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Fantasy Samundar Ka Shikari ~ सम्राट मार्टिन की सल्तनत

Yug Purush

सादा जीवन, तुच्छ विचार
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#8. Double Trigger ~ डबल ट्रिगर
आसमान को मेघो ने ढक रखा था और मंद -मंद चल रही शीतल समुद्री हवाओं ने मौसम सुहाना कर दिया था. बेलाडोना में मौजूद सभी लोग अपने कमरे से बाहर जहाज के विशाल डेक पर आ गए ताकि वो इस सुनहरे मौसम का आनंद ले सके. नायर को ढूंढने की रूबी और सेठ की तमाम कोशिशें विफल रही, उन्हें भनक तक नहीं लगी की आखिर नायर के साथ क्या हुआ, किसने किया...?? रुबीना ने ये बात नायर के घर वालो को अभी तक नहीं बताया था. नायर के अचानक गायब होने से कुछ लोगो के अंदर डर तो था पर वो इस सुहाने मौसम को.. किसी अनजान कप्तान के कारण जाया नही करना चाहते थे, इसलिए जहाज के लगभग सभी लोग डेक पर सब तरफ फैल कर इस मौसम का लुत्फ़ ले रहे थे....



बेलाडोना मे काम करने वालो मे से कई विदेशी भी थी, कुछ शुद्ध शरीफ तो वही कुछ शुद्ध बेवड़े किस्म के.. इसलिए उनके हाथों मे देशी शराब की बोतल होना लाज़िमी था. रूबी , अभी एक शराबी से ही नायर के बारे मे बात कर रही थी, जिसने ये दावा किया था कि कैप्टन नायर को आखिरी बार उसी ने बेलाडोना की डेक पर जाते हुए देखा था... कि, तभी रॉन की बोतल खाली हो गई.. उसने आस -पास देखा.. तो रूबी जिससे बात कर रही थी, उस आदमी के हाथ मे कैद शराब से लबालब भरी बोतल पर रॉन की नज़र पड़ी.. जिसे लेने के लिए रॉन उसी तरफ बढ़ा....
"तू ऐसे, शराब की बेइज़्ज़ती नही कर सकता. या तो बात कर ले या फिर शराब पी लो... ला बोतल मुझे दे... " रॉन ने उसके हाथ से एकदम अचानक से बोतल छिना , जिसके कारण वो आदमी रॉन को गुस्से से घूरने लगा...


"ऐसे क्या देख रहा है बे .. वापस नहीं दूंगा."

" रॉन प्लीज... अपनी ये वाहियात हरकतें बंद करो... "चिढ कर रूबी बोली..

" तुमने अपनी शक्ल ऐसी बना रखी है या हकीकत में तुम्हारी शक्ल इत्ती ख़राब है... "रूबी के ऊपर शराब की बदबूदार डकार मारते हुए रॉन ने कहा.... "मज़ा आ गया... मस्त दारू है..."


"ये क्या हरकत है...रॉन... तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई, मुझपर............ तुम हद से ज्यादा बढ़ रहे हो..."


"तुम जाओ, मै लड़कियों से लड़ाई नही करता...."
.


रूबी , रॉन की इस हरकत का कड़ा जवाब देना चाहती थी... उसे यकीन नही हो रहा था की रॉन, जहाज के सभी लोगो के सामने उससे ऐसा बर्ताव करेगा, ऊपर से वहा मौजूद लोग अपना चेहरा छिपाये, इधर -उधर देख कर रूबी पर हँस भी रहे थे.. जिससे रूबी और जल-भुन गई... उसने अपनी हथेली रॉन को थप्पड़ मारने के लिए उठाया ही था की.... जिस दिशा मे बेलाडोना आगे बढ़ा रहा था, उसी ओर समुन्दर मे एक भयंकर आवाज़ गूंज उठी, जिसने बेलाडोना मे मौज़ूद सभी लोगो की रूह तक को झकझोर कर रख दिया. सबकी नजर उस भयंकर गूँज की तरफ अपने आप ही चली गई...


" रॉन , यह आवाज कैसी है... "कांपते हुए रूबी पूछी और अपना हाथ जो उसने रॉन को मारने के लिए उठाया था, उसे नीचे कर लिया

"तुम मुझे थप्पड़ मारने वाली थी क्या...?"

" रॉन, ये आवाज कैसी थी..."

"शायद तुम्हारी बकवास सुनकर, समुंदर भी चिल्लाने लगा... महुआ दारू का कोई जवाब नहीं,... Oooo.... पर कड़वा है "एक बार फिर रूबी के ऊपर डकार मार कर रॉन ने कहा


" रोनननन.... यह मजाक करने का टाइम नहीं है .. इतनी भयंकर आवाज आई कहां से.. एक पल के लिए लगा जैसे भूकंप आ गया हो समुन्दर मे ..."


"ये उससे भी बुरा है... " वहा से लड़खड़ाते हुए कदमो के साथ रॉन जहाज के सबसे सामने वाले छोर की ओर जाने लगा और वहाँ आखिरी छोर पर पहुंचकर उसने दूर समुन्दर मे उठ रही तेज लहरों को गौर से देखने लगा और बिना पीछे मुडे समुन्दर की ओर ही देखते हुए रूबी से पूछा...


" वैसे, तुमने कभी ड्रैगनस देखा है.. जानेमन...? "रॉन मुस्कुराया

" नहीं...?? फिर वही बकवास... क्या कह रहे हो... "

" नहीं देखा..? नो प्रॉब्लम... फिर आज तुम्हारा लकी डे है.. आज देख लेना ड्रैगन्स को ... वो भी लाइव.."



इतना कहकर रॉन तुरंत जहाज के सबसे सामने नुकीले वाले भाग के रेलिंग पर देखते ही देखते कूद कर चढ़ गया और हिलते -डुलते ऊपर ही खड़ा रहा, जिससे आस -पास मौजूद लोग इस डर से की कही रॉन नीचे समुन्दर मे ना गिर जाए... उसकी ओर भागे और रॉन की तरफ मदद के लिए अपने हाथ बढ़ाये. लेकिन रॉन ने उन्हें मना कर दिया और डेक पर मौजूद सभी लोगो का ध्यान ताली बजाकर अपनी ओर आकर्षित करते हुए बोला


"सब अंदर घुस जाओ बे और जान की सलामती चाहिए तो जब तक बाहर आने के लिए ना कहु... कोई बाहर मत आना. वरना पेले जाओगे और कोई जाकर मेरा डबल ट्रिगर वाला बन्दूक लेकर आओ..... पर मुझे याद नहीं है की मैने अपनी बन्दूक रखी कहा है, बस इतना याद है कि कल रात उस अंग्रेजन को मै बन्दूक से करतब दिखा रहा था..."



रॉन के इतना बोलते ही, वहां मौजूद सभी लोग जहाज के अंदर भागे.. समंदर में दूर एकाएक विशाल धाराएं उठने लगी थी... वो धाराएं इतनी विशाल, तीव्र और शक्तिशाली थी की बेलाडोना जैसे इतने बड़े जहाज तक को हिला दे रही थी. जहाज जिस दिशा में आगे बढ़ रहा था.. वहां धीरे -धीरे सामने कोहरा छाने लगा... कुछ भी साफ दिखाई नहीं दे रहा था...


"तो मेरा शक सही था. सदियों बाद ये फिर से बाहर आने लगे है, फिर तो वो भी आएगा.... बहुत जल्द ही.."

"रॉन..ये क्या है... कोई खतरा तो नहीं...??"रूबी चिल्लाकर रॉन से पूछी, जो रेलिंग्स के ऊपर बिना किसी भय के खड़ा शराब पी रहा था...

"कोई खतरा तो नहीं...?? अंधी है क्या बे. एक तो ये साले अभी से पीछे पड़ गए.. मैंने सोचा था की पैल्लोरा आइलैंड जब तक पार नहीं हो जाता तब तक तो शांत रहेंगे, उसी अनुसार मेरी योजना भी थी... पर..."


"रॉन क्या सोच रहे हो..? क्या बोल रहे हो..? यह समुंदर ने इतना विकराल रूप अचानक से कैसे ले लिया..? जबकि weather रिपोर्ट मे ऐसा कुछ भी नहीं था......"


"जानेमन, तुम अंदर जाओ ना... अरे कोई मेरा बंदूक लाया क्या..? "



रॉन का इतना कहना ही था कि जहाज में काम करने वाला एक आदमी भागते हुए रॉन के पास आया और एक भारी भरकम, 7 ft. लंबी बंदूक जिसे वह अपने दोनों हाथों से बड़ी मुश्किल से उठा पा रहा था, उसने वह बंदूक रॉन की ओर बढ़ाया, जिसे रॉन ने डेक पर वापस कूदकर उस भारी बंदूक को तुरंत अपने एक हाथ से आसानी से उठा लिया, जिसके बाद वहां मौजूद सभी लोग रॉन के उस बंदूक को देखने लगे...



" नजर लगाओगे क्या, मेरी बंदूक पर.. सभी अंदर जाओ या फिर यहां रुक कर मरने का इंतजार करो... कप्तान सेठ, फट गई क्या...?? अपनी कप्तानी दिखाओ और सब को अंदर करो.. बाद मे जब जरूरत होगी तो मै खुद बुलाऊंगा... जहाज पर भीड़ देख कर ड्रैगन्स पागल हो जाते है... "


सेठ, सभी को अंदर भेजने लगा और जब सब अंदर चले गए तो उसने रॉन से पूछा


"तुम अकेलेइनसे निपट लोगे या मैं कुछ मदद करूं..."

" फिलहाल तो तुम्हारी भलाई इसी में है कि तुम भी इन्ही के साथ अंदर जाकर किसी कोने में अपना मुंह छुपा लो.. दी रॉन को किसी की जरूरत नहीं..."

" तुझे पता नहीं होगा पर तेरी जानकारी के लिए बता दूं, मैने हाल ही के महीनों मे सोमालियन लुटेरो से दो शिप को बचाया था ...."

"बधाई हो... पर अंदर जा..."

"अब देख मै इनका क्या हाल करता हूं.. सामने कोई भी हो."

" जब गीदड़ की मौत आती है तो वह शहर की तरफ भागता है और जब एक नेवी वाले की मौत आती है तो वह समुंदर की तरफ... खैर, जैसी तेरी मर्जी... " अपने अजीबोगरीब बंदूक के नीचे अलग से बने बॉक्स में गहरे नीले रंग का बारूद अपने भरते हुए रॉन बोला, जो अभी -अभी एक आदमी ने रॉन के कहने पर उसे बारूद की पोटली लाकर दी थी.


" यह कैसी अजीब बंदूक है...? और इसके नीचे ये बॉक्स...?? ये नीले रंग का बारूद...??? मेरे पास इससे बेहतरीन -बेहतरीन गन्स है, यदि तुम्हे चाहिए तो... इस तरह तो मैने कभी कुछ देखा नहीं "


"सामने देख.. सामने जो है उस तरह का भी तूने कभी नहीं देखा होगा... और जहाज की गति कम नहीं होनी चाहिए, किसी भी सूरत में.."



रॉन के कहने पर सेठ ने सामने छाते हुए घने कोहरे की तरफ नजर घुमाई.. जहां उसे उस घने कोहरे के बीच बाज से कई गुना विशाल ऊपर आसमान मे कुछ उड़ता हुआ, दिखाई दिया. सेठ की नजरें उस उड़ती हुई चीज पर जम गई, पहले तो उसे लगा कि कोई हेलीकाप्टर होगा.. लेकिन यदि कोई हेलीकाप्टर होता तो उसकी आवाज़ भी आनी चाहिए थे.. इसलिए सेठ ने उसे पंछी ही माना और जब थोड़ी देर बाद वो पंछी घने कोहरे से बाहर निकल कर जहाज की तरफ तेजी से आने लगा तो.. सेठ की सिट्टी पिट्टी गुम हो गई...


" हे भगवान, यह कौन सा प्राणी है.. "

" कुछ देर और रुक.. फिर सीधे भगवान से ही जाकर पूछ लेना कि ये कौन से प्राणी है... "अपने बंदूक की नली साफ करते हुए रॉन ने कहा और जल्दी -जल्दी बंदूक के ऊपरी हिस्से मे एक के बाद एक कई छर्रे डालने लगा


" रॉन मैंने पूछा.... ये विशाल जीव है क्या...."

"अबे... कान से अंधा है क्या.. सुनाई नहीं देता क्या तुम लोगो को... कबसे मै सबको बता रहा हूँ कि ड्रैगन्स का हमला होने वाला है..."

"पर ये तो...ये तो... किस्से कहानियों में होते हैं... ऐसे आग फेकने वाले खूंखार समुद्री दानव.."


" ये उससे भी खतरनाक है.. क्यूंकि यदि इन्हे भूख लगी होगी तो ये तुम्हे सेक कर सीक कबाब की तरह खाएंगे और यदि तेरे शरीर मे नमक कम हुआ तो सीक कबाब की तरह भुने हुए तेरे शरीर को समुन्दर मे डुबो डुबो कर खारा करके स्वाद लेंगे.... अपने आदमियों को इशारा कर दो कि मैं जिस तरफ कहूंगा उसी तरफ जहाज को मोड़े, यदि जिंदा रहना है तो... और तुम मेरे साथ आओ और जिनके जिनके पास बंदूकें हैं उनको भी ऊपर बुला लो. अब जब ड्रैगन्स ने हमला करने का सोच ही लिया है तो जहाज के अंदर छिपने का कोई फायदा नहीं... "



सेठ और रॉन जिस तरफ से एक विशाल ड्रैगन उड़ता आ रहा था, उस तरफ जहाज के बिल्कुल छोर मे खड़े थे... गहरे धुंध मे से एक ड्रैगन को बेलाडोना की ओर आता देख रॉन अपनी बन्दूक की नली साफ करने लगा...


" यह तुम्हारी बाबा आदम के जमाने की बंदूक चलती भी है..."

