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Adultery सपना या हकीकत [ INCEST + ADULT ]

DREAMBOY40

सपनों का सौदागर 😎
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कुछ मेडिकल इमर्जेंसी की वजह से इन दिनों व्यस्त हूं दोस्तो और परेशान भी 🥲
समय मिलने पर अपडेट दिया जायेगा और सभी को सूचित किया जाएगा ।
तब तक के लिए क्षमा प्रार्थी हूं
🙏

 
Last edited:

andyking302

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Update 30

अब तक

मै - तो क्या आप भी अब नाना या मामा से
मा - बेटा मन तो मेरा भी था की एक बार बाऊजी से लेकिन अब बहुत लेट हो गया है ,,,अब उनकी उम्र भी हो चुकी है और पता नही वो पहले जैसे

मैने मा को भावुक देखा तो उनकी तरफ घूम कर बोला - कोई नही मा मै हू ना हिहिहिही

मा - धत्त पागल,,,चल अब बहुत देर हो गई है सो जा ,,, कल शॉपिंग करना है ना
मै भी बुआ की चुदाई से थक गया था रात के 1 बजे थे तो मै भी मा से लिप्त कर सो गया ।


अब आगे

अगली सुबह मेरी निद खुली तो 8बजे थे । रात की थकान से मै देर से उठा था तो देखा मा और पापा उठ चुके है और ऊपर भी चले गए हैं ।

मै रात की बातो को लेकर थोड़ा खुश था और उठकर ऊपर गया तो पापा, अनुज नास्ता कर रहे थे और मा दीदी कीचेन मे थी ।

मैने एक नजर बेडरूम मे डाली तो देखा बुआ कमरे मे भी नही ,,मतलब वो छत पर गयी होगी नहाने के लिए,,,,, बुआ का ख्याल आते ही लण्ड अंगड़ाई लेने लगा । मैंने तुंरत तौलिया लिया और ऊपर च्ला गया नहाने

मै छत पर पहुचा तो देखा बुआ बाथरूम के दरवाजे पर अन्दर की तरफ पैर रखे हुए कपड़े धुल रही थी ।
उस समय बुआ सिर्फ पेतिकोट मे थी और पेतिकोट को अपने भारी चुचो के ऊपर चढा कर बाँधा हुआ था ।

उफ्फ्फ पीछे से उनकी मोटी गाड़ पेतिकोट मे और फैल गई थी । मेरा तो लण्ड खड़ा हो गया था ,,, मैने तुरंत सारे कपडे निकाल कर अंडरवियर मे आ गया और धीरे से बुआ के पीछे बैठ गया और उनकी गरदन मे हाथ डाल कर एक चुची को पकड कर ऊपर खीचते हूए मिजने लगा
बुआ मेरे हुए अचानाक हमले से चौक गयी थी हुचुक कर उठ गई फिर मुड कर देखा तो मै था

बुआ - अरे लल्ला तुने तो डरा ही दिया ,,, और ये क्या कर रहा है तू खुली छत पर

मै - सॉरी बुआ वो आपको ऐसे ओपेन देख कर उत्तेजित हो गया था,,,, और देखो यहा कोई नही देख सकता

बुआ - य्हा कोई नही है लेकिन निचे तो सरे लोग है ना अगर कोई आ जाता तो

मै भी अन्दर बाथरूम मे घुस गया बुआ को हग कर लिया आह्हह कितना मुलायम जिस्म था

मैने उन्के कंधे पर सर रखा और उनकी चुचि के निप्प्ल जो पेतिकोट मे साफ दिख रहे थे उनको सहलाते हुए बोला - बुआ मुझे भी नहाना है आपके साथ
फिर उन्के गरदन को चूमने ल्गा जिसका असर बुआ पर होने लगा

बुआ - अह्ह्ह्ह लल्ला मान जा सब निचे है
मै - पापा दुकान गये , अनुज खेलने चला गया , मा और दीदी कीचेन मे है ,,प्लीज ना बुआ मान जाओ ,,,,
फिर से बुआ की चुचियो को मस्लना सुरु किया और फिर उनका पेतिकोट का नादा खोल दिया जिससे वो सरक कर निचे गिर गया ,,,, दिन के उजाले मे बुआ का गदराया जिस्म और कामुक लग रहा था

मैने बाथरूम का दरवाजा बंद किया और बुआ की कमर मे हाथ डाल कर उनके होटो को चूसना सुरु कर दिया और एक हाथ से उनकी चूचियो को म्सल्ने ल्गा ,,, बुआ जैसी गर्म औरत कैसे पीछे रहती वो भी मेरा साथ देने लगी ।
फिर कुछ देर बाद मैने अपना हाथ उनकी नंगी चुतडो पर घुमाने ल्गा साथ ही झुक कर उनकी चूचि के बड़े बड़े मून्क्के वाले निप्प्ल को चूसने लगा ,,,लेकिन बुआ को चैन कहा उन्होने ने भी मेरे अंडरवियर के ऊपर से मेरे खड़े लन्ड को सहलाना शुरू कर दिया

फिर मै बुआ के काम आसान करते हुए अपना अंडरवियर भी निकाल दिया और वाप्स बुआ की जवानी से खेलने लगा
अब स्थिति यू थी कि मेरे और बुआ के होठ जुड़े हुए थे और मेरा बाया हाथ बुआ की पहाड़ जैसी ऊँची और रबर सी लचीली गान्द पर रेग था जबकि दाये हाथो से बुआ की रसिली मोटी चुचियो की मिजायि हो रही थी ,,वही बुआ का एक हाथ मेरे गरदन पर और दुसरा हाथ से मेरे कडक लण्ड की चमडी को आगे पीछे कर रही थी
फिर हमदोनो ने अपनी पोजिसन बदली और बुआ अपने घुटनो पर आ गयी । चंद पलो मे ही मेरे लण्ड को थोड़ी ठण्डक मिलने लगी ,,,क्योकि बुआ ने मेरे खड़े लण्ड को चूसना सुरु कर दिया था ।
उनके नरम होठ मेरे सख्त लण्ड को लार से लीपने लगे और मुह के अंदर बुआ की जीभ मेरे सुपाडे पर लोटने लगी । इस आनन्द को पाकर मेरे अंदर एक तुफान सा उठने लगा , मेरे लण्ड की नशे और अकड गई,,, क्योकि मुझे बुआ को चोद्ना था तो मै अभी झड़ना नही चाहता था ,,,तो मैने बुआ को उठाया और बोला

मै - बुआ चलो ना नहाते है
बुआ - अरे हा तेरे खड़े लण्ड के चक्कर मे मै तो भूल ही गई,,,हा चल जल्दी आजा
बैठ पहले मै तुझे नहला देती ही
मै खुश हो गया और
फिर मैने निचे बैठ गया और बुआ बाल्टी से पानी निकाल कर मेरे ऊपर डालने लगी ,,, फिर साबुन लेकर पहले बालो मे फिर बॉडी पर साबुन लगाने लगी ,,,कमर तक लगाने के बाद बुआ ने मुझे खड़ा होने हो कहा और फिर मै खड़ा हुआ तो बुआ ने मेरे पैर के साथ साथ मेरे खड़े लण्ड पर भी अच्छे से साबुन लगाया फिर उन्होने पानी डाल कर अच्छे से बदन को साफ किया ,,, शरीर के साथ मेरा लण्ड भी खिल उठा ,

बुआ - बेटा तू चल मै नहा के आती हू ,,आज बाजार जाना है ना हमे

मै - क्या बुआ आपने मुझे नहला दिया अब मै भी तो नहलाउँगा ना आपको

बुआ - हिहिहिह ,, अच्छा लेकिन मुझे बहुत गुदगुदी होगी न
मै - अरे बुआ प्यार से नहलाउन्गा ना
चलो बैठ जाओ आप ।
फिर मैने एक मग्गे मे पानी लिया और थोड़ा थोड़ा करके पानी उनके बालो मे गिराने लगा जिससे पानी एक पतली धार लेके उनकी चिकनी पीठ से होते हुए उनकी मोटी मोटी चुतड की दरारो से होकर बाथरूम के फर्श पर गिरने लगी ,,,, मुझे ऐसे बुआ को छेदने मे मज़ा आने लगा और हल्का हल्का पानी उनके पीठ पर गिरने से वो सिहर जा रही थी ,,,

बुआ - क्या कर रहा है बेटा जल्दी कर कोई आ जायेगा
मैने भी मौके की नजाकत को समझा और अच्छे से पानी डाला । फिर शैम्पू से बुआ के बालो को साफ करने ल्गा ,,,एक बार फिर शैम्पू की गाज बुआ की नंगी पीठ से उनके चुतडो पर जाने लगी जिससे बुआ को उन्के गांड मे खुजली मह्सूस हुई और वो हाथ पीछे ले जाकर चुतडो की दरारो मे खुजली करने लगी जिससे उन्के मोटे मोटे गांड हिलने लगे

फिर मैने बुआ को खड़ा किया और अच्छे उन्की पीठ के साबुन लगाया और पीछे से ही हाथो को आगे कर उनके चुचो पर साबुन लगाकर मसलने लगा थोडी देर बाद मै निचे बैठ कर बुआ की जांघो मे साबुन लगाया और पीछे से ही उनकी गान्द के निचे से हाथ ले जाकर चुत के ऊपर साबुन लगाने ल्गा जिससे बुआ थोड़ा झुक कर अपनी जांघो को खोला तो मैने भी एक हाथ आगे लेजाकर उन्के चुचो को वापस मसलने लगा । फिर मैने बुआ की गान्द को अपने सामने करते हुए उन्हे दीवाल से लगा दिया ,,, मेरे लगातर मसलने से वो नशे मे थी खुद से सिसिकिया लेटे हुए अपनी चुचिया मसल रही थी
फिर मैने साबुन लिया और बुआ की भारी मोटी लचीली गान्द के पाटो पर खुब सारा साबुन लगाने ल्गा और फिर उनकी चुत से लेकर उनके गान्द के उपरी सिरे तक दरारो मे साबुन भर दिया । इधर मेरा लण्ड भी उफान पर था तो मै थोडा साबुन वापस अपने खड़े लण्ड पर लगाया और बुआ की कमर को दोनो हाथो से पकड कर अपने लण्ड को बुआ की साबुन से भीगी हुई गांड की दरारो के ऊपर रगड़ने ल्गा लेकिन मेरे साबुन लगाने से बुआ की गान्द पर फिसलन बहुत ज्यादा थी जिससे मेरा लण्ड बार बार बुआ की जांघो मे उनकी चुत पर टकरा जा रहा था ऐसे मे मुझे एक विचार आया और मैने बुआ को थोड़ा पीछे खीच कर उनको आगे की तरफ झुका दिया जिससे उनकी मोटी गान्ड़ और ज्यादा फैल कर मेरे सामने आ गई । मैने भी मोर्चा सम्भाला और अपना लण्ड को मसल कर साबुन की गाज को ज्यादा किया और दोनो हाथो से उनके लचीले गांड के मोटे पाटो को फैलाया और अपना लण्ड उनकी उभरी गान्ड की दरारो मे डाल दिया और कमर पर हाथ रख कर लंड को गान्ड की गहरी लकीर मे आगे पीछे करने लगा,, कुछ की धक्को मे बुआ के मोटी गान्ड की दरारो ने मेरा आधा लण्ड निगल लिया ,,, साबुन की फिसलन से जल्द ही बुआ की दरारे मेरे मोटे सुपाड़े से चौडी होने लगी,,,ऐसे ही थोडी मस्ती के बाद मैने बुआ की पानी डाल के साफ किया क्योकि उनके बदन का साबुन सूखने लगा था ,,, फिर मैने बुआ को पानी से अच्छे से मल मल कर साफ किया और वापस खड़ा किया ,,, फिर खुद को भी पानी डाल कर साफ किया। मैने उन्के नरम भिगे चुचो पर नजर डाली तो मुह मे पानी आ गया तो वापस से एक बार फिर बुआ की रसिली चुची को पीने लगा ।
सच मे नहाने के बाद बुआ के चुचे और भी ज्यादा नरम और मीठे लग रहे थे । एक बार फिर से मैने बुआ के हाथ मे अपना लंड थमा दिया और वो भी मेरे दिये काम को बखुबी करने के लिए बैठ गई और मेरे लण्ड को निगलना शुरू कर दिया ,,, इसी बिच मेरी नजर बाथरूम के दरख्त पर रखी तेल की शिसी पर गई और मेरे चेहरे पर एक कातिल मुस्कान आ गई ।
करीब 5 मिंट हो चुके थे बुआ को मेरे लण्ड चुस्ते और हमारे बदन का पानी निचड़ चूका था ।
फिर मैने बुआ को घुमा कर उन्हे फर्श पर ही घोडी बना दिया और तेल की शीशी को हाथ मे लेकर उनकी दोनो जान्घो मे बीच घुटनो के बल आ गया । नहाने के बाद से बुआ की गोरी और मोटी गान्ड और ज्यादा मुलायम और चिकनी हो गयी थी।
फिर मैने एक हाथ बुआ की चुत पर रखा जो अभी भी पनियायी थी । फिर मैने उनकी चुत को सहलाते हुए चार उंगलिया उनकी चुत पर और अंगूठा उन्की गान्द की हल्की भूरि छेद पर रखकर सहलाने लगा । मैने तेल की शिशि को अपने मुह से खोला और टप टप टप करके उनकी गाड़ की दरारो मे गिराने लगा ,,,धीरे धीरे तेल रिस कर मेरे अंगूठे तक आई तो मैने उसे बुआ की गाड़ की छेद पर अच्छे से मलने लगा

बुआ - अह्ह्ह्ह लल्ला क्या कर रहा तू
मै - आपके गान्ड मे लण्ड डालने की तैयारी बुआ
बुआ - उम्म्ंम तो जल्दी कर ना। अब रहा नही जा रहा है

मैने भी अच्छे से तेल बुआ की गान्ड मे लिप कर थोड़ा तेल अपने लंड के सुपाडे पे भी लगाया और झुक कर लण्ड को बुआ की गान्द की छेद पर रख कर सुपाडे को जोर देते हुए अंदर ठेल दिया और कुछ ही सैकेण्ड मे बुआ ने अपनी गान्ड को सिकोड़ कर मेरा आधा लण्ड अपनी गान्द मे समा लिया मैने वापस से तेल की शीशी उठाई और बाकी बचे लण्ड के हिस्से और बुआ की फैली हुई गान्ड की छेद की गोलाई पर तेल गिराने लगा और तेल गिराने के साथ ही मैने लण्ड को आगे पीछे करना शुरू कर दिया ।

बुआ - आह्ह बेत कितना तेल गिरायेगा ,,, मेरी गान्ड पहले से ही खुली है ,,बस तू फाड इसको उम्म्ंम्म्ं हा ऐसे ही पुरा जड़ तक लण्ड को डाल अह्ह्ह्ह उम्म्ंम्ं,,, उफ्फ्फ बेटा अह्ह्ह्ह जैसे लग रहा है कितने दिनो बाद लण्ड को गान्ड मे लिया है अह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह आह्हह उउह्ह्ह्ह उम्म्ंम्म्ं हा बेटा चोद और चोद और तेज्ज़्ज़्ज़ अह्ह्ह्ह उम्म्ंम्म्ं

मै भी बुआ को उत्तेजित देख तेज़ी से उनकी गान्ड मे लण्ड डालने लगा ,,, हर धक्के के साथ उनकी लचीली मोटी गान्ड मेरे लण्ड को वापस आधा बाहर की तरफ धकेल देती थी जिससे मुझे कम ताकत मे भी जोरदार चुदाई का आनन्द मिल रहा था । मेरी जान्घे उनकी मोटी चुतडो से लगातर टकरा कर थप थ्प्प्प्प थ्प्प्प थ्प्प्प की आवाजे देने लगी ।,,,,

मै - बुआ बहुत ही मस्त गांड है तुम्हारी ,,,, आप तो लण्ड लेने मे माहिर लगती हो आह्हह क्या मुलायम गान्ड

बुआ - हा बेटा 30 साल हो गये लण्ड लेते हुए तो माआअहिर होओ हीइ जाआऊंगी नाआह्ह्जह्ह्ह्ज उम्म्ंम और तेजह्ह्ह्ज अह्ह्ह्ह मै झडने वाली हू बेटा एक बार चुत मे डाल देगा ,,, बहुत मन है चुत मे लेने का अह्ह्ज डाल दे ना

मै भी बुआ पर तरस खा कर एक झटके मे गान्ड से लण्ड को निकाला और गप्प से उनकी रसिली चुत मे बोर दिया
मै - लो बुआआअह्ह्ह डाआआअललल्ल दियाअह्ह् ,,, लगता है आपको एक साथ दो लण्ड लेने की आदत है तभी इतनाहहहह तड़प रही हो ।

