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Incest Ek Bhai Ki Vasna (Completed)

Siraj Patel

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Ek Bhai Ki Vasna
UPDATE - 39



आपने अभी तक पढ़ा..
उसकी चूत के दोनों फलकों के निचले हिस्से में जहाँ पर चूत की लकीर खत्म होती है.. वहाँ पर पानी का एक क़तरा चमक रहा था।
जाहिरा की कुँवारी चूत से निकल रही चूत का रस का क़तरा.. जो कि अपनी गाढ़ेपन की वजह से उस जगह पर जमा हुआ था और आगे नहीं बह रहा था।
जाहिरा की कुँवारी चूत के क़तरे की चमक से मेरी आँखें भी चमक उठीं और मैं वो करने पर मजबूर हो गई.. जो कि मैंने आज तक कभी नहीं किया था.. सिर्फ़ मूवी में देखा भर था।
अब आगे लुत्फ़ लें..

मैंने जाहिरा की दोनों जाँघों को खोल कर दरम्यान में जगह बनाई और वहाँ पर बैठ कर नीचे को झुकी.. और अपनी ज़ुबान की नोक को निकाल कर जाहिरा की चूत की लकीर के बिल्कुल निचले हिस्से में चमक रही उसकी चूत के रस के क़तरे को अपनी ज़ुबान पर ले लिया।
मैं ज़िंदगी में पहली बार किसी औरत की चूत के पानी को टेस्ट कर रही थी। जाहिरा की चूत के पानी के इस रस में हल्का मीठा मीठा सा.. अजीब सा ज़ायक़ा था।

जैसे ही मेरी ज़ुबान ने जाहिरा की चूत को छुआ.. तो जाहिरा का जिस्म काँप उठा। उसने आँखें खोल कर मेरी तरफ देखना शुरू कर दिया। मैंने दोबारा से झुक कर जाहिरा की चूत के बाहर के मोटे होंठों पर अपनी गुलाबी होंठ रखे और उसे एक चुम्मा दिया।
जाहिरा के जिस्म को जैसे झटके से लग रहे थे।
आहिस्ता आहिस्ता मैंने जाहिरा की चूत के ऊपर चुम्बन करने शुरू कर दिए।

फिर मैंने अपनी ज़ुबान की नोक बाहर निकाली और आहिस्ता आहिस्ता ऊपर से नीचे को अपनी ज़ुबान को उसकी चूत की लकीर पर फेरने लगी।
अब जाहिरा की चूत ने और भी पानी छोड़ना शुरू कर दिया था।

अपनी दोनों हाथों की एक-एक उंगली जाहिरा की चूत के बाहर के फलकों पर रख कर आहिस्ता से उसकी चूत को खोला.. तो आगे उसकी चूत की गुलाबी फलकों की अंदरूनी रंगत नज़र आने लगी।

बिल्कुल पतले-पतले और छोटे फलकें थीं.. जो कि साफ़ दिखा रही थीं कि यह चूत अभी तक बिल्कुल कुँवारी है और इसके अन्दर अभी तक किसी भी लंड को जाना नसीब नहीं हुआ है।

मैं दिल ही दिल में मुस्कराई कि खुशक़िस्मत है फैजान.. जो उसे अपनी बहन की कुँवारी चूत को खोलने का मौक़ा मिलेगा।

फिर मैंने नीचे झुक कर जाहिरा की चूत के एक गुलाबी फोल्ड को अपने दोनों होंठों के दरम्यान ले लिया और उसे आहिस्ता से चूसने लगी।

दोनों गुलाबी फलकों के बिल्कुल ऊपर.. जहाँ पर वो मिल रहे थे.. एक छोटा सा.. बिल्कुल छोटा सा.. जाहिरा की चूत का दाना नज़र आ रहा था।

मैंने जैसे ही उसे देखा तो अपनी उंगली से उसे मसलने लगी। आहिस्ता आहिस्ता उस पर अपनी उँगलियाँ फेरने के साथ ही जाहिरा की चूत से जैसे पानी निकलने की रफ़्तार और भी बढ़ गई।

धीरे-धीरे मैंने उसकी चूत के दाने को अपनी ज़ुबान से चाटना शुरू कर दिया और फिर जैसे ही अपने दोनों होंठों को उसके ऊपर रख कर जोर से चूसा.. तो जाहिरा तो तड़फ ही उठी।

‘भाभीईई… ईईईईई.. ओाआहह.. आआहह.. आहह.. क्य्आआ कर दियाआ.. ऊऊहह..’

मैं मुस्करा दी और फिर अपनी ज़ुबान को नीचे को लाते हुए जाहिरा की कुँवारी चूत के बिल्कुल तंग और टाइट सुराख के अन्दर डालने लगी।

बड़ी मुश्किल से मेरी ज़ुबान जाहिरा की चूत के अन्दर दाखिल हो रही थी। मैंने आहिस्ता आहिस्ता अपनी ज़ुबान को जाहिरा की चूत के अन्दर बाहर करना शुरू कर दिया।

जाहिरा से भी अब बर्दाश्त करना मुश्किल हो रहा था.. उसने अपना हाथ मेरे सर पर रखा और मेरे सर को अपनी चूत पर दबाते हुए अपनी चूत को ऊपर उठा कर मेरे मुँह में घुसेड़ने की कोशिश करते हुए एकदम से झड़ने लगी।
जाहिरा का निचला जिस्म बुरी तरह से झटके खा रहा था और पानी उसकी चूत से निकल रहा था।

मेरी ज़ुबान जाहिरा की चूत के अन्दर अब भी थी.. और मुझे उसकी टाइट चूत की नसें सुकड़ती और फैलती हुई बिल्कुल वाजेह तौर पर महसूस हो रही थीं।

जाहिरा की जाँघों को सहलाते हुए मैं आहिस्ता आहिस्ता उसे रिलेक्स करने लगी। उसकी आँखें बंद थीं और साँस तेज चल रही थीं।
गोरे-गोरे चूचे.. बड़ी तेज़ी के साथ ऊपर-नीचे को हो रहे थे। मैंने उसके साथ लेटते हुए उसे अपनी बाँहों में समेट लिया।
साथ ही जाहिरा ने भी अपना मुँह मेरे सीने में छुपाते हुए अपनी आँखें बंद कर लीं।

अब मैं आहिस्ता आहिस्ता उसकी कमर पर हाथ फेरते हुए उसे शांत कर रही थी।
पहली बार इतना ज्यादा मज़ा लेने के बाद जाहिरा एकदम से नींद की आगोश में चली गई। मैंने उस ‘स्लीपिंग ब्यूटी’ की पेशानी को एक बार चूमा और उठ कर रसोई में आ गई।

दोपहर को जाहिरा ने नहा कर एक टी-शर्ट और लाल रंग की चुस्त लैगी पहन ली थी.. जिसमें उसका जिस्म बहुत ही सेक्सी नज़र आ रहा था।

जब फैजान घर आया.. गेट मैंने ही खोला। फैजान ने अन्दर आकर जब कपड़े आदि बदल लिए.. तो मैं रसोई में आ गई ताकि खाना गरम करके निकाल सकूँ।

जैसे ही फैजान ने मुझे रसोई में जाते देखा.. तो वो टीवी लाउंज से उठ कर जाहिरा के कमरे की तरफ चला गया।
मुझे पता था कि वो यही करेगा।

रसोई से निकल कर मैंने छुप कर जाहिरा के कमरे में झाँका.. तो देखा कि जाहिरा कमरे में फैजान के आगे-आगे भाग रही है और फैजान उसे पकड़ने की कोशिश कर रहा है।

कमरा कौन सा बहुत बड़ा था.. जो वो उसके हाथ ना आती… जल्द ही फैजान ने उसको हाथ से पकड़ा और खींच कर अपने सीने से लगा लिया।

जाहिरा मचलते हुई बोली- छोड़ दो भैया.. मुझे वरना मैं जोर से चीखूँगी और फिर भाभी आ जाएंगी।
फैजान- क्या है यार.. तू दो मिनट के लिए चुप नहीं रह सकती.. मैं तुझे खा तो नहीं जाऊँगा ना..
जाहिरा हँसते हुए बोली- आप कोशिश तो खाने की ही कर रहे हो ना..!

फैजान अपने होंठों को जाहिरा के गालों की तरफ ले जाते हुए उसको सहलाने लगा।

फैजान ने अपनी बहन जाहिरा को अपनी बाँहों में समेटा हुआ था और अब अपने होंठों को उसके होंठों पर रखने में कामयाब हो चुका था।

जैसे-जैसे फैजान जाहिरा के होंठों को किस कर रहा था.. वैसे-वैसे ही जाहिरा की दिखावटी मज़ाहमत भी ख़त्म होती जा रही थी। वो भी आहिस्ता आहिस्ता खुद के जिस्म को ढीला छोड़ते हुए खुद को अपने भाई के हवाले कर चुकी थी।

फैजान अब आहिस्ता आहिस्ता जाहिरा के होंठों को चूम रहा था और फिर उसके निचले होंठ को अपने होंठों में लेकर चूसने लगा।

जाहिरा की बाज़ू भी अपने भाई की कमर की गिर्द लिपट चुकी थी और वो भी आहिस्ता-आहिस्ता उसके जिस्म को सहला रही थी।

मैंने देखा कि फैजान ने अपनी ज़ुबान को जाहिरा के मुँह के अन्दर दाखिल करने की कोशिश करते हुए उसकी टी-शर्ट को ऊपर उठाना शुरू कर दिया था।


जाहिरा फैजान के हाथ पर अपना हाथ रखते हुई बोली- भैया.. भाभी आ जाएंगी.. कुछ भी ना करो न.. प्लीज़।
फैजान- नहीं.. वो नहीं आएगी..
जाहिरा- भाभी हैं कहाँ पर?

फैजान- वो रसोई में है.. तुम उसकी फिकर मत करो.. बस मैं जल्दी से चला जाऊँगा..

यह कहते हुए फैजान ने जाहिरा की टी-शर्ट को ऊपर किया और नीचे उसकी गुलाबी रंग की ब्रेजियर में छुपी हुई चूचियाँ उसके भाई की नज़रों के सामने आ गईं।
फैजान ने अपनी बहन की ब्रेजियर के ऊपर से ही उसकी एक चूची को अपनी मुठ्ठी में भर लिया और उसे आहिस्ता आहिस्ता दबाने लगा।

ऊपर वो अपनी ज़ुबान को जाहिरा के मुँह में डाल चुका था और वो आहिस्ता आहिस्ता उसे चूस रही थी।

फैजान का एक हाथ जाहिरा की लेग्गी के ऊपर से ही उसके चूतड़ों को सहला रहा था। एक भाई के हाथ अपनी ही सग़ी बहन की गाण्ड पर रेंगते हुए देख कर मेरी तो अपनी चूत ने पानी छोड़ना शुरू कर दिया था।

अब फैजान ने जाहिरा का हाथ पकड़ा और अपने लंड के ऊपर रखने लगा।
 

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Ek Bhai Ki Vasna
UPDATE - 40



आपने अभी तक पढ़ा..
पहले तो जाहिरा ने अपना हाथ हटाने की कोशिश की.. लेकिन फिर उसने आख़िर अपने भाई का लंड पकड़ ही लिया।
कुछ देर तक फैजान के लंड को सहलाने के बाद जाहिरा बोली- बस भाई.. अब मुझे छोड़ दो प्लीज़.. फिर कर लेना..
फैजान- फिर कब?
जाहिरा- जब मौका मिले तब.. आप कौन सा अब मुझे बख्शने वाले हो.. जब भी मौका मिलेगा.. कुछ ना कुछ तो करोगे ही ना आप..
फैजान ने मुस्कुरा कर जाहिरा के होंठों को जोर से चूमा और जाहिरा ने भी एक बार जोर से उसके लण्ड को अपनी मुठ्ठी में जोर से दबाया और फिर उससे अलहदा होने लगी।

फैजान ने पीछे को हट कर अपने शॉर्ट्स को नीचे खींचा और अपने लंड को बाहर निकाल कर उसके सामने खुद को नंगा कर दिया।
जाहिरा अपनी मुँह पर हाथ रखते हुए बोली- ऊऊऊ.. ऊऊओफफ.. उफफफ्फ़.. भैया.. आप कितने बेशरम हो.. कुछ तो भाभी का ख्याल करो.. किसी ने देख लिया.. तो क्या सोचेगा कि आप अपनी बहन के साथ ही यह सब कर रहे हो?
फैजान अपने लंड को हिलाते हुए बोला- हाँ.. तो क्या है.. मैं अपनी बहन के साथ ही कर रहा हूँ ना.. किसी और की बहन के साथ तो नहीं ना..
जाहिरा चुप होकर मुस्कुराने लगी।

फैजान- यार एक किस तो कर दो इस पर..
जाहिरा- नहीं भैया.. अभी नहीं करूँगी।
फैजान- प्लीज़्ज़.. मेरी प्यारी सी बहना हो ना.. तो जल्दी से एक बार कर दो..
जाहिरा- भैया आप बहुत ही ज़िद्दी और बेसब्र हो।
यह कहते हुई वो नीचे को झुकी और अपने हाथ में अपने भैया का लंड पकड़ कर उसकी मोटी फूली हुई टोपी पर एक किस किया और फिर जल्दी से बाहर की तरफ भागने लगी।

फैजान ने फ़ौरन ही उसे पकड़ा और बोला- अब एक किस मुझे भी तो दे कर जाओ ना..

जाहिरा ने अपने होंठों को उसके आगे कर दिए.. लेकिन फैजान ने नीचे बैठ कर उसकी टाइट लेगिंग के संगम पर उसकी लेग्गी के ऊपर से ही उसकी चूत पर अपनी होंठों रखा और एक जोरदार चुम्बन करके बोला- ठीक है.. अब जाओ.. बल्कि ठहरो.. मैं पहले जाता हूँ.. तुम बाद में आना..

उनकी बात सुन कर मैं जल्दी से रसोई में आ गई और फिर फैजान बाहर आ कर बैठ गया और उसने वहीं से मुझे आवाज़ दी- डार्लिंग.. क्या बात है इतनी देर लगा दी है.. कहाँ रह गई हो?
मैं मुस्कुराई और फिर खाने की ट्रे लेकर बाहर आ गई और बाहर आते हुए जाहिरा को भी आवाज़ दी- आ जाओ जल्दी से खाने के लिए..

खाने के दौरान भी मेरा दिल खाने में नहीं लग रहा था.. बल्कि मैं दोनों बहन-भाई को ही देखने की कोशिश कर रही थी कि मेरे सामने बैठ कर भी वो कैसी हरकतें कर रहे हैं।

अचानक फैजान बोला- डार्लिंग.. क्या बात है.. तुम खाना ठीक से नहीं खा रही हो.. तुम्हारी तबीयत तो ठीक है ना?
मैं- तबीयत.. हाँ हाँ.. ठीक ही है.. कुछ नहीं हुआ मुझे.. मैं ठीक हूँ।
फैजान- लेकिन तुम ठीक लग तो नहीं रही हो।

अचानक से मेरे दिमाग में एक ख्याल कौंधा- हाँ.. बस दोपहर से थोड़ी तबीयत ठीक नहीं है.. मेरा जिस्म थोड़ा गरम हो रहा है.. और मुझे तो बुखार सा महसूस हो रहा है।
फैजान- तो कोई दवा लो ना..
मैं- हाँ.. मैं खाना खाकर कोई दवा लेती हूँ।

ऐसी ही बातें करते हुए हमने खाना खत्म किया और जाहिरा ने ही बर्तन समेटने शुरू कर दिए।
कुछ बर्तन लेकर जाहिरा रसोई में गई तो बाक़ी के बर्तन उठा कर फैजान भी उसके पीछे ही चला गया.. हालांकि कभी उसने पहले ऐसे बर्तन नहीं उठाए थे।

अन्दर रसोई में बर्तन छोड़ कर उसने बाहर आने में काफ़ी देर लगाई। मुझे पता था कि अन्दर क्या हो रहा होगा.. लेकिन मैं सोफे पर लेटी रही और उठ कर देखने नहीं गई।

थोड़ी देर के बाद फैजान बुखार की दवा लाया और मुझे पानी के साथ दी। मैंने वो दवा खा ली और बोली- तुम लोग एसी वाले कमरे में सो जाओ आज.. मैं जाहिरा के कमरे में सो जाऊँगी.. एसी में तो ज्यादा सर्दी लगेगी ना..

फैजान के चेहरे पर फैलती हुई ख़ुशी की लहर को मैंने फ़ौरन ही महसूस कर लिया और दिल ही दिल में मुस्कुरा दी।

मैं उठ कर जाहिरा वाले कमरे में गई और वहीं बिस्तर पर लेट गई।

कुछ ही देर में जाहिरा मेरा हाल पूछने आई और बोली- भाभी मैं भी आपके पास ही सो जाती हूँ.. थोड़ा रेस्ट ही तो करना है ना..

मैं- नहीं नहीं.. तुम उधर एसी में सो जाओ जाकर.. ऐसे हम बातें ही करते रहेंगे.. मैं थोड़ी देर के लिए आँख लगाना चाहती हूँ.. तुम जाओ.. मैं ठीक हूँ।

जाहिरा मुस्कुराई और बोली- लगता है कि भाभी सुबह आपकी जिस्म की गर्मी नहीं निकल पाई ना.. इसलिए आपको बुखार हो गया है।
मैं मुस्कुराई और बोली- तुझे बड़ी बातें आने लग गईं हैं ना..
वो हँसने लगी और बोली- भाभी आप कहो तो मैं आपकी कुछ ‘मदद’ करूँ?

