- 14,517
- 37,576
- 259
Nice
मैंने आपको PM किया है, आपसे उत्तर की अपेक्षा है!
बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर कामोत्तेजक अपडेट है भाई मजा आ गयासुगंधा घर पर पहुंचने के बाद भी उस आदमी के बारे में सोच रही थी,,, इस बारे में उसने किसी को यह बात नहीं बताई थी उसे समय अंकित भी वहीं मौजूद था लेकिन अंकित को अहसास तक नहीं हुआ की दीवार की पीछे उसकी मां को पेशाब करते हुए देखकर कोई के इंसान उसके सामने चोदने की फरमाइश रख रहा है,,, और इस बात को सुगंधा ने अपनी बड़ी बेटी तृप्ति को भी नहीं बताई थी,,, सुगंधा रात को अपने बिस्तर में लेटे-लेटे इसी के बारे में सोच रही थी। सुगंसुगंधा घर पर पहुंचने के बाद भी उस आदमी के बारे में सोच रही थी,,, इस बारे में उसने किसी को यह बात नहीं बताई थी उसे समय अंकित भी वहीं मौजूद था लेकिन अंकित को अहसास तक नहीं हुआ की दीवार की पीछे उसकी मां को पेशाब करते हुए देखकर कोई के इंसान उसके सामने चोदने की फरमाइश रख रहा है,,, और इस बात को सुगंधा ने अपनी बड़ी बेटी तृप्ति को भी नहीं बताई थी,,, सुगंधा रात को अपने बिस्तर में लेटी हुई इन्हीं सब के बारे में सोच रही थी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि आखिरकार उसका बेटा है कितना बुद्धू क्यों है जो कि उसकी आंखों के सामने हुआ इतना अंग प्रदर्शन कर चुकी थी उसका एक-एक अंग उसे खोलकर दिखा चुकी थी लेकिन फिर भी वह उसके इशारे को समझ नहीं पा रहा था,,, अपने बेटे की मूर्खता पर उसे बहुत गुस्सा आ रहा था। क्योंकि उसकी प्यासा बदन अब उसके काबू में बिल्कुल भी नहीं था।
बाजार में दीवार के पीछे जो कुछ भी हुआ था वह भले ही कुछ पल के लिए सुगंध को हैरान और डरा देने वाला था लेकिन मन ही मन हुआ उसे आदमी को उसकी हिम्मत को दाद दे रही थी की पहली मुलाकात में ही उसने अपने मन की बात उसके सामने रख दिया था,,, और बदले में उसने की क्या थी बस उसके सामने कुछ देर तक पेशाब करने लग गई थी बस इसी से उसकी हिम्मत बढ़ गई थी और उसने अपने मन की बात उसके सामने कह दी थी और उसकी वासना इतनी बढ़ गई थी कि उसकी आंखों के सामने ही अपने लंड को निकाल कर उसे हिला रहा था मानो संकेत दे रहा हो कि बस अब हो गया तुम्हारी इजाजत हो तो तुम्हारी चुदाई कर दुं,,, इतने से ही मन आदमी सब कुछ समझ गया था लेकिन उसका बेटा अभी तक नहीं समझ पाया था जो कि अपने हाथों से उसे चड्डी तक पहना चुका था बाथरूम के दरवाजे के छोटे से छेद से देख भी चुका था कि उसकी मां कितनी प्यासी है फिर भी वह आगे बढ़ने से डर रहा था या वाकई में वह पूरी तरह से बुद्धु था,,, और उसे आगे कुछ आता ना हो शायद इसीलिए वह आगे बढ़ने से कतरा रहा था,,,,
सुगंधा अपने मन में सोच रही थी कि अगर वाकई में उसे कुछ नहीं आता तो इसमें क्या हो गया वह खुद उसे सीखाने के लिए तैयार है बस वह आगे तो बढे,,, लेकिन एक सीमा के आगे वह अपने कदम आगे बढ़ा नहीं पा रहा है,,, औरत के जिस को देखकर उसके बदन में उत्तेजना का एहसास होता है वह भी मदहोश हो जाता है इस बात का पता सुगंधा को अच्छी तरह से था,, जिसका एहसास हुआ कहीं बार महसूस कर चुकी थी बस के अंदर तो हद हो गई थी अगर वह साड़ी ना पहनी होती तो शायद उसके बेटे का लंड उसकी बुर में घुस गया होता इस कदर वह बावला हो गया था,,,, यही सब सो कर सुगंधा हैरान हो रही थी और अपने मन में आगे बढ़ने का कोई रास्ता ढूंढ रही थी उसे लगने लगा था कि अब मंजिल तक पहुंचना जरूरी है सफर का मजा तो वह पूरा ले रही है लेकिन मंजिल पर पहुंचने की उत्सुकता अब बढ़ती जा रही है,,, लेकिन कैसे बढ़ा जाए कुछ समझ में नहीं आ रहा है,,,,।
यही सब सोचते हुए सुगंधा रोज की तरह ही,, अपने पसंद से एक-एक करके सारे कपड़ों को उतार कर एकदम नंगी हो गई और अपने दोनों टांगों को फैला कर अपनी उंगली से अपनी जवानी की आग को शांत करने की नाकाम कोशिश करने लगी वह जानती थी कि जब तक उसकी बुर में मोटा तगड़ा लंड नहीं घुसेगा तब तक यह आग भडकती रहेगी,,,, एक अजीब सी स्थिति हो जाती है जब इंसान को पता हो कि उसका इलाज क्या है और सब कुछ उसके पास में करीब में होने के बावजूद भी वह अपना इलाज उचित ढंग से ना कर पाए यही उसकी सबसे बड़ी बदकिस्मती होती है और इस समय सुगंध अपने आप को सबसे बड़ी बस किस्मत समझ रही थी,,,, वह अपने मन में सोचने लगी कि अब उसे ही कुछ करना होगा,,, जैसा कि वह पहले भी सोच चुकी थी और उस दिशा में अपने कदम बढ़ाती भी थी लेकिन कुछ दूरी पर जाकर उसके कदम खुद ब खुद रुक जाते थे।
सुबह सबसे पहले अंकित की आंख खुली,,,, लेकिन उसने महसूस किया कि घर में किसी भी प्रकार का चल-पा नहीं हो रहा था किसी प्रकार की हलचल नहीं थी कोई शोर शराबा नहीं था जिसका मतलब साफ था कि अभी घर में सब सो रहे हैं और वैसे भी किसी को कहीं जाना तो था नहीं इसलिए चैन की नींद सो रहे थे स्कूल में छुट्टी पड़ चुकी थी इसलिए उसकी मां भी निश्चित थी लेकिन उसका मन हुआ कि चलो थोड़ा- बाहर टहल लिया जाए,,,,, इसलिए वह अपनी बिस्तर से उठ कर बैठ गया और फिर अपनी आलस को मारते हुए धीरे से बिस्तर पर से उठकर खड़ा हो गया,,, दीवार पर टंगी घड़ी पर देखा तो अभी 5:00 बज रहे थे,,, शायद आज वह जल्दी ही उठ गया था,,, बाहर अभी भी अंधेरा था इसलिए वह सोचा कि थोड़ी देर बैठ जाऊं फिर उठ कर चला जाऊंगा और यही सोचकर वह फिर से बैठ गया।
सुबह-सुबह अचानक उसके मन में उसकी मां के बारे में ख्याल आने लगा राहुल की बातें याद आने लगी उसे औरत की स्थिति का ज्ञान होने लगा, वह समझ रहा था कि उसकी मां चुदवाने के लिए तड़प रही है,,, उसे अपनी मां की स्थिति का अच्छी तरह से एहसास था वह जानते थे कि उसकी मां बिना पति के बरसों से इसी तरह से अपना जीवन गुजार रही थी,,, उसके मन में भी जिस्म की चाहत जगती होगी,,, वह भी अपनी बुर में लंड लेना चाहती होगी तभी तो बस में उसकी गांड के बीचों बीच लंड घुसने के बावजूद भी उसने बिल्कुल भी रोकने की कोशिश नहीं की थी अगर उसे यह सब खराब लगता तो इस समय वह मुझे अपने आप से दूर रहने के लिए बोलती मुझे डांट लगाती लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ था,, बल्कि बस में अच्छी तरह से एहसास हो रहा था कि वह खुद अपनी गांड को उसकी तरफ ठेल रही थी,,, इन सब बातों को याद करके अंकित अपने मन में सोच रहा था कि अगर वह घटना घर में घटी होती तो शायद उसकी मां अपने हाथों से अपनी साड़ी कमर तक उठा देती और अपने हाथ से लंड को पकड़ कर अपनी बुर पर सटा दी होती,,,
और अगर सच में उसके मन में ऐसा कुछ ना होता तो वह अपने भाई के घर खिड़की पर आधी रात को खड़ी होकर चुदाई का नजारा ना देख रही होती,,,, इन सब बातों को सोचकर अंकित अपने आप में ही दुखी हो रहा था और उत्सुक भी हो रहा था क्योंकि उसे इतना तो पता चल गया था कि उसकी मां चुदवाना चाहती है लेकिन आगे बढ़ने से डर रही है शायद शर्म और संस्कार की वजह से वह अपने आप को ऐसा करने से रोक रही है अगर ऐसा है तो उसे ही कुछ करना होगा उसे ही इस खेल को पूरा करना होगा क्योंकि वह भी तो यही चाहता है,,,, एक बेटा होने के शायद वह ऐसा ना कर सके लेकिन एक मर्द होने के नाते वह ऐसा जरूर कर पाएगा ऐसा उसके मन में पूरा विश्वास था और वह भी यही चाहता ही था,, इन सब बातों को सोचकर सुबह-सुबह अंकित उत्तेजित हो गया था,,, और तकरीबन 10 15 मिनट गुजर भी चुके थे इसलिए वह धीरे से अपनी जगह से उठकर खड़ा हो गया और अपने कमरे से बाहर आ गया,,, अपनी मां के कमरे से गुजरते हुए वह अपने मन में सोचा कि एक बार देख लो कि उसकी मां सो रही है या जाग रही है अगर जाग रही होगी तो जाते समय बोल दूंगा कि दरवाजा बंद कर ले,,, ऐसा सोचकर वह अपनी मां के कमरे के सामने खड़ा हो गया।
वह दरवाजे पर दस्तक दिए बिना अपनी मां को आवाज लगाकर जागना चाहता था और यह देखना चाहता था कि वह सो रही है कि जाग रही है लेकिन तभी ऐसा सोचते हुए उसका एक हाथ दरवाजे पर
अपने आप ही स्पर्श हो गया और उसके स्पर्शों से ही दरवाजे का एक पल्ला धीरे से खुलने लगा,, दरवाजे का पल्ला खुलने की वजह से अंकित को लगने लगा कि उसकी मां जग रही होगी तो उसे खाने में आसानी होगी इसलिए वह एक पल्ला पूरी तरह से खुलने दिया और कमरे के अंदर देखने लगा अंदर लाल कलर का हल्के वोल्टेज का गोला जल रहा था जिसकी रोशनी में सब को साफ दिखाई दे रहा था लेकिन फिर भी अंदर का दृश्य सबको साफ दिखने में कुछ पल का समय लगा।
और जैसे ही अंदर का दृश्य एकदम साफ होने लगा अंकित के दिल की धड़कन एकदम से बढ़ने लगी उसकी नजर कमरे के एक तरफ के दीवार से सटे हुए बिस्तर पर पड़ी जिस पर उसकी मां सो रही थी लेकिन बिना कपड़ों के एकदम नंगी उसके पसंद से साड़ी उसका ब्लाउज उसका पेटिकोट सब कुछ बिस्तर के नीचे बिखरा पड़ा हुआ था और उसकी मां पीठ के बाल एकदम आराम से गहरी नींद में सो रही थी इस नजारे को देखकर तो अंकित का दिल और जोरो से धड़कने लगा उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि उसकी मां इस तरह से सारे कपड़े उतार कर नंगी होकर क्यों सो रही है,,,, उसके दिल की धड़कन कैसा लग रहा था कि उसका साथ नहीं दे पा रही थी और बेकाबू होकर चल रही थी। पर धीरे-धीरे आगे की तरफ बढ़ रहा था।
और जैसे-जैसे अपनी मां के बिस्तर की तरफ बढ़ रहा था वैसे उसे दिल की धड़कन बढ़ती जा रही थी,,, उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह आगे बढ़ेगा इसी समय दबे पांव वापस लौट जाए क्योंकि उसकी मां के उठने का समय हो गया था अगर ऐसी हालत में उसकी भीख खुल गई और उसे इस तरह से अपने कमरे में देख ली तो पता नहीं क्या समझेंगी यही सब सोच कर उसका दिल जोरो से धड़क रहा था,,,, कुछ पल के लिए अपनी मां को इस तरह से अस्त्र-व्यस्त हालत में सोता हुआ देखकर अंकित के मन में कुछ और सबका होने लगी वह अपने मन में सोचने लगा कि कहीं उसकी मां के कदम सच में जगमगा तो नहीं गए हैं कहीं सच में उसकी मां अपनी जवानी की आग को अपने हाथों से बुझा पानी में असमर्थ तो नहीं हो गई है कहीं ऐसा तो नहीं की एकदम चुदवासी होकर वह कोई गलत कदम तो नहीं उठा ली,,, गलत कदम उठा लेने से अंकित का मतलब था कि कहीं कोई गैर मर्द तो नहीं है जो उसकी मां की प्यास बुझा रहा हो।
जिस तरह के हालात थे अंकित का दिल शंका से भरा जा रहा था उसे लगने लगा था की कही वाकई में ऐसा तो नहीं हो गया,,, अंकित को इस बात का एहसास था कि उसकी मां महीनो से प्यासी थी प्यासी तो वह बरसों से थी लेकिन कुछ महीनो से अंकित को इस बात का एहसास हो रहा था कि उसकी मां के बदन में चुदास की लहर कुछ ज्यादा ही बढ़ने लगी है,,, और अपने दोस्त राहुल से उसने सुना था कि औरत जब प्यासी होती है तो वह घर में ही अंग प्रदर्शन करती है किसी ने किसी बहाने से घर के जवान लड़की को अपने अंगों को दिखाने की कोशिश करती है ताकि उसके अंगों को देखकर रीझकर वह घर की औरत के बदन की प्यास बुझा सके उसे खुश कर सके,,, उसे संतुष्ट कर सके,,, उसकी जवानी की आग को अपने मर्दाना अंग से
बुझा सके,,,।
और यही सब सोच कर वह हैरान हुआ जा रहा था। उसके दिल की धड़कन बढ़ने लगी थी उसके चेहरे के भाव एकदम से बदलने लगे थे जहां उत्तेजना का एहसास उसके चेहरे पर दिखाई दे रहा था वही चिंता की लकीरें भी उसके चेहरे पर स्पष्ट दिखाई देने लगी थी।
वह अपने मन में सोच कर हैरान हो रहा था कि उसके दोस्त की बताई सभी हरकत है तो उसकी मां उसके सामने कर रही थी,,, उसके सामने अंक प्रदर्शन करना उसके सामने बैठकर पेशाब करना,,, नंगी गांड दिखाना यह सब तो उसकी हरकत में शामिल था यह सब को जानबूझकर उसे दिखा रही थी उसे अपनी तरफ रीझा रही थी ताकि अपनी जवानी की आग को अपने बेटे से बुझा सके,,, लेकिन वही मूर्ख था जो अपनी मां के इशारों को नहीं समझ पाया और आज उसकी मां दूसरी औरतों की तरह दूसरे मर्द का सहारा लेने लगी,,, अब तो यह सब सोच कर अंकित की हालत और ज्यादा खराब होने लगी उसे अपने आप पर गुस्सा आने लगा उसे यही लगने लगा था कि उसकी मां रात को किसी दूसरे मर्द को अपने कमरे में बुलाती है और रात भर चुदवाती है तभी तो इस समय वह नंगी होकर सो रही है उसके कपड़े बिस्तर के नीचे बिखरे पड़े हैं,,,, उसे इस समय अपनी मां पर नहीं बल्कि अपने आप पर ही गुस्सा आ रहा था वह अपने आप को ही कोस रहा था और अपने मन में सोच रहा था कि अगर वह अपनी मां के ईशारे को समझ जाता या थोड़ी हिम्मत दिखता तो आज उसके कमरे में वह होता कोई दूसरा मर्द नहीं,,,,।
यही सब सोचते हुए अपनी मां के बेहद करीब पहुंच चुका था एकदम बिस्तर के पास उसकी मां एकदम नंगी बेसुध होकर सो रही थी उसकी दोनों टांगे खुली हुई थी वह एकदम चित होकर सो रही थी जिसे उसकी बुर एकदम साफ दिखाई दे रही थी और साथियों की शोभा बढ़ा रही है उसकी चूचियां पानी भरे गुब्बारे की तरह उसकी छातियों पर लहरा रही थी,, यह सब देख कर अंकित के मुंह में पानी आ रहा था और उसकी उत्तेजना बढ़ती जा रही थी,,,, फिर उसके मन में ख्याल आया कि ऐसा भी तो हो सकता है कि वह खुद अपने हाथों से अपनी जवानी की प्यास बुझा रही हो। क्योंकि ऐसा तो होगा खुद भी कर चुका है और ऐसा करते समय वह भी अपने बदन से सारे कपड़े उतार कर फेंक देता है और अपने लंड को अपने हाथ से हिलाता है मुट्ठीयाता है,,, अब उसके मन में दो-दो ख्याल चल रहे थे....
