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Fantasy Aryamani:- A Pure Alfa Between Two World's

nain11ster

Prime
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Xabhi

"Injoy Everything In Limits"
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आज अपडेट न देने का खेद है... कल चढ़ते दिन के साथ रात की गहराई तक अपडेट मिलते रहेंगे...
Update kitni bhi time se aaye pr mere Padhne ka time to dim ke 12 se suru hota hai...
 

Anubhavp14

न कंचित् शाश्वतम्
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शुक्ला, महाजन और पाठक ये तीनों परिवार भी वैधायन के साथ शुरू से जुड़े थे। भारद्वाज खानदान के उलट इनका जब वंश आगे बढ़ा तो उनके वंश का हर सदस्य तरक्की की ऊंचाई पर था। लगभग 6 पीढ़ियों का इतिहास तो सबका है, जिसमें इन तीनों की बढ़ती पीढ़ी इतनी विस्तार कर गई की इनका पूरे प्रहरी समुदाय पर लगभग कब्जा था।


हां लेकिन एक बात जो सत्य थी। जबतक सुकेश भारद्वाज सत्ता में था तब भी इनकी नहीं चली। जब उज्जवल भारद्वाज सत्ता में रहा तब इनकी नहीं चली और जब भूमि भारद्वाज थी पहले, बाद मे देसाई बनी, वो जब अस्तित्व मे आयी तब इनकी जड़ें खोद डाली। और आज पलक ने तो अविश्वसनिय काम कर दिया था। प्रहरी के 40 में से 30 हाई टेबल इन्हीं परिवारों के पास थी और पलक ने उनमें से 22 टेबल एक मीटिंग में खाली करवा दी।


शुरू से इन तीनों परिवार, शुक्ल, महाजन और पाठक, के कुछ लोग लॉबी करते थे। अंदरुनी साजिश और प्रहरी समुदाय में भारद्वाज का दबदबा समाप्त करने की इनकी कोशिश लंबे समय से जारी थी। इन्हीं के पूर्वजों कि कोशिश की वजह से कभी भारद्वाज खानदान विकसित होकर अपना वंश वृक्ष मजबूती से आगे नहीं बढ़ा पाया।


इन्हीं लोगों के कोशिशों का नतीजा था कि भारद्वाज के साथ उनके करीबियों को भी समय समय पर लपेट लिया जाता था, जिसकी एक कड़ी वर्धराज़ कुलकर्णी भी थे। जबसे इन लोगों को पता चला था कि कुलकर्णी खानदान का एक लड़का काफी क्षमतावान है जिसका प्रारंभिक जीवन अपने दादा की गोद में, उसके ज्ञान तले बढ़ा, तब से इन लोगों का मुख्य निशाना आर्यमणि ही था।
Jesa ki meko lag raha tha aur mene apne pichle review me bhi kaha ho na ho yahi log the aarya ke dada ke saath jo kuch bhi hua uske peeche aur hua bhi wohi aur inko isi baat ka dar hai ki kahi aarya ke dada ne wo ciz na bata di ho jinka usko dar hai aur to aur kahi aarya ko na pata chal jaye ki uske dada ke saath jo hua uske peeche ye log hai isiliye ye log itna mehnat kr rahe hai aarya ko raaste se hatane ki jo ki abhi tak to vifal hi huyi hai........
हंस:- मेरा ससुर (भाऊ, देवगिरी पाठक) पागल हो गया है वो तो इन भारद्वाज के तलवे ही चाटेगा।


आरती:- कास बाबा इस लीग का हिस्सा होते जो भारद्वाज को गिरता देखना चाहते है और पुरा प्रहरी समुदाय अपने नाम करना चाहते है। लेकिन वैधायन के पाठक दोस्तों के 4 बेटे में से, बाबा को पुष्पक पाठक का ही वंसज होना था।


अमृत पाठक, भाऊ का भतीजा, और उसकी संपत्ति पर अपनी चचेरी बहन और भाऊ की बेटी आरती के साथ नजर गड़ाए। क्योंकि भाऊ की मनसा सम्पत्ति को लेकर साफ थी, उनकी सम्पत्ति का वारिस एक योग्य प्रहरी होगा जो इस संपत्ति को आगे बढ़ाए और प्रहरी के काम में पूर्ण आर्थिक मदद करे। इसलिए उसने कभी बेटे की ख्वाहिश नहीं किया। उनकी 2 बेटियां ही थी, बड़ी सुप्रिया शुक्ल जिसकी शादी हंस शुक्ल से हुई थी। छोटी भारती, जिसकी शादी धीरेन स्वामी से हुई थी। एक मुंह बोली बेटी भी थी, जिसकी शादी प्रहरी के बाहर मुले समुदाय में हुई थी, और वह आरती मुले थी।


