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लगता है नाना और अनुज दोनों का कच्छा खुलने वाला हैUPDATE 96
चौराहे वाले घर से निकल कर मै दुकान आ गया
अनुज बैठा बोर हो रहा था
मै उसके पास गया
मै - और भाई क्या चल रहा है आजकल
अनुज - सब ठीक है भैया , लेकिन अकेले बोर हो जा रहा हू ,, स्कूल भी नही है अब तो
मै - अरे भाई घर मे शादी का माहौल है , इतने काम करने को है और तुम बोर हो रहे ???
अनुज - भैया कोई बात करने के लिए भी तो नहीं होता ना
अनुज के बातो से मुझे दुख हुआ ,, बात सही भी है उसकी ,, एक तो वो बहुत शर्मिला है और उपर से कोई दोस्त नही है उसके ,,,और घर मे भी ज्यादा किसी से घुलता नही है । हा बस राहुल के साथ उसकी जमती थी , वो भी शायद इसिलिए कि दोनो एक ही मिजाज के थे ।
मै उसका मूड सही करने के इरादे से - अरे तो बना ले ना बात करने वाली हिहिही
अनुज शर्मा गया - भक्क भैया ,
मै - अरे कोई तो होगी ,जिसको तुम पसंद करता होगा
अनुज इस पर थोडा झेपा और बोला - हा भैया थी एक स्कूल मे
मै - थी मतलब
अनुज - उससे बात कहा की मैने ,, और अभी कहा पढाई चल रही है
मै हस कर उसके कन्धे पर हाथ रख कर - वैसे उसका घर कहा है हम्म्म
अनुज - पता नही भैया
मै हस कर - अरे उसका नाम क्या है ये तो जानते हो ना
अनुज ना मे सर हिलाया
मुझे बड़ी जोर की हसी आई - भाई तू कूछ जानता है उसके बारे मे , कुछ पता तो कर लेता
अनुज मायूस होकर - नही भैया ,,डर लगता है ,,स्कूल मे सब दोस्त दुष्ट है ,,अगर मै उसके बारे मे किसी से पूछन्गा तो वो ये बात पुरे स्कूल मे फैला देंगे और कुछ होने से पहले ही खतम हो जायेगा
मै अनुज की व्यथा समझ गया क्योकि ये होना तो आम बात थी ही ,,,और मुझे अनुज की समझदारि पर खुशी भी थी कि उसने अपने प्यार के इज्जत की परवाह की ।
मै - हमम बात तो तेरी सही ही है ,, कोई बात नही मन छोटा ना कर , इस बार पढाई शुरु हो तो कोसिस कर लेना हिहिहिही
अनुज ने भी मेरी बात पर हुन्कारि भरी और फिर वो राहुल के पास चला गया ।।
मै ऐसे ही खाली बैठा था कि तभी कोमल का फोन आना शुरु हो गया
मै उस्का नाम देखते ही खुश हो गया
और फोन उठाया
मै - हेल्लो जी क्या हाल चाल
कोमल तुनक कर - हेलो हा कौन भैया
मै हस कर - हिहिही अरररे,,मै राज हू और कौन
कोमल - ओह्ह आप हो क्या ,, सॉरी सॉरी गलती से फोन लग गया , मै रखती हू
मै हस कर - अरे कोमल क्या हुआ ,
कोमल गुस्सा करते हुए - क्या हुआ ,, क्या हुआ ,, अरे सोनल की शादी तय हो गयी और सगाई की डेट तक फाइनल हो गयी और तुमने एक बार बताया ही नही
कोमल नखरे दिखाते हुए - अरे हा बताओगे कैसे ,,,पिछले 2 महीने से बात ही कहा कर रहे है ना हम ,,पहले परिक्षा फिर अनुज घूमने चला गया तो बिज़ी थे और अब सोनल की शादी का बहाना ,,क्यू यही कहोगे ना
कोमल एक सांस मे अपनी भड़ास निकाल कर शांत हुई
मै हस कर - अब ब हा मतलब , जो तुम बोली सही ही है ,, और इस समय नाना और मेरी दो बहने भी आई है घर
कोमल डांटते हुए - चुप करो तुम ,,लो मम्मी से बात करो ,,मै नही बात करने वाली तुमसे हुउउह
मै उसे कुछ समझाता उससे पहले विमला मौसी की आवाज आई
विमला - ह ह हेल्लो , हा राज बेटा
मै खुश होकर - हा नमस्ते मौसी
विमला - हा खुश रहो बेटा,, वो आज दोपहर मे तेरी मा फोन करके सगाई की दिन बताई है ना तभी ने ये गुससा गयी ,,, वो थोडी ना समझ रही है कितना काम है तुझे
मै थोडी सफाई देने के भाव मे - अरे नही मौसी ,,गलती मेरी भी है थोड़ी,, कोई नही आता हू मिलने कुछ दिन मे समय निकाल कर
विमला - अरे नही बेटा कोई जल्दी नही है ,,तू अपना खतम कर ले तभी इधर आना ,,इसका क्या है घर मे बैठ के खा रही है
मै हसने लगा
फिर ऐसे ही थोड़ा हाल चाल हुआ और फिर मैने फोन रख दिया
मै दुकान मे लग गया था शाम को 5 बजे अनुज आया तो मै उसे बिठा कर निकल गया पापा के पास ।
दुकान पर नाना जी आये थे तो उनको देख कर मुझे बड़ी खुशी हुई । फिर हमने थोड़ी बाते की ।
उसके बाद मै नाना को लिवा कर निकल गया चौराहे वाले घर के लिए
रास्ते मे
मै - नाना जी आप किस काम के लिए गये थे
नाना - बेटा वो पास के गाव मे एक प्रधानजी है उन्ही से कुछ काम है,,वो उनकी हमारे गाव मे कुछ खाली जमीन पड़ी हुई है , उसी को लेके वाद विवाद चल रहा है
मै - अच्छा अच्छा ,
फिर हम ऐसे ही बाते करते हुए चौराहे वाले घर गये ।
मा कही दिखी नही शायद अपने कमरे मे थी ।
गीता बबिता भी शायद उपर थी
मै - नाना आप आराम करो मेरे कमरे मे मै मा को बोल्ता हू चाय बना दे आपके लिये
नाना - हा बेटा, मै जरा नहा लू ,गर्मी बहुत ज्यादा है गाव के मुकाबले
मै हा मे सर हिलाया और नाना मेरे कमरे मे गये
मै भी नाना के कमरे मे जाते ही मा के कमरे मे घुस गया । जहा मा अभी अभी नहा कर एक ढीली मैकसी डाले हुए थी और बालो को सुखा रही थी ।
मै मा को देखते ही - ओहो मा ये क्या पहने हो ,,याद है दोपहर मे क्या बात हुई थी अपनी
मा मुस्कुरा कर - हा लेकीन मुझे शर्म आ रही है बेटा
मै मा को पीछे से पकड कर उनके बदन से आ रही भीनी भीनी साबुन की खुशबू से मदमस्त होकर उनके गरदन को चूमा जिस्से मेरे होठ ठन्डे हो गये ।
मै मा को पीछे से पकड कर उनके कन्धे पर ठुड्डी टिका कर - मा पहन लो ना ,,,
मा एक हाथ पीछे कर मेरे गाल सहलाते हुए - उम्म्ंम पक्का ना
मै खुश होकर - हा पक्का
मा शर्मा कर - ठीक है तू बाहर जा मै तैयार होकर आती हू
मै - ठीक है ,,लेकिन याद है ना कैसे पहन्ना है
मा मुझे धकेल कर दरवाजे तक ले गयी और मेरे गाल चूम कर बोली - हा मेरे लाल ,,अब जा हिहिही
मै भी हसते हुए बाहर आ गया हाल मे
और करीब 5 मिंट मे मा तैयार होकर बाहर आई
मा बिल्कुल मेरे मुताबिक तैयार हुई थी ।
मैने मा को एक पुरानी नायलान मैकसी पहनने को बोली थी जो पूरी तरह से कसी हुई हो ।
मा ने एक साल भर पुरानी पिंक कलर मे सिल्क नायलान कपड़े मे एक मैकसी बिना ब्रा के पहनी थी जो बहुत ही कसा हुआ था उनके बदन पर ।
उन्होने हाथ डाल कर चुचियो को सही से सेट कर दिया था ।
और निचे उनकी मैकसी कुल्हे और भी कसी थी । क्योकि उनके वी शेप पैंटी की लास्टीक पूरी तरह से साफ साफ उनके फैले हूए चुतड के पाटो पर उभरी हुई थी । मा ने एक दुपट्टा उपर से लिया हुआ था ,,,क्योकि नाना जी को एक साथ इतने झटके देना सही नही था । लेकिन फिर भी मैने उसे एक गमछे के तौर पर घुमा दिया ताकी हमारी प्लानिंग काम करे
मै मा को एक नजर देखा ,, वो लिपस्टिक और हल्का मेकअप उनको और भी कामुक बना रहा था ।
मा थोड़ी शर्म से नजरे झुका ली मेरे घुर कर देखने पर
मै मा को इशारे मे उनकी तारिफ की
मा - बेटा बहुत कसा हुआ हुआ है उपर
मै - कुछ पाने के लिए कुछ सहना पड़ता है मा हिहिहिही
मा शर्मा कर किचन मे चली गयी और मै अपने कमरे मे
जहा नाना जी तैयार होकर अपनी धोती पहन रहे थे ,,तब तक मै भी हाथ मुह धुल कर फ्रेश हुआ और कमरे मे आया
मै - नाना जी चालिये मा चाय बना रही है
फिर मै और नाना हाल मे आये
हाल मे आते ही मैने एक नजर मा को किचन मे देखा तो वो अपनी चुतड हमारे तरफ किये ही काम कर रही थी
वही नाना ने भी एक नजर मा को देखा और थोडा संकोच किये लेकिन फिर हाल मे सोफे का ऐसा कोना खोज कर बैठे ही वहा से मा के पिछवादे का दिदार होता रहे
मै मुस्कुराया और मोबाईल मे लग गया जानबुझ कर
इधर नाना जी की हालत खराब हो रही थी और उनकी अपनी बेटी की गाड़ पर उभरी हुई पैंटी का शेप देख कर थूक गटकने की नौबत आ गयी थी ।
फिर क्या धीरे धीरे हाथ भी अपनी जगह पर जाने लगे , वही जहा सबसे ज्यादा चुल मचती है ।
मैने कनअखियो से देखा की वो मा के साथ बराबर मेरी ओर भी नजर बनाये हुए है और हौले अपने कसम्सते हुए लण्ड को दबा दिया और फिर एक गहरी सास लेके बैठे रहे
इधर मा ने भी चाय निकाल ली और हमारी तरफ आने लगी
और फिर चाय का ट्रे झुक कर टेबल पर रखा था ,, नाना की नजर मा के डीप गले की मैकसी मे झाकते चुचो पर ही थी और लगातार बनी ही रही ।
मा ने एक कप चाय उठाया और वैसे ही झुके हुए उनकी ओर किया
मा मुस्कुरा कर - बाऊजी चाय
मा की आवाज से नाना जी चौके - ह आ ,, क क्या
मा हस कर - चाय
नाना जी वापस एक नजर मा की नशीली सुरमई आँखो मे देखा और भी उनके मरून लिप्स को और भी एक नजर उन्की घाटी को और गला खरास लगे
मा मुस्कुरा कर - पानी दू क्या बाऊ जी
नाना मा की आवाज सुन कर - हा हा बेटी ,,एक ग्लास देना तो गला कुछ सही नही लग रहा है
मा मुस्कुरा कर खड़ी हुई - ठीक है लाती हू ,,,राज तुझे भी पानी चाहिये बेटा
मै मोबाईल ने ध्यान हटाने का नाटक करता हुआ क्योकि मेरा सारा ध्यान उन्ही लोगो मे था
मै - हा मा चलेगा
फिर मा नाना के करीब से घुमी और जानबुझ कर अपनी चुतडो को और मटकाया
यहा नाना एक गहरी सास लेते हुए वाप्स से अपने फन्फ्नाते नाग के सर को दबाया और कुछ बुदबुदाये
और फिर मा वापस आई और अपनी कसी घाटियो के दरशन के साथ पानी नाना को दिया और मुझे भी
मै - मा आप भी अपना चाय लेके आओ ना बैठो यहा
नाना - हा बेटी आ ना तू भी
मा फिर से वापस अपने चुतड मटकाते हुए गयी और अपना चाय लेके आ गयी ।
मा मेरे और नाना जी के बीच मे बैठी हुई थी और नाना की नजर अब मा की गोल चुचियो मे थी ।
इधर चाय खतम के नाना बोले - बेटा मै जरा पेसाब करके आता हू
