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भाग 247 - मेरा दिन -बूआकी लड़की पृष्ठ १५३९
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Can't wait for the next update .. must confess I wait for the update everyday ..हार
हार या जीत
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" याद है और अगर तू हार गयी तो ,,,,... "
" याद है फिर ये हार गया मेरे हाथ से और चार घंटे की गुलामी ,लेकिन आपकी ये ननद हारने वाली नहीं , हार लेने वाली है।
और आप ने बाजी भी ऐसी लगा दी है जो आप कभी जीत ही नहीं सकती "
मुस्कराती हुयी घमंड से वो बोली और उस की उंगलियां हार पर एकदम जकड़ गयीं।
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तबतक जेठानी जी ने फिर हंकार दी और हम दोनों खाने की टेबल पर , वो भी वहीँ खड़े थे लेकिन बोले ज़रा मैं वाश रूम हो के आता हूँ।
और हम तीनो पहले तो एक दूसरे को देख कर मुस्कराये , फिर जोर जोर से खिलखिलाने लगे ,
हम तीनो को मालुम था की उनका वाशरूम जाना एक तरह की स्ट्रेटजिक रिट्रीट थी।
और बैठने की जगह भी मैंने स्ट्रेटजिकली प्लान की थी , मैं ये और उनकी 'वो 'एक साइड
और जेठानी सामने ,ताकि उन्हें सब दिखे, खेल खुल्लम खुल्ला ,देवर और दिन में ननद रात में देवरानी का।
लेकिन गुड्डी भी कम खिलाड़न नहीं थी, वो मुस्कराते हुए मेरे गले के उस 'नौलखा ' हार को देखती रही , फिर जेठानी को देखते बोली ,
" भाभी ,याद है सिर्फ दो दिन बचे हैं , दस अगस्त में। "
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मेरी जेठानी कैसे भूल सकती थीं , वही तो अकेली गवाह थीं ,उस दो दिन कम एक साल पहले लगी बाजी की।
वैसे तो ननद के खिलाफ मैं और जेठानी एक हो जाते थे , पर पिछले दो दिनों से जो इस घर में चल रहा था बस ,
उन्होंने पाला पलटा , गुड्डी की ओर , और गुड्डी की हंसी में हंसी मिला के बोलीं,
" मैंने तो पहले ही कहा था इससे ,तेरे सामने ,याद है की अब ये तेरा हार तो गया। "
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गुड्डी भी पक्की छिनार ,मेरे हार पर फिर हाथ लगाते बोली ,
" अरे नहीं भाभी , अभी दो दिन तो है न तब तक मेरी छुटकी भाभी एक हार के साथ कुछ सेल्फी वेल्फी खींच लें , अपने फेसबुक पेज पर पोस्ट कर दें ,आपका फेसबुक पेज वेज है की नहीं ? "
वो छिनार ,एकदम छिनरों वालीहंसी हँसते बोली।
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और जेठानी भी ,मेरे जवाब देने के पहले ही , एकदम टिपिकल मेरी शादी के शुरू के दिनों टाइप कमेंट , और गुड्डी से उनकी मिली भगत ,
" अरे कपडे वपड़े तो कोई भी , लेकिन खाना पीना ,वो भी आम हम लोग तो ,.... बचपन से इसके देख रहे हैं नाम भी नहीं लेसकता। "
जेठानी जी टाइम ट्रेवल करते बोलीं।
" अरे छोड़िये न , ये सब बाते तो पहले सोचनी चाहिए थी न लेकिन मेरा तो फायदा हो गया न ,वैसे भाभी परेशान मत होइएगा रहेगा तो मेरे पास ही न। बहुत कबार कोई पार्टी वार्टी ,शादी ब्याह होगा तोदेदूंगी एकाध, दिन के लिए, "
वो ऐलवल वाली ,एकदम उसी अंदाज में बोली जिस अंदाज में मेरी शादी के बाद ,
लेकिन टेबल पर लगे खाने को देख कर उसका कमेंट बदल गया ,
खीरे की सलाद , बैंगन की कलौंजी
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" ये सब तो भैया खाते नहीं ,उन्हें एकदम नहीं पसन्द है " वो बुदबुदायी।
मेरे मन में तो आया ,की बोल दूँ आज तो तेरी ये कच्ची अमिया कुतरेंगे वो और वो भी सबके सामने,
लेकिन फिर मैंने सोचा की चल कोमल कुछ देर तक तो इस बिचारी का भरम , और मैंने मक्खन वाली छूरी चलाई।
" असल में मैंने उन्हें बताया था की गुड्डी को खीरा,बैगन ,कच्चा केला ये सब बहुत पसंद है , मैंने कई बार इनसे तुम्हारा नाम लेके खाने को भी कहा की अरे जो गुड्डी को पसंद वो आपको भी पसंद है ये आप बार बार कहते हैं , तो जानती हो उन्होंने क्या कहा ?"
