KABUL HE :- 02
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कुछ देर के बाद जंगल के कबीला की पत्नी महिस्मती तालाब से नाहा धोकर अपनीएक साल की बेटी को लेने ऊपर आ गेई..
महिस्मती ने देखी उशकी बेटी के बदले एक बेटा उशी जगह सोया हुआ था..
अपनी बेटी को महिस्मती काफी देर तक तलाश किया .. पर महिस्मती को उशकी बेटी किधर नहीं मिली..
इस बिरान भारी जंगलों में उसकी बेटी किधर जा सकती है.. फिर उसकी बेटी के बदले य सुंदर सा बीटा इस आंधी तूफान के बीचों बीच आया किधर से..
महिस्मती समझ गेई की तौ उशकी बेटी को लेकर बेटा दे कर जा चुका है ..
महिस्मती की कुल 4 बेटी थी , अगर एक बेटी के बदले उशे बेटा प्राप्त हुया है तो .. ये तो खुशी की बात है..
महिस्मती अर्जुनको गौद में लेकर अर्जुन को अछि तरह से जांच परताल करने लगी,
अर्जुन के गर्दन के पीछे "अजु" ओर पेर के नीचे "भाई "के काले काले सुनहर अखयर में लिखा हुआ था..
अर्जुन के गले मे सूरज के लकेट से एक सोने का चेन के सिवा कुछ और नहीं मिला ..
अर्जुन का छोटा सा नूनी को देख कर महिस्मती की हसी छूट गेई..
महिस्मती हस हस के - बाप रे .. आज से तू । मेरा लला है. आज से तू इश कबिले का छोटा सरदार है ..
इधर बसुंधरा घर पहोंच कर एक सुंदर सी बेटी को पैदा करके खुश थी..
क्यों कि अगर बेटा होता तो बसुंधरा उशे फिर से खो देती ..
वसुंधरा आज बहुत खुश थी उसकी जिगर का टुकड़ा को जंगल में छोड़ कर वसुंधरा वसुंधरा निश्चिंत थे त्रिभुवन जैसा कमी ने दरिंदा अर्जुन का साया तक नहीं पहुंच पाएगा,,
वसुंधरा को आने वाला समय का इंतजार था कब अर्जुन बड़ा होगा कब अपना बाप का बदला लेगा अर्जुन को पहचानने के लिए वसुंधरा ने अपनी मां की निशानी के तौर पर बहुत कुछ कर चुके थे..
इधर माहिष्मती अपने पति परमेश्वर और अपनी तीन बेटियों को बुला कर .. जंगल में हुए सारी अनहोनी का घटना को विस्तार में बताने लगी
महिस्मती की बड़ी बेटी उतरा इस बक्त 8 शाल की थी
उतरा सब कुछ समझ। रही थी .. कैसे माँ बापू ने एक बेटे के चाहत में जंगल के सारे देव और देवी ओ को दिन रात पूजा करते थे
उतरा - बापू ये मेरा भाई है अब मुझसे इसे कोई छीन नहीं सकता..
उरी भी (6 शाल की) - हां माँ में मेरा भाई को कही जाने नही दूंगी
मुर्मी (4 शाल की ) - हां माँ .. य मेला भाई है इसे में किधल जाने नहीं दूंगी अगल तोई इते लेना चाहेगा तो में उसे काट लुंगी..
महिस्मती के पति जो काबिले का सरदार था.. सारा जंगल का राजा ..
पति- मुझे भी ये रिस्ते को कबुल है..
उतरा/उरी/मुर्मी - हमे भी कबूल है ..
महिस्मती हस हस के - मुझे भी कबूल है.. हम सबको को इस नई रिस्ते को दिल से निभानी होंगी..
इधर बसुंधरा गुस्से में आग बबूला हो चुकी थी .. त्रिभुवन ओर भबनी कानून का सहारा लेकर बसुंधरा की सारी जायदाद को हड़प लेना चाहते थे पर कानून के नियम से बसुंधरा की एक इंच ज़मीन को आपने नाम पर नहीं कर पाए..