मैं मुस्कुराई और बोली- नहीं रहने दे तू.. और करने ही है.. तो जाके अपने भैया की ‘मदद’ कर देना..
जाहिरा थोड़ा घबराई और फिर बोली- नहीं भाभी.. अब मैं जाग रही हूँ ना.. तो उनको कोई ऐसा मौका नहीं दूँगी..

पता नहीं क्यों.. वो सब कुछ मुझसे छुपाना चाहती थी और मैं भी अभी इस गेम को इसी तरह से खेलते रहना चाह रही थी।
खैर.. जाहिरा चली गई.. तो मैं भी उसके बिस्तर पर लेट कर सोने का इन्तजार करने लगी।

क़रीब 5 मिनट की बाद मैं उठी और बाथरूम के रास्ते जाकर अन्दर झाँकने लगी.. तो अन्दर कमरे की रोशनी में मेरे ही बिस्तर पर दोनों बहन-भाई एक-दूसरे से लिपटे हुए पड़े थे।
जाहिरा- प्लीज़ भैया.. भाभी आ जाएंगी..
फैजान- अरे यार.. नहीं आती वो अब दवा लेकर सो गई है।

फैजान ने जाहिरा को सीधा किया और उसकी टी-शर्ट को ऊपर करने लगा। टी-शर्ट को ऊपर तक उसकी गले तक ले जाकर उसे निकालने लगा।
तो जाहिरा बोली- नहीं भैया.. यहीं तक रहने दो.. फिर जल्दी में पहनने में दिक्कत होगी।

फैजान ने ‘ओके’ कहा और फिर झुक कर अपनी बहन की ब्रेजियर के ऊपर से उसकी चूची पर किस करके बोला- बहुत खूबसूरत चूचियाँ हैं तुम्हारे. इतने दिन से देख रहा था और दिल ललचा रहा था।
जाहिरा- सिर्फ़ दिल ही नहीं ललचा रहा था.. बल्कि मुझे रातों में तंग भी कर रहे थे ना आप.. और आपने पहले से ही इनको छू-छू कर भी चैक कर लिया हुआ है।

फैजान चौंक कर जाहिरा के चेहरे की तरफ देखता हुआ बोला- तो क्या तुमको पता था कि मैं ऐसे कर रहा हूँ?
जाहिरा- तो भैया यह कैसे हो सकता है कि कोई किसी लड़की की चूचियों को और नीचे ‘उधर’ भी छुए और उसे पता ही ना चल सके?
फैजान मुस्कुराया और उसकी दोनों चूचियों को जोर से अपनी मुठ्ठी में दबाते हुए बोला- बहुत चालाक हो तुम..

फैजान ने अब झुक कर जाहिरा की खूबसूरत चूचियों के दरम्यान उसकी गोरी क्लीवेज को चूम लिया और फिर आहिस्ता आहिस्ता उसमें अपनी ज़ुबान को फेरने लगा।

जाहिरा की चूचियों की चमड़ी इतनी सफ़ेद और नरम थी कि जैसे ही वो जोर से वहाँ पर किस करता.. तो उसकी चूचियों पर सुर्ख निशान पर जाता।
जाहिरा- भैया थोड़ा धीरे करो ना.. क्यों इतने ज़ालिम बन रहे हो..
फैजान- तुम्हारी चूचियाँ भी तो इतनी ज़ालिम हैं ना.. कि खुद पर कंट्रोल ही नहीं हो रहा।

जाहिरा मुस्कुरा दी और अपने भाई की सिर के बालों में अपना हाथ फेरने लगी।
फैजान ने जाहिरा की ब्रा के कप्स को ऊपर को उठाया और उसकी दोनों चूचियों को नंगा कर लिया।
उसकी अपनी सग़ी बहन की खुबसूरत छोटी-छोटी साइज़ की गोरी-गोरी चूचियाँ और गुलाबी निप्पल उसकी नजरों के सामने खुले हुए थे।

फैजान ने झुक कर आहिस्ता से अपनी बहन की नंगी चूचियों को चूमा और फिर अपने होंठ उसके गुलाबी छोटे से निप्पल पर रख कर एक किस कर लिया।
जाहिरा का जिस्म तड़फ उठा।

फैजान ने अब आहिस्ता-आहिस्ता उसके निप्पलों को अपने होंठों में भर लिया और चूसने लगा।

कभी अपनी बहन के एक निप्पल को अपने मुँह में डालता और कभी दूसरे निप्पल को मुँह में लेकर चूसने लगता। फैजान का एक हाथ फिसलता हुआ नीचे को अपनी बहन की कुँवारी चूत की तरफ आने लगा और फिर अपनी बहन की चुस्त लैगी के ऊपर से ही उसकी चूत को सहलाने लगा।

कुछ देर तक जाहिरा की चूत को सहलाने और उसकी चूचियों को चूसने के बाद फैजान उठ गया और नीचे उसकी टाँगों की तरफ आ गया।

फैजान ने उसकी लेग्गी को पकड़ा और नीचे खींच कर उतारने लगा। जाहिरा ने एक बार उसे रोका.. लेकिन फिर खुद से ही अपनी गाण्ड को ऊपर उठा दिया और फैजान ने अपनी बहन की लेग्गी को उसकी टाँगों से निकाल कर बिस्तर पर रख दिया।

अब जाहिरा का निचला जिस्म लगभग पूरी तरह से उसके भाई की सामने नंगा था। जाहिरा ने फ़ौरन से अपनी चूत को छुपा लिया।
फैजान ने मुस्कुरा कर उसे देखा और फिर उसका हाथ पकड़ कर उसकी चूत से हटा दिया।

जाहिरा की बिल्कुल कुँवारे बालों से पाक चूत.. अपने भाई की आँखों की सामने थी।
फैजान- वाउ.. क्या प्यारी चूत है.. लगता है तुमने आज ही हेयर रिमूविंग की है।

जाहिरा ने शर्मा कर कहा- हाँ सुबह आपके जाने के बाद किए थे।
फैजान- यानि कि तुमने मेरे लिए अपनी चूत के बाल साफ़ किए हैं ना?

जाहिरा शर्मा कर बोली- अब ज्यादा भी खुशफ़हमी में ना रहें आप.. मैंने तो वैसे ही बस रुटीन में साफ़ कर लिए थे। अब मुझे क्या पता था कि आप आकर इसे देखोगे?

फैजान हंसा और अपनी होंठ जाहिरा की चूत पर रख दिए और उसकी कुँवारी मुलायम चूत को चूम लिया।
फिर फैजान ने अपनी कुँवारी बहन की कुँवारी चूत की लबों को खोला और अपनी ज़ुबान से उसे अन्दर से चाटने लगा।
धीरे-धीरे जैसे-जैसे उसकी ज़ुबान अपनी बहन की चूत को चाट रही थी.. तो उसके साथ-साथ ही जाहिरा की हालत खराब होती जा रही थी।


 
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आपने अभी तक पढ़ा..

जाहिरा शर्मा कर बोली- अब ज्यादा भी खुशफ़हमी में ना रहें आप.. मैंने तो वैसे ही बस रुटीन में साफ़ कर लिए थे। अब मुझे क्या पता था कि आप आकर इसे देखोगे?
फैजान हंसा और अपनी होंठ जाहिरा की चूत पर रख दिए और उसकी कुँवारी मुलायम चूत को चूम लिया।
फिर फैजान ने अपनी कुँवारी बहन की कुँवारी चूत की लबों को खोला और अपनी ज़ुबान से उसे अन्दर से चाटने लगा।
धीरे-धीरे जैसे-जैसे उसकी ज़ुबान अपनी बहन की चूत को चाट रही थी.. तो उसके साथ-साथ ही जाहिरा की हालत खराब होती जा रही थी।
अब आगे लुत्फ़ लें..

वो अपने भाई के सिर पर अपना हाथ रख कर उसे अपने चूत पर दबा रही थी और आँखें बंद करके अपनी गाण्ड को ऊपर उठाते हुए अपनी चूत को उसके मुँह पर रगड़ने की कोशिश कर रही थी।

कुछ देर तक अपनी बहन की कोरी चूत को चाटने के बाद फैजान खड़ा हुआ और अपनी बहन के सामने अपनी शॉर्ट्स को उतार कर बिल्कुल नंगा हो गया।

फिर लेटी हुई जाहिरा के ही ऊपर आ गया और अपनी मोटे खड़े हुए लंड को अपनी बहन की दोनों चूचियों की दरम्यान में रगड़ने लगा।

जाहिरा मुस्कुरा कर अपने भाई के लंड को देख रही थी।

फैजान ने अपनी बहन की दोनों छोटी-छोटी चूचियों के दरम्यान अपने लंड को दबाया और फिर आगे-पीछे को करते हुए अपना लंड उसकी चूचियों के दरम्यान रगड़ने लगा। आगे को जाता तो उसका लंड जाहिरा की ठोड़ी को टकराता था और उसकी गोटियाँ नीचे अपनी बहन के पेट पर रगड़ खा रही थीं।

थोड़ी देर के बाद फैजान बोला- जाहिरा इसे मुँह में लेकर थोड़ा सा चूसो ना..
जाहिरा ने अपने भाई के लंड को अपने हाथ में पकड़ा और बोली- नहीं भाई.. यह तो बहुत गंदा होता है.. मैं कैसे इसे मुँह में ले सकती हूँ।
फैजान- अरे यार कुछ भी गंदा नहीं होता.. इसे मुँह में लेकर तुम्हारी भाभी भी तो चूसती हैं ना..
जाहिरा इठलाते हुए बोली- वो तो आपकी बीवी हैं.. मैं आपकी क्या लगती हूँ.. बहन ना..

फैजान अपने लंड की टोपी को अपनी बहन के गुलाबी होंठों पर आहिस्ता-आहिस्ता फिराता हुआ बोला- तुम आज से मेरी बहन भी हो और मेरी बीवी भी हो..
जाहिरा- भाई.. अगर मुझे अपनी बीवी बनाना है.. तो फिर कर लो मुझसे भी शादी..
फैजान- झुक कर अपनी बहन के होंठों को चूमते हुए बोला- मेरी जान यह तो दिल की बात होती है.. जिसे भी दिल से तसलीम कर लो.. वो बीवी ही होती है।

फैजान ने थोड़ा सा जोर लगाया तो जाहिरा ने अपने होंठों को थोड़ा सा खोला और उसके लण्ड को अन्दर दाखिल होने का रास्ता देने लगी।

फैजान ने भी आहिस्ता से अपनी लंड को उसके होंठों के दरम्यान पुश किया और साथ ही जाहिरा ने आहिस्ता आहिस्ता उसके लौड़े के टोपे के ऊपर अपनी ज़ुबान फेरनी शुरू कर दी।

जाहिरा ने अपने दोनों होंठों के दरम्यान अपने भाई के लंड के टॉप को पकड़ा और आहिस्ता से दोनों होंठों को बंद करके उसे चुम्बन कर लिया।
फैजान ने अपना लंड उसके होंठों से निकाला और धीरे-धीरे उसके होंठों के ऊपर टकराने लगा।

उसके लण्ड से प्रीकम की छोटी-छोटी चमकीली बूँदें निकल रही थीं.. जो कि उसकी बहन के होंठों से लग कर एक तार की तरह से उसके लण्ड से जुड़ रही थीं।


जाहिरा ने अपनी ज़ुबान बाहर निकाली और आहिस्ता आहिस्ता उसके लण्ड के अगले हिस्से पर फेरते हुए बोली- भाई अगर भाभी ने देख लिया ना.. तो बहुत बुरा होगा।

फैजान पीछे होकर जाहिरा के ऊपर लेट गया और अपने नंगे लंड को अपनी बहन की नंगी चूत पर रगड़ते हुए बोला- कुछ नहीं होगा मेरी जान.. आज तो मैं तुम्हारी यह कुँवारी चूत लेकर ही रहूँगा।

जाहिरा ने अपना हाथ नीचे ले जाकर अपने भाई का लंड अपने कंट्रोल में लिया और आहिस्ता आहिस्ता अपनी चूत के दाने पर रगड़ते हुए बोली- नहीं भाई.. प्लीज़ ऐसा नहीं करो न.. हम कुछ भी नहीं कर सकते.. आप इसे पीछे करो न.. इससे तो आप मुझे और भी पागल कर रहे हैं।

जाहिरा ने यह बोला और दूसरे हाथ से अपने भाई के सिर के बालों को पकड़ कर अपनी तरफ खींच कर उसके होंठों को चूसने और उसे चूमने लगी।

धीरे-धीरे दोनों की मस्तियों में इज़ाफ़ा होता जा रहा था। जाहिरा ने अपनी दोनों टाँगें ऊपर कीं और उनको अपने भाई की कमर के गिर्द उसके चूतड़ों पर रख कर उसके जिस्म को जकड़ लिया.. जैसे कि उसका भाई उसे इतना गरम करने के बाद कहीं छोड़ कर भागने लगा हो।

फैजान भी अपनी बहन की चूचियों को दबाते हुए उसके होंठों को चूस रहा था और पीछे से हिलते हुए अपनी लंड को अपनी बहन की चूत पर रगड़ रहा था।

इधर मेरी हालत भी बहुत ही पतली हो रही थी.. मेरा हाथ मेरी चूत पर था और मेरी चूत बिल्कुल पानी-पानी हो रही थी।

फैजान उठा और अपनी बहन की दोनों टाँगों के दरम्यान में बैठते हुए अपने लंड को अपने हाथ में पकड़ा और उसकी टोपी को जाहिरा की कुँवारी प्यासी चूत पर फिर से रगड़ने लगा।

अगले ही किसी भी लम्हे में फैजान अपना लंड अपनी कुँवारी बहन की चूत में दाखिल करने वाला था।

मेरा ख्वाब पूरा होने वाला था कि ज़िंदगी में पहली बार किसी हक़ीक़ी भाई को अपनी बहन को चोदते हुए देखूँ.. लेकिन पता नहीं क्यों मैं अभी उन दोनों बहन-भाई को ऐसा करने नहीं देना चाहती थी।
मैं अभी इन दोनों की चूत और लंड की प्यास को बरक़रार रखना चाहती थी ताकि यह दोनों एक-दूसरे के लिए अभी थोड़ा और भी तड़फें..

यही सोच कर मैं अपने कमरे की तरफ गई और फैजान को आवाज़ दी।
दूसरी आवाज़ के साथ ही ज़ाहिर है कि फैजान भागता हुआ आया। उसने अपने कपड़े पहन लिए हुए थे।

वो बोला- हाँ क्या बात है.. तुम ठीक तो हो?
मैंने उसे पानी लाने को कहा और वो रसोई में गया.. तो मैं उसके चेहरे की बेबसी और झुँझलाहट देख कर मेरी हँसी छूट गई।
कुछ देर के बाद मैं भी अन्दर उन दोनों के साथ ही जाकर लेट गई।
शाम को मेरी आँख खुली तो जाहिरा कमरे से जा चुकी हुई थी और सिर्फ़ मैं और फैजान ही बिस्तर पर थे।

हम कुछ देर तक बातें करते रहे और फिर जाहिरा चाय लेकर आ गई लेकिन अपनी चाय यहाँ कहते हुए बाहर ले गई कि उसे कुछ काम करना था।

मैंने और फैजान ने चाय पी और फिर मैं रेस्ट करने का बहाना करके लेट गई और फैजान कमरे से बाहर चला गया।
मैंने फ़ौरन उठ कर देखा तो जाहिरा सोफे पर बैठी हुई थी और फैजान उसके पीछे से झुक कर उसकी चूचियों को दबा रहा था।
जाहिरा खुद को उससे छुड़ाते हुए बोली- भाई आपको तो हर वक़्त यही काम सूझता रहता है.. आप न.. भाभी को भी हर वक़्त तंग किए रखते हो.. और अब तो आपको सताने के लिए मैं भी मिल गई हूँ।

फैजान जाहिरा के सामने की तरफ आया और अपने शॉर्ट में हाथ डाल कर अपना लंड बाहर निकाल कर बोला- एक किस तो कर दो प्लीज़..
जाहिरा मेरे कमरे की तरफ देखते हुए बोली- भाई.. आपको शर्म नहीं आती क्या.. अगर अभी भाभी बाहर आ जाएं तो.. और यह क्या है कि हर वक़्त इसी हालत में ही खड़ा रहता है?

फैजान- बस जब से इसने अपनी प्यारी सी बहना की कुँवारी चूत का दीदार किया है ना.. तो यह बैठता ही नहीं है.. हर वक़्त तुम्हारी चूत को याद कर करके खड़ा हुआ ही रहता है। जब तक अब यह तेरी चूत की अन्दर नहीं चला जाएगा.. इसको सुकून नहीं आने वाला।

जाहिरा फैजान के लंड को अपने हाथ में लेकर आहिस्ता आहिस्ता सहलाते हुए बोली- भाई प्लीज़, कोई जगह तो देख लिया करो ना..
फैजान अब नीचे जाहिरा के पास ही बैठ गया। अब उन दोनों की पीठ मेरी तरफ थी.. तो मैं नहीं देख सकती थी कि वो दोनों क्या कर रहे हैं। इस हालत में वो दोनों सेफ थे.. लेकिन मैं भी उनको डिस्टर्ब नहीं करना चाहती थी।

फैजान- बस अब तो ठीक है ना.. यहाँ से तेरी भाभी भी हम दोनों को नहीं देख पाएगी.. चल अब जल्दी से नीचे आजा और इसे चूसा लगा दे।
जाहिरा हँसी और बोली- भाई आप बाज़ आने वाले नहीं हो.. और ना ही मानने वाले हो..
यह कह कर जाहिरा ने एक नज़र मेरे कमरे के दरवाजे की तरफ डाली और फिर झुक कर शायद अपने भाई का लंड चूसने लगी।

जाहिरा- भाई एक ही बार काट कर खा ना लूँ इसको.. जो यह हर वक़्त मुझे तंग करता रहता है।
फैजान अपनी बहन के रेशमी बालों में हाथ फेरते हुए बोला- काट कर खा लोगी तो फिर तुम्हारी चूत की प्यास कौन बुझाएगा मेरी जान?

