परदेशी प्यार भाग -3
इस बार जब बाबी उसके साथ वहां आई तो न जाने क्यों उसका दिल धड़क रहा था। कमल ने बाबी की चूंचियों को बाहर निकाला और चूसने लगा। बाबी कमल के लंड से खेल रही थी और उसके मुंह से सिकारियां निकल रहीं थीं। तभी कमल ने अपना एक हाथ बाबी के जांघिए में डाल दिया और उसके चूतड़ों को सहलाने लगा। जब कभी कमल उसके चूतड़ों की बीच की रेखा पर उंगली फिराता तो बाबी सिहर उठती। अपनी चूंचियों पर कमल के होंठों का स्पर्श पाकर तथा कमल के लंड को हाथ में लेकर न जाने क्यों बाबी अपनी चूत पर खुजली सी महसूस करने लगी। तभी कमल ने उसकी चूचिंयों से मुंह हटाया तो बाबी बोली,
रुक क्यों गए चूसते रहो न।
कमल ने कहा, वो तो मैं चूसूंगा ही, मगर क्या तुम मेरे लंड को मुंह में ले सकती हो।
ना बाबा ना।
क्यों?
क्यों मतलब उसी से तुम पेशाब करते हो उसे मैं मुंह में लूं। मुझे घिन आती है।
बाबी तुम शायद नहीं जानती कि मैं अपने लंड की कितनी सफाई रखता हूं।
फिर भी तुम उसी से पेशाब करते हो न, मैं उसे मुंह में नहीं ले सकती।
कमल ने जबरजस्ती की तो बाबी बोली,
देखो अगर तुम जबरजस्ती करोगी तो मैं यहां से चली जाऊंगी।
अच्छा नहीं करता जबरजस्ती। मगर मुझे तो करने दोगी।
क्या?
यहां की चुम्मी लेने। कमल ने बाबी की चूत पर फ्राक के ऊपर से ही हाथ फिराकर कहा।
छी: तुम्हे इस गंदी जगह मुंह लगाते घिन नहीं आएगी।
घिन कैसी। बाबी तुम नहीं जानती कि जब कोई लड़का किसी लड़की की चूत चूमता है तो उसे कितना मजा आता है। प्लीज चूमने दो न।
ठीक है। बाबी ने कहा चूम लो।
बाबी के इतना कहते ही कमल ने उसकी फ्राक ऊपर उठाकर चड्ढी सरका दी। हालांकि वहां अंधेरा था फिर भी बाबी का चेहरा शर्म से लाल हो गया। कमल ने बाबी की चूत पर हाथ फिराया। उसकी चूत का रंग भी उसके रंग के समान ही गोरा था और वो एकदम चिकनी थी, उस पर अभी हलके-हलके रोंए आना शुरू हुए थे। कमल बाबी की फाम सी मुलायम और मक्खन सी चिकनी चूत पर हाथ फिरा कर पगला सा गया। उसने बाबी की दोनों टांगों को थोड़ा सा खोला और उसके चूतड़ों पर अपने हाथ टिका कर चिकनी चूत पर मुंह रख दिया। बाबी सिहर उठी वो तो सोच भी नहीं सकती थी कि जब कोई लड़का किसी लड़की की चूत चूमता है, तो इतना मजा आता है। यह आनंद उस मजे से कई गुना ज्यादा था जो चूंची चुसवाने में मिल रहा था।
कमल बाबी की चूत को पहले तो धीर-धीरे चूमता रहा फिर अपनी जीभ निकालकर चाटने लगा। जब कमल ने जीभ निकाल कर उसकी चूत के बीच वाले हिस्से को चाटा तो बाबी सिसकारियां लेने लगी। फिर कमल ने बाबी की चूत के बीच के भाग में उभरे चने के दाने के सामान रचना पर अपनी गीली जीभ फिराई और उसे जीभ से सहलाने लगा। सहलाते-सहलाते उसने धीरे से उस हिस्से को अपने होंठों के बीच दबाकर चूसना शुरू किया तो बाबी आनंद से पागल हो गई। उसे ऐसा लगा कि उसके शरीर में खून की जगह गरम-गरम लावा बह रहा है। उसके मुंह से जोर-जोर से सिकारियां निकलने लगी। तभी कमल ने अपना मुंह बाबी की चूत से हटा लिया तो बाबी तड़पकर बोली रुक क्यों गए चाटते रहो न।
क्या? कमल ने पूछा।
मुझे उसका नाम बोलने में शर्म आती है।
देखो बाबी जब तक तुम नहीं बताओगी मैं नहीं चूसूंगा। कमल ने शरारत से कहा।
मेरी चूत। बाबी कंपकंपाते स्वर में बोली।
कमल ने फिर से उसकी चूत पर अपने होंठ रख दिए और चाटने लगा। अचानक कमल ने अपनी जीभ बाबी की चूत के छेद में डाल दी तो बाबी को इतना मजा आया कि उसने कमल का सिर अपनी जांघों के बीच दबा लिया। ताकि वो जीभ का ज्यादा से ज्यादा हिस्सा उसकी चूत में घुसेड़ सके। बाबी का आनंद चरम पर था और उसके शरीर में अजीब सी सनसनी दौड़ रही थी। उसे ऐसा लग रहा था कि वह किसी और ही दुनिया में है। वह आनंद के गहरे सागर में गोते लगा ही रही थी कि उनके कानों में मनु की आवाज पड़ी। वो बाबी को ही पुकार रही थी। बाबी और कमल दोनों चौंक पड़े। कमल ने उसकी चूत से मुंह हटा लिया और बाबी ने जल्दी-जल्दी चड्ढी पहन ली। वह बाहर जाने लगी तो कमल ने उसे रोक लिया। बाबी बोली,
जाने दो वरना मनु यहीं आ जाएगी और सब गड़बड़ हो जाएगा।
ठीक है जाओ मगर वादा करो कल दोपहर मेरे घर आओगी। मां तीन से पांच के बीच सोती है। उस समय हमें देखने वाला कोई नहीं होगा। उसी समय आना।
ठीक है आऊंगी, मगर अभी जाने दो। कमल ने बॉबी का हाथ छोड़ दिया और बाबी चली गई। जाने से पहले कमल उसके चूतड़ों पर हाथ फेरना नहीं भूला था।