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Siraj Patel

The name is enough
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Hello everyone.

We are Happy to present to you The annual story contest of XForum


"The Ultimate Story Contest" (USC).


"Chance to win cash prize up to Rs 8000"
Jaisa ki aap sabko maloom hai abhi pichhle hafte hi humne USC ki announcement ki hai or abhi kuch time pehle Rules and Queries thread bhi open kiya hai or Chit Chat thread toh pehle se hi Hindi section mein khula hai.

Well iske baare mein thoda aapko bata dun ye ek short story contest hai jisme aap kisi bhi prefix ki short story post kar sakte ho, jo minimum 700 words and maximum 7000 words ke bich honi chahiye (Story ke words count karne ke liye is tool ka use kare — Characters Tool) . Isliye main aapko invitation deta hun ki aap is contest mein apne khayaalon ko shabdon kaa roop dekar isme apni stories daalein jisko poora XForum dekhega, Ye ek bahot accha kadam hoga aapke or aapki stories ke liye kyunki USC ki stories ko poore XForum ke readers read karte hain.. Aap XForum ke sarvashreshth lekhakon mein se ek hain. aur aapki kahani bhi bahut acchi chal rahi hai. Isliye hum aapse USC ke liye ek chhoti kahani likhne ka anurodh karte hain. hum jaante hain ki aapke paas samay ki kami hai lekin iske bawajood hum ye bhi jaante hain ki aapke liye kuch bhi asambhav nahi hai.

Aur jo readers likhna nahi chahte woh bhi is contest mein participate kar sakte hain "Best Readers Award" ke liye. Aapko bas karna ye hoga ki contest mein posted stories ko read karke unke upar apne views dene honge.

Winning Writer's ko well deserved Cash Awards milenge, uske alawa aapko apna thread apne section mein sticky karne ka mouka bhi milega taaki aapka thread top par rahe uss dauraan. Isliye aapsab ke liye ye ek behtareen mouka hai XForum ke sabhi readers ke upar apni chhaap chhodne ka or apni reach badhaane kaa.. Ye aap sabhi ke liye ek bahut hi sunehra avsar hai apni kalpanao ko shabdon ka raasta dikha ke yahan pesh karne ka. Isliye aage badhe aur apni kalpanao ko shabdon mein likhkar duniya ko dikha de.

Entry thread 15th February ko open ho chuka matlab aap apni story daalna shuru kar sakte hain or woh thread 5th March 2024 tak open rahega is dauraan aap apni story post kar sakte hain. Isliye aap abhi se apni Kahaani likhna shuru kardein toh aapke liye better rahega.

Aur haan! Kahani ko sirf ek hi post mein post kiya jaana chahiye. Kyunki ye ek short story contest hai jiska matlab hai ki hum kewal chhoti kahaniyon ki ummeed kar rahe hain. Isliye apni kahani ko kayi post / bhaagon mein post karne ki anumati nahi hai. Agar koi bhi issue ho toh aap kisi bhi staff member ko Message kar sakte hain.



Story se related koi doubt hai to iske liye is thread ka use kare — Chit Chat Thread

Kisi bhi story par apna review post karne ke liye is thread ka use kare — Review Thread

Rules check karne ke liye is thread ko dekho — Rules & Queries Thread

Apni story post karne ke liye is thread ka use kare — Entry Thread

Prizes
Position Benifits
Winner 4000 Rupees + Award + 5000 Likes + 30 days sticky Thread (Stories)
1st Runner-Up 1500 Rupees + Award + 3500 Likes + 15 day Sticky thread (Stories)
2nd Runner-UP 1000 Rupees + 2000 Likes + 7 Days Sticky Thread (Stories)
3rd Runner-UP 750 Rupees + 1000 Likes
Best Supporting Reader 750 Rupees + Award + 1000 Likes
Members reporting CnP Stories with Valid Proof 200 Likes for each report



Regards :- XForum Staff
 

deeppreeti

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महारानी देवरानी

अपडेट 96

रगड़ाई अभी बाकी है

सुहागरात सुबह 6 बजे

देवरानी, "राजाजी सुबह हो गई है घड़ी की ओर देखिये 6 बज गए हैं।"

बलदेव मुस्कुराता है और देवरानी को अपने गोद में उठा कर फिर बिस्तर पर ले आता है।



LAP

"मेरी पत्नी, मेरी रानी शायद आप भूल गई आज दोपहर तक, आज आपका पति, आपका बेटा, आपकी ठुकाई करेगा ऐसा वह राजमहल में सबको सूचित कर आया है।"

ये सुनते हे देवरानी शर्मा कर बलदेव के सीने में अपना मुंह छुपा लेती है। वह अंदर ही अंदर मुस्कुरा रही थी जिसे देख कर बलदेव भी मुस्कुरा देता है।

"क्यू रानी शर्मा रही हो, अपने बेटे का प्यार और नहीं चाहिए आपको?"

देवरानी बलदेव के गले लगे हुए अपने नाखुन बलदेव के पीठ पर चुभाती है।

बलदेव: उह आह साली! "




RC

लदेव देवरानी को बिस्तार पर पटक देता है।

देवरानी: हेहेह आह राजा!

बलदेव के पास रखा तेल उठा लेता है और फिर से सरसो के तेल देवरानी के पागल कर देने वाले शरीर पर उड़ेल देता है।

"साली तेरी चूत में भी कम खुजली नहीं है मेरी रानी माँ!"

"भूल गया मैं तेरी माँ भी हूँ तो तुमसे कम नहीं हूँ मेरे जंगली घोड़े!"

"क्या कहा तूने?"

"घोड़ा!"


STAND


और देवरानी हस देती है।

बलदेव देवरानी के ऊपर चढ़ जाता है।

"अभी बताता हूँ।"

"तो बता दो मना किसने क्या है।"

"ये ले मेरी रानी!"

बलदेव अपना बड़ा लौड़ा जो हथोड़े-सा कड़ा हो गया था और तेल लगाने पर गरम लोहे-सा दहक रहा था, देवरानी के बड़े पपीतो के बीच घिसने लगा ।



H1

manor5


manor4 manor3
देवरानी आहे भारते हुए अपने दूध पर लगे तेल को मल रही थी । बलदेव अपने लौड़े को पकड़े आगे पीछे अपनी माँ के दूधो के बीच लौड़ा फंसाए अपनी माँ के भारी मम्मो को चोद रहा था।

"आआआह माँ कितने मुलायम और रसीले वक्ष है आआह आपके आआह!"

"आह बेटा! इसलिए ये तेरा सांप मेरे वक्षो को घिस के अपना बिल बनाने का प्रयास कर रहा है।"

"आह माँ तुम्हारे इन भारी वक्षो को हिलते हुए देख बहुत तड़पा हु। इन्हे चोद कर ही मेरा लौड़ा ठंडा होगा। आह इन दोनों ने मेरे लंड को बहुत परेशान किया है।"

"आह राजा ऐसा है क्या, तो ले आआह इसे रगड़ दू। सब गुस्सा थूक देगा ये हथौड़ा।"

देवरानी बलदेव को पीछे ढकेलती है, खुद अपने हाथो में भारी मम्मो को दबाये अपने बेटे का लंड अपने वक्षो के बीच दबाये घिसने लगती है और ऊपर नीचे करने लगती है।

" आआह माँ आआह ऐसे ही माँ । चूत चोदने में इतना मजा नहीं आया जितना तेरे ये वक्षो को चोदने में आ रहा है।

"आह राजा चोद न। रात से सुबह हो गई पर तेरा ये वीर सोने का नाम नहीं ले रहा। आह!"