अमृत पाठक:- जो लॉबिंग महाजन, शुक्ल और पाठक के वंशज करते आ रहे थे, वह सभी भारद्वाज के दिमाग के धूल के बराबर भी नहीं। नई लड़की के सामने एक ही मीटिंग मे 22 हाई टेबल खाली करवा आए। शर्म नहीं आती तुम सबको। जाओ पहले कोई दिमाग वाला ढूंढो और धीरेन स्वामी को मानने की कोशिश करो। क्योंकि वाकई तुम लोगो पर भारद्वाज का काल मंडरा रहा है।


आरती:- अमृत मेरे बाबा कहीं अपनी प्रॉपर्टी बिल ना बनवा रहे हो पलक भारद्वाज के नाम। मुझे तो यही चिंता खाए जा रही है।


अमृत:- बड़े काका जो भी बिल बनवा ले, बस उनको मरने दो, फिर आराम से ये सम्पत्ति 2 भागो में विभाजित होगी। मै इसलिए नहीं काका का काम देखता की उनकी सम्पत्ति भिखारियों में दान दे दी जाए। …


तभी उस महफिल में एंट्री हो गई एक ऐसे शक्स की जिसकी ओर सबका ध्यान गया… प्रहरी के इस भटके समूह का दिमाग, यानी धीरेन स्वामी पर। धीरेन स्वामी का कोई बैकग्राउंड नहीं था। एक बार शिकारियों के बीच धीरेन फसा था, जहां उसने अपनी आखों से सुपरनैचुरल को देखा था।


खैर, उसे कभी फोर्स नहीं किया गया कि वो प्रहरी बने। उसे कुछ पैसे दे दिए गए, ताकि वो खुश रहे और बात को राज रखे। छोटा सा लड़का फिर देवगिरी पाठक के पास पहुंचा और उनके जैसा काम सिखन की मनसा जाहिर किया। देवगिरी ने कुछ दिनों तक उसे अपने पास रखकर प्रशिक्षित किया। उसके सीखने की लगन और काम के प्रति मेहनत को देखकर देवगिरी उसे प्रहरी समुदाय में लेकर आया।


भूमि और धीरेन की सीक्षा लगभग एक साथ ही शुरू हुई थी। दोनो जैसे-जैसे आगे बढ़े प्रहरी समुदाय मे काफी नाम कमाया। दोनो दूर-दूर तक शिकार के लिए जाते थे और निर्भीक इतने की कहीं भी घुसकर आतंक मचा सकते थे। दोनो ही लगभग एक जैसे थे दिमाग के बेहद शातिर और टेढ़े तरीके से काम निकालने में माहिर। बस एक चीज में भूमि मात खा गई, धीरेन टेढ़े दिमाग के साथ टेढ़ी मनसा भी पाल रहा था, इस बात की भनक उसे कभी नहीं हुई।


दोनो के बीच प्रेम भी पनपा और जश्मानी रिश्ते भी कायम हुए, लेकिन धीरेन केवल भूमि की सोच को समझने के लिए और प्रहरी का पुरा इतिहास जानने के लिए उसके साथ हुआ करता था। उसे इस बात की भनक थी, यदि भूमि उसके साथ हुई, तो वो अपनी मनसा में कभी कामयाब नहीं हो पाएगा, और यहां उसकी मनसा कोई पैसे कमाने का नहीं थी, बल्कि उससे भी ज्यादा खतरनाक थी। ताकत का इतना बड़ा समुद्र उसे दिख चुका था कि वो सभी ताकतों का अधिपति बनना चाहता था।


इसी बीच धीरेन भूमि की मनसा पूरा भांप चुका था। भूमि प्रहरी समुदाय में चल रहे करप्शन की जड़ तक पहुंचने की मनसा रखती थी। भूमि जिस-जिस पॉइंट को लेकर शुक्ल, महाजन और पाठक के कुछ लेग को घसीटने वाली होती, समय रहते धीरेन ने उन्हें आगाह कर दिया करता और वो इस खेमे मे सबसे चहेता बन गया।


भूमि से नजदीकियों को दूर करने के लिए धीरेन की शादी भारती से करवाई गई, ताकि ये मुंबई आ जाए और भूमि से दूर हो जाए। धीरेन को भी कोई आपत्ति नहीं थी। भूमि से केवल भावनात्मक दिखावा किया था धीरेन ने और भाऊ का कर्ज उतारने के लिए यह शादी कर रहा, भूमि से जताया। भूमि खून का घूंट पीकर रह गई। कुछ दिनों के लिए भूमि सब कुछ भूलकर विरह में भी जी थी। तब भूमि को जयदेव का सहारा मिला। जयदेव हालांकि भूमि के गुप्त रिश्ते के बारे में नहीं जानता था, उसे केवल इतना पता था कि भूमि धीरेन के साथ छोड़ने से हताश है।