बुआ - अह्ह्ह्ज्ज हम्म्म्मममं उफ्फ्फ्फ उम्म्ंम्ं हहहह अह्ह्ह्ह्ह तेज्ज्ज्ज औउउउउरररर तेजजजजज अह्ह्ह्ह

मै - बोलो ना बुआ कभी लिया है एक साथ दो लण्ड,,,,
बुआ - हा बेटा घर पर तो रोज रात मे दो लण्ड लेती हू तभी तो ऐसी फैल गई हू ना ,,,,, मेरे दोनो पति मिल के चोद्ते है मुझे अह्ह्ह्ह्ह आह्हह फाड दे मेरे चुत को चटनी बना दे मेरे लाल उह्ंम्ंंम उफ्फ्फ्फ अह्ह्ह्ह

मै एक पल को रुक गया दो पति ,, बुआ ने दुसरी शादी भी की है लेकिन किस्से क्यू

बुआ - क्यू रुक गया बेटा अभी पेल दे ना मै बाद मे सब बता दूँगी ,,,आह्हह आह्हह हा ऐसे ही ऐसे ही बेटा ओह्ह्ह्ह्ह्माआआ माआआ उम्म्ंम्ं हा बेटा निकलेगा मेरा अह्ह्ह्ह उम्म्ंम्ं और तेज

बुआ एकदम झडने के करीब तो उन्होंने अपनी चुत को मेरे लण्ड पर कसना सुरु कर दिया जिससे मेरे तेज धक्को ने मेरे लण्ड की नशो को बुआ की चुत मे रगड़ना सुरु कर दिया ,, धीरे धीरे बुआ की चूत ने मेरे लंड को निचोडने लगी और मेरे लण्ड का आकार और बढने लगा ,,, मेरा सुपाडा अब पूरी तरह से तपने लगा और लंड की नशे मेरे वीर्य से भरने लगी,,, लेकिन मेरे धक्के की गति कम नही हुई कुछ ही पलो मे ,,,, बुआ ने अपनी चूत ढीली कर ली और उन्का गर्म लावा मेरे लण्ड की चमडी की जलाने लगा जिससे मेरा सुपाडा ज्यादा देर तक वीर्य को नशो मे नही रोक सका और भलाभल तेज़ी से धक्को के साथ बुआ की चुत मे वीर्य उगलने लगा और कुछ आखिरी धक्को के साथ ही मै बुआ की पीठ पर ढह गया और हाफ्ने लगा ,,,,साथ ही बुआ की तेज सांसे भी मुझे महसूस हो रही थी । थोडी देर बाद जब सांसे नॉर्मल हुई तो मै उनके ऊपर से उठा । बुआ से उठा भी नही जा रहा था आखिरकार 20 मिनटो से एक ही पोजिसन मे चुद जो रही थी ...फिर मैने बुआ की मदद की और हम दोनो ने फिर से नहाया और बुआ ने लाया हुआ सूत सलवार पहन लिया
मै - चलो बुआ अब नीचे चलते है ।
बुआ - नही पहले मुझे जाने दे 5मिंट बाद आना तू
मै - और वो दो पति वाली बात समझ नही आई मुझे
बुआ मुस्कराई और बोली - वो बाद मे अभी लेट हो रहा है बेटा ,
फिर मैने बुआ को एक किस्स किया और उन्हे जाने दिया । करीब 5मिंट बाद मै भी निचे गया और नास्ता करने लगा ।

मा - बेटा सुन आज दोपहर तक ही दुकान खोलना , फिर दोपहर बाद हम लोग साथ मे बाजार चलेंगे , मैने तेरे पापा को बोल दीया है ।

मै - ठीक है मा चलो मै दुकान खोल दू ।
फिर मैने बुआ को देखा और एक स्माइल की फिर मै दुकान पर चला आया ।

एक घन्टे बाद मा और बुआ निचे आई
मा - बेटा मै और तेरी बुआ , तेरे चचा के यहा जा रहे हैं साड़ी लेने के लिए,,, कुछ चाहिये होगा तो सोनल को आवाज दे देना

मै - ठीक है मा , जल्दी आईएगा
बुआ - हा बेटा जल्दी ही आएगे कौन सा तेरी मा तेरे चाचा के साथ रहने जा रही है हाहाहाअहा
मा - क्या दीदी आप भी चलिये अब
फिर मा और बुआ निकल गये चाचा के यहा । मै वापस दुकान पर काम करने लगा करीब आधे घण्टे बाद दीदी ऊपर से आई और बोली

दिदी - भाई वो तेरा मोबाईल मिलेगा वो मुझे कुछ ड्रेस देखना था
मै - अरे आओ ना दीदी साथ मे देखते है
दीदी - नही भाई मुझे और भी थोडा काम है ना
मै - जैसे कि
दीदी - तू देगा कि नही
मै - अरे मै कब मना कर रहा हू ये लो
फिर दिदी मोबाईल लेकर ऊपर चली गई मैने इस बात के लिए कोई ध्यान नही दिया और दुकान मे लग गया ।
करीब 11 बजे तक मा और बुआ वापस आ गए ।

मै - क्या मा इतनी देर यही कर दी तो हम लोग बाजार कब जायेंगे
मा - अरे बेटा वो त्योहार की वजह से दुकान पर भीड़ थी और फिर हम दोनो ने वो करीम के यहा ब्लाऊज पेतिकोट सिलने को भी दे दिया ना कल शाम तक मिल जायेगा ।

मै - अच्छा ठीक है तो अब दूकान बंद कर दू , क्योकि अभी चाचा और पापा दोनो को खाना देने जाना पडेगा ना फिर हम लोगो को तैयार भी होना है

मा - हा बेटा तू दुकान बंद कर दे और ऊपर आजा ।
करीब 20 मिंट बाद मै ऊपर गया।

मा - बेटा एक काम कर ये तू अपने पापा का खाना देके आजा और चाचा का खाना अनुज लेके चला जायेगा ।

मै - ठीक है मा लाओ ।
फिर मै खाना लेके पापा के दुकान पर गया और पापा मे मुझे कुछ पैसे दिये शॉपिंग के लिए और मै भी खुश होकर वापस आ गया घर ,, फिर हम लोगो ने साथ मे खाना खाया और सब तैयार होने लगे ।

दीदी ने आज एक बहुत ही खुबसुरत नेवी ब्लू रंग का सूट सल्वार पहना था ।
वही मा ने पिंक कलर की बहुत ही सुन्दर साडी पहनी थी ।
बुआ तो पहले की तरह एक ब्लू रंग की कुर्ती और क्रीम कलर की लेगी मे बहुत सेक्सी दिख रही थी ।
मैने और अनुज ने भी जीन्स टीशर्ट पहना था ।

फिर एक बजे से हम लोग घर बंद करके निकल गए शॉपिंग के लिए ।

देखते है दोस्तो नये शॉपिंग मॉल मे क्या क्या नयी घटनाये होने वाली है ।
Nice
 

andyking302

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Update 36

अब तक

मा - हा ठीक है अब अपना हाथ से दीदी का एक दूध पकड़ीये

पापा - ये क्या कह रही हो रागिनी
बुआ - अरे कोई बात नहीं भैया आप पकड लो मै कह रही हू ,,,वैसे भी आप कोई गैर थोडी हो
मा - अब चलो पकड़ो
फिर पापा ने बुआ की चूचि को थामा
मा - हा अब अपनी कमर को हिलाते हुए दीदी के दूध को दबाओ
पापा का लण्ड तो कबसे ही बुआ की गान्द पे रेग रहा था और पापा ने मा के कहे अनुसार बुआ की चुची को दबाना शुरू किया ।

अब आगे
मै कनअखियों से लगातार मा पापा और बुआ के हरकतो और उनकी बातो पर नजर बनाये थे ।
चुकि बुआ तो जानती थी कि मै जग रहा हू और मा को मेरे जागने या सोने से कोई दिक्कत नही थी क्योकि वो जानती थी कि आज रात के प्लान के बारे मे मुझे पता है और रही बात पापा की तो वो बुआ की मुलायम गदरयी गान्ड पर लण्ड रगडने मे इतना आनन्द मे थे कि मेरी बात ही नही थी उनके जुबान पर ,,,,वो लोग बेफिकर एक दुसरे की हवस को भडकाये जा रहे थे ।

इधर पापा ने मा के कहे अनुसार बुआ की गाड़ पर अपना लण्ड रगड़ना शुरू कर दिया और एक हाथ से बुआ की चूचि भी मसलने लगे,, नतिजन कुछ ही समय मे मेरी रन्डी चुद्क्क्ड बुआ को खुमार चढ़ने लगा,,, दोनो भाई बहन एक दुसरे के लिए प्यासे मर रहे थे लेकिन कोई खुल कर पहल नही कर रहा था ।
मा बीच मे एक इनडायरेक्ट तरीके से कुछ कुछ बातो से बुआ और पापा को करीब ला रही थी ,,लेकिन मै तो उस पल के इंतजार मे था जब पापा खुलकर बुआ को गाली देते हुए कुतिया बना कर उनकी गाड़ मारे ।

करीब 2 3 मिंट बाद माहौल गरम होने लगा और बुआ की आहे अब सिसकियाँ लेटे हुए बाहर आने लगी जिसका फायदा उठाकर पापा और अच्छे से कमर उपर निचे करके बुआ की मोटी गाड़ की दरारो मे लण्ड रगड़ना शुरू कर दिया ।

मा - क्यू दीदी परेशान हो गई ना
बुआ को ल्गा अब मा पापा को हटने को ना बोल दे इसिलिए बात को बदल कर
बुआ - अरे नही भाभी ,,, वो बचपन मे ऐसे ही कयी बार भईया ने मेरे उपर सोते हुए दूध दबाए है।
मा - क्या सच मे तब आपके दूध बडे थे दीदी
बुआ - हा मेरे उमर की लड़कियो के हिसाब से बडे ही थे ,,,आह्हह हम्म्म्म आह्हह
पापा लगातार बुआ को गरम किये जा रहे थे
मा - उस हिसाब से आपका कोई शादी से पहले दोस्त रहा होगा जरुर
बुआ -आह्हह उम्म्ंम्ं इश्स्स्स क्या पुछ रही हो भाभी ये ,,,आप ये कहना चाहती हो कि शादी से पहले से ही मैने अह्ह्ह्ह इश्ह्ह आराम से भैया दर्द हो रहा है
पापा बुआ की बातो मे एक सहमती सी नजर आई और वो बुआ के कान के पास जाकर एक नशीली मादक आवाज मे
पापा - बताओ ना दीदी क्या सच मे शादी से पहले वो किया था ,,, बोलो न दीदी
मा - अब बता भी दीदी ,,, अब तो आपके भईया भी पुछ रहे है
बुआ - हा मैने किया था ,अह्ह्ह्ह इश्ह्ह अम्म्म्ंम्ं उफ्फ्फ लेकिन मेरे वो शादी से पहले करने का मुख्य कारण भईया ही थे ।
पापा के साथ मा और मै सब चौक गये और
पापा ने बुआ को छोड दिया और बगल मे लेट गये

पापा - मै ,,, लेकिन कैसे दीदी
मा - हा दीदी ,,,उस चीज़ के लिए ये कैसे जिम्मेदार है

बुआ - वो भईया अक्सर मेरे उपर सो कर नादानी मे मेरे साथ खेलते थे , मेरे उपर सोते थे , मेरे दूध दबा दिया करते थे तो मै बहुत गरम हो जाती थी और ऐसे ही एक दिन मेरा सबर टुट गया और मै बहक गयी
ये बोल कर बुआ सीधि लेट गयी जैसे उनको इस बात का बहुत पचतावा हो । पापा को इशारे से मा को बुआ बगल मे जाने को बोलते है तो मा मेरे और बुआ मे बिच मे जगह बनाते हुए लेट जाती है और बुआ के कन्धे को पकड कर उन्हे मानो तसल्ली दे रही हो ।
तीनो लोग हवस मे भरे हुए थे लेकिन सबने अभी तक शराफत का नकाब लिया हुआ था।
मा - देखिये दिदी उस बात का आप अफसोस ना करिये ,,मुझे पता है आप उस समय अपने हलातो से मजबुर थी,, क्यो जी
पापा - हा दीदी ,, देखिये मुझे कोई गिला नहीं, बल्कि मै आपसे माफी मांगता हू कि मेरी वजह से ऐसा हुआ

बुआ - नही भईया उसकी जरुरत नहीं है उसमे मेरा ही स्वार्थ था
मा - लेकिन आपने किसके साथ किया था
बुआ - वो हमारे मामा के लडके लखना के साथ ,,उसी ने मेरी ...
पापा - लेकिन वही क्यू दीदी , आप अपनी तकलीफ मेरे से भी बता सकती थी
बुआ - कैसे बताती भईया उस समय आप नादानी मे कर रहे थे वो सब और आप लखन की सारी बाते मुझसे बताते थे कि वो मेरे बदन के बारे मे क्या क्या कहता है ,,,बस यही सब मुझे भा गया और मै एक दिन मामा के यहा मौका देख कर उसको मेरे नाम का मूठ करते हुए पकड लिया गोशाला में, और पहली बार मैने किसी का लिंग देखा था , उस दिन मुझे सामने पाकर लखन ने मेरे सामने प्रस्ताव रख दिया और मै काफी दिन से गर्म थी तो मना नही कर पाई और वो सब हो गया ।
पापा- कोई बात नहीं दीदी आपने जो भी किया अपनी जरुरत के लिए किया , लेकिन एक बात मुझे समझ नही आई हम लोग साल मे एक बार ही मामा के यहा जाते थे फिर भी आपके दूध इतने बडे कैसे

बुआ - अब आपसे क्या छिपाना भैया , पहली बार करने के बाद मुझे उस चीज़ की लत लग गई और एक दिन भी गुजारना भारी होने लगा

मा - और क्या दीदी
बुआ - और मै अपने स्कूल के ही अन्ग्रेजी के मास्टर से आकर्षित हो गयी और दो साल तक उनहोंने ही ....
पापा - अच्छा तभी आप और कम्मो स्कूल के बाद भी अन्ग्रेजी वाले मास्टर जी के यहा जाते थे पढने
बुआ - हा भईया मै खुद के शरीर के आगे मजबुर थी
मा - तो क्या कम्मो भी इन सब मे शामिल थी ।

मा के इस सवाल से मै भी चौक गया और साथ मे पापा भी
पापा - क्या ये सच है दिदी
बुआ - अरे नही नही ,, कम्मो बहुत ही नियंत्रण वाली लड्की थी ,,,मै उससे एक दोस्त की तरह ही बाते शेयर करती लेकिन हमेशा से वो अपने मर्यादा मे रही है । लेकिन मेरे साथ रहने की सजा उसे भी मिली , क्योकि मेरे भरे बदन का जिक्र अक्सर मुहल्ले मे होने लगे थे ,, लोग कोई और सवाल ना उठाए इसिलिए एक अच्छा घर देख कर बाऊजी हम दोनो की शादी एक ही घर मे दो भाईयो पर करवा दी ।

पापा - तो क्या कम्मो और आप वहा खुश नही है क्या
बुआ - अरे नही भईया जो भी होता है अच्छे के लिए होता है हम दोनो के पति बहुत अच्छे है और परिवार भी अच्छा है ।

पापा - मै खुश हू दीदी आपके लिए,,लेकिन इस बात का हमेशा गिला रहेगा कि जिसने आपको जीवन का असली सुख से रुबरू करवाया उसे आपने समय आने पर भी मौका नही दिया

बुआ - मै समझी नही भैया खुल कर बताओ न
मा - अरे दीदी आपके भईया के कहने का मतलब है कि उनकी वजह से ही आपको शादी से पहले दो दो लंड से चुदने को मिल गया और आप उनही को भूल गये ।

बुआ - धत्त भाभी आप भी सीईई आह्हह क्या कररही हो मेरे दूध क्यू पी रही हो भाभी आप अह्ह्ह्ह
मै बुआ की ये बात सुन कर काफी उत्तेजित हो गया कि मेरे बगल मे करवट लेकर ब्रा और पेतिकोट मे मेरे तरफ अपनी गाड़ फैलाये लेती मेरी मा बुआ के चुचे पी रही है

पापा - क्या सच मे रागिनी कैसा है दिदी के दुध का स्वाद
मा - खुद चख लो जी आप ही
पापा - मै ,, दिदी क्या मै भी थोडा सा स्वाद ले लू
बुआ इस समय मा के द्वारा चुची चुस्वा कर मधोश हो गई थी और वो तो कबसे मचल रही थी पापा के लण्ड के लिए तो मना कैसे करती
बुआ - आह्हह हा भईया क्यो नही आप ने ही तो मुझे जीवन के मज़े से जुड़ने की राह दिखाई थी ,,, देखो कैसा है मेरे दूध का स्वाद

