UPDATE 76
अब तक
सोनल - मतलब तू हमारे बारे कुछ गलत नही सोचता
मै मुस्कुराते हुए ना मे सर हिलाया
सोनल - तो मतलब हम इसके साथ कुछ भी करे तुझे कोई दिक्कत नही होगी
मै सोचने के भाव मे आ गया और कभी सोनल की कातिल मुस्कान के साथ इतराते चेहरे को देखता तो कभी निशा के शर्मा से नजरे चुरा कर मुस्कुराते हसिन चेहरे को
कभी एक पल को निशा की गुलाबी निप्प्ल वाली चुची को देखकर उसके मुलायम स्पर्श पाने को सिहर उठता तो एक सोनल के मोटी डार्क निप्पल वाली चुची को हथेली मे भर के मिजने का मन करता
आगे ना जाने ये सोनल की शरारत क्या गुल खिलाने वाली थी और क्या कुछ बदलने वाला था हमारी जिन्दगी मे
अब आगे
मै हैरत भरे भाव मे दोनो को देखकर एक छिपी मुस्कान के साथ - हा हा दीदी ,,मुझे क्या दिक्कत हो
तभी सोनल ने हाथ आगे करके मेरा खड़ा लण्ड को मुठ्ठि मे भर लिया और यहा मेरी सासे उपर निचे होने लगी और लण्ड मे कसाव बढ़ने के साथ दीदी के गर्म मुलायम हाथ के स्पर्श से मेरे नशो मे एक बिजली सी दौड़ गयी और मै एक गहरी सास लेते हुए सिहर गया ।
वही निशा शॉक से अपने मुह पद हाथ रख ली की सोनल ने क्या कर दिया एक बहन ने अपने ही भाई का लण्ड पकडे हुए है
निशा हैरत के भाव मे - दीदी ये आ आप क क क्या कर रही है ?????
सोनल - नही निशा आज मुझे परख लेने दे कि इसका इसके अरमानो पर कितना नियन्त्रण है
निशा झिझकर - क्या दीदी जाने दो ना हो जाता है ये सब ,,, ये सब नेचुरल है होना ,,
सोनल अब निशा को लपेटते हुए - क्या कहना चाहती है तू निशा ,,, तूझे भी सेक्स भावना आ रही है क्या इसका खड़ा हुआ देख कर
अब निशा के पास कोई जवाब नही था वो बिच मे बोल के फस गयी थी
निशा शर्मा कर थोडा ह्स्ते हुए - ये क्या कह रही हो दीदी भाई है वो मेरा मुझे क्यू आयेगी ऐसी भावना
सोनल गुस्से का भाव लाके - मुझे तो लग रहा है कि तू भी इसके जैसी ही है तभी ऐसी बाते कर रही है
इतना बोल कर वो निशा हाथ पकड कर उसको निचे घूटनो के बल मेरे लण्ड के सामने बिठा दिया
निशा जिज्ञासा भरे भाव सोनल को नजरे उपर कर देखते हुए पुछती है - ये कया कर रही हो दीदी
सोनल - मुझे तेरा भी नियंत्रण चेक करना पडेगा ,,,मुझे तो तेरी खुद की नियत नही ठीक लग रही है
निशा हस्ते हुए - क्या दीदी आप क्या बोले जा रही हो
तभी सोनल मेरे पीछे खडे होके अपना हाथ आगे लाके मेरे लण्ड निचे से सुपाडे तक हाथ फिराया जिससे मै हिल गया वही दीदी की नंगी चुचियो के नुकीले मेरे पिठ पर चुबने लगे जिससे मेरा पुरा बदन गनगना गया
वही सोनल वापस मेरे चमडी को सुपाडे से निचे खिच के निशा को बोलती है - ध्यान से देख निशा ,,,और बता एक बहन की नजर से तुझे क्या महसूस हो रहा है
निशा ह्स्ते हुए - धत्त दीदी , मुझे शर्म आ रही है
सोनल - मतलब मौका मिले तो तू बहक जायेगी अपने भाई के साथ ही हा
निशा थोडा सिरिअस होके अपने कामुज भावनाओ को छिपाते हुए के - क्या दीदी ये क्या कह रही हो मुझे इसको देख के क्या इसको छू भी लू तो भी मुझे कुछ नही होगा ,,,जैसे आपको नही हो रहा है असर वैसे मुझे भी नही होगा
सोनल - हमम ठीक है फिर पकड
मै चौक के - दीदी !!!!