वह समझ नहीं पा रहा था कि क्या सच है लेकिन उसे अपनी मां पर पूरा विश्वास था वह जानता था कि उसकी मां इस तरह के कदम नहीं उठा सकती समझ में उसकी बदनामी हो ऐसा कोई कदम नहीं उठा सकती और ऐसे हालात में तो वाकई में कमरे में किसी गैर मर्द को बुलाना अपनी इज्जत को खुद अपने हाथों से नीलाम करने जैसा हो जाता जब उसके मन में इस तरह का ख्याल आया तब जाकर उसके चेहरे पर शांति का आभास होने लगा उसके चेहरे पर मुस्कुराहट तैरने लगी क्योंकि उसे लगने लगा था कि अगर ऐसा कुछ होता तो उसे जरूर है कुछ ना कुछ ऐसा कुछ जरूर होता है कि नहीं ऐसा कुछ भी नहीं हुआ था,,,,।
अपने मन में इस तरह का ख्याल आते ही उसका मन शांत होने लगा और वह बड़े गौर से अपनी मां की दोनों टांगों के बीच की पतली लकीर को देखने लगा जो की सोते हुए भी उत्तेजित अवस्था में कचोरी की तरफ फुल गई थी,,,, अंकित के दिल की धड़कन फिर से बढ़ने लगी थी,,, इस समय उसकी मां की गुलाबी बुर दुनिया के सबसे हसीन और बेशकीमती खजाना लग रही थी,,, वह बड़ी गौर से अपनी मां के उस खूबसूरत अंग को देख रहा था जिसे पाने के लिए वह खुद तड़प रहा था। इस समय उसका मन तो कर रहा था कि इसी समय अपनी मां की गुलाबी बुर पर अपने होठ रखकर एक चुंबन कर ले,,, लेकिन ऐसा करने से उसका मन घबरा रहा था क्योंकि अगर उसकी मां की आंख खुल जाती तो गजब हो जाता,,,, ऐसा वह सोच रहा था लेकिन सच में उसकी मां जा चुकी थी उसे एहसास हो गया था कि उसका बेटा उसके बेहद करीब है और वह जिस अवस्था में सोई हुई है वाकई में यह फल उसके लिए बेहद उत्तेजनात्मक है।
सुगंधा अपनी आंखों को खोल नहीं रही थी क्योंकि वह जानती थी कि अगर इस समय अपनी आंखों को खोल देगी तो उसका बेटा तुरंत कमरे से बाहर निकल जाएगा और वह देखना चाहती थी कि इस समय उसका बेटा क्या करना चाहता है क्योंकि ऐसा नजारा उसका बेटा पहले भी देख चुका था और आज वह देखना चाहती थी कि उससे बढ़कर आज उसकी कोई हरकत देखने को मिलती है या अभी भी वह पूरी तरह से बुद्धू है,,,, उसकी मां अपने बेटे में सुधार देखना चाहती थी उसकी हिम्मत को बढ़ते हुए देखना चाहती थी जैसा की बस में उसने थोड़ा बहुत हिम्मत दिखाया था,,,,,वह अपने मन में सोच रही थी कि अगर आज ऐसा कुछ हो जाता है तो आज ही वह अपने बेटे के लिए अपनी दोनों टांगों को खोल देगी भले ही इसके लिए उसे एकदम बेशर्म बनना पड़ेगा लेकिन अब वह पीछे नहीं है सकते इसलिए अपनी आंखों को बंद किए हुए थे और इस पल का आनंद ले रहे थी ।
दूसरी तरफ अंकित इस बात से अआस्वस्त था कि बहुत देर हो चुका था उसे अपनी मां के कमरे में आए लेकिन उसकी मां के बदन में जरा भी हलचल नहीं हो रही थी जिसका मतलब साफ था कि उसकी मां एकदम घोड़े बेच कर सो रही थी एकदम गहरी नींद में सो रही थी,,, यह एहसास होते ही अंकित के दिल की धड़कन बढ़ने लगी थी उसकी हिम्मत भी बढ़ने लगी थी वह धीरे से अपनी मां की खूबसूरत चेहरे की तरफ देखा उसके खूबसूरत रेशमी बालों की लटे उसके चेहरे पर आ चुकी थी,, और पंखे की हवा में इधर-उधर लहरा रही थी जिसकी वजह से उसकी मां की खूबसूरती और ज्यादा बढ़ जा रही थी,,,, लेकिन इस समय बेहद नाजुक क्षण था बहुत कम समय था और वह अपनी मां की खूबसूरत बालों की लटो में उलझना नहीं चाहता था उसे तो झांट के बाल में उलझना अच्छा लग रहा था,,,।
अंकित ने यहां पर एक बात पर ध्यान दिया था कि उसकी मां की बुर एकदम चिकनी थी उस पर बाल का रेशा तक नहीं था इसका मतलब साफ था कि उसकी मां निरंतर अपनी बुर की सफाई करती थी ताकि वह देखने में एकदम जंवा ताजा लगती रहे,,, लेकिन अब अंकित अपना समय बर्बाद नहीं करना चाहता था अब आगे बढ़ना चाहता था वह धीरे-धीरे अपनी मां की दोनों टांगों के बीच झुकने लगा और तिरछी नजर से अपनी मां के चेहरे की तरफ देख रहा था कि कहीं उसकी आंख ना खुल जाए,,,, उसे नहीं मालूम था कि अगर इस समय उसकी मां की आंख खुल जाएगी तो वह क्या जवाब देगा की क्या करने उसके कमरे में आया था ऐसा हुआ कुछ सोचा नहीं था बस इस समय अपनी मां को नंगी सोता हुआ देखकर उसकी हिम्मत बढ़ रही थी। रहरहकर वह अपनी सांसों को दुरुस्त करने के लिए गहरी गहरी सांस लेने लग जा रहा था क्योंकि उसकी सांसों की गति इस समय कुछ ज्यादा ही तेज चल रही थी उसे खुद की दिल की धड़कन की आवाज सुनाई दे रही थी।
अंकित की हिम्मत बढ़ने लगी और वह धीरे से अपनी हथेली को अपनी मां की गुलाबी बुर की तरफ आगे बढ़ने लगा लेकिनउसके हाथों में उत्तेजना की कंपन थी एक डर था अपनी मां के जग जाने का और उत्सुकता थी कि कैसा महसूस होता है अपनी मां की बुर पर हथेली रखने पर जिसका मिला जुला एहसास अंकित के चेहरे पर दिखाई दे रहा था। अंकित की हथेली उसकी मां की दोनों टांगोंके बीच पहुंच चुकी थी उसकी बुर और हथेली में केवल चार अंगूल का ही फासला था लेकिन तभी अंकित के मन में डर की भावना बढ़ने लगी उसे एहसास होने लगा कि अगर उसकी मां जग गई तो गजब हो जाएगा और वह अपने कदम पीछे लेने के बारे में सोच ही रहा था कि तभी उसे ख्याल आने लगा।
कि अगर वास्तव में उसकी मां को एक मर्द की जरूरत है और अगर ऐसे में वह अपने कदम पीछे ले लेता है तो कुछ देर पहले अपनी मां के कमरे में दाखिल होने के बाद जो शंका है उसके मन में जाग रही थी वह शंका भी सच साबित हो जाएगी और उसकी मां अपनी जवानी की आग बुझाने के लिए किसी गैर मर्द की बाहों में पिघलने लगेगी अगर ऐसा हो गया तो उसे अपनी जवानी पर अधिकार होगा अपनी मर्दानगी पर धिक्कार होगा कि उसके होते हुए भी किसी गैर मर्द का सहारा उसकी मां को देना पड़ रहा है यही सब सोचकर वह एकदम से रुक गया और अगले ही पल वह अपनी हथेली को अपनी मां की बुर पर रख दिया जो कि एकदम दहक रही थी तप रही थी,,, अंकित को यह पल एकदम मदहोश कर देने वाला लग रहा था वह एकदम से गहरी सांस लेने लगा उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें।
और दूसरी तरफ सुगंधा की हालत खराब होती चली जा रही थी उसका मन कर रहा था कि अपनी आंखों को खोल दे और अपने बेटे के हाथ को अपनी बर पर ही पकड़ ले और उसे अपनी बाहों में खींच ले और सारी हसरतों को पूरा कर ले लेकिन वह इससे ज्यादा अपने बेटे की हरकत को देखना चाहती थी लेकिन जिस तरह की हरकत उसने किया था पूरी तरह से उसकी नसों में मदहोशी का रस खोल दिया था बड़ी मुश्किल से वह अपनी उत्तेजना पर काबू कर पाई थी,,,, अपने बेटे की गरम हथेली को अपनी गरम बुर पर महसूस करके वह पागल हुए जा रही थी। उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें बस बेसुध होकर चित लेटी हुई थी,,, उसकी भी सांस ऊपर नीचे हो रही थी लेकिन वह बड़ी मुश्किल से अपनी सांसों को तेज चलने से रोकी हुई थी क्योंकि वह जानती थी कि अगर ऐसा हो गया तो उसके बेटे को शक हो जाएगा कि उसकी मां जाग रही है। सुगंधा भी अपने आप पर पूरी तरह से काबू किए हुए थी।
दूसरी तरफ अंकित ने जब देखा कि हथेली को बुर पर रखने के बावजूद भी उसकी मां के बदन में जरा भी हल-चल नहीं हुआ है तो उसकी हिम्मत बढ़ने लगी,,,, और वह अपने बदन में पहले से ही अत्यधिक उत्तेजना का अनुभव कर रहा था उसकी मां की बुर की गर्मी उसके बाद में और भी ज्यादा उत्तेजना का एहसास दिला रही थी और वह उत्तेजना के चलते अपनी हथेली में अपनी मां की बुर को एकदम से जोर से दबोच लिया,,, ऐसा करने में अंकित को बहुत मजा आया लेकिन वह एकदम से घबरा गया था क्योंकि वह ऐसा करना नहीं चाहता था बस अपने मां पर काबू नहीं कर पाया था लेकिन फिर भी जब देखा कि उसकी मां इतने से भी नहीं जागी है तो उसके मन में प्रसन्नता के भाव नजर आने लगे वह खुश होने लगा,,,, अब उसकी हिम्मत और बढ़ने लगी मन तो उसका कर रहा था किसी से मैं अपनी मां की दोनों टांगें खोलकर उसकी बुर में अपना लंड डाल दे और जो होगा देखा जाएगा लेकिन ऐसा करना उचित नहीं था,,।
क्योंकि वह अपनी मां के सामने अपनी बुद्धि का प्रदर्शन पहले ही कर चुका था अपने मामा और मामी की चुदाई को देखकर,,, उस समय उसे नजारे को देखकर हुआ अपनी मां से पूछ बैठा था कि वह दोनों क्या कर रहे हैं और अगर इस समय वहां वही दृश्य को दोहराएगा तो उसकी मां क्या समझेगी लेकिन फिर अपने सवाल का जवाब उसके मन में आ चुका था वह अपनी मां से वही बोलेगा जरूर समय उसकी मां उसे जवाब दी थी कि उसकी मामी बहुत परेशान है और उसके मामा उसकी परेशानी दूर कर रहे हैं,,,, लेकिन एक सवाल और खड़ा हो जाता है कि उसकी मां कहां परेशान नजर आ रही है जो वह इस तरह से उसकी परेशानी दूर कर रहा है इस तरह का ख्याल से ही वह अपने मन में से ईस युक्ति को निकाल दिया,,। और उठकर खड़ा हो गया क्योंकि उसकी मां के उठने का समय हो चुका था। वह अपने मन में सोच रहा था कि इतना तो बहुत है उसके लिए इस समय उसके पेंट में पूरी तरह से तंबू बन चुका था।
और दूसरी तरफ सुगंधा सोच रही थी कि उसका बेटा अपनी हरकत को थोड़ा और बढ़ाया उसकी बुर में उंगली डालें लेकिन वह तो ऐसा करने से पहले उठकर खड़ा हो गया था और यह सब सुगंधा अपनी आंख को हल्के से खोलकर देख रही थी उसके मन में निराशा जगने लगी थी,,,, लेकिन तभी अंकित को न जाने क्या हुआ वह तुरंत फिर से नीचे झुक गया और अपनी मां की दोनों टांगों के बीच अपना चेहरा ले जाने लगा उसकी हिम्मत बढ़ने लगी थी और यह सब हल्के से आंखों को खोलकर सुगंधा देख रही थी सुगंधा के दिल की धड़कन भी बढ़ने लगी थी जब उसका बेटा अपनी चेहरे को उसके दोनों टांगों के बीच ले जा रहा था उसके मन में अजीब सी हलचल हो रही थी उसे इस बात का डर था कि कहीं वह एकदम से कसमसा नी जाए उसके बदन में हलचल न होने लगे,,,, लेकिन जैसे तैसे करके वह अपने आप को काबू में किए हुए अपने बेटे की हरकत को देख रही थी,,,,।
