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Incest kabul he

ramumargaya

Member
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Wow. Yashwant ne arjun ko beta bana liya hai. Aur bandana arjun se chudwati. To kahi galti se rupa mami hi chud jayegi.



Hot!!!!
 

Anuj

Member
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KABUL HE :- 14
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महिस्मती अपनि मन में - मादरचोद की हिमत को माननी पड़ेगी.. मेरे घर मे , मेरे ही बिस्तर पर ..मुझे चोद कर मेरे पति के तरह सो रहा है..

इतना सोच कर महिस्मती उठने ही वाली थी कि अर्जुन ने फाटक से उठ कर बाहर जाने लगा..

अर्जुन जैसे ही रूम से बाहर निकला वेसे ही महिस्मती आपनी साढ़ी से आपनी नंगी बदन पर लपेट कर दबे पेर अर्जुन के पीछे पीछे जाने लगी..

अर्जुन फाटक से लाइट on करके पानी पीने लगा.. अर्जुन को नंगा देख कर महिस्मती की पेर के तले जमीन फिसलने लगी..

अब सारे माज़रा महिस्मती की दिमाग पर आ चुकी थी..

पिछले महीने जो अनजान मर्द महिस्मती को पूरे 15 दिन तक चोद चोद कर गर्भवती बनाया है ये कोई और नहीं महिस्मती का बेटा करन निकला..

महिस्मती समझ गेई थीं कि करन सहर जाने के बाद अचानक महिस्मती की चुदाई क्यों रुक गेई थी..

घर मे लाइट रोशनी के उजाले में अर्जुन का आधा खड़ा खतरनाक लुंड ओर लन्ड के चारो तरफ लगे महिस्मती ओर अर्जुन के मिला जुला सफेद रास महिस्मती को साफ साफ दिखाई दे रहा था..

महिस्मती की दिमाग काम करना बंद करदी.. जिस करन को महिस्मती छोटा बच्चा अभी तक समझ रही थी ..वही करन अब महिस्मती की बच्चेदानी के अंदर आपने बिज़्ज डालकर बचा ठेहैरा चुका था..

भले ही बस्ती वाले अर्जुन को बिरजू ओर महिस्मती के दामाद मानते थे.. पर महिस्मती अर्जुन को सगे बेटे से कम नहीं मान रही थी..

महिस्मती अभी तक समझ नहीं पा रही थी कि ..अर्जुन कैसे बिना सोचे समझे उशे चोद राहा था.. जब कि अर्जुन आपने माँ को कभी गंदी नज़र से अभी तक नहीं देखा था..

महिस्मती आपनी दिमाग से - करन बेटा इतनी अच्छी तरह चुदाई का ज्ञान किधर से प्राप्त किया है.. ओर करन चाहता तो मेरी बिजली बेटी को भी चोद सकता था.. फिर मुझ जैसी आधी उमर की औरत को क्यों चोदा ?

एहि सब सोच सोच कर महिस्मती भीगी पलके से आपनी सारी कपड़े पहन कर सोने लगी ..पर महस्मती को कहां नींद आ रही थी..

रात के 3 बजे फिर से कोई आने का आभास हुआ.. महस्मती समझ चुकी थी कि करन फिर से आया है ..पर महस्मती फाटक से चदर को पूरी तरह से ओढ कर सो गेई..

अर्जुन जितना भी कोशिश किया.. महिस्मती चदर को कस के पकड़ कर रखी ..महस्मती की मजबूती दबाब से अर्जुन हस के महस्मती की कान में धीरे से..

अर्जुन - उतरा बाज़ी ..तू आज इतनी नखरे क्यों दिखा रही है..? एक बार ओर मेरे लन्ड की पानी से तेरी बच्चेदानी की मटकी भरले .. नहीं तो तेरी कोख में पल रहा मेरे बचा ताकतवर कैसे बनेगा..?

इतना सुनते ही महस्मती कि हवा निकल गेई.. उतरा कब पेट से है.. कहीं उतरा ने फटफटिया माँ की धमकी से अर्जुन के साथ चुदाई करके गर्भवती तो नहीं बनी ? पर अर्जुन तो सहर में रहेता है ..फिर कब ? कहीं पिछले बार अर्जुन ने मुझे ओर उतरा को एक साथ चोदा तो नहीं राहा था ? हाँ एहि सही है ...

अर्जुन आहिस्ते आहिस्ते महिस्मती माँ केकी चदर के अंदर घुस कर बड़े प्यार से ..

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अर्जुन - उतरा बाज़ी .. तू मुझे बच्चे से जवान मर्द बनाई है.. तू मेरी दुशरी माँ है ..जब तू खुद माँ नहीं बन पाई तब मेरा फ़र्ज़ है.. में तुझे माँ बनाऊं.. ओर तू मेरे लन्ड से पिछले बार चुद चुद कर गर्भवती बन चुकी है ..

अर्जुन - सबके दिखाबा केलिये तुझे रहर लेकर 4/5 दिन जमकर चुदाई करके ।।तुझे इधर इस काबिल में छोड़ दूंगा.. ताकि सबको लगे तू सहर के बड़े हाकिम के दबाई से तेरी सारी तकलीफ दूर हो चुकी है ..

इतना बोलकर अर्जुन महिस्मती की कान को चूमते हुए..
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अर्जुन - बाज़ी तेरी चुत के अंदर अजीब नासा है ..तुझे दिन में चुदाई करने से जो मज़ा मिलता है ..उस से कई गुना मज़ा तुझे रात को चुदाई करने में मिलता है.. जानती है क्यों ? क्यों कि रात के अंधेरे में तेरी चुत ने ज्यादा पानी छोड़ती है..

इतना सुनकर महिस्मती सरम से पानी पानी होने लगी.. आज पहेली बार महिस्मती ने आपने बेटे करन के मुंह से जवान मर्द के बोली सुन रही थी...


अर्जुन नसिले आवाज़ से - तेरी इस रात वाली चुत ने मुझे पागल बना दिया है ..मुझे पता नहीं में कौन हूँ.. पर मुझे अब पता चल चुका है ..तेरे चुत को सांत करने केलिये भगवान ने मुझे तेरे पास भेजा है ..इशिलिय तो तेरी चुत के अंदर मेरा लन्ड पूरा फिटिंग हो रहा है..

अर्जुन थोड़ा दर्द भरे आवज़ से - तुझे मेरे कसम.. तू कभी भी हमारे इस बचे को तकलीफ नहीं देगी .. चाहे तेरे पति को तू कुछ भी बोल पर ये बचा हम दोनों के प्यार का निशान है..में नहीं चाहता कि एक ओर लाबारिष करन रास्ते पर मेरी महिस्मती माँ को मिले..

इतना बोलकर अर्जुन ने महिस्मती को उतरा समझ कर बड़े प्यार से रोमांस कर कर के चुदाई करने लगा..
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जब अर्जुन का पिचकारी छूटने को हुआ तब अर्जुन ने - मेरे रस मलाई निकलने वाला है.. इश मलाई पर सबसे पहला तेरे हक है.. तूने ही तो इस करन को जेना सीखाया..

इतना सुनते ही महिस्मती की हाथ ऑटोमैटिक अर्जुन के कमर को कसने लगी.. जब अर्जुन ने सारा गर्मी महिस्मती की बच्चेदानी के अंदर उगाल दिया
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तब महिस्मती को आपनी हाथ पर गुसा आने लगीं..

इश बीच सहर के सड़कसे लेकर बिरजू के कबीले के बस्ती तक कची सड़क बन चुका था.. कुछ दिन के अंदर पक्का सड़क बन जाएगा.. आने जाने केलिये कोई दिकत नहीं था..

अनामिका ने अर्जुन को एक कार खरीदने केलिये मजबूर किया था .. अर्जुन कार खरीदने के बाद कार चलना सीखने के बाद आपने घर आने केलिये ज़िद किया था.

इशिलिय अनामिका ने ना चाहते हुए भी अर्जुन को 2 दिन का छूटी दिया था..

जब अर्जुन आपने कार के कबीले बस्ती के बाहर छोड़ कर गेया था..क्यों कि सड़क अभी भी पूरा नहीं बन पाया था.

अर्जुन के मेहेंगी कार को देख कर कबीले वाले सोचने लगे कि ये गाड़ी सहर के किसी बाबू के गाड़ी है..

महस्मती आपने मन में - अब मेरे अंदर आत्मा की बात मेरी मन और सरीर नहीं मान रही है.. क्या में करन के बचे को पीईदा करूँ ? पर कैसे ? उतरा के बापू तो मुझे पिछले 3 महीने से चोदा ही नहीं ?

तब महिस्मती की पापी मन - तेरा बेटा करन हाकिम बाबू की पाठ पढ़ रहा है ..ओर तुझे अब करन से खुल कर बात करनी पड़ेगी .. अगर करन चाहेगा तो तू इस मुसीबत से छुटकारा पा सकती है ..

इस कसमे कस उलझन में महिस्मती नींद की आगोस में चली गेई..

सुबह सुबह बिजली ने अपनी माँ महस्मती को उठा कर फिर से आपनी कमरे जा कर सो चुकी थी..

महिस्मती फटाफट तलाब की ओर भागने लगी ..महिस्मती आपनी सारी काम काज निपटा कर घरमे आकर घर की काम काज करने लगी..

महिस्मती ने देखा अर्जुन बिस्तर पर नहीं था.. महिस्मती फटाफट खाना बना कर किचेन रूम के अंदर आटा गौंद रही थी ..तब अर्जुन ने आकर महिस्मती को पीछे से बॉहों में भर के ..

अर्जुन खुसी से रोज़ की तरह - आज मेरी माँ दुनिया के सब से ज्यादा सुंदर दिख रही है..

इतनी सी बात सुनकर महिस्मती चुत ने फिर से अंगड़ाई लेने लगी..

आज पहली बार अर्जुन का प्यार महिस्मती को अलग महसूस हो रहा था.. क्यों कि अर्जुन नाहा धो कर वही गीले तोलिया से सीधा किचन रूम के अंदर घुसा हुया था..

इश वक़्त अर्जुन का लन्ड खड़ा नहीं था.. लेकिन लन्ड के उपर सिर्फ तोलिया नाम का परदा था..

महस्मती हस के आटे गौंद कर - सुना है तू आज सहर जा राहा है.. तो फिर क्यों आया था ?

अर्जुन पीछे से महिस्मती की गाल को एक प्यार भरा चुम्बन दे कर - तेरी याद ने मुझे खिंच कर ले आता है माँ..

इतना सुनते ही महिस्मती की गांड ऑटोमैटिक अर्जुन के लन्ड के उपर हल्की हल्की हिलने लागी..

महिस्मती बनावटी गुशे मे - चल झूठा..

इश बीच अर्जुन के लन्ड के उपर महिस्मती की गांड ज़रूरत से ज्यादा रगड़ रही थी..

आपनी माँ की ऐसी बदलाब को देख कर अर्जुन के दिल के धड़कन बढ़ चुका था..

क्यों कि जब तक अर्जुन कुछ समझ पाता तब तक अर्जुन का लन्ड पूरे औकात में आकर महिस्मती माँ की गांड के बीचों बीच फास चुका था..

तब पीछे से बिरजू ओर बिजली आकर महिस्मती को ..

बिरजू - उतरा की माँ में बिजली को लेकर उरी बेटी को लेने जा राहा हूँ..

महिस्मती - उतरा के साथ साथ मे भी सेहर जा रही हूं. आप उरी के साथ साथ मुर्मी को भी लेकर आ जाओ..

बिजली - बापू चलना.. आते आते देर हो जाएगी..

बिरजू ओर बिजली जाने के बाद उतरा आ कर - माँ तू क्यों सहर जाएगी और कुनमुन तेरे को पीछे से पकड़ कर क्यों खड़ा है..

अर्जुन चाह कर भी पीछे हो ना सका.. आगर अर्जुन पीछे हट जाता तो अर्जुन का 9 इंच का लंबा लन्ड सबके सामने आ जाता ..इशिलिय अर्जुन उतरा बाज़ी की जाने तक इंतजार किया..

महिस्मती हस के - उतरा तूझे जाने में देर हो रही है .. तू अभो पहाड़ी वाली देवी माँ की सिंदूर लेकर आजा.. फिर तेरी सारी सवाल का जबाब दूँगी.. अगर मेरे बेटे करन को शहर जाने में देर हो गेई तो तेरा जाना रद करदुंगी..

