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Adultery MayaJal..... (Completed)

Mayaviguru

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Update no 20
Final update
ये आत्मा । वह प्रभावशाली स्वर में बोला - अनादि अजन्मा अमर अजर और अबिनाशी है । आत्मा अनादि और अनन्त है । आत्मा सब प्रकार से आदि अन्त रहित है । क्षिति जल पावक गगन समीरा । पंच रचित अति अधम शरीरा । प्रगटु सो तनु जो आवा जावा । जीव नित्य तब केहि शोक मनावा ।
बाबा । उसने जस्सी की तरफ़ उंगली दिखाई - ये चारूलता है । ये पंजाब में जन्म ले चुकी है । और अभी देखो इतनी बङी भी हो गयी है । ये पहले की ही तरह सुन्दर है । आपकी पत्नी दुष्यन्ती भी पंजाब में जन्म ले चुकी है । उसका नाम अभी करम कौर है । करम कौर इसकी माँ राजवीर की खास सहेली है । आपका बेटा नल्ला । कहते कहते वह रुका । उसने सोचा । बताना ठीक है । या नहीं । फ़िर उसने बताना ही उचित समझा । किसी को धोखे में रखने से बेहतर उसे कङबी सच्चाई बता देना हमेशा ही ज्यादा उचित होता है - और आपका बेटा नल्ला प्रेत योनि में चला गया है । और ये आप दोनों के मोहवश ही हुआ है । नल्ला चारू का मोह न छोङ सका । और इसके प्रेत जीवन के दौरान इसे याद करता हुआ । वह भी प्रेत हो गया । यह प्राकृतिक दुर्घटना से अकाल मरी थी । पर नल्ला इसके मोह में मरा था । मरने के बाद भी उसका मोह नहीं छूटा । तब वह स्थायी रूप से प्रेत बन गया । करम कौर के जस्सी से अभी भी संस्कार जुङे थे । सो वह उसे खोजते खोजते उसकी माँ की सहेली बनी ।
और आप अपने खोये परिवार को भुला न सके । वह हर पल आपकी यादों में बना रहा । आप भगवान को भूल गये । उससे उदासीन ही हो गये । आप भूल गये । ये परिवार भी आपको उसी प्रभु ने दिया था । और समय आने पर अपनी इच्छानुसार ले लिया । आप भूल गये कि इससे पहले कितने ही लाख परिवार आप पहले भी छोङ आये हैं । आप तुच्छ से तुच्छ कीङा मकोङा जीव भी बन चुके थे । कभी आप राजा भी बने थे । कभी आप राक्षस और फ़िर कभी देवता भी बने थे । पर ये सब झूठा खेल था । एकमात्र ठोस सच्चाई सिर्फ़ यही है - ये आत्मा अनादि अजन्मा अमर अजर और अबिनाशी है । आत्मा अनादि और अनन्त है । आत्मा सब प्रकार से आदि अन्त रहित है ।
पर आप इस ठोस सच्चाई को भूलकर । शाश्वत सत्य को त्याग कर माया के झूठे खेल में उलझ गये । और उस परम दयालु प्रभु से उदासीन हो गये । तब प्रभु नाम सुमरन से रहित परिणाम स्वरूप आपको नियमानुसार इस उदासीन लोक में भेज दिया गया । पर अपनी घोर और मोह जनित अज्ञानता वश आप अभी भी अपने पुत्र पत्नी और चारू को कष्ट पहुँचा रहे हैं । आप उनकी याद में गहरे डूबकर जब ये ढोल बजाते हुये । उसने एक भावहीन निगाह डालते हुये ढोल की तरफ़ उँगली उठाई - अपने परिवार या नल्ला को याद करते हैं ।
तब इसकी ध्वनि का सधा तीवृ कंपन आपकी याद के सहारे खोजता हुआ भाव को लेकर आसमानी शब्द में जाता है । वहाँ से वह भाव चुम्बकीय तरंगों में परिवर्तित होकर नल्ला के पास प्रेतलोक में पहुँचता है । और फ़िर नल्ला चुम्बकत्व के प्रभाव से अपने उस अतीत कालखण्ड में खिंचा चला आता है । तब उसकी प्रबल तरंगे चारू या दुष्यन्ती को वापिस अतीत में खींचने लगती हैं । आप जानते हैं । आपकी वजह से उन तीन आत्माओं को कितना कष्ट होता है । शायद आप नहीं जानते । और उसकी वजह है ये ढोल ।