और उसका बेटा मन में जैसे दृढ़ निश्चय कर लिया हो कि अब जो होगा देखा जाएगा,,, और अगले ही पल उसने को हरकत कर दिया इसके बारे में सुगंध कभी सोच भी नहीं करती थी अंकित अपने प्यासे होठों को अपनी मां की बुर पर रख दिया था और गहरी गहरी सांस ले रहा था अपने बेटे के होंठ को अपनी गुलाबी पर पर महसूस करते ही सुगंध एकदम से गनगना गई थी उसे ऐसा महसूस हो रहा था कि जैसे उसकी बुर के अंदर अत्यधिक खुजली हो रही हो और वह अपनी बुर को अपने हाथों से अपनी उंगली को उसमें डालकर खुजलाना चाहती थी लेकिन अपने आप को किसी तरह से वह रोक रह गई थी और अंकित इस पल को पूरी तरह से जी लेना चाहता था अपनी मां की बुर पर अपने होठ को रखकर वह गहरी गहरी सांस ले रहा था और बुरे की गहराई से उठ मादक खुशबू को अपने नसों से अपनी छाती मैं उतार ले रहा था,,,, बर से उठ रही मादक खुशबू सिर्फ खुशबू नहीं थी एक नशा था जिसका कोई तोड़ नहीं था,,, और अंकित उसे नशे को जी भर के अपने अंदर ले रहा था।
ऐसी खुशबू का एहसास हुआ पहले भी महसूस कर चुका था सुमन की बुर से सुमन की बुर को अपने होंठ से अपनी जीभ जी भर के चाट चुका था इसलिए वह जानता था कि औरत की बुर चाटने में कितना आनंद देती है। लेकिन इस समय अंकित को घबराहट हो रही थी वह समझ नहीं पा रहा था कि इस समय वह अपनी मां के बुरे पर अपनी जीभ फिराए कि ना फिराए क्योंकि ऐसा करने में उसकी मां जा सकती थी लेकिन इस समय वह अपनी उत्तेजना को काबू भी नहीं कर पा रहा था वह जिस तरह से अपनी हिम्मत दिखाया था वह अपनी हिम्मत का आनंद भी ले लेना चाहता था वह अपनी मां की बुर को चाट लेना चाहता था पहले ही एक बार ही सही अपनी मां की बुर पर अपनी जीभ को घूमा लेना चाहता था,,,, इसलिए अपनी हिम्मत को आगे बढ़ाने के लिए वह अपनी नजर को उठाकर अपनी मां की तरफ देखने लगा कि कहीं वह जाग तो नहीं रही है लेकिन जैसे ही वह अपनी नजरों को ऊपर की तरफ करना चाहो वैसे ही सुगंधा अपनी आंखों को तुरंत बंद कर ली और फिर से गहरी नींद में होने का नाटक करने लगे और अपनी मां के खूबसूरत चेहरे को देखकर अंकित समझ गया कि उसकी मां वाकई में एकदम घोड़े बेचकर सो रही है इसलिए उसकी हिम्मत बढ़ने लगी ,,,, और वैसे भी बाराती बनकर जो और वहां पर भोजन न करो तो बाराती बनने का कोई मतलब ही नहीं होता।
इसलिए इस मौके का पूरा फायदा अंकित उठा लेना चाहता था और इसीलिए अपनी मां की तरफ देखते हुए वह अपनी जीप को बाहर निकाला और अपनी मां की बुर की पतली दरार के ऊपर, ऊपर से नीचे तक नीचे लगाकर चाटना शुरू कर दिया और उतेजना के मारे वैसे भी उसकी बुर से मदन रस की बूंद बाहर निकल रही थी लेकिन यहां पर सुगंधा के लिए बेहद उत्तेजनात्मक और बदहवास कर देने वाला था वह पूरी तरह से पागल हुए जा रही थी बरसों के बाद एक तो पहली बार उसकी बुर पर किसी मर्दाना होठों का स्पर्श हुआ था। इसलिए उसका बावली होना लाजमी था वह अपनी उत्तेजना जना पर काबु पाने में असमर्थ साबित हो रही थी,,,, उससे रहा नहीं जा रहा था वह अंदर ही अंदर तड़प रही थी,,, उसका मन कर रहा था कि अपने दोनों हाथों से अपने बेटे का कर पकड़ कर अपनी कमर को गोल-गोल हिलाते हुए अपनी बुर को उसके चेहरे पर रगड़ डालें,,,,।
अंकित पूरी तरह से दीवाना हो चुका था मदहोश चुका था उत्तेजना के सागर में डुब चुका था,,, वह कभी सपने में नहीं सोचा था कि इस तरह से वह अपनी मां के कमरे में आएगा और इस तरह की हरकत कर बैठेगी वह ऐसी हरकत ना भी करता है अगर उसकी मां के बदन पर पूरे कपड़े होते तो अपनी मां को लग्न अवस्था में देखकर ही वह इस तरह के कदम उठाया था लेकिन ऐसा करने में से अद्भुत आनंद की प्राप्ति हो रही थी वह तीन चार बार अपनी मां की बुर को चाटा और एकदम से उठकर खड़ा हो गया,,, सुगंधा के लिए यही मौका था वह अपने बेटे को अपनी बाहों में भर लेना चाहती थी उसके साथ मिलकर अपने अरमान को पूरा कर लेना चाहते थे लेकिन वह अभी इस बारे में सोच ही रही थी की फुर्ती दिखाता हुआ उठकर खड़ा हो गया था वैसे तो उसकी मां इस समय अपनी मां के कमरे से बाहर जाने का बिल्कुल भी नहीं कर रहा था लेकिन उसके इस तरह से उठकर खड़े हो जाने में बहुत बड़ा कारण था क्योंकि उसकी बहन के कमरे का दरवाजा खोलने की आवाज और तुरंत ही बाथरूम के बंद होने की आवाज उसके कानों में सुनाई दी थी वैसे तो वह इतनी मदहोशी में था कि इस तरह कि आवाज उसे ठीक तरह से सुनाई नहीं देती लेकिन फिर भी उसे एहसास हो गया था कि उसकी बहन बाथरूम में गई है,,,,।
इसलिए मन होने के बावजूद भी उसका यहां रुकना ठीक नहीं था और वैसे भी जिस तरह से उसकी मां घोड़े बेचकर सो रही थी उसकी हिम्मत और बढ़ती जा रही थी उसके मन में इससे भी ज्यादा करने की इच्छा जागरुक हो चुकी थी लेकिन अब उसका यहां रुकना ठीक नहीं था और वैसे भी अब सुबह पूरी तरह से हो चुकी थी इसलिए वह तुरंत अपनी मां के कमरे से बाहर निकल गया था,,,, सुगंधा भी मदहोशी में इतना डूब चुकी थी कि उसे भी तृप्ति के कमरे के खुलने की आवाज ठीक तरह से सुनाई नहीं देती लेकिन अपने बेटे के घर से बाहर जाते ही उसे बाथरूम का दरवाजा खुलने की आवाज सुनाई दी थी और वह समझ गई थी कि उसका बेटा इस तरह से क्यों चला गया और इस समय उसे अपनी बेटी पर थोड़ा गुस्सा आ रहा था,,,, लेकिन वह कर भी क्या सकती थी शायद उसकी किस्मत में इतना ही लिखा था लेकिन फिर भी बदल में जिस तरह की उत्तेजना के तूफान को उसके बेटे ने जगा कर गया था उसे शांत करना बेहद जरूरी था लेकिन इस समय वह दरवाजा भी खुला था जिसे वहां रात को अनजाने में ही खुला छोड़ दी थी और अपने मन में सोचने लगी कि अच्छा हुआ कि अनजाने में ही वह दरवाजा खुला छोड़ दी थी अगर खुल न छोड़ दी होती तो शायद इस तरह का सुख इस समय वह भोग नहीं पाती।
लेकिन अपने बेटे का अधूरा काम उसे पूरा करना था इसलिए नग्न अवस्था नहीं हुआ फिर बिस्तर से उत्तर खड़ी हो गई और तुरंत जाकर दरवाजा बंद करके कड़ी लगा दी और अपनी बिस्तर पर आकर अपनी दोनों टांगों को खोल दिया और अपनी उंगली चाहिए अपनी जवानी की गर्मी को शांत करने की कोशिश करने लगी और थोड़ी देर में जैसे ही वह झड़ गई वह गहरी सांस लेते हुए अपने आप को दुरुस्त की और अपने कपड़े पहन कर घर के काम करने में लग गई,।
नाश्ता तैयार होने के बाद उसका बेटा भी घर पर आ गया था और नहाने के लिए बाथरूम में चला गया था जब वह नहा कर तैयार होकर आया तो सुगंधा उस नजर मिलाने में थोड़ा शर्मा रही थी लेकिन तभी उसके मन में ख्याल आया कि अगर वह इस तरह की हरकत करेगी तो उसके बेटे को शक हो जाएगा आगे नहीं बढ़ पाएगा इसलिए वह अपने बेटे से एकदम सहज हो गई मानो के जैसे कुछ हुआ ही ना हो और वैसे भी अंकित की नजर में तो वह गहरी नींद में सो रही थी इसलिए उसे कुछ मालूम ही नहीं था।
बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर कामोत्तेजक अपडेट है भाई मजा आ गयाअंकित आज अद्भुत और अविस्मरणीय अनुभव प्राप्त कर लिया था और इस तरह के अनुभव के बारे में उसने कभी सोचा भी नहीं था,,,, एक अतुलनीय अनुभव जो उसके कल्पना से भी परे था कल्पना में भी अंकित ने इस तरह का अनुभव के बारे में कभी सोचा भी नहीं था जिस तरह का अनुभव उसे आज प्राप्त हुआ था वह अपने मन में यही सोच रहा था कि अच्छा हुआ कि आज उसकी नींद समय से पहले खुल गई थी वरना इस तरह के अनुभव से वह पूरी तरह से अनजान रह जाता,,, वैसे तो वहां सुमन की बुर चटाई का अनुभव ले चुका थाऔर उसे सुमन की बुर चाटने में भी बेहद आनंद की प्राप्ति हुई थी।
लेकिन अंकित को अपनी मां का अनुभव कुछ ज्यादा ही अद्भुत और मजेदार लग रहा था वह कभी सोचा भी नहीं था कि कमरे में जाने पर उसकी मां उसे बिस्तर पर नंगी मिलेगी,,, लेकिन अपने बिस्तर पर उसकी मां नंगी क्यों लेटी हुई थी इस बारे में इसका निष्कर्ष उसे ही कुछ समझ में नहीं आ रहा था लेकिन जो अनुभव उसे मिला था वह बेहद यादगार था। जिसके आगे वह सब कुछ भूल चुका था,,, अंकित क्या उसकी जगह कोई और होता तो उसकी भी यही हालत होती क्योंकि नजर ही कुछ ऐसा था,,, किसी भी जवान लड़की की आंखों के सामने अगर उसकी मां संपूर्ण रूप से नग्नावस्था में बिस्तर पर गहरी नींद में सो रही हो तो वह नजारा ही उसके लिए बेहद खास हो जाता है,,,, अंकित तो कमरे में प्रवेश करते ही बस देखता ही रह गया था लेकिन फिर भी उसकी बहादुरी और हिम्मत की दाद देनी पड़ेगी कि इस तरह के हालात में भी वह पूरी हिम्मत जताकर अपनी हरकत को अंजाम देने से नहीं चुका।
क्योंकि एक तरफ उसके मन में इस बात का डर था कि उसकी मां अगर जाग गई तो उसे अपने कमरे में और खुद को ईस अवस्था में देखकर ना जाने क्या समझेगी यह सब ख्याल मन में आने के बावजूद भी,,, अंकित अपनी मां की उत्तेजना और वासना को दबा नहीं पाया था जिसके चलते वह अपनी मां की मदहोश कर देने वाली कचोरी जैसी पूरी हुई पर्व पर अपनी होठ रखकर चुंबन करने से अपने आप को रोक नहीं पाया,,, इन सबके बावजूद भी यह क्रिया करने के बाद उसकी हिम्मत और ज्यादा बढ़ने लगी जिसके चलते वह अपनी जीत से अपनी मां की बुर में से निकल रहे मदन रस को चाट कर एकदम मस्त हो गया,,,, अंकित अपने आप को एकदम धन्य समझ रहा था और वाकई में इस समय वह अपने आप को सबसे भाग्यशाली समझ रहा था।
अपने बेटे की हिम्मत और उसकी हरकत को देखकर सुगंधा के तन बदन में उत्तेजना की लहर उठ रही थी उसके बेटे ने हरकत ही कुछ ऐसी करी थी,। उसने कभी सपने में भी नहीं सोची थी उसका बेटा इतनी हिम्मत दिखा पाएगा बरसों से प्यासी अपनी सूखी जमीन पर उसे अब लगने लगा था कि उसका बेटा हल चलाएगा जिससे उसकी भी जमीन एक बार फिर से उपजाऊ हो जाएगी,, सुगंधा बहुत खुश थी क्योंकि धीरे-धीरे ही सही उसके बेटे में हिम्मत बढ़ने लगी थी,,, और वह अपने मन में सोच रही थी कि अगर तृप्ति उठकर बाथरूम में ना गई होती तो शायद इससे भी ज्यादा उसका बेटा हरकत करता ,,, लेकिन आप उसके मन में यह निश्चित हो गया था कि उसका बेटा बुद्धू नहीं है अगर समय और हालात के मुताबिक चले तो वह भी एक अच्छा खासा मर्द बन सकता है जो उसकी प्यास बुझा सकता है बस उसे उकसाने की देरी है ऐसा मन में ख्याल आते ही सुगंधा के होठों पर मुस्कान तैरने लगी,,,।
ऐसे ही तीन-चार दिन गुजर गए मां बेटे दोनों एक दूसरे अनजान बनने का नाटक कर रहे हैं लेकिन दोनों अपनी अपनी कहानी को अच्छी तरह से जानते थे ऐसे ही एक दिन सुबह-सुबह मां बेटे और तृप्ति बैठकर चाय पी रहे थे तभी दरवाजे पर दस्तक होने लगी,,, सुगंधा को लगा कि उसकी पड़ोसन सुषमा होगी इसलिए अंकित से बोली,,,।
