उसका नाम सुमित्रादेवी है वह मेरी प्यारी माताश्री थी उन्हें मेने पहली बार नग्न अवस्था में मेरे नेत्रों से निहारा.. उनके स्तन का आकार गोलाकार और उसपे अंगूर के दाने जैसे मिट्टी के रंग के दो बेहत ही कामुक स्तन के टेटे (टीला या चूसनी) है और उनके स्तन किसी पहाड़ी के केसे खड़े थे केसे किसी जंग में जा रहे हो.. स्तनों के नीचे पतली सी नाजुक कमर और उसके बाद आती है हगरी और गोल गोल नाभि...इस बिंदु के नीचे का मां का हिस्सा जैसे अचानक ही छोड़ा हो जाता है और हमें नजर आती है मां की गोल गोल आकार की बड़ी सी सुडोल सुगठित गांड़ और आगे उसके हकले हकले सुनहरे झाटे उसके अंदर जैसे मंद मंद मुस्करा रहे वो वैसे दो लाल रसीले होंठ जिन्हे चूसने का सौभाग्य बस एक मर्द को मिलता है वही उन्हें थोड़ा सा खोला जाए तो सामने आती हैं मां की योनी का द्वार जिसे खोल दिया तो आगे बस जन्नत है... जरा और नीचे आते ही मां के मखन जैसे नितंब और हिरनी सी टांगे... पेरो में चम चम करती पायल और कमर पे सोने का कमरबंद मां की खुबसूरती को हजार गुना और कामुक करने मैं कोई कसर नहीं छोड़ रहा था वही मां की सुहागन की दो निशानी उसकी मांग में भरा सुंदर और गले में दोनो स्तनों के बीच फर रहा उसका मंगलसूत्र मां को स्वर्ग की अप्सरा बना देता हे