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Fantasy देवत्व - एक संघर्ष गाथा

jaggi57

Abhinav
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Yagnesh ka manav se danav banne ka safar padh kr aisa lga jaise kisi ne unke parivar ko kisi sadyantra ke tahat yah sare kritya kiye ho, Pahle dada ji ko mara fir mata ji ka pita ji ka nidhan Ho gya anjaan bimari ke chalte or last me to bahan ka bhi nidhan ho gya us bimari se, jis kisi ne bhi vo jiv bali se devta prasann karne vali jankari di Uspr ankh mund kr bharosha Karna bhi yha ayogyta sabit karta hai sath hi jb yah itne bade pad pr baitha Apne dada ji or apne pita ji ko dekha to kya Kabhi unhone ye jankari na di ki jiv bali or nar bali me kya antar hai or isko karte Samay kya kya savdhaniya rakhni chahiye ya nakaratmak shakti ke bare me thoda sa bhi gyan nhi tha inko jo kisi pratisthit ki bato me aa gye...


Update Jabardast hai Bhai sandar Damdar... Superb

आपका बहुत-बहुत धन्यवाद भाई शानदार जानदार और जबरदस्त रिव्यु के लिए 🙏💐💐
आपने सही कहा याग्नेश का पूरा परिवार एक बहुत बड़े षड्यंत्र का शिकार हुआ है और षड्यंत्र करने वाला भी ऐसा था जो उनके बहुत नीकट था, जिसने याग्नेश और उसके पिता को कुछ समझने लायक नहीं रखा । इसके बारे में आगे कहानी मे पता चलेगा और रही बात याग्निक की बहन की अभी उसकी मृत्यु के बारे में अभी तक मैने वर्णन नही किया है ।
सुप्रभात् प्रसन्न रहिए और स्वस्थ रहिए , धन्यवाद 🙏💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐
 

jaggi57

Abhinav
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Yagnesh ko divya purush ne ek antim chetavni di or samjhane ka prayatn kiya or sochne samajhne ka kaha pr Yagnesh ke anuyaiyo ki maut dekh kr Vo pagal ho gya or man hi man ek ghatak sankalp le liya, Dekhte hai kya tha vo sankalp...

Sulekha Jo vikram singh ki beti hai use Thik karne ke liye vikram singh ne apni jaan de di pr vignesh ne unse jhuth bola or uski beti ko hi Apne fayde ke liye yha le aaya...

Sulekha ko jb pta chla ki uske papa mar chuke hai or unhe vignesh ne chhal se mara hai to usne krodh se use dekha or uske dekhne se vignesh ko jhatke lagne lage, Lagta hai is Sulekha me jarur koi divya shakti hogi...

Jb Sulekha ki bali nhi chdha paya to kisi dusri ladki ko pakad kr us kali madi ke samne le gya or uske kapde faad dale, Dekhte hai kya hota hai aage...

Superb update bhai sandar jabarjast lajvab amazing with awesome writing skills bhai
आपका बहुत-बहुत धन्यवाद भाई आपके इस रोचक शानदार जानदार और जबरदस्त रिव्यु के लिए।

जब व्यक्ति गलत रास्ते पर चलना शुरू कर देता है तो किसी के भी लाख समझाने पर भी वह समझता नहीं वह अपने ही लिए गए निर्णय को सर्वथा उचित समझता है यहां याग्नेश के साथ भी यही हो रहा है। आपने सही कहा सुलेखा में कई दिव्य शक्तियां नीहित है , वह इस कहानी की मुख्य पात्र है ,
बस ऐसे ही साथ बनाए रखें एक बार फिर आपका हृदय से धन्यवाद । 🙏🙏💐💐💐
 

jaggi57

Abhinav
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अध्याय - 4

परंतु अब याग्नेश कोई मानव नहीं दरिंदा बन गया था। उसने उस कन्या के सारे वस्त्र बड़ी निर्दयता पूर्वक फाड़ दिए और उसे पूरा निर्वस्त्र कर दिया उस कन्या ने एक हाथ से अपने स्तन और दूसरे हाथ से अपनी योनि को ढक कर अपनी लाज बचाने का प्रयास किया , परंतु याग्नेश के इरादे कुछ और थे ।