अंकित जाकर दरवाजा खोल दे तो बगल वाली सुषमा होंगी,,,।
(सुषमा का नाम सुनते ही अंकित की आंखों के सामने बाथरूम में नहा रही सुषमा आंटी का नंगा बदन दिखाई देने लगा हुआ एकदम से प्रसन्न हो क्या और उठकर दरवाजे की तरफ चला गया और जैसे ही दरवाजा खोला तो दरवाजे पर सुषमा आंटी नहीं बल्कि कोई और औरत थी जिसे पहचान में अंकित में बिल्कुल भी देर नहीं किया और एकदम से खुश होता हुआ बोला।)
अरे नानी जी आप यहां,,,(इतना कहते ही अंकित एकदम से झुक गया और अपनी नानी का आशीर्वाद लेने लगा,,, उसकी नानी भी उसे आशीर्वाद देते हुए बोली।)
खुश रहो बेटा आपको तुम बड़े हो गए हो शादी लायक हो गए हो,,,।
(चाय पी रही सुगंधा और तृप्ति दोनों लगभग भागते हुए दरवाजे पर आए और एकदम से खुश होते हुए वह दोनों भी एकदम चरण स्पर्श करने लगे,,,, सुगंधा को नहीं मालूम था कि उसकी मां आने वाली है इसलिए वह हैरान होते हुए बोली,,,)
तुम यहां कैसे ना कोई चिट्ठी ना खबर,,,,।
अब बेटी के घर आने के लिए चिट्ठी और खबर देनी पड़ेगी,,,,।
नहीं मां ऐसी बात नहीं है,,,(अपनी मां के हाथ से थैला लेते हुए,, सुगंधा बोली और अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोली,,,) फिर भी कोई खबर भिजवा देता तो मैं अंकित को लेने भेज देती स्टेशन पर,,,,
कोई बात नहीं छोटा आया था लेने उसी के घर तो दो दिन रहकर आ रही हूं,,।
नई तुम मामा के वहां गई थी,,,।
हां मैं पहले वही गई थी फिर बस पकड़ कर इधर आ रही हुं,,,,(अपनी नानी के मुंह से मां और बस का जिक्र होते ही अंकित की आंखों के सामने बस वाला नजारा घूमने लगा और यही ख्याल सुगंधा के मन में भी आने लगा था लेकिन फिर भी अपने आप को अास्वस्त करके सुगंधा बोली,,,)
चलो कोई बात नहीं आ तो गई,,,, मैं नहाने का पानी रख देता हूं नहा कर थोड़ा तरोताजा हो जाओ,,,।
ठीक है,,,,(इतना कहकर वह खुद ही कुर्सी लेकर बैठ गई और सुगंधा बाथरूम में पानी रखने लगी क्योंकि वह जानती थी कि 5 घंटे का सफर था तो नहाना जरूरी है,,,, थोड़ी देर इधर-उधर की बात करने के बाद वह बाथरूम में नहाने के लिए घुस गई अंकित अपनी नानी को बड़े गौर से देख रहा था और अपने मन में सोच रहा था कि उसकी मां बिल्कुल उसकी नानी की तरह दिखती है इतनी उम्र होने के बावजूद भी अभी भी गठीला बदन की मालकिन है,,, कोई कह नहीं सकता की इनकी उम्र निश्चित तौर पर कितनी है अपनी उम्र से 10 साल कमी लगती है और अगर एक साथ खड़ी कर दिया जाए तो मां बेटी दोनों बहन ही लगेगी।
थोड़ी देर में अंकित की नई नहा कर बाथरूम से बाहर आ गई थी,,, तब तक तृप्ति ने फिर से चाय बना कर तैयार करती थी थोड़ा सा चाय नाश्ता करने के बाद अंकित की नानी आराम करने लगी,,,, दोपहर का समय था इसलिए इतनी कड़ी धूप में कहीं जाना उचित नहीं था जिसके चलते तृप्ति अंकित और सुगंधा भी अपने-अपने कमरे में आराम कर रहे थे,,, लेकिन अंकित की नई अंकित के कमरे में आराम कर रही थी अंकित भी कमरे में प्रवेश किया उसकी नानी गहरी नींद में सो रही थी वह भी नीचे बिस्तर लगाकर सोने की तैयारी करने लगा,,,, लेकिन उसके मन में न जाने क्या हुआ वह एक बार उठकर खड़ा हो गया और अपनी नानी की तरफ देखने लगा अंकित बड़े गौर से अपनी नानी को देख रहा था वह गहरी नींद में सो रही थी गोल चेहरा गोरा बदन पता ही नहीं चलता था कि उम्र कितनी है सोने की वजह से ब्लाउज में से झांकता बड़ी-बड़ी चूचियां अभी भी कठोरता लिए हुए थी,,,,, अपनी नानी को देखकर अंकित के मन में अजीब सी उलझन होने लगी।
अंकित इस बात को अच्छी तरह से जानता था कि वह उसकी नानी है और उम्र दराज है लेकिन अपनी नानी के बदन की बनावट और बदन की गठीलापन को देखकर अंकित को अपनी नानी में एक खूबसूरत औरत नजर आ रही थी जिसे देखकर वह उत्तेजना का अनुभव कर रहा था फिर भी जैसे तैसे करके वह नीचे चटाई पर लेट गया,,,, शाम को जब उसकी नानी की आंख खुली तो वह बिस्तर से उठकर बैठ गई और नीचे देखी तो अंकित सो रहा था वह एकदम से बोली,,,।
अरे अंकित बेटा यह क्या तू नीचे क्यों सो रहा है,,,?
(इतने में अंकित की आंख खुल गई थी वह देखा तो उसकी नानी बिस्तर पर बैठी हुई थी पैर नीचे जमीन पर थी लेकिन साड़ी उनके घुटनों में फंसी हुई थी और घुटनों के नीचे उनकी मांसल पिंडलियां दिख रही थी,,, जिसे देखकर एक बार फिर से अंकित के बदन में उत्तेजना की लहर उठने लगी,,, जब अंकित की तरफ से कोई जवाब नहीं मिला तो एक बार फिर से उसकी नानी बोली,,,)
तुझे नीचे सोने की जरूरत नहीं थी मेरे पास में ही सो गया होता।
कोई बात नहीं नानी तुम गहरी नींद में सो रही थी इसलिए मैं उचित नहीं समझा,,।
अरे इसमें क्या हो गया मैं बिस्तर पर सोउं और तुम नीचे जमीन पर लेटो यह अच्छी बात नहीं है,,,।
कोई बात नहीं नानी आप खामखा परेशान हो रही है,,,।
खामखा परेशान नहीं हो रही है अच्छा बात नहीं है आइंदा से ऐसा मत करना और वैसे भी मैं यहां पर दो-तीन दिनों के लिए यहां ही हूं फिर गांव लौट जाऊंगी,,,।
क्या नानी से को दो-तीन दिनों के लिए मुझे तो लगा था कि आप 20-25 दिन रुकेंगी,,,
नहीं नहीं इतना दिन रुक कर क्या करूंगी गांव में बहुत काम रहता है खेतों में काम रहता है।
तो क्या आप खेतों में कामकरती हैं,,,।
खेतों में काम नहीं करती हूं लेकिन काम करवाती हूं सब देखना पड़ता है मजदूर लोगों को जो खेतों में काम करते हैं,,,।
यह सब तो नानाजी करते होंगे ना,,,, और बड़े वाले मामा भी करते होंगे,,,,।
बड़े वाले मामा कुछ नहीं करते मुझे और तेरे नाना कोई करना पड़ता है। इस बार सोच रही हूं की तृप्ति को अपने साथ ले जाऊं वैसे भी कॉलेज की छुट्टियां पड़ गई है। एकाद महीना रहकर कुछ रीति रिवाज सीख जाएगी और वैसे भी शादी के बाद यही सब काम आने वाला है,,,,,।
(तृप्ति को साथ में ले जाने की बात से और वह भी एक महीने के लिए,,, इस बात को सुनकर ही अंकित के दिल की धड़कन बढ़ने लगी क्योंकि ऐसे में घर में केवल वह और उसकी मां ही रह जाती तब कितना मजा आता है यही सोच कर वह अंदर ही अंदर खुश हो रहा था और अपनी नानी की बात सुनकर बोला)
आप सच कह रही हो नानी मैं तो कहता हूं ले जाना साथ में वह भी घूम लेगी,,,,।
चल कोई बात नहीं आज ही तेरी मां से बात करती हूं,,,।
(दोनों की बातचीत हो ही रही थी कि तभी दरवाजे पर तृप्ति आ गई और बोली)
नानी चाय नाश्ता तैयार हो गया है हाथ मुंह धो कर आ जाओ,,,,(इतना कहकर तृप्ति वहां से चली गई जिसे देखकर अंकित की नानी बोली,,)
शादी करने की उम्र तो हो गई है गांव में होती तो अब तक ईसके हाथ पीले हो गए होते,,,,। और शादी करने लायक तु भी हो गया है,,, हट्टा कट्टा नौजवान हो गया तू भी अगर गांव में होता तो अब तक तेरी भी शादी हो गई होती।
अपनी नानी के मुझे अपनी शादी की बात सुनकर वह शर्मा गया उसे शर्माते हुए देखकर उसकी नानी चुटकी लेते हुए बोली,,।
देखो तो सही कितना शर्मा रहा है,,,,,
(अपनी नानी की बात सुनकर अंकित मुस्कुराने लगा और फिर अंकित की नई कमरे से बाहर निकल गई और हाथ मुंह धोकर फिर से तीनों साथ में बैठकर इधर-उधर की बातें करते हुए चाय पीने लगे शाम को जब भोजन कर रहे थे तब अंकित की नानी बोली,,,)
सुगंधा मैं चाहती हूं कि मेरे साथ तो तृप्ति को भी गांव भेज दे और वैसे भी एक-दो साल में इसकी शादी करनी पड़ेगी गांव के रीति-रिवाज सीख जाएगी तो इसे भी आसानी होगी अपनी गृहस्ती बसाने में,,,,।
(तृप्ति अपनी नानी की बातें सुनकर बोली,,)
क्या नानी आप भी अभी तो मेरी पढ़ने की उम्र है,,,।
मैं जानती हूं लेकिन तेरी शादी की भी उम्र है,,,,,
कोई बात नहीं मां मैं तृप्ति को तुम्हारे साथ भेज दूंगी कुछ नहीं तो गांव घूम लेगी तो इसे भी अच्छा लगेगा,,,,,(सुगंधा यह बात बहुत सोच समझ कर बोली थी जो ख्याल कुछ देर पहले इस बात को सुनकर अंकित के मन में आई थी वही ख्याल सुगंधा के मन में भी चल रहा था वह भी घर में एकांत चाहती थी अपने बेटे के साथ ताकि उनका कार्यक्रम थोड़ा आगे बढ़ सके तृप्ति कुछ देर तक ना नुकुर करती रही और आखिरकार मान गई,,,,।
कुछ देर टीवी देखने के बाद सुगंधा अपने कमरे में सोने के लिए चली गई वैसे तो वह अपनी मां को अपने कमरे में सोने के लिए बोल रही थी लेकिन वह इनकार कर दी और बोली कि मैं अंकित के कमरे में सो जाऊंगी,,, त्रप्ति अपने कमरे में चली गई और अंकित और उसकी नानी अंकित के कमरे में आ गए कुछ देर दोनों इधर-उधर की बातें करने के बाद एक ही बिस्तर पर सो गए,,,, तकरीबन 1:30 बजे अंकित की नानी को पेशाब लगी तो उसकी आंख खुल गई लेकिन जब आंख खुली और उसे अपनी स्थिति का भान हुआ तो उसका दिल जोरो से धड़कने लगा वह करवट लेकर दरवाजे की तरफ मुंह करके सो रही थी और उसके ठीक पीछे अंकित सो रहा था लेकिन वह भी दरवाजे की तरफ लिया हुआ था ऐसे में उसका पूरा बदन उसके बदन से सटा हुआ था और अंकित की नानी को बहुत अच्छे से एहसास हो रहा था कि उसकी बड़ी-बड़ी गांड के बीच में बीच कुछ चुभ रहा है,,,, अंकित की नई उम्र के इस दौर में पहुंच चुकी थी कि उन्हें समझते देर नहीं लगी कि उनकी गांड के बीचों बीच चुभने वाली चीज क्या है,,,,।
उसे चीज के बारे में ख्याल आते हैं अंकित के नानी के भजन में अजीब सी हलचल होने लगी सरसराहट से बढ़ने लगी वह समझ गई थी कि उनकी गांड के पीछे-पीछे उसके नाती का लंड घुसा हुआ है अब यह समझ में नहीं आ रहा था कि यह हरकत उसने जानबूझकर किया था कि अनजाने में गहरी नींद की वजह से हो गया था वह देखना चाहती थी इसलिए उसे स्थिति में कुछ देर तक लेटी रही,,, वह जानती थी कि अगर वह जानबूझकर ऐसा कर रहा है तो उसकी हरकत और भी ज्यादा बढ़ेगी लेकिन कुछ देर तक किसी तरह से लेते रहने के बावजूद अंकित के बदन में बिल्कुल भी हलचल नहीं हुई तो वह समझ गई कि यहां अनजाने में हुआ है,,,, इसलिए वह धीरे से उठकर अंकित की तरफ देखिए वह वास्तव में गहरी नींद में सो रहा था उसे तो अपनी स्थिति का बहन भी नहीं था लेकिन कमरे में जल रहे लाल बल्ब की रोशनी में अंकित की नई एकदम साफ तौर पर देख पा रही थी कि अंकित के पजामे में अच्छा खासा तंबू बना हुआ था जिसे देखकर इस उम्र में भी अंकित की नानी की टांगों के बीच सुरसुराहट बढ़ने लगी थी,,,,।