मैने मा एक नजर देखा और आपस मे मुस्कुराये और बोला - जी नाना
फिर नाना मेरे कमरे मे गये और इधर मैने उनके लिए एक और झटका तैयार कर दिया
नाना के जाते ही मैने मा का दुपट्टा हटाया और मैकसी के उपर से ही उनकी चुचीयो भर भर मिजा ,,, नतीजन मा गरम हुई और मैकसी मे उनके निप्प्ल पुरे कड़े हो गये और अंगूर के दाने जैसे उभर गये ।
इधर नाना मेरे कमरे मे अपना लण्ड एडज्स्ट करते हुए मा की कसी गाड़ के आहे भरते हुए अपनी धोती ठीक किया और कमरे से वापस हाल मे आये तो आंखे चौडी हो गयी उनकी
क्योकि मा मुझसे सटी हुई मेरे मोबाइल मे झाक रही थी और हम दोनो अपना नाटक कर रहे थे । वही उनकी चुचिय अब साफ साफ गोल गोल कसी हुई नाना को दिख रही और उनका अंगूर के दाने सा उभरा हुआ निप्प्ल ये सोच कर सख्त हुआ जा रहा था की ऊनके बाऊजी उनको हवस भरी नजरो से ताड़ रहे थे ।
यहा नाना खुद को थोडा शांत करने गये थे लेकिन उनको क्या पता यहा और भी झटके मिलने वाले थे उनको
नाना बेजुबान और हक्के से रह गये थे ,,और चुदाई की तलब उनहे मह्सूस हो रही थी । उनकी छ्टपटाहत ऊनके चेहरे से पता चल रही थी
मा फिर उठी और अपना दुपट्टा लिया फिर किचन मे जाते हुए बोली - बेटा जरा सोनल को आवाज देदे तो ।
मै - ठीक है मा बुल देता हू
मै उपर जाने हो हुआ कि नाना बोले - रुक बेटा मै भी चलता हू थोड़ा छत पर टहलने की इच्छा है
मै मुस्कुरा कर नाना के साथ उपर गया और सोनल को आवाज देके निचे भेज दिया और फिर हम दोनो सबसे उपर की मन्जिल पर चले गये ।
उपर खुली शाम की ठंडी हवा मे सास पाते ही नाना को बहुत आराम मिला और एक पल के लिए उनकी उत्तेजना को भी शान्ति मिली
थोडा टहल कर उनके चेहरे पर मुस्कान आई और बोले - आअह्ह्ह्ह अब थोडा आराम मिला है ,,निचे कितनी घुटन सी हो रही थी
मै मुस्कुरा कर - हा निचे गर्मी कुछ ज्यादा ही थी ना नाना जी
नाना जी हिचक कर - अब ब हा हा बहुत गरमी है बेटा
फिर हम दोनो टहल रहे थे कि बगल की छत पर शकुन्तला ताई भी नजर आ गयी
मै उनको आवाज दी - अरे बडकी अम्मा कैसी हो
शकुन्तला- अरे बचवा तुम ,,, हम ठीक है तुम बताओ
मै - मै भी ठीक है बडकी अम्मा
शकुन्त्ला ताई भी इस समय एक मैकसी पहने हुए थी और मेरी आवाज सुन कर वो छत की चार दिवारी पे झुक के मुझसे बात कर रही थी जिससे उनकी घाटी की दरार , हिन्दी मे बोले तो क्लिवेज , ढलती शाम की रोशनी मे भी साफ साफ दिख रहा था
जिसपर नजर मेरे साथ नाना की भी बराबर थी ।
तभी शकुन्तला ताई ने इशारे मे छत पर टहल रहे नाना को पुछा
मै हस कर - अरे ये मेरे नाना जी है
तभी शकुन्तला का निचे से बुलावा आया और वो मुझे बोल कर निचे चली गयी ।
मै वापस नाना के गया और बोला -और नाना जी जम रहा है ना आपको यहा
नाना - हा बेटा ठीक है सब , लेकिन अब चमनपुरा बदल गया है काफी ज्यादा
मै ह्स कर - ऐसा क्यू
नाना - अरे बेटा मेरे समय मे जब मैने तेरी मा की शादी की थी तो एक ग्राम सभा था और यहा एक प्रधान के संपर्क से ही मैने इतना अच्छा रिश्ता बडी मुश्किल से पाया था । क्योकि तब कहा इतनी दुर शादिया होती थी ,,ज्यादतर तो आस पास के गाव मे ही हो जाती थी और कभी कभी तो गाव मे और कभी कभी तो अपने दुर से खानदान मे ही
मै जिज्ञासा से - अपने ही खान दान मे ही शादी ,,ये कैसे नाना जी
नाना - अरे बेटा पहले के समय मे लोगो का परिवार बहुत बड़ा हुआ करता था और कही कही तो लग्भग पुरा गाव की एक ही खानदान का रहता था ।
मुझे सच मे नाना जी की बातो से ताज्जुब हुआ
मै - तो अब कैसा लगता है आपको चमनपुरा नाना जी
नाना - अरे अब तो ये धीरे धीरे शहर होता जा रहा है ,,, देख नही रहा है मेरे उम्र की बुढिया भी कसे हुए कपड़े पहन रही है हाहह्हा
नाना जी का तंज शकुन्तला ताई की ओर ही था , मै समझ गया
मै ह्स कर - अरे नही नाना ,,वो शकुन्तला ताई है ,,उनको आपने अभी देखा ही कहा है
नाना अचरज से - क्यू ऐसा क्या है
मै ह्स कर - कभी सामने से देखना जान जाओगे आप हिहिहिही
मेरे बातो का इशारा जान गये थे नाना जी और उनको वापस से मा की याद आ गयी ।
मै जान बुझ कर - क्या हुआ नाना चुप क्यू हो ,,रज्जो मौसी की याद आ रही है क्या
नाना झेपे - अरे तुझे कैसे पता की मै उसके बारे मे सोच रहा हू ,,
मै - मैने अक्सर देखा है कि आपजब शांत होते हो तो उन्ही को याद करते हो
नाना हस के - अरे नही बेटा,,, दरअसल मै यहा अपनी छोटी बेटी के पास आया हू ना तो उसकी याद आयेगी ही ना
मै खुश होकर - रुकिये फिर मै फोन लगाता हू
मैने फटाक से रज्जो मौसी के पास फोन लगाया
फोन उठाते ही
मै - नमस्ते मौसी ,,कैसी हो
रज्जो खुश होकर - खुश रहो बेटा,, मै अच्छी तू बता
मै - मै भी ठीक हू मौसी ,,आपको पता है नाना जी घर आये है
रज्जो - अच्छा सच मे बात करा तो मेरी
मै फटाक से मोबाईल स्पीकर पर डाला
मै - हा मौसी बोलो , नाना सुन रहे है
रज्जो - नमस्ते बाऊजी
नाना - हा खुश रहो बेटी
रज्जो- और बाऊजी तबियत ठीक है ना ,,दवा समय से खा रहे है ना
नाना - हा बेटी , तू चिन्ता ना कर
रज्जो - और डॉक्टर ने जो बोला था उसका ध्यान रखना ,, दिन मे एक बार से ज्यादा नही ,,, ये नही कि तबीयत ठीक हो रही है तो ,,समझ रहे है ना
नाना थोडा हिचके और एक नजर मुझे देखा - हा हा बेटी ठीक है ,,मै रखता हू
फिर मैने फोन काट दिया ।
फोन रखते ही मै नाना से मुखातिब हुआ ,,जो कि मै जानता था सारी सच्चाई फिर भी
मै - ये क्या कह रही थी मौसी ,कि दिन मे एक बार से ज्यादा नही
नाना थोड़ा हिचक रहे थे - कुछ नही बेटा वो मुझे परहेज से चलना है ना, शरीर भले ही मजबूत ही लेकिन उम्र का असर मन पर होता ही है
मै थोडा उलझन से - समझ नही पा रहा हू नाना जी ,,कैसी परहेज है
नाना एक गहरी सास ली - वो बेटा,, याद है जब तु पिछ्ले साल घर आया था मेरे और मेरी तबियत खराब हुई थी
मै - हा , लेकिन तब भी मुझे समझ नही आया क्यू हुआ ऐसा
नाना - दरअसल बेटा मैने तुझे कल बताया ही गाव मे अपनी तलब के लिए कोई नौकरानी या औरत से मै संपर्क कर लेता था
मै - हा तो
नाना - तो बेटा पिछ्ले साल मैने सम्भोग अपनी हद से ज्यादा कर लिया थ जिस्से मेरे शरिर मे कमजोरी आ गयी थि और उस समय डॉक्टर ने मुझे पूरी तरह से सम्भोग के लिए मना कर दिया था ।।
मै हुकारि भरते हुए - हम्म्म फिर
नाना - फिर वही सब दवा चल रही थी और समय के साथ धीरे धीरे मुझमे सुधार हुआ तो एक बार फिर डॉक्टर से मैने अपना चेकअप किया और मैने उन्हे बताया कि मेरी सम्भोग की तलब से मुझे मानसिक तनाव रहता है
मै - हम्म्म फिर
नाना - फिर डॉक्टर ने सब कुछ चेक किया और मेरी सुधार को देख कर दवाई कुछ समय तक जारी रहने को कही और ये कहा की पहले कुछ हफते मै 3 या 4 दीन के दरमयाँ पर सम्भोग करू और फिर दिन मे सिर्फ एक बार
मै एक गहरी सांस लेकर- ओह्ह ये बात है ,,तो ये रज्जो मौसी को पता है सब
नाना - हा बेटा,, वही तो पहल कर डॉक्टर से मेरा चेकअप करवाई और मुझे स्खती से रखे हुए है हाहहहा
मै - हम्म्म लेकिन आप तो दो दिन से हो यहा और बिना कुछ किये तो आपकी इच्छा नही हो रही है अभी
मेरी बाते मानो नाना की दुख्ती रग पर हाथ रख दी हो
वो भी एक गहरी सास लेके बोले - मन तो बहुत है बेटा लेकिन क्या कर सकता हू यहा ,,अब तो गाव जाकर ही कुछ हो पायेगा
मै हस कर - गाव मे कोई खास है क्या नाना
नाना ह्स कर- नही रे , वो बस काम चलाऊ है ,,, मजा तो किसी अपने के साथ ही आता है
मै ह्स कर उनकी बाते सुन रहा था
फिर हम थोडा देर टहले और निचे आ गये ।
हाल मे पापा और अनुज भी आ गये थे ।
फिर थोडा पापा ने सगाई की तैयारियो को लेके बात की और मेरी नजर अनुज पर गयी तो वो भी आज मा को कुछ ज्यादा ही कनअंखियो से निहार रहा था ।
मै उसकी हरकत पर मुस्कुरा और सोचने लगा, एक ही तीर से दो घायल हो रहे है ।
फिर हम सब खाना खाने बैठ गये ।
खाने के दौरान गीता बबिता ने जिद की आज वो मेरे साथ सोयेंगी
इतने मे अनुज उखड़ कर बोला - हा दीदी आप उन्ही लोगो के साथ रहो ,,,मेरे साथ तो कोई रहना ही नही चाहता ना ही बात करना चाहत है ।
मा को इसका बुरा लगा और वो उसको अपने सीने से लगा ली तो वो ममता की ओट मे फफक पड़ा,,,वही नाना का ध्यान अनुज के सर मा की चुचियॉ मे कितना घुसा है उसपे था ।
गीता अनुज को रोता देख उसे बडी मासूमियत से समझाते हुए बोली - देखो अनुज ,,इस घर मे सबसे बडी दीदी है तो कल ऊनके साथ सोयी ,,उसके बाद राज भैया है तो आज उन्के साथ और फिर कल तुम्हारे साथ सो जायेन्गे हम
बबिता - आ भाई तू रो मत
कल हम तेरे साथ घूमने भी तो जायेंगे ना
फिर थोडा हस्नुमा माहौल बना और खाना खाने के बाद
मा ने नाना के गेस्टरूम मे व्यव्स्था कर दी और बाकी लोग अपने तय कमरे मे चले गये सोने
मै भी गीता और बबिता के साथ अपने कमरे मे चला गया ।
जारी रहेगी
Nice update Dost... Nana ka kaam tammam karke hi chodega Raj
Thnxxx brotherFantastic update waiting for next
Pta nhi dost kiska nada dhila hone wala hai ... ab ye to next update se hi link milegaलगता है नाना और अनुज दोनों का कच्छा खुलने वाला है
Bahut bahut dhanywaad bhai Keep supporting and enjoy storyReally fantastic update... waiting more..maa ke sath nana, raj aur papa eksath threesome waiting...
