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Thriller The Story of Meera (Hindi)[COMPLETED]

Indian Princess

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Indian Princess

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Introduction

Meera series ke 4 chapters ki story hai. Yeh story Meera series ka teesra chapter hai.

  1. The Girl Next Door (Completed)
  2. A Game of Chess (Running)
  3. The story of Meera (Completed)
  4. The Search for Amairah (Upcoming)


यह मेरी कहानी "द गर्ल नेक्स्ट डोर" का प्रीक्वल है।

यह कहानी मीरा के बारे में है, जो उसके अस्तित्व की लड़ाई है क्योंकि वह अपनी खोई हुई याददाश्त से लड़ती है और उन लोगों के बारे में जानती है जिन्होंने उसके साथ अन्याय किया।

मुझे उम्मीद है कि इस कहानी के लिए मुझे वही प्यार और समर्थन मिलेगा, जो मुझे अपनी पिछली कहानियों के लिए मिला था ।
 
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पात्रों का परिचय

यहां केवल महत्वपूर्ण पात्रों का परिचय दिया जा रहा है।​


1. Meera

Meera

Age: 20 वर्ष

Profession: ???

Looks: गेहुँआ रंग, ऊँचाई 5'2", 34D:26:36

About Meera: मिथिला एक सुनसान सड़क पर मीरा को घायल अवस्था में पाती है। उसे अपने बारे में ज्यादा याद नहीं है।



2. Mithila


Mithila


Age: 30 वर्ष

Profession: डॉक्टर, मनोचिकित्सक

Looks: सांवला रंग, ऊंचाई 5'8", 34C:28:38

About Mithila: मीरा की मनोचिकित्सक और अच्छी दोस्त। मीरा अक्सर डॉ. मिथिला से परामर्श और उपचार के लिए सलाह लेती हैं।


3. Kabir


Kabir

Age: 30 वर्ष

Profession: ???

Looks: गोरा रंग, ऊंचाई 6'0", भूरी आँखें, अरबी उच्चारण के साथ बोलता हैं।

About Kabir: मीरा की प्रेम रुचि। अपनी याददाश्त खोने के कारण मीरा को फिलहाल कबीर के बारे में ज्यादा याद नहीं है।
 
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Update 1

काली अँधेरी रात थी। एक जवान लड़की घने जंगल के रास्ते लंगड़ाते हुए चलती जा रही थी। अपनी हर उखड़ती सांस के साथ वो अपने जान बचने की कोशिश कर रही थी। उसके आस पास रात के जीव तरह तरह की डरावनी आवाजें निकल रहे थे। लेकिन जो आवाजें उसके दिम्माग में गूंज रही थी वो उन सब से तेज़ थी।

"तुझे ये पसंद है,पसंद है ना ? बोल कुतिया बोल तुझे ये पसंद है" एक आदमी की आवाज उसके दिमाग में गुंजी।

"मुझे माफ़ कर दो मैं तुम्हे बचा नहीं सका" एक और इंसान की रोनी सी आवाज उसके कानो में बजी।

“रो मत लड़की, तू तो वैसे भी रांड है बस तुझे ये बात पता नहीं…….चल अब अपने पैर फैला और दिखा मुझे अपने चुदे हुए छेदों को "एक तीसरी आवाज ने आराम से एक शैतानी हसी के साथ कहा।

"मुझे माफ़ कर दो माफ़ कर दो मुझे " इस बार एक औरत की आवाज थी ।

लड़की ने अपनी हथेलियों से अपने कानों को बंद कर लिया और चिल्लाने लगी "चुप रहो! चुप रहो!"।

और फिर सब शांत हो गया । उसके दिमाग में आती आवाजें रुक गई। और वह बस अब फटिंगें की आवाजें सुन सकती थी। वह घने पेड़ों के बीच लंगड़ाती रही, कोशिश करती रही
धिम्मी चांदनी में अपना रास्ता खोजने की। उसकी सफेद पोशाक फटी और खून से रंगी हुई थी। वह जगह-जगह बुरी तरह से फटी हुई थी और मुश्किल से उसके शरीर को ढक रखा था। उसके कंधे से नीचे लटके हुए उसके काले बाल उलझे हुए थे और उसके होंठों से भी खून निकल रहा था। पर उसकी काली आँखें दृढ़ संकल्प से भरी थीं, और जीवित रहने की संभावना से जगमगा रही थी।

उसे लगा जैसे सदियां बीत गई हो तब वो सड़क तक पहुंची। उसे उम्मीद थी कि कोई
रुके और उसकी मदद करे। ववह बस उम्मीद कर सकती थी और सारी ताकत लगा के वह रुक सकती थी। उसका पूरा बदन दर्द कर रहा था,और अचानक उसे ठंड लगने लगी। ठंडी हवाओं ने उसके दर्द को और बढ़ा दिया।

बहुत समय बीत गया। सड़क सुनसान थी और बहुत कम गाड़ियां आ-जा रहे थे। जो आ - जा रहे थे , उन्होंने रुकने की जरूरत नहीं समझी। वह लड़की तेजी से अपनी ताकत खो रही थी। वह बहुत ज्यादा थकान के कारण जमीन पर गिर पड़ी। जैसे ही उसकी नजरे धुंधली हुई, उसने अपने चेहरे पर बारिश की बूंदों को महसूस किया। बूंदाबांदी तेजी से तेज़ बारिश में बदल गई और लड़की पूरी तरह से भीग गई। वह जानती थी कि वह ठंड में अधिक समय तक जीवित नहीं रह सकती।

और अचानक एक कार रुकी। एक जवान लड़की उसकी ओर दौड़ी। उसने घायल लड़की को धीरे से हिलाया और पूछा, "अरे, क्या तुम ठीक हो?

" प्लीज मेरी मदद करें," लड़की हांफने लगी।

महिला ने लड़की को अपने पैरों पर खड़ा होने में मदद किया और उसको अपनी कार में बैठने में मदद की। लड़की मुश्किल होश में थी।

"मेरा नाम मिथिला है," महिला ने कहा, "मैं एक डॉक्टर हूँ। तुम्हारा नाम क्या है?"

"पता नहीं..." लड़की बुदबुदाई।

"तुम्हारे कपड़े पर इतना खून है," मिथिला ने कार चलाना शुरू करते हुए कहा, "क्या हुआ स्वीटहार्ट?"