कुछ देर तक वह अंकित के पजामे में बने तंबू को देखते रही,,, और फिर धीरे से बिस्तर से उठकर खड़ी हो गई और दरवाजा खोलकर बाथरूम में चली गई पेशाब करने के बाद और फिर से अपने बिस्तर पर आई और इस स्थिति में लेट गई फिर से एक अनुभव की चाह में लेकिन अंकित तो गहरी नींद में सो रहा था उसके साथ जो कुछ भी हुआ था वहां जाने में हुआ था इसलिए ऐसा दोबारा नहीं हुआ और इस बात का मलाल अंकित की नानी को हो रहा था क्योंकि पल भर में ही सही अंकित ने उसके बदन में उत्तेजना की लहर को प्रज्वलित कर दिया था। और वैसे भी अंकित की नानी कोई सीधी साधी औरत नहीं थी गांव में अच्छा दबदबा था खेती-बाड़ी ज्यादा होने की वजह से दूर-दूर तक उसकी नानी और उसके नाना का नाम था,,, उम्र के ईस पड़ाव में पहुंच जाने के बाद भी खेतों में काम करके और हमेशा बदन में स्फूर्ति रहने की वजह से अपनी उम्र से 10 साल कम ही लगती थी,,,, और उसके पति की तबीयत और शेयर उम्र के पड़ाव में जवाब दे गई थी इसलिए अपनी बीवी को खुश करने की ताकत उनके बगल में नहीं बची थी जिसके चलते कभी कभार अंकित की नई अपनी बदन की प्यास बुझाने के लिए विश्वासु मजदूर के साथ शारीरिक संबंध बना लेती थी,,,, आज न जाने क्यों अपने बेटी के जवान लड़के की हरकत की वजह से उनके बदन में उत्तेजना की लहर उठ रही थी,,,।
अनुभव से भरी हुई अंकित की नई अपनी गांड में चुदाई अपने ही नाती के लंड कि चुभन से उसकी मजबूती का अंदाजा लगा रही थी वह समझ गई थी कि उसकी टांगों के बीच मर्दाना ताकत से भरा हुआ मजबूत हथियार है जो किसी भी औरत की प्यास बुझाने में पूरी तरह से सक्षम है। अंकित की नई अपने आप को इस बात के लिए तैयार कर ली थी कि अगर अंकित अपनी हरकत को आगे बढ़ता है तो वह उसके साथ सारे संबंध बनाने के लिए पूरी तरह से तैयार थी लेकिन जो कुछ भी हुआ था वह नींद की वजह से हुआ था और अनजाने में हुआ था इस बात का दुख अंकित की नानी के चेहरे पर साफ दिखाई दे रहा था।
दूसरे दिन अंकित नाश्ता करके घर से यूं ही इधर-उधर घूमने के लिए निकल गया था और घूमते घूमते बाजार पहुंच गया था,,, बाजार में उसने देखा तो राहुल अपने कुछ दोस्तों के साथ हाथ में बैंट लिए हुए क्रिकेट खेलने के लिए जा रहा था अंकित का मन किया कि उसे आवाज देकर बुलाए और उसके साथ ही चल दे लेकिन फिर उसके मन में ख्याल आया कि अगर राहुल क्रिकेट खेलने जा रहा है तो घर में उसकी मां अकेली होगी और वैसे भी उसकी मां के साथ जाने अनजाने में मस्ती भरे पल उसने गुजारे थे और काफी दिन हो गया था उससे मुलाकात की इसलिए वह इस आवाज नहीं दिया और चुपचाप उसके घर की तरफ निकल गया,,,, थोड़ी देर में वह पैदल चलते हुए राहुल के घर पहुंच गया था और दरवाजे पर पहुंच कर डोर बेल बजाने लगा,,,,।
लेकिन पहली बार डोर बेल बजाने पर दरवाजा नहीं खुला दूसरी बार भी बजाने पर नहीं खुला तो अंकित निराश हो गया उसे लगा कि शायद,, राहुल की मां सो गई होगी लेकिन फिर भी एक बार आखिरी कोशिश करते हुए डोर बेल बजाय तो दरवाजा खुल गया और दरवाजे को खोलने वाली को देखकर अंकित उसे देखा ही रह गया पल भर में ही उसे एहसास हो गया कि राहुल की मां नहा रही थी और शायद इसीलिए दरवाजा नहीं खोल पाई थी और जल्दबाजी में वह अपने बदन पर केवल टावरक्षल लपेटकर ही दरवाजा खोलने के लिए आ गई थी। अंकित तो नूपुर को देखता ही रह गया,, नूपुर भी अंकित को देखकर मन ही मन खुश होने लगी और उसे इस बात की तसल्ली होने लगी कि चलो सही समय पर सही वस्त्र में वह अंकित के सामने आई है अंकित प्यासी नजरों से उसकी ऊभरी हुई छातियों को ही देख रहा था जो टावल में लिपटी हुई थी,,,।
बाथरूम में नूपुर नहा रही थी इसलिए उसका भजन पूरी तरह से गिला था और टावल लपेटने की वजह से टावल भी गीला हो चुका था और गीले टावल में नूपुर की चूची की कड़ी निप्पल एकदम साफ झलक रही थी। जिसे अंकित प्यासी नजरों से देख रहा था अनुभव से भरी हुई नूपुर समझ गई कि अंकित क्या देख रहा है इसलिए मुस्कुराते हुए बोली।
राहुल तुम यहां,,,?
जी आंटी जी यहीं से गुजर रहा था तो सोचा राहुल से मिलता चलु राहुल है क्या,,,?
राहुल तो नहीं है राहुल क्रिकेट खेलने गया है।
ओहहह (सब कुछ जानते हुए भी अनजान बनने का कोशिश करते हुए अंकित बोला) चलो कोई बात नहीं मैं फिर कभी मिल लुंगा,,,(इतना कहकर वह जाने ही वाला था कि नूपुर बोली,,)
क्यों तुम्हें राहुल से ही काम है मुझसे काम नहीं है,,,
ऐसी बात नहीं है आंटी जी,,, राहुल से मिलता हूं तो तुमसे भी तो मिल लेता हूं,,, और वैसे भी मैं माफी चाहता हूं आपको तकलीफ देने के लिए,,,।
तकलीफ किस बात के लिए,,,।
मतलब आंटी जी आप नहा रही थी और खामखा में आ गया और दरवाजा खोलना पड़ा,,,।
तो इसमें क्या हो गया,,, वैसे सच-सच बताना तुम्हें मैं कैसी लगती हूं,,,।
जी,,,,,!(एकदम आश्चर्य से फटी आंखों से नूपुर की तरफ देखते हुए)
हां कैसी लगती हूं बताओ ना वैसे मैं तुम्हें देखती हूं तुम मुझे घूरते रहते हो,,,।
जी,,,,जी,,,,, ऐसी कोई बात नहीं है,,,!(अंकित एकदम से घबराते हुए बोला)
नहीं ऐसी ही बात है अभी भी तुम मेरी चूचियों की तरफ देख रहे थे,,,,(नूपुर एकदम से बिंदास होते हुए बोल रही थी क्योंकि वह जानती थी लड़कों की आदत को उसका इस तरह से बिंदास बोलना ही लड़कों को पूरी तरह से गुलाम बनने पर मजबूर कर देता है और यही अंकित के साथ भी हो रहा था नूपुर किस तरह की बातें सुनकर तो उसके होश उड़ गए थे जिस तरह से उसने खोलकर चुची शब्द का प्रयोग की थी उसे सुनकर उसके तन बदन में आग लगने लगी थी ऐसा लग रहा था कि जैसे उसके खाने में कोई मधुर रस घोल दिया हो,,,, नूपुर की बातें सुनकर अंकित एकदम से घबराते हुए बोला,,,)
क्या बात कर रही हो आंटी जी ऐसी कोई भी बात नहीं है यह तो अनजाने में मेरी नजर,,,(इससे आगे अंकित कुछ बोल नहीं पाया तो नूपुर मुस्कुराते हुए बोली,,,,)
मैं सब समझता हूं अंकित तुम्हारे जैसे नौजवान लड़कों की नजर इधर-उधर भटकती ही रहती है,,, आओ अंदर आ जाओ,,,, दरवाजे पर कब तक खड़े रहोगे,,,,।
नहीं मैं फिर कभी आ जाऊंगा,,,,।
ऐसे कैसे,,,, आए हो तो चाय पानी पीकर जाओ,,,,(इतना कहते हुए नूपुर खुद उसका हाथ पकड़ कर उसे घर के अंदर ले आई और दरवाजा बंद कर दी दरवाजा बंद करते ही नूपुर के बदन में जैसे उत्तेजना और हवास दोनों उबाल मार रहे हो इस तरह से वह तुरंत अंकित को दीवार से सटाकर उसे अपनी बाहों में भरकर उसके होठों पर अपने होंठ रखकर चुंबन करने लगी वह पूरी तरह से मदहोश हो चुकी थी उत्तेजित हो चुकी थी,,,
अंकित को नूपुर की तरफ से इस तरह की किसी भी हरकत का अंदाजा नहीं था इसलिए वह एकदम से आश्चर्यचकित हो गया उसे तो कुछ समझ में नहीं आया लेकिन जब तक समझ में आता तब तक नूपुर पूरी तरह से उसे पर हावी हो चुकी थी वह अपनी जवानी का जलवा उसके ऊपर पूरी तरह से भी कर चुकी थी उसके लाल लाल होठों का चुंबन करते हुए उसका रसपान करते हुए उसे पूरी तरह से अपनी आंखों में ले ली थी आखिर अंकित भी कब तक अपने आप को संभाल पाता इन्हीं सब पल के लिए तो वह तड़प रहा था,,,, उसके भी हाथ खुद ब खुद नूपुर की पीठ पर घूमने लगे और वह भी चुंबन में उसका साथ देने लगा वैसे तो अंकित के जीवन का यह पहला चुंबन था जो उसे पागल बना रहा था उसे चुंबन का एहसास और कैसे किया जाता है नहीं मालूम था लेकिन नूपुर जिस तरह से उसके होठों का रसपान कर रही थी वह भी नूपुर के लाल लाल होठों को अपने मुंह में लेकर उसका रस पी रहा था और उत्तेजना के मारे अपनी हथेलियां को उसकी पीठ पर घूम रहा था जो कि टावल में लिपटी हुई थी,,,।
पल भर में ही नूपुर को अपनी दोनों टांगों के बीच अंकित के लंड की चुभन महसूस होने लगी और उसे चुपन को अपने अंदर महसूस करके वह पूरी तरह से उत्तेजना से बिलबिलाने लगी,,,, इसी पल का फायदा उठाते हुए एक हाथ से वह अपनी टॉवल को खोलकर उसे नीचे गिरने पर मजबूर कर दी और पूरी तरह से अंकित की बाहों में एकदम नंगी हो गई हालांकि अंकित अभी तक उसके नंगे भजन को देख नहीं पाया था लेकिन अपनी हथेली पर उसकी नंगी चिकनी पीठ और कमर को महसूस करके इतना तो समझ गया था कि उसके भजन से टावर नीचे गिर गई है और यह एहसास उसे होते ही उसकी उत्तेजना भी चरम शिखर पर पहुंचने लगी वह पागल होने लगा।
अंकित अपने बदन में अत्यधिक उत्तेजना का संचार होता हुआ महसूस कर रहा था,,, उसके लंड का कड़कपन एकदम बढ़ता जा रहा था जो कि सीधे-सीधे उसे नूपुर की दोनों टांगों के बीच ठोकर मार रहा था अपनी उत्तेजना पर काबू न कर पाने की वजह से अंकित की हथेलियां उसकी चिकनी कमर से फिसलती हुई उसके गोलाकार ने संभोग पर आते की और जैसे ही उसे एहसास हुआ कि उसकी दोनों हथेलियां में नूपुर की मदमस्त गांड आ चुकी है तो वहां उसे ज़ोर से अपनी हथेली में दबोच दिया और उसे जोर-जोर से दबाना शुरू कर दिया है,,,, अंकित के साथ यह सब पहली बार हो रहा था,,, वैसे तो सुमन के साथ इससे भी ज्यादा हो चुका था लेकिन ,,, आज की बात कुछ और थी क्योंकि आज उसकी बाहों में जवानी से गदराई हुई एक औरत थी,,,। आज एक नया अनुभव से मिल रहा था अंकित को लगने लगा था कि आज उसकी मनोकामना पूरी हो जाएगी भले उसकी मां से ना सही लेकिन नूपुर के साथ वह आज अपने मन की मुराद को पूरी कर सकता है,,,,।
अभी वह यह सब सो ही रहा था कि तभी दरवाजे की घंटी बजने लगी और घंटे की आवाज सुनकर दोनों के होश उड़ गए,,,, दोनों के होठ एक दूसरे से अलग हो चुके थे,,,, दोनों एक दूसरे की तरफ तो कभी दरवाजे की तरफ देख रहे थे,,, हैरान होते हुए नूपुर बोली।
आप कौन आ गया राहुल के पापा से ऑफिस के लिए निकल गए थे और राहुल क्रिकेट खेलने के लिए गया था इतनी जल्दी तो आ नहीं सकता,,,,।
फिर भी दरवाजा तो खोलना पड़ेगा आंटी जी,,,।
