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आपने अभी तक पढ़ा..
मैं- जाहिरा जो भी लड़का तुम्हें हासिल करेगा ना.. वो बहुत ही लकी होगा..
जाहिरा शर्मा कर बोली- क्या मतलब भाभी?
मैं- अरे तेरे जैसे खूबसूरत लड़की जिसको अपने नीचे लिटाने को मिलेगी.. उसकी तो समझो कि लॉटरी ही निकल पड़ेगी..
जाहिरा मेरी बात सुन कर शर्मा गई। मैं ऐसी बातें इसलिए कर रही थी ताकि अगर फैजान सो नहीं रहा है.. तो वो भी मेरी बातें सुन सके और मैं उसको उत्तेजित करने की लिए ऐसी बातें कर रही थी।
ऐसी उत्तेजना भरी बातें करते समय मेरी खुद की चूत में रस निकलने लगा था।
अब आगे लुत्फ़ लें..
ऐसी ही थोड़ी देर तक बातें करने के बाद मैंने अपनी आँखें बंद कर लीं.. जैसे कि मैं सो गई हूँ। काफ़ी देर तक खामोशी रही.. मुझे नींद भला कहा आने थी। थोड़ी सी आँख खोल कर मैंने देखा तो जाहिरा की आँखें भी बंद थीं।
ऐसी ही क़रीब-क़रीब एक घंटा गुज़र गया.. तो मुझे जाहिरा की दूसरी तरफ फैजान हिलता हुआ महसूस हुआ। उसने जैसे नींद में ही करवट ली और सीधा अपनी बाज़ू और टांग को अपनी बहन के ऊपर रख दिया।
मैंने देखा की जाहिरा ने फ़ौरन ही आहिस्ता से आँखें खोलीं और सबसे पहले अपने भाई की तरफ देखा और फिर मेरी तरफ देख कर मेरा पक्का किया कि मैं सो रही हूँ या जाग रही हूँ।
अपनी तसल्ली करके जाहिरा ने आराम से अपनी आँखें बंद कर लीं। मैं हैरान हुई कि उसने अपने भाई का बाज़ू या टांग हटाने की कोई कोशिश नहीं की। उसके भाई की बाज़ू उसकी चूचियों से बिल्कुल नीचे लगी पड़ी थी और टांग उसकी जाँघों पर थी।
मैं समझ गई कि जाहिरा भी आज मजे लेने के चक्कर में है।
अब मेरी तरह से जाहिरा भी सोती हुई बनी हुई थी.. लेकिन उसे यह नहीं पता था कि मैं जाग रही हूँ।
कुछ ही देर गुज़ारने के बाद मुझे फैजान के हाथ में हल्की-हल्की हरकत महसूस हुई। फैजान का अपनी बहन के जिस्म के ऊपर रखा हुआ हाथ आहिस्ता आहिस्ता हरकत में आ रहा था।
उसने आहिस्ता आहिस्ता अपना हाथ अपनी बहन की टी-शर्ट के ऊपर से ही उसके पेट पर फेरना शुरू कर दिया।
जब उसे महसूस हुआ कि उसकी बहन के जिस्म में कोई भी हरकत नहीं हो रही है.. तो उसको यक़ीन हो गया कि वो सो रही है.. अब उसकी हिम्मत बढ़ चली और उसके हाथ का जाहिरा के सीने की पहाड़ियों पर चढ़ने का सफ़र शुरू हुआ।
फैजान ने आहिस्ता आहिस्ता अपने हाथ से जाहिरा की चूचियों के निचले हिस्से को छूना शुरू कर दिया। फैजान का हाथ अपनी बहन की चूचियों को नीचे से छू रहा था।
आहिस्ता आहिस्ता उसने अपने हाथ को हरकत देते हुए जाहिरा की चूचियों की ऊपर रख दिया और हाथ ऊपर रख कर वहीं पर कुछ देर के लिए ठहर गया।
जैसे वो जाहिरा की प्रतिक्रिया देखना चाह रहा हो।
मुझे मज़ा आ रहा था.. लेकिन उससे बढ़ कर जाहिरा के संयम पर हैरत हो रही थी कि कैसे वो खामोश अपने चेहरे के हाव-भाव को कंट्रोल करके लेटी हुई है।
फैजान ने आहिस्ता आहिस्ता अपने हाथ को जाहिरा की चूचियों पर गोल-गोल घुमाना शुरू कर दिया।
एक भाई के हाथ के नीचे उसकी बहन की चूची देख कर मेरी तो अपनी चूत गीली होने लगी थी। मेरा दिल कर रहा था कि मैं अपने हाथ अपनी चूत पर ले जाऊँ और अपनी चूत को सहलाने लगूँ लेकिन मैं ऐसा नहीं कर सकती थी।
जाहिरा ने जो शर्ट पहन रखी थी.. वो स्लीबलैस थी और उसका गला भी काफ़ी बड़ा था.. जिसमें उसकी सीने का काफ़ी हिस्सा साफ़ नंगा नज़र आता था।
दोनों चूचियों पर हाथ फेरते हुए फैजान के हाथ आहिस्ता आहिस्ता जाहिरा के नंगे सीने पर आ गए और उसने अपनी उंगलियों को अपनी बहन के नंगे और गोरे-गोरे उठे हुए सीने पर रख दिए।
अब आहिस्ता आहिस्ता वो अपना हाथ अपनी बहन के गले के नीचे छातियों पर फेरने लगा।
फैजान का हाथ आहिस्ता-आहिस्ता जाहिरा के सीने पर फिसलता हुआ मेरी तरफ को आने लगा और उसने अपना हाथ जाहिरा की शर्ट की स्ट्रेप्स को नीचे को सरका दिया और फिर वापिस अपना हाथ ऊपर की तरफ ले गया।
जाहिरा के सीने पर हाथ फेरते हुए उसका हाथ आहिस्ता आहिस्ता नीचे को जाने लगा।
अब इस तरह लेटने की वजह से जाहिरा की चूचियों का क्लीवेज भी साफ़ नज़र आ रहा था। फैजान ने अपनी एक उंगली उस खूबसूरत क्लीवेज में घुसेड़ दी और आहिस्ता आहिस्ता उसे आगे-पीछे करने लगा।
फैजान की एक टाँग अभी तक जाहिरा की टाँगों पर ही थी।
अपनी बहन की चूचियों की क्लीवेज में कुछ देर अपनी उंगली फेरने के बाद मेरे शौहर ने अपने हाथ की बाक़ी उंगलियां भी आहिस्ता आहिस्ता जाहिरा की टी-शर्ट के अन्दर को घुसेड़ना शुरू कीं और अपना पूरा हाथ जाहिरा की चूचियों पर ले गया।
अभी शायद वो जाहिरा की चूचियों पर उसकी ब्रा की ऊपर से ही हाथ फेर रहा था। उसका हाथ जाहिरा की ब्रेजियर के ऊपर से ही उसकी चूचियों को छू रहा था।
फैजान के हाथ जाहिरा की नंगी चूचियों को भी छू रहे थे.. जो कि उसकी ब्रा के आधे कप में से बाहर निकल रही थीं।
मेरी नज़र जाहिरा के चेहरे की तरफ गई.. तो उसकी आँखें हल्की-हल्की सी हिल-डुल रही थीं.. जैसे की वो खुद को पूर सुकून में रखने की कोशिश कर रही हो।
उस अँधेरे कमरे में जहाँ सिर्फ़ एसी की जलते-बुझते नंबर्स की बहुत ही मद्धिम सी रोशनी फैली हुई थी। उस रोशनी में कोई भी किसी की चेहरे के हाव-भाव नहीं देख सकता था। किसी को नहीं पता था कि दूसरा जाग रहा है.. या सो रहा है।
हर कोई दूसरी को सोता हुआ ही समझ रहा था। हम तीनों के तीनों उस बिस्तर पर एक-दूसरे के क़रीब लेटे हुए भी जाग रहे थे लेकिन फैजान समझ रहा था कि मैं और जाहिरा दोनों सो रहे हैं।
जाहिरा मेरे सोए हुए होने की दुआएं कर रही थी और खुद भी सोने की एक्टिंग करते हुए अपने भाई को अपने जिस्म से खेलने का मौका दे रही थी।
ज्यादा देर तक अपना हाथ जाहिरा की शर्ट की अन्दर रखे बिना ही फैजान ने अपना हाथ उसकी शर्ट से बाहर निकाला और फिर बिस्तर पर उठ कर बैठ गया।
मैंने फ़ौरन ही अपनी आँखें बंद कर लीं। चंद लम्हों के बाद मैंने देखा तो वो उठ कर बिस्तर के हमारे पैरों वाली साइड पर चला गया हुआ था और नीचे झुक कर आहिस्ता आहिस्ता अपनी बहन के गोरे-गोरे पैरों को चूमने लगा था।
वो जाहिरा के पैरों को नीचे और ऊपर से चूम रहा था। उसके पैरों को चूमते हुए धीरे-धीरे उसकी टाँगों पर आ गया और उसकी चिकनी और गोरी टाँगों पर हाथ फेरने लगा।
फिर नीचे झुक कर अपने होंठ उसकी गोरी टाँगों पर रख दिए और उन मरमरी टाँगों को चूमने लगा।
जाहिरा की नंगी टाँगों के पास ही मेरी भी टाँगें थीं और वो भी नंगी थीं। फैजान ने एक नज़र मेरे चेहरे पर डाली और फिर अपना दूसरा हाथ मेरी नंगी गोरी टाँग पर रख दिया।
अब उसका एक हाथ मेरी टांग को भी सहला रहा था.. तो दूसरा अपनी बहन की टांग को सहला रहा था।
शायद वो दोनों को कंपेयर कर रहा था कि कौन ज्यादा चिकनी है.. उसकी बहन या उसकी बीवी..
जाहिरा की टाँगों पर हाथ फिराता हुआ फैजान ऊपर को आ रहा था। अब उसका हाथ जाहिरा के घुटनों तक पहुँच चुका था और फिर उसका हाथ ऊपर को सरका और उसने अपना हाथ अपनी बहन की नंगी जांघ पर रख दिया।
जैसे ही फैजान के हाथ ने जाहिरा की नंगी जाँघों को छुआ.. तो मेरी चूत ने तो फ़ौरन ही पानी छोड़ दिया।
मैं अब ज्यादा बर्दाश्त नहीं कर पा रही थी और ना ही मैं इतनी जल्दी और इतनी आसानी से अभी फैजान को जाहिरा की चूत तक पहुँचने देना चाहती थी।
जाहिरा की टाँगों पर हाथ फिराता हुआ फैजान ऊपर को आ रहा था। अब उसका हाथ जाहिरा के घुटनों तक पहुँच चुका था और फिर उसका हाथ ऊपर को सरका और उसने अपना हाथ अपनी बहन की नंगी जांघ पर रख दिया।
जैसे ही फैजान के हाथ ने जाहिरा की नंगी जाँघों को छुआ.. तो मेरी चूत ने तो फ़ौरन ही पानी छोड़ दिया।
मैं अब ज्यादा बर्दाश्त नहीं कर पा रही थी और ना ही मैं इतनी जल्दी और इतनी आसानी से अभी फैजान को जाहिरा की चूत तक पहुँचने देना चाहती थी।
अब आगे लुत्फ़ लें..
मैंने थोड़ी सी हरकत की तो फैजान फ़ौरन ही पीछे हट कर लेट गया।
मैं बड़े ही आराम से उठी जैसे नींद से जागी हूँ और आराम से बाथरूम की तरफ चल दी।
बाथरूम में जाकर मैंने अपनी चूत को अच्छे से धोया.. जो बिल्कुल गीली हो गई थी, फिर मैंने बाहर निकलने से पहले थोड़ा सा छुप कर बाहर देखा.. तो फैजान थोड़ा सा उठ कर अपनी बहन की गालों को चूम रहा था और कभी उसकी होंठों को भी पी रहा था.. लेकिन साथ ही बार-बार बाथरूम की तरफ भी देख रहा था।
मैंने बाथरूम में थोड़ा सा शोर किया और फिर दरवाज़ा खोल दिया.. लेकिन फैजान को अपनी जगह पर टिक जाने का पूरा मौका दे दिया।
फिर बाथरूम से वापिस आकर मैं अपनी जगह पर लेटने की बजाए फैजान की तरफ आ गई और उसके साथ लेटने की बजाए उसके ऊपर लेट गई क्योंकि उसके साथ लेटने के लिए जगह नहीं थी।
मेरे ऊपर लेटने की वजह से फैजान ने नींद में होने का नाटक करते हुए आँखें खोलीं और बोला- हाँ क्या है?