"ये चलती नहीं... जलती है.. ये ड्रैगन अपना रास्ता क्यों नहीं बदल रहा...? सामान्य तौर पर ये एक सीध मे कभी नहीं उड़ते... "



जब ड्रैगन ने अपना रास्ता नहीं बदला और जहाज के करीब आता ही गया... तब सेठ ने, बंदूक लेकर अपने आदमियों को ऊपर आने का आवाहान दिया . सभी जहाजी कांपते हुए बंदूक हाथ में लेकर जहाज से बाहर आए. सेठ ने एक बार फिर से सामने की तरफ देखा... शुरू में उसे लगा था कि सिर्फ एक ड्रैगन है, पर सबसे सामने वाले ड्रैगन के पीछे जब सैकड़ो की तादत मे उसने उन आसमानी दानवो को जो पँख फैलाये धीरे -धीरे घने कोहरे से निकलकर बेलाडोना की तरफ तेजी से हुंकार भरते हुए बढ़ रहे थे... सेठ की कपकपी छूट गई पर फिर भी उसने अपना साहस नहीं खोया और अपने आदमियों को जहाज में डेक के किनारे चारों तरफ फैल कर आते हुए ड्रैगन्स पर बन्दूक तानने के लिए कहा...


" अंदर से और आदमियों को बुलाओ... एक भी बन्दूक खाली नहीं रहनी चाहिए कम्बखतो.. जिनके पास बन्दूक नहीं है.. वो अग्निशामक यन्त्र लेकर आग बुझाने का काम करेंगे... हमारी पहली कोशिश यही रहेगी कि, इन समुद्री दानवो को जहाज से जितना हो सके उतना दूर रखना है, इसलिए जब तुम्हे लगे की तुम्हारे बन्दूक की गोलिया उन समुद्री दानवो तक पहुंच सकती है तो फायरिंग शुरू कर देना... तैयार...."सेठ चिल्लाया...


जिसके बाद कोई कुछ नही बोला... मजबूरन वो जहाज मे ऊपर तो आ गए थे, पर उन सबकी फटी पड़ी थी...


"अबे, मैने पूछा... तैयार...."

"Yes Captain ....."सब डरते हुई चिल्लाये


"बहुत अच्छे... और इंजन चैम्बर से कोई जाकर कोई मेरा ग्रेनेड लॉन्चर ले आओ... मरेंगे तो मरेंगे.. पर इन साले समुद्री दरिंदो को मार कर मरेंगे..."


वहा बन्दूक लेकर जहाज के हर कोने मे खड़े लोग इतने डरे हुए थे के, उन्होंने डर के कारण ड्रैगन्स को आता देख बहुत पहले ही फायरिंग शुरु कर दी... कुछ की गोलिया, ड्रैगन्स पर लगती... तो कुछ की गोलिया किस दिशा मे जा रही थी कुछ पता ही नही चल रहा था और जब सेठ को लगा की ड्रैगन्स उसके ग्रेनेड लॉन्चर के रेंज मे हैं तो उसने अपने कंधे मे ग्रेनेड लॉन्चर को रख कर ड्रैगन्स के समूह मे सबसे सामने वाले ड्रैगन को निशाना लगाकर पहला गोला दागा.. जो ड्रैगन को तो नहीं लगा क्यूंकि ड्रैगन उसे भाँप गया था और ऐन मौके पर बड़े आराम से वो ऊपर आकाश की ओर उड गया था, पर सेठ के उस गोले से बचने के चक्कर मे वो अपनी दिशा से भटक जरूर गया था. रॉन उन सबको ऐसा करते कुछ देर तक देखता रहा और फिर एकाएक जहाज के अंदर भाग गया...



"अबे.. ये... तो... भाग गया...? डरपोक साला... अभी तो बड़ी-बड़ी बाते कर रहा था.... "रॉन को जहाज के अंदर भागते देख सेठ कुछ देर के लिए रुका और फिर से ग्रेनेड लॉन्चर अपने कंधे पर रखा.....



चारो तरफ से ड्रैगन्स पर फायरिंग शुरू हो गई थी.. लेकिन बन्दूक की गोलियों का कुछ खास असर ड्रैगन्स पर नहीं हो रहा था... एक तो वो इधर उधर.. ऊपर नीचे होकर पहले ही गोलियों से बाच जाते और जो गोलिया उन्हें लगती भी... उसका ड्रैगन्स पर कुछ खास प्रभाव नहीं पड़ रहा था... वो बस थोड़ा सा स्लो हो जाते... जिस ड्रैगन पर अकेले 4-5 लोग मिलकर फायरिंग कर रहे थे.. बस उसी पर गोलियों का ज्यादा प्रभाव पड़ रहा था... इस दौरान सेठ ने ग्रेनेड लॉन्चर से एक और गोला दागा.. जो अबकी बार जाकर सीधे एक ड्रैगन के सर से टकराया और देखते ही देखते उस ड्रैगन का सिर मे विस्फोट हुआ और विस्फोट मे सिर फूट जाने के कारण वो ड्रैगन बिना सर के सीधे समुन्दर मे जा गिरा...


"शाबाश मेरे साथियो .. ऐसे ही लगे रहो, इन समुद्री कीड़ो को गुस्सा दिलाने मे कोई कसर मत छोड़ना... "अंदर से हाथ मे शराब की बोतल लिए रॉन बाहर आया....


.

New update kab :?:
waiting for next update
Update... :announce:
Bhai ji mari yaddast kamjor hai agar etne lambe antral se Update ayenge to me pichle Update bhul jaunga to please update dedo
Yug Purush ji yug mat lagaiye thoda jaldi aaiye
Agle update ka intizar h bhai
Update? Update? :dancing2::dancing2::dancing2::dancing2::dancing2::dancing2::dancing2::dancing2::dancing2::dancing2::dancing2:
 

SultanTipu40

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आसमान को मेघो ने ढक रखा था और मंद -मंद चल रही शीतल समुद्री हवाओं ने मौसम सुहाना कर दिया था. बेलाडोना में मौजूद सभी लोग अपने कमरे से बाहर जहाज के विशाल डेक पर आ गए ताकि वो इस सुनहरे मौसम का आनंद ले सके. नायर को ढूंढने की रूबी और सेठ की तमाम कोशिशें विफल रही, उन्हें भनक तक नहीं लगी की आखिर नायर के साथ क्या हुआ, किसने किया...?? रुबीना ने ये बात नायर के घर वालो को अभी तक नहीं बताया था. नायर के अचानक गायब होने से कुछ लोगो के अंदर डर तो था पर वो इस सुहाने मौसम को.. किसी अनजान कप्तान के कारण जाया नही करना चाहते थे, इसलिए जहाज के लगभग सभी लोग डेक पर सब तरफ फैल कर इस मौसम का लुत्फ़ ले रहे थे....



बेलाडोना मे काम करने वालो मे से कई विदेशी भी थी, कुछ शुद्ध शरीफ तो वही कुछ शुद्ध बेवड़े किस्म के.. इसलिए उनके हाथों मे देशी शराब की बोतल होना लाज़िमी था. रूबी , अभी एक शराबी से ही नायर के बारे मे बात कर रही थी, जिसने ये दावा किया था कि कैप्टन नायर को आखिरी बार उसी ने बेलाडोना की डेक पर जाते हुए देखा था... कि, तभी रॉन की बोतल खाली हो गई.. उसने आस -पास देखा.. तो रूबी जिससे बात कर रही थी, उस आदमी के हाथ मे कैद शराब से लबालब भरी बोतल पर रॉन की नज़र पड़ी.. जिसे लेने के लिए रॉन उसी तरफ बढ़ा....
"तू ऐसे, शराब की बेइज़्ज़ती नही कर सकता. या तो बात कर ले या फिर शराब पी लो... ला बोतल मुझे दे... " रॉन ने उसके हाथ से एकदम अचानक से बोतल छिना , जिसके कारण वो आदमी रॉन को गुस्से से घूरने लगा...


"ऐसे क्या देख रहा है बे .. वापस नहीं दूंगा."

" रॉन प्लीज... अपनी ये वाहियात हरकतें बंद करो... "चिढ कर रूबी बोली..

" तुमने अपनी शक्ल ऐसी बना रखी है या हकीकत में तुम्हारी शक्ल इत्ती ख़राब है... "रूबी के ऊपर शराब की बदबूदार डकार मारते हुए रॉन ने कहा.... "मज़ा आ गया... मस्त दारू है..."


"ये क्या हरकत है...रॉन... तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई, मुझपर............ तुम हद से ज्यादा बढ़ रहे हो..."


"तुम जाओ, मै लड़कियों से लड़ाई नही करता...."
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रूबी , रॉन की इस हरकत का कड़ा जवाब देना चाहती थी... उसे यकीन नही हो रहा था की रॉन, जहाज के सभी लोगो के सामने उससे ऐसा बर्ताव करेगा, ऊपर से वहा मौजूद लोग अपना चेहरा छिपाये, इधर -उधर देख कर रूबी पर हँस भी रहे थे.. जिससे रूबी और जल-भुन गई... उसने अपनी हथेली रॉन को थप्पड़ मारने के लिए उठाया ही था की.... जिस दिशा मे बेलाडोना आगे बढ़ा रहा था, उसी ओर समुन्दर मे एक भयंकर आवाज़ गूंज उठी, जिसने बेलाडोना मे मौज़ूद सभी लोगो की रूह तक को झकझोर कर रख दिया. सबकी नजर उस भयंकर गूँज की तरफ अपने आप ही चली गई...


" रॉन , यह आवाज कैसी है... "कांपते हुए रूबी पूछी और अपना हाथ जो उसने रॉन को मारने के लिए उठाया था, उसे नीचे कर लिया

"तुम मुझे थप्पड़ मारने वाली थी क्या...?"

" रॉन, ये आवाज कैसी थी..."

"शायद तुम्हारी बकवास सुनकर, समुंदर भी चिल्लाने लगा... महुआ दारू का कोई जवाब नहीं,... Oooo.... पर कड़वा है "एक बार फिर रूबी के ऊपर डकार मार कर रॉन ने कहा


" रोनननन.... यह मजाक करने का टाइम नहीं है .. इतनी भयंकर आवाज आई कहां से.. एक पल के लिए लगा जैसे भूकंप आ गया हो समुन्दर मे ..."


"ये उससे भी बुरा है... " वहा से लड़खड़ाते हुए कदमो के साथ रॉन जहाज के सबसे सामने वाले छोर की ओर जाने लगा और वहाँ आखिरी छोर पर पहुंचकर उसने दूर समुन्दर मे उठ रही तेज लहरों को गौर से देखने लगा और बिना पीछे मुडे समुन्दर की ओर ही देखते हुए रूबी से पूछा...


" वैसे, तुमने कभी ड्रैगनस देखा है.. जानेमन...? "रॉन मुस्कुराया

" नहीं...?? फिर वही बकवास... क्या कह रहे हो... "

" नहीं देखा..? नो प्रॉब्लम... फिर आज तुम्हारा लकी डे है.. आज देख लेना ड्रैगन्स को ... वो भी लाइव.."



इतना कहकर रॉन तुरंत जहाज के सबसे सामने नुकीले वाले भाग के रेलिंग पर देखते ही देखते कूद कर चढ़ गया और हिलते -डुलते ऊपर ही खड़ा रहा, जिससे आस -पास मौजूद लोग इस डर से की कही रॉन नीचे समुन्दर मे ना गिर जाए... उसकी ओर भागे और रॉन की तरफ मदद के लिए अपने हाथ बढ़ाये. लेकिन रॉन ने उन्हें मना कर दिया और डेक पर मौजूद सभी लोगो का ध्यान ताली बजाकर अपनी ओर आकर्षित करते हुए बोला


"सब अंदर घुस जाओ बे और जान की सलामती चाहिए तो जब तक बाहर आने के लिए ना कहु... कोई बाहर मत आना. वरना पेले जाओगे और कोई जाकर मेरा डबल ट्रिगर वाला बन्दूक लेकर आओ..... पर मुझे याद नहीं है की मैने अपनी बन्दूक रखी कहा है, बस इतना याद है कि कल रात उस अंग्रेजन को मै बन्दूक से करतब दिखा रहा था..."



रॉन के इतना बोलते ही, वहां मौजूद सभी लोग जहाज के अंदर भागे.. समंदर में दूर एकाएक विशाल धाराएं उठने लगी थी... वो धाराएं इतनी विशाल, तीव्र और शक्तिशाली थी की बेलाडोना जैसे इतने बड़े जहाज तक को हिला दे रही थी. जहाज जिस दिशा में आगे बढ़ रहा था.. वहां धीरे -धीरे सामने कोहरा छाने लगा... कुछ भी साफ दिखाई नहीं दे रहा था...


"तो मेरा शक सही था. सदियों बाद ये फिर से बाहर आने लगे है, फिर तो वो भी आएगा.... बहुत जल्द ही.."

"रॉन..ये क्या है... कोई खतरा तो नहीं...??"रूबी चिल्लाकर रॉन से पूछी, जो रेलिंग्स के ऊपर बिना किसी भय के खड़ा शराब पी रहा था...

"कोई खतरा तो नहीं...?? अंधी है क्या बे. एक तो ये साले अभी से पीछे पड़ गए.. मैंने सोचा था की पैल्लोरा आइलैंड जब तक पार नहीं हो जाता तब तक तो शांत रहेंगे, उसी अनुसार मेरी योजना भी थी... पर..."


"रॉन क्या सोच रहे हो..? क्या बोल रहे हो..? यह समुंदर ने इतना विकराल रूप अचानक से कैसे ले लिया..? जबकि weather रिपोर्ट मे ऐसा कुछ भी नहीं था......"


"जानेमन, तुम अंदर जाओ ना... अरे कोई मेरा बंदूक लाया क्या..? "



रॉन का इतना कहना ही था कि जहाज में काम करने वाला एक आदमी भागते हुए रॉन के पास आया और एक भारी भरकम, 7 ft. लंबी बंदूक जिसे वह अपने दोनों हाथों से बड़ी मुश्किल से उठा पा रहा था, उसने वह बंदूक रॉन की ओर बढ़ाया, जिसे रॉन ने डेक पर वापस कूदकर उस भारी बंदूक को तुरंत अपने एक हाथ से आसानी से उठा लिया, जिसके बाद वहां मौजूद सभी लोग रॉन के उस बंदूक को देखने लगे...