अब आगे--------


याग्नेश ने अपनी मजबूत बांहों से उस कन्या को उठाकर वहां बड़े क्रिस्टल के ऊपर लोहे के एक बड़े से हुक में उल्टा लटका दिया ।

लोहे के उस पैने हुक के शरीर मे धसते ही, वह कन्या छटपटाने लगी जोर जोर से चीखने लगी ,

याग्नेश ने उसकी गर्दन को पकडकर स्थिर कि फिर उसकी आंखों में देखकर कुछ बुबुदबुदाया न जाने कोई मंत्र शक्ति थी या कोई सम्मोहन , वह कन्या एकदम स्थिर हो गई।

याग्नेश ने अब वहां पड़ा एक बड़ा सा खंजर उठाया उस क्रिस्टल के आगे घुटनों पर बैठकर उसने उस खंजर को अपने पति से लगाया और कुछ मंत्र पढ़े और वह खंजर लेकर खड़ा हो गया।

बाएं हाथ के उसने उस कन्या के बाल पकड़े और दाहिने हाथ से अभिमंत्रित किया हुआ खंजर उसने उस कन्या की गर्दन पर चला दिया, धीरे-धीरे गर्दन काटता हुआ वह कुछ मंत्र बुदबुदाने लगा ।

उस कन्या की गर्दन से रिस्ता हुआ लाल रक्त काले बड़े क्रिस्टल पर गिरने लगा , अब गर्दन उसके धड़ से अलग हो चुकी थी ,

उसके सिर कटे हुए धड़ से तेज रक्त प्रवाह उस क्रिस्टल को भिगो रहे थे जैसे-जैसे रक्त उस क्रिस्टल पर पड रहा था वह क्रिस्टल एक बैंगनी रंग के प्रकाश से जगमगाने लगा ।
याग्नेश थोड़ी देर उस क्रिस्टल के आगे 1 आसन पर बैठकर कुछ मंत्र पढ़ने लगा , जब उसने देखा कि उस कन्या का सारा रक्त उस क्रिस्टल पर गिर चुका है तो वो खंजर लेकर एक बार फिर खड़ा हुआ ।

वहां आश्चर्य की एक बात और हुई कि उस कन्या के शरीर से इतना इतना रक्त बहा कि वहां चारों तरफ रक्त होना चाहिए था, परंतु वहां उस कन्या के रक्त की एक भी बूंद नजर नहीं आ रही थी । सारा रक्त वह क्रिस्टल अपने भीतर सोख चुका था।

याग्नेश एक बार फिर खड़ा हुआ उसने वह खंजर उस कन्या के धड़ के पेड़ से लेकर सीने तक चलाया और पूरा चीर डाला, उसने उस कन्या की सारी पेट की आंतडियां बाहर निकाल ली फिर उन आंतडियों का हार बना कर उसने उस क्रिस्टल को पहना दिया ।

उसके बाद उसने उस कन्या के सीने में हाथ घुसा कर उसका ह्रदय भी बाहर निकाला और उस हृदय को अपने हाथों से निचोड़ कर उसमें बचा कुचा रक्त भी उसने उस क्रिस्टल पर चढ़ा दिया ऐसा करते ही उस क्रिस्टल का बैंगनी प्रकाश और ज्यादा बढ़ गया और एक अजीब सी आवाज वहां गूंजने लगी जिसको यदि कोई और सुन ले तो उसकी रीढ़ की हड्डी तक सिरहन दौड़ जाए परंतु उस आवाज को सूनकर याग्नेश की प्रसन्नता का कोई ठीकाना न था ,
यह आवाज थी अंधेरे के राजा शैतान इब्लीस की ।

याग्नेश -- ए मेरे मालिक , अंधेरों के राजा परम शक्तिशाली इब्लीस मेरा आपको कोटि-कोटि नमन, आज आपको इतने वर्षों बाद अपने समक्ष पाकर मैं धन्य हो गया ।

इब्लीस -- कहो मुझे क्यों याद किया।

याग्नेश -- ए मेरे आका , इतने वर्षों से मैंने लगातार आप की आराधना की है , मैंने अपने भीतर की मानवता को मार कर हर वह काम किया है जो आपको प्रिय हो , परंतु अभी मैं आपकी शक्तियों से दूर हूं ।
एक अदना सा देवदूत भी मुझे आकर धमका कर चला जाता है और मैं कुछ नहीं कर पाता हूं, ऐसा क्यों ??

