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Fantasy Aryamani:- A Pure Alfa Between Two World's

nain11ster

Prime
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arish8299

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भाग:–55





पलक रात 8.45 तक वापस खुशबू बिखेरती हुयि इधर से उधर छम-छम करके घूमने लगी। अब शादी की रशमे 9 बजे से शुरू होनी थी इसलिए पलक अपनी बहन के कमरे में दाखिल हो गयि। नम्रता आराम से बैठकर आइने में खुद को देख रही थी, थोड़ी मायूस लग रही थी शायद.…. पलक पीछे से उसके गले लगती…. "ऐसे मायूस क्यों?"..


नम्रता:- कल से बहुत कुछ बदल जायेगा। मेरी पहचान और मेरा काम बदल जायेगा।


पलक:- भावना तो नहीं बदलेगी ना। मेरे लिए वहीं काफी है।


नम्रता:- 5 साल पहले जो 2 बहन थी पलक और नम्रता वो शायद आज ना हो। और शायद जो रिश्ता आज है वो 5 साल बाद ना होगा। परिवर्तन ही नियम है।


पलक:- हम्मम ! किसी से प्यार करती थी क्या?


नम्रता:- नहीं ऐसा कोई नहीं था, और जो था वो प्यार के काबिल नहीं था। मै तो आइने में बस अपने जीवन दर्शन को देख रही थी और सोच रही थी क्या इस जन्म में कुछ हासिल भी कर पाऊंगी।


"पागल, शादी के दिन ऐसा नहीं सोचते है। कुछ हासिल करने के लिए बस कर्म किए जाओ, माहौल बनता जायेगा, और तब तुम उस पल को भी मेहसूस करोगी जब तुम कहोगी की हां मैंने कर्म पथ पर चलकर ये मुकाम हासिल किया। जैसे कि आज।"…. भूमि अपनी उपस्थिति जाहिर करती हुई कहने लगी...


पलक, हसरत भरी नजरो से भूमि को देखती… "जैसे कि आज क्या दीदी।"..


भूमि:- जैसे कि हमे कोपचे वाले पथ पर चलकर होने वाले का चुम्मा मिला करता था। पलक ने मेहनत कि, कर्म किया और सबके बीच होंठ पर चुम्मी पायि।



नम्रता:- हीहीहीहीही… बेचारा आर्यमणि, लगता है शर्माकर भाग गया ।


पलक:- शर्माकर नहीं भगा है, एडवांस बता देती हूं, तैयार हो जाओ "फील द प्राउड मोमेंट" के लिए।


नम्रता और भूमि दोनो उत्सुकता से…. "ऐसा क्या करने वाला है। कहीं कोई बेवकूफी या उस से भी बढ़कर कोई पागलपन।"..


पलक:- नहीं दीदी वो कोई बेवकूफी नहीं करने गया है, बल्कि ऐसा काम करने गया है जिसे जानकर आप कहेंगी… "ये तो कमाल कर दिया आर्य।"..


नम्रता:- क्या बैंक में डाका डालकर सारा माल हमारे पास लायेगा।


पलक नहीं उससे भी बढ़कर… "वो अनंत कीर्ति की पुस्तक खोलने गया है।"..


नम्रता और भूमि दोनो साथ में चौंकते हुये…. "ये कैसे होगा। बाबा के गैर मौजूदगी में बुक तक कोई पहुंच नहीं सकता। उसे खोलना तो दूर कि बात है। एक मिनट तुमने कहा कि वो खोलने गया है। इस वक़्त आर्य कहां है?


पलक:- नागपुर के लिए उड़ चुका है।


भूमि:- दोघेही वेडे आहेत (दोनो पागल है)


नम्रता:- पलक इतना बड़ा फैसला तुम दोनों अकेले कैसे ले सकते हो।


पलक:- जब काम अच्छे भावना से कि जाती है तो उसमें रिस्क भी लेना पड़े तो कोई गम नहीं। हमे आज रात तक का वक़्त दो, कल सुबह तुम सब का होगा।


भूमि:- ना मै इसमें हूं और ना ही मुझे कुछ पता है। कल सुबह तक मै रुक जाती हूं, फिर तुम सुकेश और उज्जवल भारद्वाज को जवाब देती रहना।


नम्रता:- मेरी प्रार्थना है, तुम दोनो कामयाब हो। जब तुमने इतना बड़ा रिस्क ले ही लिया है तो हौसले से आगे बढ़ो। भूमि देसाई, ऐसे मुंह नहीं मोड़ सकती।


भूमि:- ठीक है बाबा समझ गई। भावना अच्छी है और हमे सामने से बता रही हो इसलिए अगर वो फेल भी होता है तो मै मैनेज कर लूंगी।


पलक दोनो के गले लगती… "आप दोनो बेस्ट है।"..


भूमि:- बेस्ट रात तो नम्रता की होने वाली है, इसे बेस्ट ऑफ लक तो बोल दो। पूरे मज़े करना और कोई जल्दबाजी नहीं।


पलक:- बेस्ट ऑफ लक दीदी अपना अनुभव साझा करना, मुझे भी कुछ सीखने मिलेगा।


भूमि:- क्यों तेरे पास मोबाइल नहीं है क्या?"..


