• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Adultery Mom ki chudai dekhi 2

D96

Member
101
113
44


हेलो दोस्तों मैं रोहन राय , आप लोगों ने इस कहानी का पहला भाग तो पढ़ा ही होगा , तो ये उसी कहानी का दूसरा भाग है , और मैं आशा करता हूँ आप लोगों को बड़ा मज़ा आएगा ।
तो पंडित जी से माँ की चुदाई देख मैं उन दोनों की दूसरे बार चुदाई भी देखा और उस दिन मेरे पापा घर पर ही थे , और मैं भी , शाम होने को आई थी और कुछ देर बाद मेरी माँ की सहेलियां आई और माँ उनके साथ भजन कीर्तन करने निकल गई ।
मेरी माँ जैसी भी है लेकिन वो संस्कारी है और भगवन पे आस्था रखती है , तो मैं भी अपनी माँ के साथ निकल गया पर मैं मंदिर के पास फुटबॉल ग्राउंड में अपने दोस्तों के साथ खेलने चला गया ।
तो जब तक भजन कीर्तन हो रहा था, तब तक मैं खेलता रहा और गर्मी का मौसम था, तो 5 बजे भी उजाला था , और ठीक एक घंटे बाद भजन कीर्तन ख़तम हुआ और मैं अपने दोस्तों को घर जाने का बहाना दिया ।
तो ग्राउंड में तीन गेट हैं , एक तो बंद रहता है और बाकि दो खुला रहता है , तो एक गेट ठीक मंदिर के सामने ही हैं थोड़ी दूरी पर तो मैं पहले वहां जा कर छुप कर देखा की , बाकि औरतें गई या नहीं ।

तो मैं देखा की मेरी माँ की सहेलियां और बाकि औरतें जाने लगी थी और तभी पंडित जी मेरी माँ को कुछ रखने के लिए बोले , मंदिर के पीछे वाले घर में , तो मेरी माँ गई ।
मैं देख रहा था की , धीरे–धीरे सभी औरतें चली गई , लेकिन मेरी माँ जो गई आई नहीं मैं समझ गया की , खेला होने वाला है , पंडित जी मंदिर का गेट बंद किए और फिर पीछे वाले घर की तरफ चले गए ।
और उसके बाद मंदिर के इर्द–गिर्द कोई नहीं दिख रहा था , तो मैं चुपके से मंदिर के पीछे वाले घर के तरफ गया और मैं देखा की , वहां का खिड़की खुला नहीं था ।

तो मैं देखने के लिए जगह खोज रहा था और तभी खिड़की खुला मैं चौंक गया , पर किसीने मुझे नहीं देखा , और मैं उसी खुली खिड़की से देखा ,और जब देखा तो पंडित जी मेरी माँ को गोद में बैठाए हुए थे ।
और मेरी माँ की साड़ी की पल्लू सरका कर मेरी माँ की चूचियों को दबाने लगे थे ब्लाउज के ऊपर से और मेरी माँ के गले को चुम रहे थे ,और फिर पंडित जी मेरी माँ की ब्लाउज की सामने की हुक को खोलने लगे ।
ब्लाउज की हुक खुलते ही मेरी माँ की चूचियां एक दम से बहार आ गई और फिर पंडित जी मेरी माँ की चूचियों को दबा कर मसलने लगे जिससे मेरी माँ सिसकने लगी
मैं : ईईईसस…अअआह…आह!… ईईईसस…
पंडित जी : उउफफफ…ईईईसस…रेखा क्या दूध है तुम्हारे…अअआह… ।

मेरा तो लंड पूरा खड़ा हो गया था और मैं फिर से अपना लंड पैंट से बहार निकला और हिलने लगा , और फिर पंडित जी मेरी माँ को अपने तरफ घूमते हुए मेरी माँ की होंठ को चूमने लगे ।
मेरी माँ पंडित जी को चूमते हुए उठी और साड़ी उठा कर पंडित जी के तरफ मुँह अच्छे से की और पंडित जी मेरी माँ की गांड को सहलाने लगे साड़ी के ऊपर से और देखते ही देखते मेरी माँ की साड़ी उघार दिए ।