मैंने बिना कुछ कहे उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए और उसके होंठों को चूमने लगी।
फैजान भी जो अब तक अपनी बहन के जिस्म से छेड़छाड़ करने से गरम हो चुका था.. उसने भी मुझे अपनी बाँहों में भर लिया।
मैं यह सब कुछ जानबूझ कर कर रही थी.. क्योंकि मुझे पता था कि जाहिरा भी जाग रही है और वो यह सब देख रही होगी।
मुझे चूमते हुए और मेरी कमर और मेरी गाण्ड पर हाथ फेरते हुए फैजान मेरे कान में आहिस्ता से बोला- जाहिरा जाग जाएगी।
मैं अपने होंठ फैजान के जाहिरा की साइड वाले कान की तरफ ले गई और थोड़ी ऊँची आवाज़ में बोली- नहीं जानू, तुम्हारी बहन गहरी नींद में सो रही है.. वो सुबह से पहले नहीं उठेगी.. बस जल्दी से तुम मेरे जिस्म से अपनी प्यास बुझा लो..
मैं ये सब इतनी ऊँची आवाज़ में कह रही थी.. ताकि जाहिरा भी यह बात आसानी से सुन ले।
मैं नीचे को जाने लगी और फैजान की टाँगों के दरम्यान आ गई। मैंने फैजान के शॉर्ट्स को नीचे खींचा और उसके अकड़े हुए लंड को अपने हाथ में ले लिया। मैंने फैजान की लंड की टोपी को चूम लिया और बोली- जानू.. तुम्हारा लंड तो पहले से ही तैयार है.. लगता है कि किसी हसीन और खूबसूरत लड़की की ख्वाब ही देख रहे थे?
फैजान मुस्कराया और एक नज़र जाहिरा पर डाल कर बोला- हाँ..
मैंने फैजान की लंड की टोपी को ज़ुबान से चाटा और बोली- ख्वाब देखने की क्या ज़रूरत है.. जब तुम्हारी पास इतनी खूबसूरत चीज़ मौजूद है.. तो चढ़ जाते बस.. और चोद लेते.. तुम्हें किसी से इजाज़त लेने की तो ज़रूरत नहीं है ना..
फैजान ने चौंक कर मेरी तरफ देखा और बोला- क्या मतलब?
मैं मुस्कराई उसकी घबराहट देख कर और बोली- हाँ.. तो और क्या.. तुम्हारी बीवी हूँ.. और खूबसूरत भी हूँ.. तो दिल कर रहा था तो आकर चोद लेते मुझे..
मेरी बात सुन कर फैजान ने सकून की साँस ली।
मेरा इशारा तो जाहिरा की तरफ ही था.. लेकिन मैं अपनी बात को सम्भाल ले गई।
अब मैंने फैजान के लंड को अपने मुँह में ले लिया और उसे चूसने लगी। मैं पूरी तरीके से खुल कर फैजान के साथ सेक्स करना चाहती थी.. ताकि जाहिरा को भी मालूम हो सके कि कैसे सेक्स करते हैं।
मेरी एक टाँग जाहिरा के जिस्म से भी टच कर रही थी।
मैं अब कोई भी कोशिश नहीं कर रही थी कि जाहिरा को पता ना चले क्योंकि मुझे तो पहले से ही पता था कि जाहिरा जाग रही है.. और सब कुछ देख भी रही है.. और महसूस भी कर रही है।
मैंने अच्छी तरह से अपने शौहर के लंड को भर-भर कर चाटा और फिर बिस्तर से नीचे उतर कर अपना बरमूडा और अपनी टी-शर्ट उतार दी।
नीचे मैंने ना ब्रेजियर पहनी हुई थी और ना ही पैन्टी.. पूरी तरह से नंगी होकर मैं दोबारा से फैजान की ऊपर आ गई।
फैजान ने मुझे बहुत रोका कि पूरे कपड़े ना उतारो.. लेकिन मैं कहाँ मानने वाली थी.. जबकि मुझे पता था कि जाहिरा अपनी आँखें नहीं खोलेगी।
फैजान के ऊपर आकर मैंने अपनी चूत को फैजान के लंड के ऊपर रखा और धीरे-धीरे उसे अपने चूत में लेते हुए नीचे को बैठ गई। फिर आहिस्ता आहिस्ता ऊपर-नीचे को होकर अपनी चूत चुदवाने लगी।
मैं आगे को झुकी और फैजान के गाल पर चुम्बन करने लगी।
फिर मैं जाहिरा की तरफ देखते हुए बोली- फैजान देखो.. तुम्हारी बहन सोती हुए में कितनी मासूम और खूबसूरत लग रही है।
फैजान ने भी अपनी नज़र जाहिरा के चेहरे पर जमा दी और अब बिना मेरी तरफ देखे हुए आहिस्ता आहिस्ता मुझे चोदने लगा।
अब मैंने भी अपने मम्मों को फैजान के मुँह में देते हुए जरा तेज आवाज में सीत्कार करना शुरू कर दिया ताकि बगल में लेटी हुई मेरी ननद की बुर में चींटियाँ रेंगने लगें।
‘हाय.. जानू चूसो न मेरे मम्मों को.. आह्ह.. कितना मस्त चूसते हो और ओह.. तुम्हारा लौड़ा तो आज मेरे नीचे कुछ ज्यादा ही मजा दे रहा है.. मेरी जान किसी और की फ़ुद्दी चोद रहे हो क्या..’
फैजान कुछ नहीं बोला.. बस धकापेल मेरी चूत को चोदता रहा।
थोड़ी देर के बाद जब हम दोनों चुदाई से फारिग हुए.. तो हम दोनों ने वॉशरूम में जाकर जिस्मों को साफ़ किया और फिर अपनी-अपनी जगह पर आकर लेट गए।
अब हम तीनों ही आराम से सो गए।
अगली सुबह जब हम लोग उठे तो जाहिरा पहली ही रसोई में जा चुकी हुई थी।
मैंने फैजान को उठाया और तैयार होने का कह कर खुद भी रसोई में चली गई।
जाहिरा चाय बना रही थी.. मैंने जैसे ही उसे देखा.. तो वो शर्मा गई। मैंने महसूस किया कि वो मुझसे नजरें नहीं मिला पा रही है।
मैंने उससे कहा- चलो भी.. जल्दी से तैयार होकर कॉलेज की लिए निकलो.. फिर मुझे भी नहाना है।
जाहिरा शरारती अंदाज़ में बोली- क्यों आज ऐसी क्या बात हो गई कि आपको सुबह-सुबह ही नहाने की फिकर लग गई है।
मैं मुस्करा कर बोली- अरे यार तुझे बताया तो था कि तेरे भैया रात को बहुत तंग करते हैं.. तो बस रात को उन्होंने पकड़ लिया था।
जाहिरा- भैया ने आपको पकड़ लिया या आपने उन्हें पकड़ा था।
मैं जानती थी कि वो सब कुछ देख रही थी.. इसलिए यह बात कह रही है। मैं फिर भी उसकी बात को छुपाते हुए बोली- तू तो सारी रात बेहोश होकर सोई रहती है.. तुझे क्या पता कि तेरे भैया कितना तंग करते हैं.. मुझे तो पूरी रात नहीं सोने देते। इसलिए तुझे अपनी जगह पर लिटाया था कि शायद तू ही कुछ हेल्प करेगी.. लेकिन फिर तेरा भी मुझे कोई फ़ायदा नहीं हुआ।
जाहिरा शर्मा कर चाय के कप उठाते हुए बोली- भाभी.. मैं भला भैया को उनकी शरारतों से कैसे रोक सकती हूँ?
मैं चुप हो गई और मुस्कुराने लगी।
इसके बाद हम सब नाश्ते की टेबल पर आए.. तो फैजान की नजरें आज तो जाहिरा की जिस्म पर कुछ ज्यादा ही गहरी थीं और उसके नशीले जिस्म की नुमाइश से हट ही नहीं रही थीं।
मैं इस सबको देख कर मजे ले रही थी, लेकिन अभी भी वो दोनों यही समझ रहे थे कि मुझे दोनों को इनकी हरकतों का इल्म नहीं है।
आपने अभी तक पढ़ा..
हम सब नाश्ते की टेबल पर आए.. तो फैजान की नजरें आज तो जाहिरा की जिस्म पर कुछ ज्यादा ही गहरी थीं और उसके नशीले जिस्म की नुमाइश से हट ही नहीं रही थीं।
मैं इस सबको देख कर मजे ले रही थी, लेकिन अभी भी वो दोनों यही समझ रहे थे कि मुझे दोनों को इनकी हरकतों का इल्म नहीं है।
अब आगे लुत्फ़ लें..
नाश्ते के बाद वो दोनों बहन-भाई चले गए और मैं रसोई का सामान समेटने के बाद नहाने के लिए चली गई। फुव्वारे से ठंडी-ठंडी पानी की गिरती बूंदों के नीचे नहाते हुए मैं यही सोच रही थी कि अब आगे क्या किया जाए.. जिससे फैजान को अपनी बहन के क़रीब आने का और भी मौका मिले और अपनी बहन का जिस्म को देखने और भोगने का भरपूर मौका मिल सके।
हालांकि मैं दोनों को बिस्तर पर तो एक-दूसरे के क़रीब ला ही चुकी थी। अब मैं उनके दरम्यान की शरम और परदे की दीवार को भी गिरा देना चाहती थी।
दोपहर को दोनों एक साथ ही वापिस आ गए। खाने की टेबल पर ही मैंने फैजान को कह दिया कि आज हम दोनों को शाम को शॉपिंग के लिए लेकर चलो.. मुझे कुछ रेडीमेड कपड़े ख़रीदने हैं।
फैजान मान गया कि शाम को खरीददारी के लिए निकलते हैं।
तक़रीबन अँधेरा ही हो चुका था जब हम लोग शॉपिंग की लिए निकले। चूंकि अगले दिन रविवार था.. इसलिए कोई फिकर नहीं थी कि रात को देर हो जाएगी या सुबह कॉलेज और ऑफिस जल्दी जाना है।
मैंने और जाहिरा ने जीन्स ही पहनी थीं और ऊपर से लोंग शर्ट्स पहन ली थीं। जो कि ज्यादा वल्गर या सेक्सी नहीं लग रही थीं। लेकिन मेरी शर्ट का गला हमेशा की तरह ही डीप था.. जिसकी वजह से मेरा क्लीवेज आसानी से नज़र आ रहा था।
जाहिरा भी आज खूब बन-संवर कर तैयार हुई थी। उसने बहुत ही अच्छा सा परफ्यूम भी लगाया हुआ था और हल्का सा मेकअप भी कर रखा था।
उसके पतले-पतले प्यारे-प्यारे होंठों पर पिंकिश लिप ग्लो लगी हुई थी.. जिसकी वजह से उसके लिप्स बहुत ही सेक्सी लग रहे थे। दिल करता था कि उनको चूम ही लें।
मैंने आज भी जाहिरा को हम दोनों के दरम्यान में बिल्कुल फैजान के पीछे बैठाया और खुद उसको फैजान की कमर के साथ दबाते हुए उसके पीछे बैठ गई।
जाहिरा की दोनों खुबसूरत चूचियाँ अपने भाई की कमर के साथ दब रही थीं और आज मुझे पक्का यक़ीन था कि फैजान भी खुद उनको अपनी पीठ से महसूस करना चाह रहा होगा।
यही वजह थी कि वो थोड़ा-थोड़ा अपनी कमर को आगे-पीछे भी कर रहा था।
मैंने अचानक ही हाथ एक साइड से आगे ले जाकर फैजान की जांघ पर रखा और फिर जैसे ही उसकी पैन्ट के ऊपर से उसके लण्ड को छुआ.. तो पता चला कि वो तो पहले से ही खड़ा हो चुका है।
फैजान के लंड के ऊपर हाथ फेरते हुए मैं थोड़ा सा ऊँची आवाज़ में जाहिरा से बोली- जाहिरा डार्लिंग.. आज तो तुम बहुत प्यारी लग रही हो और तुम्हारे लिप्स तो बहुत ही सेक्सी लग रही हैं। मेरा तो दिल करता है कि इनको चूम ही लूँ।
मैंने अपनी आवाज़ इतनी तेज रखी थी कि फैजान भी सुन सके और उसके सुनने का अहसास मुझे उसके लण्ड से हुआ.. जिसने मेरे हाथ में एक साथ दो-तीन झटके लिए।
मैं मुस्करा दी और आहिस्ता से अपने होंठ जाहिरा की गर्दन से थोड़ा नीचे पीठ के ऊपरी हिस्से को चूम लिया।
जाहिरा कसमसाई- भाभी.. क्या करती हो यार..
मैं उसकी गर्दन के नीचे अपने होंठ आहिस्ता-आहिस्ता चलाते हुए बोली- डार्लिंग तू प्यारी ही इतनी लग रही है आज.. तो मैं क्या करूँ..
वो चुप रही।
मैंने फिर पूछा- तू बता.. तूने क्या क्या लेना है?
वो बोली- कुछ नहीं भाभी..
मैंने आहिस्ता से उसकी चूची को एक साइड से छुआ और बोली- नई ब्रेजियर ही ले लो.. आज तो तेरे भैया भी साथ ही हैं।
जाहिरा ने पीछे को हौले से अपनी कोहनी मेरी पेट में मारी और बोली- भाभी कुछ तो शरम करो.. भैया भी साथ हैं।
मैं जोर-जोर से हँसने लगी और फिर उसके कान में बोली- उस दिन से भी तो अपने भैया की ही लाई हुई ब्रा पहन रही है ना.. तो उनके साथ आकर लेने में क्या शरम है तुझे?