Bhut sundar aur shandaar update haiUPDATE 94
चाची के जाने के बाद मैने दुकान संभाली और फिर शाम को समय से निकल गया घर ।
रात को खाने पर भी आज दोपहर अमन के यहा की चर्चा हुई और फिर सारे लोग अपने कमरो मे गये ।
खाने के टेबल पर ही सोनल का मोबाईल बार बार रिंग हुआ था , शायद अमन ही फोन कर रहा था ।
मैने एक दो बार उसे इशारे से चिढ़ाया भी ।
आज रात सोनल बिजी रहने वाली ही थी तो मै चुपचाप मम्मी पापा के कमरे मे आ गया । जहा मा अभी बिस्तर लगा रही थी और पापा कही बात कर रहे थे ।
मै भी पापा के बगल मे बैठा और उधर मा बिस्तर ल्गा कर अपनी साडी निकाल कर फ़ोल्ड करने लगी ।
फिर पापा ने फोन रखा
मै - किसका फोन था पापा
पापा खुश होकर - अरे मेरे साले साहब का था भाई ,, वो बता रहे थे कि एक दो दिन बाद तेरे नाना आने वाले है यहा
मै खुशी से - सच मे पापा नाना आएंगे
मा भी खुश हुई - क्या सच मे जी बाऊजी आने वाले है
पापा - हा अब राजेश ने यही कहा है ।
मै एक नजर मा को देखा तो वो मेरी आंखो मे देख कर मुस्कुराते हुए इशारे मे पूछी क्या है
मै भी एक कातिल मुस्कान के साथ ना मे सर हिलाया
वो समझ गयी थी मेरा इशारा
पापा - बस एक दो दिन मे ये सगाई का दिन तय हो जाये तो सब रिशतेदारों को खबर किया जाये और आगे की तैयारी की जाये ।
मा - लेकिन राजेश ने बताया नही क्या कि बाऊजी किस काम के लिए आ रहे है
पापा - वो उनको पास के गाव मे काम है तो यही रहेंगे कुछ दिन और यही से काम खतम कर चले जायेन्गे ।
मा खुश थी और कुछ सोच रही थी
इधर मेरे मन में भी कुछ प्लानिंग बन रही थी ।
खैर हम सब सोने मतलब अपना मूड बनाने बिस्तर पर गये और एक राउंड के बाद मुझे दोपहर मे हुए चाची के साथ की घटना याद आई
मै - मा अब तो बताओ की हुआ क्या था चाची और पापा के बिच
मा हस कर - अरे बताया तो था कि ये गलती से तेरी चाची को मुझे समझ कर पकड लिये थे ।
मै - बस पकडे ही थे
पापा मुझे देख कर मुस्कुराये
मा हस कर - हा अब तेरे पापा इतने भी शरीफ तो नही होगे क्यू जी ,,,आप ही बता दिजीये क्या हुआ था
पापा हस कर - अरे शुरु हुआ तो सब गड़ब्ड़ी मे ही था , जैसा तुमने देखा था । हुआ यू की मै जब कमर मे घुसा तो देखा की कोई एक बाथरूम मे घुसा है और अभी ज्यादा समय भी नही हुआ था घर मे आये तो मुझे लगा कि प्राथमिकता के तौर पर रगिनी पहले शालिनी को ही अन्दर भेजेगी
तो मुझे लगा उस समय की शालिनी अन्दर गयी है , जबकी वो कमरे मे खडे होकर दरवाजे की ओर पीठ किये खडी थी
मै धीरे से शालिनी को दबोच लिया पीछे से ही और उसकी कड़ी चुचिया मिजते हुए बोला - अह्ह्ह रागिनी मेरी जान,,,बहुत सुन्दर लग रही हो आज तो ,, आज पिला दो ना दिन मे इनका रस
शालिनी पहले मेरे दबोचने के सहम गयी और फिर चुचियॉ पर मेरे हाथ पड़ने से कुछ बोलने की हिम्मत मे नही रही
फिर मुझे मह्सूस हुआ भी की ये रागिनी नही है
शालिनी कसमसा कर बोली- आह्ह भाईसाहब मै हू उह्ह्ह छोडिए
मै उसकी आवाज से थोडा चौका कि तब तक रागिनी बाथरूम से बाहर आई और फिर बाकी का तुम जान ही रहे हो
पापा की बात खतम होने पर हम सब हसे और वही मै सोच रहा था कि पापा ने तो ब्स गलतफहमी मे मजा लिया था ,,,मैने तो अच्छे से चाची की कड़क चुचिया मिजी थी आज्ज
पापा मा की ओर करवट लेके उनकी चुची सहलाते हुए - सच मे रागिनी ,, शालिनी की चुचिया बहुत टाइट है , जैसे नयी नवेली दुल्हन के
मा थोडा इतरा कर - आप का तो जी ही नही भरता है इनसब से ,,, उससे टाइट और भारी चुचिया तो आपकी होने वाली समधन के है
पापा सिहर कर - हा जान,, समधन जी का जिस्म काफी चौड़ा और भरा है और आज तो वो भी बहुत मस्त लग रही थी
मा हस कर - हा देखा मैने ,,ऐसा घुर रहे थे आप उनको की वो बेचारी की उठ के जाना पडा हिहिहिही
पापा - ऐसी माल को कौन सा घुरे जान
मा - माल हो गयी अभी से वो हिहिहिही आप नही सुधर सकते ना
फिर ऐसे ही ह्सते हुए हम सब सो गये ।
समय बीता और एक दिन बाद मदनलाल पापा से मिलने उनके दुकान पहुचे और फिर वही ऊनहोने बताया की इसी महीने की 28 तारीख को सगाई का दिन फाइनल हुआ है।
फिर उसी शाम को पापा ने घर आने के बाद हाल मे सबको बुलाया और सगाई की डेट बताई गयी ।
मा थोडी परेशान भाव मे - आज तो 14 तारिख है ही मतलब दो ही हफ्ते है अब से ,,,कैसे होगी तैयारी सारी खरीदारि करनी है ।
पापा - हा बात तो सही है , ऐसा करते है कि मै जन्गिलाल से बात कर लेता हू और बोल देता हू कि सगाई की फला तारीख तय हुई है और उससे कुछ दिन पहले ही वो शालिनि और निशा को भेज दे यही रहने के लिए
मै - हा मा सही भी रहेगा और खाना पीना भी सबका यही से हो जायेगा
मा थोडा सोच कर - ठीक है जी जैसा सही
पापा - फिर सब लोग ऐसा करिये कि जिन जिन लोगो को सगाइ के लिये बुलाना है उनकी लिस्ट बना लो , शॉपिंग की लिस्ट भी तैयार कर लो
पापा मुझसे - बेटा राज कल ही जाकर तुम मंदिर मे 28 तारीख के लिए धर्मशाला मे हाल बुक कर दो ।
पापा - बाकी का सजावट , खाने पीने की वयवस्था मै देख लूंगा न
मा - हा ठीक है जी और सब रिस्तेदारो को मै सूचना दे देती हू कल ही
फिर सबका अपना अपना काम तय हुआ और फिर सब सोने के लिए अपने कमरे मे गये ।
अगला दिन
सुबह सुबह नहा धो कर तैयार हुआ और 8 बजे तक निकल गया घर से चन्दू के यहा , क्योकि अकेले जाने की इच्छा नही हो रही थी मेरी ।
मै मार्केट वाले घर आया और चंदू के घर की ओर गया ।
घर मे घुसते ही उसको आवाज लगाया की उसकी मा रजनी ने जवाब दिया उपर सीढ़ीयो से
रजनी - उपर आजाओ बाबू
मै रजनी को देख कर खुश हो गया और मेरे लण्ड ने भी अंगड़ाई ली और होली के दिन की यादे ताजा हो गयी ।
मै झट से उपर गया और बोला - दीदी , चंदू कहा है
रजनी मुस्कुरा कर - अरे वो तो आज तड़के ही बड़े शहर निकल गया अपनी दीदी को लेने
मै खुशी से झटका खाने ल्गा क्योकि मुझे उस दीन की बाते याद आ गयी जब चंदू ने कहा था कि चम्पा के घर आने के बाद पहले वो मुझसे ही चुदवायेगा उसको
मै खुशी से- अरे वाह चंपा आ रही है,,फिर तो बहुत अच्छा है दीदी
रजनी मुस्कुरा कर - क्यू
मै - अरे वो सोनल दीदी की सगाई है ना इसी महीने 28 को , तो वो आ गयी है तो अच्छा ही है ना
रजनी खुशी से - अरे वाह 28 को सगाई ,,लेकिन कहा हो रही है शादी
मै - वो तो यही चमनपुरा मे ही ,, मुरारीलाल जी के यहा
रजनी खुशी से - अरे वाह , फिर तो बहुत अच्छा है ,, वो तो घर मे ही है समझो फिर हिहिही
रजनी - वैसे तू क्यू खोज रहा था चंदू को
मै - अरे दीदी वो मै मंदिर जा रहा था धर्मशाला बुक करने के लिए,,,वो सगाई वही से होनी है ना
रजनी मुस्कुरा कर - ओह्ह लेकिन वो तो शहर गया है
मै - कोई बात नही ,,मै जाता हू थोडा जल्दी है
रजनी उदास होकर - इतनी भी क्या जल्दी है कुछ देर रुक नही सकता मेरे साथ,,मै अकेली ही हू फिल्हाल
मै रजनी की भावना समझ गया
मै हस कर उसके होठ चूसे और बोला - अभी आ रहा हू दीदी ,,ये काम कर लू फिर
रजनी खुश हो गयी - मै इन्तजार कर रही हू ,,,प्लीज जल्दी आना बाबू
मै हस कर निकल गया मंदिर की ओर
वहा पर मन्दिर के महंत जी से बात की , चुकि मेरे पापा चमनपुरा मे काफी चर्चित व्यापारी थे और मंदिर के लिए हर आयोजन मे उनका भारी सहयोग होता था । इसिलिए मुझे वहा कोई परेशानी नही हुई ।
महंत जी ने मेरे अनुरोध पर धर्मशाला के 2 कमरे और एक हाल के साथ रसोई के लिए अलग वयवस्था भी मेरे पापा के नाम से 28 तारीख के लिए दर्ज कर दिया ।
सब कुछ तय होने पर मैने पापा को सूचना दिया ।
मन्दिर से आने के बाद मुझे रजनी का ख्याल आया और मै निकल गया उसके घर की ओर
घर के बाहर मैने एक नजर मारा और चुप चाप उपर चला गया और सीधी का दरवाजा धीरे से अन्दर से बंद कर दिया
।
रजनी एक मैकसी पहले किचन मे खाना बना रही थी । और उसकी उभरी हुई गाड देख कर मै पागल सा होने लगा
मै धिरे से अपना चैन खोल कर लण्ड बाहर निकाल दिया और रजनी को पीछे से दबोच लिया
रजनी चिहुक उठी - अह्ह्हहहह
रजनी खुद को सम्भाल कर कुकर मे सब्जी चलाते हुए - ओह राज बाबू तुमने तो मुझे डरा ही दिया इस्स्स्स्स उम्म्ं आह्ह आराम से बाबू ओह्ह
मै धीरे धीरे रज्नी की भारी चुचीयो को दबाते हुए उसके गाड पर अपना खड़ा लण्ड धंसाते हुए - अह्ह्ह दीदी आपकी चुचिया बहुत मोटी है उह्ह्ह
रजनी के हाथ रुक गये था वो आंखे बंद किये अपनी चुची मिज्वाने का मजा लेने लगी ।
रजनी - ओह्ह्ब बाबू बस थोडा सा रुक जाओ ,, मेराआआह्ह मस्स्स्साआअललाआआ जल्ल जायेगाआआह्ज
उउम्ंमम्मं माआआ आराम से उफ्फ़फ्फ
फिर थोडा सम्भाल कर खुद को सब्जी चलाती और फिर वो पानी डाल कर ढक देती है
मै उसे झटक कर अपनी ओर घुमाते हुए उसके होठ चुसने लगता हुआ और वो मुझे बिना छुए मेरा साथ देती ,,, मै मेरे हाथ से उसके चुतड फैलाते हुए मसल्ता हू और वो उमुउऊ उउउउऊ कर ही होती है
मै उसके होठ आजाद कर देता हू
रज्नी थोडा सास बराकर - ओह्ह्ह,,जरा हाथ धुल लेने दो ना बाबू ,,फिर बराबर का मजा देती हू तुम्हे
फिर वो बेसिन की ओर घूम जाती है और मै उसके गोल गाड के उभार पर अपने पंजे की छाप छोड़ते हुए चटटट से मारता हू ,,, जिससे वो सिहर जाती है ।
तभी कुकर की सीटी बजती है और वो चुल्हा बन्द कर मेरे तरफ बढ़ते हुए मेरे गालो को पकड कर मेरे होठ चुसने लगती है
इस बार मैं सीधे अपने हाथ उसकी चुची पर रख कर दबा देता हू और वो सिहर जाती है । वही उस्का हाथ निचे मेरे लण्ड को पकड कर भीचना शुरु कर देते है
मै उसके हाथो का स्पर्श पाकर सिहर उथता हू