"तेरे जैसा माल के होते हुए ये सो जाए ऐसा हो नहीं सकता।"

ये कहते हुए बलदेव देवरानी को धक्का दे कर लिटा देता है और अपना लौड़ा देवरानी की चूत पर रखता है देवरानी अपनी टाँगे खोल लेती है।

बलदेव बिना समय गवाए "खच्च से" अपना लौड़ा अपनी माँ की चूत में घुसा देता है।

"आआह राजा!"

देवरानी की चुत पर ये करारा प्रहार था जिसे वह आहे भर के दर्द बर्दाश्त कर लेती है। बलदेव अपनी गति से लौड़ा आगे पीछे करने लगता है।

"आआह राज आआआ आआआह राआआआआ आआहह!"

फिर अंडकोष और नितम्ब टकराने पर आवाज आने लगती है ।

"घप्पप्प घप्पप्प घप्प-घप्प घप्प आआआह राआआआआ आह!"

"आआह राजा तूने तो अपनी माँ के अंग अंगको खोल के रख दिया! राजा हा ऐसे हे राजा आआह मेरे राजकुमार मेरे पति देव आआह ऐसे ही!"

"आह माँ तेरी जवानी का मजा किसी ने लूटा नहीं कभी। तेरी जवानी तो दिन रात मजा लेने के लिए ही बनी! आह ये ले आह्हः!"

"गहप्पप्प घप्प पच्छ पछ" की आवाज के साथ चूडियो और पायल की छन्न-छन्न की आवाज गूंज रही थी"

"मां तुम खुश तो हो ना मुझसे ब्याह रचा के? आह ये ले!"

"आह धीरे आह राजा तुझ जैसा चोदू पति पाकर मैं धन्य हो गई! आआह ऐसे ही आह!"

"आह माँ ये ले! आह लगता है तेरी मुनिया पानी छोड़ रही है । आआह बहुत प्यासी थी ना तेरी मुनिया?"

"हाँ राजा बहुत तड़पी, आहा हा बहुत तरसी है ये । बहुत बरसो तक अकाल रहा इस धरती पर । मुनिया सालों की प्यासी थी, अब इसका सच्चा रखवाला मिल गया है जो इसे हमेशा हरा भरा रखेगा।"

बलदेव ये सुन कर जोश में आ जाता है फिर ज़ोर से धक्के लगाने लगता है।

"आआआह आआ आआआ नहीं आआआह! मैं मर गई । आआआह रुक्कक ओह्ह आआह! धीरे राजा नहीं आआआह ओह जानवर आआआह आराम से ।"

देवरानी को धक्के लगाते हुए बलदेव देवरानी की गांड पर थप्पड मार रहा था । देवरानी दर्द और प्यार दोनों के मिश्रन से एक नए प्रकार के सुख पा रही थी। जैसा उसने कभी सोचा भी नहीं था।

"आह रानी क्या हुआ फट गई चूत आह ये ले" घप्प"आआह क्यू लौड़ा निकाल दू आह" घप्प! "

"आह राजाआ आह दर्द हो रहा है पेट में । आआह हर धक्के से, आआह राजा ऐसे मैं कभी नहीं चुदी! आआह ऐसे ही करते रहो। मत निकालो भले में कुछ भी कहू। मेरी इस योनि ने बहुत पानी निकाला है । इस मजबूत लिंग ने!"


BRIDE-DANCE


MILK-GLASS

honey-moon-newlywed

"आह माँ आज इस चूत की गर्मी ना झाड़ दी, तो मेरा नाम बलदेव नहीं। बहुत परेशान करती थी ना मेरी माँ को!"

"हाँ आह राजा!"

"माँ पलट जाओ ताकि पीछे से पेल लू अब!"

देवरानी ये सुनते हे पतिवर्ता पत्नी की तरह बात मानते हुए चरण पलट कर घोड़ी बन जाती है। "

"घोड़ी बन जा माँ!"

"बन गई ना घोड़ी!"

"हाँ अब तेरा घोड़ा तेरा बेटा तुझे पीछे से पेलेगा!"

"आह राजा घोड़ी तैयार है चढ़ जा । पेल ले!"

बलदेव देवरानी के दोनों मोटे नितम्ब हाथ में पकड़ कर दबा लेता है।

"आह माँ इन मटको जैसी गांड को जब तू मटकती थी तो मेरे दिल की धड़कन रुक जाती थी । आह!"

बलदेव अपना लौड़ा अपनी माँ की गांड में फंसा कर आगे पीछे करने लगता है।

आआह! राजा ऐसा लग रहा है कि मैंने ये सब सपने में देखा है। आह उम्म्म! "

"क्या देखा सपने में, कब देखा बोलो देवरानी?"

"आह राजा जब हमारा प्रेम आरंभ ही हुआ था शायद तब मेरे सपने में एक हट्टा कट्टा जवान आया वह मुझे ऐसे ही भोग रहा था जैसे तुम कर रहे हो और अंत में जा कर जब उसका चेहरा दिखा तो वह तुम थे।"

"आह रानी तो मेरे प्रेम में पड़ कर मेरे से उसने खुद को सपने में चुदवाया था"

"हाँ राजा या तब ये मुनिया बहुत परेशान रहती थी"।

"मेरी पत्नी जी आप अपना खज़ाना हमें कब लूटने दोगी, किले को तो चोद लिया खज़ाना भी लूटने दो जिसे आज तक छू नहीं पाया।"

"आह राजा जी अब तो हम जीवन भर साथ रहेंगे इतने उतावले क्यू हो रहे हो मैं पूरी आपके हूँ।"

"आह माँ मुझे तुम्हारी इस मटको जैसी गांड ने मुझे बहुत सताया है । इसे खोद के, इस मटके को फोड़ अपने हिस्से का पानी पीना चाहता हूँ ।"

"राजा जी क्षमा करे मुझे मना नहीं करना चाहिए अपने पति को, पर अगर आज आपने मेरे पीछे किया तो मैं मर जाऊंगी इतनी थकी हुई हूँ मैं आज ।"

"आह ऐसा है । चलो कोई नहीं रानी, आज रात में तुम्हारी गांड के छक्के छुड़ा दूंगा अभी चूत की आग ठंडी कर दूं।"

ये कहते हुए बलदेव अपना लौड़ा देवरानी की चूत के मुहाने पर रखता है।

"आह माँ चूत कितनी गरम हो रही है आह पीछे आओ आआह ले लो अपने बेटे का मूसल!"

देवरानी पीछे अपनी गांड को करती है।

"आआह राजा लोहे जैसा लौड़ा है आपका आआह!"

पीछे जाते हुए देवरानी अपनी चूत में लौड़ा लेने लगी फिर एक बार कमरे में फच्च पच की आवाज गूंजने लगी । बलदेव ने जोरदार झटके मारना शुरू कर दिए!


"आआआह माआआ ये ले "घप्प"आआआह माआआ मेरी पत्नी आआआह ये ले "घप्प ! "

"आह राजा ऐसे ही आआह मेरे पेट में चुभ रहा है, तुम्हारा मूसल महारानी देवरानी

हाआए आआह मैं मर गयी! "

कुछ देर यू ही पेलने के बाद देवरानी झड़ने लगती ! है.



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“आआआह आआआहह गई मैं राजाआआआआआह ओह्ह्ह्ह आआआ ! ”

देवरानी चिल्लाते हुए आखे बंद किये झड़ रही थी . बलदेव झटके मारे जा रहा था . कुछ देर में अपने बदन को ऐठते हुई देवरानी पूरी झड़ जाती है.

"आआह राजा मेरे घुटने दुख गए आआह आराम से करो . "

"आह माँ तुम्हारी चूत ने पूरा पानी मेरे लौड़े पर छोड़ दिया आह ! "

"आह राजा आह ! "

बलदेव देखता है उसकी मां के घुटने अब कांप रहे थे देवरानी अपनी भारी भरकम बदन झुके झुके पिलवाती हुई थक गई थी.