फिर पापा भी बुआ के दुसरे चुचे को टीशर्ट से निकाल कर हाथो मे भर कर चूसने लगे ।

बुआ के दोनो चुचे उन्के अपने सगे भईया और भाभी मिल कर चुस रहे थे और बुआ दोनो के सर सहलाते हुए आहे भररही थी ।
हल्की चाद्नी रात मे मुझे मा की पीठ ही दिख रही थी बाकी सारी कहानी बुआ की सिसकियाँ और तीनो की बाते बया कर रही थी । इस सेक्सी रोमाच मे मेरा लण्ड पिस रहा था ,,,ना मै उसे बाहर निकाल कर शांत कर सकता था ना ही उत्तेजना से भरे इस माहौल से कही दूर जाने का मन था ।

उधर बुआ मदहोसी मे लगातार आहे भरते हुए अपनी भावनाये खोल कर पापा मम्मी से सामने रखने लगी थी ।

बुआ - अह्ह्ह्ह भैया उम्म्ंम भाभी अह्ह्ह्ह आह्हह उफ्फ्फ्फ हम्म्मं बहुत मज़ा आ रहा है भैया आह्हह ऐसे ही चुसो मेरे दूध आह्हह उम्म्ंम्ं हा भाभी ऐसे ही चाटो आह्हह उम्म्ंम

मा - लग रहा है इन चार दिनों मे दीदी आप बहुत ज्यादा गरम हो गयी है
बुआ - हा भाभी मै तो यहा तरस गयी हू लण्ड के लिए आह्हह भईया आह्हह आराम से आह्हह
मा - तो बोलो ना अपने भैया को कि आपकी प्यास बुझाने के लिए
बुआ - नहीईईई येहहह क्याह्हह कह रहीई होओओओ भाभी आह्हह उम्म्ंम मै कैसे
पापा - मै तैयार हू दीदी अगर आप हा करो तो ,, मुझे आपकी ये तडप देखी नही जाती और मै फिर से बचपन की तरह आपको प्यासा नही छोड़ना चाहता

बुआ - लेकिन आप मेरे भाई हो मै आपके साथ कैसे
पापा - दीदी क्या मेरा ये फर्ज नही है कि मै आपको खुश रखु और बचपन मे हुई गलती सुधारने का मौका दिजिये आप प्लीज दीदी

बुआ चुप रही और धीरे धीरे उनकी दबी हुई सिसकिया वापस आने लगी क्योकि पापा बुआ की जांघो मे अपना सर घुसा चुके थे और मा अपना ब्रा निकाल कर अपना एक चूचा बुआ के मुह मे भर कर उनकी चुचे को सहला रही थी । मा के सोने के पोजिसन बदलने से उनकी भारी मोटी गाड़ मेरे और करीब आ गई सबको बिज़ी देख कर मैने गरदन को थोडा उपर करके देखा तो निचे पापा बुआ की चुत लपाल्प चाटे जा रहे थे ।

इसी बीच मैने भी लोवर मे से लण्ड को थोडा सा बाहर करके उसे आराम दिया और वापस अंदर डाल लिया क्योकि मै इस थ्रीसम मे कोई बाधा नही बनना चाहता था बल्कि सही मौके के इंतजार मे था ।

एक तरफ पापा बुआ की गान्द से लेकर उनकी पानीयायि चुत को चाट रहे थे जिस्से बुआ मा के निप्प्ल को और तेज चुस रही थी

मा - अह्ह्ह्ह दीदी आराम से चुसो ना बदला ले रही हो क्या
बुआ मा की चुची को निकाल कर - नही भाभी वो आह्हह उम्म्ंम्म्ं भईया निचेअह्ह्ह्ह उम्म्ंम आह्हह भैया खा जाओगे क्या आप आह्हह आह्हह ऐसे ही चातो और्हाह आह्हह आह्हह उम्म्ं उफ्फ्फ्फ भईया आप पागल कर अह्ह्ह्ह आह्हह

बुआ तेज़ी से गाड़ पटकने लगी शायद वो पापा के मुह पर ही झड़ रही थी । थोडी ही देर मे बुआ की भारी आहे मादक सिसकियो मे बदल गयी और पापा उठ कर खड़े हो गए,,,
फिर पापा ने अपना कच्छा निकाल दिया और चान्द्नी रात मे उन्का लन्द झुल्ने ल्गा ,,, और वो थोडा चल बुआ के चेहरे के उपर और मा के चेहरे के सामने खड़े हो गये ।
मा ने देरी ना करते हुए पापा का लण्ड मुह मे लेकर चूसना शुरू कर दिया और बुआ निचे से लेटे लेटे ही पापा के झूलते आड़ो को देख कर अपनी चुचिया मिजने लगी।

मै इस बेहद कामुक दृश्य को देख कर उत्तेजित होकर बस अपने लण्ड को सजा ए दर्द दिये जा रहा था ।

उधर बुआ को खड़े लण्ड को मा के मुह अंदर बाहर होते देख वो एक हाथ उपर करके पापा के झूलते आड़ो को सहलाने लगी और दुसरे हाथ से वापस चुची को मिज रही थी ।

पापा - आह्हह दीदी आजाओ ना आप भी उम्म्ं आह्हह रागिनी के साथ

मा - हा दिदी उठो ना आप भी लो अपने भईया का लण्ड
फिर पापा ने खुद घूतने के बल आ कर बुआ का काम आसान करते हुए अपना लण्ड उनके होटों पर रगडने लगे ,,, बुआ ने भी जीभ निकाल कर पापा के लण्ड को गिला करना शुरू कर दिया और थोडा सा खुद को करवट लेकर लण्ड को मुह मे भर लिया । पापा ने बुआ के सर को थामा और खुद ही उत्तेजीत होकर बुआ के मुह मे पेलने लगे ।

मा - हा दीदी लेलो अपने भैया का लन्ड़,,, देखो जी कैसे रन्डी की तरह आपकी दीदी लण्ड की भुखी लग रही है

पापा - आखिर मेरी वजह से ही तो दीदी रन्डी बनी ,,क्यू दीदी
बुआ ने लण्ड निकाल कर - हा भईया आपकी वजह से ही तो मैने लण्ड का मज़ा ले पाई और आज आपकी रन्डी दीदी बन गई हू ,,,,
पापा - सच मे दीदी मै हमेशा से आपको भोगना चाहता था एक रन्डी की तरह लगता था मुझे आपका जिस्म
और पापा ने बुआ के चुचे मसल दिये
बुआ - आह्हह भैया तो भोग लो अपनी दीदी को रन्डी समझ कर ,,, मै तो लंड की प्यासी हू भईया चोद दो मुझे अह्ह्ह्ह मत तडपाओ

मा - हा जी अब मुझे भी दीदी की तडप नही देखी जाती बना लो अपनी दीदी को अपनी रन्डी और चोद दो

मै उन तीनो के चुदाई और गाली गलोज की बातो से बहुत ही उतेजीत हुए जा रहा था । सोच रहा था कैसे आखिर मै मेरे लण्ड को शांत करू ,,, अगर उन लोगो की तरफ पीठ करू तो कोई नजारा नही देख पाऊन्गा । ऐसे मुझे एक विचार आया क्यू ना मा को अह्सास दिलाऊ की मै भी जाग रहा हू और मुझे भी उनकी जरुरत है ,, वो कुछ ना कुछ जुगाड जरुर करेगी ।
मै इसी प्लानिंग मे था की अचानक से बुआ की तेज कामुक अह्हे सुनाई देने लगती है । मैने नजर घुमायि तो पापा बुआ के उपर चढ़ कर घपाघप बुआ की चुत में पेले जा रहे थे और मा बगल मे लेटे पापा के कमर और पीठ पर सहलाए जा रही थी ।

बुआ - आह्हह भईया अह्ह्ह्ह उम्म्ंम्ं और चोदो और चोदो अपनी बहन को ,,, रन्डी बना लो भैया अपनी अह्ह्ह्ह ऐसे ही हा हा जा ऐसे ही चोदो अह्ह्ह्ज मज़ा आ रहा है भैया अह्ह्ज बहुतहहहह अह्ह्ह्ह भैयाआआआहहह

पापा - ले ना मेरी चुद्क्क्ड दीदी आह्हह और ले तू तो पहले से ही रन्डी है मेरी जान हहहह अह्ह्ह्ह और ले ये ले और ले ,,येईह्ह्ह्ह येह्ज्ज्ज हम्म्म्म्म्ं ले साली रन्डी ,,मै तो हमेशा से जानता था कि मेरी दिदी ने बहुत लण्ड खाये है लेकिन तू बड़ी थी तो कुछ बोला नही,,, लेकिन अब ,
बुआ - अब क्या भैया आह्हह आह्हह
पापा - अब तो तेरे भोस्दे और गाड़ का कचूमर निकाल कर ही जाने दूँगा तुझे सालि कुतीया ,,, एक न की चुद्क्क्ड है तू मेरी रान्ड बहन और किस किस के लण्ड लिये है तुने बता ना मेरी जान आह्हह
बुआ - अह्ह्ह्ह भैया और चोदो और चोदो फाड दो आज सब कुछ रहम मत करो आह्हह

पापा - सब फादुगा मेरी रान्ड बता ना ससुराल मे भी किसी का लण्ड लिया है क्या ,, क्योकि मेरे जीजा के बस का तो नही लग रहा है कि वो अकेले तेरे गान्ड और चूचे इतने बडे कर पाये,,,येह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह बताआअहहह नाआह्ह मेरीईई जाआन्ं आह्हह

बुआ - आह्हह नहीईईई भैयाआआआह्ह्ह मैने शादी के बाद घर के बाहर कही मुह काला नही किया कभी अह्ह्ह्ह आह्हह ऐसे ही चोदो हा ऐसे ही बहुत मज़ा आ रहा आपके लण्ड से आह्हह उम्म्ंम्ं आह्हह बहुत ही मज़ा है आह्हह ,,,

पापा - लेलो दीदी अपने भैया का लण्ड अह्हे ये लो ये लो

इधर पापा और बुआ चूदाई मे लगे थे तो मा उन्के देख्ते हुए अपने चुचे मसले जा रही थी ,,,मैने भी मा को तडपते देखा और मौके का फायदा उठाकर जल्दी से लोवर को निचे कर लण्ड को बाहर निकाल लिया और मा की गान्द से चिपक गया ।
मा को पहले लगा कि मै शायद निद मे हू तो पहले ध्यान नही दी फिर जब मैने उनकी गाड़ मे लंड को चुबोना शुरू किया तब वो समझ गई और हाथ पीछे लेजाकर मेरे खड़े लण्ड को थामा और मुझे थोडा सा पीछे कर सीधे लेट गई,,, अभी भी मेरा उनके हाथ मे ही था ,,,मुझे मा का स्पर्श मिलते ही लण्ड मे और जोश आने लगा मेरा लण्ड मा की मुथ्थी मे और कसने लगा जिससे मा थोडी परेशान होने लगी और वो एक नजर बुआ और पापा पर मारा और फिर मेरे तरफ गर्द्न किया तो मै मुस्कुरा रहा था ।
चुकि पापा और बुआ दोनो फुल मोड मे होर्नी होकर चुदाई मे मस्त थे तो
मा बहुत ही धीमी आवाज मे मुझ्से बोली - तू कबसे जाग रहा है
मै - मै सोया ही कब था
मा - तो सो जा अभी कुछ नही हो सकता
मै - मा प्लीज बहुत दर्द हो रहा है इसमे ,,,ये बोल कर मैने लण्ड को हल्का सा मा की मुथ्थी मे धक्का लगा दिया
मा ने वापस एक नजर पापा बुआ को देखा और बोली - अच्छा रुक बताती हू । तू इसको अंदर कर अभी और चुप रहना

मा ने वापस से करवत ली
मा - अरे मेरे बारे मे सोच लो मेरी जान या सारी रात अपनी रन्डी बहन को ही पेलोगे
पापा - मेरी जान आज बहुत दिनो बाद मुझे दीदी को भोगने का मौका मिला है तो आज रात तुम मुझे दीदी के साथ मज़े लेने दो ना
मा - क्या जी मै भी कल चली जाऊंगी मायके और तडप कर रह जाऊंगी ,,, मा ने नाटक करते हुए कहा
पापा - हा ये भी तो तुम ही बताओ क्या दीदी को ऐसे ही छोड दू
बुआ - नही भैया रुकना मत आज पूरी रात मुझे चोदो आप आह्हह अहज्ज्ज अह्ह्ज

पापा - लेकिन दीदी रागिनी का क्या
बुआ - बगल मे राज सोया है ना भाभी आप उसका लण्ड लेलो ना
पापा - हा जान देखो उसका भी लण्ड लोवर मे तना है लग रहा है कि मेरा बेटा सपने मे किसी हसिना को चोद रहा है ।
पापा ने टॉर्च मेरे उपर जला कर बोला

मा - क्या जी आप लोग क्या बात कर रहे हो वो मेरा बेटा है और कही जग गया तो

पापा - अरे हम लोग कबसे इत्नी तेज आवाज मे चुदाई कर रहे हैं वो नही जगा तो अभी तो वो सपने मे मज़े ले रहा है ,,, यही मौका है रागिनी लेलो राज का लन्द

मा - क्या आप मुझे भी अपनी दीदी की तरह रन्डी बनवाना चाहते हो
पापा - हा मेरी जान मै भी देखना चाहता हू कोई तुम्हे चोदे और तुम मेरे नाम की आहे भरो । पापा बुआ की चुत मे हल्के धक्के लगाते हुए बोल रहे है ।

इधर मै बहुत ही उत्तेजना से भर गया था , मन तो था कि अभी खुलकर सबके सामने आ जाऊ और चुदाई के जुड़ जाऊ । लेकिन मेरे इस फैसले से मा के बात से मुकरना पडता ,,,क्योकि मुझे पूरी उम्मीद थी कि मा ने जो कहा वो करेगी ।

बुआ - आह्हह भाभी सोचो मत लेलो आखिर कब तक तदपोगी ,,, देखो वो गहरी निद मे है ,,,और मै भईया को नही छोडने वाली
पापा बुआ की जांघो को अपने कन्धे पर रख कर लण्ड को बुआ की चुत मे रगड़कर पेलते हुए बोले - आह्हह जान कल जाने से पहले मै तुम्हे जरुर चोदन्गा ,,,, अभी मत तद्पो तुम ,,,, इससे पहले राज का लन्ड़ बैठ जाये उसे डाल लो अपनी चुत मे
ये बोल कर पापा थप थप थप थप थप थप थप थप थप थप थप थप थप करके बुआ की चुत में चोदने लगे ।
बुआ - अह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह हा भईया आह्हह और तेज अज्ज्ज पूरी रात चोदो और तेज अज्ज्ज उम्म्ंम्ं आआ हा ऐसे ही अय्से ही अह्ज्ज अजज

मै मन ही मन बहुत उत्तेजित कि पापा खुद मा को मेरे लण्ड पर बैठने को बोल रहे हैं,,, और मा के नाटक से भी मै बहुत ही उत्तेजना से भर गया ।

मा - देखो मै आखिरी बार पुछ रही हू क्या मै सच मे राज के साथ
पापा - हा मेरी जान मेरी इजाजत है अब निकालो उसका लण्ड ,,बुआ की चुत की गहरायी मे लण्ड डुबोते हुए पापा बोले

मा फिर मेरे पैर के लेफ्ट की तरफ बैठ गई क्योकि राइट की तरफ पापा बुआ की चुत मे लण्ड डाले हुए चोद रहे थे ।
मै बहुत ही उत्तेजित हो गया और आने वाले रोमांच के लिए खुद को तैयार करने लगा ,,,क्योकि मेरी मा खुद पापा के कहने पर मेरे लण्ड को अपने चुत मे लेने वाली थी ।


आगे की कहानी अगले अपडेट मे । आप सभी के प्यार भरे टिप्पणियों का इंतजार रहेगा ।
Nice
 

andyking302

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Update 37

अब तक
मा फिर मेरे पैर के लेफ्ट की तरफ बैठ गई क्योकि राइट की तरफ पापा बुआ की चुत मे लण्ड डाले हुए चोद रहे थे ।
मै बहुत ही उत्तेजित हो गया और आने वाले रोमांच के लिए खुद को तैयार करने लगा ,,,क्योकि मेरी मा खुद पापा के कहने पर मेरे लण्ड को अपने चुत मे लेने वाली थी ।
अब आगे

मेरे अंदर एक अलग ही तुफान मचा था और मै चाह कर भी सामने नही आ सकता था ।
वही मा को मेरे बगल मे बैठा देख पापा बोले - जान जरा मेरे बेटे का लण्ड को निकालो बाहर ,, देखे तो कैसा है

