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Horror WORLOCK (EK SHETAN)

gauravrani

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वारलॉक शैतानी कालेजादू के सबसे बुरे और भयानक रूप में सिद्धस्त है। वह वाममार्ग (भारतीय तंत्र में बाएँ हाथ की परंपरा) के गहरे और अंधेरे रहस्यों में पारंगत हुआ पहला पश्चिमी (गोरा) इंसान भी हैं। पायल चटर्जी एक परियों जैसी सुन्दर बंगाली अभिनेत्री है, जो दिव्य सुंदरता, भरपूर आत्मविश्वास और प्रबल इच्छाशक्ति से सुशोभित है।

वॉरलॉक की प्रेतवाधित फार्महाउस में धोखे से कैद की गयी पायल के पास जीवित रहने का बहुत कम मौका है। उस 'बदि के मंदिर' वाले फार्महाउस में जिसमें अनगिनत नर, नारी और शिशु बलि पर चढ़ा दिए गये हैं और जिससे आज तक कोई भी जीवित वापिस नहीं आया है। क्या पायल एक सुनहरी मुखोटे से अपना चेहरा छुपाने वाली निर्दयी हत्या-मशीन और अनुष्ठान-हत्यारे का मुकाबला कर पाएगी? या फिर वह इतिहास के सबसे निर्दयी और निर्मम ख़ूनी का नवीनतम शिकार बन कर रह जाएगी?
 

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मैं केवल दो माह का वह मासूम शिशु हूँ, जिसे एक क्रूर तांत्रिक बलिवेदी पर क़ुर्बान करने वाला है। मुझे अपने अपनी आस-पास की दुनिया का एहसास तभी होता है जब मेरे पिछले जन्मों की स्मृतियाँ उभर कर मुझ तक पहुँचती हैं। आमतौर पर ऐसा मुसीबत या गोर विपत्ति के क्षणों में ही होता है। मुझे बताया गया था कि ये पिछले जीवन की यादें समय के साथ धीरे-धीरे ख़त्म हो जायेंगी, ताकि मैं एक कोरे स्लेट के साथ नया जीवन शुरू कर सकूँ। मुझे नहीं मालूम कि मैं इस सुनसान जगह पर कैसे पहुंचा। मैं अपने कपड़ों के नीचे मेरे जिस्म से लिपटी झाड़ियों और काटों की चुभन महसूस कर रहा हूँ। मेरे सिर पर अमावस का काला आसमान और निगाहों के सामने झील का ठहरा हुआ पानी है। मैं रो रहा हूँ लेकिन मुझे अपनी महफूज बाहों में लेने या मेरी भूख मिटाने के लिए मेरी माँ यहाँ नहीं है। मैं भूखा, प्यासा और भयभीत हूँ। मुझे उम्मीद है कि अगर सामान्य मनुष्य मेरा रोना नहीं सुन पा रहे होंगे तो कम से कम अलौकिक शक्ति वाला कोई इंसान टेलीपैथी के माध्यम से मेरे विचारों को जरूर सुन या महसूस कर रहा होगा।
 

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मैंने टोपी युक्त काला चोगा पहने हुए उस लम्बे आदमी को कहते सुना, “एलेक्सा। पीटर गंड्री का गाना 'दी कॉवेन’ चलाओ।“ झील के किनारे रखे ‘स्मार्ट स्पीकर’ पर लयबद्ध ध्वनि के साथ खौफनाक संगीत बजने लगा। सुनहरे मुखौटा लगाया हुआ वह आदमी झील में उतरा। उसने कमर तक गहरे पानी में खड़े होकर कुछ मिनटों तक किसी मंत्र का जाप किया। जाप के पूर्ण होते ही कहीं से आग का एक गोला प्रकट हुआ और उसके सिर के चारों ओर चक्कर काटने लगा। इसके बाद उस आदमी ने बगैर विचलित हुए खुद को जलमग्न हो जाने दिया। झील की सतह पर कुछ देर के लिए बुलबुले उभरे और पानी दोबारा पहले की तरह शांत हो गया। इसी के साथ आग का गोला ‘हुश’ की ध्वनि उत्पन्न करते हुए दूर चला गया। मैं अपनी छोटी-छोटी आँखों से अपने आस-पास छिपी दुष्ट और पैशाचिक आकृतियों की मौजूदगी को पहचान रहा हूँ। मैं चीख कर अपनी माँ को आगाह करना चाहता हूँ, ताकि वे मुझे अपनी छाती से लगाकर मुझे बचा लें, लेकिन मैं ऐसा नहीं कर सकता हूँ और न ही अधिक देर तक रो सकता हूँ। मैं अब अपनी नाक पर सर्दी की अकड़न और जननांग के आस-पास गीलापन महसूस करने लगा
 

