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Adultery Naina - नारीशक्ति का घमंड

कहानी में क्या चाहते हो आप ?


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Rachit Chaudhary

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Hi दोस्तों ।
Title से ही पता लग गया होगा की कहानी किस तरह की होगी ।
ये कहानी है नैना की । ये कहानी शुरू होती है नैना के गाँव जगतपुर से।

वो नैना जिसे घमंड है अपने संस्कारों पर , जिसे गुरूर है अपनी खूबसूरती पर । जिसे घमंड है एक लड़की होने पर ।

घमंड हो भी क्यो ना , नैना जैसी खूबसूरती बहुत ही कम लड़कियों को मिलती है । और उसकी वजह थे नैना के मां-बाप ।


नैना के पापा बलराज सिंह फ़ौज से रिटायर्ड है , उनकी लंबाई 7 फुट के आसपास होगी और एक तगड़े तंदरुस्त पहलवानों वाले शरीर की तरह हट्टे-कट्टे शरीर के मालिक है ।

नैना की माँ विनीता एक निहायती ही शरीफ और सीधी साधी औरत है । अगर बात करे शरीर की तो इनकी लंबाई भी 6 फुट के आसपास होगी । लेकिन खास बात यह कि ये फिर भी लंबी नजर नही आती और इसकी वजह है कि इनका शरीर दुबला पतला नही है। इनका शरीर भारी भरकम है । ना ही ये मोटी दिखती है ना ही पतली ।

नैना का भाई नवीन सिंह एक पहुंचे हुए पहलवान है । अच्छे अच्छे पहलवानों को ये 2 मिनट से भी कम समय मे ये धूल चटा देते है ।

दोस्तो बच्चो के नैन-नक्श , बच्चो की कद-काठी , बच्चों का रंग रूप , ये सब कुछ माँ बाप पर ही तो निर्भर करता है ।
यही वजह थी कि नैना अपने साथ कि लड़कियों में सबसे अलग थी ।अपनी 22 साल की उम्र में नैना ने शरीर के मुकाबले में अपनी सारी सहेलियों को कई किलोमीटर पीछे छोड़ दिया था ।
नैना की लंबाई 5.8 फ़ीट थी । बिल्कुल अपने माँ बाप पर गयी थी नैना ।
नैना के बदन की अगर बात करे तो 22 की उम्र में ही नैना का फिगर 34×30×38 था।
अब आप समझ गए होंगे कि क्यो अलग थी नैना सब सहिलयो से। नैना अपनी माँ की तरह ही तगड़ी और कामुक औरत जैसी लगने लगी थी 22 कि उम्र में।
नैना ढीले ढाले पटियाला सूट सलवार ही पहनती थी ज्यादातर जिस वजह से उसका बदन ज्यादा एक्सपोज़ तो नही होता है लेकिन देखने वाले फिर भी उसे पलटकर देखे बिना नही रह पाते थे । खाते पीते घर की लड़की नैना । नैना की काली आंखे , गोरे और लालिमा लिए हुए कश्मीरी सेब जैसे गाल । गले मे एक प्यारा सा लॉकेट रहता था जिसमे उसके मां-बाप की फ़ोटो थी छोटी सी। उसके नीचे उसके स्तन यानी चूचे ऐसे थे बिल्कुल कड़क जैसे सीने पर पर्वत की दो चोटियां हों । नैना के चूचे उसके सीने की बहुत ज्यादा जगह को घेरते थे । सीने पर बस मोटी मोटी छातियां ही नजर आती थी ।
उसके नीचे उसके गोरा पेट जिसे आजतक किसी ने नही देखा था क्योंकि हमेशा सूट सालार पहनती थी नैना ।
फिर उसके नीचे शुरू होता था उसका सबसे अनमोल , सबसे कीमती खजाना जिस पर उसे गुरुर था । नैना के नितंब उम्र से पहले ही भारी होकर बाहर को निकल गए थे ।
दोस्तों किसी लड़की का पिछवाड़ा निकला हुआ हो या चूचे बड़े हो तो ये जरूरी नही की इसके पीछे किसी मर्द या पुरुष का हाथ है । कुदरती भी किसी किसी का बदन ऐसा होता है । और नैना के साथ भी ऐसा ही था ।
नैना की बहार को निकली उठे उठे कूल्हों का अंदाजा उसकी सलवार पहनने के बावजूद बड़ी आसानी से लगाया जा सकता था ।

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जांघे सलवार में दिखती नही थी लेकिन भारी भारी पिछवाड़े को देखकर ही लोग समझ जाते थे कि जांघे गदरायी हुई होंगी ।

नैना के अंदर एक कमी थी बस और वो थी उसका गुस्सा । नैना के गुस्से के सामने अच्छे अच्छे थर्रा जाते थे जब वो दहाड़ती तो सब ऐसे कांप जाते जैसे कोई शेरनी सामने आगयी हो ।

अब चलते है कहानी की ओर ।

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दोस्तों ये कहानी मेरी पहली कहानी (संस्कारी परिवार की बेशर्म कामुक रंडियां) से बिल्कुल अलग है तो इसे एक अलग माइंडसेट से पढ़िएगा ।
मेरी पहली कहानी को अपने इतना प्यार दिया उसका आभार व्यक्त करने के लिये मेरे पास शब्द नही है ।
***********

गब्बर सिंह जगतपुर गांव के प्रधान हैं। इनका इतना खोफ है कि आसपास के बड़े नेता इनके पैर छूने रोज इनके घर आते हैं । 45 साल की उम्र है गब्बर सिंह की । अभी तक इन्होंने शादी नही की है और ना ही किसी लड़की या औरत के साथ सोए है आजतक । इसकी वजह आपको कहानी में पता चलेगी ।
एक नंबर के अय्याश, आवारा और ठरकी और काले रंग का आदमी है । पर गांव में और आसपास के इलाके में इनका पूरा दबदबा है । क्योंकि अगर कोई इनकी बात नही मानता तो उसे मार पीटकर ये गांव से भगा देते है । हर वक्त इनके साथ इनके आठ दस चमचे रहते है जो सारे के सारे गुंडे टाइप के आदमी है । इसलिए सब इनसे बचकर चलते है ।

आज गब्बर सिंह ने गांव में एक नये मंदिर का उदघाटन किया । गांव के सारे लोग लोग और लुगाई मंदिर के उद्घाटन में शामिल हुए है ।

नैना भी अपनी सहेली शीतल के साथ फंक्शन में शामिल हुई थी ।
शीतल एक सीधी साधी लड़की थी ।
नैना ने पटियाला सूट सलवार पहने हुए थे और शीतल ने चूड़ीदार पजामी कुर्ती । जिसमे से शीतल की मोटी मोटी जांघे साफ दिख रही थी ।

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शीतल प्रशाद लेकर भीड़ में से जैसे ही निकली उसकी नजर सामने खड़ी जीप पर पड़ी । जीप के बोनट पर गब्बर सिंह के दो गुंडे बैठे थे दो चार गुंडे अंदर जीप में थे और दो चार गुंडे जीप के बाहर खड़े थे ।
ये सब गब्बर सिंह की प्रतीक्षा कर रहे थे क्योंकि गब्बर सिंह अभी प्रशाद ले रहा था पंडित जी से ।

शीतल ने देखा कि नैना का नंबर मुझसे बाद में था इसलिए वो अभी प्रशाद लेती रह गयी है । तभी भीड़ में से गब्बर सिंह निकला और अपनी जीप की तरफ बढ़ने लगा ।

तभी अचानक पूरा माहौल जयकारों से गूंज उठा- गब्बर सिंह जिंदाबाद , गब्बर सिंह अमर रहे , हमारा मालिक कैसा हो गब्बर सिंह जैसा हो । हमारा मालिक कैसा हो गब्बर सिंह जैसा हो ।

गब्बर सिंह ने एक बार भीड़ की तरफ मुड़कर बड़े रौब से अपना काला चश्मा उतारा और एक कुटिल मुस्कान के साथ हाथ ऊपर उठाकर हिलाया । जयकारे बंद हो गए ।

तभी भीड़ में से गांव का एक बुजुर्ग बूढ़ा आदमी लाठी के सहारे चलते हुए निकल और गब्बर सिंह के पास आकर अचानक ठोकर खाकर गिर गया ।

तभी गब्बर सिंह का एक चमचा भागकर आया और बुड्ढे व्यक्ति का कुर्ते का कॉलर पकड़कर उठाते हुए थप्पड़ मारकर बोला - ओ बूढ़े मालिक के सामने गिरने का नाटक करता करता है चल भाग यहां से ।

पूरी भीड़ एकदम चुपचाप ये सब देख रही थी खड़ी होकर । गब्बर सिंह ने आंख उठाकर भीड़ की तरफ देखा तो जिसकी भी तरफ गब्बर सिंह अपनी नजरें घुमाता उसी इंसान का चेहरा झुक जाता । इतना ख़ौफ़ था गब्बर सिंह का ।

बूढ़ा व्यक्ति अपनी आंखों में बेबसी के आंसू लाते हुए लाचार नजरों से भीड़ की तरफ देखने लगा ।
तभी गब्बर का चमचा बोला - ओ बूढ़े देख क्या रहा है अभी भी यही खड़ा है साले दूसरे थप्पड़ में तू मर जायेगा चल निकल यहां से ।

बूढ़ा रोते हुए चला गया ।
अंदर नैना को समय लग रहा था क्योंकि उसके भाई नवीन का फोन आगया था ।

नवीन - हेलो नैना कहाँ हो ।

नैना - भैया मंदिर में ही हु । आप कहाँ हो ।

नवीन - मैं भी बस मंदिर पहुंचने वाला हूँ कुछ मिनट में ।

नैना - हां आजाओ । पर मंदिर के आगे बहुत भीड़ लगी है, पूरा गांव जो आया है तो आकर फोन कर लेना ।

नवीन - ok bye ।


तभी भीड़ में से गब्बर का एक और गुंडा निकला हाथ मे प्रशाद लेकर जिसका नाम शेरू था ।

शेरू जैसे ही भीड़ से निकल तो वो अपनी गर्दन पीछे भीड़ की तरफ कुछ देखते हुए निकला । और इस तरह निकलने से उसकि टक्कर बाहर खड़ी शीतल से हो गयी । शेरू के हाथ से प्रशाद नीचे जमीन पर गिर गया ।
शेरू जैसे ही हाथ अपने सफेद कुर्ते से झाड़ता हुआ आगे की तरफ कदम बढ़ाने को हुआ तभी एक आवाज से ठिठक गया ।

दरअसल ये सब कुछ इतना जल्दी हुआ था कि शीतल को अभी तक समझ नही आया था कि उससे कौन टकराकर जा रहा है उसके मुंह से तो बस अचानक निकल गया - अंधे हो क्या ?