और उस दिन मेरी माँ हलकी नील रंग की पेंटी पहनी हुई थी और पंडित जी ऊपर तो कुछ नहीं पहने हुए थे पर नीचे उन्होंने धोती पहना हुआ था और फिर ऐसे ही चूमते हुए पंडित जी बिस्तर पे लेट गए ।
और मेरी माँ पंडित जी के ऊपर , मैं देखा की पंडित जी का लंड पूरा खड़ा हो गया है और मेरी माँ की बूर में जाने के लिए बौखला हुआ है ,और तब पंडित जी मेरी माँ की चूचियों को चूस रहे थे ।
और फिर मेरी माँ उठी और पंडित जी के धोती खोल कर पंडित जी को पूरा नंगा कर दी और पंडित जी मेरी माँ की साड़ी के अंदर हाँथ डेल हुए थे और मेरी माँ की बूर को सहलाए रहे थे ।
और मेरी माँ जोश में आ कर पंडित जी के लंड को अपनी मुँह में ली और पंडित जी सिसके ,


पंडित जी : ईईईसस…अअआह…ईईईसस
माँ : उउममहह…स्लूप…स्लूप… स्लूप

तो ये पंडित जी मेरी माँ के लंड चूसने से जोश में आ गए थे , इसीलिए मेरी माँ को पंडित जी अपने ऊपर ले आये पोजीशन में और मेरी माँ की बूर को चाटने लगे और चाटने लगे ।

पंडित जी :लललममम…उउउममम…उउममहह
माँ : ईईईसस…उउमम…उउममहह…स्लूप…स्लूप… स्लूप


दोनों एक दूसरे के लंड और बूर चाटने में लगे हुए थे और मैं मच्छरों से परेशां हो रहा था , लेकिन तब भी मैं अपने लंड को हिलता रहा क्यों की मुझे बहुत मज़ा आ रहा था ।
फिर मेरी माँ उठी और अपनी पेंटी को उतरी और पंडित जी सारा इंतज़ाम कर के रखे थे, उन्होंने अपने तकिया के नीचे से एक कंडोम निकला और अपने लंड में लगाया ।
और मेरी माँ पंडित जी को पीठ दिखा कर उनके लंड को अपनी बूर में ली और आहिस्ते–आहिस्ते ऊपर–नीचे होने लगी और पंडित जी मेरी माँ की उछलती गांड को देख सिसकने लगे और मेरी माँ भी सिसक रही थी ,

पंडित जी : ईईईसस…अअआह…आह!… ईईईसस
माँ : ईईईसस…अअआह…आह!… आह!… ईईईसस

मैं पुरे परेशां में था और मज़े भी ले रहा था , मच्छर साले मुझे काट रहे थे और तब भी मैं लंड हिलाए जा रहा था , और मेरी माँ उछाल–उछाल के पंडित जी का हाल बुरा कर रही थी ।
पंडित जी मेरी माँ की कमर पकड़े और एक तरफ लेटा दिए और मेरी माँ की एक टांग को उठा कर 120° कोण में माँ की बूर चोदने लागे , और मेरी माँ ,

माँ : अअअईईई…ईईईसस…अअआह…आह!… ईईईसस
पंडित जी : उउममहह…अअअहह…रेखा…ईईईसस

यह कहानी आप में पढ़ रहें हैं।
मेरी माँ की बूर पंडित जी जो बाजा रहे थे की , मेरी माँ की बूर से सफ़ेद लसीला मुठ निकलने लगा था, ऊपर से दोनों पसीने से लथपथ हो रहे थे , पंडित जी का लंड पूरे जोश में था ।
और फिर पंडित जी उठे और मेरी माँ की दोनों टांगों को फैला कर उठा रखे थे , फिर मेरी माँ की बूर में पंडित जी अपने लंड को रगड़ कर घुसाए और धीरे–धीरे पेलने लगे ।

माँ : अअअहहह…ईईईसस…आह!…आह!… पंडित जी …ईईईसस
पंडित जी : ईईईसस…अअआह…रेखा हाय! ये गर्मी में मज़ा आ रहा है ।


और पंडित जी साथ ही मेरी माँ की पैर को अपने मुंह में लेकर चूस रहे थे और मेरी माँ की दोनों टांगों को हवा में उठाए हुए , मेरी माँ की बूर में थोड़े ज़ोर–ज़ोर के धक्के लगाने लगे ।
और तब मेरी माँ की चूचियां थिरक रही थी और वो कहने लगी ,

