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Fantastic update bhaiUpdate 37
अब तक
मा फिर मेरे पैर के लेफ्ट की तरफ बैठ गई क्योकि राइट की तरफ पापा बुआ की चुत मे लण्ड डाले हुए चोद रहे थे ।
मै बहुत ही उत्तेजित हो गया और आने वाले रोमांच के लिए खुद को तैयार करने लगा ,,,क्योकि मेरी मा खुद पापा के कहने पर मेरे लण्ड को अपने चुत मे लेने वाली थी ।
अब आगे
मेरे अंदर एक अलग ही तुफान मचा था और मै चाह कर भी सामने नही आ सकता था ।
वही मा को मेरे बगल मे बैठा देख पापा बोले - जान जरा मेरे बेटे का लण्ड को निकालो बाहर ,, देखे तो कैसा है
मा मुस्कुराते हुए मेरे लोवर को खीच कर नीचे कर दिया और मेरा लण्ड फनफना कर खड़ा हो गया
पापा बुआ को चोदते हुए - अरे वाह्ह्ह रागिनी अभी से राज का लण्ड इतना बड़ा हो गया तो आगे भी और बड़ा होगा ।
बुआ - अरे चुसो भाभी ना उसका लण्ड शायद और बड़ा हो जाये हिहिहिही ,,, आप ना रुको भईया
पापा - दीदी अब आप मेरे उपर आ जाईये
बुआ - क्यू थक गए अभी से
पापा - अरे मेरी जान अभी कहा बस मेरे चोदने के तरीके देखो और पूरी रात चुदो
पापा - देख क्या रही हो रागिनी पकड़ो राज का लण्ड,,, लग रहा है जैसे सपने मे कोई जबरजस्ट माल को चोद रहा है मेरा बेटा
मा ने बिना कुछ बोले मेरे लण्ड को एक बार फिर से थाम लिया
मा - ये जी ये बहुत ज्यादा तप रहा है
पापा - तो चुस कर थोडा ठण्डा कर दो जान
इसी बीच पापा निचे लेट गये और बुआ भी पापा के दाई तरफ होकर मा की तरफ मुह करके पापा के लण्ड के बगल ने बैठ कर उनका लण्ड हिलाने लगी ।
बुआ मा को छेद्ते हुए - आह्हह भाभी कित्ना मस्त लण्ड है मै आऊ क्या लेने उसको ,,, चुद्ते हुए लण्ड चूसने का मज़ा मिल जायेगा
मा को लगा वुआ मेरे लण्ड को भी कब्जा लेन्गी इसलिये वो झुक कर गप्प से मेरे लण्ड के सुपाडे को मुह मे भर लिया और चूसने लगी
मा की इस हरकत से मेरी दबी हुई आह्हह भी निकली
इधर बुआ और पापा भी मज़े से मा को मेरा लण्ड चुस्ते देख रहे थे ।
पापा - दीदी आप भी चुसो ना मेरा लण्ड आह्हह हा ऐसे ही और अंदर लेलो आह्हह उम्म्ंम्ं मै भी पापा की सिस्कियो के साथ मीठी आहे भर कर खुद को नियंत्रित करने मे ल्गा था लेकिन मा जिस अदा से मेरे लण्ड को चुस रही थी वो बेहद ही रोमाचक था ,,,,उन्के नाजुक होठ मेरे लण्ड की गोलाई मे जड़ तक जाते और गले मे मेरा सुपाडा फड़क जाया करता ।
एक तो मा के मुह मे लण्ड चुसवाना उपर से बगल मे लेता हुए बाप खुद बोले की चुद लो मेरे बेटे से ,,, आह्हह ये अह्सास को शब्दों में बाँध नही सकता था ये अह्सास ती सिर्फ मेरा फडफ्ड़ाता लण्ड और मेरी दबी हुई सिसकिया ही समझ सकती थी । मे तो खुल कर एक बार आहे भरना चाहता था ,,, मा की जीभ का मेरे सुपाडे पर हर स्पर्श मेरे अंदर एक नया जोश ला देता ,,मेरी सांसे भारी हो जाती थी ,,,,लेकिन मा ने तो मुझ पर रहम ना खाने की कसम खाई थी , उसे कोई डर नही था बल्कि वो तो अपने पति के सामने अपने बेटे का लण्ड चूसने के अह्सास से गर्म थी ।
मै बेचैन हो कर गरदन घूमाता,, गान्द पटकता लेकिन एक बार भी खुल कर आह्ह्ह्ह नही कर सकता था ।
फिर मुझे थप थप थप थप थप थप थप की आवाजे आने लगी साथ मे बुआ की तेज चिखे भी
बुआ - आह्हह आह्हह हह उम्म्ंम आह्हह आह्ह आह्ह और तेआजजजजज आह्ह आउर तेअह्ह्ज्ज्ज आह्हह हा भईया
पापा लगातर निचे से बुआ की गाड़ को थामे सर ससर पेले जा रहे थे ।
बुआ की तेज आवाज की सिस्कियो मे मैने सोचा क्यू ना मै भी थोदा खुद की संसो को आराम देदू ,,, पर जैसे ही मैने अह्ह्ह्ह्ह माआह्ह्ह किया ,,,मा ने तुरंत मेरे कन्धे पर हाथ मार कर चुप रहने का इशारा किया ,,,,मै समझ गया कि अगर मै कुछ बोला तो मा के साथ मुझे भी ऐसे ही बिना चुदाई के सोना पड़ सकता है ।
पापा - जान अब तुम भी बैठ जाओ ना ,,,
मा बिना कुछ बोले उठी और पेतिकोट को कमर तक उठा कर दोनो हाथों से पकड लिया और दोनो पैर मेरे कमर के दोनो तरफ रख कर झुक कर एक हाथ से मेरे लण्ड को थामा और चुत पर सेट करते हुए बैठती चली गयी ,,, धीरे धीरे मेरा लण्ड पूरी तरह से मा की चुत मे समा गया ।
मै मा की चुत मे अपना लण्ड पाते ही जैसे पिघलने लगा और मा की चुत की दीवारे इतनी ज्यादा गर्म थी मानो मेरा लण्ड जल जायेगा और बेसब्र से तडप रहा था ,,, मै खुल कर अपने जज्बात नही बाहर रख सकता था ,,, मै अब पहले से ज्यादा अपने सासो को कन्ट्रोल करने लगा ,,,
वही मा मेरे खड़े लण्ड को पुरा निगल लेने के बाद हल्का हल्का उपर निचे उकूडु होकर बैठी बैठी ही चुद्ने लगी
मा - अह्ह्ह्ह राज के पापा देखो ना मैने मेरे चुत मे आखिर अपने बेटे का लण्ड ले ही लिया
पापा बुआ को चोद्ते हुए - वाह्ह्ह मेरी जान थप थप थप थप थप थप थप मै तो ऐसे ही तुझे अपने सामने चुद्ते हुए देखना चाहता था येह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह
बुआ - आह्हह भईया तेज़ी से और तेज़ी से अह्ज्ज्ज आह्हह रुको मत मै झडने वाली हू अह्ह्ह्ह
पापा - अब मज़े लो मेरी जान तुम अपने बेटे के लण्ड का मै जरा दिदी की खिदमत कर दू
मा - हा राज के पापा नये लण्ड लेने मे का मज़ा ही अलग है ,,,आह्हह इसका तपता लण्ड का सुपाडा मेरी बच्चेदानी को छू रहा है आह्हह मा उफ्फ़फ्फ राज के पापा बहुत मज़ा आ रहा आह्हह मेरे राजा
एक तो मा मेरे लण्ड पर उछल रही थी साथ मे बार बार पापा को जता रही थी कि कैसे मेरा लण्ड उनकी चुत मे फसा हुआ है ,,,कस्म मैने खुद को कैसे रोका हुआ था मै ही जानता था ,, वही पापा बुआ की चुत मे निचे से कमर उठा कर ये लम्बे लम्बे शॉट लगा रहे थे और बुआ उनके लण्ड पर झडे जा रही थी ,,
बुआ - आह्हह भईया आह्हह मै झड़ रही हू आह्हह आह्हह उफ्फ्फ्फ उम्म्ंम्ं अह्ह्ज्झ
पापा - ये लो दीदी येएहेह्ह एह्ह्ह आह्हह और लो मेरी चुद्क्क्ड दीदी और लो ,,,,मेरा भी निकलेगा दीदी ।
बुआ - मुझे आपका माल चखना है भईया रुको और बुआ जल्दी से उठी और लपक कर मुह मे लण्ड लेते हुए चूसने लगी कुछ ही पलो मे बुआ का मुह पापा के माल से भरने ल्गा
पापा - आह्हह दीदी पुरा चाट जा मेरी रान्ड अच्छे से साफ कर दे मेरे लण्ड को सालि रन्डी
इधर मा ने मेरे सीने पर हाथ रख कर झुक कर लागातार मेरे लण्ड पर अपनी गाड़ ऐसे पटक रही थी जैसे मानो कपडे पीट रही हो जिससे मै भी धीरे धीरे चरम सीमा तक पहूच गया और सांसे बेकाबू होने लगी थी और मै छटपटाने लगा,,मेरा चेहरा तपने लगा
पापा - लग रहा है मेरा बेटा झडने वाला है रागिनी जल्दी करो और झड़ जाओ
मा - मै तो क्ब्से झडी हू इसके लण्ड पर लेकिन इसका लण्ड बैठ ही नही रहा
पापा - तो अपने मुह का जादू चलाओ ना मेरी जान चुस लो अपने बेटे का माल
मा जल्दी से उठी और झुक कर मेरे लण्ड को वापस लेके चूसने लगी मै पहले ही चरम सीमा के करीब था और मा ने तो जैसे मेरे सुपाडे के छेद को सुरकना सुरु कर दिया ,,,,अन्त मे मेरा भी सबर टुट गया और मै निद मे बड़बड़ाने का नाटक करते हुए मुह मे दबी हुए आहे भरते हुए मा के मुह मे झडने लगा । मा ने अच्छे से मेरे लण्ड को साफ किया फिर पापा और मेरे बिच लेट गयी वही बुआ पापा के दुसरी तरफ लेट गयी ।
मेरी आँखो मे एक गजब सा नशा हो रहा था और चेहरे पर मा के मुह मे झडने की खुसी ।
हम सब अपनी अपनी सासे बराबर कररहे थे ।
पापा - आह्हह दीदी मज़ा आ गया आज तो ,,सच मे आप एक नम्बर की चुद्क्क्ड हो
बुआ - रिस्तो मे चुदाई का अपना ही मज़ा है भईया
मा - सच कह रही हो दीदी ,,,मै आज जितना कभी भी खुद को इतना उतेजित नही मह्सूस किया था और ना ही आज जितना कभी झडी थी
पापा - हा जान देखा मैने कैसे तुम्हे अपने ही बेटे का नशा हो रहा था ।
मा - हा लेकिन अभी उसको इस बारे मे पता नही है तो हम सब के राज भी बचे है ।
बुआ - अरे राज की बात से याद आया भईया ,,, आपने नही बताया कि आपने अपनी पहली चुदाई कब की थी और किस्से और भाभी आप भी बताओ ना
मा - मेरी पहली चुदाई मेरे सुहागरात पर ही हुई थी लेकिन इनकी तो हिहिहिही
बुआ - अरे बताओ ना भईया कब की थी आपने
पापा - एक हो तो ना दीदी ,,, ना जाने कितने चुत मे मैने अपने लण्ड को डुबोया है ।
