UPDATE 94
चाची के जाने के बाद मैने दुकान संभाली और फिर शाम को समय से निकल गया घर ।
रात को खाने पर भी आज दोपहर अमन के यहा की चर्चा हुई और फिर सारे लोग अपने कमरो मे गये ।
खाने के टेबल पर ही सोनल का मोबाईल बार बार रिंग हुआ था , शायद अमन ही फोन कर रहा था ।
मैने एक दो बार उसे इशारे से चिढ़ाया भी ।
आज रात सोनल बिजी रहने वाली ही थी तो मै चुपचाप मम्मी पापा के कमरे मे आ गया । जहा मा अभी बिस्तर लगा रही थी और पापा कही बात कर रहे थे ।
मै भी पापा के बगल मे बैठा और उधर मा बिस्तर ल्गा कर अपनी साडी निकाल कर फ़ोल्ड करने लगी ।
फिर पापा ने फोन रखा
मै - किसका फोन था पापा
पापा खुश होकर - अरे मेरे साले साहब का था भाई ,, वो बता रहे थे कि एक दो दिन बाद तेरे नाना आने वाले है यहा
मै खुशी से - सच मे पापा नाना आएंगे
मा भी खुश हुई - क्या सच मे जी बाऊजी आने वाले है
पापा - हा अब राजेश ने यही कहा है ।
मै एक नजर मा को देखा तो वो मेरी आंखो मे देख कर मुस्कुराते हुए इशारे मे पूछी क्या है
मै भी एक कातिल मुस्कान के साथ ना मे सर हिलाया
वो समझ गयी थी मेरा इशारा
पापा - बस एक दो दिन मे ये सगाई का दिन तय हो जाये तो सब रिशतेदारों को खबर किया जाये और आगे की तैयारी की जाये ।
मा - लेकिन राजेश ने बताया नही क्या कि बाऊजी किस काम के लिए आ रहे है
पापा - वो उनको पास के गाव मे काम है तो यही रहेंगे कुछ दिन और यही से काम खतम कर चले जायेन्गे ।
मा खुश थी और कुछ सोच रही थी
इधर मेरे मन में भी कुछ प्लानिंग बन रही थी ।
खैर हम सब सोने मतलब अपना मूड बनाने बिस्तर पर गये और एक राउंड के बाद मुझे दोपहर मे हुए चाची के साथ की घटना याद आई
मै - मा अब तो बताओ की हुआ क्या था चाची और पापा के बिच
मा हस कर - अरे बताया तो था कि ये गलती से तेरी चाची को मुझे समझ कर पकड लिये थे ।
मै - बस पकडे ही थे
पापा मुझे देख कर मुस्कुराये
मा हस कर - हा अब तेरे पापा इतने भी शरीफ तो नही होगे क्यू जी ,,,आप ही बता दिजीये क्या हुआ था
पापा हस कर - अरे शुरु हुआ तो सब गड़ब्ड़ी मे ही था , जैसा तुमने देखा था ।
हुआ यू की मै जब कमर मे घुसा तो देखा की कोई एक बाथरूम मे घुसा है और अभी ज्यादा समय भी नही हुआ था घर मे आये तो मुझे लगा कि प्राथमिकता के तौर पर रगिनी पहले शालिनी को ही अन्दर भेजेगी
तो मुझे लगा उस समय की शालिनी अन्दर गयी है , जबकी वो कमरे मे खडे होकर दरवाजे की ओर पीठ किये खडी थी
मै धीरे से शालिनी को दबोच लिया पीछे से ही और उसकी कड़ी चुचिया मिजते हुए बोला - अह्ह्ह रागिनी मेरी जान,,,बहुत सुन्दर लग रही हो आज तो ,, आज पिला दो ना दिन मे इनका रस
शालिनी पहले मेरे दबोचने के सहम गयी और फिर चुचियॉ पर मेरे हाथ पड़ने से कुछ बोलने की हिम्मत मे नही रही
फिर मुझे मह्सूस हुआ भी की ये रागिनी नही है
शालिनी कसमसा कर बोली- आह्ह भाईसाहब मै हू उह्ह्ह छोडिए
मै उसकी आवाज से थोडा चौका कि तब तक रागिनी बाथरूम से बाहर आई और फिर बाकी का तुम जान ही रहे हो