रुक में कपड़े पहन लुं,,,(इतना कहकर नूपुर नीचे गीरी टावल को लेने के लिए झुकी,,, तब जाकर अंकित की नजर नूपुर पर गई और उसे एहसास हुआ कि बिना कपड़ों के राहुल की मां कितनी खूबसूरत लगती है उसके नंगे बदन को देखकर अंकित की उत्तेजना और ज्यादा बढ़ने लगी थी उसका झुकना उसके बदन की लचक उसकी गांड का घेराव सबकुछ बेहद अद्भुत था और देखते ही देखते टावल को बाथरूम में रखकर नूपुर जल्दी से एक गाउन अपने बदन पर डाल दी जो कि उसके घुटनों तक ही आ रही थी,,, और अंकित से बोली,,,)
तुम कुर्सी पर बैठ जाओ,,,,।
(इतना क्या करवा दरवाजा खोलने लगी लेकिन अंकित ना जाने क्यों एकदम घबरा गया था और घबराहट में वह डाइनिंग टेबल के नीचे छूप गया था,,,, उसके मन में एक बात और चल रही थी कि उसे लगा था कि शायद दरवाजे पर राहुल होगा अगर राहुल इस समय कमरे में आएगा तो जरूर उसकी मां के साथ कुछ ना कुछ करेगा और यही अंकित देखना भी चाहता था,,,, लेकिन जैसे ही दरवाजा खुला सामने राहुल के पिताजी थे और वह एकदम उदास होते हुए कमरे में दाखिल हुए और बोले,,,)
आज बस छूट गई आज काम किसी जिले में कहीं और जाना था लेकिन कैंसिल हो गया तो मैं ऑफिस से सीधा यही आ गया हूं,,,,।
मतलब आज तुम्हारी छुट्टी है,,,।
फिर क्या आज तो दिमाग खराब हो गया इतनी जल्दी बिना चाय नाश्ता किए निकला था फिर भी यही हाल हो गया,,,, तुम चाय नाश्ता लगाओ में हाथ धोकर आता हूं,,,,,।
ठीक है,,,,।
(इतना कहकर नूपुर रसोई घर की तरफ जाने लगे लेकिन उसकी नजर डाइनिंग टेबल के नीचे पड़ी तो देखी थी अंकित डाइनिंग टेबल के नीचे छुपा हुआ है,,, यह देखकर करवा हैरान हो गई लेकिन उसे कुछ बोल पाती इससे पहले ही उसके पति बाथरूम से बाहर आ गए थे और वह चाय गरम करने के लिए चली गई थी जब चाय लेकर वह किचन से बाहर आई को अच्छी डाइनिंग टेबल के नीचे अभी भी अंकित चुप कर बैठा हुआ था और कुर्सी पर उसके पति बैठकर अखबार पढ़ रहे थे,,, नूपुर कुछ बोल नहीं पाई उसे बात का डर था कि कहीं उसके पति डाइनिंग टेबल के नीचे बैठे अंकित को देखना है अगर ऐसा हो गया तो गजब हो जाएगा उन्हें शक हो जाएगा कि जरूर दाल में कुछ काला है,,,।
नूपुर अपने पति की तरफ चाय का कब आगे बढ़कर बिस्किट रखती और खुद भी ठीक उसके सामने कुर्सी पर बैठ गई नूपुर का दिल जोरों से धड़क रहा था उसके मन में यह चल रहा था कि उसके पति को कहीं शक ना हो जाए कहीं वह देखना ले,,,, और डाइनिंग टेबल के नीचे छिपे अंकित की नजर नूपुर की दोनों चिकनी टांगों पर गई जो की घुटनों के नीचे पूरी तरह से नंगी थी और जिस तरह का गाउन पहनी हुई थी वह घुटनों के ऊपर तक आ रहा था और वह कुर्सी पर बैठी हुई थी ठीक उसकी आंखों के सामने,,, वैसे तो अपनी तरफ से कुछ भी करने की हिम्मत अंकित मैं बिल्कुल भी नहीं थी लेकिन जिस तरह की हरकत करके सुगंधा ने उसका हौसला बढ़ाई थी उसे देखते हुए उसकी हिम्मत बढने लगी थी,,,।
अपनी आंखों के सामने नूपुर की नंगी जवान टांगे देखकर अंकित की उत्तेजना बढ़ने लगी और वहां अपनी हथेली को उसकी नंगी चिकनी टांग पर रखकर हल्के-हल्के सहलाने लगा पहले तो डर के मारे नुपुर अपना हाथ उसके हाथ पैर रखकर उसे हटाने की कोशिश कर रही थी,,, लेकिन बार-बार अंकित अपनी हरकत को दोहरा रहा था और अखबार पढ़ते हुए उसके पति चाय की चुस्की ले रहे थे दोनों के बीच किसी भी तरह की बातचीत नहीं हो रही थी और बार-बार अंकित की हरकत से नूपुर के बदन में भी फिर से उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी,,,, अंकित नंगी टांगों को सहलाने के बाद दोनों टांगों को अपने हाथों से पकड़ कर उसे खोलने की कोशिश करने लगा यह देखकर नूपुर की सांस ऊपर नीचे होने लगी उसकी उत्तेजना परम शिखर पर पहुंचने लगी,,,,।
नूपुर भी समझ गई थी कि अंकित ऐसी हरकत किसने कर रहा है और उसकी हरकत के बारे में एहसास होते ही नूपुर की बुर पानी छोड़ने लगी थी,,,, अंकित के दोनों हाथ उसके घुटनों पर थी और वह उसे खोलने की कोशिश कर रहा था और मौके का फायदा उठाते हुए नूपुर धीरे से कुर्सी की ओर किनारे पर आ गई और अपनी टांगों को खोल दी लेकिन फिर भी गाउन की वजह से उसकी दोनों टांगों के बीच अंधेरा छाया हुआ था,,,,, फिर भी अंकित अपनी हथेली को उसकी जांघों पर रखते हुए उसे अंदर की तरफ ले जा रहा था अंकित के लिए यह बेहद अद्भुत और नया अनुभव था और नूपुर के लिए भी ,,भले ही वह अपने बेटे के साथ पूरी मर्यादा को लांघ चुकी थी लेकिन फिर भी इसके बावजूद भी है उसके लिए पहला अनुभव था जब कोई डाइनिंग टेबल के नीचे बैठकर उसके बदन से छेड़खानी कर रहा था।
अंकित की हालत पाल-पाल खराब होती जा रही थी उसकी हथेली नूपुर की गर्म जवानी की वजह से तप रही थी और देखते ही देखते अंकित अपनी हथेली को सीधा ले जाकर के नुपुर की नंगी बुर पर रख दिया जो की गरम तवे की तरह दहक रही थी,,,, अंकित की हरकत से उसकी सांस उपर नीचे होने लगी,,,।
राहुल कहां गया घर पर ही है क्या,,,?(अखबार को पढ़ाते हुए राहुल के पिताजी बोले)
नहीं वह तो कब से क्रिकेट खेलने के लिए चला गया मैं नहा रही थी तभी दरवाजे की घंटी बजने लगी मुझे क्या मालूम आप आए हैं,,,, नहाते नहाते बाहर आना पड़ा।
अब कर भी क्या सकता था सारा प्लान चौपट हो गया,,,,।
(दोनों की बातचीत जा रही थी और अंकित की हरकत बढ़ती जा रही थी वह अपनी हथेली में नूपुर की बुर को दबोच रहा था उसे मजा आ रहा था,,,, इतनी हिम्मत तो अपनी मां के साथ नहीं दिखा पाया था शायद इस वजह से क्योंकि वह उसकी मां थी उसके साथ मां बेटे का पवित्र रिश्ता था लेकिन नूपुर के साथ ऐसा कोई रिश्ता नहीं था अंकित के लिए वह अनजान औरत थी इसलिए उसके साथ भाग खुली छूट ले रहा था और वैसे भी इस छूट को लेने के लिए बढ़ावा उसने ही दी थी लेकिन फिर भी नूपुर को अंकित की हरकत से मजा आ रहा था,,,, एक तरफ पति पत्नी आपस में बातचीत कर रहे थे और दूसरी तरफ़ अंकित अपनी मनमानी कर रहा था अंकित की उत्तेजना बढ़ती जा रही थी।
तभी अचानक अपने पति से नजर बचाकर नूपुर अपनी कुर्सी पर से हल्के से अपनी गांड को ऊपर उठा दिया अपनी गाउन को पूरी तरह से कमर के ऊपर कर दी कमर के नीचे वह पूरी तरह से नंगी हो गई,,,, राहुल की मां कि ईस तरह की हरकत को देखकर अंकित की हालत खराब होने लगी वह पागल होने लगा कमर के नीचे उसके नंगे बदन को देखकर उसके बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी वासना उसकी आंखों में नाचने लगी,,,, वैसे भी राहुल की मां ने जिस तरह से हरकत की थी उसे देखकर उसकी उत्तेजना परम शिखर पर पहुंच चुकी थी अगर राहुल के पिताजी ना आ गए होते तो शायद दोनों के बीच इस समय शारीरिक संबंध स्थापित हो रहा होता और एक नए अनुभव से अंकित परिपूर्ण हो जाता लेकिन उसका नया अनुभव राहुल के पिताजी रोक दिए थे। लेकिन उसकी आंखों के सामने जो नजारा दिखाई दे रहा था अब वह अपने आप को रोक नहीं सकता था।
कमर के नीचे नंगी हो जाने के बाद अंकित खुद उसकी दोनों टांगों को खोलकर उसकी गुलाबी बर को देख रहा था जो कि इस समय कचौड़ी की तरह खुली हुई थी और उसे पर मदन रस की बूंदे ओश की बूंद की तरह चमक रही थी। जिसे देखकर अंकित के मुंह में पानी आ रहा था वैसे भी वह दो बार बुर चाट चुका था एक बार कुसुम की और एक बार खुद की अपनी मां की इसलिए उसे थोड़ा बहुत तो अनुभव था इसलिए वह अपने हाथों से नूपुर की दोनों टांगों को खोल दिया नूपुर खुद कुर्सी के किनारे बैठ चुकी थी ताकि इस नजारे को अंकित एकदम साफ तौर पर देख सके। अंकित खातिर जोरों से धड़क रहा था और यही हालत नूपुर का भी था वह इस अद्भुत अनुभव को लेते हुए अपने पति से बातचीत भी कर रही थी जो की बहुत ही सब्र और अपने आप को नियंत्रण में रखने वाली बात थी और इस पर नूपुर एकदम खरी उतर रही थी।
अगले ही पर अंकित अपनी उत्तेजना के चलते अपनी हरकत को बढ़ाते हुए अपने प्यासे होठों को राहुल की मां की दोनों टांगों के बीच ले गया और उसे उसकी बुर पर रख दिया पल भर के लिए तो नूपुर को कुछ समझ में नहीं आया कि क्या हो रहा है बस उसे दोनों टांगों के बीच अंकित का सर नजर आ रहा था लेकिन जैसे ही उसे एहसास हुआ कि अंकित उसे पागल बना रहा है तो एकदम से मदहोश होने लगे अपनी मदहोशी पर वह काबू नहीं कर पा रही थी लेकिन फिर भी जैसे तैसे करके वह अपने पति से बात जीत जारी रखते हुए अपने चेहरे के हाव-भाव को छुपाने में कामयाब होरही थी।
एक बार फिर से वही मादक जानी पहचानी सी खुशबू अंकित के नथुनों से उसके छाती में पहुंचने लगा जिससे उसकी उत्तेजना और बढ़ने लगी अंकित पागलों की तरह अपनी जीभ से राहुल की मां की बुर चाट रहा था उसे उसकी मां की बुर चाटने में बहुत मजा आ रहा था नूपुर की कसम आ रही थी कुर्सी पर बैठे-बैठे अपनी टांगों को कभी खोल दे रही थी तो कभी आपस में कस ले रही थी,,, आज कुछ देर ज्यादा तक अंकित को औरत की बुर चाटने को मिल रही थी वह पागलों की तरह राहुल की मां की बुर को चाट रहा था अपनी जीभ को उसके अंदर तक प्रवेश कर दे रहा था,,,, अपनी उत्तेजना पर काबू न कर सकने की स्थिति में राहुल की मां अपने एक हाथ को अंकित के सर पर कब से जोर-जोर से अपनी बुर पर दबा रही थी,,,, वैसे तो जिस तरह के हालात थे राहुल की मां के मुंह से गरमा गरम शिसकारी की आवाज किसी भी समय निकाल सकती थी,,, लेकिन बड़ी मुसीबत से राहुल की मां अपनी उत्तेजना को काबू में किए हुए थी,,,, राहुल के पिताजी अभी भी अखबार पढ़ने में व्यस्त थे उन्हें इस बात का एहसास तक नहीं था कि उनकी आंखों के सामने डाइनिंग टेबल के नीचे एक जवान लड़का उनकी ही बीवी की बुर को चाट रहा है।
देखते ही देखते राहुल की मां अपने चरम सुख की ओर अग्रसर होने लगी और तभी अंकित भी अपनी एक उंगली को बड़ी चालाकी से राहुल की मां की बुर में डालकर सुंदर बाहर करते हुए उसकी बुर की चटाई करने लगा,,, इस बार राहुल की मां से बिल्कुल भी अपनी उत्तेजना पर काबू नहीं हो पाया और वह एकदम से भलभला कर झड़ने लगी,,, लेकिन झड़ने समय उसके मुंह से आखिरकार निकल ही गया।
ओहहहहहबह,,,,,।
(यह आवाज सुनकर अखबार पढ़ते-पढ़ते राहुल के पिताजी का ध्यान इस आवाज पर गया और वह बोले।)
क्या हुआ,,,?
