Update:-55
अपस्यु बचाव के लिए जबतक बेहोश पड़े गार्ड के पास लेटता, उससे पहले ही उसके शरीर को 2 गोली और भेद चुकी थी। दर्द ने उसके गति को धीमा तो किया लेकिन वो दो गार्ड के बीच लेटकर अपने लिए थोड़ा वक़्त निकला। उल्टी गिनती के अब 90 सेकंड ही बचे थे।
सभी माइक्रो डिवाइस नीचे खुले रास्ते में जरिए नीचे पहुंच चुके थे। एक बड़ा सा वाल्ट था, जिसके ऊपर एक रेटीना स्कैनेर लगा हुआ था। सारे माइक्रो डिवाइस, उस स्कैनर के ऊपर आकर उसे पूरा कवर कर चुके थे। उसके कोने से वो जगह बनाते धीरे-धीरे अन्दर घुसते चले गए। स्कैनर में लगे वायर के रास्ते वो सारे डिवाइस वाल्ट के अंदर तक पहुंच चुके थे। वहां जितनी भी फाइल रखी थी लगभग सभी फाइल्स में घुसकर अंदर हर पन्ने को पूरा स्कैन होने लगा।
ऐमी वक़्त पर काम ख़त्म करके सभी डिवाइस को वापस आने का कमांड दे चुकी थी और इस बीच अपस्यु भी बेहोश गार्ड के बीच आकर लेट चुका था। अपस्यु को इस बात का इल्म था कि जो भी फायरिंग कर रहा है वो लेटे हुए पर इसलिए गोली नहीं चला सकता क्योंकि वो उसी के साथी होंगे।
अपस्यु जैसे ही लेटा, उसकी तेज चलती सासों के साथ आ रही दर्द कि हल्की आवाज ऐमी साफ सुन पा रही थी। "वहां क्या हो रहा है.. तुम सुरक्षित तो हो अल्फा (अपस्यु)"…. "लेटे रहना बीटा (ऐमी).. क्या तुम 6 फिट ऊंचा आग जला सकते हो बीटा"…. "कितने सेकंड का विंडो चाहिए"… "3 सेकंड का विंडो चाहिए…. 30⁰ पुरव 1 मीटर के रेडियस में आग चाहिए।"
10 सेकंड का वक़्त लेती हुई ऐमी ने जवाब दिया… "मै तैयार हूं अल्फा"…. "मेरे 3 की गिनती पर तैयार हो जाना एक बार फिर कदम मिला कर भागने के लिए बीटा"… "मै तैयार हूं।"…
3 की गिनती के साथ ही ऐमी कमांड देकर दौड़ने के लिए तैयार थी। ऐमी के कमांड देते ही सभी माइक्रो डिवाइस 1 मीटर के रेडियस का सर्किल बनाते हुए, वहां 10 फिट ऊंचा धमाका हुआ। अचानक से तेज लपटें उठीं, और अपस्यु ऐमी का हाथ पकड़ कर तुरंत ग्राउंड फ्लोर के बाहर आया।
इधर आग जलने के कारण थर्मल डिवाइस बॉडी स्कैन तो नहीं कर पा रही थी लेकिन हवा में लगातार गोलियां फायर हो रही थी। बाहर निकलते ही ऐमी ने सिक्योरिटी अलर्ट के पास लगी डिवाइस में एक छोटा सा धमाका की और देखते ही देखते फिर से वो ग्राउंड फ्लोर स्टील के मजबूत दीवारों से ढक चुकी थी।
उल्टी गिनती के 30 सेकंड बचे थे। बाहर घुएं का कोहरा छटने लगा था, पुलिस के सायरन की आवाज़ दोनों को सुनाई भी देने लगी। अपस्यु ने फिर से बाहर स्मोक का कोहरा बना दिया और ऐमी ने लैपटॉप बैग में डाला। दोनों वापसी के लिए तैयार थे।
दौड़ते हुए दोनों ने तकरीबन 100 मीटर की दूरी तक पूरा कोहरा की चादर बिछाते हुए आगे बढ़े और अपने तय समय से 1 मिनट की देर से 10.21 मिनट पर वापस कमरे के पीछे पहुंच चुके थे।
ऐमी खिड़की से अंदर गई और पीछे से अपस्यु पहुंचा… दोनों बिना कोई देर किए अपने बुलेट प्रूफ जैकेट को निकालाना शुरू कर चुके थे। ऐमी जबकि अपने ऊपर कपड़े डाल रही थी और अपस्यु अपने चोट खाई जगह को कॉटन से दबा कर खून को नीचे गिरने से रोक रहा था।