जयदेव बहुत ही शांत प्रवृत्ति का प्रहरी था, जो चुप चाप अपना काम किया करता था। भूमि के अंतर्मन को ये बात झकझोर गई की अपने अटूट रिश्ते के टूटने कि कहानी बताये बिना यदि वो जयदेव से शादी कर ली, तो गलत होगा। इसलिए शादी के पूर्व ही उसने जयदेव को सारी बातें बता दी। जयदेव, भूमि के गम को सहारा देते हुए अपनी कहानी भी बयान कर गया जो कॉलेज में एक लड़की के साथ घटा था और वो बीमारी के कारण मर गई थी।


शायद दोनो ही एक दूसरे के दर्द को समझते थे इसलिए एक दूसरे से शादी के बाद उतने ही खुश थे। आज ना तो भूमि और ना ही जयदेव को अपनी पिछली जिंदगी से कोई मलाल था क्योंकि दोनो ने एक दूसरे के जीवन में जैसे रंग भर दिए हो। इधर धीरेन अपनी शादी के बाद मुंबई सैटल हो गया। एक जिम्मेदार प्रहरी और भाऊ का वो उत्तराधिकारी था। इसलिए अरबों का बिजनेस उसे सौगात में मिली थी, जिसे उसकी पत्नी भारती देखती थी। धीरेन सबकी मनसा जानता था लेकिन धीरेन की मनसा कोई नहीं। समुदाय में भटके परिवार को यही लगता रहा की धीरेन स्वामी धन के लिए ही काम कर रहा था। जब उसे भाऊ की सम्पत्ति का एक हिस्सा मिला, तब अपने दिमाग और भारती की कुशलता की मदद से, उसने इतनी लंबी रेखा खींच दी, कि बाकियों के नजर में धीरेन स्वामी अब खटकने लगा। जिसका परिणाम हुआ, मुंबई के प्रहरी इकाई ने धीरेन को प्रहरी समुदाय छोड़ने के लिए मजबूर कर दिया। धीरेन के समुदाय छोड़ने ही, उसे अपनी 70% सम्पत्ति प्रहरी समुदाय को लौटानी पड़ी थी और इन लोगो के सीने में बर्णोल लग गया था।


बीते दौड़ में भूमि नामक तूफान से धीरेन ने उन सबको निकाल लिया था। उसके बाद तो सभी लोग यही सोचते रहे की भारद्वाज का अब कौन है, जो भूमि के बराबर दिमाग रखता हो और हमारी जड़े हिलाए। बस इस एक सोच ने उन्हें आज ऐसा औंधे मुंह गिराया की धीरेन के पाऊं पकड़कर मीटिंग में आने के लिए राजी किया गया था।


धीरेन स्वामी जैसे ही अंदर पहुंचा, आरती उसे बिठती हुई… "कैसे है छोटे जमाई।"


धीरेन, हंसते हुए… "सब वक़्त का खेल है। कभी नाव पर गाड़ी तो कभी गाड़ी पर नाव।"..


अमृत:- धीरेन भाऊ अब गुस्सा थूक भी दो, और इनकी डूबती नय्या को पार लगा दो।


धीरेन:- अमृत, मुझे केवल अपने परिवार के लोग से बात करनी है। बाकी सब यहां से जा सकते है।


अमृत, आरती और हंस उसके पास बैठ गए और बाकी सभी बाहर चले गए।… "दीदी मै सिर्फ आप दोनो को बचा सकता हूं, बाकी मामला अब हाथ से निकल गया है। वो भी आपको इसलिए बचना मै जरूरी समझता हूं क्योंकि आपके बारे में जानकर मेरी पत्नी को दर्द होगा, और उसे मै दर्द में नहीं देख सकता। वो परिवार ही क्या जो बुरे वक़्त में अपने परिवार के साथ खड़ा ना हो, भले ही उस परिवार ने मुझसे मेरी सबसे प्यारी चीज छीन ली हो।"..


हंस:- हम बहकावे में आ गए थे स्वामी, आज भी आरती ने भरी सभा में तुम्हारा नाम लिया था।


धीरेन:- और आप.… आपको मै याद नहीं आया जो आपके बाबा को और यहां बैठे ना जाने कितने प्रहरी को मुसीबत से निकाला था। मै केवल और केवल आरती के साथ मीटिंग करूंगा, इसके अलावा कोई और दिखा तो मै कोई मदद नहीं करने वाला।


आरती:- मुझे मंजूर है।


स्वामी उस सभा से उठते हुए… "मेरे कॉल का इंतजार करना आप, और आगे से ध्यान रखिएगा पैसे की चाहत अक्सर ले डूबती है।"..


स्वामी के वहां से जाते ही…. "हंस 2 टॉप क्लास मॉडल का इंतजाम करो, नई शुरवात के नाम।"..


हंस:- हम्मम ! समझ गया…


स्वामी उस दरवाजे से बाहर निकलते ही अंदर ही अंदर हंसा…. "एक बार गलत लोगों पर भरोसा करके मैं अपने लक्ष्य से कोसों दूर चला गया था, तुमने क्या सोचा इस बार भी वही होगा। बस अब तमाशा देखते जाओ।"..