यही वो आवाज थी जिसे सुनकर शेरू ठिठक गया था । अब जैसे ही शीतल ने देखा कि वो टकराने वाला कोई गांव का आम आदमी नही बल्कि गब्बर का गुंडा था तो उसके पैरों के नीचे से जमीन ही खिसक गई । माथे पर पसीना आगया । शीतल का गला सूख गया कि उसने ये क्या अनर्थ कर दिया ।

शेरू ने अपनी शराबी लाल आंखों से शीतल को घूरा और बहुत धीरे से बोला जिसे बस शीतल ही सुन सकी ।

शेरू - क्या बोली तू बहन-की-लौड़ी दोबारा बोल ।

शीतल ने ऐसी गंदी गाली पहले नही सुनी थी , शीतल की हालत काटो तो खून नही वाली हो गयी । उसके माथे का पसीना पूरे चेहरे पर आगया । शीतल कुछ नही बोली अपनी नजरे झुकाए खड़ी रही ।

तभी एक आवाज पूरे गुर्राते हुए गूंजी तो सारी की सारी की भीड़ की नजरें शेरू और शीतल पर जम गयीं ।क्योंकि इस बार शेरू ने धीरे से नही बल्कि चीखकर पूछा था ।

शेरू - मैंने पूछा तू क्या बोली रंडी ।

शीतल की हालत ऐसी हो गयी कि वो सोचने लगी कि काश मैं इसी पल धरती में समा जाऊं । शीतल नजरे झुकाए चुपचाप खड़ी रही ।

शेरू ने एक नजर गब्बर सिंह की तरफ देखा जैसे पूछ रहा हो कि क्या करूँ ।

गब्बर सिंह - पर काट दे साली के ।

गब्बर की ये बात पूरी भीड़ ने सुनी । और गब्बर सिंह जीप के बोनट पर जाकर बैठ गया । तभी एक गुंडे ने गब्बर सिंह के सामने हुक्का लाकर रखा । गब्बर सिंह कभी शेरू शीतल की तरफ तो कभी भीड़ की तरफ हुक्का पीते हुए देखने लगा ।

शेरू - पर तो इसके काटने पड़ेंगे मालिक । लेकिन इसके पर आज ऐसे काटूंगा की फिर इस गांव में दोबारा किसी की औकात नही होगी ऐसा करने की ।

शेरू ने ऐसा बोलकर शीतल के बाल पकड़े और उसे बीच मे खाली जगह में खींच लाया ।
शीतल का दुपट्टा खींचकर फेंक दिया शेरू ने । तभी भीड़ से एक रोती हुई आवाज आई । जो कि शीतल के मां बाप की थी ।

शीतल के मां-बाप - भगवान के लिए माफ करदो मेरी बच्ची को । मेरी बेटी से गलती हो गयी । हम आपकी सारी सजा भुगतने को तैयार हैं ।

शेरू - भीड़ की तरफ देखते हुए- अगर ये आवाज दोबारा सुनाई दी तो सारे गांव की औरतों और लौंडियों से मुजरा करवाऊंगा यहां भोसड़ी वालों ।

जैसे ही भीड़ ने ये सुना तो जो लोग शीतल के मां बाप के पास खड़े थे उन्होंने शीतल के मां बाप का मुंह अपने हाथों से भींचकर बंद कर लिया जिससे कि उनके मुह से आवाज ना निकल सके ।

यह देखकर गब्बर सिंह के चेहरे पर एक कुटिल मुस्कान फैल गई । भीड़ में जिन्होंने शीतल के मा बाप का मुह अपने हाथों से बंद किया हुआ था वो शीतल के मां बाप को समझाने लगे दिलासा देने लगे- आप चुप हो जाइए बेटी को भगवान के भरोसे छोड़ दीजिए , वरना ये लोग शीतल के साथ साथ हमारी बेटियों के साथ ऐसा ही करेंगे ।


शेरू - शीतल से - देख कुतिया तेरे मां बाप की बोलती तो बंद करदी अब तेरी करनी है । शीतल की छातियों को घूरते हुवे शेरू गब्बर सिंह और अपने गुंडे साथियों से बात करने लगा । ये बाते पूरी भीड़ पुतला बनकर सुन रही थी ।

शेरू - मालिक साली पकी हुआ पपीता है ये तो बिल्कुल ।

गब्बर सिंह - निचोड़ डाल साली को ।

तभी गब्बर का एक गुंडा बोला जिसका नाम भीमा था - मालिक मैं तो कहता हूं साली के ऊपर मैं और शेरू एकसाथ चढ़ जाते है ।

अपनी दशा देखकर शीतल की आंखों से आंसू निकलने लगे ।

शेरू - नही भीमा इस साली के दाँत तो मैं अकेला ही तोडूंगा ।
ऐसा कहकर शेरू ने शीतल की कुर्ती अपने दोनों हाथों से फाड़ दी ।

शीतल ने निचे समीज पहनी हुई थी । कुर्ती फटते ही उसकी समीज में कसी चुचियाँ सामने आगयीं ।
शीतल अपने दोनों हाथो से अपनी चुचियाँ छुपाने की नाकाम कोसिस करने लगी ।

शेरू- मालिक देखा साली के चूचे , मुझे तो लगता है अपने बाप भाइयों से मसलवाकर फुलाये है इस कुतिया ने ।

गब्बर सिंह - हां देखने से लग रहा है कि अपने बाप भाइयों की रात की रंडी होगी ये ।

शीतल के आंसू और तेज बहना शुरू हो गए ।

शेरू शीतल के पीछे आया और उसके कूल्हों के बीच मे दोनों हाथों से उसकी पजामी को फाड़कर पजामी के टुकड़ों को फेंक दिया । अब शीतल घुटनो से ऊपर बस पैंटी और समीज में थी । उसकी सलवार बस अब घुटनों के नीचे ही बची थी बाकी फाड़कर फेंक दी थी शेरू ने ।

शीतल भी 24 साल की जवान लड़की थी दोस्तों पिछवाड़ा नैना के बराबर तो नही था लेकिन एक सामान्य लड़की से तो भारी थी शीतल की गांड ।
गदरायी हुई शीतल एक हाथ से अपनी चुचियों को और दूसरे हाथ से अपने कूल्हों को ढकने की नाकाम कोशिश कर रही थी ।

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शेरू फिर शीतल के पीछे आकर उसकी कच्छी को दोनों हाथों से पकड़ कर कर उसके दो टुकड़े कर दिए ।
अब तो शीतल नंगी हो गई पूरी भीड़ के सामने और जैसे ही शीतल नंगी हुई नीचे से तो गब्बर सिंह और उसके साथी गुंडे ठहाका लगाकर बहुत जोर जोर से हंसने लगे हा हा हा । उनके ठहाकों भरी हंसी भरी हंसी से पूरा माहौल गूंज गया और इस तरह हंसने की वजह थी शीतल की झांटें ।

हां दोस्तों शीतल एक सीधी-सादी लड़की थी । अपनी झांटे उसने आज तक एक भी बार साफ नहीं की थी और इस वजह से उसकी झांटे उंगलियों से भी भी ज्यादा लंबी थी । उसकी चूत बिल्कुल भी दिखाई नहीं दे रही थी

तभी एक हाथ से शेरू ने शीतल के बाल पकड़े और दूसरे हाथ से शीतल के दोनों हाथों को पकड़कर उसकी पीठ पर कर दिया और शीतल को भीड़ की तरफ घुमा दिया । पूरी भीड़ आंखें फाड़ फाड़ कर शीतल की तरफ देख रही थी और शीतल अपनी नजरें झुकाकर आंखों से आंखों से आंसू बहाते हुए चुपचाप खड़ी थी ।

शेरू ठहाका लगा कर हंसते हुए भीड़ से बोला - हमारे गांव की कुतियों के पास झांटे साफ करने का भी टाइम नहीं है क्या इस रंडी की झांटों ने तो कसम खा ली है की चूत को दिखने ही नहीं देंगी। इतनी लंबी झांटे रखती हैं मेरे गांव की औरतें और लौंडिया।

मुझे तो आज पता चला है ऐसा बोलकर शीतल के हाथ छोड़कर उसकी गांड पर जोरदार थप्पड़ मारा । थप्पड़ इतना जोरदार था कि चटाक की आवाज के साथ शीतल एक दो कदम आगे को बढ़ गई ।

शेरू भीड़ से - इतनी गदरायी हुई बेटियों और बहनों को अपने घर में रखते हो तुम और हमें खबर तक नहीं करते। ऐसे कैसे चलेगा काम।
कम से कम हमें बताएं तो करें ताकि हम उनकी जवानी झाड़ सकें , इनकी नथ उतार सकें । अब तुम ही देख लो गांव वालों की लौंडिया पूरा लंड खाने लायक हो गई है । पूरे गांव के सारे मर्द गांडू और हिजड़े हैं क्या कि इनकी चूतों पर लंड नहीं बजा सकते सकते ।


ऐसा कहते हुए शेरू नंगा हो गया । शेरों का काला लंड बाहर आ गया ।
पूरे गांव की भीड़ की नजरें झुक गई तभी शेरू बोला अगर किसी की नजर मुझे झुकी हुई मिली तो उसी की बहन या बेटी के ऊपर भी चढ़ूंगा आज मैं। या तो मुझे देखो या अपनी रंडी बहन बेटियों को भेजो मेरे पास ।

पूरी भीड़ ने एक साथ अपनी नजरें उठाकर आंखें फाड़ फाड़ कर शेरु और शीतल को देखने लगे । किसी ने भी नजरें झुकाने की गुस्ताखी नहीं की ।

शेरू ने अपना एक हाथ शीतल की चूत पर ले जाना चाहा लेकिन शीतल ने पकड़ लिया । शेरू ने गुस्से से शीतल के गाल पर थप्पड़ मारा और बोला- अगर दोबारा मेरा हाथ पकड़ा या अपने हाथ तूने नीचे की तो अभी तो मैं अकेला ही हूं फिर अपने सारे साथियों को चढ़ा दूंगा भोसड़ी वाली तेरे ऊपर। हाथ ऊपर कर अपने ।

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शीतल ने 1 सेकंड का भी समय नहीं लगाया अपने हाथों को उपर करने में क्योंकि वह बेहद डर गई जब उसने सुना कि वह उसका रेप सारे साथियों से कराएगा और आंखों से आंसू बहती हुई हाथ ऊपर करके खड़ी हो गई।

शेरू ने अपना हाथ शीतल की चूत पर रखा और उसकी झांटों में उसकी उंगलियां उलझ गयीं । झनझना गयी शीतल चूत पर हाथ पढ़ते ही । उसकी जिंदगी में यह पहला अवसर था जब किसी ने उसकी चूत पर हाथ रखा था और यहां तो पूरी भीड़ के सामने नंगी करके उसको छुआ जा रहा था।


दोस्तों आप शीतल की हालत समझ सकते हैं । शेरू ने उसकी झांटों से खेल कर अपना हाथ अपनी नाक के पास लाया और गहरी सांस लेकर बोला।

शेरू - मालिक यह तो वैसी ही है जैसी आप ढूंढ रहे है 20 साल से ।

तुरंत शेरू शीतल से दूर हट कर खड़ा हो गया ।
जैसे ही शेरू ने यह शब्द बोले सारी भीड़ आश्चर्य से उनको देखे जा रही थी।
शेरों के सारे गुंडे लोग और गब्बर सिंह के मुंह से एक साथ निकला - क्या ?

