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Satya vachqn bhaiya, aisa hi hoga'अनहोनी होनी नहीं, होनी होय सो होय'
हर घटना के पहले ही नहीं बाद में भी कारण होते हैं
देखते हैं इतने लोगों का बलिदान (?) क्या प्रतिफल देता है



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Satya vachqn bhaiya, aisa hi hoga'अनहोनी होनी नहीं, होनी होय सो होय'
हर घटना के पहले ही नहीं बाद में भी कारण होते हैं
देखते हैं इतने लोगों का बलिदान (?) क्या प्रतिफल देता है
तकरीबन 2700 मारे गये भाईकुछ लोग को छोड़कर ' सम्राट ' के सारे यात्री मारे गए । शायद सत्ताइस अट्ठाइस सौ लोगों की जान चली गई ।
यहीं पर आपके ओर मेरे विचार अलग है मित्र, कैप्टन सुयश एक काबिल कप्तान है इसमे कोई दोराय नहीं होनी चाहिए, एक दो बार तो वो खुद मौत से दो-दो हाथ करने को तैयार हुए थे। इस से ये साबित होता है कि वो कायर भी नही है, रही बात जहाज को द्वीप से दूर ले जाने की, तो उसका कारण वही था, सारे यात्रीगण की जान जोखिम मे डाल देनाबरमूडा ट्राइंगल की पहेली अपनी जगह है , यहां से बचकर निकलना अवश्य ही बहुत मुश्किल काम है लेकिन , जहाज का कैप्टन ही गलत डिसिजन लेने लगे , खतरे का सही आकलन न कर पाए तब कैप्टन पर सवालिया निशान खड़ा होता ही है ।
सुयश साहब ने खतरे की गंभीरता का सही आकलन नही किया । चाहे किसी मानव के करतूत से हो , या फिर चाहे कुदरत का इशारा रहा हो , जहाज बार-बार आइलैंड के करीब ही नजर आती थी । या यूं कहें , जहाज ने अपनी मंजिल स्वयं ढूंढ ली थी ।
लेकिन अफसोस कैप्टन साहब की जिद , हठधर्मिता की वजह से जहाज को आइलैंड की पहुंच से दूर कर दिया गया , बल्कि कई बार दूर किया गया ।
अगर समंदर मे घनघोर तुफान नही आया होता तो जो कुछ लोग बच गए हैं वह भी शायद बच न पाते । बहुत समय बर्बाद किया कैप्टन साहब ने । अगर पहले ही इस जहाज का रूख आइलैंड की ओर कर दिया गया होता तो शायद सभी की जान बच गई होती । न ही तुफान का सामना करना होता , न ही बिजली जहाज पर गिरी होती और न ही जहाज पर आग लगी होती ।
राइटर साहब कैप्टन साहब का लाख बचाव करें , लाख उसकी वकालत करें , मगर इन सभी लोगों की मौत का जिम्मेदार अगर कोई है तो वह सुयश साहब ही है ।
वैल अभी कहना मुश्किल है भाई, लेकिन मुझे लगाता है कि अभी ये द्वीप ओर भी बली लेगाखैर अब देखना है कि जो लोग बच गए हैं , वह वास्तव मे बच गए हैं या इस आइलैंड मे उनकी भी समाधि बन जानी है !
खुबसूरत अपडेट शर्मा जी ।
आउटस्टैंडिंग एंड अमेजिंग अपडेट ।
बहुत बहुत धन्यावाद भाईBahut hi shaandar update diya hai Raj_sharma bhai....
Nice and lovely update....
Update posted bhaiwaiting
Ye kya bhai,# 51 .