बलदेव "सट्ट"से अपना लौड़ा खीचता है और बिस्तार पर लेट जाता है.

"मां आजाओ मेरे ऊपर! "


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देवरानी झट से ऊपर चढ़ जाती है और बलदेव के खड़े लंड को अपनी चूत के मुहाने पर रख बैठ जाती है.

"आआआह माआआ आआआह! मेरी रानी तुम कितनी कामुक स्त्री हो. "

"आह राजा सिर्फ और सिर्फ मेरे पति के लिए हूं. "

देवरानी अपनी बड़ी गांड को ऊपर ले कर अपने बेटे के लौड़े पर पटकती है और बलदेव आहे भरते हुए अपनी माँ की चूत के मजे ले रहा था.

"आआह माँ ऐसे ही आआआह मजा आ गया क्या कैसी हुई चूत है आआह! "


MUSAL

कुछ देर ऊपर करते हुए देवरानी अब धीरे-धीरे उठक बैठक करने लगी और लंबी सांसे भर रही थी जिसे बलदेव गौर से देख रहा था.

तभी कुछ गिरने की आवाज आती है या दोनों का ध्यान भंग होता है देवरानी या बलदेव दोनों का रुक कर ध्यान से सुनते हैं तभी एक आवाज आती है.

"ओ राधा कहा मर गयी? रसोई में आ नाश्ते की तैयारी करनी है. "

देवरानी: कमला है! मेरे राजा !

बलदेव: क्या आवाज थी ये?

देवरानी: अरे मेरे राजा चिंता क्यों करते हो बर्तन गिरने की आवाज थी ये, कमला और राधा फिर आपस में लड़ रही होंगी .

बलदेव हाथ आगे बढ़ा कर देवरानी की गांड पकड़ कर नीचे से ऊपर की तरफ करारा झटका मारता है.

"आह राजा ! "

" इन लोगो को रसोई का काम करने दो, मुझे मेरी रानी की सेवा करने दो. "

"हैट बेशर्म! "


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कह कर देवरानी नीचे हाथ ले जा कर लौड़ा को अपनी चूत से निकलते हुए उठती है.

पर जैसे बलदेव के लंड का सुपारा चूत में फंस जाता है.

"आह ये क्या. ये तो निकलने का नाम नहीं ले रहा है. "

"मां इसे आपकी मुनिया से प्यार हो गया है . आपकी मुनिया भी इसे नहीं छोड़ रही है . बैठ जाओ वापस! "

"अपने मुन्ना को समझाओ मुझे शौच जाना है. "

"अच्छा तो ऐसा कहो ना ऊपर उठो . चूत का मुँह छोटा होने के कारण फंस गया है. "

देवरानी ऊपर उठती है और बलदेव नीचे से खीचता है.

SR-AD-18 SR-AD-17 SR-AD-16 SR-AD-21 SR-AD-20

"स्लूरप् करके ढक्क्न खुलने की आवाज के साथ लैंड का सोपारा बाहर आता है यो चूत से ढेर सारा पानी नीचे गिरता है.

"माँ जल्दी आना! "

"बेटा सुबह हो गई है कमला कभी भी आ सकती है नाश्ता ले कर. और मेरा शरीर पूरा, तेल में डूबा हुआ है, नहा लेती हूं"

"माँ मैं भी चलू साथ में ?"

"मैं तुरन्त आती हूं मेरे राजा. "

"और इसका क्या . कुछ इसका ही करो. "

"ये तो दिन रात ऐसे ही खड़ा रहेगा तो अब हर काम बंद कर दू क्या इन महाशय के लिए. "

और देवरानी हसने लगती है जिसे देख बलदेव मुस्कुरा देता है.

देवरानी शौच हजार और फिर स्नान करने के लिए स्नान गृह में घुस जाती है . बलदेव चित पड़ा अपने और माँ के बीच बीती रात चुदाई के दृश्य को सोच मन हे मन गद गद हो रहा था उसे पता नहीं क्या सूझता है उठ खड़ा हो जाता है तो देखता है स्नानघर का दरवाज़ा खुला हुआ है.

बलदेव:( मन में ) माँ अब दरवाज़ा खुला रख कर नहा रही है तो मेरी क्या गलती

बलदेव स्नान घर में झाँक कर देखता है.

देवरानी अपनी धुन में नहा रही थी और उसके बड़े मोटे दूध हिल रहे थे.

"आह मां नहाते हुए अप्सरा लग रही हो" ये कह कर बलदेव स्नानघर में जाने लगता है. देवरानी चलने की आवाज सुनते हुए ही सब समझ जाती है और उसके मुंह से अपना आप निकल पड़ता है

"रुक जाइये ना जी आती हूँ ना मैं बाहर ! "

पर बलदेव कहा कुछ सुनने वाला था. वो अंदर घुस जाता है और देवरानी को भीगी हुई देख कर उसका लैंड तुनका मार कर और तन जाता है..बलदेव देवरानी की नजर मिलती है.

"मुझे पता था आप नहीं मानोगे"

"देवरानी जब पता है तो पूछो मत . मेरी जान! "

बलदेव आगे बढ़ कर देवरानी के भीगे वक्षो को पकड़ कर साबुन लगा कर झाग बना कर स्तन दबाने लगता है.

"आह राजा जी आप ना बड़े नटखट हो. "

"देवरानी अब हम पति पत्नी हैं और हम आज से साथ हैं ही नहाएंगे. "

"जैसा आपकी आज्ञा महाराज बलदेव. "

"महारानी देवरानी अब मेरे इस शेर को शांत कर दो. "

"महाराज कितना बड़ा है ये , कितना कड़ा है मेरे हाथ में नहीं आ रहा हैं. "

देवरानी बलदेव का लौड़ा अपने हाथ में लिए हुए हिलाते हुए कहती है.


जारी रहेगी
 
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deeppreeti

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मित्र, क्या आप इस कहानी को आगे बढ़ाएंगे ? आपकी अन्य कहानियों की तुलना में मुझे ये ही कहानी ज्यादा उत्कृष्ट लग रही है।
अगली कड़ी की प्रतीक्षा में..... :)

Update posted
 

deeppreeti

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महारानी देवरानी

अपडेट 97

साथ साथ स्नान

बलदेव आगे बढ़ कर देवरानी के भीगे वक्षो को पकड़ कर साबुन लगा कर झाग बना कर स्तन दबाने लगता है.

"आह राजा जी आप ना बड़े नटखट हो. "

"देवरानी अब हम पति पत्नी हैं और हम आज से साथ हैं ही नहाएंगे. "

"जैसा आपकी आज्ञा महाराज बलदेव. "

97-a

"महारानी देवरानी अब मेरे इस शेर को शांत कर दो. "

"महाराज कितना बड़ा है ये , कितना कड़ा है मेरे हाथ में नहीं आ रहा हैं. "


97b

देवरानी बलदेव का लौड़ा अपने हाथ में लिए हुए हिलाते हुए कहती है.

भीगी हुई देवरानी और भी ज्यादा सुंदर और कामुक लग रही थी । पानी की बुँदे उसके संगमरमरी बदन पर मोतियों जैसे चमक रही थी और चिकने बदन पर बार-बार फिसल रही थी । जिसे देख बलदेव भी और अधिक कामुक महसूस कर रहा था ।

"देवरानी अब हम पति पत्नी हैं और हम आज से साथ ही नहाएंगे।"

"जैसा आपकी आज्ञा महाराज बलदेव!"


97c


"महारानी देवरानी अब मेरे इस शेर को शांत कर दो"

"महाराज कितना बड़ा है ये कितना कड़ा है मेरे हाथ में भी नहीं आ रहा हैं।"

देवरानी बलदेव का लौड़ा अपने हाथ में लिए हुए हिलाते हुए कहता है।

"रानी मेरा लौड़ा तुम्हारी चूत के लिए बिलकुल उपयुक्त है । मेरी रानी माँ!"