फिर कुछ मिनट तक सन्नाटा छाया रहा। गब्बर सिंह अपने हुक्के में आखरी घूंट मारकर जीप से नीचे उतरा और शीतल की तरफ आने लगा ।

शीतल का चेहरा भीड़ की तरफ था जिस वजह से उसकी गांड गब्बर सिंह की तरफ थी ।
और शीतल की हालत ऐसी हो गई थी कि मुड़कर देखना तो दूर अपनी आंखें भी खोलने की हिम्मत नहीं कर पा रही थी।


गब्बर सिंह पास आया और शीतल के आगे खड़ा होकर उसे घूरने लगा।
फिर शीतल के पीछे खड़ा हुआ और ध्यान से शीतल की गांड को देखते हुए बोला।

गब्बर सिंह - नहीं शेरू यह मुझे नहीं लगती कि यही मेरी तलाश है।

शेरू- मालिक गुस्ताखी माफ करना लेकिन एक बार मेरा आपसे विनम्र निवेदन है कि ध्यान से आप इसके चूतड़ों की चौड़ाई देखिए और उसके बाद वह टेस्ट कीजिए कीजिए जो मैंने टेस्ट किया है । आपको अपने इस प्यादे की बात पर भरोसा हो जाएगा अगर आपको मुझ पर तब भी भरोसा ना हो तो आप एक रात के लिए इसे अपने नीचे सुला लीजिए। सुबह को उठकर आप इसके गुणगान करते नहीं थकेंगे । क्योंकि यह वही है जिसके बारे में तांत्रिक बाबा ने आपको बताया था ।


पूरी भीड़ बड़ी गौर से से उनकी बात सुन रही थी और समझने की कोशिश कर रही थी कि आखिर यह ढूंढ क्या रहे हैं । शीतल के अंदर भी यही चल रहा था इन्हें किसकी तलाश है ।

तभी गब्बर सिंह शेरू से बोला- अगर यह वह नहीं निकली जो तांत्रिक बाबा ने बताया है तो मैं तुझे जमीन में दफना दूंगा जिंदा ही ।


यह सुनकर शेरू का हलक सूख गया लेकिन फिर भी हकलाते हुए बोला- गुस्ताखी माफ करना मालिक लेकिन आपको सलाह देना आपके इस प्यादे का कर्तव्य है । मैं यकीन के साथ नहीं कह सकता लेकिन फिर भी आप एक बार चेक कर लीजिए । हो सकता है यह वही हो ।


अब शीतल भी असमंजस में पड़ गई थी कि आखिर यह लोग ढूंढ क्या रहे हैं। मुझसे चाहते क्या है । मुझमें किस चीज की यह तलाश कर रहे हैं और इन्हें क्या चीज चाहिए । यह सारे सवाल शीतल के भी दिमाग में कौंध रहे थे।


तभी गब्बर सिंह शीतल के पीछे घुटनों के बल बैठ गया और शीतल के नितंबों पर हल्के से थप्पड़ मार कर कूल्हों को सहलाता हुआ बोला- लग तो मुझे भी रहा है शेरू लेकिन मैं भी यकीन के साथ नहीं कह सकता और लग मुझे इसलिए रहा है क्योंकि यह बिना चुदे ही इतनी भारी गांड लिए हुए हैं तो लौड़ा खा कर तो ये घोड़ी की तरह हिनहीनयेगी।


तभी गब्बर सिंह शीतल के पीछे अपने घुटनों के बल बैठा और उसके चौड़े चौड़े चूतड़ों को विपरीत दिशा में फैलाता हुआ और अपनी नाक को उसकी चूत और गांड के छेद के बीच वाली जगह में रखकर गब्बर सिंह ने अपने दोनों हाथो को चूतड़ों से हटा लिया जैसे ही हाथ कूल्हों से हटे तो जो चूतड़ अभी अभी विपरीत दिशाओं में फैले हुए थे उन दोनों मोटे मोटे नितंबों ने गब्बर सिंह का चेहरा दबा लिया। अपना चेहरा शीतल की गांड में दबाकर एक गहरी और लंबी सांस खींची गब्बर सिंह ने ।


दोस्तों जैसे ही एक साथ गब्बर सिंह ने उसकी गांड में मुँह रखकर सांस ली शीतल की आंखें अपने आप खुल गई ।

गहरी सांस लेकर शीतल की गांड से अपना मुंह हटा कर गब्बर सिंह बोला- सही कहा शेरू तूने नशा तो है साली में पर कैसे पता किया जाए यह वही है या नहीं ।

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गब्बर सिंह शीतल के सामने आया और उसकी झांटे भरी चूत में अपनी उंगलियां फसा दीं । गब्बर सिंह उसकी झांटों के बालों को खींचते हुए भीमा की तरफ देखते हुए बोला ।

गब्बर सिंह - देखा साली की झांटें इतनी बड़ी है कि तुम लोगों का लोड़ा झांटों में ही खो जाएगा । तुम्हारे बस की नहीं है इसे चोदना और ऐसा कहकर गब्बर सिंह ने अपने बीच वाली उंगली से शीतल की चूत के छेद को ढूंढना शुरू कर दिया।

फिर दोबारा बोला गब्बर सिंह - कितनी गहरी चूत होगी इस कुतिया की। छेद ही नहीं मिल रहा बहन की लोड़ी का । तभी अपनी उंगली शीतल की चूत के छेद पर हल्की सी ऊँगली शीतल की चूत में घुसानी चाही लेकिन नाखून बराबर उंगली घुसते ही शीतल पीछे की तरफ हट गई । आह की आवाज के साथ ।
यह आवाज मस्ती कि नहीं बल्कि दर्द की थी क्योंकि जिंदगी में पहली बार शीतल ने अपनी चूत के छेद पर किसी की उंगली महसूस की थी। उसकी दर्द भरी आवाज सुनकर गब्बर सिंह भीड़ से बोला ।

गब्बर सिंह - भोसड़ी वालों करते क्या हो तुम लोग । तुम्हारे घर बहन बेटियों की चूतों के छेद बंद पड़े हैं और तुम्हारे बस की नहीं है इन चूतों को खोलना ।देखा किसी ने नाखून बराबर उंगली भी चूत में नहीं गई और साली उछल पड़ी । लंड लेने में तो यह गला फाड़ कर रोएगी ।

गब्बर सिंह ने शीतल की चूत के छेद पर दोबारा से उंगली रखकर नाखून बराबर घुसाई । शीतल को फिर दर्द का एहसास हुआ ।

इस बार गब्बर ने उंगली को हल्की सी घुसाकर निकाल लिया और अपनी नाक के पास लाकर अपनी आंखें बंद करके उसकी खुशबू लेने लगा ।

गब्बर फिर बोला - शेरू हम अभी भी असमंजस में हैं कि यह वही लड़की है या नहीं और ऐसा कह कर उसने शीतल की चूत के छेद पर उंगली रखी और पूरी जान से उसकी चूत में उंगली घुसा दी ।

जैसे ही शीतल की चूत में उंगली गयी असहनीय दर्द के साथ शीतल पैरों के पंजों पर उचक कर खड़ी हो गई मानो उंगली पर टांग ली हो गब्बर सिंह ने।

और अपने दोनों कानों पर हाथ रखकर शीतल बुरी तरह से चीखी - नैना Nainaaaaaaaa ।

दोस्तों शीतल इतनी तेज चीखी थी कि उसकी यह पुकार नैना के कानों में पड़ी । उसने जल्दी से मंदिर की बाहर की तरफ देखा तो सारी की सारी भीड़ मंदिर की तरफ पीठ करके खड़ी थी ।

उसे समझने में देर ना लगी कि शीतल किसी मुसीबत में है । शीतल की आवाज मानो नैना के कानों में गूंज रही थी- नैना नैना नैना नैना ।

नैना ने चाकू को अपनी पीठ के पीछे हाथ करके छुपाया और अपने दोनों हाथ पीछे की तरफ करके भीड़ की तरफ आने लगी ।

नैना बड़ी ही मस्तानी चाल से बिल्कुल निडर होकर भीड़ को चीरती हुई भीड़ को पार किया ।

जैसे ही भीड़ से निकली नैना। उसकी आंखों के सामने जो नजारा था उसे यकीन नहीं हुआ । उसकी आंखों में मानो चंडी तांडव करने लगी नैना ने अपने दांत गुस्से से पीस लिए और पीछे हाथ में लिए चाकू को हाथों से कस लिया ।

गब्बर सिंह ने जैसे ही देखा कि शीतल ने किसी नैना को पुकारा है और एक लड़की भीड़ में से निकल कर आई है।

गब्बर सिंह हंसते हुए बोला- यह बचाएगी तुझको हा हा हा । बुलाले जिस को बुलाना है आज तो तुझे हम अपने कंधे पर उठाकर नंगी ही अपने शयनकक्ष में ले जाएंगे ऐसा बोल ही रहा था गब्बर सिंह कि नैना बढ़ते हुए उनकी तरफ आने लगी ।

जैसे-जैसे नैना गब्बर सिंह की तरफ बढ़ती जा रही थी वैसे वैसे गब्बर सिंह और उसके साथियों की आंखें चौड़ी होती जा रही थी और मुंह खुले के खुले रह गए थे उसकी वजह थी नैना का जिस्म नैना का गदराया बदन ।