बूङे के चेहरे पर भूचाल सा नजर आने लगा । उसकी गर्दन तेज तेज हिल रही थी । वह बुरी तरह कंपकंपा रहा था । शायद उतना बङा तूफ़ान उस दिन भी नहीं आया था । जितना आज इस लङके के शब्दों से आया था । फ़िर वह बङी मुश्किल से लङखङाता हुआ सा उठा । उसने एक निगाह सुन्दर जस्सी के चेहरे पर प्यार से डाली । वह उसके पास झुककर बैठ गया । और बङे स्नेह से उसका माथा चूमा ।
फ़िर उसने एक लकङी उठाकर ढोल के पुरे में भोंक दी । ढोल दोनों तरफ़ से फ़ट गया । उसने बेहद नफ़रत से ढोल में एक लात मारी । गोल ढोल बाहर लुढकता ही चला गया । लुङकता ही चला गया । फ़िर उसने घुटनों के बल बैठकर खुदा की इबादत की ।
और कंपकंपाये स्वर में बोला - हे मालिक ! आज तूने मेरी आँखे खोल दी । ये लङका स्वयँ आपका ही रूप है ।
फ़िर वह किसी शराबी के समान झूमता हुआ आया । और प्रसून के पैरों में गिर पङा । प्रसून हतप्रभ रह गया । उसे एकाएक कुछ नहीं सूझा । वह भावुक सा हो उठा था । और बूङे को उठाने की भी हिम्मत नहीं कर पा रहा था । अंधेरा अब पहले की अपेक्षा कम होने लगा था । शायद कुछ ही देर में पौ फ़टने वाली थी । अब उसे वापिसी की भी जल्दी हो रही थी ।
कोई पन्द्रह मिनट तक अपनी भावुकता के चलते वह अनेकों बातें सोच गया । बूङा अभी भी उसके पैरों में गिरा पङा था । तब उसे मानों चौंकते हुये होश आया । उसने कन्धा पकङकर - उठो बाबा ..कहते हुये बूङे को उठाया । मगर वह एक तरफ़ को ढोल की तरह ही लुङक गया । वह एकदम हक्का बक्का रह गया । बूङा मर चुका था । उसकी सजा खत्म हो गयी थी । वह इस उदासीन जेल से रिहा कर दिया गया था ।
राम नाम सत्य है । सत्य बोलो मुक्त है । राम नाम सत्य है । सत्य बोलो मुक्त है । अभी यही तो हुआ था ।
- दाता ! वह फ़ूट फ़ूटकर रोने लगा - कैसा अजीव खेल खेलता है तू भी । शायद इसी को बोलते हैं । खबर नहीं पल की । तेरा खेल । मैं भला मूरख क्या जान सकता हूँ । मैं तो सिर्फ़ निमित्त था । मैं जान गया प्रभु । मैं सिर्फ़ निमित्त था । आपके पवित्र नाम को सुनाने ही मैं यहाँ आया था । जिसके सुनने मात्र से उसकी बेङियाँ कट गयीं । और वह आजाद हो गया । किसी अगली खुशहाल लहलहाती जिन्दगी के लिये ।
उसने अपनी आँखें पोंछी । अंधेरा काफ़ी हद तक छट चुका था । भोर की हल्की हल्की लालिमा फ़ैलने लगी थी । मगर जस्सी अभी भी सो रही थी । अब क्या करना चाहिये । उसने सोचा । जस्सी को यहीं जगा लेने पर उसके दिल पर कोई असर पङ सकता है । आगे के लिये फ़िर कोई बात उसके दिलोदिमाग में अंकित हो सकती है । वह परेशान हो सकती है । तमाम सवाल जबाब कर सकती है ।
तब उसने सोती जस्सी को बाँहो में उठाया । और आखिरी निगाह डालकर वह वहाँ से बाहर निकल आया । काफ़ी आगे निकल आने पर उसने सोती हुयी जस्सी को बाहों में लिये ही खङा किया । और जोर से भींचा । वह हङबङा कर जाग गयी । और हैरानी से उसे देखने लगी ।
- घर नहीं चलना क्या । वह अजीव निगाहों से उसे देखने लगा - क्या ऐसे ही सोती रहेगी ।
- घर । वह बौखलाकर बोली - कौन से घर ? पर मैं तो मर चुकी हूँ । आप भी मर चुके हो । अब हम घर कैसे जा सकते हैं । प्रसून जी ! अब हम लोग हैं ना । भूत बन गये हैं । सच्ची आप मेरा यकीन करो जी । अब हम घर नहीं जा सकते । आप ये बात मानते क्यों नहीं ।