माँ : अअअहहह…ईईईसस…आह!…पंडित जी आहिस्ता…अहिस्ता…अअअहह
पंडित जी : अअअहह…आह!…आह!…रेखा मज़ा आ रहा है…अअअहहह

पंडित जी मेरी माँ की बूर में अपना लंड ज़ोरदार धक्के के साथ मेरी माँ की बूर से सफ़ेद लसीला मुठ निकलवा दे रहे थे , ऐसे लंड पेल रहे थे पंडित जी , और फिर पंडित जी मेरी माँ की दोनों टांगों को छोड़ा माँ से लिपट गए ।
और माँ पंडित जी के पीठ के पीछे से अपने दोनों टांगों से खुद को जकड कर राखी थी और पेला रही थी , और पंडित जी मेरी माँ की चूचियों को खूब दबा कर चूस रहे थे ।
दोनों पूरी तरह पसीने तरबतर हो गए थे और मेरी माँ की बूर से इतना सफ़ेद लसीला मुठ निकल रहा था की मैं उसी नज़ारा को देखा पानी–पानी हो गया था ।
फिर पंडित जी मेरी माँ के ऊपर से उठे और अपने लंड से कंडोम निकल फेंके और मेरी माँ की झांटों वाली बूर को देख अपना लंड हिलने लगे और मेरी माँ पंडित जी के लिए अपने हाथों से टांगों को फैला कर राखी हुई थी ।
और फिर पंडित जी अपने लंड को हिलाते हुए एक दम से दो–तीन बार मेरी माँ की झांटों वाली बूर में अपना मुठ की पिचकारी छोड़ दिए और अपने लंड को मेरी माँ की बूर में रगड़ने लगे ।

पंडित जी अअअहहह…ईईईसस मज़ा आ गया रेखा मज़ा आ गया ।
माँ : ऊऊफफफ…आज मैं पानी–पानी होगी पंडित जी…उफ्फ्फ ।


और पंडित जी का जैसे हुआ वैसे ही मेरा भी निकल गया और पंडित जी मेरी माँ को उठाए और बाथरूम में लेकर गए , जहाँ पंडित जी ने मेरी माँ की बूर और गांड को धोए ।
और मेरी माँ अपनी पत्नी पहनी और साड़ी ठीक की , मैं तब अपना टाइम देखा 7:30 बज गए है , मैं सोचा अभी निकल चलता हूँ , वरना पापा गुस्सा करेंगे ,लेकिन तभी पंडित जी मेरी माँ को कुछ बोले
पंडित जी : मैं बनारस जा रहा हूँ,दो–तीन सप्ताह के लिए , तब तक तुम हर सुबह–शाम मंदिर की सफाई करना, पूजा करना ।
माँ : वो सब ठीक है पंडित जी, पर मैं इतने दिनों तक आपके बिना कैसे रहूंगी ।
पंडित जी : ज्यादा संभोग एक औरत को वेश्या बना देता हैं , अपने आप पर काबू रखना ।

और फिर मैं निकल पड़ा वहां से क्यों की मेरी माँ किसी भी समय वहां से निकल सकती थी , तो मैं घर आया और मेरे घर आने के कुछ मिनट बाद मेरी माँ आई थी ।
मेरे पापा कोई शिकायत या गुस्सा भी नहीं हुए मेरी माँ पर , क्यों की वो मेरी माँ को प्यार जो करते हैं , तो अगले दिन से ही माँ मंदिर की सफाई के लिए जाने लगी थी ।
और मेरा स्कूल ठीक मंदिर के आगे में था और मैं माँ के साथ सुबह में जाता था और मेरी माँ मंदिर की सफाई करती और पूजा के बाद मुझे स्कूल भेजती ।
तो कुछ सप्ताह से एक महीने बैठ गए थे , पर मिश्रा पंडित जी बनारस से आ ही नहीं रहे थे और तो एक दिन मैं मेरी माँ से पूछा ,

