अंकित की नानी अपनी दोनों टांगे खोलकर उसे अपनी गुलाबी बुर दिखा दी थी,,, जिसे देखकर अंकित पागल हो गया था और यह सब उसकी नानी जानबूझकर कर रही थी इतना उसे अच्छी तरह से मालूम हो गया था,,,, पहले के ही तरह अंकित को उसने मालिश करने को बोली और यह देखने के लिए बोली कि तेरी उंगली वहां तक पहुंचती है कि नहीं,,,, यह सुनकर अंकित की हालत और भी ज्यादा खराब होने लगी लेकिन बदन में उत्तेजना की लहर उठने लगी यह सब अंकित के लिए पहली बार था लेकिन जो कुछ भी हो रहा था उसमें अंकित को अपना ही भला होता दिखाई दे रहा था,,। इस समय भला अंकित अपनी नानी की बात कैसे टाल सकता था उसके ना खाने के बावजूद भी वह खुद अपनी उंगली को उसकी पुस्तक पहुंचने के लिए आतुर नजर आ रहा था।
कटोरी में सरसों का तेल खत्म हो चुका था लेकिन फिर भी अंकित कटोरी में अपनी उंगली डालकर उसे अच्छे से तेल अपनी उंगली पर लगने लगा और फिर एक बार फिर अपनी नानी की मालिश करना शुरू कर दिया,,, अपनी नानी की बड़ी-बड़ी गांड को दोनों हाथों में लेकर मालिश करने का जो आनंद अंकित को प्राप्त हो रहा था उसे अंकित बयान नहीं कर सकता था वाकई में आज उसके हाथों में आसमान का चांद लग गया था और उसकी खूबसूरत नंगी गांड आसमान के खूबसूरत चांद की तरह ही होती है जिस पाकर मर्द अपने आप को दुनिया का सबसे खुशकिस्मत इंसान समझता है,,, अंकित अपने मन में सोच भी रहा था कि अगर इस समय उसकी नानी अपने मुंह से पूछ लेती उसके दोनों हाथों में क्या है तो वह यह कहते बिल्कुल भी नहीं इसकी चाहेगा कि उसके हाथ में चांद आ गया है,,,। अपनी नानी की गांड की मालिश करते हुए अंकित का दिल जोरो से धड़क रहा था उत्तेजना परम शिखर पर थी ऐसा लग रहा था कि लंड पैंट फाड़कर बाहर आ जाएगा,,, जिसे बार-बार अंकित अपने हाथों से व्यवस्थित करने की कोशिश कर रहा था।
इस पल का आनंद अंकित की नानी भी बराबर ले रही थी,,, यहां आने से पहले उसे बिल्कुल भी अंदेशा नहीं था कि अपने नाती के साथ ही उसे ऐसा कुछ करना पड़ जाएगा ऐसा हुआ करती भी नहीं लेकिन सोते समय उसके लंड की चुभन अपनी गांड पर महसूस करके वह मदहोश हो चुकी थी और अपनी जवानी पर काबू नहीं कर पाई थी जिसके चलते पूरी तरह से बेशर्मी का प्रदर्शन दिखाते हुए वह अपने नाती से अपनी गांड की मालिश करवा रही थी। अंकित की नई की सांसे भी ऊपर नीचे हो रही थी,,, बादल में उत्तेजना की लहर उठ रही थी और गुलाबी दरार से मदन रस का बहाव लगातार हो रहा था,,, अंकित को गांड के ऊपर ही सदा पर मालिश करते हुए देखकर अंकित की नानी बोली,,,।
पहले की तरह मालिश कर अंदर तक उंगली लेजा,,,,