"ऐमी, क्या तुम जल्दी से इनपर पट्टियां बांध कर मास्क करोगी।" ऐमी पीछे पलटकर, जब अपस्यु के खुले बदन पर बहते खून को कॉटन से साफ करती देखी, तो वो हताश हो गई…. "अपस्यु तुम्हे ट्रीटमेंट की जरूरत है। अभी हॉस्पिटल चलो।"
अपस्यु:- हां मै जानता हूं मुझे ट्रीटमेंट की जरूरत है लेकिन अभी नहीं। पट्टियां लगाओ और उपर बॉडी को मास्क करो। भूल गई पुलिस पहले अपने पास ही आएगी पूछताछ के लिए।
ऐमी:- लेकिन तुम्हे बुलेट लगी है, आम जख्म नहीं है।
अपस्यु:- जानता हूं। मै वो सेल रिकवर थेरेपी लेता हूं, कुछ वक़्त का सपोर्ट मिल जाएगा जबतक तुम स्वस्तिका से बात करके देखो यदि वो बंगलौर आ सके तो।
ऐमी की घबराहट और बेचैनी दोनों अपने सबब पर थी। वो टाइट पट्टी लगा कर अपस्यु के बदन के उपरी हिस्से में स्किन की बनी एक सूट डाली जों देखने में बिल्कुल असली और उसको ऊपर से काटने पर खून भी निकलता था।
ऐमी उसके उपर की बॉडी मास्क करके, वहां के फ्लोर पर टपके खून पर किसी तरह का केमिकल डालकर, तेजी के साथ साफ की। दोनों के बुलेट प्रूफ जैकेट और अन्य संदेह जनक सामान को लेकर एक बार फिर से खिड़की से बाहर गई और छिपाने के तय स्थान पर उनको छिपा कर वापस आयी।
अपस्यु लेटा हुआ था, ऐमी ने वापस अाकर सबसे पहले बचा काम खत्म की। अपने लैपटॉप से सारे स्कैन फाइल को एक साथ डिलीट मारी और सारे हैकिंग सॉफ्टवेर को वो अपने लैपटॉप से गायब कर दी। काम खत्म करने के बाद वो अपस्यु के सिरहाने बैठी और उसके बालों मै हाथ फेरती उसे देखने लगी…. "11.10 में मुंबई से स्वस्तिका की फ्लाइट है। लगभग 1 बजे तक वो हमारे साथ होगी।"….
अपस्यु:- हम्मम ! ठीक है। वैसे तुम इतनी मायूस होकर मुझे क्यों देख रही हो?
ऐमी के आंसू टपक कर अपस्यु के चेहरे के ऊपर गिरी। ऐमी अपने आशु पोंछती कहने लगी… "पहली बार तुम्हारे चेहरे पर मै दर्द को देख रही हूं। तुमसे ये दर्द नहीं छिप रहा अपस्यु।
अपस्यु:- हां जानता हूं, मुझे शवंस लेने ने भी बहुत तकलीफ़ हो रही है। क्या तुम कहीं से कोकीन ला सकती हो क्या?
ऐमी हड़बड़ी में वहां से निकली और कार स्टार्ट करके पास में ही किसी डिस्को का पता लगाकर वहां पहुंची। नजरे अब बस उसकी ढूंढ़ने लगीं… ज्यादा वक़्त नहीं लगा, उसे एक ड्रग बेचने वाला मिल गया।
ऐमी जल्दी से उसके पास पहुंची और हड़बड़ी में पैसे निकालकर उससे कोकीन मांगने लगी। उस ड्रग डीलर ने पहले उसे ऊपर से नीचे तक देखा और देखकर मना कर दिया। ऐमी उससे मिन्नतें करने लगी… "प्लीज दे दो।" लेकिन वो ड्रग डीलर ऐमी को सुनने के लिए तैयार ही नहीं हो रहा था।
ऐमी परेशान होने लगी लेकिन वो अपनी जिद पर अड़ा रहा। ऐमी अपने बैग से 1लाख की पूरी गद्दी टेबल पर पटककर कहने लगी….. "या तो अभी मेरी चीज दे दो। और कहीं तुम्हे ऐसा लगता हो की मै कोई खबरी हूं तो तुम इस वक़्त तो गलत हो, लेकिन मेरे पास इतना पैसा है कि मै देखूंगी तुम कभी जेल से बाहर ना आने पाओ।"..