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हूँ। डरावने संगीत भी अब तेज़ हो गया है और अपनी समाप्ति की तरफ है। ‘हुश’ की ध्वनि के साथ झील के पानी को जैसे फाड़कर वह दुष्ट आदमी प्रकट हो गया है। उसकी दोनों भुजाएं फ़ैली हुई हैं और उसकी आँखें भावातिरेक में बंद हैं। वह पानी की गहराइयों से निकल कर हवा में ऊपर उठ रहा है। ऊंचा...और ऊंचा। ‘तो क्या...तो क्या वह उड़ भी सकता है?’ मुझे तांत्रिकों से नफ़रत हो चुकी है। प्रकृति ने जितने भी प्राणियों का सृजन किया है, उनमें ये सबसे घिनौने हैं। मैं अपना कोई भी जन्म तांत्रिक के रूप में नहीं लेना चाहूँगा। और इस नीच, अधर्मी, पापी को मुझ जैसे असहाय शिशु को बलि चढ़ाने के पाप का फल अवश्य भुगतना पड़ेगा । कोई भी बच्चा इसलिए जन्म नहीं लेता कि बलिवेदी पर उसका सिर काट दिया जाये। मैं इस तांत्रिक को कभी माफ़ नहीं करूँगा। इससे बदला लेने के लिए मैं अवश्य वापस आऊँगा। बहरहाल मैं आंसुओं से भरी हुई भयभीत आँखों से केवल यही देख पा रहा हूँ कि वह अपने बलि-कुठार (बलि की क्रिया में प्रयुक्त होने वाली कुठार) की फलक को एक काले पत्थर पर रगड़ते हुये उसकी धार तेज कर रहा है।
 

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मैं शीशे के एक पिरामिड में हूँ, जिसका शीर्ष गायब होने के कारण उसका ऊपरी हिस्सा खुला हुआ है। बलि चढ़ाने के लिये आग जलायी जा चुकी है और उसकी लपलपाती लपटों की रोशनी में; इंसानी धड़ पर कुत्ते या शायद लोमड़ी के सिर वाले शैतान की मूर्ति नजर आ रही है। वातावरण लोबान के धुएँ, पशुओं के गोश्त और उनकी हड्डियों के कारण घुटन भरा है। उसका मंत्रोच्चार तो क्षण-प्रतिक्षण ऊंचा होता जा रहा है और घिनौनी और पैशाचिक शक्तियों को उनकी नींद से जगा रहा है। जल्द ही ये सब-कुछ ख़त्म हो जाएगा। लेकिन मुझे हैरानी है कि जब मुझे इतनी जल्दी और इस तरह दयनीय दशा में मरना था, तो मुझे ये जन्म मिला ही क्यों? ‘ओह। दुष्ट तांत्रिक। मैं तुझे शाप देता हूँ कि तू हमेशा के लिए नरक की आग में सड़े।’
 

