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Horror Katil Haseena

Guffy

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भाग 1

चाय बन चुकी थी जानकी अब चूल्हे पर आलू उबाल रही थी आलू की कचौड़ी बनाने का इरादा था !! चूल्हा फूंकते-फूंकते जानकी का चेहरा लाल पड़ गया !! आंखों से आंसू निकलने लगे!जानकी बड़बड़ाई:--ये मुई लकड़िया गीली हैं ! सुलगती रहेंगी ....धुआं उठता रहेगा .....पर जल्दी जलेंगी नहीं!!"

फिर चाय को लोटे में छाना और एक बड़े से गिलास में भरकर ऊपर दो ब्रेड रखकर शेखर को पकड़ाते हुए बोली:--" देख लेना आज गैस भर जाए!! नहीं तो सूखी लकड़ियों का इंतजाम कर देना!"

" कितनी देर है मां ?" शेखर झुंझलाया हुआ था !! आज वह बहुत देर तक सोता रहा ....और उसे जानकी ने जगाया नहीं !!! इस बात पर वो चिढ़ा हुआ था !! अपनी रंग उड़ी जींस खूंटी से उतारते हुए वह चिल्लाया :--" बहुत देर हो चुकी है ! अब मैं रुक नहीं पाऊंगा!!" कहते -कहते ही उसने अपने सफेद रंग की शर्ट पहनी !! जल्दी-जल्दी बटन लगाता हुआ बोला मुझे जगाया भी नहीं आज वैसे भी बहुत देर हो गई है !!

चूल्हा फूंकते-फूंकते, सिर ऊपर उठाकर जानकी चिल्लाई:--" रुक अभी कमबख्त !! देखता नहीं ?? धुआँ घुटा पड़ा है ....चूल्हा जल नहीं रहा है !! लकड़ी गीली है !!"

"ठीक है मां ! तुम यहाँ आलू उबालती रहना !! सवेरे 9:00 बजे वाली बस से सवारी उतरेगी .....तो विनय नंबर मार ले जाएगा !! मैं तो चला !!

उसने अपना बैग उतारा , कैमरा लिया और निकल गया ! पीछे से जानकी चिल्लाती ही रह गई !! इतना बड़ा तो हो गया ... पर अक्ल जरा सी भी नहीं ...अपने मन की ही करता है!! देखती हूं अगर विनय नहीं गया होगा ....तो उससे खाना भेज दूंगी !! ऐसा कहकर वह बड़बड़ाती हुई जल्दी से चूल्हे से भगौना उतार कर आलू निकाल कर देखने लगी कि आलू उबले हैं कि नहीं ??

आलू उबल चुके थे ....उन्हें छीलने के लिए थाली में पलट कर वह अंदर आटा लाने के लिए चली !!



★★★★★★★★★★★★★


जीवन का नियम है समय एक सा नहीं चलता है।कभी दुख तो कभी सुख,यही क्रम अनवरत चलता रहता है। शेखर का परिवार भी बहुत सुखी परिवार था।उसके पिता एक ऑफिस में बाबू थे। शेखर ने अपनी पढ़ाई पूरी कर ली ! उसकी दो बहने थी! दोनों बहनों की धूमधाम से शादी हो गई !

जीवन अपनी सहज गति से चल रहा था कहीं कोई परेशानी नहीं थी । अब एक जबरदस्त परिवर्तन आया, एक मोड़ आया ; जिसने पूरे परिवार में हलचल मचा दी!

कई दिनों से पिताजी की तबीयत ठीक नहीं रहती थी ऑफिस से आते तो थके- थके से बैठ जाते । खाना खाते तो उन्हें मिचली लगने लगती। धीरे-धीरे भूख कम होती जा रही थी । वजन भी कम होता जा रहा था । जानकी ने कई बार कहा लेकिन वह दवा लेने नहीं गए। फिर एक दिन उन दोनों की जिरह होते हुए देखकर ...शेखर ने मामले को जाना ....तो वह जबरदस्ती अपने पिताजी को लेकर अस्पताल गया !!

उनकी परेशानी को पूछ कर डॉक्टर ने उनका चेकअप किया फिर कुछ जांचें करवाने को बता दीं!! जब उन जांचों की रिपोर्ट्स आ गई और शेखर लेने गया ....तब डॉक्टर ने उससे कहा :-" धैर्य रखकर सुनिए इन्हें कैंसर है !!"