मैं : माँ क्या पंडित जी अब और नहीं आएंगे वापस?
माँ : आएंगे बेटा , पर अभी नहीं ।

लेकिन जब तक पंडित जी नहीं थे , तब तक मैं अपनी माँ को किसी और से चुदवाते हुए कल्पना किया करता था , और मुझे बहुत मज़ा आता था , तो मैं आप लोगों को अपने माँ की काल्पनिक चुदाई कहानी भी बताऊंगा ।
जो की पहले तो वो काल्पनिक ही था , पर ये हकीकत में मेरी माँ के साथ हुआ था और मैं खुद भी यकीं नहीं कर पा रहा था की क्या सचमें ऐसा हो रहा है ।
तो मैंने क्या कल्पना किया था? वो सब मैं आप लोगों को अपने तीसरे भाग में बताऊंगा , और मेरा यकीं कीजिए आप लोगों को बहुत मज़ा आएगा , ये भाग कैसा था
 
Last edited:
  • Like
Reactions: malikarman

malikarman

Well-Known Member
2,224
1,826
143


हेलो दोस्तों मैं रोहन राय , आप लोगों ने इस कहानी का पहला भाग तो पढ़ा ही होगा , तो ये उसी कहानी का दूसरा भाग है , और मैं आशा करता हूँ आप लोगों को बड़ा मज़ा आएगा ।
तो पंडित जी से माँ की चुदाई देख मैं उन दोनों की दूसरे बार चुदाई भी देखा और उस दिन मेरे पापा घर पर ही थे , और मैं भी , शाम होने को आई थी और कुछ देर बाद मेरी माँ की सहेलियां आई और माँ उनके साथ भजन कीर्तन करने निकल गई ।
मेरी माँ जैसी भी है लेकिन वो संस्कारी है और भगवन पे आस्था रखती है , तो मैं भी अपनी माँ के साथ निकल गया पर मैं मंदिर के पास फुटबॉल ग्राउंड में अपने दोस्तों के साथ खेलने चला गया ।
तो जब तक भजन कीर्तन हो रहा था, तब तक मैं खेलता रहा और गर्मी का मौसम था, तो 5 बजे भी उजाला था , और ठीक एक घंटे बाद भजन कीर्तन ख़तम हुआ और मैं अपने दोस्तों को घर जाने का बहाना दिया ।
तो ग्राउंड में तीन गेट हैं , एक तो बंद रहता है और बाकि दो खुला रहता है , तो एक गेट ठीक मंदिर के सामने ही हैं थोड़ी दूरी पर तो मैं पहले वहां जा कर छुप कर देखा की , बाकि औरतें गई या नहीं ।

तो मैं देखा की मेरी माँ की सहेलियां और बाकि औरतें जाने लगी थी और तभी पंडित जी मेरी माँ को कुछ रखने के लिए बोले , मंदिर के पीछे वाले घर में , तो मेरी माँ गई ।
मैं देख रहा था की , धीरे–धीरे सभी औरतें चली गई , लेकिन मेरी माँ जो गई आई नहीं मैं समझ गया की , खेला होने वाला है , पंडित जी मंदिर का गेट बंद किए और फिर पीछे वाले घर की तरफ चले गए ।
और उसके बाद मंदिर के इर्द–गिर्द कोई नहीं दिख रहा था , तो मैं चुपके से मंदिर के पीछे वाले घर के तरफ गया और मैं देखा की , वहां का खिड़की खुला नहीं था ।

तो मैं देखने के लिए जगह खोज रहा था और तभी खिड़की खुला मैं चौंक गया , पर किसीने मुझे नहीं देखा , और मैं उसी खुली खिड़की से देखा ,और जब देखा तो पंडित जी मेरी माँ को गोद में बैठाए हुए थे ।
और मेरी माँ की साड़ी की पल्लू सरका कर मेरी माँ की चूचियों को दबाने लगे थे ब्लाउज के ऊपर से और मेरी माँ के गले को चुम रहे थे ,और फिर पंडित जी मेरी माँ की ब्लाउज की सामने की हुक को खोलने लगे ।
ब्लाउज की हुक खुलते ही मेरी माँ की चूचियां एक दम से बहार आ गई और फिर पंडित जी मेरी माँ की चूचियों को दबा कर मसलने लगे जिससे मेरी माँ सिसकने लगी
मैं : ईईईसस…अअआह…आह!… ईईईसस…
पंडित जी : उउफफफ…ईईईसस…रेखा क्या दूध है तुम्हारे…अअआह… ।