वो फटाक से वही बैठ जाती है और जल्दी से मेरे बेल्ट खोल कर पुरा लण्ड बाहर निकाल लेती है
मै उसकी नशे से भरी आंखे देखता हू और वो मेरे लण्ड को मुथियाते हुए मेरे आन्खो मे देखते हुए मेरे लण्ड के जड़ के पास किस्स करते हुए पहले मेरे आड़ो को ही मुह मे भर लेती है और सुपाडे पर हथेली मे मुथिताये हुए मेरे आड़ो को मुह मे घुमा रही होती है
रजनी बड़ी कामुकता से निचे से उपर की ओर अपने जीभ से मेरे लण्ड के नीचले नसो को ल्साते हुए उपर आती हुए सुपाडे को गपुच कर लेती है
मै - ओह्ह्ह्ह्ह दीइदीई उम्म्ंम्म्ं
रजनी वापस से मेरे लण्ड सीधा उथा कर मेरे सुपाड़े की चमडी को पुरा निचे खिचते हुए सुपाडे के निचले हिस्से ही नस की गांठो को जीभ से कुरेदाने लगती है
मै पागल सा होने लगता हू
और अपने चुतड के पाट सख्त करते हुए अपनी एडिया उचका दी और लण्ड को रजनी के गले की गहराई मे ले गया
शायद ये रजनी के लिए पहला अह्सास था इतना अन्दर तक लण्ड मुह मे लेने की
इसिलिए तो वो 2 सेकेंड मे अफना कर मेरे जांघ को पिटने लगी
मै झट से लण्ड को खिच लिया और हल्का हल्का
कमर चलाते हुए वापस से मुह पेलाई जारी रखी
और थोडी देर बाद मैने उसको अलग कर खड़ा किया वो मदहवास हो चुकी थी और मानो लण्ड के लिए बेताब थी ।
मै फटाक से उनको किचन के रैक पर घुमाया और पीछे से उनकी मैकसी उठा दी
रजनी ने अन्दर कुछ नहीं पहना था , मानो मेरे इन्तेजार सब निकाल बैठी हो
मै उसकी कमर तक मैक्सि को उठाते हुए अपना लण्ड सीधा उसके गाड पे पाटो से टकरा कर उसको पीछे से दबोच लिता और आगे हाथ ले जाकर उसकी मैक्सि के बटन खोलते हुए एक हाथ अन्दर ले गया । जहा उसकी चुचिया भी नंगी थी और निप्प पूरी तरह से तने हुए
मै अपना लण्ड उसके गाड की दरारो मे धंसाते हुए - आह्ह दीदी मै बचपन से इन चुचो का दीवाना हू ,, कैसे इतने बडे है आपके ओह्ह
रजनी सिस्क कर - मुझे नही पता बाबू मै तो हमेशा से ऐसी ही हू ,,,हा शादी के बाद से चंदू के पापा ने बड़े जरुर कर दिये
मै और राह नही कर सकता था इसलिए मैने थोडा रज्नी को झुका कर लण्ड को उसकी पनियाई चुत पर लगा कर एक धक्के मे लण्ड को आधा घुसा दिया
रजनी - अह्ह्ह बाबू आराम से ओह्ह्ह हा ऐसे ही धीरे धीरे और धीरे उम्म्ंमममं
आधे लण्ड घुसाने के बाद मै पीछे नही हटा जहा था वही से लण्ड को थोड़ा दाये बाये कर वही से कमर पर जोर देते हुए अपनी एडिया उच्काई और लण्ड को धकेलते हुए अन्दर जड़ तक पेल दिया
रजनी मुह खोल कर एक गहरी आह भरी और मैने उसके चुचे थामते हुए वापस से एक फुल धक्का मारा और चुत ने लण्ड के जगह देदी
फिर वैसे ही एक हाथ से रजनी की चुची को कस कर पकडे हुए लम्बे लम्बे धक्के लगाने ल्गा
रजनी जो काफी समय से गरम थी झडे जा रही थी और मेरा लण्ड और कड़ा हुआ जा रहा था ,,,
जब रजनी झड़ गयी तो उसे एक ही पोज मे चुदने मे दिक्कत होने लगी
वो दर्द की टीश से आहे भरते हुए - अह्ह्ह बाबू थोडा सा रुक ना
मै अपने धक्के रोकते हुए उसके चुचे को हाथ मे मसलते हुए - क्या हुआ दीदी
रजनी मुझसे अलग हुई और थोडा जांघो को खोलते हुए टहलने लगी ,जिससे मुझे थोडी हसी आई और मै उसे पकड कर उसके बेड मे रूम मे ले गया और बिस्तर पर लिटा ।
रजनी को राहत हुई और मैं झुक कर उसके पसंदिदा काम मे लगा गया
वो मेरे सर को जांघो को दबोचे कसमसा गयी और मैने मेरे जीभ को उसकी चुत मे घुसकर उसके दाने पर अपने अपर लिप्स रगड़ने लगा
रजनी फिर से कामुक होने लगी और उसे लण्ड की चाह होने लगी तो मैने भी देर ना करते हुए उसकी टांगो को अपने कन्धे पर टिकाया और लण्ड को उसकी गीली चुत मे लगा कर वापस से एक बार उसके चुत मे घुसा गया
इस दफा रजनी को लण्ड बहुत अन्दर तक मह्सूस हुआ और वो अपनी आंखे उलटने ही और मैने घुटने के बल होकर अपने कमर को तेजी से उसकी जांघो के बीच पटकना शुरु किया
लण्ड पूरी गहराई तक जाता और रजनी की सासे तक रुक जाती एक पल को और अगले ही पल वो गहरी आह्ह भरती
रज्नी - ओह्ह्ह्ह बाबू बहुत अंदर जाआआ रहाआ है अह्ह्ह मा ऐसे ही चोद और तेज अह्ह्ज्ज उम्म्ंम
मै बिना बोले लम्बे धक्के ल्गाते हुए तेजी से धक्के मारे रहा था और वही रज्नी फिर से झडने के करीब थी और मेरे लंड़ को निचोड़ना शुरु कर दी
अब रजनी के चुत का छल्ला मेरे लण्ड को कसने लगा और मेरे धक्के की गति तेज होने से लण्ड की नसो पर जोर पडने लगा ।
मै अब और तेजी से धक्के मारने लगा और रजनी भी चिल्ल्लते हुए मेरे लण्ड को निचोड़े जा रही थी
मेरा सुपाडा अब जलने लगा था क्योकि मेरे लण्ड की नसो मे मेरा वीर्य भर चुका था ,,, मै अब ज्यादा देर तक नही रोक सकता था और आखिरी धक्को के साथ मैने लण्ड को रजनी की चुत की गहराई मे उतार दिया और सुपाडे को ढील देदी
फिर मुझे झटके लगे और 8 10 बार मे पुरा लण्ड खाली हो गया । वही रजनी मेरे गर्म वीर्य का अह्सास पाते ही झड़ने लगी
मै रजनी के जांघो को छोड़कर उसके उपर लेट गया
हमारी सासे बराबर होने तक हम ऐसे ही बेफिकर सोये रहे
मै - दीदी मेरा वो अन्दर ही रह गया है
रजनी मुस्कुरा कर - कोई बात नही मै पिल्स ले लूंगी
मै वाप्स से उसके होठ चूसे और थोडी देर बाते की सोनल की शादी को लेके और फिर उन्होने मुझे चाय नासता करवाया ।
थोडी देर बाद मै वापस आ गया अपने दुकान पर जहा अनुज बैठा हुआ था
फिर मै भी थोडा दुकान के काम मे लग गया ।
चुकी मा तैयारियो मे व्यस्त थी तो मैने और अनुज ने बारी बारी चौराहे वाले घर जाकर खाना खा लिया और पापा के लिए भी भिजवा दिया ।
शाम को 6 बजे अनुज को दुकान बिठा कर मै पापा के पास चला गया कि कैसे सब तैयारी चल रही है ,, क्या काम हुआ क्या नही
मै दुकान पहुचा तो पापा काम मे लगे थे तो मै वही बैठ कर थोडा इन्तेजार किया और फिर खाली होते ही हमने बाते की ।
पापा ने बताया कि उन्होने अपने कुछ पहचान वालो की लिस्ट बनाई है उनको भी न्योता देना है और टेन्ट , खाने के स्टाल के लिए बुक हो गया है । बस मिठाई और डीजे के लिए बात करना था । और फिर अमन के यहा से उनके कितने मेहमान आयेंगे उनकी लिस्ट ,, कितनी औरते बच्चे आयेगी उन्के लिये गिफ्ट्स सब कुछ अभी बाकी ही था । और घर पर ना जाने क्या हुआ होगा क्या नही ।
इधर पापा के साथ बात करते हुए समय का पता ही नही चला की कब साढ़े सात बजने को हो गये ।
तो पापा ने बबलू काका को बोला की समय से दुकान बंद कर ले
फिर मै और पापा दोनो निकल गये चौराहे के लिए ।
रास्ते भर भी हमारे बीच बस सगाई की तैयारियो को लेके ही बाते चलती रही ।
हम चौराहे वाले घर पर पहुचे तो बाहर एक बोलोरो खड़ी दिखी ,
उसे देखते ही मै खुशी से झुम उठा और जल्दी से दरवाजा खोलते हुए घर मे घुसा
हाल मे आते ही मेरी खुशी दूगनी हो गयी क्योकि नाना घर आ चुके
मै आगे बढ़ कर नाना के पैर छूकर- नमस्ते नाना ,,, आप कब आये बताया भी नही
नाना मुझे खिच कर अपने पास बिठाते हूए - अरे पहले इधर आ मेरे बच्चे
फिर नाना ने मुझे गले लगाया
मै - कैसे हो आप नाना हिहिहिह
नाना हस कर - एक दम तेरी तरह जवान हू अभी हाहाहहा
मै मुह बनाते हुए - हा लेकिन आपने बताया क्यू नही कि आप आ गये हो
नाना हस कर - वो तुम लोग क्या देते हो भई,,,
इतने मे गीता बबिता की एक साथ आवाज आई सीढ़ी पर से - सरप्राइज़ज्ज्ज्ज
मुझे मानो खुशियो की टोकरी मिल गयी थी
मै - अरे गुडिया और मीठी ,,,
वो दोनो आई और मुझसे लिपट गयी
गीता ह्स्ते हुए - वी मिस यू भैया बहुत साराआ
बबिता तुन्क कर - आप तो भूल ही गये हमे इतने दिनो मे एक बार भी याद नही किया हुह
मै कान पकड़ कर सॉरी बोलने लगा
तो वो दोनो मुझसे वापस लिपट गयी । आहहहह काफी समय बाद उनके मुलायम भरे बदन का अह्सास मिला था करिब एक साल होने को आ गये थे ।
दोनो पहले से काफी भर भी गयी थी ।
मै अचरज से - वैसे तुम लोगो ने भी नही बताया की तुम लोग आ रही हो
गीता - हमने सोचा क्यू ना आपको सरप्राईज दे
बबिता खुशी से - और हमने 10वी भी तो पास कर ली हिहिहिही तो सोचा भैया को मिठाई खिला दू
मेरी खुशी मे तो चार चांद लग गये । इधर गीता बबिता की बाते खतम ही नही हो रही थी और उधर पापा आये तो नाना जी के पैर छूए और हाल चाल लिया ।
फिर थोडी ही देर मे अनुज भी घर आ गया और वो भी नाना और गीता बबिता से मिला ।
अनुज गीता बबिता से कुछ महीने छोटा था तो वो उन लोगो को दिदी ही कह रहा था ।
फिर थोडी देर बाद खाने के टेबल पर सब लोग एक साथ खाना खाने बैठे और सोनल की शादी को लेके चर्चा हूई ।
मा ने तो जिद कर दी कि गीता बबिता को सगाई तक रुकने के लिए
लेकिन नाना ने कहा की वो सगाई मे फिर से आ जायेंगे सबको लिवा के ,, लेकिन अभी कुछ दिन तक वो रुकेगी ही जब तक उनका खतम ना ही जाये।
खाने के बाद गीता बबिता मेरे साथ ही सोना चाह रही थी लेकिन सोनल ने उन्हे अपने साथ सोने को बोला और वो दोनो भी काफी excited थी अपने नये जीजू के बारे मे जानने के लिए तो वो उपर ही चली गयी ।।
मा नाना के लिए गेस्टरूम मे बिस्तर लगा रही थी लेकिन
नाना जी कहा कि वो अपने दुलारे नाती यानी मेरे साथ ही सोयेंगे ।
फिर सब अपने अपने कमरो मे चले गये सोने के लिए ।
जारी रहेगी
Very nice updateUPDATE 95
खाने के बाद गीता और बबिता को सोनल अपने साथ सुलाने ले जाती है वही नाना मेरे साथ सोने के लिए बोल देते है ।
कमरे मे जाते ही मै फैन चालू करता हू
नाना - बेटा गरमी तो बहुत है आज
मै - हा नाना वो तो है ही ,,, आप भी अपना कुर्ता निकाल दिजीये आराम रहेगा
नाना - हा सही कह रहा है बेटा