इतना सुनते ही इतरा दौड़ती हुई देबि माँ की ओर भाग निकली..

जब उतरा चली गेई तो अर्जुन राहत की सांस लिया.. अर्जुन महिस्मती के पीछे से हटने वाला था कि..

महिस्मती फिर से गांड को थोड़ी नचा कर - करन बेटा ..तू क्या बोल राहा था ?

अर्जुन - कौन सी बात माँ ?

महिस्मती - देखा ना ..दिखादो आपनी झूठा प्यार.. अभी अभी तू मुझे बोल राहा था.. मेरी प्यार ने तुझे सहर से कबीले की बस्ती तक खींच कर लेआया..

महिस्मती की दर्द भरी झूटी नाटक की आवाज़ ने अर्जुन के दिल को चीर कर रख दिया..

अर्जुन सब कुछ बर्दास्त कर सकता है केलिन आपनी माँ की आंखों में दर्द नहीं देख पा राहा था.. इशिलिय तो बिरजू अर्जुन के डर और प्यार के वाज़ा से महिस्मती को कुछ बोल नहीं पा राहा था..

अर्जुन आपने फुले हुए लन्ड का परवा ना करते हुए ..अपनी माँ की चेहरे की ओर दिमाग चलाने लगा..

अर्जुन - माँ तूने मुझे जंगल के बिरान से तेरे गौद में पनाह दिया है ..तेरे लिए में सारे दुनिया के सकती से लढ़ सकता हूँ..

महिस्मती हस के - फिर तूने तेरे बापू ओर बिलजी को देख कर आपनी माँ को प्यार करना क्यों छोड़ दिया ?

अर्जुन फिर से महिस्मती को पीछे से पकड़ कर - अब खुस ?

महिस्मती हस के - में तेरी माँ के साथ साथ सासु माँ भी हूँ ..

अर्जुन हस के महिस्मती को पीछे से कस कर पकडते हुए - तेरी नागिन बेटी बिजली को मेरे गले मे क्यों बांध रही है..

महिस्मती हस के - क्या करूँ.. अगर मेरी बस चलती तो में तुझे उतरा के साथ सादी करवा लेती.. पर क्या करूँ उतरा तुझसे 10 साल बड़ी है..

उतरा बाज़ी की नाम सुनते ही अर्जुन के लन्ड के अंदर तनाब आने लगा..

महिस्मती - में फटफटिया के साथ मेरी उतरा की सादी करके बहोत बड़ी गलती करदी.. रोज़ खिट खिट से अच्छा मेरी उतरा मेरी घर मे होती..

अर्जुन -होनी को कौन टाल सकता है माँ ..

महिस्मती - सुना है सहर के हाकिम के दबाई से औरत माँ बन जाती है ..करन तू कुछ भी कर .. मेरी उतरा बेटी को गर्भवती बना कर छोड़ना..

इतना सुनते ही अर्जुन का लन्ड बेचैन होने लगा.. महिस्मती ने चालाकी से आपनी साढ़ी की गांठ को आगे से खोल कर आपनी गांड को पीछे से नंगा कर चुकी थी..

अर्जुन खुद को हुसियार समझ कर - तेरी बात को में टाल सकता हूँ.. उतरा बाज़ी को गर्भवती बना कर ही छोडूंगा..

महिस्मती - ओर नहीं तो क्या .. मेरी उतरा की सरीर मेरी तरह भारी सरीर है.. जब में 4 बचे को पीईदा कर चुकी हूं.. मेरी उतरा बचा क्यों नहीं पीईदा कर सकती .. ज़रूर फटफटिया के अंदर कुछ कमी है..

अर्जुन - हां माँ फटफटिया के अंदर कमी है.. पर तु फिकर मत कर ..में किसी भो हालत में उतरा बाज़ी को गर्भवती बना दूँगा..

महिस्मती गाँड़ को इधर उधर हिला कर - कस तू मेरी उतरा से बड़ा होता तो में अब तक उतरा की बचो का नानी माँ बन चुकी होती..

इतना सुनते ही अर्जुन उतेजित होकर थोड़ा पीछे होने को हुया तो महिस्मती आपनी कसम दिला कर अर्जुन को आपनी पीछे से रख ली...

महिस्मती हस के - अच्छा करन .. तुझे उतरा अछि लगती है या बिजली ?

अर्जुन हस के - मुझे मेरी माँ सबसे अछि लगती है .

महिस्मती हस के - तो क्या तू तेरी माँ को गर्भवती बनाएगा..?

इतना बोलकर महस्मती ज़ोर से अर्जुन के लन्ड को पीछे से धके मारदी..

अर्जुन काफी हुसियार था ..अर्जुन ने नज़र नीचे झुका कर देखा महिस्मती माँ की गाँड़ पीछे से पूरी नंगी है.. लन्ड ओर गाँड़ के बीच सिर्फ तोलिया का पर्दा था.. ओर उशी पर्दे को महिस्मती माँ ने रगड़ रही थी..

सेक्स के विज्ञान को अर्जुन पूरी तरह से पढ़ चुका था.. अर्जुन ने देखा माँ की चेहरे लाल लाल पड़ चुकी थी..

अर्जुन आपने मन मे - सायद माँ को ..मेरे ओर उतरा बाज़ी के बीच नाज़ायज़ रिस्ते के बारे में भनक लग चुकी है.. इशिलिय माँ मुझे दूसरे तरीक़े से समझ रही है.. पर ये तरीका क्यों ?

तब अर्जुन के पापी मन ने - क्या माँ की दिल मे जान नहीं है.. ज़रा गौर से देख ..उतरा बाज़ी की सरीर की तरह माँ की सरीर भी गठीला है.. दोनो माँ बेटी के सरीर के नाप तोल किया जाए तो दोनों बराबर की लगेगी. दोनो में सिर्फ एक ही बदलाब है.. ओर वो है उमर की उतार चढाब..

अर्जुन थर थराता हुआआवाज़ में - माँ मुझे माफ़ करदे ..फटफटिया की माँ के वाज़ा से में उतरा बाज़ी के साथ...

बीच मैं महिस्मती हस के - मुझे सब पता है करन ..तू मेरा बेटा है ये तूने साबित करदिया..

अर्जुन थोड़ा डरते डरते - माँ , उतरा बाज़ी पिछले एक महीने से गर्भवती है ..

महिस्मती हस के - जानती हूँ मेरे लाल.. मुझे सब पता है ..

इतना बोलकर महिस्मती ने हल्के से तोलिया को नीचे के गाँड़ के ज़रिए उठाने की कोशिश किआ..

अर्जुन के पापी मन - सायद माँ को भी तेरे लन्ड से मज़ा मिल रही है.. जैसे माँ ने पीछे से साढ़ी खोल दिया है.. तू भी आगे से तोलिया को खोलदे यार..

अर्जुन का सोचने का सकती ख़तम हो चुका था.. अर्जुन ना चाहते हुए भी तोलिया को आगे से हटा दिया..

अब लन्ड सीधा महिस्मती की नंगी गाँड़ के दरार में दस्तक देने लगा..

अर्जुन डरते डरते - माँ तुझे कैसे पता चला ?

महिस्मती हस के आटे को गौंद कर - तुझे मालूम नहीं है.. पिछले 2 महीने से फटफटिया की माँ बीमार है.. इशिलिय उतरा रात को फटफटिया के घर पर रुकती है..

इतना सुनकर अर्जुन के दिमाग पर बम फूटने लगा.. अर्जुन समझ चुका था रात को अर्जुन जिशे उतरा समझ कर चुद चुका था.. वो उतरा बाज़ी नहीं बलकि माँ थी..

आज की अलग बदलाब को देख कर अर्जुन को सबकुछ समझ मे आ चुका था..

अर्जुन - माँ मुझे माफ़ करदे..में रात के अंधेरे में उतरा बाज़ी समझ कर ..

महिस्मती - काफी मांगने से क्या सबकुछ ठीक हो जाएगा ? क्या मेरे कोख में पल राहा बचा..

इतना सुनते ही अर्जुन का दिमाग फटने लगा..

अर्जुन के आँखों के सामने अंधेरा छाने लगा..

अर्जुन डरते डरते - ये कैसे संभब है ?

महिस्मती - क्यों संभब नहीं हो सकती ? सिर्फ तेरी उतरा बाज़ी के पास वो मटकी है ..जो मटकी उतरा की पास है ..उस से बड़ी मटकी मेरी पास है.. तू लगातार 15 रात मेरी मटकी के अंदर तेरा दही भरता राहा ..जब मटकी के अंदर दही जम गेई तब पूछता है कैसे संभब ?

अर्जुन काफी डरते डरते - अब क्या होगा माँ ?

महिस्मती आटा को पीस पीस कर धजिया उड़ाती हुई - तू क्या चाहता है ? क्या में इस बचे को गिरवा दूँ ?

अर्जुन फाटक से - हाँ..

महस्मती - क्या ?

अर्जुन - ना ..

महिस्मती - तू सोच के बता..हाँ या ना ?

अर्जुन - माँ तू बचा गिरवा दे ..

महिस्मती - पर मुझे लगता है मेरे कोख में बेटा है .. मेरे करन बेटे का बेटा है..

करन - पर माँ तू बापू को क्या जबाब देगी ?

महिस्मती गुशे से - सब गलती तेरे बापू का है .. तेरे बापू मुझे महीने में सिर्फ एक बार संभोग करते है .पिछले 2 महीनों से तेरे बापू वो भी बंद करदिये.. ओर जब तुझे में तेरे बापू समझ कर तेरे साथ पूरे 15 रात मजा करके गर्भबती हुई.. .

अर्जुन - माँ अगर 2 महीनों से बापू तेरे साथ नहीं सोये है ..तो तुझे ये बचा गिराना होगा ..

महिस्मती - करन मुझे आभास हो रही है मेरे कोख में बेटा है ..

अर्जुन - ठीक है माँ.. पर में नहीं चाहता कोई मेरी माँ को गंदी नज़र से देखे.. तू तो जानती है बापू इस कबीले का सरदार है...

महिस्मती अब आपनी दोनो टांग को चौड़ी करदी.. जिस से अर्जुन का लन्ड महिस्मती की चुत के दोनों ढकन के बीचों बीच फास गेया..

4/5 घंटे चुदी हुई चुत थी.. महिस्मती पीछे से दबाब देने से सुपाड़ा पच की आवाज़ स अंदर घुस गेया.

महिस्मती ssssshhhhhhhssssss की आवाज़ निकल कर - जिस तरह तूने उतरा को हाकिम बाबू के झूठे कहनी बना कर माँ बना देगा.. ठीक उसी तरह मुझे भी.

इतना बोलकर महिस्मती थोड़ी ओर ज़ोर लगाकर लन्ड को अंदर ले गेई..

अर्जुन भी थोड़ा ज़ोर लगा दिया..लन्ड पूरा जड़ तक घुस गेया..

अर्जुन लन्ड को आगे पीछे करते हुए - उतरा बाज़ी तो बचे केलिये ये सब कर रही है.. पर तेरी तो 4/4 बेटी है..

बच्चेदानी के अंदर सुपाड़ा घुसते ही महिस्मती ने फाटक से बदन से साढ़ी को फेंक कर वही किचन रूम के चारपाई पर पीठ के बल लेट कर दोनो पर को बिपरीत दिसा में फैला कर अर्जुन को चुदाई करने केलिये बुलाई..

अर्जुन भी फाटक से महस्मती माँ के ऊपर चढ़ के ताबर तोड़ प्रहार करने लगा..
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महिस्मती अर्जुन के मूसल का आनंद लेती हुई - में मानती हूं मेरी 4/4 जवान बेटी है..पर वो सब किसी ओर के बेटी है.. में चहिती हूँ ..मेरी कोख में मेरे करन का भी एक बचा हो जाये..

अर्जुन ज़ोर ज़ोर से धके मार कर - कैसे संभब होगा माँ ?

महिस्मती चुदाई का आनंद लेती हुई - तेरे बापू ओर उतरा को आने दो ..में कुछ नाटक करती हूँ..