जाहिरा चुप रही लेकिन मैंने देखा कि वो मुस्करा रही थी। मुझे यक़ीन था कि मेरी यह नोक-झोंक फैजान ने भी सुन ली होगी और यही मैं चाहती थी कि वो भी मेरी यह बातें सुन कर एन्जॉय करे।
फैजान ने एक बड़े शॉपिंग माल के बाहर बाइक रोकी और हम नीचे उतर आए।
फैजान बाइक पार्क करने गया तो जाहिरा बोली- भाभी.. यार कुछ तो शरम किया करो न.. भैया अगर सुन लें तो.. क्या सोचेंगे?
मैंने दिल ही दिल में सोचा कि उस वक़्त तो तुझे शरम नहीं आती.. जब तेरे भैया तेरी चूचियों और जिस्म पर हाथ फेर रहे होते हैं। उस वक़्त तो बड़े मजे ले रही होती हो।
लेकिन मैं चुप रही और बोली- अरे कुछ नहीं होता.. उसे हमारी बातों का क्या पता..
इतने मैं फैजान भी आ गया और हम तीनों मॉल में दाखिल हो गए।
ये काफ़ी मॉड किस्म का माल था.. जहाँ पर मुख्तलिफ किस्म की दुकानें थीं और आजकल कुछ दुकानों पर सेल भी चल रही थी.. इसलिए मैं यहाँ आई थी वरना फैजान की इनकम में ज्यादा महँगी शॉपिंग अफोर्ड नहीं हो सकती थी ना..
हम लोग एक दुकान में गए.. तो वहाँ पर मुख्तलिफ किस्म की ड्रेसेज को मॉडल्स के ऊपर पहनाया गया था.. कुछ मॉडल्स के ऊपर ब्रा और पैन्टी पहना कर रखी हुई थीं।
कुछ बुतों पर मुकम्मल ड्रेस भी थी.. तो कुछ में काफ़ी सेक्सी किस्म की जालीदार लिबास सजाए गए थे।
इस दुकान पर आकर जाहिरा का चेहरा तो शरम से सुर्ख ही हो गया था। वो इधर-उधर देखते हुए बहुत शर्मा और घबरा रही थी।
अपने भाई की मौजूदगी की वजह से उसे ज्यादा शर्म महसूस हो रही थी।
वहाँ पर कपड़े देखते हुए मुझ एक मॉडल पर पहनी हुई एक बहुत ही कामुक किस्म की ड्रेस नज़र आई, इसके कन्धों पर सिर्फ़ पतली सी डोरियाँ थीं और छाती का ऊपरी हिस्सा बिल्कुल नंगा था।
आप यूँ समझ लें कि इसमें से चूचियों का भी ऊपरी हिस्सा नंगा हो रहा था..
लेकिन बाक़ी चूचे नीचे तक का हिस्सा सिल्की टाइप के बिल्कुल झीने से कपड़े से कवर था और उस ड्रेस की लम्बाई भी सिर्फ़ कमर तक ही थी जिससे सिर्फ पेट कवर हो सके, नीचे उस मॉडल पर उस ड्रेस के साथ सिर्फ़ एक छोटी सी पैन्टी बंधी हुई थी।
दरअसल यह एक जालीदार ड्रेस शौहर और बीवी के लिए तन्हाई में पहनने के लिए था।
मुझे वो ड्रेस पसंद आ गया.. मैंने फैजान से कहा- मुझे यह ड्रेस पसंद आया है।
पास ही जाहिरा भी खड़ी थी.. वो थोड़ा और घबरा गई।
आपने अभी तक पढ़ा..
वहाँ पर कपड़े देखते हुए मुझ एक मॉडल पर पहनी हुई एक बहुत ही कामुक किस्म की ड्रेस नज़र आई। इसमें चूचियों का भी ऊपरी हिस्सा नंगा हो रहा था.. लेकिन बाक़ी चूचे नीचे तक का हिस्सा सिल्की टाइप के बिल्कुल झीने से कपड़े से कवर था और उस ड्रेस की लम्बाई भी सिर्फ़ कमर तक ही थी जिससे सिर्फ पेट कवर हो सके। नीचे उस मॉडल पर उस ड्रेस के साथ सिर्फ़ एक छोटी सी पैन्टी बंधी हुई थी।
दरअसल यह एक जालीदार ड्रेस शौहर और बीवी के लिए तन्हाई में पहनने के लिए था।
मुझे वो ड्रेस पसंद आ गया.. मैंने फैजान से कहा- मुझे यह ड्रेस पसंद आया है।
पास ही जाहिरा भी खड़ी थी.. वो थोड़ा और घबरा गई।
अब आगे लुत्फ़ लें..
फैजान बोला- पसंद है.. तो ले लो.. रात में पहनने के लिए हो जाएगा।
मैं मुस्कराई और जाहिरा की तरफ देख कर बोली- दो लूँगी।
फैजान- दो किस लिए?
मैं- एक जाहिरा के लिए भी लेना है।
जाहिरा ने चौंक कर मेरी तरफ और फिर मेरी सामने की ड्रेस को देखा और बोली- भाभी मैं.. मैंने इस ड्रेस का क्या करना है।
मैं- अरे यार.. ले लो.. कभी-कभी पहन लिया करना.. क्यों फैजान ठीक कह रही हूँ ना?
फैजान ने एक नज़र अपनी बहन की तरफ देखा तो उसकी आँखों में एक वहिशयाना चमक थी.. लेकिन बहुत ही साधारण से अंदाज़ में बोला- हाँ.. ले लो लेना है तो.. हर्ज तो कोई नहीं है.. काफी आरामदायक रहेगी।
मैंने दो का ऑर्डर दे दिया.. सेल्समेन ने मुझसे साइज़ नम्बर जानना चाहा.. जिस पर जाहिरा आहिस्ता-आहिस्ता ऐतराज कर रही थी.. लेकिन मैंने उसका साइज़ नम्बर भी बता दिया।
सेल्समेन ने दो ड्रेस निकाल दिए, दोनों अलग-अलग रंग के थे, मेरी ड्रेस हल्के नीले रंग की थी और जाहिरा की गुलाबी रंग की थी।
मैंने शरारत के अंदाज़ में जाहिरा की तरफ देखा और बोली- जाहिरा तुम ऐसा करो कि अन्दर जाकर ट्राई करके देख लो.. कि साइज़ वगैरह ठीक है कि चेंज करना है।
जाहिरा घबरा कर- नहीं नहीं.. कोई ज़रूरत नहीं है..
सेल्समेन- नहीं मैडम.. प्लीज़ आप एक बार पहन कर चैक कर लें.. उधर ऊपर है हमारा ट्राइयरूम.. वहाँ पर कोई भी नहीं है.. आप लोग ऊपर जाकर चैक कर लें।
मैंने दोनों ड्रेसज उठाए और जाहिरा का हाथ पकड़ कर बोली- आओ मेरे साथ..
साथ ही मैंने फैजान को भी आने का कह दिया। ऊपर गए तो छोटा सा ही एक कमरा था.. जिसमें एक हिस्से में ट्रायल रूम बना हुआ था।
मैंने जाहिरा को कहा- जाओ चैक कर लो..
मैंने पकड़ कर जाहिरा को ट्रायल रूम में जबरिया ढकेल दिया।
जाहिरा सुर्ख चेहरे के साथ अन्दर चली गई।
थोड़ी देर के बाद मैंने उसे आवाज़ दी और पूछा- हाँ बोलो.. ठीक है या नहीं?
जाहिरा- जी भाभी ठीक है..
मैं- खोलो दरवाजा.. मुझे देखने तो दो..
जाहिरा ने अन्दर से लॉक खोला तो मैं ट्रायलरूम में दाखिल हुई और अन्दर का मंज़र देखा तो मेरे तो होश ही उड़ गए।
उस सेक्सी नाईट ड्रेस में जाहिरा तो क़यामत ही लग रही थी, उसका खूबसूरत चिकना चिकना सीना बिल्कुल खुला हुआ था, उसकी चूचियों का ऊपरी हिस्सा उस ड्रेस में से बाहर ही नंगा हो रहा था, कन्धों से तो बिल्कुल ही नंगी लग रही थी.. उन पर सिर्फ़ पतली पतली सी डोरियाँ थीं।
मैंने देखा और बोली- हाँ.. परफेक्ट है यार.. तुम पर बहुत ही प्यारा लग रहा है.. बस अब चेंज कर लो..
मैं जैसे ही बाहर निकलने लगी तो मैंने फैजान जो गेट के पास ही खड़ा था.. को कहा- फैजान देखना.. जाहिरा ठीक है ना इस ड्रेस में?
मेरी इस बात से दोनों ही बहन-भाई चौंक पड़े.. लेकिन ज़ाहिर है कि फैजान यह मौक़ा कैसे जाने दे सकता था.. वो फ़ौरन ही दरवाजे के नजदीक आ गया और अन्दर अपनी बहन को उस ड्रेस में देखा तो उसकी आँखें तो जैसे फट गई थीं और मुँह खुल गया.. लेकिन कोई लफ्ज़ मुँह से ना निकला।
फिर हकलाते हुए बोला- हाँ.. ठीक है.. अच्छा है..
मैंने अब फैजान को बाहर धकेला और खुद भी बाहर आ गई और अपने पीछे दरवाज़ा बंद कर दिया। जाहिरा ने दरवाज़ा लॉक किया और उसने ड्रेस चेंज करके दोबारा अपनी शर्ट पहन ली।
कुछ देर के बाद वो बाहर आई तो उसका चेहरा सुर्ख हो रहा था और फैजान के चेहरे पर ऐसे आसार थे.. जैसे उसे बहुत ही मज़ा आया हो।
फैजान मुझसे बोला- डार्लिंग यह ड्रेस तो अच्छा है.. तुम रात के अलावा भी घर में वैसे भी पहन सकती हो।
फैजान की दिल की बात मैं समझ गई थी.. इसलिए उसका दिल रखने के लिए बोली- हाँ हाँ.. क्यों नहीं पहना जा सकता.. वैसे भी आजकल इतनी गर्मी तो हो ही रही है.. तो ऐसी ही हल्की-फुल्की ड्रेसज घर में पहनने के लिए तो होनी ही चाहिए।
फिर नीचे आ कर हमने वो ड्रेस पैक करवा लिए और फिर मैं कुछ और देखने लगी कि शायद कुछ और भी मुझे मेरे मतलब का मिल जाए.. जो कि एक बहन को अपने भाई की सामने खुला और नंगा करने में.. मेरे खेल में मेरी मददगार हो।
फिर फैजान से थोड़ा हट कर मैंने एक एक ब्रा खरीदी अपने और जाहिरा के लिए।
जाहिरा तो नहीं लेना चाह रही थी लेकिन मैंने उसे भी लेकर दी। ब्लैक रंग की जाली वाली.. जिसमें से उसकी दोनों चूचियाँ ही नंगी नज़र आएं।
जाहिरा बोली- भाभी यह नहीं..
मैंने उसे चिढ़ाया उअर उसके मम्मों की तरफ उंगली करते हुए कहा- अच्छी है यह.. यार ले लो.. इसमें तुम्हारी यह दोनों ही साफ़-साफ़ दिखेंगी।
जाहिरा मेरी बात सुन कर फिर शर्मा गई क्योंकि थोड़ी ही फासले पर खड़ा हुआ सेल्समेन भी मुस्कराने लगा था.. शायद उसने मेरी बात सुन ली थी।
इतनी शॉपिंग करते हुए ही हमें 11 बज गए.. फिर हम वहाँ से निकले और एक जगह से आइसक्रीम ली और खाने लगे। फिर एक बड़ा पिज़्ज़ा खरीदा और फिर घर पहुँच गए।
घर पहुँच कर लाउंज में ही हम तीनों बैठ गए और बातें करने लगे।
फैजान बोला- लाओ यार.. दिखाओ तो क्या-क्या लिया है?
मैंने फ़ौरन ही हैण्डबैग खोला और दोनों नाईट ड्रेसज उसके सामने रख दिए और बोली- यह लिए हैं।
फैजान- यह तो मैंने देखा था.. और भी कुछ लिया है या तुम दोनों ऐसे ही फिरती रही हो?
फैजान की बात सुन कर जाहिरा घबरा गई। मैंने जाहिरा को इस स्थिति में देखा तो मैं मुस्कराई और उसकी घबराहट का मज़ा लेते हुए फिर हैण्ड बैग में अपना हाथ डाल दिया।
जाहिरा ने इशारे से मुझे रोकना चाहा.. लेकिन मैंने दोनों ब्रा बाहर निकाल लीं और फैजान की तरफ बढ़ा दीं।
फैजान ने दोनों ब्रा मेरे हाथ से लीं और देखने लगा.. जाहिरा अपनी नजरें चुरा रही थी।
फैजान ब्रा को निप्पल की जगह मसल कर उनकी क्वालिटी देखने का बहाना करता रहा.. फिर बोला- अरे यह तुम दोनों डिफरेंट नम्बर की क्यों लाई हो?