(अपनी नानी की बात सुनकर अंकित समझ गया कि यह पूरी तरह से रंडी है काश उसकी मां भी इतने खुले विचारों वाली होती तो इतने पापड़ ना बेलने पड़ते,,, फिर भी अपने मन में यह सोचकर अपने मन को तसल्ली देने लगा कि चलो मा नहीं मा की मां ही सही,,,,, अपने मन में ऐसा सोचते हुए वह भी थोड़ा शरारत करने की सोच औरबोला,,,)
अंदर ज्यादा दर्द कर रहा है क्या नानी,,,,।
अरे बहुत दर्द कर रहा है पूछ मत कितने अंदर तक दर्द कर रहा है तू अंदर के दर्द को दूर नहीं कर पाएगा,,,,।
बोलो तो सही में सर दर्द ठीक करने के लिए तैयार हूं मुझ पर भरोसा रखो लेकिन सही-सही बताओ दर्द कहां हो रहा है,,,।
(अंकित अपनी नानी से उसकी ही भाषा में बोल रहा था लेकिन अपनी नानी को बिल्कुल भी एहसास नहीं होने दे रहा था कि वह यह सब जानबूझकर बोल रहा है उसकी नानी को ऐसा ही लग रहा था कि वह नादानी पन में ऐसा बोल रहा है और उसकी बातें सुनकर उसकी नानी मन ही मन बहुत प्रसन्न हो रही थी उसे इस बात का एहसास हो रहा था कि आज की रात उसके लिए भी बहुत आनंददायक बीतने वाली है,,, फिर भी वह देखना चाहती थी कि उसका नाती बिना कुछ बोले कितना कुछ कर दिखाता है इसलिए वह बोली,,,)
अभी तो तू सिर्फ मालिश कर दे फिर देखती हूं कि कितना तू कर सकता है,,,,।
ठीक है नानी,,,(और इतना कहने के साथ वह फिर से अपनी उंगलियों को गांड की दरार के बीच ले जाने लगा जैसे-जैसे उसकी उंगली गांड की तरह के नीचे की तरफ जा रही थी वैसे-वैसे उसकी नानी के बदन में कसमसाहट बढ़ती जा रही थी,,,, उसकी हालत पल-पल खराब होती जा रही थी,,, गांव में उसने एक औरत थी जिसे वह मालिश करवाती थी लेकिन वह अभी इतना आनंददायक और उसके जनात्मक मालिश एक औरत होने के बावजूद भी नहीं कर पाती थी शायद इसलिए कि वह एक औरत थी और इस समय वह एक मर्द से मालिश करवा रही थी,,,, औरत के बदन पर मर्द की हथेली और उसके स्पर्श का मजा ही कुछ और होता है जो एक औरत ही समझ सकती है,,,, देखते ही देखते अंकित की उंगलियां उसकी नानी की बुर तक पहुंचने लगी थी जिसकी गर्मी उसे अपनी उंगली के पोर पोर में महसूस हो रही थी,,, मुझे गर्मी सीधा उसकी दोनों टांगों के बीच के हथियार पर दस्तक दे रही थी। मालिश करते हुए अपनी नानी की बुर का स्पर्श अंकित को आनंदित कर दे रही थी,,, बेहद अद्भुत और अतुलिनिय एहसास अंकित को महसूस हो रहा था वाकई में इस उम्र में भी उसकी नानी की बुर तरो ताजा दिखाई दे रही थी कि पूछो मत,,,।
तीन चार बार मालिश करते हुए अंकित अपनी नानी के बुर को स्पर्श किया तो उसकी नानी एकदम से मदहोश होते हुए बोली।।
सससहहह,,,,, कितना मजा आ रहा है तेरी मालिश का कसम से तेरी उंगलियों में जादू है,,,,,आहहहहहहह,,,, बहुत अच्छा लग रहा है ऐसे ही मालिश कर,।