मैं अपने कमरे के बाथरूम में आई और दूसरे दरवाजे में से बाहर झाँका.. तो अब यह जगह उनको देखने के लिए ठीक थी.. और इधर से दोनों की हरकतें साफ़ नज़र आ रही थीं।

फैजान ने अपना हाथ नीचे झुकी हुई अपनी बहन की शर्ट की के नीचे डाला हुआ था और उसकी नंगी कमर को सहला रहा था और कभी उसकी चुस्त लैगी में फंसे हुए उसके चूतड़ों को सहलाने लगता था।
दूसरी तरफ जाहिरा भी अपने भाई के लंड को मुँह में लेकर चूस रही थी और कभी उसे चाट लेती थी।
फैजान- यार ठीक से चूस ना मेरा लंड..

जाहिरा- भाई मैं कौन सा लंड चूसती रहती हूँ.. जो मुझे आता है कि कैसे चूसते हैं.. पहली बार तो चूस रही हूँ। मुझसे तो ऐसे ही चूसा जाएगा.. चुसवाना है तो बोलो.. नहीं तो मैं चली।
फैजान- अच्छा अच्छा.. ठीक है.. जैसे भी चूस ले.. ठीक है, कोई बात नहीं.. आहिस्ता आहिस्ता तुझे मेरा लंड ठीक से चूसना भी आ जाएगा। तेरे शौहर तक पहुँचने से पहले तुझे बिल्कुल एक्सपर्ट बना दूँगा.. देखना तू..।
जाहिरा- मेरे शौहर के लिए कुछ बाकी छोड़ोगे.. तभी तो जाऊँगी ना उसके पास वर्ना फिर जाने का क्या फ़ायदा?

दोनों हँसने लगे..

फैजान- चल अब जल्दी से मेरा पानी निकाल दे ना..
 

Siraj Patel

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आपने अभी तक पढ़ा..
जाहिरा- भाई मैं कौन सा लंड चूसती रहती हूँ.. जो मुझे आता है कि कैसे चूसते हैं.. पहली बार तो चूस रही हूँ। मुझसे तो ऐसे ही चूसा जाएगा.. चुसवाना है तो बोलो.. नहीं तो मैं चली।

फैजान- अच्छा अच्छा.. ठीक है.. जैसे भी चूस ले.. ठीक है, कोई बात नहीं.. आहिस्ता आहिस्ता तुझे मेरा लंड ठीक से चूसना भी आ जाएगा। तेरे शौहर तक पहुँचने से पहले तुझे बिल्कुल एक्सपर्ट बना दूँगा.. देखना तू..
जाहिरा- मेरे शौहर के लिए कुछ बाकी छोड़ोगे.. तभी तो जाऊँगी ना उसके पास वर्ना फिर जाने का क्या फ़ायदा?
दोनों हँसने लगे..
फैजान- चल अब जल्दी से मेरा पानी निकाल दे ना..
अब आगे लुत्फ़ लें..

जाहिरा- नहीं भाई.. यहाँ पर सब कुछ खराब हो जाएगा.. मैं नहीं निकालती।
फैजान- तो मेरा पानी मुँह में ले लेना ना..
जाहिरा- छी: छी: कितनी गंदी बातें करते हो ना तुम.. मैं तुम्हारा पानी अपने मुँह में क्यों लूँ?

अपने भाई का लंड रगड़ते-रगड़ते.. जैसे वो छूटने वाला हुआ तो जाहिरा ने उसका लंड उसके शॉर्ट्स के अन्दर ही डाल दिया और ऊपर से दबा दिया।

इसी के साथ ही फैजान का पूरे का पूरा पानी उसके शॉर्ट्स के अन्दर ही निकलने लगा।
‘ऊऊऊहह.. आआआ..अह.. सस्स्स्स.. स्सस्स..’ की आवाजों के साथ ही फैजान के लंड ने सारा पानी अपने शॉर्ट्स में ही निकाल दिया।
पूरा पानी निकलने के बाद फैजान बोला- जाहिरा तुम बहुत शैतान हो.. देखो तुमने मेरा सारा शॉर्ट्स खराब कर दिया है..

जाहिरा ने उसके शॉर्ट्स को नीचे को खींचा.. और अन्दर हो रही सारी मलाई को फैलते देखा तो हँस कर बोली- अब बहुत अच्छा लग रहा है.. है न?
फैजान बोला- कोई बात नहीं.. आज रात को तेरी चूत से सारा बदला लूँगा।
जाहिरा- क्या मतलब?
फैजान- मतलब यह कि मैं आज ही रात को तेरी कुँवारी चूत चोदूंगा।

जाहिरा- भाई.. आपको शर्म नहीं आएगी क्या.. अपनी ही सग़ी बहन को चोदते हुए?
फैजान- जब तुझे अपने भाई का लंड चूसते हुए शर्म नहीं आई.. तो मुझे भी तेरी चूत चोदते हुए कोई शरम नहीं आएगी।
जाहिरा हँसते हुए बोली- लेकिन भाई भाभी भी तो हैं ना?

फैजान- उसकी फिकर ना कर.. उसे मैं रात को दूध में नींद की गोली मिलाकर दे दूँगा.. तो खुद ही सोई रहेगी।
जाहिरा अपने खुले हुए मुँह पर अपना हाथ रखते हुए बोली- भाई कितने ज़ालिम हो तुम?
फैजान- ज़ालिम नहीं.. बेचैन कहो कि कितना बेचैन हूँ तुम्हें चोदने के लिए..

मुझे फैजान के प्लान का इल्म हो चुका था। मैं मुस्कुरा दी.. क्योंकि मैं भी आज जाहिरा को अपने भाई के लंड से चुदवा कर उसका कुँवारापन खत्म करना चाहती थी.. इसलिए मैंने फैजान के साथ सहयोग करने का फ़ैसला कर लिया।

रात के खाने के बाद मैं कमरे में पहले ही आ गई और लेट गई।
थोड़ी देर के बाद फैजान आया और मुझे दूध का गिलास और दवा दे कर बोला- यह दवा ले लो.. सुबह तक तबीयत ठीक हो जाएगी।

मैंने उसे दोनों चीजें साइड की टेबल पर रखने को कहा।
फिर वो चला गया.. उसकी जाते ही मैंने वो दूध और दवा बाथरूम में गिरा दी और लेट गई।

अब फिर से उठ कर मैंने बाहर झाँका तो दोनों बहन-भाई की मस्तियाँ जारी थीं। टीवी देखते हुए भी वो जाहिरा को अपनी आगोश में खींचे हुए था और उसकी चूचियों से खेल रहा था.. कभी उसको चूम रहा था।

जाहिरा अपनी अदाएं दिखाते हुए उसे तंग कर रही थी ‘भाई.. क्या है ना आपको.. मेरे ही पीछे पड़े रहते हो.. थोड़ा सबर नहीं हो सकता क्या?’
फैजान- नहीं हो रहा ना सबर मुझसे.. मेरा तो दिल कर रहा है कि अभी डाल दूँ तेरी चूत में अपना लंड..
जाहिरा- भाई.. मैं आपको कुछ भी ऐसा-वैसा नहीं करने दूँगी.. पता भी है आपका यह कितना मोटा है.. मेरी तो वैसे ही फाड़ देगा..
जाहिरा ने फैजान के लंड को छूते हुए कहा।

फैजान- हाय मेरी जान.. मुझे तेरी चूत फाड़नी ही तो है.. आज की रात..
जाहिरा- नहीं भाई.. प्लीज़ फिर कभी कर लेना.. आज नहीं.. आज तो भाभी भी हैं ना.. तो ऐसे में ठीक नहीं है ना..
फैजान- अरे कुछ नहीं होता यार.. तेरी खातिर तो उसे नींद की गोलियां दीं हैं.. तू उसकी फिकर ना कर..

चल जा उसे देख कर बता.. सो गई होगी वो.. और फिर थोड़ा मेकअप करके तैयार हो जा.. मैं आता हूँ.. फिर तुझे चोदता हूँ..

जाहिरा मुस्कुराते और शरमाते हुई उठी और कमरे की तरफ बढ़ी.. तो मैं जल्दी से बिस्तर पर लेट गई और सोती बन गई।
जाहिरा कमरे में आई और मेरे बिस्तर के पास खड़ी होकर मुझे आवाजें देने लगी- भाभी भाभी..

लेकिन ज़ाहिर है कि मैंने कोई जवाब नहीं दिया.. फिर जाहिरा ने मेरी चूचियों के ऊपर हाथ रख कर आहिस्ता आहिस्ता सहलाते हुए मुझे उठाना चाहा.. लेकिन मैंने कोई जवाब नहीं दिया।
जाहिरा का हाथ मेरे जिस्म पर से फिसलता हुआ मेरी चूत तक आ गया और मेरे पजामे के ऊपर से ही मेरी चूत को सहलाते हुए बोली।

जाहिरा- मेरी प्यारी भाभीजान.. आज तो आपके शौहर मेरे भी शौहर बनने जा रहे हैं.. आज भाई का लंड मेरी चूत में भी जाने वाला है.. जैसे आपकी चूत में जाता है.. पता नहीं कैसे होगा यह सब.. और कैसा हो पाएगा..

फिर जाहिरा ने झुक कर मेरे गाल को चूमा। फिर जाकर ड्रेसिंग टेबल के सामने बैठ गई और मेकअप करने लगी।
मैं थोड़ी सी आँखें खोल कर उसे देख रही थी और वो कुछ गुनगुनाते हुए मेकअप कर रही थी। थोड़ी ही देर में दरवाज़ा खुला और फैजान भी अन्दर कमरे में आ गया।

उसने सीधा जाहिरा के पीछे जाकर उसके नंगे कन्धों पर झुक कर चूमा और उसकी गर्दन पर अपनी ज़ुबान फेरने लगा।

जाहिरा ने उसे पीछे को धक्का दे दिया- प्लीज़ भाई.. थोड़ा तो सबर करो ना.. और जाओ वहाँ बिस्तर पर जाकर बैठ जाओ..
फैजान मुस्कुराया- जो हुक्म मेरी शहज़ादी..
ये कह कर बिस्तर पर मेरे पास आकर बैठ गया।
वो बिस्तर की पुश्त टेक लगा कर अधलेटा सा होकर मेरी तरफ देखने लगा।

फिर उसने अपने लौड़े को मसलते हुए जाहिरा को आवाज़ दी- आ भी जा.. जल्दी से अब..
जिस तरह बिस्तर पर लेट कर फैजान अपनी बहन को आइने के सामने तैयार होते हुए देख और उसका इन्तजार कर रहा था.. बिल्कुल ऐसा ही लग रहा था जैसे कि वो उसकी बीवी हो और यह उसका चुदास भरा शौहर हो..

तभी जाहिरा स्टूल से उठी और बिस्तर की तरफ आई और बिस्तर के क़रीब रुक कर बोली- भाई हमें दूसरे कमरे में चले जाना चाहिए.. यहाँ भाभी सो रही हैं।

फैजान- अरे नहीं यार.. यहाँ एसी चल रहा है.. उधर गर्मी होगी और तुम इसकी फिकर ना करो.. यह तो नींद की दवा लेकर सोई हुई है।
यह कहते हुए फैजान ने जाहिरा का हाथ पकड़ा और उसे बिस्तर पर अपने ऊपर घसीट लिया।

जाहिरा फैजान के ऊपर आ गिरी और फैजान ने उसे अपने बाँहों में कसते हुए चूमना शुरू कर दिया।
कुछ देर तक दोनों एक-दूसरे को किस करते रहे।

फिर जाहिरा सीधी होकर फैजान के ऊपर ही दोनों तरफ पैर डाल कर बैठ गई और अपना हाथ फैजान के नंगी छाती पर उसके सीने के बालों में फेरते हुए बोली- भाई क्या सच में आप मेरे साथ यह सब कुछ करना चाहते हैं?
फैजान- हाँ मेरी जान.. मैं तो तुझे चोदने के लिए मरा जा रहा हूँ..
जाहिरा- क्या सच में आप मुझे इतना ज्यादा प्यार करते हो?

फैजान उसकी चूचियों से खेलते हुए बोला- हाँ मेरी जान.. इसका सुबूत यह तुम्हारी गाण्ड के नीचे दबा हुआ मेरा लंड भी तो है ना.. जो कि तेरी चूत में घुसने की लिए बेचैन हो रहा है..

फैजान ने जाहिरा के टॉप को पकड़ा और आहिस्ता आहिस्ता ऊपर उठाने लगा और फिर अगले ही लम्हे उसके जिस्म से उतार कर परे फेंक दिया।
जाहिरा ने फ़ौरन ही अपने हाथ अपनी चूचियों पर रख लिए तो फैजान बोला- अब मुझसे क्यूँ छुपा रही हो?
जाहिरा- भाई वो भाभी की वजह से शरम आ रही है मुझे..

फैजान हँसने लगा और फिर उसे अपने ऊपर थोड़ा झुका कर उसकी खुबसूरत चूचियों के गुलाबी निप्पलों को चूसने लगा। फिर उसने एक मम्मे को अपनी मुठ्ठी में भर लिया और अपना दूसरा हाथ मेरी चूची पर रख कर बोला- जाहिरा तुम्हारी चूची.. तुम्हारी भाभी से छोटी हैं लेकिन तुम्हारी ज्यादा टाइट हैं..

जाहिरा- अरे अरे.. भाई यह क्या कर रहे हो ना.. छोड़ो उनको.. वो उठ जाएंगी।
फैजान- नहीं उठेंगी यार.. आओ तुमको इसकी चूचियों खोल कर दिखाता हूँ।
यह कहते हुए फैजान ने मेरे टॉप को नीचे खींचा और मेरी चूचियों को भी नंगी कर दिया।

जाहिरा तो पहले भी मेरा सब कुछ देख चुकी हुई थी.. इसलिए उसे हैरत तो नहीं थी.. लेकिन फिर भी वो अपने भाई के आगे ऐसी शो कर रही थी.. जैसे कि पहली बार मुझे नंगी देख रही हो।


फैजान ने जाहिरा का एक हाथ मेरी चूची पर रखा तो जाहिरा बोली- प्लीज़्ज़्ज़.. भाई ना करो ना.. छोड़ो भाभी को.. आख़िर आप करना क्या चाहते हो?
फैजान- सच पूछा तूने.. तो सुन.. मैं तुम दोनों को एक साथ नंगी देखना चाहता हूँ और तुम दोनों को एक साथ चोदना चाहता हूँ।
जाहिरा- नहीं नहीं.. भाई ऐसा नहीं हो सकता..

फैजान ने जाहिरा को दोबारा अपनी बाँहों में खींचा और उसे चूमते हुए बोला- हाँ मुझे भी पता है कि ऐसा होना ना मुमकिन है।
यह कहते हुए फैजान ने जाहिरा को बिस्तर पर मेरे साथ लिटाया और फिर खुद उसके ऊपर आ गया और ऊपर झुक कर उसके गालों और होंठों को चूमने लगा।

आहिस्ता आहिस्ता उसके जिस्म को चूमते हुए वो नीचे को आने लगा। नीचे आकर उसने जाहिरा के पजामे को भी उतार दिया।
अब पहली बार उसकी बहन पूरी की पूरी उसकी आँखों के सामने नंगी थी।

एक लम्हे के लिए फैजान अपनी बहन के नंगे जिस्म को देखता रहा.. फिर उसका हाथ आगे बढ़ा और अपनी बहन की कुँवारी अनछुई और बालों से पाक चूत को सहलाने लगा।

‘इस्स्स.. ईस्स्स्स.. आआहह.. उम्म्म्म्..’

एक मर्द का अपने भाई का हाथ अपनी चूत पर लगते ही जाहिरा की चूत गरम होने लगी और उसके मुँह से सिसकारियाँ निकलने लगीं।

अपनी सग़ी बहन की चूत पर अपनी उंगली फेरते हुए आहिस्ता आहिस्ता अपनी उंगली को उसकी चूत की दरार में घुसेड़ रहा था और उसकी उंगली पर उसकी अपनी ही बहन की चूत का पानी लग रहा था।

फैजान ने अपनी उंगली ऊपर की ओर जाहिरा को दिखाते हुए कहा- देख.. तेरी चूत कितना पानी छोड़ रही है.. तेरी चूत मेरे लण्ड से चुदने लिए कितनी प्यासी और चुदासी हो रही है।
जाहिरा ने शर्मा कर आँखें बंद कर लीं।
 

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एक मर्द का अपने भाई का हाथ अपनी चूत पर लगते ही जाहिरा की चूत गरम होने लगी और उसके मुँह से सिसकारियाँ निकलने लगीं।
अपनी सग़ी बहन की चूत पर अपनी उंगली फेरते हुए आहिस्ता आहिस्ता अपनी उंगली को उसकी चूत की दरार में घुसेड़ रहा था और उसकी उंगली पर उसकी अपनी ही बहन की चूत का पानी लग रहा था।

फैजान ने अपनी उंगली ऊपर की ओर जाहिरा को दिखाते हुए कहा- देख.. तेरी चूत कितना पानी छोड़ रही है.. तेरी चूत मेरे लण्ड से चुदने लिए कितनी प्यासी और चुदासी हो रही है।
जाहिरा ने शर्मा कर आँखें बंद कर लीं।
अब आगे लुत्फ़ लें..