बुआ - क्या सच मे भईया
मा - हा दीदी ,,,लेकिन शुरूवात बहुत ही मज़ेदार थी ।
बुआ - बताओ ना भईया किसके साथ किया था
पापा - बात तब की है उस समय मै 9वी मे था और मै उस समय आपके बदन पर बहुत ही ज्यादा आकर्षित था ,, मै हमेशा से एक ऐसी लड्की की तालाश मे था जिसका बदन आपके जैसे भरा हुआ हो , जिसकी चुचिया आपकी तरह मोटी हो और गान्ड बड़े बड़े हो । लेकिन मेरी तालाश में और पहुच मे ऐसी लड़की नही मिल रही थी और मै आपके लिहाज मे आपसे कभी कूछ कह नही पाया । फिर मै काफी लोगो से सुना की आप शादीशुदा औरतो सी लगती हो ,,, कूछ दिन बाहरी शादीशुदा औरत की तलाश की लेकिन कोई भी हाथ नही आती थी । उसी साल गर्मी मे मेरी लुधियाना वाली चाची आई और उनके गदरायी जवानी पर मै फीदा हो गया । वो मॉर्डन कपडे पहना करती थी और शहर मे रहने की वजह से बहुत खुले विचारो वाली थी ।मै लागातार चाची के साथ समय बिताने लगा और वो पढी लिखी और काफी खेली खाई औरत थी तो जल्द ही मेरे जज्बातो को समझ भी गयी और मुझसे दोहरी मतलब से बात करती थी एक दिन घर पर कोई नही था , मा बाऊजी खेत गये थे दीदी और कम्मो कोचींग गये थे,,, जंगी बाहर खेल रहा था और मै हमेशा की तरह चाची के करीब आना चाह रहा था ,,, उस दिन चाची नहाने गयी और मुझे अपनी पीठ पर साबुन लगाने को बोला ,,, फिर कब साबुन पीठ से सरक कर चाची की पेतिकोट मे चला गया और उसे खोजने मेने उनकी गाड़ की दारारो मे हाथ डाल दिया,,,, मेरा हाथ का स्पर्श उनके गुपतांगो मे होते ही चाची की मीठी सिसकी आई और काफी समय समय तक मैने उनकी पेतिकोट मे हाथ डाले रहा ,,, लेकिन जब हाथ बाहर निकाला तो ओ आंखे बंद किये आहे भर रही थी तो मैने भी मौका देखा और खड़ा लन्ड़ उनके मुह मे डाल दिया , और उस दिन आंगन में ही चाची को जम कर चोदा । फिर मुझे बड़ी चूची और गाड़ वाली महिलाओं की लत लग गई और कभी रिस्ते मे तो कभी बाहर कयी रन्दीयो को चोदा मैने ।
बुआ - बाप रे आप खुद एक नो. चोदू हो और मुझे चुदक्क्ड बुला रहे हीहीहि
पापा - मै तो हू ही बड़ी गाड़ और चुचियो का दिवाना ,,, लेकिन मुझे अब भी शक है कि आप ससुराल मे सिर्फ जिजा का ही लण्ड लेती हो ।
बुआ - नही भैया शादी के बाद से मैने कभी भी बाहर का लण्ड नही लिया
मा बुआ की छेडते हुए - मतलब घर मे ही कोई भेदी है जो इस भोसदे को और गहरा किये जा रहा है क्यू दीदी ,,,
बुआ - नही भाभी आपकी कसम और भईया आपकी कसम खाकर कह रही हू मैने शादी के बाद ससुराल मे सिर्फ अपने पति का ही लण्ड लिया है ।
बुआ की बाते सुन कर मै शौक था यहा बुआ कसम खाकर कह रही थी कि वो फूफा के अलावा किसी से नही चुदती जबकि उस रात मुझ्से साफ बोला था कि मै दो लोगो से चुद्ती हू साथ मे । अब मेरे मन की व्यथा और बढ़ गयी ।
पापा - अरे नही दिदी मुझे आप पर भरोसा है । बस कोई भी आपकी गदरायी गाड़ देख कर यही कहेगा कि ना जाने कितने लांडो से रोज चुदती होगी ।
ऐसे ही रात मे और भी जोरदार चुदाई हुई पापा और बुआ के बीच में,,, और मा मे एक बार फिर से मेरे लण्ड को अपने चुत मे डाल कर चुदवाया । पता नही रात के किस पहर मे मै सो गया ।
अगली सुबह
आज रक्षा बंधन का दिन था और सुबह सुबह 6 बजे ही मेरी निद भीगने से शुरू हुई क्योकि मेरी नटखट दीदी ने मुझ पर पानी डाल कर बाथरूम मे घुस गई थी ।
लेकिन छत पर अनुज भी था और मा भी तो मै कोई खास रियक्ट नही किया। बस बड़बडाते हुए उठ कर टॉयलेट चला वही अनुज और मा हस रहेथे ।
मा - सोनल बहुत शरारती हो गयी है तू चलो सब लोग जल्दी जल्दी आज तैयार हो लो 8 बजे तक । फिर मुझे भी मायके जाना है ना ।
करीब 8 बजे तक सब लोग नहा धोकर तैयार थे । सबने आज अपने नये कपडे पहने थे ।
मा और बुआ ने अपनी नयी साडी पहनी थी । बुआ के पहल करने पर मा ने भी बुआ के जैसे ही डिप कट का गला और पीछे डोरी वाली बलाऊज सिल्वायि थी और उपर से एक सिफान की हल्की साडी जो मरून रंग की थी जबकि बुआ ने अंगूरी रंग की सेम पैटर्न की साडी पहनी थी ।
वही दीदी ने एक खुबसुरत सा बिना दुप्प्ते का क्रॉप टॉप जो नाभि से उपर था और लहगा पहना था । पापा ने कर्ता पजामा , मै और अनुज अपने नये जीन्स शर्त मे थे ।
आज घर मे सब लोग एक दुसरे को देखकर अलग ही मुस्कराहट पास कर रहे थे सिवाय अनुज के । दीदी मुझे देख कर मुस्कुरा रही थी , पापा मा और बुआ एक दुसरे मे इशारे पास कर रहे थे ।
तभी मा ने सबको बेडरूम मे चलने को बोला
फिर हम सब लोग कमरे मे गये । एक सोफे पर पापा और अनुज बैठ गये और बगल वाली सिंगल सोफे पर मै ।
मा मेरे बगल मे खड़ी थी जो आज बहुत ही ज्यादा खुबसुरत लग रही थी । तभी कमरे मे बुआ और मेरी दीदी आरती की थाली लिये आई मेरी दीदी तो मानो चांद से उतरी हो अप्सरा लग रही थी मै तो उसी मे खोया हुआ उसको आँखो से इशारे किये जा रहा था । वही पापा भी बुआ को छेड़ने मे कोई कसर नही छोड रहे थे । लग तो ऐसे रहा था मानो दोनो बहाने राखी लेके नही बल्कि शादी के लिए वरमाला लेकर आ रही हो हमे अपना बनाने ।
फिर बुआ पापा के पास गयी और उन्के सामने बैठ गई
पापा बस एक नजर डालें बुआ को ताड़ रहे थे और उस हल्के पारदर्शक सिफान साडी से बुआ के गहरे गले वाली ब्लाउज के झाकति चुचियो लो घुर रहे थे और इधर दिदी भी इतराते हमारी तरफ आ रही थी क्रॉप टॉप मे दीदी की खुली कमर और आधे नंगे पेट पर एक लम्बी और गहरी नाभि साफ दिखाते हुए आई और अनुज के बगल मे स्टूल रख कर बैठ गयी और फिर उसने अनुज को राखी बांधती है और आरती लेती है बदले मे अनुज दीदी के पैर छुता है ,,,,
उधर बुआ भी पापा को राखी बाँध कर मुस्कुराये जा रही थी । फिर बुआ - चालिये भईया अब जेब ढीली करिये और मेरा तोहफा लाईये ।
पापा - अरे हा वो तो मै नीचे कमरे मे रखा है चलिये मै दिये देता हू ।
बुआ - हा भाभी चलिये आप भी फिर मेरे साथ छोटे के यहा चलना है ना
मा - अरे मुझे भी तो जाना है मायके लेट हो जायेगा
बुआ - अरे भाभी ज्यादा टाईम नही लगेगा आओ
फिर मा पापा और बुआ निचे चले गये मै जानता था नीचे पापा बुआ को क्या तोहफा देते ,,, उनके मुह मे अपना लण्ड और पापा भी रात का वादा निभाने वाले थे मा को चोद कर तो ये सब उन लोगो का हम बच्चो के सामने ड्रामा था बस । लेकिन मै इनसब से बिलकुल भी अंजान नही था ।
फिर इधर अनुज ने दीदी को एक गिफ्ट दिया और बोला मै मेरे दोस्त के यहा जा रहा हू उसकी दिदी ने मुझे बुलाया है राखी बाँधने के लिए ।
दीदी - हा भाई आराम से जाना और टाईम से खाना खाने आ जाना ठीक है
अनुज - ठीक है दीदी
अनुज चला गया साथ ही पापा मा और बुआ भी निचे चले गये थे बचे तो मै और दीदी । मै दीदी को अकेला पाकर खड़ा हुआ तो दीदी पीछे होते हुए मुसकुराते हुए सतर्क होने लगी ।
दीदी - देख राज अभी नही पहले राखी बंधवा ले फिर कुछ,,,
मै वापस मुस्कुरा कर बडे सोफे पर बैठ गया और दीदी भी मेरे सामने बैठ गयी । फिर उसने मेरी कलाई पर राखी बांधी और मेरी आरती ली । मै भी उसके पैर छूने को जानबुझ कर झुका तो दीदी ने मुझे रोका
दीदी - तेरी जगह वहा नही भाई मेरी बाहो मे है ।
मै उथा और दीदी को हग कर लिया ,, आह्हह उनके नाजुक बदन की खुस्बू आह्हह और कितना मुलायम बदन ,,,
मै - आई लव यू दीदी ,, ये लो आपका गिफ्ट फिर मैने दीदी को मोबाईल वाला पैकेट दिया ।
दीदी - अरे वाह तू सच मे मेरे लिए मोबाईल लाया ,,थैंक्स भाई आई लव यू सो मच ।
दीदी - लेकिन मुझे एक गिफ्ट और चाहिये क्या वो तू मुझे देगा
मै - माग लो ना दीदी जो चाहे ,, ना नही कहूंगा
दीदी - भाई मै अमन से शादी करना चाहती हू क्या तू मा से बात करेगा मेरे लिए ।
मै - आप सच मे अमन को चाहती हो दीदी , मै खुश हू आपके लिये और मेरा वादा है आपकी शादी अमन से ही होगी ।
दीदी ने वापस खुश होते हुए गले लगा लिया ,,
मै - दीदी लेकिन फिर मेरा क्या होगा क्या आप मुझे छोड दोगे ।
दीदी - धत्त पागल,,,नही रे ,,, तेरे लिए मेरा प्यार अलग है और अमन के लिए अलग
मै थोडा कन्फुज होते हुए बोला - मै समझा नही दीदी आपका मतलब