आखिर क्या कमी रह गई मेरी आराधना में, आज मेरे शत्रु प्रबल है, वह मेरी गुफा को और मेरी पूजा स्थल को तहस-नहस करके चले गए , मेरे अनुयायियों को निर्ममता पूर्वक मौत के घाट उतार दिया और मैं विवश शक्तिहीन उनका कुछ भी बिगाड़ने में असमर्थ हूं , कृपया मेरी सहायता करें मेरे मालिक ।

इब्लीस -- इसका कारण भी तुम ही हो याग्नेश। तुम अब तक दो नावों पर सवारी करते आए हो जो कभी भी मंजिल तक नहीं पहुंचा सकती। एक और तो तुम देवताओं की भी शक्ति प्राप्त करना चाहते हो और दूसरी ओर मेरी काली शक्तियां भी ।

तुम्हें यह ज्ञात होना चाहिए अंधेरा और उजाला कभी एक साथ नहीं रह सकता , तुमने सफेद क्रिस्टल में मेरी शक्तियों से भरपूर काले क्रिस्टल को मिलाने का प्रयत्न किया जिसके फलस्वरूप मेरा वह काला क्रिस्टल भी शक्तिहीन हो गया यदि तुम मेरी काली शक्तियां प्राप्त करना चाहते हो तो तुम्हें मेरे प्रति संपूर्ण समर्पण करना होगा अपनी आत्मा मुझे समर्पित करनी होगी।

याग्नेश -- क्षमा करें मेरे मालिक क्षमा करें , मैंने विचार किया था कि यदि देवताओं की शक्ति और आपकी काली शक्तियां दोनों मुझे प्राप्त हो जाए तो मैं इस संसार कर सर्वशक्तिमान बन जाऊंगा इसी विचार से मैं इतने वर्षों तक यह गलतियां करता रहा।

इब्लीस - देवताओं की शक्तियां भी तुम प्राप्त कर सकते हो उसके लिए अभी समय है । उससे पहले तुम्हे मेरी काली शक्तियां अपने भीतर समानी होगी , जब तुम पूर्णतया मेरी शक्तिया प्राप्त कर लोगे तब देवताओ की शक्तियां प्राप्त करने का मार्ग भी तुम्हे प्राप्त हो जाएगा । तूम्हे यह याद रखना होगा एक समय पर एक ही रास्ते पर चलकर अपनी मंजिल तक पहुंचा जा सकता है।

याग्नेश -- मेरे पुर्व के सारे अपराध क्षमा करें मेरे मालिक अब मैं अपने आप को और अपनी आत्मा को , आप के सुपुर्द करता हूं , इसे स्वीकार करें।।

इतना कहकर याग्नेश ने खंजर उठाया और अपने सीने पर जहां दिल होता है ठीक उसी जगह प्रहार किया उसके ह्रदय में वो खंजर घुस गया और बहने लगी लाल रक्त की एक धारा
अपनी असहनीय पीड़ा को सहते हुए, ह्रदय में खंजर धसा होने के बावजूद भी , याग्नेश ने अपनी पूरी शक्ति एकत्रित करके आपने अंजलि में हृदय से बहते हुए रक्त को लिया और उस काले क्रिस्टल पर चढ़ा दिया, इसी के साथ याग्नेश का शरीर एक और लुढ़क गया।