मेरा तो लंड पूरा खड़ा हो गया था और मैं फिर से अपना लंड पैंट से बहार निकला और हिलने लगा , और फिर पंडित जी मेरी माँ को अपने तरफ घूमते हुए मेरी माँ की होंठ को चूमने लगे ।
मेरी माँ पंडित जी को चूमते हुए उठी और साड़ी उठा कर पंडित जी के तरफ मुँह अच्छे से की और पंडित जी मेरी माँ की गांड को सहलाने लगे साड़ी के ऊपर से और देखते ही देखते मेरी माँ की साड़ी उघार दिए ।

और उस दिन मेरी माँ हलकी नील रंग की पेंटी पहनी हुई थी और पंडित जी ऊपर तो कुछ नहीं पहने हुए थे पर नीचे उन्होंने धोती पहना हुआ था और फिर ऐसे ही चूमते हुए पंडित जी बिस्तर पे लेट गए ।
और मेरी माँ पंडित जी के ऊपर , मैं देखा की पंडित जी का लंड पूरा खड़ा हो गया है और मेरी माँ की बूर में जाने के लिए बौखला हुआ है ,और तब पंडित जी मेरी माँ की चूचियों को चूस रहे थे ।
और फिर मेरी माँ उठी और पंडित जी के धोती खोल कर पंडित जी को पूरा नंगा कर दी और पंडित जी मेरी माँ की साड़ी के अंदर हाँथ डेल हुए थे और मेरी माँ की बूर को सहलाए रहे थे ।
और मेरी माँ जोश में आ कर पंडित जी के लंड को अपनी मुँह में ली और पंडित जी सिसके ,


पंडित जी : ईईईसस…अअआह…ईईईसस
माँ : उउममहह…स्लूप…स्लूप… स्लूप

तो ये पंडित जी मेरी माँ के लंड चूसने से जोश में आ गए थे , इसीलिए मेरी माँ को पंडित जी अपने ऊपर ले आये पोजीशन में और मेरी माँ की बूर को चाटने लगे और चाटने लगे ।

पंडित जी :लललममम…उउउममम…उउममहह
माँ : ईईईसस…उउमम…उउममहह…स्लूप…स्लूप… स्लूप


दोनों एक दूसरे के लंड और बूर चाटने में लगे हुए थे और मैं मच्छरों से परेशां हो रहा था , लेकिन तब भी मैं अपने लंड को हिलता रहा क्यों की मुझे बहुत मज़ा आ रहा था ।
फिर मेरी माँ उठी और अपनी पेंटी को उतरी और पंडित जी सारा इंतज़ाम कर के रखे थे, उन्होंने अपने तकिया के नीचे से एक कंडोम निकला और अपने लंड में लगाया ।
और मेरी माँ पंडित जी को पीठ दिखा कर उनके लंड को अपनी बूर में ली और आहिस्ते–आहिस्ते ऊपर–नीचे होने लगी और पंडित जी मेरी माँ की उछलती गांड को देख सिसकने लगे और मेरी माँ भी सिसक रही थी ,

पंडित जी : ईईईसस…अअआह…आह!… ईईईसस
माँ : ईईईसस…अअआह…आह!… आह!… ईईईसस

मैं पुरे परेशां में था और मज़े भी ले रहा था , मच्छर साले मुझे काट रहे थे और तब भी मैं लंड हिलाए जा रहा था , और मेरी माँ उछाल–उछाल के पंडित जी का हाल बुरा कर रही थी ।
पंडित जी मेरी माँ की कमर पकड़े और एक तरफ लेटा दिए और मेरी माँ की एक टांग को उठा कर 120° कोण में माँ की बूर चोदने लागे , और मेरी माँ ,

माँ : अअअईईई…ईईईसस…अअआह…आह!… ईईईसस
पंडित जी : उउममहह…अअअहह…रेखा…ईईईसस

यह कहानी आप में पढ़ रहें हैं।
मेरी माँ की बूर पंडित जी जो बाजा रहे थे की , मेरी माँ की बूर से सफ़ेद लसीला मुठ निकलने लगा था, ऊपर से दोनों पसीने से लथपथ हो रहे थे , पंडित जी का लंड पूरे जोश में था ।
और फिर पंडित जी उठे और मेरी माँ की दोनों टांगों को फैला कर उठा रखे थे , फिर मेरी माँ की बूर में पंडित जी अपने लंड को रगड़ कर घुसाए और धीरे–धीरे पेलने लगे ।