भूमि की बात सुनकर तीनों ही हंसने लगी। कुछ देर बाद वही पुराना फिल्मी डायलॉग सुनने को मिला… "दुल्हन को ले आइये, मुहरत का समय बिता जा रहा है।"


विधिवत दोनो शादी रात 10.30 तक संपन्न हो गयि। गेस्ट के साथ बातचीत और खाते पीते हुये रात के 12 बज गये थे। दोनो ही नव दंपत्ति के मन में लड्डू फुट रहे थे। अलग-अलग जगहों के 2 लग्जरियस स्वीट इनके सुहागरात के लिए अलग से सजाकर रखी गयि थी। जिसके सुहाग की सेज उनके आने का इंतजार कर रही थी।


पलक और भूमि, नम्रता को छोड़ने उसके स्वीट तक गये। नम्रता को वहां बिस्तर पर आराम से बिठाकर कुछ देर की बातें हुई। फिर सभी सखी सहेलियां और बहनों ने धक्का देकर माणिक को अंदर भेज दिया। माणिक जब अंदर जा रहा था तब पीछे से भूमि कहने लगी… "माणिक शिकायत नहीं आनी चाहिए मेरी उत्तराधिकारी की।"


दोनो बेचारे शर्मा गये और तेजी से दरवाजा बंद कर लिया। भूमि और पलक के साथ कयि लड़कियां वहां से निकलकर आ रही थी। किनारे से एक जगह पर रिश्तेदारों की भीड़ लगी थी। भूमि और पलक भी उस ओर भिड़ को देखकर चल दी। जैसे ही पलक ने सामने का नजारा देखा उसका दिमाग चक्कर खा गया।


2 कदम पीछे हटकर उसने स्वीटी के ऊपर का बोर्ड देखा… "हैप्पी वेडिंग नाईट.. राजदीप एंड मुक्ता" और अंदर के सेज पर तो कोई और ही खेल खेलकर चला गया था। बिखरे बिस्तर, बिस्तर पर मसले फुल, चादर में पड़ी सिलवटें। कोनो पर सजे फूल की टूटी लड़ी, और बिस्तर पर ताजा वीर्य के धब्बे। जो मज़ा सुहाग की सेज पर भईया और भाभी को लेना था, वहां छोटी बहन और उसका ब्वॉयफ्रैंड मज़ा लूटकर बिखरे सेज को भईया और भाभी के लिए गिफ्ट कर दिया। पलक का दिमाग शॉक्ड। वो दबे पाऊं पीछे आयी और आकर आर्यमणि को कॉल लगाने लगी। 10 मिनट तक ट्राय करती रही लेकिन कोई नेटवर्क ही नहीं मिल रहा था।


पलक:- भूमि दीदी आर्यमणि को कॉल लगाओ, वो पहुंचा की नहीं।


भूमि:- कल तो इन नेटवर्क कंपनी वालो को डंडा कर दूंगी। अभी यहां के मैनेजर को कॉल लगा रही हूं, नेटवर्क ही नहीं मिल रहा। बेचारे दोनो (राजदीप और मुक्ता), जिसने भी ये किया है, अच्छा नहीं किया। खैर दूसरे स्वीट का इंतजाम कर दिया है।


तभी वहां एक छोटी उम्र का प्रहरी पहुंचा और चिढ़कर भूमि से कहने लगा… "दीदी किसने ये रिजॉर्ट बुक किया है। इन रिजॉर्ट वालो ने यहां सिग्नल जैमर लगा रखा था। मै 2 घंटे से परेशान हूं।"


भूमि:- क्या हुआ महा, सब ठीक तो है ना।


माही:- दीदी आज 8 से 10 के बीच बाबा का हर्निया ऑपरेशन था। आई से कॉन्टैक्ट करने की कोशिश कर रहा हूं, लेकिन ये साले सिग्नल जैमर लगाये बैठे है।


ये सुनकर तो पलक का दिमाग पूरी तरह से घूम गया। अपने बाबा को वो अकेले में ले जाकर पूरी बात बताने लगी। उज्जवल भारद्वाज ने सुकेश भारद्वाज से कुछ बात की। उसने तुरंत अपना नेटवर्क चेक किया। ये लोग रिजॉर्ट के रिसेप्शन पर जा ही रहे थे कि सभी का नेटवर्क आ गया। सुकेश अपने कदम रोककर सरदार खान को कॉल लगाने लगा, लेकिन वहां का भी कॉल नहीं लगा।


भूमि को बुलाकर नागपुर में रुके प्रहरी से कॉन्टैक्ट करने कहा गया, लेकिन एक भी प्रहरी ने कोई जवाब नहीं दिया। फिर उज्जवल और सुकेश ने अपने-अपने कॉन्टैक्ट के जरिये शहर के विभिन्न इलाकों की जानकारी ली। जब पूरी जानकारी आ गयि तब उन लोगो ने 4-5 लोगो को सरदार खान के इलाके में भेजा... उधर से जो जवाब मिला, उसे सुनकर पहले सुकेश झटके खाकर गिर गया, और जब उज्जवल ने सुना तो उसे भी सदमा सा लगा।