क्यों कि बसुंधरा का पति राज मोहन पटेल ने आपने सारा जायेदाज़ बसुंधरा के नाम पर करदिया था अगर बसुंधरा को कुछ हो जाता तो सारा जायदाद सरकार के खजाने पर चला जायेगा..
त्रिभुबन ओर भबनी की सारी मेहनत बेकार हो चुका था ..
त्रिभुवन गुस्से में - जी तो करता है बसुंधरा को राज के पास ऊपर पहोंचा दूँ
भबनी - मोटे भाई , मेरी पास एक ओर प्लान है , हमे बसुंधरा पहचान नहीं पाई , अगर पहचान लेती तो अब तक पुलिस को सब कुछ बता चुकी होती.
त्रिभुबन गुशे में- छोटी बोहु क्या तेरी प्लान एही थी ?
भबनी - हमारे खानदान के अंदर एक भी लड़का नहीं है , अगर आपके या मेरे हम दोंनो के किसी एक का बेटा हो जाएगा तौ हम बसुंधरा का सारा जायेदाज़ हड़प सकते है.
त्रिभुबन - बसुन्धरा कभी भी हम दोनों के बचो को अपना नहीं मानेंगी..
फिर भबनी ने त्रिभुबन को बड़े प्यार से समझाई ...
त्रिभुबन - तू य बोल रही है कि .. हम दोनों जा कर बसुंधरा से माफी मांग ले ..
भबनी हस के - मोटे भाई .. ये सब तो आपके लिए कर रही हूं.. में चाहती हूं आपके ओर चारु दीदी की बेटा इश पटेल खानदान के साम्राज्य को संभाले..
त्रिभुबन - तेरी भी तो बीटा पैदा हो सकता है
भबनी ( झूट) - आपके छोटे भाई ने मेरी नसबंदी करवा चुके है.. ओर आप ऑलरेडी 2 बेटे के बाप बन चुके है
इतना सुनते ही त्रिभुवन के दिमाग घूमने लगा त्रिभुबन एक कुटिल स्माइल छोड़ दिया
भबनी - पर एक कंडिक्शन है , मुझे मेरे हिसा चाहिए
त्रिभुबन हस के - चलो पहले माफी तो मांग ले..
भबनी - मोटे भाई , माफी ओर आँसू नेचुरल होना चाहिए..
फिर त्रिभुबन ओर भबनी एक दिन मौका देख कर बसुंधरा के पास जा कर माफी मंगलेते है
त्रिभुबन ओर भबनी को एक साथ अपनी घर पर देख कर बसुंधरा पहले काफी डर चुकी थी
बसुंधरा नहीं चाहती थी थी त्रिभुबन और भबनी जैसी खतरनाक आदमी ओ से पंगा लेकर अपनी बाकी बेटियों पर माँ की साया भी उठ जाए..