फैजान ने जाहिरा की चूत की पानी से गीली हो रही उंगली को उसके लबों से लगाया और गीला पानी उसके होंठों पर मलने लगा।

जाहिरा ने अपने सिर को इधर-उधर हिलाना शुरू कर दिया.. लेकिन फैजान ने अपनी उंगली उसके होंठों के दरम्यान में डाल कर उसके मुँह में डाल ही दी और उसे अपनी ही चूत का पानी चाटने पर मजबूर कर दिया।
फैजान ने जाहिरा की दोनों टाँगों के दरम्यान थोड़ी जगह बनाई और दरम्यान में लेट गया।

अब जाहिरा की एक टाँग मेरे ऊपर थी। फैजान ने दरम्यान में बैठ कर अपनी बहन की कुँवारी चूत को एक किस किया और फिर अपनी ज़ुबान की नोक को उसकी चूत के लबों की दरम्यानी लकीर पर ऊपर से नीचे और नीचे से ऊपर को फेरने लगा।

आहिस्ता-आहिस्ता उसके दोनों लबों को खोल कर अपनी बहन की कुँवारी चूत के सुराख को अपने सामने किया और फिर अपनी ज़ुबान की नोक से जाहिरा की चूत के सुराख को छूने लगा।

आहिस्ता आहिस्ता उसकी चूत के सुराख को चाटते हुए फैजान ने अपनी ज़ुबान को अन्दर डालना शुरू कर दिया।

जाहिरा का बुरा हाल हो रहा था.. वो अपने भाई के सिर के बालों को पकड़ कर खींच रही थी और नोंच रही थी। उसकी चूत पानी-पानी हो रही थी और वो अन्दर से बिल्कुल चिकनी हो चुकी हुई थी।

फैजान ने अपनी एक उंगली उसकी चूत के अन्दर डाली.. तो उसे अपने बहन की चूत के अन्दर का कुँवारा परदा रोड़ा अटकाता महसूस हुआ।


वो उसे छूते हुए बोला- मेरी जान.. आज तेरी चूत के इस परदे को फाड़ कर तेरी चूत का ‘एंट्री गेट’ खोल दूँगा.. फिर बड़ी आसानी से तेरी चूत में लंड जा सकेगा।
जाहिरा अपनी आँखें बंद किए हुए पड़ी लंबी-लंबी साँसें ले रही थी।
थोड़ी देर के बाद फैजान उठा और अपना पजामा उतार कर अपने अकड़े हुए लंड को पकड़ कर उसकी चूत के सामने बैठ गया।

फैजान अपने हाथ में लौड़े को पकड़ कर अपनी बहन की चूत की ऊपर रगड़ने लगा।
उसके लण्ड की टोपी भी जाहिरा की चूत के पानी से गीली होती जा रही थी।

उधर अपने इतने क़रीब बहन-भाई का इस क़दर सेक्सी खेल होता हुआ देख कर मेरी अपनी चूत भी पानी छोड़ रही थी।
अगर इस वक़्त फैजान मेरी चूत को छू लेता.. तो यक़ीनन मैं पकड़ी जाती कि मैं जाग रही हूँ और यह सब देखते हुए मस्त हो रही हूँ।

फैजान ने अपने दोनों हाथों की उंगलियों से अपनी सग़ी बहन की चूत के दोनों होंठों को खोला और अपनी लंड की मोटी फूली हुई टोपी.. जो कि उसकी बहन की चूत के पानी से ही गीली होकर चमक रही थी.. उसे उसकी चूत के सुराख पर रखा और धीरे-धीरे अपना लंड अन्दर घुसेड़ने लगा।

जाहिरा ने पहले तो आँखें खोल कर ख़ौफ़ और डर की कैफियत के साथ अपने भाई की तरफ देखा और अपने दोनों हाथों को उसके सीने पर रखते हुए रोकने की कोशिश की.. लेकिन फिर कुछ कहे बिना ही खामोश होकर अपनी आँखें बंद कर लीं।
वो अपनी चूत में दाखिल होने वाले अपने भाई के लंड का इन्तजार करने लगी।

फैजान ने थोड़ा सा जोर लगाया तो उसके लण्ड की मोटी टोपी फिसल कर उसकी बहन की चूत के सुराख के पहले छल्ले के अन्दर दाखिल हो गई.. इसी के साथ ही जाहिरा की एक हल्की सी चीख निकल पड़ी- उई.. अम्मी..याह…!
फैजान- हौसला रखो.. मेरी जान.. अभी तो कुछ भी नहीं हुआ.. अभी तो मैंने टोपा को थोड़ा सा अन्दर फंसाया ही है।

फिर फैजान ने जाहिरा की दोनों टाँगों को पकड़ कर ऊपर किया और उसकी जाँघों को अपने काबू में करते हुए अपने लंड के सुपारे को ही थोड़ा-थोड़ा आगे-पीछे करने लगा।

इस थोड़ी-थोड़ी सी हरकत से जाहिरा भी अपने भाई के लंड से मुन्तजिर होने लगी और उसे भी मज़ा आने लगा- ईसस्स.. ओह.. इस्स्स.. आआआहह.. ओऊम्मकम.. ऊऊऊहह.. उफफ..अम्मी..रे..

जैसे ही जाहिरा के मुँह से हल्की-हल्की सी सिसकारियाँ निकलने लगीं.. तो धीरे-धीरे फैजान ने अपने लंड को और भी अन्दर डालना शुरू कर दिया।
थोड़ी ही देर में उसका लंड अपनी बहन की चूत के परदे से टकराने लगा।

कुछ देर तक रुक कर.. गोया उस परदे को अपने लंड की टोपी से सहलाते हुए फैजान ने एक हल्का सा धक्का मारा.. तो पूरी तरह गरम हो चुकी उसकी बहन की चूत का परदा फटता चला गया और उसका लंड अन्दर दाखिल हो गया।

जाहिरा की एक हल्की सी मगर तेज चीख निकली.. लेकिन इसी के साथ ही फैजान ने उसके ऊपर लेटते हुए उसके होंठों को अपने होंठों में जकड़ लिया और उसे चूसने लगा।

पीछे से वो बिल्कुल सख्त था.. फिर आहिस्ता आहिस्ता अपने लंड को अन्दर बाहर करते हुए वो अपनी बहन की चूत को चोदने लगा।

ऐसा लग रहा था कि जाहिरा बेसुध सी हो गई थी.. पर तभी उसके हाथों की मुठ्ठियों से चादर को खिंचते देखा तो मैं समझ गई कि जाहिरा को अपनी सील टूटने से बेहद दर्द हो रहा था और वो मेरे कारण ही अपनी चीख को बाहर नहीं निकलने दे रही है.. बहुत ही हिम्मत वाली लड़की थी।

अब धकापेल चुदाई चालू हो चुकी थी शायद फैजान के लौड़े ने चूत में अपनी जगह बना ली थी.. क्योंकि तभी जाहिरा ने भी अपने दोनों बाज़ू अपने भाई की कमर की गिर्द डाल लिए थे और वो उससे लिपट गई थी.. इसका साफ़ मतलब था कि जाहिरा को अब चुदने में मजा आने लगा था।

अपने हाथों को जाहिरा की कमर के नीचे लाते हुए फैजान ने अपनी बहन के जिस्म को अपनी बाँहों में भर लिया और आहिस्ता आहिस्ता अपने धक्कों की रफ़्तार को बढ़ाते हुए अपनी बहन की चुदाई में तेज़ी लाने लगा।
पूरा बिस्तर उसके धक्कों की ताक़त से हिल रहा था और मुझे ऐसा महसूस हो रहा था कि जैसे उसका लंड मेरी ही चूत में जा रहा हो।

फैजान एक टाइट और कुँवारी चूत को पहली बार चोद रहा था.. तो कैसे ज्यादा देर तक बर्दाश्त कर सकता था.. इसलिए कुछ ही देर गुज़री कि फैजान ने अपने लंड को पूरा का पूरा अपनी बहन की चूत के अन्दर डालते हुए अपने लंड से पानी निकालना शुरू कर दिया और उसके लण्ड से सारी की सारी मलाई निकल कर अपनी बहन की चूत में गिरने लगी।
इसी के साथ ही फैजान अपनी बहन के ऊपर ही ढेर हो गया।

रात में फैजान ने एक बार दोबारा जाहिरा को चोदना चाहा.. लेकिन जाहिरा ने यह कह करके इन्कार कर दिया कि अभी उसे नीचे चूत में बहुत ज्यादा तकलीफ़ हो रही है.. तो अभी वो दोबारा उससे नहीं चुदवा सकती है।
मजबूरन फैजान भी अपनी बहन के जिस्म के साथ लिपट कर सो गया।
उनकी सोने के बाद मैं भी सो गई।

सुबह मेरी आँख अपनी बिस्तर पर हो रही कुछ हरकतों की वजह से खुली और हल्की हल्की सिसकारियाँ और आवाजें भी आ रही थीं।

मैंने थोड़ी सी आँख खोल कर देखा तो फैजान दोबारा से अपनी बहन की चूत को चाटने में मसरूफ़ था और जाहिरा के मुँह से कामुक और लज़्ज़तनशीं सिसकारियाँ निकल रही थीं।

जैसे ही मैंने थोड़ी सी हरकत की तो फैजान ने जल्दी से जाहिरा की जाँघों के बीच में से छलाँग लगाई और बिस्तर से नीचे उतर कर बाथरूम की तरफ चल पड़ा। जाहिरा ने भी फ़ौरन से अपनी आँखें बंद कर लीं। मैं मुस्कुराई और फिर आहिस्ता आहिस्ता जाहिरा को हिलाकर जगाने लगी- जाहिरा.. उठो सुबह हो गई.. जाओ और चाय बना कर ले आओ।
जाहिरा नींद से उठने की अदाकारी करती हुए बेडरूम से बाहर निकल गई।

कुछ देर ही गुज़री.. तो मुझे बाथरूम के अन्दर से कुछ ख़ुसर-फुसर की आवाजें आने लगीं। मैं उठ कर बाथरूम के दरवाजे के पास गई और अन्दर की आवाजें सुनने की कोशिश करने लगी। मेरा शक ठीक था.. बाथरूम में दोनों बहन-भाई मौजूद थे। जाहिरा बाथरूम के दूसरे दरवाजे से बाथरूम में अपने भाई के पास आ गई थी।

अन्दर से आवाज़ आ रही थी- भैया प्लीज़.. छोड़ दो ना मुझे.. देखो भाभी भी जाग गई हुई हैं..
फैजान- तुम खुद ही बाथरूम में आई हो.. मैंने तो नहीं बुलाया था ना.. अब क्यों नखरे कर रही हो?
जाहिरा ने खिलखिलाते हुए कहा- भैया.. तुम गलत समझ रहे हो.. मैं तो इसलिए आई थी कि आपको कहूँ कि आकर चाय ले लो और आप पता नहीं क्या समझे हो?

फैजान- अब आ ही गई हो.. तो थोड़ा सा इसे चूस ही लो यार..
जाहिरा जैसे खुद को छुड़ाते हुए- छोड़ो भैया मुझे.. मैं चूल्हे पर चाय रख कर आई हुई हूँ।
इसी के साथ ही मुझे बाथरूम का दूसरा दरवाज़ा बंद होने की आवाज़ आई।

जाहिरा दूसरी तरफ से निकल गई थी और मैं भी वापिस अपनी बिस्तर पर लेट गई। कुछ ही देर में फैजान भी वॉशरूम से बाहर निकल कर कमरे में आ गया।

इसके साथ ही जाहिरा भी चाय लेकर आ गई और मेरे सिर पर हाथ फेर कर मुझे उठाते हुए बोली- भाभी.. उठिए.. अब कैसी तबीयत है आपकी?

मैंने आँखें खोलीं और बोली- हाँ.. अब काफ़ी बेहतर है.. रात में नींद ठीक से आ गई है.. तो इसलिए अब सिर भी भारी नहीं है और तरोताज़ा भी महसूस कर रही हूँ।
फैजान और जाहिरा दोनों बैठ कर चाय पीने लगे और मैं उठ कर वॉशरूम में आ गई।
मैं जैसे ही वॉशरूम में आई.. तो बेडरूम से दोबारा आवाजें आने लगीं।

फैजान- यार लो तो सही.. इसे मुँह में थोड़ी देर के लिए ही ले लो न..
जाहिरा- भैया क्या है ना.. मैं आपको देख ही नहीं रही हूँ.. मैं चाय पी रही हूँ।
फैजान- मेरी जान चाय के साथ स्नेक्स के तौर पर ही मेरा लंड अपने मुँह ले लो।
जाहिरा हँसते हुए- तो फिर ठीक है.. मैं आपका लंड बिस्कट की तरह गर्म-गर्म चाय में डुबो कर ना ले लूँ?

फैजान भी इस बात पर हँसने लगा और उन दोनों की शरारतों और अठखेलियों पर मेरी भी हँसी छूट गई..

नाश्ता करने के बाद फैजान ऑफिस चला गया और जाहिरा मेरे पास ही घर पर रुक गई।

जाहिरा रसोई समेटने लगी.. तो मैं अपने कमरे में आ गई और अपने पूरे कपड़े उतार कर नंगी होकर लेट गई.. क्योंकि रात में एक भाई के लंड से एक बहन की चुदाई देख कर मेरी अपनी चूत में आग लगी हुई थी।
कुछ देर में जाहिरा चाय बना कर लाई तो मुझे नंगी लेटी देख कर चौंक उठी।
 
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जाहिरा हँसते हुए- तो फिर ठीक है.. मैं आपका लंड बिस्किट की तरह गर्म-गर्म चाय में डुबो कर ना ले लूँ?
फैजान भी इस बात पर हँसने लगा और उन दोनों की शरारतों और अठखेलियों पर मेरी भी हँसी छूट गई..
नाश्ता करने के बाद फैजान ऑफिस चला गया और जाहिरा मेरे पास ही घर पर रुक गई।

जाहिरा रसोई समेटने लगी.. तो मैं अपने कमरे में आ गई और अपने पूरे कपड़े उतार कर नंगी होकर लेट गई.. क्योंकि रात में एक भाई के लंड से एक बहन की चुदाई देख कर मेरी अपनी चूत में आग लगी हुई थी।
अब आगे लुत्फ़ लें..

कुछ देर में जाहिरा चाय बना कर लाई तो मुझे नंगी लेटी देख कर चौंक उठी, वो मुस्कुरा कर बोली- भाभी.. लगता है कि आपको बहुत गर्मी लग रही है।

मैं उसके सामने ही बड़ी बेशर्मी से अपनी चूत पर हाथ फेरते हुई बोली- हाँ डार्लिंग.. मेरी चूत में बहुत गर्मी हो रही है.. आ थोड़ा सा इसे प्यार करके ठंडी तो कर दो..
जाहिरा चाय की ट्रे साइड टेबल पर रख कर मेरे पास बैठ गई और मेरी चूत पर अपना हाथ फेरते हुए बोली- भाभी सुबह ही सुबह यह आपको क्या हो गया है?

मैंने जाहिरा के हाथ की उंगली को लिया और उसे अपनी चूत के अन्दर डालते हुई बोली- देख तो सही.. मेरी चूत कितनी गीली हो रही है..?

यह कहते हुए मैंने जाहिरा को अपने ऊपर खींच लिया और उसके होंठों को चूमने लगी। जाहिरा को भी मज़ा आने लगा और वो भी मेरा साथ देने लगी।

मैंने पीछे हाथ ले जाकर उसके पजामे को नीचे को खींचते हुए उसके चूतड़ों को नंगा कर दिया। जाहिरा ने थोड़ा ऊँची होकर मुझे उसका पजामा उतारने दिया और फिर अपनी नंगी चूत को मेरी चूत के ऊपर रगड़ने लगी।

अचानक से मैंने जाहिरा को पलट कर अपने नीचे कर लिया और खुद उसके ऊपर आकर उसके होंठों को चूमने लगी। जाहिरा भी मुकम्मल तौर पर मेरा साथ दे रही थी।
मैंने अपनी ज़ुबान जाहिरा के होंठों के दरम्यान में पुश किया तो वो मेरी ज़ुबान चूसने लगी, जाहिरा के टॉप के नीचे से हाथ डाल कर मैंने उसकी गोल चूचियों को पकड़ लिया और उनको जोरों से दबाने लगी।

आहिस्ता आहिस्ता मैं नीचे को आते हुए जाहिरा की दोनों जाँघों की दरम्यान में आ गई और उसकी चूत के ऊपर एक जोर का चूमा किया, फिर मैंने अपनी ज़ुबान की नोक को उसकी चूत के ऊपर-नीचे फेरना शुरू कर दिया।
धीरे धीरे से उसकी चूत ने दोबारा से पानी छोड़ना शुरू कर दिया।

उसकी चूत के दोनों लबों को खोलते हुए मैं बोली- जाहिरा तुम्हारी चूत तो कल की बनिस्बत ज्यादा खुली हुई लग रही है.. जैसे किसी ने अपना मोटा लंड तुम्हारी चूत में डाल दिया हो?
मेरी बात सुनते ही जाहिरा के चेहरे का रंग फ़क़ हो गया, वो फ़ौरन बोली- क्या मतलब भाभी.. ऐसी तो कोई बात नहीं है।
मैं हँसने लगी और बोली- मैं तो मज़ाक़ कर रही हूँ.. बस मुझे तेरी चूत को देख कर ऐसा लग रहा था।

फिर मैंने अपनी एक उंगली को उसकी चूत के अन्दर डाला और उसकी चूत के दाने को चाटते हुए उसकी चूत के अन्दर अपनी उंगली को अन्दर-बाहर करने लगी।

धीरे-धीरे जाहिरा की आँखें बंद होने लगीं, मेरी पूरी उंगली उसकी चूत के अन्दर जा रही थी।

मैंने फिर उससे कहा- जाहिरा यह तुम्हारी चूत के अन्दर का परदा भी फटा हुआ है.. कल तो मेरी उंगली आधी भी अन्दर नहीं जा रही थी और आज पूरी की पूरी उंगली तुम्हारी चूत में अन्दर हो गई है.. सच सच बता.. कि कैसे हुआ है यह सब.. और किसने किया है?
जाहिरा चुप करके सिर झुकाए हुए रही।

मैं- वैसे कल से तो तुम कहीं भी बाहर नहीं गई.. तो किसी बाहर वाले से कैसे चुदवा सकती हो.. कहीं तुमने अपने ही भाई से ही तो?
जाहिरा ने अपनी आँखें बंद कर लीं और उसके चेहरे पर शर्मिंदगी और घबराहट के आसार साफ़ दिख रहे थे..