सोनल - तू चुप रह , निशा तू पकड इसको
निशा सोनल के डांट से सहम गयी और हाथ बढ़ा कर मेरे लण्ड को सहलाने लगी ।
अब मेरे बदन मे अलग ही जोर पड़ रहा था ,,काफी समय से एक जगह खडे होने से मेरे पैर कापने लगे थे और वही निशा बड़ी मादकता से मेरे लण्ड को मुठ्ठि मे कस कर सहला रही थी ।
वही मै अपने पैर ठीक करने के लिए थोडा हिलदुल कर आगे बढ़ा और निशा के चेहरे के पास तक गया । धीरे धीरे कमरे का माहौल बेहद कामूक होने लगा ,,,और सोनल भी पीछे से अपनी चुचिया मेरे पिठ पर घिसते हुए सामने हाथ लाकर मेरे पेड़ू वाले हिस्से को सहला रही थी और उसका चेहरा मेरे कन्धे पर बहुत हल्की मादक आहे भर रहा था ,,,वही निशा भी मेरे लण्ड के स्पर्श के खो गयी ,,, और धिरे धीरे उसने अपने भाव चेहरे पर लाने शुरु कर दिये
मौका देख के मैने अपनी गाड़ के पाटो को सख्त करते हुए लण्ड को और भी तीखा कर निशा के बालो पर हाथ रखा और लण्ड की तरफ बहुत हल्का सा जोर लगाया और मदहोश निशा ने मुह खोल के धीरे से लण्ड को आधा मुह मे भर कर धीरे धीरे चूसना शुरु कर दिया
समय देख कर सोनल मेरे पीछे से हट मेरे बगल मे आई और मै उसके कमर मे हाथ डाल कर अपने करीब करता हुआ उसके होठो को चुस लेता हू
वही इनसब से अंजान निशा , मादकता से भरके बड़ी ही कामुकता से आंखे बन्द किये मेरे लण्ड को बहुत बहुत अन्दर बाहर कर रही थी । जिससे उसके होठो का मुलायाम स्पर्श मुझे झकझोर दे रहा था
वही सोनल ने धिरे से अपना हाथ बढ़ा कर निशा के बालो मे उसके सर पर हल्का जोर देते हुए और ज्यादा लण्ड मुह मे भरने के लिए दबाती है । जिससे मुह मे लण्ड भरे निशा नजरे उपर कर सोनल को देखती है और सोनल मुस्कुरा कर उसे इत्मीनान होने का इशारा कर उसके बालो मे हाथ फेरती है ।
जिससे लण्ड के नशे मे धुत निशा वापस मेरे लण्ड को वैसे ही मादक भरे अंदाज मे धीरे धीरे चूसने लगती है ।
यहा मै सोनल की एक चुची को पकड कर मिजते हुए उसके होठ चुसना शुरु कर देता हू जिस्से सोनल तडप उठती है और मेरे होठो को अपने होठो से चुस्ते हुए खीचने लगती है
वही मेरा दुसरा हाथ सोनल की गाड़ को सहला रहा था
इधर मै और सोनल मस्त थे तभी मुझे आभास हुआ की निशा ने मेरे लण्ड को चूसना बन्द कर दिया और तभी मुझे मेरे और सोनल के चेहरे के बिच एक और चेहरा घुसते हुए मह्सुस होता है और तभी आंखे खुलती है मेरी और देखता हूं निशा भी मेरे होठो को चूसने के फिराक मे झपट रही थी
तो सोनल खुद अलग होके निशा को मौका देती है और मौका मिलते ही निशा मुझ पर झपट पड़ती है और मै भी उसकी कमर मे हाथ डाल कर उसके अपनी तरफ खीच के उसके होठो को चुस्ने लगता हू और हाथ निचे ले जाकर उसकी लोवर मे हाथ घुसा कर उसके गाड़ के मुलायम पात को फैलाते हुए मिजने लगा जिस्से निशा और भी उत्तेजित होकर मेरे होठो को चुस्ने लगी ।