दीदी - मै बताती हू ,, मै अमन को अपने पति के रूप मे चाहती हूँ और उसके पास जाने पर एक सुकून सा महसूस करती हू । वही तू मेरा भाई जब मै तेरे करीब होती हू तो मेरी तडप और बढ़ जाती है । तेरा टच मुझे एक अलग ही रोमांच देता है। और
मै - और क्या दीदी बोलो ना
दीदी - और मै जानती हू तू मुझसे क्या चाहता है
मै चौकते हुए - क्या
दीदी मुस्कुराते हुए - मैने भी तेरे मोबाईल पर वो कहानिया पढी है जो तू खोल कर रखा था और चंदू की भेजी वीडियो भी देखी है
मै थोडा सा निराश मन से दीदी के सामने अफसोस का नाटक बना कर - सॉरी दीदी ,,,
दिदी - कोई बात नही मुझे बुरा नहीं लगा क्योकि मुझे वो कहानिया पसंद आई और मै तेरे प्यार मे खीच गयी ।
मै - तो क्या आपने ही पहले मेरे मोबाईल से चंदू की वीडियो डिलीट की थी ।
दीदी मुस्कुराते हुए - हा लेकिन उस दिन मुझे बहुत गुस्सा आया इसिलिए उस दिन छत पर तुझे डाटा लेकिन जब मैने वो परिवारिक सम्बन्ध की कहानिया पढने लगी और मुझे भी उसमे रुचि होने लगी तब मुझे लगा कि मैने गलत किया था ।
मै - कोई बात नही दीदी आई लव यू ना
दीदी मेरे सीने से लगते हुए - आई लव यू मेरे भाई
मै - तो क्या आपको कोई आपति नही है मै आगे बढू तो ,,,जैसे अभी लहगा के उपर से आपके ये गोल गोल उभारो को दबा दू और
दीदी हस्ते हुए मुझसे अलग हुई - छीईई गन्दा ,,,, इतना जल्दी भी नही ,,, मुझे थोडा समय चाहिये भाई उसके लिए,,मै कोई जल्दीबाजी नही चाहती हू ,, मै चाहती तू मेरे अंग अंग को इत्मीनान से भोगे और मै भी उस वक्त का भरपूर मज़ा लू जैसा उन कहानियों मे पढा था ।
मै दीदी के करीब आ गया और उनको वापस से अपनी बाहो मे भर कर - सच दीदी ,,,मुझे भी उस दिन का बेसबरी से इन्तेजार रहेगा ,,,थैंक्स मेरी जानू आई लव यू और दीदी के लिपस को चूसने लगा ,, दीदी तो इसी ताक मे थी और वो भी मेरे साथ मेरे होठो को चूमने लगी । करीब तीन मिंट बाद दिदी मुझ्से अलग हुई
दीदी - भाई प्लीज जल्दी आना ,, यहा अकेले मन नही लगेगा
मै - अरे दिदी अब तो मोबाइल दिला दिया है और सिम भी चालू है तो जब मन करे कॉल कर लेना ।
दीदी - थैंक्स भाई
मै - दीदी वो पूछना था कि क्या आपने चंदू का वो कल वाला वीडियो भी डिलीट कर दिये
दीदी मुस्कुराते हुए नही भाई वो तो मोबाइल मे है ,,, वैसे मुझे नही लगा था कि चम्पा भी अपने भाई से
मै - वो तो बचपन से ही उन दोनो का चल रहा था और अब तो रजनी दीदी भी शामिल हो गयी है
दीदी चौकते हुए - क्या ,,, चंदू अपनी खुद की मा को भी
मै - हा दीदी ,,
दीदी - तो क्या तू भी मा के लिए वही सोचता है
मै - क्या दीदी आप भी ,,,मै तो ब्स आपका दिवाना हू हिहिहिही
दीदी - मै खुब समझती हू तुझे भाई ,,,, अगर मौका मिला तो तू मा को भी नही छोदेगा हिहिहि क्यू सही है न
मै - धत्त दीदी ,,, चलो थोडा सा मुझे प्यार देदो कोई है नही अभी और
तभी बुआ आवाज देते हुए उपर आने लगी
बुआ - राज बेटा कहा है तू
बुआ की आवाज सुनते ही दीदी चहक उठी और कमरे से बाहर आ गई ।
मै - हा बुआ बोलो ना
बुआ - वो बेटा ये कहना था कि तू जल्दी से कुछ खा ले निचे तेरी मा इन्तेजार कर रही है ,, तुम लोगो को जाना भी तो है ।
मै - हा लेकिन मा को तो बुलाओ
बुआ - अरे वो बिना राखी बान्धे कुछ नही खायेगी तू खा ले फिर जल्दी से निचे आ हम वही इन्तज़ार कर रहे है ।
फिर मै भी जलदी से खाना खाया और निचे चला गया ।
निचे मा पापा और बुआ बैठे हुए थे कमरे मे मेरा इंतजार करते हुए कुछ बात कर रहे थे ।
मा - बेटा चल अब चल्ते है और अभी बस पकडना बाकी है ।
पापा - राज रुको बेटा ,, ये तो 10 हजार रुपये रखो
मै - पापा इतने रुपये का मै क्या करूगा
पापा - अरे बेटा वहा तेरी दो छोटी छोटी बहने भी वो भी तेरे आने का इन्तेजार कर रही है तो उनको 2 2 हजार दे देना ,, बाकी अपनी जरुरत से खर्च कर लेना ।
फिर मै और मा निकल गये बस स्टैंड की तरफ मामा के घर के लिए ।
अब देखते है कि आने वाला सफ़र कौन से नये रोमांच राज की दुनिया मे लाने वाला है ।
Behtreen update dostUpdate 38 {( MEGA)}
अब तक आपने पढा राज अपनी मा के साथ मामा के यहा जाने के लिए बस स्टैंड की तरफ निकल गया है
अब आगे
मै घर से मा के साथ अपने एक बडे बैग को लेकर निकल गया
रास्ते मे
मै - मा आज आप बहुत खुबसूरत लग रही हो
मा मुस्कुराते हुए एक बार मेरी तरफ देखा और सामने चलते हुए - वो क्यू बेटा
मै - बुआ की साडी आप पर बहुत अच्छी लग रही है और आप तो एकदम भोजपुरी फिल्मों की आम्रपाली लग रही हो ,,जैसे वो साडी मे दिखती है वैसे ही आप
मा ह्स्ते हुए - अच्छा बेटा,,, बुआ रानी चटर्जी और मा आम्र्पाली को बना कर मै जानती हू तू क्या गुल खिलाना चाह रहा है ।
मै - अरे सच मे मा आज वैसे ही लग रहे हो और
मा - और क्या बोल
मै - और मै आपको गुल मंजन क्यू खिलाउँगा हिहिहिहिही
मा - चल बदमाश मा से मज़ाक करता है
मै - क्यू मा से मज़ाक नही कर सकते क्या
मा मुस्कुराते हुए - नही
मै - हा मा से चाहो सेक्स कर लो लेकिन मज़ाक ना करो ,,,है न मा
मा बीच सड़क पर सेक्स के बात पर शर्मा गयी और बोली - चुप कर पागल हम लोग रास्ते मे है और तू क्या बाते कर रहा है बिच मे
मै - अरे मा कोई नहीं सुनेगा ,,, देखो पुरा मार्केट बन्द है एक्का दुक्का लोग है ।
मै - मा सुनो ना
मा - हा बोल
मै - कल रात के थैंक यू
मा मुस्कुराते हुए- थैंक यू किस लिये बेटा
मै - वो कल रात मे आपने पापा के सामने ही मेरी तकलीफ दूर की और उन लोगो को पता भी नही चला
मा - कोई बात नही मा हू ना तेरी तुझे कैसे तकलीफ मे देख सकती हू।
मै सोचा क्यू ना थोडा पब्लिक मे मज़ा लू मा से
मै - मा मुझे फिर तकलीफ हो रही है
मा मुस्कुराते हुए लेकिन अचरज के भाव मे - क्या ,,, तू पागल है क्या राज यहा बीच सड़क पर ऐसी बात कर रहा है
मै हस्ते हुए - मा सड़क पर थोडी मै तो चंदू के उस मकान मे जाकर करने की बात कर रहा था ,हिहिहिही
इस समय हम लोग चौराहे तक आ चुके थे और मा को ल्गा मेरे पास चंदू के चौराहे वाले घर की चाभी होगी ही क्योकि हम दोनो पक्के यार जो थे ।
मा ने निराश शब्दो मे कहा - बेटा मै तूझे मना नही करती लेकिन आज सुबह से मैने पानी तक नही पिया है और उपर से तेरे पापा ने घर से निकलने से पहले एक बार ... तू समझ रहा है ना
मै जान गया मा क्या कहना चाहती थी और सही भी था क्योकि एक बार पापा ने सुबह ही मा को चोद दिया था
मै - कोई बात नही मा देखो बस स्टैंड आ गया
मा - हा लेकिन बस नही लगा है कोई
मै - अरे मा आज त्योहार है तो सारे बस जल्दी जल्दी भर कर निकल रहे है ,,
हम बस के इंतजार मे खड़े बाते कर ही रहे थे कि दो चंचल हसीनाये हमारे पास चल आने लगी । एक साडी मे तो एक चुस्त सूट और पटियाला सलवार मे ,,, दोंनो के चेहरे पर एक कातिल मुस्कान थी ,, और उनकी मटकती कमर तो बस ,,
मा - अरे विमला तू यहा
ये है विमला मौसी ,,, कमाल का मस्त गदरायी बदन वाकी है और लण्ड खड़ा ना हो जिसका इनको देख कर वो चुतिया ही होगा ,,, 40 36 40 का गजब का भूगोल और सबसे ज्यादा प्रभावित इनके लम्बे बाल की चोटी है जो इनकी गान्ड की छेद तक जाती है ,,, अब ऐसे मे किसी का ध्यान इनके बालो से होते हुए इनकी मोटी फैली हुए गाड़ पर ना जाये ऐसा हो ही नही सकता ।
वैसे तो मेरे मा के बचपन की सहेली है और इनकी भी शादी हमारे चमन पुरा मे हूई है
विमला - क्यू मै यहा नही आ सकती क्या
इतने साथ वाली हसिना ने मा के पैर छुए
मा ने उसको दुलारते हुए - खुश रह कोमल ,,
ये थी कोमल , विमला की बेटी ,, एकदम कातिल हसिना 34 साइज़ की चुची और 36 की गाड़ ,,,सपाट पेट । मेरे क्लास में ही पढ़ती है ।
मा विमला से - अरे तो फोन कर देती इसके पापा एक गाड़ी बुक करवा देते तो हम लोग साथ मे चलते ना ,, अब यहा कबसे खड़ी हू बस ही नही आ रहा है ,,,
इधर मा और विमला बाते किये जा रहे थे तो मुझे कोमल का सामना करने मे थोदी हिचक मह्सूस हो रही थी ।
तो मैने मोबाईल निकाल लिया और खड़े खड़े उसे चलाने लगा ।
कोमल - तुम कालेज क्यू नही आते हो राज
मै थोडा मुस्कुरा कर - नही वो दुकान खुल गयी है ना तो मुझे टाईम नही मिल पाता है और वैसे भी कालेज मे पधाई कहा वहा सब साले ....