स्वामी कुछ दूर चलते ही उसने अपना फोन निकला, कॉल लगा ही रहा था कि उसे ध्यान आया…. "भूमि ने अब तक तो सरदार खान पर सर्विलेंस लगा दिया होगा। सरदार खान को फोन करने का मतलब होगा फसना। सॉरी सरदार तुझे नहीं बचा पाया, लेकिन तू खुद बच जाएगा मुझे यकीन है।"


देवगिरी पाठक का बंगलो…


मीटिंग की शाम देवगिरी पाठक और विश्वा देसाई की बैठक हो रही थी। दोनो शाम की बैठक में स्कॉच का छोटा पेग उठाकर खिंचते हुए…


देवगिरी:- विश्वा दादा आज तो उस पलक ने दिल जीत लिया।


विश्व:- देव तुम शुरू से बहुत भोले रहे हो। जानते हो मै यहां क्यों आया हूं?


देवगिरी:- क्यों दादा..


विश्वा:- आज की मीटिंग में जब आर्यमणि का पैक बनाना, वुल्फ से दोस्ती और उनके क्षेत्र कि जांच हो ऐसी मांग उठी, तो मुझे वर्धराज गुरु की याद आ गई। किसी ने उस समय जो साजिश रची थी, इस बार भी पूरी साजिश रचे थे। लेकिन भारद्वाज की नई पीढ़ी अपने दादाओं कि तरह बेवकूफ नहीं है। शायद हमने वर्धराज गुरु के साथ गलत किया था...


देवगिरी:- दादा आपने बहुत सही प्वाइंट पकड़ा है। अरे करप्शन कि जड़ है ये शुक्ल, महाजन और मेरा पाठक परिवार। हमेशा इन लोगो ने पैसों को तबोज्जो दिया है।


विश्वा:- मुझे पलक की बात जायज लगी। सबको रीसेट करते है और धन का बंटवारा बराबर कर देते है। किसी के पास अरबों तो किसी के पास कुछ नहीं...


देवगिरी:- कैसे करेंगे दादा? अब जैसे स्वामी को ही ले लो। उसे मैंने 400 करोड़ का सेटअप दिया था। 4 साल में उसने 1200 करोड़ बनाया और प्रहरी छोड़ते वक़्त उसने 840 करोड़ समुदाय को दे दिया। 360 करोड़ से उसने धंधा चलाया। 6 साल में वो कुल 1600 करोड़ पर खड़ा है। क्या कहूं फिर 70% दे दो।


"हां फिर 70% ले लो। बुराई क्या है।"… धीरेन स्वामी अंदर आते ही दोनो के पाऊं छुए।


देवगिरी:- दादा इसको पूछो ये यहां क्या करने आया है?


धीरेन स्वामी:- अपने ससुर का ये 6 साल से इन-डायरेक्ट बात करने का सिलसिला तोड़ने। मुझे गुप्त रूप से नियुक्त कीजिए और जांच का प्रभार सौंप दीजिए। काम खत्म होने के बाद मुझे स्थाई सदस्य बनाना ना बनना आप सब की मर्जी है, लेकिन मै वापस आना चाहता हूं। बोर हो गया हूं मै ऑफिस जाते-जाते।


देवगिरी:- क्या मै सच सुन रहा हूं या तुझे आज फिर से भारती ने डांटा है?


धीरेन:- भाऊ हे काय आहे, मै सच कह रहा हूं।


विश्वा:- देवगिरी मैंने दे दिया प्रभार, तुम भी दो।


देवगिरी, अपने दोनो हाथ स्वामी के गाल को थामते… "मेरा बेटा लौट आया।" इतना कहकर देवगिरी ने बेल बजाई, उधर से एक अत्यंत खूबसूरत 28 साल की एक लेडी एक्सक्यूटिव की पोशाक में वहां पहुंची…. "सैफीना सभी एम्प्लॉयज में 2 महीने की सैलरी बोनस डलवा दो।"


धीरेन:- हेल्लो सैफीना..


सैफीना:- हेल्लो सर..