फिर अर्जुन ने कुछ मिनट के अंदर अपना सारा ज़हर को महिस्मती माँ की बच्चेदानी के अंदर भर दिया.
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jonny khan

Nawab hai hum .... Mumbaikar
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Nyc & hottttt updates dear ..!!!!
Maheshmati nai karan ko range haatho pakad Kiya ab maheshmati bbhi razi hai uttra toh hai hi razi ab dono hakimi nuskhe ke naam par Arjun ka Pani apne andar load karengi:D:D
 

Killerpanditji(pandit)

Well-Known Member
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महिस्मती अपनि मन में - मादरचोद की हिमत को माननी पड़ेगी.. मेरे घर मे , मेरे ही बिस्तर पर ..मुझे चोद कर मेरे पति के तरह सो रहा है..

इतना सोच कर महिस्मती उठने ही वाली थी कि अर्जुन ने फाटक से उठ कर बाहर जाने लगा..

अर्जुन जैसे ही रूम से बाहर निकला वेसे ही महिस्मती आपनी साढ़ी से आपनी नंगी बदन पर लपेट कर दबे पेर अर्जुन के पीछे पीछे जाने लगी..

अर्जुन फाटक से लाइट on करके पानी पीने लगा.. अर्जुन को नंगा देख कर महिस्मती की पेर के तले जमीन फिसलने लगी..

अब सारे माज़रा महिस्मती की दिमाग पर आ चुकी थी..

पिछले महीने जो अनजान मर्द महिस्मती को पूरे 15 दिन तक चोद चोद कर गर्भवती बनाया है ये कोई और नहीं महिस्मती का बेटा करन निकला..

महिस्मती समझ गेई थीं कि करन सहर जाने के बाद अचानक महिस्मती की चुदाई क्यों रुक गेई थी..

घर मे लाइट रोशनी के उजाले में अर्जुन का आधा खड़ा खतरनाक लुंड ओर लन्ड के चारो तरफ लगे महिस्मती ओर अर्जुन के मिला जुला सफेद रास महिस्मती को साफ साफ दिखाई दे रहा था..

महिस्मती की दिमाग काम करना बंद करदी.. जिस करन को महिस्मती छोटा बच्चा अभी तक समझ रही थी ..वही करन अब महिस्मती की बच्चेदानी के अंदर आपने बिज़्ज डालकर बचा ठेहैरा चुका था..

भले ही बस्ती वाले अर्जुन को बिरजू ओर महिस्मती के दामाद मानते थे.. पर महिस्मती अर्जुन को सगे बेटे से कम नहीं मान रही थी..

महिस्मती अभी तक समझ नहीं पा रही थी कि ..अर्जुन कैसे बिना सोचे समझे उशे चोद राहा था.. जब कि अर्जुन आपने माँ को कभी गंदी नज़र से अभी तक नहीं देखा था..

महिस्मती आपनी दिमाग से - करन बेटा इतनी अच्छी तरह चुदाई का ज्ञान किधर से प्राप्त किया है.. ओर करन चाहता तो मेरी बिजली बेटी को भी चोद सकता था.. फिर मुझ जैसी आधी उमर की औरत को क्यों चोदा ?

एहि सब सोच सोच कर महिस्मती भीगी पलके से आपनी सारी कपड़े पहन कर सोने लगी ..पर महस्मती को कहां नींद आ रही थी..

रात के 3 बजे फिर से कोई आने का आभास हुआ.. महस्मती समझ चुकी थी कि करन फिर से आया है ..पर महस्मती फाटक से चदर को पूरी तरह से ओढ कर सो गेई..

अर्जुन जितना भी कोशिश किया.. महिस्मती चदर को कस के पकड़ कर रखी ..महस्मती की मजबूती दबाब से अर्जुन हस के महस्मती की कान में धीरे से..

अर्जुन - उतरा बाज़ी ..तू आज इतनी नखरे क्यों दिखा रही है..? एक बार ओर मेरे लन्ड की पानी से तेरी बच्चेदानी की मटकी भरले .. नहीं तो तेरी कोख में पल रहा मेरे बचा ताकतवर कैसे बनेगा..?

इतना सुनते ही महस्मती कि हवा निकल गेई.. उतरा कब पेट से है.. कहीं उतरा ने फटफटिया माँ की धमकी से अर्जुन के साथ चुदाई करके गर्भवती तो नहीं बनी ? पर अर्जुन तो सहर में रहेता है ..फिर कब ? कहीं पिछले बार अर्जुन ने मुझे ओर उतरा को एक साथ चोदा तो नहीं राहा था ? हाँ एहि सही है ...

अर्जुन आहिस्ते आहिस्ते महिस्मती माँ केकी चदर के अंदर घुस कर बड़े प्यार से ..

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अर्जुन - उतरा बाज़ी .. तू मुझे बच्चे से जवान मर्द बनाई है.. तू मेरी दुशरी माँ है ..जब तू खुद माँ नहीं बन पाई तब मेरा फ़र्ज़ है.. में तुझे माँ बनाऊं.. ओर तू मेरे लन्ड से पिछले बार चुद चुद कर गर्भवती बन चुकी है ..

अर्जुन - सबके दिखाबा केलिये तुझे रहर लेकर 4/5 दिन जमकर चुदाई करके ।।तुझे इधर इस काबिल में छोड़ दूंगा.. ताकि सबको लगे तू सहर के बड़े हाकिम के दबाई से तेरी सारी तकलीफ दूर हो चुकी है ..

इतना बोलकर अर्जुन महिस्मती की कान को चूमते हुए..
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अर्जुन - बाज़ी तेरी चुत के अंदर अजीब नासा है ..तुझे दिन में चुदाई करने से जो मज़ा मिलता है ..उस से कई गुना मज़ा तुझे रात को चुदाई करने में मिलता है.. जानती है क्यों ? क्यों कि रात के अंधेरे में तेरी चुत ने ज्यादा पानी छोड़ती है..

इतना सुनकर महिस्मती सरम से पानी पानी होने लगी.. आज पहेली बार महिस्मती ने आपने बेटे करन के मुंह से जवान मर्द के बोली सुन रही थी...


अर्जुन नसिले आवाज़ से - तेरी इस रात वाली चुत ने मुझे पागल बना दिया है ..मुझे पता नहीं में कौन हूँ.. पर मुझे अब पता चल चुका है ..तेरे चुत को सांत करने केलिये भगवान ने मुझे तेरे पास भेजा है ..इशिलिय तो तेरी चुत के अंदर मेरा लन्ड पूरा फिटिंग हो रहा है..

अर्जुन थोड़ा दर्द भरे आवज़ से - तुझे मेरे कसम.. तू कभी भी हमारे इस बचे को तकलीफ नहीं देगी .. चाहे तेरे पति को तू कुछ भी बोल पर ये बचा हम दोनों के प्यार का निशान है..में नहीं चाहता कि एक ओर लाबारिष करन रास्ते पर मेरी महिस्मती माँ को मिले..

इतना बोलकर अर्जुन ने महिस्मती को उतरा समझ कर बड़े प्यार से रोमांस कर कर के चुदाई करने लगा..
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जब अर्जुन का पिचकारी छूटने को हुआ तब अर्जुन ने - मेरे रस मलाई निकलने वाला है.. इश मलाई पर सबसे पहला तेरे हक है.. तूने ही तो इस करन को जेना सीखाया..

इतना सुनते ही महिस्मती की हाथ ऑटोमैटिक अर्जुन के कमर को कसने लगी.. जब अर्जुन ने सारा गर्मी महिस्मती की बच्चेदानी के अंदर उगाल दिया
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तब महिस्मती को आपनी हाथ पर गुसा आने लगीं..

इश बीच सहर के सड़कसे लेकर बिरजू के कबीले के बस्ती तक कची सड़क बन चुका था.. कुछ दिन के अंदर पक्का सड़क बन जाएगा.. आने जाने केलिये कोई दिकत नहीं था..

अनामिका ने अर्जुन को एक कार खरीदने केलिये मजबूर किया था .. अर्जुन कार खरीदने के बाद कार चलना सीखने के बाद आपने घर आने केलिये ज़िद किया था.

इशिलिय अनामिका ने ना चाहते हुए भी अर्जुन को 2 दिन का छूटी दिया था..

जब अर्जुन आपने कार के कबीले बस्ती के बाहर छोड़ कर गेया था..क्यों कि सड़क अभी भी पूरा नहीं बन पाया था.

अर्जुन के मेहेंगी कार को देख कर कबीले वाले सोचने लगे कि ये गाड़ी सहर के किसी बाबू के गाड़ी है..

महस्मती आपने मन में - अब मेरे अंदर आत्मा की बात मेरी मन और सरीर नहीं मान रही है.. क्या में करन के बचे को पीईदा करूँ ? पर कैसे ? उतरा के बापू तो मुझे पिछले 3 महीने से चोदा ही नहीं ?

तब महिस्मती की पापी मन - तेरा बेटा करन हाकिम बाबू की पाठ पढ़ रहा है ..ओर तुझे अब करन से खुल कर बात करनी पड़ेगी .. अगर करन चाहेगा तो तू इस मुसीबत से छुटकारा पा सकती है ..

इस कसमे कस उलझन में महिस्मती नींद की आगोस में चली गेई..

सुबह सुबह बिजली ने अपनी माँ महस्मती को उठा कर फिर से आपनी कमरे जा कर सो चुकी थी..

महिस्मती फटाफट तलाब की ओर भागने लगी ..महिस्मती आपनी सारी काम काज निपटा कर घरमे आकर घर की काम काज करने लगी..

महिस्मती ने देखा अर्जुन बिस्तर पर नहीं था.. महिस्मती फटाफट खाना बना कर किचेन रूम के अंदर आटा गौंद रही थी ..तब अर्जुन ने आकर महिस्मती को पीछे से बॉहों में भर के ..

अर्जुन खुसी से रोज़ की तरह - आज मेरी माँ दुनिया के सब से ज्यादा सुंदर दिख रही है..

इतनी सी बात सुनकर महिस्मती चुत ने फिर से अंगड़ाई लेने लगी..

आज पहली बार अर्जुन का प्यार महिस्मती को अलग महसूस हो रहा था.. क्यों कि अर्जुन नाहा धो कर वही गीले तोलिया से सीधा किचन रूम के अंदर घुसा हुया था..

इश वक़्त अर्जुन का लन्ड खड़ा नहीं था.. लेकिन लन्ड के उपर सिर्फ तोलिया नाम का परदा था..

महस्मती हस के आटे गौंद कर - सुना है तू आज सहर जा राहा है.. तो फिर क्यों आया था ?

अर्जुन पीछे से महिस्मती की गाल को एक प्यार भरा चुम्बन दे कर - तेरी याद ने मुझे खिंच कर ले आता है माँ..

इतना सुनते ही महिस्मती की गांड ऑटोमैटिक अर्जुन के लन्ड के उपर हल्की हल्की हिलने लागी..

महिस्मती बनावटी गुशे मे - चल झूठा..

इश बीच अर्जुन के लन्ड के उपर महिस्मती की गांड ज़रूरत से ज्यादा रगड़ रही थी..

आपनी माँ की ऐसी बदलाब को देख कर अर्जुन के दिल के धड़कन बढ़ चुका था..

क्यों कि जब तक अर्जुन कुछ समझ पाता तब तक अर्जुन का लन्ड पूरे औकात में आकर महिस्मती माँ की गांड के बीचों बीच फास चुका था..

तब पीछे से बिरजू ओर बिजली आकर महिस्मती को ..

बिरजू - उतरा की माँ में बिजली को लेकर उरी बेटी को लेने जा राहा हूँ..

महिस्मती - उतरा के साथ साथ मे भी सेहर जा रही हूं. आप उरी के साथ साथ मुर्मी को भी लेकर आ जाओ..

बिजली - बापू चलना.. आते आते देर हो जाएगी..

बिरजू ओर बिजली जाने के बाद उतरा आ कर - माँ तू क्यों सहर जाएगी और कुनमुन तेरे को पीछे से पकड़ कर क्यों खड़ा है..

अर्जुन चाह कर भी पीछे हो ना सका.. आगर अर्जुन पीछे हट जाता तो अर्जुन का 9 इंच का लंबा लन्ड सबके सामने आ जाता ..इशिलिय अर्जुन उतरा बाज़ी की जाने तक इंतजार किया..

महिस्मती हस के - उतरा तूझे जाने में देर हो रही है .. तू अभो पहाड़ी वाली देवी माँ की सिंदूर लेकर आजा.. फिर तेरी सारी सवाल का जबाब दूँगी.. अगर मेरे बेटे करन को शहर जाने में देर हो गेई तो तेरा जाना रद करदुंगी..

