भाग 1
चाय बन चुकी थी जानकी अब चूल्हे पर आलू उबाल रही थी आलू की कचौड़ी बनाने का इरादा था !! चूल्हा फूंकते-फूंकते जानकी का चेहरा लाल पड़ गया !! आंखों से आंसू निकलने लगे!जानकी बड़बड़ाई:--ये मुई लकड़िया गीली हैं ! सुलगती रहेंगी ....धुआं उठता रहेगा .....पर जल्दी जलेंगी नहीं!!"
फिर चाय को लोटे में छाना और एक बड़े से गिलास में भरकर ऊपर दो ब्रेड रखकर शेखर को पकड़ाते हुए बोली:--" देख लेना आज गैस भर जाए!! नहीं तो सूखी लकड़ियों का इंतजाम कर देना!"
" कितनी देर है मां ?" शेखर झुंझलाया हुआ था !! आज वह बहुत देर तक सोता रहा ....और उसे जानकी ने जगाया नहीं !!! इस बात पर वो चिढ़ा हुआ था !! अपनी रंग उड़ी जींस खूंटी से उतारते हुए वह चिल्लाया :--" बहुत देर हो चुकी है ! अब मैं रुक नहीं पाऊंगा!!" कहते -कहते ही उसने अपने सफेद रंग की शर्ट पहनी !! जल्दी-जल्दी बटन लगाता हुआ बोला मुझे जगाया भी नहीं आज वैसे भी बहुत देर हो गई है !!
चूल्हा फूंकते-फूंकते, सिर ऊपर उठाकर जानकी चिल्लाई:--" रुक अभी कमबख्त !! देखता नहीं ?? धुआँ घुटा पड़ा है ....चूल्हा जल नहीं रहा है !! लकड़ी गीली है !!"
"ठीक है मां ! तुम यहाँ आलू उबालती रहना !! सवेरे 9:00 बजे वाली बस से सवारी उतरेगी .....तो विनय नंबर मार ले जाएगा !! मैं तो चला !!
उसने अपना बैग उतारा , कैमरा लिया और निकल गया ! पीछे से जानकी चिल्लाती ही रह गई !! इतना बड़ा तो हो गया ... पर अक्ल जरा सी भी नहीं ...अपने मन की ही करता है!! देखती हूं अगर विनय नहीं गया होगा ....तो उससे खाना भेज दूंगी !! ऐसा कहकर वह बड़बड़ाती हुई जल्दी से चूल्हे से भगौना उतार कर आलू निकाल कर देखने लगी कि आलू उबले हैं कि नहीं ??
आलू उबल चुके थे ....उन्हें छीलने के लिए थाली में पलट कर वह अंदर आटा लाने के लिए चली !!
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जीवन का नियम है समय एक सा नहीं चलता है।कभी दुख तो कभी सुख,यही क्रम अनवरत चलता रहता है। शेखर का परिवार भी बहुत सुखी परिवार था।उसके पिता एक ऑफिस में बाबू थे। शेखर ने अपनी पढ़ाई पूरी कर ली ! उसकी दो बहने थी! दोनों बहनों की धूमधाम से शादी हो गई !
जीवन अपनी सहज गति से चल रहा था कहीं कोई परेशानी नहीं थी । अब एक जबरदस्त परिवर्तन आया, एक मोड़ आया ; जिसने पूरे परिवार में हलचल मचा दी!
कई दिनों से पिताजी की तबीयत ठीक नहीं रहती थी ऑफिस से आते तो थके- थके से बैठ जाते । खाना खाते तो उन्हें मिचली लगने लगती। धीरे-धीरे भूख कम होती जा रही थी । वजन भी कम होता जा रहा था । जानकी ने कई बार कहा लेकिन वह दवा लेने नहीं गए। फिर एक दिन उन दोनों की जिरह होते हुए देखकर ...शेखर ने मामले को जाना ....तो वह जबरदस्ती अपने पिताजी को लेकर अस्पताल गया !!