यह सुनकर शेखर की सांस ऊपर की ऊपर और नीचे की नीचे रह गई ! उसकी आंखों में आंसू भर गए और उसने काँपती आवाज में डॉक्टर से पूछा :--'"तो क्या यह ठीक नहीं होंगे ? "

मुझे बताते हुए बहुत दुख हो रहा है कि यह रोग ठीक भी हो सकता है ....और नहीं भी !!! ......कुछ कहा नहीं जा सकता !! इलाज लंबा चलेगा !!"

फिर सिलसिला शुरू हुआ एक मानसिक यातना का !! घर से अस्पताल ; अस्पताल में जांच , रिपोर्ट ,दवाई , यह सिलसिला बहुत लंबा और कई दिनों तक चला !! इस बीच में घर में जो भी सेविंग सर्टिफिकेट्स और फंड के कुछ रुपए थे ....वह सब दवा में चले गए!!

कई बार पिताजी शेखर का हाथ हाथ पकड़ने लगते और दबा के लिए मना करने लगते !! लेकिन ऐसा कैसे हो सकता था कि कोई मौत के मुंह में जा रहा हो ?.... और कुछ पैसे बचाने के लिए कोई देखता रहे !! एक लंबी यातना और इलाज के बाद आखिरकार पिताजी स्वर्गवासी हो गए !!

वह प्राइवेट जॉब करते थे उनकी जगह पर शेखर के लिए ऑफर आया था .... लेकिन शेखर को बंध कर बैठने वाली यह नौकरी पसंद ही नहीं थी !!! वह एक आजाद पंछी था और मुक्त होकर उड़ना चाहता था !! दुनिया देखना चाहता था !! वह चंचल था एक मिनट के लिए उस पर एक जगह बैठा नहीं जाता था .... हालांकि जानकी ने उससे कहा था कि "नौकरी कर ले" मगर उसने साफ मना कर दिया था !!

यह उसका सौभाग्य था.... कि हिमाचल प्रदेश की खूबसूरत वादियों में उसका गांव था !! पर्यटक बहुत आया करते थे !! उसे फोटोग्राफी का बचपन से शौक था!! फोटो वह बहुत अच्छी खींच लेता था !! तथा आसपास में सभी लोग उसकी कला के कायल थे उसके कई फोटो प्रदर्शनियों में पुरस्कृत भी हो चुके थे !

जैसे ही उसे अवसर मिलता तो अपने मनपसंद काम के मुताबिक टूरिस्ट को घुमाता था! गाइड का काम करता था ! अच्छी-अच्छी तस्वीरें तस्वीरें खींच कर दिखाता था! टूरिस्ट्स उससे बहुत खुश रहते थे !इससे अच्छी इनकम हो जाती थी !! उसी का सहपाठी, दोस्त और उसका पड़ोसी विनय भी उसके साथ काम करता था !!

जब सीजन ऑफ हो जाता था तब उन दिनों टूरिस्ट नहीं आते थे .....कोई काम नहीं रह जाता था .....तो उस वक्त विनय और शेखर नौकरी कर लेते थे !

प्राइवेट जॉब करके रुपए कमा लिया करते थे ! दोनों की बीच- बीच में नौकरी होती रहती थी । उनकी दोस्ती पक्की थी ! शेखर की उम्र कम थी ....लेकिन हालात ने उसे गंभीर बना दिया था। वह अपनी जिम्मेदारी को समझने लगा था ।

खुली हवा पानी की बदौलत उसका सुगठित मजबूत शरीर, लंबा कद, हल्के भूरे और घुंघराले बाल, बड़ी -बड़ी झील सी सपनीली आंखें जो हर समय उदास -उदास लगती थी ....हर किसी को अपनी तरफ आकर्षित कर लेती !! कुल मिलाकर उसका व्यक्तित्व ऐसा था कि चाहे वह कैसे भी कपड़े ले.... हर बार में ऐसे खिल कर सामने आता ....जैसे अभी अभी कहीं जाने के लिए तैयार हुआ है!!

आज वह स्टेशन पर पहुंचा ! कई टूरिस्ट उसे मिले ! विनय भी पहुंच गया था ! कई टूरिस्ट्स विनय को मिले !! अपने -अपने ग्रुप बनाकर दोनों चल दिए थे!!

शेखर जिनका गाइड बना था उनमें एक न्यू- मैरीड कपल था! दोनों ही खूब बातें कर रहे थे !!