केशव, जया और भूमि तीनों दूर से बैठकर सबके चेहरे देख रहे थे।… इसी बीच पलक को बीच में बुलाया गया, उसे एक जोरदार थप्पड़ भी पड़ी… "आव बेचारी, इसका तो गाल लाल हो गया। चलो पैकिंग करने.. लगता है अभी ही सब नागपुर लौटेंगे।"


नाशिक एयरपोर्ट वक़्त लगभग 8 बजने वाले थे। आर्यमणि कार से उतरकर पलक के होटों को चूमा… "हे स्वीटहर्ट, लगता है तूफान आने वाला है, हम दोनों इस तूफान का मज़ा लेंगे। मेरा वादा है, आज की रात तुम्हारे जीवन की सबसे यादगार रात होगी।"…


पलक को हाथ हिलाकर अलविदा कहते आर्यमणि बढ़ चला। आखों में चस्मा लगाये विश्वास के साथ चलने लगा। चौड़ी छाती, चेहरे पर विजय की कुटिल मुस्कान और चलने में वो अंदाज की लोग पीछे मुड़कर देखने पर विवश हो जाए।


जैसे ही थोड़ी दूर वो आगे बढ़ा, 2 लोग उसे रिसीव करके छोटे रनवे के ओर ले गए, जहां एक छोटा प्राइवेट जेट पहले से उसके आने की प्रतीक्षा कर रहा था। इसके पूर्व ही ढलते सांझ के साथ रूही अपनी टीम के साथ काम शुरू कर चुकी थी।


किले के अंदर जश्न जैसा माहौल। बस्ती का लगभग 500 मीटर का दायरा। चारो ओर से घिरी हुई बस्ती, बस्ती के बिचो-बीच लंबा चौड़ा एक चौपाल। कितने वेयरवुल्फ थे उस 500 मीटर के किले में थे वो तो किसी को पता नहीं। लेकिन किले के बिचबिच बने चौपाल में थे 200 आदमखोर जंगली कुत्ते, 180 कुरुर वेयरवुल्फ, 5 अल्फा और उन सबका बाप था एक बीस्ट वुल्फ।


पूर्णिमा यानी वेयरवुल्फ के लिये वरदान। आम दिनो से 10 गुना ज्यादा आक्रमकता। आम दिनों के मुकाबले 50 गुना ज्यादा ताकत मेहसूस करना। और आम दिनों की अपेक्षा जीत को निश्चित सुनिश्चित करना। ये थी पूर्णिमा कि रात एक वेयरवुल्फ का परिचय। फिर तो जितने वेयरवुल्फ साथ होंगे उनकी ताकत भी उसी मल्टीपल में बढ़ती है। किले के चौपाल से 6.30 बजे शाम की पहली वुल्फ साउंड। बहुत ही खतरनाक और दिल दहला देने वाला था वो। सभी प्रहरी एक साथ इतनी वुल्फ साउंड कभी नहीं सुने थे। उन्हें लग चुका था कि वो इनका मुकाबला नहीं कर सकते।


इधर रूही.... बॉयज एंड गर्ल्स हैव ए फन। और इवान तुम जारा अलबेली को बीच–बीच में शांत करवाते रहना। पूर्णिमा है और ये खुले में, कहीं भाग ना जाय..


इवान:- ये तो हथकड़ी में है मेरे साथ, चिंता नक्को रे।


रूही:- बेटा ओजल अपने 10 शिकारी मेहमान को जरा यहां तक ले आओ। कहना शहर खतरे में है और उनके बीच केवल हम ही उनकी उम्मीद है। इसलिए एक दूसरे पर भरोसा करने का वक़्त आ गया है। वरना पूर्णिमा है और 185 वेयरवुल्फ के साथ एक बीस्ट अल्फा शहर को बर्बाद कर देगा।


ओजल निकल गयी शिकारियों के पास, जो इतने सारे वुल्फ साउंड सुनकर घबराए थे और मदद के लिए कॉल तो लगा रहे थे लेकिन किसी की भी लाइन कनेक्ट नहीं हो रही थी। नाशिक का सिग्नल जैमर, जिसे आर्यमणि ने बरी ही सफाई से चारो ओर फिट करवाया था। लगभग 8 किलोमीटर के रेंज वाले 3 सिग्नल जैमर लगे थे। सभी जैमर को ओपन करने का वक़्त था रात के 12 बजकर 15 मिनट के बाद कभी भी।


ठीक वैसा ही सिग्नल जैमर सरदार खान के इलाके में भी लगा था। कुछ सरकारी कर्मचारियों की मदद से 8 किलोमीटर के क्षेत्र में जैमर को लगा दिया गया था। सिग्नल सरदार खान के किले का भी जाम हो चुका था जिसे खोलने का समय अगले आदेश तक। बेचारे शिकारी मदद के लिए फोन मिलाते रहे, लेकिन फोन मिला नहीं।


शिकारियों के पास तुरंत ही संदेश लेकर ओजल पहुंची। घबराए तो थे, ही इसलिए अब अपनी गाड़ी पर सवार होकर तुरंत उसके पीछे चल दिये। इधर चढ़ते चांद को देखकर रूही का दिल डोलने लगा। 12 लैपटॉप पहले से ऑन थे। कई सारे उड़न तस्तरी अर्थात ड्रोन तैयार थे जिनकी मदद गुलाल बरसाना था.. माउंटेन एश का गुलाल लिये सभी ड्रोन तैयार थे।


ये माउंटेन एश एक तरह का लक्ष्मण रेखा होता है जिसे कोई वेयरवुल्फ पार नहीं कर सकता। शिकारियों का झुंड वहां पहुंच चुका था। आर्यमणि के पैक को देखकर सुनिश्चित करने लगे… "तुमलोग आर्यमणि के पैक हो क्या?"..


