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Romance Meri Life - kora kagaz

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UPDATE-1



रोज की तरह ही आज जब मैं सो कर उठा तो मेरी प्यारी बहना मेरे बेड के पास चेयर पर बैठी मेरे उठने का वेट कर रही थी, ओर मस्त सॉंग सुन रही थी.
सॉंग कुछ इस तरह था…..

कोरा कागज था ये मन मेरा……मेरा…मेरा….
लिख दिया नाम मैंने तेरा……तेरा…..तेरा…

सुबह सुबह ये गाना सुन कर पता नहीं क्यों लेकिन मेरा आंखें नम हो उठी, ओर मैंने दीदी को अपने गले से लगा लिया…
शायद दीदी पहले से ही कुछ सोच कर रो रही थी, क्योंकि मुझे गले लगते ही मुझे अपने कंधों पर उनके आंशुओ का गीलापन महसूस हो गया था….

तभी मैं अपनी पुरानी यादो में खो गया………

एक साल पहले…..

मैं: अरे वो दीदी, आज सुबह सुबह यहां कैसे, ओर जीजू नहीं आए क्या..

दीदी: नहीं…

ओर दीदी सीधे अपने कमरे में चली गयी, मुझे दीदी का ऐसा बर्ताव सही नहीं लगा…ओर मैं कुछ सोचने लगा..

तभी मेरे मान में एक ख्याल आया ओर मैंने अपने जीजू को कॉल लगा दिया…

जीजू: अरे ओ लोडे , आज सुबह सुबह हमारी कैसे याद आ गयी…

मैं: तेरी गांड मारनी थी, मरवाएगा क्या…

जीजू: तेरा इतना ही मान तो चल आजा, तेरे लिए गांड तो क्या जान भी हाज़िर है…….

(अरे आप इतना चोकिए मत की ये क्या हो रहा है एक साला अपने जीजा से ऐसे कैसे बात कर रहा है…
आक्च्युयली मेरा जीजा कोई ओर नहीं देव ही है…..ओर आप तो जानते ही है देव ओर मेरी दोस्ती सबसे बढ़ कर हैं। )

फोन चालू था लेकिन मैं अपने ही ख़यालो में खो गया……….
मैं (सोचते हुए): देव ओर दीदी में कोई बात हुई नहीं लगती फिर ये दीदी का मुंह यू उतरा हुआ क्यों है……

मैं अपने ख़यालो में खोया हुआ था तभी देव ने मुझे ख़यालो से बाहर निकलते हुए कहा……..

देव: आबे ओ गधे क्या सपने में ही मेरी गांड मर लेगा……अब ये बता तूने कॉल क्यों किया था……….

मैं: ह्म्‍म्म्म……

देव: आबे ये भैंस की तरह रंभाना बंद कर ओर बता क्या काम था.

मैं: यार पता नहीं अभी अभी दीदी घर आई है, ओर मुझे उनका मूंड़ कुछ सही नहीं लग रहा.

देव (थोड़े गुस्से में): तो तूने सोचा होगा की कही मैंने ही उसको रुलाया होगा, ओर ये सोच के तूने मेरी गांड मरने के लिए कॉल कर लिया…….

मैं: नहीं यार ऐसी बात नहीं है, लेकिन तुम्हें तो पता ही है, मैं अपनी दीदी से कितना प्यार करता हूँ……मुझसे दीदी की…..

देव (मेरी बात को काट ते हुए): सब समझता हूँ मैं साले, लेकिन ये ये तो मुझे भी नहीं पता की नीरू (मेरी दीदी) को क्या हुआ है, मैं तो जब जिम के लिए निकला तो वो किचन में खाना बना रही थी….

मैं: ह्म्‍म्म्म…..चल मैं बाद में बात करता हूँ……

देव: ओके

देव से बात करने के बाद मुझे ओर भी ज्यादा टेन्शन होने लगी क्योंकि अगर दीदी का देव से कोई झगड़ा होता तो मैं उसे समझा देता पर पता नहीं अब क्या बात है सो मेरा ज़ोर से सर दर्द करने लगा….