इतना सुनते ही इतरा दौड़ती हुई देबि माँ की ओर भाग निकली..

जब उतरा चली गेई तो अर्जुन राहत की सांस लिया.. अर्जुन महिस्मती के पीछे से हटने वाला था कि..

महिस्मती फिर से गांड को थोड़ी नचा कर - करन बेटा ..तू क्या बोल राहा था ?

अर्जुन - कौन सी बात माँ ?

महिस्मती - देखा ना ..दिखादो आपनी झूठा प्यार.. अभी अभी तू मुझे बोल राहा था.. मेरी प्यार ने तुझे सहर से कबीले की बस्ती तक खींच कर लेआया..

महिस्मती की दर्द भरी झूटी नाटक की आवाज़ ने अर्जुन के दिल को चीर कर रख दिया..

अर्जुन सब कुछ बर्दास्त कर सकता है केलिन आपनी माँ की आंखों में दर्द नहीं देख पा राहा था.. इशिलिय तो बिरजू अर्जुन के डर और प्यार के वाज़ा से महिस्मती को कुछ बोल नहीं पा राहा था..

अर्जुन आपने फुले हुए लन्ड का परवा ना करते हुए ..अपनी माँ की चेहरे की ओर दिमाग चलाने लगा..

अर्जुन - माँ तूने मुझे जंगल के बिरान से तेरे गौद में पनाह दिया है ..तेरे लिए में सारे दुनिया के सकती से लढ़ सकता हूँ..

महिस्मती हस के - फिर तूने तेरे बापू ओर बिलजी को देख कर आपनी माँ को प्यार करना क्यों छोड़ दिया ?

अर्जुन फिर से महिस्मती को पीछे से पकड़ कर - अब खुस ?

महिस्मती हस के - में तेरी माँ के साथ साथ सासु माँ भी हूँ ..

अर्जुन हस के महिस्मती को पीछे से कस कर पकडते हुए - तेरी नागिन बेटी बिजली को मेरे गले मे क्यों बांध रही है..

महिस्मती हस के - क्या करूँ.. अगर मेरी बस चलती तो में तुझे उतरा के साथ सादी करवा लेती.. पर क्या करूँ उतरा तुझसे 10 साल बड़ी है..

उतरा बाज़ी की नाम सुनते ही अर्जुन के लन्ड के अंदर तनाब आने लगा..

महिस्मती - में फटफटिया के साथ मेरी उतरा की सादी करके बहोत बड़ी गलती करदी.. रोज़ खिट खिट से अच्छा मेरी उतरा मेरी घर मे होती..

अर्जुन -होनी को कौन टाल सकता है माँ ..

महिस्मती - सुना है सहर के हाकिम के दबाई से औरत माँ बन जाती है ..करन तू कुछ भी कर .. मेरी उतरा बेटी को गर्भवती बना कर छोड़ना..

इतना सुनते ही अर्जुन का लन्ड बेचैन होने लगा.. महिस्मती ने चालाकी से आपनी साढ़ी की गांठ को आगे से खोल कर आपनी गांड को पीछे से नंगा कर चुकी थी..

अर्जुन खुद को हुसियार समझ कर - तेरी बात को में टाल सकता हूँ.. उतरा बाज़ी को गर्भवती बना कर ही छोडूंगा..

महिस्मती - ओर नहीं तो क्या .. मेरी उतरा की सरीर मेरी तरह भारी सरीर है.. जब में 4 बचे को पीईदा कर चुकी हूं.. मेरी उतरा बचा क्यों नहीं पीईदा कर सकती .. ज़रूर फटफटिया के अंदर कुछ कमी है..

अर्जुन - हां माँ फटफटिया के अंदर कमी है.. पर तु फिकर मत कर ..में किसी भो हालत में उतरा बाज़ी को गर्भवती बना दूँगा..

महिस्मती गाँड़ को इधर उधर हिला कर - कस तू मेरी उतरा से बड़ा होता तो में अब तक उतरा की बचो का नानी माँ बन चुकी होती..

इतना सुनते ही अर्जुन उतेजित होकर थोड़ा पीछे होने को हुया तो महिस्मती आपनी कसम दिला कर अर्जुन को आपनी पीछे से रख ली...

महिस्मती हस के - अच्छा करन .. तुझे उतरा अछि लगती है या बिजली ?

अर्जुन हस के - मुझे मेरी माँ सबसे अछि लगती है .

महिस्मती हस के - तो क्या तू तेरी माँ को गर्भवती बनाएगा..?

इतना बोलकर महस्मती ज़ोर से अर्जुन के लन्ड को पीछे से धके मारदी..

अर्जुन काफी हुसियार था ..अर्जुन ने नज़र नीचे झुका कर देखा महिस्मती माँ की गाँड़ पीछे से पूरी नंगी है.. लन्ड ओर गाँड़ के बीच सिर्फ तोलिया का पर्दा था.. ओर उशी पर्दे को महिस्मती माँ ने रगड़ रही थी..

सेक्स के विज्ञान को अर्जुन पूरी तरह से पढ़ चुका था.. अर्जुन ने देखा माँ की चेहरे लाल लाल पड़ चुकी थी..

अर्जुन आपने मन मे - सायद माँ को ..मेरे ओर उतरा बाज़ी के बीच नाज़ायज़ रिस्ते के बारे में भनक लग चुकी है.. इशिलिय माँ मुझे दूसरे तरीक़े से समझ रही है.. पर ये तरीका क्यों ?

तब अर्जुन के पापी मन ने - क्या माँ की दिल मे जान नहीं है.. ज़रा गौर से देख ..उतरा बाज़ी की सरीर की तरह माँ की सरीर भी गठीला है.. दोनो माँ बेटी के सरीर के नाप तोल किया जाए तो दोनों बराबर की लगेगी. दोनो में सिर्फ एक ही बदलाब है.. ओर वो है उमर की उतार चढाब..

अर्जुन थर थराता हुआआवाज़ में - माँ मुझे माफ़ करदे ..फटफटिया की माँ के वाज़ा से में उतरा बाज़ी के साथ...

बीच मैं महिस्मती हस के - मुझे सब पता है करन ..तू मेरा बेटा है ये तूने साबित करदिया..

अर्जुन थोड़ा डरते डरते - माँ , उतरा बाज़ी पिछले एक महीने से गर्भवती है ..

महिस्मती हस के - जानती हूँ मेरे लाल.. मुझे सब पता है ..

इतना बोलकर महिस्मती ने हल्के से तोलिया को नीचे के गाँड़ के ज़रिए उठाने की कोशिश किआ..

अर्जुन के पापी मन - सायद माँ को भी तेरे लन्ड से मज़ा मिल रही है.. जैसे माँ ने पीछे से साढ़ी खोल दिया है.. तू भी आगे से तोलिया को खोलदे यार..

अर्जुन का सोचने का सकती ख़तम हो चुका था.. अर्जुन ना चाहते हुए भी तोलिया को आगे से हटा दिया..

अब लन्ड सीधा महिस्मती की नंगी गाँड़ के दरार में दस्तक देने लगा..

अर्जुन डरते डरते - माँ तुझे कैसे पता चला ?

महिस्मती हस के आटे को गौंद कर - तुझे मालूम नहीं है.. पिछले 2 महीने से फटफटिया की माँ बीमार है.. इशिलिय उतरा रात को फटफटिया के घर पर रुकती है..

इतना सुनकर अर्जुन के दिमाग पर बम फूटने लगा.. अर्जुन समझ चुका था रात को अर्जुन जिशे उतरा समझ कर चुद चुका था.. वो उतरा बाज़ी नहीं बलकि माँ थी..

आज की अलग बदलाब को देख कर अर्जुन को सबकुछ समझ मे आ चुका था..

अर्जुन - माँ मुझे माफ़ करदे..में रात के अंधेरे में उतरा बाज़ी समझ कर ..

महिस्मती - काफी मांगने से क्या सबकुछ ठीक हो जाएगा ? क्या मेरे कोख में पल राहा बचा..

इतना सुनते ही अर्जुन का दिमाग फटने लगा..

अर्जुन के आँखों के सामने अंधेरा छाने लगा..

अर्जुन डरते डरते - ये कैसे संभब है ?

महिस्मती - क्यों संभब नहीं हो सकती ? सिर्फ तेरी उतरा बाज़ी के पास वो मटकी है ..जो मटकी उतरा की पास है ..उस से बड़ी मटकी मेरी पास है.. तू लगातार 15 रात मेरी मटकी के अंदर तेरा दही भरता राहा ..जब मटकी के अंदर दही जम गेई तब पूछता है कैसे संभब ?

अर्जुन काफी डरते डरते - अब क्या होगा माँ ?

महिस्मती आटा को पीस पीस कर धजिया उड़ाती हुई - तू क्या चाहता है ? क्या में इस बचे को गिरवा दूँ ?

अर्जुन फाटक से - हाँ..

महस्मती - क्या ?

अर्जुन - ना ..

महिस्मती - तू सोच के बता..हाँ या ना ?

अर्जुन - माँ तू बचा गिरवा दे ..

महिस्मती - पर मुझे लगता है मेरे कोख में बेटा है .. मेरे करन बेटे का बेटा है..

करन - पर माँ तू बापू को क्या जबाब देगी ?

महिस्मती गुशे से - सब गलती तेरे बापू का है .. तेरे बापू मुझे महीने में सिर्फ एक बार संभोग करते है .पिछले 2 महीनों से तेरे बापू वो भी बंद करदिये.. ओर जब तुझे में तेरे बापू समझ कर तेरे साथ पूरे 15 रात मजा करके गर्भबती हुई.. .

अर्जुन - माँ अगर 2 महीनों से बापू तेरे साथ नहीं सोये है ..तो तुझे ये बचा गिराना होगा ..

महिस्मती - करन मुझे आभास हो रही है मेरे कोख में बेटा है ..

अर्जुन - ठीक है माँ.. पर में नहीं चाहता कोई मेरी माँ को गंदी नज़र से देखे.. तू तो जानती है बापू इस कबीले का सरदार है...

महिस्मती अब आपनी दोनो टांग को चौड़ी करदी.. जिस से अर्जुन का लन्ड महिस्मती की चुत के दोनों ढकन के बीचों बीच फास गेया..

4/5 घंटे चुदी हुई चुत थी.. महिस्मती पीछे से दबाब देने से सुपाड़ा पच की आवाज़ स अंदर घुस गेया.

महिस्मती ssssshhhhhhhssssss की आवाज़ निकल कर - जिस तरह तूने उतरा को हाकिम बाबू के झूठे कहनी बना कर माँ बना देगा.. ठीक उसी तरह मुझे भी.

इतना बोलकर महिस्मती थोड़ी ओर ज़ोर लगाकर लन्ड को अंदर ले गेई..

अर्जुन भी थोड़ा ज़ोर लगा दिया..लन्ड पूरा जड़ तक घुस गेया..

अर्जुन लन्ड को आगे पीछे करते हुए - उतरा बाज़ी तो बचे केलिये ये सब कर रही है.. पर तेरी तो 4/4 बेटी है..

बच्चेदानी के अंदर सुपाड़ा घुसते ही महिस्मती ने फाटक से बदन से साढ़ी को फेंक कर वही किचन रूम के चारपाई पर पीठ के बल लेट कर दोनो पर को बिपरीत दिसा में फैला कर अर्जुन को चुदाई करने केलिये बुलाई..

अर्जुन भी फाटक से महस्मती माँ के ऊपर चढ़ के ताबर तोड़ प्रहार करने लगा..
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महिस्मती अर्जुन के मूसल का आनंद लेती हुई - में मानती हूं मेरी 4/4 जवान बेटी है..पर वो सब किसी ओर के बेटी है.. में चहिती हूँ ..मेरी कोख में मेरे करन का भी एक बचा हो जाये..

अर्जुन ज़ोर ज़ोर से धके मार कर - कैसे संभब होगा माँ ?

महिस्मती चुदाई का आनंद लेती हुई - तेरे बापू ओर उतरा को आने दो ..में कुछ नाटक करती हूँ..