मैने अपने जुबान पर रोक लगा दी कही मेरा पहला इम्प्रेशन ही ना खराब हो जाये
कोमल ह्स्ते हुए - क्यू पढाई नही होती तो क्या होती है
मैने एक नजर मा और विमला मौसी की तरफ देखा तो वो लोग बाते करते हुए बस स्टैंड की चेयर पर जा बैठे ,,वैसे भी औरते ही बाते ही अलग है
फिर मैने कोमल की बातो का जवाब बडे इत्मीनान से उसको एक कपल की तरफ इशारे से बताया जो बाहो मे बाहे डाले एक पेड़ के चबूतरे पर बैठे मोबाईल मे कूछ देख रहे थे ।
मै - ये होता है देखी
कोमल मुह पर हाथ रख ह्स्ते हुए - अरे पागल सब थोडी ना ऐसे होते है कालेज मे ,,, और तुम तो ऐसे रियक्ट कर रहे जैसे तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड ही ना हो
मै ह्स्ते हुए - मै इस झमेले नही पड़ता क्योकि मुझे अभी पढ्ना है तो मै शाम को कोचीन्ग कर लेता हू और बाकी समय मा के साथ दुकान पर बिताता हू ,,मुझे अभी पापा का नाम और ऊचा करना है
मैने जानबुझ कर कोमल के सामने खुद को साफ सरिफ बनाया जिसका प्रभाव उस पडा
कोमल - अरे तो तुम तो नाराज हो गये ,, और लड़कियो से दोस्ती करना थोडी ना गलत होता है ।
मै - तो क्या तुम्हारे भी कई लडके दोस्त है
कोमल - नही यार ,, कोई नही है इसिलिए तो तुमसे चुना लगा रही हो की कर को मुझसे दोस्ती हिहिहिहिह
मै समझ गया कोमल मेरे बातो से प्रभावित होकर ही मुझसे जुड़ना चाहती थी ।
मै मुस्कुराकर - हा लेकिन तुम मेरे से दोस्ती क्यू करोगी ,,, मै तो हर समय व्यस्त रहता हू अपने carrier और फैमिली के अलावा कोई टाईम नही है मेरे पास ,,,
इससे पहले कोमल मेरे बातो का जवाब देती कि बस आ गई और मा जल्दी से मेरे पास आई
मा - जल्दी चल बेटा नही तो सीट नही मिलेगी अन्दर
मै ह्स्ते हुए - मा यहा हम सिर्फ चार लोग ही है ,,, फिर मेरी नजर पेड़ के निचे बैठे हुए उन कपल्स पर गयी ,,, चार नही 6 है अब
फिर हम लोग अंदर चले गये
अन्दर दो सीट के दो लाईन खाली थे और एक तीन सीट वाली लाईन खाली थी ।
तो आगे वाली दो सीट पर मा और विमला मौसी बैठ गये उसी के पीछे मै विंडो सीट लेटे हुए कोमल के साथ बैठ गया । और हमारी ही लाईन मे खाली 3 सीट वाली सेट पर वो दोनो कपल बैठ गये ,, चुकी वो दोनो शादीशुदा भी थे ।
फिर 5 मिंट बाद बस निकल पडी अब आने वाले एक घन्टे मे मै मामा के यहा पहुच जाता क्योकि दुरी कम ही सही लेकिन रास्ता खराब ही था ,,, जिससे बस हिचकोले लेटे हुए जाने लगी और मै इसीलिये विण्डो सीट लिया ताकि हिच्कोले मे कोई दिक्कत नही हो । लेकिन कोमल के लिए बहुत दिक्कत होने वाली थी क्योकि उसके सामने वाली सिट के पीछे जो हैण्डल होता है हचका लगने पर पकडने के लिए वो टूटा हुआ था जबकि मेरी सीट के सामने वाला हैण्डल एक दम ठीक था ।
कोमल बड़ी मुस्किल से सामने की सीट पकडे बैठी हुई थी ।
आगे मा और विमला की तो बाते ही खतम नही हो रही थी । यहा हम दोनो शांत थे और बीच बीच में एक दुसरे को देख कर स्माइल पास कर रहे थे । मुझे कोमल के uncomfortable होने का ज्ञान था लेकिन मै उसके बदले अपना सफ़र बेकार नही करना चाहता था ,,,मै तो मामा के यहा होने वाले रोमांच से ही खुश होकर बाहर के नजारे देख रहा था ।
इसी बीच बस एक जोर का झटका दिया तो कोमल मेरे कंधो पर आ गयी और उन्का हाथ मेरी जान्धो को पकड लिया ,,,, फिर उसे इस बात का अह्सास हुआ और वो वापस से मुझे सॉरी बोलते हुए अपनी जगह पर बैठ गई ।
मै अब और ज्यादा कोमल के प्रति सतर्क हो गया और मुझे लगा कि उसे अपनी सीट दे दू । मै कुछ करता इससे पहले बस एक बार और तेज हिचकोले लिया और कोमल हाथ सामने की सीट से छूट गया और वो दुसरी तरफ गिरने को हुई की मैने लपक कर बाये हाथ से उसके पेट के उपर से उस्की कमर को थामा और अपनी तरफ खीच लिया ,,, मेरा हाथ अब भी उसकी कमर पर था ,,,और कोमल की आंखे बड़ी हो गयी वो मेरे हाथो का स्पर्श अपनी नाजुक कमर पर पाकर तेज सांसे लेने लगी ,,जिसका अह्सास मुझे तब हुआ जब मेरी नजर कोमल की उपर निचे होती चुचियो पर गई । मैने तुरंत अपना हाथ हटा लिया और सॉरी बोला
कोमल - अरे कोई बात नही तुमने मुझे पकड़ा ना होता तो मेरा सर फत ही जाता आज हिहिहिही थैंक यू राज
मै - ऐसा करो तुम यहा आजाओ ,,, मेने कोमल को अपनी सीट पर आने का इशारा करते हुए कहा
कोमल थैंक्स बोलते हुए अपने सामने की सीट पर खड़ी हुई और मुझे उसकी सीट पर ख्सक्ने का इशारा किया जैसे ही मै कोमल की सीट पर आया तभी बस मे एक और झटका लगा और कोमल मेरे उपर गिर कर मेरी गोद मे ही बैठ गई उसके दोनो हाथ अभी भी सिट पर थे ,,लेकिन मेरे दोनो हाथा उसको सम्भालने के चक्कर मे उसके मुलायम चुचो को पकड चुके थे और कोमल की गाड़ मेरे आधे खड़े लण्ड पर आ गई थी ,,,, एक दो सैकेण्ड के इस घटना मे मेरा लण्ड उत्तेजित होकर फड़फड़ाने लगा जिसका अह्सास कोमल हो चुका था,,लेकिन हम लोग तब तक हस रहे थे कि आज हो क्या रहा है
कोमल मेरे उपर बैठी और मेरे हाथ अभी भी उसके चुची को थामे थे ऐसे मे वो गरदन घुमा कर ह्सते हुए बोली - लग रहा है आज झटके खाते हुए ही जाना पडेगा हीहीहि
मुझे कोमल की बाते डबल मिनिंग की लगी जिससे मेरा लण्ड फिर से फुदक पडा ,,
मै भी हस्ते हुए - ऐसे ही बैठो तुम मै गिरने नही दूँगा
मेरे बोल्ते ही कोमल को पता चला कि वो किस पोजिसन मे हो गयी है और तुरन्त उठ गई जिससे मेरा हाथ उसकी चुची से सरक कर कमर पर आ गय और मेरे सामने कोमल की मोटी गाड़ अपने उभार के साथ सामने आ गई ।
ये सीन देख कर मेरा बचा हुआ उत्तेजित लण्ड अब पुरा खड़ा हो गया , कोमल अब विण्डो सीट पर बैठ गई ।
हम दोनो एक दूसरे को देख कर मुस्कुराये जा रहे थे । लेकिन मेरे हाथ अब मेरे जीन्स के उपर निकले लण्ड के उभार को छिपाने मे लगे थे।
इस दौरान मुझे बस के झटके से बहुत दिक्कत हो रही थी तभी कोमल ने कहा- राज ऐसा करो तुम मेरे सीट के सामने वाला हैण्डल पकड लो,,, कोमल ने ये बात विण्डो की तरफ खसककर अपनी तरफ आने का इशारा करते हुए बोली । जिसका मतलब मै समझ और कोमल के करीब जा कर बाये हाथ से हैण्डल पकड लिया ,,,, लेकिन होनी को कौन टाल सकता था हम दोनो लाख कोशिस करते कि हमारे शरीर आपस मे टच ना जो लेकिन हर झटके के साथ मेरा कन्धा कोमल से टकराता साथ मे मेरे हाथ की कोहनी कोमल के दाहिने चुची के उभार को छू जाती । सफ़र बहुत ही उत्तेजना से गुजर रहा था ,,अब तक आधा घंटा बीत चूका ,,, कुछ सवारिया नीचे भी उतर चुकी थी।
इसी बीच मैने कोमल से पुछा - तुमने मेरे सवाल का जवाब नही दिया कोमल
कोमल अचरज से - कौन सा सवाल
मै - यही कि तुम मुझसे दोस्ती क्यू करना चाहती हो ,,जबकि मै खुद के लिए समय नही निकाल पाता
कोमल मुस्कुराते हुए - तुम एक अच्छे लडके हो राज ,, इतनी कम उम्र में जब बाकी लडके लड़कियो के पीछे भागते हैं और अपनी स्वार्थ के लिए उनका यूज़ करते हैं लेकिन तुम अप्नी जिम्मेदारी समझ कर पापा का नाम आगे बढ़ाना चाहते हो और दुकान चलाते हो, और तुमको सबकी फ़िकर भी है ,,, तो कोई भी अच्छी नियत की लड्की क्यू नही चाहेगी कि उसका तुम्हारे जैसा अच्छा दोस्त हो ।
मै समझ गया कि कोमल मन में मुझे एक आदर्श और सिद्धांतवादी लड़का समझ रही है जिसमे कोई बुराई नही है । मगर उसे क्या पता था मै कल रात से ही मादरचोद बन गया हू हिहिहिहिह ।
फिर मैने उसकी भावनाओ को सराहटे हुए कहा- वो सब ठीक है लेकिन तुम तो जानती हो कि ये समाज एक लड़का और लड़की की दोस्ती को किस नजर से देखता है
कोमल - धत्त पागल मै सिर्फ दोस्ती की बात कर रही हू और तुम कहा गर्लफ्रैंड की बात सोचने लगे हिहिहिही
मै थोदा मज़ाक में - अरे अगर दोस्त एक लड्की हो तो गर्लफ्रैंड ही हुई ना हाहहहाह
कोमल - हा ये बात भी सही है लेकिन हमारी दोस्ती में वो सब कुछ नही होगा हम सब एक अच्छे सीधे साधे दोस्त रहेंगे ठीक है
मै जानबुझ कर - वो सब नही होगा मतलब
कोमल - भक्क तुम तो बुध्दु हो ,,,वो सब मतलब प्रेमी प्रेमिका वाला रिलेशन नही होगा ,, सिर्फ दोस्ती वाला
मै- ओह्ह्ह ये बात ठीक है फिर फ्रेंड्स,,,, मैने हाथ उसकी तरफ करते हुए बोला
कोमल भी मेरे हाथ में हाथ मिलाते हुए खुशी से बोली - हा फ्रेंड्स
मैने भी मौके का फायदा उठाकर अप्नी बाहे खोल कर बोला - हग
कोमल - छीईईई गंदे ,,, मै नही करने वाली हग
मै ह्स्ते हुए - तुम ही बोली ना हम लोग दोस्त है तो दोस्त मे हग करना तो आम बात है
कोमल - हा लेकिन यहा बस मे सब कोई है
मै - तो क्या तुम मुझे अपना लवर समझ रही हो जो शर्मा रही हो ,, हम तो दोस्त है ना
कोमल हस्ते हुए - हा बाबा हम दोस्त ही है ,,ठीक है आजाओ हग्ग्ग
फिर मै कोमल की तरफ झुका और उसके मुझे अपने गरदन्ं और सीने के बीच रख कर हग कर लिया और फिर मैं वाप्स आ गया ।
कोमल के बदन की खुस्बु और उसके जिस्मो का स्पर्श से मेरा लण्ड का उभार और ज्यादा जीन्स पर होने लगा ,,,मै इस बात से अंजान होकर कोमल से बाते किये जा रहा था ,, मगर बार बार कोमल की नजर नीचे होती और फिर दुसरी तरफ देखती थी ।
फिर जब मैने उसकी आँखों का पिछा किया तो पाया कि मेरा लण्ड का सख्त उभार साफ दिख रहा है,,, मुझे शर्म आ गई और मैने तुरन्त अपना हाथ उसपर रख दिया,,, जिसे देख कर कोमल खिडकी की तरफ मुह करके मुस्कुरा रही थी और मै भी बेबस शर्मिदा होकर मुस्कुराता रहा ,,,मगर मेरा लण्ड बैठने वाला कहा था ,,, मै बार घुमा कर कोसिस करने लगा की थोडा शांत हो लेकिन अब मेरे लागातार स्पर्श से वो और ज्यदा कड़ा होने लगा साथ मे दर्द भी ,,जिसका असर मेरे चेहरे के भाव से पता चलने लगा ,,,कोमल ने जब पलट कर मुझे देखा तो उसे मेरा परेसान दर्द से भरा चेहरा दिख रहा था और वो मेरे हाथ को बार बार लण्ड एद्जेस्त करते हुए देख रही थी लेकिन टाइट जीन्स मे वो मुमकिन नही था ।
ऐसे मे कोमल ने वो किया जिसकी उम्मीद कोई भी लड़का पहली मुलाकत मे मिली लड्की से नही कर सकता था ।
कोमल मे अपना दुपट्टा का एक सिरा उठाकर मेरी जांघो पर रख दिया और इशारे के साथ हल्के आवाज मे बोली - दुपट्टे के नीचे खोल कर सही कर लो,, वो वापस मुस्कुराकर खिडकी पर देखने लगी ।
चुकी ज्यादतर सवारी उतर चुकी थी यहा तक की मेरे अगल बगल और वो couple भी उतर गये थे ,,तो मुझे लगा कि मुझे सेट कर लेना चाहिए अब ।
मैने एक नजर कोमल को देखा तो वो कनअखियों से मेरे तरफ देख रही थी मगर से नजर मिलते ही वापस मुस्कुराते हुए खिडकी से बाहर देखने लगी ।
मैने भी दुपट्टे को अपने कमर तक करके अपने जीन्स का बटन खोला और चैन खोल दिया ,,,मा कसम वो राहत मै बयां नही कर सकता था । फिर मैने अंदर हाथ डाला तो पता चला कि मेरा लण्ड अंडरवियर के पेसाब वाले छेद से बाहर आ गया था तभी मुझे उसको सेट करने मे दिक्कत आ रही थी,,,
फिर मैने सोचा ये लण्ड तो इतना जल्दी बैठने वाला है नही क्यू ना थोदा बाहर निकाल कर आराम दे दू ,,, और मैने मोटा फन्फ्नाता लण्ड को जीन्स से बाहर निकाला जो कि कोमल के दुप्प्ते से ढका था । फिर मैने एक नजर कोमल की तरफ देखा तो वो गरदन घुमाये मेरेपुरे क्रिया कलाप पर नजर डालें हुए थी ,,,जैसी ही उसने देखा की मै उसे अपना लण्ड निहारते देख रहा हू वो सॉरी बोल कर वापस खिडकी की तरफ घुम गई ।
मेरे चेहरे पर एक कातिल मुस्कान आ गयी क्योकि कोमल का इंटरेस्ट मुझे बहुत सारे सपने दिखाने लगा ,,,और मैने इधर उधर देखा और खुद की अपने लण्ड के उपर से दुपट्टा उसकी तरफ उड़ा दिया जिससे मेरा लण्ड तन कर सुपाडे के साथ खड़ा हो गया ।
जैसे ही मैने दुपट्टा उसकी तरफ फेका तो उसके साथ एक छोटी सी आवाज भी दे दी
मै - अरेरेररे ...