रूही:- बातों का वक़्त नहीं है अभी शिकारी जी। कंप्यूटर कमांड दीजिए और ये ड्रोन पूरे इलाके में माउंटेन एश बरसा देगा। फिर आगे क्या करना है वो तो आप समझ ही गये होंगे।


शिकारी:- पहली बार एक वेयरवुल्फ को माउटेन एश का प्रयोग करते देख रहा हूं।


सभी शिकारी के साथ-साथ ओजल और रूही भी लग गई कंप्यूटर पर। तेजी के साथ ड्रोन 600 मीटर का दायरा कवर किया। बाजार के ओर से माउंटेन एश को उड़ेलते हुए सभी ड्रोन आगे बढ़ रहे थे। लगभग 15 मिनट में ही माउंटेन एश की गुलाल चारो ओर बिखरी पड़ी थी। एक शिकारी आगे बढकर रूही से कहने लगा… "तुम्हारा काम खत्म हो गया है। अब तुम लोग यहां से जा सकते हो।"..


"ऐसे कैसे हम यहां से चले जाए शिकारी जी, ये तो हमारे शिकार है और हमारी रणनीति। आप लोग इस पूर्णिमा की शाम का आनंद उठाइये और प्रहरी समुदाय से कहियेगा, उनका काम अल्फा पैक ने कर दिया।".. रूही उस शिकारी के करीब आकर कहने लगी जो अपना हाथ अभी-अभी चाबुक पर रखा था।
Dono hi update mast the
Bas aryamani ka action
Dekhne ke intjar me hai
Kaun si baat sunkar sabko sock laga
Ye janna hai
 

nain11ster

Prime
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Nainu Bhaiya me apki puri baat se sehamt hoon jo kuch bhi kaha aapne ...... but jahan tak mene naina ji ke reviews dekhe hai padhe hai to mujhe to ye lagta tha ki wo sirf apko tease krne ke liye kar rahi thi .... aur unki influence ability to gajab ki hai hi aap bhi jaante ho kyu ki us story me ek jagah to unhone mujhe bhi kuch had tak apsyu ke oppose karne pr majboor kr diya tha jahan apsyu nischal ki tej daudhne wali power cheen leta hai .... to meko yahi lagta hai ki wo sirf apko pareshaan karne ka ek tarika tha aur .....Fan bhai bhi influence huye lekin naina ji ki peeche ki shararat nhi samjh paaye .... esa meko lagta hai
I don't think so....

Anubhav kewal ek story ke ek section ke ek part ki main baat nahi kar raha. Kya wakai aisa hota to mujhe nahi lagta ki mujhe likhne ki bhi jaroorat thi...

Santulan sabse jyada jaroori hai.... How could a writer creat an situation... Jab reader kisi story ke tough situation ko padhta hai... Ho sakta hai kidar jise aap padhte aa rahe, pasand karte aa rahe uske sath kuch bura hota hai ya fir usi ko bura dikha dete hai... Kisi ko bhi apne Priya kirdar se pyar hoga aur uske mann me sawal ke sath sath ye bhi ander se khyal aayega ki yaar mere iss kirdar ko chhod do please.... Lekin aisa hota nahi...

So readers retaliate karte hain... Accepted.. ek part tak retaliate karna jayaj hai... Ya fir poori kahani me jo ghatna update 30 me ghati uske liye continue aap kahani finish hone tak bilkul sabhi kirdaron ko gali de rahe... Apshabd kah rahe... Infect kuch terms ke liye jahan zero tolerance tha... Aap uss guru aur aashram tak ko gali de rahe... Tab ye kaisa tease karna ho gaya.... This is wrong... Aur koi aapka kitna priya kyon na ho... Jahan wo galat hai wo galat hai....

Fir aap uss reader ke mentality ko samajhne ke liye dusre story par kiye gaye comment ko bhi dekhte hain ye samjhne ke liye ki kya wakai ye reader kisi kirdar ke prati itna emotions rakhte hai... Aap jab isse track karte hain tab pata chalta hai ki no.... Aisa nahi tha ki ye reader kewal ek charecter ko pakad kar poori kahani padhti hai... Balki poori kahani ke har charecters ko enjoy karti hai... Fir ek story ke sath aisa bhed bhav kyon... "Bhanvar" was my first story aur Naina ne Sachi ko lekar jo poori story par kiya wah galat tha.... Wo story ke ek section tak karti to chalta... Ye kya poori story ke sabhi charecters ko aap abhadr kahte hi rah gaye.... Fir ruke hi nahi... Ye galat tha...