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डांसर और विक्षिप्त हत्यारा
नई दिल्ली स्थित जर्मन दूतावास क्रिसमस ट्री की मानिंद जगमगा रहा था। आज इस जगह सितारों से सजी रात ‘बॉलीवुड-नाइट’ का आयोजन था, जिसने दिसंबर की सर्द रात की नीरसता को गायब कर दिया था। आज रात का मुख्य आकर्षण, बॉलीवुड की एक खूबसूरत रूपसी और उसके साथी विख्यात कोरियोग्राफ़र रुडॉल्फ स्चानहर का नृत्य-प्रदर्शन था। इस जोड़े ने अपने कामुक और लयबद्ध ताल से मंच पर मानो आग लगा दी. जिसने वहां मौजूद नई दिल्ली और मुंबई से आये बड़े-बड़े राजनेताओं, उद्योगपतियों, नौकरशाहों और फ़िल्मी सितारों को चमत्कृत कर दिया। जर्मन प्रवासी रुडॉल्फ स्चानहर और उसके क़रीबी मित्र जर्मन कल्चर अताशे (सांस्कृतिक सलाहकार) एरिक जॉलेनबेक ने मिलकर झुग्गी-झोपड़ी के दलित बच्चों के हित के लिए ‘गाला चैरिटी इवेंट’ के आयोजन किया था। बॉलीवुड की धड़कन माने जाने वाली दीवा (तारिका) के शानदार प्रदर्शन पर पूरा हाल दर्शकों के तालियों की गड़गड़ाहट से गूँज उठा था। अतिथियों के आवाभगत में ‘वीनर वर्चेन’, ‘स्प्रिट्जकुकन एल्बॉन्डिगॉज मीटबॉल’,
 

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‘पेपर क्रीम’, बर्लिन के डोनर कबाब और होलग्रेन ब्रेड सहित कोरिजो तथा मशरूम टैपस जैसे पकवानों के साथ प्रसिद्ध जर्मन शराब ‘वाइनस्टीफानर हेफे वाइस्बियर’ भी परोसी गयी थी। सभी अतिथि जर्मन मेहमाननवाज़ी का लुत्फ़ उठाते हुए दूतावास के संरक्षित वातावरण में एक-दूसरे से घुल-मिल रहे थे। इस रात का सबसे चमकता सितारा रुडॉल्फ स्चानहर एक गठीले जिस्म, चौड़े मस्तक, तीक्ष्ण नीली आँखों और पीछे की ओर कढ़े हुए बालों वाला लम्बा व्यक्ति था। उसकी नाक सुतवा, चेहरा चौकोर, भुजाएं शक्तिशाली और उंगलियाँ लंबी थीं। करिश्माई व्यक्तित्व वाला रुडॉल्फ नेसल टोन (नाक से) में बोलता था। वह अक्सर लंबी यात्राओं पर रहता था। उसकी ‘अपॉइन्मेंट-बुक’ पूरे साल के दौरान अंतर्राष्ट्रीय नृत्य प्रतियोगिता में प्रदर्शन, शीर्ष स्तर के गायकों के साथ वर्ल्ड टूर या फिर बॉलीवुड के कार्यक्रमों की तारीखों से भरी होती थी। मंच पर प्रदर्शन करने के बाद उसने ‘एडिओस नैपोलि’ सूट पहन लिया था और ‘एक्वा डी जिओ प्रोफ्युमो-जिओर्जियो अरमानी (एव डे परफ्यूम)’ लगा ली थी। उसकी ‘टैग हुएर’ रिस्टवाच और मगरमच्छ के चमड़े के जूते की भांति उसका बेल्ट भी काफी महँगी था। उसका व्यक्तित्व किसी यूरोपीय राजकुमार जैसा था। उसके स्टाइल और बोलचाल के
 