मैं मुस्कराई और जाहिरा की तरफ देखा कर बोली- अरे यार.. एक मेरी है और दूसरी ब्रा जाहिरा की है..
फैजान ने भी फ़ौरन ही जाहिरा की तरफ देखा.. तो वो फ़ौरन ही दूसरी तरफ देखने लगी।
फैजान ने भी जल्दी से मेरे हाथ में दोनों ब्रा दे दीं और बोला- हाँ.. ठीक हैं.. अच्छी हैं दोनों..
जाहिरा उठ कर रसोई में चली गई।
उसके जाने के बाद फैजान बोला- यार तुम मुझे यह अपनी नई ड्रेस पहन कर तो दिखाओ..
मैंने कहा- ठीक है.. हम दोनों ही पहन कर आती हैं.. फिर देखना कि ठीक है कि नहीं..
फैजान बोला- हाँ.. ठीक है आप लोग पहन कर आओ और मैं जब तक ओवन में पिज़्ज़ा गरम करता हूँ।
िवो रसोई में गया और जाहिरा को बाहर भेज दिया।
मैंने उससे कहा- तुम्हारे भैया कहते हैं कि यह जो ड्रेस लिया है ना.. वो पहन कर दिखाओ।
जाहिरा बोली- नहीं.. भाभी मैं नहीं पहनूंगी।
आपने अभी तक पढ़ा..
जाहिरा उठ कर रसोई में चली गई, उसके जाने के बाद फैजान बोला- यार तुम मुझे यह अपनी नई ड्रेस पहन कर तो दिखाओ..
मैंने कहा- ठीक है.. हम दोनों ही पहन कर आते हैं.. फिर देखना कि ठीक है कि नहीं..
फैजान बोला- हाँ.. ठीक है आप लोग पहन कर आओ और मैं जब तक ओवन में पिज़्ज़ा गरम करता हूँ।
वो रसोई में गया और जाहिरा को बाहर भेज दिया।
मैंने उससे कहा- तुम्हारे भैया कहते हैं कि यह जो ड्रेस लिया है ना.. वो पहन कर दिखाओ।
जाहिरा बोली- नहीं.. भाभी मैं नहीं पहनूंगी।
अब आगे लुत्फ़ लें..
मैं- अरे यार क्यों शर्मा रही हो? तुमको इसमें तुम्हारे भैया देख तो चुके ही हैं.. तो फिर घबराना कैसा है? चलो जल्दी से जाओ और यह ड्रेस पहन कर आओ और मैं भी पहन कर आती हूँ.. और हाँ नीचे जीन्स ही रहने देना.. उस मॉडल की तरह कहीं पैन्टी पहन कर ना आ जाना बाहर..
जाहिरा- भाभीइई..
मैं हँसने लगी।
फिर मैं अपने बेडरूम में आ गई और जाहिरा अपने कमरे में चली गई। मैंने जल्दी से अपनी शर्ट उतारी और फिर अपनी ब्रा भी उतार कर वो झीना सा खुला हुए ड्रेस पहन लिया। मेरी चूचियाँ बड़ी थीं.. तो उस ड्रेस में और भी खुलासा हो रही थीं.. चूचियों के बीच की दरार भी काफ़ी ज्यादा दिख रही थी।
मेरी आधी चूचियाँ तो नंगी दिख रही थी, मैंने वो पहना और बाहर आ गई.. इतने में फैजान भी पिज़्ज़ा गरम करके आ गया।
मुझे देख कर उसने लार टपकाई.. और अपनी आँख दबा दी।
फिर हम दोनों बैठ कर जाहिरा का वेट करने लगे।
जब वो बाहर नहीं आई.. तो मैंने उसे आवाज़ दी- जाहिरा आ भी जाओ अब.. जल्दी से.. पिज़्ज़ा फिर से ठंडा हो रहा है..
तभी जाहिरा ने हौले से दरवाज़ा खोला और बाहर क़दम रखा.. तो हम दोनों की नज़रें उस पर ही थीं। उस छोटी से शॉर्ट सेक्सी ड्रेस में वो बहुत प्यारी और सेक्सी लग रही थी। उस का कुंवारा खूबसूरत गोरा-चिट्टा जिस्म बहुत ही सेक्सी लग रहा था।
कदेखने वाले का फ़ौरन ही उसे अपने बाँहों में लेने के लिए दिल मचल जाए..
जाहिरा बेहद शर्मा रही थी.. इससे पहले कि वो चेंज करने के लिए वापिस जाती।
फैजान ने पिज़्जा का बॉक्स खोला और बोला- चलो आ जाओ जल्दी से ले लो..
जाहिरा शरमाती हुई हौले-हौले क़दम उठाते हुई आई और मेरे पास फैजान के सामने ही बैठ गई।
अब हम तीनों ही पिज़्ज़ा खाने लगे।
मैं और फैजान की बहन दोनों ही फैजान के सामने इस तरह अधनंगे हालत में बैठे हुए थे और दोनों के ही खूबसूरत जिस्म.. फैजान पर बिजलियाँ सी गिरा रहे थे।
ुज़ाहिर है कि फैजान की नजरें ज्यादातर अपनी बहन ही को देख रही थीं।
मैं भी इस चीज़ को नोट कर रही थी जैसे ही जाहिरा सामने टेबल पर रखे हुए पिज्जा का पीस उठाने के लिए आगे को झुकती.. तो उसका ड्रेस सामने से नीचे को हो जाता और उसकी खूबसूरत चूचियों की घाटी नज़र आने लगती।
जाहिरा ने अपनी ब्रेजियर नहीं उतारी थी और उस ड्रेस के नीचे उसकी काले रंग की ब्रा की स्ट्रेप्स बिल्कुल खुली हुई दिख रही थीं।
ुथोड़ी देर बाद फैजान बोला- जाहिरा जाकर रसोई में फ्रिज से कोक निकाल कर ले आओ।
जाहिरा उठी और रसोई की तरफ बढ़ गई। उसकी पीठ पर वो ड्रेस इस क़दर नीचे तक खुला हुआ था कि उसकी ब्रा की पट्टी से भी नीचे तक वो ड्रेस खुली हुई थी।
जाहिरा की ब्रेजियर की पट्टी और उसके हुक बिल्कुल साफ़ नज़र आ रहे थे।
यूँ समझो कि जाहिरा की पीठ पर से उसकी पूरी की पूरी ब्रेजियर बिल्कुल साफ़ नज़र आ रही थी। काली ब्रेजियर की अलावा जाहिरा की पूरी की पूरी गोरी-गोरी चिकनी कमर भी बिल्कुल नंगी नज़र आ रही थी। उसकी गोरे-गोरे सफ़ेद कन्धे बिल्कुल ओपन थे.. उस ड्रेस से नीचे उसकी टाइट जीन्स थी.. जिसमें उसकी गोल-गोल चूतड़ बहुत ही अधिक फँस कर बहुत ही सेक्सी नज़र आ रहे थे।
फैजान बोला- इसकी पिछली तरफ का हिस्सा कुछ ज्यादा ही लो नहीं है क्या?
मैं- हाँ है तो सही.. लेकिन यह असल में बिना ब्रेजियर की पहनने वाली ड्रेस है ना.. जो कि तुम्हारी बहन ने गलती से ब्रा के साथ पहन ली है।
इतने में जाहिरा कोक ले आई, दूर से चल कर आते हुए भी वो बहुत ही सेक्सी लग रही थी।
जाहिरा वापिस आकर दोबारा अपनी जगह पर बैठ गई। पिज़्ज़ा खाते हुए मैंने उससे कहा- जाहिरा.. तुमने यह ड्रेस की नीचे ब्रा क्यों पहनी है.. इसे तो ब्रा के वगैर पहनना होता है.. देखो सारी ब्रा साफ़ नज़र आ रही है।
मेरी बात सुन कर जाहिरा घबरा गई।
फैजान बोला- अरे यार क्यों तंग कर रही हो इसे.. पहली बार तो पहना है उसने यह ड्रेस.. आहिस्ता-आहिस्ता पता चल जाएगा इसे भी.. कि कौन सा लिबास कैसे पहना जाता है।
जाहिरा चुप कर गई.. खाने के बाद हम दोनों ने बर्तन रखे और फिर मैं जाहिरा को पकड़ कर अपने कमरे में ले आई।
उसने बहुत कहा कि वो ड्रेस चेंज करके आएगी.. लेकिन मैंने उसकी एक ना सुनी और बोली- जब है ही यह नाईट ड्रेस.. तो रात को ही पहनोगी ना..
मैं उसे उसके कमरे में ले गई और उसे पैन्ट चेंज करके उसे दिया हुआ फैजान का बरमूडा पहनने को कहा। कल रात की बात से मुझे यक़ीन था कि वो ज़रूर पहन कर आएगी.. क्योंकि उसे भी अपने भाई के छूने से आख़िर मज़ा जो आ रहा था।
मैंने अपने कमरे में आकर फैजान के सामने ही खड़े होकर अपनी पैन्ट उतारी और फिर एक बरमूडा पहन लिया। अब मेरा ऊपरी और नीचे का जिस्म दोनों ही बहुत ज्यादा नंगा नज़र आ रहा था।
मैं खामोशी से जाकर फैजान के पास बैठ गई और उससे बातें करने लगी।
फैजान बोला- डार्लिंग आज तुम इस ड्रेस में बहुत ही हॉट लग रही हो।
मैं मुस्कराई और बोली- हॉट तो तुम्हारी बहन भी लग रही है.. लेकिन कहीं उसे ना कह देना ऐसा.. शरमिंदा हो जाएगी। पहले ही बड़ी मुश्किल से मैंने उसे पेंडू माहौल से आज़ाद किया है।
फैजान भी हँसने लगा.. इतने में शरमाती हुई जाहिरा कमरे में आ गई.. जहाँ उसका अपना सगा भाई उसकी आमद का मुंतजिर था।
जाहिरा कमरे में दाखिल हुई तो अभी मैंने लाइट बंद नहीं की थी.. ट्यूब लाइट की सफ़ेद रोशनी में जाहिरा का खूबसूरत चिकना जिस्म चमक रहा था, उसके गोरे-गोरे कंधे और छाती के ऊपर खुले मम्मे बहुत प्यारे लग रहे थे। नीचे उसके गोरे-गोरे बालों से बिल्कुल पाक-साफ़ टाँगें.. घुटनों से नीचे बिल्कुल नंगी थीं।
अपने भाई के बरमूडा में जैसे ही वो अन्दर दाखिल हुई.. तो फैजान की नजरें उसी के जिस्म पर थीं।
आज मेरे ज़हन में एक और ख्याल आया था। आज मैंने फैजान से कहा- वो बिस्तर पर हम दोनों के बीच में लेटेगा और हम दोनों तुम्हारे बगल में लेटेंगी।
फैजान और जाहिरा दोनों ही मेरी इस बात को सुन कर हैरान हुए लेकिन फैजान तो फ़ौरन ही बिस्तर पर दरम्यान में होकर लेट गया। मैं उसकी एक तरफ लेट गई और फिर ज़ाहिर है कि जाहिरा को फैजान के दूसरी तरफ बिस्तर पर लेटना पड़ा।
कुछ मिनटों तक सीधे लेटने के बाद मैंने करवट ली और फैजान के ऊपर अपना बाज़ू डाल कर उसे खुद से चिपकाती हुए लेट गई।
मैंने अपनी एक टाँग भी फैजान के ऊपर उसकी टाँगों पर रख दी। जाहिरा भी सीधे ही लेटी हुई थी.. और यह सब देख रही थी।
मैं आहिस्ता-आहिस्ता फैजान के गालों पर जाहिरा की तरफ से हाथ फेर रही थी और कभी उसकी नंगे कन्धों पर हाथ फेरने लगती।
मैं जाहिरा को भी और फैजान को भी यही शो कर रही थी कि जैसे मैं उस वक़्त बहुत ज्यादा चुदासी हो रही हूँ।
हालांकि असल में मैं फैजान को गरम कर रही थी।
मैं अपनी जाँघों के नीचे फैजान के लंड को आहिस्ता आहिस्ता सहला भी रही थी।
कमरे में काफ़ी अँधेरा हो गया था.. हस्ब ए मामूल और कुछ नज़र नहीं आता था। जब तक कि बहुत ज्यादा गौर ना किया जाए।
मैं अपना हाथ फैजान की छाती पर ले आई और आहिस्ता आहिस्ता उसकी छाती को सहलाने लगी।
मेरा हाथ सरकता हुआ फैजान की छाती से नीचे उसके पेट पर आ गया और फिर मैं और भी नीचे जाने लगी.. तो फैजान मेरी तरफ मुँह करके आहिस्ता से बोला- डार्लिंग जाहिरा है.. इधर देख लेगी वो..
आपने अभी तक पढ़ा..