माँ : अअअहहह…ईईईसस…आह!…आह!… पंडित जी …ईईईसस
पंडित जी : ईईईसस…अअआह…रेखा हाय! ये गर्मी में मज़ा आ रहा है ।


और पंडित जी साथ ही मेरी माँ की पैर को अपने मुंह में लेकर चूस रहे थे और मेरी माँ की दोनों टांगों को हवा में उठाए हुए , मेरी माँ की बूर में थोड़े ज़ोर–ज़ोर के धक्के लगाने लगे ।
और तब मेरी माँ की चूचियां थिरक रही थी और वो कहने लगी ,

माँ : अअअहहह…ईईईसस…आह!…पंडित जी आहिस्ता…अहिस्ता…अअअहह
पंडित जी : अअअहह…आह!…आह!…रेखा मज़ा आ रहा है…अअअहहह

पंडित जी मेरी माँ की बूर में अपना लंड ज़ोरदार धक्के के साथ मेरी माँ की बूर से सफ़ेद लसीला मुठ निकलवा दे रहे थे , ऐसे लंड पेल रहे थे पंडित जी , और फिर पंडित जी मेरी माँ की दोनों टांगों को छोड़ा माँ से लिपट गए ।
और माँ पंडित जी के पीठ के पीछे से अपने दोनों टांगों से खुद को जकड कर राखी थी और पेला रही थी , और पंडित जी मेरी माँ की चूचियों को खूब दबा कर चूस रहे थे ।
दोनों पूरी तरह पसीने तरबतर हो गए थे और मेरी माँ की बूर से इतना सफ़ेद लसीला मुठ निकल रहा था की मैं उसी नज़ारा को देखा पानी–पानी हो गया था ।
फिर पंडित जी मेरी माँ के ऊपर से उठे और अपने लंड से कंडोम निकल फेंके और मेरी माँ की झांटों वाली बूर को देख अपना लंड हिलने लगे और मेरी माँ पंडित जी के लिए अपने हाथों से टांगों को फैला कर राखी हुई थी ।
और फिर पंडित जी अपने लंड को हिलाते हुए एक दम से दो–तीन बार मेरी माँ की झांटों वाली बूर में अपना मुठ की पिचकारी छोड़ दिए और अपने लंड को मेरी माँ की बूर में रगड़ने लगे ।

पंडित जी अअअहहह…ईईईसस मज़ा आ गया रेखा मज़ा आ गया ।
माँ : ऊऊफफफ…आज मैं पानी–पानी होगी पंडित जी…उफ्फ्फ ।


और पंडित जी का जैसे हुआ वैसे ही मेरा भी निकल गया और पंडित जी मेरी माँ को उठाए और बाथरूम में लेकर गए , जहाँ पंडित जी ने मेरी माँ की बूर और गांड को धोए ।
और मेरी माँ अपनी पत्नी पहनी और साड़ी ठीक की , मैं तब अपना टाइम देखा 7:30 बज गए है , मैं सोचा अभी निकल चलता हूँ , वरना पापा गुस्सा करेंगे ,लेकिन तभी पंडित जी मेरी माँ को कुछ बोले
पंडित जी : मैं बनारस जा रहा हूँ,दो–तीन सप्ताह के लिए , तब तक तुम हर सुबह–शाम मंदिर की सफाई करना, पूजा करना ।
माँ : वो सब ठीक है पंडित जी, पर मैं इतने दिनों तक आपके बिना कैसे रहूंगी ।
पंडित जी : ज्यादा संभोग एक औरत को वेश्या बना देता हैं , अपने आप पर काबू रखना ।

और फिर मैं निकल पड़ा वहां से क्यों की मेरी माँ किसी भी समय वहां से निकल सकती थी , तो मैं घर आया और मेरे घर आने के कुछ मिनट बाद मेरी माँ आई थी ।
मेरे पापा कोई शिकायत या गुस्सा भी नहीं हुए मेरी माँ पर , क्यों की वो मेरी माँ को प्यार जो करते हैं , तो अगले दिन से ही माँ मंदिर की सफाई के लिए जाने लगी थी ।
और मेरा स्कूल ठीक मंदिर के आगे में था और मैं माँ के साथ सुबह में जाता था और मेरी माँ मंदिर की सफाई करती और पूजा के बाद मुझे स्कूल भेजती ।
तो कुछ सप्ताह से एक महीने बैठ गए थे , पर मिश्रा पंडित जी बनारस से आ ही नहीं रहे थे और तो एक दिन मैं मेरी माँ से पूछा ,