मेरे इतना कहने की देरी थी कि कोमल पलट चुकी थी औए उसके सामने मेरा मोटा फुकार मारता लण्ड हिलने लगा । कोमल एक टक मेरे लण्ड को देख्ने लगी ,,,और मै भी इस रोमांच से इत्ना भर गया की मेरे माल की कुछ बुन्दे मेरे सुपाडे पर आ गई । जिसे देख कर मैने वापस कोमल को दुपट्टे के लिए इशारा करते हुए साथ मे लण्ड के आगे हाथ लगा कर छिपाने की कोसिस करते हुए बोला
मै - कोमल सॉरी वो हवा से उधर चला गया दुपट्टा ,, जल्दी दो ना मै बंद कर लू ,,
कोमल झेप गयी और मुस्करा कर बोली - नही वो दाग लग जायेगा इसमे ,
फिर मेरी नजर सुपाड़े पर आये माल की बूद पर गयी ,,
मै - ओह्ह्ह सॉरी ,,, लेकिन मै बंद कैसे करू ।
कोमल इस बीच पुरे ध्यान मेरे लण्ड को देख रही थी
कोमल मुस्करा कर - अब क्या छिपाना है बुधु कही के,, खड़े हो जाओ बन्द कर लो
मै थोडा शर्मया और कोमल की तरफ होकर खड़ा हो गया ,,जिससे मेरा लण्ड कोमल के सामने झूलने लगा ,,,कोमल ने खुद को पीछे की तरफ खीचा ताकि मेरा लण्ड उसको छुए नही ।फिर मैने जीन्स निचे किया और अंडरवियर के छेद को लण्ड के उपर से निकालने की कोसिस करने ल्गा एक दो बार लास्टीक छूत जाने से मेरे कमर मे चोट लगी जिसकी सिसकी और मेरे चहरे के भाव से कोमल को पता चलने लगा । तभी कोमल ने दुपट्टे को हाथ मे लेकर मेरे लण्ड को पकड़ा और उपर की तरफ किया और बेहद बुरा सा मुंह बना कर मानो वो किसी गंदी चीज़ को पकड़ा हो ऐसे
कोमल - हम्म्म्म अब अंदर करो इसको ,,,मैने भी कोसिस करके लण्ड को अन्दर रख दिया और फटाक से जीन्स पहन लिया । और वापस अपनी जगह पर बैठ गया कुछ पल हम दोनो शांत बैठे रहे ।
मै - सॉरी कोमल , और मै चुप हो गया और कोमल को देखने लगा
कोमल खिडकी से बाहर झाकते हुए मुस्कुरारही थी ।
मै - क्या हुआ हस क्यू रही हो
कोमल हस्ते हुए - यार तुम कितनी छोटी अंडरवियर पहनते हो हिहिहिही
मै झेप गया - क्या यार तुम भी मेरी मजबुरी थी कि वो बड़ा हो गया था तो क्या करता ।
कोमल - फिर भी अपनी साइज़ के हिसाब से तो पहनना ही चाहिये ना राज हिहिहिही
मै - हम्म्म्म सॉरी आगे से ध्यान दूँगा हा नही तो
कोमल सारे रास्ते हस्ती रही और ना जाने क्यू उसकी ये दोस्ती मुझे भा गयी । बस से उतरने से पहले हमने सेल्फी भी ली और नम्बर भी एक्सचेंज किये । हालाकि हमे एक ही गाव जाना था लेकिन बस से उतर कर हम दोनो शांत थे मा और विमला मौसी के सामने ।
बस मेरे नाना के गाव के बाहर एक प्राथमिक स्कूल पर रुक गयी । ये गाव था प्रतापपुर । काफी बड़ा गाव था और इस गाव के सबसे बड़े सेठ थे मेरे नाना जी जो कि बहुत बडे जमीदार थे । सैकडों बीघे की खेती और दो दूध की डेयरी , 3 पक्के ट्यूबवेल और एक आलीसान घर जिसमे कयी नौकर और सुख सुविदा की सारी चीजे थी । नाना जी गाव की भलाई के सरकारी स्कूल , सरकारी हस्पताल , पानी की व्य्व्सथा के लिए कयी सारे काम सरकारी कार्यालयों से अपने दम पर करवा लिये थे ।
( नाना के यहा का परिचय पेज 47 पर अपडेट 28 मे दिया गया है )
फिर हम लोग चारो बैग लेकर निकल पड़े गाव मे अन्दर की तरफ ,,, कड़ी धूप भी थी और प्यास से गला भी सुखने लगा था लेकिन उससे भी ज्यादा मै जल्दी से जल्दी नाना के घर जाकर अपने लण्ड को आराम देना चाहता था । लेकिन मा तो ऐसे गाव को देख रही थी कि मानो कितने सालो से ना देखा हो जबकि हर साल वो एक दिन यहा राखी बांधने आती थी ।
मै गाव के अंदर प्रवेश कर चुका था ,,, गाव मे छोटे बच्चो की चहल पहल ,, एक गाड़ी पर 4 5 बच्चे एक साथ बैठ कर चिल्ल्लते हुए घूम रहे थे उनको देखने के लिए गली मुहल्ले की औरते बाहर निकली थी कोई दरवाजे पर था तो कोई किवाड़ की आड़ मे । अहहा कोई कोई औरते बेढंग से साडी लपेटे थी और उनमे चुचे नाभि पेट किसी किसी के दिख भी रहे थे ।
गाव में जो औरते मा को पहचानती थी वो उनको नमस्ते भी कर रही थी ।
तभी सामने से कुछ औरते गोबर की खाची सर पर लिये गाव से बाहर की तरफ जाने लगी । उनमे से भी कुछ ने मा को नमस्ते किया क्योकि वो हमारे डेयरी और खेतो मे काम करने वाली थी । कुछ की कसी हुई कमर चुचे थे कुछ बुढ़ी भी थी ।
मै - जल्दी चलो ना धूप हो गया प्यास लग रही हैं
मा - हा बेटा चल रही हू ज्यादा दूर नही है बस आने ही वाला है ।
इधर विमला का मायके वाली गली आ गई , वो मा से विदा होने लगी और मा बोली की शाम तक आओ मिलने घर पर । मै कोमल को देख कर एक मुस्कान दिया और हम लोग आगे निकल गए,, मैने एक नजर पलट कर देखा तो कोमल की मस्तानी चाल ने फिर से मुझे कायल कर दिया । उसके भी लम्बे बाल कमर तक आते थे ।तभी मैने उसके मोबाइल पर मैसेज किया
मै - तुम ऐसे क्यू चलती हो ,, सीधा सीधा नही चल सकती
कोमल ने मैसेज पढा और मुड कर देखा तो मै उसे ही देखते हुए जा रहा था ,,
फिर वो मोबाईल मे कुछ टाइप करने लगी
फिर मुझे मैसेज की बिप आई तो मैने मोबाइल खोला
कोमल - तुम मुझे पीछे से ताड़ तो नही रहे ना , हसने वाली इमोजी के साथ जमाए
मैने तुरंत मुस्कुरा कर मोबाइल मे sms कर दिया
मै - मै तो बस तुम्हारे बालो को देख रहा था कितने लम्बे है ।
कोमल - बदमाश , मै तुमसे बाद मे निपटूंगी । अभी मेरे मामा का घर आ गया ।
मै भी उसको बाय लिख कर चलने ल्गा ,
और कुछ ही दुरी पर एक बड़ा सा मकान सामने आया जो मेरे नाना का घर था और हम लोग मेंन गेट से अंदर चले गए ,,, एक बडे गेट के बाद अंदर बहुत ही बड़ा आंगन और उसी आँगन के तीनो तरफ कमरे बने थे ,, गेट के ही सीध मे अंदर की तरफ एक दरवाजा था जो पीछे टोइलेट बाथरूम और स्टोररूम की तरफ जाता था । जहा से एक सीढ़ी छत पर भी जाती थी ।
घर एक मंजिला ही थी लेकिन कुल 8 कमरे थे जिसमे कीचेन भी शामिल था । तीन गेट के दाई तरफ , तीन बाई तरफ और दो अंदर जाने वाले दरवजे के अगल बगल थे । उसमे दाई तरफ वाला कमरा कीचेन के लिए यूज़ होता था ।
और सारे कमरे के सामने बरामदे भी थे जिसमे चौकी , राशन की बोरिया , दूध के बडे बर्तन रखे जाते थे । मेन गेट के बाई तरफ से ही एक और सीढ़ी छत पर जाने के लिए थी और उसी के जीने के बगल वाले कमरे के सामने एक चौकी थी जिसपे एक पुराना गल्ले का बक्सा और कुछ रजिस्टर रखे हुए थे । मै समझ गया कि ये कमरा नाना का ही है । और भी नौकर चाकर थे जो काम मे लगे थे ।
मै इस सब चीज़ो को देख रहा था कि तभी सामने से रज्जो मौसी किचन से चलती हुई आई ,,, मै मौसी के हिलते चुचे देख कर मस्त हो गया और उन्के साथ बिताये पल याद करने लगा ।
यहा मौसी आई और मा के गले लगी ,, आह्ह दो बडे बडे थन टकरा गये थे ,,, फिर मैने उन काम करने वाले नौकरो के सामने खुद को सभ्य जता कर मौसी के पैर छुने के लिए झुका तो मौसी ने मुझे रोक लिया
मौसी - अरे लल्ल्ला मेरे सीने से लग मेरे लाल ,,,आजा
मेरे मुह मे पानी आया और मौसी ने मुझे सीने से लगा लिया , मै भी मौसी के मुलायाम चुचो के उपर अपने गाल को लगा कर सफ़र की थकान मिटा लेना चाहता था ।
पर ज्यादा देर ये मुमकिन नही था ।
मा - चलो हो गया बहुत मेल मिलाप अंदर चल अब धूप नही लग रही है
मौसी - अरे मेरा लल्ल्ला कितना परेशान हो गया है । चल बेटा हाथ मुह धुल ले चल मै कमरा दिखा देती हू
मै - पहले मुझे ये जीन्स निकालना है फिर कुछ,,
मौसी हस्ते हुए - अरे तो कमरे मे चल कप्डे बदल ले और मन हो तो पीछे जाकर नहा ले ।
फिर मौसी ने मुझे और मा को किचन के दाई तरफ वाला ही कमरा दिया जो किनारे पर था ।
मै जलदी से अंदर गया और जल्दी से जींस निकाल दिया,,,मेरे लण्ड को बहुत राहत हुई ,,सोचा क्यू ना नहा भी लू इसी बहाने लण्ड भी बैठ जायेगा। तो मैने एक लोवर टीशर्ट लिया और तौलिया लपेटे हुए,, किचन के बाई तरफ से दरवाजे से होते हुए पीछे हाते मे चला गया ।
यहा 3 4 पाखाने और 3 4 नहानघर थे ,,, और पाखाने के एक तरफ किनारे पर कपडे धुलने के लिए मोटर भी लगा था ,,, मैने सोचा आँगन खाली है क्यू ना मै मोटर चालू करके ही नहा लू ।