- अरे ! वह झुंझलाकर बोला - भूत क्या घर नहीं जाते । सुबह हो चुकी है । बोल अभी तू टी कैसे पियेगी । ब्रेकफ़ास्ट कहाँ से करेगी । तुझे कालेज भी जाना है ।
- भूत ! वह आश्चर्य से बोली - भूत भी ये सब करते हैं ।
- नहीं रानी । वह प्यार से बोला - भूत सिर्फ़ बियर पीते हैं । भंगङा करते हैं । पप्पियाँ झप्पियाँ करते हैं । अब चल भी दे भूतनी ।
ये प्रसून के लिये अजीव यात्रा थी । वह अक्सर ऊँचे लोकों में ही अधिक जाता था । पर आज वह प्रथ्वी से भी काफ़ी नीचे लोकों में आया था । जहाँ चारो तरफ़ अंधेरे का साम्राज्य कायम था । पर अब अंधेरा छंट चुका था । उसने प्रथ्वी की तरफ़ जाने के लिये यात्रा शुरू कर दी ।
बराङ साहब के घर में एक अजीब सा सन्नाटा छाया हुआ था । शाम के सात बज चुके थे । सुबह से लेकर अब तक बारह घण्टे गुजर चुके थे । बारबार राजवीर की रुलाई सी फ़ूट रही थी । मनदीप भी भौचक्का सा कुछ समझ ही नहीं पा रहा था कि क्या करे । प्रसून और जस्सी कमरे में मरे पङे थे ।
और वे ठीक से यह भी नहीं कह सकते थे । वे वाकई मरे पङे थे । प्रसून ने कहा था । हो सकता है । उन्हें ऐसा लगे कि वह मर गया है । लेकिन वास्तव में वह मरा नहीं होगा । पर यह बात उसने सिर्फ़ अपने लिये कही थी । उसकी बेटी के लिये नहीं । तब जस्सी क्या मर गयी थी । वह कब और कैसे प्रसून के कमरे में पहुँच गयी थी ।
राजवीर को रह रहकर अपने आप पर क्रोध आ रहा था । क्यों उसने जस्सी को उस रात अकेला छोङ दिया था । सुबह वह उठी । तो जस्सी घर में कहीं नहीं थी । वह देर तक चारों तरफ़ उसे देखती रही । उसने हर तरफ़ जस्सी को खोजा । पर वह कहीं नहीं थी । तब यकायक उन सबका ध्यान प्रसून की तरफ़ गया । क्या वह घर में ही था । या कहीं..कहीं वो साधु युवक उनकी लङकी को चुपके से भगा ले गया था ।
और जैसे ही वो उस कमरे के द्वार पर आये । उनका शक विश्वास में बदल गया । कमरे का लाक खुला था । जस्सी उसके साथ घर छोङकर भाग गयी थी । उन्होंने हङबङाहट में दरबाजे को धक्का मारा । पर दरबाजा अन्दर से बन्द था । अब उनकी उलझन और भी बङ गयी थी । दरबाजा बाहर से लाक था । उसकी चाबी जस्सी के पास थी । क्या वे दोनों अन्दर बन्द थे । फ़िर वे अभी तक क्या कर रहे थे ?
बहुत आवाजें लगाने के बाद आखिर दरबाजा तोङ दिया गया । और अन्दर का दृश्य देखकर उन सबके छक्के छूट गये । वे दोनों मरे पङे थे । इस नई स्थिति की किसी को कल्पना भी नहीं थी । उन्होंने भली प्रकार से चैक किया था । दोनों की सांस नब्ज नाङी का कुछ भी पता नहीं था । बस एक ही बात थी । उनके शरीर हल्के गर्म थे । और मरे के समान नहीं हुये थे । वे दोनों किसी प्रेमी प्रेमिका के समान एक दूसरे से सटे पङे थे । जस्सी उसकी छाती पर सिर रखकर सो रही थी । अब वे कर भी क्या सकते थे ।
उन्होंने कमरा ज्यों का त्यों बन्द कर दिया । और गौर से प्रसून की समझायी हुयी बातों को याद करने लगे । तब उन्हें शान्ति से बिना कोई हंगामा किये इन्तजार करना ही उचित लगा । चाहे इस इन्तजार में दस दिन ही क्यों न लग जायें ।
जीवन में कभी कभी ऐसी स्थितियाँ बन जाती हैं । जब अच्छे से अच्छा इंसान भी कोई निर्णय नहीं ले पाता । सही गलत को नहीं सोच पाता । बराङ को भी जब कुछ नहीं सूझा । तो उसने एक बङा सा पैग बनाया । और धीरे धीरे घूँट भरने लगा । उसके माथे पर बल पङे हुये थे । घर में एक अजीब सी उदासी छायी हुयी थी । वे सब हाल में टीवी के सामने सिर झुकाये गमगीन से बैठे थे ।