चिंता मत करो नई आज तुम्हारे बदन से दर्द एकदम दूर हो जाएगा,,,(अपनी नानी की बातें सुनकर उत्साहित होता हुआ अंकित बोला)
मैं भी यही चाहती हूं,,,(ऐसा कहते हुए उसकी नानी थोड़ा सा और अपनी जांघों को खोल दी जिससे उसकी नानी की गुलाबी बुर हल्के से खुल गई उसमें से लबालब मदन रस बाहर टपक रहा था जिससे बिस्तर पर बिछी चादर गीली हो रही थी ,,यह देखकर अंकित बोला,,,)
यह क्या नानी तुम्हारी तो सुसु निकल रही है,,,,।
(यह सुनकर उसकी नानी समझ गई कि अंकित किस बारे में बात कर रहा है इसलिए बहुत जोर-जोर से हंसने लगी,,,, और अंकित से बोली)

तू सच में एकदम बुद्धू है अरे वह सु सु नहीं है तुझे नहीं मालूम ,,, जब औरत को एकदम आराम मिलने लगता है तो ईसी तरह से उसकी बुर से निकलता हैं पानी की तरह,,,।
क्या कह रही हो नानी कितनाअजीब है,,,(अंकित सच में सोच में पड़ गया था क्योंकि उसे सच में नहीं मालूम था कि ऐसा कुछ भी होता है,,, इसलिए अपनी नानी की बात सुनकर वह सोच में पड़ गया था वह तो यही सोच रहा था कि शायद उसकी नानी की बुर से पेशाब टपक रहा था,,,, कुछ देर खामोश रहने के बाद अपनी नानी की टांगों के बीच में देखते हुए वह बोला,,,,)
तो क्या अब आपको आराम मिल रहा है,,,,।
हां सच में बहुत आराम मिल रहा है इतना आराम मिल रहा है कि तू पूछ मत मैं बता नहीं सकती,,,।
तो क्या अभी कुछ देर पहले जो बोल रही थी की गहराई में दर्द होता है क्या उसमें भी आराम मिलने लगा है,,,,।
नहीं रे उसमें तो अभी भी दर्द हो रहा है बस वही एक दर्द है जो नहीं जा पाता,,,,,,,,,, अच्छा एक बात सुन ,,,क्या तू मेरे पूरे बदन की मालिश कर देगा,,,,।
हां नानी इसमें क्या हुआ मैं तुम्हारे पूरे बदन की मालिश कर दूंगा,,,(अंकित अपने मन में सोच रहा था कि आज उसकी नई उस पर पूरी तरह से कृपा बरसाने वाली है,,, अंकित की बात सुनकर उसकी नानी उत्साहित होते हुए बोली)
तब तु बिल्कुल भी देर मत कर,,,( सरसों के तेल की कटोरी की तरफ देखते हुए) जा जाकर रसोई घर से थोड़ा सरसों का तेल और लेकर आना ,, सरसों का ,,, तेल खत्म हो गया है,,,,
जी नानी,,, अभी लेकर आया,,,(ईतना कहते हुए अंकीत बिस्तर पर से नीचे उतर गया,,, और सीधा दरवाजे तक पहुंच गया और जैसे ही दरवाजा खोल वैसे उसकी नानी पीछे से आवाज लगाते हुए बोली,,,,)
बिल्कुल भी आवाज मत करना कहीं कोई जग ना जाए एकदम संभाल कर जाना,,,,
जी नानी चिंता मत करो मैं एकदम संभाल कर जाऊंगा,,,,( अंकित अपनी नानी के कहने का मतलब खुल जाएगी तो हो सकता है कार्यक्रम को रद्द करना पड़ जाए और उसकी नानी नहीं चाहती थी कि इस कार्यक्रम को आधे पर रोकना पड़ जाए वह अपनी नानी की बातें सुनकर एकदम प्रसन्न था और जल्दी से रसोई घर की तरफ चल दिया,,, थोड़ी देर में वह कटोरी में सरसों का तेल लेकर अपने कमरे में प्रवेश करने लगा और जैसे ही कमरे में प्रवेश करने लगा उसकी नजर सामने बिस्तर पर पड़ी और सामने बिस्तर पर नजर पडते ही उसके होश उड़ गए,,,, उसकी आंखें फटी की फटी रह गई,,, उसने कभी सोचा नहीं था कि उसे अपने कमरे में अपने बिस्तर पर इस तरह का नजारा देखने को मिलेगा,,,,, उसकी जगह कोई और होता तो शायद उसकी भी यही हालत होती,,,,,।