मा मुस्कुराते हुए मेरे लोवर को खीच कर नीचे कर दिया और मेरा लण्ड फनफना कर खड़ा हो गया

पापा बुआ को चोदते हुए - अरे वाह्ह्ह रागिनी अभी से राज का लण्ड इतना बड़ा हो गया तो आगे भी और बड़ा होगा ।

बुआ - अरे चुसो भाभी ना उसका लण्ड शायद और बड़ा हो जाये हिहिहिही ,,, आप ना रुको भईया
पापा - दीदी अब आप मेरे उपर आ जाईये
बुआ - क्यू थक गए अभी से
पापा - अरे मेरी जान अभी कहा बस मेरे चोदने के तरीके देखो और पूरी रात चुदो

पापा - देख क्या रही हो रागिनी पकड़ो राज का लण्ड,,, लग रहा है जैसे सपने मे कोई जबरजस्ट माल को चोद रहा है मेरा बेटा

मा ने बिना कुछ बोले मेरे लण्ड को एक बार फिर से थाम लिया
मा - ये जी ये बहुत ज्यादा तप रहा है
पापा - तो चुस कर थोडा ठण्डा कर दो जान
इसी बीच पापा निचे लेट गये और बुआ भी पापा के दाई तरफ होकर मा की तरफ मुह करके पापा के लण्ड के बगल ने बैठ कर उनका लण्ड हिलाने लगी ।

बुआ मा को छेद्ते हुए - आह्हह भाभी कित्ना मस्त लण्ड है मै आऊ क्या लेने उसको ,,, चुद्ते हुए लण्ड चूसने का मज़ा मिल जायेगा

मा को लगा वुआ मेरे लण्ड को भी कब्जा लेन्गी इसलिये वो झुक कर गप्प से मेरे लण्ड के सुपाडे को मुह मे भर लिया और चूसने लगी
मा की इस हरकत से मेरी दबी हुई आह्हह भी निकली

इधर बुआ और पापा भी मज़े से मा को मेरा लण्ड चुस्ते देख रहे थे ।
पापा - दीदी आप भी चुसो ना मेरा लण्ड आह्हह हा ऐसे ही और अंदर लेलो आह्हह उम्म्ंम्ं मै भी पापा की सिस्कियो के साथ मीठी आहे भर कर खुद को नियंत्रित करने मे ल्गा था लेकिन मा जिस अदा से मेरे लण्ड को चुस रही थी वो बेहद ही रोमाचक था ,,,,उन्के नाजुक होठ मेरे लण्ड की गोलाई मे जड़ तक जाते और गले मे मेरा सुपाडा फड़क जाया करता ।
एक तो मा के मुह मे लण्ड चुसवाना उपर से बगल मे लेता हुए बाप खुद बोले की चुद लो मेरे बेटे से ,,, आह्हह ये अह्सास को शब्दों में बाँध नही सकता था ये अह्सास ती सिर्फ मेरा फडफ्ड़ाता लण्ड और मेरी दबी हुई सिसकिया ही समझ सकती थी । मे तो खुल कर एक बार आहे भरना चाहता था ,,, मा की जीभ का मेरे सुपाडे पर हर स्पर्श मेरे अंदर एक नया जोश ला देता ,,मेरी सांसे भारी हो जाती थी ,,,,लेकिन मा ने तो मुझ पर रहम ना खाने की कसम खाई थी , उसे कोई डर नही था बल्कि वो तो अपने पति के सामने अपने बेटे का लण्ड चूसने के अह्सास से गर्म थी ।
मै बेचैन हो कर गरदन घूमाता,, गान्द पटकता लेकिन एक बार भी खुल कर आह्ह्ह्ह नही कर सकता था ।
फिर मुझे थप थप थप थप थप थप थप की आवाजे आने लगी साथ मे बुआ की तेज चिखे भी

बुआ - आह्हह आह्हह हह उम्म्ंम आह्हह आह्ह आह्ह और तेआजजजजज आह्ह आउर तेअह्ह्ज्ज्ज आह्हह हा भईया
पापा लगातर निचे से बुआ की गाड़ को थामे सर ससर पेले जा रहे थे ।
बुआ की तेज आवाज की सिस्कियो मे मैने सोचा क्यू ना मै भी थोदा खुद की संसो को आराम देदू ,,, पर जैसे ही मैने अह्ह्ह्ह्ह माआह्ह्ह किया ,,,मा ने तुरंत मेरे कन्धे पर हाथ मार कर चुप रहने का इशारा किया ,,,,मै समझ गया कि अगर मै कुछ बोला तो मा के साथ मुझे भी ऐसे ही बिना चुदाई के सोना पड़ सकता है ।

पापा - जान अब तुम भी बैठ जाओ ना ,,,
मा बिना कुछ बोले उठी और पेतिकोट को कमर तक उठा कर दोनो हाथों से पकड लिया और दोनो पैर मेरे कमर के दोनो तरफ रख कर झुक कर एक हाथ से मेरे लण्ड को थामा और चुत पर सेट करते हुए बैठती चली गयी ,,, धीरे धीरे मेरा लण्ड पूरी तरह से मा की चुत मे समा गया ।
मै मा की चुत मे अपना लण्ड पाते ही जैसे पिघलने लगा और मा की चुत की दीवारे इतनी ज्यादा गर्म थी मानो मेरा लण्ड जल जायेगा और बेसब्र से तडप रहा था ,,, मै खुल कर अपने जज्बात नही बाहर रख सकता था ,,, मै अब पहले से ज्यादा अपने सासो को कन्ट्रोल करने लगा ,,,
वही मा मेरे खड़े लण्ड को पुरा निगल लेने के बाद हल्का हल्का उपर निचे उकूडु होकर बैठी बैठी ही चुद्ने लगी
मा - अह्ह्ह्ह राज के पापा देखो ना मैने मेरे चुत मे आखिर अपने बेटे का लण्ड ले ही लिया

पापा बुआ को चोद्ते हुए - वाह्ह्ह मेरी जान थप थप थप थप थप थप थप मै तो ऐसे ही तुझे अपने सामने चुद्ते हुए देखना चाहता था येह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह
बुआ - आह्हह भईया तेज़ी से और तेज़ी से अह्ज्ज्ज आह्हह रुको मत मै झडने वाली हू अह्ह्ह्ह
पापा - अब मज़े लो मेरी जान तुम अपने बेटे के लण्ड का मै जरा दिदी की खिदमत कर दू
मा - हा राज के पापा नये लण्ड लेने मे का मज़ा ही अलग है ,,,आह्हह इसका तपता लण्ड का सुपाडा मेरी बच्चेदानी को छू रहा है आह्हह मा उफ्फ़फ्फ राज के पापा बहुत मज़ा आ रहा आह्हह मेरे राजा

एक तो मा मेरे लण्ड पर उछल रही थी साथ मे बार बार पापा को जता रही थी कि कैसे मेरा लण्ड उनकी चुत मे फसा हुआ है ,,,कस्म मैने खुद को कैसे रोका हुआ था मै ही जानता था ,, वही पापा बुआ की चुत मे निचे से कमर उठा कर ये लम्बे लम्बे शॉट लगा रहे थे और बुआ उनके लण्ड पर झडे जा रही थी ,,
बुआ - आह्हह भईया आह्हह मै झड़ रही हू आह्हह आह्हह उफ्फ्फ्फ उम्म्ंम्ं अह्ह्ज्झ
पापा - ये लो दीदी येएहेह्ह एह्ह्ह आह्हह और लो मेरी चुद्क्क्ड दीदी और लो ,,,,मेरा भी निकलेगा दीदी ।

बुआ - मुझे आपका माल चखना है भईया रुको और बुआ जल्दी से उठी और लपक कर मुह मे लण्ड लेते हुए चूसने लगी कुछ ही पलो मे बुआ का मुह पापा के माल से भरने ल्गा

पापा - आह्हह दीदी पुरा चाट जा मेरी रान्ड अच्छे से साफ कर दे मेरे लण्ड को सालि रन्डी
इधर मा ने मेरे सीने पर हाथ रख कर झुक कर लागातार मेरे लण्ड पर अपनी गाड़ ऐसे पटक रही थी जैसे मानो कपडे पीट रही हो जिससे मै भी धीरे धीरे चरम सीमा तक पहूच गया और सांसे बेकाबू होने लगी थी और मै छटपटाने लगा,,मेरा चेहरा तपने लगा

पापा - लग रहा है मेरा बेटा झडने वाला है रागिनी जल्दी करो और झड़ जाओ
मा - मै तो क्ब्से झडी हू इसके लण्ड पर लेकिन इसका लण्ड बैठ ही नही रहा
पापा - तो अपने मुह का जादू चलाओ ना मेरी जान चुस लो अपने बेटे का माल
मा जल्दी से उठी और झुक कर मेरे लण्ड को वापस लेके चूसने लगी मै पहले ही चरम सीमा के करीब था और मा ने तो जैसे मेरे सुपाडे के छेद को सुरकना सुरु कर दिया ,,,,अन्त मे मेरा भी सबर टुट गया और मै निद मे बड़बड़ाने का नाटक करते हुए मुह मे दबी हुए आहे भरते हुए मा के मुह मे झडने लगा । मा ने अच्छे से मेरे लण्ड को साफ किया फिर पापा और मेरे बिच लेट गयी वही बुआ पापा के दुसरी तरफ लेट गयी ।
मेरी आँखो मे एक गजब सा नशा हो रहा था और चेहरे पर मा के मुह मे झडने की खुसी ।

हम सब अपनी अपनी सासे बराबर कररहे थे ।
पापा - आह्हह दीदी मज़ा आ गया आज तो ,,सच मे आप एक नम्बर की चुद्क्क्ड हो

बुआ - रिस्तो मे चुदाई का अपना ही मज़ा है भईया
मा - सच कह रही हो दीदी ,,,मै आज जितना कभी भी खुद को इतना उतेजित नही मह्सूस किया था और ना ही आज जितना कभी झडी थी

पापा - हा जान देखा मैने कैसे तुम्हे अपने ही बेटे का नशा हो रहा था ।

मा - हा लेकिन अभी उसको इस बारे मे पता नही है तो हम सब के राज भी बचे है ।

बुआ - अरे राज की बात से याद आया भईया ,,, आपने नही बताया कि आपने अपनी पहली चुदाई कब की थी और किस्से और भाभी आप भी बताओ ना

मा - मेरी पहली चुदाई मेरे सुहागरात पर ही हुई थी लेकिन इनकी तो हिहिहिही

बुआ - अरे बताओ ना भईया कब की थी आपने
पापा - एक हो तो ना दीदी ,,, ना जाने कितने चुत मे मैने अपने लण्ड को डुबोया है ।
बुआ - क्या सच मे भईया
मा - हा दीदी ,,,लेकिन शुरूवात बहुत ही मज़ेदार थी ।
बुआ - बताओ ना भईया किसके साथ किया था
पापा - बात तब की है उस समय मै 9वी मे था और मै उस समय आपके बदन पर बहुत ही ज्यादा आकर्षित था ,, मै हमेशा से एक ऐसी लड्की की तालाश मे था जिसका बदन आपके जैसे भरा हुआ हो , जिसकी चुचिया आपकी तरह मोटी हो और गान्ड बड़े बड़े हो । लेकिन मेरी तालाश में और पहुच मे ऐसी लड़की नही मिल रही थी और मै आपके लिहाज मे आपसे कभी कूछ कह नही पाया । फिर मै काफी लोगो से सुना की आप शादीशुदा औरतो सी लगती हो ,,, कूछ दिन बाहरी शादीशुदा औरत की तलाश की लेकिन कोई भी हाथ नही आती थी । उसी साल गर्मी मे मेरी लुधियाना वाली चाची आई और उनके गदरायी जवानी पर मै फीदा हो गया । वो मॉर्डन कपडे पहना करती थी और शहर मे रहने की वजह से बहुत खुले विचारो वाली थी ।मै लागातार चाची के साथ समय बिताने लगा और वो पढी लिखी और काफी खेली खाई औरत थी तो जल्द ही मेरे जज्बातो को समझ भी गयी और मुझसे दोहरी मतलब से बात करती थी एक दिन घर पर कोई नही था , मा बाऊजी खेत गये थे दीदी और कम्मो कोचींग गये थे,,, जंगी बाहर खेल रहा था और मै हमेशा की तरह चाची के करीब आना चाह रहा था ,,, उस दिन चाची नहाने गयी और मुझे अपनी पीठ पर साबुन लगाने को बोला ,,, फिर कब साबुन पीठ से सरक कर चाची की पेतिकोट मे चला गया और उसे खोजने मेने उनकी गाड़ की दारारो मे हाथ डाल दिया,,,, मेरा हाथ का स्पर्श उनके गुपतांगो मे होते ही चाची की मीठी सिसकी आई और काफी समय समय तक मैने उनकी पेतिकोट मे हाथ डाले रहा ,,, लेकिन जब हाथ बाहर निकाला तो ओ आंखे बंद किये आहे भर रही थी तो मैने भी मौका देखा और खड़ा लन्ड़ उनके मुह मे डाल दिया , और उस दिन आंगन में ही चाची को जम कर चोदा । फिर मुझे बड़ी चूची और गाड़ वाली महिलाओं की लत लग गई और कभी रिस्ते मे तो कभी बाहर कयी रन्दीयो को चोदा मैने ।

बुआ - बाप रे आप खुद एक नो. चोदू हो और मुझे चुदक्क्ड बुला रहे हीहीहि
पापा - मै तो हू ही बड़ी गाड़ और चुचियो का दिवाना ,,, लेकिन मुझे अब भी शक है कि आप ससुराल मे सिर्फ जिजा का ही लण्ड लेती हो ।

बुआ - नही भैया शादी के बाद से मैने कभी भी बाहर का लण्ड नही लिया
मा बुआ की छेडते हुए - मतलब घर मे ही कोई भेदी है जो इस भोसदे को और गहरा किये जा रहा है क्यू दीदी ,,,

बुआ - नही भाभी आपकी कसम और भईया आपकी कसम खाकर कह रही हू मैने शादी के बाद ससुराल मे सिर्फ अपने पति का ही लण्ड लिया है ।
बुआ की बाते सुन कर मै शौक था यहा बुआ कसम खाकर कह रही थी कि वो फूफा के अलावा किसी से नही चुदती जबकि उस रात मुझ्से साफ बोला था कि मै दो लोगो से चुद्ती हू साथ मे । अब मेरे मन की व्यथा और बढ़ गयी ।

पापा - अरे नही दिदी मुझे आप पर भरोसा है । बस कोई भी आपकी गदरायी गाड़ देख कर यही कहेगा कि ना जाने कितने लांडो से रोज चुदती होगी ।
ऐसे ही रात मे और भी जोरदार चुदाई हुई पापा और बुआ के बीच में,,, और मा मे एक बार फिर से मेरे लण्ड को अपने चुत मे डाल कर चुदवाया । पता नही रात के किस पहर मे मै सो गया ।

अगली सुबह
आज रक्षा बंधन का दिन था और सुबह सुबह 6 बजे ही मेरी निद भीगने से शुरू हुई क्योकि मेरी नटखट दीदी ने मुझ पर पानी डाल कर बाथरूम मे घुस गई थी ।
लेकिन छत पर अनुज भी था और मा भी तो मै कोई खास रियक्ट नही किया। बस बड़बडाते हुए उठ कर टॉयलेट चला वही अनुज और मा हस रहेथे ।
मा - सोनल बहुत शरारती हो गयी है तू चलो सब लोग जल्दी जल्दी आज तैयार हो लो 8 बजे तक । फिर मुझे भी मायके जाना है ना ।

करीब 8 बजे तक सब लोग नहा धोकर तैयार थे । सबने आज अपने नये कपडे पहने थे ।
मा और बुआ ने अपनी नयी साडी पहनी थी । बुआ के पहल करने पर मा ने भी बुआ के जैसे ही डिप कट का गला और पीछे डोरी वाली बलाऊज सिल्वायि थी और उपर से एक सिफान की हल्की साडी जो मरून रंग की थी जबकि बुआ ने अंगूरी रंग की सेम पैटर्न की साडी पहनी थी ।
वही दीदी ने एक खुबसुरत सा बिना दुप्प्ते का क्रॉप टॉप जो नाभि से उपर था और लहगा पहना था । पापा ने कर्ता पजामा , मै और अनुज अपने नये जीन्स शर्त मे थे ।
आज घर मे सब लोग एक दुसरे को देखकर अलग ही मुस्कराहट पास कर रहे थे सिवाय अनुज के । दीदी मुझे देख कर मुस्कुरा रही थी , पापा मा और बुआ एक दुसरे मे इशारे पास कर रहे थे ।