फिर नाना अपना कुर्ता निकालते तो उसका कसा हूआ शरीर अब भी वैसे ही था ,, हालकी शरीर के बाल लगभग मे सफेद हो चुके थे मगर शरीर कही से ढिला नही था ।
नाना ने अपनी धोती भी निकाल दी और अब एक बनियान और जान्घिये मे थे ।
मैने भी अपने कपडे निकाल कर बनियान और अंडरवियर मे आ गया ।
हम लेटे ही थे कि तभी दरवाजे पर दस्तक हुई
चुकि मै दीवाल की ओर सोया था तो नाना की बेड से उतर कर उसी अवस्था मे दरवाजा खोलने गये ।
दरवाजा खुलते ही सामने मम्मी खडी थी और उनके हाथ मे पानी का ग्लास था
मम्मी इस समय एक ब्लैक नायलान मैकसी बिना दुपट्टे के पहने हुए थी जिसमे उनकी छातियो का उभार निकला हुआ था और नाना की नजर भी सीधा उसी पर गयी पहले ।
मम्मी नाना को ऐसे हाल मे देख कर पहले थोड़ी हिचकी फिर सामन्य होते हुए -
बाऊजी आपकी दवाई कहा है
ये बोल कर मा नाना के सामने से कमरे मे घुसती है और उनके बैग से उनकी दवाई निकाल कर उन्हे देती है
नाना तो बस मा की कसी हुई जिस्म को मैक्सि के उपर से उसका कटाव निहार रहे थे ।
फिर मा ने दवा और पानी नाना को दी और फिर चली गयी ।
नाना ने दरवाजा बंद किया और वापस घुमे तो उनके जांघिये मे उनका उभार साफ दिखने लगा
मेरा भी लण्ड नाना और मम्मी के बारे मे सोच कर अंगड़ाई ले चुका था ।
नाना वापस आये और थोडा गुमसुम से लेटे ।
मै - क्या हुआ नाना जी , क्या सोच रहे हो आप
नाना मुस्कुरा कर - कुछ नहीं बेटा बस ऐसे ही तेरे रज्जो मौसी की याद आ गई,,,वो भी मेरा ख्याल अच्छे से रखती थी , समय से दवा देती थी ।
रज्जो मौसी की नाम सुन कर ही लण्ड तनमना गया और मै समझ गया कि नाना को रज्जो मौसी की याद क्यू आई ।
मै थोड़ा मजा लेने के मूड मे - नाना तो कहिये अभी फोन लगा दू रज्जो मौसी को
नाना हस कर - अरे नही बेटा फोन पर और आमने सामने मे फर्क होता है ।
फिर नाना उठे और अपनी करते के जेब से अपनी तम्बाकू वाली डीबीया निकाली
नाना को आदत थी कि वो सोने से पहले थोडा तम्बाकु चबाते थे
इसिलिए वो मुझसे बाते करते हुए तम्बाकू मलना शुरु कर दिये ।
मै ह्स कर - क्या नाना जी ,,क्यू खाते हो ये सब आप
नाना हस कर तम्बाकू रगड़ते हुए - अरे बेटा इससे मेरा जोश दुगना हो जाता है और
मै हस कर - हा हा बताया था आपने पिछ्ली बार हिहिहिही
नाना ह्स कर - तब से किसी को पटाया की नही हाहाहा
मै शर्माने के भाव मे - नही नाना कोई नही है
नाना मुझे छेड़ना चाह रहे थे लेकिन मै भी उनसे कुछ चटपति बाते कर उनके राज उगलवाना चाह रहा था
नाना - नही नही ,,,तू जरुर मुझसे छिपा रहा है
मै हस कर - नही नाना आपसे क्या छिपाना ,,,दरअसल बात ये ही कि मुझे आजकल की लड़कीया पसन्द नही आती
नाना अचरज से - क्यू भई
मै थोड़ा गिरे मन से - नाना आजकल की लड़कीया तो फिल्मो का देख कर एकदम पतली हो जा रही है ,,, जीरो फिगर के चक्कर मे
नाना - हा तो उस्से क्या
मै उदास होकर - और मुझे दुबली लड़किया नही पसन्द ,,इसिलिए किसी पर ध्यान नही देता मै
नाना ह्स कर - फिर कैसी लड़किया पसन्द है तुझे
मै जानबुझ कर - अब आप मम्मी , रज्जो मौसी को देख को देख लो ,,भरी भरी कीतनी प्यारी लगती है और कोई ड्रेस उनपे खिल जाता है
नाना थोडा सोच कर - बात तो तेरी ठीक है बेटा , मुझे भी ये नये जमाने वाली लड़किया नही भाती ,, अरे मेरे समय मे गाव की छोरिया दबा के खाना खाती थी और खेतो मे मेहनत करती थी उस्से उनका बदन भरा होता था और एकदम तंदुरुस्त रहती थी ।
मै नाना की बातो मे हा मिलाते हुए - वही तो
मै थोडा शरारती होते हुए - नाना वैसे आपकी भी कोई प्रेमिका थी क्या शादी से पहले हिहिहिही
नाना हस कर - अरे नही बेटा,, शादी से पहले और बाद मे काफी सालो तक मैने पहलवानी की थी । और सादी से पहले मेरे उस्ताद ने वीर्य के दुरुपयोग के मना किया था तो कभी मौका नहीं बन पाया ,,,हा लेकिन जब तेरी नानी से शादी हुई तब मुझे उससे प्यार हो गया
मै नानी की बात सुन कर भावुक हो गया ,,बचपन से मेरी चाह थी कि मै नानी को देखू लेकिन वो तो समय से पहले ही जा चुकी थी
मै - नाना , नानी कैसी दिखती थी
नाना - बिल्कुल तेरे मा जैसी , ऐसी ही हल्की सावली और भरा जिस्म
मै - तो नाना , नानी के जाने के बाद आपने दुसरी शादी क्यो नही की ,
नाना बड़े ही उदास स्वर मे - बेटा उस समय तक मेरी दोनो बेटिया शादी लायक हो गयी थी तो मै कैसे
मै जिज्ञासु भाव से - तो क्या मतलब नानी के बाद से आपने किसी के साथ वो सब ,,,,
नाना हस पड़ें- हाहह्हाह , तू बहुत तेज हो रहा है अब धीरे धीरे हम्म्म्म
मै ह्स कर - बताओ ना नाना प्लीज
नाना - हा गाव मे कभी कभी कोई नौकरानी से मुखातिब हो जाता हू जब ज्यादा इच्छा होने लगती है तो
नाना ने बडी सफाई से झूठ बोला लेकिन मैने भी ठाना था कि रज्जो मौसी का नही तो लेकिन नाना की बहन सुलोचना के बारे मे तो जरुर उगलवा सकता हू
मै थोड़ा उदास मन से - ओह्ह मतलब नानी के जाने के बाद से किसी अपने का सहारा नही मिला आपको
नाना ने एक गहरी सास ली और उपर छत पर देखकर - नही बेटा ऐसी बात नही है ,,,तेरी नानी के जाने के बाद उस गम से निकलने मे मेरी बड़ी बहन ने हर तरह से मदद की थी ।
मै थोडा अंदाजा लगाते हुए - हर तरह से मतलब नाना
नाना मेरे सवाल से उलझन मे आ गये - वो बेटा , उनहोने मेरा बहुत ख्याल रखा और मेरी जरूरतो को पुरा करने के लिए खुद के स्वाभिमान को भी त्याग दिया था ।
ये बोल कर नाना एकदम चुप हो गए
मै जिज्ञासु होकर - मै कुछ समझ नही पा रहा हू नाना ,,थोडा खुल कर बताओ ना
नाना थोडा मुस्कुराये और मुझे सम्झाते हुए - बेटा जब जीवन साथी दुर होता है तो उसके साथ जुड़ी यादे और साथ बिताये पल बहुत कचोटते है । तेरी नानी को मै बहुत चाहता था और हमारे शारिरीक संबंध बहुत ही खास थे ,,, उसके अचानक चले जाने से मै मानसिक रूप से बहुत कष्ट मे था , फिर उस समय मेरी बड़ी बहन सुलोचना ने मुझे सहारा दिया और मेरा ख्याल रखा । एक दिन ऐसे ही मैने उससे अपनी जरुरत बताई
मै उत्सुकता से - कैसी जरुरत नाना
नाना - बेटा मै तेरे नानी के साथ रोज सुबह और रात मे सम्भोग करता था और धीरे धीरे तेरी नानी को गुजरे एक महिना हो गया था तो ऐसे मे मुझे तेरी नानी की याद बहुत आती थी और मेरे सम्भोग की इच्छा प्रबल हो रही थी जिससे मेरा स्वास्थ खराब हो रहा था । सुलोचना बार बार मुझसे मेरे तकलीफ के बारे मे पुछती पर मै उसका भाई था और मै कैसे अपनी सगी बहन से ये सब बांटता
मै उत्सुकता से हुकारि भरते हुए - फिर
नाना - मेरे कंधो पर मेरे दो बेटियो की शादी की जिम्मेदारी थी और राजेश निकम्मा था ही ,, हार मान कर मैने सुलोचना को अपने जरुरत के बारे मे बताया
मै थूक गटक कर - फिर क्या हुआ नाना
नाना एक गहरी सास लेते हुए - फिर क्या बेटा,, उसने एक बड़ी बहन का फर्ज निभाया और मेरे लिए अपने स्वाभिमान को तोड कर मेरे साथ जिस्मानी रिश्ता कायम कर ली ।
नाना का जवाब सुन के मेरे दिल की धड़कन तेज हो गयी और मै एकदम चुप रहा
मै नाना को उदास देख कर गिरे हुए मन से - सॉरी नाना जी मेरी वजह से आपको वो सब याद करना पडा
नाना मुस्कुरा कर - अरे नही बेटा, तू माफी मत मांग ,,मै तो उस वाक्ये को आज तुझसे बाट कर बहुत हल्का मह्सुस कर रहा हू
मै हस कर - तो फिर और कुछ है हल्का करने लायाक तो कर दो नाना जी हिहिहिहिही
नाना मेरे तंज को समझ गये - हाहहह नटखट कही का ,
मै हसते हुए - फिर भी उसके बाद कोई
नाना ना मे सर हिलाते हुए मुस्करा रहे थे ।
हम बात कर रहे होते है कि तभी लाईट कट जाती है और घर मे एक चुप सन्नाटा होता है और सामने पापा के कमरे का कुलर बंद होते ही उन्की चुदाई की हल्की सिसकियाँ और थपथप हमारे कमरे मे सुनाई देने लगती है
जिसे सुनते ही मै नाना दोनो अटपटा मह्सुस करने लगते है ।
मै इस चुप्पी को तोड़ कर - चलिये नाना , थोड़ा बाहर टहल लेते है ,अभी लाईट आ जायेगी
नाना को मेरा सुझाव पसंद आता है और हम लोग अपना कमरा खोलते है तो अभी भी इतनी गरमी मे पापा रुके नही थे ,,और उनकी चोदने की थपथप अब थोडी तेज आ रही थी और मा किस सिसिकियो ने मेरा लण्ड कड़ा हो गया था
फिर मै और नाना गैलरी से होकर बाहर खुले मे आ गया और मुझे हसी आई
नाना - हस क्यू रहा है ,,अरे ये सब तो आम बाते है
मै - हा लेकिन थोड़ा अटपटा लगता है ना नाना ,कि बिजली चली गयी है और इतनी गर्मी मे भी हिहिहिही
नाना हस कर - तू बड़ा नटखट है ,,अरे बेटा इस खेल मे गर्मी का ही तो सारा मजा है हाहाहहा
मै जानबुझ कर अंजान होने का नाटक कर - मतलब नाना जी
नाना हस कर - अरे अब वो दोनो पहले ही लगे हुए थे और अभी लाईट भाग जाने से वो रुक थोडी जायेंगे ,,इस समय मन नही भावनाये हावी होती है जिनसे मे हम आसानी से नही छूट सकते है
मै - ओह्हह ये बात ,, वैसे आपको इनसब अप इतना ज्ञान कैसे है हिहिही
नाना - बेटा अनुभव है सब और क्या हाहाहाहा , मै तो कह रहा हू तू भी इस बार मेरे साथ चल एक आध मस्त तेरे लायाक कोई दिला दूँगा
मै मजे से - हिहिही हा जरुर जाता नाना ,,लेकिन दीदी की सगाई की तैयारियाँ बहुत है ना
नाना - शाबाश बेटा मुझे तुझसे यही उम्मीद थी कि तू जोश या हवस मे अपनी जिम्मेदारीयो से पीछे नही हटा
तब तक लाईट आ जाती है और फिर हम दोनो घर मे आते है , कमरे के पास आते ही मै नाना के सामने की पापा के दरवाजे पर कान लगाता हू
वो मुझे खिच कर कमरे मे ले जाते है
नाना ह्स कर - तू बड़ा बदमाश ,,ऐसे कोई करता है क्या