क्योंकि वास्तव में नैना पर पहली बार नजर पड़ी थी गब्बर सिंह और उसके साथियों की। उन्होंने पहले ऐसी लड़की नहीं देखी थी जिसकी छातियां बाहर को निकल कर तनी हुई हों और चलते हुए किसी मस्तानी हथनी की तरह उसके मस्ताने कूल्हे थलथला रहे हो । अजीब सा नशा था नैना की चाल में। पटियाला सलवार में चलते हुए उसके चूतड़ों की थिरकन छुपी नहीं रहती थी।

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अब तक नैना पास आ चुकी थी गब्बर सिंह और शीतल के ।

नैना गब्बर की आंखों में घूरती हुई बोली- हाथ छोड़ शीतल का।


गब्बर को यकीन ही नहीं हो रहा था कि इस दुनिया में उससे कोई इस तरीके से भी आंख मिला सकता है । उसकी हैरानी से आंखें फैल गई ।

तभी नैना गुस्से से अपने दांत पीसते हुए बोली - मैंने कहा हाथ छोड़ ।

पूरे गांव वाले आंखें फाड़ कर नैना की दिलेरी को देख रहे थे ।


तभी बराबर में जो नंगा शेरू खड़ा था वह उखड़ते हुए नैना से बोला- साली क्या बोलती है मालिक से। तेरी बोलती भी अभी बंद करता हूं इस रंडी की तरह । ले मैं तेरा हाथ पकड़ता हूं।

फिर उसने ऐसा बोलकर जैसे ही नैना का हाथ पकड़ना चाहा। तो सारी भीड़ के हाथ अपने मुंह पर चले गए । सब ने अपने मुंह पर हाथ रख लिया ।

दोस्तों हुआ ही कुछ ऐसा था जैसे ही शेरू ने नैना का हाथ पकड़ना चाहा नैना ने गजब की फुर्ती से अपने चाकू वाले हाथ से शेरों के लंड की जड़ पर चाकू मारा। प्रहार इतना तेज था की शेरू का लंड कट कर जमीन पर गिर पड़ा। और उसी सेकंड शेरू भी अपने दोनों हाथ लंड वाली जगह पर रख कर जमीन पर चित हो गया । खून की नाली सी बहने लगी ।


यह नजारा देखकर गब्बर सिंह ने 1 सेकेंड के अंदर शीतल का हाथ छोड़कर दोनों हाथ ऊपर कर लिए । अब गब्बर सिंह नैना के सामने ऐसे खड़ा था जैसे पुलिस के सामने चोर अपने दोनों हाथ ऊपर करके खड़ा होता है ।

पूरे गांव की भीड़ यह नजारा देख रही थी और अजीब सा सन्नाटा था । तभी एक और चटाक की आवाज गूंजी और यह आवाज थी नैना के थप्पड़ की जो उसने गब्बर सिंह के गाल पर मारा था । नैना के हाथ का थप्पड़ पड़ते गब्बर ने एक हाथ अपने गाल पर रख लिया ।


तभी गांव वालों की भीड़ ने एक अजीब शोर उठा दिया । भीड़ वालों की आवाज से आसमान तक गूंज उठा । गांव वालों की ये आवाज सुनकर गब्बर को पहली बार डर का अनुभव हुआ था । गब्बर सिंह को इस आवाज ने अंदर से झकझोर कर रख दिया । गब्बर सिंह के खोफ की जड़ो को हिला दिया था इस आवाज ने ।
हां दोस्तों जानना चाहते हो ना आप की ये क्या आवाज थी ।
ये आवाज थी सभी गांव वालों की, सभी बूढ़े और बच्चो को , सभी बहन और बेटियों की , सभी पुरुषों की जो अपना हाथ बार बार उठाकर
बस बार बार एक ही शब्द बोल रहे थे - नैना नैना नैना नैना नैना ...


इस दिलेरी की उम्मीद तो दूर कल्पना भी नहीं की थी गब्बर ने ।

गब्बर सिंह के सारे गुंडे कांपने लगे लेकिन जैसे ही गब्बर सिंह ने अपने साथियों की तरफ देखा तो गुंडों ने मजबूर होकर नैना की तरफ बढ़ना शुरू किया क्योंकि उन्होंने गब्बर सिंह का नमक खाया था ।

एक गुंडा नैना के पास आया और नैना को थप्पड़ मारने लगा जैसे ही उसने थप्पड़ मारने के लिए हाथ बढ़ाया कि अचानक उसका हाथ किसने पकड़ लिया । यह देखकर नैना मुस्कुरा पड़ी । अचानक गुंडे ने अपना चेहरा पीछे की तरफ घुमाया तो चेहरा घूमते ही उसके मुंह पर घुसा पड़ा जिससे वह वहीं जमीन पर चित्त हो गया । और उसी समय एक लात गब्बर सिंह के पेट में पड़ी । लात लगते ही गब्बर सिंह जीप के शीशे में जाकर लगा और जीप का शीशा टूट गया । दरअसल हुआ ऐसा जब वह गुंडा नैना को थप्पड़ मारने के लिए बढ़ा वैसे ही पीछे से नवीन ने उसका हाथ पकड़ लिया।
हां दोस्तों यह लात मारने वाला कोई और नहीं बल्कि नैना का भाई नवीन था ।


अब तो सारे गुंडे दुम दबाकर भागने लगे । सारे गुंडे गब्बर सिंह सुख को जीप में डालकर जल्दी से यहां से भागे ।

सारे गांव की भीड़ अभी खड़ी खड़ी तमाशा देख रही थी।
नैना ने अपना दुपट्टा उतारा और उससे शीतल को ढक दिया ।
तभी भीड़ में से नैना के पास एक लड़का आया जो शीतल के चाचा का लड़का था , उसने आकर नैना को धन्यवाद कहा हाथ जोड़कर , तभी उसके गाल पर नैना का तमाचा पड़ा ।
जैसे ही नैना में शीतल के चाचा के लड़के को तमाचा मारा शीतल हैरानी से नैना को देखने लगी ।

तभी किसी शेरनी की तरह दहाड़ी नैना - हिजड़ों की बस्ती में कोई ऐसा नहीं जो अपनी बहन और बेटी की रक्षा कर सके। अब मुझे तुम धन्यवाद देने आ रहे हो जब तुम्हारी बहन के यहां नंगा किया जा रहा था तब तुम कहां थे । अगर इस गांव का यही हाल रहा। इसी तरह जलालत भरी जिंदगी जीते रहे तो एक दिन गब्बर सिंह तुम सब की बहन बेटियों को ऐसे ही नंगी करेगा । थूकती हूं मैं ऐसे मर्दो पर मेरी नजर में तुम मर्द नहीं छक्के हो छक्के ।

पूरे गांव को शर्मिंदा करके नैना ने अपने भाई नवीन का हाथ पकड़ा और बढ़ गई अपने घर की तरफ ।

नैना और नवीन के चलने का स्टाइल कुछ ऐसा था जैसे मानो फिल्म के दो हीरो अपना मिशन पूरा करके attitude से चल रहे हों ।


रात के 9:00 बज चुके थे पूरे गांव में आज सन्नाटा था।
कोई अपने घर से बाहर नहीं निकल रहा था ।


उधर दूसरी तरफ गब्बर सिंह अपने साथियों के साथ बैठा हुआ था ।
बीच में मेज रखी थी जिस पर दारू की चार बोतल रखी थी , और चारों तरफ उसके गुंडे बैठे थे , कुछ गुंडे खड़े भी थे जिनके हाथों में हथियार थे ।

तभी भीमा बोला - मालिक आप चिंता ना कीजिए आप मुझे हुकुम दें मैं उनका खेल अभी खत्म करके आता हूं ।

गब्बर सिंह - नहीं भीमा नहीं सोचना पड़ेगा , सोचना पड़ेगा मुझे उनके बारे में । बहुत गहराई से सोचना पड़ेगा। पहली बार आज मुझे किसी ने थप्पड़ मारा है । जिसने इतनी हिम्मत की है उसका खेल खत्म करने के लिए बहुत सोचना पड़ेगा भीमा । मुझे वह लड़की शीतल चाहिए । अगर वह लड़की वही निकली जिसे मैं 20 सालों से ढूंढ रहा हूं तो मैं तुझे क्षेत्र का राजा बना दूंगा । लेकिन मुझे वह लड़की चाहिए जो मुझे तांत्रिक ने बताया था और वह लड़की मुझे चाहिए किसी भी कीमत पर ।


भीमा - मालिक माफ कीजिएगा लेकिन मैं जानना चाहता हूं कि क्या वही वह लड़की है जिसे हम ढूंढ रहे हैं अपने मालिक के लिए ।

गब्बर सिंह - मुझे लग रहा है कि वही है पर मैं यकीन के साथ नहीं कह सकता ।

तभी गब्बर ने हाथ से भीमा को चुप रहने का इशारा किया । और खुद भी चुप हो गया ।

कुछ देर बाद भीमा - क्या हुआ मालिक आप खामोश क्यों हो गए ।

गब्बर सिंह ने खामोशी की वजह किसी को नही बताई । और उठकर सोने चला गया सबको वही छोड़कर ।

बिस्तर पर जब गब्बर सिंह सोने लगा कि अचानक उसने फिर से वही खामोशि महसूस की और उसने अपने कानों पर हाथ रख लिए ।

दोस्तो इसकी वजह ये थी कि गब्बर सिंह के कानों में बस एक ही आवाज गूंज रही थी ।

और वो आवाज थी गांव वालों की - नैना नैना नैना नैना ---------

**********
दोस्तों अगर आपको कहानी समझ में आ रही हो या अच्छी लगी हो तो कृपया करके कमेंट करें ।

ताकि मैं इसे आगे लिखना जारी रखूं ।
साथ बने रहने के लिए दिल से धन्यवाद।
आपका अपना - रचित ।

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:congrats: for new story thread
दिल से धन्यवाद ।
पढ़के बताओ लिखूं या नही
 

Iron Man

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Hi दोस्तों ।
Title से ही पता लग गया होगा की कहानी किस तरह की होगी ।
ये कहानी है नैना की । ये कहानी शुरू होती है नैना के गाँव जगतपुर से।

वो नैना जिसे घमंड है अपने संस्कारों पर , जिसे गुरूर है अपनी खूबसूरती पर । जिसे घमंड है एक लड़की होने पर ।