और तभी एक चमत्कार सा हुआ । उस रहस्यमय कमरे का दरबाजा खुलने की आवाज आयी । और फ़िर जस्सी प्रसून का हाथ थामे हुये बाहर आयी । राजवीर खुशी से रो पङी । और दौङकर जस्सी से लिपट गयी । बराङ की आँखे भी भीगने लगी ।
- बराङ साहब ! प्रसून उसके सामने बैठता हुआ बोला - नाउ आल इज वेल । जस्सी पूरी तरह ठीक हो चुकी है । इसी खुशी में एक पटियाला पैग हो जाये ।
- ओये जुरूर जुरूर । बराङ भावुक सा होकर आँसू पोंछता हुआ बोला - ज्यूँदा रह पुत्तर । मेरा शेर । पंजाब दा शेर । बब्बर शेरया । वह बाटल से उसके लिये गिलास में व्हिस्की उङेलता हुआ बोला - राजवीर अब तू बैठी बैठी क्या देख रही है । बच्चों के लिये खाना वाना ला । इन्हें भूख लगी होगी ।
- हाँ जी । सरदार जी । वह उठते हुये बोली - आप ठीक ही बोल रहे हो ।
- डैड । जस्सी मनदीप के पास आकर बोली - एक बार एक सरदार था । पर वह कोई सन्ता बन्ता नहीं था । वह बहुत अच्छा और रब्ब दा नेक बन्दा था । और वह आप हो । मेरे प्यारे पप्पा । सच आय लव यू वेरी मच डैड ।
बराङ ने उसे सीने से लिपटा लिया । और कसकर भींचते हुये सुबकने लगा । वाकई सबको ऐसा ही लग रहा था । जैसे जस्सी मरकर जीवित हुयी हो । उसे नयी जिन्दगी मिली हो । सो उस कोठी में अजीब सा खुशी गम का मिश्रित माहौल था ।
************
इसके आठ दिन बाद जब जस्सी कालेज में थी । अचानक उसका सेलफ़ोन बजा । कालर आई डी पर निगाह पङते ही वह मुस्करा उठी । अभी वह क्लास से बाहर थीं । उसने चिकन वाली का हाथ पकङा । और तेजी से एक तरफ़ ले गयी । दूसरी तरफ़ से प्रसून बोल रहा था । जस्सी ने जानबूझकर चिकन वाली गगन को उत्तेजित करने हेतु इतना वाल्यूम बङा दिया था कि वह आराम से सुन सके । उसने ये बात प्रसून को भी बता दी थी । जब उसने गगन का हालचाल पूछा था कि वह उसके पास ही खङी है । और आपकी बात भी सुन रही है ।
तब जैसे प्रसून को यकायक कुछ याद आया । और वह सीधा गगन से सम्बोधित होता हुआ बोला - ओ सारी ..सारी गगन जी । वेरी सारी । जल्दी में मैं आपको एक बात बताना भूल गया था । जो आपने खास तौर पर पूछी थी । चलिये अब बताये देता हूँ । मैं राजीव जी को जानता हूँ । और नीलेश को भी । और उसकी गर्लफ़्रेंड मानसी को भी.. । अब तो आपको विश्वास हो गया । मैं नकली प्रसून नहीं हूँ ।
- क्याऽऽ । गगन एकदम से उछलकर बोली - सालिया डफ़र । यू चीटर । भैण..भैण..देख जस्सी..समझा दे इसको । मेरा मूड बिगङ गया है । अब मुझे बहुत गुस्सा चङ गया है । ऐसा न हो कि साली तू भी कुछ और बात कर दे । नहीं तो मैं नाराज हो जाऊँगी । उदास हो जाऊँगी । निराश हो जाऊँगी । मैं रो पङूँगी । गुस्से में आकर प्रसून का... काट दूँगी । टुईं.. टुईं । आई लव यू लल्लू बाबा । बाय बाय ।
जस्सी हौले हौले हँस रही थी । उसे पता था । प्रसून उसकी पगली सहेली का गुस्सा सुन रहा था । उसने फ़ोन काटने की कोई कोशिश नहीं की थी । फ़िर उसने फ़ोन को बेहद करीब लाकर स्वीट किस की ध्वनि की । और शरमा कर जल्दी से फ़ोन काट दिया ।
और अन्त में - वास्तव में इस पूरी कहानी की प्रेरणा मुझे मेरी सहेली से मिली है । उसका बहुत बङा योगदान इसमें रहा है । मैंने तो बस इसे शब्द ही दिये हैं । बाकी सब कुछ उसी का है । अतः मेरी ये कहानी उसी को समर्पित है ।
उसको जो मुझे बहुत प्रिय है ।
और सदा मेरी यादों में रहती है.....
 