सुयश को इस तरह भागते देख ड्रेजलर से रहा ना गया। उसने मोटर बोट में रखी एक छोटी सी लोहे की रॉड उठा कर, सुयश के सिर पर मार दी-
“माफ करना कैप्टन, आपको बचाने के लिए यह सब करना बहुत जरूरी था।“
सुयश के सिर पर लगी चोट तगड़ी थी। वह तुरंत बेहोश होकर ब्रैंडन के हाथों में झूल गया। ब्रैंडन ने सुयश को असलम के हवाले कर दिया और डूबते हुए शिप के डेक पर खड़े लोगों से चिल्ला-चिल्ला कर पानी में कूदने के लिए कहने लगा।
मूसलाधार बरसात की बूंदे सभी के चेहरे पर तेज चोट कर रहीं थीं। अब तूफान भी अपने चरम पर था। ऐसा लग रहा था जैसे बादल भी शिप की बर्बादी पर जी भर कर रोना चाहते हैं।
तौफीक ने शिप को धंसते देख जेनिथ को पानी में कूदने का इशारा किया, पर जेनिथ इस अंधकार भरे समुद्र को देख कर ही डर रही थी। उसकी पानी में कूदने की हिम्मत नहीं पड़ रही थी। जेनिथ को इस तरह डरते देख तौफीक ने उसका हाथ कसकर अपने हाथ में थामा और एक झटके से पानी में छलांग लगा दी।
एक पल के लिए जेनिथ के मुंह से एक तेज चीख निकल गई, मगर बादलों की गड़गड़ाहट व लहरों के शोर के आगे वह चीख दबकर रह गई। ‘छपाक‘ की आवाज के साथ दोनों पानी में जा गिरे।
समुद्र का पानी बर्फ की तरह ठंडा था। एक पल में ही उन्हें अपना शरीर गलता हुआ प्रतीत हुआ। तेज झटका लगने के बाद भी तौफीक ने जेनिथ का हाथ नहीं छोड़ा। पानी के बाहर सिर निकलते ही वह दोनो तेजी से मोटर बोट की ओर तैरने लगे।
यह देख क्रिस्टी, ऐलेक्स, जैक,जॉनी व अलबर्ट ने भी पानी में छलांग लगा दी। सबकी कोशिश यही थी कि वह शिप से ज्यादा से ज्यादा दूरी पर गिरें क्यों कि शिप के पास गिरने पर वह शिप के साथ पानी में भी खिंच कर जा सकते थे।
तब तक जेनिथ व तौफीक मोटर बोट तक पहुंच गये। पानी की लहरें तेजी से उछलने के कारण समुद्र में तैरना बहुत मुश्किल हो रहा था । जैक, जॉनी, ऐलेक्स व क्रिस्टी भी बोट तक पहुंचने वाले थे, लेकिन अलबर्ट की सांसें उसका जवाब दे रही थीं।
अत्याधिक ठंडा पानी होने की वजह से अलबर्ट को अपना शरीर जमता हुआ महसूस होने लगा। अब सबकी निगाहें अलबर्ट पर थीं।
“कम ऑन प्रोफेसर.....जल्दी करिये ......शिप आधा डूब चुका है।“ ब्रैंडन अलबर्ट को देखते हुए चिल्लाया।
पर अलबर्ट की सांसें अब उसका साथ छोड़ रही थीं। उसके हाथ पैर शिथिल पड़ते जा रहे थे। यह देख ब्रैंडन ने तुरंत पानी में छलांग लगा दी।
वह तेजी से अलबर्ट की और तैरने लगा। कुछ ही देर में ब्रैंडन अलबर्ट के पास पहुंच गया। लेकिन तब तक अलबर्ट अर्धमूर्छित सा हो गया था।
“प्रोफेसर, हिम्मत रखिये........आप मुझे कस कर पकड़ लीजिए।“ ब्रैंडन ने बादलों की गरज के बीच चीखते हुए कहा।
अलबर्ट को सहारा मिलते ही थोड़ा राहत सी महसूस हुई। उसने अब ब्रैंडन को कसकर पकड़ लिया। कुछ ही देर में ब्रैंडन अलबर्ट सहित मोटर बोट पर था।
उधर शिप का डूबना लगातार जारी था। अब तक शिप की डेक पर सैकड़ों यात्री आ गये थे। शायद डेक का दरवाजा किसी ने खोल दिया था। बहुत से यात्री लाइफ बोट को उतारने में लग गये। किसी की भी समझ में नहीं आ रहा था कि आखिर सुप्रीम डूब कैसे रहा है?
