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Funlover

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बहुत ही कामुक और उत्तेजना से परिपूर्ण, कामुक कहानी, जैसा कि पाठक पढ़ना चाहते है भाषा में शब्दों का कोई बंधन नहीं।
लाजबाव
जी, शुक्रिया दोस्त

सच कहू तो मुझे यह डर था की यह भाषा की छुट इस कहानी में एक बाधा बन सकती है| डर था की रीडर्स इस भाषा से विरोध करेंगे और यह कहानी को यही बंद कर देना पड़ेगा, इसी डर की वजह से मैंने शुरुआत में ही क्लियर कर दिया था की , इस कहानी में जैसा गाव है और उस गाव में कोई लिमिट नहीं है भाषा और बातचीत दोनों में और खास कर वर्ताव में भी.

लेकिन अब तक मुझे अच्छा अनुभव और रिस्पोंस मिल रहा है और धीरे-धीरे मेरा डर अब प्रोत्साहन में बदल गया है|


इस कोमेंट के द्वारा मैं सभी पाठको को धन्यवाद करना चाहूंगी जिन्हों ने मुझे लिखें के लिए प्रोत्साहित किया या आगे करते रहेंगे|

सभी पाठको को मेरी और मैत्री की तरफ से "धन्यवाद", बस साथ और सहकार देते रहिये| हम पूरी कोशिश करेंगे की यह कहानी में आप को ज्यादा से ज्यादा मनोरंजन मिले.

बस आप के हाथ सही जगह पर रखने की जिम्मेदारी आप लोगो की रहेगी.:DD::yippi:
 

Funlover

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They are talking about this kind of tag
ohh so sorry dosto.................


That excercise will be done today itself...............


Mr moon knight x thank you for correcting me


This will be done


stay with the story and express your feedback about..............regularly


Thanks again ......
 

Ajju Landwalia

Well-Known Member
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“हा, जाओ!”

परम तुरंत अंदर गया। वहां रेखा सोफा पर बैठी थी। परम को देखते ही उसने दोनो हाथो से अपनी आंखे बंद कर ली।

रेखा ने फ्रॉक पहन रखी थी जो उसके आधे जांघो तक ही थी। परम उसके सामने ज़मीन पर बैठ गया ओर बिना झीझक के रेखा के दोनो घुटनो पर हाथ रख दिया।

रेखा ने अपने दोनो हाथो को आंखे से हटाकर जांघो के बीच रख लिया।

“तुम बहुत गंदे हो, कार मे क्या कर रहे थे!”

“और तुम बहुत सुंदर हो।” परम धीरे धीरे रेखा की नंगी जांघो को सहलाने लगा।

“क्या कर रहे हो, हाथ हटाओ!” रेखा ने फ्रॉक को चूत के उपर और ज़ोर से दबाया।

परम का हाथ धीरे धीरे जांघो पर उपर बढ़ा।

“रेखा तुम्हारी शादी होने वाली है। तेरा घरवाला बहुत किस्मत वाला होगो जो तुम्हारी मस्त जवानी का मज़ा लेगा।” उसने कुछ सोच कर फिर से बोला “तुम मुज से शादी क्यों नहीं कर लेती? तुमको तो पता है ना मैं तुम्हे बचपन से ही कितना प्यार करता हु..!


परम ने रेखा की आंखों में आंसू देखे.. लेकिन सिर झुका लिया..

“झूठ क्यों बोलते हो…..तुम मुझे नहीं पूनमको प्यार करते हो…..तभी तो रोज उसको चूमते हो और उसका माल दबाते हो…..” उसने परम की ओर देखा और कहा…

“वैसे भी तुम हम दोनो (रेखा और पूनम) से बहुत छोटे हो…..हम तुम्हारे साथ शादी नहीं कर सकते…हमें तो मर्द चाइये और तुम अभी बच्चे हो…।” उसने फीकी मुस्कान दी.

रेखा खुद परम को सबसे ज्यादा पसंद करती थी... लेकिन वह यह भी सोच रही थी कि परम उसके या पूनम के लिए अच्छा मैच नहीं है।

अचानक उसे जांघों के अंदरूनी हिस्से पर दबाव महसूस हुआ...

“परम, हाथ हटाओ” लेकिन परम ने फ्रॉक को पूरा उपर तक हटा दिया। अब कमर के नीचे सिर्फ़ चूत का भाग फ्रॉक से ढका था और रेखा ने उसे हाथो से दबा रखा था।

“परम, प्लीज़ छोड़ दो। कोई आ जाएगा!”

“ श... कितनी चिकनी है! बिल्कुल बटर जैसी! मन करता है की चाट जाऊ।”

इतना कहकर परम ने रेखा के पैर को फैलाया और अंदरकी जांघो को चाटने लगा।

रेखा सिहर गयी। उसको भी मज़ा आ रहा था। उसका मन किया की हाथ हटा कर परम को अपनी चूत चटवाए लेकिन उससे लाज आ रही थी। पहला मौका था की कोई उसकी जांघो को चूस रहा था। उसे लगा की परम थोड़ी देर और उसे चुसेगा तो अपने आप को नही रोक पाएगी।

इधर परम की जुबान जांघो के अंदरकी हिस्सो को चूम रही थी। उसकी जुबान ने रेखा के हाथ के नीचे से चूत को छुना चाहा लेकिन रेखा दोनो हाथो से चूत के उपर कपड़े को दबा कर बैठी थी। परम का हाथ रेखा के कमर से उपर बढने लगा और उसने दोनो बोबले को दबोच लिया और कस कर दबाया।