सामने बिस्तर पर उसके गाने बिना कपड़ों से एकदम नंगी पेट केवल लेटी हुई थी उसके सरसों के तेल लेने जाने में वह इस बीच में अपने सारे कपड़े उतार कर नंगी हो गई थी,,,, और अपनी नंगी नानी को अंकित फटी आंखों से देख रहा था अनुभव से भरी हुई उसकी नई मर्द को अपनी मुट्ठी में करने का हुनर अच्छी तरह से जानती थी वह अच्छी तरह से जानती थी कि इस समय अंकित की हालत क्या हो रही होगी उसे नंगी देखकर वह मुस्कुराते हुए उसकी तरफ देख रही थी,,,, अंकित को तो अपनी आंखों पर विश्वास नहीं हो रहा था ट्यूबलाइट की रोशनी में उसकी बड़ी-बड़ी उभारदार गांड और ज्यादा चमक रही थी जिसे देखकर अंकित के मुंह में पानी आ रहा था और उसके पेंट में उसका तंबू पूरे उफान पर था,,, जिस पर उसकी नानी की नजर बराबर जा रही थी और उसके पेंट में बना तंबू देख कर वह भी मदहोश हुए जा रही थी,,, उसकी नानी उसके पेंट में बने तंबु पर जानबूझकर उसका ध्यान नहीं ले जाना चाहती थी उसे किसी भी तरह से लज्जित नहीं करना चाहती थी लेकिन समय आने पर उसके पेंट में बने तंबू का पूरा उपभोग करने के लिए वह भी काफी उत्सुक थी वह मुस्कुराते हुए अंकित की तरफ देखते हुए बोली,,,)
क्या हुआ ऐसे क्यों देख रहा है,,,,?
नई तुम तो अपने सारे कपड़े उतार कर नंगी हो गई हो,,,,(अपनी नानी के विषय में देख कर अंकित को थोड़ा हिम्मत दिखाते हुए नंगी शब्द का प्रयोग करते हुए बोला)
तो क्या हुआ पूरे बदन में मालिश करवाने के लिए कपड़े उतारना भी तो जरूरी था क्या बिना कपड़े उतारे थे तो मालिश कर देता,,।
नहीं ऐसा तो नहीं हो पाता लेकिन मेरे सामने तुम सारे कपड़े उतार कर नंगी हो गई,,,,(फटी आंखों से अपनी नानी की नंगी गांड की तरफ देखते हुए बोला)
तो इसमें क्या हो गया और वैसे भी तो तू मेरी बुर देख चुका है,,,, मैं तुझे मालूम नहीं की औरत गैर मर्दों से अपनी बुर छुपा कर ही रखती है कपड़ों के अंदर रखती है उसे दिखाती नहीं है,,,, लेकिन तूने तो मेरी बुर देख लिया है इसलिए अब तुझसे शर्म कैसी,,,,।
क्या मैं गैर मर्द नहीं हूं मैं भी तो गैर मर्द हूं,,,,।
अरे बुद्धु तु गैर मर्द कहां से हुआ तू तो मेरा नाती है,,,। अच्छा सब छोड़ दरवाजा खुला है उससे पहले बंद कर दे और जल्दी से आकर मालिश कर,,,।