मैने तौलिया उतार कर अपना शर्त निकाल दिया और बनियान भी । जैसे ही मै मोटर चालू करने अंडरवियर मे पाखाने की तरफ लगे स्विच के पास गया कि सामने से एक दरवाजा खुला जिसने से एक खुबसूरत लड्की अपने सलवार का नाड़ा बंधते हुए बाहर निकली ,,,जैसी ही उसकी नजर मुझसे मिली और उसने मुझे अधनंगा अंडरवियर मे पाया वो चिल्ला कर वापस पाखाने मे चली गयी ।
देखते है दोस्तो आगे क्या होता है । आप सभी के सुझाव और प्यार भरे टिप्पणियों का इंतजार रहेगा ।
बहुत ही शानदार अपडेटहैUpdate 38 {( MEGA)}
अब तक आपने पढा राज अपनी मा के साथ मामा के यहा जाने के लिए बस स्टैंड की तरफ निकल गया है
अब आगे
मै घर से मा के साथ अपने एक बडे बैग को लेकर निकल गया
रास्ते मे
मै - मा आज आप बहुत खुबसूरत लग रही हो
मा मुस्कुराते हुए एक बार मेरी तरफ देखा और सामने चलते हुए - वो क्यू बेटा
मै - बुआ की साडी आप पर बहुत अच्छी लग रही है और आप तो एकदम भोजपुरी फिल्मों की आम्रपाली लग रही हो ,,जैसे वो साडी मे दिखती है वैसे ही आप
मा ह्स्ते हुए - अच्छा बेटा,,, बुआ रानी चटर्जी और मा आम्र्पाली को बना कर मै जानती हू तू क्या गुल खिलाना चाह रहा है ।
मै - अरे सच मे मा आज वैसे ही लग रहे हो और
मा - और क्या बोल
मै - और मै आपको गुल मंजन क्यू खिलाउँगा हिहिहिहिही
मा - चल बदमाश मा से मज़ाक करता है
मै - क्यू मा से मज़ाक नही कर सकते क्या
मा मुस्कुराते हुए - नही
मै - हा मा से चाहो सेक्स कर लो लेकिन मज़ाक ना करो ,,,है न मा
मा बीच सड़क पर सेक्स के बात पर शर्मा गयी और बोली - चुप कर पागल हम लोग रास्ते मे है और तू क्या बाते कर रहा है बिच मे
मै - अरे मा कोई नहीं सुनेगा ,,, देखो पुरा मार्केट बन्द है एक्का दुक्का लोग है ।
मै - मा सुनो ना
मा - हा बोल
मै - कल रात के थैंक यू
मा मुस्कुराते हुए- थैंक यू किस लिये बेटा
मै - वो कल रात मे आपने पापा के सामने ही मेरी तकलीफ दूर की और उन लोगो को पता भी नही चला
मा - कोई बात नही मा हू ना तेरी तुझे कैसे तकलीफ मे देख सकती हू।
मै सोचा क्यू ना थोडा पब्लिक मे मज़ा लू मा से
मै - मा मुझे फिर तकलीफ हो रही है
मा मुस्कुराते हुए लेकिन अचरज के भाव मे - क्या ,,, तू पागल है क्या राज यहा बीच सड़क पर ऐसी बात कर रहा है
मै हस्ते हुए - मा सड़क पर थोडी मै तो चंदू के उस मकान मे जाकर करने की बात कर रहा था ,हिहिहिही
इस समय हम लोग चौराहे तक आ चुके थे और मा को ल्गा मेरे पास चंदू के चौराहे वाले घर की चाभी होगी ही क्योकि हम दोनो पक्के यार जो थे ।
मा ने निराश शब्दो मे कहा - बेटा मै तूझे मना नही करती लेकिन आज सुबह से मैने पानी तक नही पिया है और उपर से तेरे पापा ने घर से निकलने से पहले एक बार ... तू समझ रहा है ना
मै जान गया मा क्या कहना चाहती थी और सही भी था क्योकि एक बार पापा ने सुबह ही मा को चोद दिया था
मै - कोई बात नही मा देखो बस स्टैंड आ गया
मा - हा लेकिन बस नही लगा है कोई
मै - अरे मा आज त्योहार है तो सारे बस जल्दी जल्दी भर कर निकल रहे है ,,
हम बस के इंतजार मे खड़े बाते कर ही रहे थे कि दो चंचल हसीनाये हमारे पास चल आने लगी । एक साडी मे तो एक चुस्त सूट और पटियाला सलवार मे ,,, दोंनो के चेहरे पर एक कातिल मुस्कान थी ,, और उनकी मटकती कमर तो बस ,,
मा - अरे विमला तू यहा
ये है विमला मौसी ,,, कमाल का मस्त गदरायी बदन वाकी है और लण्ड खड़ा ना हो जिसका इनको देख कर वो चुतिया ही होगा ,,, 40 36 40 का गजब का भूगोल और सबसे ज्यादा प्रभावित इनके लम्बे बाल की चोटी है जो इनकी गान्ड की छेद तक जाती है ,,, अब ऐसे मे किसी का ध्यान इनके बालो से होते हुए इनकी मोटी फैली हुए गाड़ पर ना जाये ऐसा हो ही नही सकता ।
वैसे तो मेरे मा के बचपन की सहेली है और इनकी भी शादी हमारे चमन पुरा मे हूई है
विमला - क्यू मै यहा नही आ सकती क्या
इतने साथ वाली हसिना ने मा के पैर छुए
मा ने उसको दुलारते हुए - खुश रह कोमल ,,
ये थी कोमल , विमला की बेटी ,, एकदम कातिल हसिना 34 साइज़ की चुची और 36 की गाड़ ,,,सपाट पेट । मेरे क्लास में ही पढ़ती है ।
मा विमला से - अरे तो फोन कर देती इसके पापा एक गाड़ी बुक करवा देते तो हम लोग साथ मे चलते ना ,, अब यहा कबसे खड़ी हू बस ही नही आ रहा है ,,,
इधर मा और विमला बाते किये जा रहे थे तो मुझे कोमल का सामना करने मे थोदी हिचक मह्सूस हो रही थी ।
तो मैने मोबाईल निकाल लिया और खड़े खड़े उसे चलाने लगा ।
कोमल - तुम कालेज क्यू नही आते हो राज
मै थोडा मुस्कुरा कर - नही वो दुकान खुल गयी है ना तो मुझे टाईम नही मिल पाता है और वैसे भी कालेज मे पधाई कहा वहा सब साले ....
मैने अपने जुबान पर रोक लगा दी कही मेरा पहला इम्प्रेशन ही ना खराब हो जाये
कोमल ह्स्ते हुए - क्यू पढाई नही होती तो क्या होती है
मैने एक नजर मा और विमला मौसी की तरफ देखा तो वो लोग बाते करते हुए बस स्टैंड की चेयर पर जा बैठे ,,वैसे भी औरते ही बाते ही अलग है
फिर मैने कोमल की बातो का जवाब बडे इत्मीनान से उसको एक कपल की तरफ इशारे से बताया जो बाहो मे बाहे डाले एक पेड़ के चबूतरे पर बैठे मोबाईल मे कूछ देख रहे थे ।
मै - ये होता है देखी
कोमल मुह पर हाथ रख ह्स्ते हुए - अरे पागल सब थोडी ना ऐसे होते है कालेज मे ,,, और तुम तो ऐसे रियक्ट कर रहे जैसे तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड ही ना हो
मै ह्स्ते हुए - मै इस झमेले नही पड़ता क्योकि मुझे अभी पढ्ना है तो मै शाम को कोचीन्ग कर लेता हू और बाकी समय मा के साथ दुकान पर बिताता हू ,,मुझे अभी पापा का नाम और ऊचा करना है
मैने जानबुझ कर कोमल के सामने खुद को साफ सरिफ बनाया जिसका प्रभाव उस पडा
कोमल - अरे तो तुम तो नाराज हो गये ,, और लड़कियो से दोस्ती करना थोडी ना गलत होता है ।
मै - तो क्या तुम्हारे भी कई लडके दोस्त है
कोमल - नही यार ,, कोई नही है इसिलिए तो तुमसे चुना लगा रही हो की कर को मुझसे दोस्ती हिहिहिहिह
मै समझ गया कोमल मेरे बातो से प्रभावित होकर ही मुझसे जुड़ना चाहती थी ।
मै मुस्कुराकर - हा लेकिन तुम मेरे से दोस्ती क्यू करोगी ,,, मै तो हर समय व्यस्त रहता हू अपने carrier और फैमिली के अलावा कोई टाईम नही है मेरे पास ,,,
इससे पहले कोमल मेरे बातो का जवाब देती कि बस आ गई और मा जल्दी से मेरे पास आई
मा - जल्दी चल बेटा नही तो सीट नही मिलेगी अन्दर
मै ह्स्ते हुए - मा यहा हम सिर्फ चार लोग ही है ,,, फिर मेरी नजर पेड़ के निचे बैठे हुए उन कपल्स पर गयी ,,, चार नही 6 है अब
फिर हम लोग अंदर चले गये
अन्दर दो सीट के दो लाईन खाली थे और एक तीन सीट वाली लाईन खाली थी ।
तो आगे वाली दो सीट पर मा और विमला मौसी बैठ गये उसी के पीछे मै विंडो सीट लेटे हुए कोमल के साथ बैठ गया । और हमारी ही लाईन मे खाली 3 सीट वाली सेट पर वो दोनो कपल बैठ गये ,, चुकी वो दोनो शादीशुदा भी थे ।
फिर 5 मिंट बाद बस निकल पडी अब आने वाले एक घन्टे मे मै मामा के यहा पहुच जाता क्योकि दुरी कम ही सही लेकिन रास्ता खराब ही था ,,, जिससे बस हिचकोले लेटे हुए जाने लगी और मै इसीलिये विण्डो सीट लिया ताकि हिच्कोले मे कोई दिक्कत नही हो । लेकिन कोमल के लिए बहुत दिक्कत होने वाली थी क्योकि उसके सामने वाली सिट के पीछे जो हैण्डल होता है हचका लगने पर पकडने के लिए वो टूटा हुआ था जबकि मेरी सीट के सामने वाला हैण्डल एक दम ठीक था ।
कोमल बड़ी मुस्किल से सामने की सीट पकडे बैठी हुई थी ।
आगे मा और विमला की तो बाते ही खतम नही हो रही थी । यहा हम दोनो शांत थे और बीच बीच में एक दुसरे को देख कर स्माइल पास कर रहे थे । मुझे कोमल के uncomfortable होने का ज्ञान था लेकिन मै उसके बदले अपना सफ़र बेकार नही करना चाहता था ,,,मै तो मामा के यहा होने वाले रोमांच से ही खुश होकर बाहर के नजारे देख रहा था ।
इसी बीच बस एक जोर का झटका दिया तो कोमल मेरे कंधो पर आ गयी और उन्का हाथ मेरी जान्धो को पकड लिया ,,,, फिर उसे इस बात का अह्सास हुआ और वो वापस से मुझे सॉरी बोलते हुए अपनी जगह पर बैठ गई ।