उसके ड्रग डीलर के साथ एक और डीलर था, वो पैसे उठाकर कहने लगा…. "इतने से नहीं होगा और पैसे चाहिए, और हां तेरे पास कितने भी पैसे हो, हमारे बैकग्राउंड के आगे सब मूत देंगे।"
ऐमी ने अपना बैग देखा उसने पैसे नहीं थे, फिर वो अपनी डायमंड इयर रिंग उतार कर देती हुई कहने लगी…. "12 लाख की कीमत का है… अब दोगे या मै कहीं और जाऊं।"
दोनों ड्रग डीलर जोड़-जोड़ से हंसते हुए, ऐमी को कोकीन कि एक छोटी सी पुड़िया थामा कर, उसके पीछे हाथ फेरते हुए कहने लगा…. "हम तुझे यहीं मिल जाएंगे, दोबारा जब जरूरत हो तो फिर आना।"
ऐमी वो पुड़िया उठकर वहां से जाते-जाते बोली…. "फ़िक्र मत करो मै वापस जरूर आऊंगी, ये वादा रहा।"…
ऐमी जबतक वापस पहुंची 11.30 बजने ही वाला था। वो जैसे ही कमरे के पास पहुंची, 2 स्टाफ वहां पहले से खड़े थे…. "मैडम आप कहां चली गई थी, आप का इंतजार हो रहा है बैंक स्टेज पर, 11.30 बजे से आप का शो है।
ऐमी:- प्लीज मुझे माफ़ कीजियेगा। आप लोग बढ़िये मै आयी...
स्टाफ:- मैम इट्स ओके, हम यहां इंतजार कर रहे है।
ऐमी झटपट में अंदर गई और अपस्यु को एक नजर देखने लगी। उसका बदन पूरा जल रहा था, उसकी आखें बिल्कुल लाल हो चुकी थी, लेकिन इतना होने के बाद भी वो अपनी आखें खोले हुए था।…. "ऐमी वो दो और जाओ, मैं भी आया तुम्हारे पीछे।"
उसकी हालत देखकर वो अपने आंसू छिपाती, वहां से निकल गई। अपस्यु किसी तरह उठकर टेबल पर ड्रग फैलाया और अपने नाक से उसे खींचने लगा। ऐमी के द्वारा लाए हुए कोकीन को वो पूरा इस्तमाल करने के बाद कुछ देर के लिए बैठा और फिर लड़खड़ाते किसी तरह खड़ा हुआ।
खड़ा होकर सिर को वो 2 बार झटका। बैग के अंदर से 2 सीरप की बॉटल निकला। इनमे सेल रिकवर और डेवलपमेंट वाली वहीं द्रव्य था जो आईवी सेट के जरिए अपस्यु ने अपने एक्सिडेंट के वक़्त इस्तमाल किया था। दोनों सीरप को पीने के बाद वो कुछ देर और वहीं बैठा.. फिर खुद को सामान्य की स्तिथि में दिखाते हुए वो प्रोग्राम हॉल में पहुंचा।
बिल्कुल खामोश, बिल्कुल शांत जैसे सब अपनी धड़कने रोके ऐमी के दर्द को सुन रहे थे… फिर उस खामोशी में दर्द के साथ वो आवाज़ आयी... "सुन रहा है ना तू, रो रही हूँ मैं सुन रहा है ना तू, क्यूँ रो रही हूँ मैं… सुन रहा है ना तू, क्यूँ रो रही हूँ मैं.. यारा"…
ऐमी का गाना जैसे ही समाप्त हुआ, लोग खड़े होकर तालियां बजाने लगे। अपस्यु को ऐमी का हाल-ए-दिल पता था, इसलिए वह बैंक स्टेज पर पहुंचा। जब वो पहुंचा तब ऐमी उसे देख कर दौड़कर उसके पास पहुंची और उसके गले लगकर खुद को शांत करने लगी।
अपस्यु उसे खुद से अलग करता हुआ, उसके चेहरे को साफ किया… "आय मिस अवनी, रोते नहीं है।"
ऐमी:- मै कहां रो रही हूं, बस तुम्हारी हीरोगिरी रुला रही है।
अपस्यु:- शांत बच्चा शांत। चलो यहां से चलते है।
दोनों बैंक स्टेज से निकलकर वापस आ ही रहे होते है कि पुलिस की एक टुकड़ी उन्हें ढूंढते हुए वहां पहुंचती हैं। प्रोग्राम ऑर्गनाइजर उन्हें ऐमी और अपस्यु के पास लेकर पहुंच ही रहे होते और सभी रास्ते में ही टकराते है…
ऑर्गनाइजर:- यहीं है दोनों, जिन्हे आप ढूंढ़ रहे है।
पुलिस:- आप मिस्टर अपस्यु और मिस ऐमी है।
अपस्यु:- क्या हुआ सर, कोई बात हुई है क्या?