97r 97q
देवरानी खूब तेजी से अपने हाथ को आगे पीछे करते हुए बलदेव के हल्लबी लौड़े को हिला रही थी।

"बेटा अब चले जाओ ना पलंग पर मैं आती हूँ वहाँ कर लेना।"

"उह माँ तेरी जैसी माल को छोड़ कर जाने का दिल नहीं करता ।आह!"
97p


बलदेव अपना आख बंद करते हुए कहता है ।

"पर बेटा अभी तो बहुत समय है। तुम मुझे 12 बजे से पहले कहा छोड़ने वाले हो।"

ये कहते हुए देवरानी बलदेव के लंड को जोर से भींच लेती है।



97n

"आह साली रुक।"

बलदेव मुड़ कर देवरानी को ढकेलते हुए दीवार से चिपका देता है।

"उफ़्फ़ बेटा आह नहीं।"

"क्या नहीं मेरी माल माँ?"

बलदेव ये कहते हुए अपना लौड़ा देवरानी की चूत पर घिस देता है।



97m




97l

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"बेटा आह ओह आआह।"

"क्या अब तुम्हे प्यार भी नहीं करू मेरी रानी? ।"

"आह करो उह्म्म्म आआआआह उह्म्म्म बेटा।"

बलदेव भीगी हुई अपनी नशीली महारानी देवरानी को अपनी गोद में भर कर अपना मोटा लौड़ा अपनी माँ की चूत पर घिसते हुए उसके रसीले होठों को चूम रहा था।

"गल्लल्लप्पप्प्प्प उह्म्म्म्म्म्म आह्ह्ह्ह्ह्ह्उउउम्म्म्म आआआ गैल्प्प्प्प गप्प्प्प गैल्प्प्प्प उम्म्म्म आआआह!"

"आह माआ ओह!"






97k


97i

"गलप्प्प्प उफ्फ्फ बेटा आआआह उम्म्म्म उम्म्मम्म गल्प!"

दोनों एक दूसरे को चूमते चाटते रहते हैं। कुछ देर यू ही चुसाई के बाद बलदेव अपनी माँ महारानी देवरानी को पलट देता है और पीछे से एक लंड चूत पर लगा कर जोरदार धक्का मारता है।

पानी से भीगी रसीली चूत अंदर से भी पनियायी हुई थी जिससे चूत बलदेव के लौड़े को "स्लरेप्प" कर के पूरा निगल लेती है।

"आआआह बेट्टट्टाआआआ!"

"उफ़फ्फ़ हाए ऊऊह ऊऊऊआआ हम्म्म आआह!"

97h 97g




हर धक्के में देवरानी चिल्लाती थी और उसके दोनों वक्ष एक अदा से हिल रहे थे।

"कैसा लगा रानी मेरा लौड़ा ये ले! हम्म्म!"

पच्छ से फ़िर से बलदेव अपना लौड़ा तेजी से अंदर बाहर करने लगता है।

"आआह मत पूछ कितना आनंद आ रहा है । मेरे राजा बेटा आह हम्म आआह!"

"हम्म" फच्च"फिर ये ले माँ! तेरे जैसी माल को चोद कर मैं धन्य होगया। मेरी पत्नी आज से हम रोज़ स्नान एक साथ करेंगे।"

बलदेव देवरानी से बातचीत करते हुए अपनी माँ की चूत को चोद रहा था।

कुछ देर ऐसे ही वह एक आसन में चुदाई चलती रहती है।

"उफ़ आआह बेटा मैं थक गयी आआह ओह्ह्!"

बलदेव एक ज़ोर का धक्का चूत में पेलता है फिर रुक जाता है।

"मां तू क्या सच में थक गई छोड़ दू...चला जाऊ बाहर...तुम स्नान कर लो।"

देवरानी पीछे मुड़ती है और बलदेव को देख मुस्कुराती है।

"बहुत चिंता करने लगे हो मेरी । एक रात में इतना बदलाव!"


97f 97e

बलदेव लंड हल्का बाहर खींचे हुए फिर से धीरे से पेलते हुए कहता हैं।

"मां इस रात से पहले तुम मेरी माँ थी और इस सुबह से तुम मेरी माँ के साथ पत्नी भी हो"

"तो ये बात है मेरे पति देव जी."

और हल्का झुक कर मुस्कुराए हुए अपने बड़े खरबूजे-सी गांड को लौड़े पर मारती है।

"हाँ जी मेरी पत्नी देवी जी."

बलदेव मुस्कुरा कर कहता है।

"मेरे पतिदेव को भला मैं कभी ना कह सकती हूँ। मैं तो सौभाग्यवती हूँ जो आपको जैसा पति मिला। वैसे मैं खड़े-खड़े थक गयी हूँ।"

"मेरी रानी मुझे पता है पीछे 18 साल की प्यासी चूत इतनी जल्दी नहीं थक सकती। झुक जाओ मेरी रानी मेरी माँ।"

"आआह आजा मेरे राजा।"

देवरानी अपना एक हाथ आगे टिका कर झुक जाती है अपने बेटे के लिए । बलदेव देवरानी का दूसरा हाथ पकड़ कर खींच के "खच्च" से लौड़ा पेल देता है। देवरानी के बड़े पपीतो गेंद की तरह उछल जाती है।

"आआआह राजाआ आआआ अम्म्म्म आआआह।"

"रानी तेरी पूरी गरमी उतार दूँगा मैं उह्म्म" घप्प" ये ले मेरी रानी!

"आह राजा मैं भी तो यही चाहती हूँ उतार दे तू पूरी गरमी!"

"तू सच कह रही है कि तू बहुत गरम माल है। प्रे देश में विदेश में तेरे जैसी तगड़ी माल कोई नहीं होगी।"

"आह उह राजा! तेरे जैसा तगड़ा घोड़ा कोई नहीं होगा । तूने ही मुझे जैसा माल को संभाल लिया है । आह!"

"पच पच" की आवाज गूंज रही थी और बलदेव अपनी माँ को झुकाए हुए देवरानी पर अनगिनत धक्को की बारिश कर रहा था ।, देवरानी भी निहाल हो गई थी। सालो बाद उसकी हुई चुदाई थी पर बलदेव की चुदाई के आगे राजपाल की चुदाई कुछ भी नहीं थी । आज देवरानी को अपने बेटे को पति बनाने के र अपने निर्णय पर गर्व महसस हो रहा था।

आधे घंटे से खड़े-खड़े चोदने से बलदेव की रफ्तार अब धीमी होती जा रही थी जिसका अंदाज़ा देवरानी लगा लेती है।

"बेटा अब मुझे घुड़सावरी करनी है।"

बलदेव अपनी माँ की ये बात सुनते हे पीछे हो कर स्नानागार में ही लेट जाता है।

देवरानी पीछे होते हुए बलदेव का लंड अपनी चूत में लेने के लिए बलदेव के ऊपर आ जाती है। बलदेव अपने सर दीवार पर टिकाए अपने आखे बंद किये, माँ दुवारा अपने लौड़े की चूत से मालिश का मजा ले रहा था।

देवरानी चुत को गोल-गोल घुमा कर अपने बेटे के लौड़े को जड़ तक निगल गई थी जिससे उसकी चुत में हलचल शुरू हो जाती है।

"आआह राजा आआह कितना बड़ा लौड़ा है आआआह उम्म!"

"माँ आआह ऐसे ही आह आ!"

"बेटा मैं गई आआह आह!"