मै अब और ज्यादा कोमल के प्रति सतर्क हो गया और मुझे लगा कि उसे अपनी सीट दे दू । मै कुछ करता इससे पहले बस एक बार और तेज हिचकोले लिया और कोमल हाथ सामने की सीट से छूट गया और वो दुसरी तरफ गिरने को हुई की मैने लपक कर बाये हाथ से उसके पेट के उपर से उस्की कमर को थामा और अपनी तरफ खीच लिया ,,, मेरा हाथ अब भी उसकी कमर पर था ,,,और कोमल की आंखे बड़ी हो गयी वो मेरे हाथो का स्पर्श अपनी नाजुक कमर पर पाकर तेज सांसे लेने लगी ,,जिसका अह्सास मुझे तब हुआ जब मेरी नजर कोमल की उपर निचे होती चुचियो पर गई । मैने तुरंत अपना हाथ हटा लिया और सॉरी बोला
कोमल - अरे कोई बात नही तुमने मुझे पकड़ा ना होता तो मेरा सर फत ही जाता आज हिहिहिही थैंक यू राज
मै - ऐसा करो तुम यहा आजाओ ,,, मेने कोमल को अपनी सीट पर आने का इशारा करते हुए कहा
कोमल थैंक्स बोलते हुए अपने सामने की सीट पर खड़ी हुई और मुझे उसकी सीट पर ख्सक्ने का इशारा किया जैसे ही मै कोमल की सीट पर आया तभी बस मे एक और झटका लगा और कोमल मेरे उपर गिर कर मेरी गोद मे ही बैठ गई उसके दोनो हाथ अभी भी सिट पर थे ,,लेकिन मेरे दोनो हाथा उसको सम्भालने के चक्कर मे उसके मुलायम चुचो को पकड चुके थे और कोमल की गाड़ मेरे आधे खड़े लण्ड पर आ गई थी ,,,, एक दो सैकेण्ड के इस घटना मे मेरा लण्ड उत्तेजित होकर फड़फड़ाने लगा जिसका अह्सास कोमल हो चुका था,,लेकिन हम लोग तब तक हस रहे थे कि आज हो क्या रहा है
कोमल मेरे उपर बैठी और मेरे हाथ अभी भी उसके चुची को थामे थे ऐसे मे वो गरदन घुमा कर ह्सते हुए बोली - लग रहा है आज झटके खाते हुए ही जाना पडेगा हीहीहि
मुझे कोमल की बाते डबल मिनिंग की लगी जिससे मेरा लण्ड फिर से फुदक पडा ,,
मै भी हस्ते हुए - ऐसे ही बैठो तुम मै गिरने नही दूँगा
मेरे बोल्ते ही कोमल को पता चला कि वो किस पोजिसन मे हो गयी है और तुरन्त उठ गई जिससे मेरा हाथ उसकी चुची से सरक कर कमर पर आ गय और मेरे सामने कोमल की मोटी गाड़ अपने उभार के साथ सामने आ गई ।
ये सीन देख कर मेरा बचा हुआ उत्तेजित लण्ड अब पुरा खड़ा हो गया , कोमल अब विण्डो सीट पर बैठ गई ।
हम दोनो एक दूसरे को देख कर मुस्कुराये जा रहे थे । लेकिन मेरे हाथ अब मेरे जीन्स के उपर निकले लण्ड के उभार को छिपाने मे लगे थे।
इस दौरान मुझे बस के झटके से बहुत दिक्कत हो रही थी तभी कोमल ने कहा- राज ऐसा करो तुम मेरे सीट के सामने वाला हैण्डल पकड लो,,, कोमल ने ये बात विण्डो की तरफ खसककर अपनी तरफ आने का इशारा करते हुए बोली । जिसका मतलब मै समझ और कोमल के करीब जा कर बाये हाथ से हैण्डल पकड लिया ,,,, लेकिन होनी को कौन टाल सकता था हम दोनो लाख कोशिस करते कि हमारे शरीर आपस मे टच ना जो लेकिन हर झटके के साथ मेरा कन्धा कोमल से टकराता साथ मे मेरे हाथ की कोहनी कोमल के दाहिने चुची के उभार को छू जाती । सफ़र बहुत ही उत्तेजना से गुजर रहा था ,,अब तक आधा घंटा बीत चूका ,,, कुछ सवारिया नीचे भी उतर चुकी थी।
इसी बीच मैने कोमल से पुछा - तुमने मेरे सवाल का जवाब नही दिया कोमल
कोमल अचरज से - कौन सा सवाल
मै - यही कि तुम मुझसे दोस्ती क्यू करना चाहती हो ,,जबकि मै खुद के लिए समय नही निकाल पाता
कोमल मुस्कुराते हुए - तुम एक अच्छे लडके हो राज ,, इतनी कम उम्र में जब बाकी लडके लड़कियो के पीछे भागते हैं और अपनी स्वार्थ के लिए उनका यूज़ करते हैं लेकिन तुम अप्नी जिम्मेदारी समझ कर पापा का नाम आगे बढ़ाना चाहते हो और दुकान चलाते हो, और तुमको सबकी फ़िकर भी है ,,, तो कोई भी अच्छी नियत की लड्की क्यू नही चाहेगी कि उसका तुम्हारे जैसा अच्छा दोस्त हो ।
मै समझ गया कि कोमल मन में मुझे एक आदर्श और सिद्धांतवादी लड़का समझ रही है जिसमे कोई बुराई नही है । मगर उसे क्या पता था मै कल रात से ही मादरचोद बन गया हू हिहिहिहिह ।
फिर मैने उसकी भावनाओ को सराहटे हुए कहा- वो सब ठीक है लेकिन तुम तो जानती हो कि ये समाज एक लड़का और लड़की की दोस्ती को किस नजर से देखता है
कोमल - धत्त पागल मै सिर्फ दोस्ती की बात कर रही हू और तुम कहा गर्लफ्रैंड की बात सोचने लगे हिहिहिही
मै थोदा मज़ाक में - अरे अगर दोस्त एक लड्की हो तो गर्लफ्रैंड ही हुई ना हाहहहाह
कोमल - हा ये बात भी सही है लेकिन हमारी दोस्ती में वो सब कुछ नही होगा हम सब एक अच्छे सीधे साधे दोस्त रहेंगे ठीक है
मै जानबुझ कर - वो सब नही होगा मतलब
कोमल - भक्क तुम तो बुध्दु हो ,,,वो सब मतलब प्रेमी प्रेमिका वाला रिलेशन नही होगा ,, सिर्फ दोस्ती वाला
मै- ओह्ह्ह ये बात ठीक है फिर फ्रेंड्स,,,, मैने हाथ उसकी तरफ करते हुए बोला
कोमल भी मेरे हाथ में हाथ मिलाते हुए खुशी से बोली - हा फ्रेंड्स
मैने भी मौके का फायदा उठाकर अप्नी बाहे खोल कर बोला - हग
कोमल - छीईईई गंदे ,,, मै नही करने वाली हग
मै ह्स्ते हुए - तुम ही बोली ना हम लोग दोस्त है तो दोस्त मे हग करना तो आम बात है
कोमल - हा लेकिन यहा बस मे सब कोई है
मै - तो क्या तुम मुझे अपना लवर समझ रही हो जो शर्मा रही हो ,, हम तो दोस्त है ना
कोमल हस्ते हुए - हा बाबा हम दोस्त ही है ,,ठीक है आजाओ हग्ग्ग
फिर मै कोमल की तरफ झुका और उसके मुझे अपने गरदन्ं और सीने के बीच रख कर हग कर लिया और फिर मैं वाप्स आ गया ।
कोमल के बदन की खुस्बु और उसके जिस्मो का स्पर्श से मेरा लण्ड का उभार और ज्यादा जीन्स पर होने लगा ,,,मै इस बात से अंजान होकर कोमल से बाते किये जा रहा था ,, मगर बार बार कोमल की नजर नीचे होती और फिर दुसरी तरफ देखती थी ।
फिर जब मैने उसकी आँखों का पिछा किया तो पाया कि मेरा लण्ड का सख्त उभार साफ दिख रहा है,,, मुझे शर्म आ गई और मैने तुरन्त अपना हाथ उसपर रख दिया,,, जिसे देख कर कोमल खिडकी की तरफ मुह करके मुस्कुरा रही थी और मै भी बेबस शर्मिदा होकर मुस्कुराता रहा ,,,मगर मेरा लण्ड बैठने वाला कहा था ,,, मै बार घुमा कर कोसिस करने लगा की थोडा शांत हो लेकिन अब मेरे लागातार स्पर्श से वो और ज्यदा कड़ा होने लगा साथ मे दर्द भी ,,जिसका असर मेरे चेहरे के भाव से पता चलने लगा ,,,कोमल ने जब पलट कर मुझे देखा तो उसे मेरा परेसान दर्द से भरा चेहरा दिख रहा था और वो मेरे हाथ को बार बार लण्ड एद्जेस्त करते हुए देख रही थी लेकिन टाइट जीन्स मे वो मुमकिन नही था ।
ऐसे मे कोमल ने वो किया जिसकी उम्मीद कोई भी लड़का पहली मुलाकत मे मिली लड्की से नही कर सकता था ।
कोमल मे अपना दुपट्टा का एक सिरा उठाकर मेरी जांघो पर रख दिया और इशारे के साथ हल्के आवाज मे बोली - दुपट्टे के नीचे खोल कर सही कर लो,, वो वापस मुस्कुराकर खिडकी पर देखने लगी ।
चुकी ज्यादतर सवारी उतर चुकी थी यहा तक की मेरे अगल बगल और वो couple भी उतर गये थे ,,तो मुझे लगा कि मुझे सेट कर लेना चाहिए अब ।
मैने एक नजर कोमल को देखा तो वो कनअखियों से मेरे तरफ देख रही थी मगर से नजर मिलते ही वापस मुस्कुराते हुए खिडकी से बाहर देखने लगी ।
मैने भी दुपट्टे को अपने कमर तक करके अपने जीन्स का बटन खोला और चैन खोल दिया ,,,मा कसम वो राहत मै बयां नही कर सकता था । फिर मैने अंदर हाथ डाला तो पता चला कि मेरा लण्ड अंडरवियर के पेसाब वाले छेद से बाहर आ गया था तभी मुझे उसको सेट करने मे दिक्कत आ रही थी,,,
फिर मैने सोचा ये लण्ड तो इतना जल्दी बैठने वाला है नही क्यू ना थोदा बाहर निकाल कर आराम दे दू ,,, और मैने मोटा फन्फ्नाता लण्ड को जीन्स से बाहर निकाला जो कि कोमल के दुप्प्ते से ढका था । फिर मैने एक नजर कोमल की तरफ देखा तो वो गरदन घुमाये मेरेपुरे क्रिया कलाप पर नजर डालें हुए थी ,,,जैसी ही उसने देखा की मै उसे अपना लण्ड निहारते देख रहा हू वो सॉरी बोल कर वापस खिडकी की तरफ घुम गई ।
मेरे चेहरे पर एक कातिल मुस्कान आ गयी क्योकि कोमल का इंटरेस्ट मुझे बहुत सारे सपने दिखाने लगा ,,,और मैने इधर उधर देखा और खुद की अपने लण्ड के उपर से दुपट्टा उसकी तरफ उड़ा दिया जिससे मेरा लण्ड तन कर सुपाडे के साथ खड़ा हो गया ।
जैसे ही मैने दुपट्टा उसकी तरफ फेका तो उसके साथ एक छोटी सी आवाज भी दे दी
मै - अरेरेररे ...