पापा की बात खतम होने पर हम सब हसे और वही मै सोच रहा था कि पापा ने तो ब्स गलतफहमी मे मजा लिया था ,,,मैने तो अच्छे से चाची की कड़क चुचिया मिजी थी आज्ज
पापा मा की ओर करवट लेके उनकी चुची सहलाते हुए - सच मे रागिनी ,, शालिनी की चुचिया बहुत टाइट है , जैसे नयी नवेली दुल्हन के
मा थोडा इतरा कर - आप का तो जी ही नही भरता है इनसब से ,,, उससे टाइट और भारी चुचिया तो आपकी होने वाली समधन के है
पापा सिहर कर - हा जान,, समधन जी का जिस्म काफी चौड़ा और भरा है और आज तो वो भी बहुत मस्त लग रही थी
मा हस कर - हा देखा मैने ,,ऐसा घुर रहे थे आप उनको की वो बेचारी की उठ के जाना पडा हिहिहिही
पापा - ऐसी माल को कौन सा घुरे जान
मा - माल हो गयी अभी से वो हिहिहिही आप नही सुधर सकते ना
फिर ऐसे ही ह्सते हुए हम सब सो गये ।
समय बीता और एक दिन बाद मदनलाल पापा से मिलने उनके दुकान पहुचे और फिर वही ऊनहोने बताया की इसी महीने की 28 तारीख को सगाई का दिन फाइनल हुआ है।
फिर उसी शाम को पापा ने घर आने के बाद हाल मे सबको बुलाया और सगाई की डेट बताई गयी ।
मा थोडी परेशान भाव मे - आज तो 14 तारिख है ही मतलब दो ही हफ्ते है अब से ,,,कैसे होगी तैयारी सारी खरीदारि करनी है ।
पापा - हा बात तो सही है , ऐसा करते है कि मै जन्गिलाल से बात कर लेता हू और बोल देता हू कि सगाई की फला तारीख तय हुई है और उससे कुछ दिन पहले ही वो शालिनि और निशा को भेज दे यही रहने के लिए
मै - हा मा सही भी रहेगा और खाना पीना भी सबका यही से हो जायेगा
मा थोडा सोच कर - ठीक है जी जैसा सही
पापा - फिर सब लोग ऐसा करिये कि जिन जिन लोगो को सगाइ के लिये बुलाना है उनकी लिस्ट बना लो , शॉपिंग की लिस्ट भी तैयार कर लो
पापा मुझसे - बेटा राज कल ही जाकर तुम मंदिर मे 28 तारीख के लिए धर्मशाला मे हाल बुक कर दो ।
पापा - बाकी का सजावट , खाने पीने की वयवस्था मै देख लूंगा न
मा - हा ठीक है जी और सब रिस्तेदारो को मै सूचना दे देती हू कल ही
फिर सबका अपना अपना काम तय हुआ और फिर सब सोने के लिए अपने कमरे मे गये ।
अगला दिन
सुबह सुबह नहा धो कर तैयार हुआ और 8 बजे तक निकल गया घर से चन्दू के यहा , क्योकि अकेले जाने की इच्छा नही हो रही थी मेरी ।
मै मार्केट वाले घर आया और चंदू के घर की ओर गया ।
घर मे घुसते ही उसको आवाज लगाया की उसकी मा रजनी ने जवाब दिया उपर सीढ़ीयो से
रजनी - उपर आजाओ बाबू
मै रजनी को देख कर खुश हो गया और मेरे लण्ड ने भी अंगड़ाई ली और होली के दिन की यादे ताजा हो गयी ।
मै झट से उपर गया और बोला - दीदी , चंदू कहा है
रजनी मुस्कुरा कर - अरे वो तो आज तड़के ही बड़े शहर निकल गया अपनी दीदी को लेने
मै खुशी से झटका खाने ल्गा क्योकि मुझे उस दीन की बाते याद आ गयी जब चंदू ने कहा था कि चम्पा के घर आने के बाद पहले वो मुझसे ही चुदवायेगा उसको
मै खुशी से- अरे वाह चंपा आ रही है,,फिर तो बहुत अच्छा है दीदी
रजनी मुस्कुरा कर - क्यू
मै - अरे वो सोनल दीदी की सगाई है ना इसी महीने 28 को , तो वो आ गयी है तो अच्छा ही है ना