बलदेव अपना हाथ आगे बढ़ाता है और देव नी के बड़े पपीतो को मसलने लगता है, जिससे देवरानी वासना के मारे ज़ोर से सिसकने लगती है, फिर झड़ने लगती है।

" अअअअअ आआआआअह्ह्ह आआअह्ह्ह अअअअअअअ आआअह्ह गयीईइ ।

बलदेव अब ज़ोर से धक्का मारता है और एक हाथ से देवरानी की चूत के दाने को सहलाता है।

देवरानी की चूत का पानी बहे जा रहा था। देवरानी अपने बेटे के ऊपर ऐसे ही लेटीरहती है पर बलदेव का लौड़ा अब भी खड़ा था

माँ बेटे की लम्बी साँसें तेजी से चल रही थी। कुछ देर यूँ ही लेटे रहने के बाद साँसें संभलती हैं।

देवरानी: हे भगवान ये अब तक खड़ा है।

बलदेव: सब वैध जी के जड़ी बूटी का असर है।

"राजा जी अब स्नान कर लेते हैं मुझे भूख लग गई है ।"

"माँ जब तक कमला नाश्ता नहीं देती तुम मेरा लौड़ा खाती रहो।"

"हट बदमाश"

जारी रहेगी
 
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महारानी देवरानी

अपडेट 98

सुबह 8:30


सुहागरात से लेकर सुहागदिन


देवरानी: हे भगवान ये अब तक खड़ा है।

बलदेव:सब वैध जी के जड़ी बूटी का असर है।

"राजा जी अब स्नान कर लेते हैं मुझे भूख लग गई।"


CATHY6 CATHY5 CATHY4

"माँ जब तक कमला नाश्ता नहीं करती तुम मेरा लौड़ा खाती रहो।"

"हट बदमाश।"

बलदेव जल्दी से स्नान कर बाहर निकल जाता है देवरानी चैन का सांस लेती है या अपने अंग को रगड़ रगड़ कर नहाने लगती है।

देवरानी: ( मन मैं) उफ़ ये बलदेव भी ना मुझे एक पल के लिए भी नहीं छोड़ता है । मुझे रात भर छोड़ने के बाद भी इसका मन नहीं भरता है।

देवरानी मुस्कुरा रही थी और अपनी चूत को रगड़ रही थी फिर जैसे ही उसकी नज़र नीचे पाव रोटी की तरह फूली हुई अपनी चूत पर जाती है वह कररह उठती है ।

देवरानी: आअह्ह्ह ! हे भगवान ये क्या। आज इसकी जबरदस्त रगड़ाई हुई है जिससे कितनी सज गई है और सुर्ख लाल हो गई है मेरी योनि।

"उफ़ मार मार के सुजा दी है आह हथोड़े जैसा लौड़ा भी तो है मेरे बेटे नहीं मेरे पति देव का। "

देवरानी के दिमाग में बलदेव का खड़ा लंड घूम रहा था , जिससे देवरानी की चूत में फिर से गीलापन आना शुरू हो जाता है।

"हाय कलमुही इतनी चुदाई के बाद भी कैसे आसु बह रही है चुदने के लिए ।"

देवरानी धीरे से बुदबाबाते हुए अपने ऊपर पानी डाल रही थी।

"कमला सही कहती थी मेरे बारे में , मैं हूं ही एक नम्बर की छिनाल, चुददकड । "

ये कह कर अपने आप बुरी तरह शर्मा जाती है । "

"हे भगवान मैं क्या सोच रही हूं आज तो मेरी मन्नत पूरी हुई है भगवान ने मेरा और बलदेव का मिलाप करवा दिया । और हम दोनों हर संकट से बच गए, मुझे उपवास रखने हैं फिर चारो धाम की यात्रा करनी है और गरीबों को दान देना है। "

ये सोच कर महारानी देवरानी गेहरी सोच में डूब जाती है।

"हे भगवान मुझे शक्ति दे के मैं ये सब पूरा कर सकूँ । "

तभी बलदेव की आवाज उसके कानों में गूंजती है।

"माँ आजाओ ऊ रानी माँ कहाँ रह गयी? "

आवाज सुन कर देवरानी नींद से जागती है, इस से पहले देवरानी कुछ जवाब देती। बलदेव फिर पुकारता है ।

बलदेव: देवरानी दो बार बुलाया मेरी बिलकुल सुनती नहीं हो तुम।

बलदेव थोड़ा चिढ़े हुए पलंग पर अपनी खड़े लंड को अपने हाथ से सहलाना छोड़ कर कहता है

देवरानी: आयी बेटा बस थोड़ी देर और मेरे राजा।

बलदेव: मुझे लगा कहीं सो तो नहीं गई मेरी रानी ।

देवरानी:आती हूँ जी।

बलदेव: ठीक है जल्दी आ जाओ !

बलदेव फ़िर से अपने लंड को हाथ में ले कर उसे सहलाता हुआ रात में अपनी माँ की चुदाई को याद कर के खुश हो रहा था।

बलदेव:(मन मैं) भगवान आज का दिन मेरे लिए बहुत महत्तव रखता है आज मेरा घर बस गया और मेरे सपनों की रानी मेरी मां, मेरी सूंदरी , आज से मेरी पत्नी है। । भगवान मुझे यकीन नहीं हो रहा पारस की रानी और घटराष्ट्र की महारानी देवरानी मेरी सगी माँ रात भर मुझसे इसी बिस्तर पर चुदी है। । अब तो बस मुझे माँ को खुश रखना है और माँ को गर्भवती कर अपने नन्हे मुन्ने बच्चों को देखना है। उसे बहुत प्यार करना है ।

तभी ठक की आवाज के साथ स्नान घर का दरवाजा खुलता है । जिसके बाद स्नान घर से देवरानी बाहर निकलती है।

देवरानी एक ओढ़नी को अपनी ऊपर बांधी हुई थी।

झीनी सी ओढ़नी में उसके भारी गोर और गीले बदन को साफ साफ देखा जा सकता था, भारी मम्मे चलते हुए कूद रहे थे , नीचे से ओढ़नी छोटी होने के करण देवरानी का मखमली पेट या चूत के बाल भी दिख रहे थे।

देवरानी: क्या हुआ जी। क्यों पुकार रहे थे ।

बलदेव हडबढ़ाते हुए कहता है ।

बलदेवःकु कुछ नहीं।

देवरानी बलदेव का हाल समझते हुए मुस्कुराती है फिर उसके पास आने लगती है।

देवरानी: तो क्यू बुला रहे थे । थोड़े तो धैर्य रखो महाराज।

और एक कातिल मुस्कान देती है।

बलदेव उठ कर बैठ जाता है।

बलदेव:वो आपने नहाने में बहुत देर लगा दी मेरी रानी माँ ।

देवरानी अपनी भारी गांड को उठा कर वही पलंग पर गद्दे से चिपका देती है।

अपना सर झुका के कहती है ।

देवरानी: वो जी रात के तेल का चिप-चिपापन जा नहीं रहा था।

बलदेव मुस्कुरा देता है।

बलदेव:सिर्फ तेल का चिपचिपा या कुछ और भी?

देवरानी गुस्सा का नाटक करते हुए अपनी आखे फाड़ कर बलदेव की तरफ देखती है

देवरानी: ये आपने ही तो किया है मेरे राजा बेटा, ऐसा लस्सा लगाया के शरीर में से निकलने का नाम नहीं ले रहा था।

बलदेव: अच्छा तो मेरी वजह से हुआ और तुमने जो अपने बेटे से किया और मुझे गंदा किया। ।

देवरानी:क्या? मैंने तुम्हे गंदा किया ?