"मुझे याद नहीं..." लड़की ने और अधिक उत्तेजित होते हुए कहा। वह ठंड में कांप रही थी और उसने अपने हाथ और पैर पास मोड़ लिए। मिथिला ने अपने चारों ओर एक गर्म शॉल रखी और कार का हीटर चालू कर दिया।

मिथिला ने उसे गौर से देखा। "क्या तुम ड्रग्स का इस्तेमाल करती हो ?

"मुझे बहुत दर्द हो रहा है...मैं बस सोना चाहती हूँ...मैं चाहती हूँ कि यह रुक जाए...मैं चाहती हूँ कि ये आवाज़ें चले जाएँ...मैं बस...मुझे नहीं पता..." लड़की ने कुछ अधूरे वाक्य अपनी बाहों को रगड़ते हुए फुसफुसाए।

"ठीक है लड़की," मिथिला ने कहा, "मैं तुम्हें अस्पताल ले जा रही हूँ, तुम ठीक हो जाओगी।"

लड़की की आँखें चमक उठीं, उसकी निगाहें खाली थीं। जल्द ही वे एक अस्पताल पहुंचे, और प्रशिक्षित स्वास्थ्य देखभाल कर्मचारी घावों की देखभाल करने लगे। मिथिला मनोचिकित्सक थीं। उसने अपनी सहयोगी डॉ. आयशा को बुलाया था, जो लड़की की स्थिति का आकलन करने के लिए, वह स्त्री रोग विशेषज्ञ थीं।

"मैं डॉ. मिथिला हूं और मैं एक मनोचिकित्सक हूं," मिथिला ने औपचारिक रूप से अपना परिचय देते हुए कहा, "चूंकि आप किसी आघात से गुजरे हैं, इसलिए मैं आपको अपनी देखरेख में इस अस्पताल में भर्ती कर रही हूं। मेरी सहकर्मी डॉ. आयशा एक स्त्री रोग विशेषज्ञ हैं और आपकी चोटों के लिए आपका इलाज करेंगी," मिथिला ने कहा, "यह पूछना मेरा कर्तव्य है, क्या आप पुलिस को कुछ भी रिपोर्ट करना चाहते हैं? आपको साफ करने से महत्वपूर्ण सबूत नष्ट हो सकते हैं। ”

लड़की ने सिर्फ सिर हिलाया।
"खून के नमूने को डोप परीक्षण के लिए भेजें।”मिथिला ने नर्स को आदेश दिया,"लगता है कि वह कुछ ओपिओइड (नशीले पदार्थों) पर है।"

नर्स ने सिर हिलाया और रक्त का नमूना लिया।

डॉ. आयशा ने कांपती हुई लड़की को सांत्वना देते हुए कहा, "हम आपको कुछ देर के लिए सुला देंगे, ताकि आपको कोई दर्द न हो।"

डॉ. आयशा के रगो में सेडेटिव का इंजेक्शन लगाते ही लड़की कमजोर रूप से मुस्कुराई। कुछ ही मिनटों में लड़की गहरी नींद में सो गई। नर्स ने लड़की के खून से लथपथ कपड़े निकल लिए। उसके शरीर पर मांस के कई छोटे-छोटे घाव थे। उसके चारों ओर काटने के निशान और खरोंच थे, कुछ पुराने, कुछ हाल के। उसके पैरों में चोट के निशान थे क्योंकि वह जंगल से नंगे पांव दौड़ रही थी, इसलिए लंगड़ा कर चल रही थी। लेकिन जिस बात ने मेडिकल स्टाफ को चौंका दिया, वह था उसके शरीर पर बने टैटू।

उसके स्तनों पर "रांड" लिखा हुआ था और उसकी चूत के ठीक ऊपर एक और टैटू था जिसमें उसकी चूत के ओर इशारा करते हुए एक तीर के साथ "लंड का भूखा छेद" लिखा था। जैसे ही उन्होंने उसे घुमाया, उन्हें उसकी गांड पर एक और टैटू मिला, जिस पर लिखा था, "हवसी कुतिया।"

टैटू देखकर मिथिला काफी परेशान नजर आ रही थी. "यह परमानेंट इंक की तरह लगता है" उसने हांफते हुए कहा।

"यह वास्तव में क्रूर है!" डॉ. आयशा ने कहा, "बेचारी लड़की!"

"उसकी सामान्य स्थिति कैसी है, आयशा?" मिथिला ने पूछा।

आयशा ने कहा, "उसे निश्चित रूप से नशीला पदार्थ दिया गया है," और उसने हाल ही में यौन गतिविधियों में लिप्त है। यह कहना मुश्किल है कि यह जबरदस्ती किया गया था या सहमति से, क्योंकि उसके गुप्तांगों पर कोई चोट नहीं आई है। वास्तव में, शायद ही कोई ताजा चोट हो, कुछ मामूली घाव जो एक या दो दिन में ठीक हो जाए। ”

मिथिला को यह जानकर राहत मिली कि लड़की गंभीर रूप से घायल नहीं है।

"हालांकि," आयशा ने कहा, "कुछ पुराने निशान हैं। इस तरह के निशान आमतौर पर नियमित यातना के नतीजे होते हैं। पूर्व प्रसव के संकेत हैं। मैं जल्दी से अल्ट्रासाउंड करती हूँ।"

आयशा ने उसके पेट पर अल्ट्रासाउंड जांच की और कहा, "यह अच्छा नहीं लग रहा है। उसका गर्भाशय लगभग निष्क्रिय है। ऐसा लगता है कि एक बुरी तरह से किया गया गर्भपात हुआ है, लेकिन वह फिर कभी माँ नहीं बन पाएगी।"
आयशा ने जो कहा उसके मतलब को समझते हुए मिथिला को अपने दिल में एक चुटकी महसूस हुई।

"यह एक बहुत ही संवेदनशील मामला है," आयशा ने कहा, "लगता है कि यह लड़की किसी बहुत ही महत्वपूर्ण आघात से गुज़री है, मुझे विश्वास है कि आप इसे संभालना जानते होंगे।"

"मैं इसकी देखभाल करूंगी,आयशा" वो प्यार से लड़की के बालों को छू रही थी।

जैसे ही आयशा ने लड़की के सभी घावों को ड्रेसिंग करना समाप्त कर दिया, डॉ मिथिला ने नर्स को निर्देश दिया, "मैं चाहती हूं कि तुम इन टैटू को पट्टियों से ढक दो । टैटू के बारे में उससे कुछ न कहा जाए । वह बहुत नाजुक स्थिति में है और इन टैटू को देखने से वह अस्थिर हो सकती है।'