मैं थोड़ी ऊँची हुई और उसके होंठों पर एक किस करती हुई बोली- हायय.. मेरी जानन.. मुझे बताया भी नहीं और तूने मेरे शौहर से ही चुदवा लिया.. कैसा लगा था तुझे.. जब तेरे भाई का लंड पहली-पहली बार तेरी चूत में उतरा था?
जाहिरा- भाभिईईई.. मत करो ना ऐसी बातें..!

मैं- वाह जी वाह.. तू अपने भैया से चुदवाती रहे और मैं तुम से ऐसी बात भी ना करूँ.. यह कैसे हो सकता है मेरी जान.. अब तो तेरी यह प्यारी सी चूत हम दोनों की हो गई है। मेरी भी और तेरे भैया की भी..।
जाहिरा- भाभिईईईईई..!
जाहिरा ने शरमाते हुए कहा।

मैं जाहिरा को चूमते हुए बोली- मेरी जान बता तो सही.. कैसे हुआ यह सब.. कल रात को?
जाहिरा- भाभी वो ना.. मुझे लगता है कि.. भैया ने कल रात को आपके चक्कर में ही मुझे पकड़ लिया था.. और फिर उन्होंने.. ‘वो’ सब कर दिया.. जो वो आपके साथ करते हैं..!

जाहिरा के चेहरे को अपने दोनों हाथों में लेकर मैं बोली- जाहिरा.. सच बताओ.. मज़ा आया था ना तुमको.. या नहीं?
जाहिरा- जी भाभी.. लेकिन दर्द भी बहुत हुआ है ना.. अभी भी हो रहा है।
मैं आहिस्ता आहिस्ता जाहिरा की चूत को सहलाते हुए बोली- कोई बात नहीं मेरी ननद रानी.. पहली पहली बार तो हर लड़की को ही दर्द होता है.. लेकिन ऐसी कोई-कोई ही खुशक़िस्मत लड़की होती है जो कि सबसे पहले यह दर्द अपने ही भाई से पाए।

जाहिरा मेरी तरफ देखते हुए बोली- भाभी आपको इस बात पर कोई गुस्सा नहीं आया कि भैया ने किसी दूसरी लड़की के साथ सेक्स किया है और वो भी अपनी ही सग़ी बहन के साथ?

मैं मुस्कुराई और उसके होंठों को चूम कर बोली- मेरी प्यारी ननद जी.. मुझे क्यों ऐतराज़ होगा.. बल्कि मेरा तो अब दिल चाह रहा है कि मैं भी तुम लोगों के साथ शामिल हो जाऊँ और हम सब मिल कर खूब मजे करें..
यह कहते हुए मैं सरक़ कर जाहिरा की दोनों टाँगों के दरम्यान में आ गई और उसकी इसी रात में अपना कुंवारापन खोने वाली प्यारी सी चूत को चूमने लगी।
‘हायय.. मेरी बन्नो.. दिल कर रहा है कि तेरी इस चूत को चूम-चूम कर लाल कर दूँ.. जिसमें कल रात को पहली-पहली बार मेरे शौहर का लंड गया है और जिस चूत को उसके अपने ही भाई ने फाड़ा है.. इसे एक कुँवारी कली से खिलाकर फूल बना दिया है।’

मेरी बातें सुन कर जाहिरा का चेहरा लाल होने लगा।
मुझे साफ़ नज़र आ रहा था कि उसकी चूत से हल्का-हल्का रसीला सा पानी टपकना शुरू हो गया था।
मैंने अपनी ज़ुबान की नोक से जाहिरा की चूत से बह रहे रस को छुआ.. क्या माल था.. और फिर मैंने मजे से उसे चाट लिया।

अब मैंने अपनी एक उंगली को आहिस्ता-आहिस्ता उसकी चूत के अन्दर-बाहर करना शुरू कर दिया।
मेरी उंगली जाहिरा की चूत के अन्दर उसके चिकने पानी की वजह से बहुत आराम से फिसल रही थी।
अन्दर-बाहर.. अन्दर-बाहर..

जाहिरा की चूत के पानी से गीली हो रही हुई अपनी उंगली को मैंने जाहिरा के होंठों पर रगड़ा और फिर अपनी उंगली उसकी मुँह के अन्दर डाल दी, उसे अपनी ही चूत का पानी चटवा दिया।

मैं थोड़ा सा घूम कर इस तरह जाहिरा के ऊपर आई.. कि अपनी चूत को उसके मुँह के ऊपर ले आई।
जाहिरा ने मेरी साफ़ और मुलायम चूत को देखा तो उस पर अपना हाथ फेरते हुए बोली- भाभी चूत तो आपकी भी बहुत चिकनी और मुलायम है.. इसलिए भैया हर वक़्त आपके पीछे आपको चोदने के लिए पड़े रहते हैं।

मैं- लेकिन अब तो मुझे लगता है कि वो तेरी ही टाइट चूत के पीछे रहेगा.. वो अब मेरी चूत की कहाँ सोचेंगे?

जाहिरा ने भी मेरी चूत के लबों को चूमा और फिर आहिस्ता आहिस्ता अपनी ज़ुबान मेरी चूत के लबों पर फेरने लगी। जैसे ही जाहिरा की ज़ुबान मेरी चूत को छूने लगी.. तो मेरी चूत ने भी पानी छोड़ना शुरू कर दिया।

अब मैं और जाहिरा दोनों ही एक-दूसरे की चूत की आग को ठंडा करने में लग गए। मैं जाहिरा की चूत में अपनी उंगली मार रही थी और उसकी उंगली मेरी चूत के अन्दर-बाहर हो रही थी।

आज जाहिरा ने पहली बार मेरी चूत को अपनी ज़ुबान से चाटा था और इसे प्यार किया था.. बल्कि जाहिरा क्या किसी भी लड़की से अपनी चूत को चटवाने का मेरा यह पहला मौक़ा था और मुझे इसमें बेहद मज़ा आ रहा था।

मेरी चूत पानी छोड़ती ही जा रही थी कुछ ही देर में मैं और जाहिरा दोनों ही अपनी-अपनी मंज़िलों पर पहुँच गईं।
फिर हम दोनों निढाल होकर बिस्तर पर एक-दूसरे की बाँहों में लेट गईं, कब हमारी आँख लग गई.. हमें कुछ पता नहीं चला।

काफ़ी देर बाद जब आँख खुली तो भी बिस्तर से निकलने को दिल नहीं किया।
मैं हौले-हौले जाहिरा की चूचियों के निप्पलों पर उंगली फेरने लगी।

जाहिरा- भाभी क्या आप सच में ही नाराज़ नहीं हो कि मैंने अपने भैया के साथ में सेक्स कर लिया है।
मैं- अरे यार.. क्यों परेशान होती हो.. मुझे तो यह सुन कर ही बहुत मज़ा आ रहा है.. तो जब तुम दोनों को चुदाई करते हुए देखूंगी.. तो कितना अच्छा लगेगा। प्लीज़ मुझे यह सब तुम दिखाओगी ना?
जाहिरा शर्मा गई।

मैं- पता है.. अब मैंने सोचा है कि फैजान को खुद फँसाएंगे.. पहले तो वो तुमको फंसा रहा था और तंग करता था.. अब तुम खुद मेरे साथ मिल कर उसे सताओगी और तंग करोगी.. फिर देखना कितना मज़ा आएगा।

मैंने सारा प्रोग्राम जाहिरा को समझाया और फिर हम दोनों रसोई में खाना बनाने के लिए आ गए।

जैसे ही दोपहर में फैजान घर वापिस आया तो सबसे पहले मैंने उसे वेलकम किया। मैं गेट पर हस्बे मामूल.. उसने मुझे किस किया.. और फिर मुझे पानी लाने का बोल कर अपने कमरे में चला गया।

मैं रसोई में आ गई और जाहिरा को मुस्कुरा कर पानी ले जाने को कहा।
जाहिरा ने मुझे एक आँख मारी और फिर ठंडी पानी का गिलास भर कर हमारे बेडरूम की तरफ बढ़ गई।

 

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मैं- पता है.. अब मैंने सोचा है कि फैजान को खुद फँसाएंगे.. पहले तो वो तुमको फंसा रहा था और तंग करता था.. अब तुम खुद मेरे साथ मिल कर उसे सताओगी और तंग करोगी.. फिर देखना कितना मज़ा आएगा।
मैंने सारा प्रोग्राम जाहिरा को समझाया और फिर हम दोनों रसोई में खाना बनाने के लिए आ गए।

जैसे ही दोपहर में फैजान घर वापिस आया तो सबसे पहले मैंने उसे वेलकम किया। मैं गेट पर हस्बे मामूल.. उसने मुझे किस किया.. और फिर मुझे पानी लाने का बोल कर अपने कमरे में चला गया।
मैं रसोई में आ गई और जाहिरा को मुस्कुरा कर पानी ले जाने को कहा।
जाहिरा ने मुझे एक आँख मारी और फिर ठंडी पानी का गिलास भर कर हमारे बेडरूम की तरफ बढ़ गई।

अब आगे लुत्फ़ लें..

मैं भी उसके साथ-साथ ही थी.. मैं बेडरूम के दरवाजे के एक तरफ रुक गई और जाहिरा अन्दर कमरे में चली गई।

अन्दर कमरे में फैजान अभी-अभी वॉशरूम से मुँह-हाथ धो कर आया था।

फैजान ने जाहिरा को पानी लाते हुए देखा तो वो बहुत खुश हुआ। जाहिरा भी जवाब में मुस्कुराई और एक अदा के साथ पानी का गिलास लेकर अपने भाई की तरफ बढ़ी।

फैजान ने पानी का गिलास लेकर उसमें से एक घूँट लिया और फिर गिलास टेबल पर रख कर जाहिरा का हाथ पकड़ कर अपनी तरफ खींच लिया।

जाहिरा ने भी कोई मज़ाहमत नहीं की और अपने भाई के सीने से लग गई। फैजान ने अपने होंठों को जाहिरा के होंठों पर रखा और उनको चूमने लगा। फैजान थोड़ी सी चूमा-चाटी करने के बाद जाहिरा को छोड़ने का इरादा रखता था.. क्योंकि उसे पता था कि मैं रसोई से किसी भी वक़्त बेडरूम में आ सकती हूँ।

फैजान ने अपनी बहन को किस करने के बाद छोड़ दिया और बोला- चलो अब जाओ.. तुम्हारी भाभी बेडरूम की तरफ आती ही होंगी।

जाहिरा- वाह जी वाह.. भाई, अगर इतना ही अपनी बीवी से डरते थे.. तो क्यों मुझ पर डोरे डाले और क्यों मुझे अपने झूठे प्यार में फँसाया था?
यह कहते हुए जाहिरा अपने भाई के साथ लिपट गई।

फैजान तो जैसे बौखला सा गया, वो उसे खुद से अलग करते हुए बोला- नहीं नहीं जाहिरा.. ऐसी बात नहीं है.. मेरा प्यार झूठा नहीं है, ना मैं तुमसे प्यार से इन्कार कर रहा हूँ.. यह तो मैं इसलिए कह रहा हूँ कि तुम्हारी भाभी को हमारे ताल्लुक़ात का पता ना चल सके वरना वो हंगामा खड़ा कर देगी।

जाहिरा फैजान की शर्ट के बटन खोलती हुई बोली- भाई भाभी से डर गए हो.. तो दुनिया को कैसे बताओगे कि तुम अपनी बहन से कितना प्यार करते हो? कहीं मैंने तुम जैसे बुज़दिल मर्द से प्यार करके कोई गलती तो नहीं कर ली?

यह कहते हुए जाहिरा ने फैजान की शर्ट उतार दी और उसके नंगे सीने पर हाथ फेरने लगी।
फैजान ने जाहिरा को पीछे की तरफ धकेला और घबरा कर बोला- अभी नहीं.. जैसे ही मौक़ा मिलेगा.. मैं खुद तुम्हारे पास आऊँगा मेरी जान।

लेकिन जाहिरा तो किसी और ही मूड में थी.. उसने थोड़ा सा पीछे होकर अपनी टी-शर्ट को नीचे से पकड़ा और ऊपर उठा कर अपनी शर्ट को अपने जिस्म से उतार कर बिस्तर पर फेंक दिया।
अब जाहिरा का ऊपरी बदन सिर्फ़ और सिर्फ़ उसकी ब्लैक रंग की ब्रा में था और नीचे उसने टाइट्स पहनी हुई थी।

जाहिरा को इस हालत में देख कर फैजान की तो जैसे फट कर हाथ में आ गई हो.. उसके चेहरे का रंग उड़ गया और माथे पर पसीना बहने लगा।
वो फ़ौरन ही दरवाजे की तरफ भागा, मैं जल्दी से रसोई में चली गई।

फैजान ने बाहर झाँक कर देखा और फिर अन्दर आकर दरवाज़े को लॉक कर लिया और तेज़ी के साथ जाहिरा की तरफ बढ़ा।
जाहिरा ने अपनी दोनों बाज़ू फैलाए और बोली- आ जा मेरे राजा.. मुझे अपनी बाँहों में ले लो न..

फैजान ने उसकी शर्ट बिस्तर से उठा कर उसकी तरफ बढ़ाते हुए कहा- जाहिरा आख़िर आज क्या हो गया हुआ है तुमको?
जाहिरा- भाई मुझे क्या होना है.. वो ही हुआ है ना.. जो आपने मुझे किया है.. मेरे कुँवारे जिस्म में अपने प्यार की आग लगा दी है.. जो अब हर वक़्त सुलगती रहती है.. अब आप ही बताओ कि मैं अपनी यह प्यास कैसे बुझाऊँ?

फैजान उसकी टी-शर्ट को उसकी गले में डालते हुए बोला- मैं ही बुझाऊँगा तेरी प्यास.. लेकिन थोड़ा टाइम तो आने दे ना मेरी जान.. लेकिन जाहिरा थी कि मेरे प्लान के मुताबिक़ फैजान के साथ चिपकती जा रही थी और अपनी चूचियों को उसके सीने के साथ रगड़ रही थी।

इतने में मैंने बाहर दरवाजे पर नॉक किया.. तो उस वक़्त जाहिरा ने अपना हाथ फैजान के लंड पर रख दिया हुआ था।
फैजान के तो जैसे होश ही उड़ गए, उसने जल्दी से उसे प्यार किया और उसे बाथरूम की तरफ धकेला।

मैंने आवाज़ दी- फैजान क्या कर रहे हो.. दरवाज़ा खोलो ना.. और यह जाहिरा कहाँ चली गई है..?

जाहिरा अब भी बाथरूम में जाने का नाम नहीं ले रही थी और फैजान से चिपकी जा रही थी। फैजान ने जल्दी से उसे खुद पर से हटाया और उसे बाथरूम की तरफ धकेलने लगा।

उसे बाथरूम में लगभग फेंकते हुए वो वापिस दरवाजे की तरफ भागा और फिर दरवाजा खोल दिया। मैं अन्दर गई तो फैजान के चेहरे का रंग उड़ा हुआ था.. वो काफ़ी घबराया हुआ लग रहा था।

मैंने उसके चेहरे की तरफ देखा और बोली- क्या बात है फैजान.. तुम ठीक तो हो ना?
फैजान घबरा कर बोला- हाँ हाँ.. ठीक हूँ मैं.. कुछ नहीं हुआ मुझे..