फिर अर्जुन ने कुछ मिनट के अंदर अपना सारा ज़हर को महिस्मती माँ की बच्चेदानी के अंदर भर दिया.
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KABUL HE :- 14
****************


महिस्मती अपनि मन में - मादरचोद की हिमत को माननी पड़ेगी.. मेरे घर मे , मेरे ही बिस्तर पर ..मुझे चोद कर मेरे पति के तरह सो रहा है..

इतना सोच कर महिस्मती उठने ही वाली थी कि अर्जुन ने फाटक से उठ कर बाहर जाने लगा..

अर्जुन जैसे ही रूम से बाहर निकला वेसे ही महिस्मती आपनी साढ़ी से आपनी नंगी बदन पर लपेट कर दबे पेर अर्जुन के पीछे पीछे जाने लगी..

अर्जुन फाटक से लाइट on करके पानी पीने लगा.. अर्जुन को नंगा देख कर महिस्मती की पेर के तले जमीन फिसलने लगी..

अब सारे माज़रा महिस्मती की दिमाग पर आ चुकी थी..

पिछले महीने जो अनजान मर्द महिस्मती को पूरे 15 दिन तक चोद चोद कर गर्भवती बनाया है ये कोई और नहीं महिस्मती का बेटा करन निकला..

महिस्मती समझ गेई थीं कि करन सहर जाने के बाद अचानक महिस्मती की चुदाई क्यों रुक गेई थी..

घर मे लाइट रोशनी के उजाले में अर्जुन का आधा खड़ा खतरनाक लुंड ओर लन्ड के चारो तरफ लगे महिस्मती ओर अर्जुन के मिला जुला सफेद रास महिस्मती को साफ साफ दिखाई दे रहा था..

महिस्मती की दिमाग काम करना बंद करदी.. जिस करन को महिस्मती छोटा बच्चा अभी तक समझ रही थी ..वही करन अब महिस्मती की बच्चेदानी के अंदर आपने बिज़्ज डालकर बचा ठेहैरा चुका था..

भले ही बस्ती वाले अर्जुन को बिरजू ओर महिस्मती के दामाद मानते थे.. पर महिस्मती अर्जुन को सगे बेटे से कम नहीं मान रही थी..

महिस्मती अभी तक समझ नहीं पा रही थी कि ..अर्जुन कैसे बिना सोचे समझे उशे चोद राहा था.. जब कि अर्जुन आपने माँ को कभी गंदी नज़र से अभी तक नहीं देखा था..

महिस्मती आपनी दिमाग से - करन बेटा इतनी अच्छी तरह चुदाई का ज्ञान किधर से प्राप्त किया है.. ओर करन चाहता तो मेरी बिजली बेटी को भी चोद सकता था.. फिर मुझ जैसी आधी उमर की औरत को क्यों चोदा ?

एहि सब सोच सोच कर महिस्मती भीगी पलके से आपनी सारी कपड़े पहन कर सोने लगी ..पर महस्मती को कहां नींद आ रही थी..

रात के 3 बजे फिर से कोई आने का आभास हुआ.. महस्मती समझ चुकी थी कि करन फिर से आया है ..पर महस्मती फाटक से चदर को पूरी तरह से ओढ कर सो गेई..

अर्जुन जितना भी कोशिश किया.. महिस्मती चदर को कस के पकड़ कर रखी ..महस्मती की मजबूती दबाब से अर्जुन हस के महस्मती की कान में धीरे से..

अर्जुन - उतरा बाज़ी ..तू आज इतनी नखरे क्यों दिखा रही है..? एक बार ओर मेरे लन्ड की पानी से तेरी बच्चेदानी की मटकी भरले .. नहीं तो तेरी कोख में पल रहा मेरे बचा ताकतवर कैसे बनेगा..?

इतना सुनते ही महस्मती कि हवा निकल गेई.. उतरा कब पेट से है.. कहीं उतरा ने फटफटिया माँ की धमकी से अर्जुन के साथ चुदाई करके गर्भवती तो नहीं बनी ? पर अर्जुन तो सहर में रहेता है ..फिर कब ? कहीं पिछले बार अर्जुन ने मुझे ओर उतरा को एक साथ चोदा तो नहीं राहा था ? हाँ एहि सही है ...

अर्जुन आहिस्ते आहिस्ते महिस्मती माँ केकी चदर के अंदर घुस कर बड़े प्यार से ..

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अर्जुन - उतरा बाज़ी .. तू मुझे बच्चे से जवान मर्द बनाई है.. तू मेरी दुशरी माँ है ..जब तू खुद माँ नहीं बन पाई तब मेरा फ़र्ज़ है.. में तुझे माँ बनाऊं.. ओर तू मेरे लन्ड से पिछले बार चुद चुद कर गर्भवती बन चुकी है ..

अर्जुन - सबके दिखाबा केलिये तुझे रहर लेकर 4/5 दिन जमकर चुदाई करके ।।तुझे इधर इस काबिल में छोड़ दूंगा.. ताकि सबको लगे तू सहर के बड़े हाकिम के दबाई से तेरी सारी तकलीफ दूर हो चुकी है ..

इतना बोलकर अर्जुन महिस्मती की कान को चूमते हुए..
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अर्जुन - बाज़ी तेरी चुत के अंदर अजीब नासा है ..तुझे दिन में चुदाई करने से जो मज़ा मिलता है ..उस से कई गुना मज़ा तुझे रात को चुदाई करने में मिलता है.. जानती है क्यों ? क्यों कि रात के अंधेरे में तेरी चुत ने ज्यादा पानी छोड़ती है..

इतना सुनकर महिस्मती सरम से पानी पानी होने लगी.. आज पहेली बार महिस्मती ने आपने बेटे करन के मुंह से जवान मर्द के बोली सुन रही थी...


अर्जुन नसिले आवाज़ से - तेरी इस रात वाली चुत ने मुझे पागल बना दिया है ..मुझे पता नहीं में कौन हूँ.. पर मुझे अब पता चल चुका है ..तेरे चुत को सांत करने केलिये भगवान ने मुझे तेरे पास भेजा है ..इशिलिय तो तेरी चुत के अंदर मेरा लन्ड पूरा फिटिंग हो रहा है..

अर्जुन थोड़ा दर्द भरे आवज़ से - तुझे मेरे कसम.. तू कभी भी हमारे इस बचे को तकलीफ नहीं देगी .. चाहे तेरे पति को तू कुछ भी बोल पर ये बचा हम दोनों के प्यार का निशान है..में नहीं चाहता कि एक ओर लाबारिष करन रास्ते पर मेरी महिस्मती माँ को मिले..

इतना बोलकर अर्जुन ने महिस्मती को उतरा समझ कर बड़े प्यार से रोमांस कर कर के चुदाई करने लगा..
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जब अर्जुन का पिचकारी छूटने को हुआ तब अर्जुन ने - मेरे रस मलाई निकलने वाला है.. इश मलाई पर सबसे पहला तेरे हक है.. तूने ही तो इस करन को जेना सीखाया..

इतना सुनते ही महिस्मती की हाथ ऑटोमैटिक अर्जुन के कमर को कसने लगी.. जब अर्जुन ने सारा गर्मी महिस्मती की बच्चेदानी के अंदर उगाल दिया
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तब महिस्मती को आपनी हाथ पर गुसा आने लगीं..

इश बीच सहर के सड़कसे लेकर बिरजू के कबीले के बस्ती तक कची सड़क बन चुका था.. कुछ दिन के अंदर पक्का सड़क बन जाएगा.. आने जाने केलिये कोई दिकत नहीं था..

अनामिका ने अर्जुन को एक कार खरीदने केलिये मजबूर किया था .. अर्जुन कार खरीदने के बाद कार चलना सीखने के बाद आपने घर आने केलिये ज़िद किया था.

इशिलिय अनामिका ने ना चाहते हुए भी अर्जुन को 2 दिन का छूटी दिया था..

जब अर्जुन आपने कार के कबीले बस्ती के बाहर छोड़ कर गेया था..क्यों कि सड़क अभी भी पूरा नहीं बन पाया था.

अर्जुन के मेहेंगी कार को देख कर कबीले वाले सोचने लगे कि ये गाड़ी सहर के किसी बाबू के गाड़ी है..

महस्मती आपने मन में - अब मेरे अंदर आत्मा की बात मेरी मन और सरीर नहीं मान रही है.. क्या में करन के बचे को पीईदा करूँ ? पर कैसे ? उतरा के बापू तो मुझे पिछले 3 महीने से चोदा ही नहीं ?

तब महिस्मती की पापी मन - तेरा बेटा करन हाकिम बाबू की पाठ पढ़ रहा है ..ओर तुझे अब करन से खुल कर बात करनी पड़ेगी .. अगर करन चाहेगा तो तू इस मुसीबत से छुटकारा पा सकती है ..

इस कसमे कस उलझन में महिस्मती नींद की आगोस में चली गेई..

सुबह सुबह बिजली ने अपनी माँ महस्मती को उठा कर फिर से आपनी कमरे जा कर सो चुकी थी..

महिस्मती फटाफट तलाब की ओर भागने लगी ..महिस्मती आपनी सारी काम काज निपटा कर घरमे आकर घर की काम काज करने लगी..

महिस्मती ने देखा अर्जुन बिस्तर पर नहीं था.. महिस्मती फटाफट खाना बना कर किचेन रूम के अंदर आटा गौंद रही थी ..तब अर्जुन ने आकर महिस्मती को पीछे से बॉहों में भर के ..

अर्जुन खुसी से रोज़ की तरह - आज मेरी माँ दुनिया के सब से ज्यादा सुंदर दिख रही है..

इतनी सी बात सुनकर महिस्मती चुत ने फिर से अंगड़ाई लेने लगी..

आज पहली बार अर्जुन का प्यार महिस्मती को अलग महसूस हो रहा था.. क्यों कि अर्जुन नाहा धो कर वही गीले तोलिया से सीधा किचन रूम के अंदर घुसा हुया था..

इश वक़्त अर्जुन का लन्ड खड़ा नहीं था.. लेकिन लन्ड के उपर सिर्फ तोलिया नाम का परदा था..

महस्मती हस के आटे गौंद कर - सुना है तू आज सहर जा राहा है.. तो फिर क्यों आया था ?

अर्जुन पीछे से महिस्मती की गाल को एक प्यार भरा चुम्बन दे कर - तेरी याद ने मुझे खिंच कर ले आता है माँ..

इतना सुनते ही महिस्मती की गांड ऑटोमैटिक अर्जुन के लन्ड के उपर हल्की हल्की हिलने लागी..

महिस्मती बनावटी गुशे मे - चल झूठा..

इश बीच अर्जुन के लन्ड के उपर महिस्मती की गांड ज़रूरत से ज्यादा रगड़ रही थी..

आपनी माँ की ऐसी बदलाब को देख कर अर्जुन के दिल के धड़कन बढ़ चुका था..

क्यों कि जब तक अर्जुन कुछ समझ पाता तब तक अर्जुन का लन्ड पूरे औकात में आकर महिस्मती माँ की गांड के बीचों बीच फास चुका था..

तब पीछे से बिरजू ओर बिजली आकर महिस्मती को ..

बिरजू - उतरा की माँ में बिजली को लेकर उरी बेटी को लेने जा राहा हूँ..

महिस्मती - उतरा के साथ साथ मे भी सेहर जा रही हूं. आप उरी के साथ साथ मुर्मी को भी लेकर आ जाओ..

बिजली - बापू चलना.. आते आते देर हो जाएगी..

बिरजू ओर बिजली जाने के बाद उतरा आ कर - माँ तू क्यों सहर जाएगी और कुनमुन तेरे को पीछे से पकड़ कर क्यों खड़ा है..

अर्जुन चाह कर भी पीछे हो ना सका.. आगर अर्जुन पीछे हट जाता तो अर्जुन का 9 इंच का लंबा लन्ड सबके सामने आ जाता ..इशिलिय अर्जुन उतरा बाज़ी की जाने तक इंतजार किया..

महिस्मती हस के - उतरा तूझे जाने में देर हो रही है .. तू अभो पहाड़ी वाली देवी माँ की सिंदूर लेकर आजा.. फिर तेरी सारी सवाल का जबाब दूँगी.. अगर मेरे बेटे करन को शहर जाने में देर हो गेई तो तेरा जाना रद करदुंगी..

इतना सुनते ही इतरा दौड़ती हुई देबि माँ की ओर भाग निकली..