धीरेन:- 2 मंथ नहीं 3 मंथ की सैलरी बोनस के तौर पर दो और मै जब जाने लगूं तो एक मंथ का बोनस चेक मुझसे कलेक्ट कर लेना।


सैफीना "येस सर" कहती हुई वहां से चली गई। उसके जाते ही… "भाऊ आप कहते थे ना मै अपनी सारी संपत्ति किसी ऐसे के नाम करूंगा जो इस धन को आगे बढ़ाए और प्रहरी समुदाय में किसी को आर्थिक परेशानी ना होने दे तो वैसा कोई मिल गया है।"


देवगिरी:- हां मै भी उसी के बारे में सोच रहा था, पलक भारद्वाज।


धीरेन:- नहीं गलत। आर्यमणि कुलकर्णी।


देवगिरी:- लेकिन वो तो प्रहरी नहीं है और जहां तक खबर लगी है कि वो बनेगा भी नहीं।


धीरेन:- हा भाऊ, लेकिन उसकी सोच पूरे प्रहरी समुदाय से मिलती है, या फिर उससे भी कहीं ज्यादा ऊंची। ना तो वो आपके पैसे को कभी डूबने देगा और ना ही किसी गलत मकसद मे लगाएगा। उल्टा वर्षों से जो हम अनदेखी करते आएं है वो उसकी भरपाई कर रहा है। देखा जाए तो प्रहरी के गलती का निराकरण, वुल्फ को सही ढंग से बसाकर। मेरे हिसाब से तो आपको उसी को उत्तरदायित्व देना चाहिए।


देवगिरी:- मेरा दिल पिघल गया तेरी बातों से। कल ही बिल बनवाता हूं। 42% में ३ बेटी का हिस्सा। 18% अमृत को और बचा 40% आर्यमणि को। जबतक रिटायरमेंट नहीं लेता, सब मेरे कंट्रोल में और सबको जल्दी धन चाहिए तो मेरा कत्ल करके ले लेना।


धीरेन:- 100% की बात करो तो सोचूं भी कत्ल करने का ये 14% के लिए कौन टेंशन ले। इतना तो मै 4 साल में अपने धंधे से अर्जित कर लूंगा।


देवगिरी:- ले ले तू ही 100%। कल से आ जा यहां, मै घूमने चला जाऊंगा।


धीरेन:- भाऊ आपकी बेटी मुझे चप्पल से मारेगी और सारा पैसा अनाथालय को दान कर देगी। रहने दो आप, गृह कलेश करवा दोगे। मैंने अपने दोनो बेटे के लिए पर्याप्त घन छोड़ा है। पहले से सोच लिया है, 2000 करोड़ अपने दोनो बेटे मे, उसके आगे का आधा घन प्रहरी समुदाय को और आधा अनाथालय को।


देवगिरी:- ये है मेरा बच्चा। आज तो नाचने का मन कर रहा है।..


धीरेन:- आप दोनो नाचो मै जबतक यहां के काम काज को देखता चलूं।


धीरेन जैसे ही बाहर निकला। साइड में रिसेप्शन पर बैठा एक लड़का… "सर सैफीना मैम ने वो चेक के बारे में कहा था याद दिला देने।"


स्वामी:- ओह हां। कहां है वो अभी। बोलो यहां आकर कलेक्ट कर ले।


रिसेप्शनिस्ट, कॉल लगाकर बात करने के बाद… सर वो अपने चेंबर में है। आपको ही बुला रही है। बोली एक फाइल को आप जारा चेक करते चले जाइए।


ठीक है कहता हुए वो ऑफिस में घुसा… "कौन सी फाइल चेक करनी है मैडम।"..


सैफीना अपने कुर्सी से उतरकर आगे अपने डेस्क कर टांग लटकाकर बैठ गई और अपने शर्ट के बटन खोलते… "फाइल मै ओपन करके दूं, या खुद ओपन करोगे।"..


"तुम बस सिग्नेचर करने वाली पेन का ख्याल रखो, बाकी सब मै अपने आप कर लूंगा।"…


बदन से पूरे कपड़े उतर गए और दोनो अपने काम लीला में मस्त। एक घंटे में मज़ा के साथ-साथ सारी इंफॉर्मेशन बटोरते हुए धीरेन ने सैफीना को उसके पसंदीदा ऑडी की चाभी थमाई और वहां से चलता बाना।