इधर दीदी ने निचे जा चुकी थी और लण्ड को मुह मे भर कर पुरे हवसी ढंग से लण्ड की चमडी को खिच के सुपाडे को सुरकते हुए लण्ड को गले तक उतार रही थी ।
इधर मै अपना सारा सिहरन और उत्तेजना निशा की मुलायम गाड़ पर उतार रहा था और धीरे धीरे उसका लोवर और पैंटी जांघो तक कर उसके गाड़ के सुराख को छेड़ने लगा जिससे तडप कर निशा मेरे होठो को छोड कर मेरे कंधो को थामे सिसकियाँ लेने लगी और मौका देख कर मैं झुककर उस्की गुलाबी निप्प्ल वाली चुची को मुह मे भर लिया जिससे निशा और भी तडप उठी
निशा - अह्ह्ह मा बचाओ दीदी अह्ह्ह उफ्फ्फ अह्ह्ह सीई उम्म्ंम्ं अह्ह्ह भाई धीरे उह्ह्ह
मै बिना कुछ बोले निशा की गाड़ कुदेरते हुए उसकी चुचिया पिए जा रहा था
इधर सोनल के लगातर हवसी ढंग से लण्ड चूसने से मेरे पैर मेरा साथ नही दे रहे थे तो मै निशा को छोडा और सोनल का सर पीछे कर उसके मुह से लण्ड निकाला और खसक कर पास के दीवाल का टेक ल्गा लिया और इसिबिच मदहोश हुई निशा ने झट से अपनी पैंटी और लोवर को निकाल दिया और वापस से मुझ पर झपट पड़ती है और इस बार सामने से अपनी नंगी चुत को मेरे लण्ड के सुपाडे पर घुमाते हुए अपनी जीभ मेरे मुह मे घुमाती है जिससे मै उतेजीत होकर उस्की एक टाँग उठा के कमर तक रख के उसके होठ चुसते हुए और उसकी कमर मे हाथ डाले उसके चुत के निचे हिस्से मे लण्ड को रगड़ कर पीछे गाड़ तक ले जाता
वही मौका पाकर सोनल वापस नीचे बैठ के अपनी जीभ निकाल के मेरे आड़ो को चूसने लगी और
अपनी जीभ मेरे लण्ड के निचले नशो पर फेरते हुए चाटने लगी ,,,कभी कभी मेरे लण्ड के सुपाडे को चाटते चाटते उसकी जीभ निशा की गाड़ के सुराख को छू जाती जिससे निशा मुझे और कस कर दबोच लेती ।
जल्द ही निशा के कूल्हो मे दर्द उठने लगा और वो अपना पैर निचे कर दी और मैने उसको घुमा कर पीछे से पकड़ते हुए उसकी चुचीयो को मिजना शुरु कर दिया और कसमसाने लगी
और फिर मैने झुक कर अपना लण्ड पीछे से उसकी गाड़ के निचे और जांघो के बिच से सामने चुत से लकीर पर निकाला और उसको खुद से चिपका कर उसकी चूचियो को नोचते हुए उसके कंधे को चूमने ल्गा
निशा दर्द और लण्ड के स्पर्श से सिहर गयी और वही सोनल मेरे सुपाडे को निशा की चुत के निचे निकला पाकर फौरन गदरन आगे कर अपनी जीभ निकाल कर मेरे सुपाडे पर जीभ घुमाने लगी और उसको मुह मे भरने की कोसीस मे सोनल के होठ निशा के चुत के दाने को छूने लगे जिससे निशा अपनी कमर उचका देती