जैसे ही याग्नेश का शरीर एक और लुढ़क गया उसी समय काले क्रिस्टल से एक बैंगनी रंग का प्रकाश याग्नेश के शरीर में प्रवेश करने लगा और आश्चर्यजनक रूप से देखते ही देखते उसके ह्रदय में धंसा हुआ खंजर अपने आप बाहर निकल आया। उसके घाव भरने लगे उसका शरीर पहले से और ज्यादा ताकतवर और सुदृढ़ बनने लगा । धीरे धीरे याग्नेश की आंखें खोल दी उसकी आंखों का रंग अब बिल्कुल काला हो गया था ।

बाहर गुफा के ऊपर घने बादलों की गर्जना और बिजली कड़कने की भयंकर आवाज से वातावरण और भी भयावह हो गया था वन के पशु सभी न जाने सभी ना जाने किस अनिष्ट की आशंका से शोर मचा रहे थे और वहां तहखाने के भीतर याग्नेश अब पूरी तरह होश में आ गया था ।

अब वह पहले वाला याग्नेश नहीं रहा था , इब्लीस ने उसे पृथ्वी पर मौजूद सभी काली शक्तियों का स्वामी बना दिया था अब उसकी आत्मा इब्लीस से जुड़ चुकी थी , याग्नेश ने अपने दोनों हाथ जोड़े और अपना सिर नीचे करके उस क्रिस्टल के आगे बैठ गया।

इब्लीस -- पुत्र अब तुम मेरा अंश बन चुके हो तुम्हारे भीतर अब वह असीम शक्ति समा गई है , जिसका संसार में कोई भी सामना नहीं कर सकता। परंतु ध्यान रहे तुम्हें केवल खतरा उसी से है जो तुम्हारा ही कोई अंश होगा और उसने अच्छाई और बुराई दोनों शक्तियों का संतुलन बना लिया हो।

कितना कहकर इब्लीस वहां से चला गया। इब्लीस के जाने के बाद याग्नेश इब्लीस के अंतिम शब्दों पर गौर करने लगा कि उसका ही कोई अंश उसके लिए खतरा बन सकता है।

उसका अंश यानी उसका पुत्र जिसको उसकी आंखों के सामने नगर वालों ने उसके सारे परिवार के साथ जलाकर राख कर दिया था ।

याग्नेश ने सिर झटक कर इन सब विचारों को छोड़ा , अब उसका प्रथम कार्य था प्रतिशोध अपने भीतर प्रलय को समेटे हुए याग्नेश तहखाने से बाहर निकला और अपने घोड़े पर बैठकर अपनी मंजिल की ओर चल पड़ा।
बिजली की सी तेज गति से याग्नेश अपने घोड़े को दौड़ाते हुए नगर के बाहरी दीवार तक पहुंच गया उसने अपना घोड़ा वही एक पेड़ से बांध दिया नगर की ऊंची दीवार को एक ही छलांग में पार करके नगर के भीतर प्रवेश कर गया, वह अब नगर के खुले चौक में पहुंचे।

अंधेरा अभी भी बहुत घना था, इस समय रात के कोई 3 बज रहे होंगे , चौक और गलियां पूरी तरह सुनसान थी घनी अंधेरी काली और सर्द रात्रि में सभी अपने अपने घरों में आराम से सोए हुए थे याग्नेश आराम से चौक से होते हुए नगर के मध्य स्थित मुख्य आश्रम जहां कभी वह आचार्य था के द्वार तक पहुंचा।

याग्नेश ने आश्रम के द्वार को देखा तो उसे बड़ा आश्चर्य हुआ के द्वार पर कोई भी रक्षक नहीं था । अपनी शक्तियों का प्रयोग करके उसने द्वार के भीतर देखा तो वहां भी आश्रम का कोई भी योद्धा या सैनिक नहीं था।

उसने विचार किया कि यदि यहां के नए आचार्य और उनके योद्धाओं ने उसकी गुफा में तबाही मचाई है , तो उन्हें अंदेशा होना चाहिए के याग्नेश यहां पर प्रतिशोध लेने जरूर आएगा , फिर भी उसे रोकने के लिए इस समय यहां आश्रम के योद्धाओं की सेना उसे रोकने के नही थी ।