मैं जाहिरा को भी और फैजान को भी यही शो कर रही थी कि जैसे मैं उस वक़्त बहुत ज्यादा चुदासी हो रही हूँ।
हालांकि असल में मैं फैजान को गरम कर रही थी। मैं अपनी जाँघों के नीचे फैजान के लंड को आहिस्ता-आहिस्ता सहला भी रही थी।
कमरे में काफ़ी अँधेरा हो गया था.. हस्ब ए मामूल और कुछ नज़र नहीं आता था। जब तक कि बहुत ज्यादा गौर ना किया जाए।
मैं अपना हाथ फैजान की छाती पर ले आई और आहिस्ता-आहिस्ता उसकी छाती को सहलाने लगी। मेरा हाथ सरकता हुआ फैजान की छाती से नीचे उसके पेट पर आ गया और फिर मैं और भी नीचे जाने लगी.. तो फैजान मेरी तरफ मुँह करके आहिस्ता से बोला- डार्लिंग जाहिरा है.. इधर देख लेगी वो..
अब आगे लुत्फ़ लें..
मैं अपना हाथ उसकी बरमूडा में पुश करके अन्दर दाखिल करते हुई बोली- नहीं.. अँधेरा है.. उसे कुछ नहीं दिख रहा है।
फैजान चुप हो गया.. और मैंने हाथ अन्दर डाल कर उसके लण्ड को अपने हाथ में ले लिया। उसका लंड आहिस्ता-आहिस्ता खड़ा हो रहा था और मैंने उसे सहलाते हुए आहिस्ता-आहिस्ता मुकम्मल तौर पर खड़ा कर दिया। साथ-साथ मैं उसकी गर्दन को भी चूम रही थी और अपनी चूचियों को उसकी बाज़ू पर रगड़ रही थी.. जो कि मैंने अपनी ड्रेस को नीचे करते हुए बाहर निकाल ली हुई थीं।
अब मेरा नंगी चूची फैजान की बाज़ू से रगड़ रही थीं और उसका लंड भी मेरे हाथ में था।
फैजान की हालत उत्तेजना से बुरी हो रही थी और उसके शॉर्ट्स की अन्दर खड़ा हुआ लंड और उस पर हरकत करता हुआ हाथ.. उसकी बहन को साफ़ नज़र आ रहा था।
दूसरा.. मैं जो उसकी गर्दन पर किस कर रही थी.. वो भी मैं जानबूझ कर आवाज़ पैदा करती हुए कर रही थी.. ताकि उसकी आवाज़ भी उसकी बहन को सुनाई दे सके।
कुछ देर तक ऐसी ही चूमने के बाद मैंने फैजान का बाज़ू पकड़ कर उसे अपनी तरफ को कर लिया।
अब फैजान का चेहरा मेरी तरफ था और मैंने उसके गले में अपनी बाँहें डालीं और उसके ऊपर अपनी नंगी टाँग रखते हुए उससे चिपक गई।
मेरी जाँघों के खुल जाने से फैजान का अकड़ा हुआ लंड सीधा मेरी चूत से टकरा रहा था।
मैंने भी एक हाथ से उसे पकड़ा और उसे अपनी चूत पर रगड़ने लगी। जब फिर भी मेरी तसल्ली ना हुई तो मैंने फैजान के शॉर्ट्स को थोड़ा सा नीचे को करके उसका लंड बाहर निकाल लिया और उसे अपनी चूत पर रगड़ने लगी।
फैजान भी मुझे अपनी बाहों में भर कर अपने साथ चिपकाते हुए मेरा कान में आहिस्ता से बोला- तुमको आज क्या हो गया है डार्लिंग?
लेकिन मैं मस्ती में अपनी आँखें बंद किए बस उसके लण्ड से अपनी चूत को रगड़ती जा रही थी।
कुछ देर के बाद मैंने फैजान को छोड़ा और आहिस्ता से बोली- सॉरी डार्लिंग..
और फिर थोड़ा पीछे हट कर लेट गई।
यह फैजान के खड़े लण्ड पर धोखा जैसा हुआ।
फैजान सीधा हुआ तो फ़ौरन ही जाहिरा ने दूसरी तरफ करवट ले ली.. मैं समझ गई कि वो सब कुछ बड़े मजे से देख रही थी।
अब कमरे में बिल्कुल खामोशी और अँधेरा था। हम तीनों ही आँखें बंद किए हुए लेटे थे.. और सब ही एक-दूसरे के सोने का इन्तजार कर रहे थे।
क़रीब एक घंटे तक जब बिस्तर पर बिल्कुल कोई हरकत ना हुई तो अचानक ही फैजान ने जाहिरा की तरफ करवट ले ली। जाहिरा अभी भी दूसरी तरफ मुँह करके लेटी हुई थी और उसकी खूबसूरत उठी हुई गाण्ड.. उसके भाई के लण्ड के ठीक सामने थी.. बल्कि यूँ कहें कि उसके भाई के लंड के बिल्कुल सामने चुदने को तैयार दिख रही थी।
उस छोटे से जालीदार ड्रेस में जाहिरा की खूबसूरत कमर फैजान की नज़रों के सामने बिल्कुल नंगी हो रही थी। उसकी ब्रेजियर की स्ट्रेप्स और बेल्ट और हुक्स साफ़-साफ़ दिख रहे थे।
उसकी गोरी-गोरी चिकनी कमर कमरे के अन्दर मौजूद हल्की सी रोशनी में चमक रही थी।
कुछ देर में फैजान का हाथ सरकता हुआ जाहिरा की कमर के पास पहुँचा और उसने धीरे-धीरे अपने हाथ की बैक से जाहिरा की कमर को सहलाना शुरू कर दिया।
उसके हाथ की बैक साइड.. अपनी बहन की नंगी कमर पर ऊपर-नीचे सरक़ रही थी और वो अपनी बहन की नंगी और गोरी कमर के चिकनेपन को महसूस कर रहा था।
थोड़ी देर के बाद फैजान ने अपना हाथ को सीधा किया और उसे आहिस्ता से जाहिरा की कमर के नंगे हिस्से पर रख दिया।
जब जाहिरा ने कोई हरकत नहीं की तो फैजान ने हौले-हौले जाहिरा की नंगी कमर को सहलाना शुरू कर दिया।
फैजान का हाथ अपनी बहन की बिल्कुल बाहर को निकली हुई ब्रेजियर की तनियों पर गया। वो जाहिरा की ब्रा की तनियों को आहिस्ता-आहिस्ता छूने लगा और उस पर अपनी उंगली को फेरना शुरू कर दिया।
जाहिरा की कमर पर से शुरू करके अपनी उंगली को कन्धों पर चिपकी हुई ब्रा की स्ट्रेप के ऊपर फिराता हुआ नीचे को लाने लगा और फिर उसकी उंगली जाहिरा की ब्रा की हुक वाली पट्टी पर आ गई।
अब फैजान ने अपनी बहन की ब्लैक ब्रेजियर की हुक पर अपनी उंगली फेरनी शुरू कर दी.. जिसने ब्रा की दोनों सिरों को मिलाकर जाहिरा की खूबसूरत चूचियों को जकड़ कर रखा हुआ था। उस पट्टी के सहारे ही जाहिरा के मस्त मम्मे सधे और बंधे हुए थे।
कुछ देर तक तो फैजान जाहिरा की ब्रा की स्ट्रेप्स पर हाथ फिराता रहा और कभी उसकी नंगी गोरी कमर पर ऊपर- नीचे और उसके कन्धों पर अपना हाथ फेरता रहा।
फिर उसने अपना हाथ आगे ले जाते हुए अपनी बहन की चूची पर अपना हाथ ढीला सा रख दिया।
आहिस्ता-आहिस्ता उसका हाथ बंद होने लगा और उसकी मुठ्ठी में जाहिरा की चूची समा गई।
अब फैजान अपनी बहन की चूची को आहिस्ता-आहिस्ता सहलाने लगा।
इस पोजीशन में फैजान जाहिरा के और भी क़रीब चला गया हुआ था। अब उसने आहिस्ता से अपने होंठ अपनी बहन की नंगी कमर पर रखे और अपनी बहन की नंगी चिकनी कमर को एक बार चूम लिया।
ज़ाहिर है कि सिर्फ़ एक बार किस करने से उसकी तसल्ली होने वाली नहीं थी। अब तो जैसे वो पागल ही हो गया.. उसने बार-बार अपनी बहन की नंगी कमर और नंगे कन्धों पर किस करना और उन्हें चूमना शुरू कर दिया।
नीचे फैजान का हाथ जाहिरा की उभरी हुई गाण्ड पर पहुँचा और आहिस्ता-आहिस्ता उसने अपना हाथ जाहिरा की गाण्ड पर फेरना शुरू कर दिया।
बिना किसी पैन्टी के पतले से कपड़े के बरमूडा में फंसी हुई जाहिरा की चिकनी गाण्ड.. ज़ाहिर है कि उसे बहुत ज्यादा मज़ा दे रही होगी। इसलिए उसका हाथ उसकी गाण्ड पर फिसलता ही जा रहा था।
मैं फैजान के पीछे ही थोड़ी ऊँची होकर यह सब देख रही थी।
आहिस्ता आहिस्ता फैजान ने अपनी ज़ुबान बाहर निकाली और उसकी कमर को चाटने लगा। उसके कन्धों को चूमा और फिर अपनी ज़ुबान उन पर फेरनी लगा। फैजान ने जाहिरा की उस नेट ड्रेस की डोरी वाली स्ट्रेप को पकड़ा जो कि उसके कंधों पर फंसी थी.. और फिर आहिस्ता-आहिस्ता उसे नीचे उसके कन्धों से बाज़ू पर ले आया।
मेरी चूत तो जैसे गर्मी से जल ही उठी कि आज अपनी बहन के लिए फैजान और भी ज्यादा हवस की आग में भड़क रहा है।
फैजान ने अपना हाथ दोबारा से अपनी बहन के सीने पर रखा और आहिस्ता-आहिस्ता उसके नंगे सीने को सहलाने लगा।
यह नेट ड्रेस ऊपर से तो वैसे भी काफ़ी ओपन था.. तो फैजान का हाथ बड़े ही आराम से ड्रेस के अन्दर भी दाखिल हो रहा था और उसकी ब्रा से निकलती हुई उसकी मदमस्त चूचियों के ऊपरी हिस्से को मसल रहा था।
अचानक फैजान ने अपने हाथ को पूरा जाहिरा की शर्ट के अन्दर डाला और उसकी ब्रेजियर के ऊपर से उसकी चूची को पकड़ लिया।
मुझे ऐसा अहसास हुआ.. क्योंकि जैसे ही उसका हाथ उसकी ब्रा के ऊपर से उसकी चूची पर आया.. तो जाहिरा के जिस्म ने एक झुरझुरी सी ली.. लेकिन फिर जाहिरा तुरंत ही शांत भी हो गई।
मैं दिल ही दिल में जाहिरा के कंट्रोल की दाद दे रही थी कि किस क़दर की हिम्मत वाली लड़की है कि एक मर्द के हाथ के स्पर्श पर भी खुद को इतना कंट्रोल कर रही है।
जबकि मेरी चूत तो यह देख-देख कर ही पानी छोड़े जा रही थी कि एक भाई अपनी बहन की चूचों को सहला रहा है।
अचानक फैजान ने अपने हाथ को पूरा जाहिरा की शर्ट के अन्दर डाला और उसकी ब्रेजियर के ऊपर से उसकी चूची को पकड़ लिया।
मुझे ऐसा अहसास हुआ.. क्योंकि जैसे ही उसका हाथ उसकी ब्रा के ऊपर से उसकी चूची पर आया.. तो जाहिरा के जिस्म ने एक झुरझुरी सी ली.. लेकिन फिर जाहिरा तुरंत ही शांत भी हो गई।
मैं दिल ही दिल में जाहिरा के कंट्रोल की दाद दे रही थी कि किस क़दर की हिम्मत वाली लड़की है कि एक मर्द के हाथ के स्पर्श पर भी खुद को इतना कंट्रोल कर रही है।
जबकि मेरी चूत तो यह देख-देख कर ही पानी छोड़े जा रही थी कि एक भाई अपनी बहन की चूचों को सहला रहा है।
अब आगे लुत्फ़ लें..