अरे कुछ नहीं मुझे याद आया कि मुझे तो कपड़े धोने हैं और वाशिंग मशीन में रखकर आई हूं,,,,।
तो जाओ धो डालो,,,,।
आप सो जाइए कमरे में जाकर तब में जाती हुं,,,।
अरे भाग्यवान यह कोई सोने का समय है,,,।
अरे सोने का समय नहीं है लेकिन जाकर आराम तो करिए अपने कमरे में अभी मुझे यहां पर झाड़ू पोछा लगाना पड़ेगा सफाई करनी पड़ेगी और अगर एक बार आपकी आंख लग गई तो फिर आपको उठाना मुश्किल हो जाएगा,,,।
हां यह बात तो तुम ठीक कह रही हो मुझे कमरे में ही जाना चाहिए,,,,
(अपने पति की बात सुनकर नूपुर को थोड़ा राहत महसूस हुआ और उसके पति अपनी जगह से उठकर अपने कमरे की तरफ जाने लगे और जैसे ही वह कमरे में जाकर दरवाजा बंद किया हमने पूरी एकदम से उठकर खड़ी हो गई अपने कपड़ों को व्यवस्थित करने लगी और इशारे से अंकित को बाहर निकलने के बोली और वह तुरंत बाहर निकल गया उसके चेहरे पर मुस्कुराहट थी लेकिन उसका चेहरा उसके मदन रस से पूरी तरह से भीगा हुआ था यह देखकर नूपुर शर्म के मारे मुस्कुराने लगी,,,, और उसका हाथ पकड़ कर दरवाजे तक ले आई लेकिन जाते-जाते वह एक बार फिर से उसे अपनी बाहों में भरकर उसके होठों का चुंबन करने लगी जिस पर उसके बुर से निकला हुआ उसका मदन रस लगा हुआ था और इस एहसास से वह पूरी तरह से मदहोश हो गई और प्रसन्नता के साथ अंकित नूपुर के घर से चला गया)
बहुत ही शानदार लाजवाब और अद्भुत मदमस्त अपडेट है भाई मजा आ गयाअंकित नूपुर के घर से उसकी रसेदार मलाई चाट कर आया था,,, एक अद्भुत आनंद की प्राप्ति के साथ वह नूपुर के घर से बाहर निकला था,, आज अपने आप पर बहुत खुश था क्योंकि आज उसने बहुत हिम्मत दिखाई थी और उसे आगे बढ़ाने में और बढ़ावा देने में राहुल की मां का ही हाथ था,, नूपुर जिस तरह की हरकत उसके साथ कर रही थी उसे देखकर अंकित समझ गया था कि वह क्या चाहती है इसीलिए तो वह डाइनिंग टेबल के नीचे छिपकर उसके पति की मौजूदगी में उसकी दोनों टांगों के बीच से टपकती हुई रस से अपनी प्यास बुझाया था,,,,,,,,,, एक प्यासी औरत के हवा कैसे होते हैं कैसी क्रियाएं होती हैं धीरे-धीरे अंकित समझने लगा था अगर वाकई में आज उसके पति घर वापस ना आ गए होते तो शायद आज वह एक औरत के अद्भुत सुख को प्राप्त कर लेता जिसे पाने के लिए वह दिन-रात लगा हुआ था।
रास्ते में अंकित अपने मन में सोच रहा था मनो मंथन कर रहा था कि राहुल की मां की हरकतों को वह पहचान गया था वह क्या चाहती है लेकिन इस तरह की हरकत उसकी मां उसके साथ कर रही थी तो उसके साथ वह क्यों इतनी हिम्मत नहीं दिखा पा रहा है,,,, अंकित अपने मन में बहुत गहराई में उतर कर सो रहा था कि उसकी मां तो इससे भी ज्यादा उसकी आंखों के सामने पेशाब करने लग जाती है अपनी गांड दिखती है अपने खूबसूरत अंगों की नुमाइश करती है फिर क्यों सब कुछ जानकार भी हुआ आगे क्यों नहीं बढ़ रहा है क्यों हिम्मत नहीं दिखा पा रहा है,,,, अंकित अपने मन में यह सोचकर हैरान था कि जिस तरह की हिम्मत दिखाकर एक अद्भुत सुख को अभी-अभी प्राप्त करके वह वापस लौट रहा है अगर वह अपने घर में इतनी हिम्मत दिखा दे तो शायद इससे भी ज्यादा आनंद के सागर में से डुबकी लगाने को मिल जाए,,, यही सब अपने मन में सोचता हुआ वह अपने घर पर पहुंच चुका था,,,,।
अपने घर पर पहुंच कर बस सीधी अपनी मां के कमरे में प्रवेश कर गया जहां पर उसकी नानी और उसकी मां मौजूद थे नई बिस्तर पर बैठी हुई थी और उसकी मां कपड़े बदल रही थी वह अपनी साड़ी को कमर से लपेट रही थी उसके बदन पर ब्लाउज था और उसकी चूचियों के बीच की गहरी लकीर एकदम साफ दिखाई दे रही थी,,,, वाकई में यह नजारा बेहद खूबसूरत था लेकिन कमरे में उसकी नानी भी मौजूद थी इसलिए वह एकदम सहज होता हुआ बोला,,,,।
मम्मी आज नानी के आने की खुशी में शाम को पूरी सब्जी खीर बना देना,,,
(अंकित की बात सुनकर उसकी नानी बोली)
नहीं नहीं इसकी कोई जरूरत नहीं सादा भोजन बना देना चलेगा,,,।
नहीं नहीं नानी ऐसा कैसे हो सकता है आपके आने की खुशी में मुंह मीठा तो करना ही होगा,,,,
चल कोई बात नहीं शाम को बना दूंगी,,,,( अपनी साड़ी को ठीक से अपनी कमर पर लपेटते हुए सुगंधा बोली,,,, अगर कोई और समय होता अगर उसकी मां घर में मौजूद न होती तो शायद वह इस मौके का अच्छी तरह से फायदा उठाकर अपने अंको का प्रदर्शन अपने बेटे के सामने जरूर करती लेकिन अपनी मां की मौजूदगी में वह एकदम सहज बनने का नाटक कर रही थी,,,, अपनी मां की बातें सुनकर अंकित संतुष्ट नजर आ रहा था उसका तो कमरे में रुकने का बहुत मन था लेकिन अपनी नानी की मौजूदगी में वह इस समय कमरे में ज्यादा देर तक रुक नहीं सकता था क्योंकि वह जानता था की उसकी मां कपड़े बदल रही है,,,, इसलिए वहां धीरे से वहां से चलतआ बना और अपने कमरे में जाने वाला था कि वह अपनी मां के कमरे से निकाल कर दीवार की ओट के पीछे खड़ा हो गया वह सुनना चाहता था कि उसकी नानी कुछ बोलती है कि नहीं,,, जब उसकी नानी को भी लगा कि अंकित अपने कमरे में चला गया है तो वह धीरे से अपनी बेटी सुगंधा को बोली।)
सुगंधा आप तुझे थोड़ा सहूलियत से रहना चाहिए,,,।
सहूलियत से मैं कुछ समझी नहीं,,,,(साड़ी को ठीक तरह से अपनी कमर में खोंसते हुए बोली,,)
सहुलियत से मतलब की अब तेरा बेटा बड़ा हो गया है जवान हो गया है ऐसे में उसकी आंखों के सामने कपड़े बदलने कपड़े उतारना अच्छी बात नहीं है तू नहीं जानती लेकिन इस उम्र के लड़के औरतों के प्रति आकर्षण होने लगते हैं,,,,।
अरे मां वो मेरा बेटा है,,,, भला वह ऐसा कैसे कर सकता है,,,(अपने बेटे के बारे में सब कुछ जानने के बावजूद भी सुगंधा जानबूझकर अपनी मां से इस तरह की बातें कर रही थी ताकि उसकी मां को बिल्कुल भी शक ना हो कि उसका बेटा भी दूसरे लड़कों की तरह है,,, सुगंधा की बात सुनकर उसकी मां बोली,,)
तू नहीं जानते तेरा बेटा तो है लेकिन इससे पहले वह एक मर्द है और मर्द को हर एक रिश्ते में सिर्फ एक औरत ही नजर आती है,,,,,,,।
(दीवार के पीछे छुपकर अंकित अपनी नानी की बातें सुनकर एकदम सन्न रह गया,,,, क्योंकि जो कुछ भी उसकी नानी कह रही थी उसमें सत प्रतिशत सच्चाई थी,,,,, वह कान लगाकर और भी बातें सुनने लगा अपनी मां की बात सुनकर सुगंध बोली,,,)
अंकित ऐसा नहीं है मां,,,।
तू पागल है सुगंधा तू दुनिया नहीं देखी है इसलिए ऐसा कह रही है,,, अब तुझे क्या बताऊं अपने गांव की ही बात है तेरे जैसे ही एक औरत अपने बेटे के सामने इस तरह से कपड़े पहनती थी उतारती थी नहाती थी और यह सब अपने बेटे के सामने करती थी बेटा धीरे-धीरे जवान होने लगा और उसे इतनी मां की इस तरह की हरकत उसकी तरफ उसे आकर्षित करने लगी उसे यह सब देखने में मजा आने लगा अपनी मां के अंगों को देखने में मजा आने लगा,,,,।
तो इससे क्या हो गया अपनी मर्यादा में तो था ना वो अब किसके मन में क्या चल रहा है कैसे पता चलेगा,,(अपनी मां की बात सुनकर सफाई देते हुए सुगंधा बोली)
अरे बुद्धू असली खेल तो उसके बाद ही शुरू हुआ एक दिन उसकी मां नहा कर कमरे में आई और एकदम नंगी अपने कपड़े ढूंढ रही थी कमरे में उसका बेटा मौजूद था इस बात से वह अनजान थी,,,, ।
तो क्या हुआ अपनी बेटे के सामने नंगी हो जाती थी,,,,।(सुगंधा हैरान होते हुए अपनी मां से बोली)
नहीं पूरी तरह से नंगी तो नहीं हो जाती थी बस कपड़े बदलने ना आना इतना ही चलता था लेकिन वह अनजान थी कि उसका बेटा कमरे में मौजूद है।
फिर क्या हुआ,,,?
(अपनी मां और अपनी नानी की बातें सुनकर दीवार के पीछे खड़ा अंकित पूरी तरह से उत्तेजित हुआ जा रहा था,,,,)
फिर क्या था उसका लड़का पूरी तरह से जवान हो चुका था अपनी मां के खूबसूरत अंगों को देखकर उसके अंगो में भी बढ़ोतरी हो जाती थी,,,,,,,।
अंगो में बढ़ोतरी,,, मतलब मैं कुछ समझी नहीं,,,।
अरे बुद्धू अब मैं तुझे कैसे समझाऊं,,,, मतलब कि उसका खड़ा हो जाता है,,,।
ओहहहहह,,,,,
तू भी ना कुछ भी नहीं समझती,,,,।
अच्छा ठीक है फिर क्या हुआ,,,,?
फिर क्या था वह लड़का एकदम से अपनी मां को बाहों में भर लिया उसकी मां कुछ समझ पाती से पहले ही उसे पीछे से अपनी बाहों में भरे हुए उसके गर्दन पर चुंबनों की बौछार करने लगा,,,, और जब तक उसे एहसास होता कि उसे बाहों में भरने वाला कोई और नहीं उसका जवाब देता है और वह कुछ कर पाती है उससे अलग हो पाती इससे पहले ही उसका लड़का अपने पजामे को नीचे कर दिया था और अपने लंड को अपनी मां की गांड से रगडना शुरू कर दिया था,,, अब तो उसके बेटे की हरकत उसे भी पागल बनाने लगी,,,, वह मदहोश होने लगी और फिर दोनों के बीच वही हुआ जो नहीं होना चाहिए था,,,।
लेकिन यह सब तुम्हें कैसे मालूम,,,!(आश्चर्यजताते हुए सुगंधा बोली)
यह सब मुझे मालिश करने वाली औरत बताइए जो मेरी मालिश करती है और दोपहर में हुआ उसके घर गई थी उसकी मालिश करने के लिए और उसने खिड़की से यह सब कुछ देख ली और मुझे बताइ,,,।
ओहहह यह बात है,,,, लेकिन मन इसमें उस लड़के की तो गलती है ही लेकिन उसकी मां की भी गलती है,, अपने बेटे की हरकत पर दो तमाचा लगा दी होती तो उसका दीवानापन उतर जाता,,,।
अरे बुद्धु वह भी ऐसा कर सकती थी लेकिन महीनो से वह अपने पति से दूर थी और ऐसे में उसके बेटे के बदन की गर्मी उसे एकदम से पिघला दी,,,, वह अपने बेटे की बाहों में और उसकी हरकत की वजह से मजबूर हो गई,,,,, और उसके बाद जब एक बार इस तरह के हालात पैदा हो जाते हैं तो फिर कदम पीछे नहीं हटते,,,,।
क्या मैं तुम्हें लगता है कि मैं ऐसा कुछ करूंगी,,,।
नहीं बेटी मैं जानती हूं तु ऐसा नहीं करेगी,,, लेकिन भूख मजबूर कर देती है चाहे पेट की हो या बदन की,,,,।
नहीं ऐसा कुछ भी नहीं होने वाला आप खामखा कुछ ज्यादा ही सोच रहीं है,,,।
चल कोई बात नहीं जैसा तु कह रही है वैसा ही हो,,,, मैं तो अंकित की उम्र देख कर कह रही थी अब वह पूरी तरह से जवान हो चुका है,,, ऐसे में कुछ भी हो सकता है,,।
कुछ भी नहीं होने वाला आप भी कर रहे हैं मुझे अपने बेटे पर पूरा भरोसा है,,,।
(अंकित अपनी मां और अपनी नानी की बातें सुनकर पूरी तरह से उत्तेजित हो चुका था वह समझ रहा था कि उसकी नानी को ऐसा ही लग रहा था कि दोनों के बीच ऐसा ही चला रहा तो कुछ ना कुछ हो जाएगा वह तो पहली बार में ही समझ गई थी एक जवान लड़के के मन को इसका मतलब साफ था कि वह पूरी तरह से अनुभव से भरी हुई थी,,, अंकित की नानी सुगंधा से इस तरह की बातें इसलिए कह रही थी क्योंकि वह रात को ही अंकित के मर्दाना अंग को अनुभव करचुकी थी,,, भले ही वह पूरी तरह से नींद में था,,, लेकिन नींद में भी वह पूरी तरह से उत्तेजित था,,, उसके लंड को अपनी गांड के बीचों बीच महसूस करके उसकी नानी पूरी तरह से दंग हो गई थी इसलिए वह अपनी बेटी सुगंधा से अपना अनुभव बता रही थी,,,।
सुगंधा भी अपनी मां के कहने का मतलब कौन अच्छी तरह से समझती थी वह भी अच्छी तरह से जानती थी कि उसकी खुद की हालत उसकी मां ने जिस औरत के बारे में बताया खुद वैसे ही है सुगंध को अच्छी तरह से मालूम था कि उसके और उसके बेटे के बीच की मर्यादा की दीवार किसी भी दिन गिर कर टूट सकती है वह तो अपनी मां को केवल दिलासा देने के लिए कह रही थी बाकी उसके भी मन में वही सब चल रहा था वह भी अपने बेटे के साथ हम बिस्तर होना चाहती थी,,,, लेकिन अपनी मां को बिल्कुल भी शक होने देना नहीं चाहती थी अपनी मां के सामने वह अपने चरित्रवान होने का बखान कर रही थी,,,। अंकित की नानी को अपनी बेटी पर भरोसा था लेकिन वह ईस बात को भी अच्छी तरह से जानती थी कि आप और की एक साथ नहीं रह सकती उनका मिलना तय रहता है। थोड़ी देर और खड़ा रहने के बाद अंकित अपने कमरे में चला गया।
रात को अंकित के खाने के मुताबिक ही भोजन बनाया गया और घर के सभी सदस्य भोजन करके अपने-अपना काम निपटाकर अपनी-अपने कमरे में सोने के लिए चाहिए अंकित की नानी अंकित के साथ उसके कमरे में सोने के लिए आ गई,,, अंकित की नई पलंग पर बैठी हुई थी और अंकित अपने लिए नीचे चटाई बिछाने लगा तो उसे देखकर उसकी नानी बोली।
यह क्या कर रहा है बेटा,,, जब तक मैं हूं इस घर में तो मेरे साथ ही सोना जैसा कि कल सोया था।
नहीं नानी मुझे लग रहा है कि आपको दिक्कत होती होगी,,,।
मुझे बिल्कुल भी दिक्कत नहीं होती चल छोड़ चटाई,,,(इतना कहकर खुद उसके हाथ से चटाई लेकर एक तरफ राखी और उसका हाथ पकड़ कर पलंग पर अपने पास बिठा दी,,,, रात की यादें उसके जेहन में पूरी तरह से ताजा थी,,,, अंकित के लंड की चुभन उसे अपनी गांड के बीचों बीच अभी भी महसूस हो रही थी,,,,,, वह बड़े प्यार से अंकित थी मासूम चेहरे की तरफ देखते हुए बोली,,,)
तेरे लिए तो मैं ही दुल्हन तोड़ कर लाऊंगी और वह अभी गांव की एकदम मजबूत जो तेरी अच्छे से सेवा कर सके,,,।
क्या नानी आप भी अभी मेरी कोई उम्र थोड़ी है,,,।
अरे बुद्धु अब तेरी उम्र हो गई है,,,, पूरा जवान हो गया है गांव में होता तो अब तक तेरी शादी हो गई होती,,,,।
नहीं नानी अभी मुझे शादी नहीं करनी है अभी तो मुझे पढ़ना है,,,( अंकित एकदम शरमाता हुआ बोला उसकी बात सुनकर उसकी नानी मुस्कुराते हुए बोली ...)