रजनी खुशी से - अरे वाह 28 को सगाई ,,लेकिन कहा हो रही है शादी
मै - वो तो यही चमनपुरा मे ही ,, मुरारीलाल जी के यहा
रजनी खुशी से - अरे वाह , फिर तो बहुत अच्छा है ,, वो तो घर मे ही है समझो फिर हिहिही
रजनी - वैसे तू क्यू खोज रहा था चंदू को
मै - अरे दीदी वो मै मंदिर जा रहा था धर्मशाला बुक करने के लिए,,,वो सगाई वही से होनी है ना
रजनी मुस्कुरा कर - ओह्ह लेकिन वो तो शहर गया है
मै - कोई बात नही ,,मै जाता हू थोडा जल्दी है
रजनी उदास होकर - इतनी भी क्या जल्दी है कुछ देर रुक नही सकता मेरे साथ,,मै अकेली ही हू फिल्हाल
मै रजनी की भावना समझ गया
मै हस कर उसके होठ चूसे और बोला - अभी आ रहा हू दीदी ,,ये काम कर लू फिर
रजनी खुश हो गयी - मै इन्तजार कर रही हू ,,,प्लीज जल्दी आना बाबू
मै हस कर निकल गया मंदिर की ओर
वहा पर मन्दिर के महंत जी से बात की , चुकि मेरे पापा चमनपुरा मे काफी चर्चित व्यापारी थे और मंदिर के लिए हर आयोजन मे उनका भारी सहयोग होता था । इसिलिए मुझे वहा कोई परेशानी नही हुई ।
महंत जी ने मेरे अनुरोध पर धर्मशाला के 2 कमरे और एक हाल के साथ रसोई के लिए अलग वयवस्था भी मेरे पापा के नाम से 28 तारीख के लिए दर्ज कर दिया ।
सब कुछ तय होने पर मैने पापा को सूचना दिया ।
मन्दिर से आने के बाद मुझे रजनी का ख्याल आया और मै निकल गया उसके घर की ओर
घर के बाहर मैने एक नजर मारा और चुप चाप उपर चला गया और सीधी का दरवाजा धीरे से अन्दर से बंद कर दिया
।
रजनी एक मैकसी पहले किचन मे खाना बना रही थी । और उसकी उभरी हुई गाड देख कर मै पागल सा होने लगा
मै धिरे से अपना चैन खोल कर लण्ड बाहर निकाल दिया और रजनी को पीछे से दबोच लिया
रजनी चिहुक उठी - अह्ह्हहहह
रजनी खुद को सम्भाल कर कुकर मे सब्जी चलाते हुए - ओह राज बाबू तुमने तो मुझे डरा ही दिया इस्स्स्स्स उम्म्ं आह्ह आराम से बाबू ओह्ह
मै धीरे धीरे रज्नी की भारी चुचीयो को दबाते हुए उसके गाड पर अपना खड़ा लण्ड धंसाते हुए - अह्ह्ह दीदी आपकी चुचिया बहुत मोटी है उह्ह्ह
रजनी के हाथ रुक गये था वो आंखे बंद किये अपनी चुची मिज्वाने का मजा लेने लगी ।
रजनी - ओह्ह्ब बाबू बस थोडा सा रुक जाओ ,, मेराआआह्ह मस्स्स्साआअललाआआ जल्ल जायेगाआआह्ज
उउम्ंमम्मं माआआ आराम से उफ्फ़फ्फ
फिर थोडा सम्भाल कर खुद को सब्जी चलाती और फिर वो पानी डाल कर ढक देती है
मै उसे झटक कर अपनी ओर घुमाते हुए उसके होठ चुसने लगता हुआ और वो मुझे बिना छुए मेरा साथ देती ,,, मै मेरे हाथ से उसके चुतड फैलाते हुए मसल्ता हू और वो उमुउऊ उउउउऊ कर ही होती है
मै उसके होठ आजाद कर देता हू
रज्नी थोडा सास बराकर - ओह्ह्ह,,जरा हाथ धुल लेने दो ना बाबू ,,फिर बराबर का मजा देती हू तुम्हे
फिर वो बेसिन की ओर घूम जाती है और मै उसके गोल गाड के उभार पर अपने पंजे की छाप छोड़ते हुए चटटट से मारता हू ,,, जिससे वो सिहर जाती है ।
तभी कुकर की सीटी बजती है और वो चुल्हा बन्द कर मेरे तरफ बढ़ते हुए मेरे गालो को पकड कर मेरे होठ चुसने लगती है