नर्स ने स्वीकृति में सिर हिलाया और उसके टैटू को ढक दिया और उसे एक साफ गाउन पहनाया। मिथिला ने आगे की दवाओं को लिख दिया। नर्सों ने अभी भी बेहोश लड़की को एक निजी वार्ड में ले गए जहां वह बिना किसी परेशानी के आराम कर सकती थी। मिथिला जाना चाहती थी, लेकिन वह लड़की से नजरें नहीं हटा पा रही थी। उसका दिल उदास था, और वह यह सोचकर कांप उठी कि लड़की के साथ क्या क्या हो रहा होगा। वह चुपचाप लड़की के बगल में बैठ गई, उसने अपनी आँखें बंद कर लीं और उसके जल्दी ठीक होने की प्रार्थना करने लगी।

उनके पति अंशुल भी डॉक्टर थे और उसी अस्पताल में काम करते थे। उन्होंने वार्ड में प्रवेश किया और अपनी पत्नी को सोई हुई लड़की के बगल में बैठे हुए देखा, जो परेशान दिख रही थी।

"क्या तुम ठीक हो हनी?" उसने चिंतित स्वर में पूछा, "मुझे लगा कि तुम चली गयी। मैं उम्मीद कर रहा था कि तुम अब तक घर पे होगी।"

"मैं घर जा रही थी," मिथिला ने कहा, "और मुझे यह लड़की सड़क पर मिली। वह ... मुझे उसकी मदद करनी थी नहीं तो ये बच नहीं पाती।"

"कौन है ये ?" उसने पूछा।

"उसे याद नहीं," मिथिला ने कहा, "लेकिन वह कुछ भयानक से गुज़री है..."

मिथिला अपने आंसू नहीं रोक पाई और उसने सोई हुई लड़की के गाउन की आस्तीन को धीरे से घुमाया और कहा, "सुई के इन निशानों को देखो, वे उसे डोप के साथ पंप कर रहे हैं ... और ये ..." मिथिला ने धीरे से लड़की का गाउन उठाया और जो पट्टी बंधी गयी थी उसको थोड़ा उठा के वो अपमानजनक टाटूस दिखाए अपने पति को। "परमानेंट इंक!" उसने कहा, " राक्षस! ये बहुत छोटी है...ये कितनी साल की होनी चाहिए? 20?"
अंशुल ने अपनी उत्तेजित पत्नी को गले लगाया और धीरे से उसकी पीठ को सहलाया। "मैं समझता हूं कि यह तुम्हें कैसा महसूस कराता है," उसने अपने अंगूठे से उसके आँसू पोंछते हुए कहा, "तुम बहुत प्यारी और बहादुर हो जो उसकी मदद की । वह अब ठीक हो जाएगी, क्योंकि उसके पास तुम हो उसकी देखभाल करने के लिए।"

मिथिला अब और बल नहीं पायी । उसने अपने पति को कसकर गले लगाया और सुबकती रही।

मिथिला ने सुबह तक उसके बिस्तर के पास रहने का फैसला किया। सुबह में, लड़की जगी, तो बहुत बेहतर और शांत महसूस कर रही थी।

मिथिला उसकी ओर देखकर मुस्कुराई और उसके काले बालों में अपनी उँगलियाँ घूमते हुए । "गुड मॉर्निंग स्वीटी," मिथिला ने मुस्कुराते हुए कहा, "तुम्हें मुस्कुराते हुए देखकर अच्छा लगा। तुम्हें कैसा लग रहा है?"

"बहुत बेहतर," लड़की ने कहा, "आपकी मदद के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद।"

"क्या तुम्हें भूख लगी है?" मिथिला ने पूछा।

लड़की ने सिर हिलाया और मिथिला ने उसे एक सैंडविच और एक कॉफी मंगवाया। मिथिला उसके बगल में बैठ कर उसे खाना खाते हुए देख रही थी। उसके पास उसके लिए बहुत सारे सवाल थे, लेकिन उसने कुछ भी पूछने से परहेज किया क्योंकि उसे डर था कि लड़की फिर से परेशान हो सकती है।

"काश मैं तुम्हारा नाम स्वीटी जान पाती, या शायद तुम्हारे परिवार के बारे में कुछ। मुझे यकीन है कि वे तुम्हे ढूंढ रहे होंगे। क्या तुम्हें कुछ भी याद है?" मिथिला ने पूछा।

"मुझे माफ़ करना मैं नहीं जानती," लड़की ने उदास चेहरे के साथ कहा।

"यह ठीक है," मिथिला ने कहा, "आपको बस आराम करने की ज़रूरत है, सब कुछ ठीक हो जाएगा।"

"यह क्या हैं?" लड़की ने पट्टियों की ओर इशारा करते हुए पूछा।

"चिंता की कोई बात नहीं है," मिथिला ने इत्मीनान से कहा, "बस कुछ छोटे घाव जो हमने सिल दिए। हम कुछ दिनों के लिए पट्टियों को छोड़ देंगे और फिर तुम जाने के लिए तैयार हैं।"

लड़की मुस्कुरा दी। "आपने मेरे लिए जो कुछ भी किया है, उसके लिए धन्यवाद," उसने कहा।

तुम ठीक हो जाओगे," मिथिला ने उसे गले लगाते हुए कहा, "मैं हमेशा तुम्हारे लिए हूं।"
लड़की ने भी गले लगाया। मिथिला उसे आराम करने के लिए अकेला छोड़कर कमरे से चली गई। खिड़की से बाहर देखते ही लड़की मुस्कुरा दी। सुंदर चमकता सूरज, चहकती चिड़िया और आबाद शहर और अस्पताल के चारों ओर गुलजार। बहुत दिनों के बाद वह आजाद महसूस कर रही थी। उसने खिड़की से बाहर देखा, अपने दिल से एक स्वतंत्र दुनिया के नज़ारे का आनंद ले रही थी। उसने अपने परिवार, अपने घर के बारे में सोचने की कोशिश की। वह जल्द से जल्द याद करना चाहती थी ताकि घर जा सके।