अपनी नानी की बातें सुनकर अंकित को भी इस बात का एहसास हुआ कि दरवाजा खुला है इसलिए वह तुरंत एक हाथ से दरवाजा बंद किया और उसकी कड़ी लगाकर अपने बिस्तर के करीब आ गया,,, अंकित की हालत पाल-पाल खराब होती जा रही थी उसके भजन में उत्तेजना का रस किसी नशे की तरह खेल रहा था वह अपने नानी की जवानी की मदहोशी में पूरी तरह से डूबता चला जा रहा था,,,, अंकित को मालूम था कि अह क्या करना है वह जल्दी से बिस्तर के ऊपर चढ़ गया और सरसों के तेल की धार अपनी नानी की मखमली चिकनी पीठ और उसके नितंबों के उभार पर गिराने लगा और कटोरी को एक तरफ रखकर मालिश करना शुरू कर दिया,,, अंकित अपने आप को बेहद खुश नसीब समझ रहा था और वाकई में वह खुशनसीब था अभी क्योंकि उम्र के जिस दौर पर वह गुजर रहा था एेसे में उसकी उम्र के लड़के केवल खूबसूरत लड़की हो और औरतों की कल्पना करके अपनी जवानी के गर्मी को शांत करते थे लेकिन उसके बिस्तर पर तो उसकी उम्र में भी जवानी से भरी हुई थी वह पूरी तरह से नंगी होकर उससे मालिश करवा रही थी ।
अपनी नानी के बेशर्मी देख कर अंकित की भी हिम्मत खुलने लगी थी और वह अपनी नानी की बड़ी-बड़ी गांड को अपने दोनों हथेलियां में लेकर उसकी मालिश नहीं बल्कि उसे दबोच रहा था मसल रहा था रगड़ रहा था ऐसा करने में उसे अद्भुत आनंद की प्राप्ति हो रही थी वाकई में एक जवान लड़के के लिए इससे बड़ी बात क्या हो सकती है कि उसके हाथों में एक मदमस्त जवानी से भारी औरत की नंगी गांड हो,,,, अंकित की सांस ऊपर नीचे हो रही थी वह बार-बार अपने पेंट में बने तंबू को अपने हाथ से व्यवस्थित करने की कोशिश कर रहा था,, वैसे तो उसका मन कर रहा था किसी समय अपने लंड को बाहर निकाल कर अपने लंड को अपनी नानी की गांड पर जोर-जोर से रगड़ना शुरू कर दे लेकिन ऐसा करना अंकित के लिए उचित नहीं था ऐसा हुआ समझना था अगर वह कहीं नहीं वह अपनी हिम्मत को आगे बढ़कर इसकी क्रिया को कर देता तो शायद उसकी नानी बिल्कुल भी इनकार नहीं करती बल्कि उसे अपने हाथ से पकड़ कर अपनी गुलाबी छेद में डलवा लेती,,,,,,।
अंकित की नानी को भी इस तरह से मालिश करवाने में मजा आ रहा था अंकित की नानी को भी इस बात का एहसास हो रहा था कि उसका नाती उसकी मालिश नहीं कर रहा है बल्कि उसके बदन से खेल रहा है,,,,,, कुछ देर तक आपकी इसी तरह से अपनी नानी की गांड क्यों परेशान था पर मालिश करता रहा शायद इतने में उसे आनंद की अनुपाती हो रही थी उसे मजा आ रहा था लेकिन अंकित की नानी कुछ और चाहती थी इसलिए उसे याद दिलाते हुए बोली,,,,)
