क्का लगाया
मौसी - ओह्ह बेटा बहुत मोटा है उम्म्ं धीरे धीरे कर आह्ह माह्ह उम्म्ं सीई
मौसी अपने गाड़ के सुराख को दर्द से कसे जा रही थी और मै हल्के हल्के धक्के तेज किये जा रहा था
मौसी लगातार मुह खोले हुए आहे भर रही थी कि तभी मौसा ने उनके उपर आकर
अपना लण्ड सीधा मौसी के खुले मुह डालते हुए बैठ गए और लण्ड उन्के गले तक भर गया
मौसी ने हाथ बढा कर मौसा के लण्ड को थामा और उसे सुरकना शुरु कर दिया
इधर मै तेज और करारे धक्के लगाये जा रहा था
मौसा - हा बेटा और घुसा आह्ह ऐसे ही हम्म्म और पेल अपनी मौसी को ,,,,सच मे तेरे साथ आज तो मजा ही आ गया
मै मौसी के जान्घे दबाए हुए तेजी से सट सट उनकी गाड़ चोदे जा रहा था और मौसी अपने मुह मे मौसा का लण्ड लिये जा रही थी ।
इसी दौरान मुझे मौसी की बात का ध्यान आया और फिर मैने मौसा को देख कर बोला - मौसा जी आप भी आओ ना
मौसा - हा बेटा रुक ,,, बहुत बहुत समय से इसकी गाड़ मे अपना लण्ड नही डाला हू
मौसा अपना लण्ड मौसी के मुह से खीचते हुए बोले औ उतर कर निचे आ गये
फिर मै सोफे पर बैठ गया और मौसी मौका पाते ही - अह्ह्ह मेरी चुत मे भी खुजली हो रही है जी ,,,इसका भी कुछ करो ना
मौसा जी का दिमाग ठनका और वो मुस्करा कर - बेटा कुछ समय के लिए अपनी मौसी का वजन सम्भाल लेगा
मै समझ गया कि मौसा का क्या इरादा है
मै हा मे सहमती दिखाई तो मौसी भी मुस्कराती हुई मेरे पास आई और मेरा लण्ड पकडते हुए उसे अपने चुत पर सेट करते हुए मेरी जाघो पर बैठ गयी
मै समझ गया कि मौसी ने अपना जुगाड कर लिया है इधर मौसा ने पीछे खडे होकर अपना लण्ड सेट करते हुए मौसी की गाड़ मे धकेलने लगे
मौसी - ओह्ह्ह्जी आराम से दोनो का लण्ड बहुत मोटा है अह्ह्ह माअह्ह्ह धीरेहह उह्ह्ह मम्मम्ंं
मौसा को भी लण्ड घुसाने मे सम्स्या हो रही थी तो मैने हल्का हल्का अपनी जगह पर उछलना शुरु किया ताकी चुत और गाड़ के बीच सुराखो मे थोडी जगह बन पाये और मौसा का लण्ड घुस जाये
ये तरीका काम कर गया क्योकि ये मैने और पापा ने कयी बार आजमाया था मम्मी पर
और अगले ही पल जैसे ही मौसा को मौका मिला वो हचाक से एक ही बार मे पुरा लण्ड मौसी के गाड़ मे घुसेड़ दिये
मौसी दर्द से सिसकी और मुझे भी थोडा वजन मह्सूस हुआ ।
मौसी - आह्ह मेरे राजह्ह आज कितने दिनो बाद दो लण्ड नसीब हुए है उम्म्ं अब रुके क्यू हो चोदो ना मुझे दोनो अहहह
मै मौसी के नरम चुचे अपने होठो से चुबलाते हुए - आह्ह मौसी आपकी बुर तो कस रही है
मौसा - हा बेटा ऐसा ही होता है अब तु भी हल्का हल्का चोद कोसिस कर आह्ह जैसे मै चोद रहा हू
मौसी - क्या हल्का हल्का लगा रखा है ,,अब तक कोई रहम नही दिखाया जब मुझे मजा आ रहा है तो साले अपने बारे मे सोच रहा है चोद कस के अह्ह्ह बहिनचोद पेल ना जैसे अपनी बहिन की गाड़ मारी थी अह्ह्ज माह्ह ऐसे ही उह्ह्ह हा और कस के उह्ह्ह ऊहह
मै मौसी की बाते सुन कर जोश मे आ गया और निचे से कमर उछालता हुआ चोदने लगा
मौसा - आह्ह साली रंडी तो तुझे दो लण्ड की चसक चढ़ी है हा माधरचोद कुतिया ,,,अब जब तक राज रहेगा हमेशा तुझे ऐसे ही चोदून्वा ले साली और लेह्ह्ह अह्ह्ह
मै - हा लेकिन मौसा जी मै तो एक दो दिन मे चला जाऊंगा ना अह्ह्ह फिर
मौसी - कोई बात नही ,,अब तो मै खुद मेरे बेटे से खुलेआम चुदवाने वाली हू ,,,अगर इस बहिनचोद का मन होगा तो साथ आयेगा
मौसा मौसी की गाड़ मे लण्ड घुसेड़ते हुए - आऊंगा क्यू नही अब तो मै भी मेरे बेटे के साथ मिल कर तेरी ऐसी गाड़ माउन्गा कि चल नही पायेगी साली लेहहह अह्ह्ह तू सच मे बहुत चुदक्क्ड है बहिनचोद
मै हस कर - क्या मौसा आप तो मेरी मम्मी को गाली दे रहे हो
मौसा हस कर - माफ करना बेटा आह्ह ये तेरी मौसी ही मुझे उकसा देती है आह चोद इसे और कस के पेल अह्ह्ह
मै - ओह्ह मौसा मेरा अब आने वाला है रहा नही जायेगा
मौसा कस कस के धक्के लगाते हुए - हा बेटा मै भी आऊंगा
मौसी - आह्ह कोई अण्डर नही झ्देगा ,,,मुझे सारा पानी चाहिये उठो जल्दी
मौसा फटाक से उठे और मौसी भी मेरे उपर से उतरी और घुटने के बल आ गयी और मै भी झटके से खड़ा होकर अपना लण्ड मौसी के मुह पर हिलाने लगा
मेरी एडिया उठने लगी और तेजी से सुपाड़े से पिचकारि निकाली - आह्ह मौसी लोह्ह्ह उह्ह्ह्ह
वही मौसा जी ने भी पिचकारी छोड़ी - लेह्ह रज्जो अह्ह्ह मेरी जान्न उह्ह्ह तुने तो मजा ही ला दिया अह्ह्ह ले हह
मौसी ने एक एक करके दोनो का लण्ड चुबला कर उसे साफ किया और दोनो हाथो से हमारे लण्ड सहलाने लगी
हमारे रस अभी भी उनके चेहरे पर चमक रहे थे ।
फिर हम दोनो भी हसते हुए सोफे पर बैठ गये और मौसी खुद को साफ करने लगी ।
जारी रहेगी