The same happen with "ishq risk" reload... Kahani ke ek hisse ko lekar aap writer ko kahani hi nahi likhne de rahe the.... Sirf ek kirdar ko center me lakar... Ye galat tha... Aur jo galat hai wo galat hai...

Ek aham baat jo sabse jyada jaroori hai samjhna... Main Naina ya fir 11 ster fan ko kabhi galat nahi kah raha... Na hi as a reader wo galat hain... Bus mera galat kahna uss ek chij ko hai jo wo ek kirdar ko center me rakh kar poore kirdaron ko galat kah dena ... Poori story ka focus bus ek point ko center kar dena.. ye galat hai.... Somehow I miss Naina ji... Kyonki mujhe unse iss baat ka jawab bhi lena tha why... But unfortunately she got banned and not returned with other I'd ... Nahi to ye kahani shuru karne se pahle issi thread par ek lamba sawal jawab chalta... Aur main jawab talab karta...
 

Anubhavp14

न कंचित् शाश्वतम्
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मंगलवार की सुबह थी। सुबह-सुबह ही राजदीप का फोन आर्यमणि के मोबाइल पर बजने लगा। आर्यमणि फोन पिकअप करते… "सुबह-सुबह मेरी याद कैसे आ गयि भईया। आपको तो अभी किसी और के साथ व्यस्त होना था।"..


राजदीप:- बाकी सबसे तो बात होते रहेगी, लेकिन मै तुम्हे मेरी शादी के लिये खास आमन्त्रित करता हूं। बारात में रंग तुम्हे ही जमाना है।


आर्यमणि:- इसके लिये पहले ही पलक वार्निग दे चुकी है भईया। बोली मेरे राजदीप दादा और दीदी के लगन में तुमने रंग ना जमाया तो हम कोर्ट मैरिज करेंगे, भुल जाना कोई धूम–धाम वाली शादी होगी।


राजदीप:- हाहाहाहा… ज्यादा बातें नहीं करती वो मुझसे लेकिन बहुत चाहती है मुझे। अच्छा मेरा एक छोटा सा काम करोगे।


आर्यमणि:- कहिए ना भईया।


राजदीप:- पलक से साथ मुंबई चले जाओ वहां पर सबके डिज़ाइनर कपड़े बने हुए है उसे लेकर आना है।


आर्यमणि:- एक काम कीजिये आप डिटेल सेंड कर दीजिए मै वहां चला जाता हूं। घर में अभी बहुत से काम होंगे, पलक का वहां होना जरूरी है।


राजदीप:- वो बात नहीं है, दरसअल पलक तुम्हारे लिये वहां से कुछ अपनी पसंद का खरीदना चाहती है। वो तुमसे थोड़ी झिझक रही है बात करने में, और यहां मुंह फुलाए बैठी है, कि सबके लिए आया आर्य के लिए क्यों नहीं?


आर्यमणि:- बच्चो जैसी जिद है। मुझे अच्छा नहीं लगेगा यूं ऐसे अभी कुछ लेना। सॉरी भईया मै वो कपड़े तो ले आऊंगा लेकिन अपने लिये कुछ लेना, मेरा दिल गवारा नहीं कर रहा।


"फोन स्पीकर पर ही है, और तू अपने दिल, जिगर, गुर्दे, कलेजे को अंदर डाल। ये मै कह रही हूं। जैसा राजदीप ने कहा है वो कर। कुछ कहना है क्या तुम्हे इसपर?"…… "नहीं कुछ नहीं आंटी। मैं जाता हूं।"


अक्षरा:- जाता हूं नहीं। यहां आ पलक को ले, और फिर दोनो एयरपोर्ट जाओ। आज तुम दोनों का काम सिर्फ मुंबई घूमना और कपड़े लेना है। आराम से शाम तक शॉपिंग करके सीधा नाशिक पहुंचना। और सुन.. नहीं छोड़ तू यहीं आ फिर बात करती हूं।