गुड्डी कान पारे सुन रही थी ,अपने दिल की बात , बोली ,
"बोलिये न। "
लेकिन तबतक मेरी जेठानी अपनी डबल मीनिंग वाली ननद भाभी की छेड़छाड़ , बोलीं ,
" अरे उस बिचारे को क्या मालुम , की गुड्डी को ये सब ऊपर वाले मुंह से ज्यादा नीचे वाले मुंह से पसंद आता है।
अपनी उमर की बाकी किशोरियों की तरह जिन्हे ऐसे मजाक पसंद तो बहुत आते हैं ,लेकिन ऊपर से बुरा मुंह बनाती हैं , ... बुरा मुंह बनाते बोली , भाभी और मुझसे कहा ,
हाँ आप बताइये न भैय्या क्या बोले।
" वो मान तो गए लेकिन उन्होंने दो शर्तें रखीं, पहले तो तेरे सामने खायंगे और दूसरा जब तू उनको देगी। "
" टिपकल मेरे भैय्या ,"
उसकी आँखों में वही चमक थी जो शुरू के दिनों में ,
लेकिन तबतक उसके भैया आ गए।
इधर उधर देखते रहे , मैं गुड्डी से बोली ,
'अरे ज़रा सा सरक,सरक न अपने भइया को बैठने दे."
वो वैसे ही किनारे सटी , थोड़ा सरकी , और बीच में ये घुसे ,
सैंडविच बने ,एक ओर मैं और दूसरी ओर उनकी 'वो ' बचपन की माल ,कच्चे टिकोरे वाली
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दायीं ओर मैं ,
और बायीं ओर ' वो' ,
Can't wait for the next update .. must confess I wait for the update everyday ..![]()
कोमल जी आप की कहानी पढ़ने का भी अलग ही स्वाद आता है बहुत ही शानदार लेखनी है आपकी
Amazing updateकच्चे टिकोरे वाली
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सैंडविच बने ,एक ओर मैं और दूसरी ओर उनकी 'वो ' बचपन की माल ,कच्चे टिकोरे वाली
दायीं ओर मैं ,
और बायीं ओर ' वो' ,
'वामा'
सामने जेठानी जी ,मेरी हरकतें देखतीं कुनमुनाती।
" थोड़ा और सरकिये न , अरे गुड्डी काट नहीं खायेगी।"
मैंने उन्हें कुहनी से गुड्डी की ओर ठेला।
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वो एकदम फंसे, उनके अंग से गुड्डी के अंग रगड़ रहे थे,
गुड्डी की छोटी सी ऑलमोस्ट माइक्रो स्कर्ट से निकलती उसकी मांसल मखमली जाँघे,
बॉक्सर शार्ट से निकली इनकी मस्क्युलर पावरफुल जाँघों से एकदम सटी,
गुड्डी की खूब गोरी गोरी रेशमी मृणाल बांहे भी इनकी बाँहों से दरकती ,
लेकिन सबसे बड़ी शोल्डर लेस हाल्टर, जिससे न सिर्फ उसके कंधे की खुली खुली गोरी मक्खन सी गोलाइयाँ इनके कंधे से रगड़ खा रही थीं , बल्कि बिना देखे भी उसकी कच्ची अमिया झलक रही थी।
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लेकिन गुड्डी उनकी बहना ज़रा भी अनईजी नहीं फील कर रही थी।
बल्कि किशोरी की निगाहें अपने भैय्या के सिक्स पैक्स को ,उनके ट्रांसलूसेंट टी से झांकती देह को थीं।
" हे गुड्डी दे न अपने भइया को , मैंने बोला था न तू देगी तो ये कभी मना नहीं करेंगे ,इन्होने खुद बोला था "
मैंने उसे शूली पर चढ़ाया।
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" एकदम भाभी , मेरे भैय्या मेरी बात कभ्भी भी ,कभ्भी भी मना नहीं करते वो तो मैंने आपको इस घर में उतरते ही बता दिया था। चल भैय्या ,मुंह खोल न ,खूब बड़ा सा ,हाँ और बड़ा ,हाँ जिसमें पूरा लड्डू एक बार में आ जाय ,.... "
और सच में उन्होंने खूब बड़ा सा मुंह खोल दिया ,
मेरे मुंह से निकलते निकलते रह गया ,इसमें तेरी कच्ची अमिया भी एक बार में आ जायेगी।
गुड्डी ने सलाद की प्लेट से खीरे की सबसे बड़ी पीस निकाल के उनके मुंह में और उन्होंने सीधे गड़प।