मैं फैजान की क़रीब आई और आहिस्ता से उसके साथ चिपक गई और बोली- क्या बात है जानू.. नाराज़ हो क्या मुझसे..
मेरी बात सुन कर वो थोड़ा रिलेक्स हुआ और बोला- नहीं नहीं.. नाराज़ तो नहीं हूँ जान.. बस ऐसे ही थोड़ा थका हुआ हूँ।

मैंने उसके गालों पर एक किस की और अपना हाथ उसकी पैन्ट की ऊपर से उसके लण्ड की तरफ ले जाते हुए बोली- आओ फिर मैं तुमको भी थोड़ा रिलेक्स कर दूँ।

मैंने देखा कि उसका लंड अभी भी अकड़ा हुआ है.. मैं उसके लण्ड को उसकी पैन्ट के ऊपर से ही अपनी मुठ्ठी में लेते हुए बोली- जानू तुम्हारा तो लंड भी फुल टेन्शन में है.. मुझे अभी इसकी टेन्शन तो रिलीव करना ही पड़ेगी..
यह कहते हुए मैं नीचे फर्श पर बैठ गई और उसकी पैन्ट की बेल्ट खोलने लगी।

फैजान ने थोड़ी सी मज़ाहमत की लेकिन फिर खुद से ही अपनी पैन्ट नीचे उतार दी।

मैंने नीचे बैठ कर उसके लण्ड को अपनी मुँह में लिया और चूसने लगी। धीरे-धीरे उसके ऊपर के हिस्से को अपनी ज़ुबान से चाटती और फिर उसे मुँह में लेकर चूसने लगाती।
मेरी कमर दरवाजे की तरफ थी और दरवाज़ा खुला हुआ ही था और मुझे पता था कि अभी थोड़ी देर में जाहिरा भी अन्दर देखने लगेगी।

मैंने अपना चेहरा ऊपर किया और फैजान की तरफ देखने लगी.. मुझे उसके चेहरे के हाव-भाव से साफ़ पता चल रहा था कि जाहिरा दरवाजे पर आ चुकी है।
मेरी नज़र फैजान के पीछे पड़ी हुई ड्रेसिंग टेबल पर पड़ी.. तो उसके शीशे में मुझे जाहिरा का अक्स नज़र आया।

जाहिरा अब फैजान की तरफ देख रही थी और फैजान की नज़र भी उसकी बहन के ऊपर ही थी।

मैंने देखा कि जाहिरा ने दरवाजे में खड़े-खड़े अपनी चूचियों को सहलाना शुरू कर दिया और फिर आहिस्ता से अपनी शर्ट को ऊपर करते हुए अपनी चूचियों को एक्सपोज़ कर लिया।

जैसे ही फैजान की नज़र अपनी बहन की नंगी खूबसूरत चूचियों पर पड़ी तो उसने अपने दोनों हाथ मेरे सिर के दोनों तरफ रखे और मेरे सिर को पकड़ कर धक्के लगाते हुए मेरे मुँह को चोदना शुरू कर दिया।
मैं भी उसकी गोटियों को सहलाते हुए उसके लण्ड को चूस रही थी और आज मुझे भी बहुत मज़ा आ रहा था।

फैजान धक्के मारते हुए बोला- और चूस.. मेरी जान और चूस.. जल्दी कर.. जल्दी से निकाल दे मेरा पानी..
मैंने उसके लण्ड को अपने मुँह से बाहर निकाला और फिर उसे अपने मुठ्ठी में आगे-पीछे करते हुए बोली- लेकिन जाहिरा घर पर ही है.. वो किसी भी वक़्त इस तरफ को आ सकती है.. तो हमें देख ना ले..
फैजान अपनी बहन की तरफ देखता हुआ बोला- कुछ नहीं होगा.. वो नहीं आएगी.. तुम बस जल्दी से मेरे लण्ड का पानी चूसो..

उधर जाहिरा अब अपनी टाइट्स के अन्दर हाथ डाल कर अपनी चूत को सहला रही थी और आँखें बंद किए हुए खुद को ओर्गैज्म पर ले जाने की कोशिश कर रही थी।

यह सब वो अपने भाई के सामने कर रही थी.. ताकि उसके भाई की प्यास और भी बढ़ सके और हो भी ऐसा ही रहा था।

जैसे-जैसे जाहिरा की मस्ती बढ़ रही थी.. वैसे-वैसे ही फैजान में भी जोश आता जा रहा था। वो पहले से भी जोर-जोर से धक्के मार रहा था और अपना लंड मेरे मुँह के अन्दर पेल रहा था।

जैसे ही फैजान झड़ने वाला हुआ.. तो मैंने उसका लंड अपनी मुँह से निकाला और उठ गई कि नहीं.. अब मुझे रसोई में जाना है.. कुछ बाद में करूँगी।
जाहिरा भी फुर्ती से दरवाजे से हट गई और फैजान मुझे रोकता ही रह गया लेकिन मैं वहाँ से चली आई।

कुछ ही देर में फैजान भी चेंज करके बाहर आ गया। उसने अपना एक बरमूडा पहन लिया हुआ था। जाहिरा ने जैसे ही अपने भाई को देखा तो उसे अपने नज़रों से ही चिढ़ाने लगी। मैं रसोई में ही रही तो वो मुझे बता कर बाहर निकली और आँख मार कर बोली- भाभी, मैं भाई से मिल कर अभी आती हूँ।

हम दोनों हँसने लगे।

जाहिरा बाहर गई तो फैजान टीवी लाउंज में बैठ कर ही टीवी देख रहा था.. जाहिरा सीधे जाकर उसकी गोद में बैठ गई।
फैजान एकदम से घबरा गया और रसोई की तरफ देखते हुए.. उसे अपनी गोद से हटाने की कोशिश करने लगा।
लेकिन जाहिरा कहाँ मानने वाली थी।

जाहिरा- क्या बात है भाई.. एक ही दिन में आपका दिल मुझसे भर गया है.. अब तो आप मुझसे दूर भाग रहे हो.. और थोड़ी देर पहली कैसे भाभी के साथ मजे कर रहे थे.. क्या अब मैं आपको अच्छी नहीं लगती हूँ?


 

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जाहिरा बाहर गई तो फैजान टीवी लाउंज में बैठ कर ही टीवी देख रहा था.. जाहिरा सीधे जाकर उसकी गोद में बैठ गई।
फैजान एकदम से घबरा गया और रसोई की तरफ देखते हुए.. उसे अपनी गोद से हटाने की कोशिश करने लगा।
लेकिन जाहिरा कहाँ मानने वाली थी- क्या बात है भैया.. एक ही दिन में आपका दिल मुझसे भर गया है.. अब तो आप मुझसे दूर भाग रहे हो.. और थोड़ी देर पहली कैसे भाभी के साथ मजे कर रहे थे..। क्या अब मैं आपको अच्छी नहीं लगती हूँ?
अब आगे लुत्फ़ लें..

फैजान- नहीं नहीं.. जाहिरा.. ऐसी बात नहीं है.. वो बस तुम्हारी भाभी भी क़रीब ही हैं ना.. तो इसलिए डर लगता है। उसे कहीं जाने दो.. फिर देखना मैं तुम को कैसे चोदता हूँ..
यह कहते हुए फैजान ने एक बार तो अपनी बहन की दोनों चूचियों को अपनी हाथों में लेकर दबा ही दिया।

जाहिरा ने भी मस्त होते हुए अपने गर्म-गर्म गुलाबी होंठ आगे बढ़ाए और अपने भाई के होंठों पर रख दिए और उसे चूमने लगी। थोड़ी देर के लिए तो फैजान भी अपनी बहन की गरम जवानी में सब कुछ भूल गया और जाहिरा के होंठों को चूमने लगा। लेकिन साथ ही उसे मेरा ख्याल आ गया और फिर उसने खुद को अपनी बहन के जवान जिस्म से अलग कर लिया।

कुछ ही देर में मैंने और जाहिरा ने टेबल पर खाना लगा दिया और फिर हम सब टेबल पर बैठ कर खाना खाने लगे।

खाने के दौरान भी जाहिरा मेरे इशारे पर टेबल के नीचे से ही अपने पैर के साथ अपने भाई को टीज़ करती रही और जब भी मौका मिलता तो उसके लण्ड को अपनी पैर से टच कर देती। इस सब के दौरान हर बार फैजान खुद को मेरी नजरों से बचाने की भरसक कोशिश कर रहा था।

खाना खाते हुए ही हमने शाम को फिल्म देखने के लिए चलने का प्लान बना लिया.. जिसको फैजान ने भी मान लिया।
फिर खाने के बाद कुछ देर के लिए हम लोग आराम की खातिर लेट गए।
शाम को हम फिल्म देखने जाने के लिए तैयार होने लगे.. तो मैं जाहिरा के पास आई और बोली- आज तुमको बहुत ही हॉट और सेक्सी ड्रेस पहनना है।

जाहिरा आँख मारते हुए बोली- तो भाभी क्या मैं ब्रा और पैन्टी में ही ना चली चलूं?
मैंने भी करारा जबाव दिया- तुझे मैंने सिर्फ़ तेरी भाई से चुदवाना है.. पूरे शहर से नहीं..
हम दोनों हँसने लगीं।

मैं- देख सिनेमा हॉल में खुल कर उसे तंग करना है और तड़पाना है.. एक तरफ तेरे हुस्न और शरारत की वजह से उसका लंड अकड़ता जाए और दूसरी तरफ मेरे डर से उसकी फटती जाए बस.. वो कुछ करना चाहे.. मगर कुछ भी ना कर सके..
जाहिरा- ठीक है भाभी.. ऐसा ही होगा।

फिर मैंने जाहिरा के लिए एक ब्लैक टाइट लेगिंग सिलेक्ट की… जो कि उसके जिस्म के साथ बिल्कुल ही चिपकने वाली थी। उसके साथ जो टॉप सिलेक्ट किया.. वो एक टी-शर्ट टाइप की थी.. जो कि नीचे तक लंबी थी और उसके चूतड़ों को कवर करती थी। लेकिन सिर्फ़ हाफ जाँघों तक रहती थी। उसका गला भी थोड़ा सा डीप था.. जिसमें से उसका क्लीवेज साफ़ नज़र आता था।
मैंने उससे कहा- चल.. अब इसे पहन ले मेरे सामने..
जाहिरा थोड़ा शर्मा कर बोली- भाभी आपके सामने.. कैसे?

मैं- वाह भई वाह.. अपने भाई से तो नंगी होकर चुदवाती हो.. और अब भी नंगी होने को तैयार हो.. लेकिन मेरे सामने नंगी होते हुए तुमको शर्म आती है। अभी सुबह ही तो मैंने तेरी मलाई खाई है.. वो भूल गई हो किया?

जाहिरा भी हँसने लगी और फिर उसने अपनी पहनी हुई शर्ट उतार दी।
नीचे उसने जो ब्रा पहनी हुई थी.. वो भी उसने उतारी और फिर उसकी दोनों खुबसूरत चूचियों नंगी हो गईं। मैंने झट से आगे बढ़ कर उसकी दोनों चूचियों को पकड़ लिया और उनको दबाते हुए चूमने लगी।
मैं- उफफ्फ़.. जाहिरा.. तेरी चूचियों का शेप कितना सेक्सी है..

जाहिरा- मैं तो भाभी आप और भैया से बहुत तंग हूँ.. जब भी जहाँ भी मौका मिलता है.. आप लोग अपनी प्यास बुझाने के लिए मुझ बेचारी को पकड़ लेते हो.. और इसे चक्कर में मेरी प्यास बढ़ा देते हो।

मैंने हँसते हुए जाहिरा को छोड़ दिया और वो अपनी दूसरी ब्रा पहनने लगी.. तो मैंने उसे मना कर दिया कि आज तुम बिना ब्रा के ही चलो।
जाहिरा ने एक नज़र मेरी तरफ देखा और फिर अपनी ब्रा वापिस अल्मारी में रख दी और बिना ब्रा के ही वो टी-शर्ट पहन ली। उसकी टी-शर्ट भी बहुत टाइट थी और बिल्कुल उसके जिस्म के साथ चिपक गई हुई थी।
उसकी दोनों चूचियाँ बहुत ही सेक्सी लग रही थीं..

फिर जाहिरा ने अपनी टाइट्स पहनी तो वो भी उसकी जाँघों और चूत के एरिया में उसके जिस्म के साथ बिल्कुल चिपक गई।
मैंने उसकी जाँघों पर हाथ फेरा.. तो एक लम्हे की लिए मेरी अपनी नियत भी खराब होने लगी.. लेकिन मैंने खुद को कंट्रोल किया। फिर मैंने उसकी चूचियों को सहलाया और उसके निप्पलों पर उंगली फेरीं.. तो उसके निप्पल अकड़ने लगे। कुछ ही पलों बाद उसके निप्पल बिल्कुल साफ़ उसकी शर्ट में से नज़र आ रहे थे।

उसकी निप्पलों को अपनी उंगलियों के दरम्यान मसलते हुए मैंने अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिए और उसे किस करने लगी। इसी के साथ मैंने उसके होंठों को चूसना शुरू भी कर दिया।
जाहिरा भी मस्ती के हाथों मजबूर होकर मेरा साथ देने लगी।

चंद लम्हों तक एक-दूसरे को किस करने और एक-दूसरे के होंठों चूसने के बाद मैं अलग हुई और बोली- कुछ देर में तुम भी मेरे कमरे आ जाओ और मेकअप कर लेना।

फिर मैं अपने कमरे मैं चली गई। उधर फैजान बिस्तर पर लेटा हुआ था.. तैयार होकर मैंने भी अपने लिए टाइट्स और एक थोड़ी लूज कमीज़ निकाल ली।
तभी जाहिरा भी कमरे में आ गई। जैसे ही फैजान की नज़र जाहिरा पर पड़ी.. तो उसकी आँखें चमक उठीं और मुँह एकदम से खुला रह गया।

मैं दोनों बहन-भाई को थोड़ा प्यार करने का मौका देने के लिए अपने कपड़े लेकर बाथरूम में चली गई और फिर अन्दर से झाँकने लगी।

जैसे ही बाथरूम का दरवाज़ा बंद हुआ.. तो फैजान जंप लगा कर उठा और ड्रेसिंग टेबल के सामने खड़ी हुई अपनी बहन के पीछे आ गया। उसने पीछे से ही उसे दबोच लिया और उसकी दोनों टाइट चूचियों को पकड़ कर सहलाते हुए उसकी गर्दन को चूमने लगा।
जाहिरा- उफफफ्फ़.. भैया.. क्या हो जाता है आपको.. प्लीज़ छोड़ दो.. अभी भाभी आ जाएंगी.. तो पता नहीं क्या कर देंगी।

फैजान- उफफफ्फ़ ज़ालिम.. क्या हुस्न है तेरा.. अब तो तुझे छोड़ने को नहीं बल्कि चोदने को दिल करता है। तूने तो आज नीचे से ब्रेजियर भी नहीं पहनी हुई है.. क्यों मुझे कत्ल करने का प्रोग्राम बनाया हुआ है तूने..

फैजान ने जाहिरा की शर्ट को नीचे से थोड़ा ऊपर उठाया और उसके चूतड़ों को नंगा कर लिया और उसकी टाइट्स के ऊपर से उसकी गाण्ड पर हाथ फेरने लगा। फिर अपना हाथ आगे ले जाकर उसकी चूत को सहलाने लगा।

मैंने अपने कपड़े चेंज किए और फिर थोड़ा सा शोर करके बाहर को निकली.. तो तब तक फैजान वापिस बिस्तर पर लेट चुका था.. लेकिन जाहिरा ने अपनी टी-शर्ट को अपनी चूतड़ों से नीचे नहीं किया था और उसकी चुस्त लैगी में उसके दोनों चूतड़ बहुत ही सेक्सी अंदाज़ में नंगे दिख रहे थे।

मैं भी जाहिरा के पास ही आ गई और मेकअप करने लगी।
मैंने थोड़ी ऊँची आवाज़ में कहा ताकि फैजान भी सुन सके- अरे जाहिरा.. यह तुमने कैसा ड्रेस पहन लिया है.. क्या यह पहन कर जाओगी बाहर?
जाहिरा अपनी आगे-पीछे देखते हुए बोली- क्यों भाभी इसमें क्या बुराई है?
मैंने फैजान को इन्वॉल्व करती हुए कहा- क्यों फैजान यह ड्रेस ठीक है क्या?

फैजान ने एक नज़र अपनी बहन की तरफ देखा और फिर बोला- हाँ ठीक तो है.. बस अब चेंज करने के चक्कर में देर ना कर.. पहले ही शो के लिए बहुत देर हो रही है।

मैंने मुस्कुरा कर जाहिरा की तरफ देखा तो उसने भी मुझे एक आँख मारी और फिर हम लोगों ने अपने मेकअप को फाइनल टच दिया.. और फिर बाहर निकल आईं.. जहाँ फैजान अपनी बाइक लिए तैयार खड़ा था।

पहले की तरह ही मैंने जाहिरा को फैजान के बिल्कुल पीछे.. सेंटर में बैठाया और खुद उससे पीछे बैठ गई।
उसे आगे को पुश करते हुई बोली- यार थोड़ा सा आगे होकर बैठो न.. मुझे तो थोड़ी सी जगह और दो ना..