उधर ब्रैंडन ने ड्रेजलर को मोटर बोट दूर ले जाने के लिए कह दिया। क्यों कि शिप के डूबते ही उसके रिक्त स्थान को भरने के लिए चारो ओर का पानी खिंच कर शिप के साथ अंदर चला जाता और आसपास की हर वस्तु भी उसमें समा जाती।
उनकी मोटर बोट अब लगातार शिप से दूर जा रही थी। चारो तरफ चीख-पुकार का माहौल था। शिप अब बहुत तेजी से पानी के अंदर समा रहा था। कुछ लोग डर के मारे शिप से वैसे ही पानी में कूद रहे थे।
अब तक चार पांच लाइफ बोट उतार ली गई थी, लेकिन उतरी हुई लाइफ बोट पर शिप के ऊपर से आदमी कूद रहे थे। उन्हें यह भी समझ नहीं आ रहा था कि ओवरलोड हो जाने के कारण, बोट पलट भी सकती है।
हर इंसान को बस अपनी जान की फिक्र थी। कुछ लोग लाइफ बोट उतरते ही उसे दूर लेकर भाग रहे थे। जिंदगी और मौत के बीच एक तगड़ा संघर्ष हो रहा था।
तभी आसमान से एक कड़कती हुई बिजली सुप्रीम के एक किनारे पर जाकर गिरी। शायद ईश्वर को भी उनका रोना देखा ना गया। शिप का वह भाग जिस पर बिजली गिरी थी, पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया। सैकड़ों उस जगह पर खड़े आदमी बिजली से बुरी तरह झुलस गए।
शिप के उस भाग में आग भी लग गयी। लेकिन मूसलाधार बारिश उसे तेजी से बुझा भी रही थी। तभी शिप का एक मस्तूल चरमराते हुए एक लाइफ बोट पर जा गिरा। बच कर निकल जाने की आशा से भाग रहे कई यात्री उस बोट सहित जल समाधि ले लिए।
अब शिप टूटकर बड़ी तेजी से पानी में समाने लगा। मौत का ऐसा भयानक तांडव शायद ही किसी ने देखा हो। बादल भी उनकी मौत पर जोर-जोर से चीख रहे थे।
तभी टूटे हुए शिप के कुछ भाग में लगी आग फैलते-फैलते शिप में बिखरे पड़े फ्यूल तक पहुंच गयी। धीरे-धीरे जल रही आग, फ्यूल का साथ पाते ही खुशी से झूम उठी।
अब आग की लपटें पूरे शिप को अपने आगोश में लेने के लिए मचल उठीं। एक तरफ प्रलयंकारी समुद्री तूफान, दूसरी तरफ प्रचंडकारी आग की लपटें, और ऊपर से विशालकाय मुंह फाड़े समुद्र, मानो सभी कुछ आज इन असहाय यात्रियों को निगल लेना चाहती हो।
वह सारे यात्री जो अपनी जिंदगी के लिए अंतिम जद्दोजहद कर रहे थे, अब अपनी अंतिम घड़ी में ‘टुकुर-टुकुर‘ उस मुस्कुराते रहस्यमय द्वीप को आशा भरी नजरों से निहार रहे थे।
कुछ ही क्षणों में भयानक आवाज करता हुआ ‘सुप्रीम’ पानी के अंदर समा गया। एक तरफ से सभी यात्रियों की आशा का अंत हो चुका था।
तभी एक भयानक धमाका समुद्र के अंदर हुआ। लग रहा था कि आग शिप के फ्यूल टैंक तक पहुंच गयी थी। धमाका इतना जोरदार था कि उस स्थान का पानी सैकड़ों फिट ऊपर हवा में उछल गया।
धमाके की वजह से दो और लाइफ बोट समुद्र में उलट गईं। कुछ जिंदा बचे वह यात्री, जो लाइफ जैकेट बांधे समुद्र में जिंदा रहने का प्रयास कर रहे थे, इस भयानक धमाके का शिकार हो गए।
लहरों की सतह पर इस समय लाशों का एक अंबार दिखाई दे रहा था। हर तरफ तैरती हुई जली-कटी लाशें एक भयानक मंजर नुमाया कर रहीं थीं।
ऐसा लग रहा था जैसे प्रलय हो चुकी हो और यह कोई लाशों का समुद्र हो। धीरे-धीरे बादलों के पास भी आंसू खत्म होने लगे और बरसात धीमी पड़ती गयी।
6 जनवरी 2002, रविवार, 20:10; अटलांटिक महासागर:-
जब सब कुछ सामान्य होने लगा तो ब्रैंडन ने ड्रेजलर को मोटर बोट उस दिशा में मोड़ने के लिए कहा, जहां अभी-अभी सुप्रीम डूबा था।
अब तो लोगों के कराहने की आवाज भी आनी बंद हो गई थी। लगभग 6-7 लाइफ बोट में सवार बामुश्किल 50 आदमी ही बच पाए थे।
तब तक लगातार चेहरे पर बूंदे गिरते रहने के कारण सुयश को भी होश आ गया था।
“क्या हुआ?.....सुप्रीम कहां है?... ... कहां है हमारा शिप?“ सुयश ने उठते ही अचकचाकर इधर-उधर देखा।
सुयश के शब्द सुन किसी के भी मुंह से बोल न निकला।
“मैं पूछता हूं...... ‘सुप्रीम’ कहां है? कोई बोलता क्यों नहीं ?