मै ह्स कर - नही लेकिन उनकी बाते सुनने मे बड़ा मजा आता है हिहिहिही
नाना ह्स कर - बदमाश कही का ,चल अब सो जा बहुत रात हो गयी ।
फिर हम दोनो सो जाते है
अगली सुबह 6 बजे तक मेरी नीद खुलती है। तबतक नाना बाथरूम से बाहर निकल रहे होते है ।
फिर मै ज्ल्दी से बाथरूम मे घुसता हू और थोडी देर बाद बाहर आ जर टीशर्ट लोवर पहन कर बाहर आता हू तो नाना जी हाल मे सोफे पर बैठे हुए किचन मे देख रहे थे और जब मैने ध्यान दिया तो किचन मे मा खड़ी चाय बना रही थी और मैक्सि मे उसके उभरे गाड की गोलाई को नाना निहार रहे थे ।
चुकी कल रात मै नाना से बहुत ज्यादा खुल गया था तो
मै उनके बगल मे जाकर मस्ती करता हुआ उनके कान मे बोला - अब बस भी करो नाना जी ,,मा है वो मेरी हिहिहिही
नाना मानो मेरी बात सुन कर चौके और मुझे बगल मे देख कर हड़बड़ाये - अरे तू कब आया बेटा
मै मुस्कुरा कर - तभी जब आप आँखो का व्ययाम कर रहे थे हिहिहिही
नाना हस कर थोडा झेपे - अच्छा अच्छा हाहहहा नटखट कही का
मै ह्स कर - अरे अब बैठे क्या हो आओ आपको थोडा घुमा टहला दू चलो
नाना हस कर - हा बेटा चल ,मै भी यही सोच रहा था
फिर मै नाना को लिवा कर टहलते हुए बस स्टैंड तक लिवा गया तभी मेरे बगल से सरोजा जी निकली और मुझे हायय राज बोलते हुए आगे निकल गयी और पीछे से उनकी झोल मारती गाड का असर मुझसे ज्यादा नाना पर हुआ
मै भी उनको गुड मॉर्निंग विश किया
नाना सरोजा के पिछवड़े को निहारते हुए - ये कौन थी बेटा,,काफी तगडी लग रही है
मै हसते हुए - अरे नाना ये पापा के दोस्त संजीव ठाकुर की बहन है सरोजा ठाकुर
नाना थोड़ा सोच कर - इसकी शादी नही हुई क्या
मै हस कर - अरे नही नाना ,,इनका तलाख हो गया है दो साल पहले
नाना बूदबुदाते हूए - इतना गदराया माल कौन पागल छोड दिया ,,,
मै नाना की टपोरी जैसी बाते सुन कर हसने लगा
तब तक सरोजा वापस आने लगी और इस बार उसकी उछलती चुचिया थी हमारे सामने और नाना फिर से गरम होने लगे ।
तभी सरोजा मेरे पास आकर रुकी
मै ह्स कर - गुड मॉर्निंग सरोजा जी
सरोजा हस कर - गुड मॉर्निंग राज
मै नाना को दिखा के - सरोजा जी ये मेरे नाना है
सरोजा उनको नमस्ते करती है लेकिन नाना जी तो सरोजा के उभारो मे खोये थे
सरोजा को इसका अह्सास होते ही वो झेप सी गयी और बाद मे फोन करने का बोल कर मुझसे विदा लेली और निकल गयी
फिर मै भी नाना को लिवा कर घर आ गया
घर आने के बाद हमने नासता किया साथ मे ।
पापा और मै अपने दुकान पर निकल गये ।
नाना भी 9 बजे तक अपने जिस काम के लिए आये थे उसके लिये चले गये ।
दोपहर मे अनुज गीता और बबिता के साथ खाना लेके आया।
गीता - अरे वाह भैया कितना अच्छा अच्छा समान बेचते हो आप हिहिहुही
बबिता - हा , ये ईयर रिंग्स देख
मै हस कर - तुम लोगो को जो चाहिये लेलो ,,अनुज तुम्हे दे देगा
गीता इतरा कर - भैया हमे जो चाहिये वो आप ही दे सकते हो ना हिहिहिहू
मै उसकी मस्ती समझ गया और खाने के बाद कुछ प्लान किया ।
खाने के बाद मै गीता और बबिता को बोला - आओ चलो तुम्हे पापा वाले दुकान पर ले चलू
वो दोनो खुशी खुशी राजी हो गयी ,,,
चुकी वो दोनो पहली बार मेरे यहा आई थी तो उन्के लिये सारी चीजे रोमांच्क थी ।
समय के साथ चमनपुरा काफी विकसित टाउन हो गया था ।
पुरे बाजार की रौनक से वो काफी खुश थी और हर नयी दुकान ,,कपड़ो के शो रूम मे उन दोनो की दिलच्स्पी थी तो मैने तय किया क्यो ना सगाई के लिए होने वाली शॉपिंग मे इन दोनो को भी लिवा जाऊ सरोजा कॉमप्लेक्स घुमाने और इनको भी कुछ दिला दिया जायेगा ।
फिर मैने उनको बाजार मे चाट फुल्की भी खिलाया और पापा की दुकान पर ले गया ।
पापा भी दुकान पर थे ग्राहको मे व्यस्त थे ।
मै उन दोनो को अंदर ले गया और बिठाया
गीता - अरे वाह भैया यहा तो कुलर लगा है ,,,कितनी गरमी हो रही है
मै एक नजर बाहर दुकान की ओर देखा और लपक कर गीता को पीछे से दबोच कर उसकी चुचिय मिज दिया वो कसमसा गयी
गीता सिसिक कर - अह्ह्ह भैया आराम से उह्ह्ह माआआ
मै उसके चुचियॉ को कुर्ती के उपर से ही मिजते हुए बबिता को बाहर ध्यान देने का इशारा किया और अपना खड़ा लण्ड गीता के पिछवाड़े धसाने लगा
मै - आह्ह मीठी ,, तेरी चुचि तो पहले से मोटी हो गयी है ,,,
गीता - हा भैया बन्टी भी यही कहता है और चिढ़ाता है हमे
मै चौका - बण्टी कौन हैं
गीता - वो हमारे मामा का लड़का है ,,,बहुत गन्दा है ,,मुझको भैस बुला रहा था कुत्ता कही का
मै थोडा राहत की सास ली क्योकि मुझे डर लगा था कि कही इनका उद्घाटन समारोह तो नही हो गया ना
मै वापस से उसकी चुचिया सह्लाते हुए - लण्ड चुसोगी मीठी
गीता सिस्क कर - उह्ह्ह हा भैया बहुत मन कर रहा
बबिता चहक कर - पहले मै भैया ,,,प्लीज
मै गीता को छोडा और उसे दरवाजे के पास भेज दिया और बबिता को पकड कर उसके होठ चुस लिये ।
मै फटाक से लोवर निचे किया और तनमनाया लण्ड को बाहर निकाला
बबिता उसे देख कर थूक गटक ली -- भैया ये बड़ा हो गया है क्या
मै ह्स कर - हा मै भी बड़ा हो रहा हू ना गुड़िया,,,जल्दी करो फिर रात मे हम लोग खुब मस्तियाँ करेंगे
रात के लिए वादे को सुन कर बबिता ने तुरंत मेरे लण्ड को थामा और मुह खोलकर सुपादे को मुह मे लिया
मुझे एक राहत सी हुई और बबिता ने धीरे धीरे लण्ड चुसना शुरु किया
वही गीता ललचाई नजरों से मेरे लण्ड को निहार रही थी ,,उसके कड़े निप्प्ल उसकी कुर्ती से उपर बटन जैसे दिख रहे थे ।
बबिता बड़े इत्मीनान से लण्ड को चुस रही थी
मै गिता को इशारे से बुलाया और वो भी बबिता के बगल मे आकर बैठ गयी
बबिता गीता को अपने मुह से लण्ड निकाल कर देदी और खुद दरवाजे पर आकर खड़ी हो गयी
तभी बबिता चहकी - भैया कोई आ रहा है
मै जल्दी से लण्ड अंदर कर लोवर उपर करता हुआ - पापा है क्या
बबिता - नही कोई दादा जी है
मै समझ गया कि बबलू काका होगे और वही निकले भी ,,,वो अंदर गोदाम से कोई बर्तन लेने जा रहे थे
उन्के वापस जाते ही गीता ने फिर से पहल की
मै - नही मीठी ,रात मे अब ,,आज तुम दोनो मेरे साथ सोना
बबिता - हा भैया यहा डर लग रहा है मुझे भी
मै मुस्कुरा कर उन्हे गले ल्गाया और फिर वापस दुकान मे आ गया ।
थोडी देर पापा से बाते हुई और फिर मै उन दोनो को लेके चौराहे वाले घर निकल गया
जहा हाल मे मा और सोनल सामानो की लिस्ट बना रहे थे । मै उनके साथ काम मे लग गया ।
इधर हम तैयारियो मे थे और वही गीता बबिता , सोनल का मोबाईल चला रही थी , तभी अमन का फोन आने लगा
बबिता - दीदी आपके मोबाईल पर किसी का फोन आ रहा
सोनल - किसका है गुड़िया
बबिता - बाबू नाम से है दीदी
सोनल की आन्खे ब्ड़ी हो गयी और वही मा मुह पर हाथ रख कर हसने लगी , मै ठहाका लगाने लगा
सोनल फटाक से उठी और बबिता से मोबाईल लेके उपर भाग गयी
गीता - किसका फोन था भैया
मै हस कर - तेरे जीजू का
गीता चहक के - सच मे
और वो भी भागती हूई उपर गयी तो बबिता कैसे रुकती, वो भी उसके पीछे भागी
मा और मै हसने लगे
उनके जाते ही मैने मा का हाथ पकड़ा और उनको लेके उनके कमरे मे घुस गया
मा परेशान होकर- क्या कर रहा है राज
मै - मा मेरा मन हो रहा है करने का
मा हस कर - धत्त बच्चे सब है यहा
मै खीझ कर - हा आपका क्या है आपको तो पापा प्यार करते ही है ना , चाहे कितनी गर्मी हो रही हो फिर भी
मा हस कर - मतलब
मै - मैने सुना था रात मे जब लाईट कटी थी और आप लोग तब भी चालू थे ,,,,मेरा बहुत मन कर रहा था
मा हस कर - तो आ जाता तू भी ना
मै उखड़ के - हा नाना भी जग रहे थे
मा शर्मा गयी एकदम से - क्या बाऊजी ने सुना था क्या कल
मै ह्स कर - अरे सुना तो सुना उनको तो रज्जो मौसी की ब्ड़ी याद आ रही थी
मा शर्मा कर - धत्त बदमाश ,तुझे कैसे पता
फिर मैने मा को बताया कि कैसे कैसे मैने उनसे उगलवाया सब और फिर सुबह मे जब वो मा की गाड घुर रहे थे वो भी
मा शर्मा कर - धत्त नही तू झुट बोल रहा है ,,बाऊजी मेरे लिए ऐसा नही सोचते
मै हस के - अगर मै साबित कर दू तो
मा शर्मा कर - कैसे करेगा बता
मै तुरंत मा को एक प्लान बताया जिससे मा ना नुकुर कर रही थी लेकिन मेरी जिद पर मान गयी वो
फिर मै मा को पकड़ कर अपनी ओर खीचा और उनके होठ चुस लिये
वो भी मेरा साथ देने लगी
मै उनसे अलग होकर उनकी आँखो मे देखते हुए
उनकी आंखे नशीली हो रही थी और एक वापस से वो मेरे होठ चुसने लगती है ।
मेरे हाथ उनके कुल्हे सहला रहे होते है और वो लोवर के उपर से मेरे लण्ड को टटोलती है
मै मा को अलग कर उन्हे निचे कर देता हू और मुझे देखते हू निचे बैठ जाती है । फिर लोवर निचे कर मेरे खड़े लण्ड को सहलाते हुए मुह मे भर लेती है और मै हवा म उड़ने लगता हू ।
मुझे सुकून सा मिलरहा होता है। मेरे हाथ मा के बालो मे घूम रहे थे और मा मेरे सुपाडे को चुबला रही होती है ।
लेकिन सुकून तो आज मेरी किस्मत मे लिखा ही कहा था ।
मै और मा अपनी काम क्रीड़ा मे लगे थे कि सीढियो पर गीता बबिता के उधम मचाने की आवाज आती है और मा फटाक से अलग हो जाती है ।
मै भी अपना लण्ड एडज्स्ट कर लेता हू ।
हम दोनो बाहर हाल मे आ जाते है ।
अभी 2 बज रहे होते है तो मै मा को बोल कर निकल जाता हू दुकान के लिए
जारी रहेगी
Wonder full updateUPDATE 96
चौराहे वाले घर से निकल कर मै दुकान आ गया
अनुज बैठा बोर हो रहा था
मै उसके पास गया
मै - और भाई क्या चल रहा है आजकल
अनुज - सब ठीक है भैया , लेकिन अकेले बोर हो जा रहा हू ,, स्कूल भी नही है अब तो
मै - अरे भाई घर मे शादी का माहौल है , इतने काम करने को है और तुम बोर हो रहे ???