जैसे पहले कर रहा था वैसे कर अंदर तक उंगलियां ले जा,,,,(और ऐसा कहने के साथ ही लड़की की रानी पहले की तरह अपनी दोनों जनों को खोल दी जिससे उसका गुलाबी छेद एक बार फिर से नजर आने लगा जिसे देखकर अंकित के मुंह में पानी आने लगा और वह पहले की तरह अपनी उंगलियों को अंदर की तरफ ले जाते हुए उसकी मालिश करने लगा और देखते ही देखते अपनी उंगलियों का स्पर्श अपनी नानी के गुलाबी बुर की पत्तियों पर करने लगा जिससे अंकित की नानी की हालत खराब होने लगी वह मदहोशी के आलम में डूबने लगी,,,, अंकित की हिम्मत बढ़ रही थी क्योंकि उसकी नानी इस समय बिल्कुल भी दिशा निर्देश नहीं दे रही थी वह इस पल का मजा ले रही थी और अंकित अपनी उंगलियों को हल्के हल्के अपनी नानी की बुर की गुलाबी पत्तियों पर रगड़ना शुरू कर दिया था ऐसा करने से जो आनंद की प्राप्ति उसे हो रही थी वह शायद वह बयान नहीं कर पाता वह पागल हुआ जा रहा था उसके लंड की अकड़ बढ़ रही थी उसकी उतेजना बढ रही थी,,,,। और अपनी नानी की बुर में से निकल रहा है मदन रस की बूंद को देखकर उसके मुंह में पानी आ रहा था,,, वह उस पर होठ लगाकर उसके मदन रस को चाटना चाहता था जैसा कि वह अपनी मां की गहरी नींद का फायदा उठाते हुए उसके गुलाबी बुर पर अपने होठ रखकर उसके मदन रस का पान किया था,,,,, बाहर के हल्के गुलाबी पत्तियों पर उंगली रगड़ते हुए अपनी नानी से बोला,,,)
अब कैसा लग रहा है नानी अब तो आराम है ना,,,,
आराम तो होने लगा है लेकिन अंदर का दर्द अभी भी कायम है वह नहीं जाता,,,,।
लेकिन वह कैसे जाता है नानी,,,,,(अंदर के दर्द के मतलब को अंकित अच्छी तरह समझ रहा था,, इतने महीनों से अपनी मां के पीछे यूं ही पापड़ नहीं बेला था,,, वह औरतों के इशारे को अच्छी तरह से समझने लगा था उसे अब यह भी समझ में आने लगा था कि उसकी मां का उसके सामने नग्न अवस्था में अर्धनग्न अवस्था में उसे अपनी तरफ आकर्षित करना आगे बढ़ने का इशारा था लेकिन वह सारे को अच्छी तरह से समझ नहीं पाता था लेकिन वह अब सबकुछ समझने लगा था,,,, इसका ताजा उदाहरण थी राहुल की मां उसके इशारे को अंकित अच्छी तरह से समझ गया था और हिम्मत दिखा कर उसकी दोनों टांगों के बीच अपने होठों को रखकर उसके बुर का रसपान किया था,,,। इस समय उसे लगने लगा था की हिम्मत दिखाने की जरूरत है और फिर उसे भी जीत हासिल हो जाएगी इसलिए वह अपनी नानी से इस तरह का सवाल पूछ रहा था अंकित का सवाल सुनकर उसकी नानी मुस्कुराते हुए बोली,,,)
क्या सच में तू मेरा दर्द दूर करना चाहता है,,,।
हां नानी बिल्कुल,,, मैं आज पूरी तरह से तुम्हारा दर्द दूर कर देना चाहता हूं इसी बहाने मुझे तुम्हारा सेवा करने का मौका तो मिला,,,।
तू तो बहुत अच्छा है रे,,, मेरे बारे में इतना तो सोचता है लेकिन,,,,(इतना कहकर वह खामोश हो गई तो उसकी ख़ामोशी देखकर अंकित उसकी गांड की मालिश करते हुए और अपनी उंगलियों को उसकी बुर तक पहुंचाते हुए बोला)
लेकिन क्या नानी,,,,?