घूमते घूमते उन लोगों पूरा दिन बिताया ! पैर दर्द करने लगे थे ! वे लोग शेखर से बहुत ही खुश थे.... क्योंकि जैसे ही वे किसी चीज के बारे में पूछते ....वह उन्हें विस्तार से बताता... भांति-भांति के रंग -बिरंगे खिले हुए फूलों की प्रजातियों के बारे में जब भी वे पूछते तो वह उन्हें, फूलों की खुशबू उनकी किस्म,उनकी उगाने की विधि के बारे में बड़े विस्तार से विवरण देता !!

उसके बोलने के ढंग से भी वे बहुत प्रभावित थे ! छोटी छोटी पहाड़ियों को लाँघता, घास के मैदान को पार करता , तो कभी छोटे -छोटे झरने आ जाते..... वहां रुक कर ... उसके स्वच्छ, शीतल जल से हाथ पैर धोते ; पानी पीते.... वह कपल उसमें अठखेलियां करता ..स्वच्छ ,निर्मल पानी एक दूसरे पर फेंक कर,, मानों उस धारा को तोड़कर उसके हजारों मोती बिखरा देते ...फिर आगे बढ़ जाते !

ऐसे में अचानक एक बहुत ही मधुर धुन सुनाई पड़ी!

उनके साथ चलने चलने वाले वह लोग सब के सब थम गये और उस धुन को सुनने लगे ....और उनके मुंह से निकला हाउ स्वीट ट्यून !!! कौन बजा रहा है यह ???"

शेखर ने अंदाजा लगाया कि" यहां से आवाज आ रही है!! लेकिन देखा कहीं भी ,कोई नहीं दिखाई दिया। सब लोग इधर-उधर देख रहे थे ..... दिखाई तो कोई नहीं दिया मगर आवाज पहले से थोड़ी तेज हो गई थी !! बहुत ही मधुर धुन थी ... धीरे -धीरे आवाज का पीछा करता हुआ इधर-उधर घूमता हुआ वह आगे बढ़ता गया सहसा उसे लगा कि उसके पास ही जो पहाड़िया हैं उनके पीछे से आवाज आ रही है!!

वह धीरे -धीरे घूम कर दबे पांव वहां गया ...तो उसने देखा कि छोटी सी चट्टान पर दो लड़कियां बैठी हुई हैं! उसकी तरफ उनकी पीठ थी इन दोनों में से एक लड़की वायलिन बजा रही थी ! चमकीले नीले रंग के नेट कपड़े के गाउन पहने दोनों लड़कियां खूबसूरत हैट लगाए हुए थीं,.... और उन दोनों के हैट पर रंग -बिरंगे फूल खूबसूरती से सजे हुए थे !!

यूं तो शेखर एक संभ्रांत और भला लड़का था लेकिन अभी लड़कियों के चेहरे देखने का लोभ वह संवरण नहीं कर पाया !!अपने को नहीं रोक पाया ....और बिना आहट किए धीरे से उनके सामने जाकर खड़ा हो गया !!

वायलिन बजाने में मगन लड़की ने जैसे ही चेहरा ऊपर उठाया वह शेखर को देख कर चौक पड़ी !!



क्रमशः***********************
 

Guffy

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भाग 2

वह सामने खड़े शेखर को देख कर बोली:-"तुम कौन हो ?
और यहां क्या कर रहे हो ?"

उस लड़की के तेवर और पूछने की भंगिमा से शेखर घबरा गया!! वह हिचकिचाते हुए बोला :--"वो मैंने असल में ....असल में .. आपकी वायलिन की इतनी प्यारी ट्यून सुनी..... तो मैं अपने आप को रोक नहीं पाया..... और ढूंढने लगा.... कि आखिर ट्यून कहां.?? और कौन बजा रहा है ??""पर यहां तो कमाल ही कमाल है ! बजाने वाला तो ट्यून से भी सुंदर है !"

लड़की की त्यौरियां चढ़ गई थीं!! जबकि उसकी सहेली मुस्कुराने लगी थी ! वह हंसते हुए बोली:- "आप बातें बहुत दिलचस्प करते हैं!!" लड़की अपनी सहेली पर आंखें तरेरती हुई बोली:--" क्या तू भी.... किससे बातें करने लगी ?....तू जानती नहीं है इनको ? चल यहां से !!"

वह उठी और अपनी सहेली का हाथ पकड़कर खींचने लगी दूसरे हाथ से वायलिन संभालते हुए बोली:--"एक मिनट नहीं रुकना है यहां!"