सभी को चुप देख सुयश का दिल किसी अंजानी आशंका से धड़क उठा।
“सॉरी कैप्टेन, हम सुप्रीम को नहीं बचा सके।“ असलम की आवाज में दुख के भाव थे- “वह इस खूनी त्रिकोण की कातिल लहरों के बीच खो गया।“
सुयश यह सुनकर एकदम शाक्ड हो गया। उसने दोनों हाथ से अपना चेहरा छिपाया और बिना कुछ बोले धीरे-धीरे मोटर बोट में बैठ गया।
मोटर बोट अब उस जगह पर पहुंच गयी जहां सुप्रीम डूबा था। हर तरफ यात्रियों की लाशें दिख रहीं थीं।
जारी रहेगा________![]()
Niceमिलता तो बहुत कुछ है इस ज़िन्दगी में….,
बस हम गिनती उसी की करते है जो हासिल ना हो सका….![]()
Happy new yearतो दोस्तों सभी को नव वर्ष की शुरुआत पर ढेर सारी शुभ कामनाएं, भगवान आप सभी को स्वस्थ और मस्त रक्खे। ।
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To aakhir Shefaali bhi mil gayi matlab ye pakka hai ki wahi is kahani ki nayika hai, suyash bechare ke hath me sivaay afsos karne ke kuch bhi nahi hai# 52 .
अच्छा ही हुआ कि सुयश चेहरे को ढके हुए चुपचाप बैठा था, नहीं तो वो यह लाशों का समुद्र देखकर तो पागल ही हो जाता।
वह लाशों के अंबार में किसी जीवित व्यक्ति को ढूंढ रहे थे। धीरे-धीरे बाकी की लाइफ बोट भी इनके पास आ गयीं। अब सभी धीरे-धीरे हर तरफ नजर डालते हुए आगे बढ़ रहे थे।
अगर साधारण तरीके से जहाज डूबता तो शायद बहुत से लोग जीवित बच गए होते। परंतु जहाज पर गिरी बिजली, उस में लगी आग और फ्यूल टैंक में हुए धमाके के कारण लोगों के बचने की संभावना काफी कम हो गई थी।
फिर भी सभी किसी उम्मीद से बंधे जिंदा लोगों को ढूंढने की काशिश कर रहे थे। तभी इन्हें किसी कुत्ते की भौंकने की आवाज सुनाई दी- “भौं....भौं।“ आवाज काफी दबी थी लेकिन फिर इन्हें सुनाई दे गयी।
“टॉर्च उधर करो....... उधर।“ ड्रेजलर ने चीखकर ब्रैंडन को आवाज की दिशा में इशारा किया- “उधर शायद कोई है?“ ब्रैंडन ने आवाज की दिशा में टॉर्च घुमाई।
“यह तो ब्रूनो है।“ अलबर्ट खुशी से चीख उठा- “उसके साथ शायद शैफाली भी है। उन्हें तुरंत बोट पर खींच लो।“
वह वास्तव में ब्रूनो ही था जो एक दिशा से तैरता हुआ उनकी तरफ आ रहा था। उसके गले में किसी प्रकार का एक कपड़ा फंसा हुआ था । कपड़े का दूसरा सिरा एक भारी लकड़ी के तख्ते से बंधा हुआ था और उस तख्ते पर शैफाली चिपकी हुई थी।
तुरंत दोनों को सहारा देकर बोट पर खींच लिया गया। शैफाली पूरी तरह बेहोश थी। उसे मोटर बोट की फर्श पर लिटा दिया गया। ब्रूनो अभी भी शैफाली को देख रहा था। अपने शरीर पर लगे पानी को झटक कर साफ करने के बाद ब्रूनो शैफाली के चेहरे के पास बैठकर अपनी जुबान से उसका मुंह चाटने लगा।
“ईश्वर का लाख-लाख शुक्र है कि ये जिंदा बच गई।“ अलबर्ट ने शैफाली के सिर पर हाथ फेरते हुए कहा।
“ध्यान से देखो शायद अभी कोई और भी जिंदा हो।“ असलम ने अपने लेदर बैग को टटोलते हुए कहा। सभी की नजरें तेजी से पानी में फिर रहीं थीं।
अचानक एक अजीब सी आवाज सुनाई दी- “गुलुप!“
“यह आवाज कैसी ?“ ब्रैंडन ने टॉर्च की रोशनी आवाज के दिशा में करते हुए कहा। लेकिन इधर-उधर टॉर्च करने पर भी उन्हें ऐसा कुछ दिखाई नहीं दिया, जिससे वह यह पता लगा पाएं कि आवाज कहां से आई थी ?