Mayaviguru

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Completed ....
Agar aao sab ko yeh khani achi lge to like kre share kre rebu kre aur yha se fult le...

Aapka apna nhi hu bas..
Is thread ka post man hu

Mayavi Guru
 

luv4sale696969

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अत्यंत ही अद्भुत कथानक। शब्द और प्रवाह ऐसे जैसा मैंने मात्र उच्च कोटि के साहित्य में पाया है। मूल लेखक कोई भी हों, धन्यवाद आपको जाता है कि इतनी अच्छी रचना आपने यहाँ प्रस्तुत की।
यदि प्रसून के नायकत्व वाली या ऐसी ही कोई और रचना आपके पास हो तो कृपया उसे भी पोस्ट कर हमें आभारी करें।
 

N sexy

सबसे प्यारी
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May baat hai,
Adbhut kahani hai ye,
Lagatar 3 ghante lage ise padhne me lekin chhoda nahi
Very good
Hats off
 

Mayaviguru

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May baat hai,
Adbhut kahani hai ye,
Lagatar 3 ghante lage ise padhne me lekin chhoda nahi
Very good
Hats off
Thanks for your support bhai
 

Siraj Patel

The name is enough
Staff member
Sr. Moderator
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Hello, Ladies :kiss: & Gentleman, :hi:
We are so glad to Introduce Ultimate Story Contest of this year.

Jaise ki aap sabhi Jante Hain is baar Hum USC contest chala rahe hain aur Kuch Din pahle hi Humne Rules & Queries Thread ka announce kar diya tha aur ab Ultimate Story Contest ka Entry Thread air kar diya hai jo 17th, Nov 2019, 11:59 PM ko close hoga.

Khair ab main point Par Aate Hain Jaisa ki entry thread aired ho chuka hai isliye aap Sabhi readers aur writers se Meri personally request hai ki is contest mein aap Jarur participate kare aur
Apni kalpnao ko shabdon ka rasta dikha ke yaha pesh kare ho sakta hai log use pasand kare.
Aur Jo readers nahi likhna chahte wo bakiyo ki story padhke review de sakte hai mujhe bahut Khushi Hogi agar aap is contest mein participate lekar apni story likhenge to.

Ye aap Sabhi Ke liye ek bahut hi sunhara avsar hai isliye Aage Bade aur apni Kalpanao ko shabdon Mein likhkar Duniya Ko dikha De.

Ye ek short story contest hai jisme Minimum 800 words se maximum 6000 words tak allowed hai itne hi words mein apni story complete Karni Hogi, Aur ek hi post mein complete karna hai aur
Entry Thread mein post karna hai.
I hope aap mujhe niraash nahi Karenge aur is contest Mein Jarur participate Lenge.


:thanks:
On Behalf of Admin Team
Regards :-
Siraj Patel


 
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