" नजर लगाओगे क्या, मेरी बंदूक पर.. सभी अंदर जाओ या फिर यहां रुक कर मरने का इंतजार करो... कप्तान सेठ, फट गई क्या...?? अपनी कप्तानी दिखाओ और सब को अंदर करो.. बाद मे जब जरूरत होगी तो मै खुद बुलाऊंगा... जहाज पर भीड़ देख कर ड्रैगन्स पागल हो जाते है... "


सेठ, सभी को अंदर भेजने लगा और जब सब अंदर चले गए तो उसने रॉन से पूछा


"तुम अकेलेइनसे निपट लोगे या मैं कुछ मदद करूं..."

" फिलहाल तो तुम्हारी भलाई इसी में है कि तुम भी इन्ही के साथ अंदर जाकर किसी कोने में अपना मुंह छुपा लो.. दी रॉन को किसी की जरूरत नहीं..."

" तुझे पता नहीं होगा पर तेरी जानकारी के लिए बता दूं, मैने हाल ही के महीनों मे सोमालियन लुटेरो से दो शिप को बचाया था ...."

"बधाई हो... पर अंदर जा..."

"अब देख मै इनका क्या हाल करता हूं.. सामने कोई भी हो."

" जब गीदड़ की मौत आती है तो वह शहर की तरफ भागता है और जब एक नेवी वाले की मौत आती है तो वह समुंदर की तरफ... खैर, जैसी तेरी मर्जी... " अपने अजीबोगरीब बंदूक के नीचे अलग से बने बॉक्स में गहरे नीले रंग का बारूद अपने भरते हुए रॉन बोला, जो अभी -अभी एक आदमी ने रॉन के कहने पर उसे बारूद की पोटली लाकर दी थी.


" यह कैसी अजीब बंदूक है...? और इसके नीचे ये बॉक्स...?? ये नीले रंग का बारूद...??? मेरे पास इससे बेहतरीन -बेहतरीन गन्स है, यदि तुम्हे चाहिए तो... इस तरह तो मैने कभी कुछ देखा नहीं "


"सामने देख.. सामने जो है उस तरह का भी तूने कभी नहीं देखा होगा... और जहाज की गति कम नहीं होनी चाहिए, किसी भी सूरत में.."



रॉन के कहने पर सेठ ने सामने छाते हुए घने कोहरे की तरफ नजर घुमाई.. जहां उसे उस घने कोहरे के बीच बाज से कई गुना विशाल ऊपर आसमान मे कुछ उड़ता हुआ, दिखाई दिया. सेठ की नजरें उस उड़ती हुई चीज पर जम गई, पहले तो उसे लगा कि कोई हेलीकाप्टर होगा.. लेकिन यदि कोई हेलीकाप्टर होता तो उसकी आवाज़ भी आनी चाहिए थे.. इसलिए सेठ ने उसे पंछी ही माना और जब थोड़ी देर बाद वो पंछी घने कोहरे से बाहर निकल कर जहाज की तरफ तेजी से आने लगा तो.. सेठ की सिट्टी पिट्टी गुम हो गई...


" हे भगवान, यह कौन सा प्राणी है.. "

" कुछ देर और रुक.. फिर सीधे भगवान से ही जाकर पूछ लेना कि ये कौन से प्राणी है... "अपने बंदूक की नली साफ करते हुए रॉन ने कहा और जल्दी -जल्दी बंदूक के ऊपरी हिस्से मे एक के बाद एक कई छर्रे डालने लगा


" रॉन मैंने पूछा.... ये विशाल जीव है क्या...."

"अबे... कान से अंधा है क्या.. सुनाई नहीं देता क्या तुम लोगो को... कबसे मै सबको बता रहा हूँ कि ड्रैगन्स का हमला होने वाला है..."

"पर ये तो...ये तो... किस्से कहानियों में होते हैं... ऐसे आग फेकने वाले खूंखार समुद्री दानव.."


" ये उससे भी खतरनाक है.. क्यूंकि यदि इन्हे भूख लगी होगी तो ये तुम्हे सेक कर सीक कबाब की तरह खाएंगे और यदि तेरे शरीर मे नमक कम हुआ तो सीक कबाब की तरह भुने हुए तेरे शरीर को समुन्दर मे डुबो डुबो कर खारा करके स्वाद लेंगे.... अपने आदमियों को इशारा कर दो कि मैं जिस तरफ कहूंगा उसी तरफ जहाज को मोड़े, यदि जिंदा रहना है तो... और तुम मेरे साथ आओ और जिनके जिनके पास बंदूकें हैं उनको भी ऊपर बुला लो. अब जब ड्रैगन्स ने हमला करने का सोच ही लिया है तो जहाज के अंदर छिपने का कोई फायदा नहीं... "



सेठ और रॉन जिस तरफ से एक विशाल ड्रैगन उड़ता आ रहा था, उस तरफ जहाज के बिल्कुल छोर मे खड़े थे... गहरे धुंध मे से एक ड्रैगन को बेलाडोना की ओर आता देख रॉन अपनी बन्दूक की नली साफ करने लगा...


" यह तुम्हारी बाबा आदम के जमाने की बंदूक चलती भी है..."

"ये चलती नहीं... जलती है.. ये ड्रैगन अपना रास्ता क्यों नहीं बदल रहा...? सामान्य तौर पर ये एक सीध मे कभी नहीं उड़ते... "



जब ड्रैगन ने अपना रास्ता नहीं बदला और जहाज के करीब आता ही गया... तब सेठ ने, बंदूक लेकर अपने आदमियों को ऊपर आने का आवाहान दिया . सभी जहाजी कांपते हुए बंदूक हाथ में लेकर जहाज से बाहर आए. सेठ ने एक बार फिर से सामने की तरफ देखा... शुरू में उसे लगा था कि सिर्फ एक ड्रैगन है, पर सबसे सामने वाले ड्रैगन के पीछे जब सैकड़ो की तादत मे उसने उन आसमानी दानवो को जो पँख फैलाये धीरे -धीरे घने कोहरे से निकलकर बेलाडोना की तरफ तेजी से हुंकार भरते हुए बढ़ रहे थे... सेठ की कपकपी छूट गई पर फिर भी उसने अपना साहस नहीं खोया और अपने आदमियों को जहाज में डेक के किनारे चारों तरफ फैल कर आते हुए ड्रैगन्स पर बन्दूक तानने के लिए कहा...


" अंदर से और आदमियों को बुलाओ... एक भी बन्दूक खाली नहीं रहनी चाहिए कम्बखतो.. जिनके पास बन्दूक नहीं है.. वो अग्निशामक यन्त्र लेकर आग बुझाने का काम करेंगे... हमारी पहली कोशिश यही रहेगी कि, इन समुद्री दानवो को जहाज से जितना हो सके उतना दूर रखना है, इसलिए जब तुम्हे लगे की तुम्हारे बन्दूक की गोलिया उन समुद्री दानवो तक पहुंच सकती है तो फायरिंग शुरू कर देना... तैयार...."सेठ चिल्लाया...


जिसके बाद कोई कुछ नही बोला... मजबूरन वो जहाज मे ऊपर तो आ गए थे, पर उन सबकी फटी पड़ी थी...


"अबे, मैने पूछा... तैयार...."

"Yes Captain ....."सब डरते हुई चिल्लाये


"बहुत अच्छे... और इंजन चैम्बर से कोई जाकर कोई मेरा ग्रेनेड लॉन्चर ले आओ... मरेंगे तो मरेंगे.. पर इन साले समुद्री दरिंदो को मार कर मरेंगे..."


वहा बन्दूक लेकर जहाज के हर कोने मे खड़े लोग इतने डरे हुए थे के, उन्होंने डर के कारण ड्रैगन्स को आता देख बहुत पहले ही फायरिंग शुरु कर दी... कुछ की गोलिया, ड्रैगन्स पर लगती... तो कुछ की गोलिया किस दिशा मे जा रही थी कुछ पता ही नही चल रहा था और जब सेठ को लगा की ड्रैगन्स उसके ग्रेनेड लॉन्चर के रेंज मे हैं तो उसने अपने कंधे मे ग्रेनेड लॉन्चर को रख कर ड्रैगन्स के समूह मे सबसे सामने वाले ड्रैगन को निशाना लगाकर पहला गोला दागा.. जो ड्रैगन को तो नहीं लगा क्यूंकि ड्रैगन उसे भाँप गया था और ऐन मौके पर बड़े आराम से वो ऊपर आकाश की ओर उड गया था, पर सेठ के उस गोले से बचने के चक्कर मे वो अपनी दिशा से भटक जरूर गया था. रॉन उन सबको ऐसा करते कुछ देर तक देखता रहा और फिर एकाएक जहाज के अंदर भाग गया...



"अबे.. ये... तो... भाग गया...? डरपोक साला... अभी तो बड़ी-बड़ी बाते कर रहा था.... "रॉन को जहाज के अंदर भागते देख सेठ कुछ देर के लिए रुका और फिर से ग्रेनेड लॉन्चर अपने कंधे पर रखा.....



चारो तरफ से ड्रैगन्स पर फायरिंग शुरू हो गई थी.. लेकिन बन्दूक की गोलियों का कुछ खास असर ड्रैगन्स पर नहीं हो रहा था... एक तो वो इधर उधर.. ऊपर नीचे होकर पहले ही गोलियों से बाच जाते और जो गोलिया उन्हें लगती भी... उसका ड्रैगन्स पर कुछ खास प्रभाव नहीं पड़ रहा था... वो बस थोड़ा सा स्लो हो जाते... जिस ड्रैगन पर अकेले 4-5 लोग मिलकर फायरिंग कर रहे थे.. बस उसी पर गोलियों का ज्यादा प्रभाव पड़ रहा था... इस दौरान सेठ ने ग्रेनेड लॉन्चर से एक और गोला दागा.. जो अबकी बार जाकर सीधे एक ड्रैगन के सर से टकराया और देखते ही देखते उस ड्रैगन का सिर मे विस्फोट हुआ और विस्फोट मे सिर फूट जाने के कारण वो ड्रैगन बिना सर के सीधे समुन्दर मे जा गिरा...


"शाबाश मेरे साथियो .. ऐसे ही लगे रहो, इन समुद्री कीड़ो को गुस्सा दिलाने मे कोई कसर मत छोड़ना... "अंदर से हाथ मे शराब की बोतल लिए रॉन बाहर आया....


.
Nich update bhai ji
Aasman main huyi halchal dekh kar hi Ron samjhe gaya ke unpe daregan ka hamla hone wala hai seth ki to puri tarh phat gayi sirf ek ko hi dekh kar jo piche hajaro daregan hai rubi to pahle hi waha se bhag gayi apni gand lekar

hhhhhhh sab ko josh dila kar ron khud bhag gaya magar seth ne achha nisana lagya jo ek ko maar giraya dekhte hai aage kya hota hai
 

Moon Light

Prime
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#8. Double Trigger

aasamaan ko megho ne dhak rakha tha aur mand -mand chal rahi sheetal samudri havao ne mausam suhaana kar diya tha. Belladona mein maujood sabhi log apne kamre se baahar jahaaj ke vishaal dek par aa gaye taaki vo is sunahare mausam ka aanand le sake. Naayar ko dhundhne ki Rubi aur Seth ki tamaam koshishe vifal rahi, unhe bhanak tak nahi lagee kee aakhir Naayar ke saath kya hua, kisne kiya...?? Rubina ne ye baat Naayar ke ghar vaalo ko abhi tak nahi bataaya tha. Naayar ke achaanak gaayab hone se kuchh logo ke andar dar to tha par vo is suhaane mausam ko.. kisi anajaan kaptaan ke kaaran jaaya nahi karna chaahate the, isliye jahaaj ke lagabhag sabhi log dek par sab taraf fail kar is mausam ka lutf le rahe the....


Belladona me kaam karne vaalo me se kayi videshi bhi thee, kuchh shuddh shareef to vahi kuchh shuddh bevade kism ke.. isliye unke haathon me deshi sharaab ki botal hona laazimi tha. Rubi , abhi ek sharabi se hi Naayar ke baare me baat kar rahi thi, jisne ye daava kiya tha ki Caiptan Naayar ko aakhiri baar usi ne belladona ki dek par jaate huye dekha tha... ki, tabhee Ron kee botal khalee ho gayi.. usne aas -paas dekha.. to Rubi jisase baat kar rahee thee, us aadamee ke haath me kaid sharaab se labaalab bharee botal par Ron kee nazar padee.. jise lene ke liye Ron usi taraf badha....


"tu aise, sharaab kee beizzati nahee kar sakata. ya to baat kar le ya phir sharaab pee lo... la botal mujhe de... " Ron ne uske haath se ekdam achaanak se botal chhina , jiske kaaran vo aadmi Ron ko gusse se ghoorane laga...


"aise kya dekh raha hai be .. vaapas nahin doonga."

" Ron please... apni ye vaahiyaat harkate band karo... " chidh kar Rubi bolee..


" tumne apni shakl aisi bana rakhi hai ya hakeekat mein tumhaaree shakl itti kharaab hai... " Rubi ke upar sharaab kee badaboodaar dakaar maarate huye Ron ne kaha....

"maza aa gaya... mast daru hai..."

"ye kya harakat hai... Ron... tumhaaree himmat kaise huyi, mujhapar............ tum had se jyaada badh rahe ho..."

"tum jao, mai ladakiyon se ladai nahi karta...."

Rubi , Ron kee is harakat ka kada javaab dena chahati thee... use yakeen nahi ho raha tha ki Ron, jahaaj ke sabhi logo ke saamne usse aisa bartaav karega, upar se vaha maujood log apna chehara chhipaaye, idhar -udhar dekh kar Rubi par hans bhi rahe the.. jisse Rubi aur jal-bhun gayi... usne apni hatheli Ron ko thappad maarne ke liye uthaya hee tha kee.... jis disha me belladona aage badha raha tha, usee or samundar me ek bhayankar aavaaz goonj uthee, jisne belladona me mauzood sabhee logo kee rooh tak ko jhakajhor kar rakh diya. sabakee najar us bhayankar goonj kee taraph apane aap hee chali gayi...


" Ron , yah aavaaj kaisi hai... " kaampate huye Rubi poochhee aur apna haath jo usane Ron ko maarane ke liye uthaaya tha, use neeche kar liya

"tum mujhe thappad maarane vaali thee kya...?"

" Ron, ye aavaaj kaisi thee..."