फैजान को तो पहले ही पता था कि उसकी बहन ने नीचे से ब्रा नहीं पहनी हुई है और अब जब उसने अपनी चूचियों उसकी पीठ से लगाईं.. तो उसे ऐसा लग रहा था कि जैसे उसकी बहन की दोनों चूचियाँ बिल्कुल ही नंगी होकर उसकी पीठ पर लगी हुई हैं।
जाहिरा ने अपना एक हाथ आगे किया और उसे फैजान की जाँघों पर रख दिया और फिर हम चल पड़े।

सड़क पर थोड़ा-थोड़ा अँधेरा हो रहा था.. कुछ ही देर में जाहिरा का हाथ फिसलता हो अपने भैया के लौड़े पर आ गया। उसने अपने भाई के लंड पर अपना हाथ रखा और आहिस्ता-आहिस्ता उसको सहलाने लगी। पीछे से वो अपने होंठों को फैजान की गर्दन पर टच कर रही थी। कभी-कभी मौका देख कर उसे चूम भी लेती थी। जाहिरा के फैजान की गर्दन पर चूमने की हल्की सी आवाज़ मेरे कान में भी आई।

‘ना कर.. तेरी भाभी पीछे ही बैठी है..’
तभी मैंने भी सहारा लेने के लिए अपना हाथ आगे किया और फैजान की जांघ पर रख दिया।

एक लम्हे के लिए तो फैजान जैसे घबरा ही गया.. लेकिन फिर खुद को सम्भाल लिया। इसी तरह से मैं और जाहिरा फैजान को तंग करते हुए सिनेमा पहुँच गए।

रात का लास्ट शो था.. 10 बज चुके हुए थे और हर तरफ अँधेरा हो रहा था। शो शुरू हो चुका हुआ था.. इसलिए ज्यादा रश नज़र नहीं आ रहा था। फैजान ने गैलरी की तीन टिकट ली और हम ऊपर गैलरी में आ गए। वहाँ गैलरी में भी बहुत कम लोग ही बैठे हुए थे.. बल्कि सिर्फ़ दो कपल्स थे.. वो भी सबसे अलग-अलग होकर दूर-दूर बैठे हुए थे। हमने भी एक कॉर्नर में अपनी जगह बना ली। हॉल में बहुत ही ज्यादा अँधेरा था। फैजान को दरम्यान में बैठा कर मैं और जाहिरा उसके दोनों तरफ बैठ गईं।


 

Siraj Patel

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आपने अभी तक पढ़ा..

रात का लास्ट शो था.. 10 बज चुके हुए थे और हर तरफ अँधेरा हो रहा था। शो शुरू हो चुका हुआ था.. इसलिए ज्यादा रश नज़र नहीं आ रहा था। फैजान ने गैलरी की तीन टिकट ली और हम ऊपर गैलरी में आ गए। वहाँ गैलरी में भी बहुत कम लोग ही बैठे हुए थे.. बल्कि सिर्फ़ दो कपल्स थे.. वो भी सबसे अलग-अलग होकर दूर-दूर बैठे हुए थे। हमने भी एक कॉर्नर में अपनी जगह बना ली। हॉल में बहुत ही ज्यादा अँधेरा था। फैजान को दरम्यान में बैठा कर मैं और जाहिरा उसके दोनों तरफ बैठ गईं।

अब आगे लुत्फ़ लें..

फैजान थोड़ा घबराया हुआ था.. कुछ ही देर गुज़री कि मैंने अपना सिर फैजान के कन्धों पर रख दिया और अपना एक हाथ फैजान की बाज़ू पर रख कर आहिस्ता आहिस्ता उसकी बाज़ू को सहलाने लगी। फैजान भी मेरी तरफ तवज्जो दे रहा था, उसने अपना एक बाज़ू मेरी गर्दन के पीछे से डाला और मेरी दूसरी तरफ के कन्धों पर रख दिया और धीरे-धीरे मेरी बाज़ू को सहलाने लगा।

मैंने अब अपना हाथ फैजान की जांघ पर रख दिया और आहिस्ता-आहिस्ता उसकी जाँघों को सहलाने लगी। मेरा हाथ उसके लण्ड की तरफ बढ़ रहा था। दूसरी तरफ से जाहिरा ने अपना सिर अपने भाई के कंधे पर रखा हुआ था।

जैसे ही मेरा हाथ फैजान के लंड की तरफ बढ़ा.. तो उसने मेरा हाथ पकड़ लिया और बहुत ही आहिस्ता से मेरे कान में बोला- क्या कर रही हो.. जाहिरा बिल्कुल साथ में बैठी है.. उसने देख लिया.. तो बहुत बुरा लगेगा।

लेकिन मैंने अपना हाथ आगे बढ़ा कर उसके लण्ड के उभार पर रखा और उसे मुठ्ठी में लेकर हौले-हौले दबाते हुए बोली- बहुत अँधेरा है.. वो नहीं देख पाएगी।
यह कहते हुए मैंने उसके लण्ड को सहलाना शुरू कर दिया, मेरे हाथ के छूने से उसका लण्ड उसकी पैन्ट के अन्दर अकड़ने लगा।

मैंने उसके चेहरे को अपनी तरफ मोड़ा और फिर अपने होंठ फैजान के होंठों पर रख दिए और आहिस्ता आहिस्ता उसे चूमने लगी। फैजान ने अपनी होंठ पीछे हटाने चाहे.. तो मैंने फ़ौरन ही उसके दोनों होंठों को अपने होंठों में जकड़ लिया और अपनी ज़ुबान भी उसके मुँह के अन्दर डाल दी।

फैजान भी मस्त होता जा रहा था और उसकी मस्ती का अंदाज़ा मुझे उसकी पैन्ट के अन्दर उसके अकड़ते हुए लंड से हो रहा था।
मैंने अपना हाथ हटाया और फैजान के सीने पर रख कर उसे सहलाने लगी। उतनी देर में जाहिरा ने अपना हाथ फैजान के लंड पर रखा और उसे दबाने लगी।

दो दो खूबसूरत और जवान लड़कियों के साथ मस्ती करते हुए फैजान की तो हालत ही पतली हो रही थी।
फैजान ने अपने हाथ से जाहिरा का हाथ पकड़ कर अपने लंड से हटाना चाहा.. तो जाहिरा उसके कान में बोली- भैया क्या बात है.. अपनी बीवी को तो मज़ा दे रहे हो.. लेकिन अपनी बहन को महरूम रख रहे हो?

जैसे ही मैं अपना हाथ नीचे दोबारा उसके लण्ड पर लेकर गई.. तो फ़ौरन ही जाहिरा ने अपना हाथ हटा लिया।
मैंने दोबारा से फैजान के लंड को अपने हाथ में ले लिया और उसे दबाने के बाद उसकी पैन्ट की ज़िप खोलने लगी।

फैजान ने कोई मज़हमत नहीं की.. क्योंकि उसे पता था कि मैं उसकी बात नहीं मानूँगी।
मैंने उसके लण्ड को उसकी पैन्ट की ज़िप के रास्ते बाहर निकाला और अब सिनेमा हाल में अपनी बीवी और बहन के दरम्यान में बैठे हुए फैजान का लंड बिल्कुल नंगा हो चुका था।

फैजान के नंगे लंड को मैंने अपने हाथ में ले लिया और उसे सहलाने लगी।
धीरे-धीरे उसका लंड और भी अकड़ता जा रहा था.. दूसरी तरफ से जाहिरा ने भी अपने भाई का एक हाथ पकड़ा और उसे अपने मम्मों पर रखवा लिया और फैजान भी आहिस्ता आहिस्ता अपनी बहन की बिल्कुल स्टिफ और सीधी अकड़ी हुए चूचियों को दबाने लगा। जाहिरा भी आँखें बंद किए हुए अपने भाई से अपनी चूचियों को दबवाने का मज़ा लिए जा रही थी।

फैजान का दूसरा हाथ मैंने खींच कर अपनी चूत के ऊपर रख दिया। फैजान ने फ़ौरन ही मेरी चूत को अपनी मुठ्ठी में ले लिया और उसे पहले तो दबाने लगा और फिर आहिस्ता-आहिस्ता सहलाने लगा।

कुछ ही देर में खुद ही से फैजान ने अपना हाथ मेरी पजामी के अन्दर डाला और फिर मेरी नंगी चूत को सहलाना शुरू कर दिया।

मेरा भी मजे से बुरा हाल होने लगा हुआ था और मेरी आँखें बंद हो रही थीं। मैंने अँधेरे में ही दूसरी तरफ देखा.. तो उधर भी फैजान ने अपना हाथ अपनी बहन की टाइट्स के अन्दर डाला हुआ था और उसकी चूत को सहला रहा था।

हाउ मच लकी फैजान वाज़.. कि एक ही वक़्त में अपनी बीवी और अपनी बहन की चूत को सहला रहा था और उनमें अपनी उंगलियाँ डाल कर दोनों को एक ही वक़्त में एक साथ मजे दे रहा था।


फैजान की उंगलियाँ मेरी चूत के दाने को सहला रही थीं और मेरी आँखें एक बार फिर से बंद हो चुकी हुई थीं। मैं अपनी मंज़िल के क़रीब पहुँचती जा रही थी और किसी भी वक़्त मेरी चूत पानी छोड़ने वाली थी।

मेरी भी कोशिश थी कि जल्दी से जल्दी मेरी चूत का पानी निकल जाए और मेरा जिस्म रिलेक्स हो जाए। लेकिन अचानक ही कुछ यूँ हुआ कि फिल्म का इंटरवल हो गया और हाल की तमाम लाइट्स जलना शुरू हो गईं।

हम तीनों जल्दी से सीधे होकर बैठ गए। फैजान ने मेरी और जाहिरा की चूत पर से अपना हाथ हटा लिया और फिर जल्दी से अपने लंड को अपनी पैन्ट के अन्दर कर लिया।

हम तीनों ही घबराए हुए थे और फिर कुछ ही देर में मैं मुस्कुरा कर फैजान की तरफ देखने लगी और वो भी मुस्कुरा दिया। फैजान की नज़र बचा कर मैंने जाहिरा को आँख मार दी और मुस्कुरा भी दी।

फैजान थोड़ा शर्मिंदा शर्मिंदा लग रहा था।

कुछ देर बार मैं उठी और टॉयलेट में जाने का कह कर बाहर आ गई.. लेकिन उन दोनों बहन-भाई में से कोई भी मेरे साथ बाहर नहीं आया। जैसे ही मैं टॉयलेट से फारिग होकर बाहर आई और हॉल की तरफ जाने लगी.. तो अचानक से ही किसी ने मुझे पीछे से आवाज़ दी ‘भाभीजान.. भाभी…’

मैंने चौंक कर पीछे मुड़ कर देखा तो हमारे मोहल्ले का लड़का नावेद.. पीछे से मेरी तरफ आ रहा था।
उसे अचानक से देख कर मैं थोड़ा परेशान सी हो गई।

नावेद हमारा बिल्कुल लगे हुए मकान में रहता था.. वो हमारा पड़ोसी था। अभी तो वो पूरी तरह से जवान भी नहीं हुआ था और किसी लड़की की तरह ही कम उमर का लगता था। काफ़ी हद तक शर्मीला और सब लोगों से अलग-थलग रहने वाला लड़का था। मोहल्ले में भी कभी उसको किसी के पास खड़े हुए नहीं देखा था और ना कभी उसकी किसी लड़की तो क्या.. किसी दूसरी लड़की के साथ दोस्ती के बारे में भी नहीं सुना था। वो मोहल्ले का एक बहुत ही प्यारा खुबसूरत.. भोला-भाला.. शर्मीला और शरीफ लड़का था।

नावेद मेरे पास आया और बोला- भाभी आप यहाँ क्या कर रही हो?

मैंने मुस्कुरा कर उसे देखा और बोली- बस वो हम सब भी फिल्म देखने आए हुए थे.. लेकिन तुम यहाँ सिनेमा में इस वक़्त क्या कर रहे हो.. क्या अपने मम्मी-पापा को बता कर आए हो?
मैंने उसे तंग करने की लिए कहा था.. क्यूँ कि उसको घर में और मोहल्ले में अभी तक बिल्कुल एक बच्चे की तरह से ही ट्रीट किया जाता था और था भी वो कुछ ऐसा ही।

हमारे साथ वाले घर में वो अपनी मम्मी-पापा.. भाई और भाभी के साथ रहता था। उसके भाई की शादी थोड़ा अरसा पहली ही हुई थी।

नावेद मुस्कुरा कर बोला- जी भाभी जी.. मैं घर पर सबको बता कर ही आया हूँ कि मैं फिल्म देखने जा रहा हूँ। आइए.. मैं आपको कोल्ड ड्रिंक पिलाता हूँ।
मेरे इन्कार के बावजूद वो भाग कर पास ही की कैन्टीन पर गया और दो कोल्ड ड्रिंक ले आया।
फिर बोला- आइए भाभी.. अन्दर चलते हैं.. इंटरवल खत्म हो चुका है और फिल्म भी शुरू हो चुकी है।
मैंने नावेद से पूछा- तुम्हारे दोस्त कहाँ बैठे हैं?

वो मुस्कुरा कर बोला- भाभी मेरे तो कोई भी दोस्त नहीं हैं। मैं तो अकेला ही फिल्म देखने आया हूँ.. चलो अब मैं आप लोगों के साथ ही बैठ कर देख लूँगा।

अब मैं और नावेद कोल्ड ड्रिंक्स सिप करते हुए अन्दर की तरफ बढ़े.. तो अचानक से मुझे ख्याल आया कि मैं नावेद को फैजान और जाहिरा के पास कैसे ले जा सकती हूँ.. वो पता नहीं अभी किस हालत में बैठे हों।
तो इस तरह से नावेद को सब कुछ पता चल जाएगा और फिर उन दोनों बहन-भाई को भी एंजाय करने का वक़्त नहीं मिलेगा।

हम इतनी देर में हॉल में एंटर हुए थे तो अन्दर फिर से बहुत ही अँधेरा हो गया था।
नावेद बोला- भाभी फैजान भाई कहाँ पर बैठे हैं.. उधर ही चलते हैं।
मैंने उससे कहा- नहीं.. बहुत अँधेरा हो रहा है.. हम दोनों एक साइड पर इधर ही बैठ जाते हैं।

वो बोला- ठीक है भाभी.. फिल्म के बाद उनसे मिल लेंगे और फिर एक साथ ही घर चलेंगे।

वहाँ गैलरी तो पूरी की पूरी खाली पड़ी हुई थी.. मैंने नावेद को लिया और एक तरफ होकर बैठ गई। नावेद भी मेरे साथ बगल वाली कुरसी पर बैठ गया, हम दोनों फिल्म देखते हुए कोल्ड ड्रिंक पीने लगे।

मैंने जो कमीज़ पहनी हुई थी.. वो स्लीबलैस थी और मेरे कन्धों से नीचे से पूरी बाज़ू नंगी थी।

हॉल में स्क्रीन पर चल रही फिल्म की रोशनी में मेरे गोरे-गोरे मुलायम बाज़ू बहुत चमक रहे थे। दूसरी तरफ नावेद ने एक हाफ स्लीव टी-शर्ट पहन रखी थी और साथ में जीन्स पहनी हुई थी।

कुछ ही देर में नावेद का नंगा बाज़ू मुझे अपनी नंगी मुलायम चिकनी बाज़ू से टच होता हुआ महसूस हुआ। मैंने फ़ौरन से कोई भी रिस्पॉन्स नहीं दिया.. क्योंकि मुझे नावेद का नरम सा.. पतला सा.. बाज़ू का टच बहुत अच्छा फील हो रहा था।
अपनी बाज़ू पर उसके जिस्म का टच मुझे सीधे-सीधे मेरे दिमाग पर असर करता हुआ महसूस हो रहा था। मैंने भी अपनी बाज़ू को हटाने की बजाए उसकी बाज़ू की गर्मी को महसूस करना शुरू कर दिया।

नावेद को भी शायद अहसास हो गया था कि उसका बाज़ू मेरी बाज़ू से छू रहा है लेकिन मैं हटा नहीं रही हूँ.. तो वो भी चुप करके बैठा रहा और मेरे जिस्म की गर्मी को महसूस करता रहा।

कुछ ही देर के बाद नावेद अपने होंठों को मेरे गालों की तरफ लाया तो मैं तो जैसे चौंक ही पड़ी और थोड़ा पीछे को हटी लेकिन उसने आगे होकर कहा- भाभी मेरी बात सुनिए..

वो कुछ ऊँचा बोल रहा था.. लेकिन फिल्म की तेज साउंड में उसकी आवाज़ बहुत ही कम आ रही थी।

मैंने अपना कान उसकी तरफ किया.. तो वो बोला- भाभी फैजान भाई परेशान हो रही होंगे कि आप कहाँ रह गई हो.. हम लोग उनको तो बता देते..
मैं- हाँ यह ठीक कहा तुमने.. मैं उसे कॉल कर देती हूँ।

तभी मुझे अहसास हुआ कि मैं अपना सेल फोन तो अपनी पर्स समेत वहीं जाहिरा को दे आई थी।
मैंने नावेद की तरफ मुँह किया और अपने होंठ उसके कानों के क़रीब ले जाकर बताया कि मेरे पास फोन नहीं है।

नावेद अपने होंठ मेरे कानों के पास लाया और इस बार अपने होंठों को मेरे कानों से छूते हुए बात करने लगा।
‘भाभी.. आप मेरे सेल से कॉल कर लें..’