गुड्डी विजयी मुस्कान से हम सब लोगों की ओर देख रही थी ,शायद उम्मीद कर रही थी हम लोग ताली बजाएं , ग्रीन्स से कोसों दूर रहने वाले उसके भैया आज खीरा ,सीधे गड़प।
ताली तो मैंने नहीं बजायी लेकिन तारीफ़ वाली नज़र से अपनी 'ननद कम सौतन ज्यादा' ( और अपने 'उनके" की होने वाली रखैल ) मैंने देखा , और वो ख़ुशी से खिल उठी।
" हे गुड्डी ने तुमको दिया तो तू भी तो गुड्डी को दो "
मैंने उन्हें कुहनी मारते बोला।
और उन्होंने एक बैंगन निकाल कर के सीधे गुड्डी की थाली में ,
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और मेरी जेठानी को मौका मिल गया अपने देवर की खिंचाई करने का।
" देखो सबसे लंबा और मोटा बैंगन चुन के इन्होने गुड्डी को दिया "
वो हँसते हुए बोलीं।
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" अरे दीदी , जैसे ये गुड्डी की कोई बात नहीं मना करते , गुड्डी भी इनकी कोई बात मना नहीं करती ,देखिये अभी हँसते हँसते घोंट लेगी ,पूरा गड़प कर लेगी। "
अब गुड्डी थोड़ा झेंपी पर मैंने भी ,... मैं क्यों मौक़ा छोड़ती और रगड़ने का , बोली
" देख कित्ता तेल लगा के ,... एकदम चिकना सटासट जाएगा , ज़रा भी नहीं पिरायेगा। "
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और एक बैगन को अपनी मुट्ठी में लेकर आगे पीछे करते जैसे किसी लंड पे पे मुट्ठ मार रही होऊं उसे दिखाया।
ननद भाभी में इतना तो,..
लेकिन बजाय झेंपने ,झिझकने और गुस्सा होने के आज उनकी 'वो' भी मजा ले रही थी।
और उनको सर्व कर रही थी ,
हर बार जो उनको कुछ देने के लिए झुकती वो तो ,
हॉल्टर टॉप , तो वैसे ही शोल्डर लेस ,बहुत लो कट ,क्लीवेज को दिखाता ,गोलाइयों को उभारता
,
और वो जब झुक के कुछ उन्हें देती तो बस , गहराई और गोलाई के साथ उस किशोरी के नए नए आये मिल्क टिट्स भी ,
उन्हें क्या मुझे भी दिख जाते थे ,
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और मन तो बस यही करता था की उस साली के टॉप में हाथ डाल के नोच लूँ ,दबोच लूँ।
मालुम तो उस एलवल वाली छिनार को भी पड़ रहा था की उसका इस तरह से झुकने से क्या असर उसके प्यारे प्यारे भईया पर पड़ रहा था।
और मैं तो देख ही रही थी उनका खूंटा अब एक बार फिर से सर उठाने लगा है।
लोग कहते हैं की नारियां अपनी भावनाएं कई ढंग से व्यक्त करती हैं ,
पर पुरुष की भावनाओ का एक ही बैरोमीटर है ,उनका खूंटा।
और अपनी छुटकी बहिनिया की नयी नयी चूँची देख कर खूंटा एकदम टनटना रहा था।
,
" सोने के थारी में जेवना परोसें ,जेवे गुड्डी का यार ,... ... "
मैंने गुनगुनाया तो चिढ़ाते हुए उनकी भौजाई बोलीं
" जेवना या ,... "
" अरे दीदी साफ़ साफ़ बोलियें न ,जेवना नहीं जुबना ,... " मैंने उनकी बात पूरी की।
पर गुड्डी ज़रा भी नहीं झिझकी।
वो देती रही जुबना उभारकर ,उचका कर , झुका कर ,
और वो लेते रहे ललचाकर ,
उनकी निगाहें एकदम एकदम मेरी ननद के टेनिस बॉल्स साइज बूब्स पर बस चिपकी , नदीदों की तरह उसे देखते ललचाते,
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और वो गुड्डी भी एकदम पक्की छिनार , दो उँगलियों के बीच पकड़ के बीच सुनहली भिंडी , और उनसे बोलती
,भैय्या ज़रा बड़ा सा मुंह खोलों न
और सीधे उनके मुंह में ,
उनकी उँगलियाँ जाने अनजाने , ज्यादा जानकर उसके चिकने मक्खन गालों पर छू जातीं और ,...