उनकी परेशानी को पूछ कर डॉक्टर ने उनका चेकअप किया फिर कुछ जांचें करवाने को बता दीं!! जब उन जांचों की रिपोर्ट्स आ गई और शेखर लेने गया ....तब डॉक्टर ने उससे कहा :-" धैर्य रखकर सुनिए इन्हें कैंसर है !!"
यह सुनकर शेखर की सांस ऊपर की ऊपर और नीचे की नीचे रह गई ! उसकी आंखों में आंसू भर गए और उसने काँपती आवाज में डॉक्टर से पूछा :--'"तो क्या यह ठीक नहीं होंगे ? "
मुझे बताते हुए बहुत दुख हो रहा है कि यह रोग ठीक भी हो सकता है ....और नहीं भी !!! ......कुछ कहा नहीं जा सकता !! इलाज लंबा चलेगा !!"
फिर सिलसिला शुरू हुआ एक मानसिक यातना का !! घर से अस्पताल ; अस्पताल में जांच , रिपोर्ट ,दवाई , यह सिलसिला बहुत लंबा और कई दिनों तक चला !! इस बीच में घर में जो भी सेविंग सर्टिफिकेट्स और फंड के कुछ रुपए थे ....वह सब दवा में चले गए!!
कई बार पिताजी शेखर का हाथ हाथ पकड़ने लगते और दबा के लिए मना करने लगते !! लेकिन ऐसा कैसे हो सकता था कि कोई मौत के मुंह में जा रहा हो ?.... और कुछ पैसे बचाने के लिए कोई देखता रहे !! एक लंबी यातना और इलाज के बाद आखिरकार पिताजी स्वर्गवासी हो गए !!
वह प्राइवेट जॉब करते थे उनकी जगह पर शेखर के लिए ऑफर आया था .... लेकिन शेखर को बंध कर बैठने वाली यह नौकरी पसंद ही नहीं थी !!! वह एक आजाद पंछी था और मुक्त होकर उड़ना चाहता था !! दुनिया देखना चाहता था !! वह चंचल था एक मिनट के लिए उस पर एक जगह बैठा नहीं जाता था .... हालांकि जानकी ने उससे कहा था कि "नौकरी कर ले" मगर उसने साफ मना कर दिया था !!
यह उसका सौभाग्य था.... कि हिमाचल प्रदेश की खूबसूरत वादियों में उसका गांव था !! पर्यटक बहुत आया करते थे !! उसे फोटोग्राफी का बचपन से शौक था!! फोटो वह बहुत अच्छी खींच लेता था !! तथा आसपास में सभी लोग उसकी कला के कायल थे उसके कई फोटो प्रदर्शनियों में पुरस्कृत भी हो चुके थे !
जैसे ही उसे अवसर मिलता तो अपने मनपसंद काम के मुताबिक टूरिस्ट को घुमाता था! गाइड का काम करता था ! अच्छी-अच्छी तस्वीरें तस्वीरें खींच कर दिखाता था! टूरिस्ट्स उससे बहुत खुश रहते थे !इससे अच्छी इनकम हो जाती थी !! उसी का सहपाठी, दोस्त और उसका पड़ोसी विनय भी उसके साथ काम करता था !!
जब सीजन ऑफ हो जाता था तब उन दिनों टूरिस्ट नहीं आते थे .....कोई काम नहीं रह जाता था .....तो उस वक्त विनय और शेखर नौकरी कर लेते थे !
प्राइवेट जॉब करके रुपए कमा लिया करते थे ! दोनों की बीच- बीच में नौकरी होती रहती थी । उनकी दोस्ती पक्की थी ! शेखर की उम्र कम थी ....लेकिन हालात ने उसे गंभीर बना दिया था। वह अपनी जिम्मेदारी को समझने लगा था ।
खुली हवा पानी की बदौलत उसका सुगठित मजबूत शरीर, लंबा कद, हल्के भूरे और घुंघराले बाल, बड़ी -बड़ी झील सी सपनीली आंखें जो हर समय उदास -उदास लगती थी ....हर किसी को अपनी तरफ आकर्षित कर लेती !! कुल मिलाकर उसका व्यक्तित्व ऐसा था कि चाहे वह कैसे भी कपड़े ले.... हर बार में ऐसे खिल कर सामने आता ....जैसे अभी अभी कहीं जाने के लिए तैयार हुआ है!!