"shaayad tumhaari bakvaas sunakar, samundar bhee chillaane laga... Mahua daaru ka koyi javaab nahin,... Oooo.... par kadva hai "ek baar phir Rubi ke upar dakaar maar kar Ron ne kaha


" Ronnnn.... yah majaak karne ka time nahi hai .. itni bhayankar aavaaj aayi kahaan se.. ek pal ke liye laga jaise bhukamp aa gaya ho samundar me ..."


"ye usse bhi bura hai... " vaha se ladkhadate huye kadmo ke saath Ron jahaaj ke sabse saamne vale chhor ki or jaane laga aur vahaan aakhiri chhor par pahunchakar usne door samundar me uth rahi tej lahro ko gaur se dekhne laga aur bina peechhe mude samundar ki or hee dekhte huye Rubi se poochha...


" vaise, tumne kabhi dragons dekhe hai.. jaaneman...? " Ron muskuraaya


" nahin...?? phir vahi bakvaas... kya kah rahe ho... "

" nahin dekha..? no problam... phir aaj tumhaara lacky day hai.. aaj dekh lena dragons ko ... vo bhi live.." itana kahkar Ron turant jahaaj ke sabse saamne nukile vaale bhaag ke relling par dekhte hee dekhte kood kar chadh gaya aur hilte -dulte upar hee khada raha, jisse aas -paas maujood log is dar se kee kahee Ron neeche samundar me na gir jaye... uski or bhaage aur Ron kee taraf madad ke liye apne haath badhaaye. lekin Ron ne unhe mana kar diya aur dek par maujood sabhi logo ka dhyaan taali bajaakar apni or aakarshit karte huye bola.


"sab andar ghus jao re aur jaan ki salamati chaahiye to jab tak baahar aane ke liye na kahu... koi baahar mat aana. varna pele jaoge aur koi jaakar mera double trigger vaala bandook lekar aao..... par mujhe yaad nahin hai ki maine apni bandook rakhi kaha hai, bas itana yaad hai ki kal raat us angrejan ko mai bandook se karatab dikha raha tha..." Ron ke itana bolte hee, vahaan maujood sabhee log jahaaj ke andar bhaage..

samandar mein door eka ek vishaal dhaaraye uthne lagee thee... vo dhaaraye it ni vishaal, teevr aur shaktishali thee kee belladona jaise itne bade jahaaj tak ko hila de rahee thee. jahaaj jis disha mein aage badh raha tha.. vahaan dheere -dheere saamne kohara chhaane laga... kuchh bhi sa f dikhayi nahin de raha tha...

"to mera shak sahi tha. sadiyon baad ye fir se baahar aane lage hai, fir to vo bhee aayega.... bahut jald hee.."

" Ron..ye kya hai... koi khatara to nahin...?? " Rubi chillaakar Ron se poochhee, jo rellings ke upar bina kisi bhay ke khada sharaab pee raha tha...

"koi khatara to nahin...?? andhi hai kya be. ek to ye saale abhi se peechhe pad gaye.. mainne socha tha ki Paillora island jab tak paar nahin ho jaata tab tak to shaant rahenge, usi anusaar meri yojna bhee thee... par..."

"Ron kya soch rahe ho..? kya bol rahe ho..? yah samundar ne itna vikraal roop achaanak se kaise le liya..? jabki weather report me aisa kuchh bhee nahin tha......"

"jaaneman, tum andar jao na... are koi mera bandook laaya kya..? "


Ron ka itna kahna hee tha ki jahaaj mein kaam karne vaala ek aadmi bhaagate huye Ron ke paas aaya aur ek bhari bharakam, 7 ft. lambi bandook jise vah apne donon haathon se badi mushkil se utha pa raha tha, usne vah bandook Ron kee or badhaaya, jise Ron ne dek par vaapas koodakar us bhaaree bandook ko turant apne ek haath se aasaani se utha liya, jiske baad vahaan maujood sabhee log ron ke us bandook ko dekhane lage...

" najar lagaoge kya, meri bandook par.. sabhi andar jao ya phir yahaan ruk kar marne ka intjaar karo... kaptaan seth, phat gayi kya...?? apni kaptani dikhao aur sab ko andar karo.. baad me jab jaroorat hogee to mai khud bulaunga... jahaaj par bheed dekh kar dragons paagal ho jaate hai... "

seth, sabhee ko andar bhejane laga aur jab sab andar chale gae to usne Ron se poochha

"tum akele inse nipat loge ya main kuchh madad karun..."

" philhaal to tumhaari bhalayi isi mein hai ki tum bhi inhi ke saath andar jaakar kisi kone mein apna munh chhupa lo.. The Ron ko kisi ki jaroorat nahin..."


" tujhe pata nahin hoga par teri jaankaari ke liye bata du, maine haal hee ke maheenon me somaliyan lutero se do ship ko bachaaya tha ...."

"badhai ho... par andar ja..."


"ab dekh mai inka kya haal karta hoon.. saamne koi bhee ho."


" jab geedad kee maut aati hai to vah shahar kee taraf bhaagata hai aur jab ek Navi vaale kee maut aati hai to vah samundar kee taraph... khair, jaisi teri marji... "

apne ajeebogareeb bandook ke neeche alag se bane box mein gahre neele rang ka baarood bharte huye Ron bola, jo abhee -abhee ek aadami ne Ron ke kahane par use baarood kee potli laakar dee thee.


" yah kaisi ajeeb bandook hai...? aur iske neeche ye boxs...?? ye neele rang ka baarood...??? mere paas isse behatareen -behatareen guns hai, yadi tumhe chaahiye to... is tarah to maine kabhi kuchh dekha nahin "


"saamane dekh.. saamane jo hai us tarah ka bhi toone kabhee nahin dekha hoga... aur jahaaj kee gati kam nahi honi chaahiye, kisi bhee soorat mein.."

ron ke kahane par seth ne saamane chhaate huye ghane kohare kee taraph najar ghumaee.. jahaan use us ghane kohare ke beech baaj se kaee guna vishaal upar aasamaan me kuchh udta hua, dikhai diya. seth kee najaren us udti hui cheej par jam gai, pahle to use laga ki koi helicoptar hoga.. lekin yadi koi helicoptar hota to uski aavaaz bhee aanee chaahiye the.. isaliye seth ne use panchhee hee maana aur jab thodee der baad vo panchhee ghane kohare se baahar nikal kar jahaaj kee taraph teji se aane laga to.. seth kee sitti pitti gum ho gayi...


" he bhagavaan, yah kaun sa prani hai.. "


" kuchh der aur ruk.. phir seedhe bhagavaan se hee jaakar poochh lena ki ye kaun se prani hai...
"apane bandook ki nali saaph karte huye Ron ne kaha aur jaldi -jaldi bandook ke Upari hisse me ek ke baad ek kayi chharre daalane laga


" ron mainne poochha.... ye vishaal jeev hai kya....

"abe... kaan se andha hai kya.. sunai nahin deta kya tum logo ko... kabse mai sabako bata raha hoon ki dragons ka hamla hone vaala hai..."


"par ye to...ye to... kisse kahaaniyon mein hote hain... aise aag phekane vaale khoonkhaar samudree daanav.."


" ye usse bhee khataranaak hai.. kyoonki yadi inhe bhookh lagee hogee to ye tumhe sek kar seek kabaab kee tarah khayenge aur yadi tere shareer me namak kam hua to seek kabaab kee tarah bhune hue tere shareer ko samundar me dubo dubo kar khaara karke svad lenge.... apane aadamiyon ko ishaara kar do ki main jis taraph kahunga usi taraph jahaaj ko mode, yadi jinda rahana hai to... aur tum mere saath aao aur jinake jinake paas bandooken hain unko bhi upar bula lo. ab jab dragons ne hamala karane ka soch hee liya hai to jahaaj ke andar chhipane ka koi phaayada nahin... "


seth aur ron jis taraph se ek vishaal draigan udta aa raha tha, us taraph jahaaj ke bilkul chhor me khade the... gahre dhundh me se ek draigan ko belladona ki or aata dekh Ron apani bandook kee nali saaph karne laga...


" yah tumhaari baaba aadam ke jamaane kee bandook chalatee bhee hai..."


"ye chalatee nahin... jalati hai.. ye draigan apana raasta kyon nahin badal raha...? saamaanya taur par ye ek seedh me kabhee nahin udate... "
jab draigan ne apana raasta nahin badala aur jahaaj ke kareeb aata hee gaya... tab seth ne, bandook lekar apane aadamiyon ko upar aane ka aavaahaan diya . sabhee jahaajee kaampate huye bandook haath mein lekar jahaaj se baahar aaye. seth ne ek baar phir se saamane kee taraph dekha... shuru mein use laga tha ki sirph ek draigan hai, par sabse saamane vaale draigan ke peechhe jab saikdo kee taadat me usne un aasamaanee daanvo ko jo pankh phailaaye dheere -dheere ghane kohare se nikalakar belladona kee taraph teji se hunkaar bharate huye badh rahe the... seth kee kapakapee chhoot gayi par phir bhi usne apana saahas nahin khoya aur apane aadamiyon ko jahaaj mein dek ke kinaare chaaron taraph phail kar aate huye draigans par bandook taanane ke liye kaha...


" andar se aur aadamiyon ko bulao... ek bhee bandook khaalee nahin rahanee chaahie kambakhato.. jinake paas bandook nahin hai.. vo agnishaamak yantr lekar aag bujhaane ka kaam karenge... hamaaree pahalee koshish yahee rahegee ki, in samudree daanavo ko jahaaj se jitana ho sake utana door rakhana hai, isalie jab tumhe lage kee tumhaare bandook kee goliya un samudree daanavo tak pahunch sakatee hai to firing shuroo kar dena... taiyaar...."

seth chillaaya... jisake baad koi kuchh nahee bola... majabooran vo jahaaj me ular to aa gaye the, par un sabakee phatee padee thee...


"abe, maine poochha... taiyaar...."


"yes Captain ....." sab darate huye chillaaye

"bahut achchhe... aur engine chaambar se koi jaakar koi mera grened lonchar le aao... marenge to marenge.. par in saale samudree darindo ko maar kar marenge..."

vaha bandook lekar jahaaj ke har kone me khade log itane dare huye the ke, unhonne dar ke kaaran dragons ko aata dekh bahut pahle hee firing shuru kar dee... kuchh kee goliya, dragons par lagatee... to kuchh kee goliya kis disha me ja rahee thee kuchh pata hee nahee chal raha tha aur jab seth ko laga kee dragons uske grened lonchar ke renge me hain to usane apane kandhe me grened lonchar ko rakh kar dragons ke samooh me sabase saamane vaale draigan ko nishaana lagaakar pahala gola daaga.. jo draigan
ko to nahin laga kyoonki dragon use bhaanp gaya tha aur ain mauke par bade aaraam se vo upar aakaash ki or ud gaya tha, par seth ke us gole se bachane ke chakkar me vo apni disha se bhatak jaroor gaya tha. Ron un sabako aisa karate kuchh der tak dekhata raha aur phir ekaek jahaaj ke andar bhaag gaya...


"abe.. ye... to... bhaag gaya...? darapok saala... abhi to badee-badee baate kar raha tha.... "Ron ko jahaaj ke andar bhaagate dekh seth kuchh der ke liye ruka aur phir se grened lonchar apne kandhe par rakha..... chaaro taraph se dragons par firing shuru ho gayi thee.. lekin bandook kee goliyon ka kuchh khaas asar dragons par nahin ho raha tha... ek to vo idhar udhar.. upar neeche hokar pahale hee goliyon se baach jaate aur jo goliya unhen lagti bhee... usaka dragons par kuchh khaas prabhaav nahin pad raha tha... vo bas thoda sa slow ho jaate... jis dragon par akele 4-5 log milakar firing kar rahe the.. bas usi par goliyon ka jyaada prabhaav pad raha tha... is dauraan seth ne grened lonchar se ek aur gola daaga.. jo abki baar jaakar seedhe ek draigan ke sar se takaraaya aur dekhte hee dekhate us dragon ka sir me visphot hua aur visphot me sir phoot jaane ke kaaran vo dragon bina sar ke seedhe samundar me ja gira...


"shaabaash mere saathiyo .. aise hee lage raho, in samudri keedo ko gussa dilaane me koi kasar mat chhodana... " andar se haath me sharaab kee botal liye Ron baahar aaya....
 

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Ron aabhi bhi mystery bana huya hai. Jab dragon ki dahad sunai or ron bahar aaya aayaa laga ki ye banda aaj cher phad karega or sare dragons ki pungi bajayega . Or ek kamal ka bhasan bhi de dia or style sai apne banduk ko saaf kar karne laga . Hmm 🤔 tab usko yaad aaya sarab ki botal toh piche rahe gaya , aakhir wo bhi jarurri hai , or ise beech ek kamal ki fight ki bhi suruwat ho gaye. Wah wah bahut he khubsurat dhang se likhi huye update the . Superb:perfect:
 

mashish

BHARAT
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#7. The Cursed ~ शापित





रॉन ने उस अंग्रेजन के नितम्बो पर थपकी देकर उसे वहाँ से जाने के लिए कहा और जब वो बिस्तर पर खड़े होकर कपडे पहनने लगी तो बाहर अपने छातियों और योनि को कपडे के बाहर से ही मसल रही रूबी को जैसे होश आया और वो तुरंत खड़ी होकर वहां से अपने रूम के लिए चल दी.... पर वो अपने रूम तक नहीं गई बल्कि वहाँ से सिर्फ थोड़ी दूर तक आई थी, उसने थोड़ी देर पहले जो देखा था... उसकी वजह से उसकी आँखों से अब नींद गायब थी. इसी बीच रॉन के कमरे का दरवाजा खुला और वो अंग्रेजन बाहर निकली... रूबी ने पीछे पलटकर उसको लंगड़ा -लंगड़ा कर जाते हुए देखा. अब क्योंकि रूबी की आंखों से नींद कोसों दूर थी और उसके मन मे कुछ सवाल भी थे... इसलिए उसने अपने रूम जाने का विचार त्यागा और वापस रॉन के रूम की तरफ चल दी ... इस बार रॉन के रूम का दरवाजा आधा खुला हुआ था. रूबी ने आधे खुले हुए दरवाजे पर हाथ रखकर अंदर झांका तो रॉन बिस्तर पर अपने दोनों पैर झूलाये , अपना सिर ऊपर किये, उंगलियों से ऊपर कुछ इशारा करते हुए बड़बड़ा रहा था...