कुछ देर बाद वह वापस अपने बिस्तर पर आ गई और अपनी आँखें बंद कर लीं। अचानक उसे कुछ दिखा। उसे एक अंधेरी जगह में बंद कर दिया गया था। वह मुश्किल से चल पाती थी। यहाँ घनघोर अंधेरा था; उसे कुछ दिखाई नहीं दे रहा था। वह मुश्किल से सांस ले पा रही थी। वह चीखना चाहती थी, लेकिन उसके पास ताकत नहीं थी। असहायता की भावनाओं ने उसे अभिभूत कर दिया, वह कुछ नहीं कर सकती थी। वह सोने चली गई। और तभी अचानक झटका लगा। वह झटके से उठी। लेकिन वह अभी भी अंधेरी जगह में थी, हिलने-डुलने में असमर्थ, बोलने में असमर्थ। एक पल के लिए उसे लगा कि वह मर चुकी है। लेकिन तब वह अपनी सांस महसूस कर प् रही थी। उसने महसूस किया कि वह धीरे से हिल रही है, जैसे अंतरिक्ष में तैर रही हो। वह सुबकती रही और फिर सो गई। ऐसा बार-बार हुआ, उसे लगा जैसे वह हमेशा के लिए इस अंधेरी जगह में फंस गई हो।

और फिर उसने देखा कि प्रकाश पर किरणें आ रही हैं। जैसे ही उसकी आँखों ने प्रकाश को समायोजित किया, उसने महसूस किया कि वह एक पिंजरे में बंद की गई है। उसने आवाजें सुनीं, उसके आसपास लोग थे। और अचानक उसकी आँखों में बहुत रोशनी आने लग गई। किसी ने पिंजरा खोल दिया था। हमेशा से अंधेरे में वक़्त बिताने के बाद अचानक दिन के उजाले से वह लगभग अंधी हो गई थी। एक जाना-पहचाना चेहरा उसे देख मुस्कुरा रहा था। सुंदर भूरी आंखों वाला एक सुंदर जवान लड़का। वह थका हुआ लग रहा था, लेकिन उसका चेहरा उसे देखकर खुशी से चमक रहा था। उसने उसे पिंजरे से बाहर निकालने में मदद की और उसे गले से लगा लिया।

"मीरा," उसने कहा, "हमने कर दिखाया, हम आज़ाद हैं!"

लड़की ने उसे ध्यान से देखा। अंधेरे में बिताए लंबे वक़्त ने उसे मानसिक रूप से प्रभावित किया था।

"अरे, यह मैं हूँ, कबीर," उसने कहा, "डरो मत, हम अब सुरक्षित हैं।"

"कबीर..." उसने कहा, "मैं बहुत डरी हुई थी, मुझे लगा कि मैं मरने वाली हूँ..."

"तुम एक हिमतवाली लड़की हो मीरा," उसने उसे कसकर गले लगाते हुए कहा।

अचानक किसी ने पीछे से उसके बाल पकड़ लिए। "हिम्मतवाली लड़की को प्रत्येक छेद में एक लंड चाहिए," एक आदमी ने कहा और उसे कबीर से दूर खींच लिया।
"नहीं….." वह चिल्लाई, "मुझे जाने दो!"

एक अन्य व्यक्ति ने बीच में कदम रखा और कबीर के सिर पर प्रहार किया, जिससे तुरंत उसकी खोपड़ी खुल गई और उसकी मौके पर ही मौत हो गई।

लड़की पागलों की तरह चिल्लाई क्योंकि पुरुषों के एक समूह ने हंसते हुए उसे कसकर पकड़ रखा था, जबकि उनके नेता ने एक सिरिंज लोड की थी। "एक बार जब मैं यह बात आप में डाल दूं, तो आप दुनिया के हर आदमी से सस्ती रंडी की तरह चुदना चाहोगी ।"

************


लड़की अचानक नींद से जाग गई और बेतहाशा चीखने लगी। उसे पसीना आ रहा था और वो कांप रही थी और बेहद उत्तेजित थी। नर्सें उसके कमरे में गईं और उसकी नस में एक सेडेटिव का इंजेक्शन लगाया और तुरंत डॉ. मिथिला को बुलाया।


मिथिला घबराई हुई लड़की की ओर दौड़ी और शांत होने तक उसे गले से लगा लिया।


"मुझे लगता है कि मेरा नाम मीरा है," उसने कहा।


"यह एक प्यारा नाम है मीरा," मिथिला ने अपने बालों को सहलाते हुए कहा, "क्या तुमने कोई बुरा सपना देखा मीरा ?"


"सपना या यादें , मुझे नहीं पता," मीरा ने आंसू बहाते हुए कहा, "या हो सकता है कि मेरे पागल दिमाग की कोई उपज हो ।"


"ठीक है मीरा," मिथिला ने आश्वस्त रूप से उसका हाथ पकड़ते हुए कहा, "चाहे कुछ भी हो, अब तुम सुरक्षित हैं, और कोई भी तुम्हे चोट नहीं पहुँचा सकता, ठीक है? और हम इसे एक साथ समझेंगे। ”


मीरा ने सिर हिलाया।

"अच्छा, अब बताओ तुमने क्या देखा?" मिथिला ने पूछा।



मीरा ने कहा, "मैं बहुत देर तक एक पिंजरे में बंद रही..."।



"एक पिंजरा ?" मिथिला ने पूछा।


"हाँ, और अँधेरा था और मैं साँस नहीं ले पा रही थी...और अंत में एक आदमी ने पिंजरा खोला। वह जाना पहचाना लग रहा था; ऐसा लग रहा था कि वह मेरी परवाह करता है। उसने मुझे गले लगाया; वह मुझे दिलासा देने की कोशिश कर रहा था... उसने कहा कि उसका नाम कबीर है।"



"क्या तुम इस आदमी को पहचानती हो ?" मिथिला ने पूछा, "क्या वह तुमसे संबंधित है? वह तुम्हारा परिवार है?"


"मुझे नहीं पता..." मीरा ने कहा, "लेकिन उसकी आँखों में, मैंने देखा... वह सच में मेरी परवाह करता था... लेकिन फिर उन्होंने उसे मार डाला..."