क्या तू सच में मेरा दर्द दूर कर पाएगा,,,,।
हां बिल्कुल तुम बताओ तो सही दर्द कहां हो रहा है,,,,
अच्छा रुक मैं तुझे बताती हूं कि दर्द कहां हो रहा है,,,,,(इतना कहते हैं उसके गाने एकदम से फुर्ती दिखाते हुए करवट लेकर पीठ के बल लेट गई,,,, और इस अवस्था में देख कर तो अंकित की आंखें फटी के फटी रह गई उसकी हालत और ज्यादा खराब होने लगी क्योंकि इस समय उसकी नानी के खूबसूरत बदन के खूबसूरत अंग उसे खुले तौर पर दिखाई दे रहे थे,,,, अपनी नानी की बड़ी-बड़ी चूचियों को देखकर उसके मुंह में पानी आ रहा था अभी तक अंकित का ध्यान अपनी नानी की चूची पर बिल्कुल भी नहीं गया था लेकिन इस समय अपनी नानी की नंगी चूची देखकर उसकी बोलती है तुमसे बंद हो गई थी और वह अपनी नानी से च कोई देख रहा था जो कि इस समय पानी भरे गुब्बारे की तरह उसकी छाती पर लहरा रही थी।

अंकित कि नानी समय-समय पर अपनी जवानी का गोला अंकित के ऊपर दाग रही थी जिससे वह एकदम से ध्वस्त होता चला जा रहा था,,,, अंकित की रानी मां ही मन मुस्कुरा रही थी और अपनी दोनों टांगों को हल्के से खोलकर अपनी गुलाबी बुर को अच्छी तरह से अपने नाती की आंखों के सामने करते हुए बोली,,,,।
इसके अंदर दर्द हो रहा है क्या तू इसके अंदर का दर्द है मीटा पाएगा,,,,।
(अपनी नानी की बात सुनकर अंकित अपनी नानी की तरफ देखा और फिर अपनी नजरों को अपनी नानी की गुलाबी बुर की तरफ करते हुए बोला,,,)
इसके अंदर,,,(उंगली से अपनी नानी की बुर की तरफ इशारा करते हुए बोला)
हां इसके अंदर दर्द हो रहा है खुजली हो रही है क्या तू दूर कर पाएगा,,,,,,।
बिल्कुल नानी,,,(गहरी सांस लेते हुए) लेकिन इसके अंदर हाथ कैसे जाएगा यह तो बहुत छोटा सा छेद है,,,,(अंकित अपनी नानी की बातों को उसकी इशारों को अच्छी तरह से समझ रहा था और समझ गया था कि उसकी नानी इसके अंदर लंड डालने की बात कर रही है लेकिन अपने मुंह से कह नहीं पा रही है और अंकित जानबूझकर नादान बनने की कोशिश कर रहा था उसकी बातें सुनकर उसकी नानी मुस्कुराते हुए बोली)
भले ही है छोटा सा छेद है लेकिन इसमें बहुत मोटा मोटा और लंबा-लंबा चीज चला जाता है,,,।
क्या बात कर रही हो नानी ऐसा कैसे हो सकता है,,,,(अंकित जानबूझकर हैरान होने का नाटक करते हुए बोला,,,)
बिल्कुल ऐसा ही होता है लेकिन तू अभी नहीं समझ पाएगा क्योंकि तू इन सब चीजों से अभी गुजरा नहीं है,,,,,, इसलिए तू सिर्फ इसके अंदर अपनी उंगली डालकर उसे गोल-गोल घूमाकर मालिश कर दे,,,, अपनी उंगली को सरसों के तेल में डूबा कर मालिश करना,,,।
ठीक है नानी,,,,,(इतना कहकर अंकित अपनी नानी के दिशा निर्देश पर आगे बढ़ना चाहता था लेकिन तभी उसकी नानी कुछ और चाहती थी वह अपनी जवानी का जलवा पूरी तरह से अंकित के मन पर अंकित कर देना चाहती थी इसलिए अपने दोनों हाथों से अपनी चूची पकड़ कर वह उसे हल्के से दबाते हुए बोली)
अच्छा पहले मेरी चूचियों की मालिश कर दे,,,,।
(इतना सुनकर अंकित एक तक अपनी नानी की चूचियों की तरफ देखने लगा,,,