प्रेजेंट...

मैं अपनी सोच में डूबा हुआ था ओर शायद दीदी मुझसे कुछ कह रही थी……..मैं बड़बड़ाते हुए…

मैं: कुछ कहा दीदी आपने.

दीदी: कहा खो गया कब से तुझसे पूछे जा रही हूँ ओर एक तू है की अपने ही ख़यालो में खोया हुआ है….

मैं (बात को टालते हुए): कुछ नहीं दीदी वो यू ही नेहा के बारे में सोच रहा था….

दीदी: अच्छा तो अब तू इतना बड़ा हो गया, की अपनी दीदी के होते उस चुड़ैल के बारे में सोच रहा है…

मैं: इसमें बड़ा होने की बात बीच में कहा से आ गयी….

दीदी: चल छोड़ ओर ये बता आज सुबह सुबह मेरे सोना की आंखों में ये आँसू कैसे आ गये….

मैं: जब आपकी आंखों में आँसू आ सकते है तो क्या मेरी आंखों में नहीं आ सकते क्या?

दीदी: बहुत बड़ा हो गया रे तू तो…..चल छोड ओर ये बता तू कल सुबह जिम क्यों गया था……

मैं (गुस्से में): हुउऊन्न्ं, सो उस बीसी ने आपके कान भर ही दिए…

मैंने ये बोला ही था की तभी मेरे गाल पे एक ज़ोर का थप्पड़ आ पड़ा……..पूरा रूम एक दम से शांत………………

दीदी: नालयक अपने जीजू को अपनी ही दीदी के सामने गली देते हुए तुझे ज़रा भी शर्म नहीं आई….

चाटा खाने के बाद में कुछ संबला ही था की दीदी की बात सुन कर मैं थोड़े सकते में आ गया, की ये दीदी को आज क्या हो गया……
क्यों की ये पहली बार नहीं था की जब मैंने दीदी के सामने देव को गली दी थी………
मैं सोच ही रहा था की तभी मुझे लगा की शायद दीदी रो रही है …..

मैंने दीदी की तरफ देखा…………….तभी………

तभी रूम में एक ओर चांटे की आवाज़ आई……………………….
ओर इस बार ये छाँटा मेरे गाल पे नहीं बल्कि रूम के बाहर किसी के लगा था……

मैं ओर दीदी दोनों इस आवाज़ को सुन कर एक दूसरे की तरफ हैरानी से देखने लगे……….

दीदी ने अपना हुलिया थोड़ा सही किया ओर बाहर चली गयी ये देखने की आख़िर मज़रा क्या है……..

मैं अभी भी इस ही सोच में था की आख़िर दीदी ने मुझे चाँटा क्यों मारा….थोड़ी देर बाद मैं भी रूम से बाहर आ गया ….

हाल में पापा, मॅमी और दीदी तीनों धीमी धीमी आवाज़ में कुछ बातें कर रहे थे, मैं भी उनकी तरफ चलने लगा, लेकिन जैसे ही उन्होंने मुझे देखा अपनी बातें बंद कर दी…..शायद वो लोग मुझे ही लेकर कोई संजीदा बात कर रहे थे इसलिए ही मुझे देख कर वो चुप हो गये….

ये देख के मैं अपने रूम में वापस आ गया ओर फ्रेश होने के लिए चला गया…….

अरे यार मैं तो इंट्रोडक्षन करना भूल ही गया……….

मुझे तो आप सब जानते ही है, मैं आपका प्यारा खुशाल, उम्र :-21 अच्छा हट्टा -कट्टा मासूम सा लोंडा ….. …., पापा जो की डॉक्टर है आगे….
 

u.sir.name

Hate girls, except the one reading this.
6,840
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143
:congrats: For new story brother......
 