कुछ वक़्त बाद आर्यमणि, पलक के घर पर था। दोनो के मुंबई निकलने से पहले अक्षरा, पलक को शख्त हिदायत देकर भेजी, आर्य के पास कम से कम गले और हाथ में पहनने के लिए डायमंड और प्लैटिनम की ज्वेलरी तो होनी ही चाहिए। आर्यमणि गुस्से में चिढ़ते हुए कहता भी निकला..… "बप्पी लहरी ही बना दो।"…. (माफ कीजिएगा यह तब का लिखा था जब बप्पी दा इस दुनिया में थे। उनको भावनापूर्ण श्रद्धांजलि। ॐ शांति !!) उसकी बात सुनकर सब हंसने लगे। जैसे ही कार में बैठकर दोनो कुछ दूर आगे निकले, अपनी सुबह को दुरुस्त करते एक दूसरे के होंठ को बड़ी बेकरारी में चूमे और एयरपोर्ट के लिये निकल गये।
Update ki starting gumhraha karne wali hai agar last tak na read kare to fir yahi samjh ayega ki ek dulha apni choti behan ki zid ke karan uske boy friend ko apni shadi me speically invite kar raha hai jab ki baat isse bhot alag hai ......sayad jo plan secret body ne kara hai usi ko execute karne ke liye aarya ko bahar bheja gaya tha palak ke saath ....ab isme palak shaamil hai ya nhi ye nhi pata .....aur jab bhi baat palak ki aati hai ek bada sa question mark dikhne lagta hai ..... kyu ki is character ne apne itne shade dikha diye hai ki agar ye ache shade me bhi hai to hum jo part ko enjoy kar sakte hai uska bhi enjoy nhi kar paa rahe hai aur dimaag ke ek side ye ciz lagaataar bani reh rahi hai ki palak ne ye kara to iske piche motive kya hoga ... Ek question hai mera Satpura ke jungle me jo kuch bhi hua usme palak ki bhi utni hi bhaagidaari thi jitni ki secret body ki to fir jab saja ki baari ayegi to palak bhi saja ki utni haqdaar hai jitne ki baaki sabhi .....to kya use uski saja milegi kyu ki usme log maar gaye the wo bhi bewajha ...... kyu ki ek taraf to lag raha hai ki palak aur aarya ab ek ho gaye hai aur ab jo palak kar rahi hai kahi na khi aarya ke plan ka hi hissa hai .... lekin isse hum wo incident to nhi bhul sakte jahan palak ne jaan kr galat ka saath diya....
aur me jahan tak nainu bhaiya ko jaanta hu insaaf to wo apne har character ko dilwate hai ....... ab dekhna hai ki palak agar waha galat thi to fir usko saja kya milti hai ....kyu ki humne ek Unclassified Viggo Sigma ko bhi saja paate dekha hai


जैसे ही पलक ट्रायल रूम में घुसी, आर्य तेजी के साथ उसी ट्रायल रूम में घुसा और पलक को झटके से दीवार से चिपकाकर उसके गर्दन पर अपने होंठ लगाकर चूमने लगा। पलक भी आर्य के बदन को स्मूच करती उसके चेहरे को ऊपर लेकर आयि और होंठ से होंठ लगाकर किस्स करने लगे।


पलक मिडी ड्रेस पहनकर निकली थी। कूल और स्टाइलिश सिंगल ड्रेस जो नीचे घुटनों तक आती थी। आर्यमणि अपने हाथ नीचे ले जाकर, घुटनों तक लंबे ड्रेस को कमर के ऊपर चढ़ा दिया और पैंटी को किनारे करके योनि के साथ खेलने लगा.….. "आह्हहहहहहह, उफ्फफफ, आह्हहहहहहहह"


पलक पूरा मुंह खोलकर मादक सिसकारियां लेने लगी। आर्यमणि भी उसकी उत्तेजना बढाते, गर्दन पर लव बाइट देते, अपनी उंगली योनि के अंदर डालकर पलक के बदन में भूचाल मचा रहा था। पलक उत्तेजना मे पूरा मुंह खोलकर मादक सिसकारी लेती हुई, अपने हाथ नीचे ले जाकर आर्यमणि के पैंट का जीप खोल दी। लिंग को बाहर निकालकर अपने हाथ से उसे आगे-पीछे करके पूरा तैयार करती, अपने योनि के ऊपर घिसने लगी।


पलक ये उत्तेजना संभाल नहीं पायि और अपने दोनो पाऊं आर्यमणि के कमर मे डालकर उसके गोद में चढ़ गई। आर्यमणि अपनें बांह में उसका पूरा बदन जकर कर अपने ऊपर लिटा दिया और होंठ को पूरे मदहोशी से चूसने लगा। पलक भी उतनी ही मदहोश। अपने हाथ नीचे ले जाकर लिंग के सुपाड़े को अपने योनि के अंदर घुसाई और कमर को हल्का नीचे के ओर धक्का दी... "आह्हहहह.. आह्हहह ……. आह्हहहहहहह.. आर्य.. आह्हह.. और तेज… हां.. हिहिहिही... हां.. हां.. उफ्फफफ.. मज़ा आ गया आर्य.. ईशशशशशश.. धीमे नहीं आर्य.. पूरे जोश से.. यसससस... आह्हहहह"….


उफ्फ क्या मादक एहसास था। दोनो एक दूसरे के होंठ चूमते लगातार धक्के लगा रहे थे। बिल्कुल रोमांचित करने वाला एहसास था। थोड़ी देर में दोनो फारिग होकर श्वांस सामान्य करने लगे। सामान्य होकर दोनो की नजर एक दूसरे पर गयि और दोनो एक दूसरे को देखकर हसने लगे। पलक ने आर्यमणि का चेहरा अपने दोनो हाथ में थामकर उसे पूरा चूमा… "आर्य अब फुर्ती दिखाओ।"..
lagta hai roohi ke saath prangat haasil ki thi ab wo puri kaam aa rahi hai bade chalu ho nainu bhaiya trainning zaaya nhi hone di :winknudge::derisive:
lekin is mamle dhoka to palak ke saath hua kyu ki kyu ki aarya ne to isse pehle hi kisi aur ke saath intimate realtion banaye hai
#justiceforpalak :what2:

धीरेन स्वामी जो प्रहरी में ताकत की लालच से आया था, वो बहुत सी बातों से अनभिज्ञ अपनी पूर्ण योजना में लगभग सफल हो चुका था। जहां एक ओर उसने अतीत में हुये अपने साथ धोके का बदला ले लिया था, और 22 में से 20 मेंबर के खिलाफ उसने पूरे सबूत जुटा लिये थे। उन्हे पूर्ण रूप से बहिष्कार तथा महाराष्ट्र से बाहर निकालने की तैयारी चल रही थी। वहीं दूसरी ओर आज रात भारद्वाज के घर चोरी के बाद, वह भारद्वाज को भी बाहर का रास्ता दिखाने वाला था।


वहीं दूसरे ओर सरदार खान अपने लगभग 180 कूरूर समर्थक और 6 अल्फा के साथ पूर्ण चांद निकलने का इंतजार कर रहा था। इस बार वह भी आर्यमणि की ताकत को खुद से कहीं ज्यादा आंककर तैयारी कर रहा था, इस बात से अनजान की उसके मालिकों (प्रहरी सीक्रेट बॉडी) ने अभी उसकी किस्मत लिख डाली थी बस फने खान को उसके अंजाम तक पहुंचाना था।


इस शादी में प्रहरी के सिक्रेट बॉडी के सभी लोग मौजूद थे जिनके बारे में बहुत कम ही लोगों को पता था। हर सीक्रेट बॉडी प्रहरी अपने कुछ करीबी प्रहरी को भी साथ रखते थे, ताकि उनका मकसद पूरा होते रहे, बिना किसी परेशानी के। शाम ढलते ही चांद दिख जाता। पूर्णिमा की देर रात सबसे पहली लाश रूही और उसके बाद अलबेली की गिड़नी थी। अलबेली के बाद उन 20 शिकारी का नंबर आता, जिसे भूमि ने सरदार खान और उसकी बस्ती पर, 20 अलग-अलग पोजीशन से नजर रखने बोली थी। इन प्रहरी का शिकार करने के बाद चिन्हित किये 200 आम लोग को 50 अलग-अलग सोसायटी में हैवानियत के साथ मारा जाता। पुलिस और प्रशासन को भरमाने के लिए इन सारी घटनाओं को अलग-अलग इलाकों में जंगली जानवर का प्रकोप दिखाया जाता। इसके लिए दूर जंगल से जंगली कुत्ते लाये गये थे और उन्हें इंसान के मांस का भक्षण करवाया जा रहा था।


इंसानी मांस एक एडिक्ट मांस होता है। यदि किसी मांसाहारी को इंसानी मांस और उसका खून मुंह में लग जाए, फिर वो कई दिनों तक भूखा रह लेगा, लेकिन खायेगा इंसानी मांस ही। इसका बेहतरीन उधारहण शेर है, जिसे एक बार इंसानी मांस और खून की लत लग जाए फिर वो कुछ और खाता ही नहीं। एक पूर्ण कैलकुलेट योजना जिसके अंजाम देने के बाद सरदार खान अपने कुछ साथियों के साथ गायब हो जाता। जैसा की सरदार खान को सीक्रेट बॉडी द्वारा करने कहा गया था। वहीं दूसरी ओर सीक्रेट बॉडी की आंतरिक योजना कुछ और ही थी। पूरे एक्शन के बाद सरदार खान और उसके साथियों को किले में मार देना, जिसके लिये उन्होंने फने खान को तैयार किया था। उसके बाद जब प्रहरी समुदाय सरदार खान पर एक्शन लेती तब सरदार खान को उसके साथियों समेत किले में मारने का श्रेय पलक को जाता। प्रहरी के इस एक्शन से पलक रातों रात वह ऊंचाई हासिल कर लेती जिसके लिए भूमि को न जाने कितने वर्ष लग गये।


ये सभी योजना सीक्रेट बॉडी द्वारा बनाई गयि थी, जिसके मुख्य सदस्यों में उज्जवल और सुकेश भारद्वाज थे, जो शायद सीक्रेट बॉडी के मुखिया भी थे। इनके ऊपर तो भूमि और जया को काफी सालों पहले शक हो चुका था, लेकिन दोनो में से कोई भी यह पता करने में असफल रही की आखिर ये सीक्रेट बॉडी प्रहरी इंसान ही है या कुछ और? नागपुर की घटना को अंजाम देने के बाद प्रहरी की सिक्रेट बॉडी कितने तरह के फैसले लेता, वो भी तय हो चुका था।…


1) नागपुर नरसंहार में सरदार खान का नाम बाहर आने के बाद उसे खत्म कर दिया जाना था। इसके लिये उसके बेटे और करीबी माना जाने वाले फने खान को तैयार किया गया था।


सरदार खान जब अपनी टीम के साथ भागने के लिये वापस किला आता, तो उसे एक पार्टी मे उलझाया जाता। जहां उस एक वेटनरी डॉक्टर द्वारा नया तैयार किया गया कैनिन मॉडिफाइड वायरस खाने में मिलाकर खिला दिया जाता। कैनिन वायरस कुत्तों में पाया जाना वाला एक वायरस होता है, जिसके मॉडिफाइड फॉर्म को एक वुल्फ पर ट्राय किया गया। परिणाम यह हुआ कि नाक और मुंह से काला खून निकलता। वो अपना शेप शिफ्ट नहीं कर पाता। सरदार खान को खाने में वही वायरस खिलाकर उसके इंसानी शरीर को फने खान अपने हाथो से फाड़कर, सरदार खान और उसके साथियों को लापता घोषित कर देता।