जब उतरा चली गेई तो अर्जुन राहत की सांस लिया.. अर्जुन महिस्मती के पीछे से हटने वाला था कि..

महिस्मती फिर से गांड को थोड़ी नचा कर - करन बेटा ..तू क्या बोल राहा था ?

अर्जुन - कौन सी बात माँ ?

महिस्मती - देखा ना ..दिखादो आपनी झूठा प्यार.. अभी अभी तू मुझे बोल राहा था.. मेरी प्यार ने तुझे सहर से कबीले की बस्ती तक खींच कर लेआया..

महिस्मती की दर्द भरी झूटी नाटक की आवाज़ ने अर्जुन के दिल को चीर कर रख दिया..

अर्जुन सब कुछ बर्दास्त कर सकता है केलिन आपनी माँ की आंखों में दर्द नहीं देख पा राहा था.. इशिलिय तो बिरजू अर्जुन के डर और प्यार के वाज़ा से महिस्मती को कुछ बोल नहीं पा राहा था..

अर्जुन आपने फुले हुए लन्ड का परवा ना करते हुए ..अपनी माँ की चेहरे की ओर दिमाग चलाने लगा..

अर्जुन - माँ तूने मुझे जंगल के बिरान से तेरे गौद में पनाह दिया है ..तेरे लिए में सारे दुनिया के सकती से लढ़ सकता हूँ..

महिस्मती हस के - फिर तूने तेरे बापू ओर बिलजी को देख कर आपनी माँ को प्यार करना क्यों छोड़ दिया ?

अर्जुन फिर से महिस्मती को पीछे से पकड़ कर - अब खुस ?

महिस्मती हस के - में तेरी माँ के साथ साथ सासु माँ भी हूँ ..

अर्जुन हस के महिस्मती को पीछे से कस कर पकडते हुए - तेरी नागिन बेटी बिजली को मेरे गले मे क्यों बांध रही है..

महिस्मती हस के - क्या करूँ.. अगर मेरी बस चलती तो में तुझे उतरा के साथ सादी करवा लेती.. पर क्या करूँ उतरा तुझसे 10 साल बड़ी है..

उतरा बाज़ी की नाम सुनते ही अर्जुन के लन्ड के अंदर तनाब आने लगा..

महिस्मती - में फटफटिया के साथ मेरी उतरा की सादी करके बहोत बड़ी गलती करदी.. रोज़ खिट खिट से अच्छा मेरी उतरा मेरी घर मे होती..

अर्जुन -होनी को कौन टाल सकता है माँ ..

महिस्मती - सुना है सहर के हाकिम के दबाई से औरत माँ बन जाती है ..करन तू कुछ भी कर .. मेरी उतरा बेटी को गर्भवती बना कर छोड़ना..

इतना सुनते ही अर्जुन का लन्ड बेचैन होने लगा.. महिस्मती ने चालाकी से आपनी साढ़ी की गांठ को आगे से खोल कर आपनी गांड को पीछे से नंगा कर चुकी थी..

अर्जुन खुद को हुसियार समझ कर - तेरी बात को में टाल सकता हूँ.. उतरा बाज़ी को गर्भवती बना कर ही छोडूंगा..

महिस्मती - ओर नहीं तो क्या .. मेरी उतरा की सरीर मेरी तरह भारी सरीर है.. जब में 4 बचे को पीईदा कर चुकी हूं.. मेरी उतरा बचा क्यों नहीं पीईदा कर सकती .. ज़रूर फटफटिया के अंदर कुछ कमी है..

अर्जुन - हां माँ फटफटिया के अंदर कमी है.. पर तु फिकर मत कर ..में किसी भो हालत में उतरा बाज़ी को गर्भवती बना दूँगा..

महिस्मती गाँड़ को इधर उधर हिला कर - कस तू मेरी उतरा से बड़ा होता तो में अब तक उतरा की बचो का नानी माँ बन चुकी होती..

इतना सुनते ही अर्जुन उतेजित होकर थोड़ा पीछे होने को हुया तो महिस्मती आपनी कसम दिला कर अर्जुन को आपनी पीछे से रख ली...

महिस्मती हस के - अच्छा करन .. तुझे उतरा अछि लगती है या बिजली ?

अर्जुन हस के - मुझे मेरी माँ सबसे अछि लगती है .

महिस्मती हस के - तो क्या तू तेरी माँ को गर्भवती बनाएगा..?

इतना बोलकर महस्मती ज़ोर से अर्जुन के लन्ड को पीछे से धके मारदी..

अर्जुन काफी हुसियार था ..अर्जुन ने नज़र नीचे झुका कर देखा महिस्मती माँ की गाँड़ पीछे से पूरी नंगी है.. लन्ड ओर गाँड़ के बीच सिर्फ तोलिया का पर्दा था.. ओर उशी पर्दे को महिस्मती माँ ने रगड़ रही थी..

सेक्स के विज्ञान को अर्जुन पूरी तरह से पढ़ चुका था.. अर्जुन ने देखा माँ की चेहरे लाल लाल पड़ चुकी थी..

अर्जुन आपने मन मे - सायद माँ को ..मेरे ओर उतरा बाज़ी के बीच नाज़ायज़ रिस्ते के बारे में भनक लग चुकी है.. इशिलिय माँ मुझे दूसरे तरीक़े से समझ रही है.. पर ये तरीका क्यों ?

तब अर्जुन के पापी मन ने - क्या माँ की दिल मे जान नहीं है.. ज़रा गौर से देख ..उतरा बाज़ी की सरीर की तरह माँ की सरीर भी गठीला है.. दोनो माँ बेटी के सरीर के नाप तोल किया जाए तो दोनों बराबर की लगेगी. दोनो में सिर्फ एक ही बदलाब है.. ओर वो है उमर की उतार चढाब..

अर्जुन थर थराता हुआआवाज़ में - माँ मुझे माफ़ करदे ..फटफटिया की माँ के वाज़ा से में उतरा बाज़ी के साथ...

बीच मैं महिस्मती हस के - मुझे सब पता है करन ..तू मेरा बेटा है ये तूने साबित करदिया..

अर्जुन थोड़ा डरते डरते - माँ , उतरा बाज़ी पिछले एक महीने से गर्भवती है ..

महिस्मती हस के - जानती हूँ मेरे लाल.. मुझे सब पता है ..

इतना बोलकर महिस्मती ने हल्के से तोलिया को नीचे के गाँड़ के ज़रिए उठाने की कोशिश किआ..

अर्जुन के पापी मन - सायद माँ को भी तेरे लन्ड से मज़ा मिल रही है.. जैसे माँ ने पीछे से साढ़ी खोल दिया है.. तू भी आगे से तोलिया को खोलदे यार..

अर्जुन का सोचने का सकती ख़तम हो चुका था.. अर्जुन ना चाहते हुए भी तोलिया को आगे से हटा दिया..

अब लन्ड सीधा महिस्मती की नंगी गाँड़ के दरार में दस्तक देने लगा..

अर्जुन डरते डरते - माँ तुझे कैसे पता चला ?

महिस्मती हस के आटे को गौंद कर - तुझे मालूम नहीं है.. पिछले 2 महीने से फटफटिया की माँ बीमार है.. इशिलिय उतरा रात को फटफटिया के घर पर रुकती है..

इतना सुनकर अर्जुन के दिमाग पर बम फूटने लगा.. अर्जुन समझ चुका था रात को अर्जुन जिशे उतरा समझ कर चुद चुका था.. वो उतरा बाज़ी नहीं बलकि माँ थी..

आज की अलग बदलाब को देख कर अर्जुन को सबकुछ समझ मे आ चुका था..

अर्जुन - माँ मुझे माफ़ करदे..में रात के अंधेरे में उतरा बाज़ी समझ कर ..

महिस्मती - काफी मांगने से क्या सबकुछ ठीक हो जाएगा ? क्या मेरे कोख में पल राहा बचा..

इतना सुनते ही अर्जुन का दिमाग फटने लगा..

अर्जुन के आँखों के सामने अंधेरा छाने लगा..

अर्जुन डरते डरते - ये कैसे संभब है ?

महिस्मती - क्यों संभब नहीं हो सकती ? सिर्फ तेरी उतरा बाज़ी के पास वो मटकी है ..जो मटकी उतरा की पास है ..उस से बड़ी मटकी मेरी पास है.. तू लगातार 15 रात मेरी मटकी के अंदर तेरा दही भरता राहा ..जब मटकी के अंदर दही जम गेई तब पूछता है कैसे संभब ?

अर्जुन काफी डरते डरते - अब क्या होगा माँ ?

महिस्मती आटा को पीस पीस कर धजिया उड़ाती हुई - तू क्या चाहता है ? क्या में इस बचे को गिरवा दूँ ?

अर्जुन फाटक से - हाँ..

महस्मती - क्या ?

अर्जुन - ना ..

महिस्मती - तू सोच के बता..हाँ या ना ?

अर्जुन - माँ तू बचा गिरवा दे ..

महिस्मती - पर मुझे लगता है मेरे कोख में बेटा है .. मेरे करन बेटे का बेटा है..

करन - पर माँ तू बापू को क्या जबाब देगी ?

महिस्मती गुशे से - सब गलती तेरे बापू का है .. तेरे बापू मुझे महीने में सिर्फ एक बार संभोग करते है .पिछले 2 महीनों से तेरे बापू वो भी बंद करदिये.. ओर जब तुझे में तेरे बापू समझ कर तेरे साथ पूरे 15 रात मजा करके गर्भबती हुई.. .

अर्जुन - माँ अगर 2 महीनों से बापू तेरे साथ नहीं सोये है ..तो तुझे ये बचा गिराना होगा ..

महिस्मती - करन मुझे आभास हो रही है मेरे कोख में बेटा है ..

अर्जुन - ठीक है माँ.. पर में नहीं चाहता कोई मेरी माँ को गंदी नज़र से देखे.. तू तो जानती है बापू इस कबीले का सरदार है...

महिस्मती अब आपनी दोनो टांग को चौड़ी करदी.. जिस से अर्जुन का लन्ड महिस्मती की चुत के दोनों ढकन के बीचों बीच फास गेया..

4/5 घंटे चुदी हुई चुत थी.. महिस्मती पीछे से दबाब देने से सुपाड़ा पच की आवाज़ स अंदर घुस गेया.

महिस्मती ssssshhhhhhhssssss की आवाज़ निकल कर - जिस तरह तूने उतरा को हाकिम बाबू के झूठे कहनी बना कर माँ बना देगा.. ठीक उसी तरह मुझे भी.

इतना बोलकर महिस्मती थोड़ी ओर ज़ोर लगाकर लन्ड को अंदर ले गेई..

अर्जुन भी थोड़ा ज़ोर लगा दिया..लन्ड पूरा जड़ तक घुस गेया..

अर्जुन लन्ड को आगे पीछे करते हुए - उतरा बाज़ी तो बचे केलिये ये सब कर रही है.. पर तेरी तो 4/4 बेटी है..

बच्चेदानी के अंदर सुपाड़ा घुसते ही महिस्मती ने फाटक से बदन से साढ़ी को फेंक कर वही किचन रूम के चारपाई पर पीठ के बल लेट कर दोनो पर को बिपरीत दिसा में फैला कर अर्जुन को चुदाई करने केलिये बुलाई..

अर्जुन भी फाटक से महस्मती माँ के ऊपर चढ़ के ताबर तोड़ प्रहार करने लगा..
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महिस्मती अर्जुन के मूसल का आनंद लेती हुई - में मानती हूं मेरी 4/4 जवान बेटी है..पर वो सब किसी ओर के बेटी है.. में चहिती हूँ ..मेरी कोख में मेरे करन का भी एक बचा हो जाये..

अर्जुन ज़ोर ज़ोर से धके मार कर - कैसे संभब होगा माँ ?

महिस्मती चुदाई का आनंद लेती हुई - तेरे बापू ओर उतरा को आने दो ..में कुछ नाटक करती हूँ..

फिर अर्जुन ने कुछ मिनट के अंदर अपना सारा ज़हर को महिस्मती माँ की बच्चेदानी के अंदर भर दिया.
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KABUL HE :- 14
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महिस्मती अपनि मन में - मादरचोद की हिमत को माननी पड़ेगी.. मेरे घर मे , मेरे ही बिस्तर पर ..मुझे चोद कर मेरे पति के तरह सो रहा है..