  • Love
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रोज की तरह ही आज जब मैं सो कर उठा तो मेरी प्यारी बहना मेरे बेड के पास चेयर पर बैठी मेरे उठने का वेट कर रही थी, ओर मस्त सॉंग सुन रही थी.
सॉंग कुछ इस तरह था…..

कोरा कागज था ये मन मेरा……मेरा…मेरा….
लिख दिया नाम मैंने तेरा……तेरा…..तेरा…

सुबह सुबह ये गाना सुन कर पता नहीं क्यों लेकिन मेरा आंखें नम हो उठी, ओर मैंने दीदी को अपने गले से लगा लिया…
शायद दीदी पहले से ही कुछ सोच कर रो रही थी, क्योंकि मुझे गले लगते ही मुझे अपने कंधों पर उनके आंशुओ का गीलापन महसूस हो गया था….

तभी मैं अपनी पुरानी यादो में खो गया………

एक साल पहले…..

मैं: अरे वो दीदी, आज सुबह सुबह यहां कैसे, ओर जीजू नहीं आए क्या..

दीदी: नहीं…

ओर दीदी सीधे अपने कमरे में चली गयी, मुझे दीदी का ऐसा बर्ताव सही नहीं लगा…ओर मैं कुछ सोचने लगा..

तभी मेरे मान में एक ख्याल आया ओर मैंने अपने जीजू को कॉल लगा दिया…

जीजू: अरे ओ लोडे , आज सुबह सुबह हमारी कैसे याद आ गयी…

मैं: तेरी गांड मारनी थी, मरवाएगा क्या…

जीजू: तेरा इतना ही मान तो चल आजा, तेरे लिए गांड तो क्या जान भी हाज़िर है…….

(अरे आप इतना चोकिए मत की ये क्या हो रहा है एक साला अपने जीजा से ऐसे कैसे बात कर रहा है…
आक्च्युयली मेरा जीजा कोई ओर नहीं देव ही है…..ओर आप तो जानते ही है देव ओर मेरी दोस्ती सबसे बढ़ कर हैं। )

फोन चालू था लेकिन मैं अपने ही ख़यालो में खो गया……….
मैं (सोचते हुए): देव ओर दीदी में कोई बात हुई नहीं लगती फिर ये दीदी का मुंह यू उतरा हुआ क्यों है……

मैं अपने ख़यालो में खोया हुआ था तभी देव ने मुझे ख़यालो से बाहर निकलते हुए कहा……..

देव: आबे ओ गधे क्या सपने में ही मेरी गांड मर लेगा……अब ये बता तूने कॉल क्यों किया था……….

मैं: ह्म्‍म्म्म……

देव: आबे ये भैंस की तरह रंभाना बंद कर ओर बता क्या काम था.

मैं: यार पता नहीं अभी अभी दीदी घर आई है, ओर मुझे उनका मूंड़ कुछ सही नहीं लग रहा.

देव (थोड़े गुस्से में): तो तूने सोचा होगा की कही मैंने ही उसको रुलाया होगा, ओर ये सोच के तूने मेरी गांड मरने के लिए कॉल कर लिया…….

मैं: नहीं यार ऐसी बात नहीं है, लेकिन तुम्हें तो पता ही है, मैं अपनी दीदी से कितना प्यार करता हूँ……मुझसे दीदी की…..

देव (मेरी बात को काट ते हुए): सब समझता हूँ मैं साले, लेकिन ये ये तो मुझे भी नहीं पता की नीरू (मेरी दीदी) को क्या हुआ है, मैं तो जब जिम के लिए निकला तो वो किचन में खाना बना रही थी….