तभी वही आवाज दूसरी तरफ से इन्हें पुनः सुनाई दी- “गुलुप!“
ब्रैंडन ने तुरंत अपनी टॉर्च उस दिशा में घुमादी। मगर फिर से उन्हें कुछ न दिखाई दिया।
तभी वही आवाज दूसरी तरफ से दो बार सुनाई दी- “गुलुप.....गुलुप“
ब्रैंडन को किसी खतरे का अहसास हुआ। अब वह तेजी से इधर-उधर टॉर्च मारने लगा। तभी ब्रैंडन की नजर टॉर्च की रोशनी में मोटर बोट के पास तैर रही एक लाश पर पड़ी-
“गुलुप“ और उसके देखते ही देखते वह लाश ‘गुलुप‘ की आवाज करती हुई पानी में समा गई।
इससे पहले कि कोई और कुछ समझ पाता, बोट के पास तैरती हुई कई और लाशें ‘गुलुप‘ की आवाज करतीं पानी में समा गईं। इस बार यह दृश्य बोट के कई लोगों ने देखा।
अब लाशों का पानी में खिंचने का सिलसिला तेज हो गया।
“गुलुप....गुलुप....गुलुप....गुलुप।“ “भागो द्वीप की ओर भागो..... अपनी जान बचाओ......।“ ब्रैंडन यह देखकर गला फाड़कर चीख उठा- “यह मौत का समुंदर है, सभी को निगल जाएगा।“
ब्रैंडन की चीख सुनकर सुयश भी जैसे होश में आ गया। वह अपने सारे दुख को भूलकर उठकर खड़ा हो गया और अजीब सी नजरों से लाशों को पानी में खींचते हुए देखने लगा।
ड्रेजलर ने भी जैसे इस दृश्य को देखा। उसने मोटर बोट स्टार्ट करके तेजी से द्वीप की ओर दौड़ा दी। तब तक उनके आसपास का पूरा क्षेत्र लाशों से खाली हो चुका था। लाशें लगातार पानी के अंदर खिंच रहीं थीं।
बरसात अब बिल्कुल बंद हो चुकी थी। बादल भी सबकी मौत का तमाशा देखने के बाद अब धीरे-धीरे छंट रहे थे। लेकिन ठंडी हवा के थपेड़े अब भी बचे हुए लोगों के शरीर से टकरा कर झुरझुरी उत्पन्न कर रहे थे।
सुयश एकाएक जैसे पिछली सारी बातें भूल गया। वह पीछे लाइफ बोट में छूट गए बाकी यात्रियों को जल्दी द्वीप पर पहुंचने के लिए कहने लगा। चूंकि उनके पास मोटर बोट थी इसलिए वह तेजी से द्वीप की ओर बढ़ रहे थे।
जबकि बाकी सातों लाइफ बोट के लोग उसे चप्पू से चला रहे थे, जिसकी वजह से वह काफी पीछे थे। ड्रेजलर को छोड़कर बाकी सभी की नजरें पीछे आ रही लाइफ बोट्स पर थीं।
लाशों से भरा समुद्र अब बिल्कुल खाली हो चुका था। ड्रेजलर को अपनी मंजिल यानि कि वह द्वीप सामने देख रहा था। तभी अचानक पीछे आ रही एक लाइफ बोट को झटका लगा और वह समुद्र में पलट गई।
“यह क्या ?... वह बोट अचानक कैसे पलट गयी ?“ ऐलेक्स ने हैरानी स कहा।
उस बोट के सभी यात्री पानी में तैरते हुए बोट को सीधा करने की कोशिश करने लगे। अचानक एक चीख के साथ उसमें से 2 यात्री पानी में समा गये।
“ड्रेजलर बोट को वापस मोड़ो....... वहां सभी यात्री खतरे में हैं।“ सुयश ने लगभग आर्डर देते हुए कहा।