इधर जैसे ही सोनल के जीभ निशा के दानो पर पड़े तो निशा हिछूक के - अह्ह्ह दीदी उम्म्ं उफ्फ्फ्च भाई आराम से नोच क्यू रहे है देखो लाल हो गया है उम्म्ंम्म्ं हा ऐसे करो ना उफ्फ्फ अह्ह्ह दीदी क्या कर रही हो उफ्फ्फ
मैने नजर निचे की देखा सोनल मेरे लंड को पकड उसे निचे झुका दिया है और अपने होठो मे निशा की झान्तो से भरी चुत को दबा कर चुबला रही है और साथ मे मेरे लण्ड की चमडी को आगे पीछे कर रही है ।
मुझे समझ नही आ रहा था कि सोनल और निशा के साथ सेक्स इतना अतभुत होगा
जल्दी ही निशा का बदन कापने लगा और वो अपनी पैर के उंगलियो के बल खड़ी होकर अपनी चुत सोनल के मुह पर रगड़ने लगी और सोनल भी मेरे लण्ड को छोड कर निशा की जांघो को थामे पुरा जोर लगा के उसकी चुत को चुस रही थी
निशा ने एक हाथ मेरे कंधो मे डाला और दुसरे हाथ से सोनल के बाल खीचते हुए कापने लगी - अह्ह्ह्ह दीदी अह्ह्ह उह्ह्ह मा उफ्फ़फ्फ आह्ह आह्ह और और रुकना मत मत भाई पकडे रहो मुझे आह्ह आह्ह
मै खुश होकर निशा को उसकी कमर मे हाथ डाल कर अच्छे से सम्भालते हुए उसकी चुचियो के निप्प्ल पर हल्के हाथो से अपने हथेली के खुरडरे स्पर्श से छुता हू जिस्से निशा और उतेजीत हो जाती है और कापते पैरो के साथ अपनी कमर उचकाने लगती है
निशा - ओ माय गॉड दीदी अह्ह्ह आह्ह ओ गॉड ओ मम्मी अह्ह्ज मा उफ्फ्फ अह्ह्ह आह्ह और और और हा हा ऐसे चुसो दीदी ओ मां अह्ह्ह निकाल दो ना उह्ह्ह्ह अह्ह्ह
निशा अपनी जांघो के दर्द और नशो मे उठी उसके कामरस के प्रवाह से मेरे बाहो मे शिथिल पड़ गयी और जल्द ही उसकी कमर ने झटका देना छोड दिया
वही सोनल ने निशा की चुत साफ करते हुए खड़ी हुई तो मै उसको अपनी तरफ खिच कर उसके होठ और जीभ चुसने लगता हू ,,मुझे भी निशा की चुत की भीनी खुशबू और स्वाद की थोडी बहुत अनुभूति हो जाती है ।
वही निशा धीरे धीरे मेरे बाहो से सरक से दीवाल का टेक लेके फरश पर पाव पसारे बैठ जाती है ।
और मै सोनल के जिस्मो को मलने लगता हू ।
और उसको घुमा कर पीछे से पकडते हुए उसकी मोटी चुचियो को मिजते हुए उसके डार्क निप्प्ल को मरोडने लगता हू वही सोनल अप्नी गाड़ मेरे खड़ा लण्ड पर रगड़ने लगती है और मै भी अपने हाथ आगे ले जाकर उसकी चुत को लोवर मे हाथ डाले सहलाने लगा जिससे सोनल और ज्यादा मचलने लगती है ।
मै उसको छोड कर झट से निचे बैठ कर उसका लोवर और पैंटी निचे कर देता हू और उसको दीवाल की तरफ झुकाते हुए अपना मुह सोनल की गाड़ मे लगा देता हू
सोनल अपने एड़ियो को उचका कर अपने गाड़ के पाटो को सख्त कर लेती है और मै उस्क्क जान्घो पर अपने चेहरा घुमाता हू और जल्द ही वापस सोनल अपने गाड़ को ढिला कर देती है ।