मैं : माँ क्या पंडित जी अब और नहीं आएंगे वापस?
माँ : आएंगे बेटा , पर अभी नहीं ।

लेकिन जब तक पंडित जी नहीं थे , तब तक मैं अपनी माँ को किसी और से चुदवाते हुए कल्पना किया करता था , और मुझे बहुत मज़ा आता था , तो मैं आप लोगों को अपने माँ की काल्पनिक चुदाई कहानी भी बताऊंगा ।
जो की पहले तो वो काल्पनिक ही था , पर ये हकीकत में मेरी माँ के साथ हुआ था और मैं खुद भी यकीं नहीं कर पा रहा था की क्या सचमें ऐसा हो रहा है ।
तो मैंने क्या कल्पना किया था? वो सब मैं आप लोगों को अपने तीसरे भाग में बताऊंगा , और मेरा यकीं कीजिए आप लोगों को बहुत मज़ा आएगा , ये भाग कैसा था
Shandar update,... pics bhi add kijiye
 

The Immortal

Live Life In Process.
Staff member
Sr. Moderator
57,797
42,708
354
Hello everyone.

We are Happy to present to you The annual story contest of XForum


"The Ultimate Story Contest" (USC).

Jaisa ki aap sabko maloom hai abhi pichhle hafte hi humne USC ki announcement ki hai or abhi kuch time pehle Rules and Queries thread bhi open kiya hai or Chit Chat thread toh pehle se hi Hindi section mein khula hai.

Well iske baare mein thoda aapko bata dun ye ek short story contest hai jisme aap kisi bhi prefix ki short story post kar sakte ho, jo minimum 700 words and maximum 7000 words tak ho sakti hai. Isliye main aapko invitation deta hun ki aap is contest mein apne khayaalon ko shabdon kaa roop dekar isme apni stories daalein jisko poora XForum dekhega, Ye ek bahot accha kadam hoga aapke or aapki stories ke liye kyunki USC ki stories ko poore XForum ke readers read karte hain.. . Isliye hum aapse USC ke liye ek chhoti kahani likhne ka anurodh karte hain.

Aur jo readers likhna nahi chahte woh bhi is contest mein participate kar sakte hain "Best Readers Award" ke liye. Aapko bas karna ye hoga ki contest mein posted stories ko read karke unke upar apne views dene honge.

Winning Writers ko Awards k alawa Cash prizes bhi milenge jinki jaankaari rules thread mein dedi gayi hai, Total 7000 Rupees k prizes iss baar USC k liye diye jaa rahe hain, sahi Suna aapne total 7000 Rupees k cash prizes aap jeet shaktey hain issliye derr matt kijiye or apni kahani likhna suru kijiye.

Entry thread 7th February ko open hoga matlab aap 7 February se story daalna shuru kar sakte hain or woh thread 28th February tak open rahega is dauraan aap apni story post kar shakte hain. Isliye aap abhi se apni Kahaani likhna shuru kardein toh aapke liye better rahega.

Aur haan! Kahani ko sirf ek hi post mein post kiya jaana chahiye. Kyunki ye ek short story contest hai jiska matlab hai ki hum kewal chhoti kahaniyon ki ummeed kar rahe hain. Isliye apni kahani ko kayi post / bhaagon mein post karne ki anumati nahi hai. Agar koi bhi issue ho toh aap kisi bhi staff member ko Message kar sakte hain.


Rules Check karne ke liye is thread ka use karein — Rules & Queries Thread

Contest ke regarding Chit Chat karne ke liye is thread ka use karein — Chit Chat Thread



Prizes
Position Benifits
Winner 3000 Rupees + Award + 5000 Likes + 30 days sticky Thread (Stories)
1st Runner-Up 1500 Rupees + Award + 3000 Likes + 15 day Sticky thread (Stories)
2nd Runner-UP 1000 Rupees + 2000 Likes + 7 Days Sticky Thread (Stories)
3rd Runner-UP 750 Rupees + 1000 Likes
Best Supporting Reader 750 Rupees Award + 1000 Likes
Members reporting CnP Stories with Valid Proof 200 Likes for each report



Regards :- XForum Staff
 
Top