"उसे किसने मारा?" मिथिला ने पूछा।



"कुछ बुरे लोग," उसने कहा, "उनके चेहरे पहचाने लग रहे थे लेकिन मुझे उनके नाम याद नहीं हैं। उन्होंने उसे मार डाला और मुझे ले गए। वे चाहते थे ... मेरा बलात्कार करना। उन्होंने मुझमें कुछ इंजेक्शन लगाया... और उसके बाद मुझे कुछ भी याद नहीं है।"


मीरा फूट-फूट कर रोने लगी। मिथिला ने उसे गले लगाया और उसे शांत करने में मदद की।


"कबीर के बारे में कुछ और याद करने की कोशिश करो , जैसे उनका पूरा नाम, वो जीने के लिए क्या करता था । हो सकता है कि हम इस तरह से तुम्हारे परिवार को ढूंढ सकें। क्या तुम्हे कुछ याद है कि कहा कहाँ रहती थी ?”

"मैंने आपसे वो सब कहा जो मुझे याद था..." मीरा ने अपनी आँखों से आँसू पोंछते हुए कहा, "कभी-कभी मुझे लगता है काश मुझे ये सब याद नही करना पड़ता... काश मैं अपने जीवन को एक साफ स्लेट की तरह नए सिरे से शुरू कर पाती... काश मुझे अपने अतीत के बारे में बिल्कुल भी याद नहीं होती... क्योंकि जो कुछ भी मैं याद रख सकती हूं वह है ...बुरी बाते "
 
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Chutiyadr

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काली अँधेरी रात थी। एक जवान लड़की घने जंगल के रास्ते लंगड़ाते हुए चलती जा रही थी। अपनी हर उखड़ती सांस के साथ वो अपने जान बचने की कोशिश कर रही थी। उसके आस पास रात के जीव तरह तरह की डरावनी आवाजें निकल रहे थे। लेकिन जो आवाजें उसके दिम्माग में गूंज रही थी वो उन सब से तेज़ थी।

"तुझे ये पसंद है,पसंद है ना ? बोल कुतिया बोल तुझे ये पसंद है" एक आदमी की आवाज उसके दिमाग में गुंजी।

"मुझे माफ़ कर दो मैं तुम्हे बचा नहीं सका" एक और इंसान की रोनी सी आवाज उसके कानो में बजी।

“रो मत लड़की, तू तो वैसे भी रांड है बस तुझे ये बात पता नहीं…….चल अब अपने पैर फैला और दिखा मुझे अपने चुदे हुए छेदों को "एक तीसरी आवाज ने आराम से एक शैतानी हसी के साथ कहा।

"मुझे माफ़ कर दो माफ़ कर दो मुझे " इस बार एक औरत की आवाज थी ।

लड़की ने अपनी हथेलियों से अपने कानों को बंद कर लिया और चिल्लाने लगी "चुप रहो! चुप रहो!"।

और फिर सब शांत हो गया । उसके दिमाग में आती आवाजें रुक गई। और वह बस अब फटिंगें की आवाजें सुन सकती थी। वह घने पेड़ों के बीच लंगड़ाती रही, कोशिश करती रही
धिम्मी चांदनी में अपना रास्ता खोजने की। उसकी सफेद पोशाक फटी और खून से रंगी हुई थी। वह जगह-जगह बुरी तरह से फटी हुई थी और मुश्किल से उसके शरीर को ढक रखा था। उसके कंधे से नीचे लटके हुए उसके काले बाल उलझे हुए थे और उसके होंठों से भी खून निकल रहा था। पर उसकी काली आँखें दृढ़ संकल्प से भरी थीं, और जीवित रहने की संभावना से जगमगा रही थी।

उसे लगा जैसे सदियां बीत गई हो तब वो सड़क तक पहुंची। उसे उम्मीद थी कि कोई
रुके और उसकी मदद करे। ववह बस उम्मीद कर सकती थी और सारी ताकत लगा के वह रुक सकती थी। उसका पूरा बदन दर्द कर रहा था,और अचानक उसे ठंड लगने लगी। ठंडी हवाओं ने उसके दर्द को और बढ़ा दिया।

बहुत समय बीत गया। सड़क सुनसान थी और बहुत कम गाड़ियां आ-जा रहे थे। जो आ - जा रहे थे , उन्होंने रुकने की जरूरत नहीं समझी। वह लड़की तेजी से अपनी ताकत खो रही थी। वह बहुत ज्यादा थकान के कारण जमीन पर गिर पड़ी। जैसे ही उसकी नजरे धुंधली हुई, उसने अपने चेहरे पर बारिश की बूंदों को महसूस किया। बूंदाबांदी तेजी से तेज़ बारिश में बदल गई और लड़की पूरी तरह से भीग गई। वह जानती थी कि वह ठंड में अधिक समय तक जीवित नहीं रह सकती।

और अचानक एक कार रुकी। एक जवान लड़की उसकी ओर दौड़ी। उसने घायल लड़की को धीरे से हिलाया और पूछा, "अरे, क्या तुम ठीक हो?

" प्लीज मेरी मदद करें," लड़की हांफने लगी।

महिला ने लड़की को अपने पैरों पर खड़ा होने में मदद किया और उसको अपनी कार में बैठने में मदद की। लड़की मुश्किल होश में थी।

"मेरा नाम मिथिला है," महिला ने कहा, "मैं एक डॉक्टर हूँ। तुम्हारा नाम क्या है?"

"पता नहीं..." लड़की बुदबुदाई।

"तुम्हारे कपड़े पर इतना खून है," मिथिला ने कार चलाना शुरू करते हुए कहा, "क्या हुआ स्वीटहार्ट?"

"मुझे याद नहीं..." लड़की ने और अधिक उत्तेजित होते हुए कहा। वह ठंड में कांप रही थी और उसने अपने हाथ और पैर पास मोड़ लिए। मिथिला ने अपने चारों ओर एक गर्म शॉल रखी और कार का हीटर चालू कर दिया।

मिथिला ने उसे गौर से देखा। "क्या तुम ड्रग्स का इस्तेमाल करती हो ?