बसुंधरा अपनी गुशे को अंदर रख कर त्रिभुबन ओर भबनी को माफ कर दिया पर बदला लेने केलिये अभी भी तरस रही थी
त्रिभुबन झूठा हसी हस के - छोटी बोहु तू बसुन्धरा बोहु को समझा में चला उधर ढेर सारे काम पड़ा है
त्रिभुबन जाने के बाद भबनी ने आपने बात छेद दी
अब बसुन्धरा की समझ मे आयी कि ये मगरमछ की आँसू ओर माफी किस वाज़ा का था
बसुंधरा भी एक चल चला दी
बसुन्धरा - देख भबनी , जेठ जे के 2 बेटा है , में नहीं चाहती कि मेरा जायदाद 2 हिसों में बंट जाए , अगर तू चाहेगी तो तेरे होने वाले बेटे को में अपना बेटा स्वीकार कर लुंगी
इतना सुनते ही भबनी क़ि लालच बढ़ गेई , भबनी आंख खोल कर सपने देखने लगी
भबनी - ठीक है दीदी , पर आप य बात को त्रिभुबन भाई साहब को मत बताईये , में किसी भी तरह त्रिभुबन भाई साहब को झूठा तसली दे दूंगी
बसुंधरा भी हस के - काल तू ओर देवर जी मेरे घर पर आना और मेरे असरीबाद लेकर मुझे एक बेटे देकर जाना
भबनी हस के - ठीक के दीदी,
बसुन्धरा - काल शाम को तू तेरा पूरा परिवार के साथ आना
भबनी जाने के बाद बसुन्धरा सीधा अपनी सहेली के पास एक ज़हरली दबाई लेकर आई , जिसे खाने से आदमी की लंड के सारे नस खराब हो जाएगा , संसार मे उस लंड के नस को जोड़ने लेकिये आई डॉक्टर नहीं हो,
बसुंधरा गुशे में - अब देख भबनी मेरी पहली बार ,
साम के वक़्त भबनी ओर भबनी के पति बसुन्धरा के घर आये , बसुंधरा ने सरबत के अंदर वही ज़हरीला दबाई को उसकी देवर के पिला दिया और त्रिभुबन को बस में करने केलिये वही ज़हरीला दबाई को भबनी को दे कर
बसुंधरा - भबनी मेरी बेहेन , ये दबाई आदमी के गुशे को संत करने की दबाई है , इशे तू त्रिभुबन भाई साहब को पिला देना , देखना तू जो बोलेगी त्रिभुवन भाई साहब वही करेंगे
फिर भबनी बसुन्धरा से खुसी खुसी अलबिदा लेकर त्रिभुबन के घर जा कर हलवे में वो ज़हरीला दबाई मिला कर त्रिभुबन को खिला देती है
5/6 साल के बाद भी भबनी गर्भवती नहीं हुई .. भबनी आपने पति और खुद डॉक्टर के पास जा कर अपना अपना मेडिकल जांच किया
रिपोर्ट आ चुका था
डॉक्टर - मैन मोहन जी आप कभी बाप नहीं बन सकते
मन मोहन हस कर - डॉक्टर साहब मैं ऑलरेडी 3 बेटी की बाप बन चुका हूं
भबनी - हाँ डॉक्टर साहब , हमारे 3 बेटी है और हम एक बेटे केलिये
डॉक्टर - य कैसा संभब हो सकता है , आपके पति के प्रिवेट समान से सारी नस खराब हो चुका है..
भबनी - इश्का कोई इलाज नहीं है ?
डॉक्टर - मुझे मन मोहन जी को फिर सब चेक करने दो ?
पूरे 4 घंटे के बाद डॉक्टर ने बाहर आ कर - मन मोहन जी .. मुझे जो डाउट था वही हुआ .. कोई आपको धोके से नंपुसक बना दिया है अब आपका कोई इलाज नहीं हो सकता
इतना सुनते ही भबनी कि दिमाग काम कर गेई , भबनी को याद आयी मन मोहन को लेकर उशी दिन भबनी ने बसुन्धरा की घर गेई थी.. उसके अलावा बसुंधरा ने दुबारा मन मोहन से मिली ही नहीं
मन मोहन ओर भबनी दुखी मन से मेडिकल से घर वापश आये..
भबनी आग बबूला हो कर बसुंधरा ससे मिलने चली गेई
इस 4/5 साल में बसुंधरा की चाल ढल बदल चुकी थी.. बसुंधरा आने वाली मुशीबत को सामने से सोच कर अपनी पेर हर जगह फैला चुकी थी
मतलब अब बसुन्धरा के हाथ मे पोलिसी ओर बड़े बड़े नेता लोगो बसुन्धरा के मुठी में थे..
भबनी बसुन्धरा के सामने ऊंचे आवाज़ से - तूने मुझे दोखा दिया..