रेखा की चुचि भी बहन महेक के बोबले जैसी टाइट थी लेकिन उससे बड़ी-बड़ी थी। अब रेखा को लगा की अगर उसने परम को नही रोका तो खुद ही नंगी होकर परम से चुदवाएगी। पर उसने मन ही मन निश्चय किया की कुछ भी हो शादी के पहले चूत मे लंड नही लेगी,15 दिन के बाद ही शादी थी।

परम खूब प्यार से जांघो को चाट रहा था और बोब्लो को मसल रहा था। रेखा बोबले पर से परम का हाथ हटाना चाहती थी लेकिन उसे मालूम था की अगर उसने अपना हाथ हटाया तो परम चूत को चाटने लगेगा फिर रेखा चुदाई नही रोक पाएगी।

"आह.. परम बस बहुत हो गया। अभी तुम जाओ, कल तीन बजे आना जो देखना चाहते हो सब दिखाऊँगी।" वह अपने पहले प्यार परम को अपने शरीर पर महसूस करना चाहती थी और पूनम को परम के साथ सेक्स अनुभव बताना चाहती थी। वह हर बार कहती थी कि परम उसे चूमता था, दबाता था और उसे जलन होती थी। अब शादी तय हो गई थी... तो वह परम के साथ थोड़ी आज़ादी ले सकती थी।



उसने परम को ढकेल दिया और खुद खड़ी हो गयी। परम चुप चाप खडा हो गया।

बने रहिये....आपकी फीडबेक देते रहिये ........


बहुत ही मस्त और शानदार अपडेट है मजा आ गया

जबरदस्त अपडेट
 

karan77

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“क्यो , क्या हुआ?” कहते हुए सुंदरी चौकी पर बैठ गयी और परम को खींच कर गोद मे बिठा लिया।
परम को बहुत अच्छा लगा। परम माँ की तरफ घूम कर बैठ गया। सुंदरी ने परम के गालो को सहलाते हुए फीर पूछा "क्या हुआ?"


परम ने कोलेज मे विनोद ने जो कहा था वैसे का वैसे अपनी माँ को सुनाने लगा। सुंदरी ने परम को और करीब खींच लिया। सुंदरी ने परम के एक हाथ को अपने हाथ मे लेकर सहलाया और धीरे धीरे उठाकर अपनी एक चुचि पर रख दी। परम सब कुछ बताता रहा और धीरे धीरे अपनी माँ की चुचि मसलने लगा। इतना मज़ा उसे पहले कभी किसी काम मे नही आया। उसने अपना दूसरा हाथ माँ की दूसरी चुचि पर रखा और दोनो चुचियो को मसलने लगा।

सुंदरी ने बेटे को मना नही किया और खुद भी मज़ा लेने लगी।

“तुमको मन नही करता है वो करने को जो विनोद करना चाहता है मेरे साथ!”

“नही माँ, मैने तुम्हे चोदने का कभी नही सोचा है।” परम अब ज़ोर-ज़ोर से चुचि मसल रहा था। परम यह सोच रहा था की माँ को बातो में रख कर उसके स्तनों की मजा ली जाये।

“मेरा मन कभी कभी रेखा, वो शेठ की बेटी को नंगा देखने को करता है।” परम ने अपनी इच्छा व्यक्त की।

“रेखा बड़ी है और जल्दी उसकी शादी होने वाली है। तुमको महेक जैसी लड़की चाहीए।’ सुंदरी ने अपना हाथ परम के हाथ पर रखकर चुचि को ज़ोर से दबाया।

“ देखो बेटा, विनोद या कोई और भी मेरे और तुम्हारी बहन के बारे मे कुछ भी बोलता है तो बोलने दो, तुम उनसे झगड़ा मत करना। लेकिन तुम कभी किसी से माँ और बेहन के बारे मे कुछ भी बात मत करना ।”

उसने बेटे को फिर चूमा और कहा, “ दबाने मे मज़ा आ रहा है ना!, जब मन करे तो मुझे बोलना, खूब दबाने दूँगी लेकिन किसी को बताना मत, महेक को भी नही। समजे ना!’

दबाते-दबाते परम ने कहा, “ मेरा मन कर रहा है चुचि को मसलता ही रहु, देखने नही दोगी?”

“अभी ब्लाउज के उपर से मज़ा लो, बाद मे खोलकर मज़ा दूँगी, शुरुआत में बस इतना ही होता है बेटा।” सुंदरी ने परम के गालो को मसलते हुए कहा ‘ कभी किसी औरत या लड़की को नंगी देखा है?”

“नही माँ”, फिर परम ने माँ के जाँघो के बीच हाथ रख कर कहा “अपनी चूत दिखाओ ना माँ।’ वो चूत को एक बार दबाकर फिर चुचि रगडने लगा।

'अभी छोटे हो, चूत दिखाउंगी और ठीक से चोद नहीं पाओगे तो ना तुम्हें मजा आएगा ना ही मुझे...थोड़े और बड़े हो जाओ फिर तुम भी इस जवानी का मजा ले पाओगे जैसे विनोद लेना चाहता है...।'सुंदरी ने अपने दोनो हाथो को बेटे के हाथ के उपर रख दिया और खुद ज़ोर-ज़ोर से अपनी चुचि दबाने लगी।

“तुम्हारी बहन महेक भी जवान हो रही है। वह भी अब अपनी बोबले की नोक बढ़ा रही है, अपने नींबूओ को संतरे में रूपांतरित कर रही है, वह भी गोल गोल हो गयी है”।



अभी आगे लिख रही हु .......
 

Mass

Well-Known Member
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Wonderful going Madam!! Look forward to all the upcoming episodes as well...as well as continuation of this one as well... :)

Funlover
 
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