तभी मा ने सबको बेडरूम मे चलने को बोला
फिर हम सब लोग कमरे मे गये । एक सोफे पर पापा और अनुज बैठ गये और बगल वाली सिंगल सोफे पर मै ।
मा मेरे बगल मे खड़ी थी जो आज बहुत ही ज्यादा खुबसुरत लग रही थी । तभी कमरे मे बुआ और मेरी दीदी आरती की थाली लिये आई मेरी दीदी तो मानो चांद से उतरी हो अप्सरा लग रही थी मै तो उसी मे खोया हुआ उसको आँखो से इशारे किये जा रहा था । वही पापा भी बुआ को छेड़ने मे कोई कसर नही छोड रहे थे । लग तो ऐसे रहा था मानो दोनो बहाने राखी लेके नही बल्कि शादी के लिए वरमाला लेकर आ रही हो हमे अपना बनाने ।
फिर बुआ पापा के पास गयी और उन्के सामने बैठ गई
पापा बस एक नजर डालें बुआ को ताड़ रहे थे और उस हल्के पारदर्शक सिफान साडी से बुआ के गहरे गले वाली ब्लाउज के झाकति चुचियो लो घुर रहे थे और इधर दिदी भी इतराते हमारी तरफ आ रही थी क्रॉप टॉप मे दीदी की खुली कमर और आधे नंगे पेट पर एक लम्बी और गहरी नाभि साफ दिखाते हुए आई और अनुज के बगल मे स्टूल रख कर बैठ गयी और फिर उसने अनुज को राखी बांधती है और आरती लेती है बदले मे अनुज दीदी के पैर छुता है ,,,,
उधर बुआ भी पापा को राखी बाँध कर मुस्कुराये जा रही थी । फिर बुआ - चालिये भईया अब जेब ढीली करिये और मेरा तोहफा लाईये ।

पापा - अरे हा वो तो मै नीचे कमरे मे रखा है चलिये मै दिये देता हू ।

बुआ - हा भाभी चलिये आप भी फिर मेरे साथ छोटे के यहा चलना है ना
मा - अरे मुझे भी तो जाना है मायके लेट हो जायेगा
बुआ - अरे भाभी ज्यादा टाईम नही लगेगा आओ

फिर मा पापा और बुआ निचे चले गये मै जानता था नीचे पापा बुआ को क्या तोहफा देते ,,, उनके मुह मे अपना लण्ड और पापा भी रात का वादा निभाने वाले थे मा को चोद कर तो ये सब उन लोगो का हम बच्चो के सामने ड्रामा था बस । लेकिन मै इनसब से बिलकुल भी अंजान नही था ।

फिर इधर अनुज ने दीदी को एक गिफ्ट दिया और बोला मै मेरे दोस्त के यहा जा रहा हू उसकी दिदी ने मुझे बुलाया है राखी बाँधने के लिए ।
दीदी - हा भाई आराम से जाना और टाईम से खाना खाने आ जाना ठीक है
अनुज - ठीक है दीदी

अनुज चला गया साथ ही पापा मा और बुआ भी निचे चले गये थे बचे तो मै और दीदी । मै दीदी को अकेला पाकर खड़ा हुआ तो दीदी पीछे होते हुए मुसकुराते हुए सतर्क होने लगी ।

दीदी - देख राज अभी नही पहले राखी बंधवा ले फिर कुछ,,,
मै वापस मुस्कुरा कर बडे सोफे पर बैठ गया और दीदी भी मेरे सामने बैठ गयी । फिर उसने मेरी कलाई पर राखी बांधी और मेरी आरती ली । मै भी उसके पैर छूने को जानबुझ कर झुका तो दीदी ने मुझे रोका

दीदी - तेरी जगह वहा नही भाई मेरी बाहो मे है ।
मै उथा और दीदी को हग कर लिया ,, आह्हह उनके नाजुक बदन की खुस्बू आह्हह और कितना मुलायम बदन ,,,
मै - आई लव यू दीदी ,, ये लो आपका गिफ्ट फिर मैने दीदी को मोबाईल वाला पैकेट दिया ।
दीदी - अरे वाह तू सच मे मेरे लिए मोबाईल लाया ,,थैंक्स भाई आई लव यू सो मच ।
दीदी - लेकिन मुझे एक गिफ्ट और चाहिये क्या वो तू मुझे देगा

मै - माग लो ना दीदी जो चाहे ,, ना नही कहूंगा
दीदी - भाई मै अमन से शादी करना चाहती हू क्या तू मा से बात करेगा मेरे लिए ।

मै - आप सच मे अमन को चाहती हो दीदी , मै खुश हू आपके लिये और मेरा वादा है आपकी शादी अमन से ही होगी ।

दीदी ने वापस खुश होते हुए गले लगा लिया ,,
मै - दीदी लेकिन फिर मेरा क्या होगा क्या आप मुझे छोड दोगे ।
दीदी - धत्त पागल,,,नही रे ,,, तेरे लिए मेरा प्यार अलग है और अमन के लिए अलग

मै थोडा कन्फुज होते हुए बोला - मै समझा नही दीदी आपका मतलब

दीदी - मै बताती हू ,, मै अमन को अपने पति के रूप मे चाहती हूँ और उसके पास जाने पर एक सुकून सा महसूस करती हू । वही तू मेरा भाई जब मै तेरे करीब होती हू तो मेरी तडप और बढ़ जाती है । तेरा टच मुझे एक अलग ही रोमांच देता है। और

मै - और क्या दीदी बोलो ना
दीदी - और मै जानती हू तू मुझसे क्या चाहता है
मै चौकते हुए - क्या
दीदी मुस्कुराते हुए - मैने भी तेरे मोबाईल पर वो कहानिया पढी है जो तू खोल कर रखा था और चंदू की भेजी वीडियो भी देखी है
मै थोडा सा निराश मन से दीदी के सामने अफसोस का नाटक बना कर - सॉरी दीदी ,,,
दिदी - कोई बात नही मुझे बुरा नहीं लगा क्योकि मुझे वो कहानिया पसंद आई और मै तेरे प्यार मे खीच गयी ।
मै - तो क्या आपने ही पहले मेरे मोबाईल से चंदू की वीडियो डिलीट की थी ।
दीदी मुस्कुराते हुए - हा लेकिन उस दिन मुझे बहुत गुस्सा आया इसिलिए उस दिन छत पर तुझे डाटा लेकिन जब मैने वो परिवारिक सम्बन्ध की कहानिया पढने लगी और मुझे भी उसमे रुचि होने लगी तब मुझे लगा कि मैने गलत किया था ।

मै - कोई बात नही दीदी आई लव यू ना
दीदी मेरे सीने से लगते हुए - आई लव यू मेरे भाई
मै - तो क्या आपको कोई आपति नही है मै आगे बढू तो ,,,जैसे अभी लहगा के उपर से आपके ये गोल गोल उभारो को दबा दू और
दीदी हस्ते हुए मुझसे अलग हुई - छीईई गन्दा ,,,, इतना जल्दी भी नही ,,, मुझे थोडा समय चाहिये भाई उसके लिए,,मै कोई जल्दीबाजी नही चाहती हू ,, मै चाहती तू मेरे अंग अंग को इत्मीनान से भोगे और मै भी उस वक्त का भरपूर मज़ा लू जैसा उन कहानियों मे पढा था ।

मै दीदी के करीब आ गया और उनको वापस से अपनी बाहो मे भर कर - सच दीदी ,,,मुझे भी उस दिन का बेसबरी से इन्तेजार रहेगा ,,,थैंक्स मेरी जानू आई लव यू और दीदी के लिपस को चूसने लगा ,, दीदी तो इसी ताक मे थी और वो भी मेरे साथ मेरे होठो को चूमने लगी । करीब तीन मिंट बाद दिदी मुझ्से अलग हुई

दीदी - भाई प्लीज जल्दी आना ,, यहा अकेले मन नही लगेगा
मै - अरे दिदी अब तो मोबाइल दिला दिया है और सिम भी चालू है तो जब मन करे कॉल कर लेना ।
दीदी - थैंक्स भाई
मै - दीदी वो पूछना था कि क्या आपने चंदू का वो कल वाला वीडियो भी डिलीट कर दिये
दीदी मुस्कुराते हुए नही भाई वो तो मोबाइल मे है ,,, वैसे मुझे नही लगा था कि चम्पा भी अपने भाई से

मै - वो तो बचपन से ही उन दोनो का चल रहा था और अब तो रजनी दीदी भी शामिल हो गयी है
दीदी चौकते हुए - क्या ,,, चंदू अपनी खुद की मा को भी
मै - हा दीदी ,,
दीदी - तो क्या तू भी मा के लिए वही सोचता है
मै - क्या दीदी आप भी ,,,मै तो ब्स आपका दिवाना हू हिहिहिही
दीदी - मै खुब समझती हू तुझे भाई ,,,, अगर मौका मिला तो तू मा को भी नही छोदेगा हिहिहि क्यू सही है न
मै - धत्त दीदी ,,, चलो थोडा सा मुझे प्यार देदो कोई है नही अभी और
तभी बुआ आवाज देते हुए उपर आने लगी

बुआ - राज बेटा कहा है तू
बुआ की आवाज सुनते ही दीदी चहक उठी और कमरे से बाहर आ गई ।

मै - हा बुआ बोलो ना
बुआ - वो बेटा ये कहना था कि तू जल्दी से कुछ खा ले निचे तेरी मा इन्तेजार कर रही है ,, तुम लोगो को जाना भी तो है ।

मै - हा लेकिन मा को तो बुलाओ
बुआ - अरे वो बिना राखी बान्धे कुछ नही खायेगी तू खा ले फिर जल्दी से निचे आ हम वही इन्तज़ार कर रहे है ।

फिर मै भी जलदी से खाना खाया और निचे चला गया ।
निचे मा पापा और बुआ बैठे हुए थे कमरे मे मेरा इंतजार करते हुए कुछ बात कर रहे थे ।

मा - बेटा चल अब चल्ते है और अभी बस पकडना बाकी है ।
पापा - राज रुको बेटा ,, ये तो 10 हजार रुपये रखो
मै - पापा इतने रुपये का मै क्या करूगा
पापा - अरे बेटा वहा तेरी दो छोटी छोटी बहने भी वो भी तेरे आने का इन्तेजार कर रही है तो उनको 2 2 हजार दे देना ,, बाकी अपनी जरुरत से खर्च कर लेना ।

फिर मै और मा निकल गये बस स्टैंड की तरफ मामा के घर के लिए ।


अब देखते है कि आने वाला सफ़र कौन से नये रोमांच राज की दुनिया मे लाने वाला है ।
Nice
 

andyking302

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Update 38 {( MEGA)}

अब तक आपने पढा राज अपनी मा के साथ मामा के यहा जाने के लिए बस स्टैंड की तरफ निकल गया है

अब आगे

मै घर से मा के साथ अपने एक बडे बैग को लेकर निकल गया

रास्ते मे

मै - मा आज आप बहुत खुबसूरत लग रही हो
मा मुस्कुराते हुए एक बार मेरी तरफ देखा और सामने चलते हुए - वो क्यू बेटा
मै - बुआ की साडी आप पर बहुत अच्छी लग रही है और आप तो एकदम भोजपुरी फिल्मों की आम्रपाली लग रही हो ,,जैसे वो साडी मे दिखती है वैसे ही आप
मा ह्स्ते हुए - अच्छा बेटा,,, बुआ रानी चटर्जी और मा आम्र्पाली को बना कर मै जानती हू तू क्या गुल खिलाना चाह रहा है ।
मै - अरे सच मे मा आज वैसे ही लग रहे हो और
मा - और क्या बोल
मै - और मै आपको गुल मंजन क्यू खिलाउँगा हिहिहिहिही
मा - चल बदमाश मा से मज़ाक करता है
मै - क्यू मा से मज़ाक नही कर सकते क्या
मा मुस्कुराते हुए - नही
मै - हा मा से चाहो सेक्स कर लो लेकिन मज़ाक ना करो ,,,है न मा
मा बीच सड़क पर सेक्स के बात पर शर्मा गयी और बोली - चुप कर पागल हम लोग रास्ते मे है और तू क्या बाते कर रहा है बिच मे
मै - अरे मा कोई नहीं सुनेगा ,,, देखो पुरा मार्केट बन्द है एक्का दुक्का लोग है ।
मै - मा सुनो ना
मा - हा बोल
मै - कल रात के थैंक यू
मा मुस्कुराते हुए- थैंक यू किस लिये बेटा
मै - वो कल रात मे आपने पापा के सामने ही मेरी तकलीफ दूर की और उन लोगो को पता भी नही चला
मा - कोई बात नही मा हू ना तेरी तुझे कैसे तकलीफ मे देख सकती हू।

मै सोचा क्यू ना थोडा पब्लिक मे मज़ा लू मा से
मै - मा मुझे फिर तकलीफ हो रही है
मा मुस्कुराते हुए लेकिन अचरज के भाव मे - क्या ,,, तू पागल है क्या राज यहा बीच सड़क पर ऐसी बात कर रहा है
मै हस्ते हुए - मा सड़क पर थोडी मै तो चंदू के उस मकान मे जाकर करने की बात कर रहा था ,हिहिहिही
इस समय हम लोग चौराहे तक आ चुके थे और मा को ल्गा मेरे पास चंदू के चौराहे वाले घर की चाभी होगी ही क्योकि हम दोनो पक्के यार जो थे ।
मा ने निराश शब्दो मे कहा - बेटा मै तूझे मना नही करती लेकिन आज सुबह से मैने पानी तक नही पिया है और उपर से तेरे पापा ने घर से निकलने से पहले एक बार ... तू समझ रहा है ना

मै जान गया मा क्या कहना चाहती थी और सही भी था क्योकि एक बार पापा ने सुबह ही मा को चोद दिया था

मै - कोई बात नही मा देखो बस स्टैंड आ गया
मा - हा लेकिन बस नही लगा है कोई
मै - अरे मा आज त्योहार है तो सारे बस जल्दी जल्दी भर कर निकल रहे है ,,

हम बस के इंतजार मे खड़े बाते कर ही रहे थे कि दो चंचल हसीनाये हमारे पास चल आने लगी । एक साडी मे तो एक चुस्त सूट और पटियाला सलवार मे ,,, दोंनो के चेहरे पर एक कातिल मुस्कान थी ,, और उनकी मटकती कमर तो बस ,,

मा - अरे विमला तू यहा

ये है विमला मौसी ,,, कमाल का मस्त गदरायी बदन वाकी है और लण्ड खड़ा ना हो जिसका इनको देख कर वो चुतिया ही होगा ,,, 40 36 40 का गजब का भूगोल और सबसे ज्यादा प्रभावित इनके लम्बे बाल की चोटी है जो इनकी गान्ड की छेद तक जाती है ,,, अब ऐसे मे किसी का ध्यान इनके बालो से होते हुए इनकी मोटी फैली हुए गाड़ पर ना जाये ऐसा हो ही नही सकता ।
वैसे तो मेरे मा के बचपन की सहेली है और इनकी भी शादी हमारे चमन पुरा मे हूई है

विमला - क्यू मै यहा नही आ सकती क्या
इतने साथ वाली हसिना ने मा के पैर छुए
मा ने उसको दुलारते हुए - खुश रह कोमल ,,
ये थी कोमल , विमला की बेटी ,, एकदम कातिल हसिना 34 साइज़ की चुची और 36 की गाड़ ,,,सपाट पेट । मेरे क्लास में ही पढ़ती है ।

मा विमला से - अरे तो फोन कर देती इसके पापा एक गाड़ी बुक करवा देते तो हम लोग साथ मे चलते ना ,, अब यहा कबसे खड़ी हू बस ही नही आ रहा है ,,,
इधर मा और विमला बाते किये जा रहे थे तो मुझे कोमल का सामना करने मे थोदी हिचक मह्सूस हो रही थी ।
तो मैने मोबाईल निकाल लिया और खड़े खड़े उसे चलाने लगा ।

कोमल - तुम कालेज क्यू नही आते हो राज
मै थोडा मुस्कुरा कर - नही वो दुकान खुल गयी है ना तो मुझे टाईम नही मिल पाता है और वैसे भी कालेज मे पधाई कहा वहा सब साले ....
मैने अपने जुबान पर रोक लगा दी कही मेरा पहला इम्प्रेशन ही ना खराब हो जाये
कोमल ह्स्ते हुए - क्यू पढाई नही होती तो क्या होती है
मैने एक नजर मा और विमला मौसी की तरफ देखा तो वो लोग बाते करते हुए बस स्टैंड की चेयर पर जा बैठे ,,वैसे भी औरते ही बाते ही अलग है
फिर मैने कोमल की बातो का जवाब बडे इत्मीनान से उसको एक कपल की तरफ इशारे से बताया जो बाहो मे बाहे डाले एक पेड़ के चबूतरे पर बैठे मोबाईल मे कूछ देख रहे थे ।