शेखर उसके एक्शन से हैरान था और सोच रहा था कि आखिर ऐसा क्या कह दिया उसने जो यह इतना एक्शन ले रही है ....भाव खा रही है !! उसके इस प्रकार के बिहैवियर से उसे गुस्सा भी आ रहा था !! अरे !! वह तो उसकी प्रशंसा ही कर रहा था। तो इतने नखरे क्यों???इसका इतना दिमाग खराब है ?

वह चिढ़कर बोला :--"भगवान ने जरा सा रूप क्या दे दिया .....और थोड़ी सी कला क्या दे दी...घमंड का छोर नहीं!!!"

वह भी गुस्से में बोली :-- "ऐ मिस्टर !! अपनी हद में रहो !! तब तक शेखर के टूरिस्ट्स भी उसको ढूंढ़ते हुए वहां आने लगे और सभी वहां आकर जमा हो गए!!

उसे देखकर आश्चर्य से बोले:-" हाउ ब्यूटीफुल गर्ल !!
आर यू प्लेइंग वायलिन ?"अब उन लोगों ने उस लड़की को घेर लिया था !! प्लीज आप तो बहुत अच्छा वायलिन बजातीं हैं !!
प्लीज थोड़ा सा बजाइए! प्लीज प्लीज आई वांट टू लिसन!!!

""सो स्वीट म्यूजिक!! उनमें से लेडीज लोग उस लड़की की बहुत तारीफ करने लगी !! "कितना सुंदर चेहरा है ?दूसरे ने कमेंट किया:--"सो इनोसेंट फेस लाइक अ चाइल्ड!!"

लड़की की त्यौरियां कम हो गई थीं !! वह फिर से बैठ गई और वायलिन बजाने लगी थी!! अब फिजाओं में प्यारा संगीत तैर रहा था ....और उसके जादू में सब झूम रहे थे ।

थोड़ी ही देर में एक झटका सा लगा ! उसने वायलिन बजाना बंद कर दिया था और उठ कर खड़ी हो गई थी!! सब ने ताली बजाई और जिद करने लगे कि थोड़ा सा और बजाइए !! वह बोली :--"नहीं! मुझे घर पर जाना होगा ! मौसी वेट कर रही होंगी!"

" ठीक है ! जिद नहीं करेंगे बट प्लीज एक कप कॉफी हमारे संग!! ऐसा कहकर उन लोगों में से एक ने अपनी थरमस फ्लास्क में से एक कप कॉफी निकाली!! और कप उस लड़की और दूसरा उसकी सहेली को थमा दिया ..तब तक शेखर ने उन लोगों के पीछे खड़े होकर उसका फोटो खींच लिया !

फ़ोटो एक-दो लोगों ने और भी लिया था ...इस वजह से उसको पता ही नहीं चला !! कॉफी पीकर वह लड़की उठी और उन सब से जाने की इजाजत मांगी !! धीरे-धीरे दोनों वहां से चली गई !! इतनी देर में ही समां रंगीन हो गया था !! फिजा गुनगुनाने लगी थी!!

उन दोनों के जाने से माहौल सुनसान सा हो गया था !! शेखर भी पता नहीं क्यों उदास हो गया और लोगों के साथ आगे चल पड़ा और भी आगे के स्थान दिखाने के लिए !!

आज की रात शेखर के लिए रोज की रातों से थोड़ी अलग थी !!जैसे ही आंखे बंद करता था ...उसकी आंखों में सामने ...सपनों में भी लड़की का चेहरा तैरने लगता था .!! वायलिन बजाती हुई लड़की उसके सपनों में बार-बार आती -जाती थी !!

उसके मन में कई सवाल थे ! वह कौन थी ?"

" कहां रहती होगी?

" इतने दिन हो गए टूरिस्ट्स को घुमाता हूँ लेकिन उसको यहां कभी नहीं देखा !! वह जरूर कहीं बाहर से आई होगी !! यहां की होती तो क्या कभी न कभी वह देखता नहीं ??




दूसरे दिन उसने उसका फोटो निकाल लिया था और विनय को विस्तार से उसके बारे में बताया था !!

विनय को फोटो भी दिखाया था और उससे कहा था कि "कहीं वो लड़की दिखाई दे तो उसका नाम पता जरूर पूछना !! क्या बताऊं ? कुछ चांस ही ऐसा बन गया " कि वह लड़की तुरंत ही नाराज हो गई! उससे नाम पूछ नहीं पाया !!"