2) रात में नाशिक से लौटा हुआ आर्यमणि सीधा किताब के पास जाता इसलिए उसके किताब खुलने से पढ़ने तक आर्यमणि पर कड़ी नजर रखी जानी थी। फिर वो गार्ड जैसे ही संदेश भेजते की यहां हम सब भी किताब पढ़ सकते है। ये सूचना मिलते ही आर्यमणि के पास एक खबर पहुंचती जिसमे रूही और अलबेली सरदार खान के किले मे फंसी हुई नजर आती। गुस्से में बस आर्यमणि को किले में पहुंचना था फिर उसके जोश को दर्द भरी सिसकी में तब्दील करने कि पूरी व्यवस्था सरदार खान कर चुका था। जिसका पहला चरण भूमि के घर से देखने मिलता।


गुस्से में इंसान का दिमाग काम नहीं करता और इसी बात का फायदा उठाकर मंजे हुए स्निपर पहले आर्यमणि को ट्राकुलाइज से इतनी बेहोसी की दावा देते जिस से वह केवल गुस्से में सरदार खान के किले में केवल घुस पता। बाकी आगे की कहानी लिखने के लिए सरदार खान वहां इंतजार कर ही रहा था। कोई चूक न हो इसलिए भूमि के घर से लेकर सरदार खान के किले तक जगह–जगह पर 50 स्निपर को तैनात किया जाना था। आर्यमणि को कार से बाहर लाने और उसे एक स्थान पर रोकने के लिए रास्ते में 500 लोग अलग–अलग जगहों पर योजनाबद्ध तरीके से रखे गये थे। कहीं को बच्चा अचानक से गाड़ी के सामने आता तो कहीं रास्ते में पियक्कड़ झगड़ा करते हुये कार को रोकते।


3) एक सोची समझी योजना जिसमे अभी–अभी रिटायर हुई भूमि को पद छोड़ने से पहले जिम्मेदार लोगो की बहाल ना कर पाने के जुर्म में उसे और उसके तमाम बचे प्रहरी को 10 साल की सजा सुनाई जाती, और उन्हे महाराष्ट्र से निकाल दिया जाता।


4) अन्य इलाके जहां बीस्ट अल्फा है, जैसे की मुंबई, कोल्हापुर, पुणे, नाशिक इत्यादि जगह। वहां पूर्णिमा के रात ही इनकी चल रही पार्टी के दौरान बीस्ट अल्फा को मॉडिफाइड कानिन वायरस सेवन करवाया जाता और उसकी शक्ति को किसी और में स्थानांतरित किया जाता। जब प्रहरी वहां पहुंचते तब पता चलता सरदार खान की तरह यहां के बीस्ट अल्फा भी मारे गये है। जिसे प्रहरी का वन नाइट स्पेशल प्रोग्राम घोषित कर दिया जाता जहां सभी बीस्ट अल्फा को समाप्त कर प्रहरी नए सदस्यों के सामने अपनी नई छवि स्थापित करती।


5) जिसे बिलकुल भी नहीं जिंदा छोड़ा जा सकता था, आर्यमणि, उसके लिये विशेष शिकारियों का भी इंतजाम किया गया था। थर्ड लाइन सुपीरियर सीक्रेट शिकारी, सीक्रेट बॉडी के द्वारा तैयार किया हुआ खतरनाक शिकारियों का समूह।


एक बात तो इस योजना से साफ थी। सीक्रेट प्रहरी बॉडी जान बूझकर अच्छा और बुरा खेमा बनाये रखते थे, जहां प्रहरी सदस्य आपसे में भिड़ते रहे और एक दूसरे के खिलाफ साजिश रचते रहे। जिसे प्रहरी सीक्रेट बॉडी को कोई मतलब नहीं था। बस मकसद सिर्फ उन्हे आपस में उलझाए रखना था, ताकि कोई भी इनके ओर ध्यान न दे।
:yikes: itni sajishe
Lagta hai pichle kuch updates me sajishe dikhai nhi uska pura quota yahi pura kar rahe ho ....
Dhiren swami jab pehli bar story me entry kari thi aur jis tarha se dikhaya gaya tha lag rha tha ki one of the villians me se ye bhi ek hai lekin jese jese story aage badhi phir ye ek mamooli gunda type lagne laga aur hansh aur amrit jese log jeb katre .....
lekin mene bola tha ki ye lambi race ka ghoda lag raha hai aur chahat iski bhi sukesh jesi hi hai bus iski najar me nhi hai bhot si cize to dekhna ye hai ki qyamat ki raat iske liye kya bankar aati hai.....

Yojna to bhot achi hai no doubt lekin full proof nhi keh sakte kyu ki kitne hi snipers rakh le
aarya ko bhanak lagne ki der hai uski speed hi kaafi hai inke liye fir........ haa sayad inhe aarya ki speed ke baare me nhi pata hoga to aur agar sardar khan ne nhi bataya ho to....
 
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