बसुंधरा हस के - आवाज़ नीचे कर कुतिया , य तेरा बाप का जागीर नहीं है , ज्यादा चु चा की तो तुझे झूठा केस डलवा कर हवालात के अंदर घुसा दूंगी..
भबनी गुशे में - मुझे में कभी नहीं छोडूंगी
बसुन्धरा गुशे में - चल जो उखाड़ना है उखाड़ ले , में तुझे ओर वो मादरचोद त्रिभुबन पटेल को खुला चलेंगे करती हूं तुम दोनो मेरी एक भी झांट उखाड़ नहीं पाओगे ,
भबनी गुशे में - तू तेरे 2 भाई के वाज़ा से ज्यादा उछल रही है ना
बसुन्धरा - तेरी सोच गलत है , मेरा एक भाई कलेक्टर ओर एक भाई मिनिस्टर है , अगर में चाहती थी तो तुम दोनों को कबकी सलाखें के पीछे ढकेल दे चुकी होती , पर मुझे तुम दोनों की तबाही देखनी है
भबनी चुटकी बजा कर - अब में तुझसे खुले चैलेंज करती हूं , तुझे में खून की आसूं रुलाऊंगी
बसुंधरा - कबूल है ,कबूल है , क.... बु.... ल... है..
बसुंधरा की खतरनाक आवाज़ से पूरा हवेली थर थरा गेई..
इधर अर्जुन 6 साल का बन चुका था , पूरा जु जंगलों का राजा बन चुका था ..
अर्जुन को पाठ पढ़ाने केलिये महिस्मती ने ठान ली.. महिस्मती ने अर्जुन को शहर भेजने का फैसला किया..
सहर के स्कूल में अर्जुन का नाम खुद महिस्मती ने "करन " एक नया नाम देकर अर्जुन को करन खुरबुल बना दिया..
आहिस्ता आहिस्ता अर्जुन/करन 14 साल का हो चुका था .. अर्जुन सनिबार और रबिबार के पूरा समय महिस्मती के साथ जंगल के वादियो के बीचों बीच बिता कर फिर बाकी 5 दिन सहर के हवा पानी के साथ जुड़ जाता था
फिर भी अर्जुन पूरा शहर में फ़ास्ट होता रहा..
अब अर्जुन का नाम करन के नाम से परिचित हो रहा था .. अर्जुन जंगल के जगह पर एक अदिबासी कि तरह भेस भूसा के गेटउप में रहता था, ओर सहर में सेहरी बाबू की तरह,
अहिस्ता अहिस्ता ओर 4 शाल गुज़र चुका था , समय के अनुसार काबिले वालो से अर्जुन को समझ मे आ चुका था कि अर्जुन महिस्मती की असली बीटा नहीं है ,
फिर भी अर्जुन को कोई अनाथ नहीं सोच रहे थे , महिस्मती की बेइंतहा प्यार से अर्जुन पूरी तरह से महिस्मती की बेटा समझ चुका था,
अर्जुन पढ़ाई के साथ साथ जंगल के सारे जानवर ओर पंछी से दोस्ती कर चुका था , ओर सहर में भी कुछ अच्छा बुरा दोस्तो के साथ खुदका ज़िंदगी आगे बढ़ा चुका था ,
कुछ बुरा दोस्त के साथ रहकर अर्जुन अपना गलत रास्ता को बड़े जल्दी अपना चुका था
अर्जुन अपना जवानी का जोश और अपना खतरनाक 9 इंच का लैंड के सामने रोज़ रोज़ लैंड हिलाना , य अर्जुन का रोज़ काम था ..
आज अर्जुन का पहला कॉलेज का दिन था , कॉलेज के नई नई लड़की को लेडी टीचर को देख कर अर्जुन का लन्ड ज़रूरत से ज्यादा उछाल रहा था,
अर्जुन फाटक से टोइलेट के अंदर घुस कर लुंड हिलाने लगा , ओर थोड़े देर के बाद अर्जुन का मोटा ओर लंबा लन्ड ने ढेर सारे रस निकाल दिया ..