"वो क्या है, उस आइलैंड के बीचो -बीच एक तहखाना है... जहा इतनी सारी लाशें रखी हुई है और उन्ही लाशों के बीच...."


" क्या सोच रहे है आप, रॉन? सॉरी... दी रॉन... " कमरे के अंदर आते हुए रूबी मुस्कुरा कर बोली


" रूबी तुमममम.... तुममम ... यहां.... यहाँ क्या कर रही हो.. वो भी इस वक़्त..? कही तुम वो सब करने तो नहीं आयी... मै तैयार हूँ... चलो हो जाए.. बहुत मजा आएगा..."


" बस नींद नहीं आ रही थी तो सोचा क्यों ना तुम्हारी बकवास बातें सुन लिया जाए..."रॉन के बिस्तर की तरफ बढ़ते हुए रूबी बोली


" अच्छा ख्याल है, मुझे भी जब नींद नहीं आती तो... मैं भी खुद से बाते करने लगता हूं... फिर बडी मस्त नींद आती है... याह्ह्ह्हह्ह...."अंडरटेकर के माफिक़ अचानक बिस्तर पर बैठते हुए रॉन बोला... जिससे रूबी डरकर थोड़ा दूर छिटक गई और रॉन, रूबी पर हँसने लगा...


"वैसे मैं तुमसे कुछ पूछ सकता हूं..."बिस्तर से नीचे उतरते हुए रॉन ने रूबी से पूछा


" बिल्कुल भी नहीं... मेरा मतलब ... बिल्कुल... बिल्कुल... क्यों नहीं"


" तुमने इस जहाज का नाम बेलाडोना (Belladonna ) क्यों रखा है..."


" क्यों तुम्हें नाम पसंद नहीं आया...?"


" ऐसा ही समझ लो..."


"ठीक है, तो फिर यदि तुम्हे मौका दिया जाता तो तुम इस जहाज का क्या नाम रखते...?"


"मै इसका नाम कुछ खुंखार टाइप रखता ...जैसे... मुर्दो का जहाज या फिर The Spiritual Ship.... वैसे दोनों एक ही जहाज के नाम है..... "


" बेलाडोना का मतलब समझते हो..?"


" नहीं.. शायद तुम्हारी किसी महिला मित्र का नाम होगा, जिसके साथ तुम्हारे समलैंगिक संबंध होंगे.. कही तुम्हारी सेक्रेटरी का नाम तो बेलाडोना नहीं... आखिरी बार मेरे पीछे ही पड़ गई थी वो "


" मतलब कुछ भी...? बेलाडोना का मतलब है एक मरी हुई खूबसूरत लड़की... जो अंधेरे समंदर में अपनी रूहानी ताकत से तैरते हुए बड़े से बड़े जहाज को डूबा दे... और उस भयंकर तरीके से डूबाये की एक भी इंसान जिंदा ना बचे.. ये मतलब है बेलाडोना का... Atleast, मेरी नजर मे तो यही है "


" कहीं वह मरी हुई खूबसूरत लड़की तुम तो नहीं..."


"वो छोडो और ये बताओ कि तुमने जहाज को किस दिशा में मोड़ना है, बिना किसी नक़्शे के कैसे बता दिया आज...?"


" बताया तो था कि मैं पहले भी उस डेविल्स ट्रायंगल में जा चुका हूं...."


"मछली मारने...?? है ना....?? कभी तो सच बता दिया करो.."


" जानेमन, मैं हमेशा सच ही बोलता हूं.... अब लोग ही इतने झूठे है की उन्हें सच सुनने की आदत नहीं है तो इसमें मै क्या कर सकता हूँ.. "


*********
*********


" ना रे, लवडे.... हम 2 दिनों से चले जा रहे हैं, चले जा रहे हैं.. लेकिन जमीन का कोई नामोनिशान तक नहीं, एक बार जब दो पहाड़ियों के बीच से निकाला तो लगा की... बस पहुंच गये और मैं प्लेन मे बैठकर कोलकाता के लिए सीधे निकल लूंगा... पर लवड़ा लगता है, यही मरना पड़ेगा. तुझे रास्ता मालूम भी है या यूं ही मुझे घुमा रहा है... " आदित्य ने कश्ती में बैठे हुए, राज से चिल्लाकर कहा....


"लवड़ा मतलब...??"


"लवड़ा मतलब.. दोस्त... अब बता ,कितना टाइम लगींगा "



कई दिनों पहले वो उस छोटे से नाव मे उस आइलैंड से चले थे, जहा आदित्य ड्रैगन्स के हमले के बाद बहते हुए पंहुचा था... जो खाने -पीने के लिए राज ने समान रखा था, वो भी अब खत्म हो चुका था और अब भूख के मारे उसकी जान जा रही थी और उसे लगने लगा था की... ऐसे भूखे मरने से अच्छा वो ड्रैगन्स के मुँह का निवाला बन जाता तो ज्यादा बेहतर रहता.... वहाँ कम से कम कुछ देर ही उसे तड़पना पड़ता.. लेकिन यहाँ.. राज के साथ.... वो पिछले दो दिनों से भूखा था और ना जाने आगे कब तक उसे ऐसे ही भूखे प्यासे रहना था...


" ऐसे बेहूदा सवाल करने और मुझपर चिल्लाने की बजाय यदि पतवार चलाने में ध्यान दिया होता, तो अब तक हम पहुंच गए होते... कब तक मैं अकेले पतवार चलाऊ... अब तुम्हारी बारी..."


" पतवार.... पतवार... पतवार... बोर हो चुका हूं मैं इस मूत भरे पानी मे पतवार चला चला कर... साला जिधर देखो पानी.. पानी... पानी.... वह भी खारा... दरअसल ये पानी नहीं है बल्कि समुन्दर चुदने के बाद orgasm के रूप मे जो लिक्विड निकालती है ना.. वो चूत पानी है ये सब..... चोदरी कही की. बोर हो गया मैं... यहाँ "


" फिर तो तुम्हें मार्टिन के मुर्दे आईलैंड में भेज देना चाहिए, वहां जमीन में दफन मुर्दे तुम्हारा अच्छा टाइम पास करेंगे..."


" मुर्दा आईलैंड..? यह इंटरेस्टिंग टॉपिक लगता है.. इसके बारे में और बता तो . कुछ तो इस वीरान समंदर में टाइम पास होगा और भूख से ध्यान हटेगा.. "


"मुझे ज्यादा कुछ तो नहीं मालूम बस इतना सुना है कि.. कई साल पहले उस मुर्दे आईलैंड यानी डेथ आईलैंड~Death Island मे कई आदमियों को जिंदा दफनाया गया था.. साथ में समुंदर की शान कहे जाने वाले.. The Spiritual Ship~ मुर्दो के जहाज को भी. उसका जगह का प्राचीन नाम ड्रैगन्स आइलैंड था.. जो कलांतर मे D -Land और फिर अंततः Death आइलैंड कहलाने लगा ...."


" यह कौन सा जहाज है..? द स्पिरिचुअल शिप ..? साले, बीच समुन्दर मे मुझे बेकूफ़ बना रहा है तू और पहले तो इस आइलैंड और इस जहाज के बारे में कभी नहीं सुना..."


"कहा जाता है कि जब यह जहाज समुंदर में चलता था तो इसकी रक्षा.. समुंदर में मरे हुए लोगों की रूहे करती थी, उसे कोई नहीं डूबा सकता था "


"हा हा हा.. फिर डूबा कैसे... क्या बकवास है.. दे ताली.. " आदित्य ने अपना हाथ राज की तरफ किया, जिसके बाद राज ने भी ताली देने के लिए अपना हाथ उठाया...


"अबे हट... इतना चोमू समझा हूँ क्या मुझे ... कि मुझे तू कुछ भी बोलेगा और कैप्टन आदि उसे सच मान लेगा..."ऐन मौके पर अपना हाथ हटाते हुए आदित्य भड़क उठा, जिससे राज ने जो हाथ ताली देने के लिए उठाया था वो नीचे सीधे नाव से टकराया.... राज को गुस्सा तो आया पर उसने इसे जाहिर नहीं किया


" कुछ लोग इसे सच मानते हैं, तुम्हारा मानना या ना मानना... कोई फर्क नहीं पड़ता..." बोलते -बोलते राज अचानक से रुका, उसके चेहरे का रंग बदलने लगा. Literally.



ये उसके साथ पिछले कुछ महीनों से हो रहा था, जब उसके पुरे शरीर मे वक़्त -बेवक़्त अचानक ही जोरो की जलन शुरू हो जाती थी, मानो उसके शरीर को कोई प्रचंड अग्नि मे जला रहा हो या फिर... कोई गर्म लोहे का सरिया उसके पुरे शरीर मे रगड़ रहा हो.. उसके कबीले के लोग इसे कोई दैवीय श्राप मानने लगे थे, लेकिन साथ ही साथ इस श्राप से लड़ने का तरीका भी उन्होंने बहुत जल्द ढूंढ लिया था. जिससे राज को बहुत देर तक ये पीड़ा सहन नहीं करनी पडती थी.


"तुझे अचानक से क्या हुआ,.. चुतियो जैसी शक्ल क्यों बना ली.. कुछ गड़बड़ है क्या..?"राज जब बोलते हुए अचानक रुका तो आदित्य ने कहा "कही तेरा पेट तो ख़राब नहीं है और तूने अपने कपडे मे ही... कर दिया हो...?? छी... आकककक.. थू..."


" नहीं..... सबबबबब....ठीक है.. अब.... तुम पतवार चलाओ.". कहते हुए राज ने पतवार आदित्य की ओर फेक कर.. नाव मे पीछे होकर अपनी पीठ रगड़ कर जलन को कम करने की कोशिश करने लगा


" बोल ना क्या प्रॉब्लम है.. तेरा चेहरा अचानक से लाल क्यों हो गया.. सच सच बता.. तूने अपना पैंट गन्दा कर दिया ना.. देख सच बता दे.. शरमा मत, मैं भी कल रात सोते सोते पैंट मे मूत दिया था "


जिसके जवाब में कुछ ना बोलकर राज चुप चाप झटके से खड़ा हुआ और अपने कमर के ऊपर के पूरे कपड़े उतार कर कश्ती में एक ओर फेका और वही किनारे पर रखी एक बोतल आदित्य को देते हुए बोला....


" जब मेरी शरीर से आग की लपटे निकलने लगेंगी तो इसमें जो भी है, मेरे शरीर पर बने हुए निशान पर डाल देना..."


" बोतल में दारू है क्या.. पहले बताना था... और क्या बोला तूने आंड.. आग...?? कैसी आग...?"बोतल सूंघते हुए आदित्य ने पूछा



राज ने अपनी पीठ आदित्य की तरफ की और आदित्य की तरफ पीठ करते ही उसके पीठ और सीने मे बने अजीब तरह के निशान अचानक से जल उठे, राज के शरीर के कई भाग से आग की लपटे निकलने लगी... नाव मे नीचे घुटनो के बल गिरकर नाव को हाथो से जोर -जोर पीटते हुए राज दर्द से चिल्लाने लगा और इधर आदित्य यही सोच रहा था कि इस बोतल में दारू है या कुछ और है..


"यययएई.... जल्दी..... बोतल में जो भी है.. उड़ेल दो मेरी उपर.."


तब आदित्य का ध्यान वापस जलते हुए राज पर गया और उसने तुरंत पूरी बोतल राज के ऊपर एक बार मे उड़ेल दी. राज के कबीले द्वारा तैयार किये गये उस द्रव पदार्थ के राज के शरीर मे पड़ने से तुरंत राज नार्मल होने लगा और उसके शरीर मे धधक रही अग्नि धीरे -धीरे शांत होने लगी. लेकिन राज नाव मे एक किनारे लेटा , दर्द से कराहता रहा..... अंततः बोतल मे जो कुछ भी था.. उससे राज को जब पूरी तरह आराम मिला तो वो लम्बी -लम्बी साँसे भरते हुए नाव के सहारे अपना शरीर टिका कर बैठा



" यह क्या था बे.... "आदित्य को अभी तक ये हजम नहीं हो रहा था की अभी थोड़ी देर पहले जो हुआ.. वो क्यों हुआ, कैसे हुआ और किसलिए हुआ...


"मै ठीक हूँ..."


"साला, जबसे उन मनहूस ड्रैगंस को देखा है तब से ऐसी अजीब अजीब चीजें देखने को मिल रही है.. पहले आग उगलने वाले जहाज के बराबर पंछियो को देखा तो अब आग उगलने वाले एक इंसान को... आग से नफरत हो गई है मुझे. मै भी अब चाइनीजो की तरह बिना आग मे पकाये कच्चा मांस खाऊंगा... होने दो कोरोना "


" अब सब ठीक है..."


" यार, तेरा अलग ही फंडा है..? एक तो तू बचपन में अचानक से उस वीरान आईलैंड में पहुंच गया जहां तूने अपना पूरा जीवन बिताया और अब बिना किसी डर और मतलब के तू इस भयंकर समुंदर में मुझे लेकर आ गया और ऊपर से तेरे यह जलते हुए टैटू ... वैसे तेरे वो टैटू बड़े अजीब थे और डरावने भी... कहा से बनवाया...? मै भी सोच रहा हूँ कि यहाँ से यदि जिन्दा बच गया तो टैटू बनवाऊंगा... मेरी कोलकाता वाली रंडी को बहुत पसंद है टैटू..."