आज वह स्टेशन पर पहुंचा ! कई टूरिस्ट उसे मिले ! विनय भी पहुंच गया था ! कई टूरिस्ट्स विनय को मिले !! अपने -अपने ग्रुप बनाकर दोनों चल दिए थे!!
शेखर जिनका गाइड बना था उनमें एक न्यू- मैरीड कपल था! दोनों ही खूब बातें कर रहे थे !!
घूमते घूमते उन लोगों पूरा दिन बिताया ! पैर दर्द करने लगे थे ! वे लोग शेखर से बहुत ही खुश थे.... क्योंकि जैसे ही वे किसी चीज के बारे में पूछते ....वह उन्हें विस्तार से बताता... भांति-भांति के रंग -बिरंगे खिले हुए फूलों की प्रजातियों के बारे में जब भी वे पूछते तो वह उन्हें, फूलों की खुशबू उनकी किस्म,उनकी उगाने की विधि के बारे में बड़े विस्तार से विवरण देता !!
उसके बोलने के ढंग से भी वे बहुत प्रभावित थे ! छोटी छोटी पहाड़ियों को लाँघता, घास के मैदान को पार करता , तो कभी छोटे -छोटे झरने आ जाते..... वहां रुक कर ... उसके स्वच्छ, शीतल जल से हाथ पैर धोते ; पानी पीते.... वह कपल उसमें अठखेलियां करता ..स्वच्छ ,निर्मल पानी एक दूसरे पर फेंक कर,, मानों उस धारा को तोड़कर उसके हजारों मोती बिखरा देते ...फिर आगे बढ़ जाते !
ऐसे में अचानक एक बहुत ही मधुर धुन सुनाई पड़ी!
उनके साथ चलने चलने वाले वह लोग सब के सब थम गये और उस धुन को सुनने लगे ....और उनके मुंह से निकला हाउ स्वीट ट्यून !!! कौन बजा रहा है यह ???"
शेखर ने अंदाजा लगाया कि" यहां से आवाज आ रही है!! लेकिन देखा कहीं भी ,कोई नहीं दिखाई दिया। सब लोग इधर-उधर देख रहे थे ..... दिखाई तो कोई नहीं दिया मगर आवाज पहले से थोड़ी तेज हो गई थी !! बहुत ही मधुर धुन थी ... धीरे -धीरे आवाज का पीछा करता हुआ इधर-उधर घूमता हुआ वह आगे बढ़ता गया सहसा उसे लगा कि उसके पास ही जो पहाड़िया हैं उनके पीछे से आवाज आ रही है!!
वह धीरे -धीरे घूम कर दबे पांव वहां गया ...तो उसने देखा कि छोटी सी चट्टान पर दो लड़कियां बैठी हुई हैं! उसकी तरफ उनकी पीठ थी इन दोनों में से एक लड़की वायलिन बजा रही थी ! चमकीले नीले रंग के नेट कपड़े के गाउन पहने दोनों लड़कियां खूबसूरत हैट लगाए हुए थीं,.... और उन दोनों के हैट पर रंग -बिरंगे फूल खूबसूरती से सजे हुए थे !!
यूं तो शेखर एक संभ्रांत और भला लड़का था लेकिन अभी लड़कियों के चेहरे देखने का लोभ वह संवरण नहीं कर पाया !!अपने को नहीं रोक पाया ....और बिना आहट किए धीरे से उनके सामने जाकर खड़ा हो गया !!
वायलिन बजाने में मगन लड़की ने जैसे ही चेहरा ऊपर उठाया वह शेखर को देख कर चौक पड़ी !!
क्रमशः***********************