मै - ये होता है देखी
कोमल मुह पर हाथ रख ह्स्ते हुए - अरे पागल सब थोडी ना ऐसे होते है कालेज मे ,,, और तुम तो ऐसे रियक्ट कर रहे जैसे तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड ही ना हो
मै ह्स्ते हुए - मै इस झमेले नही पड़ता क्योकि मुझे अभी पढ्ना है तो मै शाम को कोचीन्ग कर लेता हू और बाकी समय मा के साथ दुकान पर बिताता हू ,,मुझे अभी पापा का नाम और ऊचा करना है

मैने जानबुझ कर कोमल के सामने खुद को साफ सरिफ बनाया जिसका प्रभाव उस पडा
कोमल - अरे तो तुम तो नाराज हो गये ,, और लड़कियो से दोस्ती करना थोडी ना गलत होता है ।
मै - तो क्या तुम्हारे भी कई लडके दोस्त है
कोमल - नही यार ,, कोई नही है इसिलिए तो तुमसे चुना लगा रही हो की कर को मुझसे दोस्ती हिहिहिहिह
मै समझ गया कोमल मेरे बातो से प्रभावित होकर ही मुझसे जुड़ना चाहती थी ।
मै मुस्कुराकर - हा लेकिन तुम मेरे से दोस्ती क्यू करोगी ,,, मै तो हर समय व्यस्त रहता हू अपने carrier और फैमिली के अलावा कोई टाईम नही है मेरे पास ,,,

इससे पहले कोमल मेरे बातो का जवाब देती कि बस आ गई और मा जल्दी से मेरे पास आई

मा - जल्दी चल बेटा नही तो सीट नही मिलेगी अन्दर

मै ह्स्ते हुए - मा यहा हम सिर्फ चार लोग ही है ,,, फिर मेरी नजर पेड़ के निचे बैठे हुए उन कपल्स पर गयी ,,, चार नही 6 है अब

फिर हम लोग अंदर चले गये
अन्दर दो सीट के दो लाईन खाली थे और एक तीन सीट वाली लाईन खाली थी ।
तो आगे वाली दो सीट पर मा और विमला मौसी बैठ गये उसी के पीछे मै विंडो सीट लेटे हुए कोमल के साथ बैठ गया । और हमारी ही लाईन मे खाली 3 सीट वाली सेट पर वो दोनो कपल बैठ गये ,, चुकी वो दोनो शादीशुदा भी थे ।

फिर 5 मिंट बाद बस निकल पडी अब आने वाले एक घन्टे मे मै मामा के यहा पहुच जाता क्योकि दुरी कम ही सही लेकिन रास्ता खराब ही था ,,, जिससे बस हिचकोले लेटे हुए जाने लगी और मै इसीलिये विण्डो सीट लिया ताकि हिच्कोले मे कोई दिक्कत नही हो । लेकिन कोमल के लिए बहुत दिक्कत होने वाली थी क्योकि उसके सामने वाली सिट के पीछे जो हैण्डल होता है हचका लगने पर पकडने के लिए वो टूटा हुआ था जबकि मेरी सीट के सामने वाला हैण्डल एक दम ठीक था ।
कोमल बड़ी मुस्किल से सामने की सीट पकडे बैठी हुई थी ।

आगे मा और विमला की तो बाते ही खतम नही हो रही थी । यहा हम दोनो शांत थे और बीच बीच में एक दुसरे को देख कर स्माइल पास कर रहे थे । मुझे कोमल के uncomfortable होने का ज्ञान था लेकिन मै उसके बदले अपना सफ़र बेकार नही करना चाहता था ,,,मै तो मामा के यहा होने वाले रोमांच से ही खुश होकर बाहर के नजारे देख रहा था ।
इसी बीच बस एक जोर का झटका दिया तो कोमल मेरे कंधो पर आ गयी और उन्का हाथ मेरी जान्धो को पकड लिया ,,,, फिर उसे इस बात का अह्सास हुआ और वो वापस से मुझे सॉरी बोलते हुए अपनी जगह पर बैठ गई ।
मै अब और ज्यादा कोमल के प्रति सतर्क हो गया और मुझे लगा कि उसे अपनी सीट दे दू । मै कुछ करता इससे पहले बस एक बार और तेज हिचकोले लिया और कोमल हाथ सामने की सीट से छूट गया और वो दुसरी तरफ गिरने को हुई की मैने लपक कर बाये हाथ से उसके पेट के उपर से उस्की कमर को थामा और अपनी तरफ खीच लिया ,,, मेरा हाथ अब भी उसकी कमर पर था ,,,और कोमल की आंखे बड़ी हो गयी वो मेरे हाथो का स्पर्श अपनी नाजुक कमर पर पाकर तेज सांसे लेने लगी ,,जिसका अह्सास मुझे तब हुआ जब मेरी नजर कोमल की उपर निचे होती चुचियो पर गई । मैने तुरंत अपना हाथ हटा लिया और सॉरी बोला

कोमल - अरे कोई बात नही तुमने मुझे पकड़ा ना होता तो मेरा सर फत ही जाता आज हिहिहिही थैंक यू राज
मै - ऐसा करो तुम यहा आजाओ ,,, मेने कोमल को अपनी सीट पर आने का इशारा करते हुए कहा

कोमल थैंक्स बोलते हुए अपने सामने की सीट पर खड़ी हुई और मुझे उसकी सीट पर ख्सक्ने का इशारा किया जैसे ही मै कोमल की सीट पर आया तभी बस मे एक और झटका लगा और कोमल मेरे उपर गिर कर मेरी गोद मे ही बैठ गई उसके दोनो हाथ अभी भी सिट पर थे ,,लेकिन मेरे दोनो हाथा उसको सम्भालने के चक्कर मे उसके मुलायम चुचो को पकड चुके थे और कोमल की गाड़ मेरे आधे खड़े लण्ड पर आ गई थी ,,,, एक दो सैकेण्ड के इस घटना मे मेरा लण्ड उत्तेजित होकर फड़फड़ाने लगा जिसका अह्सास कोमल हो चुका था,,लेकिन हम लोग तब तक हस रहे थे कि आज हो क्या रहा है

कोमल मेरे उपर बैठी और मेरे हाथ अभी भी उसके चुची को थामे थे ऐसे मे वो गरदन घुमा कर ह्सते हुए बोली - लग रहा है आज झटके खाते हुए ही जाना पडेगा हीहीहि
मुझे कोमल की बाते डबल मिनिंग की लगी जिससे मेरा लण्ड फिर से फुदक पडा ,,
मै भी हस्ते हुए - ऐसे ही बैठो तुम मै गिरने नही दूँगा
मेरे बोल्ते ही कोमल को पता चला कि वो किस पोजिसन मे हो गयी है और तुरन्त उठ गई जिससे मेरा हाथ उसकी चुची से सरक कर कमर पर आ गय और मेरे सामने कोमल की मोटी गाड़ अपने उभार के साथ सामने आ गई ।

ये सीन देख कर मेरा बचा हुआ उत्तेजित लण्ड अब पुरा खड़ा हो गया , कोमल अब विण्डो सीट पर बैठ गई ।
हम दोनो एक दूसरे को देख कर मुस्कुराये जा रहे थे । लेकिन मेरे हाथ अब मेरे जीन्स के उपर निकले लण्ड के उभार को छिपाने मे लगे थे।
इस दौरान मुझे बस के झटके से बहुत दिक्कत हो रही थी तभी कोमल ने कहा- राज ऐसा करो तुम मेरे सीट के सामने वाला हैण्डल पकड लो,,, कोमल ने ये बात विण्डो की तरफ खसककर अपनी तरफ आने का इशारा करते हुए बोली । जिसका मतलब मै समझ और कोमल के करीब जा कर बाये हाथ से हैण्डल पकड लिया ,,,, लेकिन होनी को कौन टाल सकता था हम दोनो लाख कोशिस करते कि हमारे शरीर आपस मे टच ना जो लेकिन हर झटके के साथ मेरा कन्धा कोमल से टकराता साथ मे मेरे हाथ की कोहनी कोमल के दाहिने चुची के उभार को छू जाती । सफ़र बहुत ही उत्तेजना से गुजर रहा था ,,अब तक आधा घंटा बीत चूका ,,, कुछ सवारिया नीचे भी उतर चुकी थी।

इसी बीच मैने कोमल से पुछा - तुमने मेरे सवाल का जवाब नही दिया कोमल
कोमल अचरज से - कौन सा सवाल
मै - यही कि तुम मुझसे दोस्ती क्यू करना चाहती हो ,,जबकि मै खुद के लिए समय नही निकाल पाता
कोमल मुस्कुराते हुए - तुम एक अच्छे लडके हो राज ,, इतनी कम उम्र में जब बाकी लडके लड़कियो के पीछे भागते हैं और अपनी स्वार्थ के लिए उनका यूज़ करते हैं लेकिन तुम अप्नी जिम्मेदारी समझ कर पापा का नाम आगे बढ़ाना चाहते हो और दुकान चलाते हो, और तुमको सबकी फ़िकर भी है ,,, तो कोई भी अच्छी नियत की लड्की क्यू नही चाहेगी कि उसका तुम्हारे जैसा अच्छा दोस्त हो ।

मै समझ गया कि कोमल मन में मुझे एक आदर्श और सिद्धांतवादी लड़का समझ रही है जिसमे कोई बुराई नही है । मगर उसे क्या पता था मै कल रात से ही मादरचोद बन गया हू हिहिहिहिह ।
फिर मैने उसकी भावनाओ को सराहटे हुए कहा- वो सब ठीक है लेकिन तुम तो जानती हो कि ये समाज एक लड़का और लड़की की दोस्ती को किस नजर से देखता है

कोमल - धत्त पागल मै सिर्फ दोस्ती की बात कर रही हू और तुम कहा गर्लफ्रैंड की बात सोचने लगे हिहिहिही
मै थोदा मज़ाक में - अरे अगर दोस्त एक लड्की हो तो गर्लफ्रैंड ही हुई ना हाहहहाह
कोमल - हा ये बात भी सही है लेकिन हमारी दोस्ती में वो सब कुछ नही होगा हम सब एक अच्छे सीधे साधे दोस्त रहेंगे ठीक है

मै जानबुझ कर - वो सब नही होगा मतलब
कोमल - भक्क तुम तो बुध्दु हो ,,,वो सब मतलब प्रेमी प्रेमिका वाला रिलेशन नही होगा ,, सिर्फ दोस्ती वाला
मै- ओह्ह्ह ये बात ठीक है फिर फ्रेंड्स,,,, मैने हाथ उसकी तरफ करते हुए बोला
कोमल भी मेरे हाथ में हाथ मिलाते हुए खुशी से बोली - हा फ्रेंड्स
मैने भी मौके का फायदा उठाकर अप्नी बाहे खोल कर बोला - हग

कोमल - छीईईई गंदे ,,, मै नही करने वाली हग
मै ह्स्ते हुए - तुम ही बोली ना हम लोग दोस्त है तो दोस्त मे हग करना तो आम बात है

कोमल - हा लेकिन यहा बस मे सब कोई है
मै - तो क्या तुम मुझे अपना लवर समझ रही हो जो शर्मा रही हो ,, हम तो दोस्त है ना
कोमल हस्ते हुए - हा बाबा हम दोस्त ही है ,,ठीक है आजाओ हग्ग्ग

फिर मै कोमल की तरफ झुका और उसके मुझे अपने गरदन्ं और सीने के बीच रख कर हग कर लिया और फिर मैं वाप्स आ गया ।
कोमल के बदन की खुस्बु और उसके जिस्मो का स्पर्श से मेरा लण्ड का उभार और ज्यादा जीन्स पर होने लगा ,,,मै इस बात से अंजान होकर कोमल से बाते किये जा रहा था ,, मगर बार बार कोमल की नजर नीचे होती और फिर दुसरी तरफ देखती थी ।
फिर जब मैने उसकी आँखों का पिछा किया तो पाया कि मेरा लण्ड का सख्त उभार साफ दिख रहा है,,, मुझे शर्म आ गई और मैने तुरन्त अपना हाथ उसपर रख दिया,,, जिसे देख कर कोमल खिडकी की तरफ मुह करके मुस्कुरा रही थी और मै भी बेबस शर्मिदा होकर मुस्कुराता रहा ,,,मगर मेरा लण्ड बैठने वाला कहा था ,,, मै बार घुमा कर कोसिस करने लगा की थोडा शांत हो लेकिन अब मेरे लागातार स्पर्श से वो और ज्यदा कड़ा होने लगा साथ मे दर्द भी ,,जिसका असर मेरे चेहरे के भाव से पता चलने लगा ,,,कोमल ने जब पलट कर मुझे देखा तो उसे मेरा परेसान दर्द से भरा चेहरा दिख रहा था और वो मेरे हाथ को बार बार लण्ड एद्जेस्त करते हुए देख रही थी लेकिन टाइट जीन्स मे वो मुमकिन नही था ।

ऐसे मे कोमल ने वो किया जिसकी उम्मीद कोई भी लड़का पहली मुलाकत मे मिली लड्की से नही कर सकता था ।
कोमल मे अपना दुपट्टा का एक सिरा उठाकर मेरी जांघो पर रख दिया और इशारे के साथ हल्के आवाज मे बोली - दुपट्टे के नीचे खोल कर सही कर लो,, वो वापस मुस्कुराकर खिडकी पर देखने लगी ।

चुकी ज्यादतर सवारी उतर चुकी थी यहा तक की मेरे अगल बगल और वो couple भी उतर गये थे ,,तो मुझे लगा कि मुझे सेट कर लेना चाहिए अब ।
मैने एक नजर कोमल को देखा तो वो कनअखियों से मेरे तरफ देख रही थी मगर से नजर मिलते ही वापस मुस्कुराते हुए खिडकी से बाहर देखने लगी ।
मैने भी दुपट्टे को अपने कमर तक करके अपने जीन्स का बटन खोला और चैन खोल दिया ,,,मा कसम वो राहत मै बयां नही कर सकता था । फिर मैने अंदर हाथ डाला तो पता चला कि मेरा लण्ड अंडरवियर के पेसाब वाले छेद से बाहर आ गया था तभी मुझे उसको सेट करने मे दिक्कत आ रही थी,,,
फिर मैने सोचा ये लण्ड तो इतना जल्दी बैठने वाला है नही क्यू ना थोदा बाहर निकाल कर आराम दे दू ,,, और मैने मोटा फन्फ्नाता लण्ड को जीन्स से बाहर निकाला जो कि कोमल के दुप्प्ते से ढका था । फिर मैने एक नजर कोमल की तरफ देखा तो वो गरदन घुमाये मेरेपुरे क्रिया कलाप पर नजर डालें हुए थी ,,,जैसी ही उसने देखा की मै उसे अपना लण्ड निहारते देख रहा हू वो सॉरी बोल कर वापस खिडकी की तरफ घुम गई ।

मेरे चेहरे पर एक कातिल मुस्कान आ गयी क्योकि कोमल का इंटरेस्ट मुझे बहुत सारे सपने दिखाने लगा ,,,और मैने इधर उधर देखा और खुद की अपने लण्ड के उपर से दुपट्टा उसकी तरफ उड़ा दिया जिससे मेरा लण्ड तन कर सुपाडे के साथ खड़ा हो गया ।
जैसे ही मैने दुपट्टा उसकी तरफ फेका तो उसके साथ एक छोटी सी आवाज भी दे दी

मै - अरेरेररे ...
मेरे इतना कहने की देरी थी कि कोमल पलट चुकी थी औए उसके सामने मेरा मोटा फुकार मारता लण्ड हिलने लगा । कोमल एक टक मेरे लण्ड को देख्ने लगी ,,,और मै भी इस रोमांच से इत्ना भर गया की मेरे माल की कुछ बुन्दे मेरे सुपाडे पर आ गई । जिसे देख कर मैने वापस कोमल को दुपट्टे के लिए इशारा करते हुए साथ मे लण्ड के आगे हाथ लगा कर छिपाने की कोसिस करते हुए बोला