मैं: ह्म्‍म्म्म…..चल मैं बाद में बात करता हूँ……

देव: ओके

देव से बात करने के बाद मुझे ओर भी ज्यादा टेन्शन होने लगी क्योंकि अगर दीदी का देव से कोई झगड़ा होता तो मैं उसे समझा देता पर पता नहीं अब क्या बात है सो मेरा ज़ोर से सर दर्द करने लगा….

प्रेजेंट...

मैं अपनी सोच में डूबा हुआ था ओर शायद दीदी मुझसे कुछ कह रही थी……..मैं बड़बड़ाते हुए…

मैं: कुछ कहा दीदी आपने.

दीदी: कहा खो गया कब से तुझसे पूछे जा रही हूँ ओर एक तू है की अपने ही ख़यालो में खोया हुआ है….

मैं (बात को टालते हुए): कुछ नहीं दीदी वो यू ही नेहा के बारे में सोच रहा था….

दीदी: अच्छा तो अब तू इतना बड़ा हो गया, की अपनी दीदी के होते उस चुड़ैल के बारे में सोच रहा है…

मैं: इसमें बड़ा होने की बात बीच में कहा से आ गयी….

दीदी: चल छोड़ ओर ये बता आज सुबह सुबह मेरे सोना की आंखों में ये आँसू कैसे आ गये….

मैं: जब आपकी आंखों में आँसू आ सकते है तो क्या मेरी आंखों में नहीं आ सकते क्या?

दीदी: बहुत बड़ा हो गया रे तू तो…..चल छोड ओर ये बता तू कल सुबह जिम क्यों गया था……

मैं (गुस्से में): हुउऊन्न्ं, सो उस बीसी ने आपके कान भर ही दिए…

मैंने ये बोला ही था की तभी मेरे गाल पे एक ज़ोर का थप्पड़ आ पड़ा……..पूरा रूम एक दम से शांत………………

दीदी: नालयक अपने जीजू को अपनी ही दीदी के सामने गली देते हुए तुझे ज़रा भी शर्म नहीं आई….

चाटा खाने के बाद में कुछ संबला ही था की दीदी की बात सुन कर मैं थोड़े सकते में आ गया, की ये दीदी को आज क्या हो गया……
क्यों की ये पहली बार नहीं था की जब मैंने दीदी के सामने देव को गली दी थी………
मैं सोच ही रहा था की तभी मुझे लगा की शायद दीदी रो रही है …..

मैंने दीदी की तरफ देखा…………….तभी………

तभी रूम में एक ओर चांटे की आवाज़ आई……………………….
ओर इस बार ये छाँटा मेरे गाल पे नहीं बल्कि रूम के बाहर किसी के लगा था……

मैं ओर दीदी दोनों इस आवाज़ को सुन कर एक दूसरे की तरफ हैरानी से देखने लगे……….

दीदी ने अपना हुलिया थोड़ा सही किया ओर बाहर चली गयी ये देखने की आख़िर मज़रा क्या है……..

मैं अभी भी इस ही सोच में था की आख़िर दीदी ने मुझे चाँटा क्यों मारा….थोड़ी देर बाद मैं भी रूम से बाहर आ गया ….

हाल में पापा, मॅमी और दीदी तीनों धीमी धीमी आवाज़ में कुछ बातें कर रहे थे, मैं भी उनकी तरफ चलने लगा, लेकिन जैसे ही उन्होंने मुझे देखा अपनी बातें बंद कर दी…..शायद वो लोग मुझे ही लेकर कोई संजीदा बात कर रहे थे इसलिए ही मुझे देख कर वो चुप हो गये….

ये देख के मैं अपने रूम में वापस आ गया ओर फ्रेश होने के लिए चला गया…….

अरे यार मैं तो इंट्रोडक्षन करना भूल ही गया……….

मुझे तो आप सब जानते ही है, मैं आपका प्यारा खुशाल, उम्र :-21 अच्छा हट्टा -कट्टा मासूम सा लोंडा ….. …., पापा जो की डॉक्टर है आगे….
Great start.....
 
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