इस बार मैं सीधे अपने हाथ उसकी चुची पर रख कर दबा देता हू और वो सिहर जाती है । वही उस्का हाथ निचे मेरे लण्ड को पकड कर भीचना शुरु कर देते है
मै उसके हाथो का स्पर्श पाकर सिहर उथता हू
वो फटाक से वही बैठ जाती है और जल्दी से मेरे बेल्ट खोल कर पुरा लण्ड बाहर निकाल लेती है
मै उसकी नशे से भरी आंखे देखता हू और वो मेरे लण्ड को मुथियाते हुए मेरे आन्खो मे देखते हुए मेरे लण्ड के जड़ के पास किस्स करते हुए पहले मेरे आड़ो को ही मुह मे भर लेती है और सुपाडे पर हथेली मे मुथिताये हुए मेरे आड़ो को मुह मे घुमा रही होती है
रजनी बड़ी कामुकता से निचे से उपर की ओर अपने जीभ से मेरे लण्ड के नीचले नसो को ल्साते हुए उपर आती हुए सुपाडे को गपुच कर लेती है
मै - ओह्ह्ह्ह्ह दीइदीई उम्म्ंम्म्ं
रजनी वापस से मेरे लण्ड सीधा उथा कर मेरे सुपाड़े की चमडी को पुरा निचे खिचते हुए सुपाडे के निचले हिस्से ही नस की गांठो को जीभ से कुरेदाने लगती है
मै पागल सा होने लगता हू
और अपने चुतड के पाट सख्त करते हुए अपनी एडिया उचका दी और लण्ड को रजनी के गले की गहराई मे ले गया
शायद ये रजनी के लिए पहला अह्सास था इतना अन्दर तक लण्ड मुह मे लेने की
इसिलिए तो वो 2 सेकेंड मे अफना कर मेरे जांघ को पिटने लगी
मै झट से लण्ड को खिच लिया और हल्का हल्का
कमर चलाते हुए वापस से मुह पेलाई जारी रखी
और थोडी देर बाद मैने उसको अलग कर खड़ा किया वो मदहवास हो चुकी थी और मानो लण्ड के लिए बेताब थी ।
मै फटाक से उनको किचन के रैक पर घुमाया और पीछे से उनकी मैकसी उठा दी
रजनी ने अन्दर कुछ नहीं पहना था , मानो मेरे इन्तेजार सब निकाल बैठी हो
मै उसकी कमर तक मैक्सि को उठाते हुए अपना लण्ड सीधा उसके गाड पे पाटो से टकरा कर उसको पीछे से दबोच लिता और आगे हाथ ले जाकर उसकी मैक्सि के बटन खोलते हुए एक हाथ अन्दर ले गया । जहा उसकी चुचिया भी नंगी थी और निप्प पूरी तरह से तने हुए
मै अपना लण्ड उसके गाड की दरारो मे धंसाते हुए - आह्ह दीदी मै बचपन से इन चुचो का दीवाना हू ,, कैसे इतने बडे है आपके ओह्ह
रजनी सिस्क कर - मुझे नही पता बाबू मै तो हमेशा से ऐसी ही हू ,,,हा शादी के बाद से चंदू के पापा ने बड़े जरुर कर दिये
मै और राह नही कर सकता था इसलिए मैने थोडा रज्नी को झुका कर लण्ड को उसकी पनियाई चुत पर लगा कर एक धक्के मे लण्ड को आधा घुसा दिया
रजनी - अह्ह्ह बाबू आराम से ओह्ह्ह हा ऐसे ही धीरे धीरे और धीरे उम्म्ंमममं
आधे लण्ड घुसाने के बाद मै पीछे नही हटा जहा था वही से लण्ड को थोड़ा दाये बाये कर वही से कमर पर जोर देते हुए अपनी एडिया उच्काई और लण्ड को धकेलते हुए अन्दर जड़ तक पेल दिया
रजनी मुह खोल कर एक गहरी आह भरी और मैने उसके चुचे थामते हुए वापस से एक फुल धक्का मारा और चुत ने लण्ड के जगह देदी
फिर वैसे ही एक हाथ से रजनी की चुची को कस कर पकडे हुए लम्बे लम्बे धक्के लगाने ल्गा
रजनी जो काफी समय से गरम थी झडे जा रही थी और मेरा लण्ड और कड़ा हुआ जा रहा था ,,,
जब रजनी झड़ गयी तो उसे एक ही पोज मे चुदने मे दिक्कत होने लगी
वो दर्द की टीश से आहे भरते हुए - अह्ह्ह बाबू थोडा सा रुक ना