अगले दिन कि मीटिंग में, जान हलख में फसे लोग बाहर इंतजार करते रहे और स्वामी, आरती के साथ मीटिंग में व्यस्त था। इसी बीच 2 हॉट क्लास मॉडल उसकी सेवा में पहुंच गई। स्वामी का मन उनको देखकर हराभरा तो हुआ, लेकिन धीरेन इस वक़्त इनके झांसे में नहीं ही फंस सकता था। धीरेन स्वामी, आरती के माध्यम से सबको आश्वाशन दिया और सबको आराम से 2 महीने शांत बैठने के लिए कहने लगा।
ye chhal kapat chaal prapanch sadhyantra ye part to bikul bhi pasand nhi lekin fir wohi baat yaad aa jati hai ki jahan burai hai waha achai bhi hai jahan chhal hai wahan nischhal bhi hai ......... aur muh modna to ostrich wali kahawat ho jayegi muh ret me chipa kr apne aap ko safe smjh rahe hai ..........khair Dhiren Swami ( Naam me Swami par hai bada harami) ka aarambh kesa bhi ho ant bhot dard me hoga aur usne bhoomi didi ka jo fayda uthaya hai ek ek ciz ka hisab liya jayega aur ye jimmdari me Prahari Smuh ke sansthapak Nainu bhaiya ko deta hu :declare:
wese dhiren swami mujhe lambi race ka ghoda lag raha hai jaldi to ant nhi hone wala iska ye dhan ka laalchhi nhi hai ye bus wo supernatural power walo par raaj karna chahata hai meko lag raha hai ki yahi hai sardar khan ki madad kr raha hai jo jisse sardar khan fir se ek pure alpha ban sake aur uski power se wo pure wolf samudaye par raaj kar sake aur fir dhiren swami khelaga apna asli khel sayad yahi soch ho sakti hai ..............
To devgiri pathak aur Vishwa desai ko dono ko pata hai ki bhardhwaj parivar aur kulkarni parivar ko dukh dene wale kon hai fir bhi ye kuch nhi kare badi sochne wali baat hai kyu ki Devgiri pathak ki image abhi tak to achi hi najar aayi hai lekin sayad bachchon ka moh ne unhe karne nhi diya .....aur dhiren ne sayad apne jasoos peeche laga rakhe hai wo secretary Sheffina sayad usi se pata chala hoga ki Devgiri pathak kaha hai khair Vishwa Desai ke saamne dhiren ko rakha hai to baat bhoomi didi tak to pohchegi hi ab unka kya reactiion rehta hai ye dekhna hai aur Dhiren ka aarya ko devgiri pathak ki sampatti me hissa dilwana sayad wo Shukla parivar aur pathak parivar ko aarya se ladwana chahata hai jisse uske ek rival to kum hoye ya to aarya ya shukla aur pathak family ke log .......
 