इस बार मै दोनो हाथो से सोनल के मुलायाम गुलगले गाड़ के पाटो को फैला कर अपनी जीभ को नुकिला कर सिधा उसके सुराख को छूने लगता हू जिस्से सोनल और अकड जाती है और अपने जांघो को और खोलकर चुतड को मेरे नथनो पे रगड़ने लगती है ।
मै अब लपालप जीभ घुमाते हुए उस्के गाड़ के सास लेते छेद पर जीभ चलाते हुए उसकी चुत के रिस्ते निचले हिस्से को चाटने लगता हू और अपनी चुत के नीचले हिस्सो पर मेरे जीभ का स्पर्श पाकर सोनल अपनी गाड़ उचका अपनी जांघो को और ज्यदा खोल देती है जिससे मेरे जीभ उसकी गर्म चुत मे घुस जाती है और सोनल गनगना जाती है ।
मै वापस खड़ा होके सोनल के कान मे बोलता हू - दीदी चलो ना 69 करते है
सोनल एक मादक भरे मुस्कान मे सिहर का हा मे गरदन हिला देती है और मै खुशी से उसके गाड़ के पाट को सहला कर फर्श पर लोट जात हू और सोनल अपनी गाड़ मेरे मुह पे रखते हुए 69 की पोजीशन मे आ जाती है ।
मै एक गहरी सास के साथ सोनल की चुत और गाड़ की मादक खुस्बु लेके उसके कूल्हो को थामते हूए गरदन उठा कर अपनी जीभ को सोनल के चुत पर चलाना शुरु कर दिया और वही सोनल मे मेरे लण्ड के चमडी को खिचते हुए अपनी अंदाज मे लण्ड को किसी रन्दी के जैसे चूसने लगी ।
मै लगातार अप्नी जीभ सोनल के चुत औए गाड़ के सुराख पर चलाता और कभी कभी ज्यादा गरदन उचि कर अप्नी जीभ उसकी गरम रिसती चुत मे घुसा कर अन्दर का माल चाट लेता । ऐसा करते समय सोनल अप्नी चुत मेरे मुह और दर देती थी और लण्ड को गले तक ले जाती है जल्द ही मेरा लण्ड उसकी लार से भीग गया और मुझे पुरा मन होने ल्गा की दीदी की चुत मे अब लण्ड उतार दू उस्के लिये मै लगातार जीभ से सोनल के बुर की खुदाई किये जा रहा था और तभी सोनल ने मेरे मुह पर बैठ कर अच्छे से चुत के दाने को रगड़ते हुए अपनी कमर झटका कर सीसक्ने लगी और जल्द ही मेरे मुह मे उस्का माल टपकने ल्गा ।
तभी मुझे अपने जांघो के पास एक गरमी सी मह्सूस हुई और सोनल की खुसफुसाहत भी और मै देखने के लिये आगे गरदन ऊचा किया तो सामने निशा खड़ी दिखी कुछ बोलता तब तक वो मेरा लण्ड अपने हाथ मे पकडते हुए अपनी चुत पर सेट कर अपनी गाड़ पे बल दते हुए मेरे लण्ड को अपनी सुखी चुत मे उतार लिया और मेरी चमडी खिचती हुई दर्द भरी आहहह मुझे देते गयी और मै तडप उठा ,,,वही निशा के आखो से आसू छलक प्डे
निशा दर्द से मेरे खडे लण्ड पर जोश मे बैठ तो गयी थी लेकिन उसके कुल्हे और जान्घे दर्द से उभर गये और वो दर्द भरे चेहरे से बोली - आअह्ह्झ मा दीदीईई बहुत दर्द हो रहा है उफ्फ्फ
इधर सोनल झट से मेरे मुह पर से उठी और निशा के बगल मे बैथ के उसकी कमर के नीचले हिस्सो को सहलाने लगी ।