इतना सोच कर महिस्मती उठने ही वाली थी कि अर्जुन ने फाटक से उठ कर बाहर जाने लगा..

अर्जुन जैसे ही रूम से बाहर निकला वेसे ही महिस्मती आपनी साढ़ी से आपनी नंगी बदन पर लपेट कर दबे पेर अर्जुन के पीछे पीछे जाने लगी..

अर्जुन फाटक से लाइट on करके पानी पीने लगा.. अर्जुन को नंगा देख कर महिस्मती की पेर के तले जमीन फिसलने लगी..

अब सारे माज़रा महिस्मती की दिमाग पर आ चुकी थी..

पिछले महीने जो अनजान मर्द महिस्मती को पूरे 15 दिन तक चोद चोद कर गर्भवती बनाया है ये कोई और नहीं महिस्मती का बेटा करन निकला..

महिस्मती समझ गेई थीं कि करन सहर जाने के बाद अचानक महिस्मती की चुदाई क्यों रुक गेई थी..

घर मे लाइट रोशनी के उजाले में अर्जुन का आधा खड़ा खतरनाक लुंड ओर लन्ड के चारो तरफ लगे महिस्मती ओर अर्जुन के मिला जुला सफेद रास महिस्मती को साफ साफ दिखाई दे रहा था..

महिस्मती की दिमाग काम करना बंद करदी.. जिस करन को महिस्मती छोटा बच्चा अभी तक समझ रही थी ..वही करन अब महिस्मती की बच्चेदानी के अंदर आपने बिज़्ज डालकर बचा ठेहैरा चुका था..

भले ही बस्ती वाले अर्जुन को बिरजू ओर महिस्मती के दामाद मानते थे.. पर महिस्मती अर्जुन को सगे बेटे से कम नहीं मान रही थी..

महिस्मती अभी तक समझ नहीं पा रही थी कि ..अर्जुन कैसे बिना सोचे समझे उशे चोद राहा था.. जब कि अर्जुन आपने माँ को कभी गंदी नज़र से अभी तक नहीं देखा था..

महिस्मती आपनी दिमाग से - करन बेटा इतनी अच्छी तरह चुदाई का ज्ञान किधर से प्राप्त किया है.. ओर करन चाहता तो मेरी बिजली बेटी को भी चोद सकता था.. फिर मुझ जैसी आधी उमर की औरत को क्यों चोदा ?

एहि सब सोच सोच कर महिस्मती भीगी पलके से आपनी सारी कपड़े पहन कर सोने लगी ..पर महस्मती को कहां नींद आ रही थी..

रात के 3 बजे फिर से कोई आने का आभास हुआ.. महस्मती समझ चुकी थी कि करन फिर से आया है ..पर महस्मती फाटक से चदर को पूरी तरह से ओढ कर सो गेई..

अर्जुन जितना भी कोशिश किया.. महिस्मती चदर को कस के पकड़ कर रखी ..महस्मती की मजबूती दबाब से अर्जुन हस के महस्मती की कान में धीरे से..

अर्जुन - उतरा बाज़ी ..तू आज इतनी नखरे क्यों दिखा रही है..? एक बार ओर मेरे लन्ड की पानी से तेरी बच्चेदानी की मटकी भरले .. नहीं तो तेरी कोख में पल रहा मेरे बचा ताकतवर कैसे बनेगा..?

इतना सुनते ही महस्मती कि हवा निकल गेई.. उतरा कब पेट से है.. कहीं उतरा ने फटफटिया माँ की धमकी से अर्जुन के साथ चुदाई करके गर्भवती तो नहीं बनी ? पर अर्जुन तो सहर में रहेता है ..फिर कब ? कहीं पिछले बार अर्जुन ने मुझे ओर उतरा को एक साथ चोदा तो नहीं राहा था ? हाँ एहि सही है ...

अर्जुन आहिस्ते आहिस्ते महिस्मती माँ केकी चदर के अंदर घुस कर बड़े प्यार से ..

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अर्जुन - उतरा बाज़ी .. तू मुझे बच्चे से जवान मर्द बनाई है.. तू मेरी दुशरी माँ है ..जब तू खुद माँ नहीं बन पाई तब मेरा फ़र्ज़ है.. में तुझे माँ बनाऊं.. ओर तू मेरे लन्ड से पिछले बार चुद चुद कर गर्भवती बन चुकी है ..

अर्जुन - सबके दिखाबा केलिये तुझे रहर लेकर 4/5 दिन जमकर चुदाई करके ।।तुझे इधर इस काबिल में छोड़ दूंगा.. ताकि सबको लगे तू सहर के बड़े हाकिम के दबाई से तेरी सारी तकलीफ दूर हो चुकी है ..

इतना बोलकर अर्जुन महिस्मती की कान को चूमते हुए..
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अर्जुन - बाज़ी तेरी चुत के अंदर अजीब नासा है ..तुझे दिन में चुदाई करने से जो मज़ा मिलता है ..उस से कई गुना मज़ा तुझे रात को चुदाई करने में मिलता है.. जानती है क्यों ? क्यों कि रात के अंधेरे में तेरी चुत ने ज्यादा पानी छोड़ती है..

इतना सुनकर महिस्मती सरम से पानी पानी होने लगी.. आज पहेली बार महिस्मती ने आपने बेटे करन के मुंह से जवान मर्द के बोली सुन रही थी...


अर्जुन नसिले आवाज़ से - तेरी इस रात वाली चुत ने मुझे पागल बना दिया है ..मुझे पता नहीं में कौन हूँ.. पर मुझे अब पता चल चुका है ..तेरे चुत को सांत करने केलिये भगवान ने मुझे तेरे पास भेजा है ..इशिलिय तो तेरी चुत के अंदर मेरा लन्ड पूरा फिटिंग हो रहा है..

अर्जुन थोड़ा दर्द भरे आवज़ से - तुझे मेरे कसम.. तू कभी भी हमारे इस बचे को तकलीफ नहीं देगी .. चाहे तेरे पति को तू कुछ भी बोल पर ये बचा हम दोनों के प्यार का निशान है..में नहीं चाहता कि एक ओर लाबारिष करन रास्ते पर मेरी महिस्मती माँ को मिले..

इतना बोलकर अर्जुन ने महिस्मती को उतरा समझ कर बड़े प्यार से रोमांस कर कर के चुदाई करने लगा..
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जब अर्जुन का पिचकारी छूटने को हुआ तब अर्जुन ने - मेरे रस मलाई निकलने वाला है.. इश मलाई पर सबसे पहला तेरे हक है.. तूने ही तो इस करन को जेना सीखाया..

इतना सुनते ही महिस्मती की हाथ ऑटोमैटिक अर्जुन के कमर को कसने लगी.. जब अर्जुन ने सारा गर्मी महिस्मती की बच्चेदानी के अंदर उगाल दिया
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तब महिस्मती को आपनी हाथ पर गुसा आने लगीं..

इश बीच सहर के सड़कसे लेकर बिरजू के कबीले के बस्ती तक कची सड़क बन चुका था.. कुछ दिन के अंदर पक्का सड़क बन जाएगा.. आने जाने केलिये कोई दिकत नहीं था..

अनामिका ने अर्जुन को एक कार खरीदने केलिये मजबूर किया था .. अर्जुन कार खरीदने के बाद कार चलना सीखने के बाद आपने घर आने केलिये ज़िद किया था.

इशिलिय अनामिका ने ना चाहते हुए भी अर्जुन को 2 दिन का छूटी दिया था..

जब अर्जुन आपने कार के कबीले बस्ती के बाहर छोड़ कर गेया था..क्यों कि सड़क अभी भी पूरा नहीं बन पाया था.

अर्जुन के मेहेंगी कार को देख कर कबीले वाले सोचने लगे कि ये गाड़ी सहर के किसी बाबू के गाड़ी है..

महस्मती आपने मन में - अब मेरे अंदर आत्मा की बात मेरी मन और सरीर नहीं मान रही है.. क्या में करन के बचे को पीईदा करूँ ? पर कैसे ? उतरा के बापू तो मुझे पिछले 3 महीने से चोदा ही नहीं ?

तब महिस्मती की पापी मन - तेरा बेटा करन हाकिम बाबू की पाठ पढ़ रहा है ..ओर तुझे अब करन से खुल कर बात करनी पड़ेगी .. अगर करन चाहेगा तो तू इस मुसीबत से छुटकारा पा सकती है ..

इस कसमे कस उलझन में महिस्मती नींद की आगोस में चली गेई..

सुबह सुबह बिजली ने अपनी माँ महस्मती को उठा कर फिर से आपनी कमरे जा कर सो चुकी थी..

महिस्मती फटाफट तलाब की ओर भागने लगी ..महिस्मती आपनी सारी काम काज निपटा कर घरमे आकर घर की काम काज करने लगी..

महिस्मती ने देखा अर्जुन बिस्तर पर नहीं था.. महिस्मती फटाफट खाना बना कर किचेन रूम के अंदर आटा गौंद रही थी ..तब अर्जुन ने आकर महिस्मती को पीछे से बॉहों में भर के ..

अर्जुन खुसी से रोज़ की तरह - आज मेरी माँ दुनिया के सब से ज्यादा सुंदर दिख रही है..

इतनी सी बात सुनकर महिस्मती चुत ने फिर से अंगड़ाई लेने लगी..

आज पहली बार अर्जुन का प्यार महिस्मती को अलग महसूस हो रहा था.. क्यों कि अर्जुन नाहा धो कर वही गीले तोलिया से सीधा किचन रूम के अंदर घुसा हुया था..

इश वक़्त अर्जुन का लन्ड खड़ा नहीं था.. लेकिन लन्ड के उपर सिर्फ तोलिया नाम का परदा था..

महस्मती हस के आटे गौंद कर - सुना है तू आज सहर जा राहा है.. तो फिर क्यों आया था ?

अर्जुन पीछे से महिस्मती की गाल को एक प्यार भरा चुम्बन दे कर - तेरी याद ने मुझे खिंच कर ले आता है माँ..

इतना सुनते ही महिस्मती की गांड ऑटोमैटिक अर्जुन के लन्ड के उपर हल्की हल्की हिलने लागी..

महिस्मती बनावटी गुशे मे - चल झूठा..

इश बीच अर्जुन के लन्ड के उपर महिस्मती की गांड ज़रूरत से ज्यादा रगड़ रही थी..

आपनी माँ की ऐसी बदलाब को देख कर अर्जुन के दिल के धड़कन बढ़ चुका था..

क्यों कि जब तक अर्जुन कुछ समझ पाता तब तक अर्जुन का लन्ड पूरे औकात में आकर महिस्मती माँ की गांड के बीचों बीच फास चुका था..

तब पीछे से बिरजू ओर बिजली आकर महिस्मती को ..

बिरजू - उतरा की माँ में बिजली को लेकर उरी बेटी को लेने जा राहा हूँ..

महिस्मती - उतरा के साथ साथ मे भी सेहर जा रही हूं. आप उरी के साथ साथ मुर्मी को भी लेकर आ जाओ..

बिजली - बापू चलना.. आते आते देर हो जाएगी..

बिरजू ओर बिजली जाने के बाद उतरा आ कर - माँ तू क्यों सहर जाएगी और कुनमुन तेरे को पीछे से पकड़ कर क्यों खड़ा है..

अर्जुन चाह कर भी पीछे हो ना सका.. आगर अर्जुन पीछे हट जाता तो अर्जुन का 9 इंच का लंबा लन्ड सबके सामने आ जाता ..इशिलिय अर्जुन उतरा बाज़ी की जाने तक इंतजार किया..

महिस्मती हस के - उतरा तूझे जाने में देर हो रही है .. तू अभो पहाड़ी वाली देवी माँ की सिंदूर लेकर आजा.. फिर तेरी सारी सवाल का जबाब दूँगी.. अगर मेरे बेटे करन को शहर जाने में देर हो गेई तो तेरा जाना रद करदुंगी..

इतना सुनते ही इतरा दौड़ती हुई देबि माँ की ओर भाग निकली..

जब उतरा चली गेई तो अर्जुन राहत की सांस लिया.. अर्जुन महिस्मती के पीछे से हटने वाला था कि..

महिस्मती फिर से गांड को थोड़ी नचा कर - करन बेटा ..तू क्या बोल राहा था ?

अर्जुन - कौन सी बात माँ ?