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Pankaj Tripathi_PT

Love is a sweet poison
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Aryamani ka action bole to jhakkass tha college me jis trh rode lekr khadaa tha South ki movie bharath ke mahesh babu yaad agye... Fighting scene mast tha... Shopping mall me bhumi ne sbko shopping krwaai.. Sath me chitra se uske or aryamani se related baate bhi hui jisme chitra ka kabulnama ki kabir ko maitri ke dukh se nikaalne ke liye 2 month tak bf gf bane kissing vissing hui lekin pyar wali feeling na aai.. Isliye breakup kr liya... Chitra waqai me caring or understanding ldki hai... Bhumi ki character mere dil me chhap si gai hai.. Woh sbko pyar ki nazar se dekhti hai... Fir chahe bihari babua madhav Ho ya nishant, rajdeep sbko ek jesa manti hai.... OR palak ka toh main deewana hu hi... Aryamani vegetarian hai jo shayad uske pure alfa hone ka saboot hai... Aryamani or akshra ka amna samna mast hua.. Bande ne sidha chaku seene me ghused diyaa... Main toh aisa sapne me na sochu mujhe toh injection se darr lgta hai yahan to chaku ki baat ho rhi hai... Nishant ne jaldi hi opioid dekr arya ke drd ko km kiya jbki humen pta hai aryamani khud ko heal kr skta hai woh toh akshra or baki pariwar walon ko pta na chale isliye aisa kr rha tha... Maa(akshra) nfrt me arya ko marna chahti hai beta(rajdeep) opioid rkhne pr jail daalne ki baat kr rha hai... Minakshi masi ne to akshra ke gaal sujaa diye... Uske baad aryamani ke bhi,.. Vaidehi ek suljhi hui aurat hai hona lazmi bhi hai akhir ek social worker hai Kai trh ke logo se milna julna sbka anubhav hai... Saas bahu ki achhi jamti hai... Minakshi ko minto me shaant kr deti hai... Prahari ke meeting me bhumi ne apna uttradhikari namrata ko bnaya, jaydev ne richa ko or rajdeep bhumi ki jagah lega... OR palak ko khoji dashta ka chief bnaya gya jisko khuli chhut de diya gya hai vikrit richh stri or uske madadgaar manushya ko pakdne ke liye... Lekin mujhe lgta hai bhumi ne shayad jldi kr di.. Ab sukesh ke pariwar me sukesh ke alawa Prahari department me bacha hi kon? OR vishwa desai ko ek saal ke liye chief ki Post badha Di gai iss bich richa or manas ki shadi Ho jayegi fir vishwa apna utradhikari apne damad (manas) ko bna dega... Richa ki shazish puri hoti dikh rhi hai.... Lekin abhi ek ummid hai aryamani pr ki woh richa ki sachaai janta hai woh zrur kuch na kuch krega... Rajdeep pe shq to nhi bnta itna to har police wala krta hoga shayad jesa ki tejas ne btaya tha bhumi ko ki rajdeep mla se milkr kr paisa khaa rha hai lekin bhumi ne seere se nakaar diya... Kahin bhumi ka itna moh future me bhari na pade... Tejas ka role Kya hai smjh nhi arha bhumi ne ek baar kaha chup kr gyaa... Mama arun ki entry hui apne biwi bacho ke sath, jesa humne mamao ka itihaas suna hai arun uspr khara utrta dikh rha hai... Sakooni or kansh ka mixer.... Iske bache bhi wese hi dikh rhe hai.. OR isbka karta dharta mami (Preeti) hi hai... Palak ke Mama (Manish) bole to akshra ke Bhai wolfben khane se mara tha ...iska mtlb ye hua ke manish werewolf tha... 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Abhi ye kitaab sukesh bhardwaj ke paas hai jo jadui type khufiya kamre me chhupa ke rkha gya hai... Jisko aryamani ke chhute hi rang badlne lgi shayad kitaab ko bhi aryamani ka hi intzaar tha... Rang to badlna hi tha akhir arya ek pure werewolf hai.. Europe or Russia ke jungle me arya ne zrur koi sidhi kri hogi... Jisse usko anantkriti kitaab ka khyaal aya... Lekin iss kitaab ko kholne ke tagde wale niyam hai.. OR woh hai 25 ala -alg hathiyarband logo se ek sath ladna woh bhi bina ek bund khoon gire jo of course arya easily paas kr jayega bss sbke samne dikhawa kr rha hai ki woh nahi kr skta... Edaa ban kr peda khaa rha hai banda... Kuch bhi kaho sukesh ke ghar me suruksha ke pukhta intzaam hai santaram hathiyarband bando ke sath turant agya.... Ek baat smjh nhi aya Jan arun Mama ko paise dene ki baat kahi ja rhi thi Tab arya ne bhumi ke kaan me kyaa kaha that?... Jaya or minakshi to kamaal ki hai apne naam ki 1000 cr ki zameen pehle hi apne Bhai ko de rkhi hai or ab bhaau se bhi sifarish krwa Di bss arun koi locha krega toh iss baar bhardwaj pariwar help nhi krenge... Aryamani apna Pack bana rha hai jiski 1st member roohi bani... Sardar Khan jo roohi ka baap hai.. Jo khud apni beti ko nochta tha sath me dusro se bhi nochwata hai isliye roohi bhi usko marna chahti hai... Roohi ne blood oath le liya.... Sath me chitra ko uska pyar madhav mil gya... Ye acha lga humare Bollywood me hmesha hero heroine khubsurat hi dikhaye jate hai yahan madhav ke sath chitra ki jodi bana kr acha lga.. Bss bechare madhav ko usko baap body na chhil de... Palak or arya ki bhi sachaai chitra ne bta di lekin chitra kis rishwat ki baat kr rhi thi ? Nishant ke bhi Kya kehne khairr uski bhi dusri gf ban hi jayegi... Aryamani ka test hua ke woh werewolf hai ke nhi ek pure werewolf hone ka yahi fayda hai uspr na bijli ka asar hota hai na wolfben ka, mtlb bole toh aryamani asaani se test paas kr gya... Roohi ke rescue me Twin wolf brother mara gya.. Maza agya aryamani ke action dekh kr, fighting sequence mast tha... Twilight series ke exactly part toh yaad nhi arha lekin shayad 4th ya 5th me ek scene hota hai jab kisi ka sar dhar se alg hota hai... Kuch bhi kaho nainu bhaiya apko salute banta hai.. Aryamani or roohi ke bich sex scene filmaya gyaa chalo aryamani ne apni virginity kho di or uski virginity lene ka saubhagya roohi ko mila... Ab jab sex ki shuruat Ho hi gya toh toh mera ek sawaal hai Kya isme incest hoga aryamani ke sath... Agr sex nhi hota to nhi puchta... Khairrr roohi ke dukh pr aryamani ne marham ka kaam kiya hai... Uski maa ka ke liye dukh huaa... Woh bhi ek pure wolf thi.. Jiske sath prahari samudaay walo ne nainsaafi kiyaa... Prahari samudaay dhongi hai jiska dhong ab aryamani sbke saamne layega... Bhot jayadti hui hai roohi or uski maa ke sath, khairr aryamani ne roohi ko alfa bana diya.. Twin brother ke power lekr... Aryamani apna Pack vegetarian bnana chahta hai jisme na khoon pina allowed hoga na maans khana.... Aryamani ke saran me roohi ka kalyan hi hoga. .. Ab aryamani business start krna chahta hai woh bhi arms and ammunition ka jo shayad khud ke pack ko strong bnane ke liye hi hoga... Albeli bhi blood oath le kr Pack ka 2nd member ban gai... Albeli ka bhi kahani dukh bhara hai... Aryamani sbke emotions padh skta hai siwaye palak ke, palak toh jab ati hai dil kadh jati hai... Aryamani roohi or albeli ke sath sardar Khan ke pass gya hai uska hisaab krne... Dekhte hai kis -2 safaya krta hai...

OR Bhai nainu meri baat kiya na apne palak se, OR haa madhav sach me 38 hi hai...
 