“कोई फायदा नहीं है कैप्टेन। जब तक हम वहां वापस पहुंचेंगे, वो सारे लोग मारे जा चुके होंगे।.....यह मौत का समुंदर है...........यहां से कोई बचकर नहीं जा सकता..... हमें जल्द से जल्द द्वीप पर पहुंच जाना चाहिए.......हम वहीं सुरक्षित हैं।“
ड्रेजलर की आवाज में मौत की सी ठंडक थी।
तभी उनके देखते ही देखते एक-एक करके तीन और बोट्स पानी में पलट गईं। ऐसा लग रहा था जैसे सागर की लहरें उन्हें द्वीप पर जाने नहीं देना चाहती।
द्वीप धीरे-धीरे पास आता जा रहा था। पीछे आ रहीं अब सारी बोट पलट चुकीं थीं और बोट में मौजूद सारे यात्री उस खूनी समुद्र की भेंट चढ़ चुके थे।
थोड़ी ही देर में इनकी मोटर बोट द्वीप की रेतीली सतह से टकरा कर रुक गई। जमीन की सतह का स्पर्श एक तरह से सभी को रोमांचित कर रहा था।
उन्हें विश्वास नहीं आ रहा था कि वह सभी इतने भयानक मौत के तांडव के बाद बच निकलने में सफल हो गए हैं। तौफीक ने बेहोश शैफाली को अपनी गोद में उठा लिया और बाकी सभी लोगों की तरफ से उतरकर किनारे की तरफ चल दिया।
जेनिथ बिल्कुल उसके साथ-साथ चल रही थी। क्रिस्टी ने भी ऐलेक्स का हाथ थाम रखा था। जैक और जॉनी के चेहरे पर भी जिंदगी की खुशी स्पष्ट देखी जा सकती थी।
अलबर्ट और सुयश की निगाह द्वीप के अंदर के हिस्से की तरफ थी। असलम अपने काले लेदर बैग को संभाले हुए था, लेकिन उसके पैरों में थकान झलक रही थी। उसके चेहरे पर अफसोस के भाव थे।
ब्रूनो भी इधर-उधर देखता हुआ तौफीक के पीछे-पीछे चल रहा था। ड्रेजलर और ब्रैंडन बोट को रेतीली सतह पर खींचकर काफी आगे तक ले आए। उन्होंने मोटरबोट में रखी रस्सी से बोट को एक पत्थर से बांध दिया जिससे लहरें उसे खींच कर वापस ना ले जा सकें।
सुयश ने आगे बढ़ते हुए पुनः एक बार पलटकर पीछे उस विशाल समुद्र को देखा, पर उसे दूर-दूर तक अठखेलियां करती हुई सागर की लहरों के सिवा कुछ नहीं दिखाई दिया। यहां तक कि ‘सुप्रीम’ का मलबा और उलट गयी सातो लाइफ बोट के अवशेष भी अब नजर नहीं आ रहे थे।
अनायास ही सुयश की आंखों से दो बूंद आंसू निकल आए। शायद यह “सुप्रीम” के लिए अंतिम श्रद्धांजलि स्वरुप थे।
जारी रहेगा_________![]()
Thank you very much for your wonderful review and support bhaiYe kya bhai,Supreme to doob gaya? Ab aage ka safar kaise tay hoga? Ta umar dweep per thodi rahenge? Waise hua bohot bura
2700 ke aaspas aadmi mare gaye, isi liye suyash ji waha se door le jana chahte the jahaaj ko
chalo jo hai so hai, ab kiya bhi kya ja sakta hai.? Ab to ye dekhna hai ki dweep per kya hota hai? Kya waha per sab bach jayenge ya ye dweep sabki bali lega, awesome update bhai ji
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