देवरानी गुस्सा हो जाती है।

बलदेव:हां किया किया मेरी रानी सब तुमने किया ।

देवरानी: चुप रहो आप राजा । आपने तो मेरे अंदर तक ऐसा अपना पानी उधेला है ऐसा लग रहा है मेरे पुरे शरीर में आपका पानी चल रहा है।

बलदेव ये सुनकर देवरानी को अपने बाहो में खीचता है।

बलदेव: रानी मैं तो यहीं चाहता हूं कि तुम जल्दी से मेरे पानी से हमारे बच्चे की मां बन जाओ, जिसके साथ मैं खेल सकूं , जो हमारे प्यार की निशानी हो।

ये कह कर बलदेव देवरानी को सीने से लगा लेता है।

देवरानी: ( मन मैं) बलदेव में तुमसे बिना पूछे वो जड़ी बूटी खा ली जिसने तुम मेरे अंदर कितना भी पानी छोड़ दो मैं जल्दी से मां नहीं बनूंगी। । मुझे मुआफ कर दो बेटा। । पर मैं अभी मां नहीं बनना चाहती ।

बलदेव:क्या हुआ मां, क्या सोच रही हो, क्या तुम्हें नहीं चाहिए हमारा नन्हा सा मुन्ना सा बच्चा?

देवरानी बात पलटते हुए "बेटा मैं महारानी देवरानी हूं तुम इतने भी बड़े शेर नहीं कि मुझे एक रात में गर्भवती कर दो। "

ये सुन कर बलदेव देवरानी को दबा लेता है।

"तो रानी अब देख कैसे मैं तेरी चूत को अपने पानी से लबालब भर देता हूँ। "

देवरानी:आह राजा तुम्हारा तो लिंग अंदर घुसता है तो निकलने का नाम नहीं लेता।

बलदेव:अपनी चूत से पूछो माँ जो पानी छोड़ कर मेरे लंड को चिपका लेती है और बाहर नहीं निकलने देती ।

बलदेव अपने होठों को देवरानी के होठों से मिला देता है या दोनों एक दूसरे को चूसते हैं।

"गल्लप्प गलप्प गलप्प गलप्प उहम्म्म्म उम्म्म्म आआह उम्म्म आह उम्म गलप्प गलप्प"
आआह राजा "



97r 97q 97p 97n 97m 97l 97k 97i 97h 97g 97f 97e 97d 97c 97b 97-a
"माँ ये क्यों ओढ़ कर आई हो, स्नान घर से ये पहन कर भी तो नंगी ही दिख रही हो।"

तुमने शर्म त्याग दी है बलदेव मैंने नहीं त्यागी है । "

"अच्छा जी ।"

बलदेव आगे बढ़ कर चुन्नी के ऊपर से देवरानी के पपीतो को दबाने लगता है फिर झटके में चुनरी उतार कर फेक देता है

बलदेव: उह्म्म क्या भारी गोल पपीते जैसे मम्मे है तेरे मेरी माँ अब इसे मेरी बेशर्मी दिखती है। साली।

देवरानी:आहह उह्म्म आआह राजा गाली नहीं आआह।

बलदेव:चुप साली। और देवरानी की गोल गांड पर एक थप्पड़ मारता है।

देवरानी: आआआह मर गयी।

बलदेव: अभी थप्पड़ मारा है गांड मारूंगा तो क्या करोगी।

देवरानी: नहीं मारने दूंगी।

बलदेव:कैसे नहीं देगी तू मेरी पत्नी है और तेरे इस लटकते मटके जैसी गांड ने तो मुझे दीवाना बनाया है ।

ये कह कर बलदेव एक उंगली देवरानी को उठा कर अपनी उंगली हलके से गांड के छेद पर रख कर सहलाने लगता है।

देवरानी:इश्ह्ह उम्म्म वहा नहीं वहा तो राजपाल ने कभी छुआ भी नहीं ।

बलदेव: अगर उस के बस का कुछ होता तो मेरी रानी तुम मेरे पास थोड़ा ही आती । फिर राजपाल। मेरे बाप ने बस यहीं अच्छा काम किया । उसने मेरे लिए ये प्यारी गांड कुवारी छोड दी उफ क्या मखमली मुलायम गांड है। कसम से मजा ही आ जाएगा ।

झट से बलदेव हल्की सी एक उंगली अंदर डाल देता है।

देवरानी:आआआआआआआआआआआआह नहींईईई।

बलदेव देखता है देवरानी की आंखो में आसु थे, वो उंगली बाहर निकलने वाला था के देवरानी उससे पहले ही अपने हाथ से बलदेव के हाथ को झटक देती है।

"आज ये मत करो बलदेव मुझे क्षमा करो आज नहीं । "

"क्यू माँ । बिना आपकी गांड मारे तो मेरी सुहागरात अधूरी रह जायेगी । "

"बेटा मेरे पे उपकार कर दे । मैं तुझे मना नहीं करती पर मैं रात भर चुद चुद कर थक गई हूँ। अभी अगर तुमने पीछे से किया तो मैं मर ही जाऊँगी। बेटा बस आज इसे रहने दे । "

फिर देवरानी अपनी आंखों से निकली कुछ बुंदो को हाथो से पूछती है।

बलदेव देवरानी की पीड़ा समझते हुए , देवरानी के ऊपर आजाता हैफिर उसे चूम कर गले लग जाता है।

"मेरी रानी आज छोड़ देता हूं पर ये मत सोचना मैं गांड नहीं मारूंगा तेरी। । समझी मां।"

"हां बेटा मुझे परवाह नहीं, मेरा हर अंग तेरा है , मैं खुद चाहती हूं कि तुम मेरे पीछे से डालो और मेरे पिछवाड़े के हर खुजली दूर कर दो , पर आज नहीं। "

"ज़रूर तुम्हारे पिछवाड़े की खुजली दूर कर दूंगा पर तुम एक उंगली घुसने से रो दी हो तो लौड़ा घुसने से क्या होगा। "

"सुखा नहीं डालना । फिर बेटा गुदा में जगह ही कितनी होती है। "

"उसकी तुम फ़िकर मत करो मेरी रानी माँ वो कैसे करना है कर लूँगा अभी आओ और मेरे लंड को शांत करो। "

बलदेव देवरानी को चूमने लगता है और आगे बढ़कर देवरानी को अपने गोद में नंगी उठा कर खड़ा हो जाता है फिर पच्छ से खड़े खड़े चूत में लंड पूरा पेल देता है।

घप्प घप्प पछ पछ की आवाज पुरे कक्ष में गूंज रही थी। घटराष्ट्र की महारानी अपने पुत्र , अपने बेटे , अपने राजा , अपने पति , बलदेव के गोद में बैठी चुद रही थी।

"आआह आआह बेटा आआह उम्म्म्म आआह आआ बेटा आआह !"

"उम्म माँ ये ले। और ले !"

“आहा आआआह राजा जी आआआह उह्म्म्म आआआह!” हर घस्से के साथ देवरानी कराह रही थी ।
कुछ देर यू उसने चोदने के बाद बलदेव अपनी माँ को नीचे घुटने के बल घोड़ी बना कर पास रखे टेबल पर बिठा दिया ।

पीछे से हाथ बढ़ा कर देवरानी की दोनो जांघो को फेलाया और उसके दोनो हाथो को पकड़ कर एक झटका मारता है।

"ये ले मेरी घोड़ी अपने घोड़े का लौड़ा। " फिर बलदेव धडाधड तेज धक्के पेलने लगता है देवरानी की चूत में उसे घोड़ी बनाये हुए उसकी सवारी करनी लगता है ।

“उफ़्फ़ बेटा, आराम से कर हाए मर गई मैं आआह राजा उफ़”।

“आआह मेरी माँ मेरी पत्नी ले आह। ”

थप्प्प थप्प की आवाज पुरे कक्ष में गूंज रही थी। चप चप छप छप की आवाज लौड़े और पनियायी हुई चूत की मिलन पर आ रही थी।