यह बात मुकम्मल करके जैसे ही वो पीछे हटा.. तो मुझे अहसास हुआ कि जैसे उसने मेरी कान को हौले से चूम लिया हो। लेकिन मैं पक्का नहीं थी.. इसलिए चुप रही। नावेद ने अपना सेल फोन मेरी तरफ बढ़ा दिया.. मैंने उससे सेल फोन लिया और फैजान को कॉल करके पूरे हालाते हाजरा बता दिये।
वो भी शायद खुश ही था कि उसे जाहिरा के साथ एंजाय करने का टाइम मिल गया था।

जिस दौरान मैं फैजान से फोन पर बात कर रही थी.. तो नावेद का बाज़ू तब भी मेरी नंगी चिकनी बाज़ू के साथ छू रहा था।

अब मुझे थोड़ा-थोड़ा अहसास हो रहा था कि यह बच्चा अब इतना भी बच्चा नहीं रहा है.. और उसे औरत के जिस्म से मज़ा लेने का शौक़ शुरू हो गया हुआ है।
मैं धीरे-धीरे मुस्कुरा रही थी.. बिना उसे रोके या बिना उससे दूर हटे हुए।

कॉल करने के बाद भी मैंने उसका सेल फोन उसे नहीं दिया था.. बल्कि अपने हाथ में ही लिया हुआ था। फिर मैं उसकी सेल की ब्राउज़िंग करने लगी।

नावेद ने मुझे रोकना चाहा और अपने होंठ मेरे कानों से छू कर और अपना हाथ मोबाइल की तरफ बढ़ा कर बोला- भाभी मेरा सेल दे दें.. अन्दर ना देखें.. प्लीज़..
मैंने सेल थोड़ा पीछे किया और बोली- क्यों.. इसमें तुम्हारी गर्ल फ्रेंड्स के नंबर्स हैं क्या?
वो चुप कर गया और फिर बोला- नहीं भाभी.. मेरी तो कोई भी गर्ल फ्रेंड नहीं है।

मैंने उसकी सेल फोन की गैलरी खोली.. तो उसमें पड़ी हुई इमेजिज को देखने लगी। बहुत साड़ी मुख्तलिफ फोटोज थीं कुछ उसकी.. कुछ घर वालों की थीं। फिर जैसे ही मैंने वीडियो गैलरी खोली.. तो उसने दोबारा फोन लेना चाहा.. लेकिन मैंने हाथ पीछे को कर लिया और उसका हाथ मेरी सीने के आगे से होकर मोबाइल की तरफ बढ़ा.. तो उसकी बाज़ू से मेरी चूचियों दब गईं।

‘ऊवप्प्स.. अरे अरे.. सीधे होकर बैठो.. क्या कर रहे हो.. देखने तो दो तुमने कौन-कौन सी मूवीज इसमें रखी हुई हैं..’
नावेद- नहीं नहीं.. भाभी कुछ नहीं है इसमें.. प्लीज़ मुझे मेरा सेल फोन दे दें।

यह कहते हुए उसने मेरी एक नंगी बाज़ू पर पहली बार अपना हाथ रखा और फिर मेरी बाज़ू को पकड़ कर दूसरे हाथ से अपने मोबाइल को पकड़ लिया। इस दौरान एक बार फिर से उसकी बाज़ू ने मेरी खूबसूरत तनी हुए चूचियों को मसल सा दिया.. लेकिन इस बार मैंने उसका सेल फोन उसे दे दिया।

नावेद ने अपना सेल फोन अपनी पॉकेट में डाल लिया। मैं भी सीधी होकर फिल्म देखने लगी.. जैसे मैं उसे थोड़ी नाराज़गी दिखा रही हूँ।
नावेद ने दोबारा से अपना हाथ मेरी नंगी बाज़ू पर रखा और आहिस्ता आहिस्ता मेरी नंगी बाज़ू को सहलाते हुए बोला- भाभी प्लीज़.. आप नाराज़ हो रही हैं क्या?

यह कहते हुए उसके हाथ की उंगलियों ने मेरी बाज़ू की गिर्द चक्कर पूरा कर लिया। अब उसके हाथ की उंगलियों की बैक साइड मेरी चूचियों को छू रही थीं और जैसे-जैसे वो अपने हाथ को ऊपर-नीचे को मूव करता.. तो उसके हाथ की उंगलियों की बैक मेरी चूचियों को सहलाते जातीं। मुझे भी इसमें मज़ा आ रहा था.. लेकिन मैं अभी भी खामोश बैठी हुई थी।

वो थोड़ा सा मेरी तरफ दोबारा झुका और अपने होंठों को मेरे नंगे कन्धों पर रख कर बोला- प्लीज़ भाभी नाराज़ ना हों.. मैं आपको सेल फोन दिखा दूँगा.. अभी तो फिल्म खत्म होने वाली है.. लेकिन कल मैं आपके घर आकर आपको दिखाऊँगा.. फिर इसमें से जो दिल चाहे.. देख लीजिएगा।

मैंने अपना चेहरा मोड़ कर उसकी तरफ देखा.. तो उसके होंठ मेरे होंठों के बहुत क़रीब थे और उसकी साँसें मेरे चेहरे पर पड़ रही थीं। उसकी गरम साँसों की वजह से मेरी चूत में कुछ होने लगा था और मुझे थोड़ा गीलापन महसूस होने लगा था। उसकी पतले गुलाबी होंठों को अपने इतना क़रीब देख कर मेरे होंठों पर भी हल्की सी मुस्कान फैल गई।
 

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वो थोड़ा सा मेरी तरफ दोबारा झुका और अपने होंठों को मेरे नंगे कन्धों पर रख कर बोला- प्लीज़ भाभी नाराज़ ना हों.. मैं आपको सेल फोन दिखा दूँगा.. अभी तो फिल्म खत्म होने वाली है.. लेकिन कल मैं आपके घर आकर आपको दिखाऊँगा.. फिर इसमें से जो दिल चाहे.. देख लीजिएगा।
मैंने अपना चेहरा मोड़ कर उसकी तरफ देखा.. तो उसके होंठ मेरे होंठों के बहुत क़रीब थे और उसकी साँसें मेरे चेहरे पर पड़ रही थीं। उसकी गरम साँसों की वजह से मेरी चूत में कुछ होने लगा था और मुझे थोड़ा गीलापन महसूस होने लगा था। उसकी पतले गुलाबी होंठों को अपने इतना क़रीब देख कर मेरे होंठों पर भी हल्की सी मुस्कान फैल गई।
अब आगे लुत्फ़ लें..

नावेद ने मुझे मुस्कुराते देखा तो एकदम से जैसे उसे पता नहीं.. कितनी खुशी हुई कि उसने आगे बढ़ कर अचानक से मेरे गालों को किस कर लिया और बोला- यह हुई ना बात भाभी.. यू आर माय सो स्वीट भाभी..
यह कहते हुए उसने अपना बाज़ू मेरी दूसरे कंधे की तरफ डाला और मुझे अपनी सीने की तरफ खींच लिया। मैं उस लड़के की हरकत देख-देख कर हैरान हो रही थी।
फिर मैं बोली- अरे.. यह क्या कर रहे हो छोड़ो मुझे.. और तुमने मुझे यह किस क्यों किया?

नावेद थोड़ा पीछे हटा.. लेकिन मेरे कन्धों पर से अपना हाथ नहीं हटाया और बोला- आप भी तो मेरी भाभी की तरह ही हो ना.. तो जब मैं उनसे खुश होता हूँ.. तो उनको भी ऐसे ही किस और हग करता हूँ।
मैं उस पर मुस्कुरा दी।

बाक़ी फिल्म के दौरान भी नावेद मेरा एक हाथ अपने दोनों हाथों में लेकर बैठा रहा और उसे ना महसूस अंदाज़ में आहिस्ता आहिस्ता सहलाता रहा।

मुझे भी उसकी इस तरह से सहलाने से मज़ा आ रहा था। मुझे हैरत हो रही थी कि इतना मासूम और भोला भाला नज़र आने वाला लड़का किस क़दर तेज है और उसको जवान और खूबसूरत लड़कियों और औरतों को छूने का कितना शौक़ है।

कुछ ही देर में फिल्म खत्म हो गई और फिर हॉल की बत्तियाँ जल पड़ीं.. जो चंद लोग हॉल में थे.. वो एक-एक करके बाहर निकलने लगे। सामने ही बैठे हुए फैजान और जाहिरा पर मेरी नज़र पड़ी तो वो भी खुद को जैसे ठीक कर रहे थे। फिर फैजान ने उठ कर पीछे मुझे तलाश करने की कोशिश की.. तो मैंने फ़ौरन ही हाथ हिलाकर उसे अपनी पोजीशन का अहसास दिलाया और नावेद ने भी हाथ हिला दिया।

फैजान और जाहिरा उठे और हमारी तरफ बढ़े। जब वो क़रीब आए तो मैंने मुस्कुरा कर जाहिरा की तरफ देखा तो वो शरम से लाल हो गई और उसके चेहरे पर एक शर्मीली सी मुस्कुराहट फैल गई। फैजान और नावेद दोनों मिलने के बाद आगे-आगे चलने लगे और मैं और जाहिरा उनकी पीछे हो लिए थे।

मैंने जाहिरा से पूछा- तुमने तो आज खूब मज़ा किया होगा अपने भाई के साथ?
जाहिरा- नहीं भाभी.. हमने तो कुछ भी नहीं किया..
मैं- अच्छा.. कुछ नहीं किया? तो फिर यह अपने ऊपर वाले होंठ के ऊपर से अपने भाई का रस तो साफ़ कर लो.. सबको दिख रहा है कि तुम क्या-क्या करके आ रही हो..

जैसे ही मैंने यह कहा.. तो फ़ौरन ही जाहिरा का हाथ अपने होंठों की तरफ बढ़ा और वो अपने होंठों को साफ करने लगी।

उसकी इस हरकत पर मैं हँसने लगी और बोली- अरी पगली.. कुछ नहीं लगा हुआ हुआ.. सब तो तू चाट गई है.. मैं तो सिर्फ़ यह देखने के लिए ऐसा बोली थी कि मुझे पता चल सके कि वहाँ पर क्या-क्या हुआ है..
जाहिरा ने शरमाते हुए कहा- भाभी आप भी ना बस..

फिर हम दोनों भी हँसते हुए चलते हुए उन दोनों की पीछे स्टैंड पर आ गए।

वे दोनों अपनी बाइक्स ले आए.. मैं और जाहिरा दोनों ही फैजान की बाइक पर बैठने लगीं.. तो नावेद बोला- भाभी आप मेरे साथ आ जाओ.. क्या जरूरी है कि आप सबको एक बाइक पर ही बैठना है? मैं भी तो घर ही जा रहा हूँ ना..
फैजान ने मेरी तरफ देखा और बोला- हाँ ठीक है.. तुम नावेद के साथ बैठ जाओ.. मैं जाहिरा को बैठा लेता हूँ।

मैंने एक नज़र मुस्कुरा कर जाहिरा की तरफ देखा और फिर नावेद की तरफ बढ़ी मुझे अपनी तरफ आता हुआ देख कर उसकी भी आँखें चमक उठी थीं।
मैं आगे बढ़ी और फिर नावेद के कंधे पर हाथ रख कर उसकी बाइक पर उसके पीछे बैठ गई और हम सब घर की तरफ चल पड़े।

नावेद के पीछे मैं जानबूझ कर उससे चिपक कर बैठी थी.. मैंने अपनी चूचियों को भी नावेद की बैक के साथ लगा दिया था और जैसे ही मोटर बाइक थोड़ा सा उछलती.. तो मैं अपनी चूचियों को उसकी पीठ के साथ रगड़ देती। इस तरह मुझे इस खूबसूरत और मासूम लड़के को टीज़ करने में बहुत मज़ा आ रहा था।

घर पहुँच कर नावेद ने अपने घर का दरवाज़ा नॉक किया.. तो उसके पापा ने दरवाजा खोला.. तो हमें अपनी बेटे के साथ देख कर खुश हुए और बोले- चलो अच्छा हुआ कि यह अकेला नहीं था।
फिर मैंने उनको सलाम बोला और अपने घर के अन्दर आ गए।

घर में आकर जाहिरा अपने कमरे में कपड़े चेंज करने के लिए चली गई और मैं और फैजान अपने बेडरूम में आ गए। अपने कपड़े चेंज करते हुए फैजान मुझे मज़ाक़ करते हुए बोला।
फैजान- उस लड़के के साथ बहुत चिपक-चिपक कर बैठ रही थी।

मैं- नहीं तो.. ऐसी तो कोई बात नहीं है.. तुमको तो पता ही है ना.. कि बाइक पर ऐसे ही बैठा जाता है।

फैजान हँसते हुए- हाहहहहा.. बस करो.. अब मुझे सब कुछ दिख रहा था कि कैसे तुम अपनी यह खूबसूरत चूचियों को उसकी पीठ पर रगड़ रही थी।

मैं- अच्छा जी.. मेरा सब कुछ पता है तुमको.. लेकिन अपना नहीं पता.. जो अपनी ही सग़ी बहन को पटा रहे हो..
फैजान एकदम से घबरा गया और बोला- कक्ककया..क्या मतलब है तुम्हारा?

मैं- हाहहहाहा.. देखा ना.. चोरी पकड़ी गई तुम्हारे. मैं सब देख रही हूँ कि कुछ दिनों से कैसे तुम्हारा अपनी ही सग़ी छोटी बहन पर दिल आ रहा है और कैसे तुम उसके लिए बेचैन हो रहे हो। अगर कोई ऐसी बात है ना.. तो मुझे बता दो.. मैं तुम्हारी हेल्प कर दूँगी.. मेरी जान.. मैं आख़िर तुम्हारी दोस्त भी तो हूँ ना..

फैजान घबरा कर इधर-उधर देख रहा था.. मैं और आगे बढ़ी और उसके क़रीब जाकर उसके होंठों को चूम कर बोली- डोंट वरी डियर.. होता है.. ऐसा भी होता है.. वैसे तुम्हारी बहन है बहुत सेक्सी और खूबसूरत.. मैं अगर लड़का होती ना.. तो कब से उसे चोद चुकी होती।

मेरे होंठ अभी भी उसके होंठों को चूम रहे थे और मेरा एक हाथ नीचे जाकर उसके लण्ड को सहला रहा था.. जो कि उसकी पैन्ट में अकड़ रहा था।

मैंने उसे किस करते हुए उसकी पैन्ट खोल कर नीचे गिरा दी और उसके लण्ड को उसकी अंडरवियर के ऊपर से ही पकड़ लिया।
फैजान का लंड अकड़ा हुआ था और अंडरवियर में कड़क हो रहा था।

मैं उसके लण्ड को सहलाते हुए आहिस्ता आहिस्ता सरगोशियाँ करने लगी- फैजान.. मेरी जान.. जाहिरा बहुत हॉट लड़की है.. उफ्फ़.. उसकी जवान और चिकनी चमड़ी.. किस क़दर मुलायम और मदहोश कर देने वाली जिल्द पाई है.. इस्स्स.. उसके रसीले होंठ.. उफफ्फ़.. कितने सेक्सी और कितनी रस से भरे हुए हैं.. जैसे सुर्ख गुलाब हों.. मेरा तो दिल करता है.. एक ही बार में उसके होंठों का रस पी लूँ.. आह्ह..
यह कहते हुए मैं फैजान के होंठों को चूस रही थी।

फैजान मेरी कमर में अपनी बाज़ू डाल कर मुझे अपने साथ दबाते हुए बोला- क्या कह रही हो मेरी जान.. उम्माह.. ऐसा मत बोलो.. वो मेरी बहन है..

लेकिन उसका लंड उसके अल्फ़ाजों का साथ नहीं दे रहा था और अकड़ता ही जा रहा था.. जिसे मैंने अब उसकी अंडरवियर से बाहर निकाल लिया था और अपनी मुठ्ठी में लेकर सहला रही थी।

मैं- उफ्फ्फ.. फैजान अगर तुम एक बार अपना यह लंड उसकी कुँवारी चूत में डाल लो ना.. तो ज़िंदगी भर उसके गुलाम बन जाओगे.. काश.. मेरे पास लंड होता.. तो सबसे पहले मैं तुम्हारी बहन की कुँवारी चूत को चोदती..

मैं अपनी ज़ुबान फैजान के मुँह में डालते हुए बोली- बोलो भरना चाहते हो ना अपनी बहन को.. अपनी बाँहों में.. चूमना चाहते हो ना उसके खूबसूरत गालों को… चूसना चाहते हो ना उसके रसीले होंठों को… चोदना चाहोगे ना.. उसकी कुँवारी चूत को.. अपनी इस मोटे लंड से..

फैजान ने जोर से मुझे अपनी सीने से चिपका लिया और मेरे होंठों को अपने होंठों से मसलता हुआ बोला- बस करो.. डार्लिंग.. बस करो..ऊऊऊओहह.. मेरी जान.. कहीं ऐसा ना हो कि मैं अभी उसे चोदने चला जाऊँ.. आह्ह..

इतने में दरवाजे पर नॉक हुई.. तो हम दोनों एक-दूसरे से अलग हो गए।
जाहिरा अन्दर आई तो बोली- हैलो गाइस.. कोई मिल्क शेक लेना चाहेगा कि नहीं.. मैं बनाने जा रही हूँ..
मैंने कहा- हाँ.. बना लो सबके लिए लेकिन तुम्हारे भैया तो शायद आज की रात ‘दूध’ ही पीना पसंद करेंगे..

मेरी बात सुन कर फैजान घबरा गया और बोला- नहीं नहीं.. मेरे लिए भी मिल्क शेक ही बना लाओ।
जाहिरा ने मेरी बात समझ ली थी.. वो हँसती हुई वहाँ से चली गई और फिर मैं भी कपड़े चेंज करने लगी।

मैं जानती थी कि फैजान परेशान है कि वो अब मुझे क्या बताए कि वो तो अपनी बहन को पहली ही चोद चुका हुआ है। लेकिन मैं भी अब तीनों के दरम्यान का यह परदा खत्म कर देना चाहती थी।

 
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