अब शायद कुछ ज्यादा हो गया था.. जो कि जाहिरा बर्दाश्त ना कर सकी या फिर फैजान के लंड ने जाहिरा की गाण्ड के दरम्यान घुसने की कोशिश की.. जिसकी वजह से एकदम जाहिरा सीधी हो गई और फैजान ने भी खुद को सम्भालते हुए अपना हाथ फ़ौरन ही पीछे खींच लिया।
अब जाहिरा अपनी पीठ के बल बिल्कुल सीधी होकर लेट गई.. पर फैजान उसी की तरफ मुँह करके लेटा हुआ था।
एक बार उसने मुड़ कर मेरी तरफ देखा और फिर चंद लम्हे इन्तजार करने के बाद मैंने देखा कि उसका चेहरा आहिस्ता आहिस्ता जाहिरा के क़रीब जाने लगा।
जाहिरा की नेट ड्रेस की तनियाँ अभी भी उसके कन्धों से नीचे ही थीं और उसका सीना मानो जैसे कि पूरा नंगा ही हो रहा था।
फैजान ने आहिस्ता से अपने होंठ जाहिरा के कन्धों पर रख दिए और उसके कंधे को चूम लिया।
जब जाहिरा के जिस्म में कोई भी हरकत नहीं हुई.. तो फैजान की हिम्मत बढ़ने लगी और उसने जाहिरा के कन्धों को किस करते हुए थोड़ा और आगे को आते हुए उसके सीने के ऊपरी हिस्से को और फिर अपनी बहन के गाल को भी चूम लिया।
एक बार तो उसने हिम्मत करते हुए जाहिरा के पतले-पतले गुलाबी होंठों को भी किस कर लिया।
फैजान की हवस में और उसके लौड़े की चुदास में इज़ाफ़ा ही होता जा रहा था और उसकी हिम्मत भी बढ़ती ही जा रही थी।
अब उसने आहिस्ता से जाहिरा की दूसरे कन्धे से भी उसकी ड्रेस की डोरी को नीचे की तरफ सरकाना शुरू कर दिया और चंद ही लम्हों के बाद दूसरी तरफ की डोरी भी उसके बाज़ू पर झूल रही थी।
अब जाहिरा के सीने पर उस शर्ट के ऊपर सिर्फ़ और सिर्फ़ उसकी काले रंग की ब्रेजियर की तनियाँ ही नज़र आ रही थीं।
फैजान कुछ देर तक इसी हालत में अपनी सोई हुई बहन को देखता रहा और फिर उसने अपनी उंगलियों में पकड़ कर जाहिरा की नेट ड्रेस को उसकी चूचियों से नीचे को करना शुरू कर दिया।
उस ढीली सी नेट ड्रेस को जब फैजान ने आहिस्ता आहिस्ता नीचे को उतारा.. तो थोड़ी सी कोशिश के बाद जाहिरा की चूचियाँ उसकी काली ब्रेजियर समेत खुल सी गईं।
फैजान की तो आँखें ही खुल गईं और अपनी सग़ी बहन की चूचियों को इस तरह सिर्फ़ ब्रेजियर में देख कर उसका चेहरा भी खिल उठा।
जाहिरा की गोरे-गोरे मम्मे उस काली ब्रेजियर में बहुत ही प्यारे लग रहे थे.. और उसकी आधी चूचियों उसकी ब्रा में से बाहर थीं।
उसकी चूचियों के दरम्यान बहुत ही खूबसूरत सा क्लीवेज बन रहा था। उसकी लेटे हुए होने की वजह से उसकी चूचियों ऊपर की तरफ को जैसे उबली पड़ रही थीं और बहुत ही सेक्सी और खूबसूरत मंज़र पेश कर रही थीं।
मैंने भी आज पहली बार अपनी ननद को इस हालत में देखा था तो उसके खूबसूरत जिस्म को देख कर मेरे मुँह और चूत में भी पानी आ रहा था।
फैजान ने अपना हाथ जाहिरा के सीने पर दोबारा रखा और फिर आहिस्ता-आहिस्ता से उसके सीने पर हाथ फेरने लगा।
उसके हाथ अब अपनी बहन की चूचियों के ऊपरी हिस्से पर भी जा रहे थे और फैजान अपनी बहन की चूचियों के नंगे हिस्सों को मस्ती से सहलाने लगा था।
कुछ पलों बाद फैजान ने अपनी एक उंगली को जाहिरा की क्लीवेज में दाखिल किया और उसे आहिस्ता-आहिस्ता अन्दर-बाहर करने लगा।
उसने अचानक पीछे मुड़ कर मेरी तरफ दोबारा देखा और मेरे सोए होने की तसल्ली करके फैजान थोड़ा सा ऊपर को उठा और झुक कर उसने अपने होंठ अपनी बहन की चूचियों के ऊपरी नंगे हिस्से पर रख दिए और अपनी बहन की चूचियों का अपनी ज़िंदगी का पहला किस ले लिया।
उन दोनों की लाइफ में इस सेक्स को लेकर जाने आगे कितने और किस.. और क्या-क्या आने वाला था।
मैं अब इस खेल को आज की रात के लिए यहीं पर रोक देना चाहती थी.. ताकि दोनों के अन्दर ही तड़फ और प्यास बाक़ी रहे और एक ही रात में सारी हदें पार ना कर लें। यही सोच कर मैं एकदम नींद की हालत का नाटक करती हुई फैजान के साथ चिपक गई और उसे मजबूर कर दिया कि वो अब कुछ और ना कर सके।
मैंने उसे इतना मौका भी नहीं दिया कि वो अपनी बहन का ड्रेस ही दुरूस्त कर सके।
उसकी बहन उसके बिल्कुल क़रीब उस अधनंगी हालत में पड़ी रही कि उसकी चूचियाँ उसकी ब्रा में उसके भाई के सामने खुली पड़ी थीं और वो बार-बार उनको देख रहा था.. लेकिन छू नहीं पा रहा था।
कुछ देर के बाद मैंने फैजान को करवट दिलाते हुए अपनी तरफ खींच लिया और उसे अपने मम्मों से चिपका लिया।
आख़िर कुछ देर बाद ही उसकी भी मेरे साथ ही आँख लग गई।
अगले दिन रविवार था.. तो सब ही देर तक सोते रहे। सबसे पहली मेरी आँख खुली.. कमरे में बिल्कुल हल्की हल्की दिन की रोशनी हो रही थी.. क्योंकि सारे परदे बंद थे।
मैंने अपने मोबाइल में वक्त देखा तो 9 बज रहे थे।
मैं अपनी जगह से उठी और उठ कर वॉशरूम गई और फिर सबके लिए चाय बनाने रसोई में चली गई।
मैंने रसोई में चाय बनाई और फिर जब मैं चाय की तीन कप लेकर बेडरूम में वापिस आई तो अन्दर का मंज़र देख कर मैं मुस्करा उठी।
बेड पर फैजान अपनी बहन से लिपट कर सो रहा था और नींद में होने की वजह से जाहिरा भी उससे लिपटी हुई थी। वो अपना बाज़ू फैजान के गले में डाल कर उससे चिपकी हुई थी। उसका बरमूडा भी उसकी जाँघों पर ऊपर तक चढ़ा हुआ था और उसकी गोरी-गोरी जाँघों नंगी हो रही थीं।
वो दोबारा अपनी ड्रेस को तो अपनी ब्रा पर करके ही सोई थी.. लेकिन अब फिर उसकी ड्रेस का एक स्ट्रेप कन्धों से नीचे बाजुओं पर आया हुआ था।
फैजान की टाँगें उसकी चिकनी मुलायम नंगी रानों पर थीं और उसका हाथ जाहिरा की कमर पर था।
चाय को बगल में टेबल पर रखने के बाद मैं जाहिरा की तरफ ही बैठ गई और अपना हाथ बहुत ही आहिस्ते से उसकी नंगी जांघ पर रख दिया।
लिल्लाह.. सच में जाहिरा की बहुत ही चिकनी और मुलायम जिल्द थी.. मेरा दिल चाह रहा था कि धीरे-धीरे उसकी जाँघों को सहलाती रहूँ..!
मैं कभी भी लेज़्बीयन नहीं रही थी.. लेकिन आज जाहिरा की खूबसूरती को देख कर मुझ पर भी नशा सा छा रहा था।
मैं सोच रही थी कि अगर मेरा यह हाल हो रहा है.. तो फैजान बेचारा अपनी बहन की जवानी को इस हालत में देख कर कैसे खुद को रोक सकता है।
मेरा हाथ धीरे-धीरे जाहिरा की नंगी जाँघों को सहला रहा था और थोड़ा उसके ऊपर तक चढ़े हुए बरमूडा के अन्दर तक भी फिसल रहा था।
जाहिरा का नंगा कन्धों भी मेरी आँखों के सामने था। मैं आहिस्ता से झुकी और अपने होंठ जाहिरा के नंगी कन्धों पर रख कर उसे चूम लिया।
जाहिरा बड़ी मदहोशी में अपने भाई के साथ चिपकी हुई सो रही थी।
मैं कभी भी लेज़्बियन नहीं रही थी.. लेकिन आज जाहिरा की खूबसूरती को देख कर मुझ पर भी नशा सा छा रहा था।
मैं सोच रही थी कि अगर मेरा यह हाल हो रहा है.. तो फैजान बेचारा अपनी बहन की जवानी को इस हालत मैं देख कर कैसे खुद को रोक सकता है।
मेरा हाथ धीरे-धीरे जाहिरा की नंगी जाँघों को सहला रहा था और थोड़ा उसके ऊपर तक चढ़े हुए बरमूडा के अन्दर तक भी फिसल रहा था।
जाहिरा का नंगा कन्धों भी मेरी आँखों के सामने था। मैं आहिस्ता से झुकी और अपने होंठ जाहिरा के नंगी कन्धों पर रख कर उसे चूम लिया।
जाहिरा बड़ी मदहोशी में अपने भाई के साथ चिपकी हुई सो रही थी।
अब आगे लुत्फ़ लें..
जाहिरा के कन्धों को चूमते और उसे सहलाते हुए मैंने आहिस्ता-आहिस्ता अपना हाथ उसकी नेट ड्रेस के अन्दर घुसेड़ना शुरू कर दिया। मेरा हाथ जाहिरा की खुबसूरत टाइट चूचियों के दरम्यानी क्लीवेज पर पहुँच गया।
मैंने आहिस्ता आहिस्ता जाहिरा की चूचियों पर अपनी हाथों की उंगलियों को फेरना शुरू कर दिया। मुझ पर जाहिरा की चूचियों को छूने के बाद बहुत ही ज्यादा मस्ती सी छाने लगी थी।
उसकी ठोस चूचियाँ और क्लीवेज में हाथ फेरते हुए मैं हौले-हौले उसके नंगे गोरे चिकने कन्धों को चूम रही थी।
अपने भाई की बाँहों में ज़कड़ी हुई और उससे चिपकी हुई.. वो बहुत ही प्यारी और सेक्सी लग रही थी।
मेरे ज़हन में ख्याल आया कि जब इसकी चूत में इसके भाई का लंड जाएगा तो उस वक्त ये मासूम परी कैसी लगेगी.. और कितना मज़ा आएगा वो मंज़र देखने में.. यह सोचते ही मेरे चेहरे पर एक कातिलाना मुस्कराहट दौड़ गई।
कुछ देर बाद कमरे की बत्ती जलाकर उन दोनों को जगाने लगी। दोनों को आवाज़ दी.. तो कुछ ऐसा हुआ कि दोनों ने एक साथ ही आँख खोली और जैसे ही दोनों की नज़र एक-दूसरे पर पड़ी।
इस बात को समझते हुए कि दोनों बहन-भाई के चेहरे एक-दूसरे के इतने क़रीब हैं और दोनों ने एक-दूसरे को सोते में इस तरह से चिपका लिया हुआ है.. तो दोनों ही एकदम से पीछे हटे और शर्मिंदा से होते हुए उठ कर बिस्तर की पुस्त से पीठ लगाते हुए बैठ गए।
मैं दोनों की हालत देख कर हँसने लगी।
फैजान थोड़ा शर्मिंदा होता हुआ बोला- तुम किस वक़्त उठ कर चली गई थीं?
मैं मुस्कराई कि अभी गई थी और शायद आप समझे कि मैं अभी आपके पास ही यहीं लेटी हुई हूँ।
मेरी बात सुन कर जाहिरा ने शर्म से सिर झुका लिया और अपने कन्धों पर अपनी नेट ड्रेस की डोरी ठीक करती हुए उसने चाय का कप उठा लिया।
उसके कंधों पर उसकी ब्रेजियर की स्ट्रेप्स अभी भी बिल्कुल खुली ही दिख रही थीं।
फैजान उठ कर वॉशरूम में चला गया। मैंने आहिस्ता से जाहिरा के गोरे-गोरे नंगी बाजुओं पर चुटकी काटी और बोली- आज तो तू अपने भैया के साथ बड़ी चिपक कर सो रही थी?
जाहिरा शर्मा कर- भाभी बस पता ही नहीं चला और भैया को भी तो चाहिए था ना कि वो दूर हो कर सोते..
मैं- वो तो शायद समझे होंगे कि मैं ही उनके साथ चिपकी हुई हूँ.. अब नींद में उसे क्या पता कि यह खूबसूरत जिस्म उसकी अपनी बहना का है।
जाहिरा शर्मा गई।
मैं- वैसे यार क़सूर उसका भी नहीं है..
जाहिरा चुस्की लेते हुए बोली- वो कैसे भाभी??
मैं- देखो ना.. तुम्हारे जैसी खूबसूरत लड़की किसी की बाँहों में हो तो किसे होश रहेगा डार्लिंग..
यह कहते हुए मैंने उसकी कन्धों पर एक चुम्मी कर दी।
जाहिरा- भाभी.. आप भी ना बस..
जाहिरा शर्मा गई.. इतने में फैजान भी वॉशरूम से बाहर आ गया।
हम तीनों ही चाय पीने लगे। मैं और जाहिरा उस नेट शर्ट और बरमूडा में बैठे हुए थे.. दोनों की ही टाँगें घुटनों के ऊपर तक खुली हुई नंगी हो रही थीं।
ऊपर से हम दोनों का सीना भी खुला हुआ था.. मेरा क्लीवेज तो काफ़ी ज्यादा ही नज़र आ रहा था। जब कि जाहिरा की चूचियों का ऊपरी हिस्सा भी काफ़ी सेक्सी लग रहा था।
चाय के दौरान ही फैजान बोला- यार नाश्ते में क्या बनाया है?