मेरे इतना कहने की देरी थी कि कोमल पलट चुकी थी औए उसके सामने मेरा मोटा फुकार मारता लण्ड हिलने लगा । कोमल एक टक मेरे लण्ड को देख्ने लगी ,,,और मै भी इस रोमांच से इत्ना भर गया की मेरे माल की कुछ बुन्दे मेरे सुपाडे पर आ गई । जिसे देख कर मैने वापस कोमल को दुपट्टे के लिए इशारा करते हुए साथ मे लण्ड के आगे हाथ लगा कर छिपाने की कोसिस करते हुए बोला
मै - कोमल सॉरी वो हवा से उधर चला गया दुपट्टा ,, जल्दी दो ना मै बंद कर लू ,,
कोमल झेप गयी और मुस्करा कर बोली - नही वो दाग लग जायेगा इसमे ,
फिर मेरी नजर सुपाड़े पर आये माल की बूद पर गयी ,,
मै - ओह्ह्ह सॉरी ,,, लेकिन मै बंद कैसे करू ।
कोमल इस बीच पुरे ध्यान मेरे लण्ड को देख रही थी
कोमल मुस्करा कर - अब क्या छिपाना है बुधु कही के,, खड़े हो जाओ बन्द कर लो
मै थोडा शर्मया और कोमल की तरफ होकर खड़ा हो गया ,,जिससे मेरा लण्ड कोमल के सामने झूलने लगा ,,,कोमल ने खुद को पीछे की तरफ खीचा ताकि मेरा लण्ड उसको छुए नही ।फिर मैने जीन्स निचे किया और अंडरवियर के छेद को लण्ड के उपर से निकालने की कोसिस करने ल्गा एक दो बार लास्टीक छूत जाने से मेरे कमर मे चोट लगी जिसकी सिसकी और मेरे चहरे के भाव से कोमल को पता चलने लगा । तभी कोमल ने दुपट्टे को हाथ मे लेकर मेरे लण्ड को पकड़ा और उपर की तरफ किया और बेहद बुरा सा मुंह बना कर मानो वो किसी गंदी चीज़ को पकड़ा हो ऐसे
कोमल - हम्म्म्म अब अंदर करो इसको ,,,मैने भी कोसिस करके लण्ड को अन्दर रख दिया और फटाक से जीन्स पहन लिया । और वापस अपनी जगह पर बैठ गया कुछ पल हम दोनो शांत बैठे रहे ।
मै - सॉरी कोमल , और मै चुप हो गया और कोमल को देखने लगा
कोमल खिडकी से बाहर झाकते हुए मुस्कुरारही थी ।
मै - क्या हुआ हस क्यू रही हो
कोमल हस्ते हुए - यार तुम कितनी छोटी अंडरवियर पहनते हो हिहिहिही
मै झेप गया - क्या यार तुम भी मेरी मजबुरी थी कि वो बड़ा हो गया था तो क्या करता ।
कोमल - फिर भी अपनी साइज़ के हिसाब से तो पहनना ही चाहिये ना राज हिहिहिही
मै - हम्म्म्म सॉरी आगे से ध्यान दूँगा हा नही तो
कोमल सारे रास्ते हस्ती रही और ना जाने क्यू उसकी ये दोस्ती मुझे भा गयी । बस से उतरने से पहले हमने सेल्फी भी ली और नम्बर भी एक्सचेंज किये । हालाकि हमे एक ही गाव जाना था लेकिन बस से उतर कर हम दोनो शांत थे मा और विमला मौसी के सामने ।
बस मेरे नाना के गाव के बाहर एक प्राथमिक स्कूल पर रुक गयी । ये गाव था प्रतापपुर । काफी बड़ा गाव था और इस गाव के सबसे बड़े सेठ थे मेरे नाना जी जो कि बहुत बडे जमीदार थे । सैकडों बीघे की खेती और दो दूध की डेयरी , 3 पक्के ट्यूबवेल और एक आलीसान घर जिसमे कयी नौकर और सुख सुविदा की सारी चीजे थी । नाना जी गाव की भलाई के सरकारी स्कूल , सरकारी हस्पताल , पानी की व्य्व्सथा के लिए कयी सारे काम सरकारी कार्यालयों से अपने दम पर करवा लिये थे ।
( नाना के यहा का परिचय पेज 47 पर अपडेट 28 मे दिया गया है )
फिर हम लोग चारो बैग लेकर निकल पड़े गाव मे अन्दर की तरफ ,,, कड़ी धूप भी थी और प्यास से गला भी सुखने लगा था लेकिन उससे भी ज्यादा मै जल्दी से जल्दी नाना के घर जाकर अपने लण्ड को आराम देना चाहता था । लेकिन मा तो ऐसे गाव को देख रही थी कि मानो कितने सालो से ना देखा हो जबकि हर साल वो एक दिन यहा राखी बांधने आती थी ।
मै गाव के अंदर प्रवेश कर चुका था ,,, गाव मे छोटे बच्चो की चहल पहल ,, एक गाड़ी पर 4 5 बच्चे एक साथ बैठ कर चिल्ल्लते हुए घूम रहे थे उनको देखने के लिए गली मुहल्ले की औरते बाहर निकली थी कोई दरवाजे पर था तो कोई किवाड़ की आड़ मे । अहहा कोई कोई औरते बेढंग से साडी लपेटे थी और उनमे चुचे नाभि पेट किसी किसी के दिख भी रहे थे ।
गाव में जो औरते मा को पहचानती थी वो उनको नमस्ते भी कर रही थी ।
तभी सामने से कुछ औरते गोबर की खाची सर पर लिये गाव से बाहर की तरफ जाने लगी । उनमे से भी कुछ ने मा को नमस्ते किया क्योकि वो हमारे डेयरी और खेतो मे काम करने वाली थी । कुछ की कसी हुई कमर चुचे थे कुछ बुढ़ी भी थी ।
मै - जल्दी चलो ना धूप हो गया प्यास लग रही हैं
मा - हा बेटा चल रही हू ज्यादा दूर नही है बस आने ही वाला है ।
इधर विमला का मायके वाली गली आ गई , वो मा से विदा होने लगी और मा बोली की शाम तक आओ मिलने घर पर । मै कोमल को देख कर एक मुस्कान दिया और हम लोग आगे निकल गए,, मैने एक नजर पलट कर देखा तो कोमल की मस्तानी चाल ने फिर से मुझे कायल कर दिया । उसके भी लम्बे बाल कमर तक आते थे ।तभी मैने उसके मोबाइल पर मैसेज किया
मै - तुम ऐसे क्यू चलती हो ,, सीधा सीधा नही चल सकती
कोमल ने मैसेज पढा और मुड कर देखा तो मै उसे ही देखते हुए जा रहा था ,,
फिर वो मोबाईल मे कुछ टाइप करने लगी
फिर मुझे मैसेज की बिप आई तो मैने मोबाइल खोला
कोमल - तुम मुझे पीछे से ताड़ तो नही रहे ना , हसने वाली इमोजी के साथ जमाए
मैने तुरंत मुस्कुरा कर मोबाइल मे sms कर दिया
मै - मै तो बस तुम्हारे बालो को देख रहा था कितने लम्बे है ।
कोमल - बदमाश , मै तुमसे बाद मे निपटूंगी । अभी मेरे मामा का घर आ गया ।
मै भी उसको बाय लिख कर चलने ल्गा ,
और कुछ ही दुरी पर एक बड़ा सा मकान सामने आया जो मेरे नाना का घर था और हम लोग मेंन गेट से अंदर चले गए ,,, एक बडे गेट के बाद अंदर बहुत ही बड़ा आंगन और उसी आँगन के तीनो तरफ कमरे बने थे ,, गेट के ही सीध मे अंदर की तरफ एक दरवाजा था जो पीछे टोइलेट बाथरूम और स्टोररूम की तरफ जाता था । जहा से एक सीढ़ी छत पर भी जाती थी ।
घर एक मंजिला ही थी लेकिन कुल 8 कमरे थे जिसमे कीचेन भी शामिल था । तीन गेट के दाई तरफ , तीन बाई तरफ और दो अंदर जाने वाले दरवजे के अगल बगल थे । उसमे दाई तरफ वाला कमरा कीचेन के लिए यूज़ होता था ।
और सारे कमरे के सामने बरामदे भी थे जिसमे चौकी , राशन की बोरिया , दूध के बडे बर्तन रखे जाते थे । मेन गेट के बाई तरफ से ही एक और सीढ़ी छत पर जाने के लिए थी और उसी के जीने के बगल वाले कमरे के सामने एक चौकी थी जिसपे एक पुराना गल्ले का बक्सा और कुछ रजिस्टर रखे हुए थे । मै समझ गया कि ये कमरा नाना का ही है । और भी नौकर चाकर थे जो काम मे लगे थे ।
मै इस सब चीज़ो को देख रहा था कि तभी सामने से रज्जो मौसी किचन से चलती हुई आई ,,, मै मौसी के हिलते चुचे देख कर मस्त हो गया और उन्के साथ बिताये पल याद करने लगा ।
यहा मौसी आई और मा के गले लगी ,, आह्ह दो बडे बडे थन टकरा गये थे ,,, फिर मैने उन काम करने वाले नौकरो के सामने खुद को सभ्य जता कर मौसी के पैर छुने के लिए झुका तो मौसी ने मुझे रोक लिया
मौसी - अरे लल्ल्ला मेरे सीने से लग मेरे लाल ,,,आजा
मेरे मुह मे पानी आया और मौसी ने मुझे सीने से लगा लिया , मै भी मौसी के मुलायाम चुचो के उपर अपने गाल को लगा कर सफ़र की थकान मिटा लेना चाहता था ।
पर ज्यादा देर ये मुमकिन नही था ।
मा - चलो हो गया बहुत मेल मिलाप अंदर चल अब धूप नही लग रही है
मौसी - अरे मेरा लल्ल्ला कितना परेशान हो गया है । चल बेटा हाथ मुह धुल ले चल मै कमरा दिखा देती हू
मै - पहले मुझे ये जीन्स निकालना है फिर कुछ,,
मौसी हस्ते हुए - अरे तो कमरे मे चल कप्डे बदल ले और मन हो तो पीछे जाकर नहा ले ।
फिर मौसी ने मुझे और मा को किचन के दाई तरफ वाला ही कमरा दिया जो किनारे पर था ।
मै जलदी से अंदर गया और जल्दी से जींस निकाल दिया,,,मेरे लण्ड को बहुत राहत हुई ,,सोचा क्यू ना नहा भी लू इसी बहाने लण्ड भी बैठ जायेगा। तो मैने एक लोवर टीशर्ट लिया और तौलिया लपेटे हुए,, किचन के बाई तरफ से दरवाजे से होते हुए पीछे हाते मे चला गया ।
यहा 3 4 पाखाने और 3 4 नहानघर थे ,,, और पाखाने के एक तरफ किनारे पर कपडे धुलने के लिए मोटर भी लगा था ,,, मैने सोचा आँगन खाली है क्यू ना मै मोटर चालू करके ही नहा लू ।
मैने तौलिया उतार कर अपना शर्त निकाल दिया और बनियान भी । जैसे ही मै मोटर चालू करने अंडरवियर मे पाखाने की तरफ लगे स्विच के पास गया कि सामने से एक दरवाजा खुला जिसने से एक खुबसूरत लड्की अपने सलवार का नाड़ा बंधते हुए बाहर निकली ,,,जैसी ही उसकी नजर मुझसे मिली और उसने मुझे अधनंगा अंडरवियर मे पाया वो चिल्ला कर वापस पाखाने मे चली गयी ।
देखते है दोस्तो आगे क्या होता है । आप सभी के सुझाव और प्यार भरे टिप्पणियों का इंतजार रहेगा ।
Apki pratikriya k liye dhanywaad bhaiBhai ek choti si guzarish hai ki ragini ko raj aur rangilal tak hi simit rakhna, ho sake to Anuj ke sath kuch jugad baitha sakte ho lekin aur kisi se nahi, warna ragini sabki randi banke reh jayegi phir utna maza nahi aayega
Aap bua, chachi, maami aur mausi ke characters me experiment kijiye jaise group sex, threesome ya foursome , isme aap aur dusre male characters ko bhi add kar sakte hain.... Anuj ke character ko bhi develop kijiye.
Pura padhke reviews dunga