"मुझे बहुत दर्द हो रहा है...मैं बस सोना चाहती हूँ...मैं चाहती हूँ कि यह रुक जाए...मैं चाहती हूँ कि ये आवाज़ें चले जाएँ...मैं बस...मुझे नहीं पता..." लड़की ने कुछ अधूरे वाक्य अपनी बाहों को रगड़ते हुए फुसफुसाए।

"ठीक है लड़की," मिथिला ने कहा, "मैं तुम्हें अस्पताल ले जा रही हूँ, तुम ठीक हो जाओगी।"

लड़की की आँखें चमक उठीं, उसकी निगाहें खाली थीं। जल्द ही वे एक अस्पताल पहुंचे, और प्रशिक्षित स्वास्थ्य देखभाल कर्मचारी घावों की देखभाल करने लगे। मिथिला मनोचिकित्सक थीं। उसने अपनी सहयोगी डॉ. आयशा को बुलाया था, जो लड़की की स्थिति का आकलन करने के लिए, वह स्त्री रोग विशेषज्ञ थीं।

"मैं डॉ. मिथिला हूं और मैं एक मनोचिकित्सक हूं," मिथिला ने औपचारिक रूप से अपना परिचय देते हुए कहा, "चूंकि आप किसी आघात से गुजरे हैं, इसलिए मैं आपको अपनी देखरेख में इस अस्पताल में भर्ती कर रही हूं। मेरी सहकर्मी डॉ. आयशा एक स्त्री रोग विशेषज्ञ हैं और आपकी चोटों के लिए आपका इलाज करेंगी," मिथिला ने कहा, "यह पूछना मेरा कर्तव्य है, क्या आप पुलिस को कुछ भी रिपोर्ट करना चाहते हैं? आपको साफ करने से महत्वपूर्ण सबूत नष्ट हो सकते हैं। ”

लड़की ने सिर्फ सिर हिलाया।
"खून के नमूने को डोप परीक्षण के लिए भेजें।”मिथिला ने नर्स को आदेश दिया,"लगता है कि वह कुछ ओपिओइड (नशीले पदार्थों) पर है।"

नर्स ने सिर हिलाया और रक्त का नमूना लिया।

डॉ. आयशा ने कांपती हुई लड़की को सांत्वना देते हुए कहा, "हम आपको कुछ देर के लिए सुला देंगे, ताकि आपको कोई दर्द न हो।"

डॉ. आयशा के रगो में सेडेटिव का इंजेक्शन लगाते ही लड़की कमजोर रूप से मुस्कुराई। कुछ ही मिनटों में लड़की गहरी नींद में सो गई। नर्स ने लड़की के खून से लथपथ कपड़े निकल लिए। उसके शरीर पर मांस के कई छोटे-छोटे घाव थे। उसके चारों ओर काटने के निशान और खरोंच थे, कुछ पुराने, कुछ हाल के। उसके पैरों में चोट के निशान थे क्योंकि वह जंगल से नंगे पांव दौड़ रही थी, इसलिए लंगड़ा कर चल रही थी। लेकिन जिस बात ने मेडिकल स्टाफ को चौंका दिया, वह था उसके शरीर पर बने टैटू।

उसके स्तनों पर "रांड" लिखा हुआ था और उसकी चूत के ठीक ऊपर एक और टैटू था जिसमें उसकी चूत के ओर इशारा करते हुए एक तीर के साथ "लंड का भूखा छेद" लिखा था। जैसे ही उन्होंने उसे घुमाया, उन्हें उसकी गांड पर एक और टैटू मिला, जिस पर लिखा था, "हवसी कुतिया।"

टैटू देखकर मिथिला काफी परेशान नजर आ रही थी. "यह परमानेंट इंक की तरह लगता है" उसने हांफते हुए कहा।

"यह वास्तव में क्रूर है!" डॉ. आयशा ने कहा, "बेचारी लड़की!"

"उसकी सामान्य स्थिति कैसी है, आयशा?" मिथिला ने पूछा।

आयशा ने कहा, "उसे निश्चित रूप से नशीला पदार्थ दिया गया है," और उसने हाल ही में यौन गतिविधियों में लिप्त है। यह कहना मुश्किल है कि यह जबरदस्ती किया गया था या सहमति से, क्योंकि उसके गुप्तांगों पर कोई चोट नहीं आई है। वास्तव में, शायद ही कोई ताजा चोट हो, कुछ मामूली घाव जो एक या दो दिन में ठीक हो जाए। ”

मिथिला को यह जानकर राहत मिली कि लड़की गंभीर रूप से घायल नहीं है।

"हालांकि," आयशा ने कहा, "कुछ पुराने निशान हैं। इस तरह के निशान आमतौर पर नियमित यातना के नतीजे होते हैं। पूर्व प्रसव के संकेत हैं। मैं जल्दी से अल्ट्रासाउंड करती हूँ।"

आयशा ने उसके पेट पर अल्ट्रासाउंड जांच की और कहा, "यह अच्छा नहीं लग रहा है। उसका गर्भाशय लगभग निष्क्रिय है। ऐसा लगता है कि एक बुरी तरह से किया गया गर्भपात हुआ है, लेकिन वह फिर कभी माँ नहीं बन पाएगी।"
आयशा ने जो कहा उसके मतलब को समझते हुए मिथिला को अपने दिल में एक चुटकी महसूस हुई।

"यह एक बहुत ही संवेदनशील मामला है," आयशा ने कहा, "लगता है कि यह लड़की किसी बहुत ही महत्वपूर्ण आघात से गुज़री है, मुझे विश्वास है कि आप इसे संभालना जानते होंगे।"

"मैं इसकी देखभाल करूंगी,आयशा" वो प्यार से लड़की के बालों को छू रही थी।

जैसे ही आयशा ने लड़की के सभी घावों को ड्रेसिंग करना समाप्त कर दिया, डॉ मिथिला ने नर्स को निर्देश दिया, "मैं चाहती हूं कि तुम इन टैटू को पट्टियों से ढक दो । टैटू के बारे में उससे कुछ न कहा जाए । वह बहुत नाजुक स्थिति में है और इन टैटू को देखने से वह अस्थिर हो सकती है।'

नर्स ने स्वीकृति में सिर हिलाया और उसके टैटू को ढक दिया और उसे एक साफ गाउन पहनाया। मिथिला ने आगे की दवाओं को लिख दिया। नर्सों ने अभी भी बेहोश लड़की को एक निजी वार्ड में ले गए जहां वह बिना किसी परेशानी के आराम कर सकती थी। मिथिला जाना चाहती थी, लेकिन वह लड़की से नजरें नहीं हटा पा रही थी। उसका दिल उदास था, और वह यह सोचकर कांप उठी कि लड़की के साथ क्या क्या हो रहा होगा। वह चुपचाप लड़की के बगल में बैठ गई, उसने अपनी आँखें बंद कर लीं और उसके जल्दी ठीक होने की प्रार्थना करने लगी।

उनके पति अंशुल भी डॉक्टर थे और उसी अस्पताल में काम करते थे। उन्होंने वार्ड में प्रवेश किया और अपनी पत्नी को सोई हुई लड़की के बगल में बैठे हुए देखा, जो परेशान दिख रही थी।

"क्या तुम ठीक हो हनी?" उसने चिंतित स्वर में पूछा, "मुझे लगा कि तुम चली गयी। मैं उम्मीद कर रहा था कि तुम अब तक घर पे होगी।"

"मैं घर जा रही थी," मिथिला ने कहा, "और मुझे यह लड़की सड़क पर मिली। वह ... मुझे उसकी मदद करनी थी नहीं तो ये बच नहीं पाती।"

"कौन है ये ?" उसने पूछा।

"उसे याद नहीं," मिथिला ने कहा, "लेकिन वह कुछ भयानक से गुज़री है..."