क्यों तुझे लगता है कि तू औरत को संभाल नहीं पाएगा इसलिए ऐसा बोल रहा है ना,,,।
नहीं नहीं ऐसी कोई बात नहीं है संभालने में क्या है,,,!
तुम्हारी बात समझ नहीं रहा है,,, यहां संभालने का मतलब बहुत बड़ा है शायद तो समझ नहीं पा रहा है।
आपकी बात मुझे समझ में नहीं आ रही नई जरा खुल कर बताओ,,,,।
चल रहने दे जब समय आएगा तो समझ जाएगा,,,,,,,( अच्छी तरह से जानते थे कि वह अपने नाती से इस समय खुलकर नहीं बता सकती इसलिए वह जानबूझकर बहाना बनाते हुए बोली,,,) अच्छा थोड़ा सा सरसों का तेल मिलेगा,,,,।
हां क्यों नहीं,,, लेकिन करोगी क्या,,,?
मुझे पैरों में थोड़ा दर्द होता है मालिश करनी पड़ती है तब जाकरनींद आती है,,,।
तो कोई बात नहीं नई आज मैं तुम्हारी मालिश कर दूंगा,,,,।
तब तो बहुत अच्छा रहेगा,,,, जा जल्दी लेकर आ,,,,।
(अपनी नानी की बात सुनकर अंकित तुरंत अपने कमरे से निकाला और रसोई घर में चला गया और उसे जाता हुआ देख कर उसकी नानी के चेहरे पर वासना भरी मुस्कान तैरने लगी,,,,, यह सब उसकी नानी जान बुझकर कर रही थी,,,, थोड़ी देर में कटोरी में थोड़ा सा सरसों का तेल लेकर अंकित अपने कमरे में दाखिल हुआ और दरवाजा बंद कर दिया,,,, वह बिना कुछ बोले दिल की कटोरी लेकर घुटनों के बल बैठ गया और बोला,,,)
लाओ में मालिश कर देता हूं,,,,।
अरे ऐसे नहीं मैं लेट जाती हूं तब तु मालिश कर,,,
ठीक है नानी,,,,
,(अंकित की नई तुरंत पीठ के बल लेट गई लेकिन वह जानबूझकर अपनी साड़ी को बिल्कुल भी ऊपर नहीं उठाई क्योंकि वह यह कार्य अंकित को करने देना चाहती थी अंकित भी ठीक तरह से बिस्तर पर बैठ गया था और बिस्तर पर सरसों के तेल की कटोरी रख दिया था यह देखकर उसकी नानी बोली,,,,)
तुझे मालिश करना तो आता है ना,,,।
बिल्कुल नई इसमें क्या हुआ मालिश करने में कौन सी बड़ी बात है,,,।
चल ठीक है मैं भी देखती हूं तो अच्छी तरह से मालिश कर पता है कि नहीं,,,,,, चल अब शुरू हो जा,,,,,।
(इतना कहकर वह अंकित की तरफ देखने लगी,,, अंकित भी कभी उसकी तरफ तो कभी उसके पैरों की तरफ देख रहा था उसे समझ में नहीं आ रहा था की मालिश कहां करना है फिर वह अपने आप ही हाथ में सरसों का तेल लगाकर उसके तलवों में बारिश करने लगा तो यह देखकर उसकी नानी एकदम से बोली,,,)
अरे अरे वहां नहीं साड़ी घुटनों तक ऊपर उठा फिर मालिश कर,,,,,।
(अपनी नानी की बातें सुनकर अंकित नहीं लगा और वह अपने मन में सोचने लगा कि वह तो खुद की बेटी को उससे दूर रहने को कह रही थी और खुद उसके सामने अपनी साड़ी उठाने के लिए बोल रही है,,,,, फिर भी अंकित अपनी नानी की बात मानते हुए उसकी साड़ी को दोनों हाथों से पकड़ कर धीरे-धीरे उसे घुटनों की तरफ उठाने लगा,,, और ऐसा करने में उसे अद्भुत उत्तेजना का एहसास हो रहा था वाकई में यह काम उसके लिए मदहोशी से भर देने वाला था क्योंकि पहली बार वह अपने हाथों से किसी औरत की साड़ी ऊपर की तरफ उठा रहा था वैसे तो अपनी मां के कपड़ों को अपने हाथों से बदल चुका था लेकिन साड़ी को ऊपर की तरफ उठाना उसके लिए यह एक अद्भुत अनुभव था जिससे गुजरते हुए वह पूरी तरह से उत्तेजित हुआ जा रहा था और अनुभव से भरी हुई उसकी नानी उसके चेहरे के हाव-भाव को देख रही थी।
साड़ी को उठाते समय अंकित के चेहरे के बदलते हवाओं को देखकर अंकित की नानी मन ही मन प्रसन्न हो रही थी क्योंकि उसे लगने लगा था कि उसकी युक्ति कम कर रही है,,,,, और देखते ही देखते अंकित उसकी सारी घुटनों तक ऊपर उठा दिया था घुटनों के नीचे उसकी नंगी चिकनी टांग को देखकर अंकित के बदन में उत्तेजना के लहर रखने लगी थी वह जैसे तैसे करके अपनी उत्तेजना को दबा रहा था उसे काबू में कर रहा था,,,, अंकित सरसों के तेल को उसके पैरों पर गिराता इससे पहले उसकी नानी बोली,,,)
पूरे पैरों में मालिश करना बहुत दर्द करता है मालिश करने के बाद ही मुझे नींद आती है खासकर के पिंडलियों में,,,,,।(अंकित अपनी नानी की पिंडलियों की आकर्षक को पहले भी देख चुका था और खेली खाई अनुभव से भरी हुई उसकी कहानी अच्छी तरह से जानती थी कि एक मर्द के लिए औरत की मांसल पिंडलियां भी उत्तेजना का काम करती है,, अपनी नानी की बातें सुनकर अंकित बोल,,,)
ठीक है नानी तुम बेफिक्र कर रहो,,,,(इतना क्या करवा सरसों के तेल की कटोरी अपने हाथ में ले लिया और उसकी धार को उसके पैरों पर गिरने लगा दोनों पैरों पर तेल की धार को गिरकर वहां कटोरी को एक तरफ रखकर अपने दोनों हाथों से उसकी मालिश करना शुरू कर दिया,,,, एक औरत की टांग को मालिश करते हैं उसके बदन में मदहोशी छाने लगी थी,,,, और मालिश करते हुए अंकित अपने मन में सोच रहा था कि उसकी नानी तो पूरी तरह से अनुभव से भरी हुई है तो उसे इतना भी तो पता होगा कि एक मर्द की हालत इस समय क्या हो रही होगी उसके मन में क्या चल रहा होगा यह सोचकर वह उत्तेजना से गनगनाने लगा,,,, अंकित बड़े अच्छे से अपनी नानी के पैरों की मालिश कर रहा था लेकिन वह पेर को एकदम बिस्तर से सटाए हुए थी इसलिए वह ठीक तरह से मालिश नहीं कर पा रहा था,,,,, इसलिए वह अपनी नानी से बोला,,,)
नई थोड़ा पैरों को मोड लो तो अच्छी तरह से मालिश हो जाएगी,,,।
(अंकित की बातें सुनकर वह मुस्कुरा दी और बोली,,,)
ठीक है,,,(और इतना कह कर अपने पैरों को घुटनों से थोड़े से मुरली जिसकी वजह से उसकी साड़ी अपनी आंख थोड़ा सा और नीचे सरक गई और उसकी मोटी मोटी जांघें एकदम से उजागर हो गई पल भर के लिए अंकित की नजरे उसकी नानी की मोटी मोटी जांघों पर टिक गई,,,,, कमरे में अभी भी ट्यूब लाइट जल रही थी जिसके दुधिया रोशनी में उसका गोरा बदन और भी ज्यादा दूधिया लग रहा था,, अंकित जिस तरह से उसकी मोती मोती जैंगो की तरफ देख रहा था यह देखकर उसकी रानी एकदम प्रसन्न हो गई थी क्योंकि वह समझ गई थी कि उसकी जवानी का आकर्षण अभी भी बरकरार था भले ही वह उम्र के इस दौर में पहुंच चुकी थी लेकिन उसके बदन का भरावपन किसी भी मर्द का पानी निकालने में अभी भी पूरी तरह से सच में था और इसका ताजा उदाहरण था उसका नाती अंकित जो की पूरी तरह से जवान हो चुका था और उसे प्यासी नजरों से देख रहा था,,।
उसकी नानी बोली कुछ नहीं और अंकित फिर से उसके पैरों पर मालिश करने लगा,,,, अपनी नानी के बदन की गर्मी उसे अपनी हथेली में महसूस हो रही थी वह पागल हुआ जा रहा था उत्तेजित हुआ जा रहा था और लंड उसके पेट में पूरी तरह से तंबू बनाया हुआ था जिसे वह बार-बार अपने हाथों से व्यवस्थित करने की कोशिश कर रहा था और उसकी यह हरकत उसकी नानी की नजर में आ चुकी थी यह देखकर तो उसकी नानी मदहोश होने लगी थी क्योंकि उसके लंड की चुभन अपनी गांड पर उसे अभी भी अच्छी तरह से महसूस हो रही थी,,,,, कुछ देर तक अंकित इसी तरह से सिर्फ पैरों पर मालिश करता रहा और उसकी नानी चाहती थी कि आप उसकी हथेली ऊपर की तरफ आगे बढ़े लेकिन वह जानती थी कि उसका नाती शायद अभी कच्चा खिलाड़ी है वरना अगर वह औरतों के बारे में अच्छी तरह से जानता था शायद उसकी दोनों हथेलियां इस समय उसकी साड़ी के अंदर होती,,,,, इसलिए वह मुस्कुराते हुए बोली।
बस अब थोड़ा ऊपर की तरफ कर दे जांघों पर भी बहुत दर्द होता है तेरे हाथों में तो जादू है मुझे आराम लगने लगा है लेकिन जांघों में दर्द हो रहा है,,,,,।
ठीक है नानी मैं अभी मालिश करदेता हूं,,,,(अपनी नानी की बात सुनकर अंकित मन ही मन बहुत खुश हो रहा था, उत्तेजना के मारे उसका दिल जोरो से धड़कता है अपनी नानी की मोटी मोटी जांघो को देखकर वह पहले ही उत्तेजित हो चुका था अब उस पर हथेली रखकर कर मालिश करना था एक तरह से एक बहाने से उसे स्पर्श करना था इसलिए उसकी हालत खराब हो रही थी,,,, वह धीरे से फिर से सरसों की कटोरी उठाया और उसकी धार अपनी नानी की मोटी जांघों पर ना गिराते हुए उसे अपनी हथेली पर गिराने लगा,, और फिर कटोरी को एक तरफ रखकर वापस अपनी नानी की मोटी मोटी जांघो पर अपनी हथेली से मालिश करने लगा,,, वास्तव में यह उसके जीवन का पहला मालिश था जब वह किसी औरत की मालिश कर रहा था और वह भी अपनी ही नानी की उसकी मोटी मोटी चिकनी जांघों पर मालिश करते हुए वह अत्यधिक उत्तेजना का अनुभव कर रहा था,,,, अंकित की नानी मुस्कुराते हुए बोली,,,,।)
अपनी नानी की जांघों को मालिश करते हुए कैसा लग रहा है तुझे,,,।
बहुत अच्छा लग रहा है,,,इसी बहाने आपकी सेवा करने का मौका तो मिल रहा है,,,,,,।
तू मेरे साथ नहीं रहता वरना सेवा करने का मौका तुझे बहुत मिले,,,,(अंकित की नानी अंकित से इशारे में बहुत बड़ी बात बोल रही थी लेकिन अंकित समझ नहीं पा रहा था,,,, बस वह मुस्कुराए जा रहा था लेकिन उसे अपनी नानी की मालिश करने में अत्यधिक उत्तेजना का अनुभव हो रहा था उसकी नानी भी अच्छी तरह से जानती थी कि उसकी मोटी मोटी जांघों को स्पर्श करके उसके नाती का लंड खड़ा हो चुका है,,, इस बात के एहसास से ही वह पानी पानी हुए जा रही थी उसकी बुर हल्का-हल्का पानी छोड़ रही थी,,,, फिर अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए उसकी नानी बोली,,,,)
अच्छा यह बात कभी इस तरह से अपनी मां की मालिश कीया है कि नहीं,,,,,,(इस तरह का सवाल करके अंकित की रानी अपनी ही बेटी के चरित्र के बारे में जांच पड़ताल कर रही थी अच्छी तरह से जानती थी कि उसका नाती भोला भाला है,,, अगर वह अपनी मां की मालिश करता होगा तो जरूर बताएगा और इस बात को भी अच्छी तरह से जानते थे कि अगर अंकित अपनी मां की माली से इस तरह से करता होगा तो जरूर दोनों के बीच शारीरिक आकर्षण बढ़ गया होगा और इसके चलते होना हो दोनों के बीच शारीरिक संबंध स्थापित हो गया होगा क्योंकि वह एक औरत के मन को अच्छी तरह से समझती थी वह अपनी बेटी के हालात के बारे में अच्छी तरह से जानती थी,,,, लेकिन तभी अपने नाती का जवाब सुनकर उसे संतुष्टि प्राप्त हुआ जब उसने कहा,,,)
नहीं,,,, बिल्कुल भी नहीं सच कहूं तो आज यह पहली बार में मालिश कर रहा हूं,,,,।
ओहहहहह,,, पहली बार कर रहा है फिर भी इतने अच्छे से मालिश कर लेता है,,,,।
तो इसमें कौन सी बड़ी बात है यह तो कोई भी कर लेगा,,,।
फिर भी तेरे हाथों में जादू है,,,।
चलो अच्छा ही है इसी बहाने आपको आराम तो मिला,,,,(अपनी नानी की जांघों पर मालिश करते हुए वह बोला,,,, लेकिन इस दौरान उसकी नानी शरारत करते हुए अपने घुटनों को हल्का सा और मारते हुए थोड़ा ऊपर की तरफ उठा दी और अंकित के हाथों से उसकी साड़ी भी हल्के से और नीचे की तरफ खिसक गई,,,और जैसे ही साड़ी हल्के से थोड़ा और नीचे सरकी अंकित को ऐसा नजारा दिखाई दिया कि उसके होश उड़ गए।)