" जब मैं पैदा हुआ तब से यह निशान मेरे शरीर पर हैं.. और इसी निशान के चलते एक दिन कुछ लोग आए और मुझे, मेरी मां के साथ अधमरा करके समुंदर के किनारे फेंक दिया, जहा समुंदर ने हम दोनों को निगल लिया.. मेरी किस्मत अच्छी थी, लेकिन मेरी माँ... उनका कुछ पता नहीं चला. कभी -कभी रात मे तारो को देखते हुए सोचता हूँ उनके बारे मे.. उनकी शक्ल तक मुझे अब याद नहीं.. लेकिन उनका साया आज भी मैं महसूस कर सकता हूँ.. यदि वो जिन्दा रहती तो अवश्य ही मुझे मेरे श्राप के बारे मे कुछ बता सकती थी. पर अब... शायद ही मैं उनसे कभी मिल पाऊं... समुन्दर की देवी उस दिन मुझपर मेहरबान थी, जो उसने मुझे बक्श दिया... "


"वैसे यदि तेरे सीने और.... और..... पीठ के तरफ के निशान को मिलाया जाये.... तो....."गर्दन इधर -उधर करके राज के शरीर मे बने निशान को देखते हुए आदित्य ने कहा " तो... तो... ये सर्किल के अंदर एक फाइव पॉइंटेड स्टार का सिंबल बनाते है.... जिसका मतलब... किसी तरह का सुरक्षा कवच होता है शायद, यदि मैं सही हूँ तो "


"पता नहीं.. शायद इस निशान ने बचपन मे मुझे बचा लिया... ताकि जिंदगी भर मुझे तड़पता हुआ देख सके... तभी से मैं अक्सर समंदर में बहकर आए हुए लोगों की मदद करता हूं... परिस्थितियां चाहे कैसी भी हो, समुंदर उफान पर हो या फिर शांत हो, मैंने आज तक अपनी निगरानी में किसी को मरने नहीं दिया... और इसीलिए कुछ लोग जिनकी मैंने जान बचाई, वो मुझे समुन्दर का शिकारी भी कहते है ..."



"तेरी उस समुन्दर की देवी.. जिसकी बात तू कर रहा था... उसको तूने देखा है क्या..."चहकते हुए आदित्य ने पूछा
"नहीं... क्यों..?"


"वो चोदने को देगी...क्या...?? मिलेगी तो पूछ के बताना... बोल देना लौंडा कैप्टन है और फटत ले हैंडसम भी है... चोदता भी बहुत देर तक है, दो -दो बार तो मैं चूत चूसते हुए लड़कियों को झड़वा देता हूँ..."


"तुम इतनी गन्दी बात.. समुन्दर की देवी के बारे मे कैसी कर सकते हो..."


"क्यों.... उसके पास चूत नहीं है क्या..?? किसी ना किसी से तो चुदती ही होगी, तो मुझसे भी चोदवा ले..."


"यदि समुन्दर की देवी अपने पे आ गई ना तो... "


"लवड़ा... एक बार बुला तो.. पहले.. वैसे उसका नाम क्या है समुन्दर की देवी का..."


"शायद... लीना... एक प्राचीन सल्तनत थी समुन्दर मे. उसी काल मे कुछ लोग लीना नाम की जादूगरनी को समुन्दर की देवी कहते थे... कुछ तो ये भी कहते है कि.. उसी ने सम्राट मार्टिन के विशाल सल्तनत को बर्बाद किया था... "


"किस नस्ल की थी...??"


"मतलब... मैं समझा नहीं..."


"मतलब... नस्ल से पता चल जायेगा ना की.. उसकी चूत काली थी या गोरी... गोरी चूत चाटने का मजा ही अलग है.. Bf मे नहीं देखा तू...?? कितना मस्त चूत चाटते है वो लोग... BF... ऐसे क्या सोच रहा है... BF नहीं देखा क्या आज तक...?? वैसे तुझे जरूरत भी क्या.. तेरे इधर तो वैसे भी आधी नंगी औरते रहती है.. लोग-बाग़ जान -बुचकर टकराते होंगे, महिलाओ से... Anytime, उनका लंड खड़ा रहता होगा... मैं यदि तेरे आइलैंड मे रहता ना... तो रोज दिन मे 10 बार मुट्ठ मारता और उन्ही की चूचियों पर गिराता..."


"मेरे लोगो के बारे मे एक शब्द और गलत कहा तो... नीचे फेक दूंगा..."


" तू तो बुर मान गया... क्या शिकारी बनेगा."नाव पर खड़े होकर दूर समुन्दर की ओर देखते हुए आदित्य, किसी मंजिल की तलाश करने लगा... जहा से वो वापस कोलकाता जा सके.



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awesome update
 

DARK WOLFKING

Supreme
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romanchak update ..rubi ko kuch jyada hi gussa dila raha hai ron uske mooh par dakar maarkar ..
ron ki baato par kisiko yakeen hi nahi ho raha tha par jab saamne dikh gaye dragon to sabki hawa gul ho gayi 🤣🤣..
ron ne bahut josh me apni banduk mangwayi aur baadme ander bhag gaya 🤣..
waise seth bhi diler kaptan hai jo dragon se darr gaya tha par ladhna nahi chhoda 😍..
par ye samajh nahi aaya ki dragon hamla kyu kar rahe hai har jahaj par ..
 

mashish

BHARAT
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#8. Double Trigger ~ डबल ट्रिगर
आसमान को मेघो ने ढक रखा था और मंद -मंद चल रही शीतल समुद्री हवाओं ने मौसम सुहाना कर दिया था. बेलाडोना में मौजूद सभी लोग अपने कमरे से बाहर जहाज के विशाल डेक पर आ गए ताकि वो इस सुनहरे मौसम का आनंद ले सके. नायर को ढूंढने की रूबी और सेठ की तमाम कोशिशें विफल रही, उन्हें भनक तक नहीं लगी की आखिर नायर के साथ क्या हुआ, किसने किया...?? रुबीना ने ये बात नायर के घर वालो को अभी तक नहीं बताया था. नायर के अचानक गायब होने से कुछ लोगो के अंदर डर तो था पर वो इस सुहाने मौसम को.. किसी अनजान कप्तान के कारण जाया नही करना चाहते थे, इसलिए जहाज के लगभग सभी लोग डेक पर सब तरफ फैल कर इस मौसम का लुत्फ़ ले रहे थे....



बेलाडोना मे काम करने वालो मे से कई विदेशी भी थी, कुछ शुद्ध शरीफ तो वही कुछ शुद्ध बेवड़े किस्म के.. इसलिए उनके हाथों मे देशी शराब की बोतल होना लाज़िमी था. रूबी , अभी एक शराबी से ही नायर के बारे मे बात कर रही थी, जिसने ये दावा किया था कि कैप्टन नायर को आखिरी बार उसी ने बेलाडोना की डेक पर जाते हुए देखा था... कि, तभी रॉन की बोतल खाली हो गई.. उसने आस -पास देखा.. तो रूबी जिससे बात कर रही थी, उस आदमी के हाथ मे कैद शराब से लबालब भरी बोतल पर रॉन की नज़र पड़ी.. जिसे लेने के लिए रॉन उसी तरफ बढ़ा....
"तू ऐसे, शराब की बेइज़्ज़ती नही कर सकता. या तो बात कर ले या फिर शराब पी लो... ला बोतल मुझे दे... " रॉन ने उसके हाथ से एकदम अचानक से बोतल छिना , जिसके कारण वो आदमी रॉन को गुस्से से घूरने लगा...


"ऐसे क्या देख रहा है बे .. वापस नहीं दूंगा."

" रॉन प्लीज... अपनी ये वाहियात हरकतें बंद करो... "चिढ कर रूबी बोली..

" तुमने अपनी शक्ल ऐसी बना रखी है या हकीकत में तुम्हारी शक्ल इत्ती ख़राब है... "रूबी के ऊपर शराब की बदबूदार डकार मारते हुए रॉन ने कहा.... "मज़ा आ गया... मस्त दारू है..."


"ये क्या हरकत है...रॉन... तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई, मुझपर............ तुम हद से ज्यादा बढ़ रहे हो..."


"तुम जाओ, मै लड़कियों से लड़ाई नही करता...."
.


रूबी , रॉन की इस हरकत का कड़ा जवाब देना चाहती थी... उसे यकीन नही हो रहा था की रॉन, जहाज के सभी लोगो के सामने उससे ऐसा बर्ताव करेगा, ऊपर से वहा मौजूद लोग अपना चेहरा छिपाये, इधर -उधर देख कर रूबी पर हँस भी रहे थे.. जिससे रूबी और जल-भुन गई... उसने अपनी हथेली रॉन को थप्पड़ मारने के लिए उठाया ही था की.... जिस दिशा मे बेलाडोना आगे बढ़ा रहा था, उसी ओर समुन्दर मे एक भयंकर आवाज़ गूंज उठी, जिसने बेलाडोना मे मौज़ूद सभी लोगो की रूह तक को झकझोर कर रख दिया. सबकी नजर उस भयंकर गूँज की तरफ अपने आप ही चली गई...


" रॉन , यह आवाज कैसी है... "कांपते हुए रूबी पूछी और अपना हाथ जो उसने रॉन को मारने के लिए उठाया था, उसे नीचे कर लिया

"तुम मुझे थप्पड़ मारने वाली थी क्या...?"

" रॉन, ये आवाज कैसी थी..."

"शायद तुम्हारी बकवास सुनकर, समुंदर भी चिल्लाने लगा... महुआ दारू का कोई जवाब नहीं,... Oooo.... पर कड़वा है "एक बार फिर रूबी के ऊपर डकार मार कर रॉन ने कहा


" रोनननन.... यह मजाक करने का टाइम नहीं है .. इतनी भयंकर आवाज आई कहां से.. एक पल के लिए लगा जैसे भूकंप आ गया हो समुन्दर मे ..."


"ये उससे भी बुरा है... " वहा से लड़खड़ाते हुए कदमो के साथ रॉन जहाज के सबसे सामने वाले छोर की ओर जाने लगा और वहाँ आखिरी छोर पर पहुंचकर उसने दूर समुन्दर मे उठ रही तेज लहरों को गौर से देखने लगा और बिना पीछे मुडे समुन्दर की ओर ही देखते हुए रूबी से पूछा...


" वैसे, तुमने कभी ड्रैगनस देखा है.. जानेमन...? "रॉन मुस्कुराया

" नहीं...?? फिर वही बकवास... क्या कह रहे हो... "

" नहीं देखा..? नो प्रॉब्लम... फिर आज तुम्हारा लकी डे है.. आज देख लेना ड्रैगन्स को ... वो भी लाइव.."



इतना कहकर रॉन तुरंत जहाज के सबसे सामने नुकीले वाले भाग के रेलिंग पर देखते ही देखते कूद कर चढ़ गया और हिलते -डुलते ऊपर ही खड़ा रहा, जिससे आस -पास मौजूद लोग इस डर से की कही रॉन नीचे समुन्दर मे ना गिर जाए... उसकी ओर भागे और रॉन की तरफ मदद के लिए अपने हाथ बढ़ाये. लेकिन रॉन ने उन्हें मना कर दिया और डेक पर मौजूद सभी लोगो का ध्यान ताली बजाकर अपनी ओर आकर्षित करते हुए बोला


"सब अंदर घुस जाओ बे और जान की सलामती चाहिए तो जब तक बाहर आने के लिए ना कहु... कोई बाहर मत आना. वरना पेले जाओगे और कोई जाकर मेरा डबल ट्रिगर वाला बन्दूक लेकर आओ..... पर मुझे याद नहीं है की मैने अपनी बन्दूक रखी कहा है, बस इतना याद है कि कल रात उस अंग्रेजन को मै बन्दूक से करतब दिखा रहा था..."



रॉन के इतना बोलते ही, वहां मौजूद सभी लोग जहाज के अंदर भागे.. समंदर में दूर एकाएक विशाल धाराएं उठने लगी थी... वो धाराएं इतनी विशाल, तीव्र और शक्तिशाली थी की बेलाडोना जैसे इतने बड़े जहाज तक को हिला दे रही थी. जहाज जिस दिशा में आगे बढ़ रहा था.. वहां धीरे -धीरे सामने कोहरा छाने लगा... कुछ भी साफ दिखाई नहीं दे रहा था...


"तो मेरा शक सही था. सदियों बाद ये फिर से बाहर आने लगे है, फिर तो वो भी आएगा.... बहुत जल्द ही.."

"रॉन..ये क्या है... कोई खतरा तो नहीं...??"रूबी चिल्लाकर रॉन से पूछी, जो रेलिंग्स के ऊपर बिना किसी भय के खड़ा शराब पी रहा था...

"कोई खतरा तो नहीं...?? अंधी है क्या बे. एक तो ये साले अभी से पीछे पड़ गए.. मैंने सोचा था की पैल्लोरा आइलैंड जब तक पार नहीं हो जाता तब तक तो शांत रहेंगे, उसी अनुसार मेरी योजना भी थी... पर..."


"रॉन क्या सोच रहे हो..? क्या बोल रहे हो..? यह समुंदर ने इतना विकराल रूप अचानक से कैसे ले लिया..? जबकि weather रिपोर्ट मे ऐसा कुछ भी नहीं था......"


"जानेमन, तुम अंदर जाओ ना... अरे कोई मेरा बंदूक लाया क्या..? "



रॉन का इतना कहना ही था कि जहाज में काम करने वाला एक आदमी भागते हुए रॉन के पास आया और एक भारी भरकम, 7 ft. लंबी बंदूक जिसे वह अपने दोनों हाथों से बड़ी मुश्किल से उठा पा रहा था, उसने वह बंदूक रॉन की ओर बढ़ाया, जिसे रॉन ने डेक पर वापस कूदकर उस भारी बंदूक को तुरंत अपने एक हाथ से आसानी से उठा लिया, जिसके बाद वहां मौजूद सभी लोग रॉन के उस बंदूक को देखने लगे...



" नजर लगाओगे क्या, मेरी बंदूक पर.. सभी अंदर जाओ या फिर यहां रुक कर मरने का इंतजार करो... कप्तान सेठ, फट गई क्या...?? अपनी कप्तानी दिखाओ और सब को अंदर करो.. बाद मे जब जरूरत होगी तो मै खुद बुलाऊंगा... जहाज पर भीड़ देख कर ड्रैगन्स पागल हो जाते है... "


सेठ, सभी को अंदर भेजने लगा और जब सब अंदर चले गए तो उसने रॉन से पूछा


"तुम अकेलेइनसे निपट लोगे या मैं कुछ मदद करूं..."

" फिलहाल तो तुम्हारी भलाई इसी में है कि तुम भी इन्ही के साथ अंदर जाकर किसी कोने में अपना मुंह छुपा लो.. दी रॉन को किसी की जरूरत नहीं..."

" तुझे पता नहीं होगा पर तेरी जानकारी के लिए बता दूं, मैने हाल ही के महीनों मे सोमालियन लुटेरो से दो शिप को बचाया था ...."

"बधाई हो... पर अंदर जा..."

"अब देख मै इनका क्या हाल करता हूं.. सामने कोई भी हो."