घमंड हो भी क्यो ना , नैना जैसी खूबसूरती बहुत ही कम लड़कियों को मिलती है । और उसकी वजह थे नैना के मां-बाप ।


नैना के पापा बलराज सिंह फ़ौज से रिटायर्ड है , उनकी लंबाई 7 फुट के आसपास होगी और एक तगड़े तंदरुस्त पहलवानों वाले शरीर की तरह हट्टे-कट्टे शरीर के मालिक है ।

नैना की माँ एक निहायती ही शरीफ और सीधी साधी औरत है । अगर बात करे शरीर की तो इनकी लंबाई भी 6 फुट के आसपास होगी । लेकिन खास बात यह कि ये फिर भी लंबी नजर नही आती और इसकी वजह है कि इनका शरीर दुबला पतला नही है। इनका शरीर भारी भरकम है । ना ही ये मोटी दिखती है ना ही पतली ।

नैना का भाई नवीन सिंह एक पहुंचे हुए पहलवान है । अच्छे अच्छे पहलवानों को ये 2 मिनट से भी कम समय मे ये धूल चटा देते है ।

दोस्तो बच्चो के नैन-नक्श , बच्चो की कद-काठी , बच्चों का रंग रूप , ये सब कुछ माँ बाप पर ही तो निर्भर करता है ।
यही वजह थी कि नैना अपने साथ कि लड़कियों में सबसे अलग थी ।अपनी 22 साल की उम्र में नैना ने शरीर के मुकाबले में अपनी सारी सहेलियों को कई किलोमीटर पीछे छोड़ दिया था ।
नैना की लंबाई 5.8 फ़ीट थी । बिल्कुल अपने माँ बाप पर गयी थी नैना ।
नैना के बदन की अगर बात करे तो 22 की उम्र में ही नैना का फिगर 34×30×38 था।
अब आप समझ गए होंगे कि क्यो अलग थी नैना सब सहिलयो से। नैना अपनी माँ की तरह ही तगड़ी और कामुक औरत जैसी लगने लगी थी 22 कि उम्र में।
नैना ढीले ढाले पटियाला सूट सलवार ही पहनती थी ज्यादातर जिस वजह से उसका बदन ज्यादा एक्सपोज़ तो नही होता है लेकिन देखने वाले फिर भी उसे पलटकर देखे बिना नही रह पाते थे । खाते पीते घर की लड़की नैना । नैना की काली आंखे , गोरे और लालिमा लिए हुए कश्मीरी सेब जैसे गाल । गले मे एक प्यारा सा लॉकेट रहता था जिसमे उसके मां-बाप की फ़ोटो थी छोटी सी। उसके नीचे उसके स्तन यानी चूचे ऐसे थे बिल्कुल कड़क जैसे सीने पर पर्वत की दो चोटियां हों । नैना के चूचे उसके सीने की बहुत ज्यादा जगह को घेरते थे । सीने पर बस मोटी मोटी छातियां ही नजर आती थी ।
उसके नीचे उसके गोरा पेट जिसे आजतक किसी ने नही देखा था क्योंकि हमेशा सूट सालार पहनती थी नैना ।
फिर उसके नीचे शुरू होता था उसका सबसे अनमोल , सबसे कीमती खजाना जिस पर उसे गुरुर था । नैना के नितंब उम्र से पहले ही भारी होकर बाहर को निकल गए थे ।
दोस्तों किसी लड़की का पिछवाड़ा निकला हुआ हो या चूचे बड़े हो तो ये जरूरी नही की इसके पीछे किसी मर्द या पुरुष का हाथ है । कुदरती भी किसी किसी का बदन ऐसा होता है । और नैना के साथ भी ऐसा ही था ।
नैना की बहार को निकली उठे उठे कूल्हों का अंदाजा उसकी सलवार पहनने के बावजूद बड़ी आसानी से लगाया जा सकता था ।

IMG-20200826-231250

जांघे सलवार में दिखती नही थी लेकिन भारी भारी पिछवाड़े को देखकर ही लोग समझ जाते थे कि जांघे गदरायी हुई होंगी ।

नैना के अंदर एक कमी थी बस और वो थी उसका गुस्सा । नैना के गुस्से के सामने अच्छे अच्छे थर्रा जाते थे जब वो दहाड़ती तो सब ऐसे कांप जाते जैसे कोई शेरनी सामने आगयी हो ।

अब चलते है कहानी की ओर ।

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दोस्तों ये कहानी मेरी पहली कहानी (संस्कारी परिवार की बेशर्म कामुक रंडियां) से बिल्कुल अलग है तो इसे एक अलग माइंडसेट से पढ़िएगा ।
मेरी पहली कहानी को अपने इतना प्यार दिया उसका आभार व्यक्त करने के लिये मेरे पास शब्द नही है ।
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गब्बर सिंह जगतपुर गांव के प्रधान हैं। इनका इतना खोफ है कि आसपास के बड़े नेता इनके पैर छूने रोज इनके घर आते हैं । 45 साल की उम्र है गब्बर सिंह की । अभी तक इन्होंने शादी नही की है और ना ही किसी लड़की या औरत के साथ सोए है आजतक । इसकी वजह आपको कहानी में पता चलेगी ।
एक नंबर के अय्याश, आवारा और ठरकी और काले रंग का आदमी है । पर गांव में और आसपास के इलाके में इनका पूरा दबदबा है । क्योंकि अगर कोई इनकी बात नही मानता तो उसे मार पीटकर ये गांव से भगा देते है । हर वक्त इनके साथ इनके आठ दस चमचे रहते है जो सारे के सारे गुंडे टाइप के आदमी है । इसलिए सब इनसे बचकर चलते है ।

आज गब्बर सिंह ने गांव में एक नये मंदिर का उदघाटन किया । गांव के सारे लोग लोग और लुगाई मंदिर के उद्घाटन में शामिल हुए है ।

नैना भी अपनी सहेली शीतल के साथ फंक्शन में शामिल हुई थी ।
शीतल एक सीधी साधी लड़की थी ।
नैना ने पटियाला सूट सलवार पहने हुए थे और शीतल ने चूड़ीदार पजामी कुर्ती । जिसमे से शीतल की मोटी मोटी जांघे साफ दिख रही थी ।

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शीतल प्रशाद लेकर भीड़ में से जैसे ही निकली उसकी नजर सामने खड़ी जीप पर पड़ी । जीप के बोनट पर गब्बर सिंह के दो गुंडे बैठे थे दो चार गुंडे अंदर जीप में थे और दो चार गुंडे जीप के बाहर खड़े थे ।
ये सब गब्बर सिंह की प्रतीक्षा कर रहे थे क्योंकि गब्बर सिंह अभी प्रशाद ले रहा था पंडित जी से ।

शीतल ने देखा कि नैना का नंबर मुझसे बाद में था इसलिए वो अभी प्रशाद लेती रह गयी है । तभी भीड़ में से गब्बर सिंह निकला और अपनी जीप की तरफ बढ़ने लगा ।

तभी अचानक पूरा माहौल जयकारों से गूंज उठा- गब्बर सिंह जिंदाबाद , गब्बर सिंह अमर रहे , हमारा मालिक कैसा हो गब्बर सिंह जैसा हो । हमारा मालिक कैसा हो गब्बर सिंह जैसा हो ।

गब्बर सिंह ने एक बार भीड़ की तरफ मुड़कर बड़े रौब से अपना काला चश्मा उतारा और एक कुटिल मुस्कान के साथ हाथ ऊपर उठाकर हिलाया । जयकारे बंद हो गए ।

तभी भीड़ में से गांव का एक बुजुर्ग बूढ़ा आदमी लाठी के सहारे चलते हुए निकल और गब्बर सिंह के पास आकर अचानक ठोकर खाकर गिर गया ।

तभी गब्बर सिंह का एक चमचा भागकर आया और बुड्ढे व्यक्ति का कुर्ते का कॉलर पकड़कर उठाते हुए थप्पड़ मारकर बोला - ओ बूढ़े मालिक के सामने गिरने का नाटक करता करता है चल भाग यहां से ।

पूरी भीड़ एकदम चुपचाप ये सब देख रही थी खड़ी होकर । गब्बर सिंह ने आंख उठाकर भीड़ की तरफ देखा तो जिसकी भी तरफ गब्बर सिंह अपनी नजरें घुमाता उसी इंसान का चेहरा झुक जाता । इतना ख़ौफ़ था गब्बर सिंह का ।

बूढ़ा व्यक्ति अपनी आंखों में बेबसी के आंसू लाते हुए लाचार नजरों से भीड़ की तरफ देखने लगा ।
तभी गब्बर का चमचा बोला - ओ बूढ़े देख क्या रहा है अभी भी यही खड़ा है साले दूसरे थप्पड़ में तू मर जायेगा चल निकल यहां से ।

बूढ़ा रोते हुए चला गया ।
अंदर नैना को समय लग रहा था क्योंकि उसके भाई नवीन का फोन आगया था ।

नवीन - हेलो नैना कहाँ हो ।

नैना - भैया मंदिर में ही हु । आप कहाँ हो ।

नवीन - मैं भी बस मंदिर पहुंचने वाला हूँ कुछ मिनट में ।

नैना - हां आजाओ । पर मंदिर के आगे बहुत भीड़ लगी है, पूरा गांव जो आया है तो आकर फोन कर लेना ।

नवीन - ok bye ।


तभी भीड़ में से गब्बर का एक और गुंडा निकला हाथ मे प्रशाद लेकर जिसका नाम शेरू था ।

शेरू जैसे ही भीड़ से निकल तो वो अपनी गर्दन पीछे भीड़ की तरफ कुछ देखते हुए निकला । और इस तरह निकलने से उसकि टक्कर बाहर खड़ी शीतल से हो गयी । शेरू के हाथ से प्रशाद नीचे जमीन पर गिर गया ।
शेरू जैसे ही हाथ अपने सफेद कुर्ते से झाड़ता हुआ आगे की तरफ कदम बढ़ाने को हुआ तभी एक आवाज से ठिठक गया ।

दरअसल ये सब कुछ इतना जल्दी हुआ था कि शीतल को अभी तक समझ नही आया था कि उससे कौन टकराकर जा रहा है उसके मुंह से तो बस अचानक निकल गया - अंधे हो क्या ?