महिस्मती - देखा ना ..दिखादो आपनी झूठा प्यार.. अभी अभी तू मुझे बोल राहा था.. मेरी प्यार ने तुझे सहर से कबीले की बस्ती तक खींच कर लेआया..

महिस्मती की दर्द भरी झूटी नाटक की आवाज़ ने अर्जुन के दिल को चीर कर रख दिया..

अर्जुन सब कुछ बर्दास्त कर सकता है केलिन आपनी माँ की आंखों में दर्द नहीं देख पा राहा था.. इशिलिय तो बिरजू अर्जुन के डर और प्यार के वाज़ा से महिस्मती को कुछ बोल नहीं पा राहा था..

अर्जुन आपने फुले हुए लन्ड का परवा ना करते हुए ..अपनी माँ की चेहरे की ओर दिमाग चलाने लगा..

अर्जुन - माँ तूने मुझे जंगल के बिरान से तेरे गौद में पनाह दिया है ..तेरे लिए में सारे दुनिया के सकती से लढ़ सकता हूँ..

महिस्मती हस के - फिर तूने तेरे बापू ओर बिलजी को देख कर आपनी माँ को प्यार करना क्यों छोड़ दिया ?

अर्जुन फिर से महिस्मती को पीछे से पकड़ कर - अब खुस ?

महिस्मती हस के - में तेरी माँ के साथ साथ सासु माँ भी हूँ ..

अर्जुन हस के महिस्मती को पीछे से कस कर पकडते हुए - तेरी नागिन बेटी बिजली को मेरे गले मे क्यों बांध रही है..

महिस्मती हस के - क्या करूँ.. अगर मेरी बस चलती तो में तुझे उतरा के साथ सादी करवा लेती.. पर क्या करूँ उतरा तुझसे 10 साल बड़ी है..

उतरा बाज़ी की नाम सुनते ही अर्जुन के लन्ड के अंदर तनाब आने लगा..

महिस्मती - में फटफटिया के साथ मेरी उतरा की सादी करके बहोत बड़ी गलती करदी.. रोज़ खिट खिट से अच्छा मेरी उतरा मेरी घर मे होती..

अर्जुन -होनी को कौन टाल सकता है माँ ..

महिस्मती - सुना है सहर के हाकिम के दबाई से औरत माँ बन जाती है ..करन तू कुछ भी कर .. मेरी उतरा बेटी को गर्भवती बना कर छोड़ना..

इतना सुनते ही अर्जुन का लन्ड बेचैन होने लगा.. महिस्मती ने चालाकी से आपनी साढ़ी की गांठ को आगे से खोल कर आपनी गांड को पीछे से नंगा कर चुकी थी..

अर्जुन खुद को हुसियार समझ कर - तेरी बात को में टाल सकता हूँ.. उतरा बाज़ी को गर्भवती बना कर ही छोडूंगा..

महिस्मती - ओर नहीं तो क्या .. मेरी उतरा की सरीर मेरी तरह भारी सरीर है.. जब में 4 बचे को पीईदा कर चुकी हूं.. मेरी उतरा बचा क्यों नहीं पीईदा कर सकती .. ज़रूर फटफटिया के अंदर कुछ कमी है..

अर्जुन - हां माँ फटफटिया के अंदर कमी है.. पर तु फिकर मत कर ..में किसी भो हालत में उतरा बाज़ी को गर्भवती बना दूँगा..

महिस्मती गाँड़ को इधर उधर हिला कर - कस तू मेरी उतरा से बड़ा होता तो में अब तक उतरा की बचो का नानी माँ बन चुकी होती..

इतना सुनते ही अर्जुन उतेजित होकर थोड़ा पीछे होने को हुया तो महिस्मती आपनी कसम दिला कर अर्जुन को आपनी पीछे से रख ली...

महिस्मती हस के - अच्छा करन .. तुझे उतरा अछि लगती है या बिजली ?

अर्जुन हस के - मुझे मेरी माँ सबसे अछि लगती है .

महिस्मती हस के - तो क्या तू तेरी माँ को गर्भवती बनाएगा..?

इतना बोलकर महस्मती ज़ोर से अर्जुन के लन्ड को पीछे से धके मारदी..

अर्जुन काफी हुसियार था ..अर्जुन ने नज़र नीचे झुका कर देखा महिस्मती माँ की गाँड़ पीछे से पूरी नंगी है.. लन्ड ओर गाँड़ के बीच सिर्फ तोलिया का पर्दा था.. ओर उशी पर्दे को महिस्मती माँ ने रगड़ रही थी..

सेक्स के विज्ञान को अर्जुन पूरी तरह से पढ़ चुका था.. अर्जुन ने देखा माँ की चेहरे लाल लाल पड़ चुकी थी..

अर्जुन आपने मन मे - सायद माँ को ..मेरे ओर उतरा बाज़ी के बीच नाज़ायज़ रिस्ते के बारे में भनक लग चुकी है.. इशिलिय माँ मुझे दूसरे तरीक़े से समझ रही है.. पर ये तरीका क्यों ?

तब अर्जुन के पापी मन ने - क्या माँ की दिल मे जान नहीं है.. ज़रा गौर से देख ..उतरा बाज़ी की सरीर की तरह माँ की सरीर भी गठीला है.. दोनो माँ बेटी के सरीर के नाप तोल किया जाए तो दोनों बराबर की लगेगी. दोनो में सिर्फ एक ही बदलाब है.. ओर वो है उमर की उतार चढाब..

अर्जुन थर थराता हुआआवाज़ में - माँ मुझे माफ़ करदे ..फटफटिया की माँ के वाज़ा से में उतरा बाज़ी के साथ...

बीच मैं महिस्मती हस के - मुझे सब पता है करन ..तू मेरा बेटा है ये तूने साबित करदिया..

अर्जुन थोड़ा डरते डरते - माँ , उतरा बाज़ी पिछले एक महीने से गर्भवती है ..

महिस्मती हस के - जानती हूँ मेरे लाल.. मुझे सब पता है ..

इतना बोलकर महिस्मती ने हल्के से तोलिया को नीचे के गाँड़ के ज़रिए उठाने की कोशिश किआ..

अर्जुन के पापी मन - सायद माँ को भी तेरे लन्ड से मज़ा मिल रही है.. जैसे माँ ने पीछे से साढ़ी खोल दिया है.. तू भी आगे से तोलिया को खोलदे यार..

अर्जुन का सोचने का सकती ख़तम हो चुका था.. अर्जुन ना चाहते हुए भी तोलिया को आगे से हटा दिया..

अब लन्ड सीधा महिस्मती की नंगी गाँड़ के दरार में दस्तक देने लगा..

अर्जुन डरते डरते - माँ तुझे कैसे पता चला ?

महिस्मती हस के आटे को गौंद कर - तुझे मालूम नहीं है.. पिछले 2 महीने से फटफटिया की माँ बीमार है.. इशिलिय उतरा रात को फटफटिया के घर पर रुकती है..

इतना सुनकर अर्जुन के दिमाग पर बम फूटने लगा.. अर्जुन समझ चुका था रात को अर्जुन जिशे उतरा समझ कर चुद चुका था.. वो उतरा बाज़ी नहीं बलकि माँ थी..

आज की अलग बदलाब को देख कर अर्जुन को सबकुछ समझ मे आ चुका था..

अर्जुन - माँ मुझे माफ़ करदे..में रात के अंधेरे में उतरा बाज़ी समझ कर ..

महिस्मती - काफी मांगने से क्या सबकुछ ठीक हो जाएगा ? क्या मेरे कोख में पल राहा बचा..

इतना सुनते ही अर्जुन का दिमाग फटने लगा..

अर्जुन के आँखों के सामने अंधेरा छाने लगा..

अर्जुन डरते डरते - ये कैसे संभब है ?

महिस्मती - क्यों संभब नहीं हो सकती ? सिर्फ तेरी उतरा बाज़ी के पास वो मटकी है ..जो मटकी उतरा की पास है ..उस से बड़ी मटकी मेरी पास है.. तू लगातार 15 रात मेरी मटकी के अंदर तेरा दही भरता राहा ..जब मटकी के अंदर दही जम गेई तब पूछता है कैसे संभब ?

अर्जुन काफी डरते डरते - अब क्या होगा माँ ?

महिस्मती आटा को पीस पीस कर धजिया उड़ाती हुई - तू क्या चाहता है ? क्या में इस बचे को गिरवा दूँ ?

अर्जुन फाटक से - हाँ..

महस्मती - क्या ?

अर्जुन - ना ..

महिस्मती - तू सोच के बता..हाँ या ना ?

अर्जुन - माँ तू बचा गिरवा दे ..

महिस्मती - पर मुझे लगता है मेरे कोख में बेटा है .. मेरे करन बेटे का बेटा है..

करन - पर माँ तू बापू को क्या जबाब देगी ?

महिस्मती गुशे से - सब गलती तेरे बापू का है .. तेरे बापू मुझे महीने में सिर्फ एक बार संभोग करते है .पिछले 2 महीनों से तेरे बापू वो भी बंद करदिये.. ओर जब तुझे में तेरे बापू समझ कर तेरे साथ पूरे 15 रात मजा करके गर्भबती हुई.. .

अर्जुन - माँ अगर 2 महीनों से बापू तेरे साथ नहीं सोये है ..तो तुझे ये बचा गिराना होगा ..

महिस्मती - करन मुझे आभास हो रही है मेरे कोख में बेटा है ..

अर्जुन - ठीक है माँ.. पर में नहीं चाहता कोई मेरी माँ को गंदी नज़र से देखे.. तू तो जानती है बापू इस कबीले का सरदार है...

महिस्मती अब आपनी दोनो टांग को चौड़ी करदी.. जिस से अर्जुन का लन्ड महिस्मती की चुत के दोनों ढकन के बीचों बीच फास गेया..

4/5 घंटे चुदी हुई चुत थी.. महिस्मती पीछे से दबाब देने से सुपाड़ा पच की आवाज़ स अंदर घुस गेया.

महिस्मती ssssshhhhhhhssssss की आवाज़ निकल कर - जिस तरह तूने उतरा को हाकिम बाबू के झूठे कहनी बना कर माँ बना देगा.. ठीक उसी तरह मुझे भी.

इतना बोलकर महिस्मती थोड़ी ओर ज़ोर लगाकर लन्ड को अंदर ले गेई..

अर्जुन भी थोड़ा ज़ोर लगा दिया..लन्ड पूरा जड़ तक घुस गेया..

अर्जुन लन्ड को आगे पीछे करते हुए - उतरा बाज़ी तो बचे केलिये ये सब कर रही है.. पर तेरी तो 4/4 बेटी है..

बच्चेदानी के अंदर सुपाड़ा घुसते ही महिस्मती ने फाटक से बदन से साढ़ी को फेंक कर वही किचन रूम के चारपाई पर पीठ के बल लेट कर दोनो पर को बिपरीत दिसा में फैला कर अर्जुन को चुदाई करने केलिये बुलाई..

अर्जुन भी फाटक से महस्मती माँ के ऊपर चढ़ के ताबर तोड़ प्रहार करने लगा..
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महिस्मती अर्जुन के मूसल का आनंद लेती हुई - में मानती हूं मेरी 4/4 जवान बेटी है..पर वो सब किसी ओर के बेटी है.. में चहिती हूँ ..मेरी कोख में मेरे करन का भी एक बचा हो जाये..

अर्जुन ज़ोर ज़ोर से धके मार कर - कैसे संभब होगा माँ ?

महिस्मती चुदाई का आनंद लेती हुई - तेरे बापू ओर उतरा को आने दो ..में कुछ नाटक करती हूँ..

फिर अर्जुन ने कुछ मिनट के अंदर अपना सारा ज़हर को महिस्मती माँ की बच्चेदानी के अंदर भर दिया.
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Siraj Patel

The name is enough
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Full hot aur dhansu update bhai aakhirkar mahishmati maa or Arjun donon ko Sach ka pata chal gaya or ab mahishmati bhi Arjun ke bacche ko Janm Dena chahti hai,

Or mujhe lagta hai maahishmati ne Utara Baji Ko Jo Devi Maa Ka Sindoor Mangane ke liye Bheja Hai wo Sindoor Arjun ke Hathon se Utara Baji Ki Mang Bharayegi khair dekhte hain ab aage kya hota hai.....

Waiting for next update_____
 
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