मै अपने धक्के रोकते हुए उसके चुचे को हाथ मे मसलते हुए - क्या हुआ दीदी
रजनी मुझसे अलग हुई और थोडा जांघो को खोलते हुए टहलने लगी ,जिससे मुझे थोडी हसी आई और मै उसे पकड कर उसके बेड मे रूम मे ले गया और बिस्तर पर लिटा ।
रजनी को राहत हुई और मैं झुक कर उसके पसंदिदा काम मे लगा गया
वो मेरे सर को जांघो को दबोचे कसमसा गयी और मैने मेरे जीभ को उसकी चुत मे घुसकर उसके दाने पर अपने अपर लिप्स रगड़ने लगा
रजनी फिर से कामुक होने लगी और उसे लण्ड की चाह होने लगी तो मैने भी देर ना करते हुए उसकी टांगो को अपने कन्धे पर टिकाया और लण्ड को उसकी गीली चुत मे लगा कर वापस से एक बार उसके चुत मे घुसा गया
इस दफा रजनी को लण्ड बहुत अन्दर तक मह्सूस हुआ और वो अपनी आंखे उलटने ही और मैने घुटने के बल होकर अपने कमर को तेजी से उसकी जांघो के बीच पटकना शुरु किया
लण्ड पूरी गहराई तक जाता और रजनी की सासे तक रुक जाती एक पल को और अगले ही पल वो गहरी आह्ह भरती
रज्नी - ओह्ह्ह्ह बाबू बहुत अंदर जाआआ रहाआ है अह्ह्ह मा ऐसे ही चोद और तेज अह्ह्ज्ज उम्म्ंम
मै बिना बोले लम्बे धक्के ल्गाते हुए तेजी से धक्के मारे रहा था और वही रज्नी फिर से झडने के करीब थी और मेरे लंड़ को निचोड़ना शुरु कर दी
अब रजनी के चुत का छल्ला मेरे लण्ड को कसने लगा और मेरे धक्के की गति तेज होने से लण्ड की नसो पर जोर पडने लगा ।
मै अब और तेजी से धक्के मारने लगा और रजनी भी चिल्ल्लते हुए मेरे लण्ड को निचोड़े जा रही थी
मेरा सुपाडा अब जलने लगा था क्योकि मेरे लण्ड की नसो मे मेरा वीर्य भर चुका था ,,, मै अब ज्यादा देर तक नही रोक सकता था और आखिरी धक्को के साथ मैने लण्ड को रजनी की चुत की गहराई मे उतार दिया और सुपाडे को ढील देदी
फिर मुझे झटके लगे और 8 10 बार मे पुरा लण्ड खाली हो गया । वही रजनी मेरे गर्म वीर्य का अह्सास पाते ही झड़ने लगी
मै रजनी के जांघो को छोड़कर उसके उपर लेट गया
हमारी सासे बराबर होने तक हम ऐसे ही बेफिकर सोये रहे
मै - दीदी मेरा वो अन्दर ही रह गया है
रजनी मुस्कुरा कर - कोई बात नही मै पिल्स ले लूंगी
मै वाप्स से उसके होठ चूसे और थोडी देर बाते की सोनल की शादी को लेके और फिर उन्होने मुझे चाय नासता करवाया ।
थोडी देर बाद मै वापस आ गया अपने दुकान पर जहा अनुज बैठा हुआ था
फिर मै भी थोडा दुकान के काम मे लग गया ।
चुकी मा तैयारियो मे व्यस्त थी तो मैने और अनुज ने बारी बारी चौराहे वाले घर जाकर खाना खा लिया और पापा के लिए भी भिजवा दिया ।
शाम को 6 बजे अनुज को दुकान बिठा कर मै पापा के पास चला गया कि कैसे सब तैयारी चल रही है ,, क्या काम हुआ क्या नही
मै दुकान पहुचा तो पापा काम मे लगे थे तो मै वही बैठ कर थोडा इन्तेजार किया और फिर खाली होते ही हमने बाते की ।
पापा ने बताया कि उन्होने अपने कुछ पहचान वालो की लिस्ट बनाई है उनको भी न्योता देना है और टेन्ट , खाने के स्टाल के लिए बुक हो गया है । बस मिठाई और डीजे के लिए बात करना था । और फिर अमन के यहा से उनके कितने मेहमान आयेंगे उनकी लिस्ट ,, कितनी औरते बच्चे आयेगी उन्के लिये गिफ्ट्स सब कुछ अभी बाकी ही था । और घर पर ना जाने क्या हुआ होगा क्या नही ।