अनुज - भैया कोई बात करने के लिए भी तो नहीं होता ना
अनुज के बातो से मुझे दुख हुआ ,, बात सही भी है उसकी ,, एक तो वो बहुत शर्मिला है और उपर से कोई दोस्त नही है उसके ,,,और घर मे भी ज्यादा किसी से घुलता नही है । हा बस राहुल के साथ उसकी जमती थी , वो भी शायद इसिलिए कि दोनो एक ही मिजाज के थे ।
मै उसका मूड सही करने के इरादे से - अरे तो बना ले ना बात करने वाली हिहिही
अनुज शर्मा गया - भक्क भैया ,
मै - अरे कोई तो होगी ,जिसको तुम पसंद करता होगा
अनुज इस पर थोडा झेपा और बोला - हा भैया थी एक स्कूल मे
मै - थी मतलब
अनुज - उससे बात कहा की मैने ,, और अभी कहा पढाई चल रही है
मै हस कर उसके कन्धे पर हाथ रख कर - वैसे उसका घर कहा है हम्म्म
अनुज - पता नही भैया
मै हस कर - अरे उसका नाम क्या है ये तो जानते हो ना
अनुज ना मे सर हिलाया
मुझे बड़ी जोर की हसी आई - भाई तू कूछ जानता है उसके बारे मे , कुछ पता तो कर लेता
अनुज मायूस होकर - नही भैया ,,डर लगता है ,,स्कूल मे सब दोस्त दुष्ट है ,,अगर मै उसके बारे मे किसी से पूछन्गा तो वो ये बात पुरे स्कूल मे फैला देंगे और कुछ होने से पहले ही खतम हो जायेगा
मै अनुज की व्यथा समझ गया क्योकि ये होना तो आम बात थी ही ,,,और मुझे अनुज की समझदारि पर खुशी भी थी कि उसने अपने प्यार के इज्जत की परवाह की ।
मै - हमम बात तो तेरी सही ही है ,, कोई बात नही मन छोटा ना कर , इस बार पढाई शुरु हो तो कोसिस कर लेना हिहिहिही
अनुज ने भी मेरी बात पर हुन्कारि भरी और फिर वो राहुल के पास चला गया ।।
मै ऐसे ही खाली बैठा था कि तभी कोमल का फोन आना शुरु हो गया
मै उस्का नाम देखते ही खुश हो गया
और फोन उठाया
मै - हेल्लो जी क्या हाल चाल
कोमल तुनक कर - हेलो हा कौन भैया
मै हस कर - हिहिही अरररे,,मै राज हू और कौन
कोमल - ओह्ह आप हो क्या ,, सॉरी सॉरी गलती से फोन लग गया , मै रखती हू
मै हस कर - अरे कोमल क्या हुआ ,
कोमल गुस्सा करते हुए - क्या हुआ ,, क्या हुआ ,, अरे सोनल की शादी तय हो गयी और सगाई की डेट तक फाइनल हो गयी और तुमने एक बार बताया ही नही
कोमल नखरे दिखाते हुए - अरे हा बताओगे कैसे ,,,पिछले 2 महीने से बात ही कहा कर रहे है ना हम ,,पहले परिक्षा फिर अनुज घूमने चला गया तो बिज़ी थे और अब सोनल की शादी का बहाना ,,क्यू यही कहोगे ना
कोमल एक सांस मे अपनी भड़ास निकाल कर शांत हुई
मै हस कर - अब ब हा मतलब , जो तुम बोली सही ही है ,, और इस समय नाना और मेरी दो बहने भी आई है घर
कोमल डांटते हुए - चुप करो तुम ,,लो मम्मी से बात करो ,,मै नही बात करने वाली तुमसे हुउउह
मै उसे कुछ समझाता उससे पहले विमला मौसी की आवाज आई
विमला - ह ह हेल्लो , हा राज बेटा
मै खुश होकर - हा नमस्ते मौसी
विमला - हा खुश रहो बेटा,, वो आज दोपहर मे तेरी मा फोन करके सगाई की दिन बताई है ना तभी ने ये गुससा गयी ,,, वो थोडी ना समझ रही है कितना काम है तुझे
मै थोडी सफाई देने के भाव मे - अरे नही मौसी ,,गलती मेरी भी है थोड़ी,, कोई नही आता हू मिलने कुछ दिन मे समय निकाल कर
विमला - अरे नही बेटा कोई जल्दी नही है ,,तू अपना खतम कर ले तभी इधर आना ,,इसका क्या है घर मे बैठ के खा रही है
मै हसने लगा
फिर ऐसे ही थोड़ा हाल चाल हुआ और फिर मैने फोन रख दिया
मै दुकान मे लग गया था शाम को 5 बजे अनुज आया तो मै उसे बिठा कर निकल गया पापा के पास ।
दुकान पर नाना जी आये थे तो उनको देख कर मुझे बड़ी खुशी हुई । फिर हमने थोड़ी बाते की ।
उसके बाद मै नाना को लिवा कर निकल गया चौराहे वाले घर के लिए
रास्ते मे
मै - नाना जी आप किस काम के लिए गये थे
नाना - बेटा वो पास के गाव मे एक प्रधानजी है उन्ही से कुछ काम है,,वो उनकी हमारे गाव मे कुछ खाली जमीन पड़ी हुई है , उसी को लेके वाद विवाद चल रहा है
मै - अच्छा अच्छा ,
फिर हम ऐसे ही बाते करते हुए चौराहे वाले घर गये ।
मा कही दिखी नही शायद अपने कमरे मे थी ।
गीता बबिता भी शायद उपर थी
मै - नाना आप आराम करो मेरे कमरे मे मै मा को बोल्ता हू चाय बना दे आपके लिये
नाना - हा बेटा, मै जरा नहा लू ,गर्मी बहुत ज्यादा है गाव के मुकाबले
मै हा मे सर हिलाया और नाना मेरे कमरे मे गये
मै भी नाना के कमरे मे जाते ही मा के कमरे मे घुस गया । जहा मा अभी अभी नहा कर एक ढीली मैकसी डाले हुए थी और बालो को सुखा रही थी ।
मै मा को देखते ही - ओहो मा ये क्या पहने हो ,,याद है दोपहर मे क्या बात हुई थी अपनी
मा मुस्कुरा कर - हा लेकीन मुझे शर्म आ रही है बेटा
मै मा को पीछे से पकड कर उनके बदन से आ रही भीनी भीनी साबुन की खुशबू से मदमस्त होकर उनके गरदन को चूमा जिस्से मेरे होठ ठन्डे हो गये ।
मै मा को पीछे से पकड कर उनके कन्धे पर ठुड्डी टिका कर - मा पहन लो ना ,,,
मा एक हाथ पीछे कर मेरे गाल सहलाते हुए - उम्म्ंम पक्का ना
मै खुश होकर - हा पक्का
मा शर्मा कर - ठीक है तू बाहर जा मै तैयार होकर आती हू
मै - ठीक है ,,लेकिन याद है ना कैसे पहन्ना है
मा मुझे धकेल कर दरवाजे तक ले गयी और मेरे गाल चूम कर बोली - हा मेरे लाल ,,अब जा हिहिही
मै भी हसते हुए बाहर आ गया हाल मे
और करीब 5 मिंट मे मा तैयार होकर बाहर आई
मा बिल्कुल मेरे मुताबिक तैयार हुई थी ।
मैने मा को एक पुरानी नायलान मैकसी पहनने को बोली थी जो पूरी तरह से कसी हुई हो ।
मा ने एक साल भर पुरानी पिंक कलर मे सिल्क नायलान कपड़े मे एक मैकसी बिना ब्रा के पहनी थी जो बहुत ही कसा हुआ था उनके बदन पर ।
उन्होने हाथ डाल कर चुचियो को सही से सेट कर दिया था ।
और निचे उनकी मैकसी कुल्हे और भी कसी थी । क्योकि उनके वी शेप पैंटी की लास्टीक पूरी तरह से साफ साफ उनके फैले हूए चुतड के पाटो पर उभरी हुई थी । मा ने एक दुपट्टा उपर से लिया हुआ था ,,,क्योकि नाना जी को एक साथ इतने झटके देना सही नही था । लेकिन फिर भी मैने उसे एक गमछे के तौर पर घुमा दिया ताकी हमारी प्लानिंग काम करे
मै मा को एक नजर देखा ,, वो लिपस्टिक और हल्का मेकअप उनको और भी कामुक बना रहा था ।
मा थोड़ी शर्म से नजरे झुका ली मेरे घुर कर देखने पर
मै मा को इशारे मे उनकी तारिफ की
मा - बेटा बहुत कसा हुआ हुआ है उपर
मै - कुछ पाने के लिए कुछ सहना पड़ता है मा हिहिहिही
मा शर्मा कर किचन मे चली गयी और मै अपने कमरे मे
जहा नाना जी तैयार होकर अपनी धोती पहन रहे थे ,,तब तक मै भी हाथ मुह धुल कर फ्रेश हुआ और कमरे मे आया
मै - नाना जी चालिये मा चाय बना रही है
फिर मै और नाना हाल मे आये
हाल मे आते ही मैने एक नजर मा को किचन मे देखा तो वो अपनी चुतड हमारे तरफ किये ही काम कर रही थी
वही नाना ने भी एक नजर मा को देखा और थोडा संकोच किये लेकिन फिर हाल मे सोफे का ऐसा कोना खोज कर बैठे ही वहा से मा के पिछवादे का दिदार होता रहे
मै मुस्कुराया और मोबाईल मे लग गया जानबुझ कर
इधर नाना जी की हालत खराब हो रही थी और उनकी अपनी बेटी की गाड़ पर उभरी हुई पैंटी का शेप देख कर थूक गटकने की नौबत आ गयी थी ।
फिर क्या धीरे धीरे हाथ भी अपनी जगह पर जाने लगे , वही जहा सबसे ज्यादा चुल मचती है ।
मैने कनअखियो से देखा की वो मा के साथ बराबर मेरी ओर भी नजर बनाये हुए है और हौले अपने कसम्सते हुए लण्ड को दबा दिया और फिर एक गहरी सास लेके बैठे रहे
इधर मा ने भी चाय निकाल ली और हमारी तरफ आने लगी
और फिर चाय का ट्रे झुक कर टेबल पर रखा था ,, नाना की नजर मा के डीप गले की मैकसी मे झाकते चुचो पर ही थी और लगातार बनी ही रही ।
मा ने एक कप चाय उठाया और वैसे ही झुके हुए उनकी ओर किया
मा मुस्कुरा कर - बाऊजी चाय
मा की आवाज से नाना जी चौके - ह आ ,, क क्या
मा हस कर - चाय
नाना जी वापस एक नजर मा की नशीली सुरमई आँखो मे देखा और भी उनके मरून लिप्स को और भी एक नजर उन्की घाटी को और गला खरास लगे
मा मुस्कुरा कर - पानी दू क्या बाऊ जी
नाना मा की आवाज सुन कर - हा हा बेटी ,,एक ग्लास देना तो गला कुछ सही नही लग रहा है
मा मुस्कुरा कर खड़ी हुई - ठीक है लाती हू ,,,राज तुझे भी पानी चाहिये बेटा
मै मोबाईल ने ध्यान हटाने का नाटक करता हुआ क्योकि मेरा सारा ध्यान उन्ही लोगो मे था
मै - हा मा चलेगा
फिर मा नाना के करीब से घुमी और जानबुझ कर अपनी चुतडो को और मटकाया
यहा नाना एक गहरी सास लेते हुए वाप्स से अपने फन्फ्नाते नाग के सर को दबाया और कुछ बुदबुदाये
और फिर मा वापस आई और अपनी कसी घाटियो के दरशन के साथ पानी नाना को दिया और मुझे भी
मै - मा आप भी अपना चाय लेके आओ ना बैठो यहा
नाना - हा बेटी आ ना तू भी
मा फिर से वापस अपने चुतड मटकाते हुए गयी और अपना चाय लेके आ गयी ।
मा मेरे और नाना जी के बीच मे बैठी हुई थी और नाना की नजर अब मा की गोल चुचियो मे थी ।
इधर चाय खतम के नाना बोले - बेटा मै जरा पेसाब करके आता हू