Death Kiñg

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आर्यमणि और निशांत एक तरफ तो दूसरी तरफ विंडिंगो की सेना.. परंतु, उस पूरी सेना पर अकेला आर्यमणि ही भारी पड़ गया, जब वो अपने असली रूप में आया तो। विंडिंगो की शक्ति उनके संगठन में है, उन्हें मारना उतना कठिन नहीं पर उनकी असंख्य तादाद के कारण ही वो शक्तिशाली प्रतीत होते हैं। आर्यमणि और विंडिंगो के मध्य हो रही लड़ाई के बीच वहां आगमन हुआ साधुओं और संयासियों के एक दल का। “कैलाश मठ” का नाम लिया उन्होंने, शायद कैलाश मठ के सदस्य होंगे वो सभी।

पारीयान, एडियाना और महाकाश्वर के फ्लैशबैक में ज़िक्र हुआ था कुछ सिद्ध पुरुषों का जिनके साथ पारीयान भ्रमण करता था। शायद उसकी पांडुलिपि में भी कैलाश मठ के रूप में इनका ही ज़िक्र था। जब आर्यमणि ने भ्रमित तथा पुनर्स्थापित अंगूठी को पारीयान के ठिकाने से प्राप्त किया, तब इन साधुओं को ज्ञात हो गया होगा और संभव है की तब से ही ये सब आर्यमणि पर अपनी नज़र बनाए हुए होंगे। यहां प्रश्न ये है की ये साधु आर्यमणि के बारे में कितना जानते हैं। उसके प्योर वुल्फ के रूप को देखकर उनका सामान्य रहना दर्शाता है की उन्हें इस बारे में भी पहले से ही पता था। शायद वर्धराज कुलकर्णी के बारे में भी जानते ही होंगे वो सब, और तो और, आर्यमणि जिन षड्यंत्रकारियों के बारे में जांच कर रहा है, इन साधुओं को उन सबकी जानकारी भी है।

लगता यही है की इन सबका कहानी में आगे अच्छा – खासा किरदार हो सकता है। चूंकि निशांत को अब शिक्षा भी मिलने वाली है, कुछ वैसी ही जैसी पारीयान को मिली थी शायद? इससे ना केवल निशांत और भी शक्तिशाली होगी अपितु, वुल्फ और प्रहरी की दुनिया के बीच सुरक्षित भी रह पाएगा। बेशक, निशांत बचपन से ही आर्यमणि के साथ कई बड़े – बड़े कारनामे करता आया है परंतु आलौकिक शक्तियों का सामना केवल मनोबल से नहीं किया जा सकती। भ्रमित अंगूठी और साथ ही मंत्र – शक्ति, कई आलौकिक जंतुओं और कई प्रहरियों से भी अधिक शक्तिशाली बनने वाला है निशांत, आने वाले समय में।

रीछ स्त्री महाजनिका का आगमन भी हो गया है कहानी में, प्रत्यक्ष रूप से, परंतु कहना मुश्किल है की कितने वक्त के लिए कहानी में बनी रह पाएंगी ये महोदया। महाजनिका और तांत्रिक उध्यात... कोई संदेह नहीं इस बात में की दोनों विकृत बुद्धि के प्राणी कोई बहुत ही विकृत मानसिकता के साथ, ये सारा खेल रच रहे हैं। उध्यात ने ही एडियाना के सैनिकों यानी विंडिंगों को वहां सतपुरा के जंगलों में प्रकट किया है। वैसे तो उध्यात ने ओंकार नारायण से यही कहा की वो महाजनिका की शक्तियों के पुनर्स्थापन के पश्चात वहां से चले जाएंगे, परंतु एडियाना की आत्मा को बांधना दर्शाता है की उध्यात ने किस दर्जे की योजना बना रखी है।

अब एक ओर जहां ओंकार नारायण और उनके साथी साधुओं की सेना है तो दूसरी ओर महाजनिका, उध्यात, और विंडिंगों की पूरी फौज। परंतु, जो सबसे बड़ा खतरा है, वो है एडियाना की आत्मा.. माना की रीछ स्त्री को मारना आसान नहीं, परंतु वो मर सकती है, यदि किसी बेहतर तरीके का इस्तेमाल किया जाए, उध्यात भी नश्वर है, परंतु एक आत्मा को कैसे काबू किया जाएगा, ये असल सवाल है! आर्यमणि.. वो क्या रंग लगाएगा इस जंग में, ये भी देखने लायक होने वाला है, परंतु एक बात तो स्पष्ट है की ये लड़ाई, शायद आर्यमणि के अभी तक के सफर की सबसे कठिन चुनौती होने वाली है।

एक सवाल था... ओंकार नारायण वही साधु है, जो आर्यमणि से बातें करते हुए गुफा तक पहुंचे, या फिर कैलाश मठ के मठाधीश?

बहुत ही खूबसूरत भाग था भाई। प्रतीक्षा रहेगी अगले अध्याय की...
 
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