" जब गीदड़ की मौत आती है तो वह शहर की तरफ भागता है और जब एक नेवी वाले की मौत आती है तो वह समुंदर की तरफ... खैर, जैसी तेरी मर्जी... " अपने अजीबोगरीब बंदूक के नीचे अलग से बने बॉक्स में गहरे नीले रंग का बारूद अपने भरते हुए रॉन बोला, जो अभी -अभी एक आदमी ने रॉन के कहने पर उसे बारूद की पोटली लाकर दी थी.


" यह कैसी अजीब बंदूक है...? और इसके नीचे ये बॉक्स...?? ये नीले रंग का बारूद...??? मेरे पास इससे बेहतरीन -बेहतरीन गन्स है, यदि तुम्हे चाहिए तो... इस तरह तो मैने कभी कुछ देखा नहीं "


"सामने देख.. सामने जो है उस तरह का भी तूने कभी नहीं देखा होगा... और जहाज की गति कम नहीं होनी चाहिए, किसी भी सूरत में.."



रॉन के कहने पर सेठ ने सामने छाते हुए घने कोहरे की तरफ नजर घुमाई.. जहां उसे उस घने कोहरे के बीच बाज से कई गुना विशाल ऊपर आसमान मे कुछ उड़ता हुआ, दिखाई दिया. सेठ की नजरें उस उड़ती हुई चीज पर जम गई, पहले तो उसे लगा कि कोई हेलीकाप्टर होगा.. लेकिन यदि कोई हेलीकाप्टर होता तो उसकी आवाज़ भी आनी चाहिए थे.. इसलिए सेठ ने उसे पंछी ही माना और जब थोड़ी देर बाद वो पंछी घने कोहरे से बाहर निकल कर जहाज की तरफ तेजी से आने लगा तो.. सेठ की सिट्टी पिट्टी गुम हो गई...


" हे भगवान, यह कौन सा प्राणी है.. "

" कुछ देर और रुक.. फिर सीधे भगवान से ही जाकर पूछ लेना कि ये कौन से प्राणी है... "अपने बंदूक की नली साफ करते हुए रॉन ने कहा और जल्दी -जल्दी बंदूक के ऊपरी हिस्से मे एक के बाद एक कई छर्रे डालने लगा


" रॉन मैंने पूछा.... ये विशाल जीव है क्या...."

"अबे... कान से अंधा है क्या.. सुनाई नहीं देता क्या तुम लोगो को... कबसे मै सबको बता रहा हूँ कि ड्रैगन्स का हमला होने वाला है..."

"पर ये तो...ये तो... किस्से कहानियों में होते हैं... ऐसे आग फेकने वाले खूंखार समुद्री दानव.."


" ये उससे भी खतरनाक है.. क्यूंकि यदि इन्हे भूख लगी होगी तो ये तुम्हे सेक कर सीक कबाब की तरह खाएंगे और यदि तेरे शरीर मे नमक कम हुआ तो सीक कबाब की तरह भुने हुए तेरे शरीर को समुन्दर मे डुबो डुबो कर खारा करके स्वाद लेंगे.... अपने आदमियों को इशारा कर दो कि मैं जिस तरफ कहूंगा उसी तरफ जहाज को मोड़े, यदि जिंदा रहना है तो... और तुम मेरे साथ आओ और जिनके जिनके पास बंदूकें हैं उनको भी ऊपर बुला लो. अब जब ड्रैगन्स ने हमला करने का सोच ही लिया है तो जहाज के अंदर छिपने का कोई फायदा नहीं... "



सेठ और रॉन जिस तरफ से एक विशाल ड्रैगन उड़ता आ रहा था, उस तरफ जहाज के बिल्कुल छोर मे खड़े थे... गहरे धुंध मे से एक ड्रैगन को बेलाडोना की ओर आता देख रॉन अपनी बन्दूक की नली साफ करने लगा...


" यह तुम्हारी बाबा आदम के जमाने की बंदूक चलती भी है..."

"ये चलती नहीं... जलती है.. ये ड्रैगन अपना रास्ता क्यों नहीं बदल रहा...? सामान्य तौर पर ये एक सीध मे कभी नहीं उड़ते... "



जब ड्रैगन ने अपना रास्ता नहीं बदला और जहाज के करीब आता ही गया... तब सेठ ने, बंदूक लेकर अपने आदमियों को ऊपर आने का आवाहान दिया . सभी जहाजी कांपते हुए बंदूक हाथ में लेकर जहाज से बाहर आए. सेठ ने एक बार फिर से सामने की तरफ देखा... शुरू में उसे लगा था कि सिर्फ एक ड्रैगन है, पर सबसे सामने वाले ड्रैगन के पीछे जब सैकड़ो की तादत मे उसने उन आसमानी दानवो को जो पँख फैलाये धीरे -धीरे घने कोहरे से निकलकर बेलाडोना की तरफ तेजी से हुंकार भरते हुए बढ़ रहे थे... सेठ की कपकपी छूट गई पर फिर भी उसने अपना साहस नहीं खोया और अपने आदमियों को जहाज में डेक के किनारे चारों तरफ फैल कर आते हुए ड्रैगन्स पर बन्दूक तानने के लिए कहा...


" अंदर से और आदमियों को बुलाओ... एक भी बन्दूक खाली नहीं रहनी चाहिए कम्बखतो.. जिनके पास बन्दूक नहीं है.. वो अग्निशामक यन्त्र लेकर आग बुझाने का काम करेंगे... हमारी पहली कोशिश यही रहेगी कि, इन समुद्री दानवो को जहाज से जितना हो सके उतना दूर रखना है, इसलिए जब तुम्हे लगे की तुम्हारे बन्दूक की गोलिया उन समुद्री दानवो तक पहुंच सकती है तो फायरिंग शुरू कर देना... तैयार...."सेठ चिल्लाया...


जिसके बाद कोई कुछ नही बोला... मजबूरन वो जहाज मे ऊपर तो आ गए थे, पर उन सबकी फटी पड़ी थी...


"अबे, मैने पूछा... तैयार...."

"Yes Captain ....."सब डरते हुई चिल्लाये


"बहुत अच्छे... और इंजन चैम्बर से कोई जाकर कोई मेरा ग्रेनेड लॉन्चर ले आओ... मरेंगे तो मरेंगे.. पर इन साले समुद्री दरिंदो को मार कर मरेंगे..."


वहा बन्दूक लेकर जहाज के हर कोने मे खड़े लोग इतने डरे हुए थे के, उन्होंने डर के कारण ड्रैगन्स को आता देख बहुत पहले ही फायरिंग शुरु कर दी... कुछ की गोलिया, ड्रैगन्स पर लगती... तो कुछ की गोलिया किस दिशा मे जा रही थी कुछ पता ही नही चल रहा था और जब सेठ को लगा की ड्रैगन्स उसके ग्रेनेड लॉन्चर के रेंज मे हैं तो उसने अपने कंधे मे ग्रेनेड लॉन्चर को रख कर ड्रैगन्स के समूह मे सबसे सामने वाले ड्रैगन को निशाना लगाकर पहला गोला दागा.. जो ड्रैगन को तो नहीं लगा क्यूंकि ड्रैगन उसे भाँप गया था और ऐन मौके पर बड़े आराम से वो ऊपर आकाश की ओर उड गया था, पर सेठ के उस गोले से बचने के चक्कर मे वो अपनी दिशा से भटक जरूर गया था. रॉन उन सबको ऐसा करते कुछ देर तक देखता रहा और फिर एकाएक जहाज के अंदर भाग गया...



"अबे.. ये... तो... भाग गया...? डरपोक साला... अभी तो बड़ी-बड़ी बाते कर रहा था.... "रॉन को जहाज के अंदर भागते देख सेठ कुछ देर के लिए रुका और फिर से ग्रेनेड लॉन्चर अपने कंधे पर रखा.....



चारो तरफ से ड्रैगन्स पर फायरिंग शुरू हो गई थी.. लेकिन बन्दूक की गोलियों का कुछ खास असर ड्रैगन्स पर नहीं हो रहा था... एक तो वो इधर उधर.. ऊपर नीचे होकर पहले ही गोलियों से बाच जाते और जो गोलिया उन्हें लगती भी... उसका ड्रैगन्स पर कुछ खास प्रभाव नहीं पड़ रहा था... वो बस थोड़ा सा स्लो हो जाते... जिस ड्रैगन पर अकेले 4-5 लोग मिलकर फायरिंग कर रहे थे.. बस उसी पर गोलियों का ज्यादा प्रभाव पड़ रहा था... इस दौरान सेठ ने ग्रेनेड लॉन्चर से एक और गोला दागा.. जो अबकी बार जाकर सीधे एक ड्रैगन के सर से टकराया और देखते ही देखते उस ड्रैगन का सिर मे विस्फोट हुआ और विस्फोट मे सिर फूट जाने के कारण वो ड्रैगन बिना सर के सीधे समुन्दर मे जा गिरा...


"शाबाश मेरे साथियो .. ऐसे ही लगे रहो, इन समुद्री कीड़ो को गुस्सा दिलाने मे कोई कसर मत छोड़ना... "अंदर से हाथ मे शराब की बोतल लिए रॉन बाहर आया....


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superb update
 

aman rathore

Enigma ke pankhe
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#8. Double Trigger ~ डबल ट्रिगर
आसमान को मेघो ने ढक रखा था और मंद -मंद चल रही शीतल समुद्री हवाओं ने मौसम सुहाना कर दिया था. बेलाडोना में मौजूद सभी लोग अपने कमरे से बाहर जहाज के विशाल डेक पर आ गए ताकि वो इस सुनहरे मौसम का आनंद ले सके. नायर को ढूंढने की रूबी और सेठ की तमाम कोशिशें विफल रही, उन्हें भनक तक नहीं लगी की आखिर नायर के साथ क्या हुआ, किसने किया...?? रुबीना ने ये बात नायर के घर वालो को अभी तक नहीं बताया था. नायर के अचानक गायब होने से कुछ लोगो के अंदर डर तो था पर वो इस सुहाने मौसम को.. किसी अनजान कप्तान के कारण जाया नही करना चाहते थे, इसलिए जहाज के लगभग सभी लोग डेक पर सब तरफ फैल कर इस मौसम का लुत्फ़ ले रहे थे....



बेलाडोना मे काम करने वालो मे से कई विदेशी भी थी, कुछ शुद्ध शरीफ तो वही कुछ शुद्ध बेवड़े किस्म के.. इसलिए उनके हाथों मे देशी शराब की बोतल होना लाज़िमी था. रूबी , अभी एक शराबी से ही नायर के बारे मे बात कर रही थी, जिसने ये दावा किया था कि कैप्टन नायर को आखिरी बार उसी ने बेलाडोना की डेक पर जाते हुए देखा था... कि, तभी रॉन की बोतल खाली हो गई.. उसने आस -पास देखा.. तो रूबी जिससे बात कर रही थी, उस आदमी के हाथ मे कैद शराब से लबालब भरी बोतल पर रॉन की नज़र पड़ी.. जिसे लेने के लिए रॉन उसी तरफ बढ़ा....
"तू ऐसे, शराब की बेइज़्ज़ती नही कर सकता. या तो बात कर ले या फिर शराब पी लो... ला बोतल मुझे दे... " रॉन ने उसके हाथ से एकदम अचानक से बोतल छिना , जिसके कारण वो आदमी रॉन को गुस्से से घूरने लगा...


"ऐसे क्या देख रहा है बे .. वापस नहीं दूंगा."

" रॉन प्लीज... अपनी ये वाहियात हरकतें बंद करो... "चिढ कर रूबी बोली..

" तुमने अपनी शक्ल ऐसी बना रखी है या हकीकत में तुम्हारी शक्ल इत्ती ख़राब है... "रूबी के ऊपर शराब की बदबूदार डकार मारते हुए रॉन ने कहा.... "मज़ा आ गया... मस्त दारू है..."


"ये क्या हरकत है...रॉन... तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई, मुझपर............ तुम हद से ज्यादा बढ़ रहे हो..."


"तुम जाओ, मै लड़कियों से लड़ाई नही करता...."
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रूबी , रॉन की इस हरकत का कड़ा जवाब देना चाहती थी... उसे यकीन नही हो रहा था की रॉन, जहाज के सभी लोगो के सामने उससे ऐसा बर्ताव करेगा, ऊपर से वहा मौजूद लोग अपना चेहरा छिपाये, इधर -उधर देख कर रूबी पर हँस भी रहे थे.. जिससे रूबी और जल-भुन गई... उसने अपनी हथेली रॉन को थप्पड़ मारने के लिए उठाया ही था की.... जिस दिशा मे बेलाडोना आगे बढ़ा रहा था, उसी ओर समुन्दर मे एक भयंकर आवाज़ गूंज उठी, जिसने बेलाडोना मे मौज़ूद सभी लोगो की रूह तक को झकझोर कर रख दिया. सबकी नजर उस भयंकर गूँज की तरफ अपने आप ही चली गई...


" रॉन , यह आवाज कैसी है... "कांपते हुए रूबी पूछी और अपना हाथ जो उसने रॉन को मारने के लिए उठाया था, उसे नीचे कर लिया

"तुम मुझे थप्पड़ मारने वाली थी क्या...?"

" रॉन, ये आवाज कैसी थी..."

"शायद तुम्हारी बकवास सुनकर, समुंदर भी चिल्लाने लगा... महुआ दारू का कोई जवाब नहीं,... Oooo.... पर कड़वा है "एक बार फिर रूबी के ऊपर डकार मार कर रॉन ने कहा


" रोनननन.... यह मजाक करने का टाइम नहीं है .. इतनी भयंकर आवाज आई कहां से.. एक पल के लिए लगा जैसे भूकंप आ गया हो समुन्दर मे ..."


"ये उससे भी बुरा है... " वहा से लड़खड़ाते हुए कदमो के साथ रॉन जहाज के सबसे सामने वाले छोर की ओर जाने लगा और वहाँ आखिरी छोर पर पहुंचकर उसने दूर समुन्दर मे उठ रही तेज लहरों को गौर से देखने लगा और बिना पीछे मुडे समुन्दर की ओर ही देखते हुए रूबी से पूछा...