पुलिस:- हमे प्लीज कोऑपरेट कीजिए। जितना पूछा जाए उतना ही जवाब दीजिए।
अपस्यु:- सॉरी सर.. हां मै अपस्यु हूं और ये ऐमी।
पुलिस:- आप दोनों अपनी-अपनी आईडी दिखाइए।
दोनों अपनी आईडी पुलिस वाले को दिखाने लगे। आईडी देखने के बाद पुलिसवाला पूछने लगा…. "आप दोनों 10.00 बजे कहां थे।
ऐमी:- मेरा प्रोग्राम था इसलिए हम दोनों यहीं थे।
क्रॉस चेक करने के लिए पुलिस वालों ने पूरा सीसी टीवी फुटेज देखा उनके कमरे की तलाशी ली। बैग लैपटॉप सरा सामान उन लोगों ने चेक कर लिया… जब वो चेक करके अपस्यु से कुछ पूछने लगे तभी ऐमी बीच में ही पूछने लगी…
"सर आधे घंटे से आप हमसे पूछताछ कर रहे है, अब बताइएगा हुआ क्या है।"… ऐमी थोड़ा तेवर दिखाती हुई पूछने लगी..
"मिस कहा ना आप हमे कोऑपरेट कीजिए.. आप बिल्कुल शांत खड़े रहीए।".. पुलिसवाला उसे घूरते हुए कहने लगा… ऐमी ने भी बिना देर लिए सिन्हा जी को फोन लगा दी… "पापा देखो ना यहां पुलिस वाला अाधे घंटे से हमे परेशान कर रहा है और कुछ बता भी नहीं रहा कि क्यों हमसे पूछताछ कर रहा है।"…
ऐमी अपनी बात समाप्त करके फोन स्पीकर पर डाली…. "हेल्लो तुम किस केस में मेरी बच्ची से इंक्वायरी कर रहे हो।"…
पुलिस:- देखिए यहां एक रॉबरी हुई है उसी के सिलसिले में पूछताछ चल रही है। आप प्लीज हमे हमारा काम करने दीजिए।
सिन्हा जी:- ऐमी बेटा, वो उनकी छोटी सी इंक्वायरी चल रही है, और कोई परेशानी नहीं है। हां अगर ऐसा लगे कि जानबुझ कर परेशान किया जा रहा है फिर फोन करना।
सिन्हा जी ने कॉल डिस्कनेक्ट किया और पुलिस वाला ऐमी से पूछने लगा… "आप के पापा क्या करते हैं।"
ऐमी:- सुप्रीम कोर्ट में वकील है, एडवोकेट अनिरुद्ध सिन्हा..
पुलिस:- क्या !! आप वो मशहूर वकील एडवोकेट सिन्हा की बेटी है।
ऐमी:- जी हां सर। वैसे आप को तसल्ली हो गई या और कुछ पूछना है। मुझे तो समझ में नहीं आ रहा कि कोई रॉबरी हुई है तो आप क्रिमिनल को पकड़ने के बदले यहां पूछताछ करने क्यों आ गए?
पुलिस:- हमारा काम है हर संभावना को देखना। कल रात ओवर स्पीड ड्राइविंग तुम लोग ही कर रहे थे ना, और किसी कार का एक्सिडेंट भी हुआ था तुमसे रेस करने के चक्कर में।
ऐमी:- वो ! अच्छा हुआ ऐक्सिडेंट हो गया उनका सर। आप जानते भी है कल क्या हुआ था हमारे साथ।
पुलिस:- हां मै सब जानता हूं। खैर मै चलता हूं, थैंक्स फॉर कोऑपरेशन। और हां अपने दोस्त को बोलो थोड़ा नशा कम करे।
ऐमी हंसती हुई उसके बात का अभिवादन की और उसके जाते ही वो अपस्यु को देखने लगी। ऐमी अपने साथ ऑर्गनाइजर के एक स्टाफ को लेकर वहां का सरा सामान पैक करवाई और अपस्यु को लेकर पार्किंग तक पहुंची।
रास्ते में ऐमी, अपस्यु से बात करती रही लेकिन अपस्यु हिम्मत अब टूट चुकी थी। वो बेहोश सा होने लगा था, फिर भी वो किसी तरह खुद को खींचते हुए पार्किंग तक पहुंचा। लेकिन ज्यों ही वो कार में बैठा, उसके मुंह से खून की उल्टियां होने लगी और वो बेहोश होकर वहीं सीट पर गिर गया।