"क्या तू उसके चक्कर में पड़ गया है ? विनय चुटकी लेते हुए बोला :--"देख कोई भरोसा नहीं है इन लोगों का !! घूमने के लिए आने वाले लोग ऐसे ही होते हैं !! इन्हें किसी की भी फीलिंग्स का ख्याल नहीं होता है!



और खासतौर से सुंदर लड़कियां ...अपनी ब्यूटी के नशे में ही चूर रहती हैं !! मुझे तेरे लक्षण अच्छे नहीं लग रहे हैं ...याद रख ....ऐसे लोगों के चक्कर में जब -जब भी कोई पड़ा है ....उसने अपनी लाइफ बर्बाद की है!!"अभी देख ले..जब उसका नाम -,पता मालूम नही है, तब तो तू आज का दिन बर्बाद कर रहा है!!अगर उसके चक्कर मे पड़ गया तो पक्का...लाइफ बर्बाद होगी"

अरे यार तूने तो मुझे लेक्चर पिला दिया!! पूरा भाषण दे डाला!!

और सुन !! पहली बात मैं ऐसा कहां कुछ करने जा रहा हूं ? दूसरे जरूरी नहीं है दुनिया में सब एक से ही हों!!







इसके बाद कई दिन बीत गए ! विनय और शेखर ने उस लड़की को ढूंढने की बहुत कोशिश की थी ! लेकिन वह कभी दोबारा में दिखाई नहीं दी !!


दोबारा में शेखर ने उस लड़की के बारे में विनय से कोई भी बात नहीं की थी । वह सोचता था कि अगर मैंने दोबारा लड़की का नाम लिया तो विनय सोचेगा कि मैं कितना छिछोरा हो रहा हूं ....और लड़कियों के पीछे भागता हूं ...जबकि ऐसा कुछ नहीं है ,!!


उधर विनय ने भी कोई इसके बारे में जिक्र नहीं की थी ! वह सोचता था ....कि अगर मैंने भी शेखर से इस बारे में बात की तो शेखर अपने को गिल्टी फील करेगा !! जबकि वह ऐसा है नहीं!! आज तक उसने किसी लड़की की तरफ आंख उठाकर नहीं देखा है !!


और अगर इस लड़की को सीरियस ले रहा है ..तो वह मानेगा नहीं क्योंकि वह उसके नेचर से भली-भांति परिचित था!! पहली बात तो वह कोई काम करता नहीं था ....और अगर किसी बात को मन में ठान लिया ...,तो उसे पूरा करके ही छोड़ता था .....चाहे कुछ भी हो जाए ...,चाहे कितना भी नुकसान हो जाए !! वह उस बात पर अड़ जाता था !!


शेखर ने वह फोटो अपने कपड़ों के बीच अलमारी में रख रखी थी!! रोज उसको देखता था !! कुछ ऐसी ही कशिश थी उसके चेहरे में कि वह उसको भूल नहीं पाता था!! जितना ही वह उस को भूलने की कोशिश करता उतना है उसका ध्यान वह खींच कर ले जाती थी!!

एक बार वह अपने टूरिस्ट्स को घुमाने के लिए वहां से दस-बारह किलोमीटर की दूरी वाले एक स्थान पर गया हुआ था ! टूरिस्ट्स पूरे दिन घूमे फिरे थे और शाम को वापस चले गए !! उन्होंने शेखर से भी वापस चलने को कहा था ...लेकिन शेखर ने कहा:-" मैं अभी यहां थोड़ी देर और घूमूंगा !! पता नहीं इस जगह में कितना आकर्षण था ?


वह सोच रहा था कि अभी थोड़ा यहां और घूम ले.... वह एक तरफ को चल पड़ा ....दूर पृष्ठभूमि दूर दो-तीन झोपड़ियां दिखाई दे रहे थी !!

न जाने उसके मन में क्या आया कि वह उन्हीं की तरफ चल पड़ा !! उस मकान के करीब पहुंचा तो वह हैरान रह गया.... उसने देखा उस झोंपड़ी वाले मकान में से धुआं निकल रहा था और चीखने की आवाज आ रही थी!! एक लड़की अंधाधुंध चीख रही थी!!

वह दौड़ कर वहां पहुंचा ! अंदर से मकान बंद था! उसको कुछ भी समझ में नहीं आया ! संभवत आग लग गई थी ! उसने वहां पड़ा हुआ पत्थर उठाया !! और खिड़की पर वार किया खिड़की से कूदकर अंदर कमरे में पहुंचा !