वही निशा मेरे पेट पे हाथ रखे अपनी गाड़ उचका कर धीरे धीरे मेरे लण्ड को दर्द की वजह से छोडना चाह रही थी
सोनल निशा को दुलारते हुए - ब्स ब्स निशा अब नही होगा दर्द,रुक जा बाहर मत निकल
निशा दर्द भरी आवाज मे आसू छलकाती हुई - बहुत जलन हो रहा है दीदी अह्ह्ह
सोनल उसकी पिठ और कमर को सहलाते हुए - धीरे धीरे निचे जाओ निशा कुछ नही होगा ,,, हा आराम से बिल्कुल
इधर निशा सोनल के कहे अनुसार वापस से मेरे लण्ड पर बैठते हुए अपनी चुत मे उसे निगलने लगी और जब जड तक मेरे लण्ड को ले लिया तो एक गहरी सास लेते हुए खुद के आसू साफ करते हुए हसने लगी ।
सोनल उसके आसूओ से भिगे गाल काटते हुए बोली - देखा कुछ नही हुआ
निशा शर्मा रही थी और सोनल के होठो को चूमते हुए बोली - थैंक यू दिदी ,,,अब क्या करु
सोनल ह्स कर -अब धीरे धीरे उपर निचे करके अपने ये गाड़ हिला ,,,सोनल निशा के गाड़ को सहलाते हुए बोली
निशा ह्स्ते हुए अपनी गाड़ को हल्का हल्का हिलाना शुरु किया - अह्ह्ह दीदी उम्म्ं गुदगुड़ी हो रही है अन्दर अह्ह्ह उम्म्ंम
सोनल - अब आया ना मज़ा हीही
वही निशा झुक के मेरे उपर लेट गयी और मेरे होठ चुस्ते हुए बोली - आई लव यू राज
मै उसके गाड़ को सहलाते हुए अपनी कमर उचका कर उसके चुत मे लण्ड को पेलेते हुए कहा -आई लव यू टू दीदी
और धीरे धीरे मैने उस्की कमर को थामे स्पीड बढ़ाते हुए सटासट पेलना शुर कर दिया और जल्द ही उसकी चुत ने मेरे लिये जगह बना ली और उसको मजा आने लगा ,,,वही सोनल बैठी हुई कभी मेरे आड़ो को सहलाती तो कभी सोनल के गाड़ के सुराख को चाटती
कुछ समय की जोरदार कसी हुई चुत मे चोदने और पहले भी लण्ड चुस्वाने से जल्द ही मै झड़ने के करीब था
मै जल्दी से खुद को रोका और निशा को उतार दिया
फिर खड़ा होकर मै अपना लण्ड हिलाते हुए बोला दीदी मेरा आने वला है
मेरे झड़ने की बात सुन के दोनो जल्दी जल्दी मेरे कदमो मे आई और जीभ निकाल कर मेरे पिचकारी का इन्तजार करने लगी
मैने भी अपनी एड़ियो को उचका के अपने गाड़ के पाट को सख्त किया और लण्ड के सुपाडे के नीचली नश को आखिरी सास तक रोकते हुए एक लम्बी आह के साथ वीर्य से भरी ब्ड़ी पिचकारी सोनल के मुह पर छोड दी और दुसरी धार के लिये निशा ने अपना मुह आगे किया और मैने अपना लन्द उसके जीभ पर रख कर हिलाया सारा माल उसकी मुह मे भर दिया और बाकी का माल सोनल ने लण्ड को मुह मे भर कर निचोड लिया । फिर एक दुसरे के होठो को चुसते हुए माल की हेरा फेरि करते हुए हसने लगी ।
मै थक कर दीवाल का टेक लगाते हुए बैठ गया और उनकी हसी मे शामिल हो गया ।
जारी रहेगी
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