यही वो आवाज थी जिसे सुनकर शेरू ठिठक गया था । अब जैसे ही शीतल ने देखा कि वो टकराने वाला कोई गांव का आम आदमी नही बल्कि गब्बर का गुंडा था तो उसके पैरों के नीचे से जमीन ही खिसक गई । माथे पर पसीना आगया । शीतल का गला सूख गया कि उसने ये क्या अनर्थ कर दिया ।

शेरू ने अपनी शराबी लाल आंखों से शीतल को घूरा और बहुत धीरे से बोला जिसे बस शीतल ही सुन सकी ।

शेरू - क्या बोली तू बहन-की-लौड़ी दोबारा बोल ।

शीतल ने ऐसी गंदी गाली पहले नही सुनी थी , शीतल की हालत काटो तो खून नही वाली हो गयी । उसके माथे का पसीना पूरे चेहरे पर आगया । शीतल कुछ नही बोली अपनी नजरे झुकाए खड़ी रही ।

तभी एक आवाज पूरे गुर्राते हुए गूंजी तो सारी की सारी की भीड़ की नजरें शेरू और शीतल पर जम गयीं ।क्योंकि इस बार शेरू ने धीरे से नही बल्कि चीखकर पूछा था ।

शेरू - मैंने पूछा तू क्या बोली रंडी ।

शीतल की हालत ऐसी हो गयी कि वो सोचने लगी कि काश मैं इसी पल धरती में समा जाऊं । शीतल नजरे झुकाए चुपचाप खड़ी रही ।

शेरू ने एक नजर गब्बर सिंह की तरफ देखा जैसे पूछ रहा हो कि क्या करूँ ।

गब्बर सिंह - पर काट दे साली के ।

गब्बर की ये बात पूरी भीड़ ने सुनी । और गब्बर सिंह जीप के बोनट पर जाकर बैठ गया । तभी एक गुंडे ने गब्बर सिंह के सामने हुक्का लाकर रखा । गब्बर सिंह कभी शेरू शीतल की तरफ तो कभी भीड़ की तरफ हुक्का पीते हुए देखने लगा ।

शेरू - पर तो इसके काटने पड़ेंगे मालिक । लेकिन इसके पर आज ऐसे काटूंगा की फिर इस गांव में दोबारा किसी की औकात नही होगी ऐसा करने की ।

शेरू ने ऐसा बोलकर शीतल के बाल पकड़े और उसे बीच मे खाली जगह में खींच लाया ।
शीतल का दुपट्टा खींचकर फेंक दिया शेरू ने । तभी भीड़ से एक रोती हुई आवाज आई । जो कि शीतल के मां बाप की थी ।

शीतल के मां-बाप - भगवान के लिए माफ करदो मेरी बच्ची को । मेरी बेटी से गलती हो गयी । हम आपकी सारी सजा भुगतने को तैयार हैं ।

शेरू - भीड़ की तरफ देखते हुए- अगर ये आवाज दोबारा सुनाई दी तो सारे गांव की औरतों और लौंडियों से मुजरा करवाऊंगा यहां भोसड़ी वालों ।

जैसे ही भीड़ ने ये सुना तो जो लोग शीतल के मां बाप के पास खड़े थे उन्होंने शीतल के मां बाप का मुंह अपने हाथों से भींचकर बंद कर लिया जिससे कि उनके मुह से आवाज ना निकल सके ।

यह देखकर गब्बर सिंह के चेहरे पर एक कुटिल मुस्कान फैल गई । भीड़ में जिन्होंने शीतल के मा बाप का मुह अपने हाथों से बंद किया हुआ था वो शीतल के मां बाप को समझाने लगे दिलासा देने लगे- आप चुप हो जाइए बेटी को भगवान के भरोसे छोड़ दीजिए , वरना ये लोग शीतल के साथ साथ हमारी बेटियों के साथ ऐसा ही करेंगे ।


शेरू - शीतल से - देख कुतिया तेरे मां बाप की बोलती तो बंद करदी अब तेरी करनी है । शीतल की छातियों को घूरते हुवे शेरू गब्बर सिंह और अपने गुंडे साथियों से बात करने लगा । ये बाते पूरी भीड़ पुतला बनकर सुन रही थी ।

शेरू - मालिक साली पकी हुआ पपीता है ये तो बिल्कुल ।

गब्बर सिंह - निचोड़ डाल साली को ।

तभी गब्बर का एक गुंडा बोला जिसका नाम भीमा था - मालिक मैं तो कहता हूं साली के ऊपर मैं और शेरू एकसाथ चढ़ जाते है ।

अपनी दशा देखकर शीतल की आंखों से आंसू निकलने लगे ।

शेरू - नही भीमा इस साली के दाँत तो मैं अकेला ही तोडूंगा ।
ऐसा कहकर शेरू ने शीतल की कुर्ती अपने दोनों हाथों से फाड़ दी ।

शीतल ने निचे समीज पहनी हुई थी । कुर्ती फटते ही उसकी समीज में कसी चुचियाँ सामने आगयीं ।
शीतल अपने दोनों हाथो से अपनी चुचियाँ छुपाने की नाकाम कोसिस करने लगी ।

शेरू- मालिक देखा साली के चूचे , मुझे तो लगता है अपने बाप भाइयों से मसलवाकर फुलाये है इस कुतिया ने ।

गब्बर सिंह - हां देखने से लग रहा है कि अपने बाप भाइयों की रात की रंडी होगी ये ।

शीतल के आंसू और तेज बहना शुरू हो गए ।

शेरू शीतल के पीछे आया और उसके कूल्हों के बीच मे दोनों हाथों से उसकी पजामी को फाड़कर पजामी के टुकड़ों को फेंक दिया । अब शीतल घुटनो से ऊपर बस पैंटी और समीज में थी । उसकी सलवार बस अब घुटनों के नीचे ही बची थी बाकी फाड़कर फेंक दी थी शेरू ने ।

शीतल भी 24 साल की जवान लड़की थी दोस्तों पिछवाड़ा नैना के बराबर तो नही था लेकिन एक सामान्य लड़की से तो भारी थी शीतल की गांड ।
गदरायी हुई शीतल एक हाथ से अपनी चुचियों को और दूसरे हाथ से अपने कूल्हों को ढकने की नाकाम कोशिश कर रही थी ।

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शेरू फिर शीतल के पीछे आकर उसकी कच्छी को दोनों हाथों से पकड़ कर कर उसके दो टुकड़े कर दिए ।
अब तो शीतल नंगी हो गई पूरी भीड़ के सामने और जैसे ही शीतल नंगी हुई नीचे से तो गब्बर सिंह और उसके साथी गुंडे ठहाका लगाकर बहुत जोर जोर से हंसने लगे हा हा हा । उनके ठहाकों भरी हंसी भरी हंसी से पूरा माहौल गूंज गया और इस तरह हंसने की वजह थी शीतल की झांटें ।

हां दोस्तों शीतल एक सीधी-सादी लड़की थी । अपनी झांटे उसने आज तक एक भी बार साफ नहीं की थी और इस वजह से उसकी झांटे उंगलियों से भी भी ज्यादा लंबी थी । उसकी चूत बिल्कुल भी दिखाई नहीं दे रही थी

तभी एक हाथ से शेरू ने शीतल के बाल पकड़े और दूसरे हाथ से शीतल के दोनों हाथों को पकड़कर उसकी पीठ पर कर दिया और शीतल को भीड़ की तरफ घुमा दिया । पूरी भीड़ आंखें फाड़ फाड़ कर शीतल की तरफ देख रही थी और शीतल अपनी नजरें झुकाकर आंखों से आंखों से आंसू बहाते हुए चुपचाप खड़ी थी ।

शेरू ठहाका लगा कर हंसते हुए भीड़ से बोला - हमारे गांव की कुतियों के पास झांटे साफ करने का भी टाइम नहीं है क्या इस रंडी की झांटों ने तो कसम खा ली है की चूत को दिखने ही नहीं देंगी। इतनी लंबी झांटे रखती हैं मेरे गांव की औरतें और लौंडिया।

मुझे तो आज पता चला है ऐसा बोलकर शीतल के हाथ छोड़कर उसकी गांड पर जोरदार थप्पड़ मारा । थप्पड़ इतना जोरदार था कि चटाक की आवाज के साथ शीतल एक दो कदम आगे को बढ़ गई ।

शेरू भीड़ से - इतनी गदरायी हुई बेटियों और बहनों को अपने घर में रखते हो तुम और हमें खबर तक नहीं करते। ऐसे कैसे चलेगा काम।
कम से कम हमें बताएं तो करें ताकि हम उनकी जवानी झाड़ सकें , इनकी नथ उतार सकें । अब तुम ही देख लो गांव वालों की लौंडिया पूरा लंड खाने लायक हो गई है । पूरे गांव के सारे मर्द गांडू और हिजड़े हैं क्या कि इनकी चूतों पर लंड नहीं बजा सकते सकते ।


ऐसा कहते हुए शेरू नंगा हो गया । शेरों का काला लंड बाहर आ गया ।
पूरे गांव की भीड़ की नजरें झुक गई तभी शेरू बोला अगर किसी की नजर मुझे झुकी हुई मिली तो उसी की बहन या बेटी के ऊपर भी चढ़ूंगा आज मैं। या तो मुझे देखो या अपनी रंडी बहन बेटियों को भेजो मेरे पास ।

पूरी भीड़ ने एक साथ अपनी नजरें उठाकर आंखें फाड़ फाड़ कर शेरु और शीतल को देखने लगे । किसी ने भी नजरें झुकाने की गुस्ताखी नहीं की ।

शेरू ने अपना एक हाथ शीतल की चूत पर ले जाना चाहा लेकिन शीतल ने पकड़ लिया । शेरू ने गुस्से से शीतल के गाल पर थप्पड़ मारा और बोला- अगर दोबारा मेरा हाथ पकड़ा या अपने हाथ तूने नीचे की तो अभी तो मैं अकेला ही हूं फिर अपने सारे साथियों को चढ़ा दूंगा भोसड़ी वाली तेरे ऊपर। हाथ ऊपर कर अपने ।

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शीतल ने 1 सेकंड का भी समय नहीं लगाया अपने हाथों को उपर करने में क्योंकि वह बेहद डर गई जब उसने सुना कि वह उसका रेप सारे साथियों से कराएगा और आंखों से आंसू बहती हुई हाथ ऊपर करके खड़ी हो गई।

शेरू ने अपना हाथ शीतल की चूत पर रखा और उसकी झांटों में उसकी उंगलियां उलझ गयीं । झनझना गयी शीतल चूत पर हाथ पढ़ते ही । उसकी जिंदगी में यह पहला अवसर था जब किसी ने उसकी चूत पर हाथ रखा था और यहां तो पूरी भीड़ के सामने नंगी करके उसको छुआ जा रहा था।


दोस्तों आप शीतल की हालत समझ सकते हैं । शेरू ने उसकी झांटों से खेल कर अपना हाथ अपनी नाक के पास लाया और गहरी सांस लेकर बोला।

शेरू - मालिक यह तो वैसी ही है जैसी आप ढूंढ रहे है 20 साल से ।

तुरंत शेरू शीतल से दूर हट कर खड़ा हो गया ।
जैसे ही शेरू ने यह शब्द बोले सारी भीड़ आश्चर्य से उनको देखे जा रही थी।
शेरों के सारे गुंडे लोग और गब्बर सिंह के मुंह से एक साथ निकला - क्या ?