अंदर से बंद कुंडी को खोला खिड़की और दरवाजे से धुआं बाहर निकला ! दरवाजा खुलते ही एक लड़की खांसते हुए बाहर निकली ......वह खांसते- खांसते बिल्कुल बेदम हो गई थी और खांसने में झुककर दोहरी हो गई थी ....जिससे शेखर उसका चेहरा नहीं देख पाया !!

उसने लड़की ने कमरे की तरफ इशारा किया !! शेखर ने अंदाजा लगाया कि लड़की कह रही है कि कमरे में कोई और भी है और वह खतरे में है!! वह दौड़ कर अंदर कमरे में पहुंचा!! धुएं की वजह से साफ दिखाई नहीं दे रहा था !

शेखर अंदर कमरे में बेड की तरफ गया तो उसने देखा बेड पर एक लड़की बेहोश पड़ी थी ! उसको उठाकर वह बाहर लाया !!जैसे ही उसने उसके चेहरे की तरफ देखा वह चौक पड़ा ! यह तो वही लड़की है जिसे वह इतने दिन से ढूंढ रहा था !!तब हैरानी से उसने दूसरी लड़की की तरफ देखा..... तब तक वह भी थोड़ा संभल गई थी !!

वह चौंका !!! यह भी उसी लड़की की सहेली थी !!




क्रमशः*******************
 

kamdev99008

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Bahut achchhi shuruat hai....

Ab ye ladkiyan kya yahin ku rahnewali hain ya tourist hain
Bahar se ayi to yahan unke sath ye hadsa kyu hua.... Aur kahan ki rahnewali hai

Sawalo ke jawab shayad agle update se mileinge....

Dekhte hain kahani kya mod leti hai
 
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Reactions: Aakash. and PARADOX

Guffy

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भाग 3
शेखर उस लड़की को लिटा कर अंदर घुसा। उसने घर के सारे खिड़की और दरवाजे खोल दिए । धुआँ तेजी से बाहर निकलने लगा ! बहुत जल्द धुआं उस मकान से निकल गया और माहौल हल्का हो गया था !

अब वह पानी की तलाश में था! कामचलाऊ रसोई बनी हुई थी उसने देखा तो वहां पानी रखा हुआ था ! वह एक जग में पानी भर कर ले आया और उसने लड़की के चेहरे पर छींटे मारे ! मगर वह होश में नहीं आई ! वो लड़की होश में क्यों नहीं आ रही थी ??

उसके माथे पर चिंता की लकीरें खिंच गईं और वह लड़की जो उसकी सहेली थी ....वह पहले से थोड़ी बेहतर हालत में थी .....और अब उस लड़की की यह दशा देख कर रोने लगी थी! उसने एक बार फिर पानी के छींटे मारे ...लेकिन वह तब भी होश में नहीं आई !

अब वह अनिश्चय की स्थिति में था .... उसने दूसरी लड़की से पूछा --

"अब बताइए ? क्या करें ? क्या इनको अस्पताल ले चलना चाहिए ? क्या हो सकता है ?" वह लड़की बैठी हुई रो रही थी बोली– हां इन्हें अस्पताल ही ले चलिए !! ये जल्दी से जल्दी ठीक हो जाएं !! यहां कोई है भी नहीं !!

शेखर ने फोन करके गाड़ी मंगवाई और पास के स्थानीय अस्पताल के लिए ले जाने का निश्चय किया!!

जब तक गाड़ी आती शेखर और वह लड़की दोनों ही ...उस बेहोश लड़की के ऊपर... कभी पानी के छींटे मारते तो कभी उसके हाथों और पैरों को मल रहे थे ताकि उसके हाथ और पैर गरम बने रहें!

उस लड़की को तसल्ली देने के लिए शेखर उससे बातचीत करने लगा -

"आप घबराइए मत !! गाड़ी आती होगी "इनकी सांस तो ठीक चल रही है!!

थोड़ी देर बाद गाड़ी आ गई थी! शेखर ने लड़की को उस गाड़ी में लिटाया और थोड़ी ही देर बाद सब लोग हॉस्पिटल में थे !!उसका तुरंत ही उपचार शुरू हो गया था !!