मै - कोमल सॉरी वो हवा से उधर चला गया दुपट्टा ,, जल्दी दो ना मै बंद कर लू ,,
कोमल झेप गयी और मुस्करा कर बोली - नही वो दाग लग जायेगा इसमे ,
फिर मेरी नजर सुपाड़े पर आये माल की बूद पर गयी ,,
मै - ओह्ह्ह सॉरी ,,, लेकिन मै बंद कैसे करू ।
कोमल इस बीच पुरे ध्यान मेरे लण्ड को देख रही थी
कोमल मुस्करा कर - अब क्या छिपाना है बुधु कही के,, खड़े हो जाओ बन्द कर लो
मै थोडा शर्मया और कोमल की तरफ होकर खड़ा हो गया ,,जिससे मेरा लण्ड कोमल के सामने झूलने लगा ,,,कोमल ने खुद को पीछे की तरफ खीचा ताकि मेरा लण्ड उसको छुए नही ।फिर मैने जीन्स निचे किया और अंडरवियर के छेद को लण्ड के उपर से निकालने की कोसिस करने ल्गा एक दो बार लास्टीक छूत जाने से मेरे कमर मे चोट लगी जिसकी सिसकी और मेरे चहरे के भाव से कोमल को पता चलने लगा । तभी कोमल ने दुपट्टे को हाथ मे लेकर मेरे लण्ड को पकड़ा और उपर की तरफ किया और बेहद बुरा सा मुंह बना कर मानो वो किसी गंदी चीज़ को पकड़ा हो ऐसे
कोमल - हम्म्म्म अब अंदर करो इसको ,,,मैने भी कोसिस करके लण्ड को अन्दर रख दिया और फटाक से जीन्स पहन लिया । और वापस अपनी जगह पर बैठ गया कुछ पल हम दोनो शांत बैठे रहे ।

मै - सॉरी कोमल , और मै चुप हो गया और कोमल को देखने लगा
कोमल खिडकी से बाहर झाकते हुए मुस्कुरारही थी ।
मै - क्या हुआ हस क्यू रही हो
कोमल हस्ते हुए - यार तुम कितनी छोटी अंडरवियर पहनते हो हिहिहिही
मै झेप गया - क्या यार तुम भी मेरी मजबुरी थी कि वो बड़ा हो गया था तो क्या करता ।

कोमल - फिर भी अपनी साइज़ के हिसाब से तो पहनना ही चाहिये ना राज हिहिहिही
मै - हम्म्म्म सॉरी आगे से ध्यान दूँगा हा नही तो
कोमल सारे रास्ते हस्ती रही और ना जाने क्यू उसकी ये दोस्ती मुझे भा गयी । बस से उतरने से पहले हमने सेल्फी भी ली और नम्बर भी एक्सचेंज किये । हालाकि हमे एक ही गाव जाना था लेकिन बस से उतर कर हम दोनो शांत थे मा और विमला मौसी के सामने ।

बस मेरे नाना के गाव के बाहर एक प्राथमिक स्कूल पर रुक गयी । ये गाव था प्रतापपुर । काफी बड़ा गाव था और इस गाव के सबसे बड़े सेठ थे मेरे नाना जी जो कि बहुत बडे जमीदार थे । सैकडों बीघे की खेती और दो दूध की डेयरी , 3 पक्के ट्यूबवेल और एक आलीसान घर जिसमे कयी नौकर और सुख सुविदा की सारी चीजे थी । नाना जी गाव की भलाई के सरकारी स्कूल , सरकारी हस्पताल , पानी की व्य्व्सथा के लिए कयी सारे काम सरकारी कार्यालयों से अपने दम पर करवा लिये थे ।

( नाना के यहा का परिचय पेज 47 पर अपडेट 28 मे दिया गया है )

फिर हम लोग चारो बैग लेकर निकल पड़े गाव मे अन्दर की तरफ ,,, कड़ी धूप भी थी और प्यास से गला भी सुखने लगा था लेकिन उससे भी ज्यादा मै जल्दी से जल्दी नाना के घर जाकर अपने लण्ड को आराम देना चाहता था । लेकिन मा तो ऐसे गाव को देख रही थी कि मानो कितने सालो से ना देखा हो जबकि हर साल वो एक दिन यहा राखी बांधने आती थी ।
मै गाव के अंदर प्रवेश कर चुका था ,,, गाव मे छोटे बच्चो की चहल पहल ,, एक गाड़ी पर 4 5 बच्चे एक साथ बैठ कर चिल्ल्लते हुए घूम रहे थे उनको देखने के लिए गली मुहल्ले की औरते बाहर निकली थी कोई दरवाजे पर था तो कोई किवाड़ की आड़ मे । अहहा कोई कोई औरते बेढंग से साडी लपेटे थी और उनमे चुचे नाभि पेट किसी किसी के दिख भी रहे थे ।
गाव में जो औरते मा को पहचानती थी वो उनको नमस्ते भी कर रही थी ।
तभी सामने से कुछ औरते गोबर की खाची सर पर लिये गाव से बाहर की तरफ जाने लगी । उनमे से भी कुछ ने मा को नमस्ते किया क्योकि वो हमारे डेयरी और खेतो मे काम करने वाली थी । कुछ की कसी हुई कमर चुचे थे कुछ बुढ़ी भी थी ।
मै - जल्दी चलो ना धूप हो गया प्यास लग रही हैं
मा - हा बेटा चल रही हू ज्यादा दूर नही है बस आने ही वाला है ।
इधर विमला का मायके वाली गली आ गई , वो मा से विदा होने लगी और मा बोली की शाम तक आओ मिलने घर पर । मै कोमल को देख कर एक मुस्कान दिया और हम लोग आगे निकल गए,, मैने एक नजर पलट कर देखा तो कोमल की मस्तानी चाल ने फिर से मुझे कायल कर दिया । उसके भी लम्बे बाल कमर तक आते थे ।तभी मैने उसके मोबाइल पर मैसेज किया

मै - तुम ऐसे क्यू चलती हो ,, सीधा सीधा नही चल सकती
कोमल ने मैसेज पढा और मुड कर देखा तो मै उसे ही देखते हुए जा रहा था ,,
फिर वो मोबाईल मे कुछ टाइप करने लगी
फिर मुझे मैसेज की बिप आई तो मैने मोबाइल खोला

कोमल - तुम मुझे पीछे से ताड़ तो नही रहे ना , हसने वाली इमोजी के साथ जमाए
मैने तुरंत मुस्कुरा कर मोबाइल मे sms कर दिया
मै - मै तो बस तुम्हारे बालो को देख रहा था कितने लम्बे है ।
कोमल - बदमाश , मै तुमसे बाद मे निपटूंगी । अभी मेरे मामा का घर आ गया । 😊

मै भी उसको बाय लिख कर चलने ल्गा ,
और कुछ ही दुरी पर एक बड़ा सा मकान सामने आया जो मेरे नाना का घर था और हम लोग मेंन गेट से अंदर चले गए ,,, एक बडे गेट के बाद अंदर बहुत ही बड़ा आंगन और उसी आँगन के तीनो तरफ कमरे बने थे ,, गेट के ही सीध मे अंदर की तरफ एक दरवाजा था जो पीछे टोइलेट बाथरूम और स्टोररूम की तरफ जाता था । जहा से एक सीढ़ी छत पर भी जाती थी ।
घर एक मंजिला ही थी लेकिन कुल 8 कमरे थे जिसमे कीचेन भी शामिल था । तीन गेट के दाई तरफ , तीन बाई तरफ और दो अंदर जाने वाले दरवजे के अगल बगल थे । उसमे दाई तरफ वाला कमरा कीचेन के लिए यूज़ होता था ।
और सारे कमरे के सामने बरामदे भी थे जिसमे चौकी , राशन की बोरिया , दूध के बडे बर्तन रखे जाते थे । मेन गेट के बाई तरफ से ही एक और सीढ़ी छत पर जाने के लिए थी और उसी के जीने के बगल वाले कमरे के सामने एक चौकी थी जिसपे एक पुराना गल्ले का बक्सा और कुछ रजिस्टर रखे हुए थे । मै समझ गया कि ये कमरा नाना का ही है । और भी नौकर चाकर थे जो काम मे लगे थे ।

मै इस सब चीज़ो को देख रहा था कि तभी सामने से रज्जो मौसी किचन से चलती हुई आई ,,, मै मौसी के हिलते चुचे देख कर मस्त हो गया और उन्के साथ बिताये पल याद करने लगा ।

यहा मौसी आई और मा के गले लगी ,, आह्ह दो बडे बडे थन टकरा गये थे ,,, फिर मैने उन काम करने वाले नौकरो के सामने खुद को सभ्य जता कर मौसी के पैर छुने के लिए झुका तो मौसी ने मुझे रोक लिया

मौसी - अरे लल्ल्ला मेरे सीने से लग मेरे लाल ,,,आजा
मेरे मुह मे पानी आया और मौसी ने मुझे सीने से लगा लिया , मै भी मौसी के मुलायाम चुचो के उपर अपने गाल को लगा कर सफ़र की थकान मिटा लेना चाहता था ।
पर ज्यादा देर ये मुमकिन नही था ।
मा - चलो हो गया बहुत मेल मिलाप अंदर चल अब धूप नही लग रही है
मौसी - अरे मेरा लल्ल्ला कितना परेशान हो गया है । चल बेटा हाथ मुह धुल ले चल मै कमरा दिखा देती हू
मै - पहले मुझे ये जीन्स निकालना है फिर कुछ,,
मौसी हस्ते हुए - अरे तो कमरे मे चल कप्डे बदल ले और मन हो तो पीछे जाकर नहा ले ।

फिर मौसी ने मुझे और मा को किचन के दाई तरफ वाला ही कमरा दिया जो किनारे पर था ।
मै जलदी से अंदर गया और जल्दी से जींस निकाल दिया,,,मेरे लण्ड को बहुत राहत हुई ,,सोचा क्यू ना नहा भी लू इसी बहाने लण्ड भी बैठ जायेगा। तो मैने एक लोवर टीशर्ट लिया और तौलिया लपेटे हुए,, किचन के बाई तरफ से दरवाजे से होते हुए पीछे हाते मे चला गया ।

यहा 3 4 पाखाने और 3 4 नहानघर थे ,,, और पाखाने के एक तरफ किनारे पर कपडे धुलने के लिए मोटर भी लगा था ,,, मैने सोचा आँगन खाली है क्यू ना मै मोटर चालू करके ही नहा लू ।
मैने तौलिया उतार कर अपना शर्त निकाल दिया और बनियान भी । जैसे ही मै मोटर चालू करने अंडरवियर मे पाखाने की तरफ लगे स्विच के पास गया कि सामने से एक दरवाजा खुला जिसने से एक खुबसूरत लड्की अपने सलवार का नाड़ा बंधते हुए बाहर निकली ,,,जैसी ही उसकी नजर मुझसे मिली और उसने मुझे अधनंगा अंडरवियर मे पाया वो चिल्ला कर वापस पाखाने मे चली गयी ।


देखते है दोस्तो आगे क्या होता है । आप सभी के सुझाव और प्यार भरे टिप्पणियों का इंतजार रहेगा ।
Nice
 

andyking302

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Update 40

शाम को 5 बजे मेरी नीद गीता बबिता के शोर मचाने के खुली । आंखे खुलते ही वो दोनो मेरे अगल बगल बैठी दिखी और मुह पर हाथ रखे हस रही थी ।
मुझे अजीब लगा कि इन लोगो को क्या हुआ जो ये ऐसे ह्स रहे है ।
मै थोडा सा झिजक कर - क्या हुआ गुडिया क्यू हस रही हो ।
बबिता हस्ते हुए - भईया अपना चेहरा तो देखो
मैने तुरंत हडबडी मे मोबाइल निकाला और उसमे कैमरा खोला तो देखा कि मेरे माथे पर बिन्दी , मेरे दोनो गाल पे बिन्दी और तो और मेरे ठुडी पर 3 बिन्दी लगी थी । मुझे मेरा चेहरा देख कर खुद हसी आ गई ।
गीता बबिता भी खुब तेज तेज हस रही थी ।मैने जल्दी जल्दी सारे बिन्दी उतार दी ।
गीता - हिहिहिह भैया सिर्फ इतना ही नही और भी है खोजो खोजो ।

मै अचरज से - और कहा है दिख नही रहा
बबिता - वो आप खोजो भईया
मै - ठीक है रहने दो मै खोज लूंगा अब जाने दो मुझे फ्रेश होना
गीता - हा हा जाओ जाओ बाहर बुआ लोग नाना सब देख कर आप पर हसेन्गे हिहिहिहिह
मै गीता तो पकड़ा और लिटा कर उसके पेट मे गुदगुदी करने लगा और वो छटपटाने लगती है जिससे दो तीन बार मेरी उंगलिया उसके मुलायम चुचियो को छू जाती है ।
मै उसे गुदगुदाते हुए - अब बताओ कहा कहा लगाया है तभी छोड़ूंगा तुझे
गीता - हा हा हा हा हा हा हा हा हा अरे भईया रुको तब हिहिहिहिही ना बता हहहहहहाहह ऊंगी हाह्हाहाहाहाहाह्हा
मैने उसे छोड दिया
गीता हाफ्ते हुए - ह्य्य्य्य मै तो मर ही जाती
मै - जल्दी बता नही तो तेरा गला दबा दूगा और सारा प्यार बस गुडिया को मिलेगा ,,,,ये बात मैने उसके गले को दोनो हाथो मे हलका सा पकड कर की
गीता उस्मे भी हस्ने लगी और बोली - भईया प्लीज छोडो ना हिहिहिही बहुत गुदगुदी लग रही है ,, मै बता रही हू ना
मै उसे छोड़ते हुए - हा चल बता
गीता - अपना टीशर्ट उठाओ
मै अपना टीशर्ट उपर किया तो मेरे नाभि के चारो तरफ 5 6 बिंदीया चिपकी
मै गिता को घुरते हुए सारे निकाल दिये
बबिता हसे जा रही है थी ।
मै - अब हो गया ना चलो अब जाने दो
बबिता - अभी कहा भईया अभी भी बाकी है हहहहहहा
मैने तुरंत बबिता की कमर को पकड़ा और चींटी काट लिया
बबिता - अह्ह्ह्ह भैया क्या करते हो दर्द होता है न
मै - चल बता और कहा है नही तो इस बार दाँत लगा कर काटूंगा ।
बबिता थोदा शर्माते हुए - भक्क भैया मै नही ब्ताऊगी आप जाओ बाथरूम मे देख लेना
गीता - मैने बोला था ना वहा मत लगा ,,, अब बता ना क्यू हिहिहिही
बबिता - तू चुप कर सब तेरी वजह से शुरू हुआ
गीता - मै तो बस शुरू किया ना जगह तो सारी तुने चुनी ना
मै उन दोनो को झगड़ते देख बोला
मै - अरे तुम दोनो शांत रहो और ब्तओगी की कहा लगाया है आखिरी बिन्दी
बबिता - भईया आप प्लीज बाथरूम मे जाकर देख लो ना मिल जायेगा
मै - नही तुम लोगो ने बहुत शरारत कर ली अब तुम ही बताओगी की कहा लगायी हो
गीता चहकते हुए - भईया मै बताऊ
बबिता - नही गीता ,, नही तो जान ले मै भी वो ब्ता दूँगी जो तुने किया था ।
गीता झेपते हुए - सॉरी भैया फिर मै नही बताने वाली हिहिहिही

मैने सोचा ये लोग ऐसे नही मानने वाले मुझे ही कुछ ड्रामा करना पडेगा ।

मै ठीक है मत बताओ मै खुद ही जाकर बाथरूम मे सीसे मे देख लूंगा,, लेकिन अब तुम लोग अब मुझसे बात मत करना कभी ,, मैने झुटमुट का गुस्सा करते हुए उठा और बिस्तर से उतरने लगा ।

तभी गीता बबिता एक साथ बोली - नही भैया प्लीज ऐसा मत करो हम बताते है ना
मै एक कातिल मुस्कान से घुमा और उन्के सामने फिर अपना चेहरा सीरियस कर लिया और बिस्तर एक बगल मे खड़ा हो गया जबकि वो दोनो बैठी ही थी ।

मै - ठीक है बताओ लेकिन एक शर्त है उसे तुम लोग ही निकालोगे
बबिता - क्या , नही नही नही भैया हम बता देते हैं आप निकाल लेना जैसे बाकी सब निकाले
मै - लगाया तुम दोनो ने ही था ना तो निकालोगे भी तुम ही
गीता - मैने नही सिर्फ़ बबिता ने भैया
बबिता - और तुने जो किया वो
मै - ठीक है फिर बबिता बिन्दी निकालेगी और गीता ने जो किया वो मेरे सामने फिर से करेगी , हिसाब बराबर
गीता चौकते हुए - नही नही भईया प्लीज
बबिता हस्ते हुए - अब मज़ा आयेगा बहुत हसी आ रही थी ना तुझे ।