मिथिला अपने आंसू नहीं रोक पाई और उसने सोई हुई लड़की के गाउन की आस्तीन को धीरे से घुमाया और कहा, "सुई के इन निशानों को देखो, वे उसे डोप के साथ पंप कर रहे हैं ... और ये ..." मिथिला ने धीरे से लड़की का गाउन उठाया और जो पट्टी बंधी गयी थी उसको थोड़ा उठा के वो अपमानजनक टाटूस दिखाए अपने पति को। "परमानेंट इंक!" उसने कहा, " राक्षस! ये बहुत छोटी है...ये कितनी साल की होनी चाहिए? 20?"
अंशुल ने अपनी उत्तेजित पत्नी को गले लगाया और धीरे से उसकी पीठ को सहलाया। "मैं समझता हूं कि यह तुम्हें कैसा महसूस कराता है," उसने अपने अंगूठे से उसके आँसू पोंछते हुए कहा, "तुम बहुत प्यारी और बहादुर हो जो उसकी मदद की । वह अब ठीक हो जाएगी, क्योंकि उसके पास तुम हो उसकी देखभाल करने के लिए।"

मिथिला अब और बल नहीं पायी । उसने अपने पति को कसकर गले लगाया और सुबकती रही।

मिथिला ने सुबह तक उसके बिस्तर के पास रहने का फैसला किया। सुबह में, लड़की जगी, तो बहुत बेहतर और शांत महसूस कर रही थी।

मिथिला उसकी ओर देखकर मुस्कुराई और उसके काले बालों में अपनी उँगलियाँ घूमते हुए । "गुड मॉर्निंग स्वीटी," मिथिला ने मुस्कुराते हुए कहा, "तुम्हें मुस्कुराते हुए देखकर अच्छा लगा। तुम्हें कैसा लग रहा है?"

"बहुत बेहतर," लड़की ने कहा, "आपकी मदद के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद।"

"क्या तुम्हें भूख लगी है?" मिथिला ने पूछा।

लड़की ने सिर हिलाया और मिथिला ने उसे एक सैंडविच और एक कॉफी मंगवाया। मिथिला उसके बगल में बैठ कर उसे खाना खाते हुए देख रही थी। उसके पास उसके लिए बहुत सारे सवाल थे, लेकिन उसने कुछ भी पूछने से परहेज किया क्योंकि उसे डर था कि लड़की फिर से परेशान हो सकती है।

"काश मैं तुम्हारा नाम स्वीटी जान पाती, या शायद तुम्हारे परिवार के बारे में कुछ। मुझे यकीन है कि वे तुम्हे ढूंढ रहे होंगे। क्या तुम्हें कुछ भी याद है?" मिथिला ने पूछा।

"मुझे माफ़ करना मैं नहीं जानती," लड़की ने उदास चेहरे के साथ कहा।

"यह ठीक है," मिथिला ने कहा, "आपको बस आराम करने की ज़रूरत है, सब कुछ ठीक हो जाएगा।"

"यह क्या हैं?" लड़की ने पट्टियों की ओर इशारा करते हुए पूछा।

"चिंता की कोई बात नहीं है," मिथिला ने इत्मीनान से कहा, "बस कुछ छोटे घाव जो हमने सिल दिए। हम कुछ दिनों के लिए पट्टियों को छोड़ देंगे और फिर तुम जाने के लिए तैयार हैं।"

लड़की मुस्कुरा दी। "आपने मेरे लिए जो कुछ भी किया है, उसके लिए धन्यवाद," उसने कहा।

तुम ठीक हो जाओगे," मिथिला ने उसे गले लगाते हुए कहा, "मैं हमेशा तुम्हारे लिए हूं।"
लड़की ने भी गले लगाया। मिथिला उसे आराम करने के लिए अकेला छोड़कर कमरे से चली गई। खिड़की से बाहर देखते ही लड़की मुस्कुरा दी। सुंदर चमकता सूरज, चहकती चिड़िया और आबाद शहर और अस्पताल के चारों ओर गुलजार। बहुत दिनों के बाद वह आजाद महसूस कर रही थी। उसने खिड़की से बाहर देखा, अपने दिल से एक स्वतंत्र दुनिया के नज़ारे का आनंद ले रही थी। उसने अपने परिवार, अपने घर के बारे में सोचने की कोशिश की। वह जल्द से जल्द याद करना चाहती थी ताकि घर जा सके।

कुछ देर बाद वह वापस अपने बिस्तर पर आ गई और अपनी आँखें बंद कर लीं। अचानक उसे कुछ दिखा। उसे एक अंधेरी जगह में बंद कर दिया गया था। वह मुश्किल से चल पाती थी। यहाँ घनघोर अंधेरा था; उसे कुछ दिखाई नहीं दे रहा था। वह मुश्किल से सांस ले पा रही थी। वह चीखना चाहती थी, लेकिन उसके पास ताकत नहीं थी। असहायता की भावनाओं ने उसे अभिभूत कर दिया, वह कुछ नहीं कर सकती थी। वह सोने चली गई। और तभी अचानक झटका लगा। वह झटके से उठी। लेकिन वह अभी भी अंधेरी जगह में थी, हिलने-डुलने में असमर्थ, बोलने में असमर्थ। एक पल के लिए उसे लगा कि वह मर चुकी है। लेकिन तब वह अपनी सांस महसूस कर प् रही थी। उसने महसूस किया कि वह धीरे से हिल रही है, जैसे अंतरिक्ष में तैर रही हो। वह सुबकती रही और फिर सो गई। ऐसा बार-बार हुआ, उसे लगा जैसे वह हमेशा के लिए इस अंधेरी जगह में फंस गई हो।

और फिर उसने देखा कि प्रकाश पर किरणें आ रही हैं। जैसे ही उसकी आँखों ने प्रकाश को समायोजित किया, उसने महसूस किया कि वह एक पिंजरे में बंद की गई है। उसने आवाजें सुनीं, उसके आसपास लोग थे। और अचानक उसकी आँखों में बहुत रोशनी आने लग गई। किसी ने पिंजरा खोल दिया था। हमेशा से अंधेरे में वक़्त बिताने के बाद अचानक दिन के उजाले से वह लगभग अंधी हो गई थी। एक जाना-पहचाना चेहरा उसे देख मुस्कुरा रहा था। सुंदर भूरी आंखों वाला एक सुंदर जवान लड़का। वह थका हुआ लग रहा था, लेकिन उसका चेहरा उसे देखकर खुशी से चमक रहा था। उसने उसे पिंजरे से बाहर निकालने में मदद की और उसे गले से लगा लिया।

"मीरा," उसने कहा, "हमने कर दिखाया, हम आज़ाद हैं!"