मैंने कहा- जनाब आज हमने कुछ नहीं बनाना.. आप ही जाओ और बाज़ार से कोई अच्छा सा नाश्ता लेकर आओ।
फैजान बोला- ठीक है.. मैं फ्रेश होकर जाता हूँ।
चाय पीने के बाद फैजान वॉशरूम गया और अपनी कपड़े बदल कर मार्केट चला गया।
जाहिरा बोली- भाभी मैं भी यह ड्रेस चेंज करके आती हूँ।
मैंने उसका हाथ पकड़ा और बोली- नहीं आज हम दोनों ने ही ड्रेस चेंज नहीं करना.. आज रविवार है ना.. तो घर में यही ड्रेस चलेगा। तुम जल्दी से फ्रेश हो जाओ.. फिर मैं तुम्हारा थोड़ा सा मेकअप करती हूँ। तुम्हारे भैया कह रहे थे कि तुम्हें भी मेकअप वगैरह करा दिया करूँ.. ऐसी ही फिरती रहती है।
मैंने हँसते हुए उससे झूठ बोला।
मेरी बात सुन कर जाहिरा थोड़ा शर्मा गई और बोली- लेकिन घर में मेकअप की क्या ज़रूरत है?
मैंने कहा- अरे यार.. घर में भी करना चाहिए.. इसमें क्या हर्ज है.. अब जल्दी से मुँह-हाथ धोकर आओ.. तुम्हारे भैया चाहते हैं कि तुम घर में उनको खूबसूरत नज़र आओ।
जाहिरा- तो क्या ऐसे में मैं खूबसूरत नहीं दिखती हूँ भाभी?
मैं- खूबसूरत तो हो.. लेकिन मेकअप करके तुम्हारी में सेक्सी लुक आ जाता है ना जाहिरा..
मैंने जाहिरा को एक आँख मारते हुए कहा.. तो वो मुस्कराती हुई उठ कर वॉशरूम में चली गई।
कुछ देर के बाद जाहिरा बाथरूम से तौलिया से अपना चेहरा पोंछती हुई बाहर आई.. मैंने उसे पकड़ कर अपनी ड्रेसिंग टेबल के सामने बैठा लिया।
मैं बोली- बैठो यहाँ.. मैं तुम्हारा मेकअप करती हूँ।
मैं जाहिरा के पीछे खड़ी हुई और उसके बालों में अपनी उंगलियाँ फेरने लगी। फिर अपना हाथ उसकी नंगे कन्धों पर रख कर उनको सहलाते हुए नीचे को झुकी और उसकी कन्धों को चूमती हुई बोली- कितनी खूबसूरत है मेरी ननद.. अल्लाह बुरी नज़र से बचाए.. लेकिन मुझे लगता है कि तुझे अपने भाई की ही नज़र लग जानी है।
जाहिरा मेरी बात पर हँसने लगी। मैंने आहिस्ता से अपना हाथ आगे ले जाकर उसकी चूचियों पर रखा.. तो वो उछल ही पड़ी।
मैंने उसकी चूचियों को अपनी मुठ्ठी में भर कर मसल दिया और बोली- हाय.. क्या सॉलिड चूचियों हैं तेरी.. मेरी जान..
जाहिरा बोली- भाभी क्या करती हो आप.. तुम्हारी भी तो हैं ना.. बल्कि मेरी से भी बड़ी-बड़ी हैं।
मेरी नज़र जाहिरा की पीठ पर उसकी ब्रेजियर की स्ट्रेप्स और हुक्स पर पड़ी।
मैं- जाहिरा यह तुमने क्यों नीचे पहनी हुई है.. यह तो बिल्कुल ही खुली नज़र आ रही है.. और भी ज्यादा सेक्सी लगती है.. उतारो इसे.. पूरी की पूरी ब्रेजियर खुलम्म-खुल्ला अपने भैया को दिखाती फिर रही हो.. क्या छुपा हुआ है इसमें?
यह कह कर मैंने जाहिरा की ब्रेजियर की हुक को पकड़ा और उसकी ब्रेजियर को खोल दिया।
इससे पहले कि वो कोई मज़ाहमत करती या मुझे रोकती.. मैंने उसकी ब्रा की स्ट्रेप्स उसके कन्धों से नीचे खींच दिए और उसके साथ ही उसकी शर्ट की डोरियाँ भी नीचे उतार दीं।
एकदम से जाहिरा की दोनों चूचियों मेरी नज़रों की सामने बिल्कुल से नंगी हो गईं।
जाहिरा ने फ़ौरन से ही अपनी चूचियों पर अपने दोनों हाथ रख दिए और बोली- भाभिइ..भाभीई.. यह क्या कर रही हो आप..? मुझे क्यों नंगी कर दिया?
आपने अभी तक पढ़ा..
मैंने जाहिरा की ब्रेजियर की हुक को पकड़ा और उसकी ब्रेजियर को खोल दिया।
इससे पहले कि वो कोई मज़ाहमत करती या मुझे रोकती.. मैंने उसकी ब्रा की स्ट्रेप्स उसके कन्धों से नीचे खींच दिए और उसके साथ ही उसकी शर्ट की डोरियाँ भी नीचे उतार दीं।
एकदम से जाहिरा की दोनों चूचियों मेरी नज़रों की सामने बिल्कुल से नंगी हो गईं।
जाहिरा ने फ़ौरन से ही अपनी चूचियों पर अपने दोनों हाथ रख दिए और बोली- भाभिइ..भाभीई.. यह क्या कर रही हो आप..? मुझे क्यों नंगी कर दिया?
अब आगे लुत्फ़ लें..
मैं हँसते हुए उसके हाथों को पीछे खींचने के लिए जोर लगाने लगी और वो भी मस्ती के साथ मेरे साथ जोर आज़माईश करने लगी। लेकिन मैंने अपने दोनों हाथ उसकी चूचियों पर पहुँचा ही दिए और अपनी ननद की दोनों नंगी चूचियों को अपनी मुठ्ठी में ले लिया और बोली- उउफफफफ.. क्या मजे की हैं तेरी चूचियाँ.. जाहिरा.. मेरा दिल करता है कि इनको कच्चा ही खा जाऊँ।
जाहिरा- सोच लो भाभी.. फिर मैं भी इन दोनों को खा जाऊँगी।
मैं- हाँ हाँ.. पहले ही भाई नहीं छोड़ता इन सबको खाना और चूसना.. अब उसकी बहन भी इनके पीछे पड़ने लगी है।
अब मैंने जाहिरा की ब्रेजियर को उसकी बाज़ू में से बाहर निकाल दी और आहिस्ता-आहिस्ता उसकी दोनों चूचियों को हाथों से निकाल कर दोबारा से उसकी शर्ट की डोरियों को उसके कन्धों पर चढ़ा दिया.. लेकिन उसकी ड्रेस की डोरियाँ ठीक करने के बावजूद भी मैंने उसकी चूचियों को उसकी शर्ट के बाहर ही रखा.. तो वो हँसने लगी।
‘भाभी इनको तो अन्दर कर दो..’
अब वो मुझसे अपनी चूचियों को नहीं छुपा रही थी।
मैं- चल ठीक.. आज तू अगर ऐसे ही अपने भैया के सामने रह जाती है ना.. तो जो मर्ज़ी मुझसे माँग लेना.. मैं दे दूँगी..
जाहिरा मेरी बात सुन कर हँसने लगी और बोली- लगता है कि आप मुझे भैया से मरवा कर ही रहोगी।
मैं मुस्कुराई और धीमी आवाज़ में बोली- तुमको नहीं.. तुम्हारी मरवाऊँगी.. तुम्हारे भैया से..
जाहिरा बोली- भाभी क्या बोला आपने.. फिर से बोलना जरा..
मैं हँसने लगी.. उसकी बात पर मुझे पता चल गया था कि मेरी बात जाहिरा ने सुन तो ली ही है।
मैंने जान बूझ कर उसकी ब्रा वहीं अपने बिस्तर पर फेंक दी और दोबारा से जाहिरा के मेकअप को सैट करने लगी।
थोड़ी ही देर में मेरे मेकअप ने जाहिरा के हसीन चेहरे को और भी हसीन कर दिया।
उसके होंठों पर लगी हुई चमकदार सुर्ख लिपिस्टिक बहुत ही सेक्सी लग रही थी। मैंने उसे तैयार करने के बाद उसके गोरे-गोरे गालों पर एक चुटकी ली और बोली- आज तो मेरी ननद पूरी छम्मक-छल्लो सी लग रही है।
मेरी बात सुन कर जाहिरा शर्मा गई और बोली।
जाहिरा- भाभी घर पर दिन के वक़्त यह ड्रेस कुछ ज्यादा ही ओपन नहीं हो जाएगा।
मैं- अरे नहीं यार.. कुछ भी ज्यादा या कम नहीं है.. देख मैं भी तो इसी ड्रेस में ही हूँ ना.. मैंने कौन सा इसे चेंज कर लिया हुआ है और एक बात तुमको बताऊँ कि तेरे आने से पहले तो मैं घर पर तुम्हारे भैया के होते हुए सिर्फ़ ब्रेजियर ही पहन कर फिरती रहती थी। अब तो सिर्फ़ तुम्हारी वजह से इतनी फॉरमैलिटी करनी पड़ती है।
जाहिरा- क्या सच भाभी??
मैं- हाँ तो और क्या.. अगर तू कहे.. तो मैं ऐसी दोबारा से भी हो सकती हूँ।
मेरी बात सुन कर वो खामोश हो गई।
फिर हम दोनों बाहर लाउंज में आ गए और टीवी देखने लगे।
इतनी में घंटी बजी.. फैजान के आने की सोच कर मैंने जानबूझ कर जाहिरा से कहा- जाओ.. गेट खोलो.. तुम्हारे भैया आए हैं।
वो शर्मा कर बोली- नहीं भाभी आप ही जाओ..
मैंने इन्कार कर दिया और उसे दरवाजे की तरफ ढकेला और वो चुप करके गेट की तरफ बढ़ गई।
मुझे पता था कि इतनी खूबसूरत हालत में अपनी बहन को देख कर फैजान को ज़रूर शॉक लगेगा.. इसलिए मैं भी उनकी तरफ ही गेट को देख रही थी।
वो ही हुआ कि जैसे ही जाहिरा ने गेट खोला.. तो उसे देख कर फैजान का मुँह खुला का खुला रह गया।
अपनी बहन के खिलते हुए गोरे रंग और उस पर किए हुए इस क़दर खुबसूरत मेकअप की वजह से जाहिरा पर तो नज़र ही नहीं टिक पा रही थी।
गेट खोल कर जाहिरा ने मुस्करा कर अपने भाई को देखा और फिर वापिस मुड़ते हुए फैजान ने जल्दी से गेट बंद किया और जाहिरा के पीछे-पीछे चलने लगा।
जाहिरा की कमर पर नज़र पड़ी तो उसे एक और शॉक लगा कि उसकी बहन ने अब रात वाली काली ब्रेजियर भी नहीं पहनी हुई थी.. और वो भी उतार चुकी हुई थी।
अब बैक पर जाहिरा की गोरी-गोरी चिकनी कमर बिल्कुल नंगी हो रही थी।
मैंने महसूस किया कि जाहिरा भी बहुत ही धीरे-धीरे चलते हुए आ रही थी।
अन्दर आकर जाहिरा नाश्ते का सामान लेकर रसोई में चली गई और फैजान मेरे पास आ गया।
मैंने मुस्करा कर उसकी तरफ देखा और बोली- आज हमारी जाहिरा प्यारी लग रही है ना?