मै थोडा कडक होकर - वो सब छोडो और जल्दी से बताओ कहा है और उसे निकालो
गीता बबिता मेरे बातो से सहम गयी और डर हिचकिचाहत उन्के चेहरे पर साफ दिख रहा था ।
मै अंदर ही अंदर बहुत खुश हो रहा था कि ये लोग डर गयी है। हालांकि मै होने वाले रोमांच से अंजान था । मेरे लिए वो बचपन की दो छोटी छोटी गुडिया जैसी ही थी , लेकिन आने वाले पल मे मुझे उनके बडे होने और जवानी में कदम रखने का आभास होने वाला था ।
मैने वापस से बबिता को बोला - गुडिया जल्दी करो मुझे फ्रेश होने जाना है
वाकई उस समय मे मुझे पेशाब ल्गा था लेकिन इत्ना भी तेज नही की कण्ट्रोल ना हो ।

बबिता सहमे हुए मेरे पास आई और घुटने के बल बिस्तर पर बैठ गयी और कान पकड कर बोली - भैया आप प्लीज गुस्सा ना होना
मै थोदा सा नाटक करते हुए तेज आवाज मे - हा ठीक है पहले निकालो कहा लगाया है
बबिता - वो आप अपना लोवर निचे करो
मै चौकते हुए सोचने ल्गा कही इसने मेरे ... नही नही ऐसा नही होगा ये लोग बदमाश है लेकिन ऐसी शरारत नही ,,, ये सब सोच कर मेरे लण्ड मे उभार उठने लगा
मै - लोवर क्यू
बबिता - आप निकालो ना
फिर मैंने लोवर को जांघो तक किया और मेरा अंडरवियर दिखने लगा साथ मे मेरे लण्ड की मोटाई का उभार भी ।

बबिता - अब ये भी निचे करो
मै समझ गया कि जरुर बबिता ने शरारत मे मेरे लण्ड पर बिन्दी लगा दी है
मै - ये तू क्या कह रही है और कहा पे लगा दी है बिन्दी ,, मुझे नँगू पँगू करोगी क्या हिहिहिही
बबिता मुझे हस्ता देख थोड़ी नॉर्मल हुई

बबिता - वो बिन्दी निकालने के लिए आपको नँगू पँगू होना पडेगा ,,इसिलिए तो बोली ना मै कि आप बाथरूम मे जाकर देख लो
मै - ठीक है कोई बात नही अब जान गया हू तो खुद ही निकालो
ये सोच कर की बबिता ने मेरे लण्ड पर बिन्दी लगायी है और वो उसे मेरे सामने निकालेगी ,,मेरा लण्ड और टनटना गया
बबिता शर्माते हुए - हा लेकिन आप पहले ये नीचे करो ,,मेरे अंडरवियर की तरफ इशारा करते हुए बोली
मै भी एक नजर गीता और बबिता को देखा वो अब मुझे बचपन की कोई गुडिया नही दो जवान होती माल नजर आने लगी थी ।
फिर मैने अपना अंडरवियर भी निचे घुटनो तक कर दिया जिससे मेरा लण्ड फुदक कर एक सीध मे बबिता के सामने कडक होकर खड़ा हो गया ।

गीता और बबिता आन्खे फाडे मेरे लण्ड को निहारे जा रही थी ।
गीता - इतना बड़ा ,,,,
जैसे ही मैने गीता की आवाज सुनी मुझे थोदा खुद पर गर्व हुआ और उसकी तरफ देखा तो वो मुझे देख कर शर्मा गयी ।
फिर मै - कहा है बिन्दी गुडिया यहा भी नही दिख रहा है
बबिता - भईया वो आप अपना ये उपर उठाओ ,, उसके निचे चिपकाई हू ताकि आप खोज ना पाओ

मुझे खुशी हो रही और थोडा सा नशा भी की मेरी दो जवान होती बहनों ने खेल खेल में ही बहुत आगे आ चुकी थी
मै - नही मै नही कुछ करने वाला ,तुमने लगाया है तुम्हारी सजा है कि तुम खुद निकालोगी

बबिता सहमी सी थी और मै नाराज ना हो जाऊ इसिलिए उसने अपने नाजुक हाथो से मेरे लण्ड को थामा और उपर की तरफ उठा दिया ,,, बबिता के कोमल हाथो का स्पर्श अपने लण्ड पर पाते ही मेरे लण्ड का बचा कुछ हिस्सा भी पुरे जोश मे फड़कने लगा ,,,फिर बबिता ने मेरे लण्ड और आड़ो के बीच से एक छोटी से बिन्दी को निकाला और खुश होते हुए बोली - हो गया भईया ये रहा हिहिहिही , और मेरे लन्ड़ को छोड दिया जो काफी समय तक हिलता रहा ,,इस दौरान गीता लगातर मेरे खड़े लण्ड पर नजरे बनाये हुई थी ।

मै - हम्म्म चलो ठीक है हो गया ,,अब आगे से ऐसी बदमाशि मत करना ठीक है ,अब मै जा रहा हू फ्रेश होने

बबिता - अरे भईया ऐसे कैसे ,, मुझे सजा दी और गीता को क्यू नही ।

मै - अब उसने क्या किया था
बबिता - उसने तो .... आप इसी से पुछो हिहिहिही
मै - मीठी चलो बताओ अब तुमने क्या किया था
गीता तो मानो मेरे खड़े लण्ड मे खोयी हुई थी और मेरे पूछने का इन्तेजार कर रही थी ।
गीता - भईया वो मै कैसे बताऊ
मै - बता नही सकती तो कर के दिखा दो और तुम्हारी सजा भी पूरी हो जायेगी ,क्यू गुडिया
बबिता ह्स्ते हुए - हा भैया सही कह रहे हो आप इहिहिहिही
मै - चलो मीठी
मेरे इतना कहते ही मीठी घोड़ी बनकर बिस्तर पर से चलते हुए मेरे खड़े लण्ड के सामने आई और अपने मुलायम होठो को सिकोड़ कर मेरे लण्ड सुपाडे को चूम लिया ।

मै शौक मे आ गया कि मै जिन्हे नादान समझ रहा था वो दोनो कीतनी आगे निकली ।
गीता के मुलायम चुम्मी का अह्सास से मुझे बहुत शुकून मिला लेकिन साथ मे नशा भी होने लगा । मैने सोचा अगर ये लोग ऐसी है तो क्यू न थोडा बहुत इनसे मज़ा लू , लेकिन यहा नही बाहर टयूबवेल जहा कोई ना हो ।

मै थोडा नाराज होते हुए अपना अंडरवियर और लोवर उपर कर लिया और बोला - मीठी ये सब क्या है तुम दोनो बहुत बिगड़ गयी हो

गीता मायूस सा मुह बना कर - सॉरी भैया वो आप सो रहे थे तो ये भी सो रहा था और जब बबिता ने आपके वहा पे बिन्दी लगायी तो ये बहुत प्यारा दिख रहा था तो मैने उसे छोटा बाबू समझ कर किस्सी कर लिया ।

बबिता - हा भैयया प्लीज नाराज ना हो
मै - तुम लोगो ने जो किया उसकी सजा अभी और मिलेगी ,
गीता बबिता - क्या अभी और लेकिन क्या
मै - वो तो बाद मे दूँगा लेकिन अभी मेरा गुस्सा कम करना है तो मुझे कही घुमाने ले चलो ।

गीता बबिता एक साथ खुश होते हुए कहा- ठीक है भैया
गीता - चलो आज हम आपको हमारे फेवरिट ट्यूबवेल पर ले जायेंगे इहिहिहिही
बबिता - हा भैया बहुत मज़ा आयेगा ।

मै - ठीक है मै जा रहा हू फ्रेश होने तब तक तुम दोनो तैयार हो लो
गीता - हा ठीक है हमे 20 मिंट लगेगा
मै -20 मिंट क्यू
बबिता - अरे भैया वो हम कपडे लेके जाते है ना वहा हीहीहि
मै - ठीक है जल्दी आओ तुम सब
फिर वो दोनो फुदकते हूए बाहर निकल गयी और मै भी मन मे इन दोनों से मज़े लेने का प्लान बनाते हुए बाथरूम मे गया और फ्रेश हुआ और अपने कमरे मे गया , जहा मा और मौसी दोनो साथ मे सोये थे । मा मौसी की तरफ पीठ करके सोयी थी ।
मै मौसी को देख कर उत्तेजित हो गया और धीरे से दरवाजा बंद करके मौसी के पास लेट गया ।
फिर मैने मौसी की तरफ करवट ली और सारी का पल्लू उनके उपर से हटा दिया ,और ब्लाउज मे कसी हुई चुचिया देख कर मेरे मुह और लण्ड दोनो मे पानी आ गया ।

फिर मैने मुह खोला और ब्लाऊज के उपर से एक चुचि को मुह मे भर कर हल्के दाँत से काटने लगा और ब्लाऊज पर से ही जीभ लगा कर ब्लाउज गिला करने लगा ।
इतने से मेरा मन कैसे भरता
और मै मौसी के कन्धे के बगल मे घुटने के बल आया और लोवर अंडरवियर साथ मे निचे कर लण्ड को मौसी के मुह के सामने हिलाकर खड़ा करने लगा ,,,कुछ ही पलो मेरा लण्ड टनटना गया और मैने लण्ड को खोल्कर सुपाडे को मौसी के नाक के ठीक नीचे रखी जिससे मौसी को मेरे लण्ड की खुस्बु मिले और वो उत्तेजित हो जाये ,,और हुआ भी यही कुछ ही सेकण्ड मे मौसी के चहरे के भाव बदलने लगे और सांसे भारी होने लगी , ज्यादा सांस लेने के लिए अब वो हल्का हल्का मुह खोलकर सांसे भर रही थी ,, मै इसी मौके की तालाश मे थे और लण्ड को उथा कर अब मौसी के मुलायम होठो पर रगड़ने लगा ,, मेरा सुप्पडा अब मौसी के दोनो होठो के बिच मे था और मौसी के मुह की गरम सासे उसे पिघलाने लगी। ऐसे मे जब मौसी से बरदास्त मा हो सका तो उनकी आंखे खुल गयी और मुझे मेरा लण्ड उन्के मुह पर रगडता देख कुछ बोलती उससे पहले मैने अपने मुह पर उंगली रख मा की तरफ इशारा किया जो मौसी की तरफ पीठ किये करवट ले कर सोयी थी ।
फिर मैने लण्ड को उन्के मुह से हटाया और एक जोरदार किस्स मौसी के होठो पर किया जिसमे मौसी ने भी मेरा साथ दिया । फिर मै उठा और वाप्स उसी पोजीशन मे आकर लण्ड को मौसी के मुह के उपर रख दिया और मौसी ने बिना कुछ बोले मेरी आँखो मे देख्ते हुए मुह खोलकर जीभ निकाली और मेरे सुपाडे को चाट लिया ,,,

अह्ह्ज्ज पुरे बदन मे सिहरन सी दौड़ गयी
मैने अपना कमर आगे किया जिससे मेरा लण्ड एक सिरे से मौसी के होठो के बिच से होता हुआ आड़ो तक गया ,,, और मौसी ने एक हाथ से मेरे लण्ड को थामकर उसकी चमडी आगे पीछे करने लगी और जीभ निकाल कर मेरे आड़ो को चाटने लगी।
अब मेरे चेहरे के भाव बदलने लगे थे, मै आखे बंद किये मौसी की कलाबाजी का आनन्द लेने ल्गा ,,,हल्की सिस्किया आने लगी ,,, जिसका पता मौसी को भी था क्योकि मै मेरे लण्ड पर पडने वाले हर अह्सास से सिस्क पडता और मेरे एक हाथ मे कैद मौसी की चूचि दब जाती ,,,जिससे मौसी उत्तेजित होकर मेरे आड़ो को मुह मे भर कर और जोर से चुस्ती

अब ये recycle बन गया था कि जब जब मौसी मेरे आड़ो पर जोर डालती तब तब मै उसकी चुची मिज देता और वो वापस से मेरे सुपाडे पर चमडी आगे पीछे किये मेरे आड़ो को चुस्ती रहती ।
फिर मै खुद पीछे हुआ और लण्ड को उन्के होठो पर वापस ले गया और इस बार मौसी खुद एक कोहनी के सहारे करवट लेकर मेरे लण्ड को चूसने लगी । अब मेरे दोनो हाथ उन्के बालो पर आ गये और मै खुद उनका सर लण्ड पर हल्का दबाता जिससे वो गले तक मेरे लण्ड को ले जाती । बिच बिच मे मौसी मेरे लण्ड को थाम कर उसके सुपाडे पर जीभ नचाती जिससे मेरा रोम रोम में सिहरन होने लगती और मेरी सारी पकड कमजोर होने लगती थी ,,,ऐसे ही 10 मिंट की जोरदार चुसायि के बाद मेरा आखिरी पड़ाव आ चूका था और मौसी के मुह लण्ड कसने लगा ,,, 10 मिंट की लागातार मुह पेलाई से मौसी के मुह की लार गाढी हो गयी थी और मेरा पुरा लण्ड उससे लिपट गया था । आखिरी समय मे मैने मौसी का सर पकड़ा और तेज़ी से उन्के मुह में पेलने लगा जिससे मेरे हर धक्के के साथ मुह से गुउउउक्क्क गुउउउक्क्क्क की आवाज आने लगी और 12 15 झटको मे मै मौसी के मुह मे झड़ने लगा ,,, लेकिन मौसी तो मानो इसी के इंतेजार मे थी जैसे ही मेरा झड़ना शुरू हुआ वो मेरी कमर को खिच कर पुरा का पुरा लण्ड मुह मे भर लिया और मेरा सारा माल मौसी के गले मे गिरने लगा फिर मौसी ने मेरे लण्ड को बाहर निकाल कर अच्छे से साफ करके छोड दिया और सीढ़ी लेट गयी।

मै भी थक कर टेक लिये वही बैठ गया । फिर एक नजर मा की तरफ देखा तो वो वैसे ही करवट लिये सोयी हुई थी ,, फिर मेरी नजर मौसी पर गयी तो वो अपने मुह पर लगे मेरे माल की उंगली से साफ कर चाट रही थी । मुझे मौसी को देख कर बहुत प्यार आया और मैने उन्के सर पर बहुत प्यार से हल्के हाथो से हाथ फेरते मुस्कुरा कर उनको देखने लगा ,,, बदले मे मौसी मे नजर उपर की और मुझे उनको दुलारता देख वो वाप्स से मेरी गोदी मे आकर मेरे लण्ड को चूम लिया और वापस से वही लेट गयी ।
मै भी थोडी देर आराम किया और तभी गीता बबिता दरवाजे पर आकर मुझे आवाज देने लगी । फिर हमने जल्दी जल्दी अपने कपड़े ठीक किये और फिर मै उठ कर दरवाजा खोल्ने गया ,,फिर वो दोनो तेज आवाज मे बोल्ने लगी - चलो ना भैया देर हो जयेगा नही तो
मा - कहा जा रहे हो तुम लोग अभी
मै मा की आवाज से थोडा चौका शायद गीता बबिता की शोर गुल से उठ गयी हो
गीता - बुआ हम लोग जा रहे भैया को घुमाने आप भी चलो ना और आप भी बड़ी बुआ

मौसी - अरे नही नही बेटा तुम लोग जाओ अभी तुम्हारे बबा की तबियत नही ठीक है कोई तो होना चाहिए ना देख्ने के

अब चौकने की बारी मेरी और मा की थी
मा थोड़े फ़िकर मे - क्या हुआ दीदी बाऊजी
मौसी मुस्करा कर लेकिन आँखो से इशारे करते - अरे डरने की बात नही छोटी सब ठीक है ,,तुम लोग जाओ बच्चो कोई टेनशन ना लेना और राज इन दोनो का ख्याल रखना
बबिता - ठीक है बुआ हम दोनो भैया का ख्याल रखेंन्गे हिहिहिही

मा - बदमाश अब जाओ और जल्दी घर आजाना
गिता बबिता - जी बुआ ,,,चलो भैया
फिर मैं उन लोगो के साथ निकल गया खेतो की तरफ

अब देख्ते है आने वाला पल क्या नये रोमांच लाने वाला है राज के लिए ... दोस्तो कहानी कैसी चल रही है जरुर बताये ।
Nice
 

Lucky..

“ɪ ᴋɴᴏᴡ ᴡʜᴏ ɪ ᴀᴍ, ᴀɴᴅ ɪ ᴀᴍ ᴅᴀᴍɴ ᴘʀᴏᴜᴅ ᴏꜰ ɪᴛ.”
6,668
25,554
219
Hero ki koi main heroin aayegi ki nahi hero ki love story bhi aayegi to or maja aayega story me
 

DREAMBOY40

सपनों का सौदागर 😎
7,896
22,294
189
Hero ki koi main heroin aayegi ki nahi hero ki love story bhi aayegi to or maja aayega story me


Sb tadka milega bhai
Sbr aur mze se pdho aur support krte rho
Bahut lambi story hogi ye abhi


Apki pratikriya k liye dhanywaad bhai
 
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