देवरानी की पायल और चूडियो की खनक , पच पच लौड़े और चूत के मिलन , चूत पर टट्टे टकराने से फट्ट फट्ट की आवाज, खूब जोर से आ रही थी। साथ वाले कमरे में बंधा हुआ बलदेव का बाप राजपाल ऐसी आवाजों को इस रात भर सुन सुन परेशान हो चुका था, इन आवाजों ने उसे रात भर सोने नहीं दिया था । उसे रोना आने लगता है और उसके आंसू निकलने लगते है ।

इधर नीचे कमला सवेरे उठ जाती है और दोनों प्रेमीो , नए पति पत्नी के जोड़े , या मां बेटे के लिए नाश्ता बना कर जल्दीबाजी में सीढ़ी से चढ़ कर ऊपर आ रही थी । जैसे ही वह ऊपर पहुंच जाती है उसे हल्के सिसकने की और थप थप पच पच की आवाज आने लगती है।

कमला: ( मन मैं) हाय दय्या सुबह के 10 बजने वाले हैं और देवरानी अब तक चुद रही है । लगता है महाराज ने रात भर चुदाई की है ।

कमला एक हाथ में नाश्ते का प्लेट रख दरवाजे के पास पहुँचती है, पहले तो वो पास वाले कमरे की खिड़की से अंदर झाँक कर देखती है तो राजपाल कुर्सी से बंधा अपने सर झुकाए बैठा था।

कमला: हाय कहि ये राजपाल अपनी पत्नी की गालियां, चुदाई के आवाजे सुन सुन कर कहीं मर तो नहीं गया, दिल के दौर से । जब खुद का बेटा ही , बाप को बगल के कक्ष में बांध कर रात भर पटक पटक कर अपनी मां को चोद रहा है तो दौरा भी क्यू ना पड़े, और .. अब राजपाल को पता चलेगा कि एक स्त्री की शक्ति क्या होती है। ये सब इसी राजपाल की गलती है।

तभी कमला देवरानी के आहे सुनती है।

"आआआह राजा जी आआह जी या ज़ोर से आह।"

कमला: लो जी मुझे अंदाजा तह की महारानी छिनाल थी पर इतनी बड़ी छिनाल निकलेगी ये नहीं पता था।

कमला दरवाजा ठकठकाती है फिर अपना एक कान दरवाजे पर लगा कर सुनती है।

बलदेव इस ठक ठक से बेपरवाह, अंदर अपनी माँ को घोड़ी बना कर झुकाये तेजी से पेल रहा था।
"ये ले मेरी पत्नी मेरी रानी माँ ले खा मेरा लौड़ा !"

“आआह राजा उफ़ आह उन्म्म्म आआह ऊऊ! ”

कमला: अब क्या करू? आवाज लगाती है।

"महारानी। महाराज । "

दो तीन बार जब कमला आवाज देती है तब जा कर देवरानी को सुनाई पड़ती है, पर बलदेव तो अब भी अपनी माँ की चूत की सेवा में लगा हुआ था।

देवरानी: उहह मम्म आआह राजा जी बाहर कोई है।

बलदेव: उहह अब ये ले। । कौन है?

बलदेव अपनी गति धीमी करते हुए देवरानी की तरफ देखता है ।

देवरानी दरवाजे की तरफ इशारा करती है।

"महारानी। । महाराज सुबह हो गई आप उठे नहीं?"

बलदेव महारानी की ओर देख मुस्कुराता है और अपना लौड़ा देवरानी की चूत से बाहर खीचता है।

लौड़ा बाहर निकलते हुए फ्टच की आवाज आती है मानो बहुत पुरानी बोतल का धक्कन खुल गया हो।

कमला: (मन मैं) हाय दय्या कहीं ये महाराज के लंड का टोपा निकालने की आवाज तो नहीं थी।

देवरानी भी ये आवाज़ सुनती है । वो बस बलदेव को निहार रही थी और उसके चेहरे पर एक कातिल मुस्कान के साथ हंसी छूट जाती है।

बलदेव:हसो मत देवरानी! जाओ कमला से नाश्ता ले लो।

देवरानी झुकी हुई चुद रही थी वो पीछे हो कर लेट जाती है।

"ना बाबा, अब तो मुझमें उठने की हिम्मत नहीं है, तुम्हारा मुसल इस मुनिया से ऐसे निकला जैसे बहुत छोटी ओखली में फंसा हुआ हो और इससे मेरी तो जान ही निकल गयी है ।"

"ठीक है कुछ पहन लो"

"मैं कुछ ओढ़ लेती हूं बेटा जी । तुम पूरा दरवाजा मत खोलना नहीं तो तुम्हारी मां, तुम्हारी दुल्हन, को इस हालत में देख लेगी कमला। "

कमला देख लेगी तो क्या हुआ, उसने आपको पहले भी नग्न देखा होगा ।

कमला तक तो ठीक है । पर अगर उसके साथ की हुआ तब ?



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"ठीक है मैं खोलता हूँ दरवाजा। "

देवरानी झट से पास रखा जालीदार ओढ़नी अपने ऊपर ओढ़ लेती है।

बलदेव कपडे पहन कर दरवाजा खोलता है।

तो सामने कमला मुस्कुराए हुए एक बड़े थाली में नाश्ता लिए खड़ी थी। बलदेव पूरा दरवाजा नहीं खोलता पर कमला अपनी कनखियों से अंदर देख लेती है।

कमला: ( ( मन मैं) महारानी तो पस्त हो नग्न सो रही है।

कमला: महाराज कब से खड़ी हूं। कितनी बार दरवाजा खटखटाया मैंने ।

बलदेव: वो हम गहरी नींद में थे कमला इसलिए उठ नहीं पाए।

कमला: हम्म आप दोनों के लिए नाश्ता लायी हूँ 10 बजने वाले है। आज देर हो गई मुझे, क्षमा कीजिये ।



कमला: (मन मैं: घपा घप महारानी को पेल रहे थे/, मुझसे कह रहे हो सो रहे थे। वाह महाराज !)

बलदेव:हम्म अच्छा।

कमला: हन महाराज वो आपकी आखे भी लाल है। आप ठीक हो । ?

बलदेव:हां वो अभी अभी उठा हूं ना, इसीलिए।

जारी रहेगी
 
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महारानी देवरानी

अपडेट 99

सुबह 10: 30 बजे

कमला: हम्म ये लीजिये आप दोनों के लिए नाश्ता । 10 बजने वाले है क्षमा कीजिये देर हो गई मुझे।

(मन मैं: घपा घप पेल रहे थे महारानी को आवाजे बाहर तक आ रही थी और झूठ कह रहे हो की सो रहे थे।)

बलदेव: हम्म अच्छा!

कमला: हाँ महाराज वह आपकी आखे भी लाल-लाल है।


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बलदेव: हाँ वह अभी उठा हूँ ना।

कमला: (मन मैं) मुझे ना सिखाओ बलदेव ये आखे रात भर जगने से लाल हुई है और मुझे अच्छे से ज्ञात है तुमने रात भर जग कर क्या किया है ।

बलदेव: क्या सोच रही हो कमला लाओ इधर नाश्ता दो । कुछ और?