जब अर्जुन अपना पिचकारी छोड़ रहा था तब अचानक कॉलेज के प्रिंसिपल मिस अनामिका अचानक टोइलेट के दरवाजा खोल दी ।।
अनामिका ने अर्जुन का बिसाल लन्ड को देख कर हैरान हो गेई..
अनामिका 27 शाल की शादी सुदा औरत थी..
पिछले 5 साल से सदी होने के बाबजूद भी अभी तक अनामिका माँ नहीं बन पा रही थी
( दरअसल बात तब की थी जब अनामिका , बन्दना ओर सुगंधा .. ये तीनो सहेली एक ही दिन में सदी किये थे ..
अनामिका , बंदना ओर सुगंधा य तीनो सहेली बचपन ओर कॉलेज की जिगरी दोस्त थे , तीनो ने लव करके आपने आपने जीबन साथी खुद तय कर चुके थे ,
तीनो को भी एक ही कॉलेज में प्रफेसर के रूप में पोस्टिंग मिल चुकी थी ,
अनामिका को कॉलेज के प्रितपाल , बन्दना को केमेस्ट्री ओर सुगंधा को अलजेब्रा की प्रोफेसर का पोस्टिंग मिल चुका था..
बसुन्धरा अपनी बदला लेने केलिये त्रिभुबन के दामाद ओर भबनी के दामाद को नंपुसक बनाने को ठान चुकी थी..
जिश दिन त्रिभुवन की बड़ी बेटी सुगंधा की शादी हुई थी ,, उशी वक़्त अनामिका ओर बन्दना की भी सदी हो रही थी ..
सादी होने के बाद बसुंधरा सबके नज़र बचाकर एक बड़ा सा लडू के अंदर नंपुसक का दबाई मिला कर सुगंधा के पति को देकर चली गेई ..
सुगंधा अपनी चाची बसुन्धरा के प्यार भरे लडू को उसके पति को खाने केलिये परमिसन दे देती..
दूर से बसुंधरा अपनी सतरंज पर खुश हो कर देख रही थी .. पर बसुन्धरा की चेहरा मुरझा गेई ..
क्यूं की बसुंधरा की मिली हुई नंपुसक की लडू को सुगंधा के पती , अनामिका के पती ओर बंदना के पति मिल जुल कर खा रहे थे ..
बसुन्धरा आपने मन मे - मुझे माफ़ करदो भगबान ये मेरी कोई चाल नहीं थी ..
बाबानी भी वैसा ही ज़हरीला नंपुसज का दबाई बसुन्धरा की दामाद को खिला कर नंपुसक बना चुकी थी..)
इधर अनामिका अर्जुन का लन्ड देख कर अपनी आंखों बड़ी बड़ी कर चुकी थी ..
आपने कॉलेज के प्रिंसिपल को सामने देख कर अर्जुन का गांड फट चुका था ..
अर्जुन डरके मारे थर थर कांप कर अनामिका मैडम को सॉरी बोल कर निकाल गेया..
अनामिका इश साइनस कॉलेज की प्रिंसिपल थीं . अचानक अनामिका की नज़र टॉइलेट के दीवार पर अर्जुन का सफेद बीज पर जा अटकी .
अर्जुन का बीज कितना मिटा था कि दीवार पर चिपका हुया था .. जैसे की एक चाय के ग्लास के अंदर सूखा पानेरी भर कर इधर फेंक कर गेया हो ..
अनामिका अपनी पेन के ढकन से थोड़ा सा पानेरी , मतलव थोड़ा सा बीज लेकर अपनी लबोट्री के अंदर चली गेई .
अनामिका को जो उमीद थी आखिर कर वही हुया .. अर्जुन का बीज के अंदर सिर्फ सुक्राणु भरा हुआ मिला ..100 से 100 परसेंट सुक्राणु बीज था .