इधर पापा के साथ बात करते हुए समय का पता ही नही चला की कब साढ़े सात बजने को हो गये ।
तो पापा ने बबलू काका को बोला की समय से दुकान बंद कर ले
फिर मै और पापा दोनो निकल गये चौराहे के लिए ।
रास्ते भर भी हमारे बीच बस सगाई की तैयारियो को लेके ही बाते चलती रही ।
हम चौराहे वाले घर पर पहुचे तो बाहर एक बोलोरो खड़ी दिखी ,
उसे देखते ही मै खुशी से झुम उठा और जल्दी से दरवाजा खोलते हुए घर मे घुसा
हाल मे आते ही मेरी खुशी दूगनी हो गयी क्योकि नाना घर आ चुके
मै आगे बढ़ कर नाना के पैर छूकर- नमस्ते नाना ,,, आप कब आये बताया भी नही
नाना मुझे खिच कर अपने पास बिठाते हूए - अरे पहले इधर आ मेरे बच्चे
फिर नाना ने मुझे गले लगाया
मै - कैसे हो आप नाना हिहिहिह
नाना हस कर - एक दम तेरी तरह जवान हू अभी हाहाहहा
मै मुह बनाते हुए - हा लेकिन आपने बताया क्यू नही कि आप आ गये हो
नाना हस कर - वो तुम लोग क्या देते हो भई,,,
इतने मे गीता बबिता की एक साथ आवाज आई सीढ़ी पर से - सरप्राइज़ज्ज्ज्ज
मुझे मानो खुशियो की टोकरी मिल गयी थी
मै - अरे गुडिया और मीठी ,,,
वो दोनो आई और मुझसे लिपट गयी
गीता ह्स्ते हुए - वी मिस यू भैया बहुत साराआ
बबिता तुन्क कर - आप तो भूल ही गये हमे इतने दिनो मे एक बार भी याद नही किया हुह
मै कान पकड़ कर सॉरी बोलने लगा
तो वो दोनो मुझसे वापस लिपट गयी । आहहहह काफी समय बाद उनके मुलायम भरे बदन का अह्सास मिला था करिब एक साल होने को आ गये थे ।
दोनो पहले से काफी भर भी गयी थी ।
मै अचरज से - वैसे तुम लोगो ने भी नही बताया की तुम लोग आ रही हो
गीता - हमने सोचा क्यू ना आपको सरप्राईज दे
बबिता खुशी से - और हमने 10वी भी तो पास कर ली हिहिहिही तो सोचा भैया को मिठाई खिला दू
मेरी खुशी मे तो चार चांद लग गये । इधर गीता बबिता की बाते खतम ही नही हो रही थी और उधर पापा आये तो नाना जी के पैर छूए और हाल चाल लिया ।
फिर थोडी ही देर मे अनुज भी घर आ गया और वो भी नाना और गीता बबिता से मिला ।
अनुज गीता बबिता से कुछ महीने छोटा था तो वो उन लोगो को दिदी ही कह रहा था ।
फिर थोडी देर बाद खाने के टेबल पर सब लोग एक साथ खाना खाने बैठे और सोनल की शादी को लेके चर्चा हूई ।
मा ने तो जिद कर दी कि गीता बबिता को सगाई तक रुकने के लिए
लेकिन नाना ने कहा की वो सगाई मे फिर से आ जायेंगे सबको लिवा के ,, लेकिन अभी कुछ दिन तक वो रुकेगी ही जब तक उनका खतम ना ही जाये।
खाने के बाद गीता बबिता मेरे साथ ही सोना चाह रही थी लेकिन सोनल ने उन्हे अपने साथ सोने को बोला और वो दोनो भी काफी excited थी अपने नये जीजू के बारे मे जानने के लिए तो वो उपर ही चली गयी ।।
मा नाना के लिए गेस्टरूम मे बिस्तर लगा रही थी लेकिन
नाना जी कहा कि वो अपने दुलारे नाती यानी मेरे साथ ही सोयेंगे ।
फिर सब अपने अपने कमरो मे चले गये सोने के लिए ।
जारी रहेगी