लड़की ने उसे ध्यान से देखा। अंधेरे में बिताए लंबे वक़्त ने उसे मानसिक रूप से प्रभावित किया था।

"अरे, यह मैं हूँ, कबीर," उसने कहा, "डरो मत, हम अब सुरक्षित हैं।"

"कबीर..." उसने कहा, "मैं बहुत डरी हुई थी, मुझे लगा कि मैं मरने वाली हूँ..."

"तुम एक हिमतवाली लड़की हो मीरा," उसने उसे कसकर गले लगाते हुए कहा।

अचानक किसी ने पीछे से उसके बाल पकड़ लिए। "हिम्मतवाली लड़की को प्रत्येक छेद में एक लंड चाहिए," एक आदमी ने कहा और उसे कबीर से दूर खींच लिया।
"नहीं….." वह चिल्लाई, "मुझे जाने दो!"

एक अन्य व्यक्ति ने बीच में कदम रखा और कबीर के सिर पर प्रहार किया, जिससे तुरंत उसकी खोपड़ी खुल गई और उसकी मौके पर ही मौत हो गई।

लड़की पागलों की तरह चिल्लाई क्योंकि पुरुषों के एक समूह ने हंसते हुए उसे कसकर पकड़ रखा था, जबकि उनके नेता ने एक सिरिंज लोड की थी। "एक बार जब मैं यह बात आप में डाल दूं, तो आप दुनिया के हर आदमी से सस्ती रंडी की तरह चुदना चाहोगी ।"

************


लड़की अचानक नींद से जाग गई और बेतहाशा चीखने लगी। उसे पसीना आ रहा था और वो कांप रही थी और बेहद उत्तेजित थी। नर्सें उसके कमरे में गईं और उसकी नस में एक सेडेटिव का इंजेक्शन लगाया और तुरंत डॉ. मिथिला को बुलाया।


मिथिला घबराई हुई लड़की की ओर दौड़ी और शांत होने तक उसे गले से लगा लिया।


"मुझे लगता है कि मेरा नाम मीरा है," उसने कहा।


"यह एक प्यारा नाम है मीरा," मिथिला ने अपने बालों को सहलाते हुए कहा, "क्या तुमने कोई बुरा सपना देखा मीरा ?"


"सपना या यादें , मुझे नहीं पता," मीरा ने आंसू बहाते हुए कहा, "या हो सकता है कि मेरे पागल दिमाग की कोई उपज हो ।"


"ठीक है मीरा," मिथिला ने आश्वस्त रूप से उसका हाथ पकड़ते हुए कहा, "चाहे कुछ भी हो, अब तुम सुरक्षित हैं, और कोई भी तुम्हे चोट नहीं पहुँचा सकता, ठीक है? और हम इसे एक साथ समझेंगे। ”


मीरा ने सिर हिलाया।

"अच्छा, अब बताओ तुमने क्या देखा?" मिथिला ने पूछा।



मीरा ने कहा, "मैं बहुत देर तक एक पिंजरे में बंद रही..."।



"एक पिंजरा ?" मिथिला ने पूछा।


"हाँ, और अँधेरा था और मैं साँस नहीं ले पा रही थी...और अंत में एक आदमी ने पिंजरा खोला। वह जाना पहचाना लग रहा था; ऐसा लग रहा था कि वह मेरी परवाह करता है। उसने मुझे गले लगाया; वह मुझे दिलासा देने की कोशिश कर रहा था... उसने कहा कि उसका नाम कबीर है।"



"क्या तुम इस आदमी को पहचानती हो ?" मिथिला ने पूछा, "क्या वह तुमसे संबंधित है? वह तुम्हारा परिवार है?"


"मुझे नहीं पता..." मीरा ने कहा, "लेकिन उसकी आँखों में, मैंने देखा... वह सच में मेरी परवाह करता था... लेकिन फिर उन्होंने उसे मार डाला..."



"उसे किसने मारा?" मिथिला ने पूछा।



"कुछ बुरे लोग," उसने कहा, "उनके चेहरे पहचाने लग रहे थे लेकिन मुझे उनके नाम याद नहीं हैं। उन्होंने उसे मार डाला और मुझे ले गए। वे चाहते थे ... मेरा बलात्कार करना। उन्होंने मुझमें कुछ इंजेक्शन लगाया... और उसके बाद मुझे कुछ भी याद नहीं है।"


मीरा फूट-फूट कर रोने लगी। मिथिला ने उसे गले लगाया और उसे शांत करने में मदद की।


"कबीर के बारे में कुछ और याद करने की कोशिश करो , जैसे उनका पूरा नाम, वो जीने के लिए क्या करता था । हो सकता है कि हम इस तरह से तुम्हारे परिवार को ढूंढ सकें। क्या तुम्हे कुछ याद है कि कहा कहाँ रहती थी ?”

"मैंने आपसे वो सब कहा जो मुझे याद था..." मीरा ने अपनी आँखों से आँसू पोंछते हुए कहा, "कभी-कभी मुझे लगता है काश मुझे ये सब याद नही करना पड़ता... काश मैं अपने जीवन को एक साफ स्लेट की तरह नए सिरे से शुरू कर पाती... काश मुझे अपने अतीत के बारे में बिल्कुल भी याद नहीं होती... क्योंकि जो कुछ भी मैं याद रख सकती हूं वह है ...बुरी बाते "
Bahut intresting story hone wali hai..
Padh kar lag raha hai ki ye english me likhi gayi thi ..
Good one
 

Naina

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