मैने मा एक नजर देखा और आपस मे मुस्कुराये और बोला - जी नाना
फिर नाना मेरे कमरे मे गये और इधर मैने उनके लिए एक और झटका तैयार कर दिया
नाना के जाते ही मैने मा का दुपट्टा हटाया और मैकसी के उपर से ही उनकी चुचीयो भर भर मिजा ,,, नतीजन मा गरम हुई और मैकसी मे उनके निप्प्ल पुरे कड़े हो गये और अंगूर के दाने जैसे उभर गये ।
इधर नाना मेरे कमरे मे अपना लण्ड एडज्स्ट करते हुए मा की कसी गाड़ के आहे भरते हुए अपनी धोती ठीक किया और कमरे से वापस हाल मे आये तो आंखे चौडी हो गयी उनकी
क्योकि मा मुझसे सटी हुई मेरे मोबाइल मे झाक रही थी और हम दोनो अपना नाटक कर रहे थे । वही उनकी चुचिय अब साफ साफ गोल गोल कसी हुई नाना को दिख रही और उनका अंगूर के दाने सा उभरा हुआ निप्प्ल ये सोच कर सख्त हुआ जा रहा था की ऊनके बाऊजी उनको हवस भरी नजरो से ताड़ रहे थे ।
यहा नाना खुद को थोडा शांत करने गये थे लेकिन उनको क्या पता यहा और भी झटके मिलने वाले थे उनको
नाना बेजुबान और हक्के से रह गये थे ,,और चुदाई की तलब उनहे मह्सूस हो रही थी । उनकी छ्टपटाहत ऊनके चेहरे से पता चल रही थी
मा फिर उठी और अपना दुपट्टा लिया फिर किचन मे जाते हुए बोली - बेटा जरा सोनल को आवाज देदे तो ।
मै - ठीक है मा बुल देता हू
मै उपर जाने हो हुआ कि नाना बोले - रुक बेटा मै भी चलता हू थोड़ा छत पर टहलने की इच्छा है
मै मुस्कुरा कर नाना के साथ उपर गया और सोनल को आवाज देके निचे भेज दिया और फिर हम दोनो सबसे उपर की मन्जिल पर चले गये ।
उपर खुली शाम की ठंडी हवा मे सास पाते ही नाना को बहुत आराम मिला और एक पल के लिए उनकी उत्तेजना को भी शान्ति मिली
थोडा टहल कर उनके चेहरे पर मुस्कान आई और बोले - आअह्ह्ह्ह अब थोडा आराम मिला है ,,निचे कितनी घुटन सी हो रही थी
मै मुस्कुरा कर - हा निचे गर्मी कुछ ज्यादा ही थी ना नाना जी
नाना जी हिचक कर - अब ब हा हा बहुत गरमी है बेटा
फिर हम दोनो टहल रहे थे कि बगल की छत पर शकुन्तला ताई भी नजर आ गयी
मै उनको आवाज दी - अरे बडकी अम्मा कैसी हो
शकुन्तला- अरे बचवा तुम ,,, हम ठीक है तुम बताओ
मै - मै भी ठीक है बडकी अम्मा
शकुन्त्ला ताई भी इस समय एक मैकसी पहने हुए थी और मेरी आवाज सुन कर वो छत की चार दिवारी पे झुक के मुझसे बात कर रही थी जिससे उनकी घाटी की दरार , हिन्दी मे बोले तो क्लिवेज , ढलती शाम की रोशनी मे भी साफ साफ दिख रहा था
जिसपर नजर मेरे साथ नाना की भी बराबर थी ।
तभी शकुन्तला ताई ने इशारे मे छत पर टहल रहे नाना को पुछा
मै हस कर - अरे ये मेरे नाना जी है
तभी शकुन्तला का निचे से बुलावा आया और वो मुझे बोल कर निचे चली गयी ।
मै वापस नाना के गया और बोला -और नाना जी जम रहा है ना आपको यहा
नाना - हा बेटा ठीक है सब , लेकिन अब चमनपुरा बदल गया है काफी ज्यादा
मै ह्स कर - ऐसा क्यू
नाना - अरे बेटा मेरे समय मे जब मैने तेरी मा की शादी की थी तो एक ग्राम सभा था और यहा एक प्रधान के संपर्क से ही मैने इतना अच्छा रिश्ता बडी मुश्किल से पाया था । क्योकि तब कहा इतनी दुर शादिया होती थी ,,ज्यादतर तो आस पास के गाव मे ही हो जाती थी और कभी कभी तो गाव मे और कभी कभी तो अपने दुर से खानदान मे ही
मै जिज्ञासा से - अपने ही खान दान मे ही शादी ,,ये कैसे नाना जी
नाना - अरे बेटा पहले के समय मे लोगो का परिवार बहुत बड़ा हुआ करता था और कही कही तो लग्भग पुरा गाव की एक ही खानदान का रहता था ।
मुझे सच मे नाना जी की बातो से ताज्जुब हुआ
मै - तो अब कैसा लगता है आपको चमनपुरा नाना जी
नाना - अरे अब तो ये धीरे धीरे शहर होता जा रहा है ,,, देख नही रहा है मेरे उम्र की बुढिया भी कसे हुए कपड़े पहन रही है हाहह्हा
नाना जी का तंज शकुन्तला ताई की ओर ही था , मै समझ गया
मै ह्स कर - अरे नही नाना ,,वो शकुन्तला ताई है ,,उनको आपने अभी देखा ही कहा है
नाना अचरज से - क्यू ऐसा क्या है
मै ह्स कर - कभी सामने से देखना जान जाओगे आप हिहिहिही
मेरे बातो का इशारा जान गये थे नाना जी और उनको वापस से मा की याद आ गयी ।
मै जान बुझ कर - क्या हुआ नाना चुप क्यू हो ,,रज्जो मौसी की याद आ रही है क्या
नाना झेपे - अरे तुझे कैसे पता की मै उसके बारे मे सोच रहा हू ,,
मै - मैने अक्सर देखा है कि आपजब शांत होते हो तो उन्ही को याद करते हो
नाना हस के - अरे नही बेटा,,, दरअसल मै यहा अपनी छोटी बेटी के पास आया हू ना तो उसकी याद आयेगी ही ना
मै खुश होकर - रुकिये फिर मै फोन लगाता हू
मैने फटाक से रज्जो मौसी के पास फोन लगाया
फोन उठाते ही
मै - नमस्ते मौसी ,,कैसी हो
रज्जो खुश होकर - खुश रहो बेटा,, मै अच्छी तू बता
मै - मै भी ठीक हू मौसी ,,आपको पता है नाना जी घर आये है
रज्जो - अच्छा सच मे बात करा तो मेरी
मै फटाक से मोबाईल स्पीकर पर डाला
मै - हा मौसी बोलो , नाना सुन रहे है
रज्जो - नमस्ते बाऊजी
नाना - हा खुश रहो बेटी
रज्जो- और बाऊजी तबियत ठीक है ना ,,दवा समय से खा रहे है ना
नाना - हा बेटी , तू चिन्ता ना कर
रज्जो - और डॉक्टर ने जो बोला था उसका ध्यान रखना ,, दिन मे एक बार से ज्यादा नही ,,, ये नही कि तबीयत ठीक हो रही है तो ,,समझ रहे है ना
नाना थोडा हिचके और एक नजर मुझे देखा - हा हा बेटी ठीक है ,,मै रखता हू
फिर मैने फोन काट दिया ।
फोन रखते ही मै नाना से मुखातिब हुआ ,,जो कि मै जानता था सारी सच्चाई फिर भी
मै - ये क्या कह रही थी मौसी ,कि दिन मे एक बार से ज्यादा नही
नाना थोड़ा हिचक रहे थे - कुछ नही बेटा वो मुझे परहेज से चलना है ना, शरीर भले ही मजबूत ही लेकिन उम्र का असर मन पर होता ही है
मै थोडा उलझन से - समझ नही पा रहा हू नाना जी ,,कैसी परहेज है
नाना एक गहरी सास ली - वो बेटा,, याद है जब तु पिछ्ले साल घर आया था मेरे और मेरी तबियत खराब हुई थी
मै - हा , लेकिन तब भी मुझे समझ नही आया क्यू हुआ ऐसा
नाना - दरअसल बेटा मैने तुझे कल बताया ही गाव मे अपनी तलब के लिए कोई नौकरानी या औरत से मै संपर्क कर लेता था
मै - हा तो
नाना - तो बेटा पिछ्ले साल मैने सम्भोग अपनी हद से ज्यादा कर लिया थ जिस्से मेरे शरिर मे कमजोरी आ गयी थि और उस समय डॉक्टर ने मुझे पूरी तरह से सम्भोग के लिए मना कर दिया था ।।
मै हुकारि भरते हुए - हम्म्म फिर
नाना - फिर वही सब दवा चल रही थी और समय के साथ धीरे धीरे मुझमे सुधार हुआ तो एक बार फिर डॉक्टर से मैने अपना चेकअप किया और मैने उन्हे बताया कि मेरी सम्भोग की तलब से मुझे मानसिक तनाव रहता है
मै - हम्म्म फिर
नाना - फिर डॉक्टर ने सब कुछ चेक किया और मेरी सुधार को देख कर दवाई कुछ समय तक जारी रहने को कही और ये कहा की पहले कुछ हफते मै 3 या 4 दीन के दरमयाँ पर सम्भोग करू और फिर दिन मे सिर्फ एक बार
मै एक गहरी सांस लेकर- ओह्ह ये बात है ,,तो ये रज्जो मौसी को पता है सब
नाना - हा बेटा,, वही तो पहल कर डॉक्टर से मेरा चेकअप करवाई और मुझे स्खती से रखे हुए है हाहहहा
मै - हम्म्म लेकिन आप तो दो दिन से हो यहा और बिना कुछ किये तो आपकी इच्छा नही हो रही है अभी
मेरी बाते मानो नाना की दुख्ती रग पर हाथ रख दी हो
वो भी एक गहरी सास लेके बोले - मन तो बहुत है बेटा लेकिन क्या कर सकता हू यहा ,,अब तो गाव जाकर ही कुछ हो पायेगा
मै हस कर - गाव मे कोई खास है क्या नाना
नाना ह्स कर- नही रे , वो बस काम चलाऊ है ,,, मजा तो किसी अपने के साथ ही आता है
मै ह्स कर उनकी बाते सुन रहा था
फिर हम थोडा देर टहले और निचे आ गये ।
हाल मे पापा और अनुज भी आ गये थे ।
फिर थोडा पापा ने सगाई की तैयारियो को लेके बात की और मेरी नजर अनुज पर गयी तो वो भी आज मा को कुछ ज्यादा ही कनअंखियो से निहार रहा था ।
मै उसकी हरकत पर मुस्कुरा और सोचने लगा, एक ही तीर से दो घायल हो रहे है ।
फिर हम सब खाना खाने बैठ गये ।
खाने के दौरान गीता बबिता ने जिद की आज वो मेरे साथ सोयेंगी
इतने मे अनुज उखड़ कर बोला - हा दीदी आप उन्ही लोगो के साथ रहो ,,,मेरे साथ तो कोई रहना ही नही चाहता ना ही बात करना चाहत है ।
मा को इसका बुरा लगा और वो उसको अपने सीने से लगा ली तो वो ममता की ओट मे फफक पड़ा,,,वही नाना का ध्यान अनुज के सर मा की चुचियॉ मे कितना घुसा है उसपे था ।
गीता अनुज को रोता देख उसे बडी मासूमियत से समझाते हुए बोली - देखो अनुज ,,इस घर मे सबसे बडी दीदी है तो कल ऊनके साथ सोयी ,,उसके बाद राज भैया है तो आज उन्के साथ और फिर कल तुम्हारे साथ सो जायेन्गे हम
बबिता - आ भाई तू रो मत
कल हम तेरे साथ घूमने भी तो जायेंगे ना
फिर थोडा हस्नुमा माहौल बना और खाना खाने के बाद
मा ने नाना के गेस्टरूम मे व्यव्स्था कर दी और बाकी लोग अपने तय कमरे मे चले गये सोने
मै भी गीता और बबिता के साथ अपने कमरे मे चला गया ।
जारी रहेगी