फिर अनामिका अपनी सतरंज दिमाग दौड़ा दौड़ा कर काफी कुछ सोंचने लगी..
अनामिका अपनी कंप्यूटर से अर्जुन का पूरा हिस्ट्री निकाली ..
करन खरबुला , एक जंगल की अदिबासी काबेला का बेटा ..उमर 18 शाल , पढ़ाई में सबसे तेज़ .. इशी वाज़ा से करन को इश टप साइनस कॉलेज पर मुफ्त एड्मिसन मिला है ..
अनामिका आपने आपसे - जंगल के देहाती गवार कबीला का बेटा है , अगर थोड़ा ब्लैकमेल किया जाए तौ किसी को कानो कान खबर होने से पहले में प्रेगनंट हो जाउंगी..
अनामिका - लड़का भी काफी स्मार्ट है , बॉडी के डोले सोले भी मस्त है .लन्ड भी काफी दमदार है , लगता है ओपनिंग नहीं हुया है
अनामिका - मेरा हसबैंड का स्पेम को मै खुद चेक कर चुकी हूं , मेरा पति नामर्द है ये बात सिर्फ मुझे मालूम है , अगर थोड़ा आगे बेढंगी तो शायद मेरी सपने पूरी हो सक्ति हे ..
इधर अर्जुन ने आपने एक दोस्तो से टॉइलेट के सारि काहानी को बताने लगा
अर्जुन का दोस्त - भाई करन , हमारी प्रिंसीपल अनामिका मैडम कितना हॉट एंड सेक्सी है , जी करता है साली को एहि पटक पटक कर छोड़ लूं ,
अर्जुन - चुप कर यार , मेरा गांड फैट रहा है और तुझे मस्ती सूझ रहा है
दोस्त -हाँ यार करन , मेरा भी गांड फैट रहा है पर जब जब अनामिका मैडम मेरे सामने से गुजरती है तब तब मेरा लन्ड के सारे नस फट जाते है .. साली क्या मेन्टेन्स बनाई है फिगर की .. सदी सुदा होने के बाबजूद भी प्रेग्नेंट नहीं हुई है ..
इतना सुनते ही अर्जुन का लन्ड का नाश फिर से फूलने लगा .. ये एहि दोस्त है जो अर्जुन का काम सस्त्र का गुरु था , अर्जुन को बिना चुदाई को छोड़ कर बाकी सारे ज्ञान दे चुका था..
14 साल से लेकर 18 साल तक पूरे 4 साल तक अर्जुन को चुदाई का ज्ञान इश दोस्त से प्राप्त हुआ था , पर अर्जुन कभी चुदाई नहीं कर पाया था , लन्ड को हिला हिला कर देसी कहानी पढ़ पढ़ कर अपना बहु मूल्य बीज को बर्बाद कर रहा था ..
जिश कहानी में माँ बेटा , भाई बहन आदि कहानी सामिल था ,
कॉलेज छूटी होने के बाद अनामिका ने अर्जुन को आपने केबिन के अंदर आने को पैगाम भेजा , पर अर्जुन डर के मारे आपने होस्टल पर आ गेया ,
अनामिका काफी देर इंतज़ार करने के बाद मयूश हो कर अपनी क्वाटर पर आ गेई..
इधर अर्जुन अनामिका मैडम के घर के बाहर अनामिका मैडम की इंतज़ार कर रही थी ,,
जैसे ही अनामिका घर के दरवाज़ा खोली वेसे ही रजं अनामिका मैडम के पेर पकड़ कर माफी मांगने लगा..
अर्जुन के डरावना चेहरे से अनामुक़ा कि दिल में लडू फूटने लगी ..
अनामिका गुशे के आवाज़ में - करन घर के अंदर के अंदर चलो , जो बोलना है घर के अंदर बोलो , इधर तमाशा मत करो..
इतना बोल कर अनामिका अपनी घर के अंदर घुसने लगी..