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तरीके को देखते हुए उसे सहज ही जेम्स बांड का यूरोपियन संस्करण माना जा सकता था। उसके व्यक्तित्व की एकमात्र खटकने वाली बात ये थी कि उसने अपने बायें कान के लो में हीरे का एक महँगा ईयर-स्टड (मर्दों की बाली) पहना हुआ था और अपनी गर्दन पर आधा दिखाई पड़ने वाला एक टैटू गुदवाया हुआ था। “मैंने हट्टे-कट्टे और मरदाना जिस्म वाले किसी आदमी को इतने बढ़िया ढंग से नाचते हुए कभी नहीं देखा है।” अधेड़ उम्र की एक महिला ने रुडॉल्फ स्चानहर के पास आते हुए कहा। उसके नवीनतम ढंग से कटे हुए बालो की कुछ लट सुनहरी थी और उसने गहरे कट वाले तीन-चौथाई उरोज़-प्रदर्शक जालीदार ब्लाउज के साथ हरे रंग की शिफॉन की साड़ी पहनी हुई थी। “मैंने तो यह देखा है की ज्यादातर डाँसर और कुरियोग्राफर मंच से नीचे उतरने का बाद लचक भरी औरतो की तरह लगते हैं।” “क्या मैं आपको जानता हूँ?” रुडॉल्फ स्चानहर ने, जो उस क्षण नार्वे की महिला राजदूत से बातें कर रहा था, पूछा। “जान जाओगे...अगर चाहो तो।” महिला ने बेबाकी से उसकी आँखों में झांकते हुए कहा।
 

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“लगता है की आपकी ड्रिंक कुछ ज्यादा ही तगड़ी है ।” रुडॉल्फ ने भूरा स्कर्ट और बैंगनी टॉप पहनी हुई महिला राजदूत की ओर घूमते हुए कहा- “क्षमा कीजियेगा मैडम एम्बेसडर। मैं आपसे थोड़ी देर बाद मिलता हूँ।” “रुको। जाने से पहले मुझे अपना नंबर तो दे जाओ....भाड़ में जाओ।। ऐसा लगता है जैसे तुम विदेशी लोग जब यंहा आते हो तो तुम भी हिंदुस्तानी मर्दों की तरह फिस्सडी बन जाते हो ।” वह महिला रुडॉल्फ को कोसते हुए अपने पास खड़ी गोरी महिला की ओर पलटी और बोली, “बहन, पुरुषों के साथ तुम्हारा अनुभव कैसा है?” “आ हा । आओ मेरे प्यारे रुडॉल्फ। मैं महामहिम राजदूत और उनकी पत्नी से तुम्हारा परिचय कराता हूँ।” एरिक ने कोरियोग्राफ़र को देखते ही कहा। “हम आपके चैरिटी के कामों की क़द्र करते हैं मि. स्चानहर।” जर्मन राजदूत ने कहा जब एरिक ने अपने मित्र की औपचारिक मुलाक़ात उन से करवाई। “ये बहुत थोड़ा ही है श्रीमान राजदूत, जो मैं उन अभागे बच्चों के लिए कर पा रहा हूँ। दूतावास की इमारत प्रयोग करने की अनुमति देने के लिए मैं आपको और एरिक को धन्यवाद। यदि आप अनुमति दें तो मैं आपसे
 

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आग्रह करूँगा कि आपकी प्यारी पत्नी अगले महीने एक अनाथालय को बुनियादी सुविधायें मुहैया कराने के दौरान मेरा साथ देकर मुझे सम्मानित करे।” “आपके दिमाग में क्या चल रहा है मि. स्चानहर?” राजदूत की पत्नी ने पूछा, जो तेज़ आँखों वाली एक गोरी महिला थी। “हमारी योजना अनाथालय के जरूरतमंद बच्चों को ‘जोधपुर पैर’ देने की है। हम आज इकट्ठी हुई राशि का चेक भी प्रस्तुत करेंगे, जो अगले कुछ महीनों के लिए कम से कम 500 बच्चों की शिक्षा और रहन-सहन का खर्च वहन करने में मदद करेगा।” “ये तो आपकी बहुत ही अच्छी पहल है हेर्र (जर्मन में मिस्टर) रुडॉल्फ स्चानहर। मैं अपने सेक्रेटरी से कहूंगी कि वह उस दौरे से संबंधित जानकारियों के लिए आपके संपर्क में रहे। अब हमें इजाज़त दीजिये, इस खुशनुमा शाम का आनंद लीजिये।” उसने कहा। “जी बिल्कुल महोदया।” उसने हल्के से सिर को जुम्बिश देते हुए कहा और वह राजनयिक जोड़ा बाकी मेहमानों से मिलने के लिए आगे बढ़ गया।
 
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