शेखर ने पूछा :-"डॉक्टर साहब ! कोई खतरे वाली बात तो नहीं ? डॉक्टर ने कहा :-"खतरे की बात तो है ! धुआं ज्यादा भर जाने से श्वांस नली प्रभावित हुई है !! यह अच्छा हुआ आप समय पर आ गए ...नहीं तो कुछ भी हो सकता था !!"

'"तो क्या दवा के बाद हम इन्हें ले जा सकते हैं ?"

" नहीं एडमिट रहना होगा!" डॉक्टर ने बताया!

शेखर ने उस लड़की की तरफ देखा ! लड़की घबराई हुई थी ! बोली :--"यहां मैं अकेले कैसे रहूंगी ?" और वह सिसकने लगी !

शेखर दुविधा में पड़ा हुआ था कि क्या करे ? ऐसे इन लड़कियों को अकेला छोड़ा भी नहीं जा सकता था .....और उनके साथ रुकने के लिए ....वह उनका कोई लगता भी नहीं था... तभी वो लड़की लगभग गिड़गिड़ाती हुई सी बोली :--"आप रुक जाना प्लीज !! हम अकेले हैं !!"

उसने फोन से विनय को सूचना दे दी और कहा:-" मैंने मां को नहीं बताया है तू ही उन्हें जाकर बता देना !! वह सैकड़ों सवाल पूछने लगती हैं....और मैं यहां बहुत अर्जेंट काम से फंसा हुआ हूं !!""

"कौन सा अर्जेंट काम ?" उधर से छेड़ते वाली आवाज आई !

"अरे यार !! समझा कर! मिलने पर बताऊंगा ! अभी इतना ही समझ!"

ठीक है, ठीक है !! ओके बाबा ,ओके !! मैं अभी जाकर बताता हूं!"
रात उतर आई थी !! लाइटें जल गई थीं !! बाहर बेंच पर बैठी हुई लड़की शेखर से बोली--


"मैंने तो आप को अभी अपना नाम भी नहीं बताया ... मुझे तो किसी बात का होश ही नहीं रहा .....मैं इतना डर ही गई !! मेरा नाम प्राची है ....और यह बरखा !! यह मेरी मौसेरी बहन है ....यह.यहां नहीं रहती है ! ..दिल्ली में रहती है ....मेरे पास घूमने आई है !!"

मम्मी पापा कल दिल्ली गए हैं ! मेरा भाई वहां रहकर पढ़ता है !! उसके स्कूल से कल इंफॉर्मेशन आई थी उसकी तबीयत ठीक नहीं है .....तुरंत ही बुलाया था ....तो पापा जा रहे थे.... साथ में भाई को देखने के लिए मम्मी भी चली गई !! हमें हिदायत दे गई थी कि कमरा अंदर से बंद रखना क्योंकि बस्ती यहां से दूर है !! हम लोग अपने खेतों में यहां मकान बनाकर रहते हैं.... तो दो ही तीन घर हैं आसपास !!

कल ठंड थोड़ी ज्यादा थी ....इसीलिए हम लोगों ने अंगीठी जला ली थी !! सुरक्षा के लिए दरवाजा अंदर से बंद कर लिया था !! परंतु यह हादसा कैसे हुआ ?"

" वही तो बता रही हूं !! अंगीठी में और कोयला डाल दिया था !! उसके बाद हम लोग बातें करते -करते सो गए ! कमरा भी अंदर से बंद था !! कोयला सुलगता रहा,.... धुआं उठता रहा ...और कमरे में घुटता रहा !! आधी रात को अचानक मेरी नींद खुली तो मुझे लगा मेरी दम घुट रही है ....तो मैं बाहर चली आई ...और चीखने लगी!

लेकिन धुआँ घुट होने की वजह से मैं बाहर का दरवाजा नहीं खोल पाई थी...... जिस से कोई बाहर से मेरी मदद करने के लिए आता!!

थैंक गॉड कि तभी तुम खिड़की तोड़ कर अंदर आ गए और बरखा की जान बच गई ,!!! वह तो सोती -सोती ही चली जाती मुझे पता भी नहीं चलता !! कहकर वह फिर से सुबकने लगी !










अब जाकर दौड़-धूप खत्म हुई थी!! शेखर और प्राची दोनों ही बरखा के बेड के सामने बेंच पर बैठे हुए उसको देख रहे थे !! होश तो बरखा को आ गया था पर उसे कमजोरी बहुत ही महसूस हो रही थी ।

शेखर अब ऐसी पोजीशन में था ....कि उसे समझ में नहीं आ रहा था , कि वह हंसे या रोए!! उसके लिए खुशी वाली बात यह थी कि इतने दिनों से उसने जिस लड़की को हर जगह ढूंढा था और जिसके लिए इतना परेशान रहा था ....वह उसे आज मिल गई थी!!