फैजान ने मेरी तरफ देखा और बोला- हाँ हाँ, बहुत अच्छी लग रही है।
मैं उठी और रसोई की तरफ जाते हुए फैजान से बोली- यार वो बेडरूम से चाय की सुबह वाला कप तो उठा लाना.. उसको भी साथ ही धो लेती हूँ।
यह कह कर मैं रसोई में चली गई.. मुझे पता था कि अन्दर का क्या हसीन मंज़र फैजान का मुंतजिर होगा।
मैं रसोई में जाहिरा के पास आ गई और उसे नाश्ता लगाने मैं मदद करने लगी।
थोड़ी देर बाद मैंने जाहिरा से कहा- जाहिरा जाकर देखना कि तुम्हारे भैया क्या कर रहे हैं.. उन्हें बेडरूम से कप उठा कर लाने के लिए कहा था.. मुझे लगता है कि दोबारा से वहाँ जाकर सो गए हैं।
जाहिरा मुस्कराई और बेडरूम की तरफ बढ़ी और मैं उसको रसोई के दरवाजे के पीछे से देखने लगी।
जाहिरा ने जैसे ही अन्दर झाँका तो एकदम पीछे हट गई। उसने रसोई की तरफ मुड़ कर देखा.. लेकिन जब मुझ पर नज़र नहीं पड़ी.. तो दोबारा छुप कर अन्दर देखने लगी।
मैं समझ सकती थी कि अन्दर क्या हो रहा होगा।
लाजिमी सी बात थी कि अपने बिस्तर पर जो मैंने जाहिरा की ब्रेजियर फैंकी थी.. वो फैजान के आने तक वहीं पड़ी हुई थी.. तो अब फैजान ने उसे देख लिया होगा और लाजिमन उसे उठा कर उसका जायज़ा ले रहा होगा। उसे अच्छे से अंदाज़ा था कि यह मेरी ब्रेजियर नहीं है और अब तो उसे साइज़ का भी पता हो गया था। उसे यह भी पता था कि मैंने तो कल से ब्रा पहनी ही नहीं हुई है।
अन्दर फैजान अपनी बहन की ब्रेजियर के साथ खेल कर मजे ले रहा था और बाहर खड़ी हुई जाहिरा अपने भाई को अपनी ही ब्रेजियर से खेलते हुए देख रही थी।
यह नहीं पता था कि फैजान अपनी बहन की ब्रा के साथ कर क्या रहा है.. लेकिन बहरहाल और उसके लिए कुछ करने का था तो नहीं वहाँ.. पर तब भी कुछ देर तक मैंने दोनों को एंजाय करने दिया।
फिर थोड़ा दरवाजे से पीछे हट कर मैंने फैजान को और फिर जाहिरा को आवाज़ दी और जल्दी आने को कहा। मेरी आवाज़ सुन कर जाहिरा रसोई में आ गई।
मैंने जाहिरा का चेहरा देखा तो वो सुर्ख हो रहा था.. मैंने पूछा- आए नहीं तुम्हारे भैया.. क्या कर रहे हैं?
जाहिरा बोली- आ रहे हैं वो बस अभी आते हैं।
वो मेरे सवाल का जवाब देने में घबरा रही थी। फिर वो आहिस्ता से बोली- भाभी आपने मेरी ब्रा वहीं बिस्तर पर ही फेंक दी थी क्या?
मैं- ओह हाँ.. बस यूँ ही ख्याल ही नहीं रहा बस.. क्यों क्या हुआ है उसे?
फिर थोड़ा दरवाजे से पीछे हट कर मैंने फैजान को और फिर जाहिरा को आवाज़ दी और जल्दी आने को कहा। मेरी आवाज़ सुन कर जाहिरा रसोई में आ गई।
मैंने जाहिरा का चेहरा देखा तो वो सुर्ख हो रहा था.. मैंने पूछा- आए नहीं तुम्हारे भैया.. क्या कर रहे हैं?
जाहिरा बोली- आ रहे हैं वो बस अभी आते हैं।
वो मेरे सवाल का जवाब देने में घबरा रही थी। फिर वो आहिस्ता से बोली- भाभी आपने मेरी ब्रा वहीं बिस्तर पर ही डाल दी थी क्या?
मैं- ओह हाँ.. बस यूँ ही ख्याल ही नहीं रहा बस.. क्यों क्या हुआ है उसे?
अब आगे लुत्फ़ लें..
जाहिरा बोली- नहीं.. कुछ नहीं भाभी.. कुछ नहीं हुआ..
फिर वो जल्दी से खाना उठा कर बाहर आ गई। मैंने उसे ब्रेकफास्ट टेबल के बजाए आज छोटी सेंटर टेबल पर लगाने के लिए कहा।
ज़ाहिर है कि इसमें भी मेरे दिमाग की कोई शैतानी ही शामिल थी ना.. थोड़ी ही देर में फैजान भी बेडरूम से कप की ट्रे लेकर आ गया।
मैंने पूछा- कहाँ रह गए थे?
उसने घबरा कर एक नज़र जाहिरा पर डाली और बोला- वो बस बाथरूम में चला गया था।
जाहिरा अपने भाई की तरफ नहीं देख रही थी.. बस सोफे पर बैठे अपने भाई के आने का इन्तजार कर रही थी।
क्योंकि रात को उसे सोई हुई समझ कर उसका भाई जो जो उसके साथ करता रहा था और जो कुछ अब वो उसकी ब्रेजियर के साथ कर रहा था.. तो वो उसके लिए बहुत ही उत्तेजित हो उठी थी.. लेकिन उसे शर्मा देने वाला महसूस भी हो रहा था।
फैजान आया तो मेरे साथ ही सोफे पर बैठ गया और हम तीनों ने नाश्ता शुरू कर दिया। जाहिरा हम दोनों के बिल्कुल सामने बैठे थी। अब खाना इस टेबल पर रखने में मेरा ट्रिक यह था कि यह जो टेबल थी.. वो काफ़ी नीची थी और इस पर खाना खाते हुए आगे को काफ़ी झुकना पड़ता था।
इस तरह आगे को नीचे झुकने का पूरा-पूरा फ़ायदा मैं फैजान को दे रही थी.. क्योंकि जाहिरा भी नीचे झुक कर खाना खा रही थी और उसके नीचे झुकने की वजह से उसकी नेट शर्ट और भी नीचे को लटक रही थी। इस वजह से उसकी चूचियाँ और भी ज्यादा एक्सपोज़ हो रही थीं।
फैजान की नज़र भी सीधी-सीधी अपनी बहन की खुली ओपन क्लीवेज और चूचियों पर ही जा रही थी।
मैंने महसूस किया कि फैजान नाश्ता कम कर रहा था और अपनी बहन की चूचियों को ज्यादा देख रहा था।
एक और बात जो मैंने नोट की.. वो यह थी कि जाहिरा को पता था कि उसकी चूचियाँ काफ़ी ज्यादा खुली नज़र आ रही हैं और उसका भाई इनका पूरी तरह से मज़ा ले रहा है.. लेकिन इसके बावजूद भी जाहिरा ने अपनी पोजीशन को चेंज करने की और अपनी चूचियों को छुपाने की कोई कोशिश नहीं की।
वैसे भी उसकी और मेरी शर्ट इतनी ज्यादा ओपन थी कि हमारे पास अपनी खुली चूचियों को छुपाने के लिए कुछ नहीं था।
हमारी तवज्जो हटाने के लिए फैजान बोला- यार आज तो बाहर मौसम काफ़ी खराब हो रहा है.. काले बादल भी छाए हुए हैं.. लगता है कि आज बारिश हो जाएगी।
जाहिरा- जी भैया.. अच्छा है ना बारिश हो जाए.. तो कुछ गर्मी की शिद्दत में भी कमी हो जाएगी।
बारिश का जिक्र आते ही मैं दिल ही दिल मैं बारिश कि लिए दुआ माँगने लगी ताकि कुछ और भी मस्ती करने का मौका मिल सके।
नाश्ता करने के बाद मैंने और जाहिरा ने बर्तन उठाए और रसोई में ले जाकर रखे।
फिर मैं जाहिरा को चाय बना कर लाने का कह कर रसोई से बाहर टीवी लाउंज में आ गई और फैजान के बिल्कुल साथ लग कर बैठ गई। फैजान ने भी टीवी देखते हुए मेरी गर्दन के पीछे से अपना बाज़ू डाला और मेरी दूसरे कन्धों पर ले आया और ऊपर से ही मेरी चूचियों को सहलाने लगा।
फिर उसका हाथ आहिस्ता आहिस्ता मेरी ओपन शर्ट में नीचे चला गया और उसने मेरी शर्ट के अन्दर हाथ डाल कर मेरी एक चूची को पकड़ लिया और आहिस्ता आहिस्ता उससे खेलने लगा।
मैंने भी उसे मना नहीं किया और ना ही उसकी बहन के पास होने का इशारा दिया बल्कि उसे खुल कर एंजाय करने दे रही थी और खुद भी उससे चिपकती जा रही थी.. ताकि उसका हाथ बहुत ही आसानी के साथ और भी मेरी शर्ट के अन्दर तक चला जाए।
हम दोनों ही इसी हालत में बैठे हुए टीवी देख रहे थे.. मैं थोड़ी तिरछी नज़र से रसोई की तरफ भी देख रही थी.. इतने में जाहिरा टीवी लाउंज में दाखिल हुई तो मैंने अपनी नज़र उस पर नहीं डाली और भी ज्यादा बेतक्कलुफी से फैजान से चिपक गई।
फैजान का हाथ अभी भी मेरी शर्ट के अन्दर मेरी चूची से खेल रहा था। उसकी बहन ने आते ही सब कुछ देख लिया था।
मैंने देखा कि चंद लम्हे तो वो वहीं रसोई के दरवाजे पर खड़ी हुई यह नज़ारा देखती रही.. फिर आहिस्ता आहिस्ता क़दमों से चलते हुए हमारी टेबल के क़रीब आई और झुक कर टेबल पर चाय की ट्रे रख दी।
उसके चेहरे पर हल्की-हल्की मुस्कराहट थी।
उसे देखते ही फैजान ने अपना हाथ मेरी शर्ट से बाहर निकाल लिया.. लेकिन इससे पहले तो जाहिरा सब कुछ देख ही चुकी थी कि कैसे उसका भाई मेरी शर्ट की अन्दर अपना हाथ डाल कर मेरी चूचियों से खेल रहा है।
फैजान ने अपना हाथ तो मेरी शर्ट से निकाल लिया था.. लेकिन अभी तक मेरे कन्धों पर ही रखा हुआ था। मैं भी बिना कोई शरम किए हुए फैजान के साथ चिपक कर बैठी हुई थी।
जाहिरा ने मुस्कराते हुए वहीं पर ही हम दोनों को चाय के कप पकड़ा दिए और फिर वो भी चाय लेकर मेरे पास बैठ गई।
अब मैं दरम्यान में थी और दोनों बहन-भाई मेरी दोनों तरफ बैठे थे।
जाहिरा के नंगे कंधे भी मेरे कंधों से टकरा रहे थे और फैजान के हाथ भी मेरे कन्धों से होते हुए अपनी बहन के कन्धों को छू जाते थे।
लेकिन वो बिना किसी मज़हमत के आराम से बैठी हुई थी।
मैंने चाय का एक सिप लिया और उन दोनों के दरम्यान से उठते हुए बोली- यार चीनी कुछ कम है.. मैं अभी डाल कर लाई।
मैं उन दोनों बहन-भाई के दरम्यान से उठ गई और फिर रसोई में आ गई।
वहाँ से मैंने देखा कि फैजान ने थोड़ा सा सरकते हुए जाहिरा के कन्धों पर गर्दन से पीछे बाज़ू डाल कर अपना हाथ रखा और फिर उसके कन्धों को सहलाते हुए बोला- और सुनाओ जाहिरा.. तुम्हारी पढ़ाई कैसे चल रही है?
जाहिरा भी सटते हुए बोली- जी भैया.. पढ़ाई भी और कॉलेज भी.. ठीक चल रहे हैं।
मैंने देखा कि जाहिरा ने अपने जिस्म को अपने भाई के हाथ की पकड़ से छुड़ाने की कोई कोशिश नहीं की.. बल्कि उसी तरह बैठी रही।
कुछ देर तक मैंने उन दोनों को बिना कोई और बातचीत किए हुए मज़ा लेने दिया और फिर रसोई से बाहर आ गई।
मेरे आते ही दोनों सम्भल कर बैठ गए। मैं महसूस कर रही थी कि दोनों बहन-भाई के दरम्यान बिना कोई बातचीत शुरू हुए ही एक ताल्लुक सा बनता जा रहा था।
जाहिरा को अपने भाई के टच से लुत्फ़ आने लगा था और शायद फैजान को भी पता चलता जा रहा था कि उसकी बहन भी कुछ-कुछ एंजाय करने लगी है।
मैं अब जाकर फैजान की दूसरी तरफ बैठ गई और उसे दरम्यान में ही बैठा रहने दिया। ऐसे ही चाय पीते और गप-शप लगाते हुए हम लोग टीवी देखते रहे।
हम दोनों ननद-भाभी ने इसे ड्रेस में पूरा दिन घर में अपने जिस्म के नंगेपन की बिजलियाँ गिराते हुए गुजारा। पूरे दिन हम दोनों के नंगे जिस्मों को देख कर फैजान पागल होता रहा। कई बार जब भी उसने मुझे अकेले पाया.. तो अपनी बाँहों में मुझे दबोच लिया और चूमते हुए अपनी प्यास बुझाने लगा।
मैंने भी उसके लण्ड को सहलाते हुए उसे खड़ा किया.. लेकिन हर बार उसकी बाँहों से फिसल कर उसे केएलपीडी का अहसास कराते हुए भाग आई.. ताकि उसकी प्यास और उसकी अन्दर जलती हुई आग इसी तरह ही भड़कती रहे और ठंडी ना होने पाए।
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कुछ हजरात का कहना है कि जाहिरा की चुदाई में देर क्यों हो रही है.. तो मेरा उन सभी से यही कहना है कि चुदाई का लुत्फ़ तो कहानी का खात्मा ही कर देगा.. जो कुछ मजा खड़ा करने में है.. वो अन्दर लेने में नहीं है.. अन्दर तो इन्कलाब और सैलाब आता है.. जो जल्द ही खत्म भी हो जाता है।