" वैसे, तुमने कभी ड्रैगनस देखा है.. जानेमन...? "रॉन मुस्कुराया

" नहीं...?? फिर वही बकवास... क्या कह रहे हो... "

" नहीं देखा..? नो प्रॉब्लम... फिर आज तुम्हारा लकी डे है.. आज देख लेना ड्रैगन्स को ... वो भी लाइव.."



इतना कहकर रॉन तुरंत जहाज के सबसे सामने नुकीले वाले भाग के रेलिंग पर देखते ही देखते कूद कर चढ़ गया और हिलते -डुलते ऊपर ही खड़ा रहा, जिससे आस -पास मौजूद लोग इस डर से की कही रॉन नीचे समुन्दर मे ना गिर जाए... उसकी ओर भागे और रॉन की तरफ मदद के लिए अपने हाथ बढ़ाये. लेकिन रॉन ने उन्हें मना कर दिया और डेक पर मौजूद सभी लोगो का ध्यान ताली बजाकर अपनी ओर आकर्षित करते हुए बोला


"सब अंदर घुस जाओ बे और जान की सलामती चाहिए तो जब तक बाहर आने के लिए ना कहु... कोई बाहर मत आना. वरना पेले जाओगे और कोई जाकर मेरा डबल ट्रिगर वाला बन्दूक लेकर आओ..... पर मुझे याद नहीं है की मैने अपनी बन्दूक रखी कहा है, बस इतना याद है कि कल रात उस अंग्रेजन को मै बन्दूक से करतब दिखा रहा था..."



रॉन के इतना बोलते ही, वहां मौजूद सभी लोग जहाज के अंदर भागे.. समंदर में दूर एकाएक विशाल धाराएं उठने लगी थी... वो धाराएं इतनी विशाल, तीव्र और शक्तिशाली थी की बेलाडोना जैसे इतने बड़े जहाज तक को हिला दे रही थी. जहाज जिस दिशा में आगे बढ़ रहा था.. वहां धीरे -धीरे सामने कोहरा छाने लगा... कुछ भी साफ दिखाई नहीं दे रहा था...


"तो मेरा शक सही था. सदियों बाद ये फिर से बाहर आने लगे है, फिर तो वो भी आएगा.... बहुत जल्द ही.."

"रॉन..ये क्या है... कोई खतरा तो नहीं...??"रूबी चिल्लाकर रॉन से पूछी, जो रेलिंग्स के ऊपर बिना किसी भय के खड़ा शराब पी रहा था...

"कोई खतरा तो नहीं...?? अंधी है क्या बे. एक तो ये साले अभी से पीछे पड़ गए.. मैंने सोचा था की पैल्लोरा आइलैंड जब तक पार नहीं हो जाता तब तक तो शांत रहेंगे, उसी अनुसार मेरी योजना भी थी... पर..."


"रॉन क्या सोच रहे हो..? क्या बोल रहे हो..? यह समुंदर ने इतना विकराल रूप अचानक से कैसे ले लिया..? जबकि weather रिपोर्ट मे ऐसा कुछ भी नहीं था......"


"जानेमन, तुम अंदर जाओ ना... अरे कोई मेरा बंदूक लाया क्या..? "



रॉन का इतना कहना ही था कि जहाज में काम करने वाला एक आदमी भागते हुए रॉन के पास आया और एक भारी भरकम, 7 ft. लंबी बंदूक जिसे वह अपने दोनों हाथों से बड़ी मुश्किल से उठा पा रहा था, उसने वह बंदूक रॉन की ओर बढ़ाया, जिसे रॉन ने डेक पर वापस कूदकर उस भारी बंदूक को तुरंत अपने एक हाथ से आसानी से उठा लिया, जिसके बाद वहां मौजूद सभी लोग रॉन के उस बंदूक को देखने लगे...



" नजर लगाओगे क्या, मेरी बंदूक पर.. सभी अंदर जाओ या फिर यहां रुक कर मरने का इंतजार करो... कप्तान सेठ, फट गई क्या...?? अपनी कप्तानी दिखाओ और सब को अंदर करो.. बाद मे जब जरूरत होगी तो मै खुद बुलाऊंगा... जहाज पर भीड़ देख कर ड्रैगन्स पागल हो जाते है... "


सेठ, सभी को अंदर भेजने लगा और जब सब अंदर चले गए तो उसने रॉन से पूछा


"तुम अकेलेइनसे निपट लोगे या मैं कुछ मदद करूं..."

" फिलहाल तो तुम्हारी भलाई इसी में है कि तुम भी इन्ही के साथ अंदर जाकर किसी कोने में अपना मुंह छुपा लो.. दी रॉन को किसी की जरूरत नहीं..."

" तुझे पता नहीं होगा पर तेरी जानकारी के लिए बता दूं, मैने हाल ही के महीनों मे सोमालियन लुटेरो से दो शिप को बचाया था ...."

"बधाई हो... पर अंदर जा..."

"अब देख मै इनका क्या हाल करता हूं.. सामने कोई भी हो."

" जब गीदड़ की मौत आती है तो वह शहर की तरफ भागता है और जब एक नेवी वाले की मौत आती है तो वह समुंदर की तरफ... खैर, जैसी तेरी मर्जी... " अपने अजीबोगरीब बंदूक के नीचे अलग से बने बॉक्स में गहरे नीले रंग का बारूद अपने भरते हुए रॉन बोला, जो अभी -अभी एक आदमी ने रॉन के कहने पर उसे बारूद की पोटली लाकर दी थी.


" यह कैसी अजीब बंदूक है...? और इसके नीचे ये बॉक्स...?? ये नीले रंग का बारूद...??? मेरे पास इससे बेहतरीन -बेहतरीन गन्स है, यदि तुम्हे चाहिए तो... इस तरह तो मैने कभी कुछ देखा नहीं "


"सामने देख.. सामने जो है उस तरह का भी तूने कभी नहीं देखा होगा... और जहाज की गति कम नहीं होनी चाहिए, किसी भी सूरत में.."



रॉन के कहने पर सेठ ने सामने छाते हुए घने कोहरे की तरफ नजर घुमाई.. जहां उसे उस घने कोहरे के बीच बाज से कई गुना विशाल ऊपर आसमान मे कुछ उड़ता हुआ, दिखाई दिया. सेठ की नजरें उस उड़ती हुई चीज पर जम गई, पहले तो उसे लगा कि कोई हेलीकाप्टर होगा.. लेकिन यदि कोई हेलीकाप्टर होता तो उसकी आवाज़ भी आनी चाहिए थे.. इसलिए सेठ ने उसे पंछी ही माना और जब थोड़ी देर बाद वो पंछी घने कोहरे से बाहर निकल कर जहाज की तरफ तेजी से आने लगा तो.. सेठ की सिट्टी पिट्टी गुम हो गई...


" हे भगवान, यह कौन सा प्राणी है.. "

" कुछ देर और रुक.. फिर सीधे भगवान से ही जाकर पूछ लेना कि ये कौन से प्राणी है... "अपने बंदूक की नली साफ करते हुए रॉन ने कहा और जल्दी -जल्दी बंदूक के ऊपरी हिस्से मे एक के बाद एक कई छर्रे डालने लगा


" रॉन मैंने पूछा.... ये विशाल जीव है क्या...."

"अबे... कान से अंधा है क्या.. सुनाई नहीं देता क्या तुम लोगो को... कबसे मै सबको बता रहा हूँ कि ड्रैगन्स का हमला होने वाला है..."

"पर ये तो...ये तो... किस्से कहानियों में होते हैं... ऐसे आग फेकने वाले खूंखार समुद्री दानव.."


" ये उससे भी खतरनाक है.. क्यूंकि यदि इन्हे भूख लगी होगी तो ये तुम्हे सेक कर सीक कबाब की तरह खाएंगे और यदि तेरे शरीर मे नमक कम हुआ तो सीक कबाब की तरह भुने हुए तेरे शरीर को समुन्दर मे डुबो डुबो कर खारा करके स्वाद लेंगे.... अपने आदमियों को इशारा कर दो कि मैं जिस तरफ कहूंगा उसी तरफ जहाज को मोड़े, यदि जिंदा रहना है तो... और तुम मेरे साथ आओ और जिनके जिनके पास बंदूकें हैं उनको भी ऊपर बुला लो. अब जब ड्रैगन्स ने हमला करने का सोच ही लिया है तो जहाज के अंदर छिपने का कोई फायदा नहीं... "



सेठ और रॉन जिस तरफ से एक विशाल ड्रैगन उड़ता आ रहा था, उस तरफ जहाज के बिल्कुल छोर मे खड़े थे... गहरे धुंध मे से एक ड्रैगन को बेलाडोना की ओर आता देख रॉन अपनी बन्दूक की नली साफ करने लगा...


" यह तुम्हारी बाबा आदम के जमाने की बंदूक चलती भी है..."

"ये चलती नहीं... जलती है.. ये ड्रैगन अपना रास्ता क्यों नहीं बदल रहा...? सामान्य तौर पर ये एक सीध मे कभी नहीं उड़ते... "



जब ड्रैगन ने अपना रास्ता नहीं बदला और जहाज के करीब आता ही गया... तब सेठ ने, बंदूक लेकर अपने आदमियों को ऊपर आने का आवाहान दिया . सभी जहाजी कांपते हुए बंदूक हाथ में लेकर जहाज से बाहर आए. सेठ ने एक बार फिर से सामने की तरफ देखा... शुरू में उसे लगा था कि सिर्फ एक ड्रैगन है, पर सबसे सामने वाले ड्रैगन के पीछे जब सैकड़ो की तादत मे उसने उन आसमानी दानवो को जो पँख फैलाये धीरे -धीरे घने कोहरे से निकलकर बेलाडोना की तरफ तेजी से हुंकार भरते हुए बढ़ रहे थे... सेठ की कपकपी छूट गई पर फिर भी उसने अपना साहस नहीं खोया और अपने आदमियों को जहाज में डेक के किनारे चारों तरफ फैल कर आते हुए ड्रैगन्स पर बन्दूक तानने के लिए कहा...


" अंदर से और आदमियों को बुलाओ... एक भी बन्दूक खाली नहीं रहनी चाहिए कम्बखतो.. जिनके पास बन्दूक नहीं है.. वो अग्निशामक यन्त्र लेकर आग बुझाने का काम करेंगे... हमारी पहली कोशिश यही रहेगी कि, इन समुद्री दानवो को जहाज से जितना हो सके उतना दूर रखना है, इसलिए जब तुम्हे लगे की तुम्हारे बन्दूक की गोलिया उन समुद्री दानवो तक पहुंच सकती है तो फायरिंग शुरू कर देना... तैयार...."सेठ चिल्लाया...


जिसके बाद कोई कुछ नही बोला... मजबूरन वो जहाज मे ऊपर तो आ गए थे, पर उन सबकी फटी पड़ी थी...


"अबे, मैने पूछा... तैयार...."

"Yes Captain ....."सब डरते हुई चिल्लाये


"बहुत अच्छे... और इंजन चैम्बर से कोई जाकर कोई मेरा ग्रेनेड लॉन्चर ले आओ... मरेंगे तो मरेंगे.. पर इन साले समुद्री दरिंदो को मार कर मरेंगे..."


वहा बन्दूक लेकर जहाज के हर कोने मे खड़े लोग इतने डरे हुए थे के, उन्होंने डर के कारण ड्रैगन्स को आता देख बहुत पहले ही फायरिंग शुरु कर दी... कुछ की गोलिया, ड्रैगन्स पर लगती... तो कुछ की गोलिया किस दिशा मे जा रही थी कुछ पता ही नही चल रहा था और जब सेठ को लगा की ड्रैगन्स उसके ग्रेनेड लॉन्चर के रेंज मे हैं तो उसने अपने कंधे मे ग्रेनेड लॉन्चर को रख कर ड्रैगन्स के समूह मे सबसे सामने वाले ड्रैगन को निशाना लगाकर पहला गोला दागा.. जो ड्रैगन को तो नहीं लगा क्यूंकि ड्रैगन उसे भाँप गया था और ऐन मौके पर बड़े आराम से वो ऊपर आकाश की ओर उड गया था, पर सेठ के उस गोले से बचने के चक्कर मे वो अपनी दिशा से भटक जरूर गया था. रॉन उन सबको ऐसा करते कुछ देर तक देखता रहा और फिर एकाएक जहाज के अंदर भाग गया...



"अबे.. ये... तो... भाग गया...? डरपोक साला... अभी तो बड़ी-बड़ी बाते कर रहा था.... "रॉन को जहाज के अंदर भागते देख सेठ कुछ देर के लिए रुका और फिर से ग्रेनेड लॉन्चर अपने कंधे पर रखा.....



चारो तरफ से ड्रैगन्स पर फायरिंग शुरू हो गई थी.. लेकिन बन्दूक की गोलियों का कुछ खास असर ड्रैगन्स पर नहीं हो रहा था... एक तो वो इधर उधर.. ऊपर नीचे होकर पहले ही गोलियों से बाच जाते और जो गोलिया उन्हें लगती भी... उसका ड्रैगन्स पर कुछ खास प्रभाव नहीं पड़ रहा था... वो बस थोड़ा सा स्लो हो जाते... जिस ड्रैगन पर अकेले 4-5 लोग मिलकर फायरिंग कर रहे थे.. बस उसी पर गोलियों का ज्यादा प्रभाव पड़ रहा था... इस दौरान सेठ ने ग्रेनेड लॉन्चर से एक और गोला दागा.. जो अबकी बार जाकर सीधे एक ड्रैगन के सर से टकराया और देखते ही देखते उस ड्रैगन का सिर मे विस्फोट हुआ और विस्फोट मे सिर फूट जाने के कारण वो ड्रैगन बिना सर के सीधे समुन्दर मे जा गिरा...


"शाबाश मेरे साथियो .. ऐसे ही लगे रहो, इन समुद्री कीड़ो को गुस्सा दिलाने मे कोई कसर मत छोड़ना... "अंदर से हाथ मे शराब की बोतल लिए रॉन बाहर आया....


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:superb: :good: :perfect: Awesome update hai Yug Purush Bhai,
Behad hi shandaar, lajawab aur amazing update hai bhai,
dragon ke saath ek jabardast yuddh ka aagaj ho gaya hai,
ab dekhte hain ki the ron kaise sabko dragon ke changul se bachata hai,
Waiting for next update
 
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