लेकिन रोने वाली बात यह थी कि वह ऐसी हालत में थी !!


वह ऐसी दुविधा पूर्ण स्थिति में फंसा हुआ था!! कभी-कभी किस्मत भी आदमी के साथ कैसे खेल खेलती है कि जिन चीजों की वह बहुत ही बेसब्री से प्रतीक्षा करता है ..... जब वे उसे हासिल होती हैं ....तो पोजीशन ऐसी बनी होती है कि वह उनकी खुशी भी नहीं मना सकता !!

शेखर और प्राची ने पूरी रात बैठे -बैठे गुजर दी...बरखा की देखभाल करते रहे !! किस्मत ने आज वह मोड़ ला दिया था कि शेखर और बरखा आमने-सामने थे ! शायद यह शेखर के सच्चे प्यार की जीत हुई थी!! बरखा जस्ट उसके सामने लेटी हुई थी और वह उसको चेहरा निहार रहा था !

जिसकी तलाश उसे शिद्दत से थी!! जिसको उसने अपने मन में बिठा रखा था ...और उसको ढूंढने के लिए बहुत बेचैन था... उसकी एक झलक पाने के लिए बेताब था ...वह उसके सामने शांत लेटी हुई थी ! शेखर उसकी तरफ देख रहा था वह आंख बंद किए हुए लेटी थी!!

उसे जैसे ही होश आया था ...तो उसने कमजोर आवाज में पूछा--

" मैं कहां हूं 'यहां कैसे आई ??"

शेखर को सामने देख कर उसने प्राची की तरफ अपनी निगाह घुमाई तो प्राची ने उसका समझकर कहा :-"अगर यह नहीं होते तो तू भी नहीं होती !! थैंक गॉड !! पता नहीं भगवान ने किस तरीके से इन्हें वहां भेज दिया !! और मेरा भी दम घुटता जा रहा था !

मेरी कुछ समझ में नहीं आ रहा था.. मैं भी गिरने वाली थी... मैंने बाहर का गेट भी नहीं खोल पाया था ...तो ये कमरे की खिड़की तोड़कर कर आए थे और तब तुझे बचाया जा सका ...और इन्होंने ही यहां आकर तुझे भर्ती कराया है !!

डॉक्टर का कहना था कि अगर थोड़ी देर हो जाती तो तुझे कुछ भी हो सकता था !!"

बरखा के चेहरे के भाव बदलने लगे और उसने मुस्कुराकर शेखर की तरफ देखा और हाथ जोड़ दिए ! शेखर ने कहा:--"इसमें हाथ जोड़ने वाली कोई बात नहीं है.... यह तो मेरा फर्ज था !"

अभी तक तो खाने पीने का ध्यान किसी को आया ही नहीं था ...अब जब बरखा ठीक थी और बोलने लगी थी तो सब की सांस में सांस आई !

शेखर ने बड़े ही लगाव से उसको देखते हुए कहा :--"क्या तुम कुछ खाओगी ? मैं डॉक्टर से पूछ कर आता हूं !!


थोड़ी ही देर में वह चाय और बिस्कुट लेकर आया उसने बरखा को उठा कर चाय थमा दी और प्राची को एक गिलास में उड़ेलकर दी! अपने आप भी पीने लगा..... वास्तव में उसे भूख तो जोर से लगी थी ....वह बाहर चला गया !! जब वह लौटा तो उसके हाथों में ढेर सारे समोसे थे !! बस ! उनका रात का भजन बन गया था !

दूसरे दिन जब डॉक्ट राउंड पर आए तो उन्होंने बरखा की छुट्टी कर दी और शेखर उन लोगों को लेकर उनके घर पर आया ! प्राची के मम्मी -पापा वापस नहीं आ पाए थे !

शेखर उनको छोड़कर वापस आने लगा तो उन दोनों ने रुकने का काफी आग्रह किया था ! अब दोनों के बीच एक नई दोस्ती का आगाज हो गया था !! दोस्ती उसे इसलिए कहना चाहेंगे कि बरखा ने ही कहा था ....और शेखर बरसा के अनुसार ही चलना चाहता था!! जैसा बरखा चाहेगी ....वैसा ही चलेगा !!


क्रमशः****************
 
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