फिर कुछ मिनट तक सन्नाटा छाया रहा। गब्बर सिंह अपने हुक्के में आखरी घूंट मारकर जीप से नीचे उतरा और शीतल की तरफ आने लगा ।

शीतल का चेहरा भीड़ की तरफ था जिस वजह से उसकी गांड गब्बर सिंह की तरफ थी ।
और शीतल की हालत ऐसी हो गई थी कि मुड़कर देखना तो दूर अपनी आंखें भी खोलने की हिम्मत नहीं कर पा रही थी।


गब्बर सिंह पास आया और शीतल के आगे खड़ा होकर उसे घूरने लगा।
फिर शीतल के पीछे खड़ा हुआ और ध्यान से शीतल की गांड को देखते हुए बोला।

गब्बर सिंह - नहीं शेरू यह मुझे नहीं लगती कि यही मेरी तलाश है।

शेरू- मालिक गुस्ताखी माफ करना लेकिन एक बार मेरा आपसे विनम्र निवेदन है कि ध्यान से आप इसके चूतड़ों की चौड़ाई देखिए और उसके बाद वह टेस्ट कीजिए कीजिए जो मैंने टेस्ट किया है । आपको अपने इस प्यादे की बात पर भरोसा हो जाएगा अगर आपको मुझ पर तब भी भरोसा ना हो तो आप एक रात के लिए इसे अपने नीचे सुला लीजिए। सुबह को उठकर आप इसके गुणगान करते नहीं थकेंगे । क्योंकि यह वही है जिसके बारे में तांत्रिक बाबा ने आपको बताया था ।


पूरी भीड़ बड़ी गौर से से उनकी बात सुन रही थी और समझने की कोशिश कर रही थी कि आखिर यह ढूंढ क्या रहे हैं । शीतल के अंदर भी यही चल रहा था इन्हें किसकी तलाश है ।

तभी गब्बर सिंह शेरू से बोला- अगर यह वह नहीं निकली जो तांत्रिक बाबा ने बताया है तो मैं तुझे जमीन में दफना दूंगा जिंदा ही ।


यह सुनकर शेरू का हलक सूख गया लेकिन फिर भी हकलाते हुए बोला- गुस्ताखी माफ करना मालिक लेकिन आपको सलाह देना आपके इस प्यादे का कर्तव्य है । मैं यकीन के साथ नहीं कह सकता लेकिन फिर भी आप एक बार चेक कर लीजिए । हो सकता है यह वही हो ।


अब शीतल भी असमंजस में पड़ गई थी कि आखिर यह लोग ढूंढ क्या रहे हैं। मुझसे चाहते क्या है । मुझमें किस चीज की यह तलाश कर रहे हैं और इन्हें क्या चीज चाहिए । यह सारे सवाल शीतल के भी दिमाग में कौंध रहे थे।


तभी गब्बर सिंह शीतल के पीछे घुटनों के बल बैठ गया और शीतल के नितंबों पर हल्के से थप्पड़ मार कर कूल्हों को सहलाता हुआ बोला- लग तो मुझे भी रहा है शेरू लेकिन मैं भी यकीन के साथ नहीं कह सकता और लग मुझे इसलिए रहा है क्योंकि यह बिना चुदे ही इतनी भारी गांड लिए हुए हैं तो लौड़ा खा कर तो ये घोड़ी की तरह हिनहीनयेगी।


तभी गब्बर सिंह शीतल के पीछे अपने घुटनों के बल बैठा और उसके चौड़े चौड़े चूतड़ों को विपरीत दिशा में फैलाता हुआ और अपनी नाक को उसकी चूत और गांड के छेद के बीच वाली जगह में रखकर गब्बर सिंह ने अपने दोनों हाथो को चूतड़ों से हटा लिया जैसे ही हाथ कूल्हों से हटे तो जो चूतड़ अभी अभी विपरीत दिशाओं में फैले हुए थे उन दोनों मोटे मोटे नितंबों ने गब्बर सिंह का चेहरा दबा लिया। अपना चेहरा शीतल की गांड में दबाकर एक गहरी और लंबी सांस खींची गब्बर सिंह ने ।


दोस्तों जैसे ही एक साथ गब्बर सिंह ने उसकी गांड में मुँह रखकर सांस ली शीतल की आंखें अपने आप खुल गई ।

गहरी सांस लेकर शीतल की गांड से अपना मुंह हटा कर गब्बर सिंह बोला- सही कहा शेरू तूने नशा तो है साली में पर कैसे पता किया जाए यह वही है या नहीं ।

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गब्बर सिंह शीतल के सामने आया और उसकी झांटे भरी चूत में अपनी उंगलियां फसा दीं । गब्बर सिंह उसकी झांटों के बालों को खींचते हुए भीमा की तरफ देखते हुए बोला ।

गब्बर सिंह - देखा साली की झांटें इतनी बड़ी है कि तुम लोगों का लोड़ा झांटों में ही खो जाएगा । तुम्हारे बस की नहीं है इसे चोदना और ऐसा कहकर गब्बर सिंह ने अपने बीच वाली उंगली से शीतल की चूत के छेद को ढूंढना शुरू कर दिया।

फिर दोबारा बोला गब्बर सिंह - कितनी गहरी चूत होगी इस कुतिया की। छेद ही नहीं मिल रहा बहन की लोड़ी का । तभी अपनी उंगली शीतल की चूत के छेद पर हल्की सी ऊँगली शीतल की चूत में घुसानी चाही लेकिन नाखून बराबर उंगली घुसते ही शीतल पीछे की तरफ हट गई । आह की आवाज के साथ ।
यह आवाज मस्ती कि नहीं बल्कि दर्द की थी क्योंकि जिंदगी में पहली बार शीतल ने अपनी चूत के छेद पर किसी की उंगली महसूस की थी। उसकी दर्द भरी आवाज सुनकर गब्बर सिंह भीड़ से बोला ।

गब्बर सिंह - भोसड़ी वालों करते क्या हो तुम लोग । तुम्हारे घर बहन बेटियों की चूतों के छेद बंद पड़े हैं और तुम्हारे बस की नहीं है इन चूतों को खोलना ।देखा किसी ने नाखून बराबर उंगली भी चूत में नहीं गई और साली उछल पड़ी । लंड लेने में तो यह गला फाड़ कर रोएगी ।

गब्बर सिंह ने शीतल की चूत के छेद पर दोबारा से उंगली रखकर नाखून बराबर घुसाई । शीतल को फिर दर्द का एहसास हुआ ।

इस बार गब्बर ने उंगली को हल्की सी घुसाकर निकाल लिया और अपनी नाक के पास लाकर अपनी आंखें बंद करके उसकी खुशबू लेने लगा ।

गब्बर फिर बोला - शेरू हम अभी भी असमंजस में हैं कि यह वही लड़की है या नहीं और ऐसा कह कर उसने शीतल की चूत के छेद पर उंगली रखी और पूरी जान से उसकी चूत में उंगली घुसा दी ।

जैसे ही शीतल की चूत में उंगली गयी असहनीय दर्द के साथ शीतल पैरों के पंजों पर उचक कर खड़ी हो गई मानो उंगली पर टांग ली हो गब्बर सिंह ने।

और अपने दोनों कानों पर हाथ रखकर शीतल बुरी तरह से चीखी - नैना Nainaaaaaaaa ।

दोस्तों शीतल इतनी तेज चीखी थी कि उसकी यह पुकार नैना के कानों में पड़ी । उसने जल्दी से मंदिर की बाहर की तरफ देखा तो सारी की सारी भीड़ मंदिर की तरफ पीठ करके खड़ी थी ।

उसे समझने में देर ना लगी कि शीतल किसी मुसीबत में है । शीतल की आवाज मानो नैना के कानों में गूंज रही थी- नैना नैना नैना नैना ।

नैना ने चाकू को अपनी पीठ के पीछे हाथ करके छुपाया और अपने दोनों हाथ पीछे की तरफ करके भीड़ की तरफ आने लगी ।

नैना बड़ी ही मस्तानी चाल से बिल्कुल निडर होकर भीड़ को चीरती हुई भीड़ को पार किया ।

जैसे ही भीड़ से निकली नैना। उसकी आंखों के सामने जो नजारा था उसे यकीन नहीं हुआ । उसकी आंखों में मानो चंडी तांडव करने लगी नैना ने अपने दांत गुस्से से पीस लिए और पीछे हाथ में लिए चाकू को हाथों से कस लिया ।

गब्बर सिंह ने जैसे ही देखा कि शीतल ने किसी नैना को पुकारा है और एक लड़की भीड़ में से निकल कर आई है।

गब्बर सिंह हंसते हुए बोला- यह बचाएगी तुझको हा हा हा । बुलाले जिस को बुलाना है आज तो तुझे हम अपने कंधे पर उठाकर नंगी ही अपने शयनकक्ष में ले जाएंगे ऐसा बोल ही रहा था गब्बर सिंह कि नैना बढ़ते हुए उनकी तरफ आने लगी ।

जैसे-जैसे नैना गब्बर सिंह की तरफ बढ़ती जा रही थी वैसे वैसे गब्बर सिंह और उसके साथियों की आंखें चौड़ी होती जा रही थी और मुंह खुले के खुले रह गए थे उसकी वजह थी नैना का जिस्म नैना का गदराया बदन ।

क्योंकि वास्तव में नैना पर पहली बार नजर पड़ी थी गब्बर सिंह और उसके साथियों की। उन्होंने पहले ऐसी लड़की नहीं देखी थी जिसकी छातियां बाहर को निकल कर तनी हुई हों और चलते हुए किसी मस्तानी हथनी की तरह उसके मस्ताने कूल्हे थलथला रहे हो । अजीब सा नशा था नैना की चाल में। पटियाला सलवार में चलते हुए उसके चूतड़ों की थिरकन छुपी नहीं रहती थी।