फिर उसके मन में दूसरा विचार भी आया के हो सकता है उसे फंसाने के लिए यह कोई जाल हो सभी विचारों को झटक ते हुए वह आश्रम के बंद द्वार की ओर बढ़ा उसके नेत्रों से निकलती हुई बैंगनी किरणों ने आश्रम के विशाल द्वार को पल भर में ध्वस्त कर दिया द्वार टूटने की आवाज इतनी ज्यादा थी के आश्रम में सोए हुए लगभग सभी अनुयाई और कर्मचारी जाग गए थे।

आश्रम के योद्धा किसी अनहोनी की आशंका से तुरंत अपने कक्षो से निकलकर द्वार की तरफ दौड़े , उन्हें वहां याग्नेश आश्रम के भीतर आता हुआ नजर आया । लंबे काले वस्त्रों , सर्द चेहरा और बैंगनी प्रकाश से चमकते ही उसकी आंखें कुल मिलाकर वह आज कोई मौत का दूत नजर आ रहा था ।

आश्रम के योद्धा उसे देख कर पंक्ति बद्ध तरीके से उसके आगे खड़े हो गए। उन्हें अपना रास्ता रोके देख कर याग्नेश का क्रोध और बढ़ गया।।

याग्नेश -- हट जाओ मेरे रास्ते से , वरना तुम सब के सब मारे जाओगे , आज मेरे और तुम्हारे आचार्य के बीच जो भी आएगा वह बहुत बुरी तरह मारा जाएगा, यदी अपने प्राण बचाना चाहते हो तो आखरी बार कह रहा हुं हट जाओ।।

योद्धाओं का प्रमुख -- हम तुम्हें किसी भी कीमत पर भीतर नहीं जाने दे सकते आप हमारे लिए आदरणीय हो इसलिए अभी तक हमने आप पर कोई अस्त्र-शस्त्र नहीं उठाया परंतु जब हमारे आचार्य की रक्षा की बारी आएगी तब हम आप पर भी वार करने से नहीं चुकेंगे , इसलिए कहते हैं कृपया यहां से चले जाइए।।

याग्नेश -- तो तुम सब ऐसे नहीं मानोगे , अब अपनी मृत्यु के लिए सब तैयार हो जाओ , आज मुझे कोई भी नहीं रोक सकता ।
इतना कहकर याग्नेश ने अपने हाथ को उन योद्धाओं की तरफ कर दिए , जिस से निकलती हुई बैंगनी किरणों ने किसी पाश की तरह उन सारे योद्धाओं को एक साथ बांध दिया , उसने उन सब को समाप्त करने के लिए अपनी तलवार निकाली ही थी कि वहां एक गंभीर आवाज उभरी जो यहां के मौजूद आचार्य विजयानंद की थी , जो किसी समय याग्नेश का प्रिय शिष्य हुआ करता था।।

आज के लिए इतना ही , अगला प्रकरण बहुत जल्द ही प्रकाशित होगा ।
आप सभी पाठकों का बहुत-बहुत धन्यवाद 🙏🙏 ऐसे ही अपना साथ बनाए रखें और अपने सुझाव और प्रतिक्रिया देते रहें ।स्वस्थ रहे खुश रहे ।।


आपका अपना मित्र -- अभिनव🔥
 

sunoanuj

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Bahut hee jabardast update …
 

Napster

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बहुत ही सुंदर अद्भुत रमणिय और रोमांचक अपडेट है भाई मजा आ गया
अगले रोमांचकारी और धमाकेदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
 

jaggi57

Abhinav
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बहुत ही सुंदर अद्भुत रमणिय और रोमांचक अपडेट है भाई मजा आ गया
अगले रोमांचकारी और धमाकेदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
बहुत-बहुत धन्यवाद मित्र आपके इस शानदार सहयोग के लिए, बस ऐसे ही साथ बनाए रखें । सुप्रभात आपका दिन मंगलमय हो 🙏💐💐💐
 
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