कभी उसके गाल शर्म से गुलाल हो जाते तो कभी वो खिलखिला के हंस उठती और उस सारंग नयनी के गालों में गड्ढे पड़ जाते
" दीदी आपके देवर ऐसे सूखे सूखे खाना खा रहे हैं "
मैंने अपनी जेठानी को चढ़ाया।
Amazing update.. i was hoping for a mega update though
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You really know how to write stories. You leave each part at such a stage that it peaks readers' excitement, curiosity and anticipation of what's going to happen in the next part .. well done again ..देवर की .....नन्दोई
" दीदी आपके देवर ऐसे सूखे सूखे खाना खा रहे हैं "
मैंने अपनी जेठानी को चढ़ाया।
" अरे देवर की ,...वो आँख नचा के बोलीं। "
" अरे साफ़ साफ़ क्यों नहीं कहतीं ,... नन्दोई। अब आपकी छुटकी ननदिया उनकी बचपन का माल है तो वो ननदोई तो हुए ही न ,"
मैंने जवाब दिया ,और बिना अपनी जेठानी का इन्तजार किये चालू हो गयी ,
" मंदिर में घी के दिए जलें ,मंदिर में। "
मैं तुमसे पूछूं , हे ननदी रानी ,हे गुड्डी रानी ,
अरे तोहरे जुबना का कारोबार कैसे चले ,
अरे रातों का रोजगार कैसे चले, हे गुड्डी रानी। "
जेठानी जी भी टेबल पर थाप दे दे के गाने में मेरा साथ दे रही थी ,लेकिन
गुड्डी ने आज बिना लजाये ,झिझके एकदम टिपिकल छिनार ननद की तरह जवाब दिया।
" अरे भौजी , जवानी आएगी तो जुबना भी आएंगे ,
और जब जोबन आएगा तो जोबन का रोजगार भी चलेगा और ग्राहक भी आएंगे /"
" एक ग्राहक तो तेरे बगल में ही बैठा है ,एकदम सट के , तेरे दाएं , "
मैं अपनी ननद से बोली और उंनसे भी छेड़ते हुए पूछा ,
" हे बोलो न कैसा लगता है मेरी ननद के नए नए आये बाला जोबन। "
और अब वो दोनों शर्मा गए ,लेकिन मेरी जेठानी ने एक झटके में गारी का लेवल चौथे गियर में पहुंचा दिया,
" चल मेरी घोड़ी चने के खेत में , ... "
एक क्लासिकल गारी जिसके शुरू होते ही आधी से ज्यादा ननदे भागने की फिराक में पड़ जातीं , लेकिन आज की बात और थी
मैं भी गुड्डी को दिखा दिखा के अपनी जेठानी का साथ देने लगी ,
" अरे चने के खेत में बोया है गन्ना ,अरे बोया है गन्ना ,
गुड्डी छिनरो को ले गया बभना , दबाये दोनों जुबना ,चने के खेत में।
चने के खेत में पड़ी थी राई ,अरे पड़ी थी राई।
गुड्डी को चोद रहा उनका भाई ,अरे चोद रहा गुड्डी का भाई ,चने के खेत में। '
लेकिन मेरी ननद और ये ,एक दूसरे में मगन ,
इस छेड़छाड़ में खाना कब ख़तम हो गया पता नहीं चला।
लेकिन उनका खूंटा एकदम तना खड़ा था ,भूखा ये साफ़ पता चल रहा था।
" भाभी स्वीट डिश में क्या है ,भाभी "
गुड्डी ने पूछा।
" अरे तुझसे ज्यादा स्वीट क्या होगा , स्वीट सेवेंटीन या ,... "
मैंने मुस्कराते हुए उससे कहा और इनसे पूछा ,
" क्यों है न मेरी ननद स्वीट स्वीट , तो बस गपक लो न "
लेकिन गुड्डी इत्ती जल्दी हार नहीं मानने वाली थी ,
" अरे भौजी साफ साफ़ क्यों नहीं कह देतीं ,आपने कंजूसी कर दी या लालच। ये कहिये की स्वीट डिश कुछ बनाई नहीं बल्कि है भी नहीं। '
गुड्डी ने मुझे चिढ़ाया।
"है न एकदम है।
ज़रा तू जाके फ्रिज की सेकेण्ड सेल्फ पर एक बड़ी सी फुल प्लेट है , एक दूसरी प्लैट से कवर की हुयी और एकदम चिपकी ,बंद। बस वही ले आ ना। यहीं टेबल पर खोलना। हम सबके सामने , बड़ी स्पेशल सी स्वीट डिश है। "
मैंने गुड्डी को चढ़ाया , और वो ये जा वो जा।
जब तक गुड्डी आयी मैंने और जेठानी जी ने टेबल क्लीन कर दी थी और सिर्फ स्वीट डिश के लिए साफ़ प्लेटें रख दी थी।
और गुड्डी वो प्लेट ले कर आगयी , और उसने टेबल पर ला के रख दिया। एक बड़ी सी प्लेट और साथ में एक दूसरी प्लेट से ढंकी।
खोलो न , मैंने जिद की और
गुड्डी ने खोल दिया