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अब तक नैना पास आ चुकी थी गब्बर सिंह और शीतल के ।

नैना गब्बर की आंखों में घूरती हुई बोली- हाथ छोड़ शीतल का।


गब्बर को यकीन ही नहीं हो रहा था कि इस दुनिया में उससे कोई इस तरीके से भी आंख मिला सकता है । उसकी हैरानी से आंखें फैल गई ।

तभी नैना गुस्से से अपने दांत पीसते हुए बोली - मैंने कहा हाथ छोड़ ।

पूरे गांव वाले आंखें फाड़ कर नैना की दिलेरी को देख रहे थे ।


तभी बराबर में जो नंगा शेरू खड़ा था वह उखड़ते हुए नैना से बोला- साली क्या बोलती है मालिक से। तेरी बोलती भी अभी बंद करता हूं इस रंडी की तरह । ले मैं तेरा हाथ पकड़ता हूं।

फिर उसने ऐसा बोलकर जैसे ही नैना का हाथ पकड़ना चाहा। तो सारी भीड़ के हाथ अपने मुंह पर चले गए । सब ने अपने मुंह पर हाथ रख लिया ।

दोस्तों हुआ ही कुछ ऐसा था जैसे ही शेरू ने नैना का हाथ पकड़ना चाहा नैना ने गजब की फुर्ती से अपने चाकू वाले हाथ से शेरों के लंड की जड़ पर चाकू मारा। प्रहार इतना तेज था की शेरू का लंड कट कर जमीन पर गिर पड़ा। और उसी सेकंड शेरू भी अपने दोनों हाथ लंड वाली जगह पर रख कर जमीन पर चित हो गया । खून की नाली सी बहने लगी ।


यह नजारा देखकर गब्बर सिंह ने 1 सेकेंड के अंदर शीतल का हाथ छोड़कर दोनों हाथ ऊपर कर लिए । अब गब्बर सिंह नैना के सामने ऐसे खड़ा था जैसे पुलिस के सामने चोर अपने दोनों हाथ ऊपर करके खड़ा होता है ।

पूरे गांव की भीड़ यह नजारा देख रही थी और अजीब सा सन्नाटा था । तभी एक और चटाक की आवाज गूंजी और यह आवाज थी नैना के थप्पड़ की जो उसने गब्बर सिंह के गाल पर मारा था । नैना के हाथ का थप्पड़ पड़ते गब्बर ने एक हाथ अपने गाल पर रख लिया ।


तभी गांव वालों की भीड़ ने एक अजीब शोर उठा दिया । भीड़ वालों की आवाज से आसमान तक गूंज उठा । गांव वालों की ये आवाज सुनकर गब्बर को पहली बार डर का अनुभव हुआ था । गब्बर सिंह को इस आवाज ने अंदर से झकझोर कर रख दिया । गब्बर सिंह के खोफ की जड़ो को हिला दिया था इस आवाज ने ।
हां दोस्तों जानना चाहते हो ना आप की ये क्या आवाज थी ।
ये आवाज थी सभी गांव वालों की, सभी बूढ़े और बच्चो को , सभी बहन और बेटियों की , सभी पुरुषों की जो अपना हाथ बार बार उठाकर
बस बार बार एक ही शब्द बोल रहे थे - नैना नैना नैना नैना नैना ...


इस दिलेरी की उम्मीद तो दूर कल्पना भी नहीं की थी गब्बर ने ।

गब्बर सिंह के सारे गुंडे कांपने लगे लेकिन जैसे ही गब्बर सिंह ने अपने साथियों की तरफ देखा तो गुंडों ने मजबूर होकर नैना की तरफ बढ़ना शुरू किया क्योंकि उन्होंने गब्बर सिंह का नमक खाया था ।

एक गुंडा नैना के पास आया और नैना को थप्पड़ मारने लगा जैसे ही उसने थप्पड़ मारने के लिए हाथ बढ़ाया कि अचानक उसका हाथ किसने पकड़ लिया । यह देखकर नैना मुस्कुरा पड़ी । अचानक गुंडे ने अपना चेहरा पीछे की तरफ घुमाया तो चेहरा घूमते ही उसके मुंह पर घुसा पड़ा जिससे वह वहीं जमीन पर चित्त हो गया । और उसी समय एक लात गब्बर सिंह के पेट में पड़ी । लात लगते ही गब्बर सिंह जीप के शीशे में जाकर लगा और जीप का शीशा टूट गया । दरअसल हुआ ऐसा जब वह गुंडा नैना को थप्पड़ मारने के लिए बढ़ा वैसे ही पीछे से नवीन ने उसका हाथ पकड़ लिया।
हां दोस्तों यह लात मारने वाला कोई और नहीं बल्कि नैना का भाई नवीन था ।


अब तो सारे गुंडे दुम दबाकर भागने लगे । सारे गुंडे गब्बर सिंह सुख को जीप में डालकर जल्दी से यहां से भागे ।

सारे गांव की भीड़ अभी खड़ी खड़ी तमाशा देख रही थी।
नैना ने अपना दुपट्टा उतारा और उससे शीतल को ढक दिया ।
तभी भीड़ में से नैना के पास एक लड़का आया जो शीतल के चाचा का लड़का था , उसने आकर नैना को धन्यवाद कहा हाथ जोड़कर , तभी उसके गाल पर नैना का तमाचा पड़ा ।
जैसे ही नैना में शीतल के चाचा के लड़के को तमाचा मारा शीतल हैरानी से नैना को देखने लगी ।

तभी किसी शेरनी की तरह दहाड़ी नैना - हिजड़ों की बस्ती में कोई ऐसा नहीं जो अपनी बहन और बेटी की रक्षा कर सके। अब मुझे तुम धन्यवाद देने आ रहे हो जब तुम्हारी बहन के यहां नंगा किया जा रहा था तब तुम कहां थे । अगर इस गांव का यही हाल रहा। इसी तरह जलालत भरी जिंदगी जीते रहे तो एक दिन गब्बर सिंह तुम सब की बहन बेटियों को ऐसे ही नंगी करेगा । थूकती हूं मैं ऐसे मर्दो पर मेरी नजर में तुम मर्द नहीं छक्के हो छक्के ।

पूरे गांव को शर्मिंदा करके नैना ने अपने भाई नवीन का हाथ पकड़ा और बढ़ गई अपने घर की तरफ ।

नैना और नवीन के चलने का स्टाइल कुछ ऐसा था जैसे मानो फिल्म के दो हीरो अपना मिशन पूरा करके attitude से चल रहे हों ।


रात के 9:00 बज चुके थे पूरे गांव में आज सन्नाटा था।
कोई अपने घर से बाहर नहीं निकल रहा था ।


उधर दूसरी तरफ गब्बर सिंह अपने साथियों के साथ बैठा हुआ था ।
बीच में मेज रखी थी जिस पर दारू की चार बोतल रखी थी , और चारों तरफ उसके गुंडे बैठे थे , कुछ गुंडे खड़े भी थे जिनके हाथों में हथियार थे ।

तभी भीमा बोला - मालिक आप चिंता ना कीजिए आप मुझे हुकुम दें मैं उनका खेल अभी खत्म करके आता हूं ।

गब्बर सिंह - नहीं भीमा नहीं सोचना पड़ेगा , सोचना पड़ेगा मुझे उनके बारे में । बहुत गहराई से सोचना पड़ेगा। पहली बार आज मुझे किसी ने थप्पड़ मारा है । जिसने इतनी हिम्मत की है उसका खेल खत्म करने के लिए बहुत सोचना पड़ेगा भीमा । मुझे वह लड़की शीतल चाहिए । अगर वह लड़की वही निकली जिसे मैं 20 सालों से ढूंढ रहा हूं तो मैं तुझे क्षेत्र का राजा बना दूंगा । लेकिन मुझे वह लड़की चाहिए जो मुझे तांत्रिक ने बताया था और वह लड़की मुझे चाहिए किसी भी कीमत पर ।


भीमा - मालिक माफ कीजिएगा लेकिन मैं जानना चाहता हूं कि क्या वही वह लड़की है जिसे हम ढूंढ रहे हैं अपने मालिक के लिए ।

गब्बर सिंह - मुझे लग रहा है कि वही है पर मैं यकीन के साथ नहीं कह सकता ।

तभी गब्बर ने हाथ से भीमा को चुप रहने का इशारा किया । और खुद भी चुप हो गया ।

कुछ देर बाद भीमा - क्या हुआ मालिक आप खामोश क्यों हो गए ।

गब्बर सिंह ने खामोशी की वजह किसी को नही बताई । और उठकर सोने चला गया सबको वही छोड़कर ।

बिस्तर पर जब गब्बर सिंह सोने लगा कि अचानक उसने फिर से वही खामोशि महसूस की और उसने अपने कानों पर हाथ रख लिए ।

दोस्तो इसकी वजह ये थी कि गब्बर सिंह के कानों में बस एक ही आवाज गूंज रही थी ।

और वो आवाज थी गांव वालों की - नैना नैना नैना नैना ---------

**********
दोस्तों अगर आपको कहानी समझ में आ रही हो या अच्छी लगी हो तो कृपया करके कमेंट करें ।

ताकि मैं इसे आगे लिखना जारी रखूं ।
साथ बने रहने के लिए दिल से धन्यवाद।
आपका अपना - रचित ।

**********
Awesome Update.
Achhi shurat hai .
Naina story ki Nayika hai aur wah aur uska faimly dono background majbut dikhaya hai .
Gabbar Singh ek takawar dhurt makkar aadmi jiska raaz chalta hai es ilake . Aur uski dahashat dikhaya jo usne sabke samne kiya sheetal ke sath kisis ne chu tak na ki . Phir ek naya mod liya jab tantrik wali baat samne jispe yah kahani bani hai abhi to wo sheetal ko ladki smajh rahe par asli karan nahi pata jis trah sheetal me wah chek kiya usse lagata hai ki wo naina hai .
Aachank ek toofan aaya aur Gababr ki duniya aut dahsht ko dharashahi kar gaya Naina aur Naveen kw ropp me . Ab Gabbar bhi apni traf se phir se dahsht kayam karne ki koshish karega to dekhte hai kya hota hai?
 

Rachit Chaudhary

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Sach me achhi lagi kya bhai
 

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