कमला: ओर कुछ नहीं महाराज। वह महारानी कैसी है। जैसी चाही थी वैसी पत्नी मिली और सुहागरात.कैसी ..?ये कह कर कमला रुक जाती है।

बलदेव: कमला...तुम्हारी महारानी भी ठीक है। सो रही है और मैंने जैसा मैंने सोचा था मुझे उससे कहीं ज़्यादा अच्छी पत्नी मिली है...अब तुम जाओ. लाओ नाश्ता दे दो ।

कमला: (मन में) हाँ अब खजाना मिल गया माँ का तो, सिपाही का क्या काम है।

कमला नाश्ते की थाली को बलदेव को हाथ में देती है और अपनी गांड मटकते हुए बिगड़ते हुए चलने लगती है।"जाओ जाओ दिन रात बनाओ अपनी माँ के साथ सुहागरात जैसे मुझे नहीं पता कि देवरानी अंदर लेटी हुई सोने का नाटक कर रही है और अपने बेटे के आने का इंतज़ार कर रही है।"

कमला ये बड़बड़ाते हुए सीढ़ियों से उतर रही थी तब बलदेव थाली को ले कर अपने पैरों से दरवाज़ा सटा देता है।

"ये कमला भी ना,"बलदेव: (मन में) वैसे बेचारी कमला ने मेरी बहुत मदद की जिसकी वज़ह से आज मैंने अपनी माँ को अपनी दुल्हन बना लिया।और मुस्कुरा कर टेबल पर थाली रख कर दरवाज़ा बंद कर देता है।दरवाजा बंद होते ही देवरानी झट से आंखे खोलती है।

"मां उठो नाश्ता कर लो।

""बेटा मुझसे तो हिला भी नहीं जा रहा उफ़ अंग-अंग टूट गया है ।

"बलदेव ने अपनी माँ जैसी भारी भरकम माल को चोद कर पस्त कर दिया था जिस से वह अपने आप पर गर्व महसूस कर रहा था।

बलदेव मुस्कुराता हुआ कहता है ।

"माता श्री या मेरी पत्नी जी आप मुझे अपने हाथों से खिला दो

"बलदेव देवरानी की ओर बढ़ता है देवरानी अब भी लेटी हुई थी।

बलदेव: सुनिये ना जी.

देवरानी बलदेव को अपनी ओर आता देख कराहती है ।

देवरानी: आह कितना दर्द है।देवरानी अपने पैर खेंचते हुए दर्द से कराह कर अपने सर को पीछे ले कर अपने हाथ से अपना मुंह ढक लेटी हुई थी ।

बलदेव पलंग के पास आकार खड़ा हो जाता है।

बलदेव: रानी माँ आखे खोलिए आपका पति आपको आज से अपने हाथ से खिलाएगा।

देवरानी: अहम्म आह!

बलदेव पलंग पर बैठ जाता है और अपने हाथ से अपना मुँह छुपाये देवरानी का सर उठा कर अपनी जाँघ पर रख लेता है।

"क्या हुआ मेरी माँ मेरी पत्नी को?"

"कुछ नहीं आह!"

"बोलो ना जान दर्द ज़्यादा हो रहा है?"

"नहीं राजा जी रहने दीजिए! एक स्त्री इतना दर्द तो सहती ही है।"

"सच कहो देवरानी क्यूकी आज से हम सिर्फ़ माँ बेटा नहीं पति पत्नी भी है और तुम्हारा दुख मेरा दुख है।"

"महाराज आपको ज्ञात नहीं ये दर्द ये पीड़ा एक स्त्री को कितना सुख देती है और मैं तो बरसो तड़पी हूँ इस दर्द के लिए."

"बस तुम्हारी इसी समझदारी पर मेरा दिल आ गया, मेरी रानी । तुम से बेहतर मेरी पत्नी कोई नहीं बन सकती।"

देवरानी ये सुन कर मुस्कुरा देती है।

"सच कह रहे हो राजा!"

"हाँ देवरानी इसलिए तो झटपट तुम्हें माँ से पत्नी बना लिया।"

देवरानी सब दर्द भूल जाती है और बलदेव से गले लग जाती है। बलदेव उसे उठा लेता है अपने मजबुत कलाई में थाम उसे टेबल पर लाता है।

"देखना बेटा कभी अपनी पत्नी के लिए ये प्यार कम ना हो।"

"मेरी रानी अब तुम्हारे जीवन में सिर्फ़ प्यार ही प्यार मिलेगा।"

देवरानी हस कर कहती है"तब तो बहुत जल्दी मुझे इस दर्द की आदत हो जानी चाहिए।"

बलदेव कुर्सी पर बैठ जाता है और अपनी माँ को अपना गोद के बिठा लेता है, फिर सबसे पहले बलदेव अपनी माँ को पहला निवाला खिलाता है।फ़िर देवरानी अपने पति को अपने बेटे को निवाला खिलाती है

"राजा बेटा मुझे अलग बैठ जाने दो भारी हूँ ऐसे थक जाओगे।"

"मां जब छोटा था तुम अपनी हर ख़ुशी त्याग कर तुमने मेरे सहारे उस कुत्ते राजपाल को झेला । अब से मैं तुम्हारा भार उठाउंगा।"


KS2D KS2C KS2B KS2 KS2A

"अच्छा इतना वीर हो गया है कि महारानी, पारस की रानी का भार उठा लेगा।"

"रानी वह तो अपनी मुनिया से पूछो का मेरा लौड़ा कितना वीर है।"

"बदमाश! चुप पगले।"

"अच्छा माँ क्या तुमने कभी सोचा था एक दिन नंगे बेटे के लंड पर बैठ कर नाश्ता खाओगी।"

"मैंने तो नहीं सोचा था क्या तुमने ऐसा सोचा था?"

"भला मैं कैसे सोच सकता हूँ। मैं तो सोचने के लिए भी डरता था, तुम्हारे जितनी पूजा पाठ करने वाली संस्कारी...असुलो या सिद्धांत पर चलने वाली स्त्री । ऐसी स्त्री जिसे ससुराल के लोग देवी समान मानते हो ..."
"बस बस बालक तुमने नहीं सोचा तो मेरे प्रेम में कैसे पड़े ? कैसे अपनी माँ को ऐसे प्रेम करने लग गए?"

"मां पहले तो तुम्हारी मटकती जवानी । तुम्हारे ये बड़े-बड़े स्तन । देख मैं पगला गया । फिर जब मुझे एहसास हुआ कि तुमने कितना बलिदान दिया है कितना सहा है।"

"अच्छा राजा जी"

99a

"हाँ जी रानी जी"

"मां ये ओढ़नी फेक दो अब मुझे दूध पीना है।"

"चल हट।"

"अब मेरा नाश्ते से मन भर गया।"

बलदेव झटके से देवरानी की ओढ़नी को खीच खोल देता है।

"बड़े उतावले हो रहे हो राजा जी खाओ पियो नहीं तो इतनी मेहनत करोगे कैसे?"

बलदेव देवरानी को खीच के अपने लौड़े पर बिठा लेता है।

"अब इतनी संस्कारी पत्नी मिली है तो धन्य हो गया। तुम्हारी भक्ति, ही मेरी शक्ति है । भगवान करे हम कभी अलग न हों।"

"आह राजा हाँ राजा बेटा...आज तो मैंने पूजा भी नहीं की ..."

"मां आज मैं आपकी पूजा कर रहा हूँ आप कल से करना।"

बलदेव ने फिर टेबल पर रखा शेहद और मद्य को उठा लिया।



"अरे क्या कर रहे हो जी?"

बलदेव शहद और मद्य का डिब्बा उठा कर देवरानी के मम्मो पर उड़ेल देता है।

देवरानी के मम्मे शहद और मद्य से भीग जाते हैं ।

देवरानी: "बेटा ये मद्य और शहद खाने के लिए है, इसे ऐसे व्यर्थ ना करो...अन्न व्यर्थ करना पाप है।"

बलदेव: मेरी माँ कितनी भोली हो । मैं एक बून्द भी व्यर्थ नहीं करुंगा मेरी रानी।दे

वरानी इस से पहले समझ पाती बलदेव अपनी माँ के स्तनो को जीभ से चाटने और लगता है

"स्लर्प""आह माँ उह्म्म!"

फिर स्तन चाटने और चूसने लगता है"उह्म्म आह! आआह बेटा "

"आह माँ ये मद्य से तो तुम्हारे दूध की मिठास और ज़्यादा बढ़ गई मेरी रानी!"

जारी रहेगी
 
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